🅿🄾🅂🅃 ➪ 01
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❝एक औरत की पैदाइश !? ❞
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࿐ अहम्दुलिल्लाह मै एक मोमिन घराने मैं पैदा हुयी और इस बात के लिये मै अल्लाह का जितना शुक्र करूँ कम है, क्यों ना शुक्र करूँ!?
࿐ अल्लाह अगर चाहता तो मुझे किसी काफिर के घर पैदा कर सकता था, लेकिन मुझे मेरे रब ने मोमिन वालिदैन के घर पैदा फ़रमाया! *अल्हम्दुलिल्लाह सुम्मा अल्हम्दुलिल्लाह
࿐ जैसे ही मै पैदा हुयी मेरे वालिदैन ने सबसे पहली जो आवाज़ सुनायी वो उस वहदहू ला शरीक का ज़िक्र था यानी मेरे मोमिन वालिदैन ने अज़ान दिलवायी।
࿐ अब शुक्र का मक़ाम ही तो है ना? अभी बच्चे ने माँ बाप को नहीं देखा, उस वहदहू ला शरीक की वहदानिय्यत का ऐलान सुन लिया। *कुरबान सद हा कुरबान।*
࿐ ऐसा मोमिन घराना और ऐसे ईमान वाले वालिदैन... *सुब्हान अल्लाह*
࿐ इस के बाद मुझे माँ बाप ने देखा। मै क्यों ना फख्र करूँ कि अल्लाह ने मुझे अपने हबीबﷺ की उम्मत में पैदा फ़रमाया है। *सुब्हान अल्लाह*..✍🏻
*📬 बिन्ते हव्वा एक संजीदा तहरीर सफ़ह - 01 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 02
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❝ औरत का मक़ाम !? ❞
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࿐ अल्लाह तआला के हबीब ﷺ ने हमें वो ऊँचा मर्तबा दिलवाया, वो मर्तबा कि बाबा के लिये रहमत, भाई का गुरुर, शौहर के दिल का सुकून, बच्चों के लिये जन्नत।
*☝🏻 क्या ये मेरे अल्लाह का अहसान नहीं?*
࿐ बहुत बड़ा अहसान है। फिर क्यों ना इस्लाम की मुक़द्दस शहज़ादियाँ अपने ऊपर नाज़ करें?।...✍🏻
*📬 बिन्ते हव्वा एक संजीदा तहरीर सफ़ह - 02 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 03
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❝मक़ामे ग़ौर !? ❞
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࿐ अब मक़ामे गौर कि क्या हम सच में इस्लाम के दिये हुये मक़ाम व मर्तबे को पहचान रहे हैं? क्या हमें इस्लाम ने जो ज़िम्मेदारी दी है उस को निभाने की कभी कोशिश की है?
࿐ क्या हुआ? हम कौन हैं? कभी खुद से पूछा? अगर हम पूछे तो हमें जवाब ज़रुर मिलेगा लेकिन हमें इतनी फुरसत नहीं!
࿐ ऐ मेरी इस्लाम की मुक़द्दस शहजादियों! हम पे बहुत बड़ी जिम्मेदारियाँ हैं, इन्हें निभाने का वक़्त अब आ गया है ज़रा खुद पे भी गौर करें।
࿐ अल्हाददुलिल्लाह मैं अल्लाह तआला की एक ख़ूबसूरत तख्लीक़ हूँ अल्लाह तआला ने मुझे अपने नबी की पसली से बनाया है मैं क़ुदरत का एक नायाब तोहफ़ा हूं लेकिन ज़माने के खुदाओं ने मेरा वो हश्र किया कि आप ने तारीख़ का मुताला किया होगा मुझे क्या से क्या बना दिया।...✍🏻
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 04
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❝मक़ामे ग़ौर !? ❞
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࿐ अल्लाहु अकबर ज़्यादा पीछे जाने की ज़रूरत नहीं बस इस्लाम से पहले का ही मेरा हाल देख लें इस्लाम से पहले मेरी कोई अपनी पहचान ही नहीं थी कोई मुझे जिंदा दरगोर कर रहा था तो कोई मेरे साथ जानवर से भी बदतर सुलूक कर रहा था अल्लाहु अकबर बेटी जिन्दा दरगोर, बीवी के साथ ग़ुलाम से भी ज़्यादा बदतर सुलूक और मां का तो पूछो ही मत...! यहां बाप मर गया वहां मेरा सौदा किया जाता, चाहे तो मुझे बाप के विसें रख लेते थे नहीं तो मेरा सौदा कर लेते अल्लाहु अकबर अल्लाहु अकबर...
࿐ क्या तमाशा था मेरे वजूद का कुरबान जाऊं दीने इस्लाम के हर एक हुक्म पर कि किस तरह मुझे मेरे वक़ार व इज्ज़त को वो मक़ाम दिया कि रहती दुनिया तक इस को नहीं बदल सकता फिर में क्यों ना अपने मुसलमान होने पे फ़ख़र करूं? नाज़ करूं! क्यों ना अल्लाह तआला के हबीब ﷺ के बयानकर्दा उसूलों और क़वानीन को अपना निस्बुल ऐन बना लूं मैं इस के हर हुक़्म और क़ानून पर सद दर्ज़े कुरबान क्यों ना रहूं?।...✍🏻
*📬 बिन्ते हव्वा एक संजीदा तहरीर सफ़ह - 03 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 05
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❝ हदीस शरीफ़ !?❞
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࿐ क्यों के यही वो दीन है जिस में अल्लाह तआला के हबीब ﷺ ने फ़रमाया है।?
࿐ *हदीस :* रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया है कि जिस के यहां बेटी पैदा हो और वो उसे ईज़ा ना दे और ना बुरा जाने और ना बेटे पे फज़ीलत दे तो अल्लाह त'आला उस शख़्स को जन्नत में दाख़िल करेगा।...✍🏻
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 06
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❝इतना ही !? ❞
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࿐ अल्लाह तआला के हबीब ﷺ ने ये अमल बताया ही नहीं बल्कि बेटी के साथ निभाया भी है इस का सुबूत कई हदीसों से साबित है।
࿐ जब कभी हज़रते फ़ातिमा ज़हरा रदिअल्लाहु तआला अन्हा काशाना -ए-हबीब पे तशरीफ़ लाती तो अल्लाह तआला के हबीब ﷺ इन के इस्तिक़बाल के लिये ख़ुद तशरीफ़ लाते बीबी फ़ातिमा रदिअल्लाहु तआला अन्हा का माथा चूमते, बेतहाशा मुहब्बत फ़रमाते। *सुब्हानअल्लाह सुब्हानअल्लाह..*
࿐ अल्लाह तआला के हबीब ﷺ ने यहां तक कहा है कि मेरी फ़ातिमा मेरे कलेजे का टुकड़ा कुरबान जाऊं मेरे दीने इस्लाम पर कि अल्लाह तआला ने इस मज़हब में मुझे पैदा फ़रमाया वो बेटी किया बेटी थी, इस बेटी ने अपने बेटी होने का पूरा-पूरा हक़ अदा किया ये है सरदारे अम्बिया की बेटी, जन्नती औरतों की सरदार, घर के सारे काम ख़ुद अपने हाथों कर रही हैं इन के ग़ुलाम तरह-तरह की नैमतें ख़ा रहे हैं और ये पानी पे गुज़ारा कर के भी शुक्र अदा कर रही हैं अल्लाह, अल्लाह! बिन्ते रसूल ﷺ सब्र, शुक्र, सखावत, तक्वा, परहेज़गारी ये सब अल्फाज़ बीबी फ़ातिमा रदिअल्लाहु तआला अन्हा के आगे छोटे लगते हैं।...✍🏻
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 07
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❝ इतना ही !?❞
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࿐ इस बेटी ने दुनिया को ऐसी मिसाल दी है कि रहती दुनिया तक कोई ऐसी मिसाल क़ायम कर ही नहीं सकता कभी वक़्त मिले तो हम ग़ौर करें कि इतना उँचा मक़ाम व मरतबा हमें इस्लाम ने दिया क्या हमने इस पर कभी ग़ौर किया है?
࿐ मैं आप को यक़ीन के साथ कहूँगी कि ऐसा दर्ज़ा औरत का आप को किसी भी मज़हब में नहीं मिलेगा कभी तो हम अपने हालते ज़ार पर रहम करें आज बाबा के घर की बेटी, भाई की ग़ैरत, अम्मी के आँखों की ठंडक, आज मै बेटी ही हूँ, अभी मुझे ज़िन्दगी के बहुत मरहले तय करना हैं क्या मैं तैय्यार हूँ..! क्या आप तैयार है एक कनीज़ की आवाज़ है अमल आपको करना है।...✍🏻
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 08
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❝ मैं कौन और कहाँ !? ❞
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࿐ इस्लाम ने मुझे अपने मुस्तक़बिल को सँवारने के लिये इतनी वसी और रौशन तालीमात फराहम की है, क्या मैं इन को अपना रही हूँ, बस मुझे आगे बढ़ना है ये आगे बढ़ने की चाह मुझे दुनिया के दलदल में फँसा रही है बस मैं फँसी जा रही हूँ मैं आज इस क़द्र दुनियावी उलूम हासिल करने के बाद भी खाली हाथ ही हूँ।
࿐ मैं बाबा की जान, माँ की आँखों की ठंडक, वालिदैन के घर की मलिका, अपने ही मन की करने वाली, कभी-कभी माँ अहसास दिलाने की कोशिश कर रही है पर मैं इस बात को मज़ाक़ में ले रही हूँ माँ ज़िंदगी के तजुर्बें से अनकही बात से समझाने की कोशिश कर रही है और मै समझ ही नहीं रही हूँ हर काम में अपनी ही मनमानी।...✍🏻
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 09
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❝ मैं कौन और कहाँ !?❞
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࿐ ऐसी लाडो हूँ मैं, अपने बाबा के घर की राहते जान, कल की कुछ फ़िक्र नहीं, बस अपने बाबा की सल्तनत की राजकुमारी बाबा मेरी हर ख़्वाहिश पर अपनी जान न्यौछावर कर रहे हैं, मुझे आला से आला तालीम दिलाने के लिये परेशान हैं अपनी हर ख़्वाहिश, मेरे ख़्वाबों को पूरा करने के लिये कुरबान कर रहे हैं मैं मेरे ख़्वाबों को इन की आँखों में ज़िन्दा ताबीर होते देखती हूँ इस बेटी को अपनी असलिय्यत की भी पहचान ही नहीं है डिग्री पे डिग्री हासिल कर रही है माँ कोशिश कर रही है कि अस्ल बात को सीधे सीधे लफ्ज़ों में कहूँ लेकिन बेटी की कामियाबी को देख कर खामोश है।
࿐ लेकिन एक बेटी चाहती है खुल कर कहे कि ज़िंदगी के लिये सिर्फ़ डिग्री ही नहीं, तहज़ीब भी चाहिये और वो तहज़ीब व तमद्दुन सिर्फ़ और सिर्फ़ हमें तालीमाते कुरआन से ही हासिल होता है।...✍🏻
*📬 बिन्ते हव्वा एक संजीदा तहरीर सफ़ह - 07 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 10
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❝ सिर्फ़ एक बच्ची नहीं!? ❞
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࿐ हम यह समझते हैं कि अभी बच्ची है नहीं नहीं इस बच्ची की गोद में कल की नस्ल परवान चढ़नी है आज ही इस बच्ची को ऐसी मज़बूत बनाओ कि कल इस की गोद में जो नस्ल परवान चढ़े वो हालात का रुख मोड़ने वाली औलाद हो ये बेटी मामूली बेटी नहीं है, इस की गोद में क़ौम व मिल्लत के जौहर पल रहे हैं जो कल एक मिसाल बनेंगे।
࿐ मुझे ऐसी तालीमात मिलनी चाहिये लेकिन नहीं मुझे माँ बाबा तेज़ धूप से बचाते हैं, मुझे चलने के लिये साफ शफ़ाफ ज़मीन हमवार करते हैं, कभी तकलीफ़ को मेरे क़रीब आने नहीं देते।
࿐ वो जानते हैं कि उन की शहज़ादी परायी है कल किसी के घर की ज़ीनत बनेगी फिर भी सारे जहान की खुशियाँ इसके कदमों पे न्यौछावर करने के लिये दिन रात ख़्वाब देखते है।...✍🏻
*📬 बिन्ते हव्वा एक संजीदा तहरीर सफ़ह - 07 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 11
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❝मेरे वालदैन ने मेरी फ़िक्र में!? ❞
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࿐ वो मुझे एक अलग ही म्यार पर देखना चाहते है इस म्यार पर पहुँचाने के लिये दुनिया से मुक़ाबला करने लगे मुक़ाबला करते करते इस्लामी तालीमात से ही दूरी हो गई अल्लाहु अकबर!
࿐ मैं इस्लाम की बेटी हूँ, बेटी को अपनी ज़िन्दगी की हर जंग खुद अकेली लड़नी पड़ती है, चाहे ऐतबार की हो या किरदार की।...✍🏻
*📬 बिन्ते हव्वा एक संजीदा तहरीर सफ़ह - 08 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 12
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❝ मैं इसलिए पैदा नहीं की गई !? ❞
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࿐ मेरा म्यार ही जुदा है लेकिन दुनिया हासिल करने में सर्फ़ कर दिया है बेटी के लिये मेरे दीन इस्लाम ने बहुत बड़ा दर्जा रखा है।
࿐ आह! मैने शायद बेटी बन कर इस्लामी म्यार पर चलने की कोशिश ही नहीं की कोई ग़ैर देखे रश्क करे लेकिन खुद पर मुझे शायद अफसोस हो रहा है।
࿐ क्या शान है इस्लाम में बेटी की लेकिन मेरी अपनी ज़िंदगी में इस्लाम शायद बस मेरे नाम तक ही महदूद है ना इल्म, ना अमल में।
࿐ अभी मै बेटी ही हूँ, मुझे खुद पर भी ग़ौर करना ज़रूरी था माँ बाबा की बेपनाह मुहब्बत ने ये समझने ही नहीं दिया कि इस्लाम की बेटी एक ज़िम्मेदार बेटी है।...✍🏻
*📬 बिन्ते हव्वा एक संजीदा तहरीर सफ़ह - 08 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 13
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❝तालीमाते इस्लाम !? ❞
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࿐ अगर सच में बचपन में ही तालीमे इस्लाम से वाक़िफिय्यत हासिल होती तो बाबा को भी वो क़ौमो मिल्लत का रहनुमा बना सकती है भाई के हाथों को ज़ुल्म के खिलाफ़ तलवार उठाने में मदद कर सकती है अल्लाह ने औरत के अंदर वो फितरी खुबियाँ रखी हैं जो एक वक़्त में हालात बदल सकती हैं लेकिन तब ही ये बात हो सकती है जब इस इस्लाम की मुकद्दस शहज़ादी को तालीमे इस्लाम मिले।
࿐ लगता है खुदा की ज़ात पर भरोसा नहीं, आगे की ज़िंदगी कैसी होगी? मालूम नहीं इसलिये इस बेटी को दुनिया की डिग्री पे डिग्री दिलवा रहे हैं और वो भी एक अन-देखे मुस्तक़बिल के लिये! अरे अगर हम दीन की तालीम दिलवायेंगे तो सच में इस्लाम की ये बेटी दुनिया के हर हालात का मुकाबला बा-खुबी करेगी।
࿐ हम अपने अस्लाफ पे नज़र करें तो बेशुमार इस्लाम की बेटियों की मिसालें हमें मिलेगी अब जब मैं दुनियावी तौर पर एक अच्छे मकाम पर पहुंची हूं अब मेरे मां बाबा की अलग फिक्र।...✍🏻
*📬 बिन्ते हव्वा एक संजीदा तहरीर सफ़ह 8-9 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 14
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❝ एक मोड़ !?❞
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࿐ अब मेरे माँ बाबा को लगता है कि उन्होंने मुझे एक अच्छे और मज़बूत मक़ाम पर पहुँचाया है अब इन्हें एक आला म्यार के रिश्ते की तलाश है वो हर मुम्किन कोशिश कर रहे है।
࿐ कभी-कभी फ़िक्र व परेशानी के आलम में उन्हें डूबा देख कर ना जाने एक अज़ीब सा खालीपन महसूस करते हुये मुझे अब ख़ुद पे गौरो फ़िक्र करने का मौक़ा मिल रहा है।
࿐ मैं मेरे माँ बाबा के लिये रहमत हूँ कि ज़हमत, तजस्सुस अब ज़ोर पकड़ने लगी है।...✍🏻
*📬 बिन्ते हव्वा एक संजीदा तहरीर सफ़ह - 09 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 15
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❝ एक मोड़ !?❞
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࿐ यही गौरो फ़िक्र मुझे मेरे रब से जोड़ रहा है इतनी दुनिया की तालीमात मुझे वो सहारा नहीं दे रही है जो अल्लाह के लिये किया गया एक लम्हा -ए- फ़िक्र मुझे सहारा दे रहा है ख़ुद पे गौरो फ़िक्र मुझे बहुत कुछ अन्जाने में सिखा रहा है ख़ैर उन का ख़्याल है जैसा मुझे हमसफ़र चाहिये उन्हें लगता है मुझे वैसा ही हमसफर मिल गया है लेकिन अब इस इस्लाम की बेटी के अन्दर एक अलग इन्क़िलाब बरपा हो गया है।
࿐ *मैं बदल रही हूँ :* ये दुनियावी म्यार, आला दर्जा, मक़ाम व मर्तबा मुझे शायद इन बातों से चिड़ महसूस होने लगी है ख़ैर जो अल्लाह तआला की चाह वही इस इस्लाम की बेटी की चाह।...✍🏻
*📬 बिन्ते हव्वा एक संजीदा तहरीर सफ़ह - 09 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 16
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❝ एक फ़िक्र !?❞
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࿐ इस्लाम ने रिश्ता जोड़ने के लिये किस बात को तरजीह दी है? दौलत को, खानदानों को, मक़ाम, मर्तबा को या दीनदारी को, अख्लाक़ को..?
࿐ एक लड़की के लिये बस एक माजूर व मालदार लड़का ही चाहिये...? क्या एक अख्लाक़ वाले को मालदारी पे तरजीह नहीं दी जायेगी..? क्या मालदार लड़का ही ज़िंदगी में कामियाब होगा..? क्या कामयाबी दौलत व सरवत ही कमाने का नाम है..? दीनदारी के साथ सुकून के साथ बसर होने वाली जिंदगी कामियाब ज़िंदगी नहीं है...?
࿐ हमें ये सवाल अपने आप से करने होंगे इस्लाम ने निकाह कितना आसान किया और हमारी ना ख़त्म होने वाली ख़्वाहिशात ने इस को कितना मुश्किल किया है।...✍🏻
*📬 बिन्ते हव्वा एक संजीदा तहरीर सफ़ह - 10 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 17
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❝ निकाह !?❞
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࿐ जब तुम अपनी लड़की या लड़के का निकाह करो तो इन बातों को अहमिय्यत दो। मफहूमे हदीस रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया है ये चार चीजें देखी जाती हैं। 1) दौलत मन्दी, 2) खानदानी शराफत, 3) खूब सूरती, 4) दीनदारी।
࿐ लेकिन तुम दीनदारी को इन सब चीज़ों पर समझो यानी तरजीह दो।
📗बुखारी, मुस्लिम व मिश्कात जिल्द 2, सफहा नम्बर 228
࿐ लेकिन आज हम सिर्फ़ और सिर्फ़ मालदारी को ही तरजीह दे रहे हैं! तो बताओ इस निकाह में कहां से बरकत आयेगी? बरकत के लिये निकाह कर रहे हैं तो दीनदारी को तरजीह दें इसलिये शादी से पहले शादी के सारे हुक़ूक का इल्म होना अफज़ल है खैर जिस मुआशरे से मै वाबस्ता हूँ इस में ये सब कहाँ? मैं बाबा के घर के आँगन के बाग की आज़ाद चिड़िया थी अब मैं किसी के दिल का सुकून, किसी की ज़िम्मेदारी बनने जा रही हूँ अब तक बेटी थी और अब बीवी घर की ज़ीनत, किसी के माल व औलाद की हिफाज़त करने की ज़िम्मेदारी बनने जा रही हूँ बहुत से सवालात दिलो दिमाग को परेशान कर रहे हैं एक अन्ज़ान खुशी कहूँ या खौफ़? समझने में मुझे बहुत मुश्किल हो रही है।...✍🏻
*📬 बिन्ते हव्वा एक संजीदा तहरीर सफ़ह - 11 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 18
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❝निकाह !? ❞
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࿐ एक आम सी लड़की की तरह मैं ख़ुश क्यों नहीं हूँ? ये सवाल मैं ख़ुद से कर रही हूँ वालिंदैन बहन भाइयों की ख़ुशी देख कर उनसे कहीं ज़्यादा ख़ुश होने का अहसास दिलाने की कोशिश कर रही हूँ दुनिया की तालीमात से लबरेज़ सभी दुख्लराने इस्लाम को मैं एक फ़िक्र देने की कोशिश कर रही हूँ।
࿐ क्या हम सच में एक कामियाब ज़िंदगी का ख़्वाब बस एक आला तालीम याफ्ता शौहर ही चाहती हैं या कामियाबी का मतलब कुछ और है? ज़िन्दगी तो काफ़िर भी इसी तरह जी रहे हैं क्योंकि कामियाबी का मतलब वो भी नहीं समझते हैं क्या दुख्तराने इस्लाम की ख़्वाहिश बस इतनी सी बन कर रह गयी है? एक महल नुमा घर की क़ैद ज़ेवरात की ज़ंजीरों में मुक़य्यद बन कर रहना ही कामियाब ज़िंदगी है? या वो कुछ और चाहती हैं? इस्लाम ने इस निकाह के मुआमलात में कहने का हुक्म दिया है इस पर ग़ौर करना आज इस्लाम की मुक़द्दस शहज़ादियों के लिये ज़रुरी है।...✍🏻
*📬 बिन्ते हव्वा एक संजीदा तहरीर सफ़ह - 12 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 19
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❝निकाह की बात बढ़ती है !? ❞
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࿐ ख़ैर निस्बत तय पाने के बाद एक ग़ैर शरई रस्म को इस मुआशरे ने अपने ऊपर फ़र्ज़ कर लिया है मंगनी अक़्ल वालों के क़रीब बहुत ही वाहियाना रस्म है जो एक बे-हयाई का मज्मूआ है।
࿐ वो बाबा जो अपनी बेटी को हमेशा दुनिया की नज़रों से बचाया करते, कोई गलत नज़रों से देखे तो उसकी आँखों को निकाल कर उसी के ही हाथ में दे दे, ऐसी हिम्मत रखने वाले वो भाई जो अपनी बहन की तारीफ़ किसी से सुने तो अपनी ग़ैरत का जनाज़ा महसूस करते आज यही बाबा और भाई एक ग़ैर शरई रस्म में ख़ुद मुन्हमिक हो कर निस्बत तय के यक़ीन दहनी का ढिंढोरा पिटवा कर अपने घर की इज़्ज़त का तमाशा बना कर गैरों की नजरों का मरकज़ बन रहे हैं एक तो शरीअत में इसकी कोई अस्ल है ही नहीं (ज़्यादा से ज़्यादा निकाह के वादे को मंगनी कह लीजिये पर आज कल तो मंगनी ने पुराने निकाह को पीछे छोड़ दिया है यानी इस क़द्र मुबालिगा और ख़र्च कि निकाह हो जाये।) सिर्फ आप की बेटी की निस्बत तय पाई है निकाह नहीं हुआ वो आप की लड़की के लिये ना महरम ही है।...✍🏻
*📬 बिन्ते हव्वा एक संजीदा तहरीर सफ़ह - 13 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 20
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❝ निकाह की बात बढ़ती है !?❞
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࿐ मंगनी की ग़ैर शरई रस्मों में अपने घर की इज्ज़त व ग़ैरत की धज्जियाँ उड़ाने के लिये सजा सँवार कर उस के सामने पेश किया जा रहा है अभी भी आपकी लड़की के लिये हलाल नहीं है, जब तक निकाह ना हो उस का आप की लड़की को देखना, छूना, बात करना नाजाइज़ नहीं बल्कि हराम है। (ये अलग सी बात है कि एक नज़र देख सकता है पर इस का भी कोई तरीक़ा है और कोई हद होती है।)
࿐ उसे तमाम घर वाले माँ-बाबा, भाई बहनें सजा सँवार कर स्टेज पर खड़ा करते हैं (वलीमा की तक़रीब में ऐसा देखने को मिलता है) यहाँ किसी को शायद बुरा लगे पर लड़के के दोस्तों और फ़ोटो, वीडियो ग्राफर की नज़रों की प्यास बुझाने का ज़रिया बना कर खड़ा किया जाता है। *अल्लाहु अकबर अल्लाहु अकबर...!*
࿐ ये क्या तमाशा है? वालिदैन के लिये एक ग़ौर करने का लम्हा, कहाँ गयी बाबा की इज्ज़त? कहाँ गयी भाई की ग़ैरत? कहाँ गये वो मुआशरे की तहज़ीब व तमद्दुन के ठेकेदार, जो बात-बात पर नुक़्ता चीनी कर के मुआशरे में अपनी ग़ैरत का मुहाज़िरा करते फिरते हैं? इस मुआमले में अब खामोशी इख्तियार क्यों किये है हम कहाँ जा रहे हैं? क्या ये मक़ामे ग़ौर नहीं गैरत मंदों के लिये?।...✍🏻
*📬 बिन्ते हव्वा एक संजीदा तहरीर सफ़ह - 14 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 21
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❝ निकाह आसान है!? ❞
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࿐ इस्लाम ने निकाह को बहुत ही आसान किया है और पाकीज़ा तरीक़ा बयान किया है लेकिन हमने तो मंगनी में ही बेहयाई की कोई क़सर नहीं छोड़ी निकाह को जी-शऊर सुने तो कितनी पाकीज़गी महसूस करे लेकिन चंद अरमान के मारों ने निकाह जैसे पाकीज़ा रिश्ते का नक्शा ही बदल कर रख दिया है।
࿐ आज निकाह में अरमान के नाम पर ना जाने कितने हराम काम हम से सादिर हो रहे हैं, कभी हम ने ग़ौर किया है? सोचा कि कितनी नमाज़े क़ज़ा हुयी? कितनी बे-पर्दगी? कितनी बद-निगाही हो रही है? कोई तो दर्द महसूस कीजिये!?
࿐ हम एक मुक़द्दस रिश्ता बनाने जा रहे हैं, वो भी अल्लाह तआला और उस के हबीब ﷺ को नाराज़ करके, तो फिर कैसे इस रिश्ते में बरकत नाज़िल होगी?
*नोट* ⚠️ किसी को कोई अहसास है कि सब दुनिया और ग़ैर मज़हबी रंग में मस्त होकर अपने अपने अरमान पूरे कर रहे हैं।...✍🏻
*📬 बिन्ते हव्वा एक संजीदा तहरीर सफ़ह 14-15 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 22
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❝ एक ये भी !?❞
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࿐ मेहंदी अब दुल्हन की कोई सहेली नहीं बल्कि मेहंदी डिज़ाइनर! अरे वो भी मर्द लोग! अल्लाह अल्लाह कहां मर गयी घर के मर्दो की ग़ैरत?
࿐ क्या कर रहे हो, थोड़ा तो शर्म महसूस कीजिये कैसे नाज़िल हो इस जोड़े पर अल्लाह की रहमतें।...✍🏻
*📬 बिन्ते हव्वा एक संजीदा तहरीर सफ़ह - 15 📚*
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❝ और भी बातें है!?❞
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࿐ अब हल्दी के नाम पर भी इन्तिहाई वाहियाना रस्म होती है।
࿐ क्या मर्द और क्या औरतें, दुल्हन के साथ साथ एक दूसरे को हल्दी ही नहीं बल्कि पानी से नहलाते फिरते हैं और हंसी मज़ाक़ के नाम पर कुछ नहीं बहुत कुछ होता है पानी से शराबूर औरत के हर आज़ा (Part) का बा-आसानी जाइज़ा लिया जा सकता है यहां तो बेहयाई की इन्तिहा हो गयी।
࿐ मालूम है कि औरत को किन-किन लोगों से पर्दा करना फ़र्ज़ है? जेठ, देवर, बहनोई, खाला जाद, मामू ज़ाद, फूफ़ी ज़ाद। इनसे बे-पर्दगी नहीं और ना जाने कितने ग़ैर होंगे जिनकी गिनती ही नहीं कर सकते हम एक पाकीज़ा निकाह जो अल्लाह त'आला की बरकतें, रहमतें, सलामती नाज़िल होने का ज़रिया है उस को हमारे अरमानों ने बे-हयाई का मज्मूआ बना कर छोड़ा।
࿐ एक बा-शऊर मोमिन वालिदैन अपने मक़ाम व मर्तब को पहचान कर ग़ौर व फिक्र ज़रूर करें कि अल्लाह तआला ने औरत के लिये क्या हुक्म सादिर किये हैं, क्या फ़रमाया है कुरआन में अल्लाह तआला ने।..✍🏻
*📬 बिन्ते हव्वा एक संजीदा तहरीर सफ़ह 15-16 📚*
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❝ अल्लाह ने औरत के लिए क्या हुक्म सादिर किया कुरआन में !?❞
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࿐ *अल क़ुरआन :* अपने घरों पर ही ठहरी रहो, बे-पर्दा ना निकलो, ज़माना-ए-ज़ाहिलिय्यत की औरतों की तरह।
࿐ यहां तक है कि तुम्हारा बनाव सिंगार ना ज़ाहिर हो। हमारे मुआशरे की शादियाँ और बनाव सिंगार?
࿐ *अल क़ुरआन :* अल्लाह तआला आंखों की खयानत को जानता है और उसे भी जो सीने में छुपाते हैं।
࿐ ग़ौर करने वाली बात है जब कोई मिठाई का डब्बा खुला छोड़ कर ये उम्मीद रखें कि कोई मक्खी इस पर ना बैठे, ये कम अक़्ली ही है ना? जितना ज़्यादा मीठा उतनी ही ज़्यादा मक्खियाँ।
࿐ हर मर्द अपनी आंखों को किसी की अमानत में में खयानात ना करने से रहा यहां खुले आम खयानत करने की दावत दी जा रही है।
࿐ ए मेरे इस्लाम की मुक़द्दस शहज़ादियों! तुम उस दीन की मानने वाली हो जिसमें।? बेटी हो बाबा मुहाफिज़, बहन हो भाई मुहाफिज़, बीवी हो शौहर मुहाफिज़, और तो और माँ हो तो बेटा मुहाफिज़।...✍🏻
*📬 बिन्ते हव्वा एक संजीदा तहरीर सफ़ह 16-17 📚*
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❝ हदीस औरत, औरत है जो कि छुपाने वाली चीज़ है!?❞
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࿐ औरत जवान हो या बूढ़ी इस को हर ज़माने में हिफाज़त करने की ज़रुरत होती है ये बेहूदा रस्मों को ख़त्म करके इस्लाम ने जो बा-बरकत आसान निकाह की तल्फ़ीन की है इस को अपना कर अपने बच्चों की ज़िन्दगी को कामियाब बना कर एक ऐसी बा बरकत नस्ल को परवान का ज़रिया बनायें जो इस्लाम के तहफ्फुज़ के लिये अपने आप को कुरबान करने में ज़रा भी गुरेज़ ना करे।
࿐ आगे आओ सही सुन्नत के मुताबिक़, निकाह करें, हम भी अपनी औलाद भी ख़ुश आओ आज हम एक नया इन्क़िलाब बरपा करें, इन बे अस्ल रस्मो रिवाज के खिलाफ़।...✍🏻
*📬 बिन्ते हव्वा एक संजीदा तहरीर सफ़ह - 17 📚*
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❝ हदीस औरत, औरत है जो कि छुपाने वाली चीज़ है!?❞
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࿐ ये तभी मुम्किन होगा जब हम दीन को समझेंगे लड़की के वालिदैन इल्म वाले होंगे तो ही वो भी दीनदार दामाद को अपनी बेटी के रिश्ते के लिये तरजीह देंगे आओ हम मालदारी को मुक़द्दम नहीं दीनदारी को मुक़द्दम रख कर अपनी बेटियों के रिश्तों को जोड़ें।
࿐ इंशा अल्लाह तआला कोई निकाह मुश्किल नहीं होगा और कोई लड़की ज़्यादा उम्र तक अपने वालिदैन के घर नहीं बैठेगी अल्हम्दुलिल्लाह दीने इस्लाम ने निकाह में इस इस्लाम की मुक़द्दस शहज़ादी को कई जहतों से मुक़द्दम रखा है महर की गर्ज़ औरत से निकाह, यहाँ महर की हक़दार औरत ही है क्या शान व मर्तबा औरत का दीने इस्लाम में, अल्लाह तआला खुद फरमा रहा है।..
*📬 बिन्ते हव्वा एक संजीदा तहरीर सफ़ह - 18 📚*
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❝ अल कुरआन, औरतों को उनके महर ख़ुशी से दो!?❞
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࿐ अब महर पे तज़्किरा करना बड़ा लम्बा होगा, बस मैं एक बा शऊर दोशैज़ाहे इस्लाम को ये बताने की कोशिश कर रही हूँ कि देखो तुम क्या हो और तुम चाहो तो क्या से क्या कर सकती हो, अगर तुम्हारा गौरो फ़िक्र इस्लाम के लिये हो।
࿐ अब मैं बेटी से बीवी और एक आज़ाद पंछी से ज़िम्मेदार बन गयी।
࿐ अल्लाह तआला ने कुरआन में मर्दों को ताकीद की है।...✍🏻
*📬 बिन्ते हव्वा एक संजीदा तहरीर सफ़ह - 19 📚*
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❝अल कुरआन, और अच्छे सुलूक से औरतों के साथ ज़िन्दगी बसर करों!? ❞
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࿐ अल कुरआन : औरतों को भी मर्दो पर ऐसे ही हुकूक़ हैं, जैसे मर्दो के औरतों पर अच्छे सुलूक के साथ।
࿐ यानी एक खुशहाल ज़िन्दगी की तक्मील के लिये शौहर बीवी को एक दूसरे को समझते हुये गुज़ारनी होगी एक ज़हन मैं लड़के वालों को देना चाहती हूँ कि जब वो लड़की ढूँढने निकले तो भी पहली तरजीह लड़की की दीनदारी को दे बस जितना दुनियावी इल्म हासिल किया ये काफ़ी नहीं है बल्कि लड़के के वालिदैन की भी सोच ये होनी चाहिये कि जो लड़की हमारे घर आयेगी तो वो इस घर को जन्नत का नमूना बनायेगी अगर वो इस्लामी तालीमात से आरास्ता हो तो।
࿐ इस के लिये लड़के वाले लड़की वालों को ये ज़हन दें कि हमें दीनी तालीम मुक़द्दम है आप अपनी बेटी को भी दीनी तालीम से आरास्ता करवायें ताकि हमारे खानदान की नस्ल जिस गोद में परवान चढ़े वो एक बा अख्लाक़ कनीज़े फ़ातिमा हो।...✍🏻 *आमीन*
*📬 बिन्ते हव्वा एक संजीदा तहरीर सफ़ह - 19 📚*
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❝ कामियाब बीबी!? ❞
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࿐ शौहर की ज़िंदगी के नसीबो फराज़ में सब्र शुक्र का पैकर बन कर शौहर के साथ उन हालात का सामना करने वाली हो क्योंकि ज़माने ने देखा है कि तालीमाते इस्लाम से मुज़य्यन एक लड़की ही एक कामियाब बीवी बनी है बीवी जो शौहर के दिल का सुकून है, आज ज़िंदगी का वबाल बन कर रह गयी है बात बात पे लड़ाई झगड़े?
࿐ एक-दूसरे के हुकूक़ की पामाली करते हुये नज़र आ रहे हैं बीवी अपने दुनियावी हुक़ूक के लिये आज कोर्ट कचहरियों तक चक्कर काट रही है बात कुछ भी नहीं होती बस दुनिया हासिल करने की दौड़ में वो एक दूसरे से मुक़ाबिला करने लग जाते हैं और बात तलाक़ तक पहुंच जाती है आज हम ग़ौर करें तो पहले हम ख़ुद से ही पूछे हम क्या चाहते हैं? क्या हासिल करना है हमें?...✍🏻
*📬 बिन्ते हव्वा एक संजीदा तहरीर सफ़ह - 20 📚*
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❝ कामियाब बीबी!? ❞
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࿐ एक कामियाब ज़िंदगी का लिबादा ओढ़ कर ज़िंदगी की गुमराहियों में कहीं खो तो नहीं रहे? कामियाब ज़िंदगी के लिये एक बा-शऊर हमसफ़र चाहिये जो जिंदगी के हर मोड़ पर हमें साथ देने का अहसास दिला सके इसीलिये शौहर पे बीवी के हुक़ूक हैं, ज़रुरिय्याते ज़िंदगी के तमाम मसाइल को बही उठा सके बीवी घर की ज़ीनत, औलादो माल की ज़ामिन है वो रुपये पैसे कमा कर नहीं अपनी करोड़ों की मुहब्बतें लुटाते हुये हर नशीबो फ़राज़ में हमारे साथ खड़ी रहे और यही एक कामियाब बीवी होने की ज़मानत है।
࿐ यही कहूँगी कि बीवी वो है जो शौहर के लिये कामियाबी का समान मयस्सर करने में बहुत अहम किरदार अदा कर सकती है अल्लाह तआला ने औरत ही ऐसी चीज़ बनायी है जो मोम को पत्थर और पत्थर को मोम बना सकती है कहा गया है एक कामियाब मर्द के पीछे एक औरत का हाथ होता है इसीलिये हमारे अस्लाफ़ ने कहा है एक मर्द की तालीम एक फर्द की तालीम एक औरत की तालीम सारे खानदान की तालीम।...✍🏻
*📬 बिन्ते हव्वा एक संजीदा तहरीर सफ़ह - 20 📚*
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❝कामियाब बीबी!? ❞
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࿐ दीनी दुनियावी तालीम से आरास्ता बीवी आज कौमे मुस्लिम की ज़रुरत है क्योंकि आज मुसलमान अपने मक़ाम व वक़ार को खो चुका है अगर दोनों तालीमात से आरास्ता हों तो वो दीन की तालीम की महारत से आज पुरफितन दौर का मुक़ाबिला करने के लिये अपने शौहर को जगा सकेगी वो शौहर सिर्फ़ पैसा कमाने की मशीन बन गया था आज वो इस सोये हुये मर्दे मुजाहिद को क़ौमो मिल्लत का रहनुमा बना सकेगी आज कौम की मुजाहिदा की ज़रूरत है।
࿐ मर्दे मुजाहिद सिर्फ मैदाने कारज़ार में लड़ने वाले का नाम नहीं है, मर्दे मजाहिद ज़िंदगी के हर शोबे में लड़ने वाले का नाम है तलवार सिर्फ़ कारज़ार में ही नहीं, इल्मी क़लामी ज़बानी अमली तलवार जो हर शोबे में चले आज बहुत ज़रूरी हो गयी है।...✍🏻
*📬 बिन्ते हव्वा एक संजीदा तहरीर सफ़ह - 21 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 32
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❝ जागना होगा!?❞
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࿐ आज हम बस खुदगर्ज़ बन गये है, हमें आसानिया मयस्सर है बस हमें और क्या चाहिये? दुनिया की हमें क्या पड़ी है और खाओ, पियो, ऐश करो! आज हम अपने घर तक ही महदूद हो कर रह गये हैं हमें क़ौमो मिल्लत का दर्द नहीं बस अपने बीवी बच्चों की ही फ़िक्र है।
࿐ नहीं नहीं अगर हम आज नहीं जागेंगे तो बहुत देर हो जायेगी लेकिन लगता है कि पहले ही बहुत देर हो गयी है आज का नौजवान बहुत गफ़लत में जी रहा है बस एक घर, गाड़ी, बीवी हो गयी ज़िंदगी कामियाब अब हमें अपनी सोच को वसी बनाने का वक़्त आ गया है जो जिस मैदान से वाबस्ता है वहीं से कोशिश की जाये, एक एक क़तरा समुन्दर बन जायेगा।...✍🏻
*📬 बिन्ते हव्वा एक संजीदा तहरीर सफ़ह - 22 📚*
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❝ जागना होगा!? ❞
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࿐ इस के लिये एक फितरी सी बात है कि बीवी बहुत अहम रोल अदा कर सकती है देखा भी गया है कि मुआशरे में एक मामूली सा मसअला ग़ैर जिम्मेदार इंसान की जब शादी करते हैं तो वो शादी के बाद ज़िम्मेदार बन जाता है और अगर एक पढ़ा लिखा नौजवान, अल्लाह तआला ने इसे बहुत सी सलाहिय्यतों का मालिक बनाया है वो अपनी सलाहिय्यतें रोज़ी रोटी कमाने तक महदूद कर देता है अगर इस नौजवान को बा सलाहिय्यतों वाली बीवी मिल गयी तो वो इस को आज हमारी ज़रुरत के मुताबिक़ ढालने की कोशिश करेगी।
࿐ आज के नौजवान को बहुत अक़्ल व फहम से काम लेने की ज़रूरत है लड़के का शौहर बन कर लड़की का बीवी बन कर अपनी इस्तिताअत से काम लेने का वक़्त आ गया है हर क़ौम के नौजवान ये देखें कि हमारे अस्लाफ़ के बाद हमारे बाद दादा ने क्या किया? हम आने वाली नस्लों के लिये मिसाल कैसे बने? और सहाबा और सहाबिय्यात के दर्द को महसूस करते हुये आओ कुछ कर गुज़रें।...✍🏻
*📬 बिन्ते हव्वा एक संजीदा तहरीर सफ़ह - 22 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 34
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❝जागना होगा!? ❞
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࿐ सिर्फ़ माल वा दौलत कमा कर ज़िंदगी गुज़ार जाना ही कामियाबी नहीं है आओ एक मुआशराती इन्किलाब बरपा कर के मुआशरे की बुराईयों को दूर करें जो बा-अख्लाक़ बीवी कम आमदनी में क़नाअत पसंद, मुश्किल में सब्र बनी खड़ी रहे जिस की गोद में नस्ल परवान चढ़े वो एक बा सलाहिय्यत मोमिना होगी तो बच्चा भी एक बा सलाहिय्यत ही होगा बीवी कनीज़े फातिमा बनेगी तो ही बच्चा ज़माने के यज़ीदियों से मुक़ाबिला हुसैन बन कर करेगा।...✍🏻 *इन्शा अल्लाह तआला*
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❝ एक औरत बा-हैस्सियते माँ!?❞
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࿐ अल्हम्दु लिल्लाह इस्लाम ने औरत का मक़ाम व मर्तबा हर एक रूप में आला व बरतर रखा किया बेटी, किया बहन, किया बीवी, किया मां, लफ्ज़े मां जब सुनते हैं तो कानों में एक शहद सी मिठास घुलती हुई महसूस होती है।
࿐ बेटी रहमत, बहन गुरुर, बीवी सुकून व चैन ज़िंदगी की ज़ीनत...... मां जन्नत रहमत नैमत रिफ्फत इज़्ज़त क्या-क्या अल्लाह तआला की कुदरतों की अता का मजमूआ है अल्लाह और उस की अता से उसका हबीब ﷺ ही जाने।...✍🏻
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❝ एक औरत बा-हैस्सियते माँ!? ❞
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࿐ अल क़ुरआन : अपनी जानों और अपने अहल को उस आग से बचाओ जिस का ईंधन आदमी और पत्थर है।
࿐ जब ये आयत नाज़िल हुई तो सहाबा -ए- किराम खौफ़ से रोने लगे और अल्लाह तआला के हबीब ﷺ से पूछा कि हम कैसे इस आग से ख़ुद को और अपने अहल को बचायें? अल्लाह तआला के हबीब ﷺ ने फ़रमाया जिन बातों का अल्लाह तआला और उस का हबीब ﷺ तुम्हें हुक्म दें उस से बजा लाओ और जिन बातों से तुम्हें रोके तुम अपने आप को और अपने अहल को उन बातों से रोको यानी अहकामे इलाही बजा लाओ और हराम कामों से बचो।...✍🏻
*📬 बिन्ते हव्वा एक संजीदा तहरीर सफ़ह - 23 📚*
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❝ एक औरत बा-हैस्सियते मां !? ❞
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࿐ अब किस तरह औलाद की तरबियत करना है, ये वालिदैन की मनहसिर है अगर वालिंदैन ही हाय-हैलो करने वाले मगरिबी तहज़ीब याफ्ता हों और बच्चे से फ़रमाबरदारी की तवक़्को करें तो बहुत कम अक़्ली होगी हमें वालिदैन खास कर मां जो कि सारे दिन बच्चा मां का ही मुशाहिदा करता रहता है और मां के फ़ैल, अमल व क़ौल से बहुत जल्द मानूस होता है, हर मां के मा-तहत ही औलाद की तरबिय्यत है।...✍🏻
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❝ एक औरत बा-हैस्सियते मां !? ❞
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࿐ इसलिये इरशादे नबी -ए- करीम है : "जिन के मा-तहत में जो लोग हैं उनके मतल्लिक़ क़यामत में सवाल होगा।
࿐ अब बच्चे भी वालिदैन के मा-तहत ही हैं, इस में मां का अहम किरदार है मां की ज़िम्मेदारी है कि बच्चे को इल्मे दीन की तरफ़ मरकूज़ करे, आसानी से जैसे भी हो, ईमान की तरबिय्यत करती रहे जब भी ख़ुद इबादत करती हो उस वक़्त बच्चे को साथ ले ले नमाज़ ता तिलावत करते वक़्त बच्चे को पढ़ने की तरफ़ रगबत दिलाये जैसे-जैसे बच्चे की उम्र बढ़ने लगे तो अलग अलग तरीक़ों से उस की दीन की तरफ़ रग़बत को बढ़ाते रहे ताकि आगे उसे अपने अस्लाफ (बुजुर्गों) की जद्दो जहद का दर्द महसूस होता रहे।...✍🏻
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 39
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❝ एक औरत बा-हैस्सियते मां !? ❞
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࿐ कभी हक़ की लड़ाई के लिये इसे कुछ करना हो तो उसे थोड़ा भी सोचना ना पड़े मां ये भी मुसम्मम इरादा करे कि मेरी गोद में जो औलाद पल रही है ये मामूली औलाद नहीं है बल्कि इस के ज़रिये दीन के बहुत से काम होने हैं ये बच्चे इस क़ौमे मुस्लिक की मिल्किय्यत हैं, इन पर दीनो मिल्लत की बहुत सारी जिम्मेदारियाँ हैं।
࿐ आपने तारीख़ का मुताला किया हो तो दीने हक़ की इशाअत के लिये इस्लाम की बेटियों ने अपने जिगरगोशों को किस तरह दीन के लिये निसार किया है बल्कि वाज़ेह है।...✍🏻
*📬 बिन्ते हव्वा एक संजीदा तहरीर सफ़ह - 25 📚*
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❝ एक औरत बा-हैस्सियते मां !? ❞
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࿐ हर इस्लामी मां अपने ऊपर ये जिम्मेदारी समझे कि मेरी गोद में पलने वाली औलाद मामूली नहीं बल्कि दीनो मिल्लत की उस पर ज़िम्मेदारी है इसे एक ऐसी हस्ती बनाना है जो तारीख़ को पलट दे जो मक़ाम व मर्तबा इस्लाम की इब्तिदा में था आज मेरी तरबिय्यत औलाद के लिये और औलाद की कोशिश दीन के लिये कारगर साबित हो हर मां ये ज़हन बना ले तो फिर से वही इस्लाम का चमन लहलहाता हुआ नज़र आयेगा। इंशा अल्लाह
࿐ मां चाहे तो बहुत कुछ कर सकती है लेकिन नहीं, उस औलाद को एक पटाखे की आवाज़ से बचाती फिरती है तो वो क्या दीन की ख़िदमत के लिये उसे निसार करेगी?
*अपील :* "इल्म नूर है" ग्रुप की इस्लामी मां बहनो को दीन के लिए आपका थोड़ा सा जज़्बा अपनी औलाद को क़ौम ए मिल्लत का गाज़ी बना सकता है ज़िन्दगी अल्लाह तआला ने बख्शी है तो दीने इस्लाम के लिए कुछ करने का जज़्बा अपनी औलाद मे पैदा करों कायरों और न मर्दों की तरह घर मे न रखों।...✍🏻
*📬 बिन्ते हव्वा एक संजीदा तहरीर सफ़ह - 26 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 41
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❝ हदीस माी के क़दमो के नीचे जन्नत है!? ❞
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࿐ बेशक अल्लाह तआला के हबीब ﷺ के सदक़े, अल्लाह तआला ने एक मां को वो मर्तबा दिया है पर क्या ये हदीस बच्चे को सुनाते ही रहेंगे या इस को वो जन्नत के रास्ते पर चलने के लिये आसानियाँ भी पैदा करेंगे?
࿐ बच्चे की ईमानी तरबिय्यत अख्लाक़ी तरबिय्यत और फिक्री तरबिय्यत करनी होगी, जब तक मां बच्चे को अल्लाह तआला और उस के हबीब ﷺ का उम्मती बनने में उस की मदद नहीं करेगी तो ये उम्मीद छोड़ दे कि वो बच्चा इस का फ़रमाबरदार बनेगा, एक बच्चा जिस को हुक़ूक़ुल्लाह की पहचान होगी वो बच्चा हुक़ूक़ुल इबाद की भी अदायगी अच्छी तरह करेगा।...✍🏻
*📬 बिन्ते हव्वा एक संजीदा तहरीर सफ़ह - 27 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 42
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❝ हदीस माी के क़दमो के नीचे जन्नत है!? ❞
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࿐ बेहतर है कि अपनी औलाद में मुआशरे के अंदर फैली बुराईयों को दूर करने वाली सलाहिय्यात पैदा की जायें और इस में अहम रोल एक मां अदा कर सकती है शायद ही कोई और अदा कर सकता हो।
࿐ अल्लाह तआला ने औलाद की नेमत से नवाज़ा है तो उस औलाद के हक़ को अदा करने वाला भी बनाये। *आमीन*
࿐ *उन्वान मुकम्मल :* बातें बहुत हैं करने को पर काश कि इतनी बातें ही दिल में उतर जायें तो काफी हो और हमारे लिये ज़रिया -ए- नजात बन जाये
࿐ माशा अल्लाह कनीज़े अख़्तर ने कितनी संजीदगी के साथ औरत को जीने का सलीका बताया और समझाया है काश हर कनीज़ इसी तरह अपने ईमान को मज़बूती से पकड़ कर चले तो मुआशरे से सारी बुराई ख़त्म हो जाए दुआ करे हमारी इस बहिन कनीज़ ए अख़्तर के लिए जो सुन्नियत का काम कर रहीं है।अल्लाह तआला इनके उमर मे इल्म मे इज़ाफा फरमाए।...✍🏻 *आमीन*
*📬 बिन्ते हव्वा एक संजीदा तहरीर सफ़ह - 28 📚*
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*📮पोस्ट मुकम्मल हुआ अल्हम्दुलिल्लाह🔃*
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