🅿🄾🅂🅃 ➪ 229
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❝ खौफे खुदा ❞
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*⚘ खौफे खुदा की तारीफ ⚘*
╭┈► ख़ौफ़ से मुराद वोह कल्बी कैफ़िय्यत है जो किसी ना पसन्दीदा अम्र के पेश आने की तवक्कोअ के सबब पैदा हो, मसलन फल काटते छुरी से हाथ के जख्मी हो जाने का डर। जब कि ख़ौफे खुदा का मतलब येह है कि अल्लाह तआला की बे नियाज़ी, उस की नाराज़गी, उस की गिरिफ़्त और उस की तरफ़ से दी जाने वाली सज़ाओं का सोच कर इन्सान का दिल घबराहट में मुब्तला हो जाए।
╭┈► *आयते मुबारका :* अल्लाह अज़्ज़वजल कुरआने मजीद में इरशाद फ़रमाता है
*तर्जमए कन्जुल ईमान :* ऐ ईमान वालो अल्लाह से डरो।
╭┈► अल्लाह अज़्ज़वजल इरशाद फ़रमाता है,
*तर्जमए कन्जुल ईमान :* और जो अपने रब के हुजूर खड़े होने से डरे उस के लिये दो जन्नतें हैं।
╭┈► *हदीसे मुबारका हिक्मत की अस्ल खौफे खुदा है :* हुजूर नबिये रहमत, शफ़ीए उम्मत ﷺ ने इरशाद फ़रमाया हिक्मत की अस्ल अल्लाह का ख़ौफ़ है। सरकारे मदीना राहते कल्बो सीना ﷺ ने हज़रते अब्दुल्लाह बिन मसऊद रादिअल्लाहु तआला अन्हु से फ़रमाया अगर तुम मुझ से मिलना चाहते हो तो मेरे बाद भी अल्लाह से बहुत डरते रहना।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 201 📚*
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📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 230
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❝खौफे खुदा ❞
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*⚘ खौफे खुदा का हुक्म ⚘*
╭┈► खौफे खुदा तमाम नेकियों और दुन्या व आखिरत की हर भलाई की अस्ल है, खौफे खुदा नजात दिलाने और जन्नत में ले जाने वाला अमल है। फिर खौफ़ के तीन दरजात हैं
╭┈► ❶ *ज़ईफ़ : (या'नी कमज़ोर)* येह वोह खौफ़ है जो इन्सान को किसी नेकी के अपनाने और गुनाह को छोड़ने पर आमादा करने की कुव्वत न रखता हो, मसलन जहन्नम की सज़ाओं के हालात सुन कर महज़ झुर झुरी ले कर रह जाना और फिर से गफलत व मा'सियत (गुनाह) में गिरिफ्तार हो जाना।
╭┈► ❷ *मोतदिल : (यानी मुतवस्सित)* येह वोह ख़ौफ़ है जो इन्सान को नेकी के अपनाने और गुनाह को छोड़ने पर आमादा करने की कुव्वत रखता हो, मसलन अज़ाबे आख़िरत की वईदों को सुन कर उन से बचने के लिये अमली कोशिश करना और उस के साथ साथ रब तआला से उम्मीदे रहमत भी रखना।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 201 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 231
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❝ खौफे खुदा ❞
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*⚘ खौफे खुदा का हुक्म ⚘*
╭┈► ❸ *कवी : (या'नी मज़बूत)* येह वोह ख़ौफ़ है जो इन्सान को ना उम्मीदी, बेहोशी और बीमारी वगैरा में मुब्तला कर दे, मसलन अल्लाह तआला के अज़ाब वगैरा का सुन कर अपनी मगफिरत से ना उम्मीद हो जाना। येह भी याद रहे कि इन सब में बेहतर दरजा *मो'तदिल* है क्यूंकि खौफ़ एक ऐसे भी ताज़ियाने (कोड़े) की मिस्ल है जो किसी जानवर को तेज़ चलाने के लिये मारा जाता है, लिहाजा अगर इस ताज़ियाने की ज़र्ब (चोट) इतनी ज़ईफ़ (कमज़ोर) हो कि जानवर की रफ्तार में ज़र्रा भर भी इज़ाफ़ा न हो तो इस का कोई फाएदा नहीं और अगर येह इतनी कवी हो कि जानवर इस की ताब न ला सके और इतना ज़ख़्मी हो जाए कि इस के लिये चलना ही मुमकिन न रहे तो येह भी नफ़्अ बख़्श नहीं और अगर येह मोतदिल हो कि जानवर की रफ़्तार में भी ख़ातिर ख्वाह इज़ाफ़ा हो जाए और वोह ज़ख्मी भी न हो तो येह ज़र्ब बेहद मुफीद है।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 202 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 232
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❝ खौफे खुदा ❞
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*⚘ हिकायत, "खौफे खुदा के सबब इन्तिकाल करने वाला जवान" ⚘*
╭┈► हज़रते सय्यिदुना मन्सूर बिन अम्मार रादिअल्लाहु तआला अन्हु फ़रमाते हैं कि कूफ़ा में रात के वक़्त एक गली से गुज़र रहा था कि अचानक एक दर्द भरी आवाज़ मेरी समाअत से टकराई, उस आवाज़ में इतना कर्ब था कि मेरे उठते हुए क़दम रुक गए और मैं एक घर से आने वाली उस आवाज़ को गौर से सुनने लगा। मैं ने सुना कि अल्लाह तआला का कोई बन्दा इन अल्फ़ाज़ में अपने रब की बारगाह में मुनाजात कर रहा था ऐ अल्लाह ! तू ही मेरा मालिक है! तू ही मेरा आका है! तेरे इस मिस्कीन बन्दे ने तेरी मुखालफ़त की बिना पर सियाह कारियों और बद कारियों का इरतिकाब नहीं किया बल्कि नफ़्स की ख्वाहिशात ने मुझे अन्धा कर दिया था और शैतान ने मुझे गलत राह पर डाल दिया था जिस की वज्ह से मैं गुनाहों की दल दल में फंस गया, ऐ अल्लाह ! अब तेरे ग़ज़ब और अज़ाब से कौन मुझे बचाएगा?।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 202 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 233
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❝ खौफे खुदा ❞
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*⚘ हिकायत, "खौफे खुदा के सबब इन्तिकाल करने वाला जवान" ⚘*
╭┈► येह सुन कर मैं ने बाहर खड़े खड़े येह आयते करीमा पढ़ी :
╭┈► *तर्जमए कन्जुल ईमान ::* ऐ ईमान वालो ! अपनी जानों और अपने घरवालों को उस आग से बचाओ जिस के ईधन आदमी और पथ्थर हैं, इस पर सख़्त करें (या'नी ताक़तवर) फ़िरिश्ते मुकर्रर हैं जो अल्लाह का हुक्म नहीं टालते और जो उन्हें हुक्म हो वोही करते है।
╭┈► जब उस ने येह आयत सुनी तो उस के गम की शिद्दत में और इज़ाफ़ा हो गया और वोह शिद्दते कर्ब से चीखने लगा और मैं उसे उसी हालत में छोड़ कर आगे बढ़ गया। दूसरे दिन सुब्ह के वक़्त मैं दोबारा उस घर के करीब से गुज़रा तो देखा कि एक मय्यित मौजूद है और लोग उस के कफ़न व दफ्न के इन्तिज़ाम में मसरूफ़ हैं। मैं ने उन से दरयाफ्त किया कि येह मरने वाला कौन था तो उन्हों ने जवाब दिया कि मरने वाला एक नौजवान था जो सारी रात ख़ौफे खुदा के सबब रोता रहा और सहरी के वक्त इन्तिकाल कर गया।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 203 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 234
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❝ खौफे खुदा ❞
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*⚘ खौफे ख़ुदा पैदा करने के तरीके ⚘*
╭┈► ❶ *रब तआला की बारगाह में सच्ची तौबा कर लीजिये :* जिस तरह तवील दुन्यावी सफ़र पर तन्हा रवाना होते वक़्त उमूमन हमारी येह कोशिश होती है कि वोही सामान रखें जो मुफीद हो नुक्सान देह अश्या साथ नहीं रखते ताकि हमारा सफ़र क़दरे आराम से गुज़रे और हमें ज़ियादा परेशानी का सामना न करना पड़े, बिल्कुल इसी तरह सफ़रे आख़िरत को कामयाबी से तै करने की ख्वाहिश रखने वाले को चाहिये कि रवानगी से कब्ल गुनाहों का बोझ अपने कन्धों से उतारने की कोशिश करे कि कहीं येह बोझ उसे थका कर कामयाबी की मन्ज़िल पर पहुंचने से महरूम न कर दे। इस बोझ से छुटकारे का एक तरीका येह है कि बन्दा अपने परवर दगार अज़्ज़वजल की बारगाह में सच्ची तौबा करे क्यूंकि सच्ची तौबा गुनाहों को इस तरह मिटा देती है जैसे कभी किये ही न थे। चुनान्चे, फ़रमाने मुस्तफ़ा ﷺ है गुनाह से तौबा करने वाला ऐसा है जैसे उस ने गुनाह किया ही न हो।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 203 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 235
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❝ खौफे खुदा ❞
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*⚘ खौफे ख़ुदा पैदा करने के तरीके ⚘*
╭┈► ❷ *ख़ौफ़ ख़ुदा के लिये बारगाहे रब्बुल इज़्ज़त में दुआ कीजिये :* यूं दुआ कीजिये : ऐ मेरे मालिक अज़्ज़वजल तेरा येह कमज़ोर व नातुवां बन्दा दुन्या व आख़िरत में कामयाबी के लिये तेरे ख़ौफ़ को अपने दिल में बसाना चाहता है। ऐ मेरे रब अज़्ज़वजल मैं गुनाहों की गलाज़त से लिथड़ा हुवा बदन लिये तेरी पाक बारगाह में हाज़िर हूं। ऐ मेरे परवर दगार अज़्ज़वजल मुझे मुआफ फ़रमा दे और आयिन्दा ज़िन्दगी में गुनाहों से बचने के लिये इस सिफ़त को अपनाने के सिलसिले में भरपूर अमली कोशिश करने की तौफ़ीक़ अता फ़रमा दे और इस कोशिश को कामयाबी की मन्ज़िल पर पहुंचा दे। ऐ अल्लाह अज़्ज़वजल मुझे अपने खौफ़ से मा'मूर दिल, रोने वाली आंख और लरज़ने वाला बदन अता फ़रमा।...✍🏻 आमीन
*या रब मैं तेरे ख़ौफ़ से रोता रहूं हर दम*
दीवाना शहनशाहे मदीना का बना दे
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 204 📚*
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❝ खौफे खुदा ❞
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*⚘ खौफे ख़ुदा पैदा करने के तरीके ⚘*
╭┈► ❸ *ख़ौफ़ ख़ुदा के फ़ज़ाइल पेशे नज़र रखिये :* फ़ितरी तौर पर इन्सान हर उस चीज़ की तरफ़ आसानी से माइल हो जाता है जिस में उसे कोई फ़ाएदा नज़र आए। इस तकाजे के पेशे नज़र हमें चाहिये कि कुरआनो-अहादीस में बयान का खौफे ख़ुदा के फ़ज़ाइल पेशे नज़र रखें, चन्द फ़ज़ाइल येह हैं :
╭┈► खौफे खुदा रखने वालों के लिये दो जन्नतों की भी बिशारत दी गई है।
╭┈► खौफे ख़ुदा रखने वालों को आख़िरत में कामयाबी की नवीद (खुश खबरी) सुनाई गई है।
╭┈► खौफे खुदा रखने वालों को जन्नत के बागात और चश्मे अता किये जाएंगे।
╭┈► ख़ौफ़े खुदा रखने वाले आख़िरत में अम्न की जगह पाएंगे।
╭┈► खौफे खुदा रखने वालों को मदद व ताईदे इलाही हासिल होती है।
╭┈► खौफे खुदा रखने वाले अल्लाह के पसन्दीदा बन्दे हैं।
╭┈► खौफे खुदा आ'माल में क़बूलिय्यत का एक सबब है।
╭┈► खौफ़े ख़ुदा रखने वाले बारगाहे इलाही में मुकर्रम हैं।
╭┈► ख़ौफ़ ख़ुदा रखने वाले दुन्या व आख़िरत में कामयाब व कामरान हैं।
╭┈► खौफे खुदा जहन्नम से छुटकारे का सबब है।
╭┈► ख़ौफ़े खुदा ज़रीअए नजात है।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 205 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 237
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❝ खौफे खुदा ❞
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*⚘ खौफे ख़ुदा पैदा करने के तरीके ⚘*
╭┈► ❹ *ख़ौफ़े ख़ुदा की अलामात पर गौर कीजिये :* जब किसी चीज़ की अलामात पाई जाएंगी तो वोह शै भी खुद ब खुद पाई जाएगी। हज़रते सय्यिदुना फ़क़ीह अबुल्लैस समरकन्दी रहमतुल्लाहि तआला अलैह फ़रमाते हैं अल्लाह के ख़ौफ़ की अलामत आठ चीज़ों में ज़ाहिर होती है
╭┈► 1) इन्सान की ज़बान में : इस तरह कि रब तआला का खौफ़ उस की ज़बान को झूट, गीबत, फुजूल गोई से रोकेगा और उसे जिक्रुल्लाह, तिलावते कुरआन और इल्मी गुफ्तगू में मश्गूल रखेगा।
╭┈► 2) उस के शिकम में : इस तरह कि वोह अपने पेट में हराम को दाखिल न करेगा और हलाल चीज़ भी ब क़दरे ज़रूरत खाएगा।
╭┈► 3) उस की आंख में : इस तरह कि वोह उसे हराम देखने से बचाएगा और दुन्या की तरफ़ रगबत से नहीं बल्कि हुसूले इब्रत के लिये देखेगा।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 205 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 238
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❝ खौफे खुदा ❞
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*⚘ खौफे ख़ुदा पैदा करने के तरीके ⚘*
╭┈► ❹ *ख़ौफ़े ख़ुदा की अलामात पर गौर कीजिये :* जब किसी चीज़ की अलामात पाई जाएंगी तो वोह शै भी खुद ब खुद पाई जाएगी। हज़रते सय्यिदुना फ़क़ीह अबुल्लैस समरकन्दी रहमतुल्लाहि तआला अलैह फ़रमाते हैं अल्लाह के ख़ौफ़ की अलामत आठ चीज़ों में ज़ाहिर होती है
╭┈► 4) उस के हाथ में : इस तरह कि वोह कभी भी अपने हाथ को हराम की जानिब नहीं बढ़ाएगा बल्कि हमेशा इताअते इलाही अज़्ज़वजल में इस्ति'माल करेगा।
╭┈► 5) उस के क़दमों में : इस तरह कि वोह उन्हें अल्लाह अज़्ज़वजल की ना फ़रमानी में नहीं उठाएगा बल्कि उस के हुक्म की इताअत के लिये उठाएगा।
╭┈► 6) उस के दिल में : इस तरह कि वोह अपने दिल से बुग्ज़, कीना और मुसलमान भाइयों से हसद करने को दूर कर दे और इस में खैर ख़्वाही और मुसलमानों से नर्मी का सुलूक करने का जज़्बा बेदार करे।
╭┈► 7) उस की इताअत व फ़रमां बरदारी में : इस तरह कि वोह फ़क़त अल्लाह अज़्ज़वजल की रिज़ा के लिये इबादत करे और रिया व निफ़ाक़ से ख़ाइफ़ रहे।
╭┈► 8) उस की समाअत में : इस तरह कि वोह जाइज़ बात के इलावा कुछ न सुने।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 205 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 239
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❝ खौफे खुदा ❞
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*⚘ खौफे ख़ुदा पैदा करने के तरीके ⚘*
╭┈► ❺ *जहन्नम के अज़ाबात पर गौरो तफ़क्कुर कीजिये :* जहन्नम के अज़ाबात पर गौर करने के लिये पांच फ़रामीने मुस्तफा ﷺ पेशे ख़िदमत हैं दोज़खियों में सब से हल्का अज़ाब जिस को होगा उसे आग की जूतियां पहनाई जाएंगी जिस से उस का दिमाग खोलने लगेगा।दोज़खियों में बा'ज़ वोह लोग होंगे जिन के टख्नों तक आग होगी और बा'ज़ लोग वोह होंगे जिन के जानूओं तक आग के शो'ले पहुंचेंगे और बा'ज़ वोह होंगे जिन की कमर तक होगी और बा'ज़ लोग वोह होंगे जिन के गले तक आग के शो'ले होंगे। अगर उस ज़र्द पानी का एक डोल जो दोज़खियों के ज़ख्मों से जारी होगा, दुन्या में डाल दिया जाए तो दुन्या वाले बदबू दार हो जाएं।
╭┈► दोज़ख की आग हज़ार साल तक भड़काई गई यहां तक कि सुर्ख हो गई, फिर हज़ार साल तक भड़काई गई यहां तक कि सफ़ेद हो गई, फिर हज़ार साल तक भड़काई गई यहां तक कि सियाह हो गई, पस अब वोह निहायत सियाह है। दोज़ख़ में बुख़्ती ऊंट के बराबर सांप हैं, येह सांप एक बार किसी को काटे तो उस का दर्द और ज़हर चालीस बरस तक रहेगा और दोज़ख में पालान बांधे हुए खच्चरों की मिस्ल बिच्छू हैं तो उन के एक बार काटने का दर्द चालीस साल तक रहेगा।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 206 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 240
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❝ खौफे खुदा ❞
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*⚘ खौफे ख़ुदा पैदा करने के तरीके ⚘*
╭┈► ❻ *ख़ौफ़ ख़ुदा के बारे में बुजुर्गाने दीन के अहवाल का मुतालआ कीजिये :* चन्द अहवाल पेशे ख़िदमत हैं : हज़रते सय्यिदुना इब्राहीम ख़लीलुल्लाह अलैहिस्सलाम जब नमाज़ के लिये खड़े होते तो खौफे खुदा के सबब इस क़दर गिर्या व ज़ारी फ़रमाते कि एक मील के फ़ासिले से उन के सीने में होने वाली गड़ गड़ाहट की आवाज़ सुनाई देती। एक दिन हज़रते सय्यिदुना दावूद अलैहिस्सलाम लोगों को नसीहत करने और ख़ौफ़ ख़ुदा दिलाने के लिये घर से बाहर तशरीफ़ लाए के में उस वक़्त चालीस हज़ार लोग मौजूद थे, जिन पर आप के पुर असर बयान की वज्ह से ऐसी रिक्क़त तारी हुई कि तीस हज़ार लोग खौफे खुदा की ताब न ला सके और इन्तिकाल कर गए। हज़रते सय्यिदुना यहया अलैहिस्सलाम जब नमाज़ के लिये खड़े होते तो खौफे खुदा के सबब इस कदर रोते कि दरख्त और मिट्टी के ढेले भी आप के साथ रोने लगते। हज़रते सय्यिदुना शुऐब अलैहिस्सलाम ख़ौफे खुदा से इतना रोते थे कि मुसलसल रोने की वज्ह से आप की अक्सर बीनाई रुख्सत हो गई।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 207 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 241
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❝ खौफे खुदा ❞
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*⚘ खौफे ख़ुदा पैदा करने के तरीके ⚘*
╭┈► एक बार हुजूर नबिये रहमत , शफ़ीए उम्मत ﷺ एक जनाजे में शरीक थे, आप ﷺ कब्र के कनारे बैठे और इतना रोए कि आप की चश्माने अक्दस (मुबारक आंखों) से निकलने वाले आंसूओं से मिट्टी नम हो गई, फिर फ़रमाया ऐ भाइयो इस कब्र के लिये तय्यारी करो।
╭┈► हज़रते सय्यिदुना जिब्रीले अमीन ने एक बार बारगाहे रिसालत में अर्ज की जब से अल्लाह ने जहन्नम को पैदा फ़रमाया है, मेरी आंखें उस वक़्त से कभी इस खौफ़ के सबब खुश्क नहीं हुई कि मुझ से कहीं कोई ना फ़रमानी न हो जाए और मैं जहन्नम में न डाल दिया जाऊं।
╭┈► ❼ *खुद एहतिसाबी की आदत अपनाते हुए फ़िक्रे मदीना कीजिये :* अपनी ज़ात का मुहासबा कर लेने की आदत अपना लेने से भी खौफे खुदा के हुसूल की मन्ज़िल पर पहुंचना क़दरे आसान हो जाता है, फ़िक्रे मदीना का आसान सा मतलब येह है कि इन्सान उख़रवी ए'तिबार से अपने मा'मूलाते ज़िन्दगी का मुहासबा करे, फिर जो काम उस की आख़िरत के लिये नुक्सान देह साबित हो सकते हैं, उन्हें दुरुस्त करने की कोशिश में लग जाए और जो उमूर उख़रवी ए'तिबार से नफ्अ बख़्श नज़र आएं, उन में बेहतरी के लिये इक्दामात करे, अच्छे इन्आमात पर अमल करे।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 208 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 242
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❝ खौफे खुदा ❞
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*⚘ खौफे ख़ुदा पैदा करने के तरीके ⚘*
╭┈► ❽ *ख़ौफ़ ख़ुदा रखने वालों की सोहबत इख़्तियार कीजिये :* ऐसे नेक लोगों की सोहबत में बैठना भी बन्दे के दिल में ख़ौफ़ ख़ुदा बेदार करने में बहुत मददगार साबित होगा। हर सोहबत अपना असर रखती है, मिसाल के तौर पर अगर आप को कभी किसी मय्यित वाले घर जाने का इत्तिफ़ाक़ हुवा हो तो वहां की फ़ज़ा पर छाई हुई उदासी देख कर कुछ देर के लिये आप भी गमगीन हो जाएंगे और अगर किसी शादी पर जाने का इत्तिफ़ाक़ हुवा हो तो खुशियों भरा माहोल आप को भी कुछ देर के लिये मसरूर कर देगा। बिल्कुल इसी तरह अगर कोई शख्स गफलत का शिकार हो कर गुनाहों पर दिलैर हो जाने वाले लोगों की सोहबत में बैठेगा, तो गालिब गुमान है कि वोह भी बहुत जल्द उन्ही की मानिन्द हो जाएगा और अगर कोई शख्स ऐसे लोगों की सोहबत इख़्तियार करेगा जिन के दिल ख़ौफ़ ख़ुदा से मा'मूर हों, उन की आंखें अल्लाह तआला के डर से रोएं तो उम्मीद है कि येही कैफ़िय्यात उस के दिल में भी सरायत कर जाएंगी।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 209 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 243
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❝ जोहद (दुन्या से बे रग़बती)❞
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*⚘ जोहद की तारीफ ⚘*
╭┈► दुन्या को तर्क कर के आखिरत की तरफ़ माइल होने या गैरुल्लाह को छोड़ कर अल्लाह की तरफ़ मुतवज्जेह होने का नाम जोहद है। और ऐसा करने वाले को ज़ाहिद कहते हैं। जोहद की मुकम्मल और जामेअ तारीफ़ हज़रते सय्यिदुना अबू सुलैमान दारानी रहमतुल्लाहि तआला अलैह का कौल है आप फ़रमाते हैं जोहद येह है कि बन्दा हर उस चीज़ को तर्क कर दे जो उसे अल्लाह से दूर करे।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 209 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 244
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❝जोहद (दुन्या से बे रग़बती) ❞
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*⚘ हकीक़ी जाहिद की तारीफ ⚘*
╭┈► हुज्जतुल इस्लाम हज़रते सय्यिदुना इमाम मुहम्मद गज़ाली रहमतुल्लाहि तआला अलैह फ़रमाते हैं हक़ीक़ी ज़ाहिद तो वोह है जिस के पास दुन्या ज़िल्लत के साथ हाज़िर हो, उस के हुसूल के लिये मशक्कत भी न उठानी पड़े और वोह किसी भी किस्म का नुक्सान उठाए बिगैर दुन्या को इस्ति'माल करने पर कादिर हो। मसलन इज्जत में कमी, बदनामी या किसी ख्वाहिशे नफ़्स के फ़ौत होने का अन्देशा न हो लेकिन वोह इस खौफ़ से दुन्या को तर्क कर दे कि उसे इख़्तियार कर के मैं उस से मानूस हो जाऊंगा और यूं अल्लाह के इलावा किसी और से मानूस होने और महब्बत करने वालों नीज़ उस की महब्बत में गैर को शरीक करने वालों में शामिल हो जाऊंगा। आखिरत में अल्लाह की तरफ़ से मिलने वाले सवाब को हासिल करने की निय्यत से दुन्या को तर्क करने वाला शख्स भी हकीक़ी जाहिद है।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 210 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 245
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❝जोहद (दुन्या से बे रग़बती) ❞
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*⚘ हकीक़ी जाहिद की तारीफ ⚘*
╭┈► जो शख्स जन्नती मशरूबात को पाने के लिये दुन्यवी मशरूबात से नफ्अ उठाने को तर्क कर दे, हूराने जन्नत के इश्तियाक में दुन्यवी औरतों से लुत्फ़ अन्दोज़ न हो, जन्नती बागात और उन के दरख्तों पर नज़र रखते हुए दुन्या के बागात से नफ्अ न उठाए, जन्नत में जेबो जीनत के हुसूल के लिये दुन्या में आराइश व जेबाइश से मुंह मोड़ ले, जन्नती मेवा जात को पाने के लिये दुन्या की लज़ीज़ गिजाओं को तर्क कर दे इस खौफ से कि कहीं रोजे क़ियामत येह न कह दिया जाए
╭┈► *तर्जमए कन्जुल ईमान :* तुम अपने हिस्से की पाक चीजें अपनी दुन्या ही की ज़िन्दगी में फ़ना कर चुके और उन्हें बरत चुके।
╭┈► अल गरज़ जो शख्स इस बात पर नज़र रखते हुए कि आख़िरत दुन्या से बेहतर और बाकी रहने वाली है और इस के इलावा दीगर हर चीज़ दुन्या है जिस का आख़िरत में कोई फाएदा नहीं है, जन्नती ने मतों को उन तमाम चीज़ों पर तरजीह दे जो उसे दुन्या में बिगैर किसी मशक्कत के ब आसानी दस्तयाब हैं हक़ीक़त में ऐसा शख्स ज़ाहिद कहलाने का हक़दार है।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 210 📚*
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❝जोहद (दुन्या से बे रग़बती) ❞
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*⚘ आयते मुबारका ⚘*
╭┈► अल्लाह अज़्ज़वजल कारून का वाकिआ बयान करते हुए इरशाद फ़रमाता है
╭┈► *तर्जमए कन्जुल ईमान :* तो अपनी क़ौम पर निकला अपनी आराइश में, बोले वोह जो दुन्या की ज़िन्दगी चाहते हैं किसी तरह हम को भी ऐसा मिलता जैसा कारून को मिला बेशक उस का बड़ा नसीब है, और बोले वोह जिन्हें इल्म दिया गया खराबी हो तुम्हारी अल्लाह का सवाब बेहतर है उस के लिये जो ईमान लाए और अच्छे काम करे और येह उन्हीं को मिलता है जो सब्र वाले हैं।
╭┈► हुज्जतुल इस्लाम हज़रते सय्यिदुना इमाम मुहम्मद गज़ाली रहमतुल्लाहि तआला अलैह फ़रमाते हैं इस आयते मुक़द्दसा में जोहद को उलमा की तरफ़ मन्सूब किया गया है और जाहिदीन का वस्फ़ येह बयान किया गया है कि वोह इल्म की दौलत से माला माल होते हैं और येह बात जोहद की फ़ज़ीलत पर दलालत करती है।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 211 📚*
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❝ जोहद (दुन्या से बे रग़बती)❞
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*⚘ (हदीसे मुबारका) जोहद इख्तियार करने वाले की फजीलत ⚘*
╭┈► एक सहाबी रादिअल्लाहु तआला अन्हु फ़रमाते हैं कि हम ने बारगाहे रिसालत में अर्ज की या रसूलल्लाह ﷺ लोगों में सब से बेहतर शख्स कौन है इरशाद फरमाया हर वोह मोमिन जो दिल का साफ़ और ज़बान का सच्चा हो। अर्ज की गई साफ़ दिल वाले से क्या मुराद है इरशाद फ़रमाया वोह मुत्तकी और मुख्लिस शख्स जिस के दिल में खियानत, धोका, बगावत और हसद न हो। फिर अर्ज की गई ऐसे शख्स के बाद कौन अफ्ज़ल है इरशाद फ़रमाया वोह शख्स जो दुन्या से नफरत और आख़िरत से महब्बत करने वाला हो।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 211 📚*
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❝जोहद (दुन्या से बे रग़बती) ❞
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*⚘ जोहद का हुक्म ⚘*
╭┈► जोहद नजात दिलाने और जन्नत में ले जाने वाला अमल है। हज़रते सय्यिदुना इब्राहीम बिन अदहम रहमतुल्लाहि तआला अलैह फ़रमाते हैं अहकाम के ए'तिबार से जोनद की तीन अक्साम हैं
╭┈► 1) फ़र्ज़ कि बन्दा अपने आप को हराम चीजों से बचाए।
╭┈► 2) नफ्ल कि बन्दा अपने आप को हलाल चीजों से भी बचाए।
╭┈► 3) एहतियात कि बन्दा शुबहात से अपने आप को बचाए।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 212 📚*
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❝जोहद (दुन्या से बे रग़बती) ❞
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*⚘ फिर जोहद के तीन दरजात हैं ⚘*
╭┈► 1) जो शख्स अल्लाह के सिवा हर चीज़ हत्ता कि जन्नतुल फ़िरदौस से भी बे रगवती इख्तियार करे, सिर्फ अल्लाह से महब्बत करे वोह जाहिदे मुतलक है जो कि जोहद का आ'ला तरीन दरजा है।
╭┈► 2) जो शख्स तमाम दुन्यवी लज्जात से बे रगबत हो लेकिन उख़रवी ने'मतों मसलन जन्नती हूरों, महल्लात व बागात, नहरों और फलों वगैरा की लालच करे वोह भी ज़ाहिद है लेकिन इस का मर्तबा जाहिदे मुतलक से कम है।
╭┈► 3) जो शख्स दुन्यवी लज्जात में से बा'ज़ को तर्क करे और बा'ज़ को नहीं मसलन मालो दौलत को तर्क करे, मर्तबे और शोहरत को नहीं या खाने पीने में वुस्अत को तर्क कर दे जीनत व आराइश को नहीं, इस को मुतलकन ज़ाहिद नहीं कहा जा सकता। जाहिदीन में ऐसे शख्स का वोही मर्तबा है जैसे तौबा करने वालों में उस शख्स का जो बा'ज़ गुनाहों से तौबा करे और बाज़ से न करे, जिस तरह ऐसे ताइब की तौबा सहीह है क्यूंकि ममनूआ चीज़ों को तर्क करने का नाम व तौबा है यूं ही ऐसे जाहिद का ज़ोहद भी सहीह है क्यूंकि मुबाह लज्जतों का तर्क करना ज़ोहद कहलाता है और जिस तरह येह मुमकिन है कि कोई शख्स बाज़ ममनूआत को तर्क कर पाता हो और वाज़ को नहीं, इसी तरह जाइज़ चीज़ों में भी येह हो सकता है।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 212 📚*
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❝जोहद (दुन्या से बे रग़बती) ❞
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*⚘ हिकायत, रसूले खुदा का इख्तियारी जोहद ⚘*
╭┈► अमीरुल मोमिनीन हज़रते सय्यिदुना उमर फारूके आ'ज़म रादिअल्लाहु तआला अन्हु बारगाहे रिसालत में हाज़िर हुए तो देखा कि दो जहां के सुल्तान रहमते आलमियान ﷺ खजूर की छाल से बुनी हुई चारपाई पर आराम फरमा थे, जिस के सबब मुबारक पहलूओं पर निशानात पड़ गए थे। येह मन्ज़र देख कर आप रादिअल्लाहु तआला अन्हु अश्कबार हो गए। हुजूर नबिये करीम, रऊफुर्रहीम ﷺ ने इस्तिफ्सार फरमाया ऐ उमर क्यूं रोते हो अर्ज की मुझे इस बात ने रुला दिया कि कैसरो किस्रा जैसे बादशाह तो दुन्यवी आसाइशों में जिन्दगी गुज़ार रहे हैं और आप अल्लाह अज़्ज़वजल के महबूब व चुने हुए बन्दे और रसूल होने के बा वुजूद खजूर की छाल से बुनी हुई एक चारपाई पर आराम फरमा हैं। आप ﷺ ने इरशाद फ़रमाया ऐ उमर क्या तुम इस बात पर राजी नहीं हो कि उन के लिये दुन्या और हमारे लिये आखिरत हो अर्ज की या रसूलल्लाह ﷺ मैं इस बात पर राजी हूं। इरशाद फ़रमाया तो फिर ऐसा ही है। (या'नी उन के लिये दुन्या और हमारे लिये आखिरत है)।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 213 📚*
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❝ जोहद (दुन्या से बे रग़बती)❞
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*⚘ जोहद का जेहन बनाने और इख़्तियार करने के नव तरीके ⚘*
╭┈► *1) जोहद के फ़ज़ाइल व फवाइद पर गौर कीजिये :* चन्द फ़ज़ाइल व फवाइद येह हैं : अल्लाह ज़ोहद इख्तियार करने वाले के इरादों को मजबूत फ़रमा देता है, ज़ाहिद के मालो अस्बाब की हिफ़ाज़त फ़रमाता है, ज़ाहिद के दिल में दुन्या से बे नियाज़ी पैदा फ़रमा देता है, ज़ाहिद के पास दुन्या जलील हो कर आती है, ज़ाहिद को हिक्मत अता कर दी जाती है, ज़ाहिद से अल्लाह अज़्ज़वजल) महब्बत फ़रमाता है, जिस दिल में ईमान और हया मौजूद हों उस में जोहदो तक्वा कियाम करते हैं, ज़ाहिद के दिल को अल्लाह अज़्ज़वजल ईमान से मुनव्वर फ़रमा देता है, ज़ाहिद की ज़बान पर भी हिक्मत जारी हो जाती है, ज़ाहिद को अल्लाह अज़्ज़वजल दुन्या की बीमारी और उस के इलाज की पहचान अता फरमा देता है, ज़ाहिद को अल्लाह अज़्ज़वजल दुन्या से सहीह सलामत निकाल कर सलामती के घर या'नी जन्नत की तरफ़ ले जाता है जोहद इख़्तियार करना अम्बियाए किराम अलैहिस्सलाम और इमामुल अम्बिया अहमदे मुज्तबा ﷺ की सुन्नत है, ज़ाहिद अल्लाह अज़्ज़वजल का महबूब है, ज़ाहिद को बिगैर सीखे इल्म और बिगैर कोशिश के हिदायत नसीब हो जाती है, जाहिद पर दुन्या की मुसीबतें आसान हो जाती हैं।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 214 📚*
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❝जोहद (दुन्या से बे रग़बती) ❞
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*⚘ जोहद का जेहन बनाने और इख़्तियार करने के नव तरीके ⚘*
╭┈► *2) जोहद से मुतअल्लिक अक्वाले बुजुर्गाने दीन पर गौर कीजिये :* चन्द अक्वाल येह हैं : हज़रते सय्यिदुना विशर हाफ़ी रहमतुल्लाहि तआला अलैह फ़रमाते हैं दुन्या से जोहद उस चीज़ का नाम है कि लोगों से बे रगबती इख्तियार की जाए। " हज़रते सय्यिदुना फुजेल बिन इयाज़ रहमतुल्लाहि तआला अलैह फ़रमाते हैं जोहद तो दर हक़ीक़त कनाअत है हज़रते सय्यदुना सुफ़्यान सौरी रहमतुल्लाहि तआला अलैह फ़रमाते हैं लम्बी उम्मीद न लगाना जोहद है हज़रते सय्यिदुना हसन बसरी रहमतुल्लाहि तआला अलैह फ़रमाते हैं जाहिद वोह शख्स है जो किसी को देखे तो कहे कि येह मुझ से अफ़्ज़ल है एक बुजुर्ग रहमतुल्लाहि तआला अलैह फ़रमाते हैं रिज्के हलाल की तलाश जोहद है हज़रते सय्यिदुना यूसुफ़ बिन अस्बात रहमतुल्लाहि तआला अलैह फ़रमाते हैं जो शख्स तक्लीफ़ों पर सब्र करे, शहवात को तर्क कर दे और हलाल गिजा खाए तो बेशक उस ने हकीक़ी जोहद को इख्तियार कर लिया।
╭┈► *3) जोहद से मुतअल्लिक बुजुर्गाने दीन के अहवाल का मुतालआ कीजिये :* इस सिलसिले में हुज्जतुल इस्लाम हज़रते सय्यदुना इमाम मुहम्मद ग़जाली रहमतुल्लाहि तआला अलैह की माया नाज़ तस्नीफ़ इहयाउल उलूम जिल्द चहारुम, सफ़हा 691 से मुतालआ बहुत मुफीद है।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 214 📚*
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❝ जोहद (दुन्या से बे रग़बती)❞
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*⚘ जोहद का जेहन बनाने और इख़्तियार करने के नव तरीके ⚘*
╭┈► *4) फजीलते जोहद पर अक्वाले बुज़ुर्गाने दीन का मुतालआ कीजिये :* चन्द अक्वाल येह हैं अमीरुल मोमिनीन हज़रते सय्यिदुना उमर फ़ारूके आज़म रादिअल्लाहु तआला अन्हु फ़रमाते हैं दुन्या से बे रगबती बदन और दिल की राहत का सबब है एक सहाबी रादिअल्लाहु तआला अन्हु फ़रमाते हैं हम ने तमाम आ'माल को कर के देखा लेकिन आखिरत के मुआमले में दुन्या से बे रगबती से ज़ियादा किसी अमल को मुअस्सिर न पाया, हज़रते सय्यिदुना वहब बिन मुनब्बेह रहमतुल्लाहि तआला अलैह फ़रमाते हैं जन्नत के आठ दरवाज़े हैं, जब अहले जन्नत इन में से दाखिल होना चाहेंगे तो दरवाज़ों पर मुकर्रर फ़िरिश्ते कहेंगे हमारे रब की इज्जत की कसम जन्नत के आशिकों और दुन्या से बे रगबत रहने वालों से पहले कोई शख्स जन्नत में नहीं जाएगा हज़रते सय्यिदुना अब्दुल्लाह बिन मसऊद रादिअल्लाहु तआला अन्हु फ़रमाते हैं जिस शख्स को ज़ोहद की दौलत हासिल हो उस का दो रक्अत नमाज़ अदा करना अल्लाह अज़्ज़वजल को (गैरे ज़ाहिद), इबादत गुज़ारों की हमेशा की इबादत से ज़ियादा पसन्द है।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 215 📚*
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❝जोहद (दुन्या से बे रग़बती) ❞
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*⚘ जोहद का जेहन बनाने और इख़्तियार करने के नव तरीके ⚘*
╭┈► *5) सच्चे ज़ाहिद की सिफात अपनाने की कोशिश कीजिये :* हज़रते सय्यिदुना यहया बिन मुआज राजी रहमतुल्लाहि तआला अलैह फ़रमाते हैं कि सच्चे ज़ाहिद की गिजा वोह है जो मिल जाए, लिबास वोह जो सत्रपोशी कर दे और मकान वोह जहां उसे रात हो जाए दुन्या उस के लिये कैदखाना, कब्र उस का बिछोना, तन्हाई उस की मजलिस, हुसूले इब्रत उस की फ़िक्र, कुरआन उस की गुफ्तगू, अल्लाह अज़्ज़वजल उस का अनीस, ज़िक्र उस का रफ़ीक, जोहद उस का साथी, गम उस का हाल, हया उस की निशानी, भूक उस का सालन, हिक्मत उस का कलाम, मिट्टी उस का फ़र्श, तक्वा उस का जादे राह, ख़ामोशी उस का माल, सब्र उस का तक्या, तवक्कुल उस का नसब, अक्ल उस की दलील, इबादत उस का पेशा और जन्नत उस की मन्ज़िल होगी।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 216 📚*
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❝ जोहद (दुन्या से बे रग़बती)❞
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*⚘ जोहद का जेहन बनाने और इख़्तियार करने के नव तरीके ⚘*
╭┈► *6) जोहद की अलामात पैदा करने की कोशिश कीजिये :* जब अलामात पैदा हो जाएंगी तो ज़ोहद भी खुद ब खुद पैदा हो जाएगा जोहद की तीन अलामतें हैं
╭┈► *पहली अलामत :* जो चीज़ मौजूद है उस पर खुश न हो और जो मौजूद नहीं उस पर गमगीन न हो।
╭┈► *दूसरी अलामत :* ज़ाहिद के नज़दीक मज़म्मत और तारीफ़ करने वाला बराबर हो।
╭┈► *तीसरी अलामत :* ज़ाहिद को सिर्फ अल्लाह अज़्ज़वजल से महब्बत हो, उस के दिल पर अल्लाह अज़्ज़वजल की इबादत व इताअत की हलावत व मिठास गालिब हो क्यूंकि कोई भी दिल महब्बत की हलावत से खाली नहीं होता तो उस में महब्बते दुन्या को हलावत होती है या फिर महब्बते इलाही की हलावत उलमाए किराम अलैहिस्सलाम ने जोहद की कई और अलामात भी बयान फ़रमाई हैं, तफ्सील के लिये इहयाउल उलूम, जिल्द चहारुम, सफ़हा 729 का मुतालआ कीजिये।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 216 📚*
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❝ जोहद (दुन्या से बे रग़बती)❞
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*⚘ जोहद का जेहन बनाने और इख़्तियार करने के नव तरीके ⚘*
╭┈► *7) दुन्या को आख़िरत पर तरजीह देने के नुक्सानात पर गौर कीजिये :* कि जब बन्दे पर किसी चीज़ का नुक्सान ज़ाहिर हो जाता है तो उमूमन उस से बचने की कोशिश करता है, जब बन्दा दुन्या को आखिरत पर तरजीह नहीं देगा तो यक़ीनन आखिरत को दुन्या पर तरजीह देगा और येही जोहद है हज़रते सय्यिदुना हुजैफा बिन यमान रादिअल्लाहु तआला अन्हु से मरवी है कि दो जहां के ताजवर सुल्ताने बहरो बर ﷺ ने इरशाद फ़रमाया जिस ने दुन्या को आखिरत पर तरजीह दी अल्लाह अज़्ज़वजल उसे तीन बातों में मुब्तला फ़रमा देगा
╭┈► 1) ऐसा गम जो कभी उस के दिल से जुदा न होगा।
╭┈► 2) ऐसा फ़क्र जिस से कभी नजात न मिलेगी और।
╭┈► 3) ऐसी लालच जो कभी ख़त्म न होगी।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 217 📚*
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❝जोहद (दुन्या से बे रग़बती) ❞
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*⚘ जोहद का जेहन बनाने और इख़्तियार करने के नव तरीके ⚘*
╭┈► *8) आख़िरत के लिये दुन्या को तर्क कर देने की इस मिसाल में गौरो तफ़क्कुर कीजिये :* इस से भी जोहद इख्तियार करने में मुआवनत नसीब होगी। हुज्जतुल इस्लाम हज़रते सय्यदुना इमाम मुहम्मद गजाली रहमतुल्लाहि तआला अलैह फ़रमाते हैं आखिरत के लिये दुन्या को तर्क करने वाले की मिसाल ऐसी है जैसे किसी शख्स को बादशाह के दरवाजे पर मौजूद कुत्ता अन्दर जाने से रोक दे, येह शख्स उस कुत्ते के आगे रोटी का एक लुक्मा डाल दे और जब वोह उसे खाने में मश्गूल हो तो येह अन्दर दाखिल हो जाए, फिर उसे बादशाह का कुर्ब नसीब हो जाए यहां तक कि पूरी सल्तनत में उस का हुक्म जारी हो जाए क्या तुम्हारे खयाल में वोह शख्स बादशाह पर अपना एहसान समझेगा कि उस का कुर्ब पाने के इवज़ मैं ने उस के कुत्ते के आगे रोटी का लुक्मा डाला था। शैतान भी एक कुत्ते की तरह है जो अल्लाह के दरवाजे पर मौजूद है और लोगों को अन्दर दाखिल होने से रोकता है अगर्चे अल्लाह अज़्ज़वजल की रहमत का दरवाजा खुला हुवा है, पर्दे उठा दिये गए हैं और हर किसी को दाखिले की इजाज़त है।....✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 217 📚*
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❝जोहद (दुन्या से बे रग़बती) ❞
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*⚘ जोहद का जेहन बनाने और इख़्तियार करने के नव तरीके ⚘*
╭┈► दुन्या अपनी तमाम तर नेमतों समेत रोटी के एक लुक्मे की मानिन्द है, अगर तुम इसे खा लो तो इस की लज्जत सिर्फ चबाने के वक्त तक महदूद है, हल्क से नीचे उतरते ही इस की लज्जत ख़त्म हो जाती है, मेदे में इस का बोझ बाकी रहता है और आखिरे कार येह गन्दगी और नजासत की सूरत इख्तियार कर लेती है और इन्सान इसे अपने जिस्म से बाहर निकालने पर मजबूर हो जाता है। जो शख्स ऐसी हकीर चीज़ को बादशाह का कुर्ब पाने के लिये तर्क कर दे भला वोह दोबारा उस की तरफ़ कैसे मुतवज्जेह हो सकता है कोई शख्स अगर्चे सो साल तक जिन्दा रहे लेकिन उसे दी जाने वाली दुन्या को आखिरत में मिलने वाली नेमतों से वोह निस्बत भी नहीं है जो रोटी के टुकड़े और बादशाह के कुर्ब की नेमत के दरमियान है क्यूंकि मुतनाही चीज़ (या'नी जिस की कोई इन्तिहा हो) को ला मुतनाही चीज़ (या'नी जिस की कोई इन्तिहा न हो) से कोई निस्बत नहीं हो सकती। दुन्या अन करीब ख़त्म होने वाली है अगर बिल फ़र्ज येह एक लाख साल तक बाकी रहे और इस के साथ साथ येह बिल्कुल साफ़ शफ़्फ़ाफ़ भी हो इस में कोई मैल कुचैल न हो तो भी इसे आखिरत की हमेशा रहने वाली ने'मतों से कोई निस्बत नहीं जब कि हक़ीक़त तो येह है कि इन्सान की उम्र कलील और दुन्यवी लज्जात आलूदा और मैली होती हैं, भला ऐसी चीज़ को आखिरत से क्या निस्बत हो सकती है।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 218 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 259
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❝ जोहद (दुन्या से बे रग़बती)❞
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*⚘ जोहद का जेहन बनाने और इख़्तियार करने के नव तरीके ⚘*
╭┈► *9) ज़ोहद के मुख्तलिफ़ दरजात की मालूमात हासिल कर के अमल की कोशिश कीजिये :* जोहद के तीन दरजात येह हैं
╭┈► *1) पहला दरजा :* बन्दे का मक्सद अज़ाबे जहन्नम, अज़ाबे कब्र, हिसाब की सख्ती, पुल सिरात से गुज़रना और उन दीगर मसाइबो आलाम से छुटकारे का हुसूल हो जिन का अहादीसे मुबारका में बयान हुवा है, येह सब से अदना दरजे का जोहद है।
╭┈► *2) दूसरा दरजा :* अल्लाह अज़्ज़वजल की तरफ से मिलने वाले सवाब, ने'मतों और जन्नत में जिन इन्आमात का वादा किया गया है, मसलन महल्लात वगैरा इन पर नज़र रखते हुए जोहद इख्तियार किया जाए।
╭┈► *3) तीसरा दरजा :* बन्दा सिर्फ और सिर्फ अल्लाह अज़्ज़वजल की महब्बत के सबब और उस के दीदार की दौलत पाने के लिये जोहद इख्तियार करे, न तो उस का दिल उख़रवी अज़ाबों की तरफ़ मुतवज्जेह हो और न ही जन्नती नेमतों की तरफ़ मुतवज्जेह हो, येह सब से आ'ला दरजा है।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 219 📚*
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❝ उम्मीदों की कमी ❞
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*⚘ उम्मीदों की कमी की तारीफ ⚘*
╭┈► नफ़्स की पसन्दीदा चीज़ों या'नी लम्बी उम्र, सिहहत और माल में इज़ाफ़े वगैरा की उम्मीद न होना" उम्मीदों की कमी कहलाता है अगर लम्बी उम्र की ख्वाहिश मुस्तक्विल में नेकियों में इजाफे की निय्यत के साथ हो तो अब भी "उम्मीदों की कमी” ही कहलाएगी।
╭┈► *आयते मुबारका :* अल्लाह कुरआने पाक में इरशाद फ़रमाता है
*तर्जमए कन्जुल ईमान :* उन्हें छोड़ो कि खाएं और वरतें और उम्मीद उन्हें खेल में डाले तो अब जाना चाहते हैं।
╭┈► तफ़्सीरे ख़ज़ाइनुल इरफ़ान में है इस में तम्बीह है कि लम्बी उम्मीदों में गिरिफ्तार होना और लज्जाते दुन्या की तलब में गर्क हो जाना ईमानदार को शान नहीं।हज़रते अलिय्युल मुर्तजा रादिअल्लाहु तआला अन्हु ने फ़रमाया लम्बी उम्मीदें आखिरत को भुलाती हैं और ख्वाहिशात का इत्तिवाअ हक से रोकता है।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 219 📚*
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❝ उम्मीदों की कमी ❞
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*⚘ हदीसे मुबारका ⚘*
╭┈► *उम्मीदों में कमी दुखूले जन्नत का सबब :* सरकारे दो आलम, नूरे मुजस्सम, शाहे बनी आदम ﷺ ने एक बार सहाबए किराम अलैहिमुर्रिदवान से दरयाफ्त फ़रमाया क्या तुम सब जन्नत में दाखिल होना पसन्द करते हो सहाबए किराम अलैहिमुर्रिदवान ने अर्ज की जी हां, या रसूलल्लाह ﷺ इरशाद फ़रमाया उम्मीदें कम करो और अपनी मौत अपनी आंखों के सामने रखो और अल्लाह से हया करो जैसे उस से हया करने का हक है।
╭┈► *उम्मीदों की कमी का हुकम :* उम्मीदों की कमी दुन्या से बे रगबती और फ़िले आखिरत में मश्गूल रखने, नजात दिलाने और जन्नत में ले जाने वाला अमल है, लिहाज़ा हर मुसलमान को चाहिये कि लम्बी लम्बी उम्मीदें बांधने की बजाए जितना दुन्या में रहना है उतना दुन्या के लिये और जितना आखिरत में रहना है उतना आखिरत की तय्यारी में मश्गूल रहे।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 220 📚*
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❝ उम्मीदों की कमी ❞
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*⚘ हिकायत : सिह्हत धोके में मुब्तला न करे ⚘*
╭┈► हज़रते सय्यिदुना उबैदुल्लाह बिन शुमैत् रहमतुल्लाहि तआला अलैह फ़रमाते हैं कि मैं ने अपने वालिद साहिब को येह कहते हुए सुना ऐ लम्बी सिह्हत से धोका खाने वालो क्या तुम ने किसी को बीमारी के विगैर मरते नहीं देखा ऐ लम्बी मोहलत मिलने से धोका खाने वालो क्या तुम ने विगैर मोहलत के किसी को गिरिफ़्तार होते नहीं देखा अगर तुम अपनी लम्बी उम्र के बारे में सोचोगे तो पिछली लज्जतें भूल जाओगे, तुम्हें सिहहत ने धोके में डाला है या लम्बा अर्सा आफ़िय्यत से गुज़रने पर इतराते हो या मौत से बे ख़ौफ़ हो चुके हो या फिर मौत के फ़िरिश्ते पर दिलैर हो चुके हो जब मौत का फ़िरिश्ता आएगा तो उसे तुम्हारा ढेर सारा माल रोक सकेगा न लोगों की कसरत रोक सकेगी, क्या तुम नहीं जानते कि मौत का वक़्त इन्तिहाई तकलीफ़ देह, सख्त और नाफ़रमानियों पर नादिम होने का है फिर फ़रमाया अल्लाह उस बन्दे पर रहम फ़रमाए जो मौत के बा'द काम आने वाले आ'माल करे और उस पर भी रहम फ़रमाए जो मौत आने से पहले ही अपना मुहासबा कर ले।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 221 📚*
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❝ उम्मीदों की कमी ❞
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*⚘ उम्मीदों में कमी का जेहन बनाने और कमी करने के तरीके ⚘*
╭┈► *1) छोटी उम्मीद से मुतअल्लिक़ रिवायात का मुतालआ कीजिये :* चन्द रिवायात येह हैं : हुजुर नबिये रहमत शफ़ीए उम्मत ﷺ ने हज़रते अब्दुल्लाह बिन उमर रादिअल्लाहु तआला अन्हु से इरशाद फ़रमाया जब तुम सुब्ह करो तो तुम्हारे दिल में शाम का ख़याल न आए और जब शाम करो तो सुबह की उम्मीद न रखो और अपनी तन्दुरुस्ती से बीमारी के लिये और जिन्दगी से मौत के लिये कुछ तोशा ले लो ऐ अब्दुल्लाह तुम नहीं जानते कि कल किस नाम से पुकारे जाओगे। हज़रते सय्यिदुना अब्दुल्लाह बिन अब्बास रादिअल्लाहु तआला अन्हु फ़रमाते हैं कि प्यारे आका ﷺ ने तबई हाजत से फ़रागत हासिल की और पानी बहाया, फिर तयम्मुम फ़रमाया तो मैं ने अर्ज की या रसूलल्लाह ﷺ पानी तो करीव है इरशाद फ़रमाया मैं पानी तक पहुंचने की अज़ खुद उम्मीद नहीं रखता एक बार हुजूर नबिये करीम, रऊफुर्रहीम ﷺ ने सहाबए किराम अलैहिमुर्रिदवान से पूछा क्या तुम सब जन्नत में दाखिल होना चाहते हो उन्हों ने अर्ज की जी हां तो इरशाद फ़रमाया अपनी उम्मीदों को छोटा करो, मौत को आंखों के सामने रखो और अल्लाह अज़्ज़वजल से हया करने का हक अदा करो।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 221 📚*
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❝ उम्मीदों की कमी ❞
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*⚘ उम्मीदों में कमी का जेहन बनाने और कमी करने के तरीके ⚘*
╭┈► *2) लम्बी उम्मीदों की हलाकतों पर गौर कीजिये :* तीन रिवायात मुलाहज़ा कीजिये : आप ﷺ ने तीन लकड़ियां लीं, एक अपने सामने गाड़ी, दूसरी उस के बराबर में जब कि तीसरी कुछ दूर फिर सहाबए किराम अलैहिमुर्रिदवान से इरशाद फ़रमाया तुम जानते हो येह क्या है उन्हों ने अर्ज की अल्लाह अज़्ज़वजल और उस का रसूल ﷺ बेहतर जानते हैं इरशाद फ़रमाया एक लकड़ी इन्सान और दूसरी मौत है, जब कि दूर वाली उम्मीद है इन्सान उम्मीद की जानिब हाथ बढ़ाता है मगर उम्मीद की बजाए मौत उसे अपनी जानिव खींच लेती है आदमी बूढ़ा हो जाता है मगर उस की दो चीजें जवान रहती हैं, एक हिर्स और दूसरी (लम्बी) उम्मीद इस उम्मत के पहलों ने यक़ीने कामिल और परहेज़गारी के सबब नजात पाई जब कि आखिरी ज़माने वाले बुख़्ल और (लम्बी) उम्मीद के सबब हलाक होंगे।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 222 📚*
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❝ उम्मीदों की कमी ❞
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*⚘ उम्मीदों में कमी का जेहन बनाने और कमी करने के तरीके ⚘*
╭┈► *3) उम्मीदों की कमी से मुतअल्लिक अक्वाले बुजुर्गाने दीन का मुतालआ कीजिये :* चन्द अक्वाल येह हैं : के एक बुजुर्ग रहमतुल्लाहि तआला अलैह फरमाते हैं मैं उस शख्स की मानिन्द हूं जिस की फैली हुई गरदन पर तल्वार रखी जा चुकी है और उसे इन्तिज़ार है कि कब उस की गरदन उड़ा दी जाएगी।
╭┈► हज़रते सय्यिदुना दावूद ताई रहमतुल्लाहि तआला अलैह फ़रमाते हैं अगर मैं एक महीना जिन्दा रहने की उम्मीद करूं तो तुम देखोगे कि यकीनन मैं ने बड़ा गुनाह किया और मैं येह उम्मीद भी कैसे रख सकता हूं हालांकि मैं देखता हूं कि मुसीबतों ने दिन व रात हर घड़ी में लोगों को घेरा हुवा है।
╭┈► हज़रते सय्यदुना का काअ बिन हकीम रहमतुल्लाहि तआला अलैह फ़रमाते हैं मैं मौत के लिये 30 साल से तय्यारी कर रहा हूं, अगर वोह आ जाए तो इतनी ताख़ीर भी बरदाश्त न करूंगा जितनी ताखीर कोई चीज़ आगे पीछे करने में होती है।
╭┈► हज़रते सय्यिदुना अब्दुल्लाह बिन सा'लबा रहमतुल्लाहि तआला अलैह फ़रमाया करते थे हैरत है कि तुम हंसते हो जब कि तुम्हारा कफ़न धोबी के पास से आ चुका होता है।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 223 📚*
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❝ उम्मीदों की कमी ❞
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*⚘ उम्मीदों में कमी का जेहन बनाने और कमी करने के तरीके ⚘*
╭┈► *4) अपने अन्दर खौफे खुदा पैदा कीजिये :* उम्मीदों की कमी का येह एक बेहतरीन इलाज है क्यूंकि जिस का दिल खौफे खुदा से मा'मूर होता है वोह लम्बी लम्बी उम्मीदें लगाने की बजाए अपने रब की इबादत व इताअत में मसरूफ़ हो जाता है जितना दुन्या में रहना है उतना दुन्या के लिये और जितना आखिरत में रहना है उतना आखिरत के लिये तय्यारी करता है, अहकामाते शरइय्या की पाबन्दी करता है, गुनाहों से बचने की भरपूर कोशिश करता है।
╭┈► *5) दिल को हुब्बे दुन्या से पाक कीजिये :* लम्बी उम्मीदों का एक बहुत बड़ा सबब दुन्या की महब्बत भी है जब बन्दे के दिल में दुन्या की महब्बत घर कर जाती है तो वोह लम्बी लम्बी उम्मीदें लगाने की आफ़त में मुब्तला हो जाता है, इस के अन्दर तवील अर्से तक ज़िन्दा रहने की ख्वाहिश पैदा हो जाती है, लिहाज़ा दिल को हुब्बे दुन्या से पाक कीजिये कि जो जितना ज़ियादा लज्जते नफ्स की खातिर राहतों में ज़िन्दगी गुज़ारता है मरने के बाद उसे उन आसाइशों के छूटने का सदमा भी उतना ही ज़ियादा होगा।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 223 📚*
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❝ उम्मीदों की कमी ❞
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*⚘ उम्मीदों में कमी का जेहन बनाने और कमी करने के तरीके ⚘*
╭┈► *6) उम्मीदों की कमी व ज़ियादती, फवाइद व नुक्सानात की मा'लूमात हासिल कीजिये :* लम्बी उम्मीदों का एक सबब जहालत भी है कि बन्दा अपनी जवानी पर भरोसा कर के येह समझ बैठता है कि जवानी में मौत नहीं आएगी और बेचारा इस बात पर गौर नहीं करता कि ज़ियादा तर लोग जवानी में ही मर जाते हैं, इस का इलाज येह है कि बन्दा लम्बी उम्मीदों के नुक्सानात और छोटी उम्मीदों के फ़ज़ाइल वगैरा की तफ्सीली मालूमात हासिल करे, इस सिलसिले में मक्तवतुल मदीना की मतबूआ, हुज्जतुल इस्लाम हज़रते सय्यिदुना इमाम मुहम्मद गज़ाली रहमतुल्लाहि तआला अलैह की माया नाज़ तस्नीफ़ "इहयाउल उलूम," जिल्द 5, सफ़हा 484 से मुतालआ बहुत मुफीद है।
╭┈► *7) हर वक़्त मौत को पेशे नज़र रखिये :* मौत की याद उम्मीदों की कमी का बहुत बड़ा सबब है इस का तरीका येह है कि बन्दा अपने जवान रिश्तेदारों, दोस्तों और महल्लेदारों को याद करे जो हंसते खेलते अचानक मौत का शिकार हो कर कब्र की अन्धेरी कोठरी में चले गए वोह लोग भी मौत का शिकार हो गए जिन्हों ने कभी मौत के बारे में सोचा भी न था, मुझे भी अचानक मौत का मज़ा चखना होगा और अन्धेरी कुन में उतरना होगा और अपनी करनी का फल भुगतना होगा, उम्मीद है यूं उम्मीदों की कमी का मदनी जेह्न बनेगा।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 224 📚*
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❝ उम्मीदों की कमी ❞
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*⚘ उम्मीदों में कमी का जेहन बनाने और कमी करने के तरीके ⚘*
╭┈► *8) नज़अ व कब्र के वहशतनाक माहोल का तसव्वुर कीजिये :* यूं तसव्वुर कीजिये कि मेरी मौत का वक़्त आ पहुंचा है मुझ पर गशी तारी हो चुकी है, जबान खामोश हो चुकी है, मुझे सख्त प्यास महसूस हो रही है, मेरे गिर्द खड़े लोग मुझे बेबसी के आलम में देख रहे हैं, फिर ऐसा महसूस हुवा कि जैसे मेरे जिस्म में सूइयां चुभो दी गई हों, मेरे जिस्मानी आ'ज़ा ठन्डे होना शुरू हो गए, मेरे दिल की धड़कन आहिस्ता होते होते बन्द हो गई, मेरी सांस भी खत्म हो गई, आह मेरी मौत वाकेअ हो गई, मुझे गुस्ल व कफ़न दिया गया, जनाज़ा गाह पहुंच कर मेरी नमाजे जनाज़ा अदा की गई और कब्रिस्तान ले जाया गया, येह वोही कब्रिस्तान है कि जहां दिन के उजाले में तन्हा आने के तसव्वुर से ही मेरा कलेजा कांपता था, येह वोही कब्र है जिस के बारे में कहा गया कि जन्नत का एक बाग है या दोज़ख का एक गढ़ा।
╭┈► येह तो वोही जगह है कि जहां दो खौफ़नाक शक्लों वाले फ़िरिश्ते सर से पाउं तक बाल लटकाए, आंखों से शो'ले निकालते हुए इन्तिहाई सख्त लहजे में मुझ से तीन सुवाल करेंगे, आह गुनाहों की नुहसत के सबब कहीं मेरी कब्र दोजख का गढ़ा न बना दिया जाए आह मेरा क्या बनेगा फिर अपने आप से मुखातिब हो कर कहें कि अभी तो मैं जिन्दा हूं, अभी मेरी सांसें चल रही हैं, मैं उन हसरत आमेज़ लम्हात के आने से पहले पहले अपनी कब्र को जन्नत का बाग बनाने की कोशिश में लग जाऊंगा, खूब नेकियां करूंगा, गुनाहों से कनारा कशी इख्तियार करूंगा ताकि कल मुझे पछताना न पड़े, लम्बी लम्बी उम्मीदें बांधने की बजाए फ़िके आखिरत में मश्गूल हो जाऊंगा।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 225 📚*
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❝ उम्मीदों की कमी ❞
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*⚘ उम्मीदों में कमी का जेहन बनाने और कमी करने के तरीके ⚘*
╭┈► *9) हश्र या'नी क़ियामत की हौलनाकियों का तसव्वुर कीजिये :* यूं तसव्वुर कीजिये कि मैं ने कब्र से निकल कर बारगाहे इलाही अज़्ज़वजल में हाज़िरी के लिये मैदाने महशर की तरफ बढ़ना शुरू कर दिया है, सूरज आग बरसा रहा है, लेकिन उस की तपिश से बचने के लिये कोई साया मुयस्सर नहीं, हर एक को पसीनों पर पसीने आ रहे हैं जिस की बदबू से दिमाग फटा जा रहा है, हर कोई प्यास से निढाल है, दिल जिन्दगी भर की जाने वाली ना फ़रमानियों का सोच कर डूबा जा रहा है, इन के नतीजे में मिलने वाली जहन्नम की हौलनाक सज़ाओं के तसव्वुर से कलेजा कांप रहा है, आह सद आह ! अपने रब की ना फ़रमानी कर के उसी की बारगाह में हाज़िर हो कर ज़िन्दगी भर के आ'माल का हिसाब कैसे दूंगा?
╭┈► दूसरी तरफ़ अपनी मुख़्तसर सी ज़िन्दगी में नेक आ'माल इख्तियार करने वालों को मिलने वाले इन्आमात देख कर अपने करतूतों पर शदीद अफ़्सोस हो रहा है कि वोह खुश नसीब तो सीधे हाथ में नामए आ'माल ले कर शादां व फ़रहां जन्नत की तरफ़ बढ़े चले जा रहे हैं, लेकिन न जाने मेरा क्या बनेगा? कहीं ऐसा न हो कि मुझे जहन्नम में जाने का हुक्म सुना कर उलटे हाथ में आमाल नामा थमा दिया जाए और सारे अजीजो अकारिब की नज़रों के सामने मुझे मुंह के बल घसीट कर जहन्नम में डाल दिया जाए हाए मेरी हलाकत आह मेरी रुस्वाई यहां पहुंच कर अपनी आंखें खोल दीजिये और अपने आप से मुखातिब हो कर यूं कहे कि घबराव नहीं ! अभी मुझ पर येह वक्त नहीं आया अभी मैं ज़िन्दा हूं येह ज़िन्दगी मेरे लिये गनीमत है मुझे लम्बी लम्बी उम्मीदें लगाने की बजाए अपनी आखिरत संवारने की कोशिश में लग जाना चाहिये मैं अपने रब तआला का इताअत गुजार बन्दा बनने के लिये उस के अहकामात पर अभी और इसी वक़्त अमल शुरू कर दूंगा ताकि कल मैदाने महशर में मुझे पछताना न पड़े।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 226 📚*
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❝सिद्क़ सच बोलना ❞
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╭┈► *सिदक़ की तारीफ :* हज़रते अल्लामा सय्यिद शरीफ़ जुरजानी रहमतुल्लाहि तआला अलैह सिद्क या'नी सच की तारीफ़ बयान करते हुए फ़रमाते हैं सिद्क का लुगवी मा'ना वाकेअ के मुताबिक़ खबर देना है।
╭┈► *आयते मुबारका* अल्लाह अज़्ज़वजल कुरआने मजीद में इरशाद फ़रमाता है :
*तर्जमए कन्जुल ईमान :* और वोह जो येह सच ले कर तशरीफ़ लाए और वोह जिन्हों ने उन की तस्दीक की येही डर वाले हैं।
╭┈► इस आयते मुबारका में सच ले कर तशरीफ़ लाने वाले से मुराद हुजूर नबिये रहमत, शफ़ीए उम्मत ﷺ और तस्दीक करने वाले से मुराद अमीरुल मोमिनीन हज़रते सय्यिदुना सिद्दीके अक्बर रादिअल्लाहु तआला अन्हु या तमाम मोमिनीन हैं।
╭┈► एक और मकाम पर अल्लाह अज़्ज़वजल इरशाद फ़रमाता है
*तर्जमए कन्जुल ईमान :* मुसलमानों में कुछ वोह मर्द हैं जिन्हों ने सच्चा कर दिया जो अहद अल्लाह से किया था।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 227 📚*
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❝ सिद्क़ सच बोलना ❞
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*⚘ हिदीसे मुबारका ⚘*
╭┈► सच जन्नत की तरफ ले जाता है अल्लाह अज़्ज़वजल के महबूब, दानाए गुयूब ﷺ ने इरशाद फ़रमाया बेशक सिद्क (सच) नेकी की तरफ़ ले जाता है और नेकी जन्नत की तरफ़ ले जाती है और बेशक आदमी सच बोलता रहता है यहां तक कि वोह अल्लाह अज़्ज़वजल के हां सिद्दीक (बहुत बड़ा सच्चा) लिख दिया जाता है और बेशक किज्ब (झूट) गुनाह की तरफ़ ले जाता है। और गुनाह जहन्नम की तरफ़ ले जाता है और बेशक आदमी रहता है यहां तक कि वोह अल्लाह अज़्ज़वजल के हां कज्जाब (बहुत बड़ा झूटा) लिख दिया जाता है।
╭┈► *सच बोलने का हुक्म :* हर मुसलमान पर लाज़िम है कि वोह अपने दीनी व दुन्यवी तमाम मुआमलात में सच बोले कि सच बोलना नजात दिलाने और जन्नत में ले जाने वाला काम है।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 228 📚*
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❝ सिद्क़ सच बोलना ❞
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*⚘ हिकायत, सच बोलने की बरकत ⚘*
╭┈► सरकारे बगदाद, हुजूरे गौसे पाक रहमतुल्लाहि तआला अलैह फ़रमाते हैं कि जब मैं इल्मे दीन हासिल करने के लिये जीलान से बगदाद काफिले के हमराह रवाना हुवा और जब हमदान से आगे पहुंचे तो साठ डाकू काफिले पर टूट पड़े और सारा क़ाफ़िला लूट लिया लेकिन किसी ने मुझ से तअरुंज न किया एक डाकू मेरे पास आ कर पूछने लगा ऐ लड़के तुम्हारे पास भी कुछ है मैं ने जवाब में कहा हां डाकू ने कहा क्या है मैं ने कहा चालीस दीनार उस ने पूछा कहां हैं मैं ने कहा गुदड़ी के नीचे डाकू इस रास्त गोई को मज़ाक तसव्वुर करता हुवा चला गया। इस के बाद दूसरा डाकू आया और उस ने भी इसी तरह के सुवालात किये और मैं ने येही जवाबात उस को भी दिये और वोह भी इसी तरह मजाक समझते हुए चलता बना।
╭┈► जब सब डाकू अपने सरदार के पास जम्अ हुए तो उन्हों ने अपने सरदार को मेरे बारे में बताया तो मुझे वहां बुला लिया गया वोह माल की तक्सीम करने में मसरूफ डाकूओं का सरदार मुझ से मुखातिब हुवा तुम्हारे पास क्या है मैं ने कहा चालीस दीनार हैं डाकूओं के सरदार ने डाकूओं को हुक्म देते हुए कहा इस की तलाशी लो तलाशी लेने पर जब सच्चाई का इज़हार हुवा तो उस ने तअज्जुब से सुवाल किया कि तुम्हें सच बोलने पर किस चीज़ ने आमादा किया मैं ने कहा वालिदए माजिदा की नसीहत ने सरदार बोला वोह नसीहत क्या है मैं ने कहा मेरी वालिदए मोहतरमा ने मुझे हमेशा सच बोलने की तल्कीन फ़रमाई थी और मैं ने उन से वादा किया था कि सच बोलूंगा तो डाकूओं का सरदार रो कर कहने लगा येह बच्चा अपनी मां से किये हुए वा'दे से मुन्हरिफ़ नहीं हुवा और मैं ने सारी उम्र अपने रब से किये हुए वा'दे के ख़िलाफ़ गुज़ार दी है उसी वक़्त वोह उन साठ डाकूओं समेत मेरे हाथ पर ताइब हुवा और काफ़िले का लूटा हुवा माल वापस कर दिया।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 229 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 273
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❝सिद्क़ सच बोलना ❞
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*⚘ सच बोलने का जेह्न बनाने और सच बोलने के तरीके ⚘*
╭┈► *1) सच के फ़ज़ाइल का मुतालआ कीजिये :* तीन फरामीने मुस्तफ़ा ﷺ सच्चाई को अपने ऊपर लाज़िम कर लो क्यूंकि येह नेकी के साथ है और येह दोनों जन्नत में (ले जाने वाले) हैं और झूट से बचते रहो क्यूंकि येह गुनाह के साथ है और येह दोनों जहन्नम में (ले जाने वाले) हैं।
╭┈► जब बन्दा सच बोलता है तो नेकी करता है और जब नेकी करता है महफूज हो जाता है और जब महफूज़ हो जाता है तो जन्नत में दाखिल हो जाता है।
╭┈► तुम मुझे छ चीज़ों की जमानत दे दो मैं तुम्हें जन्नत की जमानत देता हूं
╭┈► 1. जब बोलो तो सच बोलो।
╭┈► 2. जब वादा करो तो उसे पूरा करो।
╭┈► 3. जब अमानत लो तो उसे अदा करो।
╭┈► 4. अपनी शर्मगाहों की हिफ़ाज़त करो।
╭┈► 5. अपनी निगाहें नीची रखा करो और।
╭┈► 6. अपने हाथों को रोके रखो।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 230 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 274
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❝ सिद्क़ सच बोलना ❞
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*⚘ सच बोलने का जेह्न बनाने और सच बोलने के तरीके ⚘*
╭┈► *2) सच से मुतअल्लिक बुजुर्गाने दीन के अक्वाल का मुतालआ कीजिये :* चन्द अक्वाल येह हैं : हज़रते सय्यिदुना अब्दुल्लाह बिन अब्बास रादिअल्लाहु तआला अन्हु फ़रमाते हैं चार बातें ऐसी हैं कि जिस में होंगी वोह नफ्अ पाएगा :
╭┈► 1. सिद्क (या'नी सच) 2. हया , 3. हुस्ने अख़्लाक़ और , 4. शुक्र
╭┈► हज़रते सय्यिदुना अबू सुलैमान दारानी रहमतुल्लाहि तआला अलैह फ़रमाते हैं सिद्क़ (या'नी सच) को अपनी सुवारी, हक को अपनी तल्वार और अल्लाह अज़्ज़वजल को अपना मतलूब व मक्सूद बना लो।
╭┈► हज़रते सय्यिदुना मुहम्मद बिन अली कत्तानी रहमतुल्लाहि तआला अलैह फरमाते हैं हम ने अल्लाह के दीन को तीन अरकान पर मनी पाया 1. हक , 2. सिद्क (या'नी सच) और 3. अद्ल। पस हक़ आज़ा पर, अद्ल दिलों पर और सिद्क अक्लों पर होता है।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 230 📚*
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❝सिद्क़ सच बोलना ❞
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*⚘ सच बोलने का जेह्न बनाने और सच बोलने के तरीके ⚘*
╭┈► *3) सच के दुन्यवी व उख़रवी फवाइद पर गौर कीजिये :* चन्द फ़वाइद येह हैं : सच बोलने वाला अल्लाह अज़्ज़वजल और उस के हबीब ﷺ के हुक्म पर अमल करता है। सच बोलने वाले को अल्लाह अज़्ज़वजल और उस के रसूल ﷺ की रिज़ा हासिल होती है, सच बोलने वाले की रोज़ी में बरकत होती है, सच बोलने वाले को मोमिन करार दिया गया है, सच बोलने वाला निफ़ाक़ से दूर हो जाता है, सच बोलने वाले का दिल रोशन हो जाता है, सच बोलने वाले का ज़मीर मुतमइन होता है, सच बोलने वाले को मुआशरे में इज्जत की निगाह से देखा जाता है, सच बोलने वाले का रहमते इलाही से ख़ातिमा बिल खैर होगा, इंशाअल्लाह सच बोलने वाले को रहमते इलाही से कब्रो हश्र की तक्लीफ़ों से अमान मिलेगी इंशाअल्लाह सच बोलने वाले को जन्नत में दाखिला नसीब होगा इंशाअल्लाह।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 231 📚*
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❝ सिद्क़ सच बोलना ❞
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*⚘ सच बोलने का जेह्न बनाने और सच बोलने के तरीके ⚘*
╭┈► *4) झूट बोलने की वईदों को पेशे नज़र रखिये :* तीन फरामीने मुस्तफा ﷺ जब बन्दा झूट बोलता है तो गुनाह करता है और जब गुनाह करता है तो नाशुक्री करता है और जब नाशुक्री करता है तो जहन्नम में दाखिल हो जाता है।
╭┈► मुनाफ़िक की तीन अलामतें हैं 1. जब बात करे तो झूट बोले, 2. जब वा'दा करे तो पूरा न करे और 3. जब उस के पास अमानत रखी जाए तो उस में खियानत करे।
╭┈► कितनी बड़ी खियानत है कि तुम अपने मुसलमान भाई से कोई बात कहो जिस में वोह तुम्हें सच्चा समझ रहा हो हालांकि तुम उस से झूट बोल रहे हो।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 231 📚*
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❝ सिद्क़ सच बोलना ❞
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*⚘ सच बोलने का जेह्न बनाने और सच बोलने के तरीके ⚘*
╭┈► *5) झूट बोलने के दुन्यवी व उख़रवी नुक्सानात पर गौर कीजिये :* चन्द नुक्सानात येह हैं : झूट बोलने वाला अल्लाह अज़्ज़वजल और उस के हबीब ﷺ का ना फरमान है झूट बोलने वाले पर अल्लाह की ला'नत है झूट बोलना मुनाफ़िक की निशानी करार दिया गया है झूट बोलने वाले को मुआशरे में इज्जत की निगाह से नहीं देखा जाता, झूट बोलने वाला मुसलमानों को धोका देने वाला है झूट बोलने वाले का ज़मीर मुतमइन नहीं होता, झूट बोलने वाले की रोज़ी से बरकत उठा ली जाती है झूट बोलने वाले कार दिल सियाह हो जाता है, झूट बोलने वाले को कब्रो हश्र की सख्तियों का सामना करना पड़ सकता है।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 232 📚*
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❝सिद्क़ सच बोलना ❞
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*⚘ सच बोलने का जेह्न बनाने और सच बोलने के तरीके ⚘*
╭┈► *6) अपने दिल में खौफे ख़ुदा पैदा कीजिये :* खौफे ख़ुदा तमाम गुनाहों से बचने की अस्ल है, जब बन्दे के दिल में अल्लाह अज़्ज़वजल का खौफ पैदा हो जाता है तो वोह अपने आप को तमाम गुनाहों से बचाने की कोशिश करता है, खौफे ख़ुदा पैदा करने के लिये मक्तबतुल मदीना की मतबूआ 160 सफहात पर मुश्तमिल किताब " खौफे खुदा " और हुज्जतुल इस्लाम हज़रते सय्यिदुना इमाम मुहम्मद गजाली रहमतुल्लाहि तआला अलैह की माया नाज़ तस्नीफ़ " इहयाउल उलूम, " जिल्द 4 , सफ़हा 451 का मुतालआ बहुत मुफीद है।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 232 📚*
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*⚘ सच बोलने का जेह्न बनाने और सच बोलने के तरीके ⚘*
╭┈► *7) अपने दिल में एहतिरामे मुस्लिम पैदा कीजिये :* कई लोग ऐसे भी होते हैं जो अपने मुसलमान भाइयों से कारोबारी मुआमलात में झूट और दरोग गोई से काम लेते हैं, इस की एक वज्ह एहतिरामे मुस्लिम का न होना भी है, जब बन्दे के दिल में अपने मुसलमान भाइयों का एहतिराम पैदा हो जाता है तो वोह उन से झूट बोलने, धोका देही से काम लेने और खियानत करने में आर महसूस करता और सच बोलता है, लिहाज़ा दिल में एहतिरामे मुस्लिम पैदा कीजिये कि इस की बरकत से झूट से बचने और सच बोलने में मदद मिलेगी।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 232 📚*
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❝सिद्क़ सच बोलना ❞
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*⚘ सच बोलने का जेह्न बनाने और सच बोलने के तरीके ⚘*
╭┈► *8) किसी की मलामत की परवाह मत कीजिये :* बा'ज़ अवकात ऐसा भी होता है कि बन्दा अपनी इज्जत बचाने के लिये झूट बोलता है कि अगर सच बोलेगा तो लोग मलामत करेंगे , बुरा भला कहेंगे इस का इलाज येह है कि बन्दा दुन्यवी ज़िल्लत के मुकाबले में जहन्नम की उख़रवी जिल्लत और अज़ाबात को पेशे नज़र रखे कि दुन्यवी ज़िल्लत तो चन्द लम्हों की है और अन करीब ख़त्म हो जाएगी लेकिन उखरवी जिल्लत तो उस से कहीं बढ़ कर है, लिहाजा किसी की मलामत की परवाह न कीजिये, हमेशा सच बोलिये।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 232 📚*
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❝सिद्क़ सच बोलना ❞
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*⚘ सच बोलने का जेह्न बनाने और सच बोलने के तरीके ⚘*
╭┈► *9) उख़रवी फाएदे को दुन्यवी नुक्सान पर तरजीह दीजिये :* बसा अवकात ब ज़ाहिर थोड़े से दुन्यवी फाएदे के पेशे नज़र भी बन्दा झूट बोल लेता है लेकिन उसे येह मालूम नहीं होता कि झूट बोलना फ़कत पहली बार आसान होता है इस के बाद इस में मुश्किल ही मुश्किल होती है, नुक्सान ही नुक्सान होता है, जब कि सच बोलना फ़क़त पहली बार मुश्किल होता है बाद में उस में आसानियां ही आसानियां होती हैं, झूट बोलने में बा'ज़ वक़्ती दुन्यवी फवाइद मगर आखिरत के बहुत नुक्सानात हैं, जब कि सच बोलने में कभी हो सकता है कि थोड़ा सा दुन्यवी नुक्सान हो मगर उस में उखरवी तौर पर फाएदे ही फाएदे हैं, लिहाजा हमेशा सच बोलिये, अल्लाह अज़्ज़वजल अपने फज्लो करम और अपनी रहमत से सच बोलने की बरकत से ब ज़ाहिर थोड़े से दुन्यवी नुक्सान को भी नाम में तब्दील फरमा देगा।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 233 📚*
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❝ हमदर्दिये मुस्लिम ❞
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*⚘ हमदर्दिये मुस्लिम की तारीफ ⚘*
╭┈► किसी मुसलमान की गमख्वारी करना और उस के दुख दर्द में शरीक होना "हमदर्दिये मुस्लिम" कहलाता है।
╭┈► *हमर्दिये मुस्लिम की कई सूरतें हैं, बा'ज़ येह हैं :*
╭┈► 1) बीमार की इयादत करना।
╭┈► 2) इन्तिकाल पर लवाहिकीन से ताजियत करना।
╭┈► 3) कारोबार में नुक्सान पर या मुसीबत के पहुंचने पर इज़हारे हमदर्दी करना।
╭┈► 4) किसी गरीब मुसलमान की मदद करना।
╭┈► 5) बक़दरे इस्तिताअत मुसलमानों से मुसीबतें दूर करना और उन की मदद करना।
╭┈► 6) इल्मे दीन फैलाना।
╭┈► 7) नेक आ'माल की तरगीब देना।
╭┈► 8) अपने लिये जो अच्छी चीज़ पसन्द हो वोही अपने मुसलमान भाई के लिये भी पसन्द करना।
╭┈► 9) ज़ालिम को जुल्म से रोकना और मजलूम की मदद करना।
╭┈► 10) मकरूज़ को मोहलत देना या किसी मकरूज़ की मदद करना।
╭┈► 11 ) दुख दर्द में किसी मुसलमान को तसल्ली और दिलासा देना। वगैरा...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 234 📚*
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❝ हमदर्दिये मुस्लिम ❞
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*⚘ आयते मुबारका ⚘*
╭┈► अल्लाह अज़्ज़वजल कुरआने पाक में इरशाद फरमाता है
*तर्जमए कन्जुल ईमान :* और अपनी जानों पर उन को तरजीह देते हैं अगर्चे उन्हें शदीद मोहताजी हो।
╭┈► सदरुल अफ़ाज़िल हज़रते अल्लामा मौलाना सय्यिद मुहम्मद नईमुद्दीन मुरादाबादी अलैहिर्रहमा इस आयते मुबारका के तहत फरमाते हैं रसूले करीम ﷺ की खिदमत में एक भूका शख्स आया, हुजूर ने अजवाजे मुतहरात के हुजरों पर मा'लूम कराया क्या खाने की कोई चीज़ है ? मालूम हुवा किसी बीबी साहिबा के यहां कुछ भी नहीं है, तब हुजूर ने अस्हाब से फ़रमाया जो इस शख्स को मेहमान बनाए, अल्लाह तआला उस पर रहमत फ़रमाए हज़रते अबू तल्हा अन्सारी खड़े हो गए और हुजूर से इजाजत ले कर मेहमान को अपने घर ले गए, घर जा कर बीबी से दरयाफ्त किया कुछ है उन्हों ने कहा कुछ नहीं, सिर्फ बच्चों के लिये थोड़ा सा खाना रखा है हज़रते अबू तल्हा ने फ़रमाया बच्चों को बहला कर सुला दो और जब मेहमान खाने बैठे तो चराग दुरुस्त करने उठो है और चराग को बुझा दो ताकि वोह अच्छी तरह खा ले येह इस लिये तिजवीज़ की, कि मेहमान येह न जान सके कि अहले खाना उस के साथ नहीं भी खा रहे हैं क्यूंकि उस को येह मा'लूम होगा तो वोह इसरार करेगा और खाना कम है भूका रह जाएगा इस तरह मेहमान को खिलाया और आप उन साहिबों ने भूके रात गुज़ारी जब सुबह हुई और सय्यिदे आलम ﷺ की खिदमत में हाज़िर हुए तो हुजूरे अक्दस ﷺ ने फ़रमाया रात फुलां फुलां लोगों में अजीब मुआमला पेश आया, अल्लाह तआला उन से बहुत राजी है। और येह आयत नाज़िल हुई।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 234 📚*
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❝ हमदर्दिये मुस्लिम ❞
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*⚘ हदीसे मुबारका, मुसीबत जदा से गमख़्वारी की फजीलत ⚘*
╭┈► हज़रते सय्यिदुना जाबिर बिन अब्दुल्लाह रादिअल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है कि हुजूर नबिये पाक ﷺ ने इरशाद फ़रमाया जो किसी गमजदा शख्स से गमख्वारी करेगा अल्लाह अज़्ज़वजल उसे तक्वा का लिबास पहनाएगा और रूहों के दरमियान उस की रूह पर रहमत फ़रमाएगा और जो किसी मुसीबत ज़दा से गमख्वारी करेगा अल्लाह अज़्ज़वजल ने उसे जन्नत के जोड़ों में से दो ऐसे जोड़े अता करेगा जिन की कीमत दुन्या भी नहीं हो सकती।
╭┈► *हमर्दिये मुस्लिम का हुकमा :* आ'ला हज़रत, इमामे अहले सुन्नत, मुजद्दिदे दीनो मिल्लत, परवानए शम्ए रिसालत, मौलाना शाह इमाम अहमद रज़ा खान अलैहिर्रहमा फ़तावा रज़विय्या में एक सुवाल के जवाब में फ़रमाते हैं हर फ़र्दे इस्लाम की खैर ख्वाही हर मुसलमान पर लाज़िम है।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 235 📚*
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❝ हमदर्दिये मुस्लिम ❞
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*⚘ मुफ़्तिये आजमे हिन्द और दुख्यारों की ग़मख़्वारी ⚘*
╭┈► हुजूर मुफ्तिये आज़म मुहम्मद मुस्तफा रजा खान मुसलमानों की गमख्वारी और दिलजूई करने में अपनी मिसाल आप थे, मुसलमान का दिल तोड़ने से हर दम इजतिनाब फ़रमाते, उन को फ़ाएदा पहुंचाने के बेहद हरीस थे और हरीस क्यूं न होते कि जिस मदनी आका, मुहम्मद मुस्तफा ﷺ से वालिहाना इश्क़ था उन्ही का इरशादे हकीक़त बुन्याद है बेहतरीन शख्स वोह है जो लोगों को फ़ाएदा पहुंचाए। इस हदीसे पाक पर अमल की मदनी झलक पेश करती हुई एक अनोखी हिकायत मुलाहज़ा फ़रमाइये।
╭┈► चुनान्चे, हुजूर मुफ्तिये आ'जम अलैहिर्रहमा एक खास मौक पर मद्रसए फैजुल उलूम (धतकी डेहिया जमशेदपुर , झारखंड अल हिन्द) में मदऊ किये गए वापसी पर रेलवे स्टेशन जाने के लिये हुजूर मुफ्तिये आ'ज़मे हिन्द अलैहिर्रहमा रिक्षे में तशरीफ़ फ़रमा हुए ही थे कि इतने में एक शख्स ने हाज़िर हो कर अर्ज की हुजूर फुलां परेशानी से दो चार हूं, ता'वीज महंमत फ़रमा दीजिये , मद्रसे के मोहतमिम रईसुल कलम हज़रते अल्लामा अरशदुल कादिरी साहिब ने उस शख्स से फ़रमाया गाड़ी का टाइम हो चुका है और तुम अभी ता'वीज़ के लिये बोल रहे हो हुजूर मुफ्तिये आ'जम अलैहिर्रहमा ने अल्लामा ज़ेद मज्दुहू को उस शख्स को रोकने से मन्अ फ़रमाया अल्लामा साहिब ने अर्ज की हुजूर गाड़ी छूट जाएगी इस पर हुजूर मुफ्तिये आ'जमे हिन्द अलैहिर्रहमा ने खौफे खुदा अज़्ज़वजल से सरशार और दुख्यारी उम्मत की दिलजूई में बेकरार हो कर जो जवाब दिया वोह सुन्हरी हुरूफ़ से लिखे जाने के काबिल है चुनान्चे , फ़रमाया छूट जाने दो दूसरी ट्रेन से चला जाऊंगा कल कियामत के दिन अगर खुदावन्दे करीम अज़्ज़वजल ने पूछ लिया कि तू ने मेरे है फुलां बन्दे की परेशानी में क्यूं मदद नहीं की ? तो मैं क्या जवाब दूंगा येह फ़रमा कर रिक्षा से सारा सामान उतरवा लिया अल्लाह अज़्ज़वल की उन पर रहमत हो और उन के सदके हमारी मगफिरत हो।...✍🏻 आमीन
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 236 📚*
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❝ हमदर्दिये मुस्लिम ❞
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*⚘ हमदर्दी का जेहन बनाने और हमदर्दी की आदत अपनाने के तरीके ⚘*
╭┈► *1) मुसलमानों से हमदर्दी के फ़वाइद को पेशे नज़र रखिये :* फ़ितरी तौर पर जब बन्दे के सामने किसी चीज़ के फ़वाइद होते हैं तो वोह उसे पाने में जल्दी करता है, मुसलमानों से हमदर्दी करने के चन्द फ़वाइद येह हैं अल्लाह और उस के हबीब ﷺ की रिज़ा का हुसूल दिलजूई मुसलमान के दिल में खुशी दाखिल करना, हौसला अफजाई करना हुस्ने सुलूक करना, खैरख्वाही करना, परेशान हाल की दुआओं की बरकत से तकालीफ़ व परेशानी से नजात मिलना, रहमते इलाही के सबब हुसूले जन्नत। वगैरा वगैरा
╭┈► *2) हुस्ने अख़्लाक़ को पेशे नज़र रखिये :* किसी मुसलमान से हमदर्दी करना उस के साथ हुस्ने सुलूक और अच्छे अख़्लाक़ का मुजाहरा है। फ़रमाने मुस्तफा ﷺ है मीज़ाने अमल में हुस्ने अख़्लाक़ से वज़्नी कोई और अमल नहीं।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 237 📚*
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❝ हमदर्दिये मुस्लिम ❞
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*⚘ हमदर्दी का जेहन बनाने और हमदर्दी की आदत अपनाने के तरीके ⚘*
╭┈► *3) सिलए रेहमी को पेशे नज़र रखिये :* अज़ीज़ो अकारिब, रिश्तेदार तक्लीफ़ व परेशानी में आ जाएं तो उन के दुख दर्द में शामिल होना उन के साथ सिलए रेहमी करना है और रिश्तेदारों के साथ सिलए रेहमी करने का हुक्म दिया गया है, लिहाजा बन्दे को चाहिये कि सिलए रेहमी का मदनी जेह्न बनाए और जब भी कोई रिश्तेदार तक्लीफ़ व परेशानी में मुब्तला हो जाए तो उस के साथ हमदर्दी कर के सिलए रेहमी का सवाब हासिल करने की कोशिश करे कि इस्लाम में सिलए रेहमी के बहुत फ़ज़ाइल बयान फ़रमाए गए हैं।
╭┈► *4) एहतिरामे मुस्लिम को पेशे नज़र रखिये :* एक आम मुसलमान के साथ हमदर्दी करने में एहतिरामे मुस्लिम भी है, इस्लाम में एक मुसलमान मोमिन की हुरमत की बड़ी अहम्मिय्यत बयान की गई है, लिहाज़ा अपने अन्दर एहतिरामे मुस्लिम का जज्बा बेदार कीजिये, किसी मुसलमान के तक्लीफ़ व परेशानी में मुब्तला होने का पता चले तो उसी जज़्बे के तहत उस की हमदर्दी की सआदत हासिल कीजिये।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 238 📚*
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❝ हमदर्दिये मुस्लिम ❞
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*⚘ हमदर्दी का जेहन बनाने और हमदर्दी की आदत अपनाने के तरीके ⚘*
╭┈► *5) हक्के मुस्लिम की अदाएगी की निय्यत से हमदर्दी कीजिये :* फ़रमाने मुस्तफा ﷺ है एक मोमिन के दूसरे मोमिन पर छ हक़ हैं
╭┈► 1. जब वोह बीमार हो तो इयादत करे
╭┈► 2. जब वोह मर जाए तो उस के जनाजे में हाज़िर हो
╭┈► 3. जब वोह बुलाए तो हाज़िर हो
╭┈► 4. जब उस से मिले तो सलाम करे
╭┈► 5. जब छींके तो जवाब दे और
╭┈► 6. मौजूदगी व गैर मौजूदगी में उस की खैरख्वाही करे।....✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 238 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 289
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❝ हमदर्दिये मुस्लिम ❞
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*⚘ हमदर्दी का जेहन बनाने और हमदर्दी की आदत अपनाने के तरीके ⚘*
╭┈► *6) बीमार की इयादत कर के हमदर्दी कीजिये :* फ़रमाने मुस्तफ़ा ﷺ है जो किसी मरीज़ की इयादत करता है या रिजाए इलाही के लिये अपने किसी भाई से मिलने जाता है तो एक मुनादी उसे मुखातब कर के कहता है कि खुश हो जा क्यूंकि तेरा येह चलना मुबारक है और तू ने जन्नत में अपना ठिकाना बना लिया है।
╭┈► *7) मरीज़ की दुआएं लेने के लिये उस से हमदर्दी कीजिये :* मरीज़ की दुआ भी मक्बूल है फ़रमाने मुस्तफा ﷺ है जब तुम किसी मरीज़ के पास जाओ तो उस से अपने लिये दुआ की दरख्वास्त करो क्यूंकि उस की दुआ फ़िरिश्तों की दुआ की तरह होती है।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 239 📚*
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❝ रजा, (रहमते इलाही से उम्मीद)❞
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*⚘ रज़ा की तारीफ ⚘*
╭┈► आयिन्दा के लिये भलाई और बेहतरी की उम्मीद रखना "रजा" है। मसलन अगर कोई शख्स अच्छा बीज हासिल कर के नर्म जमीन में बो दे और उस ज़मीन को घास फूस वगैरा से साफ़ कर दे और वक़्त पर पानी और खाद देता रहे फिर इस बात का उम्मीदवार हो कि अल्लाह अज़्ज़वजल उस खेती को आस्मानी आफ़ात से महफूज रखेगा तो मैं खूब गल्ला हासिल करूंगा तो ऐसी आस और उम्मीद को "रजा" कहते हैं।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 239 📚*
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❝ रजा, (रहमते इलाही से उम्मीद)❞
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*⚘ हकीकी उम्मीद ⚘*
╭┈► हुज्जतुल इस्लाम हज़रते सय्यिदुना इमाम मुहम्मद बिन मुहम्मद गज़ाली रहमतुल्लाहि तआला अलैह इहयाउल उलूम में फ़रमाते हैं जब बन्दा ईमान का बीज बोता है और उस को इबादात के पानी से सैराब करता है और दिल को बुरी आदात के कांटों से पाक करता है तो फिर वोह अल्लाह अज़्ज़वजल के फज्ल या'नी उन चीजों पर मरते दम तक काइम रहने और मगफिरत का सबब बनने वाले हुस्ने ख़ातिमा का मुन्तज़िर रहता है तो उस का येह इन्तिज़ार हकीकी उम्मीद है जो फी नफ़्सिही काबिले तारीफ है।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 239 📚*
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❝ रजा, (रहमते इलाही से उम्मीद) ❞
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*⚘ रजा की अक्साम और इन के अहकाम ⚘*
╭┈► हज़रते सय्यिदुना इब्ने खुबैक रहमतुल्लाहि तआला अलैह फ़रमाते हैं रजा तीन तरह की है :
╭┈► 1) कोई शख्स अच्छा काम करे उस की कबूलिय्यत की उम्मीद रखे।
╭┈► 2) कोई शख्स बुरा काम करे फिर तौबा करे और वोह मगफिरत की उम्मीद रखता हो।
╭┈► 3) झूटा शख्स जो गुनाह करता चला जाए और कहे मैं मगफिरत की उम्मीद रखता हूँ।
╭┈► पहली दो किस्म की रजा महमूद जब कि आख़िरी किस्म की रजा मज़मूम है जैसा कि हदीसे मुबारका में है अहमक वोह है जो अपनी नफ्सानी ख्वाहिश की पैरवी करे फिर अल्लाह अज़्ज़वजल से जन्नत की तमन्ना रखे।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 240 📚*
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❝ रजा, (रहमते इलाही से उम्मीद) ❞
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*⚘ आयते मुबारका ⚘*
☝🏻⚘ अल्लाह कुरआने पाक में इरशाद फ़रमाता है
╭┈► *तर्जमए कन्जुल ईमान :* तुम फरमाओ ऐ मेरे वोह बन्दो जिन्हों ने अपनी जानों पर ज़ियादती की अल्लाह की रहमत से ना उम्मीद न हो बेशक अल्लाह सब गुनाह बख्श देता है।
╭┈► इस आयत के तहत तफ्सीरे ख़ज़ाइनुल इरफ़ान में है मुशरिकीन में से चन्द आदमी सय्यदे आलम ﷺ की ख़िदमत में हाज़िर हुए और उन्हों ने हुजूर से अर्ज़ किया कि आप का दीन तो बेशक हक और सच्चा है लेकिन हम ने बड़े बड़े गुनाह किये हैं बहुत सी मा'सियतों में मुब्तला रहे हैं क्या किसी तरह हमारे वोह गुनाह मुआफ हो सकते हैं इस पर येह आयत नाज़िल हुई।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 240 📚*
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❝ रजा, (रहमते इलाही से उम्मीद)❞
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*⚘ हदीसे मुबारका, अच्छा गुमान रखते हुए मरना ⚘*
╭┈► हज़रते सय्यिदुना जाबिर रादिअल्लाहु तआला अन्हु बयान करते हैं कि मैं ने रसूलुल्लाह ﷺ को आप की वफ़ात से तीन दिन पहले येह फ़रमाते सुना कि तुम में से कोई न मरे मगर इस तरह कि अल्लाह से अच्छी उम्मीद रखता हो।
╭┈► मुफस्सिरे शहीर, हकीमुल उम्मत मुफ्ती अहमद यार खान अलैहिर्रहमा इस हदीसे पाक के तहत सूफ़िया के हवाले से फ़रमाते हैं नेक बख्ती की निशानी येह है कि बन्दे पर ज़िन्दगी में खौफे खुदा गालिब हो और मरते वक़्त उम्मीद, नेककार नेकियां कबूल होने की उम्मीद रखें और बदकार मुआफ़ी की उम्मीद की हकीकत येह है कि इन्सान नेकियां करे और उस के फज्ल का उम्मीदवार रहे, बदकारी के साथ उम्मीद रखना धोका है उम्मीद नहीं, इस हदीस की बिना पर वा'ज़ बुजुर्गों ने कहा कि ख़ौफ़ की इबादत से उम्मीद की इबादत बेहतर है।
╭┈► *रजा का हुकम :* अल्लाह से अच्छा गुमान रखना वाजिब है।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 241 📚*
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❝ रजा, (रहमते इलाही से उम्मीद)❞
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*⚘ हिकायत, अच्छी उममीद के सबब मगफिरत ⚘*
╭┈► हज़रते सय्यिदुना काज़ी यहया बिन अक्सम रहमतुल्लाहि तआला अलैह के विसाल के बाद किसी ने उन को ख्वाब में देख कर पूछा अल्लाह अज़्ज़वजल ने आप के साथ क्या मुआमला फ़रमाया उन्हों ने कहा अल्लाह ने मुझे अपनी बारगाहे आली में खड़ा कर के फ़रमाया ऐ बद अमल बूढ़े तू ने फुला फुलां काम किया फ़रमाते हैं मुझ पर इस कदर रो'ब तारी हो गया कि अल्लाह ही जानता है फिर मैं ने अर्ज की ऐ मेरे रब अज़्ज़वजल मुझे तेरा येह हाल नहीं बताया गया है इरशाद फ़रमाया फिर मेरे बारे में क्या बयान किया गया मैं ने अर्ज की मुझ से हज़रते अब्दुर्रज्जाक ने, उन से हज़रते मा'मर ने, उन से हज़रते इमाम जोहरी ने और उन से हज़रते सय्यिदुना अनस बिन मालिक रादिअल्लाहु तआला अन्हु ने और वोह तेरे नबी ﷺ से और उन्हों ने हज़रते जिब्रीले अमीन के हवाले से बयान फ़रमाया कि तू फ़रमाता है मैं अपने बन्दे के गुमान के मुताबिक हूं तो वोह मेरे साथ जो चाहे गुमान रखे।
╭┈► मेरा गुमान येह था कि तू मुझे अज़ाब नहीं देगा तो अल्लाह अज़्ज़वजल ने इरशाद फरमाया जिब्रील ने सच कहा, मेरे नबी ने सच कहा, अनस, जोहरी, मा'मर, अब्दुर्रज्जाक ने भी सच कहा और मैं ने भी सच कहा, हज़रते सय्यिदुना यहूया बिन अक्सम रहमतुल्लाहि तआला अलैह फ़रमाते हैं फिर मुझे जन्नती लिबास पहनाया गया और जन्नत तक मेरे आगे आगे गुलाम चलते रहे तो मैं ने कहा वाह येह तो खुशी की बात है।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 242 📚*
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❝ रजा, (रहमते इलाही से उम्मीद)❞
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*⚘ रजा (यानी अच्छी उम्मीद) का जेहन बनाने और इस के हुसूल के तरीके ⚘*
╭┈► *❶ रजा के फ़ज़ाइल में गौरो फ़िक्र कीजिये :* रहमते इलाही के मुतअल्लिक तीन फ़रामीने मुस्तफ़ा ﷺ
╭┈► 1. अल्लाह अज़्ज़ावजल इरशाद फ़रमाता है मैं अपने बन्दे के गुमान के मुताबिक़ हूं अब वोह मेरे मुतअल्लिक जो चाहे गुमान रखे।
╭┈► 2. अल्लाह अज़्ज़वजल बरोजे कियामत बन्दे से इस्तिफ्सार फ़रमाएगा जब तू ने बुराई देखी तो किस वज्ह से उसे नहीं रोका अगर अल्लाह उस के जेहन में जवाब इल्का फ़रमा देगा तो वोह अर्ज़ करेगा ऐ मेरे रब अज़्ज़वजल मुझे तेरी रहमत की उम्मीद थी और लोगों का ख़ौफ़ था अल्लाह अज़्ज़वजल इरशाद फ़रमाएगा मैं ने तेरा गुनाह मुआफ किया।
╭┈► 3. एक शख्स को जहन्नम में डाल दिया जाएगा तो वोह वहां एक हज़ार साल तक "(یاحَنَّانُ یا منَّانُ)" कह कर अल्लाह अज़्ज़वजल को पुकारता रहेगा। अल्लाह अज़्ज़वजल जिब्रीले अमीन से फ़रमाएगा जाओ ! मेरे बन्दे को ले कर आओ चुनान्चे, वोह उसे ले कर आएंगे और अल्लाह अज़्ज़वजल की बारगाह में पेश कर देंगे अल्लाह उस से दरयाफ्त फ़रमाएगा तू ने अपना ठिकाना कैसा पाया वोह अर्ज करेगा बहुत बुरा अल्लाह अज़्ज़वजल इरशाद फरमाएगा इसे दोबारा वहीं ले जाओ वोह जा रहा होगा तो पीछे मुड़ कर देखेगा अल्लाह अज़्ज़वजल फ़रमाएगा क्या देखता है वोह अर्ज करेगा मुझे तुझ से येह उम्मीद थी कि एक मरतबा जहन्नम से निकालने के बाद मुझे दोबारा उस में नहीं भेजेगा अल्लाह अज़्ज़वजल फ़रमाएगा इसे जन्नत में ले जाओ।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 243 📚*
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❝ रजा, (रहमते इलाही से उम्मीद)❞
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*⚘ रजा (यानी अच्छी उम्मीद) का जेहन बनाने और इस के हुसूल के तरीके ⚘*
╭┈► *❷ रजा से मुतअल्लिक बुज़ुर्गाने दीन के अहवाल का मुतालआ कीजिये :* इस के लिये इमाम अबुल कासिम कुशैरी रहमतुल्लाहि तआला अलैह की किताब "रिसालए कुशैरिय्या" और इमाम मुहम्मद बिन मुहम्मद ग़ज़ाली रहमतुल्लाहि तआला अलैह की किताब "इहयाउल उलूम" जिल्द चहारुम का मुतालआ बहुत मुफीद है।
╭┈► *❸ रजा से मुतअल्लिक रिवायात और बुजुर्गाने दीन के अक्वाल में गौर कीजिये :* रजा के मुतअल्लिक तीन फरामीने बुजुर्गाने दीन रहमतुल्लाहि तआला अलैह
╭┈► 1. अमीरुल मोमिनीन हज़रते सय्यदुना अलिय्युल मुर्तजा रादिअल्लाहु तआला अन्हु ने फ़रमाया जिस ने कोई गुनाह किया और अल्लाह अज़्ज़वजल ने दुन्या में उस की पर्दापोशी फ़रमाई तो अल्लाह अज़्ज़वजल के करम का तकाजा येह नहीं है कि आखिरत में उस का पर्दा उठा दे और जिस शख्स को दुन्या में उस के गुनाह की सज़ा दे दी गई हो तो अल्लाह अज़्ज़वजल के अद्लो इन्साफ़ का तकाजा येह नहीं है कि आखिरत में अपने बन्दे को दोबारा सजा दे।
╭┈► 2. हज़रते सय्यिदुना सुफ़्यान सौरी रहमतुल्लाहि तआला अलैह फ़रमाते हैं मुझे येह पसन्द नहीं कि मेरा हिसाब मेरे वालिदैन के सिपुर्द कर दिया जाए क्यूंकि मुझे मालूम है कि अल्लाह अज़्ज़वजल मेरे वालिदैन से बढ़ कर मुझ पर रहम करने वाला है।
╭┈► 3. हज़रते सय्यिदुना मालिक बिन दीनार रहमतुल्लाहि तआला अलैह की हज़रते सय्यदुना अबान रहमतुल्लाहि तआला अलैह से मुलाकात हुई तो उन से पूछा आप कब तक लोगों को उम्मीद और रुख्सत की अहादीस सुनाते रहेंगे तो उन्हों ने जवाब दिया ऐ अबू यहया मैं उम्मीद करता हूं कि आप बरोजे कियामत अल्लाह के अफ़्वो करम के ऐसे मनाज़िर देखेंगे कि खुशी के सबब अपने कपड़े फाड़ देंगे।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 244 📚*
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❝ रजा, (रहमते इलाही से उम्मीद) ❞
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*⚘ रजा (यानी अच्छी उम्मीद) का जेहन बनाने और इस के हुसूल के तरीके ⚘*
╭┈► *❹ रजा के सबब बुलन्द दरजात और मगफिरत नसीब होती है :* किसी ने हज़रते सय्यिदुना उस्ताद अबू सल सा'लूकी रहमतुल्लाहि तआला अलैह को इन्तिकाल के बाद ख्वाब में ऐसी उम्दा हालत में देखा जिसे बयान नहीं थी किया जा सकता और उन से दरयाफ्त किया कि किस सबब से आप ने येह मकाम पाया ? इरशाद फ़रमाया अपने रब के साथ अच्छा गुमान रखने की वज्ह से।
╭┈► एक शख्स लोगों को कर्ज दिया करता, मालदार के साथ नर्मी करता और तंगदस्त को मुआफ़ कर देता जब उस की मौत वाकेअ हुई तो वोह अल्लाह से इस हाल में मिला कि (मजकूरा आ'माल के इलावा) उस ने कोई भी नेक अमल नहीं किया था अल्लाह अज़्ज़वजल ने इरशाद फ़रमाया हम से ज़ियादा मुआफ़ करने का कौन हक़दार है यूं अल्लाह अज़्ज़वजल ने उसे इबादत के मुआमले में मुफ़्लिस होने के बा वुजूद हुस्ने जन और उम्मीद रखने के बाइस बख़्श दिया।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 245 📚*
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❝ रजा, (रहमते इलाही से उम्मीद) ❞
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*⚘ रजा (यानी अच्छी उम्मीद) का जेहन बनाने और इस के हुसूल के तरीके ⚘*
╭┈► *❺ रजा नेक आ'माल करने का बाइस है :* कि अच्छाई की उम्मीद रखने वाला उस के लिये अमल भी करता है चुनान्चे, इमाम गज़ाली रहमतुल्लाहि तआला अलैह फ़रमाते हैं जो शख्स इस बात को जानता है कि जमीन नमकीन है और पानी भी कम है बीज भी खेती उगाने की सलाहिय्यत नहीं रखते तो वोह लाज़िमी तौर पर ज़मीन की निगरानी छोड़ देता है और उस की देख भाल में खुद को थकाता नहीं है उम्मीद इस लिये महमूद है कि वोह अमल पर उक्साती है और मायूसी जो कि उम्मीद की ज़िद है इस लिये मज़मूम है कि वोह अमल से रोक देती है जिसे उम्मीद की हालत मुयस्सर होती है वोह आ'माल के साथ तवील मुजाहदा कर लेता है और उसे इबादात पर पाबन्दी नसीब हो जाती है अगर्चे अहवाल में तब्दीली होती रहे।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 245 📚*
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*⚘ महब्बते इलाही की तारीफ ⚘*
╭┈► तबीअत का किसी लज़ीज़ शै की तरफ़ माइल हो जाना महब्बत कहलाता है। और महब्बते इलाही से मुराद अल्लाह अज़्ज़वजल का कुर्ब और उस की ताजीम है।
╭┈► हज़रते सय्यिदुना दाता गंज बख़्श अली बिन उस्मान हिजवेरी रहमतुल्लाहि तआला अलैह महब्बते इलाही की वजाहत करते हुए फ़रमाते हैं बन्दे की अल्लाह अज़्ज़वजल से महब्बत वोह एक सिफ़्त है जो फ़रमां बरदार मोमिन के दिल में ज़ाहिर होती है जिस का मा'ना ता'ज़ीमो तकरीम भी है यहां तक कि बन्दा महबूब की रिज़ा तलब करने में लगा रहता है और उस के दीदार की तलब में बे ख़बर हो कर उस की कुर्बत की आरजू में बेचैन हो जाता है और उसे उस के बिगैर चैन व करार हासिल ही नहीं होता।
╭┈► उस की आदत अपने महबूब के ज़िक्र के साथ हो जाती है और वोह बन्दा गैर के ज़िक्र से दूर और मुतनफ्फिर रहता है वोह तमाम तबई रगवतों व ख्वाहिशों से जुदा हो कर अपनी ख्वाहिशात से कनारा कश हो जाता है वोह गलबए महब्बत के साथ मुतवज्जेह होता है और खुदा के हुक्म के आगे सर झुका देता है और उसे कमाल औसाफ़ के साथ पहचानने लगता है।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 246 📚*
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❝ महब्बते इलाही ❞
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╭┈► *आयते मुबारका :* अल्लाह अज़्ज़वजल कुरआने पाक में इरशाद फ़रमाता है *तर्जमए कन्जुल ईमान :* और ईमान वालों को अल्लाह के बराबर किसी की महब्बत नहीं।
╭┈► *हदीसे मुबारका :* ईमान क्या है ? हज़रते सय्यिदुना अबू रजीन उकैली रादिअल्लाहु तआला अन्हु ने बारगाहे रिसालत में अर्ज की या रसूलल्लाह ﷺ ईमान क्या है ? इरशाद फ़रमाया ईमान येह है कि अल्लाह अज़्ज़वजल और उस का रसूल तुम्हारे नज़दीक सब से ज़ियादा महबूब हों।
╭┈► *महब्बते इलाही का हुकम :* हुज्जतुल इस्लाम हज़रते सय्यिदुना इमाम मुहम्मद बिन मुहम्मद ग़ज़ाली रहमतुल्लाहि तआला अलैह फ़रमाते हैं उम्मत का इस बात पर इजमा है कि अल्लाह अज़्ज़वजल और उस के रसूल से महब्बत करना फ़र्ज़ है।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 247 📚*
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❝ महब्बते इलाही ❞
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*⚘ हिकायत, सय्यिदुना मारूफ़ करखी रहमतुल्लाहि अलैह और महब्बते इलाही ⚘*
╭┈► हज़रते सय्यिदुना अबुल हसन अली बिन मुवफ्फ़क रहमतुल्लाहि तआला अलैह बयान करते हैं मैं ने ख्वाब में देखा गोया कि मुझे जन्नत में दाखिल किया गया है तो मैं ने वहां एक शख्स को दस्तर ख़्वान पर बैठे हुए देखा जिस के दाएं बाएं दो फ़िरिश्ते उसे अन्वाओ अक्साम की चीजें खिला रहे हैं और वोह खा रहा है और एक शख्स को देखा कि जन्नत के दरवाजे पर खड़ा है लोगों के चेहरों को देख कर बाज़ को दाखिल होने देता है और बा'ज़ को वापस लौटा देता है फिर मैं हज़ीरतुल कुद्स " की जानिब बढ़ा तो अर्श के खैमों में से एक शख्स नज़र आया जो दीदारे इलाही में मुस्ताक था और आंख नहीं झपकता था मैं ने (खाजिने जन्नत) हज़रते रिजवान से पूछा येह कौन हैं? जवाब दिया येह मा'रूफ़ करखी हैं जिन्हों ने अल्लाह अज़्ज़वजल की इबादत जहन्नम के खौफ़ और जन्नत के हुसूल के लिये नहीं की बल्कि महज़ उस की महब्बत की वह से की, लिहाजा अल्लाह अज़्ज़वजल ने उन्हें कियामत तक अपनी तरफ़ देखने की इजाजत अता फरमा दी है और दीगर अफ़राद के बारे में बताया कि वोह हज़रते सय्यिदुना विशर हाफ़ी और हज़रते सय्यदुना इमाम अहमद बिन हम्बल रहमतुल्लाहि तआला अलैह हैं।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 247 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 303
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❝ महब्बते इलाही ❞
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*⚘ महब्बते इलाही पैदा करने के तरीके और अस्बाब ⚘*
╭┈► *❶ वुजूद अता फरमाने वाली हस्ती से महब्बत :* इन्सान देखे कि इस का कमाल व बका महज़ अल्लाह अज़्ज़वजल की तरफ़ से है वोही जात इस को अदम से वुजूद में लाने वाली, इस को बाक़ी रखने वाली और इस के वुजूद में सिफ़ाते कमाल, इन के अस्बाब और इन के इस्ति'माल की हिदायत पैदा कर के इसे कामिल करने वाली है तो ऐसी जात से ज़रूर महब्बत रखनी चाहिये।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 248 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 304
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❝ महब्बते इलाही ❞
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*⚘ महब्बते इलाही पैदा करने के तरीके और अस्बाब ⚘*
╭┈► *❷ अपने मोहसिन से महब्बत :* जिस तरह अल्लाह अज़्ज़वजल को पहचानने का हक़ है अगर बन्दा इस तरह उसे पहचाने तो ज़रूर जान जाएगा कि इस पर एहसान करने वाला सिर्फ अल्लाह ही है और मोहसिन से महब्बत फ़ितरी होती है लिहाज़ा अल्लाह अज़्ज़वजल से महब्बत रखनी चाहिये।
╭┈► *❸ जमाल वाले से महब्बत :* अल्लाह अज़्ज़वजल जमील है जैसा कि हदीसे पाक में है अल्लाह अज़्ज़वजल जमील है और जमाल को पसन्द करता है। और जमाल वाले से महब्बत फ़ितरी और जिबिल्ली है लिहाज़ा अल्लाह अज़्ज़वजल से महब्बत का येह भी एक सबब है।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 248 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 305
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❝ महब्बते इलाही ❞
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*⚘ महब्बते इलाही पैदा करने के तरीके और अस्बाब ⚘*
╭┈► *❹ उयूब से पाक ज़ात से महब्बत :* अल्लाह अज़्ज़वजल तमाम उयूबो नकाइस से मुनज्जा है और ऐसी जात से महब्बत करना अस्बाबे महब्बत में से एक कवी सबब है।
╭┈► *❺ महब्बते इलाही के मुतअल्लिक बुजुर्गाने दीन के अक्वाल व अहवाल का मुतालआ कीजिये :* इस के लिये इमाम अबुल कासिम कुशैरी रहमतुल्लाहि तआला अलैह की किताब "रिसालए कुशैरिय्या" और इमाम मुहम्मद बिन मुहम्मद गज़ाली रहमतुल्लाहि तआला अलैह की किताब "इहयाउल उलूम" जिल्द पन्जुम का मुतालआ बहुत मुफीद है।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 249 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 306
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❝ महब्बते इलाही ❞
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*⚘ महब्बते इलाही पैदा करने के तरीके और अस्बाब ⚘*
╭┈► *❻ अल्लाह अज़्ज़वजल की नेमतों में गौर कीजिये :* इन्सान देखे कि अल्लाह अज़्ज़वजल जो मुनइमे हकीकी है तमाम ने'मतें उसी की तरफ से हैं और वोह हर मख्लूक को अपनी नेमतों से नवाज़ रहा है येह एहसास इन्सान के अन्दर मुनइमे हक़ीक़ी की महब्बत का जज्बा पैदा करता है।
╭┈► *❼ अल्लाह अज़्ज़वजल के अद्ल और फज़्लो रहमत में गौर कीजिये :* इन्सान गौर करे तो उसे अद्लो इन्साफ में सब से बढ़ कर जात अल्लाह अज़्ज़वजल ही की दिखाई देगी और वोह येह भी देखेगा कि काफिरों और गुनाहगारों पर भी उस की रहमत जारी है बा वुजूद येह कि वोह उस की ना फ़रमानी और सरकशी करते हुए दिखाई देते हैं। येह गौरो फ़िक इन्सान को अल्लाह अज़्ज़वजल से महब्बत पर उभारेगा।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 249 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 307
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❝ महब्बते इलाही ❞
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*⚘ महब्बते इलाही पैदा करने के तरीके और अस्बाब ⚘*
╭┈► *❽ महब्बत की अलामतों में गौर कीजिये :* उलमाए किराम फ़रमाते हैं बन्दे की अल्लाह अज़्ज़वजल से महब्बत की अलामत येह है कि अल्लाह अज़्ज़वजल जिस से महब्बत करता है बन्दा उसे अपनी महबूब तरीन चीज़ पर तरजीह देता है और ब कसरत उस का ज़िक्र करता है, इस में कोताही नहीं करता और किसी दूसरे काम में मश्गूल होने के बजाए बन्दे को तन्हाई और अल्लाह अज़्ज़वजल से मुनाजात करना ज़ियादा महबूब होता है।
╭┈► *❾ अल्लाह अज़्ज़वजल के नेक बन्दों की सोहबत और उन से महब्बत :* नेक बन्दों की सोहबत और उन से महब्बत भी अल्लाह अज़्ज़वजल से महब्बत करने का एक जरीआ है कि नेक बन्दे अल्लाह अज़्ज़वजल की महब्बत का दर्स देते हैं और उन की सोहबत से दिलों में अल्लाह अज़्ज़वजल की महब्बत पैदा होती है।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 250 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 308
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❝ रिजाए इलाही ❞
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╭┈► *रिजाए इलाही की तारीफ :* अल्लाह अज़्ज़वजल की रिज़ा चाहना रिजाए इलाही है।
╭┈► *आयते मुबारका :* अल्लाह अज़्ज़वजल कुरआने पाक में इरशाद फ़रमाता *तर्जमए कन्जुल ईमान :* और ईमान वालों को अल्लाह के बराबर किसी की महब्बत नहीं।
👆🏻 इस आयते मुबारका के तहत तफ़्सीरे "सिरातुल जिनान" में है
╭┈► अल्लाह तआला के मक्बूल बन्दे तमाम मख्लूकात से बढ़ कर अल्लाह तआला से महब्बत करते हैं महब्बते इलाही में जीना और महब्बते इलाही में मरना उन की हक़ीकी ज़िन्दगी होता है अपनी खुशी पर अपने रब की रिज़ा को तरजीह देना, नर्म व गुदाज़ बिस्तरों को छोड़ कर बारगाहे नियाज़ में सर ब सुजूद होना, यादे इलाही में रोना, रिज़ाए इलाही के हुसूल के लिये तड़पना, सर्दियों की तवील रातों में कियाम और गर्मियों के लम्बे दिनों में रोजे, अल्लाह तआला के लिये महब्बत करना, उसी की ख़ातिर दुश्मनी रखना, उसी की खातिर किसी को कुछ देना और उसी की खातिर किसी से रोक लेना, ने'मत पर शुक्र, मुसीबत में सब्र, हर हाल में खुदा पर तवक्कुल, अपने हर मुआमले को अल्लाह तआला के सिपुर्द कर देना, अहकामे इलाही पर अमल के लिये हमा वक्त तय्यार रहना, दिल को गैर की महब्बत से पाक रखना, अल्लाह तआला के महबूबों से महब्बत और अल्लाह तआला के दुश्मनों से नफरत करना, अल्लाह तआला के प्यारों का नियाज़ मन्द रहना, अल्लाह तआला के सब से प्यारे रसूल व महबूब ﷺ को दिलो जान से महबूब रखना, अल्लाह तआला के कलाम की तिलावत, अल्लाह तआला के मुकर्रब बन्दों को अपने दिलों के करीब रखना, उन से महब्बत रखना, महब्बते इलाही में इजाफे के लिये उन की सोहबत इख्तियार करना, अल्लाह तआला की ता'ज़ीम समझते हुए उन की ताजीम करना, येह तमाम उमूर और उन के इलावा सेंकड़ों काम ऐसे हैं जो महब्बते इलाही की दलील भी हैं और उस के तकाजे भी हैं।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 250 📚*
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❝ रिजाए इलाही ❞
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╭┈► *हदीसे मुबारका :* जन्न्तत में भी रिजाए इलाही का सुवाल हज़रते सय्यिदुना जाबिर रादिअल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है कि रसूले अकरम, शाहे बनी आदम ﷺ ने इरशाद फरमाया अल्लाह अज़्ज़वजल जन्नतियों पर तजल्ली फ़रमाएगा और उन से कहेगा मुझ से मांगो जन्नती कहेंगे इलाही हम तुझ से तेरी रिज़ा का सुवाल करते हैं।
╭┈► एक हदीसे पाक में है कि रसूले पाक ﷺ ने इरशाद फ़रमाया ऐ गुरौहे फुकरा दिल की गहराइयों से अल्लाह अज़्ज़वजल से राज़ी रहोगे तो अपने फ़क्र का सवाब पाओगे वरना नहीं।
╭┈► *रिजाए इलाही का हुकम :* हर मुसलमान पर लाज़िम है कि वोह अल्लाह अज़्ज़वजल की रिज़ा वाले काम करे और उस की नाराजी वाले कामों से बचे।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 251 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 310
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❝ रिजाए इलाही ❞
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*⚘ हिकायत, रिजाए इलाही पर राजी ⚘*
╭┈► हज़रते सय्यिदुना सा'द बिन अबी वकास रादिअल्लाहु तआला अन्हु मुस्तजाबुद्दा'वात थे (या'नी जो दुआ करते कबूल होती) एक बार मक्कए मुकर्रमा तशरीफ़ लाए और उस वक़्त आप रादिअल्लाहु तआला अन्हु नाबीना थे लोग दौड़ते हुए आप के पास हाज़िर हुए और हर एक आप से दुआ की दरख्वास्त करता और आप सभी के लिये दुआ करते हज़रते सय्यिदुना अब्दुल्लाह बिन साइब रादिअल्लाहु तआला अन्हु फ़रमाते हैं मैं आप रादिअल्लाहु तआला अन्हु की खिदमत में हाजिर हुवा, उस वक्त नौ उम्र था मैं ने उन से अपना तआरुफ़ कराया तो वोह मुझे पहचान गए और फ़रमाया तुम मक्का वालों के कारी हो मैं ने अर्ज की जी हां फिर कुछ और बातें हुई, आखिर में मैं ने उन से अर्ज की चचाजान ! आप लोगों के लिये दुआ करते हैं अपने लिये भी दुआ करें ताकि अल्लाह अज़्ज़वजल आप की बीनाई लौटा दे तो वोह मुस्कुरा दिये और इरशाद फ़रमाया बेटा मेरे नज़दीक रब तआला की रिज़ा मेरी बीनाई से ज़ियादा अच्छी है।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 252 📚*
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❝ रिजाए इलाही ❞
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*⚘ अपने अमल में रिजाए इलाही चाहने के चार तरीके ⚘*
╭┈► *❶ रिजाए इलाही चाहने के लिये इस के फवाइद और फ़ज़ाइल में गौर कीजिये :* सरकारे वाला तबार, बे कसों के मददगार ﷺ का फ़रमाने आलीशान है सुन लो अल्लाह अज़्ज़वजल के औलिया वोह लोग हैं जो उन पांच नमाजों को काइम करते हैं जिन्हें उस ने अपने बन्दों पर फ़र्ज़ फ़रमाया है और रमज़ान के रोजे ख़ालिस रिज़ाए इलाही के लिये रखते हैं और अल्लाह तआला की रिज़ा के लिये अपने माल की ज़कात खुश दिली से अदा करते हैं और उन कबीरा गुनाहों से बचते हैं जिन के इरतिकाब से अल्लाह तआला ने मन्अ फ़रमाया है।
╭┈► *❷ रिजाए इलाही चाहने के लिये बुज़ुर्गाने दीन के अक्वाल व अहवाल का मुतालआ कीजिये :* इस के लिये इमाम अबू तालिब मक्की रहमतुल्लाहि तआला अलैह की किताब "कूतुल कुलूब" और इमाम मुहम्मद बिन मुहम्मद गज़ाली रहमतुल्लाहि तआला अलैह की किताब "इहयाउल उलूम" का मुतालआ बहुत मुफीद है।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 252 📚*
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❝रिजाए इलाही ❞
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*⚘ अपने अमल में रिजाए इलाही चाहने के चार तरीके ⚘*
╭┈► *❸ इख्लास के साथ नेक आ'माल कीजिये :* रियाकारी से बचते हुए इख्लास के साथ नेक आ'माल करना रिज़ाए इलाही चाहने वालों के लिये बेहतरीन जरीआ है कि अल्लाह अज़्ज़वजल इख्लास के साथ किये जाने वाले अमल को पसन्द फ़रमाता है और ऐसे अमल करने पर अपने बन्दे से राजी होता है।
╭┈► *❹ रब की ना फ़रमानी और गुनाहों से बचिये :* अपने अमल से रिजाए इलाही चाहने के लिये अल्लाह अज़्ज़वजल की ना फरमानी और गुनाहों से बचना इन्तिहाई ज़रूरी है कि अल्लाह अज़्ज़वजल की ना फ़रमानी के होते हुए उस की रिज़ा कैसे मुमकिन है!?..✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 253 📚*
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❝ शौके इबादत ❞
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╭┈► *शौके इबादत की तारीफ :* सुस्ती को तर्क कर के शौक़ और चुस्ती के साथ अल्लाह अज़्ज़वजल की इबादत करना शौके इबादत है।
╭┈► *आयते मुबारका :* अल्लाह अज़्ज़वजल कुरआने पाक में इरशाद फ़रमाता है *तर्जमए कन्जुल ईमान :* हम अपने रब की तरफ रग़वत लाते हैं।
╭┈► *हदीसे मुबारका :* उमूरे दुन्या रब तआला के जिम्मए करम पर, हदीसे कुदसी में है कि अल्लाह अज़्ज़वजल इरशाद फ़रमाता है जब मैं बन्दे के दिल में अपनी इबादत का शौक देखता हूं तो उस के उमूरे दुन्या को अपने ज़िम्मए करम पर ले लेता हूं।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 253 📚*
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❝ शौके इबादत ❞
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╭┈► *शौके इबादत पर तम्बीह :* हर मुसलमान को चाहिये कि वोह इबादत में सुस्ती को तर्क कर के शौक़ और चुस्ती के साथ अल्लाह अज़्ज़वजल की इबादत करे।
╭┈► *हिकायत, इबादते इलाही के शौक में तकलीफ का एहसास न हुवा :* एक बुजुर्ग के जिस्म का कोई हिस्सा गल गया और उसे काटने की ज़रूरत महसूस हुई लेकिन मुमकिन न था तो कहा गया कि कुछ भी हो जाए नमाज़ में मश्गूलिय्यत के वइक्त उन्हें इबादते इलाही के शौक़ की वज्ह से किसी चीज़ का एहसास नहीं होता। चुनान्चे, नमाज़ की हालत में उन के बदन का वोह हिस्सा काट दिया गया।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 254 📚*
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❝ शौके इबादत ❞
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*⚘ शौके इबादत का जेहन बनाने और शौक़ पैदा करने के सात तरीके ⚘*
╭┈► *❶ नेक आ'माल की मा'लूमात हासिल कीजिये :* जब तक बन्दे को नेक आ'माल का इल्म नहीं होगा उस वक़्त तक उसे उन आ'माल को बजा लाने का शौको ज़ौक़ और जज्बा हासिल नहीं हो सकता इस के लिये मक्तबतुल मदीना की मतबूआ किताब "जन्नत में ले जाने वाले आ'माल" का मुतालआ कीजिये।
╭┈► *❷ नेकियों की जज़ाओं और गुनाहों की सज़ाओं पर गौर भी कीजिये :* नेकियों की जज़ाओं और गुनाहों की सज़ाओं पर गौर करने से नेकियों की तरफ रगबत और गुनाहों से नफ़रत का जेहन बनेगा, शौके इबादत हासिल होगा। इस के लिये मक्तबतुल मदीना की मतबूआ किताब "नेकियों की जज़ाएं और गुनाहों की सज़ाएं" का मुतालआ बहुत मुफीद है।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 254 📚*
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❝ शौके इबादत ❞
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*⚘ शौके इबादत का जेहन बनाने और शौक़ पैदा करने के सात तरीके ⚘*
╭┈► *❸ शौके इबादत से मुतअल्लिक बुजुर्गाने दीन के वाकिआत का मुतालआ कीजिये :* इस से भी शौके इबादत का मदनी जेहन बनेगा। इस के लिये मक्तबतुल मदीना की मतबूआ इन कुतुब का मुतालआ बहुत मुफीद है :हिकायतें और नसीहतें, खौफे खुदा, तौबा की रिवायात व हिकायात।
╭┈► *❹ आसान नेकियों की मा'लूमात हासिल कीजिये :* आसान नेकियां भी शौके इबादत पैदा करने में बहुत मुआविन हैं, आसान नेकियों की मालूमात के लिये मक्तबतुल मदीना की मतबूआ किताब “आसान नेकियां "का मुतालआ कीजिये।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 255 📚*
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❝ शौके इबादत ❞
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*⚘ शौके इबादत का जेहन बनाने और शौक़ पैदा करने के सात तरीके ⚘*
╭┈► *❺ शौके इबादत के हुसूल की बारगाहे इलाही में दुआ कीजिये :* दुआ मोमिन का हथियार है, शौके इबादत के हुसूल के लिये यूं दुआ कीजिये : या इलाही मैं तेरी रिज़ा के लिये नेक बन्दा बनना चाहता हूं, तू अपनी इबादत का मुझे शौक और जौक अता फरमा, अपनी इबादत में मेरा दिल लगा दें, तुझे तेरे उन नेक बन्दों का वासिता जो जोक और शौक़ के साथ हर वक़्त तेरी इबादत में मश्गूल रहते हैं मुझे भी शौके इबादत अता कर दे।...✍🏻 *आमीन*
*दे शोके तिलावत दे जौके इबादत*
*रहूं बा वुजू मैं सदा या इलाही*
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 255 📚*
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❝ शौके इबादत ❞
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*⚘ शौके इबादत का जेहन बनाने और शौक़ पैदा करने के सात तरीके ⚘*
╭┈► *❻ अपने आप को बातिनी अमराज़ से बचाइये :* बातिनी अमराज़ अहकामे इलाही पर अमल करने में सब से बड़ी रुकावट हैं, जो शख्स बातिनी अमराज़ का शिकार हो जाता है उस के दिल से इबादत की लज्ज़त और शौक़ ख़त्म हो जाता है बातिनी अमराज की मालूमात , अस्बाब व इलाज की तफ्सील के लिये मक्तवतुल मदीना की मतबूआ किताब "बातिनी बीमारियों की मालूमात" का मुतालआ कीजिये।
╭┈► *❼ अपने आप को बुरी सोहबत से बचाइये :* बन्दा जब बुरी सोहबत इख्तियार करता है तो उस की नुहसत से इबादत की लज्जत ख़त्म हो जाती है क्यूंकि अच्छों की सोहबत अच्छा और बुरों की सोहबत बुरा बना देती है, लिहाज़ा बुरे लोगों की सोहबत से बचिये और नेक लोगों की सोहबत इख्तियार कीजिये।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 256 📚*
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❝ग़ना, (लोगों से बे नियाजी) ❞
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╭┈► *ग़ना की तारीफ :* जो कुछ लोगों के पास है उस से ना उम्मीद होना ग़ना है।
╭┈► *आयते मुबारका :* अल्लाह अज़्ज़वजल कुरआने पाक में फ़रमाता है *तर्जमए कन्जुल ईमान :* और येह कि उस ने ग़ना दी और कनाअत दी।
╭┈► *हदीसे मुबारका :* मुख़्तसर सी नसीहत हज़रते सय्यिदुना अबू अय्यूब अन्सारी रादिअल्लाहु तआला अन्हु बयान करते हैं कि एक देहाती बारगाहे रिसालत में हाज़िर हुवा और अर्ज़ की या रसूलल्लाह ﷺ मुझे एक मुख़्तसर सी नसीहत फ़रमाइये इरशाद फ़रमाया जब तुम नमाज़ पढ़ो तो ज़िन्दगी की आखिरी नमाज़ समझ कर पढ़ो और हरगिज़ ऐसी बात न करो जिस से तुम्हें कल मा'ज़िरत करनी पड़े और लोगों के पास जो कुछ है उस से मुकम्मल ना उम्मीद हो जाओ।
╭┈► *ग़ना के बारे में तम्बीह :* मुसलमान को चाहिये कि वोह दुन्या की जलील दौलत से ग़ना या'नी बे नियाज़ी बरते और कनाअत इख्तियार करे।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 257 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 320
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❝ ग़ना, (लोगों से बे नियाजी)❞
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*⚘ गना पैदा करने और इस का जेहन बनाने के तरीके ⚘*
╭┈► *❶ ग़ना के फ़ज़ाइल का मुतालआ कीजिये :* गना के मुतअल्लिक तीन फ़रामीने मुस्तफ़ा ﷺ
╭┈► 1. अमीरी ज़ियादा मालो अस्बाब से नहीं बल्कि अमीरी दिल की गना से है।
╭┈► 2. हज़रते सय्यिदुना अबू ज़र गिफ़ारी रादिअल्लाहु तआला अन्हु बयान करते हैं कि मुझ से रसूलुल्लाह ﷺ इरशाद फ़रमाया ऐ अबू ज़र क्या तुम कसरते माल को गना समझते हो मैं ने अर्ज की जी हां ! या रसूलल्लाह, आप ﷺ ने फ़रमाया क्या तुम माल की कमी को फ़क़ समझते हो मैं ने अर्ज की जी हां ! या रसूलल्लाह ! आप ﷺ ने फ़रमाया अस्ल ग़ना तो दिल की तवंगरी है।
╭┈► 3. अल्लाह अज़्ज़वजल जिस के साथ भलाई का इरादा फ़रमाता है तो उस के नफ्स में गना और उस के दिल में तक्वा डाल देता है।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 260 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 321
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❝ग़ना, (लोगों से बे नियाजी) ❞
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*⚘ गना पैदा करने और इस का जेहन बनाने के तरीके ⚘*
╭┈► *❷ गना से मुतअल्लिक बुजुर्गाने दीन के अक्वाल व अहवाल पर गौर कीजिये :* इस के लिये इमाम अबू तालिब मक्की रहमतुल्लाहि तआला अलैह की किताब "कूतुल कुलूब" और इमाम मुहम्मद बिन मुहम्मद गज़ाली रहमतुल्लाहि तआला अलैह की किताब " इहयाउल उलूम " और इमाम अबुल कासिम कुशैरी रहमतुल्लाहि तआला अलैह की किताब " रिसालए कुशैरिय्या " का मुतालआ बहुत मुफीद है।
╭┈► *❸ अल्लाह पर कामिल यक़ीन रखिये :* दुन्या और आख़िरत में कामयाबी का बुन्यादी उसूल अल्लाह अज़्ज़वजल पर कामिल यकीन रखना है क्यूंकि बे यक़ीनी का एक लम्हा कामयाबी के हुसूल के लिये कई सालों की जाने वाली मेहनत पर पानी फेर देता है जब कि जो अल्लाह पर कामिल और पुख्ता यकीन रखता है वोह दूसरों से बे नियाज़ रहता है और येह यक़ीन इस में गना का जज्बा बेदार करने में बेहद मुआविन साबित होता है।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 260 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 322
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❝ग़ना, (लोगों से बे नियाजी) ❞
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*⚘ ग़ना पैदा करने और इस का जेहन बनाने के तरीके ⚘*
╭┈► *❹ ग़ना की दुआ कीजिये :* दुआ मोमिन का हथियार और इबादत का मग़्ज़ है यूं दुआ कीजिये या रब्बे करीम हुजूर नबिये पाक ﷺ की मुबारक गना के सदके मुझे भी ग़ना की दौलत अता फ़रमा। आमीन
╭┈► *❺ जोहदो कनाअत इख्तियार कीजिये :* जोहद दुन्या से बे रगबती दिलाता है जब कि कनाअत थोड़े पर राजी होने पर उभारता है और येह दोनों चीजें ग़ना पर मुआविन साबित होती हैं कि आदमी जोनदो क़नाअत इख़्तियार कर के दूसरों से बे नियाज़ हो जाता है और थोड़े पर राज़ी रह कर दुन्या से कनारा कशी इख्तियार कर लेता है यूं वोह जोहदो कनाअत के साथ ग़ना की दौलत भी समेट लेता है।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 261 📚*
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❝ ग़ना, (लोगों से बे नियाजी)❞
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*⚘ ग़ना पैदा करने और इस का जेहन बनाने के तरीके ⚘*
╭┈► *❻ ग़ना इख्तियार करने वालों की सोहबत इख्तियार कीजिये :* कि जिस तरह बुरी सोहबत असर दिखाती है यूं ही अच्छी सोहबत भी असर दिखाती है कि आदमी जब अच्छी सोहबत में रहता है तो उसे भी अच्छे काम करने का जज़्बा मिलता है और वोह अच्छाई का रास्ता इख्तियार करने लगता है।
╭┈► *❼ मालो दौलत की हिर्स को ख़त्म कीजिये :* मालो दौलत की हिर्स को ख़त्म कीजिये कि येह इन्सान के लिये बहुत ही खतरनाक है अगर इस की रोक थाम न की जाए तो बसा अवकात येह दुन्यवी बरबादियों के साथ साथ उख़रवी हलाकतों की तरफ़ भी ले जाती है और उसे ख़त्म कर के ही गना की दौलत हासिल हो सकती है।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 262 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 324
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❝ ग़ना, (लोगों से बे नियाजी)❞
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*⚘ ग़ना पैदा करने और इस का जेहन बनाने के तरीके ⚘*
╭┈► *❽ ग़ना के फवाइद पर नज़र कीजिये :* जिस शख्स की नज़र लोगों के मालो अस्वाब पर नहीं होती और वोह लोगों से बे नियाज़ होता है तो लोग ऐसे शख्स को पसन्द करते हैं और उस के इस्तिगना को अच्छी नज़र से देखते हैं, गना की दौलत इख्तियार करने वाला मालो दौलत की हिर्स से दूर हो जाता है और खुश दिली के साथ अल्लाह की इबादत करता है, ग़ना इख्तियार करने वाला ब आसानी अल्लाह अज़्ज़वजल की इबादत करता है और फुजूल कामों से इजतिनाव करता है, गना के सबब आदमी में खुद ए'तिमादी पैदा होती है, गना के बाइस आदमी दूसरों पर भरोसा करना छोड़ कर सिर्फ अल्लाह अज़्ज़वजल पर भरोसा करने लगता है, गना के सबब जोहदो कनाअत की दौलत भी नसीब होती है, ग़ना की वजह से आदमी बुख़्ल से दूर हो जाता है, गना के सबब सखावत की दौलत नसीब होती है।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 262 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 325
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❝ क़बूले हक़ ❞
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╭┈► *क़बूले हक़ की तारीफ :* बातिल पर न अड़ना और हक़ बात मान लेना क़बूले हक़ है।
╭┈► *आयते मुबारका :* अल्लाह अज़्ज़वजल कुरआने पाक में फ़रमाता है
╭┈► *तर्जमए कन्जुल ईमान :* बेशक हम ने उसे राह बताई या हक़ मानता या नाशुक्री करता।
╭┈► *(हदीसे मुबारका) क़बूले हक पर मजबूर करना :* हज़रते सय्यिदुना अब्दुल्लाह बिन मसऊद रादिअल्लाहु तआला अन्हु बयान करते हैं कि हुज़ूर नबिये करीम ﷺ ने इरशाद फ़रमाया अल्लाह अज़्ज़वजल की कसम तुम ज़रूर नेकी की दावत देते रहना और बुराई से मन्अ करते रहना। ज़ालिम का हाथ पकड़ कर उसे हक की तरफ झुका देना और हक़ बात कबूल करने पर उसे मजबूर कर देना।
╭┈► एक और रिवायत में है कि हज़रते सय्यिदुना अबू दरदा रादिअल्लाहु तआला अन्हु इरशाद फ़रमाते हैं जब तक तुम नेक लोगों से महब्बत रखोगे भलाई पर रहोगे और तुम्हारे बारे में जब कोई हक़ बात बयान की जाए तो उसे मान लिया करो कि हक़ को पहचानने वाला उस पर अमल करने वाले की तरह होता है।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 263 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 326
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❝क़बूले हक़ ❞
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╭┈► *कबूले हक के बारे में तम्बीह :* हर मुसलमान को चाहिये कि वोह हक बात कबूल करे कि हक बात मालूम होने के बा वुजूद अनानिय्यत की वज्ह से उसे कबूल न करना फ़िरऔनियों का तरीका है। चुनान्चे, कुरआने पाक में फ़िरऔनियों के मुतअल्लिक है :
*तर्जमए कन्जुल ईमान :* तो जब उन के पास हमारी तरफ़ से हक़ आया बोले येह तो ज़रूर खुला जादू है।
╭┈► इस आयते मुबारका के तहत तफ्सीरे "सिरातुल जिनान" में है इस आयत से मालूम हुवा कि हक बात मालूम हो जाने के बाद नफ्सानिय्यत की वज्ह से उसे कबूल न करना और उस के बारे में ऐसी बातें करना जो दूसरों के दिलों में हक़ बात के बारे में शुकूक व शुबहात पैदा कर दें फ़िरऔनियों का तरीका है, इस से उन लोगों को नसीहत हासिल करनी चाहिये जो हक जान लेने के बा वुजूद सिर्फ अपनी ज़िद और अना की वज्ह से उसे कबूल नहीं करते और उस के बारे में दूसरों से ऐसी बातें करते हैं जिन से यूं लगता है कि उन का अमल दुरुस्त है और हक़ बयान करने वाला अपनी बात में सच्चा नहीं है।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 264 📚*
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❝ क़बूले हक़ ❞
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*⚘ हिकायत, कबूले हक की आला तरीन मिसाल ⚘*
╭┈► हज़रते सय्यिदुना अब्दुल्लाह बिन मुस्अब रादिअल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि एक बार अमीरुल मोमिनीन हज़रते सय्यिदुना उमर फारूके आज़म रादिअल्लाहु तआला अन्हु ने इरशाद फ़रमाया औरतों का हक्के महर चालीस ऊकिया से ज़ियादा न करो जो ज़ियादा होगा उसे बैतुल माल में जम्अ कर दिया जाएगा एक औरत बोली ऐ अमीरुल मोमिनीन ! येह आप क्या फ़रमा रहे हैं हालांकि कुरआने पाक में तो अल्लाह यूं इरशाद फ़रमाता है : और तुम एक बीबी के बदले दूसरी बदलना चाहो और उसे ढेरों माल दे चुके हो तो उस में से कुछ वापस न लो।" येह सुन कर आप रादिअल्लाहु तआला अन्हु ने कबूले हक़ का मुजाहरा करते हुए इरशाद फ़रमाया एक औरत ने सहीह कहा और मर्द ने ख़ता की।
*काश हम सीरते फारूकी पर अमल करने वाले बन जाएं !*
╭┈► *इस्लामी भाइयो !* काश ! हम भी सीरते फ़ारूक़ी पर अमल करने वाले बन जाएं, अगर कोई हमारी बात से दुरुस्त इख़्तिलाफ़ करे तो फ़ौरन कबूल कर लें।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 264 📚*
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❝क़बूले हक़ ❞
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*⚘ क़बूले हक़ का जेहन बनाने और इस की रुकावट को दूर करने के तरीके ⚘*
╭┈► *❶ क़बूले हक के फवाइद पर नज़र कीजिये :* हक बात क़बूल करने वाले को लोग पसन्द करते हैं हक़ बात क़बूल करने वाला तकब्बुर से दूर होता है क्यूंकि किसी को खुद से हकीर समझना और हक़ बात कबूल न करना तकब्बुर है। क़बूले हक आजिज़ी की अलामत है क़बूले हक़ सालिहीन और नेक लोगों का तरीका है, कबूले हक के सबब आदमी फुजूल बहसो मुबाहसा से बच जाता है, हक बात क़बूल करने वाले की लोगों में कद्रो मन्ज़िलत बढ़ जाती है के हक बात क़बूल करने वाला झगड़े से बचा रहता है, क़बूल हक के सबब आदमी इनादे हक और इसरारे बातिल से बच जाता है।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 265 📚*
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❝ क़बूले हक़ ❞
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*⚘ क़बूले हक़ का जेहन बनाने और इस की रुकावट को दूर करने के तरीके ⚘*
╭┈► *❷ हक़ बात कबूल न करने के नुक्सानात में गौर कीजिये :* हक़ बात कबूल न करने वाले को लोग हक की तल्कीन करने से रुक जाते हैं हक़ बात कबूल न करने वालों को लोग ना पसन्द करते हैं, हक़ बात कबूल न करने वाला इसरारे बातिल और इनादे हक में मुब्तला हो जाता है, हक़ बात कबूल न करने वाला तकब्बुर में पड़ जाता है, हक़ बात न मानने वाला झगड़े से नहीं बच पाता, हक़ बात कबूल न करने वाला फुजूल बहूसो मुबाहसा में मुब्तला हो जाता है, हक बात न मानने वाले को लोगों की नज़रों में जलील होना पड़ता है।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 266 📚*
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❝ क़बूले हक़ ❞
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*⚘ क़बूले हक़ का जेहन बनाने और इस की रुकावट को दूर करने के तरीके ⚘*
╭┈► *❸ क़बूले हक के मुतअल्लिक बुजुर्गाने दीन के अक्वाल व अहवाल का मुतालआ कीजिये :* क़बूले हक़ के मुतअल्लिक दो फ़रामीने बुजुर्गाने दीन : हज़रते सय्यिदुना जुनून मिस्री रहमतुल्लाहि तआला अलैह फ़रमाते हैं तीन चीजें आजिज़ी की अलामत हैं
╭┈► 1). नफ़्स का ऐब पहचान कर उसे छोटा समझना
╭┈► 2). इस्लाम की हुरमत के सबब लोगों की ता'जीम करना और
╭┈► 3). हर एक से एक बात और नसीहत को कबूल करना।
╭┈► हज़रते सय्यदुना फुजेल बिन इयाज़ रहमतुल्लाहि तआला अलैह फ़रमाते हैं आजिज़ी येह है कि तुम हक़ के आगे झुक जाओ और उस की पैरवी करो और अगर तुम सब से बड़े जाहिल से भी हक़ बात सुनो तो उसे भी क़बूल कर लो।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 266 📚*
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❝क़बूले हक़ ❞
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*⚘ क़बूले हक़ का जेहन बनाने और इस की रुकावट को दूर करने के तरीके ⚘*
╭┈► *❹ सालिहीन और हक़ क़बूल करने वालों की सोहबत इख्तियार कीजिये :* सालिहीन और हक़ क़बूल करने वालों की सोहबत की बरकत से क़बूले हक़ का जज्बा मिलेगा और बातिल पर इसरार से आदमी बच जाएगा।
╭┈► *❺ जाती मफ़ादात को बालाए ताक रखिये :* जब बन्दा येह महसूस करता है कि हक की ताईद करने से जाती मफ़ादात खतरे में पड़ जाएंगे जब कि गलत काम पर अड़े रहने से मेरी ज़ात को ख़ातिर ख्वाह फ़ाएदा होगा तो वोह हक़ बात को क़बूल करने से रुक जाता है लिहाज़ा क़बूले हक़ के लिये ज़रूरी है कि ज़ाती मफ़ादात को बालाए ताक रखा जाए।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 267 📚*
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❝क़बूले हक़ ❞
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*⚘ क़बूले हक़ का जेहन बनाने और इस की रुकावट को दूर करने के तरीके ⚘*
╭┈► *❻ तकब्बुर को ख़त्म कीजिये :* कबूले हक़ में एक बड़ी रुकावट तकब्बुर है कि मुतकब्बिर इन्सान हक़ बात को जान कर भी उसे कबूल करने से कतराता है और उसे अपनी बे इज्ज़ती जानता है लिहाज़ा कबूले हक़ के लिये ज़रूरी है कि तकब्बुर को खत्म किया जाए।
╭┈► *❼ खुद पसन्दी को ख़त्म कीजिये :* जो अपनी राए या मशवरे को हतमी और ना काबिले रद समझते हैं बाज़ अवकात हक़ बात की ताईद करना उन के लिये मुश्किल हो जाता है और वोह उसे अपनी अना का मस्अला बना कर हक़ बात की मुखालफ़त शुरू कर देते हैं लिहाज़ा क़बूले हक के लिये ज़रूरी है कि खुद पसन्दी को ख़त्म किया जाए।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 267 📚*
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❝क़बूले हक़ ❞
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*⚘ क़बूले हक़ का जेहन बनाने और इस की रुकावट को दूर करने के तरीके ⚘*
╭┈► *❽ हुब्बे जाह और तलबे शोहरत को ख़त्म कीजिये :* कभी ऐसा भी होता है कि किसी बात का हक होना रोजे रोशन की तरह वाजेह होता है लेकिन इस के बा वुजूद मुखालफ़त में अपना बातिल और गलत मौकिफ़ पेश किया जा रहा होता है जिस का सबब हुब्बे जाह और शोहरत का हुसूल होता है लिहाज़ा कबूले हक़ के लिये हुब्बे जाह और तलबे शोहरत को ख़त्म करना ज़रूरी है।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 267 📚*
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❝माल से बे रग़बती ❞
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╭┈► *माल से बे रग़बती की तारीफ :* माल से महब्बत न रखना और उस की तरफ़ रग़बत न करना माल से बे रग़बती कहलाता है
╭┈► *माल से बे रग़बती का कमाल :* दरजा हुज्जतुल इस्लाम हज़रते सय्यिदुना इमाम मुहम्मद बिन मुहम्मद गज़ाली रहमतुल्लाहि तआला अलैह फ़रमाते हैं माल से बे रग़बती का कमाल दरजा येह है कि बन्दे के नज़दीक माल और पानी बराबर हों, ज़ाहिर है कि कसीर पानी का इन्सान के नज़दीक होना उसे नुक्सान नहीं देता जैसा कि साहिले समुन्दर पर रहने वाला शख्स और न ही पानी का कम होना ज़रर देता है जब कि ब क़दरे ज़रूरत पानी दस्तयाब हो पानी एक ऐसी चीज़ है जिस की इन्सान को ज़रूरत होती है इन्सान का दिल न तो कसीर पानी से नफ़रत करता है और न ही राहे फ़रार इख़्तियार करता है बल्कि वोह कहता है कि मैं उस से अपनी हाजत के मुताबिक़ पियूँगा, अल्लाह अज़्ज़वजल के बन्दों को पिलाऊंगा और उस में बुख़्ल नहीं करूंगा इन्सान के नज़दीक माल की हालत भी येही होनी चाहिये कि इस के होने न होने से उसे कोई फर्क न पड़े।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 268 📚*
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❝ माल से बे रग़बती❞
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╭┈► *आयते मुबारका :* अल्लाह अज़्ज़वजल कुरआने मजीद फुरकाने हमीद में इरशाद फ़रमाता
*तर्जमए कन्जुल ईमान :* हां ! हां ! अगर यक़ीन का जानना जानते तो माल की महब्बत न रखते।
╭┈► *अहदीसे मुबारका :* मौत ना पसन्द क्यूं ? एक शख्स ने बारगाहे रिसालत में अर्ज की या रसूलल्लाह ﷺ मुझे क्या हो गया है कि मैं मौत को पसन्द नहीं करता आप ﷺ ने इरशाद फ़रमाया क्या तुम्हारे पास माल है उस ने कहा जी हां फ़रमाया अपना माल आगे भेज दो (या'नी आखिरत के लिये सदका करो), क्यूंकि मोमिन का दिल अपने माल के साथ होता है अगर उस ने उसे आगे भेज दिया तो उस से मिलना चाहता है और अगर पीछे छोड़ दे तो उस के साथ पीछे रहना चाहता है।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 269 📚*
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❝माल से बे रग़बती ❞
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*⚘ माल से बे रग़बती के मुतअल्लिक तम्बीह ⚘*
╭┈► हज़रते सय्यिदुना इमाम मुहम्मद बिन मुहम्मद गज़ाली रहमतुल्लाहि तआला अलैह फ़रमाते हैं जिस कदर माल की ज़रूरत होती है इस का हुसूल ममनूअ नहीं माल ज़रूरत से ज़ियादा हो तो ज़हरे कातिल है जब कि ज़रूरत की मिक्दार हो तो नफ्अ बख्श दवा है और उन दोनों के दरमियान मुख्तलिफ़ दरजात हैं जिन के बारे में शुबहात हैं माल की वोह मिक्दार जो ज़रूरत से ज़ाइद के करीब हो वोह अगर्चे जहरे कातिल न हो लेकिन नुक्सान देह है और जो मिक्दार ज़रूरत के क़रीब हो वोह अगर नफ्अ मन्द दवा न भी हो तो कम नुक्सान देह है जहर का पीना हराम और दवा का इस्ति'माल ज़रूरी है।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 269 📚*
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❝माल से बे रग़बती ❞
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*⚘ हिकायत, अमीनुल उम्मह और हज़रते मुआज की याल से बे रग़बती ⚘*
╭┈► एक मरतबा अमीरुल मोमिनीन हज़रते सय्यिदुना उमर फारूके आ'जम रादिअल्लाहु तआला अन्हु ने एक थैली में चार सो दीनार डाल कर गुलाम को दिये और फ़रमाया इन्हें हज़रते अबू उबैदा बिन जर्राह रादिअल्लाहु तआला अन्हु के पास ले जाओ फिर कुछ देर वहां ठहरना और देखना कि वोह इन्हें कहां सर्फ करते हैं ? चुनान्चे गुलाम वोह थैली ले कर अमीनुल उम्मह हज़रते सय्यिदुना अबू उबैदा बिन जर्राह रादिअल्लाहु तआला अन्हु के पास हाजिर हुवा और अर्ज की अमीरुल मोमिनीन हज़रते सय्यिदुना उमर फारूके आज़म रादिअल्लाहु तआला अन्हु ने फ़रमाया है कि येह दीनार अपनी किसी ज़रूरत में इस्ति'माल कर लें। आप रादिअल्लाहु तआला अन्हु ने कहा अल्लाह अमीरुल मोमिनीन पर रहम फ़रमाए फिर अपनी लौंडी को बुलाया और फ़रमाया येह सात दीनार फुलां को, येह पांच फुलां को और येह पांच फुलां को दे आओ यहां तक कि वोह सब के सब दीनार ख़त्म कर दिये गुलाम ने अमीरुल मोमिनीन हज़रते सय्यिदुना उमर फारूक रादिअल्लाहु तआला अन्हु की खिदमत में हाजिर हो कर सारी सूरते हाल बयान कर दी।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 270 📚*
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❝माल से बे रग़बती ❞
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*⚘ हिकायत, अमीनुल उम्मह और हज़रते मुआज की याल से बे रग़बती ⚘*
╭┈► फिर अमीरुल मोमिनीन हज़रते सय्यिदुना उमर फ़ारूके आज़म रादिअल्लाहु तआला अन्हु ने इतने ही दीनार एक और थैली में डाल कर गुलाम के हवाले किये और फ़रमाया येह हज़रते मुआज बिन जबल रादिअल्लाहु तआला अन्हु के पास ले जाओ और कुछ देर वहां ठहरना और देखना कि वोह इन्हें कहां सर्फ करते हैं गुलाम ने थैली ली और हज़रते सय्यिदुना मुआज बिन जबल रादिअल्लाहु तआला अन्हु की खिदमत में हाज़िर हो कर अर्ज की अमीरुल मोमिनीन फ़रमाते हैं कि इस रकम से अपनी कोई हाजत पूरी कर लें हज़रते सय्यिदुना मुआज बिन जबल रादिअल्लाहु तआला अन्हु ने कहा अल्लाह अमीरुल मोमिनीन पर रहम फ़रमाए फिर अपनी लौंडी को बुला कर फ़रमाया इतने दिरहम फुलां के घर इतने फुलां के घर पहुंचा दो इसी असना में आप रादिअल्लाहु तआला अन्हु की जौजा को इस बात का इल्म हुवा तो अर्ज की अल्लाह अज़्ज़वजल की क़सम हम भी मिस्कीन हैं हमें भी अता फ़रमाएं उस वक़्त थैली में सिर्फ दो दीनार है बाकी बचे थे आप रादिअल्लाहु तआला अन्हु ने वोह थैली दीनारों समेत अपनी अहलिया की तरफ़ उछाल दी गुलाम अमीरुल मोमिनीन हज़रते सय्यिदुना उमर फारूक रादिअल्लाहु तआला अन्हु की बारगाह में हाज़िर हुवा और सारा वाकिआ सुनाया जिसे सुन कर आप बहुत खुश हुए।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 270 📚*
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❝माल से बे रग़बती ❞
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*⚘ माल से बे रग़बती का जेहन बनाने और इसे इख़्तियार करने के तरीके ⚘*
╭┈► *❶ माल से बे रग़बती के फ़ज़ाइल में गौर कीजिये :* हुजूर नबिये करीम ﷺ ने हज़रते सय्यिदुना बिलाल रादिअल्लाहु तआला अन्हु से इरशाद फ़रमाया अल्लाह अज़्ज़वजल से फ़कीर होने की हालत में मिलना मालदार हो कर न मिलना।
╭┈► एक हदीसे पाक में है कि जो शख्स दुन्या से बे रग़बती इख्तियार करता है अल्लाह अज़्ज़वजल उस के दिल में हिक्मत दाखिल फ़रमा कर उस की ज़बान पर जारी फ़रमा देता है उसे दुन्या की बीमारी और उस के इलाज की पहचान अता फरमाता है और उसे दुन्या से सहीह सलामत निकाल कर सलामती के घर (या'नी जन्नत की ले जाता है।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 271 📚*
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❝माल से बे रग़बती ❞
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*⚘ माल से बे रग़बती का जेहन बनाने और इसे इख़्तियार करने के तरीके ⚘*
╭┈► *❷ माल से बे रगबती के मुतअल्लिक अक्वाले बुज़ुर्गाने दीन में गौर कीजिये :* अमीरुल मोमिनीन हज़रते सय्यिदुना अलिय्युल मुर्तजा रादिअल्लाहु तआला अन्हु ने अपनी हथेली में एक दिरहम रखा फिर फ़रमाया तू जब तक मुझ से दूर नहीं होगा मुझे नफ्अ नहीं देगा।
╭┈► हज़रते सय्यिदुना हसन बसरी रहमतुल्लाहि तआला अलैह फ़रमाते हैं अल्लाह अज़्ज़वजल की कसम जो शख़्स रूपे पैसे की इज्ज़त करता है अल्लाह अज़्ज़वजल उसे जलील करता है।
╭┈► हज़रते सय्यिदुना सुमैत बिन अज्लान रादिअल्लाहु तआला अन्हु फ़रमाते हैं दिरहम और दीनार मुनाफ़िकों की लगामें हैं वोह उन के जरीए दोज़ख की तरफ़ खींचे जाएंगे।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 271 📚*
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❝ माल से बे रग़बती❞
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*⚘ माल से बे रग़बती का जेहन बनाने और इसे इख़्तियार करने के तरीके ⚘*
╭┈► *❸ माल की तरफ रग़बत करने के नुक्सानात में गौर कीजिये :* तीन फ़रामीने मुस्तफ़ा ﷺ
╭┈► 1) माल और जाह की महब्बत दिल में इस तरह निफ़ाक़ पैदा करती है जिस तरह पानी सब्जी उगाता है।
╭┈► 2) बकरियों के रेवड़ में छोड़े गए दो भूके भेड़िये इतना नुक्सान नहीं करते जितना नुक्सान जाहो मन्सब और माल की महब्बत मुसलमान आदमी के दीन में करती है।
╭┈► 3) रूपे पैसे का पुजारी मलऊन है।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 272 📚*
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❝माल से बे रग़बती ❞
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*⚘ माल से बे रग़बती का जेहन बनाने और इसे इख़्तियार करने के तरीके ⚘*
╭┈► *❹ माल से बे रग़बती के मुतअल्लिक बुजुर्गाने दीन के अहवाल का मुतालआ कीजिये :* मरवी है कि अमीरुल मोमिनीन हज़रते सय्यिदुना उमर फारूके आज़म रादिअल्लाहु तआला अन्हु ने उम्मुल मोमिनीन हुज़रते सय्यिदतुना जैनब बिन्ते जहश रादिअल्लाहु तआला अन्हा की तरफ़ अतिय्यात भेजे, आप रादिअल्लाहु तआला अन्हु ने फ़रमाया येह क्या है लाने वालों ने कहा येह हज़रते उमर बिन ख़त्ताब रादिअल्लाहु तआला अन्हु ने आप रादिअल्लाहु तआला अन्हु के लिये भेजे हैं फ़रमाया अल्लाह अज़्ज़वजल उन की मगफिरत फ़रमाए, फिर एक पर्दा खींचा और उसे फाड़ कर थैलियां बनाई और वोह तमाम माल अपने घरवालों , रिश्तेदारों और यतीमों में तक़सीम कर दिया, इस के बाद हाथ उठा कर दुआ मांगी ऐ अल्लाह अज़्ज़वजल इस साल के बाद मुझे हज़रते उमर रादिअल्लाहु तआला अन्हु का अतिय्या न पहुंचे लिहाजा रसूले अकरम ﷺ के विसाल के बाद अज़वाजे मुतहहरात में सब से पहले आप का इन्तिकाल हुवा।एक मरतबा हज़रते सय्यिदुना का'ब कुरजी रहमतुल्लाहि तआला अलैह को बहुत माल मिला तो आप से कहा गया क्या ही अच्छा हो अगर आप अपने बा'द अपनी औलाद के लिये इसे ज़खीरा कर लें ? उन्हों ने फ़रमाया नहीं बल्कि मैं इसे अपने लिये अपने रब के पास ज़ख़ीरा करूंगा और अपनी औलाद को अपने रब के सिपुर्द करूंगा।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 272 📚*
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❝माल से बे रग़बती ❞
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*⚘ माल से बे रग़बती का जेहन बनाने और इसे इख़्तियार करने के तरीके ⚘*
╭┈► *❺ माल से बे रग़बती :* हुजूर ख़ातमुन्नबिय्यीन रहूमतुल्लिल आलमीन ﷺ का तरीका है हज़रते सय्यिदुना अबू उमामा रादिअल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है कि रसूलुल्लाह ﷺ ने इरशाद फ़रमाया मुझे मेरे रब ने इस बात की पेशकश की, कि वोह मेरे लिये वादिये मक्का को सोने का बना दे लेकिन मैं ने अर्ज़ की ऐ मेरे रब अज़्ज़वजल मैं तो येह चाहता हूं कि मैं एक दिन भूका रहूं और एक दिन खाना खाऊं, जिस दिन भूका रहूं उस दिन तेरी बारगाह में आजिज़ी और दुआ करूं और जिस दिन खाना खाऊं उस दिन तेरी हम्दो सना और शुक्र बजा लाऊं।....✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 273 📚*
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❝ माल से बे रग़बती❞
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*⚘ माल से बे रग़बती का जेहन बनाने और इसे इख़्तियार करने के तरीके ⚘*
╭┈► *❻ माल से बे रग़बती के फवाइद में गौर कीजिये :* माल से बे रग़बती जोहदो कनाअत पैदा करती है, माल से वे रग़बती नेक आ'माल में मुआविन साबित होती है, माल से बे रग़बती के बाइस आदमी हिर्स व तम से बच जाता है, माल से वे रग़बती सादगी पैदा करती है, माल से बे रग़बत शख्स को लोग पसन्द करते हैं, माल से बे रगबती तक्वा पर उभारती है, माल से बे रगबती अम्बियाए किराम अलैहिस्सलाम और बुजुर्गाने दीन का तरीका है, माल से बे रग़बती के सबब आदमी बुख़्ल से बच जाता है माल से वे रग़बती के बाइस आदमी माल जम्अ करने की आफ़त से बच जाता है।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 273 📚*
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*⚘ माल से बे रग़बती का जेहन बनाने और इसे इख़्तियार करने के तरीके ⚘*
╭┈► *❼ माल से बे रग़बती के लिये इस की आफ़ात और हलाकतों में गौर कीजिये :* माल आदमी को गुनाह के रास्ते पर डाल देता, उमूमन माल के सबब आदमी ऐशो इशरत में मुब्तला हो जाता है, माल आखिरत से गाफिल कर देता है, माल के बाइस इन्सान हिर्स व तम में पड़ जाता है, मालदार आदमी को अपने माल की हिफ़ाज़त की फ़िक्र लगी रहती है, माल के सबब आदमी लम्बी उम्मीदों और ख्वाहिशात को पूरा करने में लग जाता है, ज्यिादा माल वाले को अपने माल का हिसाब भी ज़ियादा देना पड़ेगा, ज़ियादा देर तक मैदाने महशर में खड़ा रहना पड़ेगा, अपने माल की ज़कात न देने वाले को आख़िरत में तरह तरह के अज़ाबात का सामना होगा, माल की रगबत आदमी को फे'ले हराम में भी मुब्तला कर देती है, मालदार के जिम्मे लोगों के बहुत से हुकूक होते हैं, मालदारी आदमी को नाशुक्री में डाल देती है, मालदारी सरकशी का बाइस भी बनती है।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 274 📚*
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❝माल से बे रग़बती ❞
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*⚘ माल से बे रग़बती का जेहन बनाने और इसे इख़्तियार करने के तरीके ⚘*
╭┈► *❽ मालो दौलत की हिर्स का ख़ातिमा कीजिये :* दुन्यवी माल की हिर्स मोमिन के लिये बहुत ही खतरनाक है अगर इस की रोकथाम न की जाए तो बसा अवकात येह दुन्यवी बरबादियों के साथ साथ उखुरवी हलाकतों की तरफ़ भी ले जाती है , लिहाजा इसे ख़त्म कर के माल से बे रगबती और जोहद इख्तियार कीजिये।
╭┈► *❾ कियामत के हिसाबो किताब से खुद को डराइये :* ज़रूरत और हाजत से जाइद माल कमाना अगर्चे जाइज़ है लेकिन याद रखिये जिस का माल जितना जियादा होगा कियामत के रोज़ उस का हिसाबो किताब भी उतना ही ज़ियादा होगा, ज़ियादा मालो दौलत वाले को कल बरोजे कियामत दुशवारी और तकलीफ़ का सामना होगा और उसे देर तक मैदाने महशर में ठहरना पड़ेगा जब कि कम माल वाला जल्दी जल्दी हिसाबो किताब से फ़ारिग हो जाएगा, लिहाज़ा कियामत के हिसाबो किताब से खुद को डराइये इस से भी माल से वे रगवती इख्तियार करने में भरपूर मदद मिलेगी।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 274 📚*
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❝ गिब़्ता (रश्क )❞
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╭┈► *गिब़्ता की तारीफ :* किसी शख्स में कोई खूबी या उस के पास कोई नेमत देख कर येह तमन्ना करना कि मुझे भी येह खूबी या नेमत मिल जाए और उस शख्स से उस खूबी या नेमत के जवाल की ख्वाहिश न हो तो येह गिब्ता या'नी रश्क है।
╭┈► *आयते मुबारका :* अल्लाह कुरआन में इरशाद फ़रमाता है
*तर्जमए कन्जुल ईमान :* और उसी पर चाहिये कि ललचाएं ललचाने वाले। ...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 275 📚*
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❝गिब़्ता (रश्क ) ❞
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*⚘ हदीसे मुबारका : दो शख़्सों पर रश्क ⚘*
╭┈► हज़रते सय्यिदुना अब्दुल्लाह बिन मसऊद रादिअल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है कि हुजूर नबिये करीम ﷺ ने फ़रमाया दो आदमियों के इलावा किसी पर हसद (या'नी रश्क) करना जाइज़ नहीं, एक वोह शख्स जिसे अल्लाह तआला ने माल अता फरमाया और उसे सहीह रास्ते में खर्च करने की कुदरत अता फ़रमाई और एक वोह मर्द जिसे अल्लाह तआला ने इल्म अता किया तो वोह उस के मुताबिक फैसला करे और उस की तालीम दे।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 275 📚*
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❝गिब़्ता (रश्क ) ❞
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*⚘ गिब्ता (रश्क) का हुकम ⚘*
╭┈► रश्क बाज़ सूरतों में वाजिब, बा'ज़ में मुस्तहब और बा'ज़ में मुबाह है, अगर कोई नेमत दीनी हो और वाजिब हो मसलन ईमान, नमाज़ और ज़कात तो ऐसी नेमत पर रश्क करना भी वाजिब है और इस की सूरत येह है कि बन्दा अपने लिये भी ऐसी ही नेमत पसन्द करे अगर ऐसा नहीं करेगा तो वोह गुनाह पर राजी होगा और येह हराम है, अगर ने'मत ऐसी हो जो फ़ज़ाइल से तअल्लुक रखती हो मसलन अच्छे कामों में माल खर्च करना और सदका व खैरात वगैरा करना तो ऐसी नेमत पर रश्क करना मुस्तहब है, अगर नेमत ऐसी हो जिस से फाएदा उठाना जाइज़ हो तो इस पर रश्क करना मुबाह है।
╭┈► इन तमाम सूरतों में इस का इरादा उस शख्स के मुसावी होना और ने'मत में उस के साथ शरीक होना है , नेमत का उस के पास होना ना पसन्द नहीं, गोया यहां दो बातें हैं : येह कि जिस के पास नेमत है वोह नेमत के सबब राहत में है और दूसरी येह कि जो इस ने'मत से महरूम है वोह इस की वज्ह से नुक्सान में है। रश्क करने वाला पहली बात को ना पसन्द नहीं करता बल्कि अपना महरूम होना और पीछे रह जाना ना पसन्द करता और ने'मत वाले की बराबरी चाहता है और इस में कोई हरज नहीं कि इन्सान मुबाह अश्या में अपने नुक्सान और पीछे रहने को ना पसन्द जाने अलबत्ता इस तरह फ़ज़ाइल में कमी ज़रूर आती है क्यूंकि इस तरह की बातें जोहद तवक्कुल और रिज़ा के ख़िलाफ़ और आ'ला मकामात के हुसूल में रुकावट हैं ताहम गुनाह बाइस नहीं।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 276 📚*
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❝गिब़्ता (रश्क )❞
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*⚘ हिकायत, सहाबए किराम का रश्क ⚘*
╭┈► हज़रते सय्यिदुना अबू हुरैरा रादिअल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है कि फुकराए मुहाजिरीन रसूलुल्लाह ﷺ की खिदमत में हाज़िर हो कर (मालदार मुसलमानों पर रश्क करते हुए) बोले कि मालदार बड़े दरजे और दाइमी ने'मत ले गए फ़रमाया येह कैसे अर्ज़ किया जैसे हम नमाज़ें पढ़ते हैं वोह भी पढ़ते हैं और जैसे हम रोजे रखते हैं वोह भी रखते हैं और (मालदार होने के सबब) वोह खैरात करते हैं (लेकिन फुकरा होने के सबब) हम नहीं करते, वोह गुलाम आज़ाद करते हैं हम नहीं करते तो नबिये करीम ﷺ ने इरशाद फ़रमाया क्या मैं तुम्हें वोह चीज़ न सिखाऊं जिस से तुम आगे वालों को पकड़ लो और पीछे वालों से आगे बढ़ जाओ और तुम से कोई अफ़्ज़ल न हो सिवाए उस के कि जो तुम्हारी तरह करे अर्ज़ की जी हां या रसूलल्लाह ﷺ इरशाद फ़रमाया हर नमाज के बाद 33-33 बार अल्लाहु अकबर, सुब्हानअल्लाह और अल्हम्दुलिल्लाह कह लिया करो।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 277 📚*
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❝ गिब़्ता (रश्क )❞
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*⚘ रश्क करने के चार मवाके ⚘*
╭┈► इस्लामी बहनों ! किसी भी मुबाह काम में रश्क करना हराम नहीं लेकिन इन्सान को ऐसी चीज़ों पर रश्क करना चाहिये जिस पर रश्क करने से उसे सवाब मिले मसलन :
╭┈► *❶ अहले इल्म पर रश्क करना चाहिये :* इल्म एक ऐसी ने'मत है जिस की बदौलत इन्सान को मुआशरे में इम्तियाज़ी हैसिय्यत हासिल होती है इन्सान को चाहिये कि वोह उलमा पर रश्क करे क्यूंकि इन के पास वोह नेमत है जो खर्च करने से बढ़ती है और इसी नेमत के सबब इन्सान अशरफुल मख्लूकात है और येह नेमत दुन्या व आखिरत में बन्दे को सरफ़राज़ करती है तो जिस के पास येह ने'मत है हकीकत में वोही काबिले रश्क है।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 277 📚*
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❝ गिब़्ता (रश्क )❞
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*⚘ रश्क करने के चार मवाके ⚘*
╭┈► *❷ सखावत करने वाले पर रश्क करना चाहिये :* दुन्या में मालदारों की कमी नहीं लेकिन ऐसे मालदार लोग बहुत ही कम हैं कि जो अपने माल को ब खुशी अल्लाह अज़्ज़वजल की राह में खर्च करते हों मुसलमान को चाहिये कि सखावत करने वालों पर रश्क करे क्यूंकि हलाल माल हासिल होना एक नेमत है और फिर इस माल को खुले दिल से अल्लाह अज़्ज़वजल की राह में खर्च करना दूसरी ने'मत हलाल माल तो बहुत सों को मिल जाता है लेकिन सखावत की नेमत खास लोगों का ही मुकद्दर बनती है।....✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 278 📚*
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❝ गिब़्ता (रश्क )❞
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*⚘ रश्क करने के चार मवाके ⚘*
╭┈► *❸ अच्छी सिफ़ात के हामिल शख़्स पर रश्क करना चाहिये :* दुन्या की जाहिरी ने'मतें तो कई अफराद को मुयस्सर होती हैं लेकिन बातिनी सिफ़ात की नेमत हर एक को मुयस्सर नहीं होती अच्छा लिबास, बेहतरीन रिहाइश, मालो दौलत और तरह तरह की दुन्यावी ने'मतें बहुत से लोगों के पास हैं मगर सब , तवक्कुल, कनाअत, आजिज़ी व इन्किसारी तवाज़ोअ और दीगर बातिनी खसाइल की ने'मत से बहुत कम लोग मुत्तसिफ़ हैं अच्छे लिबास व सुकूनत और दीगर दुन्यावी ने'मतों पर रश्क करना अगरचे गुनाह का बाइस नहीं लेकिन इन नेमतों पर रश्क करने से फ़ज़ाइल में कमी आती है और इन नेमतों से दुन्या में फ़ाएदा हासिल होता है जब कि सब्र, तवक्कुल, कनाअत वगैरा ऐसी सिफ़ात हैं जिन पर रश्क करने से इन्सान का मर्तबा बुलन्द होता है और येह दुन्या व आखिरत में बन्दे को फाएदा पहुंचाती हैं।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 278 📚*
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❝गिब़्ता (रश्क ) ❞
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*⚘ रश्क करने के चार मवाके ⚘*
╭┈► *❹ शहीद पर रश्क करना चाहिये :* इस दारे फ़ानी से हर है इन्सान को कूच करना है बाज़ लोगों की मौत तो बड़ी इब्रतनाक हुवा करती है कुछ लोग गुनाह करते हुए मौत के घाट उतार दिये जाते हैं मगर बा'ज़ खुश नसीब इस तरह सफ़रे आखिरत पर रवाना होते हैं कि हर एक हसरत करता है कि काश मुझे भी इसी तरह मौत आए, शहादत की मौत भी अल्लाह अज़्ज़वजल की ऐसी अता है जिस की हर मुसलमान तमन्ना करता है और शहीद को अल्लाह अज़्ज़वजल की बारगाह में जो आ'ला मकाम हासिल है इस के पेशे नज़र हर मुसलमान को शहीद पर रश्क करना चाहिये।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 279 📚*
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❝गिब़्ता (रश्क ) ❞
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*⚘ रश्क करने का जज़्बा हासिल करने के तीन तरीके ⚘*
╭┈► *❶ रश्क करने के सवाब पर गौर कीजिये :* दीनी उम्र में रश्क करने का जज़्बा बेदार करने के लिये रश्क के अज्र पर गौर करना चाहिये क्यूंकि बन्दा जिस नेक अमल पर सच्चे दिल से रश्क करता है उसे इस पर सवाब अता किया जाता है। मसलन : किसी को हज पर जाते हुए देख कर रश्क करना कि मुझे भी अल्लाह अज़्ज़वजल इतना माल अता फरमा दे कि मैं भी इस मुसलमान भाई की तरह हज कर सकू या किसी गरीब मुसलमान का किसी को खैरात करता देख कर रश्क करना कि अल्लाह अज़्ज़वजल मुझे भी माल अता फरमा दे ताकि मैं भी उस मुसलमान की तरह राहे खुदा में खर्च कर सकूँ इसी तरह हर नेक काम पर रश्क कर के बन्दा अपने आप को इस के सवाब का मुस्तहिक बना सकता है। हुजूर नबिये करीम ﷺ ने फ़रमाया एक शख्स वोह है जिसे अल्लाह अज़्ज़वजल ने माल और इल्म अता फ़रमाया और वोह इस में अपने रब से डरता है और सिलए रेहमी करता है और इस में अल्लाह तआला के हक़ को जानता है येह शख्स सब से अफ्ज़ल मतर्बे में है और दूसरा शख्स वोह है जिसे अल्लाह अज़्ज़वजल ने इल्म दिया, माल नहीं दिया , येह शख्स सच्ची निय्यत के साथ कहता है कि अगर मेरे पास माल होता तो मैं फुलां की तरह अमल करता पस येह उस की निय्यत है और इन दोनों का सवाब बराबर है।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 279 📚*
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❝गिब़्ता (रश्क ) ❞
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*⚘ रश्क करने का जज़्बा हासिल करने के तीन तरीके ⚘*
╭┈► *❷ इस बात पर गौर कीजिये कि रश्क हसद से बचाता है :* येह एक फ़ितरी बात है कि इन्सान जब किसी के पास कोई नेमत देखता है तो उस के दिल में भी उस के हुसूल की ख्वाहिश पैदा होती है अगर इन्सान दूसरों को मिलने वाली ने'मतों पर रश्क नहीं करेगा तो मुमकिन है कि वोह हसद में मुब्तला हो जाए और हसद बहुत बड़ा गुनाह है। रश्क, हसद से बचने का बेहतरीन ज़रीआ है हज़रते सय्यिदुना फुजैल बिन इयाज़ रहमतुल्लाहि तआला अलैह फ़रमाते हैं रश्क ईमान से है और हसद निफ़ाक़ से मोमिन रश्क करता है हसद नहीं करता और मुनाफ़िक हसद करता है रश्क नहीं करता।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 280 📚*
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❝गिब़्ता (रश्क ) ❞
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*⚘ रश्क करने का जज़्बा हासिल करने के तीन तरीके ⚘*
╭┈► *❸ रश्क करने के सबब नेक आ'माल में रगबत :* इन्सान किसी चीज़ पर उसी हाल में रश्क करता है जब कि उस के दिल में उस चीज़ की अहम्मिय्यत और तलब होती है और इन्सान के दिल में जिस चीज़ की अहम्मिय्यत व तलब नहीं होती वोह उस पर रश्क भी नहीं करता तो बन्दा अपने दिल में किसी की अच्छाई पर उसी सूरत में रश्क करेगा जब कि उस के दिल में उस अच्छाई की तलब होगी और जब नेकी की तलब होगी तो यक़ीनन फिर वोह उस नेक काम को करने की भी खूब कोशिश करेगा और इस तरह वोह मुख्तलिफ़ नेक आमाल की तरफ़ रागिव होगा लिहाज़ा दूसरों के नेक आ'माल पर रश्क करना चाहिये ताकि खुद भी वोह नेकियां करने का जज्बा बन्दे में पैदा हो और वोह ज़ियादा से ज़ियादा नेक आमाल करने की कोशिश करता रहे।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 280 📚*
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❝महब्बते मुस्लिम ❞
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╭┈► *महब्बते मुस्लिम की तारीफ :* किसी बन्दे से सिर्फ इस लिये महब्बत करे कि रब तआला उस से राजी हो जाए, इस में दुन्यावी गरज रिया न हो, इस महब्बत में मां बाप, औलाद, अले कराबत मुसलमानों से महब्बत सब ही दाखिल हैं जब कि रिजाए इलाही के लिये हों।
╭┈► *आयते मुबारका :* अल्लाह अज़्ज़वजल कुरआने पाक में इरशाद फ़रमाता है
*तर्जमए कन्जुल ईमान :* और अल्लाह की रस्सी मज़बूत थाम लो सब मिल कर और आपस में फट न जाना (फ़िर्कों में बट न जाना ) और अल्लाह का एहसान अपने ऊपर याद करो जब तुम में वैर था (दुश्मनी थी) उस ने तुम्हारे दिलों में मिलाप कर दिया तो उस के फज्ल से तुम आपस में भाई हो गए।
╭┈► हुज्जतुल इस्लाम हज़रते सय्यदुना इमाम अबू हामिद मुहम्मद बिन मुहम्मद गज़ाली रहमतुल्लाहि तआला अलैह फ़रमाते हैं इस आयते मुबारका या'नी भाई होने से मुराद उल्फ़त व महब्बत काइम होना है।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 281 📚*
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❝महब्बते मुस्लिम ❞
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*⚘ हदीसे मुबारका, महब्बत रखने वालों का इन्आम ⚘*
╭┈► ❶ हुज़ूर नबिये करीम ﷺ का फरमाने आलीशान है अल्लाह अज़्ज़वजल कियामत के दिन इरशाद फ़रमाएगा मेरे जलाल की खातिर आपस में महब्बत रखने वाले कहां हैं आज के दिन मैं उन्हें अपने अर्श के साए में जगह दूंगा जब कि मेरे अर्श के इलावा कोई साया नहीं।
╭┈► ❷ हुज़ूर नबी ए करीम ﷺ इरशाद फ़रमाते हैं कि अल्लाह अज़्ज़वजल ने इरशाद फ़रमाया मेरे जलाल की खातिर आपस में महब्बत करने वालों के लिये कियामत के दिन नूर के ऐसे मिम्बर होंगे कि अम्बिया (अलैहिस्सलाम) और शुहदा भी उन पर रश्क करेंगे।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 282 📚*
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❝ महब्बते मुस्लिम❞
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*⚘ महब्बते मुस्लिम का हुक्म ⚘*
╭┈► रिज़ाए इलाही की ख़ातिर किसी से महब्बत करना और दीन के खातिर भाईचारा काइम करना अफ्ज़ल तरीन नेकी और अच्छी आदत है। अलबत्ता इस की कुछ शराइत हैं जिन की रिआयत करने से आपस में दोस्ती रखने वाले अल्लाह अज़्ज़वजल की ख़ातिर महब्बत करने वालों में शुमार होते हैं नीज़ इन शराइत की रिआयत करने से भाईचारा कदूरतों की आमेज़िश और शैतानी वस्वसों से पाको साफ़ रहता है जब कि इस के सबब इन्सान को अल्लाह अज़्ज़वजल का कुर्ब हासिल होता है और इन पर मुहाफ़ज़त करने से इसे बुलन्द और आ'ला दरजात हासिल होते हैं अल्लाह अज़्ज़वजल के वासिते किसी से महब्बत करना बेहतरीन नेकी है और ऐसी महब्बत अल्लाह तआला की महब्बत का ज़रीआ है।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 282 📚*
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❝ महब्बते मुस्लिम❞
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*⚘ हिकायत, अल्लाह के लिये भाई से महब्बत का सिला ⚘*
╭┈► हुज़ूर नबिये करीम ﷺ ने इरशाद फ़रमाया एक शख्स अपने एक मुसलमान भाई से मुलाकात के लिये दूसरी बस्ती की तरफ़ चला तो अल्लाह ने उस के रास्ते में एक फ़िरिश्ता मुकर्रर फ़रमा दिया जब वोह उस के पास पहुंचा तो फ़िरिश्ते ने पूछा कहां का इरादा है ? उस ने कहा उस बस्ती में मेरा एक दीनी भाई है उस के पास जा रहा हूं फ़िरिश्ते ने कहा क्या तुझ पर उस का कोई एहसान है जिस का बदला देने जा रहे हो उस ने कहा नहीं बल्कि मैं उस से अल्लाह तआला की रिज़ा के लिये महब्बत करता हूं फ़िरिश्ते ने कहा बेशक ! मैं अल्लाह तआला की तरफ़ से तेरे लिये येह पैगाम लाया हूं कि जिस तरह तू उस से अल्लाह तआला के लिये महब्बत करता है ऐसे ही अल्लाह तआला भी तुझ से महब्बत फ़रमाता है।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 283 📚*
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❝महब्बते मुस्लिम ❞
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*⚘ महब्बते मुस्लिम का जज़्बा पैदा करने के चार तरीके ⚘*
╭┈► *❶ मुसलमानों से महब्बत के फ़ज़ाइल पर गौर कीजिये :* मुसलमानों से महब्बत करने का जज़्बा पैदा करने के लिये महब्बते मुस्लिम के फ़ज़ाइल पर गौर करना चाहिये क्यूंकि जब इन्सान को किसी अमल की फजीलत मा'लूम होती है तो उस का दिल उस अमल की तरफ़ माइल होता है और वोह अमल करना आसान हो जाता है लिहाज़ा अपने दिल में मुसलमानों की महब्बत पैदा करने के लिये इस के फ़ज़ाइल पर गौर कीजिये। चुनान्चे , हज़रते सय्यिदुना अबू इदरीस ख़ौलानी रादिअल्लाहु तआला अन्हु ने हज़रते सय्यिदुना मुआज बिन जबल रादिअल्लाहु तआला अन्हु से अर्ज़ की मैं अल्लाह तआला की रिज़ा के लिये आप से महब्बत करता हूं हज़रते सय्यिदुना मुआज रादिअल्लाहु तआला अन्हु ने फ़रमाया तुम्हें मुबारक हो मैं ने रसूलुल्लाह ﷺ को येह फ़रमाते सुना कि कियामत के दिन बा'ज़ लोगों के लिये अर्श के गिर्द कुरसियां नस्व की जाएंगी उन के चेहरे चौदहवीं के चांद की तरह रोशन होंगे लोग घबराहट का शिकार होंगे जब कि उन्हें कोई घबराहट न होगी, लोग खौफ़ज़दा होंगे उन्हें कोई खौफ़ न होगा, वोह अल्लाह तआला के दोस्त हैं जिन पर न कोई अन्देशा है न कुछ गम अर्ज की गई या रसूलल्लाह ﷺ येह कौन लोग हैं इरशाद फ़रमाया अल्लाह तआला की रिज़ा के लिये आपस में महब्बत करने वाले।....✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 283 📚*
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❝ महब्बते मुस्लिम ❞
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*⚘ महब्बते मुस्लिम का जज़्बा पैदा करने के चार तरीके ⚘*
╭┈► *❷ सलाम व मुसाफ़हा की आदत बनाइये :* सलाम व मुसाफ़हा करना हुजूर नबिये करीम ﷺ की ऐसी प्यारी सुन्नत है कि जिस पर अमल करने से मुआशरे में महब्बत बढ़ती है और दिल एक दूसरे के करीब हो जाते हैं हदीसे पाक में भी सलाम को महब्बत पैदा करने का सबब बयान किया गया है चुनान्चे , हुज़ूर ﷺ ने इरशाद फ़रमाया तुम जन्नत में हरगिज़ दाखिल नहीं हो सकते जब तक ईमान न ले आओ और तुम (कामिल) मोमिन नहीं हो सकते जब तक आपस में महब्बत न करने लगो क्या मैं तुम्हें ऐसी चीज़ न बताऊं कि जब तुम उसे करो तो आपस में महब्बत करने लगो" फिर इरशाद फ़रमाया आपस में सलाम को आम करो।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 284 📚*
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❝ महब्बते मुस्लिम ❞
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*⚘ महब्बते मुस्लिम का जज़्बा पैदा करने के चार तरीके ⚘*
╭┈► *❸ हुस्ने अख़्लाक़ अपनाइये :* हुस्ने अख़्लाक़ के सबब बाहम उल्फत व महब्बत और मुवाफकत पैदा होती है जब कि बद अख़्लाक़ी के सबब आपस में बुम्जो कीना, हसद और जुदाई पैदा होती है हुस्ने अख़्लाक की सिफ़त से मुत्तसिफ़ शख्स से हर एक मैल मिलाप रखना पसन्द करता है जब कि बद अख़्लाक़ से हर कोई कनारा कशी इख्तियार करता है अगर बन्दा हुस्ने अख़्लाक़ का दामन छोड़ दे और बद अख्लाकी से पेश आए तो अपने भी दूरी इख्तियार कर लेते हैं लिहाज़ा मुसलमानों से महब्बत का रिश्ता काइम रखने के लिये हुस्ने अख़्लाक़ का मुजाहरा करना बहुत ज़रूरी है।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 284 📚*
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❝महब्बते मुस्लिम ❞
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*⚘ महब्बते मुस्लिम का जज़्बा पैदा करने के चार तरीके ⚘*
╭┈► *❹ मुसलमानों से कीना रखने की वईदों पर गौर कीजिये :* अपने दिल को मुसलमानों की महब्बत का गुलशन बनाने के लिये मुसलमानों से बुग्ज़ो कीना रखने की वईदों पर गौर करना चाहिये क्यूंकि जब दिल में कीना होता है तो इन्सान हसद गीबत और बोहतान तराशी जैसे कबीरा गुनाहों में मुब्तला हो जाता है लिहाज़ा जब इन्सान की नज़र में कीना परवरी की वईदें होंगी तो वोह अपने दिल को बुग्ज़ो कीना से पाक रखने की कोशिश करेगा और जब दिल बुग्ज से पाक होगा तो यकीनी तौर पर दिल में मुसलमानों की महब्बत घर करेगी।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 285 📚*
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📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
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❝ अल्लाह की खुफ़्या तदबीर से डरना❞
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╭┈► *अल्लाह की ख़ुफ़्या तदबीर से डरने की तारीफ :* अल्लाह अज़्ज़वजल के पोशीदा अफ्आल से वाकेअ होने वाले बाज़ अफ़आल को उस की खुफ्या तदबीर कहते हैं और उस से डरना अल्लाह की खुफ़्या तदबीर से डरना कहलाता है।
╭┈► *आयते मुबारका :* अल्लाह अज़्ज़वजल कुरआने पाक में इरशाद फ़रमाता है
*तर्जमए कन्जुल ईमान :* क्या अल्लाह की खफ़ी तदबीर से निडर हैं तो अल्लाह की खफ़ी तदबीर से निडर नहीं होते मगर तबाही वाले।
╭┈► सदरुल अफ़ाज़िल हज़रते अल्लामा मौलाना सय्यिद मुहम्मद नईमुद्दीन मुरादाबादी अलैहिर्रहमा इस आयते मुबारका के तहत फ़रमाते हैं और उस के मुख्लिस बन्दे उस का ख़ौफ़ रखते हैं।रबीअ बिन खुसैम की साहिबजादी ने उन से कहा क्या सबब है मैं देखती हूं सब लोग सोते हैं और आप नहीं सोते हैं ? फ़रमाया ऐ नूरे नज़र तेरा बाप शब को सोने से डरता है या'नी येह कि गाफ़िल हो कर सो जाना कहीं सबबे अज़ाब न हो।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 285 📚*
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❝ अल्लाह की खुफ़्या तदबीर से डरना❞
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*⚘ हदीसे मुबारका, गुनाह पर काइम रहने वाले के बारे में खुफ़्या तदबीर ⚘*
╭┈► हुज़ूर ﷺ ने इरशाद फ़रमाया जब तुम किसी बन्दे को देखो कि अल्लाह अज़्ज़वजल उसे उस की ख्वाहिश के मुताबिक अता फरमाता है हालांकि वोह अपने गुनाह पर काइम है तो येह अल्लाह अज़्ज़वजल की तरफ़ से ढील है फिर आप ﷺ ने येह आयते मुबारका तिलावत फ़रमाई :
╭┈► *तर्जमए कन्जुल ईमान :* फिर जब उन्हों ने भुला दिया जो नसीहतें उन को की गई थी हम ने उन पर हर चीज़ के दरवाजे खोल दिये यहां तक कि जब खुश हुए उस पर जो उन्हें मिला तो हम ने अचानक उन्हें पकड़ लिया अब वोह आस टूटे रह गए।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 286 📚*
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❝ अल्लाह की खुफ़्या तदबीर से डरना❞
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*⚘ अल्लाह अज़्ज़वजल की खुफ़्या तदबीर से डरने का हुकम ⚘*
╭┈► अल्लाह अज़्ज़वजल की रहमत पर भरोसा करते हुए गुनाहों में मुस्तग्रक हो जाना और अल्लाह अज़्ज़वजल की खुफ़्या तदबीर से बे खौफ़ होना कबीरा गुनाह है लिहाज़ा हर मुसलमान पर अल्लाह अज़्ज़वजल की खुफ़्या तदबीर से डरना वाजिब है।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 286 📚*
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❝ अल्लाह की खुफ़्या तदबीर से डरना❞
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*⚘ अल्लाह अज़्ज़वजल की खुफ़्या तदबीर से डरने का जेहन बनाने के तरीके ⚘*
╭┈► *❶ अम्बिया अलैहिस्सलाम व औलिया के अहवाल पर गौर करना चाहिये :* अल्लाह की खुफ़्या तदबीर से अम्बियाए किराम अलैहिस्सलाम, फ़िरिश्ते और औलियाए किराम भी खौफ़ज़दा रहते हैं अल्लाह अज़्ज़वजल के नबी और फ़िरिश्ते मासूम हैं इन से अल्लाह तआला की ना फरमानी मुमकिन नहीं जब कि हम सरापा खता हैं, हमारे जिस्म का हर ज़र्रा गुनाहों से आलूदा है, हमारी ज़िन्दगी का बहुत बड़ा हिस्सा गफलत में गुज़र रहा है जब कि अम्बिया अलैहिस्सलाम और फ़िरिश्तों का हर लम्हा खुदा की बन्दगी में बसर होता है मगर फिर भी वोह अल्लाह अज़्ज़वजल की खुफ़्या तदबीर से ग़ाफ़िल न हों और हम हर वक़्त रब अज़्ज़वजल की ना फ़रमानी और सरकशी में मुन्हमिक होने के बा वुजूद अपने बारे में मुतमइन रहें , बिलाशुबा येह हमारे लिये निहायत खतरे की बात है , हमें हर वक़्त अल्लाह अज़्ज़वजल की खुफ़्या तदवीर से डरते रहना चाहिये।
╭┈► चुनान्चे मन्कूल है कि सरकारे मदीना ﷺ और हज़रते सय्यदुना जिब्रीले अमीन अलैहिस्सलाम अल्लाह के खौफ से रो रहे थे अल्लाह अज़्ज़वजल ने वही फ़रमाई कि तुम दोनों क्यूं रो रहे हो हालांकि मैं तुम्हें अमान दे चुका हूं अर्ज की ऐ अल्लाह अज़्ज़वजल तेरी खुफ्या तदबीर से कौन बे ख़ौफ़ हो सकता है।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 288 📚*
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❝अल्लाह की खुफ़्या तदबीर से डरना ❞
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*⚘ अल्लाह अज़्ज़वजल की खुफ़्या तदबीर से डरने का जेहन बनाने के तरीके ⚘*
╭┈► *❷ बुरे ख़ातिमे का ख़ौफ़ कीजिये :* हर मुसलमान को बुरे खातिमे से डरना चाहिये कि बुरे ख़ातिमे का खौफ़ दिल में बिठाने से अल्लाह अज़्ज़वजल की खुफ़्या तदबीर का ख़ौफ़ भी दिल में बैठ जाएगा और कोई भी अपनी मौत के मुआमले में कैसे मुतमइन हो सकता है क्यूंकि कोई शख्स इस बात से वाकिफ नहीं कि उस का ख़ातिमा ईमान पर होगा या कुफ्र पर और इन्सान की पूरी ज़िन्दगी का दारो मदार ख़ातिमे पर ही है इसी लिये अगर कोई शख्स सारी ज़िन्दगी कुफ्र पर रहा मगर मौत से चन्द लम्हे पहले उसे ईमान की दौलत नसीब हो गई तो वोह बा मुराद व कामयाब हो गया और जो शख्स सारी जिन्दगी इस्लाम पर रहा और खूब इबादतो रियाज़त करता रहा लेकिन मरने से कुछ देर क़ब्ल मआज़ अल्लाह काफ़िर व मुर्तद हो गया तो ऐसा शख्स तबाहो बरबाद और हमेशा के लिये नारे जहन्नम का मुस्तहिक़ है, बुरे खातिमे का मुआमला तो इतना नाजुक है कि अल्लाह अज़्ज़वजल के मासूम नबी भी उस से खौफ़ज़दा रहते थे अगर्चे अल्लाह अज़्ज़वजल के फज्ल से उन का ईमान महफूज़ था मगर फिर भी वोह इस बारे में मुतफक्किर रहा करते थे।
╭┈► चुनान्चे, हज़रते सय्यिदुना सहल विन अब्दुल्लाह तुस्तरी रहमतुल्लाहि तआला अलैह फ़रमाते हैं ख्वाब में खुद को मैं ने जन्नत में पाया जहां मैं ने 300 अम्बियाए किराम से मुलाकात की और उन सब से येह सुवाल किया कि आप हज़रात दुन्या में सब से ज़ियादा किस चीज़ से खौफ़ज़दा थे उन्हों ने जवाब दिया बुरे ख़ातिमे से।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 289 📚*
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❝ अल्लाह की खुफ़्या तदबीर से डरना❞
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*⚘ अल्लाह अज़्ज़वजल की खुफ़्या तदबीर से डरने का जेहन बनाने के तरीके ⚘*
╭┈► *❸ गुज़श्ता लोगों के वाक़िआत पर गौर कीजिये :* अल्लाह अज़्ज़वजल की खुफ़्या तदबीर से मुतअल्लिक बहुत से वाकिआत इस्लामी कुतुब में बयान किये गए हैं जिन में ऐसे लोगों का तजकिरा है कि जिन्हों ने अपनी सारी ज़िन्दगी इबादतो रियाज़त में गुज़ारी मगर अल्लाह अज़्ज़वजल ने किसी खास गुनाह के सबब उन की गिरिफ़्त फ़रमा ली और उन का बहुत भयानक अन्जाम हुवा खुद अल्लाह अज़्ज़वजल ने कुरआने करीम में बल्अमर बिन बाऊरा के बारे में बयान फ़रमाया है येह बहुत आबिदो ज़ाहिद और मुस्तजाबुद्दा'वात था मगर जब इस ने अपनी कौम के कहने पर अल्लाह अज़्ज़वजल के नबी हज़रते सय्यिदुना मूसा अलैहिस्सलाम के लिये बद दुआ की तो अल्लाह अज़्ज़वजल ने उस से ईमान व मा'रिफ़त की दौलत छीन ली और येह कुफ्र पर मरा इसी तरह और भी बहुत से वाकिआत हैं जिन का मुतालआ करने से बन्दे के दिल में अल्लाह अज़्ज़वजल की खुफ़्या तदबीर का खौफ पैदा होता है।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 290 📚*
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❝ अल्लाह की खुफ़्या तदबीर से डरना❞
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*⚘ अल्लाह अज़्ज़वजल की खुफ़्या तदबीर से डरने का जेहन बनाने के तरीके ⚘*
╭┈► *❹ अल्लाह अज़्ज़वजल की बे नियाज़ी पर गौर कीजिये :* इन्सान अपने अमल से अल्लाह तआला की जात को न नफ़्अ पहुंचा सकता है न नुक्सान अल्लाह अज़्ज़वजल की ज़ात वे नियाज़ है उस के हुक्म में कोई दखल अन्दाज़ी नहीं कर सकता वोह जिस की पकड़ करना चाहे उसे कोई छुड़ा नहीं सकता बन्दा चाहे जितने नेक आ'माल कर ले मगर उस की बख्शिश यक़ीनी नहीं अल्लाह अज़्ज़वजल किसी भी ख़ता पर बन्दे की गिरिफ़्त फ़रमा सकता है वोह जुल्म से पाक है और उस का हर फैसला अद्ल पर मनी है, इन्सान को चाहिये कि वोह अपने नेक आमाल पर भरोसा न करे बल्कि हर वक़्त अल्लाह अज़्ज़वजल की बे नियाजी को मद्दे नजर रखे और उस की खुफ़्या तदबीर से डरता रहे और अपनी इबादतो रियाज़त पर नाज़ न करे , शैतान ने हज़ारों साल इबादत की मगर उसे तकब्बुर ने लिया और वोह हमेशा के लिये मर्दूद हो गया।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 290 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 373
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❝अल्लाह की खुफ़्या तदबीर से डरना ❞
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*⚘ अल्लाह अज़्ज़वजल की खुफ़्या तदबीर से डरने का जेहन बनाने के तरीके ⚘*
╭┈► *❺ अपनी नेमतों पर गौर कीजिये :* जिस शख्स पर अल्लाह अज़्ज़वजल ने दुन्या में मालो दौलत, रोज़ी में कसरत फ़रमां बरदार औलाद की ने'मत, अच्छी सिह्हत , ओदए वजारत या सदारत या हुकूमत वगैरा के ज़रीए फ़राखी फ़रमाई है उसे येह सोचना चाहिये कि कहीं येह आसाइशें अल्लाह अज़्ज़वजल की खुफ्या तदबीर तो नहीं कि मुझे दुन्या में येह नेमतें दी अता कर दी गई हैं और आख़िरत में मुझे इन ने'मतों से महरूम कर दिया जाएगा या येह नेमते मेरे लिये गुरूर व तकब्बुर सरकशी , गफलत और न मुख़्तलिफ़ गुनाहों का सबब तो नहीं जिन में मश्गूल हो कर मैं अपनी आखिरत खराब कर दूं , इस तरह अपनी नेमतों के बारे में गौरो फ़िक्र करने से भी अल्लाह अज़्ज़वजल की खुफ़्या तदबीर से डरने का जेह्न बनेगा।
╭┈► हज़रते सय्यिदुना हसन बसरी रादिअल्लाहु तआला अन्हु ने इरशाद फरमाया अल्लाह अज़्ज़वजल जिस पर वुस्अत फ़रमाए और वोह येह न समझ सके कि येह अल्लाह अज़्ज़वजल की खुफ्या तदबीर है तो वोह बिल्कुल बे अक्ल है।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 291 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 374
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❝अल्लाह की खुफ़्या तदबीर से डरना ❞
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*⚘ अल्लाह अज़्ज़वजल की खुफ़्या तदबीर से डरने का जेहन बनाने के तरीके ⚘*
╭┈► *❻ अपनी आज़माइशों पर गौर कीजिये :* सरमाया दारों वगैरा के साथ साथ नादारों, बीमारों और मुसीबत के मारों को भी अल्लाह अज़्ज़वजल की खुफ्या तदबीर से डरना लाज़िमी है कि हो सकता है इन आफतों के ज़रीए आजमाइश में डाला गया हो और नाजाइज़ गिला शिकवा, गैर शरई बे सब्री और गुरबत व मुसीबत को हराम ज़राएअ के जरीए ख़त्म करने की कोशिशें आखिरत की तबाही का सबब बन जाएं।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 291 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 375
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╭┈► *एहतिरामे मुस्लिम की तारीफ :* मुस्लिम की इज्ज़त व हुरमत का पास रखना और उसे हर तरह के नुक्सान से बचाने की कोशिश करना एहतिरामे मुस्लिम कहलाता है।
╭┈► आयते मुबारका : ❶ इरशादे बारी तआला :
*तर्जमए कन्जुल ईमान :* और मां बाप से भलाई करो और रिश्तेदारों और यतीमों और मोहताजों और पास के हमसाए और दूर के हमसाए और करवट के साथी और राहगीर और अपनी बांदी गुलाम से।
╭┈► ❷ फ़रमाने बारी तआला है :
*तर्जमए कन्जुल ईमान :* और वोह कि जोड़ते हैं उसे जिस के जोड़ने का अल्लाह ने हुक्म दिया।
╭┈► सदरुल अफ़ाज़िल हज़रते अल्लामा मौलाना सय्यिद मुहम्मद नईमुद्दीन मुरादाबादी अलैहिर्रहमा मजकूरा आयत के तहत फ़रमाते हैं या'नी अल्लाह तआला की तमाम किताबों और उस के कुल रसूलों पर ईमान लाते हैं और बाज़ को मान कर बा'ज़ से मुन्किर हो कर इन में तफरीक ( जुदाई ) नहीं करते या येह माना हैं कि हुकूके क़राबत की रिआयत रखते हैं और रिश्ते कतअ नहीं करते। इसी में रसूले करीम ﷺ की कराबतें और ईमानी करावतें भी दाखिल हैं सादाते किराम का एहतिराम और मुसलमानों के साथ मुवद्दत (प्यार व महब्बत) व एहसान और उन की मदद और उन की तरफ़ से मुदाफ़अत (दिफ़ाअ) और उन के साथ शफ्कत और सलाम व दुआ और मुसलमान मरीजों की इयादत और अपने दोस्तों, खादिमों, हमसायों सफ़र के साथियों के रिआयत भी इस में दाखिल है और शरीअत में इस का लिहाज़ रखने की बहुत ताकीदें आई हैं बकसरत अहादीसे सहीहा इस बाब में वारिद हैं।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 292 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 376
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❝ एहतिरामे मुस्लिम ❞
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*⚘ हदीसे मुबारक, एहतिरामे मुस्लिम की तरगीब ⚘*
╭┈► एक मरतबा हुज़ूर नबिये करीम ﷺ ने सहाबए किराम अलैहिमुर्रिज़वान से इरशाद फ़रमाया जानते हो मुसलमान कौन है सहाबए किराम ने अर्ज़ की अल्लाह अज़्ज़वजल और उस के रसूल ﷺ बेहतर जानते हैं तो इरशाद फ़रमाया मुसलमान वोह है जिस की ज़बान और हाथ से दूसरे मुसलमान महफूज़ रहें सहाबए किराम ने अर्ज की मोमिन कौन है इरशाद फ़रमाया मोमिन वोह है कि जिस से दूसरे मोमिन अपनी जानों और मालों को महफूज़ समझें।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 293 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 377
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❝एहतिरामे मुस्लिम ❞
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*⚘ एहतिरामे मुस्लिम का हुकम ⚘*
╭┈► एहतिरामे मुस्लिम का तकाज़ा येह है कि हर हाल में हर मुसलमान के तमाम हुकूक का लिहाज़ रखा जाए और बिला इजाजते शरई किसी भी मुसलमान की दिल शिकनी न की जाए। हमारे मीठे मीठे आका ﷺ ने कभी भी किसी मुसलमान का दिल न दुखाया न किसी पर तन्ज किया न किसी का मजाक उड़ाया, न किसी को धुतकारा, न कभी किसी की बे इज्जती की बल्कि हर एक को सीने से लगाया।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 293 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 378
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❝एहतिरामे मुस्लिम ❞
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*⚘ हिकायत, एहतिराने मुस्लिम का अजीम जज़्बा ⚘*
╭┈► हज़रते सय्यिदुना शैख़ अबू अब्दुल्लाह खय्यात रहमतुल्लाहि तआला अलैह दुकान पर बैठ कर कपड़े सिलाई करते थे एक आतश परस्त (आग की पूजा करने वाला) आप से कपड़े सिलवाता और हर बार उजरत में खोटे सिक्के दे जाता, आप ख़ामोशी से रख लेते और खोटे सिक्कों के मुतअल्लिक कुछ कहते न ही वापस लौटाते एक दिन आप रहमतुल्लाहि तआला अलैह किसी काम से कहीं चले गए आप की गैर मौजूदगी में वोह आतश परस्त आया आप को न पा कर शागिर्द को खोटे सिक्के दे कर अपना कपड़ा मांगा शागिर्द ने खोटे सिक्के देखे तो लेने से इन्कार कर दिया आप वापस तशरीफ़ लाए तो शागिर्द ने सारा माजरा बयान किया येह सुन कर आप रहमतुल्लाहि तआला अलैह ने फ़रमाया तुम ने बुरा किया, येह आतश परस्त कई साल से मुझे खोटे सिक्के ही देता आ रहा है मैं इस निय्यत से ले कर रख लेता और कुंवें में डाल देता हूं कि कहीं वोह इन से दूसरे मुसलमानों को धोका न दे।
╭┈► इस्लामी बहनों ! एहतिरामे मुस्लिम बजा लाने के लिये मुसलमानों के हुकूक की अदाएगी बहुत ज़रूरी है मुसलमानों के बा'ज़ हुकूक ऐसे हैं जो हर मुसलमान से तअल्लुक रखते हैं या'नी चाहे घरवाले हों, रिश्तेदार हों वालिदैन हों या दोस्त अहबाब हों उन का तअल्लुक हर मुसलमान से है लिहाज़ा एहतिरामे मुस्लिम की अदाएगी के लिये चन्द हुकूक मुलाहज़ा कीजिये।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 294 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 379
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❝एहतिरामे मुस्लिम ❞
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*⚘ मुसलमानों के हुकूक की तफसील ⚘*
╭┈► 1) जो अपने लिये पसन्द करे वोही अपने भाई के लिये पसन्द करे, जो अपने लिये ना पसन्द करे वोही अपने भाई के लिये ना पसन्द करे।
╭┈► 2) अपने कौलो फेल से किसी मुसलमान को तक्लीफ़ न पहुंचाए।
╭┈► 3) हर मुसलमान के साथ आजिज़ी से पेश आए और किसी पर तकब्बुर न करे क्यूंकि अल्लाह अज़्ज़वजल किसी मुतकब्बिर और इतराने वाले को पसन्द नहीं फ़रमाता।
╭┈► 4) एक दूसरे के खिलाफ़ बातें न सुने और न ही किसी की बात दूसरों तक पहुंचाए।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 294 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 380
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❝ एहतिरामे मुस्लिम ❞
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*⚘ मुसलमानों के हुकूक की तफसील ⚘*
╭┈► 5) जिस मुसलमान के साथ जान पहचान है अगर उस के साथ नाराजी हो जाए तो तीन दिन से ज़ियादा बोल चाल तर्क न करे।
╭┈► 6) जिस कदर मुमकिन हो हर मुसलमान के साथ अच्छा सुलूक करे ख्वाह वोह हुस्ने सुलूक का मुस्तहिक़ हो या न हो।
╭┈► 7) किसी मुसलमान के हां इजाज़त लिये बिगैर दाखिल न हो बल्कि तीन बार इजाज़त तलब करे अगर इजाज़त न मिले तो वापस लौट जाए।
╭┈► 8) हर एक से हुस्ने अख़्लाक़ के साथ पेश आए और उन के मकामो मर्तबे का खयाल रखते हुए उन से मुआमलात करे क्यूंकि अगर वोह जाहिल के साथ इल्मी, अनपढ़ के साथ फ़िवही और कम पढ़े लिखे के साथ फ़साहतो बलागत से भरपूर गुफ्तगू करेगा तो उन्हें भी तक्लीफ़ देगा और खुद भी तक्लीफ़ उठाएगा।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 295 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 381
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❝एहतिरामे मुस्लिम ❞
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*⚘ मुसलमानों के हुकूक की तफसील ⚘*
╭┈► 9) बड़ों के साथ इज्जतो एहतिराम से पेश आए और बच्चों पर शफ्क़त व मेहरबानी का मुआमला करे।
╭┈► 10) तमाम मख्लूक के साथ हश्शाश बश्शाश नर्म मिज़ाज रहे।
╭┈► 11) किसी मुसलमान के साथ वा'दा करे तो वफ़ा करे।
╭┈► 12) लोगों के साथ अपनी तरफ़ से मुनसिफ़ाना रवय्या अपनाए और उन्हें वोह न दे जो खुद नहीं लेना चाहता।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 295 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 382
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❝ एहतिरामे मुस्लिम ❞
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*⚘ मुसलमानों के हुकूक की तफसील ⚘*
╭┈► 13) जिस शख्स की हैअत और कपड़े उस के बुलन्द मर्तबा होने पर दलालत करते हैं उस शख्स की इज्जतो इकराम ज़ियादा करे और लोगों के साथ उन के मकामो मर्तवे के मुताबिक़ पेश आए।
╭┈► 14) जिस क़दर मुमकिन हो मुसलमानों के दरमियान सुल्ह करवाए।
╭┈► 15) मुसलमानों की पर्दापोशी करे।
╭┈► 16) तोहमत की जगहों से बचे ताकि लोगों के दिल उस के बारे में बद गुमानी का शिकार न हों और ज़बानें उस की गीबत करने से महफूज़ रहें, क्यूंकि जब लोग उस की गोबत की वजह से अल्लाह अज़्ज़वजल की ना फ़रमानी के मुर्तकिब होंगे तो वोह उस ना फ़रमानी का सबब होने की वह से उस में शरीक होगा।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 295 📚*
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❝एहतिरामे मुस्लिम ❞
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*⚘ मुसलमानों के हुकूक की तफसील ⚘*
╭┈► 17) हर हाजत मन्द मुसलमान की अपनी वजाहत के बाइस जाइज़ सिफारिश करे और जिस क़दर मुमकिन हो उस की हाजत रवाई की कोशिश करे।
╭┈► 18) हर मुसलमान के साथ बात करने से पहले सलाम करे और सलाम के वक़्त मुसाफ़हा करे।
╭┈► 19) जहां तक मुमकिन हो अपने मुसलमान भाई की इज्ज़त और उस के जानो माल को दूसरों के जुल्मो सितम से महफूज़ रखे अपनी ज़बान और हाथ के जरीए उस का दिफ़ा करे और उस की मदद करे क्यूंकि इस्लामी भाईचारा इसी बात का तकाज़ा करता है।
╭┈► 20 ) मुसलमान की छींक का जवाब दे।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 295 📚*
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❝ एहतिरामे मुस्लिम ❞
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*⚘ मुसलमानों के हुकूक की तफसील ⚘*
╭┈► 21) अगर किसी शरीर से सामना हो जाए तो तहम्मुल मिज़ाजी से काम ले और उस के शर से बचे।
╭┈► 22) अगनिया के साथ मेल जोल से इजतिनाब करे, मसाकीन के साथ मेल रखे और यतीमों के साथ हुस्ने सुलूक से पेश आए।
╭┈► 23) हर मुसलमान के साथ खैर ख्वाही करे और उस के दिल में खुशी दाखिल करने की कोशिश करे।
╭┈► 24) मुसलमान की इयादत करे।
╭┈► 25) मुसलमानों के जनाजे में शिर्कत करे।
╭┈► 26 ) कुबूरे मुस्लिमीन की जियारत करें।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 296 📚*
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❝ एहतिरामे मुस्लिम ❞
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*⚘ एहतिरामे मुस्लिम का जज़्बा पैदा करने के चार तरीके ⚘*
╭┈► *❶ एहतिरामे मुस्लिम की फजीलत पर गौर कीजिये :* मुसलमानों की इज्ज़त व आबरू की हिफाजत करना और उन का एहतिराम करना बहुत फजीलत की बात है, हर मुसलमान का दूसरे मुसलमान के साथ इस्लामी रिश्ता है जिस की वज्ह से उस पर लाज़िम है कि वोह अपने मुसलमान भाई का इकराम करे और उस की इज्जत की हिफ़ाज़त करे और हमेशा उस की बे हुरमती से बचता रहे और अगर कोई दूसरा शख्स मुसलमान की बे इज्जती करे या उसे तकलीफ़ पहुंचाए तो मुसलमान पर लाज़िम है कि वोह अपने मुसलमान भाई की मदद करे और उस की इज्ज़त पामाल न होने दे।
╭┈► चुनान्चे, हुज़ूर नबिये करीम ﷺ ने इरशाद फ़रमाया जिस ने अपने मुसलमान भाई की इज्जत की हिफ़ाज़त की अल्लाह अज़्ज़वजल कियामत के दिन उस से जहन्नम का अज़ाब दूर फ़रमा देगा। इस के बाद आप ﷺ ने येह आयते मुबारका तिलावत फ़रमाई
*तर्जमए कन्जुल ईमान :* और हमारे ज़िम्मए करम पर है मुसलमानों की मदद फ़रमाना।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 296 📚*
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❝ एहतिरामे मुस्लिम ❞
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*⚘ एहतिरामे मुस्लिम का जज़्बा पैदा करने के चार तरीके ⚘*
╭┈► *❷ मुसलमान की बे इज़्जती करने की वईदों पर गौर कीजिये :* मुसलमान की बेइज्जती करना बहुत बुरा फेल है और इस की बहुत मज़म्मत बयान की गई है बे इज्जती करने की मुख्तलिफ़ सूरतें हैं मुसलमान का मजाक उड़ाना, गाली देना, चुगली लगाना, बोहतान तराशी करना, जहां उस की इज्जत की जाती हो वहां उसे जलील करना, गीबत करना या उस की गीबत हो रही हो तो कुदरत के बा वुजूद न रोकना भी बे-इज्जती में शामिल है अगर किसी मुसलमान को जलीलो रुस्वा किया जा रहा हो तो दूसरे मुसलमान पर लाज़िम है कि उस का दिफ़ा करे अगर कुदरत के बा वुजूद उस की हिमायत नहीं करेगा तो खुद भी गुनाहगार होगा।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 297 📚*
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❝ एहतिरामे मुस्लिम ❞
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*⚘ एहतिरामे मुस्लिम का जज़्बा पैदा करने के चार तरीके ⚘*
╭┈► हुज़ूर नबिये करीम ﷺ ने इरशाद फ़रमाया सूद 70 गुनाहों का मजमूआ है और इन में सब से कम येह है कि कोई शख्स अपनी मां से बदकारी करे और सूद से बढ़ कर गुनाह मुसलमान की बे इज्जती करना है।
╭┈► फ़रमाने मुस्तफा ﷺ है जिस के सामने उस के मुसलमान भाई की गीबत की जाए और वोह उस की मदद पर कादिर हो और मदद करे अल्लाह तआला दुन्या और आखिरत में उस की मदद करेगा और अगर बा वुजूदे कुदरत उस की मदद नहीं की तो अल्लाह तआला दुन्या और आख़िरत में उसे पकड़ेगा।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 297 📚*
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❝एहतिरामे मुस्लिम ❞
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*⚘ एहतिरामे मुस्लिम का जज़्बा पैदा करने के चार तरीके ⚘*
╭┈► *❸ हुकूकुल इबाद अदा करने का जेह्न बनाइये :* हुकूकुल इबाद की इस्लाम में बड़ी अहम्मिय्यत है और इन की अदाएगी पर बहुत जोर दिया गया है एहतिरामे मुस्लिम सहीह तौर पर बजा लाने के लिये मुसलमानों के हुकूक की अदाएगी बहुत ज़रूरी है और इन हुकूक में वालिदैन, बहन भाई रिश्तेदार पड़ोसी दोस्त अहबाब के हुकूक भी शामिल हैं अगर बन्दा इन तमाम हुकूक को कामिल तौर पर अदा करने का जेह्न बनाए तो इस के सबब उस के दिल में एहतिरामे मुस्लिम का जज्बा बेदार होगा क्यूंकि येह ही वोह तमाम हुकूक हैं जिन को पूरा करने से एहतिरामे मुस्लिम अदा होता है।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 298 📚*
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❝ एहतिरामे मुस्लिम ❞
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*⚘ एहतिरामे मुस्लिम का जज़्बा पैदा करने के चार तरीके ⚘*
╭┈► *❹ हुस्ने अख़्लाक़ अपनाइये :* हुस्ने अख़्लाक़ ऐसी सिफ़त है कि जो एहतिरामे मुस्लिम की अस्ल है क्यूंकि हुस्ने अख़्लाक़ अच्छाइयों की जामे है हुस्ने अख़्लाक़ से मुत्तसिफ इन्सान ईसार, दिलजूई, सखावत , बुर्दबारी तहम्मुल मिज़ाजी हमदर्दी अखुव्वत व रवादारी जैसी आ'ला सिफ़ात से मुत्तसिफ़ होता है और येह ही वोह सिफ़ात हैं जिन से इन्सान में एहतिरामे मुस्लिम का जज़्बा बेदार होता है।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 298 📚*
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❝मुखालफ़ते शैतान ❞
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╭┈► *मुखालफते शैतान की तारीफ :* अल्लाह तआला की इबादत कर के शैतान से दुश्मनी करना अल्लाह तआला की ना फ़रमानी में शैतान की पैरवी न करना और सिद्के दिल से हमेशा अपने अकाइदो आ'माल की शैतान से हिफ़ाज़त करना मुखालफ़ते शैतान है।
╭┈► *आयते मुबारका :* अल्लाह कुरआने पाक में इरशाद फ़रमाता है
*तर्जमए कन्जुल ईमान :* और शैतान के कदम पर कदम न रखो बेशक वोह तुम्हारा खुला दुश्मन है।
╭┈► एक और मकाम पर फ़रमाने बारी तआला है
*तर्जमए कन्जुल ईमान :* बेशक शैतान तुम्हारा दुश्मन है तो तुम भी उसे दुश्मन समझो।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 299 📚*
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❝ मुखालफ़ते शैतान ❞
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*⚘ हदीसे मुबारका : शैतान की मुखालफ़त ⚘*
╭┈► हज़रते सय्यिदुना अब्दुल्लाह बिन मसऊद रादिअल्लाहु तआला अन्हु बयान करते हैं कि एक दिन हुज़ूर ﷺ ने हमें समझाने के लिये एक लकीर खींची और इरशाद फ़रमाया येह अल्लाह तआला का रास्ता हैं फिर उस लकीर के दाएं बाएं मुतअद्दद लकीरें खींची और इरशाद फ़रमाया येह मुख्तलिफ़ रास्ते हैं इन में से हर एक पर एक शैतान है जो लोगों को इस पर चलने की दावत देता है फिर येह आयत तिलावत फ़रमाई :
╭┈► *तर्जमए कन्जुल ईमान :* और येह कि येह है मेरा सीधा रास्ता तो इस पर चलो और, और राहें न चलो।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 299 📚*
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❝ मुखालफ़ते शैतान ❞
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*⚘ मुखालफ़ते शैतान का हुकम ⚘*
╭┈► अल्लामा अब्दुर्रहमान बिन अली जौज़ी रहमतुल्लाहि तआला अलैह फ़रमाते हैं शैतान मर्दूद की मुखालफ़त अल्लाह तआला के अज़ाब से बचा देती है और अल्लाह तआला के औलिया के साथ जन्नत में आ'ला मकाम अता कर देती है और उस मकाम पर पहुंचा देती है कि तुम रब्बुल आलमीन की जियारत कर सकोगे।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 300 📚*
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❝ मुखालफ़ते शैतान ❞
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╭┈► *आयते मुबारका :* अल्लाह कुरआने पाक में इरशाद फ़रमाता
*तर्जमए कन्जुल ईमान :* और शैतान के कदम पर क़दम न रखो बेशक वोह तुम्हारा खुला दुश्मन है।
╭┈► एक और मकाम पर फ़रमाने बारी तआला है
*तर्जमए कन्जुल ईमान :* बेशक शैतान तुम्हारा दुश्मन है तो तुम भी उसे दुश्मन समझो।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 300 📚*
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❝ मुखालफ़ते शैतान ❞
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*⚘ हदीसे मुबारका, शैतान की मुखालफ़त ⚘*
╭┈► हज़रते सय्यिदुना अब्दुल्लाह बिन मसऊद रादिअल्लाहु तआला अन्हु बयान करते हैं कि एक दिन हुज़ूर ﷺ ने हमें समझाने के लिये एक लकीर खींची और इरशाद फरमाया येह अल्लाह तआला का रास्ता है फिर उस लकीर के दाएं बाएं मुतअद्दद लकीरें खींची और इरशाद फ़रमाया येह मुख्तलिफ़ रास्ते हैं इन में से हर एक पर एक शैतान है जो लोगों को इस पर चलने की दावत देता है।
╭┈► फिर येह आयत तिलावत फ़रमाई
*तर्जमए कन्जुल ईमान :* और येह कि येह है मेरा सीधा रास्ता तो इस पर चलो और, और राहें न चलो।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 300 📚*
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❝मुखालफ़ते शैतान ❞
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╭┈► *मुखालफते शैतान का हुक्म :* अल्लामा अब्दुर्रहमान बिन अली जौज़ी रहमतुल्लाहि तआला अलैह फ़रमाते हैं शैतान मर्दूद की मुखालफ़त अल्लाह तआला के अज़ाब से बचा देती है और अल्लाह तआला के औलिया के साथ जन्नत में आ'ला मकाम अता कर देती है और उस मक़ाम पर पहुंचा देती है कि तुम रब्बुल आलमीन की जियारत कर सकोगे।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 301 📚*
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❝ मुखालफ़ते शैतान ❞
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*⚘ हिकायत, मौत के वक़्त शैतान की मुखालफ़त ⚘*
╭┈► जकरिय्या नाम का एक मशहूर ज़ाहिद गुज़रा है शदीद बीमारी के बाद जब उस पर सकरात का आलम तारी हुवा तो उस के दोस्त ने उसे कलिमे की तल्कीन की मगर उस ने मुंह दूसरी तरफ़ फेर लिया दोस्त ने दूसरी मरतबा तल्कीन की लेकिन उस ने इधर से उधर मुंह फेर लिया जब उस ने तीसरी मरतबा तल्कीन की तो उस ज़ाहिद ने कहा मैं नहीं कहता।
╭┈► दोस्त येह सुनते ही बेहोश हो गया कुछ देर बाद जब जाहिद को कुछ इफ़ाका हुवा उस ने आंखें खोली और पूछा तुम ने मुझ से कुछ कहा था उन्हों ने कहा हां मैं ने तुम को कलिमे की तल्कीन की थी मगर तुम ने दो मरतबा मुंह फेर लिया और तीसरी मरतबा कहा मैं नहीं कहता।
╭┈► जाहिद ने कहा बात येह है कि मेरे पास शैतान पानी का प्याला ले कर आया और दाई तरफ़ खड़ा हो कर मुझे वोह पानी दिखाते हुए कहने लगा तुम्हें पानी की ज़रूरत है मैं ने कहा हां कहने लगा कहो ईसा (अलैहिस्सलाम) अल्लाह के बेटे हैं। मैं ने मुंह फेर लिया तो दूसरे रुख की तरफ़ से आ कर कहने लगा मैं ने मुंह फेर लिया , जब उस ने तीसरी मरतबा ईसा (अलैहिस्सलाम) अल्लाह तआला के बेटे हैं। कहने को कहा तो मैं ने कहा मैं नहीं कहता।
╭┈► इस पर वोह पानी का प्याला ज़मीन पर पटख कर भाग गया मैं ने तो येह लफ्ज़ शैतान से कहे थे, तुम से तो नहीं कहे थे फिर वोह कलिमए शहादत का ज़िक्र करने लगा।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 301 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 397
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❝मुखालफ़ते शैतान ❞
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*⚘ शैतान की मुखालफ़त पर उभारने के छे तरीके ⚘*
╭┈► *❶ शैतान के मक़ासिद पर गौर कीजिये :* शैतान की मुखालफ़्त पर कमरबस्ता होने के लिये ज़रूरी है कि हमें उस के मक़ासिद मालूम हों क्यूंकि जब हमें उस के नापाक अजाइम का इल्म होगा तो हमारे दिल में उस के लिये नफरत पैदा होगी और उस की मुखालफत का जेह्न बनेगा। शैतान के चन्द मक़ासिद हैं :
╭┈► 1) बन्दे से उस का ईमान छीनना ताकि वोह दाइमी तौर पर जहन्नम का हक़दार बन जाए, अगर ईमान न छीन सके तो फिर उस का मक्सद होता है कि (2) बन्दे को फिस्को फुजूर में मुब्तला करे अगर येह अपने इस मक्सद में भी कामयाब न हो तो फिर उस की कोशिश येह होती है कि (3) बन्दे को नेक आ'माल से रोके ताकि वोह आ'ला मर्तबे को न पहुंच सके। लिहाजा इन्सान को शैतान के मजमूम मक़ासिद अपने जेह्न में रखने चाहियें ताकि दिल में उस की मुखालफ़त का जज्बा पैदा हो।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 301 📚*
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❝ मुखालफ़ते शैतान ❞
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*⚘ शैतान की मुखालफ़त पर उभारने के छे तरीके ⚘*
╭┈► *❷ अल्लाह और उस के रसूल ﷺ से महब्बत कीजिये :* शैतान अल्लाह तआला और उस के हबीब ﷺ का दुश्मन है इसी लिये वोह हमारा भी दुश्मन है और हमें उस की मुखालफ़त करनी है जब हम अल्लाह और हुज़ूर ﷺ से महब्बत करेंगे तो उन की इताअत करेंगे और उन को इताअत ही शैतान की मुखालफ़त है।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 301 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 399
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❝मुखालफ़ते शैतान ❞
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*⚘ शैतान की मुखालफ़त पर उभारने के छे तरीके ⚘*
╭┈► *❸ नेक लोगों की सोहबत इख्तियार कीजिये :* सोहबत इन्सान की ज़िन्दगी पर बड़ा गहरा असर डालती है अगर बन्दा गुनाहों में मुन्हमिक रहने वाले अफराद की सोहबत में बैठेगा तो उस के लिये खुद को गुनाहों से बचाना और अच्छे आ'माल कर के शैतान की मुखालफ़त करना बहुत दुशवार होगा लेकिन अगर बन्दा नेक लोगों की सोहबत इख्तियार करेगा तो उस के लिये नेकियां करना और बुराइयों से बच कर शैतान की मुखालफत करना आसान होगा। लिहाजा इन्सान को चाहिये कि बुरे लोगों की सोहबत से बचता रहे और हमेशा नेक परहेज़गार लोगों की सोहबत इख्तियार करे।...✍🏻
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 400
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❝ मुखालफ़ते शैतान ❞
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*⚘ शैतान की मुखालफ़त पर उभारने के छे तरीके ⚘*
╭┈► *❹ शैतान के फ़रेब को जानने की कोशिश कीजिये :* शैतान की मुखालफत करने के लिये उस के मक्रो फरेब को जानना बहुत ज़रूरी है, बा'ज़ अवकात शैतान नेकी की आड़ में बुराई को पेश करता है क्यूंकि जब वोह ब ज़ाहिर बन्दे को गुनाह की तरफ़ बुलाने पर कादिर नहीं होता तो गुनाह को नेकी की सूरत में पेश करता है और बन्दे को गुनाह में मशगूल होने का इल्म ही नहीं होता।
╭┈► मसलन आलिम को नसीहत के पैराए में कहता है क्या तुम खल्के खुदा की तरफ नज़र नहीं करते कि वोह जहालत की वज्ह से तबाह हुए जा रहे हैं और गफ्लत की वज्ह से हलाकत के करीब पहुंच गए हैं क्या तुम उन्हें हलाकत से नहीं बचाओगे? अल्लाह ने तुम्हें इल्म, फ़सीह ज़बान और बेहतरीन अन्दाज़ से नवाज़ा है तुम्हें लोगों को वा'जो नसीहत करनी चाहिये इस तरह पहले वोह बन्दे नेकी की दावत देने पर राजी करता है फिर आहिस्ता आहिस्ता उस के दिल में रियाकारी, खुद पसन्दी, तकब्बुर व गुरूर, हुब्बे जाह और दीगर बातिनी बुराइयां पैदा कर देता है और उसे इस का इल्म ही नहीं होता बन्दा अपने गुमान में नेकी कर रहा होता है लेकिन दर हक़ीक़त वोह गुनाहों के दलदल में धंसता चला जाता है, लिहाजा शैतान की मुखालफत करने के लिये उस के मक्रो फरेब का इल्म हासिल करना चाहिये ताकि उस से बचा जा सके।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 302 📚*
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❝ मुखालफ़ते शैतान ❞
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*⚘ शैतान की मुखालफ़त पर उभारने के छे तरीके ⚘*
╭┈► *❺ अल्लाह अज़्ज़वजल का ज़िक्र कीजिये :* शैतान की मुखालफ़त है करने और गुनाहों से बचने के लिये उस के वस्वसों से नजात हासिल करना ज़रूरी है और शैतानी वस्वसों से नजात का बेहतरीन ज़रीआ अल्लाह अज़्ज़वजल का ज़िक्र है। हज़रते सय्यिदुना अनस रादिअल्लाहु तआला अन्हु बयान करते हैं कि हुजूर नबिये करीम ﷺ ने इरशाद फ़रमाया शैतान इब्ने आदम के दिल पर अपनी सूंड रखे हुए होता है अगर वोह अल्लाह अज़्ज़वजल का ज़िक्र करता है तो पीछे हट जाता है और अगर अल्लाह अज़्ज़वजल को भूल जाए तो फ़ौरन उस के दिल पर गालिब आ जाता है।
╭┈► हज़रते सय्यिदुना कैस बिन हज्जाज रहमतुल्लाहि तआला अलैह फ़रमाते हैं कि मेरे शैतान ने मुझ से कहा मैं तुम में दाखिल होते वक़्त फ़र्बा ऊंटनी की मानिन्द था और अब चिड़या की तरह हो गया हूं मैं ने पूछा ऐसा क्यूं उस ने कहा तुम ज़िक्रुल्लाह के जरीए मुझे पिघलाते रहते हो।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 302 📚*
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📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 402
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❝ मुखालफ़ते शैतान ❞
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*⚘ शैतान की मुखालफ़त पर उभारने के छे तरीके ⚘*
╭┈► *❻ भूक से कम खाइये :* पेट भर कर खाना शैतान की मुखालफ़त में रुकावट बनता है क्यूंकि खाना अगर्चे हलाल और शुबे से पाक हो मगर उसे पेट भर कर खाने से शहवात को तक्विय्यत मिलती है और शहवात शैतान के हथियार हैं। मन्कूल है कि ज़ियादा खाने में छ खराबियां हैं
╭┈► 1) दिल से अल्लाह अज़्ज़वजल का ख़ौफ़ निकल जाता है।
╭┈► 2) दिल में मलूक के लिये कुछ बाकी नहीं रहता क्यूंकि वोह सभी को पेट भरा गुमान करता है।
╭┈► 3) इबादत बोझ महसूस होने लगती है।
╭┈► 4) इल्मो हिक्मत की बात सुन कर दिल में रिक्क़त पैदा नहीं होती।
╭┈► 5) खुद हिक्मतो नसीहत की बात करता है तो लोगों के दिलों पर इस का असर नहीं होता। और
╭┈► 6) इस के सबब कई बीमारियां पैदा हो जाती हैं।...✍🏻
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 303 📚*
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*📬 अल्हम्दुलिल्लाह पोस्ट मुकम्मल हुई
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