
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ یــــــــــــــــــــــا رسول الــــلّٰــــه ﷺ
कनीज़ ए मां फ़ातिमा तुज़्ज़हरा رضی اللّٰــه تعالیٰ عنــــــــہا
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इस्लामी अफ़कार ओ नज़रियात
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 01
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❝ इब्तिदा!? ❞
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*कुब्बत ए फ़िक्र ओ अमल पहले फ़ना होती है।*
*फिट किसी क़ौम की शौक़त पर ज़वाल आता है!*
╭┈► उम्मत ए मुस्लिमा के मौजूदा हालात किसी से पोशीदा नहीं हैं हुकूमत उनके पास नहीं इक़्तेदार उनका ख़त्म हो चूका लेकिन एक चीज़ इस उम्मत के पास बाक़ी थी जिसे फ़िक्र कहते हैं जिस फ़िक्र को लेकर ये उम्मत मेहनत मशक़्क़त करके अपने दुश्मन को ख़ाक में मिला सकती थी लेकिन अब वो फ़िक्र ही इस क़ौम के दिलों से ख़त्म होती जा रही है और ये क़ौम गैरों की ग़ुलामी की जंजीरों में जकड़ चुकी है सब कुछ ख़त्म हो चूका है फिर भी हमारे हालात क्या हैं? वही गुनाहों में लुथड़ी ज़िन्दगी।
╭┈► अरे ये तो वक़्त अल्लाह तआला की बारगाह में रोकर गिड़गिड़ाकर माफ़ी मांगने का था के हम अल्लाह तआला से अर्ज़ गुज़ार होते के या अल्लाह हमें माफ़ फ़रमादे हमें दरगुज़र फ़रमादे हम अपने गुनाहों से तौबा करते हैं हमने तेरे अहकाम की पाबन्दी नहीं की इस लिए हम पर ये मुसीबतें आयी हुई हैं।
╭┈► ये तो वक़्त अपने प्यारे नबीﷺ की बारगाह में रुजू करने का था और आप के सदक़े अल्लाह से दुआ करने का था लेकिन हम गफ़लत में मुब्तिला हैं हम वही कर रहे हैं जो हमारा नफ़्स हमसे कह रहा है।
╭┈► इस मैगज़ीन को पब्लिश करने का मक़सद सिर्फ़ और सिर्फ़ ये है के उम्मत ए मुस्लिमा की फ़िक्र को नयी ताज़गी दी जाये और जो बुराईयां और नफ़रतें हमारी क़ौम के दरमियान पनप रही हैं और बुज़दिली हमारी पहचान बन चुकी है इन सब को ख़त्म करने की कोशिश की जाये ये तभी हो सकता है के मुआशरे का हर इंसान बुराईयों को मिटाने के लिए जद्दोजिहद करे और इस को अपना एक अहम फ़रीज़ा समझ कर काम करे फिर वो दिन दूर नहीं जिस दिन हम अपने खोये हुए दिन वापस पा लेंगे ज़रूरत है क़ौम की फ़िक्र ओ अमल पर काम करने की
╭┈► पढ़ने वालों से गुज़ारिश है के इस मैगज़ीन को पढ़ने तक ही महदूद न रखें बल्कि इस से सबक़ हासिल कर अपनी ज़िन्दगी में इस्लाम के मुताबिक़ अमल करने की ज़रूरत है इस मैगज़ीन को पब्लिश करने का मक़सद तभी हासिल हो सकता है जब इसको पढ़ने वाले अल्लाह तआला की तौफ़ीक़ से इन तालीमात पर अमल करें अल्लाह हमारा हामी ओ मददगार हो।
*✍ मुहम्मद हस्सान रज़ा राईनी*
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❝ इस्लाम मे बहमी हुक़ूक़ और भाईचारा!? ❞
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*अज़ अल्लामा हाफ़िज़ जनाव तौहीद अहमद खान रज़वी साहव क़िब्ला*
╭┈► इस्लाम ने हुक़ूक़ उल इबाद की तालीम जिस अंदाज़ से दी है अगर इसमें लोग कोताहदस्ती से काम ना लें बल्कि इसको पूरे तौर पर अदा करें तो फिट आपसी इख्तिलाफ़ वा इंतिशार बिल्कुल ख़तम हो जाए और स्वालेह मुआशरा तश्कील पाए इस्लाम में किसी अमीर को किसी ग़रीब पर किसी गोरे को किसी काले पर किसी अरबी को अजमी पर कोई फ़ज़ीलत हासिल नहीं अगर फ़ज़ीलत हासिल है तो तक़वे की वजह से है।
╭┈► इरशाद ए रब्बानी है बेशक अल्लाह के यहां ज़्यादा इज़्ज़त वाला वो जो तुम में ज़्यादा परहेज़गार है।
📙 कंजुल ईमान 26
╭┈► और फरमान ए रसूलﷺ है। ऐ लोगो खबरदार तुम्हारा परवरदिगार एक है, खबरदार तुम्हारा बाप एक है, खबरदार किसी अरबी को अजमी पर कोई फज़ीलत नहीं अलावा तक़वे के, अल्लाह के नज़दीक तुम में ज़्यादा मोअज़्ज़ज़ और मोहतरम वो है जो तुम में सबसे ज़्यादा मुत्तकी है।...✍🏻
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❝ इस्लाम मे बहमी हुक़ूक़ और भाईचारा!? ❞
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╭┈► *इंसान पर दो तरह के हुक़ूक़ आयद होते हैं :*
❶ ⚘ हुक़ूक़ उल अल्लाह
❷ ⚘ हुक़ूक़ उल इबाद
╭┈► हुक़ूक़ अल्लाह की पामाली की सूरत में अल्लाह तआला माफ़ कर सकता है अगर माफ़ कर दे तो ये उसका फज़ल है और उस पर अज़ाब या सज़ा दे तो ये उसका इंसाफ है, हुक़ूक़ उल इबाद की पामाली की सूरत में जब तक वह बंदा के जिस का हक़ तलफ किया गया है माफ़ ना कर दे अल्लाह भी माफ़ नहीं करेगा इस्लाम ने जिस तरह हुक़ूक़ उल इबाद को अदा करने का हुक्म दिया है और दीनों में मफ़कूद है आइए नज़र डालते हैं कि इस्लाम ने हुक़ूक़ उल इबाद को किस तरह अदा करने का हुक्म दिया है।...✍🏻
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❝ वालिदैन (मां बाप) के हुक़ूक़ ❞
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╭┈► वालिदैन के हुक़ूक़ को दो क़िस्मों में तक्सीम किया जा सकता है
❶ ⚘ हयात में वालिदैन के हुक़ूक़।
❷ ⚘ इंतेक़ाल के बाद वालिदैन के हुक़ूक़।
╭┈► *हयात में वालिदैन के हुक़ूक़ :* कुरआन ए करीम और आहदीसे करीमा में वालिदैन के हुक़ूक़ की बहुत ज़्यादा ताक़ीद आई है तुम्हारे रब ने हुक्म दिया के उसके सिवा किसी को न पूजो और अपने मां-बाप के साथ अच्छा सुलूक़ करो अगर तेरे सामने उनमें से एक या दोनों बुढ़ापे को पहुंच जाएं तो उनसे हूं ना कहना और उन्हें न झिड़कना और उनसे ताज़ीम की बात कहना।
📗 कंजुल ईमान, पारा 15
╭┈► *और दूसरी जगह इरशादे रब्बानी है :* और अल्लाह की बंदगी करो और उसका शरीक किसी को ना ठहराओ मां बाप से भलाई करो।
📕 कंजुल ईमान, पारा 5
╭┈► इन दोनों आयात में अल्लाह तबारक व तआला ने इंसान को इस बात की ताक़ीद फरमाई है के वह अपने वालिदैन के साथ नेकी और भलाई करे और जहां तक हो सके उनकी राहत और आशाइस के लिए कोशां रहे।...✍🏻
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❝ वालिदैन (मां बाप) के हुक़ूक़ ❞
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╭┈► हज़रत अबू हुरैरा रज़ि अल्लाह तआला अन्हु से रिवायत है की एक आदमी ने रसूल अल्लाह ﷺ से अर्ज़ किया या रसूल अल्लाह ﷺ मेरे हुस्न ए सुलूक (अच्छे आचरण) का सबसे ज़्यादा हक़दार कौन है आपने फरमाया तेरी मां उसने अर्ज़ किया उसके बाद, आप ने फरमाया तेरी मां उसने फिर अर्ज़ किया उसके बाद, आपने फरमाया तेरी मां उसने फिर अर्ज़ किया, उसके बाद आप ने फरमाया तेरा बाप।
📗बुखारी शरीफ़
╭┈► इस ज़्यादती के यह मायने हैं कि खिदमत करने में मां को बाप पर तर्जीह (बढ़ाबा) दे और ताज़ीम बाप की ज़्यादा करें क्योंकि वह इसकी मां का भी हाकिम है इस हदीस शरीफ़ से सबक हासिल करें वह नौजवान जो मां-बाप को तकलीफ़ देते हैं और ज़रा ज़रा सी बात पर तानाज़नी करते हैं क्या उन्होंने मंदरजा वाला हदीसे पाक नहीं सुनी है।
╭┈► मुस्लिम शरीफ़ की हदीस है हुज़ूर पाक ﷺ ने 3 मर्तबा इरशाद फरमाया उसकी नाक खाक आलूदा हो हज़रत अबू हुरैरा रज़ि अल्लाह तआला अनहु ने अर्ज़ किया या रसूलअल्लाह ﷺ किस की सरकार मुस्तफा ﷺ ने इरशाद फरमाया जिसने बूढ़े मां-बाप को पाया या उनमें से किसी एक को पाया और उनकी खिदमत करके जन्नत हासिल ना कर सका।...✍🏻
📗मुस्लिम शरीफ़ जिल्द 2
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❝ वालिदैन (मां बाप) के हुक़ूक़ ❞
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╭┈► एक मर्तबा हुज़ूर अकरम ﷺ से लोगों ने पूछा वालिदैन का अपनी औलाद पर क्या हक़ है आपने इरशाद फरमाया वह दोनों तेरी जन्नत और दोजख हैं।
📗 मिस्कात शरीफ़
╭┈► अगर तू अपने वालिदैन की ख़िदमत करेगा तो जन्नत में चला जाएगा और वालिदैन की नाफरमानी करेगा तो तुझे दोजख में डाल दिया जाएगा ख़ुलासा कलाम यह के उनको आराम पहुंचाने और ख़ुश रखने के लिए हमा वक़्त कोशिश करता रहे अपनी क़ुदरत भर राहत रसाई की फिक्र के साथ उनके लिए दुआ भी करता रहे ऐ मेरे परवरदिगार उनको पूरी तरह राहत पहुंचाना तो मेरे बस की बात नहीं तू अपने फज़ल ओ करम से उनकी तमाम मुश्किलात और तकलीफ़ दूर फरमा दे।...✍🏻 *आमीन*
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❝ इंतकाल के बाद वालदैन के हुक़ूक़ ❞
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╭┈► वालदैन के हक़ औलाद अदा तो नहीं कर सकती पर नीचे दी हुई बातों पर अमल करके कुछ उनके लिए मगफिरत का ज़रिया तो बन सकतें अल्लाह तआला अमल की तौफीक़ अता फरमाए।
╭┈► ❶ सबसे पहला हक़ उनके जनाज़े की तजहीज़ ओ तकफीन और तदफ़ीन (कफ़न देना और दफ़न करना) है।
╭┈► ❷ उनके लिए मग़फिरत वा बख्शिश की दुआ हमेशा करते रहना उससे भी ग़फलत ना बरतना।
╭┈► ❸ उनके ऊपर कोई फ़र्ज़ बाक़ी रह गया हो तो उसको बा क़द्र ए ताक़त उसकी अदायगी की कोशिश करना।
╭┈► ❹ हसब ए ताक़त सदक़ा ओ खैरात अमाल ए सालेहा का सवाब उन्हें पहुंचाता रहे।
╭┈► ❺ उन पर किसी का कर्ज़ हो तो उसको जल्द अदा करने की कोशिश करना।
╭┈► ❻ उन्होंने जो जाइज़ वसीयत की हो जहां तक मुमकिन हो उन्हें नाफ़िज़ करने की कोशिश करे।
╭┈► ❼ हर जुमा उनकी क़ब्र की ज़्यारत के लिए जाना और वहां यासीन शरीफ़ पढ़ना और उसका सवाब उनको बख्शना।
╭┈► ❽ उनके रिश्तेदारों के साथ नेक मुलूक करना उनका एहतराम करना
╭┈► ❾ कभी किसी के मां-बाप को बुरा कहकर बदले में उन्हें बुरा ना कहलवाना।
╭┈► ❶⓿ कभी कोई गुनाह करके उन्हें क़ब्र में रंज ना पहुंचाना उसके सब आमाल की ख़बर मां बाप को पहुंचती है नेकियां देखते हैं तो ख़ुश होते हैं और गुनाह देखते हैं तो रंजीदा होते हैं।...✍🏻
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 08
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❝ औलाद के हुक़ूक़ ❞
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╭┈► वालिदैन पर बच्चों की पैदाइश के वक़्त से हुक़ूक़ की अदायगी का सिलसिला शुरू हो जाता है नबी अकरम ﷺ ने इरशाद फरमाया जब बच्चा पैदा हो तो कान में अज़ान दी जाए तहनीक करे उम्दा नाम तजवीज़ करे और जब कुछ बोलने के लायक़ हो तो कलमा ए तय्यब का विर्द कराने की कोशिश करे और अगर हो सके तो अक़ीक़ा भी कराया जाए औलाद की तालीम ओ तरबियत के ताल्लुक़ से नबी करीम ﷺ ने कसरत से तर्गींब दिलाई है क्योंकि इसमें बच्चो का रौशन मुस्तकबिल है हुज़ूर ﷺ का इरशाद ए आलीशान है मुसलमानो अपनी औलाद की तरबियत अच्छी तरह करो।
╭┈► दूसरी हदीसे पाक में है बाप अपनी औलाद को जो कुछ दे सकता है उसमें सबसे अच्छा अतिया अपनी औलाद की तालीम ओ तरबियत है।...✍🏻
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 09
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❝ औलाद के हुक़ूक़ ❞
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╭┈► औलाद की तालीम और तरबियत के ताल्लुक़ से आला हज़रत अलैहिर्रहमा फाज़िले बरेलवी का यह कोल मुलाहिज़ा फरमाएं।
╭┈► जुबान खुलते ही अल्लाह अल्लाह फिर ला इलाहा इल्लल्लाह और फिर पूरा कलमा सिखाएं जब तमीज़ आये अदब सिखाएं खाना-पीना, हंसना बोलना, उठने बैठने, चलने फिरने, हया लिहाज़, बुजुर्गों की ताज़ीम, मां-बाप, उस्ताद और दुख्तर को शौहर की इताअत के तुर्को आदाब बताये, क़ुरआन ए मजीद पढ़ाये, उस्ताद नेक स्वालेह सुननी सही हुल अक़ीदा के सुपुर्द करे और दुख्तर को नेक परसा औरत से पढ़वाये, बाद खत्मे कुरआन हमेशा तिलावत की ताक़ीद करे अक़ाइद ए इस्लाम और सुन्नत सिखाए के लौह ए सादा फितरत ए इस्लामी व क़ुबूल ए हक़ पर मख्लूक़ है, उस वक़्त का बताया पत्थर की लकीर होगा, हुज़ूर अक़दस ﷺ की मुहब्बत व ताज़ीम उनके दिल में डाले के असले ईमान व ऐन ए ईमान है हुज़ूर ﷺ के आल व असहाब, औलिया अल्लाह, उल्मा की मोहब्बत व अज़मत तालीम करे के असले सुन्नत व ज़ेबर ए ईमान बल्कि बाएस ए बक़ा ए ईमान है।...✍🏻
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 10
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❝ औलाद के हुक़ूक़ ❞
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╭┈► सात बरस की उम्र से नमाज़ की जुबानी ताक़ीद करे, इल्म ए दीन खुमसन गुस्ल वुजू नमाज़ रोज़े के मसाइल, तवक्कुल, कनाअत जुहद ओ अखलाक, अमानत, मिदक, अदल, हया, सलामत ए सुदूर ओ लिसान वगैरह खूबियों के फज़ाइल, हिरष व तमअ, हुब्बे दुनिया व हुब्बे जाह, रिया ओ उजब, तकब्बुर व खयानत किज़्ब ओ ज़ुल्म, फहेश ओ गीबत, हसद ओ कीना, वगैरह बुराइयों के रज़ाइल पढ़ाये, पढ़ाने में नरमी बरते, मौके पर चश्म नुमाई, तंबीह व तहदीद करे मगर कोसना ना दे, के कोसना उनके लिए इसलाह का सबब नहीं होगा बल्कि फसाद का अंदेशा है मारे तो मुंह पर ना मारे अक्सर औक़ात तहदीद व तखबीफ पर क़ानेअ रहे, कोढ़ा क़मची उसके पेशे नज़र हो ताकि दिल में रोब रहे ज़माना ए तालीम में एक वक़्त खेलने का भी दे के तबीयत पर निशात बाक़ी रहे मगर कभी बुरी सोहबत में ना बैठने दे के यार बद मार ए बद से बदतर है।
📗फतावा रज़विया जिल्द 9 मतबुआ क़दीम
*नोट :* ⚠ हमें चाहिए इन हिदायात के मुताबिक़ अपनी औलाद की परवरिश करें ताकि वो दोनो जहान में कामयबी हासिल कर सकें।...✍🏻
📬 बा - हवाला *अफ़कार पेज नंबर - 05 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 11
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❝ एक मुसलमान पर दूसरे मुसलमान के हुक़ूक़ ❞
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╭┈► हज़रत अली रज़ि अल्लाह तआला अन्हू मे मरवी है के एक मर्तबा हुज़ूर अकरम ﷺ ने इरशाद फरमाया एक मुसलमान के दूसरे मुसलमान पर 6 फ़र्ज़ हैं।
╭┈► ❶ जब उससे मिले तो सलाम करे।
╭┈► ❷ जब वो बुलाए तो हाज़िर हो।
╭┈► ❸ जब वो छींके तो जवाब दे।
╭┈► ❹ जब वो बीमार हो तो अयादत करे।
╭┈► ❺ जब वो मर जाए तो उसके जनाज़े में शरीक हो।
╭┈► ❻ जो चीज़ अपने लिए पसंद करे वो उसके लिए पसंद करे।
╭┈► *हुज़ूर ﷺ ने फरमाया :* के कामिल इंसान वो है जिसके हाथ और ज़बान से दूसरे मुसलमान महफूज़ रहें।...✍🏻
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 12
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❝ एक मुसलमान पर दूसरे मुसलमान के हुक़ूक़ ❞
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╭┈► दूसरी हदीस शरीफ़ में है अबू हुरैरा रज़ि अल्लाह तआला अन्हू से रिवायत है हुज़ूर अकरम ﷺ ने फरमाया क्या तुम्हें मालूम है मुफलिस कौन है लोगों ने अर्ज़ किया हम में मुफलिस वो है जिनके पास ना पैसे हों ना सामान, हुज़ूर ने फ़रमाया मेरी उम्मत में मुफलिस दरअसल वो शख़्स है जो क़यामत के दिन नमाज़, रोज़ा, ज़कात लेकर आए इस हाल में के उसने किसी को गाली दी हो किसी पर तोहमत लगाई हो किसी का माल खा लिया हो किसी का ख़ून बहाया हो किसी को मारा हो तो अब उसको राज़ी करने के लिए उस शख़्स की नेकिया उन मज़लूमों के दरमियान तकसीम की जाएंगी, पर उसकी नेकियां खतम होने के बाद भी अगर लोगों के हक़ूक़ बाक़ी रह जाएंगे तो अब हक़दारों के गुनाह लाद दिए जाएंगे यहां तक के उसे दोज़ख़ में फेंक दिया जाएगा।
╭┈► इस हदीस ए पाक से इबरत हासिल करें वो लोग जो सरे आम दूसरे लोगों को गालियां देते हैं और उन्हें शर्म भी महसूस नहीं होती एक मुसलमान का दूसरे मुसलमान पर ये भी हक़ है के उसकी गीबत ना करे गीबत के मुताल्लिक़ कुरआन करीम और अहादीस ए करीमा में सख़्त बईद आई हैं इरशाद ए रब्बानी है और एक दूसरे की गीबत ना करो क्या तुम में कोई पसंद रखेगा के अपने मरे भाई का गोश्त खाए तो ये तुम्हे गवारा ना होगा।
📗 कंज़ूल ईमान, पारा 26
*नोट ⚠* ख़ुदा तआला से दुआ है के हमें हुक़ूक़ की अदायगी की तौफ़ीक़ अता फरमाए आमीन।...✍🏻
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 13
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❝ जहेज़ के लालची लोग ❞
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✍🏻 अज़ अल्लामा मौलाना जावेद रज़ा मरकज़ी साहब क़िब्ला
╭┈► कहा जाता है के जब किसी काम में लोग हद से आगे जाते हैं तो वो चीज़ हद से गुज़रने वालों के लिए जान का वबाल बन जाती है मुसलमानो में जिस तरह आज जहेज़ ने एक विकराल रूप ले लिया है उस से हर एक आशना है आज अगर हम समाज को तीन हिस्सों में करके देखें एक जो ग़रीब तबका है एक जो दरमियानी तबका है और एक जो खूब मालदार तबका है अब जरा सोचो आज मुसलमानों में ज़्यादातर मज़दूरी या छोटे कारोबार करने वाले हैं।
╭┈► अब हम असल बात पर आते हैं जहेज़ और इसके लालची लोगों ने हमारा क्या हाल कर दिया।...✍🏻
📬 बा - हवाला *अफ़कार पेज नंबर - 07 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 14
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❝ जहेज़ के लालची लोग ❞
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╭┈► ज़्यादा जहेज़ मिलने के लालच में हम दीनदारी, पाक दामनी और परहेज़गारी नहीं देखते बल्कि हम जहेज़ को देखते हैं इसका असर समाज पर यह पढ़ा कि दीनदारी परहेज़गारी और पाक दामनी जैसी चीजें समाज में बे मायने होकर रह गई हैं अगर हम लोग निकाह करने में फरमान ए मुस्तफा ﷺ पर अमल करते के दीनदार औरतों से निकाह करके क़ामयाबी हासिल करो अगर लोग इस पर अमल शुरू कर देते तो उम्मीद है कि मुआशरे में बहुत तेज़ी के साथ बदलाव आ जाते आज जहेज़ की बढ़ोतरी ने लोगों की रातों की नींद और दिन का चैन बर्बाद कर दिया मगर अफ़सोस लोग इस मुसीबत में जिंदगी गुज़ार रहे हैं लेकिन उसको छोड़ने को तैयार नहीं इस जहेज़ के लालच का असर क़ौम के बच्चों की तालीम पर भी बुरा पड़ता है तालीम पर बुरा असर किस तरह पड़ता है इसको एक मिसाल से समझते हैं।...✍🏻
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❝ जहेज़ के लालची लोग ❞
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╭┈► एक घर में अगर दो-तीन बच्चियां हो और दो लड़के हो और कमाई के ज़रिए भी महदूद हो तो वह लड़के कुछ बड़े हो फिर क्या वालिद और लड़के सब मिलकर खुद लड़कियां भी बस एक ही चीज़ के लिए पैसा जमा करते हैं और वह है जहेज़, और यह हाल एक घर का नहीं बल्कि घर घर का है यह वह हकीक़त है जिसका इनकार नहीं किया जा सकता ऐ मिल्लत के जवानों! ज़रा सोचो इस एक फ़िजूल ख़र्ची ने हमारे अक्सर जवानों को मज़दूरी की तरफ धकेल दिया है अब इसको दुरुस्त करने कौन आएगा जो आपको बताएगा ज़रूरत है आज ऐसे मुस्लिम बा हिम्मत और अच्छी फ़िक्र रखने वाले नौजवानों की जो सामने आए और बगैर जहेज़ वाली शादियों का ऐलान करें और अपने घर की बच्चियों के रिश्ते भी बगैर जहेज़ के करें।...✍🏻
📬 बा - हवाला *अफ़कार पेज नंबर - 07 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 16
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❝ ज़िना की फ़रोग ❞
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╭┈► इंसान के अंदर अल्लाह तआला ने ये ख्वाहिश रखी है चाहें वो मर्द हो या औरतें उसका एक वक़्त आता है और उस वक़्त ख़ुद को संभालना मुश्किल होता है बहुत कम होते हैं जिनके दिल ख़ौफ ए ख़ुदा से लरज़ते हैं तो वो बच जाते हैं मगर कुछ ज़िना में या दीगर हराम कामों में गिरफ्तार हो जाते हैं अब ज़रा सोचो तो मुसलमानों हमारे इस जहेज़ के लालच ने हमारे जवानों को कैसी तबाही के दहाने पर लाकर खड़ा किया है आए दिन ज़िना के बढ़ते केस हमें जगा नहीं रहे, कब जागोगे? कब सुधरोगे? कब अपने बच्चो को हराम कामों से रोकने की तरफ तवज्जो करोगे।...✍🏻
📬 बा - हवाला *अफ़कार पेज नंबर 7- 8 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 17
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❝ क़र्ज़ो की फरावानी ❞
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╭┈► इस जहेज़ ने लोगों को काफ़ी हद तक सूदी क़र्ज़ो में मुब्तिला कर दिया है लोग अपनी शान को दिखाने के लिए अपनी बिसात से ज़्यादा ख़र्च करते हैं और इन ख़र्चों को पूरा करने के लिए जिस तरह भी हो सके पैसा जमा करते हैं यहां तक वो क़र्ज़दार हो जाते हैं फिर कई साल तक इसको भरते रहते हैं और ज़ाहिर है ये सूदी क़र्ज़ कहां से हासिल करते हैं अफ़सोस आज इस पर लोग सिर्फ़ बोल रहे हैं मगर अमली ज़िन्दगी में वह सब चल रहा है जिसने ज़िंदगियां तबाह की हुई हैं।...✍🏻
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❝ जहेज़ देने वालों की तारीफें क्यों ❞
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╭┈► हमारे दरमियान कसीर तादाद उन लोगों की है जिनका काम सिर्फ़ बोलना है आप देखो अगर कोई अपनी ज़मीन, मकान बेच कर अपनी शादी में कसीर रक़म ख़र्च कर दे तो लोग उसकी तारीफ करना शुरू कर देते हैं।
╭┈► इसके बर अक्स अगर कोई कम खर्च पर शादी करे तो लोग उसकी मज़म्मत करते दिखाई देते हैं मुक्तलिफ़ क़िस्म के तानों से जगह जगह ज़लील किया जाता है आख़िर हम अपने समाज को किस तरफ़ धकेल रहे हैं आखिर कब हम लोग इन बुराइयों की मज़म्मत करेंगे?
╭┈► अगर हम लोग हर तरह से उन लोगों की तारीफ़ करे उन लोगों को इज्ज़त ज़्यादा दें जो सुन्नत के मुताबिक़ कम ख़र्चों में अपनी शादियां करते हैं इससे भी लोगों में कुछ ना कुछ बेदारी ज़रूर आएगी।...✍🏻
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❝ जहेज़ देने वालों की तारीफें क्यों ❞
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╭┈► बड़ा दुःख होता है जब ये सुनने को मिलता है के किसी कि बहन किसी कि बेटी का घर महज़ इस वजह से टूटता है के उसके वालिदैन ने घर भर कर जहेज़ नहीं दिया होता और लोग उसका ताना मरते हैं अब वो वालिद जिसने फूल की तरह अपनी बच्ची को पाला है उस पर क्या गुज़रती है जब जहेज़ के लालची लोग उस पर ज़ुल्म ओ सितम के पहाड़ तोड़ते हैं खुद को भी उस जगह रखकर देखें कुछ लोग देखा देखी जहेज़ मुखालिफ बातें करते हैं मगर दिल उसी तरफ़ लगे होते हैं अफ़सोस नौजवानों की हालत पर जिसकी सोच और फ़िक्र इतनी आला होनी चाहिए थी के एक परिवार की नहीं बल्कि अपनी कमाई के ज़रिए कितने ग़रीबो की किफ़ालत के ज़िम्मेदार होते, मगर वो खुद कासा ए गदाई लेकर दूसरों के दरवाज़े पर खड़े दिखाई देते हैं ये मफ्लूज मिल्लत नौजवान आख़िर क्या कर सकते हैं जबकि ये अपने लिए भी दूसरों पर मौकूफ़ है।
╭┈► आख़िर में इन लोगों से भी गुज़ारिश है के जिन को ठीक ठाक दीनदार घराने और लड़के मयस्सर आते हैं मगर दौलत का भूत उनको चढ़ा होता है लोगों में अपनी शान दिखाने को ख़ूब ख़र्च करते हैं और अपनी वुसअत से ज़्यादा ख़र्च कर देते हैं और फिर परेशान होते हैं अल्लाह की जात पर भरोसा करके अगर कोई दीनदार घराना मयस्सर आए और वो जहेज़ को मना करे तो मान जाएं और मुआशरे को सुधारने में हिस्सेदार बनें याद रखो चैन खर्चों से नहीं मिलता बल्कि चैन अल्लाह तआला के दस्ते क़ुदरत में है।...✍🏻
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❝ औलाद की तरबियत एक अहिम ज़िम्मेदारी ❞
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*✍अज़ अल्लामा मौलाना जावेद रज़ा मरकज़ी साहब क़िब्ला*
╭┈► मुस्तक़बिल रौशन होने के लिए नस्लों का अच्छा होना ज़रूरी है इस्लाम में हर चीज़ की तरफ़ रहनुमाई फरमाई गई है इस्लाम में औलाद के ऊपर वालिदैन के हुक़ूक़ हैं तो वालिदैन के ऊपर औलाद के हुक़ूक़ भी हैं।
╭┈► किसी क़ौम का मुस्तक़बिल क्या होगा इसके लिए आप उस क़ौम में बच्चों की तालीम ओ तरबीयत पर नज़र करें तालीम और तबीयत जिस क़दर आला होगी उसका मुस्तक़बिल भी उतना ही रौशन होगा आज इस क़दर लोगों में दीन से दूरी है के आप उनको कैसी भी तकरीर सुनाओ किसी के पास ले जाओ मगर हाल वही है जो पहले था बलके दिन बा दिन हालात खराब होते जा रहे हैं जबकि अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने एक अहम ज़िम्मेदारी दी है कोई भी मां बाप इससे छूट नहीं सकते।...✍🏻
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❝ औलाद की तरबियत एक अहिम ज़िम्मेदारी ❞
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╭┈► इरशाद ए रब्बानी है : ए ईमान वालों अपनी जानो और अपने घरवालों को आग से बचाओ।
╭┈► यहां से एक बात खूब वाज़ेह हो जाती है कि अपनी औलाद की इस्लाह के लिए ज़रूरी है कि पहले वालिदैन अपनी इस्लाह करें आज हर मां-बाप अपने बच्चे को एक पढ़ा-लिखा बा अदब और नेक देखना चाहते हैं तो क्या यह मुमकिन है कि आप खुद नमाज़ ना पड़े, और आप की औलाद नमाज़ी हो जाए, आप खुद घर के अंदर बच्चों की मम्मी को गंदी और फहश गालियां दे और आप उम्मीद करें आप की औलाद गालियां देने वाली ना हो, आप रात में कसीर वक़्त मोबाइल में लगे रहें फिल्में ड्रामे देखें और आप उम्मीद करें कि आप की औलाद रात को पढ़ा करे, आप ख़ुद झूठ बोलें और बच्चों से उम्मीद करें के वह सच बोलें बच्चों की अम्मी ख़ुद बाजारों में बेपर्दा घूमे और बच्चों से परदादारी की तबक्को रखें, आप किस तरह उम्मीद कर सकते हैं आपके बच्चे आपके साथ अच्छा सुलूक करेंगे जब के आप अपने वालिदैन के साथ बुरा सुलूक करें, देखो अल्लाह ने इरशाद फरमाया ख़ुद की जानो को जहन्नम से बचाओ और फिर अहल का ज़िक्र फरमाया साफ है पहले ख़ुद ख़्वाहिशों पर क़ाबू पाओ तब जाकर आप की औलाद आपकी बात मानेगी किसी ने ठीक ही कहा है बच्चे अपने बाप की तक़लीद करते हैं आप ख़ुद देखो आप कैसे हो।...✍🏻
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❝ बच्चा जब पैदा हो तो उसका नाम रखना उसके मां बाप के ऊपर है ❞
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╭┈► यहां चंद बातें मैं लिखता हूं जो ज़रूरी हैं के हम अपनी औलाद की तरबियत कैसे करें।?
╭┈► वालिद पर बच्चे के हुक़ूक़ से यह है के वह उसका अच्छा नाम रखें कयामत के दिन उसके नाम से पुकारा जाएगा और तुम्हारे आवा के नाम से, तो तुम अच्छे नाम रखो।
╭┈► मगर अफ़सोस आज ऐसे नाम रखे जाते हैं जिनको सुनकर अज़ीब महसूस होता है।...✍🏻
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❝ बच्चा बोलना शुरू करे तो क्या करें ❞
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╭┈► ज़रा आज का माहौल देखो कोई गाने सिखाता है कोई फहशगोई तो कोई कुछ और गोया के हमारे मुआशरे में इस तरफ़ संजीदगी नहीं हम अपने मज़हब से इसमें रहनुमाई हासिल करें तो मालूम हो के इस्लाम इसमें क्या रहनुमाई करता है?
╭┈► यानी सबसे पहले कलमा ला इलाहा इल्लल्लाह शुरू करवाओ
╭┈► हम में कितने लोग इस पर आमिल हैं बहुत अहम बात बच्चों को अखलाक ए रज़ीला और बुरी बातों से दूर रखना मां-बाप की एक अहम ज़िम्मेदारी है के अगर बुरी बातें लग रही हैं तो उसका ज़िम्मेदार कौन होगा?
╭┈► मां बाप होंगे ये वालीदैन की ज़िम्मेदारियां हैं के वो बच्चो में अखलाक रज़ीला और आदत ए क़बीहा से नफ़रत पैदा करें।...✍🏻
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❝ बच्चों को ग़लत गिज़ा से बचाना ❞
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╭┈► आज आम तौर से देखा जाता है के हमारे बच्चों को रास्ते से अगर कोई चीज़ दस्तयाब हो जाए और वो अपने वालिदैन को दिखाएं तो वालिदैन उसको नज़र अंदाज़ कर देते हैं ज़रा गौर तो करो शरियत का हुक्म क्या है और आपकी क्या ज़िम्मेदारी बनती है? आम तौर पर गांव देहात में देखा जाता है के बच्चा किसी के खेत से बालें ले आता है मगर वालिदैन बच्चों को बगैर रोक टोक के इसे करने देते हैं अब इसका जवाबदेह कयामत में कौन होगा? और बच्चे में इस नाजाइज़ खाने से खून बनेगा उसका असर क्या पड़ेगा?
╭┈► आइए मैं आपको नबी ए रहमत मोहसिन इंसानियत ﷺ का एक फरमान बताता हूं जो खाना नाजाइज़ ना हो उसको सख्ती से रोकना किसकी ज़िम्मेदारी है? हज़रत अबू हुरैरा रज़िअल्लाह तआला अन्हू से रिवायत है फरमाया हज़रत हसन बिन अली रज़िअल्लाह तआला अन्हो ने एक खजूर सदक़े की खजूरों में से अपने मुंह में डाल ली हुजूर ﷺ ने फरमाया रुको रुको उसे बाहर फेंको उसे बाहर फेंको क्या आपको मालूम नहीं कि हम सदक़ा नहीं खाते।...✍🏻
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❝ बच्चों को ग़लत गिज़ा से बचाना ❞
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╭┈► अब आप ज़रा ग़ौर फरमाइए जो लोग यह कहते हैं एक या दो बार से क्या होगा यह हम लोगों के लिए कितनी बड़ी तालीम है कि हम अपने बच्चों के मुंह में नाजायज़ खाने का एक लुकमा भी ना जाने दे आज बच्चे कोई भी लिबास पहन लें लेकिन हम उनको रोकते ही नहीं हैं और तो और बलके हम अपने बच्चों को उरयानियत वाला लिबास पहने देखकर खुश होते हैं जब के हमको तो यह करना चाहिए जो एक सहाबी ए रसूल ने किया हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने मसूद ने लड़के पर रेशम की एक कमीज देखी तो आपने उसको फाड़ दिया और फरमाया यह औरतों के लिए है।
*क्या आज हम अपने बच्चों की ऐसी तरबीयत कर रहे हैं?*
╭┈► घर को आलात लहव ओ लयेब से पाक रखना ज़रूरी है अगर वह हमारे घरों में रहेंगे तो हमारे बच्चों पर इसका बुरा असर ही पड़ेगा अपने घरों में कुरआन की तिलावत का एहतमाम करों जिस घर में कुरआन की तिलावत हो उससे श्यातीन भाग जाते हैं अपने घरों को कब्रगाह ना बनाओ बेशक जिस घर में सूरह बक़रा की तिलावत होती है उस घर से शैतान भाग जाता है।...✍🏻
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❝ बच्चों को नमाज़ी बनाने का तरीक़ा❞
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╭┈► एक बात यह भी है कि बच्चों को किस तरह नमाज़ी बनाया जाए? तो उसमें हम अपने नबी करीम ﷺ की तालीम को देखें अगर आज वालदैन इस पर अमल करें तो बच्चे नमाज़ी हो जाएं।
╭┈► फरमाया नबी करीम ﷺ ने फ़रमाया जब बच्चा 7 साल का हो जाए तो उसको नमाज़ पढ़ने का हुक्म दो और जब 10 साल का हो जाए तो नमाज़ ना पढ़ने पर मारो।
╭┈► अब ज़रा आशिकाने मुस्तफा ﷺ अपने सीने पर हाथ रखकर बताएं क्या आपने इस फरमाने आलीशान पर अमल किया।?...✍🏻
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❝ औलाद को तालीम देना ❞
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❝ दीन आसान है ❞
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❝ इस्लाम की बुनियाद पाँच चीज़ों पर क़ायम की गई❞
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❝ इस्लाम की बुनियाद पाँच चीज़ों पर क़ायम की गई❞
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❝ इस्लाम की बुनियाद पाँच चीज़ों पर क़ायम की गई ❞
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❝ मुसलमानों मे बुज़दली क्यूँ ❞
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❝ मुसलमानों मे बुज़दली क्यूँ ❞
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❝ मुसलमानों मे बुज़दिली क्यूँ ❞
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╭┈► हर तरह तालीम देना ज़रूरी है औलाद को अगर मकान और दीगर चीज़ें ना दी जाए तो बच्चों का मुस्तक़बिल बर्बाद नहीं होगा मगर तालीम ना देने से सारी ज़िंदगी तारीक हो जाती है हमारी क़ौम का जो हाल है उसके ज़िम्मेदार वालिदैन हैं के अपनी ज़िम्मेदारियों का हक़ अदा नहीं किया है और आगे क़ौम में जिहालत और दीन से दूरी बढ़ रही है इन सब के ज़िम्मेदार वालिदैन हैं के औलाद की अच्छी तालीम ओ तरबीयत की ज़िम्मेदारी उनकी थी जिससे वह भागे, और भाग रहे हैं जब तक वालिदैन अपनी ज़िम्मेदारी को पूरा नहीं करेंगे तब तक एक अच्छा मुआशरा बन ही नहीं सकता।
╭┈► आज बहुत सारे लोग तावीज़ वालों के पास चक्कर लगाते हैं कि बेटा नाफ़रमान है कहा नहीं मानता, गालियां देता है और नाफ़रमानी करता है अब आप कुछ ऐसा कर दीजिए कि वह फ़रमाबरदार हो जाए मगर ख़ूब जान लो जब आपने उसकी तरबीयत इस्लामी तरीक़े से नहीं की है तो यह परेशानी भी आपको ही उठाना पड़ेगी।
╭┈► लोगों अगर क़ौम का रौशन मुस्तक़बिल चाहते हो तो अपनी ज़िम्मेदारी अदा करों और अपनी औलाद की तरबियत इस तरह करों जिस तरह हमारे नबी ﷺ ने रहनुमाई फरमाई है।...✍🏻
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❝ दीन आसान है ❞
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*✍अज़ अल्लामा मौलाना ज़ावेद रज़ा मरकज़ी साहब क़िब्ला।*
╭┈► ये बात शवाहिद से ज़ाहिर है के मज़हब ए इस्लाम जिस तेज़ी के साथ पूरी दुनिया में फैला और लोगों ने इसको क़बूल किया, काले-गोरे, अमीर-ग़रीब, पढ़े लिखे-ग़ैर पढ़े लिखे, कारोबारी साइंसदां, मशक्कत कश गोया के इस्लाम के मानने वालों में हर क़िस्म के लोग मिल जाएंगे हर एक के लिए यह दीन आसान है।
╭┈► आप ग़ौर करें कि इस्लाम को अल्लाह तआला ने अपने बंदों के लिए आसान कर दिया खुद अल्लाह तआला इरशाद फरमाता है : अल्लाह किसी जान पर बोझ नहीं डालता मगर उसकी ताक़त भर।
📙 सूरह बकरा कंजुल ईमान
╭┈► मगर अफ़सोस सद अफ़सोस आज बहुत सारे लोग आपको यह कहते हुए मिल जाएंगे के दीन पर कौन चल सकता है? और बाज़ लोग तो इससे भी ज़्यादा सख़्त ज़ुबान को इस्तेमाल करते हैं के अगर दीन पर चले तो रोटी ना मिले अल्लाह हु अकबर ज़रा ग़ौर तो कर मुसलमान यह ज़ुबान क्या ईमान वालों की ज़ुबान हो सकती है? क्या कोई अल्लाह तआला का ख़ौफ रखने वाला इस तरह की बात ज़बान पर लाना तो दूर सोच भी सकता है।...✍🏻
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❝ इस्लाम की बुनियाद पाँच चीज़ों पर क़ायम की गई❞
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╭┈► अव्वल गवाही देना अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं और मुहम्मद ﷺ अल्लाह के सच्चे रसूल हैं और नमाज़ क़ायम करना और ज़कात अदा करना, हज करना और रमज़ान के रोज़े रखना।
╭┈► यहां जिन पांच चीज़ों का ज़िक्र किया गया है जिसमें कलमा पढ़ कर इंसान इस्लाम में दाखिल होता है और नमाज़ हर इंसान पर फर्ज़ करार दी गई बल्कि नमाज़ हर वक़्त नहीं दिन में सिर्फ़ 5 वक़्त फर्ज़ की गई दूसरा रोज़ा रखना है जो हर साल पूरे साल में सिर्फ़ एक माह के फ़र्ज़ किए और इसमें भी अल्लाह तआला ने मुसाफिर और बीमार को छूट अता फरमाई अब बात आती है ज़कात की तो वह अल्लाह तआला ने ग़रीबों पर नहीं बल्कि जो शरीयत के नज़दीक मालदार है उन पर फर्ज़ की वह भी साल में एक बार अब बारी आई हज की तो वह भी अल्लाह तआला ने उन पर फर्ज़ किया जो मालदार हो और इस्तिताअत रखते हो वह भी पूरी ज़िंदगी में एक बार।...✍🏻
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❝ इस्लाम की बुनियाद पाँच चीज़ों पर क़ायम की गई❞
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╭┈► प्यारे प्यारे इस्लामी भाई जरा ग़ौर तो कर अल्लाह और उसके रसूल ﷺ ने हमें जो हुक्म दिया है वह हमारी ताक़त से बाला तर नहीं जिस पर अमल ना किया जा सके इस वज़ाहत से इतना तो समझ आ ही गया होगा कि अल्लाह तआला और उसके रसूल ﷺ ने जो काम बताए वह हमारी ताक़त से क़तअन बाहर नही बहुत सारी चीज़ें हम करते हैं।
╭┈► मगर उसके बारे में हम रहनुमाई हासिल नहीं करते जैसे मरने वाले के घर वाले आज जिस तरह ख़र्च करते हैं अगर इसमें हम अपने उल्मा से रहनुमाई हासिल करके शरीयत के मुताबिक़ खर्च करें तो हमें हर तरह से सुकून मयस्सर आएगा।...✍🏻
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❝ इस्लाम की बुनियाद पाँच चीज़ों पर क़ायम की गई ❞
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╭┈► आप करों तो ठीक मेरे भाइयों आपको मालूम हो जाएगा के परेशानी शरीयत के मानने में नहीं बल्कि उस बात में है जो आप नहीं मान रहे हैं इसी तरह देखा जाए तो शादी में हम ने जिस तरह अपने ऊपर मुसीबत मुसल्लत की है अल अमान अल हफीज़ क्या आपने इस क़दर इख़राजात के बारे में किसी किताब में पढ़ा है.? नहीं तो आप परेशान शरीयत की वजह से नहीं हैं बल्कि दीन की बात को छोड़ने की वजह से हैं।
╭┈► बस खुलासा ये है के आप अपनी ज़िंदगी जो गुज़ार रहे हैं इसमें ग़ौर कर लें और अपने उल्मा से दरयाफ़्त कर लें इंशा अल्लाह आप इस तरह की बातें नहीं करेंगे के दीन पर कोन चल सकता है.? दीन ए मुस्तफा ﷺ अब क़यामत तक के लिए है हर इलाके के लिए है हर क़ौम के लिए है हर ज़ुबान (Language) वाले के लिए हर छोटे बड़े मज़दूर हकीम के लिए है आज जो हम पर मुसीबत आ पड़ी है वो दीन को छोड़कर है, ना के दीन पर चलकर।...✍🏻
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❝ मुसलमानों मे बुज़दली क्यूँ ❞
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*✍अज़: अब्दे मुस्तफा अल्लामा मौलाना जनाब मोहम्मद साबिर इस्माईली क़ादरी रज़वी साहब किबला*
╭┈► सवाल है कि मुसलमानों में बुज़दिली क्यों है? इसका जवाब अगर मुख़्तसिर अल्फ़ाज़ में दिया जाए तो यही है कि मुसलमानों के अंदर शौक़ ए शहादत और राहे ख़ुदा में कुर्बान होने का जज़्बा बाक़ी नहीं रहा और मौत का ख़ौफ इस क़दर हो चुका है कि ज़िंदगी बचाने और ज़्यादा जीने की तमन्ना लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं और अगर इसकी तफ़सील में जाएं तो बहुत कुछ कहा जा सकता है।
╭┈► एक रिवायत है क़रीब है के दीगर क़ौमें तुम पर ऐसे ही टूट पड़े जैसे खाने वाले प्यालो पर टूट पड़ते हैं हुज़ूर अकरम ﷺ से सवाल किया गया कि क्या हम उस वक़्त तादाद में कम होंगे? आप ने फरमाया नहीं बल्कि तादाद बहुत होगी लेकिन तुम सैलाब के झाग के मानिंद होगे अल्लाह तआला तुम्हारे दुश्मन के सीनों से तुम्हारा ख़ौफ निकाल देगा और तुम्हारे दिलों में वहन डाल देगा तो अर्ज़ की गई या रसूलल्लाह ﷺ 'वहन' क्या चीज़ है आप ने फरमाया यह दुनिया की मुहब्बत और मौत का डर है।...✍🏻
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❝ मुसलमानों मे बुज़दली क्यूँ ❞
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╭┈► आज हमारी तादाद तकरीबन दुनिया की एक चौथाई है और तकरीबन 50 ममालिक में हमारी अक्सरियत है और मुलके हिंद को ले लें तो तकरीबन 25 करोड़ मुसलमान इस मुल्क़ में रहते हैं लेकिन फिर भी जो हालात हैं वह किसी से पोशीदा नहीं है। तारीख़ के औराक़ पर उन मुसलमानों का भी ज़िक्र मौजूद है जो अगरचे तादाद में हमसे बहुत कम थे और वसाइल की कमी थी लेकिन बड़े-बड़े जालिमों के सामने मुकाबले के लिए खड़े हो जाते थे और अल्लाह ताअला की तरफ़ से फ़तहयाब होते थे लेकिन आज हमारी तादाद सिर्फ़ सुनने, देखने की है। बुज़दिली इस क़दर हमारे अंदर सिरायत कर चुकी है कि शियार इस्लाम पर खुलेआम हमला होता देख कर भी हम बस अफ़सोस करके रह जाते हैं। किसी ने कहा था कि जब काबे में शैतान घुस जाएगा तब जागोगे।
╭┈► आज बाबरी मस्जिद का मामला हमारे सामने हैं, मस्जिदे अक्सा पर दुश्मनों ने नज़रें गाड़ रखी हैं, कश्मीर और फलस्तीन के मुसलमानों की तस्वीरें भी नज़र से गुज़रती हैं, और दुनिया भर में ऐसी कई ज़मीनें हैं जहां मुसलमानों का खून बहाया जाता है कई इलाके ऐसे हैं जिनकी फिज़ाओं में मुस्लिमों की फरियाद गूंजती है लेकिन हमारी करोड़ों की तादात सिर्फ़ तमाशायी है मुसलमानों की ऐसी कोई रियासत नहीं जो मज़लूमों का दिफ़ाअ करें कोई ऐसी सल्तनत नहीं जिस के साए तले हमारे बच्चों का मुस्तकबिल फल-फूल सके और कोई ऐसी ताक़त नज़र नहीं आती जो मुसलमानों को उनका वतन वापस कर सके।...✍🏻
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❝ मुसलमानों मे बुज़दिली क्यूँ ❞
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╭┈► मुल्के हिन्दुस्तान मे मुसलमान जिहाद का नाम पहले सोचते है यहा होने वाले इज़लास वगैरह मे तक़रीबन तमाम मौजुआत पर तकरीर होती है जिहाद की ज़रूरत फज़ीलत पर 'जिहाद कान्फ्रेंस' शायद ही कहीं देखने को मिल जाए इसके अलावा सैकड़ों की तादाद में माहनामें, रिसाले और किताबें छपती हैं लेकिन सब ज़िक्र ए जिहाद से तक़रीबन खाली हैं जुमें में होने वाली तकारीर, महाफिल ए मिलाद में होने वाला बयान और मुख्तलिफ़ मकामात पर होने वाले ख़िताब में ज़िक्र ए मुजाहिदीन के अलावा हर क़िस्म का ज़िक्र मिलता है और यही वजह है कि नई नस्ल को भी विरासत में बुज़दिली मिल रही है।
╭┈► बुज़दिली पैदा होने की एक बड़ी वजह यह भी है कि जिहाद पर खुलकर बात नहीं होती और ऐसा तास्सुर दिया जाता है कि अब जिहाद की ज़रूरत नहीं रही मुजाहिदीन ए इस्लाम की सीरत बयान नहीं की जाती जिसकी वजह से नई नस्ल भी इसी बीमारी का शिकार हो जाती हैं नौजवानों से पूछ लिया जाए कि मोहम्मद बिन कासिम कौन थे? तो चेहरे पर इल्म ना होने का वाज़ह सबूत दिखने लगता है, अगर सवाल करें कि सुल्तान सलाउद्दीन अयूबी कौन थे? और उनके कारनामे बताएं तो ऐसा लगता है कि किसी नामुमकिन बात का मुतालबा कर लिया हो और फिर गाज़ी अर तुग़रल, गाजी उस्मान, सुल्तान अल्प अरसलान, सुल्तान मोहम्मद फातह, सुल्तान अब्दुल हमीद शहाबुद्दीन मुहम्मद गौरी, औरंगजेब आलमगीर, और जुमला मुजाहिदीन इस्लाम के बारे में पूछा जाये तो ऐसा लगता है कि किसी दूसरी दुनिया के लोगों की बात हो रही है जब हमें अपनी तारीख़, अपने मुजाहिदीन और उनके कारनामे, उनकी शुजाअत और अफ़कार का इल्म ही नहीं तो ज़ाहिर है कि हम वैसे ही बनेंगे जैसा बनाने की कोशिश दुश्मनों की तरफ़ से ज़ारी है। दुश्मनों ने क्या अच्छा मंसूबा बनाया है कि मुसलमानों को ग़ुलाम बनाने से पहले ज़हनी ग़ुलामी के कुएं में ढकेलना चाहिए और वह जानते हैं कि बगैर इसके मुसलमान को उनके घुटनों पर लाना मुमकिन नहीं।...✍🏻
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❝ मुसलमानों में बुज़दिली क्यूँ❞
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╭┈► आज मुसलमान खुद उस कुएँ की तरफ़ जा रहे हैं और वह इस तरह कि हमारे कपड़े हमारी ज़ुबान ,हमारा खाना, खाने का तरीक़ा,और हमारे अफ़कार सब उनके इशारों पर चलने वाले ग़ुलामों की तरह हैं। वह चाहे तो फैशन के नाम पर हमें जो चाहे पहना सकते हैं आज़ादी के नाम पर जो चाहे करवा सकते हैं, इंसानियत के नाम पर जालिम और जुल्म का साथ देने वाला बना सकते हैं और अगर चाहे तो हमसे अपने ही दीन व शरीयत के मुकाबले में खड़ा कर सकते हैं।
╭┈► दुनिया में जो भी हो रहा है उसके पीछे सदियों की साजिशें हैं लेकिन मुसलमानों की ज़हन को इस क़दर ग़ुलाम बना लिया गया है कि वह इसे देखने से क़ासिर हैं। इसे मुसलमान बुज़दिली नहीं बल्कि हिकमत, मसलेहत, टूरंदेशी, इंसानियत और अमन वग़ैरह का नाम देते हैं और यही ज़हनी ग़ुलामी है जिसे हमने बयान किया है। कितनी अज़ीब बात है कि बुज़दिली भी है लेकिन शऊर नहीं रहा और इसे अच्छा भी समझा जाता है।...✍🏻
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❝ मुसलमानों में बुज़दिली क्यूँ❞
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╭┈► मुस्लिम ममालिक को देख कर मुस्लिम ममालिक कहते हुए शर्म आती है क्योंकि बुज़दिली और साथ में ज़हनी ग़ुलामी के आसार साफ़ नज़र आते हैं। इस्लामी हुकूमत के तहत फिल्में बनाई जा रही हैं लेकिन कोई पाबंदी नहीं है, यह भी एक बुज़दिली ही है जिसे हुक़ूक़ और आज़ादी का नाम दिया जाता है सिनेमाघरों की कसरत बेपरदगी की इजाज़त, और जुआ शराब ज़िना वग़ैरह का आम तौर पर नज़र आना यह सब भी बुज़दिली की एक क़िस्म है इस्लामी हुक्मरानों के अंदर ताक़त नहीं कि इन चीज़ों पर पाबंदी आयद कर सकें, नाम तो इस्लामी रियासत है लेकिन मुसलमानों पर ज़ुल्म होते देख यह रियासतें भी बुज़दिली दिखाना शुरू कर देती हैं। अगर हम यह कहें कि छोटों से लेकर बड़ों तक सब बुज़दिली की लपेट में हैं तो कोई ग़लत बात नहीं क्योंकि जिन मुसलमानों के पास हतियार, इक़्तेदार और ताक़त नहीं वह तो जाहिर है लेकिन जिनके पास यह सब हैं वह भी ज़हनी तौर पर ग़ुलाम होने की वजह से बुज़दिल हैं। सबको मौत का डर है हालांकि मर जाने और मार देने दोनों में मुसलमानों का फायदा है यह बात समझ में आ जाए तो बुज़दिली दूर हो सकती हैं।...✍🏻
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❝मुसलमानों में बुज़दिली क्यूँ ❞
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╭┈► हुज़ूर अकरम ﷺ की तलवार पर लिखा हुआ था बुज़दिली बायसे शर्म है, इज़्ज़त आगे बढ़ने और दुश्मन पर हमला करने में है, बंदा बुज़दिली करके तकदीर से कभी नहीं बच सकता। (मौत डरपोक को भी आ दबोचती है और बहादुर भी चला जाता है, क्या ही अच्छा हो के बहादुरों की तरह जान कुर्बान की जाए)
╭┈► अल्लामा लुकमान ताहिद हफीजुल्लाह लिखते हैं कि अभी अपने बेटे को मदारिज अल नबुव्वत से यह शेयर पढ़ाया है। ये रसूलल्लाह ﷺ की तलवार मुबारक पर लिखा हुआ था उसे तल्क़ीन की है कि बेटा कभी डरपोक नहीं बनना इज्ज़त बहादुरी में है बुज़दिली में नहीं मुसलमान जुर्रत मन्द होता है बुज़दिल नहीं।
🤲🏻 ⚘ अल्लाह पाक हमें और हमारी नस्लों को ज़ुर्रत अता फरमाए हम अल्लाह के सिवा किसी से न डरे।...✍🏻 आमीन
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❝ मुसलमान होकर इल्म से दूरी ❞
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*✍अज़ अब्दे मुस्तफा अल्लामा मौलाना जनाब मोहम्मद साबिरर इस्माईली क़ादरी रज़वी साहब क़िबला*
╭┈► जिस तरह दूसरी बातों में दीन ए इस्लाम को एक मुनफ़रिद मुक़ाम हामिल है उसी तरह इल्म हासिल करने के बाब में भी इस्लाम का नाम सबसे पहले आता है इस्लाम की आमद से पहले इल्म हासिल करने पर कोई ख़ास तवज्जों नहीं दी जाती थी दुनिया में इस्लाम का सूरज चमकने से पहले इल्म के महल में तारीकी छाई हुई थी इल्म हासिल करने को एक ख़ास तबके का काम समझा जाता था मुख़्तलिफ मजाहिब के उल्मा ही इल्म हासिल करने के पाबंद थे और जिहालत भरी पाबंदियां उन पर आएद कर दी जाती थीं।
╭┈► *एक मिसाल :* हिंदुओं को देखें तो उनमे शूद्र को वेद पढ़ने की इजाज़त नहीं थी और अगर कोई शूद्र वैद पड़ता पकड़ा जाता तो उसे सजा दी जाती थी जैसा कि अबू रेहान अलबेरूनी ने तहक़ीक मअल हिंद में लिखा है अरब में जब इस्लाम आया तो सिर्फ 17-18 लोग लिखना जानते थे जिनमें हज़रत उमर फारूक़ आज़म रदिअल्लाहु तआला अन्हु भी शामिल हैं इन बातों को बयान करने का मक़सद यह बताना है कि इल्म को कोई खास अहमियत हासिल नहीं थी और बहुत कम लोग ऐसे थे जो राहे इल्म के मुसाफिर थे।...✍🏻
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❝ दीनी और दुनियावी इल्म❞
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╭┈► इल्म को आम लफ्ज़ों में दो हिस्सों में तक्सीम किया जाता है एक दीनी इल्म और दूसरा दुनियावी इल्म दोनों ज़रूरी हैं। इसे यूँ कहना बेहतर होगा कि दीनी उलूम के साथ-साथ दुनियावी उलूम भी ज़रूरी हैं कुछ लोग इसे इस तरह कहते हैं कि दुनियावी उलूम के साथ-साथ दीनी उलूम भी ज़रूरी हैं जो कि दुरूस्त नहीं है। इनमें फ़र्क यह है कि पहले दीनी उलूम ज़रूरी हैं फिर उसके साथ-साथ दुनियावी उलूम ज़रूरी हैं। दुनियावी उलूम के मुक़द्दम रखने से यह तास्सुर जाता है कि दीनी उलूम बाद में हैं अगर दीनी उलूम हो और दुनियावी उलूम सबके पास ना हो तो भी काम चल सकता है लेकिन अगर दीनी उलूम की कमी हो तो काम नहीं बनेगा।...✍🏻
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❝ किफ़ायत❞
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╭┈► दीनी उलूम सब के पास होना ज़रूरी है क्योंकि यही आपको ताक़त देता है जिससे आप दुनियावी उलूम को संभाल सकते हैं वरना दुनियावी उलूम आपको तबाही की तरफ़ भी ले जा सकते हैं जब सबके पास दीनी उलूम हो तो फिर दुनियावी उलूम के लिए हर शख़्स को तकलीफ उठाने की ज़रूरत नहीं बल्कि बाज़ का महारत हासिल कर लेना सब को किफायत करेगा। मसलन ग़ज़वात उन नबी का इल्म होना हर मुसलमान के लिए ज़रूरी है लेकिन लड़ने के लिए हथियार की ज़रूरत होगी और मौजूदा दौर में तकनीकी तरक़्क़ी पुरे उरूज़ पर है लिहाज़ा अब सनअत में महारत की भी ज़रूरत है वरना मुकाबले में हथियार कहां से आ सकते हैं? और इसके लिए एक जमाअत को इंजीनियर बनना होगा और वह सबको किफायत कटेगा। एक शख़्स डॉक्टर बन जाए तो पूरे मोहल्ले को काफी हो सकता है। और हर शख्स को अपने इलाज़ के लिए डॉक्टर बनने की ज़रुरत नहीं। लेकिन दीनी उलूम हर शख़्स पर हासिल करना फर्ज़ है ताकि अपने अक़ाइद और इबादात को दुरुस्त कर सके।...✍🏻
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❝ मुसलमानों को इल्म की तरफ़ लाया जाय ❞
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╭┈► मुसलमानों को इल्म की तरफ़ ले जाने के लिए उन्हें एक झंड़े तले आना ज़रूरी है अगर हर शख़्स अपनी अपनी मर्ज़ी के मुताबिक जो चाहेगा वह करेगा तो ताक़त कई हिस्सों में बट जाएगी होना यह चाहिए कि किसी इलाके के तलवा को बाकायदा एक सिस्टम के हिसाब से राहे इल्म का मुसाफिर बनाया जाए अगर दो-तीन लोग इंजीनियर बन रहे हैं तो सबको इसी लाइन में ले जाकर खड़ा कर देना पैसों की बर्बादी के साथ-साथ वक़्त को ज़ाया करना है और अपनी नस्लों के मुस्तक़बिल के साथ खेलना है।
╭┈► कुछ लोग डॉक्टर बने, कुछ इंजीनियर बनें,कुछ मकान तामीर करने के मुख्तलिफ़ उलूम पर महारत हासिल करें, कुछ अंग्रेजी सीखें, कुछ तकनीकी कामों में माहिर बने, फिर एक सिस्टम के तहत अपने ही इलाके में एक दूसरे के मुआविन बने इससे मुसलमानों को इल्म के क़रीब भी लाया जा सकता है और उलूम को एक जगह जमा करके उससे फायदा भी उठाया जा सकता है।...✍🏻
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❝हमारे उलूम की खेती ❞
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╭┈► हम अगर मैदान ए इल्म में मुनज़्ज़म होकर सलीके से काम शुरू कर दें तो हमारे हासिल किए हुए उलूम की खेती से हमारी नस्ले सैराब होंगी और उन्हें किसी ग़ैर की जूतियां सीधी करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। मुसलमानों की एक बड़ी तादाद अंग्रेजी, कंप्यूटर और मुख्तलिफ उलूम को सीखने के लिए काफिरों की मोहताज है तो क्या ही अच्छा होता कि यह सब हमारे पास होता जिन मुसलमानों के बच्चे काफिरों के स्कूल या कॉलेज में ना पढ़कर मुसलमानों के स्कूल में पढ़ते हैं वह भी कम अज़ कम काफिरों के सिस्टम के गुलाम हैं क्योंकि अगरचे स्कूल मुसलमानों का है लेकिन उसमें निसाब ए तालीम वही है जो कुफ़्फार का है फिर इसमें और उसमें बहुत ज़्यादा फ़र्क बाकी नहीं रहा।...✍🏻
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❝ उलमा आगे आये ❞
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╭┈► उलमा की बात आवाम सुनती है। उलमा को चाहिए आगे आयें दीनी मदारिस के साथ स्कूल चलाएं। और हर सहूलियत फराहम करें जो स्कूल में होती हैं। फीस थोड़ी कम रखें लेकिन सहूलियत ज़्यादा दें। बग़ैर चंदे के भी काम हो सकता है बस सिस्टम ज़रूरी है। इसके अलावा कॉलेज और यूनिवर्सिटी भी ज़रूरी हैं। जहां असरी उलूम पर दस्तरस हासिल हो सके यह सब मुमकिन है बस मेहनत की ज़रूरत है। अल्लाह तआला इसकी तौफीक़ अता फरमाए।...✍🏻 आमीन
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❝मुस्लिम शहज़ादी और काॅलेज ❞
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*✍🏻 अज़ मुस्लेह क़ौम ओ मिल्लत जनाब फरदीन अहमद ख़ान रज़वी साहब क़िब्ला*
╭┈► *तुम मग़रिब की कोई लैला नहीं मशरिक की है दुख्तर :* उम्मीदों का एक जहां दिल में समेट कर एक बाप अपनी नन्ही सी कली को तालीम हासिल करने के लिए स्कूल या कॉलेज में भेजता है और यह गुमान करता है कि उसकी शहज़ादी उसका नाम रोशन करेगी। उसके ख़्वाबों की हसीन ताबीर बनेगी मगर हज़ार अफ़सोस का मक़ाम है कि आजकल वाक़्या उसके वर ख़िलाफ़ होता है। वह ख़्वाबों की ताबीर नहीं बल्कि ज़िंदगी भर की आर और बदनामी बन जाती है। जिस शहज़ादी को उसकी मां एक शहज़ादे की कहानियां सुनाकर सुलाती थी वहीं आज उस इस क़दर बेबाक हो गई के खुद ही वक़्त गुज़ारने का एक ज़रिया तलाश करने निकल पड़ी।...✍🏻
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❝ मुस्लिम शहज़ादी और काॅलेज❞
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╭┈► मां-बाप की ख़्वाहिश तो यह थी कि हमारी यह नाज़ुक सी कली किसी सफेद पोश शहज़ादे के साथ रहेगी मगर यह देखकर आंखें मातम करती हैं कि इस शहज़ादी का दिल तो एक चूड़े चमार से ज़्यादा ज़लील शख़्स पर आया हुआ है। अपने ख़ानदान की इज्ज़त का जनाजा सर पर उठाए कॉलेज की दरों दीवार के अंदर अपने नाम-नेहाद साथी (Boyfriend) बॉयफ्रेंड के साथ घूम रही है जिससे उम्मीद तो यह थी कि वह हमेशा अपने शौहर की ख़िदमत और उससे मुहब्बत के वादे करेगी वो आज किसी ग़ैर के साथ जीने मरने की क़समें खा रही है।...✍🏻
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❝ मुस्लिम शहज़ादी और काॅलेज❞
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╭┈► हलक में पानी और कलम की रोनाई सूखने लगती यह सोचकर के मां बाप पर क्या बीतती होगी यह जानकर कि जिसका नाम सुनकर वह फ़न से सर ऊँचा कर लेते थे उसी ने आज उनका नाम मिट्टी में मिला कर ख़ानदान की इज़्ज़त को जमींदोज कर दिया है। इसी पर बस नहीं है बल्कि अगर किसी शरीफ़ लड़की को परदा, हया और इन तालुक़्क़ात की मज़म्मत करते हुए पाया तो उसे (Backward) बैकवर्ड और अनपढ़ गंवार कहकर छिड़क दिया। और अल्लाह की पनाह जब उसी शहज़ादी के दिल में शैतान जिसी ख़यालात की आमद ओ रफ़त को तेज़ करता है तो यही लड़की जो अपने साथ सिर्फ़ अपनी नहीं बल्कि एक ख़ानदान, एक क़ौम को साथ लेकर चलती थी वही एक शब बाशी (one night stand) जैसी गलीज़ तरीन हरकत तक को अंज़ाम दे देती है।...✍🏻
📔 अल्लाहुअकबर, हिस्सा 01
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❝ मुस्लिम शहज़ादी और काॅलेज❞
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╭┈► यह सब कुछ तो फिर भी प्यार के नाम पर किया जा रहा है और करने वाले कम से कम इसे किसी हद तक ग़लत जानते हैं। मगर अल्लाह की पनाह एक ख़तरा ऐसा भी है जो बहुत आम है और उसे लोग बुरा भी नहीं समझते इस वबा का नाम (Best Freind) बेस्ट फ्रेंड यानी सबसे अच्छा दोस्त है और उसका मतलब आज के वक़्त में यह हो गया है कि किसी अज़नबी मर्द के साथ जो चाहो करों उसे छुओ, हाथ पकड़ो, उसकी पीठ थपथपाओ, रात रात भर उससे बातें करों, उसे घर पर बुलाओ, मां-बाप के सामने गुफ्तगू के गुंचे चटकाओ, उसके साथ फिल्में देखने जाओ, उससे हम रिकाबी यहां तक कि एक ही बिस्तर में सो जाओ। मगर जब कोई ख़ुदा का ख़ौफ पैदा रखने वाला कहे कि यह कैसी अय्याशी है यह? तो उसे बड़े तपाक से जवाब दो कि हम सिर्फ़ दोस्त हैं।...✍🏻 (We Are Just Friends)
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❝ मुस्लिम शहज़ादी और काॅलेज❞
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╭┈► अरे अल्लाह की बंदी क्या इस जुमले ने तुम्हें दुनिया भर के गुनाह करने का लाइसेंस (Licence) दे दिया? क्या अल्लाह के हुज़ूर यह जवाब देने की हिम्मत है? यह वही शैतानी जुमला है जिसने कई लड़कियों की इज़्ज़त बर्बाद करदी। वह भोली भाली शहज़ादी तो यह समझ रही थी कि यह शख़्स सिर्फ़ दोस्ती चाहता है। मगर उस ज़ालिम की बुरी नज़र तो उसकी इस्मत पर थी। और जब उसने अपना मक़सद पूरा कर लिया तो वह यह कह कर निकल गया के (we are just friends) मगर इस शहज़ादी की सारी पाक-दामनी ख़त्म हो गई।...✍🏻
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 49
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❝मुस्लिम शहज़ादी और काॅलेज ❞
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╭┈► और दिल पर पत्थर रख के अर्ज़ करना पड़ रहा है कि इतनी अय्याशी और सर कशी के बाद भी जब नफ़्स की ख़्वाहिश पूरी होती नज़र नहीं आती तो फिर यही शहज़ादी गुनाहों के सबसे ग़लीज रास्तों को इख्तयार करती है मां-बाप से झूठ बोलकर अज़नबी लड़कों के साथ (Dates) मुलाकातों पर जाती है और खुले तौर से अपने आप को ग़ैर की तहवील में देकर सिर्फ़ एक खिलौना बन कर रह जाती है। और जब यही कसमे वादे खाने वाला शख़्स उसका इस्तेमाल करके चला जाता है तो बदहवासी के आलम में यही शहज़ादी मौत को ही अपने दर्द का मदावा समझ कर खुदकुशी कर लेती है। यह कोई कहानियां या अफ़सानो में से मुन्तख़ब बातें नहीं है यह वह हकीक़त है जिससे अखबार की औराक़ और चश्मदीदों की आंखें सियाह हैं। अज़नबी मर्दों के साथ मोटरसाइकिल पर घूमना, बेहतरीन रेस्टोरेंट में जाकर शम्मा मोमबत्ती में खाना तनावुल करना, जिसे (candle Light Dinner) कहा जाता है उनके साथ (Home Stay) करना, यह सब कुछ आज आम होता जा रहा है मगर याद रखना कि यह तमाम काम लिखे जा रहे हैं। और जितना भी चाहो गुनाह कर लो मगर यह कभी मत सोचना कि उसकी सज़ा नहीं मिलेगी, बेशक मिलेगी दुनिया में भी और आखिरत में भी।...✍🏻
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❝ मुस्लिम शहज़ादी और काॅलेज❞
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╭┈► और जहां इन तमाम बातों की जिम्मेदार ऐसी शहज़ादियां हैं वहीं उनके मां-बाप भी बिल्कुल इल्ज़ाम से बरी नहीं है। क्यों उन्होंने अपनी बेटी को पर्दे का एहकाम नहीं सिखाये?, क्यों उसे अज़नबी मर्दों से बात करने से नहीं रोका?, अगर पहले ही से अपनी फूल सी बच्ची को फ़िल्में, ड्रामें दिखाने के बजाए सय्यदा फ़ातिमा रदिअल्लाहू अन्हा की सीरत पढ़ाई होती तो आज इस तरह उनकी लख्ते जिगर दर्दे सर ना बनती। जिन लोगों की बेटियां कॉलेजेस में पढ़ रही हैं वह भी उसे नोट करें और बर वक़्त सही इकदामात लें वरना नतीजे अच्छे नहीं होंगे अल्लाह हमारी हिफाज़त करें और इस के साथ शहज़ादियों तुम भी सुनो।...✍🏻
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❝ मुस्लिम शहज़ादी और काॅलेज❞
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╭┈► ऐ मिल्लत ए इस्लामिया के मेअमारों आज यह भाई तुम से इल्तिजा कट रहा है खुदा के वास्ते यह जुल्म ना करों अपनी इज़्ज़त अपने हाथों नीलाम ना करों। यह दुनिया तो ख़त्म हो जाएगी यह रिश्ते तो ख़त्म हो जाएंगे, यह ज़वानी, यह हुस्न सब फ़ना हो जाएगा, मगर गुनाह से अगर तोबा ना की तो यह गुनाह तुम्हारे साथ क़यामत तक रहेंगे और जब रब्बुल आलमीन तुमसे सवाल पूछेगा तो क्या जवाब दोगी? क्या उज़र पेश करोगी? आज भी वक़्त है तोबा का दरवाज़ा तो बंद नहीं हुआ है, आओ अपने रब की तरफ़ पलट आओ वह बड़ा रहीम है बड़ा करीम है। उसने बड़े-बड़े गुनाहगारों को बख्श दिया तुम सच्चे दिल से तोबा करों वह तुम्हें भी बख्श देगा। बस तुम्हें इतना करना है कि मुसल्ला बिछाकर नमाज़ अदा करों और फिर गिड़गिड़ा कर प्यारे मुस्तफाﷺ का वास्ता देकर रब के हुज़ूर तोबा कर लो। अपनी ज़िन्दगी बर्बाद होने से बचा लो अपनी इस्मतें महफूज़ कर लो।
🤲🏻 ⚘ अल्लाह हम सब की मांओं-बहनों, बिलखुसूस हमारी स्कूल कॉलेज में पढ़ने वाली बहनों की इज्ज़तों की हिफाज़त फरमाए। और हम सबको नेक रास्ते पर चलने की तौफीक़ अता फरमाए।...✍🏻 *आमीन, उन्वान मुकम्मल*
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❝ इंटरनेट का ग़लत इस्तेमाल❞
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✍अज़ मुस्लेह क़ौम ओ मिल्लत जनाब फरदीन अहमद खान रज़वी साहब क़िब्ला
*दिन लहव में खोना तुझे, शब सुबह तक सोना तुझे*
*शर्म ए नबी ख़ौफ ए ख़ुदा, यह भी नहीं वह भी नहीं*
╭┈► जदीद ज़रार इब्लाग़ की फरोग से तमाम आलम को नई नई टेक्नोलॉजी बाआसानी दस्तेयाब हुई। इसके ज़रिए से हम दूर दराज़ के इलाकों में बैठे लोगों से भी आसानी से बात कर सकते हैं और इसी के अगले दर्ज़े का नाम इंटरनेट है। जहां तरह तरह की खबरें, मजामीन, वीडियो, ऑडियो, तस्वीर, वग़ैरह चीज़ें मौजूद हैं। इसके इस्तेमाल से हम घर बैठे दुनिया में कहीं भी किसी भी होने वाली बात की मालूमात चंद लम्हों में हासिल कर सकते हैं और इसके बहुत सारे फायदे हैं जैसे के पैगामात का पहुंचना आसान और सस्ता हो गया, तबलीग़ वग़ैरा के कामों में बेपनाह तरक्की हुई है। यह सब इंटरनेट की बदौलत मुमकिन हुआ है। मगर यह बात भी काबिले ज़िक्र है कि जहां किसी चीज़ के फायदे हैं वही नुकसान भी हैं। और इंटरनेट के नुकसानात की फ़हरिस्त काफ़ी तवील है। यहां हम सिर्फ़ आवाम के फ़हम के मुताबिक़ और अपने मुसलमान भाइयों की इसलाह की ख़ातिर वो बातें ज़िक्र करते हैं जिससे इंटरनेट के इस्तेमाल की तस्वीर अच्छी तरह से उजाले में आ जाए।...✍🏻
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❝ इंटरनेट का ग़लत इस्तेमाल❞
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╭┈► इंटरनेट के गलत इस्तेमाल के ज़िमन में यह चीज़ें है सरे फेहरिस्त हैं। 1) पहचान की चोटी, 2) धोकेबाज़ी, 3) उरियानियत, 4) ग़ैरकानूनी कारोबार, 5) जाली अशिया की फरोख़्त, 6) सिर्फ़ जिंसी लज़्ज़त हासिल करने के लिए अजनबी औरतों, मर्दो से गुफ्तगू, 7) बद निगाही, 8) मौसिकी, 9) हैकिंग, 10) ज़ाती मालूमात की चोरी।
╭┈► यक़ीनन इससे भी कहीं ज़्यादा नुकसान आप अहले नज़र को मालूम होंगे मगर मैं इतने पर ही एकतफा कर रहा हूं। अब थोड़ी थोड़ी इन सब की वजहत मुलाहिजा हो एक एक मौजू एक पोस्ट पर होंगा आप हज़रात पढ़े और आगे भी शेअर करें अल्लाह तआला हमे अमल की तौफीक़ अता फरमाए।...✍🏻 आमीन
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❝इंटरनेट का ग़लत इस्तेमाल ❞
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*❶ पहचान की चोरी Identity Theft*
╭┈► हर इंसान की अपनी अलग पहचान है। और किसी को यह हक़ नहीं पहुंचता कि वह दूसरे की पहचान को चोरी करे और उसके ज़रिए से उसे फंसाने की कोशिश करे। आमतौर पर हम सब अपनी तस्वीरें अपने बारे में हस्सास मालूमात इंटरनेट के ज़रिए सोशल मीडिया साइट्स पर डालते रहते हैं। मगर कुछ लोग इस बात का नाजायज़ फ़ायदा उठाते हुए इन बातों को चोरी कर लेते हैं और हमारा नाम इस्तेमाल करके ग़ैर कानूनी कामों को अंज़ाम देते हैं। और इसका इल्जाम हम पर आता है। क्योंकि उसने जानकारी हमारी इस्तमाल की होती है। इसलिए हर शख़्स को अपनी प्राइवेसी का ख़्याल रखना चाहिए और हस्सास मालूमात इंटरनेट पर डालने से बचना चाहिए।...✍🏻
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❝ इंटरनेट का ग़लत इस्तेमाल❞
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*❷ धोका बाज़ी Fraud*
╭┈► यह भी आज की इस पुर फ़ितन दुनिया में आम होता जा रहा है कभी हमारे पास एक ईमेल या मैसेज आता है कि आपका अकाउंट हैक हो गया है अभी यहां क्लिक करें और हम क्योंकि इन फरेब कारियों से ना वाकिफ होते हैं इसलिए वहां जाकर अपनी बैंक की मालूमात दे देते हैं और हमारा सारा पैसा चोरी हो जाता है। इसी तरह जाली वेबसाइट बनाकर लोगों को ठगा जाता है और उनका माल चुराया जाता है। हमें चाहिए कि ऐसे फरेबी मैसेजेस से होशियार रहें और अपने आपको इनका शिकार ना बनने दें।...✍🏻
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*❸ उरियानियत (Pornography)*
╭┈► कलम व ज़ुबान की शराफ़त तो हरगिज़ इसकी इजाज़त नहीं देती के ऐसे ग़लीज मौज़ू पर कुछ भी कहा जाए। मगर नस्ल की तबाही दामन गीर है। इंटरनेट के ग़लत इस्तेमाल में यह सबसे ज़्यादा ख़तरनाक है इसमें बंदा दूसरे लोगों को जिंसी हरकत और ज़िना करते हुए देखता है और इससे लज़्ज़त हासिल करता है। अफ़सोस की बात है कि आज मुस्लिम नौजवानों की एक कसीर तादाद इस बुरे काम में मुब्तिला है। ज़िना जैसी गंदी और घटिया हरकत को देखकर अपनी फ़िक्र ए सलीम को तबाह कर लेता है। और ज़ल्द ही इसका आदी हो जाता है। इसकी सबसे बड़ी तबाहकारी यह है कि फिट बंदा मुआयारे से अलग होकर चिड़चिड़ा और बदमिज़ाज हो जाता है। और आगे चलकर जब उसकी शादी होती है तो उसे कोई लज्ज़त नहीं मिलती क्योंकि अपना कीमती शरमाया तो पहले ही गंवा चुका है। अब उसकी ज़िंदगी बदतर हो जाती है और अक़्सर ऐसे लोग औलाद होने से भी माज़ूर हो जाते हैं। अल्लाह हमारी नई नस्ल को इससे महफूज़ रखे।...✍🏻 *आमीन*
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❝ इंटरनेट का ग़लत इस्तेमाल❞
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*❹ ग़ैर कानूनी कारोबार (Illegal Business)*
╭┈► इंटरनेट पर बातचीत आसानी के साथ हो जाती है। इसीलिए इस पर खरीद-फरोख़्त भी शुरू हुई और इन्हें काफ़ी तरक्की मिली यहां तक कि दुनिया का सबसे मालदार आदमी जैफ बेज़ोज़ *(Jeff Bezoz)* का कारोबार भी पूरी तरह इंटरनेट पर फ़ैला हुआ है। और उसकी कंपनी ऐमेज़ॉन *(Amazon)* दुनिया की सबसे मालदार कंपनी है। मगर जहां इसका अच्छा इस्तेमाल हो रहा है वहीं कई लोग इसके ज़रिए से नाजाइज़ हथियारों, चरस, गांजा अफीम, कच्ची शराब, नशा, और दवाइयों को भी जमकर फरोख्त कर रहे हैं। और इंसानों तक की तस्करी हो रही है। हमें चाहिए कि ऐसे कारोबार से बचें और सिर्फ़ हलाल रिज़्क कमाने में ही लगे रहें।...✍🏻
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❝ इंटरनेट का ग़लत इस्तेमाल❞
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*❺ जाली आशियाना फरोख़्त*
*(Counterfeiting)*
╭┈► यह वह काम है जिसके ज़रिए असल चीज़ों की एक नकली मिसाल तैयार की जाती है और उसे असली के दाम में बेचा जाता है। मसलन एक मोबाइल किसी कंपनी ने लांच किया फिर किसी दूसरी कंपनी ने उसकी मिसाल तैयार कर ली और बाज़ार में असल की कीमत पर फरोख्त शुरू कर दी। इंटरनेट के ज़रिए इस कारोबार ने भी बहुत उरूज हासिल किया हुआ है। क्योंकि इंटरनेट पर इस कारोबार को पकड़ पाना मुश्किल है इसलिए इससे जुड़े लोग बहुत बेबाकी से अपने काम को चला रहे हैं। एक समझदार शख़्स होने की निशानी यह है कि हम असली और नकली में फ़र्क समझें और अपने आप को इस ठगी से बचाएं।...✍🏻
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❝इंटरनेट का ग़लत इस्तेमाल ❞
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*❻ सिर्फ़ जिंसी लज़्ज़त हासिल करने के लिए अजनबी औरतो मर्दों गुफ़्तगू (Sex Talk)*
╭┈► इंटरनेट के बदतरीन ग़लत इस्तेमालात में से एक यह भी है जिसमें मर्द, औरत आपस में मिलकर इंटरनेट के ज़रिए एक-दूसरे से गंदी बातें करते हैं। वह भी सिर्फ चंद लम्हों की लज़्ज़त के लिए। इस काम के लिए कारोबार करने वाले ग़रीब मुल्कों से औरतें लेकर आते हैं उन्हें काम दिलाने के नाम पर और यहां उन्हें गंदे काम में धकेल देते हैं। इस्लाम ने अजनबी औरतों से बात करने से मना किया है। लिहाजा हर शख़्स को चाहिए कि इस बुरे काम से महफूज़ रहें और जो इसमें मुब्तला हैं वह फौरन तौबा करें।
⚠ *Note :-* अगर इसी मौजू पर पोस्ट लिखी जाए तो बहुँत तवील पोस्ट होंगी मुख्तसर बातो के ज़रिए आपको बताया जा रहा अपने आपको इस गुनाह से बचाए बरोज़ ए हश्र मुंह दिखाने के लायक न रहेंगे वरना।...✍🏻
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❝इंटरनेट का ग़लत इस्तेमाल ❞
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*❼ बदनिगाही (Unlawful Gaze)*
╭┈► खूने जिगर को स्याही बनाकर अर्ज़ कर रहा हूं कि आज के दौर में जहां उरियानियत औट फ़हाशी आम है वहीं पर टिक टॉक (Tiktok) और दीगर (App) जैसी मोबाइल एप्लीकेशन के आने से बदनिगाही का एक नया महाज़ खुल गया है। इस पर कुछ फ़हश औरतें और मर्द मौसिकी(Music) की ताल पर रक्स करते हैं। और यह इतना गंदा है कि लोगों ने उरियानियत वाली वीडियो देखना छोड़ दी है क्योंकि नफ़्स को उभारने वाला सारा मवाद तो इस जैसी एप्लीकेशन पर भी मौजूद है। आज बहुत अफ़सोस के साथ कहना पड़ रहा है कि 70% मुसलमान इसमें मुब्तिला हैं। और इसके ज़रिए से सस्ती शोहरत कमाना चाहते हैं। अल्लाह हमारे हाल पर रहम फरमाए इन्हें बिल्कुल भी शऊर नहीं कि यह किस तरह के ज़िना में मुब्तला हैं।
*⚠ NOTE :-* रब का फज़ल है चन्द दिन पहले ही इस हराम (App Tik Tok) को (India Government) ने बैन किया लेकिन अफ़सोस आजके नौजवान को इसकी इतनी बुरी लत लग गई है के नये नये (App) पर आकर अपनी नफ़्स को तबाह कर रहें अगर इस्लामी बहनों की बात की जाए तो यह लड़को से ज़्यादा इनके नज़दीक यह बदतरीन (App) पसंदीदा है अल्लाहु अकबर बस इतना कहूँगा बाज़ आ जाओ इस बुरे गंदे काम से वरना हश्र के मैदान मे रूसवाई के शिवा कुछ न हासिल होंगा अल्लाह तआला हमे अमल की तौफीक़ अता फरमाए।...✍🏻 *आमीन*
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❝ इंटरनेट का ग़लत इस्तेमाल❞
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*❽ मौसिकी (Music)*
╭┈► इंटरनेट के वुजूद में आने के बाद सबसे पहली चीज़ जो इस पर तेज़ी के साथ आम हुई वह है *(मौसिकी Music)* मौसिकी की इंडस्ट्री 1100 लाख रुपए कमाती है और पूरी दुनिया में इसके गिरबीदा लोग मौजूद हैं। इसी इंटरनेट के ज़ोर पकड़ने से हज़ारों लोगों की ज़िंदगी में मौसिकी ने जगह बनाई और आज वह इसके आदी बन चुके हैं। एक सर्वे के मुताबिक मौसिकी से इंसान के दिमाग में ऐसे असरात मुरत्तब होते हैं जिससे वह सुन्न हो जाता है। और उसमें नई चीज़ों को समझने की सलाहियत कम हो जाती है। इसको यू देखें के गाना सुनने वाले शख़्स के दिमाग में मुसलसल वही चलता रहता है। जिससे नई चीज़ों पर ध्यान देना मुश्किल हो जाता है। फुकहाए इस्लाम ने यह तसरीह कर दी है कि (मौसिकी Music) इस्लाम में हराम है (जैसे के दुर्रे मुख़्तार में है) और खुद सुफ़िया किराम ने भी इससे मना फ़रमाया है और यह बात भी मुशाहिदे से साबित है कि (मौसिकी Music) बनाने वाले लोग बहुत मेहनत से ऐसा मवाद तैयार करते हैं कि इंसान इसमें फंस जाए और उसे एक तरह से नशा मिले लेकिन एक समझदार मुसलमान को चाहिए के इन तमाम ख़ुराफ़ात से दूर रहें और अपने दीन की हिफाज़त करें।...✍🏻
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❝ इंटरनेट का ग़लत इस्तेमाल❞
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*❾ हैकिंग (Hacking)*
╭┈► हैकिंग एक ऐसा तरीक़ा है जिससे कि कोई शख़्स बग़ैर इजाज़त के किसी भी इदारे की वेबसाइट में दाखिल हो सकता है और वहां से नाज़ुक मालूमात को चुरा या बदल या तबाह कर सकता है। इंटरनेट के बुरे इस्तेमाल में से एक यह भी है। जिससे लोगों को और खासकर इदारों को बहुत नुकसान होता है। मसलन किसी ने आपकी आईडी को हैक कर लिया अब आपके नाम से जो चाहे इंटरनेट पर डाले उसे कोई रोकने वाला नहीं और नाम आपका बदनाम होगा। इसी तरह इदारों की वेबसाइट हैक करके लोग वहां से उनकी बैंक की जानकारी वग़ैरह हासिल करते हैं और उनके पैसे चुरा लेते हैं। इससे भी बचने की ज़रूरत है। और इसकी सबसे अच्छी तदबीर यह है कि हम अपनी आईडी पर मज़बूत और पेचीदा पासवर्ड लगाएं और हस्सास मालूमात इंटरनेट पर ना डालें।...✍🏻
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❝ इंटरनेट का ग़लत इस्तेमाल❞
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*❶⓿ ज़ाती मालूमात की चोरी (Privacy Theft)*
╭┈► यानी किसी शख्स के ज़ाती बातें जो सिर्फ़ उससे मुताल्लिक़ हैं मसलन उसके घर की मस्तूरात की तस्वीर या शौहर बीवी की तस्वीर, वीडियो, वग़ैरा। उनकी चोरी करना यह बहुत ही संगीन ज़ुर्म है जिसके बिना पर लोगों की ज़िंदगियां तबाह हो चुकी हैं। हर इंसान अपनी इज़्ज़त ए नफ़्स से मुहब्बत करता है लिहाजा वो यह कभी नहीं चाहेगा कि उसकी घर की बातें लोगों में फैला दी जाएं इसलिए दुनिया में ज़ातियात को लेकर बहुत कवानीन बनाए गए हैं। जिन्हें (Privacy Laws) कहते हैं। और वहीं हमारा मज़हब भी इस चीज़ से हमें मना करता है इस्लाम में बे इजाज़त जब दूसरे के घर में झांकने की इजाज़त नहीं तो किसी की मालूमात में झांकने और उन्हें चुराने की इजाज़त कैसे हो सकती है? लिहाज़ा हमें चाहिए इस काम से भी बचें और ऐसे लोगों से होशियार रहें।
⚠ *Note :-* इसी पर अपनी गुफ्तगू को ख़त्म करना चाहूंगा पोस्ट को पढ़े अपने अज़ीज़ो आकरिब को शेअर करें अल्लाह हम सबकी इसलाह फ़रमाए।...✍🏻 आमीन
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❝ ज़िना की नहूसत!?❞
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*✍अज़ मुहम्मद हस्सान रज़ा राईनी*
╭┈► इस्लाम वह मज़हब ए मोहज़्ज़ब है जो इंसान को जीने का सही तरीका फ़राहम करता है जो एक अच्छी और नेक मुआशरे की तशकील की तालीम देता है। क्योंकि सिर्फ़ इस्लाम ही वह मज़हब है जो इंसान और जानवर में तमीज़ को वाज़ह करता है। दुनिया के बातिल निज़ाम इंसान को जानवर से भी बदतर बना देना चाहते हैं क्योंकि उनके पास तहज़ीब नहीं उनके निज़ाम का यह हाल है कि मां बेटे और बाप बेटी में तमीज़ ख़त्म हो चुका है कदकारी का यह हाल है कि जानवर भी देखकर मातम करें वह लोग इंसानी हदों को पार करके जानवरों की हदों को भी पामाल कर चुके हैं लेकिन इन बातिल निज़ामों का रोना रोने से क्या होगा जबकि हमारे आंगन में ही बदकारी के जरासीम पनप रहे हों।...✍🏻
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❝ ज़िना की नहूसत!?❞
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╭┈► हमारे पास निज़ाम ए हयात भी है फिर भी बदतर से बदतर हालात हैं अगर मगरिबी तहज़ीब के वह लोग जानवर से बदतर हो चुके हैं तो हम भी कुछ कम नहीं हैं हमारी आंखों से भी हमारी मां, बहन, बेटियां महफूस नहीं है हम भी सरेराह अपनी मुस्लिम ख्वातीन को शहवानी निगाहों से घूरते नज़र आते हैं अगर हमको उन मुस्लिम बेटियों का ख़्याल होता जो फलस्तीन, बर्मा, इराक, कश्मीर, वग़ैरह में ज़्यादतियों का शिकार होती हैं जिनको आए दिन कोई मूज़ी कुत्ता अपना शिकार बना लेता है तो कभी भी हम अपनी आंखों को बदकारी की तरफ़ माइल नहीं करते यह तो मैंने सिर्फ़ आंखों का ज़िक्र किया, आंखों के साथ मुंह, हाथ, पैर, कान सब ज़िना करते हैं लेकिन आंखें इन सब का सर चरमा है अगर हम आंखों की हिफ़ाज़त कर लें तो काफी हद तक ज़िना से बच सकते हैं।
╭┈► अल्लाह ताअला ने इरशाद फरमाया : और बदकारी के पास ना जाओ वह वे हयाई है और बहुत ही बुरी राह।
📗सूरह बनी इसराईल
╭┈► यहां पर अल्लाह तबारक व तआला ने बदकारी यानी ज़िना के क़रीब जाने से मना किया इसका मतलब साफ़ है कि सिर्फ़ ज़िना से बचना ही ज़रूरी नहीं बल्कि जो ज़िना के असबाब व ज़रिये हैं उनसे बचना भी इंतहाई ज़रूरी है।...✍🏻
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❝ज़िना क़त्ल से भी बदतर गुनाह!? ❞
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╭┈► अहमद यार ख़ान नईमी रहमतुल्लाह अलैह फ़रमाते हैं के ज़िना क़त्ल से भी बदतर गुनाह है क्योंकि क़त्ल में एक जुर्म है और ज़ानी (यानी ज़िना करने वाला) एक वक़्त में तीन जुर्म करता है गुनाह कबीरा, बे-हयाई फैलाना, नस्ल ए इंसानी को ख़राब करना नेज़ क़त्ल सिर्फ़ हाथ से होता है ज़िना पूरे जिस्म से, इसलिए क़त्ल की सज़ा क़त्ल या माफ़ी है लेकिन ज़िना की सज़ा सारे जिस्म को पत्थर मारना है इस की माफ़ी कोई नहीं दे सकता।
╭┈► ज़िना के तआल्लुक से अहादीस पाक : कोई शख़्स ये सोच सकता है कि ज़िना सिर्फ़ औरत, आदमी के नाजायज़ तआल्लुकात कायम करने का नाम है, तो उसकी अक़ल की इसलाह के लिए हुज़ूर ﷺ की ये हदीस पाक काफ़ी है।
╭┈► आप ने फ़रमाया आँख का ज़िना नज़र ए बद है, ज़बान का ज़िना गुफ़्तगू है, दिल तमन्ना और ख़्वाहिश करता है शर्मगाह उस ख़्वाहिश को सच्चा झूठा करती है।
📗बुखाटी: 6243
╭┈► यानी शहवत से ग़ैर औरतों को देखना ज़िना है और जुन्बी औरतों के हुस्नों जमाल की तारीफ़ जुबान का ज़िना है उसे शौक से सुनना कान का ज़िना है गरज़ के ज़ानी जिस्म के हर हिस्से से ज़िना करता है इस लिए उसकी सज़ा पत्थर मारना है।...✍🏻
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❝ज़िना क़त्ल से भी बदतर गुनाह!? ❞
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╭┈► इमाम इब्ने जौज़ी अपनी किताब *"ज़म उल हवा"* में लिखते हैं कि नबी ﷺ ने फरमाया के शिर्क के बाद सबसे बड़ा गुनाह अल्लाह के नज़दीक यह है कि आदमी अपना नुत्फा ऐसे रहम में रखे जो उसके लिए हलाल नहीं है।
╭┈► मजमअ अज़ ज़वाइद में है कि नबी ने फ़रमाया जानी इस हाल में लाए जाएंगे के उनके चेहरे आग से भड़क रहे होंगे।
╭┈► मुसनद ए बज़्ज़ार में है ज़ानियों की शर्मगाहों की बदबू अहले नार को तकलीफ देगी।
╭┈► इमाम ग़ज़ाली ने फरमाया ज़िना में 6 मुसीबतें हैं
╭┈► 1) दुनिया में रिज़्क कम हो जाता है।
╭┈► 2) ज़िंदगी मुख्तसर हो जाती है।
╭┈► 3) और चेहरा मस्ख हो जाता है।
╭┈► 4) आखिरत में ख़ुदा की नाराज़गी
╭┈► 5) सख़्त पुर्सिश (पूछताछ)
╭┈► 6)जहन्नुम में दाखिल होता है।
📗मुकाशेफातुल कुलूब
╭┈► ज़िना की नहूसत और तबाह कारियाँ जान लेने के बाद भी अगर कोई इंसान इस बुरे काम से अपने आप को नहीं बचाता तो वह अपनी अक़्ल का दुश्मन है वह अपनी आख़िरत बरबाद कर ही रहा है साथ साथ जिस्मानी नुकसानात कितने हैं? इसकी फ़हरिस्त बहुत तवील है बस इतना समझ लीजिए ज़ानी इंसान की ज़िंदगी में कोई हुस्न बाकी नहीं रहता है।...✍🏻
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❝ ज़िना से कैसे बचें!? ❞
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╭┈► क्योंकि इस्लाम निज़ाम ए हयात है तो ज़िना से बचने का तरीका भी इस्लाम से पूछते हैं ज़िना से बचने का तरीका यह है कि सबसे पहले ज़िना के असबाब को तर्क कर दिया जाए जो चीज़ हमें ज़िना की तरफ़ माइल करती है उन चीज़ों को अपनी ज़िंदगी से दूर कर दिया जाए जैसे अज़नबी औरतों से मिलना मिलाना, उनके साथ तन्हाई में रहना, और बुरी सोहबत इख़्तियार करना, इंटरनेट और मोबाइल के ज़रिये ज़िना के मनाज़िर देखना फ़हाशी से भरे लिटरेचर पढ़ना वगैरह यह सब ज़िना के असबाब हैं अगर आप असबाब से दूर नहीं होते हैं तो आप हरगिज़ ज़िना से दूर नहीं हो सकते ज़िना से बचने का दूसरा तरीका निकाह है ज़रूरी है कि हमारे लिए जहां तक मुमकिन हो जल्द से जल्द निकाह करें कुरान पाक में जहां कामयाब लोगों की निशानियां बताई गई हैं उन निशानों में एक निशानी यह भी बताई गई कि वह लोग अपनी शर्मगाहों की हिफाज़त करते हैं तो ज़रूरी है कि हम अपनी शर्मगाहों की हिफाज़त करें हमें चाहिए कि हम नेक और सुआलेह इंसान बनकर जिंदगी गुज़ारें अगर ख्वाहिशात पर काबू नहीं हो रहा हो तो निकाह करें और ऐसा मुमकिन ना हो तो रोज़ा रखें क्योंकि रोज़ा नफ़सानी ख़्वाहिशात को मारने में काफ़ी कारगर साबित होता है अल्लाह से दुआ है कि हमें ज़िना की नहूमत से बचाए रखे और हमें हया का पैकर बना दे।...✍🏻 आमीन
*अंदाज़ ए बयां गरचे बहुत शोख़ नहीं है*
*शायद के उतर जाए तेरे दिल में मेरी बात*
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*👨💻मिन जानिब :-* सैय्यद सद्दाम अली साहब
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❝ मुसलमना नौजवान और शराब नौशी!?❞
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*✍अज़: अल्लामा मौलाना जनाब निहाल अली क़ादरी साहब क़िब्ला*
╭┈► पेशे लफ्ज़ : अल्लाह तआला ने फरमाया कयामत की निशानियां में से यह है कि जिहालत गालिब हो जाएगी और इल्म कम हो जाएगा ज़िनाकारी बढ़ जाएगी शराब कसरत से पी जाने लगेगी आज सादिक़ व ममदूक़ नबी ﷺ की बात सच होती दिख रही है हमारे मुआशरे में तरह-तरह की बुराइयां रुनुमा हो चुकी हैं जिन को अंजाम देने में कोई बुराई नहीं समझता इन्हीं बुराइयों में से एक शराब नोशी की है जिसमें मुसलमान नौजवान समेत बूढ़ों की एक बड़ी जमात मुलव्विस है और शराब की तरह दूसरे कई मसरूबात भी जिनको बड़े शौक व कसरत के साथ इस्तेमाल किया जाता है लिहाजा हमने चंद सफ़हात पर मुतमिल एक किताब लिखने का इरादा किया जिसके ज़रिये लोगों को शराब की शरई हुक्म व सज़ा और उसके नुकसानात से आगाह किया जाए इससे बचने की तरगीब दिलाई जाए। अल्लाह हमारी कोशिश को क़ुबूल करे और हम सबको अमल की तौफीक़ अता फरमाए।...✍🏻 आमीन
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❝ इस्लाम और शराब!?❞
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╭┈► शराब इस्लाम से पहले अरब में पानी की तरह इस्तेमाल की जाती थी। यहां तक के बच्चों को घुट्टी में पिलाई जाती थी बाकायदा शराब की दावत की जाती थी शराब की मजलिसें मुनअक़िद होती थी। इसलिए इसका एकदम छुड़ा देना नामुमकिन था इसी वजह से इसकी हुरमत के एहकाम रफ्ता रफ्ता आए सबसे पहले मक्का शरीफ़ में यह आयते आयते करीमा नाज़िल हुई
*ومن ثمرت النخیل والاعناب. الخ*
╭┈► मुसलमान फ़िर भी आम तौर पर शराब नोशी करते रहे फ़िर जब हुज़ूर ﷺ मदीना तशरीफ़ लाए तो कुछ सहाबा इकराम ने उसके नुकसानात को मद्दे नज़र रखते हुए अल्लाह के रसूल की बारगाह में सवाल किया तो ये आयते करीमा नाज़िल हुई
*یسٔلونکا عن الخمر والمیسر*
╭┈► इस आयत में शराब के नुकसानात से आगाह किया गया कुछ लोगों ने इस आयत के नुज़ूल के बाद शराब को तर्क़ कर दिया लेकिन कुछ लोग फिर भी पीते रहे इसलिए इस आयत में हराम करार नहीं दिया गया था सिर्फ़ नुकसानात से आगाह किया गया था फिर कुछ दिनों के बाद हालते नमाज़ में शराब को ममनूअ करार दे दिया गया और यह आयते करीमा नाज़िल हुई
*لاتقربوا الصلاة و انتم سكارى*
╭┈► अभी भी शराब की तलब लोगों में बाकी थी गाहे-बगाहे लोग इस्तेमाल किया करते थे एक मर्तबा शराब की वजह से कुछ लोगों में लड़ाई हुई मुकदमा हुज़ूर ﷺ की बारगाह में पेश किया गया तो उस वक़्त हज़रत फ़ारूक़ ए आज़म रदिअल्लाहु तआला अन्हु ने अल्लाह तआला की बारगाह में दुआ की कि शराब के मुताल्लिक़ पूरा बयान नाज़िल फरमाया तब ये आयते करीमा नाज़िल हुई *انما الخمر والميسر* से *فهل أنتم منتهون* तक और शराब कतई तौर पर क़यामत तक के लिए हराम करार दिया दे दिया गया।...✍🏻
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❝ मदीने की गलियों मे शराब!?❞
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╭┈► रिवायत में आता है जब शराब को हराम किया गया और मदीने में ऐलान कराया गया तो लोग फौरी तौर पर अपने अपने घरों से शराब के मटके निकाल निकाल कर फेंकने लगे हज़रत अनस बिन मालिक रज़ी अल्लाह तआला अन्हु फरमाते हैं इस दिन हमारे घर में मुसलमानों की दावत थी जिसका दौर चल रहा था हमारे घर में बहुत से मटके शराबब के रखे हुए थे, अचानक मुनादी की आवाज़ कान में आई मेरे वालिद ने कहा, सुन कर तो आओ मैंने वापस आकर बताया सुनते ही अहले मजलिस की ऐसी हालत हुई कि जिसके हाथ में जाम था उसने वहीं पटक दिया, जो मटके शराब उढेल रहा था उसने वहीं प्याला तोड़ दिया, जिसके मुंह में थी उसने कुल्ली करदी, जो मुंह तक प्याला ले गया था उसने वहां से ही वापस कर लिया, हज़रत अनस फरमाते हैं सारे मटके मैंने डंडे से फोड दिए उस दिन मदीने की गलियों में शराब बारिश के पानी की तरह बह रही थी सूख जाने के बाद भी कई माह तक ज़मीन से शराब की बू आती रही इस बात की मिसाल दुनिया में नहीं उसके बाद फिर शराब पीना बिल्कुल बंद हो गया।...✍🏻
*मुस्तफा ﷺ तेरी सौलत पे लाखों सलाम*
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❝ सबक!?❞
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╭┈► हमें इससे सबक लेना चाहिए वह कैसे मुसलमान थे जो नशे की हालत में भी अल्लाह तआला और रसूल ﷺ की इताअत करना नहीं भूले एलान सुनते ही हाथों से जाम जुदा कर दिया आज हम हैं कि बे-नशा होकर भी बेहोश नज़र आ रहे हैं अल्लाह तआला और रसूल ﷺ की इताअत को पसे पुश्त डाल रखा है मुसलमानों होश में आओ अल्लाह तआला और रसूल ﷺ की इताअत शिआरी में लग जाओ।
*Note :* ⚠️ आज देखने मे आता हमारे मुस्लिम नौजवान शराब जैसी हराम नशे की हालत मे मुब्तिला है अल्लाहु अकबर कबीरन कबीरा क्या उन्हें आक़ा अलैहिस्सलाम की हदीस मुबारका मालूम नहीं शराब पीने वालों को पीप पश पिलाई जाएँगी अल्लाहु अकबर मुसलमानों हौश मे आओ दीन इस्लाम को पहचानों आज दुनियाँ कुरआन के फरमान को पढ़कर कहां से कहाँ पहुँच रहीं है हम है के हर काम मे पीछे है अल्लाह तआला हम सब को इस बुरी आदत से महफ़ूज़ रखें।...✍🏻 आमीन
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❝ शराब के ताल्लुक़ से अहदीस ए नबी ﷺ❞
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╭┈► इस्लाम में हर शख़्स के लिए 5 बुनियादी ज़रूरियात की हिफाज़त को लाजमी करार दिया दीन, माल, जान, इज़्ज़त, और अक़्ल शराब ऐसी चीज़ है जिससे इंसान की अक़्ल ज़ाइल हो जाती है और फिर उसकी वजह से उसके दीन, जान-माल, इज्ज़त सब ख़तरे में आ जाते हैं अल्लाह तआला के रसूल ﷺ जिन्होंने कभी अपनी जान के प्यासों पर लानत नहीं फरमाई लेकिन जिन बद बख़्तों पर लानत फरमाई है उनमें शराबी भी शामिल हैं एक हदीस में है अबू दाऊद में हज़रत अमीर मआविया रदिअल्लाहु तआला अन्हुमा से रिवायत है फरमाते हैं हुज़ूर ﷺ ने फरमाया जब लोग शराब नोशी करें तो उन्हें कोड़े मारो, फिर करें फिर मारो ,फिर करें फिर मारो, और चौथी बार करें तो उनको क़त्ल कर दो।...✍🏻
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❝ शराब के ताल्लुक़ से अहदीस ए नबी ﷺ❞
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╭┈► और एक हदीस में है हज़ूर ने फरमाया के तीन शख़्स जन्नत में नहीं जाएंगे शराबी, और अपने रिश्तेदारों से बदसलूकी करने वाला और जादू की तस्दीक करने वाला, और जो शराबी बे तौबा किए मर जाए अल्लाह तआला उसे वह ख़ूनो पीप पिलाएगा जो दोज़ख में फ़ाहिशा औरत की बुरी जगह से इस क़दर वहेगा के एक नहर हो जाएगी दोज़खियों को उनकी शर्मगाह की बदबू अज़ाब पर अज़ावमब होगी वह सख़्त बदबूदार गंदी पीप जो बदकार औरतों के शर्मगाह से वहेगी उसे उस शराबी को पीनी पड़ेगी।
╭┈► अल्लाह तआला की पनाह इतना सख़्त अज़ाब है शराब के पीने वालों, अपनी जवानी, जान माल इज्ज़त बरबाद करने वालों अल्लाह से डरो और नापाक शराब के पीने से बाज़ आ जाओ।...✍🏻 *आमीन*
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❝ शराब और मुसलमान!?❞
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╭┈► जिस ख़ुदा और रसूल ﷺ ने शराब नोशी को कतयी तौर पर हराम करार दिया जिसको पेशाब की तरह नजिस नापाक बताया और शैतान का अमल करार दिया आज उसी अल्लाह और रसूल ﷺ पर ईमान लाने वाले मुसलमान, इस्लाम के मानने वाले मुसलमान सबसे ज़्यादा शराब नोशी और दूसरे नशावर चीज़ों में मुलव्विस हैं और शराब पीकर नशे में लड़ाई झगड़े करते हैं और फ़साद मचाते हैं क़तलो ग़ारतगरी का माहौल ग़र्म करते हैं कभी-कभार कुफ़्र की हद को तजावुज़ कर जाते हैं ख़ुद भी ज़लील और रूसवा होते हैं और दीन की बदनामी का सबब बनते हैं।...✍🏻
*हाथ बे ज़ार हैं। इलहाद से दिल ख़ूगर हैं। उम्मती बाइस ए रूस्वाई ए पैगम्बर हैं।*
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❝ शराब के नुकसानात!?❞
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╭┈► शराब और दूसरी नशे वाली चीज़ें इंसान की अकँल ख़त्म कर देती हैं जिसकी वजह से मुआशरे में ख़राबी पैदा होती है और इंसान भी तरह-तरह के नुकसानात से दो-चार होता है। जिसकी ख़बरें अखबारों के ज़रिए आती रहती हैं।
╭┈► *एक्सीडेन्ट :* दौरे हाज़िर में रोडों पर जो हादसात पेश आते हैं और जितनी मौतें होती हैं ज़्यादातर शराब की वजह से होती हैं।...✍🏻
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❝ शराब के नुकसानात फ़साद व क़त्ल!?❞
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╭┈► गाहे गाहे ख़बरें मौसूल होती हैं फलाँ जगह फ़साद बरपा हो गया, फ़लाँ जगह लड़ाई हो गई फ़लाँ ने फ़लाँ को क़त्ल कर दिया, बेटे ने बाप को ज़लील किया, मां की बेहुरमती की सब के पीछे अक़्सर वजह शराब ही होती है।
╭┈► *इस्मतदरी (बलात्कार) :* यह खबरें आती हैं लोग शराब पीकर ज़िनाकारी में मुलव्विस हो जाते हैं नेक सीरत बच्चियों की आबरू रेज़ी करते हैं यहां तक के कुछ नाहंजार अपनी महरमों से बदसलूकी करने पर आमादा हो जाते हैं कुछ भी एहसास शर्म नहीं करते।...✍🏻
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❝ शराब के नुकसानात तलाक़!?❞
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╭┈► दारूल इफ़्ता में अक़्सर मसाइल तलाक़ के आते हैं जिसमें अक़्सर महज़ शराब पीकर तलाक़ दी होती है पहले शराब की मस्ती में बीवी को तलाक़ देते हैं जब बीवी निकाह से बाहर हो जाती है फिर इज़हारे अफ़सोस करते हैं।
╭┈► इसी तरह बहुत नुकसनात हैं इसकी वजह से शरीयत ने हराम करार दिया लिहाजा हर मुसलमान पर इससे बचना लाज़िमी है और जो इसमें मुलव्विस नहीं उन पर भी हस्बे ताक़त लोगों को इससे रोकना ज़रुरी है।...✍🏻
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❝शराब के नुकसानात, चन्द मसाइल!? ❞
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╭┈► फतवा यह है कि हर शय वाली पतली चीज़ यानी अंगूरी शराब और ताड़ी वग़ैरह मुतलक़न हराम है उनका एक कतरा भी पीना जायज़ नहीं।
╭┈► आला हज़रत अलैहिर्रहमा फ़रमाते हैं : भांग, चरस, शाराब सब हराम हैं मगर शराब सब में बदतर है नीज़ फरमाते हैं खमर (शराब) की हुरमत ज़रूरियात दीन से है उसके एक कतरे की हुरमत का मुनकिर काफिर है हां भांग वगैरह किसी चीज़ से नशे की हुरमत का मुनकिर गुमराह व मुखालिफ इज्मा है।
╭┈► और लिखते हैं एक जगह शाराब किसी क़िस्म की हो मुतलक़न हराम भी है और पेशाब की तरह नजिस भी ब्रांडी हो ख़्वाह स्प्रिट ख़्वाह कोई बला। जिस दवा में उसका जस हो ख़्वाह किसी तरह उसकी आमेज़िश हो उसका खाना,पीना भी हराम उसका लगाना भी हराम, उसका बेचना भी हराम, तबीब के उसका इस्तेमाल बलाए मुब्तलाए गुनाह व आसाम यही अयम्मा इकराम का मज़हब सही व मोतमद है।...✍🏻
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❝ शराब के नुकसानात, शराबी का ठिकाना❞
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╭┈► हज़रत मौलाना सदर अश शरिया रहमतुल्लाह अलैह बहारे शरीयत में नकल फरमाते हैं ग़ई जहन्नुम में एक वादी है जिसकी ग़र्मी और गहराई सबसे ज़्यादा है उसमें एक कुएं का नाम हुब हुब है जब जहन्नुम की आग बुझने पर आती है तो अल्लाह तआला उस कुएं को खोल देता है जिससे ब दस्तूर आग भड़कने लगती है अल्लाह तबारक व तआला का इरशाद
*जब कभी बुझने पर आएगी हम उसे और भड़का देंगे।*
╭┈► यह कुआं बे नमाज़ियों और ज़ानियों और शराबियों और सूदखोरों और मां-बाप को तकलीफ़ देने वालों के लिए है अल अयाज़ वल हफ़ीज़ ग़ौर फरमाइए के शराब पीना कितना सख़्त गुनाह है और कितना सख़्त अंज़ाम है अल्लाह तबारक व तआला हम सब को इस नजिस से महफूज़ रखे और अमल की तौफीक़ अता फरमाए। आमीन
*Note: ⚠️* अल्हमदुलिल्लाह कितनी नसीहत है इस छोटी सी किताब मे अगर बंदा पढ़कर अमल करने लग जाए कसम ख़ुदा की दुनियाँ व आख़रत दोनो सबर जाए, यह किताब यही पर मुकम्मल होती है इन्शा अल्लाह तआला नये उनवान पर अगली पोस्ट होगी आप सभी हज़रात इसको सवाब की नियत से आगे भी शेअर ज़रूर करें।...✍🏻
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*📮 पोस्ट मुकम्मल हुई अल्हम्दुलिल्लाह 🔃* ••──────────────────────••►
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