Wednesday, 16 September 2020

दोस्त किसे बनायें

 


🅿🄾🅂🅃 ➪  01

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     ❝ 🌹🤝🏻 दोस्त किसे बनायें !?❞

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              *❝ कलिमात -ए- हसन !? ❞* 

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↳ अज़ हज़रत अल्लामा मौलाना ज़ावेद रज़ा मरकज़ी साहब क़िब्ला ↲

•••➲  आज इस पुर फितन दौर में मुसलमान फ़िक्र ए आख़िरत की कमी के बाइस दुनयावी मफ़ाद की ख़ातिर किसी से भी दोस्ती कर लेते हैं और बहुत बार अपने हम नशीनों की वजह से अख़लाक़ ए रज़ीला इख़्तियार कर लेते हैं और कुछ जगह देखने में आया के अपने अक़ाइद ही बिगाड़ लेते हैं अल अमान वल हफ़ीज़ ऐसे दोस्तों से!

•••➲  जनाब हस्सान सल्लमाहु का मज़मून निहायत ही उम्दा है दोस्ती किस से की जाये? इस में काफ़ी मुआविन साबित होगा अल्लाह क़ुबूल फरमाए।...✍🏻

*आमीन*

  *📬  दोस्त  किसे  बनायें  सफ़ह - 02  📚*

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🅿🄾🅂🅃 ➪  02

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     ❝ 🌹🤝🏻 दोस्त किसे बनायें !?❞

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                  *❝  तक़रीज़!? ❞* 

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↳ अज़ उस्ताज़ ए मुहतरम हाफिज़ मुहम्मद तौहीद अहमद खान रज़वी साहब क़िब्ला, मुदर्रिस जामिया तहसीनिया जिया उल उलूम बरेली शरीफ़ ↲ 

    *“नेकों की सोहबत तुझे नेक बनाती है"*

•••➲  सोहबत इंसान पर असर अंदाज़ होती है अच्छी सोहबत के ज़रिये इंसान अच्छा बनता है और बुरी सोहबत के नताइज इंसान को बुराई की तरफ़ माइल करने की सूरत में ज़ाहिर होते हैं हदीस ए पाक का मफ़हूम है के इंसान अपने दोस्त के दीन पर होता है इस हदीस से भी हमें ये दर्स मिलता है के इंसान को दोस्त बनाते वक़्त बहुत एहतियात और समझदारी से काम लेना चाहिए और दोस्त बनाते वक़्त दीनदारी पर तवज्जोह देना चाहिए दीनदार को ही दोस्त बनायें जिसकी दोस्ती उस शख़्स को भी दीनदारी की तरफ़ माइल करे।

•••➲  मौलवी हस्सान रज़ा का ये मज़मून "दोस्त किसे बनायें? " माशा अल्लाह बहुत ख़ूब है इस मज़मून में मौलाना मौसूफ़ ने अहादीस और बुजुर्गाने दीन के अक़वाल की रौशनी में ये वाज़ेह किया है के दोस्त किसे बनाया जाये? अल्लाह तआला की बारगाह में दुआ है के मौलाना मौसूफ़ के इल्म ओ अमल में बरकतें अता फरमाए।...✍🏻 *आमीन*

*तौहीद अहमद खान रज़वी*

  *📬  दोस्त  किसे  बनायें  सफ़ह - 03  📚*

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🅿🄾🅂🅃 ➪  03

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     ❝🌹🤝🏻 दोस्त किसे बनायें !? ❞

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              *❝  पेश ए इलाज़!? ❞* 

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•••➲  इंसान की ज़िन्दगी में दोस्त की बहुत अहमियत होती है सच्चा दोस्त वही होता है जो इंसान को अच्छाइयों की तरफ़ माइल करता है और बुराइयों से बचाने की कोशिश करता है वो कभी नहीं चाहता कि उसका दोस्त गुमराह हो जाए और अंधेरी राहों में भटकता फिरे वह कभी नहीं चाहता कि उसका दोस्त इस्लामी अक़ाइद से मुंह फेरे अगर कुछ लम्हे ऐसे आते भी हैं जिसमें उसका दोस्त दूसरों की सोहबत में बैठकर ग़लत रास्ता इख़्तियार कर लेता है तो वह अपने दोस्त की इसलाह करने की कोशिश करता है वहीं दूसरी तरफ़ एक बुरा दोस्त जो इंसान को गुमराहियों के दलदल में फंसा कर उसके ईमान को बर्बाद कर देता है बुरी दोस्ती के असरात यहां तक पहुंच जाते हैं के इंसान बुरी बुरी आदतों में पढ़कर दुनियावी ज़िंदगी तो बर्बाद करता ही है साथ साथ आख़िरत भी बर्बाद कर लेता है।...✍🏻

  *📬  दोस्त  किसे  बनायें  सफ़ह - 04  📚*

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🅿🄾🅂🅃 ➪  04

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     ❝ 🌹🤝🏻 दोस्त किसे बनायें !?❞

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              *❝ पेश ए इलाज़!? ❞* 

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•••➲  मौजूदा ज़माने में जो गुमराही फ़ैल रही है वहाबी, देवबंदी, अहले हदीस, मौदूदियत और तमाम बतिल फिरकों के जरासीम समाज में फैल रहे हैं उसके फैलने की असल वजह यह भी है कि एक सुन्नी शख़्स बगैर सोचे समझे दुनियावी फ़ायदे की ख़ातिर जब किसी गुमराह शख़्स से दोस्ती कर लेता है तो वह गुमराह शख़्स रफ्ता रफ्ता अपने नज़रियों को सन्नी शख़्स के दिल में डाल देता है आख़िरकार वह सुन्नी भी अपने अक़ाइद सही ना जाने की बुनियाद पर उसकी बातों को सही समझ कर उस पर ईमान ले आता है और बर्बाद हो जाता है इस तरह के वाक्यात कॉलेज और यूनिवर्सिटी में ज़्यादा देखने में आते हैं क्योंकि वहां दोस्ती के नाम पर ऐसी वारदात होती रहती है इसलिए हर इंसान के लिए ज़रूरी है कि दोस्त बनाने से पहले उसे कुरआन और हदीस और शरियत ए इस्लामी की रौशनी में परखे फिर उससे दोस्ती के लिए हाथ आगे बढ़ाए तो यह उसके लिए बेहतर होगा।

•••➲  इस मकाले में हम अल्लाह तआला की तौफीक़ से दोस्ती की हकीक़त और उसके उसूल को बयान करेंगे जो कुरआन और हदीस और बुजुर्गान ए दीन की तालीमात से मांखूज किए गए हैं अल्लाह तआला इस मकाले को क़बूलियत अता फरमाए।...✍🏻 *आमीन*

*✍मुहम्मद हस्सान रज़ा राईनी*

  *📬  दोस्त  किसे  बनायें  सफ़ह - 04  📚*

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🅿🄾🅂🅃 ➪  05

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     ❝🌹🤝🏻 दोस्त किसे बनायें !? ❞

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*❝ गहरे दोस्त उस दिन एक दूसरे के दुश्मन होंगे लेकिन परहेज़गार, सूरह जुखरूफ़ 67 ❞* 

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•••➲  अकसर मुफ़स्सेरीन ए इकराम ने इस आयत ए करीमा की तफ़सीर में हज़रत अली रदिअल्लाहु अन्हु का ये कौल पेश किया है।

•••➲  हज़रत अली रदिअल्लाहु अन्हु ने फ़रमाया दो दोस्त मोमिन और दो दोस्त काफिर होते हैं एक मोमिन मर जाता है वो अर्ज़ करता है ऐ रब मेरे फलां शख़्स मुझे तेरी और तेरे रसूल की इताअत करने का मशवरह देता था नेक काम करने का हुक्म देता था और बुरे काम से रोकता था वो मुझ से कहता था के एक दिन मुझे तेरे सामने आना पढ़ेगा ऐ मेरे रब मेरे बाद उसे गुमराह न कर देना और जैसे तू ने मुझे राह ए रास्त पर चलने की तौफ़ीक़ दी ऐसे ही उस को भी हिदायत पर क़ायम रखना और जिस तरह तूने मेरी इज्ज़त अफ़ज़ाई की उसी तरह उस की भी इज्ज़त अफ़ज़ाई करना जब उसका दोस्त मर जाता है तो अल्लाह दोनों को यकजा करके फरमाता है तुम दोनों एक दुसरे की तारीफ़ करों चुनाचे हर एक दुसरे के मुताल्लिक़ कहता है ये अच्छा भाई है, अच्छा दोस्त है, अच्छा साथी है।...✍🏻

  *📬  दोस्त  किसे  बनायें  सफ़ह - 05  📚*

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🅿🄾🅂🅃 ➪  06

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     ❝ 🌹🤝🏻 दोस्त किसे बनायें !?❞

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*❝ गहरे दोस्त उस दिन एक दूसरे के दुश्मन होंगे लेकिन परहेज़गार, सूरह जुखरूफ़ 67 ❞* 

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•••➲  और जब दोनों काफिर दोस्तों में से एक मर जाता है तो वो अर्ज़ करता है मेरे रब फलां शख़्स मुझे तेरी और तेरे रसूल की इताअत से मना करता था बुरे काम करने का मशवरह देता था और अच्छे काम से रोकता था और मुझ से कहता था मुझे तेरे पास आना नहीं है वो बुरा दोस्त, बुरा भाई, बुरा साथी है।

📙 तफ़सीर ए मज़हरी, तफ़सीर ए कुर्तुबी, तफ़सीर दुर्रे मंसूर, तफ़सीर इब्ने कसीर

•••➲  *✍इमाम कुर्तुबी नई इस आयत के बारे में फ़रमाया।?* यह आयत हर मोमिन, मुत्तकी, काफिर और गुमराह के बारे में आम है।

📗 तफ़सीर ए कुर्तुबी

•••➲  इस तफसील से यह साबित हो गया कि अगर तुमने किसी गुमराह शख़्स से दोस्ती रखी और उसकी सोहबत इख़्तियार की तो तुम्हारा वही बुरा अंज़ाम होगा जो उस का होने वाला है फिर यह दोस्ती भी तुम्हें जहन्नम का ईंधन बनने से नहीं रोक पाएगी इसलिए दोस्ती करने से पहले देखें कि सामने वाला शख़्स किस अकीदे पर है अगर वह अहले सुन्नत व जमाअत के अक़ीदे पर मज़बूती से क़ायम है तो उस से दोस्ती करना अच्छा है और अगर ऐसा नहीं है तो यह दोस्ती तुम्हारे ईमान के लिए खतरनाक साबित होगी।...✍🏻

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     ❝🌹🤝🏻 दोस्त किसे बनायें !? ❞

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*❝ दोस्ती की हक़ीक़त कुरआन ए मजीद की रौशनी में!? ❞* 

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•••➲  हमारी दोस्ती का पहला मक़सद इस्लाम यानी अहले सुन्नत व जमाअत का फरोग करना और हर लम्हा दीन ए इस्लाम के तहफ़्फ़ुज़ के लिए गामजन रहना होना चाहिए और दूसरा मक़सद अपनी ज़िंदगी को शरियत ए इस्लामी के सांचे में ढालकर अपने दोस्तों को भी अच्छे और नेक आमाल की तरगीब देना चाहिए क्योंकि कयामत के दिन भी वही दोस्ती काम देगी जो दो मुत्तकीयों के दरमियान हो अगर हम बद किरदार गुमराह लोगों के साथ मिलकर कोई भी अच्छा काम करेंगे हालांकि हमारी नियत दुरुस्त हो तो ऐसे लोगों के साथ मिलकर अच्छा काम करने से बजाए नफ़ा के नुकसान के इमकानात ज़्यादा होंगे ऐसी दोस्ती कयामत के दिन बजाय सवाब के जान का बवाल बन जाएगी इसी को अल्लाह तआला ने कुरआन ए मजीद में इरशाद फरमाया।...✍🏻

  *📬  दोस्त  किसे  बनायें  सफ़ह - 05  📚*

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🅿🄾🅂🅃 ➪  08

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     ❝ 🌹🤝🏻 दोस्त किसे बनायें !?❞

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*❝ दोस्ती के ताल्लुक़ से एक हदीस ए पाक!? ❞* 

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•••➲  हुज़ूर अकरमﷺ ने इरशाद फरमाया आदमी अपने दोस्त के दीन (यानी तरीक़े) पर होता है इसलिए हर शख़्स को चाहिए वह इस बात का जायज़ा ले कि उसका दोस्त कौन है।?

📗तिर्मिज़ी , अबू दाऊद

*✍इस हदीस की तशरीह करते हुए अल्लामा मोहम्मद यासीन कसूरी नक्शबंदी लिखते हैं।*

•••➲  एक दोस्त दूसरे दोस्त के अक़ाईद, अफ़कार से ज़रूर मुतास्सिर होता है दोस्त अच्छा हो तो ये भी आला अख़लाक़ का मालिक होगा और अगर दोस्त बद अख़लाक़ होगा तो ये भी बद अख़लाक़ और बद ज़ुबान होगा। अरबी का मशहूर मकूला है (जिसका मफ़हूम है) किसी शख़्स से बराहे रास्त ना पूछो बल्कि उसके अहवाल उसके साथियों से दरयाफ्त करो यानी उसका साथी हुस्ने अख़लाक़ का पैकर, दीनदार, नमाज़ी, साहिबे तक़वा और सादिक़ अमीन होगा तो यह भी उन सफात का जामे होगा वरना नहीं हदीस में भी यही हकीक़त बयान की गई।...✍🏻

📙 अनवार ए नबवी शरह जामे तिर्मिज़ी

  *📬  दोस्त  किसे  बनायें  सफ़ह - 06  📚*

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     ❝ 🌹🤝🏻 दोस्त किसे बनायें !?❞

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*❝ दोस्ती के ताल्लुक़ से एक हदीस ए पाक!? ❞* 

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*✍अहमद यार खान नईमी रहमतुल्लाह अलेह इस हदीस ए पाक की तशरीह करते हुए फरमाते हैं।*

•••➲   दीन से मुराद या तो मिल्लतो मज़हब है या सीरत व अख़लाक़, दूसरे मायने ज़्यादा ज़ाहिर हैं यानी अमूमन इंसान अपने दोस्त की सीरत, अख़लाक़ इख्तियार कर लेता है कभी उसका मज़हब भी इख़्तियार कर लेता है लिहाजा अच्छों से दोस्ती रखो ताकि तुम भी अच्छे बन जाओ सूफिया फरमाते हैं। न साथ रहो मगर अल्लाह रसूल की फरमा बरदारी करने वालों के, ना दोस्ती करो मगर मुत्तक़ी से (यानी अल्लाह, रसूल के फरमाबरदारों की सोहबत इख़्तियार करो और मुत्तक़ी लोगों से दोस्ती करो) यानी किसी से दोस्ताना करने से पहले उसे जांच लो के अल्लाह रसूल का मानने वाला है या नहीं, सूफिया फरमाते हैं कि इंसानी तबीयत में अख़्ज़ यानी ले लेने की खासियत से हरीस (लालची) की सोहबत से हिर्स (लालच) ज़ाहिद की सोहबत से ज़ोहद, तक़वा मिलेगा ख़्याल रहे कि ख़ुल्लत दिली दोस्ती को कहते हैं जिससे मुहब्बत दिल में दाख़िल हो जाए यह ज़िक्र दोस्ती और मुहब्बत का है किसी फासिक, फाजिर को अपने पास बिठाकर मुत्तक़ी बना देना तबलीग है हुज़ूर अकरम ﷺ ने गुनाहगारों को अपने पास बुला कर मुत्तक़ियों का सरदार बना दिया।...✍🏻

📗मिरात उल मनाजीह

  *📬  दोस्त  किसे  बनायें  सफ़ह - 06  📚*

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     ❝🌹🤝🏻 दोस्त किसे बनायें !? ❞

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*❝ दोस्ती के ताल्लुक़ से एक हदीस ए पाक!? ❞* 

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*✍इस हदीस ए पाक का ज़िक्र फरमाते हुए हज़रत दाता गंज बख़्श रहमतुल्लाह अलेह लिखते हैं।*

•••➲   अगर उस की सोहबत नेको के साथ है अगरचे वह खुद नेक ना हो तो वह सोहबत नेक है, इसलिए की नेको की सोहबत उसे नेक बना देगी और अगर उसकी सोहबत बुरों के साथ है अगरचे वह नेक है तो यह बुरा है क्योंकि वह उसकी बुराइयों पर राज़ी है और जो बुराइयों पर राज़ी हो अगरचे वो नेक हो बहर हाल बुरा है।

📗 कशफ़्ल महजूब

•••➲  हदीस पाक में सराहत कर दी गई कि हर शख़्स को यह चाहिए कि वह इस बात का जायजा ले कि उसका दोस्त कौन है क्या वो अहले सुन्नत व जमाअत के अक़ीदे पर है? क्या उसका किरदार अच्छा है? क्या वह अल्लाह के हुक्मों की पाबंदी करता है? क्या वह गुनाहों से बाज़ रहता है? यह तमाम उमूर उसके अंदर देखना लाज़िमी होंगे तब जाकर उससे दोस्ती की जाएगी लेकिन मौज़ूदा दौर में अक़्सर लोग दोस्ती में इन सब चीज़ों का एतबार नहीं करते बल के अपने दुनयावी फायदे देखते हैं अगर इस दोस्ती से आरज़ी तौर पर फ़ायदा हो भी जाए लेकिन यह आख़िरत में कुछ काम ना आएगी और वहां हमारी जान का वबाल बन जाएगी इसलिए ज़रूरी है कि दोस्ती सुन्नी सहीहुल अक़ीदा इंसान ही से करें।...✍🏻

  *📬  दोस्त  किसे  बनायें  सफ़ह - 06  📚*

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     ❝🌹🤝🏻 दोस्त किसे बनायें !? ❞

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           *❝ बुजुर्गाने दीन के अक़वाल!? ❞* 

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•••➲  हज़रत मालिक बिन दीनार रदिअल्लाहु अन्हु ने अपने दामाद हज़रत मुगीरा बिन शोबा रदिअल्लाहु अन्हु से फरमाया ऐ मुगीरा जिस भाई या साथी की रिफ़ाक़त तुम्हें दीनी फायदा ना पहुंचाए तुम इस जहान में उसकी सोहबत से बचो ताकि तुम महफूज़ रहो।

*📗कशफुल महजूब*

•••➲  हज़रत यहया बिन मुआज रदिअल्लाहु अन्हु फरमाते हैं वह दोस्त बहुत बुरा है जिसको दुआ करने की नसीहत करनी पड़े (क्योंकि एक लम्हे की सोहबत का हक यह है कि उसे हमेशा दुआए ख़ैर में याद रखा जाए) और वह दोस्त बहुत बुरा है जिसकी सोहबत ख़ातिर तवाज़ो की मोहताज हो (क्योंकि सोहबत का सरमाया ही यह है कि हमेशा बाहमी ख़ुशी व मसर्रत में गुज़रे) और वह दोस्त बहुत बुरा है जिससे गुनाह की माफी मांगने की ज़रूरत पेश आए (इसलिए के उज़्र ख़्वाही बेगानगी की अलामत है और सोहबत में ग़ैरियत और बेगानगी जुल्म है।...✍🏻

📙 मसनवी मौलाना रूम, दफ्तर अव्वल सफह 101

  *📬  दोस्त  किसे  बनायें  सफ़ह - 07  📚*

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     ❝🌹🤝🏻 दोस्त किसे बनायें !? ❞

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        *❝ बुजुर्गाने दीन के अक़वाल!? ❞* 

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•••➲  शाह अब्दुल अज़ीज रहमतुल्लाह अलैह ने अपनी तफ़सीर फत्हुल अज़ीज़ में अल्लाह तआला के इस फरमान वो तो इस आरज़ू में हैं के किसी तरह तुम नरमी करो तो वो भी नरम पड़ जायें के ताल्लुक़ से सहल बिन अब्दुल्लाह तस्तरी रहमतुल्लाह अलैह का कौल नकल किया है फरमाते हैं हकाइक अत तंजील में है।

•••➲   के मर्द सहीहुल ईमान और मोमिन खालिस के लिए लाज़िम है कि गुमराहों, विदअतियों से मुहब्बत न करे और ना उनके साथ मजलिस करे और ना मेलजोल रखे और ना उनके हमराह खाए पिए और उसकी ज़ात में से गुमराहों के साथ नफ़रत और अदावत का इज़हार हो और जो शख़्स बद अक़ीदा लोगों से दोस्ती और प्यार करता है उस से ईमान का नूर खत्म हो जाता है।

📙 तफ़सीर अज़ीज़ी, पारह 29

•••➲   अल्लामा जलालुद्दीन रूमी रहमतुल्लाह अलैह सोहबत के ताल्लुक से मसनवी शरीफ़ में फरमाते हैं थोड़ी सी देर औलिया की हमनशीनी 100 साला बेरिया इबादत से बेहतर है अगर तू संग ए खारा व संगमरमर हो जब साहिब ए दिल के पास पहुंचेगा तो तू मोती बन जाएगा नेक की सोहबत तुझे नेक बना देगी बुरे की सोहबत तुझे बदबख्त बना देगी।...✍🏻

📕 मसनवी मौलाना रूम दफ्तर अव्वल सफह 102

  *📬  दोस्त  किसे  बनायें  सफ़ह - 07  📚*

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     ❝ 🌹🤝🏻 दोस्त किसे बनायें !?❞

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              *❝ दोस्त किसे बनाये!? ❞* 

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•••➲  आप हज़रात बखूबी जान गए होंगे के एक अच्छे दोस्त और बुरे दोस्त में क्या फर्क होता है? और हमको किसे अपना दोस्त बनाना चाहिए? हमने कुरआन, हदीस और बुजुर्गाने दीन के अक़वाल की रौशनी में फर्क ज़ाहिर कर दिया ख़ुलासा ए कलाम ये, अच्छा दोस्त वही है जो ख़ुद भी सीधे रास्ते पर चले और दूसरों को भी सिरात अल मुस्तकीम पर चलाने के लिए कोशिश करे जो ख़ुद भी हराम कामों से बचता हो और दूसरों को भी हराम कामों से बचाने की कोशिश करता हो जो ख़ुद भी अल्लाह और रसूल अकरम ﷺ, अल्लाह के महबूब बंदो से मोहब्बत करता हों और दूसरों को भी उन ज़वात ए मुक़द्दसा से मुहब्बत करने का दर्स देता हो जो ख़ुद भी अल्लाह और हुज़ूर अकरम ﷺ के दुश्मनों से नफरत करता हो और दूसरों को भी नफ़रत करने की तलकीन करता हो और बुरा दोस्त वह है जिसका ख़ुलासा इन अशआर में है जिसका मफ़हूम है।...✍🏻 *पोस्ट आगे*


  *📬  दोस्त  किसे  बनायें  सफ़ह - 07  📚*

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     ❝🌹🤝🏻 दोस्त किसे बनायें !? ❞

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              *❝  बुरा दोस्त कौन है!?  ❞* 

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•••➲  बुरे दोस्त की सोहबत से दूर भागो क्योंकि बुरा दोस्त बुरे सांप से भी ख़तरनाक और जानलेवा है क्यों के सांप के डसे हुए को सिर्फ़ जान का ख़तरा है और बुरे दोस्त की सोहबत से जान के साथ ईमान का भी ख़तरा है।

•••➲   बुरी सोहबत की मिसाल ऐसी है जैसे पाक साफ दूध में दो कतरे पेशाब के गिर जाएं तो दूध पलीद हो जाता है और वह दूध पीने के क़ाबिल नहीं रहता है इसी तरह बुरे दोस्त की सोहबत से नेक इंसान भी बुरा हो जाता है और उस सोहबत की इंतहा यह होती है कि उससे ईमान का नूर खींच लिया जाता है और बर्बाद हो जाता है इसलिए ज़रूरी है कि अपनी ज़िन्दगी को अच्छे दोस्तों के साथ मुज़य्यन करें जो तुम्हें दुनिया में क़ामयाब करें और आख़िरत में भी अपने साथ जन्नत में ले जाएं।...✍🏻

  *📬  दोस्त  किसे  बनायें  सफ़ह - 08  📚*

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🅿🄾🅂🅃 ➪  15

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     ❝ 🌹🤝🏻 दोस्त किसे बनायें !?❞

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              *❝ बुरा दोस्त कौन है!? ❞* 

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•••➲  आखिर में आला हज़रत रहमतुल्लाह अलैह की वसीयत को पेश करना चाहूंगा जो आपने उम्मते मुस्लिमा की रहनुमाई के लिए फ़रमाई थी तुम मुस्तफा ﷺ की भोली भेड़ें हो, भेड़िए तुम्हारे चारों तरफ़ हैं यह चाहते हैं कि तुम्हें बहका दें तुम्हें फ़ितने में डाल दें तुम्हें अपने साथ जहन्नम में ले जाएं उन से बचो और दूर भागो, देओबंदी हुए राफ्ज़ी हुए, नेचरी हुए ,कादयानी हुए, चकड़ालवी हुए गरज़ कितने ही फ़िरते हुए और अब सब से नए गांधवी हुए जिन्होने उन सब को अपने अंदर ले लिया ये सब भेड़िये हैं इन के हमलों से अपना ईमान बचाओ हुज़ूर ﷺ अल्लाह के नूर हैं, हुज़ूर ﷺ से सहाबा रौशन हुए और उनसे ताबाईन रोशन हए, ताबेईन से तबे ताबेईन रोशन हुए उनसे अयम्मा ए मुज्तहेदीन रौशन हुए उनसे हम रौशन हुए अब हम तुमसे कहते हैं यह नूर हमसे लो तुम्हें इसकी ज़रूरत जो कि तुम हम से रोशन हो, वह नूर यह है कि अल्लाह और रसूल ﷺ की सच्ची मोहब्बत उनकी ताजीम और उनके दोस्तों की ख़िदमत और उनकी तकरीम और उनके दुश्मनों से सच्ची अदावत।

•••➲  जिससे अल्लाह रसूल ﷺ की शान में अदना तौहीन पाओ फिर वह तुम्हारा कैसा ही प्यारा क्यों ना हो फौरन उससे जुदा हो जाओ जिसको बारगाह ए रिसालत ﷺ में जरा भी गुस्ताख देखो फिर वह तुम्हारा कैसा ही बुजुर्ग मुअज्ज़म क्यों ना हो अपने अंदर से उसे दूध से मक्खी की तरह निकाल कर फेंक दो।

📙  वसाया  शरीफ़

•••➲   इस वसीयत पर आप हज़रात अमल करें और मज़हब ए अहले सुन्नत वा जमाअत पर कायम रहें अल्लाह से दुआ है कि हमें बद अकीदा लोगों की सोहबत से बचाए और ईमान पर क़ायम रखे।...✍🏻 आमीन सुम्मा आमीन

  *📬  दोस्त  किसे  बनायें  सफ़ह - 08  📚*

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*📮पोस्ट मुकम्मल हुई अल्हम्दुलिल्लाह 🔃* 

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