Tuesday, 15 September 2020

लाउडस्पीकर के इस्तेमाल का सही तरीक़ा

 




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 ❝ 📢 लाउडस्पीकर के इस्तेमाल का सही तरीक़ा ❞
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 ••• ➲  कुरआने करीम सूरए लुक़मान आयत नम्बर 19 में है। और अपनी आवाज़ कुछ पस्त (धीमी) कर!

••• ➲  इस आयत करीमा की तफ़सीर में सदरूल अफाज़िल मौलाना नई मुद्दीन साहब मुरादाबादी फ़रमाते हैं यानी शोर व शग़ब चीखने चिल्लाने से ऐहतिराज़ करो। हदीस पाक में है, हज़रत अबूमूसा अशअरी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं।

••• ➲  हम हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के साथ एक सफ़र में थे मुसलमान ज़्यादा बुलन्द आवाज़ के साथ अल्लाहु अकबर! अल्लाह अकबर! कह रहे थे। हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया अपने नफ़्स के साथ नरमी करो, तुम किसी बहरे या गायब को नहीं पुकार रहे हो, तुम सुनने वाले और क़रीब को पुकार रहे हो जो तुम्हारे साथ है।...✍🏻

*📕 सही मुस्लिम किताबुज़्ज़िक्र,बावे इस्तिहबाब ख़िफ़्जुस्सौत विज़्ज़िक्र,व सही बुख़ारी, किताबुज्जिहाद वस्सैर,किताबुल मगाज़ी, किताबुद्द वात, किताबुलक़द्र, किताबुत्तौहीद*

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

*📬 लाउडस्पीकर के इस्तेमाल का सही तरीक़ा सफ़हा 03*

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🅿🄾🅂🅃 ➪  02

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❝ 📢 लाउडस्पीकर के इस्तेमाल का सही तरीक़ा ❞
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 शारेह बुखारी इमाम बदरुद्दीन ऐनी फरमाते है !?
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      *📢 आवाज़ ज़्यादा बुलन्द न करो।*

••• ➲   हज़रत मिक़दाद रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से मरवी हदीस में है रसूलुल्लाहﷺ रात के वक़्त घर में दाखिल होते तो आहिस्ता से सलाम करते कि सोने वाले की नीन्द ख़राब न हो और जागने वाले सुन लें।"

••• ➲   यानी हुज़ूरﷺ को सोने वालों की नीन्द का इतना ख़्याल रहता था कि सलाम आहिस्ता आवाज़ से करते।

*📗 सही मुस्लिम किताबुलअशरिबा बाब इक्रागुज़्ज़ैफ ज़िल्द 2 सफह 184*

••• ➲  बुख़ारी किताबुद्दअवात बाबुल मौएज़ा साअतन बाद साअतिन में हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने मसऊद रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से मरवी हदीस है।

أن رسول الله صل الله عليه وسلم كان يتخولنا بالموعوفي الايام كراهية الشائة عليا

••• ➲   हुजूर सल्लल्लाहुﷺ रोज़ाना हमें वअज़ नहीं सुनाते थे, हुज़ूरﷺ को हमारा उकता जाना पसन्द नहीं था।

••• ➲   *एक और हदीस में है* एक मरतबा रात में नमाज़े तहज्जुद में हुज़ूरﷺ ने हज़रत सय्यदिना उमर फ़ारूक़े आज़म रदियल्लाहु तआला अन्ह को ऊँची आवाज़ से किरअत करते हुये मुलाहिज़ा फरमाया तो फ़रमाया :"नमाज़ में ऊँची आवाज़ से क्यों पढ़ते हो?..✍🏻

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

*📬 लाउडस्पीकर के इस्तेमाल का सही तरीक़ा सफ़हा - 03*

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 ❝  📢 लाउडस्पीकर के इस्तेमाल का सही तरीक़ा❞
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मशहूर मुहद्दिश उमर बिन शुअबा रिवायत करते है !?
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••• ➲   एक वाइज़ साहब हज़रत आइशा सिद्दीक़ा रज़ियल्लाहु तआला अन्हा के मकान के सामने बुलन्द आवाज़ से वज़ व तक़रीर फ़रमाते थे" हज़रत आइशा सिद्दीक़ा की यकसोई में फ़र्क था, यह हज़रत उमर फारूक़ रदियल्लाहु तआला अन्ह की खिलाफ़त का ज़माना था, उन्होंने अमीरुलमोमिनीन से शिकायत की "कि फलाँ साहिब मेरे मकान के सामने बहुँत बुलन्द आवाज़ से वअज़ कहते हैं उस से मुझ को तकलीफ़ होती है और मझ को किसी की आवाज़ सुनाई नहीं देती है।

••• ➲   हज़रत उमर ने उन साहिब को पैगाम भेज कर वहाँ वअज़ कहने से मना कर दिया, कुछ असा बाद वाइज़ साहब ने दोबारा वहाँ वअज़ कहना शुरू कर दिया,हज़रत उमर को इत्तेला हुई उन्होंने उन साहिब को पकड़ कर सज़ा दी।...✍🏻

*📒अख़ारुलमदीना ज़िल्द 1 सफ़ह 14 दारुलकुतुबुलइल्मिया,बैरुत*

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

*📬 लाउडस्पीकर के इस्तेमाल का सही तरीक़ा सफ़हा - 04*

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     ❝ लाउडस्पीकर के इस्तेमाल का सही तरीक़ा❞
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 मशहूर मुहद्दिश उमर बिन शुअबा रिवायत करते है !?
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••• ➲  *यानी हज़रत आइशा रदियल्लाहु तआला अन्हा ने मदीना मुनव्वरा के वाइज़ व मुक़रिर इब्ने अबी साइब से फ़रमाया।*

••• ➲  "तुम तीन चीज़ों में मेरी बात मानो वरना फिर मैं तुम से क़तअ तअल्लुक़ कर लूंगी। इब्ने अबी साइब ने कहा उम्मुलमोमिनीन!मैं आप के हुक्म की तामील करूंगा, वह बातें क्या हैं ? आप ने फ़रमाया दुआ में सजअ बन्दी से गुरेज़ करो क्यों कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहुﷺ और आप के सहाबा ऐसा नहीं करते थे और लोगों को हफ्ता में एक दिन वज़ सुनाओ और ज़्यादा चाहो दोबार और उस से भी ज़्यादा चाहो तो तीन बार और यह किताब लोगों के लिए हलाल न कर दो, और ऐसे वक़्त लोगों के पास वअज़ व तक़रीर के लिए न जाओ जब वह अपनी बात में मसरूफ़ हों और तुम जान कर उनकी बात काट दो बल्कि लोगों को उनकी हालत पर छोड़ दो फिर जब वह तुम्हें आमादा करें और तुम से कहें तो उन्हें सुनाओ।

••• ➲  यही मफहूम हज़रत सय्यदिना अब्दुल्लाह इने अब्बास रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से मरवी बुख़ारी के हवाले से *मिश्कात, किताबुल इल्म फ़स्लुस्सालिस स 360* भी देखा जा सकता है।

••• ➲  *एक और हदीस पाक हज़रत अली रज़िअल्ला तआला अन्हु से मरवी है कि रसूलुल्लाहﷺ ने फ़रमाया।*

••• ➲  अच्छा आलिम दीन वह है कि जब लोग उसकी ज़रूरत महसूस करें तो उन्हें नफ़ा पहचाये और जब लोग उसकी तरफ़ से बे रग़बत हों तो वह भी उन से बेरगबत हो जाये।..✍🏻

*📗मिश्कात किताबुलइल्म सफ़ह - 36*

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

*📬 लाउडस्पीकर के इस्तेमाल का सही तरीक़ा सफ़हा 5-6*

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     ❝लाउडस्पीकर के इस्तेमाल का सही तरीक़ा ❞
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मशहूर मुहद्दिश हज़रत अता बिन अबू मुस्लिम ख़ुरासानी फरमाते है!?
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••• ➲  "आलिम को चाहिए कि उस की आवाज उस की अपनी मज्लिस से आगे न बढ़े।

*📗अदबुलइम्ला लिस्समआनी स 278 अलमतबअतुल महमूदिया,मक्कातुल मुकर्रमा*

••• ➲  *अल्लामा इब्ने आबेदीन शामी रहमतुल्लाहि तआला अलैहि फ़रमाते हैं*

*📗रद्दुल मुख़्तार किताबुलहज़र वलइंबाहा, फस्लुलबैअ 5/255 बहवाला फ़तावा रज़विया जदीद 24/90*

••• ➲  रसूलुल्लाहﷺ से मरवी है कि आप ने तिलावतेकुरआन, नमाज़, जनाज़ा, जंग और वअज़ व तक़रीर में ज़्यादा तेज़ आवाज़ का ना पसन्द फरमाया।

••• ➲  *आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा ख़ाँ बरेलवी रहमतुल्लाह अलैहि फरमाते हैं।* हदीस में है। कुछ लोगों ने चिल्ला चिल्ला कर मस्जिद में ज़िक्र करना शुरू किया तो सहाबिए रसूल हज़रत सय्यदिना अब्दुल्लाह बिन मसऊद रज़ियल्लाह तआला अन्हु ने उन्हें मस्जिद से निकलवा दिया।

*📗फतावा रज़विया 24,101*

••• ➲  *फिक्ह हन्फी की मशहूर किताब"फ़तावा हिन्दिया "किताबुलकराहिया बाब सालिस,5/374 में है।* यानी पड़ोसियों को यह हक़ हासिल है कि वह सोना कूटने वाले सुनार को इशा से तुलूऐ फजर तक मना करें बशर्त कि उन्हें उस से परेशानी होती हो।..✍🏻

*📗फतावा रज़विया जि 8 स 99 में है।*

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

*📬 लाउडस्पीकर के इस्तेमाल का सही तरीक़ा सफ़हा -6*

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     ❝लाउडस्पीकर के इस्तेमाल का सही तरीक़ा ❞
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 ••• ➲  अगर कोई मस्जिद में बा आवाज़ बुलन्द दुरूद व वज़ाइफ ख़्वाह तिलावत कर रहा हो उस से अलग हो कर नमाज़ पढ़ने में भी आवाज़ कानो में पहुँचती है, लोग भूल जाते हैं, ख़्याल बहक जाता है, ऐसे मौक़े पर ज़िक्र बिलजहर तिलावत करने वाले को मना करना जाइज़ है या नहीं? यानी आहिस्ता पढ़ने को कहना बिलजहर से मना करना अगर न माने तो कहाँ तक मुमानिअत करना जाइज़ है?

*✍जवाब में इमाम अहमद रजा खान कादरी रहमतुल्लाह अलैहि फरमाते हैं।*

••• ➲   बेशक ऐसी सूरत में, जहर (ऊची आवाज़) से मना करना फक़त जाइज़ नहीं बल्कि वाजिब है कि नहीअनिल मुन्कर है और कहा तक का जवाब यह कि ता हद कुदरत जिस का बयान इस इरशादे अक़दस हुज़ूर ﷺ मे है।

📙 सही मुस्लिम, किताबुलईमान, बाब बयान कौनिन्नही अनिल मन्कर मिनल ईमान, जिल्द 1 सफ़ह 51

••• ➲   जो तुम में कोई नाजाइज़ बात देखे उस पर लाज़िम है कि अपने हाथ से मिटा दे, बन्द कर और उसकी ताक़त न पाये तो ज़बान से मना कर और अगर उसकी भी ताक़त न पाये तो दिल से बुरा जाने और यह सब में कमतर दर्जा ईमान का है।...✍🏻

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

*📬 लाउडस्पीकर के इस्तेमाल का सही तरीक़ा सफ़हा 7-8*

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     ❝लाउडस्पीकर के इस्तेमाल का सही तरीक़ा ❞
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 ••• ➲   और जहाँ लोग अपने कामों में मशगूल हों और कुरआन मजीद के इस्तेमाअ (सनने) के लिए कोई फारिग़ न हो वहां बिलजहर तिलावत करने वाले पर उस सूरत में दोहरा वबाल। एक तो वही ख़लल अन्दाज़ी नमाज़ वगैरा के ज़िक्र जहर में था, दूसरे कुरआने अज़ीम को बे हुरमती के लिए पेश करना।

••• ➲   रद्दुलमुख़्तार में है : फ़तह में खुलासा से है, एक आदमी फिक़्ह लिख रहा है और उसके पास दूसरा शख़्स तिलावत कर रहा है जब कि कुरआन का सुनना मुम्किन नहीं तो अब गुनाह तिलावत करने वाले पर है। इसी तरह अगर ऊँची जगह पर पढ़ता है हालांकि लोग सोये हुये थे तो पढ़ने वाला गुनहगार होगा इसलिए कि यह शख़्स उनके कुरआन सुनने से ऐराज़ का सबब बना इस वजह से कि उनकी नीन्द में ख़लल वाकेअ होगा।...✍🏻

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

*📬 लाउडस्पीकर के इस्तेमाल का सही तरीक़ा सफ़हा 8-9*

*👨‍💻मिन जानिब :-* सैय्यद सद्दाम अली साहब 

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     ❝लाउडस्पीकर के इस्तेमाल का सही तरीक़ा ❞
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••• ➲  तिलावत करने वाले पर यह ऐहतिराम लाज़िम है कि वह बाज़ार में ऐसे मक़ामात पर न पढ़े जहां लोग मशगूल हों, अगर वह ऐसे मक़ाम पर पढ़ता है तो वह कुरआन का ऐहतिराम ख़त्म करने वाला है,लिहाज़ा दफ़ाअ हर्ज़ के पेश नज़र यह पढ़ने वाला गुनहेगार होगा, मशगूल होने वाले लोग गुनहेगार न होंगे।

*यहीं आगे एक सवाल और मजकूर है किसी ने पूछा ?*

••• ➲   क्या फ़रमाते हैं उलमाए दीन व मुफ्तियाने शरअ मतीन इस मसला में कि एक या ज़्यादा शख़्स नमाज़ पढ़ रहे हैं या बाज़ नमाज़ पढ़ने आये है और एक या कई लोग बा आवाज़े बुलन्द कुरआन या वज़ीफा यानी कोई कुरआन कोई वज़ीफा पढ़ रहा हों यहां तक मस्जिद भी गूंज रही है तो इस हाल में क्या हुक़्म होना चाहिए क्योंकि बाज़ दफा आदमी का ख़्याल बिदक जाता है और नमाज़ भूल जाता है।?

*✍जवाब में आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा फरमाते हैं!*

••• ➲   जहां कोई नमाज़ पढ़ता हो या सोता हो बा आवाज़ पढ़ने से उसकी नमाज या नीन्द ख़लल आयेगा वहां कुरआन मजीद व वज़ीफा ऐसी आवाज़ से पढ़ना मना है मस्जिद में जब अकेला था और वा आवाज़ पढ़ रहा था जिस वक़्त कोई शख़्स नमाज़ के लिए आये फौरन आहिस्ता हो जाये।...✍🏻

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

*📬 लाउडस्पीकर के इस्तेमाल का सही तरीक़ा सफ़हा 9-10*

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     ❝लाउडस्पीकर के इस्तेमाल का सही तरीक़ा ❞
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 *आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खाँ अलैहिर्रहमा एक और जगह तहरीर फरमाते है!?↲*
 
••• ➲   मगर ऐसा जहर जिस से किसी की नमाज़ या तिलावत या नीन्द में ख़लल आये या मरीज़ को ईज़ा पहुँचे नाजाइज़ है और यह भी ममनूअ है कि ताक़त से ज़्यादा जहर करे।

📙 फतावा रज़विया 23/150

••• ➲   और फ़रमाते हैं कुरआने अज़ीम की तिलावत आवाज़ से करना बेहतर है मगर न इतनी आवाज़ से कि अपने आप को तकलीफ़ या किसी नमाज़ी या ज़ाकिर के काम में ख़लल हो या किसी जाइज़ नीन्द सोने वाले की नीन्द में ख़लल आये या किसी बीमार को तकलीफ़ पहुँचे या बाजार या सराये आम या सड़क हो या लोग अपने काम काज में मशगूल हैं और कोई सुनने के लिए हाज़िर न रहेगा इन सूरतों में आहिस्ता ही पढ़ने का हुक्म है।

📗 फतावा रज़विया 23/383

••• ➲   और फ़रमाते हैं दुरूद शरीफ़ ख़्वाह कोई वज़ीफ़ा बाआवाज़ न पढ़ा जाये जब कि उसके बाइस किसी नमाज़ी या सोने वाले या किसी मरीज़ की ईज़ा हो या रिया आने का अन्देशा हो और अगर कोई महज़ूर न मौजूद हो न मज़नून तो इन्दत्तहक़ीक़ कोई हर्ज़ नहीं ता हम इख़्फा(आहिस्ता पढ़ना) अफ़ज़ल है।...✍🏻

📕 फतावा रज़विया जिल्द 6 सफ़ह 233

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

*📬 लाउडस्पीकर के इस्तेमाल का सही तरीक़ा सफ़हा 10-11*

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     ❝लाउडस्पीकर के इस्तेमाल का सही तरीक़ा ❞
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••• ➲   सय्यदी हुज़ूर मुफ़्तिए आज़म हिन्द रहमतुल्लाहि तआला अलैहि फरमाते है ज़िक्रे जली जाइज़ (बुलन्द आवाज़ से ज़िक्र करना) है जब कि किसी मुसल्ली (नमाज़ी) या नाइम (सोने वाले) या किसी मरीज़ की तकलीफ़ का बाइस या आराम में मुख़िल न हो।...✍🏻
 
📙 फतावा मुस्तफिया सफ़ह 500

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

*📬 लाउडस्पीकर के इस्तेमाल का सही तरीक़ा सफ़हा 11*

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     ❝लाउडस्पीकर के इस्तेमाल का सही तरीक़ा ❞
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                       *मशवरें*
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••• ➲  ऊपर लिखी हुई आयाते कुरआनिया और अहादीसे मुस्तफ़ाﷺ और बुजुर्गों के अक़वाल की रोशनी में आज के हालात के पेशे नज़र मैं अपने मुसलमान भाइयों को कुछ पैगाम देना चाहता हूँ और एक मैं ही नहीं आप ख़ुद भी ग़ौर करेंगे तो आप को अन्दाज़ा होगा कि आजकल प्रोग्रामों, जलसों, जुलूसों, और मस्जिदों में जो लाउडस्पीकर का इस्तेमाल हो रहा है उस में कुछ ज़्यादती ज़रूर हो रही है और कहीं कहीं उसका इस्तेमाल शरई हुदूद से और दीन की तब्लीग व इशाअत के नाम पर ख़ुदा की मख़लूक़ को परेशान करने लगे हैं या लोग अपने काम काज बात चीत और धंधों में मशगूल है उन को ज़बरदस्ती कलामे ख़ैर सुना कर उस वक़अत व अहमियत उनकी नज़रों में कम कर रहे है या उन्हें उस से मुहब्बत सिखाने के बजाये उस से चिड़ और ज़िद पैदा कर रहे हैं। दिन भर का थका हारा मज़दूर रात को बिस्तर पर आराम करने के लिए लेटा और हम ने उसके कान पर दस पाँच सुराहियाँ (लाउडस्पीकर) लगा दी वह भी घन्टे आधे घन्टे के लिए नहीं बल्कि आधी रात तक या उससे भी आगे। कोई बीमार है, किसी के सर में दर्द है, कोई दिल दिमाग का मरीज़ है, किसी के कान का पर्दा कमज़ोर है,कोई औरत दर्देज़िह में है, किसी घर में कोई सदमा है,कोई जांकनी के आलम में है,रंज व मलाल का माहौल है, कोई ज़िक्र व शुक्र व एबादत व तिलावत में है दीनी मदरसों के तालिबइल्म या स्कूलों के बच्चे अपनी किताबों के मुतालअ या इम्तिहानात की तैयारी में हैं मगर हम को इस से कोई सरोकार नहीं न किसी के दुख को दुख जाने न किसी की परेशानी को समझें,बस नाम हो गया कि फलाँ के घर पर प्रोग्राम हो रहा है या फला साहिब जलसा करा रहे हैं।...✍🏻

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

*📬 लाउडस्पीकर के इस्तेमाल का सही तरीक़ा सफ़हा 11-12*

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     ❝ लाउडस्पीकर के इस्तेमाल का सही तरीक़ा❞
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                       *मशवरें*
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••• ➲  दस दस बीस बीस तेज़ आवाज़ वाले हारन लगा कर मज़हब के नाम पर वह काम किया जा रहा है कि आम आदमी परेशान हो जाय। या जो नमाज़ पढ़ते थे वह भी सारी रात जागने की वजह से फज्र की नमाज़ के वक़्त पड़े सोते रह जायें। ख़ास कर कमसिन बच्चों के दिल व दिमाग की नसें बहत कमज़ोर होती हैं लाउडस्पीकर की तेज आवाजें उनके लिए बहुत ज़्यादा नुकसान देह हैं और अब तो दरजनों हारन लगा कर भी तसल्ली नहीं होती जब तक ईको न लगे तब तक दीन की तब्लीग नहीं होती और मुझे बताया गया है कि ईको की आवाज़ बहुत ख़तरनाक चीज़ है कमज़ोर दिल दिमाग वालों, बीमारों बच्चों, और बुढ़ों, के लिए। में इस सिलसिले में अपने ख़्वास व अवाम मुसलमान भाइयों को कुछ मशवरा देना चाहता हूं अगर कबूल फ़रमायें तो शुक्र गुज़ार हूँगा। और ख़ैर की तौफीक़ देना अल्लाह ही का काम है।...✍🏻

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

*📬 लाउडस्पीकर के इस्तेमाल का सही तरीक़ा सफ़हा 12-13*

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*जल्सों में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल का तरीक़ा*
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••• ➲   मीलाद शरीफ़ की महफिलों, जलसों, कानफ्रेंसों, मुशाइरों, वगैरा में ऐसे स्पीकरों का इस्तेमाल किया जाये कि मुकर्रिरों, शाइरों व नअत ख्वानों की आवाज़ जलसागाह, हाल या पिंडाल, मकान वगैरा के अन्दर ही रहे और जो सुने उन्हें सुनाया जाये जो सुनने के लिए आमादा हैं हमारी आवाज़ उन्हीं तक पहुँचें बाहर न जाये आप हमारे मज़कूरा बयान में पढ़ चुके कि मशहूर मुहद्दिस हज़र अता बिन अबू मुस्लिम खुरसानी फरमाते थे?

*✍आलिम को चाहिए कि उसकी आवाज़ उसकी मज्लिस से आगे न बढ़े।*

••• ➲  और उम्मुलमोमिनीन सय्यदिना आइशा सिद्दीक़ा रज़ियल्लाहु तआला अन्हा के हुजराए मुबारका के क़रीब एक वाइज़ साहब जोर ज़ोर से वअज़ फरमाये तो हज़रत आइशा ने अमीरुलमोमिनीन हज़रत उमर फारूक़ से शिकायत कर के उनको सज़ा दिलवाई और उस दौर में लाउडस्पीकर भी न थे और वह साहब उनके हुजरे के क़रीब मस्जिद ही में बुलन्द आवाज़ से वअज़ व तक़रीर फ़रमाते होंगे अगर आज के जैसे तेज़ आवाज़ वाले लाउडस्पीकर और हारन होते तो उम्मलमोमिनीन उसे कैसे बरदाश्त फरमातीं। शायद कोई साहब कहें कि बाहर की आवाज़ और तेज़ हारनों के ज़रीए घरों में औरतें भी सुन लेती हैं मैं कहता हूँ कि आज कल औरतें जलसों प्रोग्रामों में आती भी तो हैं तो जब वह आती हैं तो उन के लिए मर्दों की मज्लिस के बराबर एक महफूज़ पर्दा के साथ पिंडाल बना दिया जाये और उस में एक स्पीकर लगा दिया जाये और आज कल कुछ ऐसे सिसटम भी चल गये हैं कि बगैर हारनों के कनेकशनों के ज़रीए घर घर आवाज़ प्रोग्राम रिकार्ड कर के सुनाई जा सकती है और मोबाइल की चिप बना कर भी आसानी से एक प्रोगाम लाखों तक पहुँचाया जा सकता है।...✍🏻

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

*📬 लाउडस्पीकर के इस्तेमाल का सही तरीक़ा सफ़हा 13-14*

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 *जल्सों में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल का तरीक़ा*
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••• ➲   औरतों को सुनाने के लिए सारी मख़लूक को परेशान करने की क्या ज़रूरत है क्या औरतों को मज़हबी प्रोगाम सुनाने का यही एक रास्ता है कि दरजनों हारन लगा कर रात जो अल्लाह तआला ने आराम के लिए बनाई है उस में बूढो, बच्चों, कमज़ोरों, बीमारों और थके हारों, मज़दूरों को तड़पाया जाये और मैं पूछता हूँ कि जलसों में यह लाउडस्पीकर का रिवाज़ ज़्यादा से ज़्यादा सौ साल से चला होगा इस से पहले जो तेरह सौ साल का अर्सा गुज़र गया उस में क्या औरतों के अन्दर न दीन था न दीन दारी थी,न दीनी मालूमात? जब से लाउडस्पीकर चला है तब ही से आया औरतों में दीन?

••• ➲   कुछ लोग कहते हैं कि पता कैसे चलेगा के प्रोगाम हो रहा है तो भाइयो!इस के ज़राइ व वसाइल और भी हैं। आप ब्याह शादियों की तरह घर घर जा कर प्रोग्राम की दअवत दीजिए या पैम्फिलेट बांटियें। जुमा की नमाज़ों में मसाजिद में बता दीजिए या मस्जिदो के लाउडस्पीकरों से एलान करा दीजिए अब तो जदीद टेकनालोजी का ज़माना है सब जानते हैं कोई एलान व इश्तिहार एक मिनट में लाखों हज़ारों तक पहुँचाने के ज़राए व वसाइल मौजूद हैं।

••• ➲   मेरे इस मश्वरे से नाराज़ न हों हमारे भाई ख़ुद ग़ौर करें तो उन्हें अन्दाज़ा होगा कि आज कल जलसों प्रोग्रामों के नाम पर लाउडस्पीकर के इस्तेमाल में जो ज़्यादती हो रही हैं। उस से नफअ कम है और परेशानी ज़्यादा।...✍🏻

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

*📬 लाउडस्पीकर के इस्तेमाल का सही तरीक़ा सफ़हा 14-15*

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     ❝ लाउडस्पीकर के इस्तेमाल का सही तरीक़ा❞
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                 *एक गाँव का वाक़िया*
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••• ➲   सुनने को मिला की गाँव मे दों हाजी साहिबान हज को तशरीफ ले जा रहे थे कि एक दिन की रवानगी थी पास पास घर थे एक ही रात में दोनों जगहो प्रोग्राम ज़्यादा से ज़्यादा हारनों का इन्तजाम था, दोनों जगह खुब कोहराम उस के घर में उसके और उसके घर में उसके हारनों की आवाज़। उनकी सौने या इनकी पल्ले नहीं पड़ रही थी और समझ में नहीं आ रही थी किसी की एक ने दूसरे से कहा कि तुम अपने हारन कम कर दो या उनका रुख दूसरी तरफ करो "दूसरे ने उस से कहा" कि तुम ऐसा करो" बात आगे बढ़ी नौबत लड़ाई झगड़े की आ गई सुना है खूब मारपीट हुई मुकर्रिर और शाइर बेचारे सब भाग गये।

••• ➲   मैं कहता हूँ अगर शरई हद में रह कर सिर्फ़ अन्दर की आवाज़ पर इक्तिफ़ा करते हुये किसी गाँव में एक रात में दस प्रोग्राम भी हों तो किसी को न कोई तकलीफ़ होगी न कोई शिकायत, बड़े सुकंन से सब हो जायेंगे और जिस को जहां जाना है वहां जा कर सुन लेगा, तो बात यह है कि इस्लाम दीने फितरत है और शरई कवानीन पर चलने में भलाई ही भलाई और ख़ैर ही ख़ैर है।...✍🏻

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

*📬 लाउडस्पीकर के इस्तेमाल का सही तरीक़ा सफ़हा 16*

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     ❝ लाउडस्पीकर के इस्तेमाल का सही तरीक़ा❞
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                *एक गाँव का वाक़िया*
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••• ➲  एक बस्ती के लोगों ने मुझ को बताया था कि हमारे यहां इस बार पन्द्रह हाजी हज को जा रहे है और चूंकि आजकल हर हाजी के लिए प्रोग्राम कराना ज़रूरी सा हो गया है। गोया कि किसी का हज बग़ैर प्रोग्राम के हो ही नहीं सकता और प्रोग्राम भी एक दरजन हारनों के साथ तीन बजे रात से पहले ख़त्म नहीं हो सकता हज का मुबारक जमाना है लेकिन गाँव में लोग बेहद परेशान हैं।

••• ➲   कुछ बुलाये हुये और कुछ बिन बुलाये एक दरजन से कम मुक़र्रिर व शाइर भी किसी छोटे से छोटे घरेलू प्रोग्राम में नहीं होते उन में अब कुछ ऐसे भी होते हैं कि उनकी कोई सुने ना सुने वह ज़बरदस्ती सुनाने में भी माहिर हैं। रात के दो बज रहे हैं मज्लिस में सिर्फ़ दो आदमी रह गये हैं वह भी ओंघ रहे हैं मगर पढ़ने वाले ख़त्म नहीं हो रहे हैं दर असल आजकल तन्हाई में ज़िक्र व शुक्र व ऐबादत व तिलावत वाले तो न रहे सामेईन को ख़ुश करने वालों की तादाद कुछ ज़्यादा बढ़ गई है। मेरे ख़्याल में मदारिस में तो तलबा पर दौराने तालीम मुक़र्रर व शाइर बन कर कहीं जाने पर पाबन्दी होना चाहिए।

••• ➲  मेरा अन्दाज़ा, तर्जुबा और हकीक़त यह है कि अगर प्रोग्रामो में सिर्फ़ अन्दर आवाज़ वाले स्पीकर इस्तेमाल किए जायें या बिल्कुल बग़ैर लाउडस्पीकर के मुख़्तसर वक़्त में ख़त्म होने वाले प्रोग्राम किए जायें तो प्रोग्रामो की अहमियत और शान घटेगी नहीं बल्कि बढ़ेगी इन्शा अल्लाह तआला।...✍🏻

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

*📬 लाउडस्पीकर के इस्तेमाल का सही तरीक़ा सफ़हा 17*

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     ❝लाउडस्पीकर के इस्तेमाल का सही तरीक़ा ❞
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              *एक सुबह का इज़ाला!?*
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••• ➲  कुछ हज़रात कहते हैं कि जलसों प्रोग्रामो में बाहर आवाज़ वाले लाउडस्पीकर का इस्तेमाल तकरीबन साठ सत्तर साल से हो रहा है और ऐसे प्रोग्रामों में हमारे मशाइख़ शिरकत फरमाते थे लेकिन उन्होंने मना क्यों नहीं क्या? मैं कहता हूँ कि मशाइख़ के जमाने में न इतने तेज़ लाउडस्पीकर थे न इतने प्रोग्राम न इतने मुक़र्रिर व शाइर इसलिए उनहोंने उधर तवज्जोह न फरमाई, अब तो ख़तना हो या अक़ीक़ा, ब्याह हो या शादी,सफ़र हज हो या तीजा, दसवाँ हो या चालीसवाँ सब में घर घर प्रोग्राम ज़रूरी और हर प्रोग्राम में एक दरजन हारन ज़रूरी, और आधी रात या उसके भी बाद तक प्रोग्राम चलाना भी जरूरी मुहर्रम शरीफ़ ग्यारहवीं शरीफ बारहवीं शरीफ़ वग़ैरा के महीनों में पहले लोग मख़सूस तारीख़ पर न्याज़ व फातिहा पर इक्तिफ़ा करते थे और अब तो इन दिनों हर घर में प्रोग्राम है और महीना में शायद ही कोई दिन ऐसा होगा जिस में किसी न किसी के यहां पर प्रोग्राम न होता हो। तीज़ा चालीवाँ वग़ैरा में भी सिर्फ़ फ़ातिहा होती थी अब तो ऐसा ज़हन बन गया है कि जैसे मुरदों को भी जन्नत तब ही मिलेगी जब पूरी बस्ती को खूब बहुत से हारन लगा कर सारी रात सोने न दिया जाये।...✍🏻

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

*📬 लाउडस्पीकर के इस्तेमाल का सही तरीक़ा सफ़हा 18*

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     ❝लाउडस्पीकर के इस्तेमाल का सही तरीक़ा ❞
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              *एक सुबह का इज़ाला!?*
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••• ➲  अगर मशाइख़ किराम आज दीन के नाम पर इस परेशानकुन लाउडस्पीकर के इस्तेमाल को मुलाहिज़ा फरमाते तो ज़रूर इस से बाज़ रखने की कोशिश फरमाते। मेरा ख़्याल तो यह है जो बखुशी सुने उन्हें सुनाया जाये और बाहर की तेज़ आवाज़ें अज़रूये शरअ मम्नू होना चाहिए। वैसे मुफ्तियाने किराम जो फ़तवा सादिर फरमायें वह मेरे लिए क़ाबिल तस्लीम है।

••• ➲   एक मशहूर व मअरूफ पाकिस्तानी सुन्नी आलि में दीन से बाहर आवाज़ फेकने वाले लाउडस्पीकर के इस्तेमाल के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने उस से मना फरमाया। लोगों ने पूछा अगर अहले मुहल्ला से इजाज़त ले ली जाये तो उन्होंने फरमाया कि आप दो साल के बच्चे से कैसे इजाज़त लेंगे।?

*👍मुझ को उनकी यह राय और यह जवाब बहुत पसन्द आया।*

••• ➲   अभी आप हुज़ूर ﷺ की हदीस मुलाहिज़ा फरमा चुके कि आप रात को घर में दाख़िल होते तो घर वालों को आहिस्ता आवाज़ से सलाम करते ताकि जागने वाला जवाब दे और सोने वाले की नीन्द ख़राब न हो।...✍🏻

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

*📬 लाउडस्पीकर के इस्तेमाल का सही तरीक़ा सफ़हा 19*

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     ❝लाउडस्पीकर के इस्तेमाल का सही तरीक़ा ❞
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             *एक सुबह का इज़ाला!?*
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••• ➲  आला हज़रत इमाम अहले सुन्नत की फतावा रज़विया के हवाले से आप ने पढ़ा कि उन्होंने बुलन्द आवाज़ से कुछ पढ़ने की इजाज़त जिन तीन शरतों के साथ दी उन में एक यह भी है कि "किसी जाइज़ नीन्द सोने वाले की नीन्द में ख़लल न हो" रात को बाद नमाज़े इशा जो नीन्द है वह जाइज़ है और हर इंसान का हक़ है। कुरआने करीम में कई जगह अल्लाह तआला ने उसी नीन्द और रात को अपनी नेअमत और बन्दों पर अपना ऐहसान बताया है।

••• ➲  कुरआने करीम में है खुदाए पाक इरशाद फरमाता है : अल्लाह वह है जिस ने तुम्हारे लिए रात बनाई कि उस में आराम पाओ और दिन आँखें खोलता।...✍🏻

📗 सूरए मोमिन-61

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

*📬 लाउडस्पीकर के इस्तेमाल का सही तरीक़ा सफ़हा 19*

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     ❝लाउडस्पीकर के इस्तेमाल का सही तरीक़ा ❞
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            *एक सुबह का इज़ाला!?*
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••• ➲  एक जगह फरमाता है : और उस ने अपनी मेहरबानी से तुम्हारे लिए रात और दिन बनाये। ताकि तुम रात में आराम करो और दिन में उसका फज़्ल रोटी रोज़ी तलाश करो और इस लिए कि तुम उसका शुक्र करो।

📙 सूरए कसस-73

••• ➲   और उसी से पहले आयत में है : अल्लाह के सिवा और कौन ख़ुदा है जो तुम्हें रात ला दे जिस में तुम आराम करो। 

••• ➲   कुरआने करीम में एक और जगह पर है : और उस ने रात बनाई तुम्हारे सुकून के लिए।

📗सूरए इआम आयत 95

••• ➲   और एक मकाम पर फरमाता है : हम ने तुम्हारी नीन्द को आराम देने वाला बनाया और रात को पर्दा पोश किया।

📕 सूरए इन्आम आयत 109

••• ➲  कही ऐसा न हो कि आप सवाब की नियत से प्रोग्राम करते हों और लाउडस्पीकर की तेज़ आवाज़ की वजह से कोई बीमार परेशान दिन भर का थकाहारा या बीमार बिस्तर पर करवटें बदलता हो और बजाये सवाब के आप गुनाह कमा रहे हो।...✍🏻

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

*📬 लाउडस्पीकर के इस्तेमाल का सही तरीक़ा सफ़हा 20*

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     ❝लाउडस्पीकर के इस्तेमाल का सही तरीक़ा ❞
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 *दरगाहों और मज़ारों पर बुलन्द आवाज़े!?*
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••• ➲   अभी कुछ दिनों से देखने में आ रहा है कि किसी बुजुर्ग के मज़ार पर कोई फातिहा पढ़ रहा है कोई कुरआन की तिलावत में है कोई मुराक़िबा में, कोई किसी ज़िक्र और तस्वीह में, एक साहब आते हैं और चीख चीख़ कर नात ख़्वानी शुरू कर देते हैं या बुलन्द आवाज़ से सलात व सलाम। चन्द लोग और भी उनके साथ शामिल हो जाते हैं, फातिहा पढ़ने वालों को सख़्त दिक्क़त होती है। यह भी सही नहीं जहां और लोग आहिस्ता ज़िक्र में पहले से मशगूल हों वहां आप को भी आहिस्ता ही ज़िक्र करना है चीख़ चीख़ कर नहीं अभी आप आला हज़रत इमाम अहले सुन्नत अलैहिर्रहमा के हवाले से हदीस मुलाहिज़ा फरमा चुके कि कुछ लोगों ने चिल्ला चिल्ला कर मस्जिद में ज़िक्र करना शुरू किया तो मशहूर सहाबिए रसूल हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने मसऊद रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने उन्हें मस्जिद से बाहर निकलवा दिया।

••• ➲   ख़ुद आला हज़रत अलैहिर्रहमाके ने जिन तीन शर्तों के साथ बुलन्द आवाज़ से ज़िक्र की इजाज़त दी उन में एक यह भी है कि दूसरे के ज़िक्र व इबादत में ख़लल वाक़ेअ न हो।...✍🏻

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

*📬 लाउडस्पीकर के इस्तेमाल का सही तरीक़ा सफ़हा 21*

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     ❝ लाउडस्पीकर के इस्तेमाल का सही तरीक़ा❞
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    *दरगाहों और मज़ारों पर बुलन्द आवाज़े!?*
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••• ➲  एक मशहूर दरगाह पर मैंने ख़ुद देखा कि अन्दर ख़ास मरक़द के पास जहां बीसों लोग खड़े बैठे फातिहा व ईसाले सवाब में मशगूल थे वहां कुछ जवान नअत खां हज़रात ने आला हज़रत का मशहूर सलाम "मुस्तफा जाने रहमत पे लाखों सलाम" पढ़ना शुरू कर दिया, दरगाह के खुद्दाम ने उन्हें हाथ पकड़ कर बाहर कर दिया, बाहर निकल कर मुझ से कहने लगे यह लोग आला हज़रत के मुखालिफ हैं? मैंने दिल में कहा "हरगिज़ नहीं! यह तुम्हारी चीख़ व पुक़ार के मुखालिफ़ हैं और तुम लोग आला हज़रत और उनके मसलक के मुखालिफ़ बताने और बढ़ाने में लगे हुये हो। क्या आहिस्ता आहिस्ता दुरूद व सलाम पढ़ना नाजाइज़ है? क्या हर वक़्त हर जगह ज़ोर से पढ़ना ज़रूरी है?

••• ➲  हदीस पाक में है कि "हुज़ूर ﷺ फ़रमाते हैं कि बेहतरीन ज़िक्र वह है जो आहिस्ता हो। मसाजिद में जिस वक़्त लोग नमाज़ व एबादत में मशगूल हों बुलन्द आवाज़ से सलात व सलाम पढ़ना उलमाए अहले सुन्नत के फतवा के ख़िलाफ़ है ऐसा लगता है कि कुछ लोगों का यह नज़रिया है कि जो ख़ूब ज़ोर ज़ोर से सलात व सलाम पढ़ा जाये वह ही हुज़ूर ﷺ तक पहुंचता है! आहिस्ता से कोई पढ़े तो नहीं। या फिर मआज़ल्लाह उनका ख़्याल यह हो गया है कि आहिस्ता हुज़ूर ﷺ पर दुरूद व सलाम भेजना सुन्नियों का तरीक़ा नहीं किसी और का है। हाँ जहां आला हज़रत के बयान फरमूदा शराइत पाये जाय वहां आवाज़ के साथ पढ़ने में भी हर्ज़ नहीं।...✍🏻

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*📬 लाउडस्पीकर के इस्तेमाल का सही तरीक़ा सफ़हा 22*

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     ❝लाउडस्पीकर के इस्तेमाल का सही तरीक़ा ❞
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   *दरगाहों और मज़ारों पर बुलन्द आवाज़े!?*
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••• ➲  बाज़ जगह किसी बुजुर्ग के उर्स के मौक़ा पर मुसलसल कई कई दिन तक रात दिन लाउडस्पीकर ज़ारी रहता है। रात की नीन्द के अलावा दिन के काम काज, बात चीत, ख़रीद व फरोख़्त करने वालों को सख़्त परेशानी का सामना होता है। हमारे बयान 'कर्दा आयात व अहादीस, अक़वाल की रोशनी में इन हज़रात को ग़ौर करना चाहिए।

••• ➲  कुछ जलसे कराने वाले दोपहर ही से तेज़ आवाज़ वाले हारन पूरी बस्ती में फैलाकर लोगों की नाक में दम कर देते हैं। घरों में बातचीत करना दुकानों पर सौदा ख़रीदना बेचना मुश्किल हो जाता है।

••• ➲  तीजे, दसवे, चालीवें वग़ैरा की फातिहाओं में कुरआन की तिलावत ऐसे लाउडस्पीकर से नहीं होना चाहिए जिसकी आवाज़ बाहर जायें।...✍🏻

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

*📬 लाउडस्पीकर के इस्तेमाल का सही तरीक़ा सफ़हा 23*

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     ❝ लाउडस्पीकर के इस्तेमाल का सही तरीक़ा❞
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*मसाजिद में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल तरीक़ा!?*
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••• ➲  मस्जिदों में अज़ान या किसी और एक दो मिनट के ऐलान के लिए दो या तीन हारन लगा लिए जायें तो कुछ हर्ज़ नहीं उस से ज़्यादा मुनासिब नहीं इस के एलावा वज़ व तक़रीर दर्से कुरआन व हदीस या नमाज़ जुमा के खुतबा के लिए सिर्फ़ अन्दर आवाज़ वाले स्पीकर इस्तेमाल करना चाहिए वह भी बहुत तेज़ नहीं बस लोग सुन लें इतनी आवाज़ काफी है। अकसर ऐसा होता है कि जहां कई मस्जिदें हैं किसी में लोग बा जमाअत नमाज़ अदा कर रहे हैं कहीं अज़ान शुरू हो गई, कही खुतबा शुरू हो गया, कहीं तक़रीर होने लगा, किसी मस्जिद में अभी फजर की जमाअत ख़त्म नहीं हुई है और पड़ोस की दूसरी मस्जिद से सलात व सलाम की आवाज़ आने लगी। भाइयों ! नमाज़ का ऐहतिराम बहुत ज़रूरी है उसका लिहाज़ न करना बड़ी महरूमी है, खुदाए पाक समझ अता फ़रमाये। इस्लाम में ईमान व अक़ीदा की दुरुस्तगी के बाद नमाज़ ही वह काम है जो अल्लाह तआला को सब से ज़्यादा पसन्द है यह नमाज़ खुद भी सुकून के माहौल में पढ़ो, और दूसरों को भी सुकून से पढ़ने दो। क़ुतुब फिक़्ह में लिखा है कि जहां चक्की चलती हो उस के पास नमाज़ पढ़ना मकरूह है, चक्की की आवाज़ की वजह से।...✍🏻

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*📬 लाउडस्पीकर के इस्तेमाल का सही तरीक़ा सफ़हा 23-24* 

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     ❝लाउडस्पीकर के इस्तेमाल का सही तरीक़ा ❞
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*मसाजिद में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल तरीक़ा!?*
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••• ➲  एक गाँव का वाक़िआ है कि वहां एक मस्जिद के इमाम साहब ना रात देखते थे न दिन जब चाहते थे मस्जिद का लाउडस्पीकर खोल कर नअत ख़्वानी शुरू कर देते थे आवाज़ इतनी तेज़ कि छोटे बच्चे सोते में चौंक जायें। घरों में एक दूसरे से या फोन पर बात करना मुश्किल।

••• ➲  जब इमाम साहब को समझाया गया तो कहने लगे कि नअत ख़्वानी हज़रत हस्सान बिन साबित रदियल्लाहु तआला अन्हु की सुन्नत है गाँव वाले बे चारे ख़ामोश हो जाते मुझ तक बात आई तो मैंने कहा कि यह हज़रत हस्सान की सन्नत हरगिज़ नही उस ज़माने में लाउडस्पीकर का तो कोई सवाल ही नहीं और इतनी ज़ोर से चीखते भी न थे कि आवाज़ मस्जिद से बाहर घरों में जाये और न वह इन लोगों को सुनाते थे जो काम काज, बात चीत में मशगूल व मसरूफ हों बल्कि मस्जिद शरीफ़ ही में जो हज़रात हुज़ूर पाक ﷺ की बारगाह में हाज़िर होते वह ही उनका कलाम सुनते थे।

••• ➲   हमारे कुछ मुक़र्रिरीन व खुतबा व नअतख्वा हज़रात बहुत ज़ोर से चीख़ चीख़ कर तक़रीर व बयान करने और नअत शरीफ़ वग़ैरा पढ़ने के आदी हो गये हैं, ख़ुद भी अपने बदन को तकलीफ़ देते हैं और दूसरो के लिए भी मुसीबत बनते हैं बहुत ज़्यादा ज़ोर लगा कर अवाज़ निकालने जिसे चीख़ना चिल्लाना कहते हैं यह तो इस्लाम में मुतलकन ममनूअ है। यहां तक कि आज़ान में भी हाँ बाज़ शरतों के साथ जहर यानी बुलन्द आवाज़ से पढ़ने की इजाज़त है लेकिन चीखने चिल्लाने की नहीं और दीन की तब्लीग दहाड़ने, चीखने चिल्लाने से नहीं होती। प्यार व मुहब्बत के साथ समझाने से होती है। अभी आप आला हज़रत इमाम अहले सुन्नत अलैहिर्रहमा कि फरामीन में पढ़ चुके कि ताक़त से ज़्यादा जहर करना और इतनी आवाज़ से पढ़ना कि खुद अपने आप को तकलीफ़ हो यह भी मम्नूअ है।...✍🏻

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

*📬 लाउडस्पीकर के इस्तेमाल का सही तरीक़ा सफ़हा 24-25*

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     ❝लाउडस्पीकर के इस्तेमाल का सही तरीक़ा ❞
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*सेहरी के वक़्त लाउडस्पीकर का बेजा इस्तेमाल!?*
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••• ➲  आज कल रमज़ान शरीफ़ के महीना में सेहरी खाने के लिए लोगों को मस्जिदों के लाउडस्पीकरों के ज़रीआ बेदार किया जाता है। कुछ इमाम साहिबान दो घन्टे पहले से लाउडस्पीकर खोल कर तक़रीरों और नअतों की रिकार्डिग शुरू कर देते हैं यह भी सही तरीक़ा नहीं। बाज़ बस्तियों और मुहल्लों में कई कई मस्जिदो से यह तेज़ आवाज़ वाले लाउडस्पीकरों के ज़रीआ रिकार्डिंग शुरू हो जाती हैं हंगामा और शोर के सिवा कुछ समझ में नहीं आता इस पर फौरन रोक लगाना ज़रूरी है। हल्की आवाज़ वाले लाउडस्पीकर का इस्तेमाल किया जाये, ख़त्मे सेहरी से सिर्फ़ एक घन्टा पहले लोगों को जगाया जाये, सेहरी पकाने खाने के लिए इतना टाइम काफी है। रिकार्डिग बिल्कुल न की जाये दो तीन बार वक़्त बता दिया जाये कि अब इतना टाइम सेहरी ख़त्म होने में बाकी है इस से ज़्यादा लाउडस्पीकर का इस्तेमाल रात में बेज़रूरत और मख़लूक को परेशान करना है। बुढे, बच्चे, बीमार, कमज़ोर और कुछ औरतें जिन पर रोज़ा फर्ज़ नहीं उन की नीन्द को ख़राब करना मज़हब के नाम पर यह मज़हबियत और दीनदारी नहीं है।...✍🏻

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

*📬 लाउडस्पीकर के इस्तेमाल का सही तरीक़ा सफ़हा 26* 

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     ❝ लाउडस्पीकर के इस्तेमाल का सही तरीक़ा❞
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 *सेहरी के वक़्त लाउडस्पीकर का बेजा इस्तेमाल!?*
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••• ➲  कुछ इमाम हज़रात फजर की नमाज़ के बाद लाउडस्पीकरों से नअत या तक़रीर की रिकार्डिग शुरू कर देते हैं। हांलाकि यह ज़िक्र व तस्वीह का वक़्त है।

••• ➲   हमारा मज़हब ग़ैर मुस्लिमों को भी परेशान करने की इजाज़त नहीं देता वह अपने मज़हब के नाम पर कुछ भी करें उस के जिम्मदार वह है लेकिन हमारी जिम्मेदारी यह है कि हमारे मज़हब का ग़लत तआरूफ न हो और हमारा शुमार उन लोंगो मे न हो जो धरम और मज़हब का नाम लेकर ख़ल्क ख़ुदा के लिए मुसीबत बनते हैं।

••• ➲   ग़ैर मुस्लिमों को भी चाहिए कि वह अपने धरम के नाम पर अवाम को परेशान न किया करें में समझता हूँ कोई भी मज़हब इसकी इजाज़त नहीं देता आजकल लाउडस्पीकर की तेज़ आवाजे और मज़हब के नाम पर रास्ते जाम करने का जो रिवाज़ बढ़ता जा रहा है इस पर सब कन्ट्रोल करना चाहिए और एक दूसरे की चिढ़ और ज़िद में ख़ुदा की मख़्लूक को परेशान नहीं करना चाहिए।...✍🏻

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

*📬 लाउडस्पीकर के इस्तेमाल का सही तरीक़ा सफ़हा 27*

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🅿🄾🅂🅃 ➪  28

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     ❝ लाउडस्पीकर के इस्तेमाल का सही तरीक़ा❞

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*मौलाना तत्हीर साहब की एक वसीयत!?*

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••• ➲  मैंने वसीयत की है कि मेरे मरने के बाद चालीसवीं वग़ैरा के मौक़े पर बाहर आवाज़ फेंकने वाले लाउडस्पीकर लगा कर कोई प्रोग्राम न किया जाये। ख़्वाह वह प्रोग्राम दिन में हो या रात में।

••• ➲  मेरी तदफ़ीन आम मुसलमानो की तरह की जाये क़ब्र पर कोई इमारत न बनाई जाये सालाना फातिहा अगर हो तो उसका नाम उर्स न रखा जाये, बल्कि बरसी कहा जाये। अल्लाह तआला अपने करम व फज़ल से गुनाहों को मुआफ़ कर के मग़फिरत फरमादे यहीं बड़ा मर्तबा है। क़ियामत के दिन अपने महबूब सय्यदे आलम अहमद मुज्तबा मुहम्मद मुस्तफा ﷺ की शफाअत से जन्नत में थोड़ी सी जगह अता फरमा दे तो हमारे जैसे बड़े बड़े गुनाहगारों, ख़ताकारो, इसयाँ शिआरो दुनियादारो के लिए यह बहुत काफ़ी है और उसका फज़्ले अज़ीम है कि बेशुमार गुनाहो, ख़ताओं के बावजूद में उसकी रहमत से ना उमीद नहीं क्योंकि वह बहुत बख्शने वाला मेहरबान परवरदिगार (अरहमुर्रराहमीन) है और उस ने अपने महबूबﷺ को (रहमतुल लिल आलमीन) बनाकर भेजा है।...✍🏻

              *❍↬  बा - हवाला   ↫❍*

*📬 लाउडस्पीकर के इस्तेमाल का सही तरीक़ा सफ़हा 27-28*

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*📬 पोस्ट मुकम्मल हुई अल्हम्दुलिल्लाह 🔃*
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