اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ یــــــــــــــــــــــا رسول الــــلّٰــــه ﷺ
कनीज़ ए मां फ़ातिमा तुज़्ज़हरा رضی اللّٰــه تعالیٰ عنــــــــہا
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इस्लामी बहनों की नमाज़ (ह-नफ़ी)
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 215
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❝ इस्तिन्जा का तरीका ❞
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*⇩ दुरूद शरीफ़ की फ़ज़ीलत ⇩*
╭┈► हुज़ूर नबी ए करीम ﷺ का इर्शादे नूरबार है तुम अपनी मजलिसों को मुझ पर दुरूदे पाक पढ़ कर आरास्ता करो क्यूं कि तुम्हारा मुझ पर दुरूदे पाक पढ़ना बरोजे क़ियामत तुम्हारे लिये नूर होगा।
*⇩ अज़ाब में तख़्फीफ़ हो गई ⇩*
╭┈► हज़रते सय्यिदुना इब्ने अब्बास रादिअल्लाहु तआला अन्हु से मरवी है कि सरकारे दो आलम, नूरे मुजस्सम शाहे बनी आदम, रसूले मुहूतशम ﷺ दो क़ब्रों के पास से गुज़रे (तो गैब की ख़बर देते हुए) फ़रमाया येह दोनों कब्र वाले अज़ाब दिये जा रहे हैं और किसी बड़ी चीज़ में (जिस से बचना दुशवार हो) अज़ाब नहीं दिये जा रहे बल्कि एक तो पेशाब के छींटों से नहीं बचता था और दूसरा चुग़ल ख़ोरी किया करता था। फिर आप ﷺ ने खजूर ताज़ा टहनी मंगवाई और उसे आधों आध चीरा और हर एक की कब्र पर एक एक हिस्सा गाड़ दिया और फ़रमाया जब तक येह खुश्क न हों तब तक इन दोनों के अज़ाब में तख़्फीफ़ होगी।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 201-202 📚*
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📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 216
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❝ इस्तिन्जा का तरीका ❞
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╭┈► 1) इस्तिन्जा ख़ाने में जिन्नात और शयातीन रहते हैं अगर जाने से पहले बिस्मिल्लाह पढ़ लो जाए तो इस की ब-र-कत से वोह सित्र देख नहीं सकते। हदीसे पाक में है जिन की आंखों और लोगों के सित्र के दरमियान पर्दा येह है कि जब पाखाने को जाए तो बिस्मिल्लाह कह ले। या'नी जैसे दीवार और पर्दे लोगों की निगाह के लिये आड़ बनते हैं ऐसे ही येह अल्लाह अज़्ज़वजल का ज़िक्र जिन्नात की निगाहों से आड़ बनेगा कि जिन्नात उस को देख न सकेंगे।
📙 मिरआत जिल्द 1 सफ़ह 268
╭┈► 2) इस्तिन्जा खाने में दाखिल होने से पहले बिस्मिल्लाह पढ़ लीजिये। बल्कि बेहतर है कि येह दुआ पढ़ लीजिये। (अव्वल व आखिर दुरूद शरीफ़)
بَسْمِ اللّٰهِ اَللّٰھُمَّ اِنِّیْ اَعُوْذُبِكَ مِنَ الْخُبُثِ وَالْخَبَائِثِ
╭┈► या'नी अल्लाह के नाम से शुरूअ, या अल्लाह मैं नापाक जिन्नों (नर व मादा) से तेरी पनाह मांगता (मांगती) हूं।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 202 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 217
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❝ इस्तिन्जा का तरीका ❞
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╭┈► 3) फिर पहले उल्टा क़दम इस्तिन्जा खाने में रख कर दाखिल हों।
╭┈► 4) सर पर दुपट्टा वगैरा अच्छी तरह लपेट लीजिये ताकि उस का कनारा वगैरा नजासत में गिर कर नापाक न हो जाए।
╭┈► 5) नंगे सर इस्तिन्जा खाने में दाखिल होना मम्नूअ है।
╭┈► 6) जब पेशाब करने या क़ज़ाए हाजत के लिये बैठे तो मुंह और पीठ दोनों में से कोई भी किब्ले की तरफ न हो अगर भूल कर किब्ले की तरफ मुंह या पुश्त कर के बैठ गई तो याद आते ही फ़ौरन किब्ले की तरफ से इस तरह रुख बदल दे कि कम अज़ कम 45 डिग्री से बाहर हो जाए इस में उम्मीद है कि फौरन उस के लिये मग़फिरत व बख्शिश फ़रमा दी जाए।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 203 📚*
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❝ इस्तिन्जा का तरीका ❞
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╭┈► 7) अक्सर इस्लामी बहनें बच्चे ! को पेशाब या पाखाने के लिये जब बिठाती हैं तो किब्ले की सम्त का खयाल नहीं रखती, लिहाजा उन को चाहिये कि बच्चे को इस तरह बिठाए कि उस का मुंह या पीठ किल्ले को न हो। अगर किसी ने ऐसा किया तो वोह गुनहगार होगी।
╭┈► 8) जब तक क़ज़ाए हाजत के लिये बैठने के करीब न हो कपड़ा बदन से न हटाए और न ही हाजत से ज़ियादा बदन खोले।
╭┈► 9) फिर दोनों पाउं ज़रा कुशादा कर के बाएं (या'नी उल्टे) पाउं पर जोर दे कर बैठे कि इस तरह बड़ी आंत का मुंह खुलता है और इजाबत आसानी से होती है।
╭┈► 10) किसी दीनी मस्अले पर गौर न करे कि महरूमी का बाइस है।
╭┈► 11) उस वक्त छींक
╭┈► 12) सलाम या
╭┈► 13) अजान का जवाब जबान से न दे।
╭┈► 14) अगर खुद छींके तो जबान से अल्हम्दु लिल्लाह न कहे, दिल में कह ले।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 203 📚*
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❝ इस्तिन्जा का तरीका ❞
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╭┈► 15) बातचीत न करे।
╭┈► 16) अपनी शर्मगाह की तरफ़ न देखे।
╭┈► 17) उस नजासत को न देखे जो बदन से निकली है।
╭┈► 18) ख्वाह मख्वाह देर तक इस्तिन्जा खाने में न बैठे कि बवासीर होने का अन्देशा है।
╭┈► 19) ता 25) पेशाब में न थूके, न नाक साफ़ करे, न बिला ज़रूरत खन्कारे, न बार बार इधर उधर देखे, न बेकार बदन छूए, न आस्मान की तरफ़ निगाह करे, बल्कि शर्म के साथ, सर झुकाए रहे।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 204 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 220
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❝ इस्तिन्जा का तरीका ❞
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╭┈► 26) क़ज़ाए हाजत से फ़ारिग होने के बाद पहले पेशाब का मक़ाम धोए फिर पाखाने का मकाम।
╭┈► 27) औरत के लिये पानी से इस्तिन्ना करने का मुस्तहब तरीका यह है कि ज़रा कुशादा हो कर बैठे और सीधे हाथ से आहिस्ता आहिस्ता पानी डाले और उल्टे हाथ की हथेली से नजासत के मकाम को धोए, लोटा ऊंचा रखे कि छींटें न पड़ें सीधे हाथ से इस्तिन्जा करना मक्रूह है और धोने में मुबा-लगा करे या'नी सांस का दबाव नीचे की जानिब डाले यहां तक कि अच्छी तरह नजासत का मकाम धुल जाए या'नी इस तरह कि चिकनाई का असर बाक़ी न रहे अगर औरत रोज़ादार हो तो फिर मुबा लगा न करे।
╭┈► 28) तहारत हासिल होने के बाद हाथ भी पाक हो गए लेकिन बाद में साबुन वगैरा से भी धो ले।
📗 बहारे शरीअत, हिस्सा 2 सफ़ह 131-132
╭┈► 29) जब इस्तिन्जा खाने से निकले तो पहले सीधा क़दम बाहर निकाले और बाहर निकलने के बाद (अव्वल आखिर दुरूद शरीफ के साथ) येह दुआ पढ़े
اَلْحَمْدُ لِلّٰهِ الَّذِیْ اَذْھَبَ عَنِّی الْاَذٰی وَعَافَانِیْ
╭┈► या'नी अल्लाह तआला का शुक्र है जिस ने मुझ से तक्लीफ़देह चीज़ को दूर किया। और मुझे आफ़िय्यत (राहत) बख्शी।
╭┈► बेहतर येह है कि साथ में येह दुआ भी मिला ले इस तरह दो हदीसों पर अमल हो जाएगा غُفْرَانَكَ तरजमा : मैं अल्लाह अज़्ज़वजल से मग़फ़िरत का सुवाल करता (करती) हूं।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 204-205 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 221
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❝ इस्तिन्जा का तरीका ❞
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*⇩ आबे ज़मज़म से इस्तिन्जा करना कैसा ⇩*
╭┈► 1) ज़मज़म शरीफ़ से इस्तिन्जा करना मकरुह है और ढेला न लिया हो तो ना जाइज़।
📗 बहारे शरीअत हिस्सा 2 सफ़ह 135
╭┈► 2) वुज़ू के बकिय्या पानी से तहारत करना खिलाफे औला है।
╭┈► 3) तहारत के बचे हुए पानी से वुजू कर सकते हैं, बा'ज़ लोग जो उस को फेंक देते हैं येह न चाहिये इसराफ़ में दाखिल है।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 205 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 222
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❝ इस्तिन्जा का तरीका ❞
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*⇩ इस्तिन्जा खाना का रुख दुरुस्त रखिये ⇩*
╭┈► अगर खुदा न ख्वास्ता आप के घर के इस्तिन्जा खाने का रुख गलत है या'नी बैठते वक़्त किब्ले की तरफ मुंह या पीठ होती है तो इस को दुरुस्त करने की फौरन तरकीब कीजिये मगर येह ज़ेहन में रहे कि मा'मूली सा तिरछा करना काफी नहीं। W.C. इस तरह हो कि बैठते वक़्त मुंह या पीठ किब्ले से 45 डिग्री के बाहर रहे। आसानी इसी में है कि क़िब्ले से 90 डिग्री पर रुख रखिये। या'नी नमाज़ के बाद दोनों! बार सलाम फैरने में जिस तरफ़ मुंह करते हैं उन दोनों सम्तों में से किसी एक जानिब w.c. का रुख रखिये।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 205 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 223
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❝ इस्तिन्जा का तरीका ❞
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*⇩ इस्तिन्जा के बाद क़दम धो लीजिये ⇩*
╭┈► पानी से इस्तिन्जा करते वक़्त उमूमन पाउं के टलों की तरफ़ छीटें आ जाते हैं लिहाज़ा एहतियात इसी में है कि बा'दे फ़रागत कदमों के वोह हिस्से धो कर पाक कर लिये जाएं मगर येह खयाल रहे कि धोने के दौरान अपने कपड़ों या दीगर चीज़ों पर छींटे न पड़ें।
*⇩ बिल में पेशाब करना ⇩*
╭┈► रहमत वाले आका, दो जहां के दाता, शाफेए रोजे जज़ा, मक्की म दनी मुस्तफा, महबूबे किब्रिया ﷺ का फ़रमाने शफ्क़त निशान है तुम में से कोई शख्स सूराख में पेशाब न करे।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 206 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 224
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❝ इस्तिन्जा का तरीका ❞
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*⇩ जिन्न ने शहीद कर दिया ⇩*
╭┈► मुफस्सिरे शहीर हकीमुल उम्मत हज़रते मुफ्ती अहमद यार, खान अलैहिर्रहमा फ़रमाते हैं जुहूर से मुराद या जमीन का सूराख है या दीवार की फटन (या'नी दराड़), चूंकि अक्सर सूराखों में जहरीले ! जानवर (या) च्यूंटियां वगैरा कमज़ोर जानवर या जिन्नात रहते हैं, च्यूंटियां पेशाब या पानी से तकलीफ़ पाएंगी या सांप व जिन्न निकल कर हमें तकलीफ़ देंगे, इस लिये वहां पेशाब करना मन्अ फ़रमाया गया।
╭┈► चुनान्चे (हज़रते सय्यिदुना) सा'द इब्ने उबादा अन्सारी (रादिअल्लाहु तआला अन्हु) की वफ़ात इसी से हुई कि आप रादिअल्लाहु तआला अन्हु ने एक सूराख में पेशाब किया, जिन्न ने निकल कर आप को शहीद कर दिया। लोगों ने उस सूराख से येह आवाज़ सुनी *तरजमा :* यानी हम ने कबौलए खज़रज के सरदार सा'द बिन उबादा रादिअल्लाहु तआला अन्हु को शहीद कर दिया और हम ने (ऐसा) तीर मारा जो उन के दिल से आर पार हो गया।
🤲🏻 ⚘ अल्लाहु रब्बुल इज़्ज़त अज़्ज़लजल की उन पर रहमत हो और उन के सदके हमारी मग़फिरत हो।...✍🏻 आमीन
📙 मिरआत जिल्द 1 सफ़ह 267
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 206-207 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 225
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❝ इस्तिन्जा का तरीका ❞
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*⇩ हम्माम में पेशाब करना ⇩*
╭┈► सरकारे मदीनए मुनव्वरह, सरदारे मक्कए मुकर्रमा ﷺ ने फ़रमाया कोई गुस्ल खाने में पेशाब न करे, फिर उस में नहाए या वुजू करे कि अक्सर वस्वसे इस से होते हैं।
╭┈► मुफस्सिरे शहीर हकीमुल उम्मत हज़रते मुफ्ती अहमद यार ख़ान रहमतुल्लाहि तआला अलैह इस हदीसे पाक के तहत फ़रमाते हैं अगर गुस्ल ख़ाने की ज़मीन पुख्ता हो, और उस में पानी खारिज होने की नाली भी हो तो वहां पेशाब करने में हरज नहीं अगर्चे बेहतर है कि न करे, लेकिन अगर ज़मीन कच्ची हो, और पानी निकलने का रास्ता भी न हो तो पेशाब करना सख्त बुरा है कि ज़मीन नजिस हो जाएगी, और गुस्ल या वुजू में गन्दा पानी जिस्म पर पड़ेगा। यहां दूसरी सूरत ही मुराद है इस लिये ताकीदी मुमा-न-अत फ़रमाई गई, या'नी इस से वस्वसों और वहम की बीमारी पैदा होती है जैसा कि तजरिबा है या गन्दी छीटें पड़ने का वस्वसा रहेगा।...✍🏻
📙 मिरआत जिल्द 1 सफ़ह 266
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 207 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 226
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❝ इस्तिन्जा का तरीका ❞
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*⇩ इस्तिन्जा के ढेलों के अहकाम ⇩*
╭┈► 1) आगे पीछे से जब नजासत निकले तो ढेलों से इस्तिन्जा करना सुन्नत है, और अगर सिर्फ पानी ही से तहारत कर ली तो भी जाइज़ है, मगर मुस्तहब येह है कि ढेले लेने के बाद पानी से तहारत करे। फ़तावा र-ज़विय्या मुखर्रजा जिल्द 4 सफ्हा 598 पर है सुवाल औरत बा'दे पेशाब कुलूख (या'नी ढेला) ले या सिर्फ पानी से इस्तिन्जा करे ? जवाब : दोनों का जम्अ करना अफ़ज़ल है और इस के हक़ में कुलूख (या'नी ढेले) से कपड़ा बेहतर है।
╭┈► 2) आगे और पीछे से पेशाब, पाखाना के सिवा कोई और नजासत, म-सलन खून, पीप, वगैरा, निकले, या उस जगहे खारिज से नजासत लग जाए तो भी ढेले से साफ़ कर लेने से तहारत हो जाएगी, जब कि उस मौजअ (या'नी जगह) से बाहर न हो मगर धो डालना मुस्तहब है।
╭┈► 3) ढेलों की कोई तादाद मुअय्यन (या'नी मुकर्ररा ता'दाद) सुनत नहीं, बल्कि जितने से सफ़ाई हो जाए, तो अगर एक से सफाई हो गई सुन्नत अदा हो गई और अगर तीन ढेले लिये और सफाई न हुई सुन्नत अदा न हुई, अलबत्ता, मुस्तहब येह है कि ताक (म-सलन एक, तीन, पांच) हों और कम से कम तीन हों तो अगर एक या दो से सफाई हो गई तो तीन की गिनती पूरी करे, और अगर चार से सफाई हो तो एक और ले, कि ताक हो जाएं।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 208 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 227
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❝ इस्तिन्जा का तरीका ❞
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*⇩ इस्तिन्जा के ढेलों के अहकाम ⇩*
╭┈► 4) ढेलों से तहारत उस वक़्त होगी कि नजासत से मख्रज (या'नी खारिज होने की जगह) के आस पास की जगह एक दिरहम' से ज़ियादा आलूदा न हो और अगर दिरहम से ज़ियादा सन जाए तो धोना फर्ज है, मगर ढेले लेना अब भी सुन्नत रहेगा।
╭┈► 5) कंकर, पथ्थर, फटा हुवा कपड़ा, (फटा हुवा कपड़ा या दरजी की बे कीमत कतरन बेहतर येह। है कि सूती (COTTON) हो ताकि जल्द जज्ब कर ले) येह सब ढेले के हुक्म में हैं, इन से भी साफ़ कर लेना बिला कराहत जाइज़ है।
╭┈► 6) हड्डी और खाने और गोबर और पक्की ईट और ठेकरी और शीशा और कोएले और जानवर के चारे से और ऐसी चीज़ से जिस की कुछ कीमत हो, अगर्चे एकआध पैसा ही सही, इन चीज़ों से इस इस्तिन्जा करना मकरुह है।
╭┈► 7) कागज़ से इस्तिन्जा मन्अ है, अगर्चे उस पर कुछ लिखा न हो, या अबू जल ऐसे काफ़िर का नाम लिखा हो।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 209 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 228
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❝ इस्तिन्जा का तरीका ❞
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*⇩ इस्तिन्जा के ढेलों के अहकाम ⇩*
╭┈► 8) दाने (या'नी सीधे) हाथ से इस्तिन्जा करना मकरूह है, अगर किसी का बायां हाथ बेकार हो गया, तो उसे दहने (सीधे) हाथ से जाइज़ है।
╭┈► 9) जिस ढेले से एक बार इस्तिन्जा कर लिया उसे दोबारा काम में लाना मकरुह है, मगर दूसरी करवट उस को साफ़ हो तो उस से कर सकते हैं।
╭┈► 10) औरत के लिये तरीका यह है कि पहला ढेला आगे से पीछे को ले जाए, और दूसरा पीछे से आगे की तरफ़, और तीसरा आगे से पीछे को।
╭┈► 11) पाक ढेले दाह्नी (सीधी) जानिब रखना और बा'द काम में लाने के, बाई (उल्टे हाथ की) तरफ़ डाल देना, इस तरह पर कि जिस रुख में नजासत लगी हो नीचे हो, मुस्तहब है।
📗 बहारे शरीअत, हिस्सा 2 सफ़ह 132-134
╭┈► 12) टोयलेट पेपर के इस्ति'माल की उ-लमा ने इजाज़त दी है क्यूं कि येह इसी मक्सद के लिये बनाया गया है और लिखने में काम नहीं आता। अलबत्ता बेहतर मिट्टी का ढेला है।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 209-210 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 229
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❝ इस्तिन्जा का तरीका ❞
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*⇩ मिट्टी का ढेला और साइन्सी तहकीक़ ⇩*
╭┈► एक तहकीक़ के मुताबिक मिट्टी में नौशादर (AMMONIUM ECHLORIDE) नीज़ बदबू दूर करने वाले बेहतरीन अज्ज़ा मौजूद हैं। पेशाब और फुज्ला जरासीम से लबरेज़ होता है, इस का जिस्मे इन्सानी, पर लगना नुक्सान देह है। इस के अज्ज़ा बदन पर चिपके रह जाने की सूरत में तरह तरह की बीमारियां पैदा होने का अन्देशा है। डॉक्टर हलोक" लिखता है : इस्तिन्जा के मिट्टी के ढेले ने साइन्सी दुन्या को वर्तुए हैरत में डाल रखा है। मिट्टी के तमाम अज्ज़ा जरासीम के कातिल होते हैं लिहाज़ा मिट्टी के ढेले के इस्ति'माल से पर्दे की जगह पर मौजूद जरासीम का ख़ातिमा हो जाता है बल्कि इस का इस्ति'माल “पर्दे की जगह के केन्सर" से बचाता है।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 210 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 230
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❝ इस्तिन्जा का तरीका ❞
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*⇩ बुढ्ढे काफ़िर डोक्टर का इन्किशाफ़ ⇩*
╭┈► इस्लामी बहनो सुन्नत के मुताबिक़ क़ज़ाए हाजत करने में आखिरत की सआदत और दुन्या में बीमारियों से हिफ़ाज़त है। कुफ्फार भी इस्लामी अत़वार का ख्वाही न ख्वाही इक़रार कर ही लेते हैं। इस की झलक इस हिकायत में मुला-हज़ा फ़रमाइये चुनान्चे फिजियोलोजी ! के एक सीनियर प्रोफेसर का बयान है मैं उन दिनों मराकिश में था, मुझे बुखार आ गया, दवा के लिये एक गैर मुस्लिम बुट्टे घाघ डोक्टर के पास पहुंचा, उस ने पूछा क्या मुसल्मान हो ? मैं ने कहा हां! मुसल्मान हूं और पाकिस्तानी हूं येह सुन कर कहने लगा अगर तुम्हारे पाकिस्तान में एक तरीका जो खुद तुम्हारे नबी, ﷺ का बताया हुवा है जिन्दा हो जाए तो पाकिस्तानी बहुत सारे अमराज़ से, बच जाएं मैं ने हैरत से पूछा वोह कौन सा तरीका है बोला अगर कज़ाए हाजत के लिये इस्लामी तरीके पर बैठा जाए तो एपेन्डे साइटिस (APPENDICITIS), दाइमी कब्ज, बवासीर और गुर्दो ! के अमराज़ नहीं होंगे।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 210 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 231
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❝ इस्तिन्जा का तरीका ❞
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*⇩ रफए हाजत के लिये बैठने का तरीका ⇩*
╭┈► इस्लामी बहनो यकीनन आप भी जानना चाहेंगी कि वोह करिश्माती तरीका कौन सा है तो सुनिये हज़रते सय्यिदुना सुराका ! बिन मालिक रादिअल्लाहु तआला अन्हु फ़रमाते हैं हमें ताजदारे रिसालत, महबूबे रब्बुल इज्जत सरापा अ-ज-मतो व शराफ़त ﷺ ने हुक्म दिया कि हम रफ़्ए हाजत के वक़्त बाएं (उल्टे) पाउं पर वज़्न दें और दायां पाउं खड़ा रखें।
*⇩ बाएं पाउं पर वज़न डालने की हिक्मत ⇩*
╭┈► रफ़्ए हाजत के वक़्त उक्डूं बैठ कर दायां (सीधा) पाउं खड़ा या'नी ! अपनी अस्ली हालत पर (NORMAL) रख कर बाएं या'नी उल्टे पाउं पर वज़्न देने से बड़ी आंत जो कि उल्टी तरफ होती है और उसी में फुज्ला होता है उस का मुंह अच्छी तरह खुल जाता और ब आसानी फ़राग़त हो जाती और पेट अच्छी तरह साफ़ हो जाता है और जब पेट साफ हो जाएगा तो बहुत सारी बीमारियों से तहफ्फुज हासिल रहेगा।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 211-212 📚*
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📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 232
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❝ इस्तिन्जा का तरीका ❞
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*⇩ कुर्सी नुमा कमोड ⇩*
╭┈► अफ़सोस ! आज कल इस्तिन्जा के लिये कमोड (COMMODE) आम होता जा रहा है इस पर कुर्सी की तरह बैठने के सबब टांगें पूरी तरह नहीं खुलती, उक्डूं बैठने की तरकीब न होने के सबब उल्टे पाउं पर वजन भी नहीं दिया जा सकता और यूं आंतों और मे'दे पर जोर नहीं पड़ता इस लिये बराबर फ़रागत नहीं हो पाती कुछ, न कुछ फुज्ला आंत में बाकी रह जाता है जिस से आंतों और में'दे के मु-तअद्दद अमराज पैदा होने का अन्देशा रहता है कमोड के इस्ति'माल से आ'साबी तनाव पैदा होता है, हाजत के बाद पेशाब के कतरात गिरने के भी ख़तरात रहते हैं।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 212 📚*
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📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 233
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❝ इस्तिन्जा का तरीका ❞
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*⇩ पर्दे की जगह का केन्सर ⇩*
╭┈► कुर्सी नुमा कमोड में पानी से इस्तिन्जा करना और अपने बदन और कपड़ों को पाक रखना एक अम्रे दुशवार है। ज़ियादा तर इस के लिये टोयलेट पेपर्ज का इस्ति'माल होता है। कुछ अर्सा कब्ल यूरोप में पर्दे के हिस्सों के मोहलिक अमराज बिल खुसूस पर्दे की जगह का केन्सर तेजी से फैलने की खबरें अख्बारात में शाएअ हुई, तहक़ीकी बोर्ड बैठा और उस ने नतीजा येह बयान किया कि इन अमराज़ के दो ही अस्बाब सामने आए हैं
╭┈► 1) टॉयलेट पेपर का इस्ति'माल करना और
╭┈► 2) पानी का इस्ति'माल न करना।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 213 📚*
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❝ इस्तिन्जा का तरीका ❞
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*⇩ टोयलेट पेपर से पैदा होने वाले अमराज ⇩*
╭┈► टोयलेट पेपर बनाने में बा'ज़ ऐसे केमीकल इस्ति'माल होते हैं जो जिल्द (चमड़ी) के लिये इन्तिहाई नुक्सान देह हैं। इस के इस्ति माल से जिल्दी अमराज़ पैदा होते हैं जैसा की एग्जीमा और चमड़ी का रंग तब्दील होना। डॉक्टर केनन डयूस" का कहना है : टॉयलेट पेपर्ज का इस्ति'माल करने वाले इन अमराज के इस्तिक्बाल की तय्यारी करें।
╭┈► 1) पर्दे की जगह का केन्सर।
╭┈► 2) भगन्दर (एक फोड़ा जो मद के आस पास होता या'नी बैठने की जगह पर और बहुत तकलीफ़ पहुंचाता है।
╭┈► 3) जिल्द इन्फेक्शन (SKIN INFECTION)।
╭┈► 4) फफूंदी के अमराज़ (VIRAL DISEASES)।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 214 📚*
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❝ इस्तिन्जा का तरीका ❞
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*⇩ टोयलेट पेपर और गुर्दो के अमराज़ ⇩*
╭┈► अतिब्बा का कहना है कि टोयलेट पेपर से सफ़ाई बराबर नहीं होती लिहाजा जरासीम फैलते और ब-दने इन्सानी के अन्दर जा कर तरह तरह की बीमारियों का सबब बनते हैं। खूसूसन औरतों की पेशाब गाह के जरीए गुर्दो में दाखिल हो जाते हैं जिस के सबब बसा अवकात गुर्दो से पीप आना शुरू हो जाता है। हां टॉयलेट पेपर के इस्ति'माल के बाद अगर पानी से इस्तिन्जा कर लिया जाए तो इस का नुक्सान न होने के बराबर रह जाता है।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 214 📚*
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❝ इस्तिन्जा का तरीका ❞
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*⇩ सख्त ज़मीन पर क़जाए हाजत के नुक्सानात ⇩*
╭┈► कुर्सी नुमा कमोड और w.c. का इस्तिमाल शरअन जाइज़ है। सहूलत के लिहाज़ से कमोड के मुकाबले में w.c. बेहतर है जब कि कुशादा हो ताकि इस पर सुन्नत के मुताबिक़ बैठा जा सके। लेकिन आज कल छोटे w.c. लगाए जाते हैं और उन में कुशादा हो कर नहीं बैठा जा सकता । हां अगर क़दम्चे या'नी पाउं रखने की जगह फ़र्श के साथ हमवार रखी जाए तो हस्बे ज़रूरत कुशादा बैठा जा सकता है एक सुन्नत नर्म ज़मीन पर रफ़्ए हाजत करना भी है जैसा कि हदीसे रसूल ﷺ में है जब तुम में से कोई पेशाब करना चाहे तो पेशाब के लिये नर्म जगह ढूंडे।
╭┈► इस के फ़्वाइद को तस्लीम करते हुए ल्यूवल पावल (louval poul) कहता है इन्सान की बक़ा मिट्टी और फ़ना भी मिट्टी है जब से लोगों ने नर्म मिट्टी की जमीन पर कज़ाए हाजत करने के बजाए सख्त जमीन (या'नी w.c., कमोड वगैरा) का इस्ति'माल शुरू किया है उस वक़्त से मर्दो में जिन्सी (मर्दाना) कमजोरी और पथरी के अमराज़ में इज़ाफ़ा हो गया है सख्त ज़मीन पर हाजत करने के अ-सरात मसाने के गुदूद (PROSTATE GLANDS) पर भी पड़ते हैं, पेशाब या फुज़्ला जब नर्म जमीन पर गिरता है तो उस के जरासीम और तेज़ाविय्यत फौरन जज़ब हो जाते हैं जब कि सख्त ज़मीन चूंकि जज्ब नहीं कर पाती इस लिये तेजाबी और जरासीमी अ-सरात बराहे रास्त जिस्म पर हम्ला आवर होते और तरह तरह के अमराज़ का बाइस बनते हैं।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 214 📚*
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❝ इस्तिन्जा का तरीका ❞
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*⇩ आका ﷺ दूर तशरीफ़ ले जाते ⇩*
╭┈► मदीने के सुल्तान, रहमते आ-लमिय्यान ﷺ की शाने अ-जमत निशान पर कुरबान कि जब क़ज़ाए हाजत को तशरीफ़ ले जाते तो इतनी दूर जाते कि कोई न देखे। या'नी या तो दरख्त या दीवार के पीछे बैठते और अगर चटयल मैदान होता तो इतनी दूर तशरीफ़ ले जाते जहां किसी की निगाह न पड़ सकती।
╭┈► यकीनन सरकारे मदीना ﷺ के हर फेल में दीनो दन्या की बे शुमार भलाइयां पिन्हां होती हैं। पेशाब करने के बाद अगर हर फ़र्द एक लोटा पानी बहा दिया करे तो बदबू और जरासीम की अफ्ज़ाइश में कमी होगी, बड़ा पेशाब करने के बाद भी जहां एक आध लोटा पानी काफ़ी हो वहां फ्लेश टेंक से पानी न बहाया जाए क्यूं कि वोह कई लोटे पर मुश्तमिल होता है।...✍🏻
📙 मिरआत जिल्द 1 सफ़ह 262
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 215 📚*
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❝ इस्तिन्जा का तरीका ❞
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*⇩ क़ज़ाए हाजत से क़ब्ल चलने के फवाइद ⇩*
╭┈► आज कल बिल खुसूस शहरों में बन्द कमरे के अन्दर ही बैतुल खुला होते हैं, जो कि जरासीम को नशवो नमा और इन के जरिए फैलने वाले अमराज के ज़राएअ हैं एक बायो केमिस्ट्री के माहिर का कहना है जब से शहरों में वुस्अत, आबादियों की कसरत और खेतों की किल्लत होने लगी है तब से अमराज़ की खूब ज़ियादत होने लगी है। क़ज़ाए हाजत के लिये जब से दूर चल कर जाना तर्क किया है कब्ज़, गेस, तबखीर और जिगर की बीमारियां बढ़ गई हैं। चलने से आंतों की ह-र-कतों में तेजी आती है। जिस के सबब हाजत तसल्ली बख्श हो जाती है, आजकल बिगैर चले (घर ही घर में) बैतुल खला में दाखिल हो जाने की वजह से बसा अवकात फ़रागत भी ताखीर से होती है।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 215 📚*
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❝ इस्तिन्जा का तरीका ❞
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*⇩ बैतुल खला जाने की 47 निय्यतें ⇩*
╭┈► फरमाने मुस्तफा ﷺ मुसलमान की निय्यत उस के अमल से बेहतर है।
╭┈► 1) सर ढांप कर।
╭┈► 2) जाने में उल्टे पाउं से। और
╭┈► 3) बाहर निकलने में सीधे पाउं से पहल कर के इत्तिबाए सुन्नत करूंगी।
╭┈► 4,5) दोनों बार या'नी दाखिले से कब्ल और निकलने के बाद, मस्नून दुआएं पढूंगी।
╭┈► 6) सिर्फ अंधेरे की सूरत में येह निय्यत कीजिये। तहारत पर मदद हासिल करने के लिये बत्ती जलाऊंगी।
╭┈► 7) फ़रागत के फौरन बा'द इसराफ़ से बचने की निय्यत से बुझा दूंगी।
╭┈► 8) हदीसे पाक *तरजमा :* पाकी निस्फ़ ईमान है पर अमल करते हुए पाउं को गन्दगी से बचाने के लिये चप्पल पहनूंगी।
╭┈► 9) पहनते हुए सीधे कदम से। और
╭┈► 10) उतारते हुए उल्टे से पहल कर के इत्तिबाए सुन्नत करूंगी।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 216 📚*
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❝ इस्तिन्जा का तरीका ❞
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*⇩ बैतुल खला जाने की 47 निय्यतें ⇩*
╭┈► 11,12) सित्र खुला होने की सूरत में इस्तिकबाले किब्ला (या'नी किब्ले की तरफ़ मुंह करने) और इस्तिदबारे किब्ला (या'नी क़िब्ले की तरफ पीठ करने) से बचूंगी।
╭┈► 13,14) ज़मीन से करीब हो कर फ़क़त हस्बे ज़रूरत सित्र खोलूंगी। इसी तरह फ़रागत के बाद
╭┈► 15) उठने से कब्ल ही सित्र छुपा लूंगी।
╭┈► 16) जो कुछ खारिज होगा उस की तरफ़ नहीं देखूगी।
╭┈► 17) पेशाब के छींटों से बचूंगी।
╭┈► 18) हया से सर झुकाए रहूंगी।
╭┈► 19) ज़रूरतन आंखें बन्द कर लूंगी और।
╭┈► 20, 21) बिला ज़रूरत शर्मगाह को देखने और छूने से बचूंगी।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 217 📚*
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❝ इस्तिन्जा का तरीका ❞
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*⇩ बैतुल खला जाने की 47 निय्यतें ⇩*
╭┈► 22 ता 26) उल्टे हाथ से ढेला पकड़ कर उल्टे ही हाथ से खुश्क कर के उल्टे हाथ की तरफ़ उल्टा (या'नी नजासत वाला हिस्सा जमीन की तरफ) रखूगी, पाक सीधी तरफ़ रखूगी, मुस्तहब ता'दाद में म-सलन तीन, पांच, सात ढेले इस्ति'माल करूंगी
╭┈► 27) पानी से तहारत करते वक़्त भी सिर्फ उल्टा हाथ शर्मगाह को लगाऊंगी
╭┈► 28) शर-ई मसाइल पर गौर नहीं करूंगी (कि बाइसे महरूमी है)
╭┈► 29) सित्र खुला होने की सूरत में बातचीत नहीं करूंगी और
╭┈► 30, 31) पेशाब वगैरा में न थूकूगी न ही इस में नाक सिनतुंगी
╭┈► 32, 33) अगर फ़ौरन हम्माम ही में वुजू करना न हुवा तो तहारत वाली हदीस पर अमल करते हुए दोनों हाथ धोऊंगी नीज़।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 217 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 242
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❝ इस्तिन्जा का तरीका ❞
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*⇩ बैतुल खला जाने की 47 निय्यतें ⇩*
╭┈► 34) जो कुछ निकला उस को बहा दूंगी (पेशाब करने के बाद अगर हर फ़र्द एक लोटा पानी बहा दिया करे तो बदबू और जरासीम की अफ़्ज़ाइश में कमी होगी, बड़ा इस्तिन्जा करने के बाद भी जहां एकआध लोटा पानी काफ़ी हो वहां फ्लेश टेंक से पानी न बहाया जाए क्यूं कि वोह कई लोटे पर मुश्तमिल होता है।
╭┈► 35) पानी से इस्तिन्जा करने के बाद पाउं के टख्ने वाले हिस्से एहतियात के साथ धो लूंगी (क्यूं कि इस मौका पर उमूमन टख़्नों की तरफ़ गन्दे पानी के छीटे आ जाते हैं।
╭┈► 36) फ़ारिग हो कर जल्दी निकलूंगी।
╭┈► 37) बे पर्दगी से बचने के लिये बैतुल खला का दरवाजा बन्द करूंगी।
╭┈► 38) मुसल्मानों को घिन से बचाने के लिये बा दे फ़रागत दरवाज़ा बन्द, करूंगी।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 218 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 243
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❝ इस्तिन्जा का तरीका ❞
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*⇩ बैतुल खला जाने की 47 निय्यतें ⇩*
*⇩ अवामी इस्तिन्जा खाने में जाते हुए येह निय्यतें भी कीजिये ⇩*
╭┈► 39-41) अगर लाइन लम्बी हुई तो सब के साथ अपनी बारी का इन्तिज़ार करूंगी, किसी की हक़ तलफ़ी नहीं करूंगी, बार बार दरवाज़ा बजा कर उस को ईज़ा नहीं दूंगी।
╭┈► 42) अगर मेरे अन्दर होते हुए किसी ने बार बार दरवाज़ा बजाया तो सब्र करूंगी।
╭┈► 43) अगर किसी को मुझ से ज़ियादा हाजत हुई और कोई सख्त मजबूरी या नमाज़ फौत होने का अन्देशा न हुवा तो ईसार करूंगी।
╭┈► 44) हत्तल इम्कान भीड़ के वक़्त इस्तिन्जा खाने जा कर भीड़ में मजीद इज़ाफ़ा कर के मुसल्मानों पर बोझ नहीं बनूंगी।
╭┈► 45) दरो दीवार पर कुछ नहीं लिखूगी।
╭┈► 46) वहां बनी हुई फोहश तस्वीरें देख कर। और
╭┈► 47) हया सोज़ तहरीरें पढ़ कर अपनी आंखों को बरोजे कियामत अपने खिलाफ गवाह नहीं बनाऊंगी।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 218 📚*
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❝ हैज़ व निफास का बयान ❞
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╭┈► *दुरूद शरीफ़ की फ़ज़ीलत :* एक बार किसी भिकारी ने कुफ्फार से सुवाल किया, उन्हों ने मज़ाकन हज़रते मौला अली करम अल्लाहु तआला वजहाहूल करीम के पास भेज दिया जो कि सामने तशरीफ़ फ़रमा थे। उस ने हाज़िर हो कर दस्ते सुवाल दराज किया। आप करम अल्लाहु तआला वजहाहूल ने दस बार दुरूद शरीफ़ पढ़ कर। उस की हथेली पर दम कर दिया और फ़रमाया मुठ्ठी बन्द कर लो और जिन लोगों ने भेजा है उन के सामने जा कर खोल दो (कुफ्फार हंस रहे थे कि खाली फूंक मारने से क्या होता है!) मगर जब साइल ने उन के सामने जा कर मुठ्ठी खोली तो वोह सोने के दीनारों से भरी हुई थी येह करामत देख कर कई काफ़िर मुसल्मान हो गए।
╭┈► अल्लाह तआला इर्शाद फ़रमाता है
*तर-ज-मए कन्जुल ईमान :* और तुम से पूछते हैं हैज़ का हुक्म तुम फरमाओ वोह नापाकी है, तो औरतों से अलग रहो हैज़ के दिनों, और उन से नज़्दीकी न करो, जब तक पाक न हो लें, फिर जब पाक हो जाएं तो उन के पास जाओ जहां से तुम्हें अल्लाह अज़्ज़वजल ने हुक्म दिया।
╭┈► सदरुल अफ़ाज़िल हज़रते अल्लामा मौलाना सय्यिद मुहम्मद नईमुद्दीन मुरादआबादी अलैहिर्रहमा इस आयत के तहत तफ्सीरे ख़ज़ाइनुल इरफ़ान में लिखते हैं अरब के लोग यहूद व मजूस की तरह हाएज़ा औरतों से कमाले नफरत करते थे। साथ खाना पीना एक मकान में रहना गवारा न था बल्कि शिद्दत यहां तक पहुंच गई थी कि उन की तरफ़ देखना और उन से कलाम करना भी हराम समझते थे। और नसारा (या'नी क्रिस्चेन) इस के बर अक्स हैज़ के अय्याम में औरतों के साथ बड़ी महब्बत से मश्गूल होते थे और इख्तिलात (मेलजोल) में बहुत मुबा-लगा करते थे। मुसलमानों ने हुजूर ﷺ से हैज़ का हुक्म दरयाफ़्त किया, इस पर येह आयत नाज़िल हुई और इफ्रातो तफ्रीत (या'नी बढ़ाने घटाने) की राहें छोड़ कर ए'तिदाल। (मियाना रवी) को ता'लीम फ़रमाई गई और बता दिया गया कि हालते हैज़ में औरतों से मुजा-म-अत (या'नी सोहबत) मम्नूअ है।...✍🏻
📙 तफ़्सीरे खजाइनुल इरफान, सफ़ह 56
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 219 📚*
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❝ हैज़ व निफास का बयान ❞
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*⇩ हैज़ किसे कहते हैं ⇩*
╭┈► बालिगा औरत के आगे के मकाम से जो खून आदत के तौर पर निकलता है और बीमारी या बच्चा पैदा होने के सबब से न हो तो उसे हैज़ कहते हैं।
📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 2, सफ़ह 93
╭┈► हैज़ के लिये माहवारी, अय्याम, अय्याम से होना, महीना, महीना आना, महीने से होना, बारी के दिन और MONTHLY COURSE (मंथली कोर्स) वगैरा अल्फ़ाज़ भी बोले जाते हैं।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 220 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 246
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❝ हैज़ व निफास का बयान ❞
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*⇩ इस्तिहाज़ा किसे कहते हैं ? ⇩*
╭┈► जो खून बीमारी को वज्ह से आए, उस को इस्तिहाज़ा कहते है हैं। उम्मुल मुअमिनीन हज़रते सय्यि दतुना उम्मे सलमह रादिअल्लाहु तआला अन्हा से रिवायत है कि रसूले अकरम, नूरे मुजस्सम, शाहे बनी आदम ﷺ के अहदे मुबारक में एक औरत के अगले मकाम से खून बहता रहता था। उस के लिये उम्मुल मुअमिनीन हज़रते सय्यि-दतुना उम्मे स-लमह रादिअल्लाहु तआला अन्हा ने हुजूरे अकरम ﷺ से फ़तवा पूछा। इर्शाद फरमाया इस बीमारी से पहले महीने में जितने दिन व रातें हैज़ आता था, उन की गिनती शुमार कर के महीने में उन ही की मिक्दार नमाज़ छोड़ दे और जब वोह दिन जाते रहें तो गुस्ल करे और शर्मगाह पर कपड़ा बांध कर नमाज़ पढ़े।...✍🏻
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❝ हैज़ व निफास का बयान ❞
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*⇩ हैज़ के रंग ⇩*
╭┈► हैज़ के छ रंग है 1), सियाह 2), सुर्ख 3), सब्ज़ 4), ज़र्द 5), गदला 6), मटियाला। सफेद रंग की रतूबत हैज नहीं।
📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 2, सफ़ह 95
╭┈► याद रहे कि औरत के अगले मकाम से जो खालिस रतूबत बे आमेज़िशे खून निकलती है उस से वुजू नहीं टूटता अगर कपड़े में लग जाए तो कपड़ा पाक है।
📔 ऐज़न, सफ़ह 26
*नोट :* ⚠ हम्ल वाली औरत को जो खून आया वोह इस्तिहाज़ा है।...✍🏻
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*⇩ हैज़ की हिक्मत ⇩*
╭┈► बालिगा औरत के बदन में फ़ित-रतन ज़रूरत से कुछ जियादा खून पैदा होता है कि हम्ल की हालत में वोह खून बच्चे की गिजा में काम आए और बच्चे के दूध पीने के ज़माने में वोही खून दूध हो जाए अगर ऐसा न हो तो हम्ल और दूध पिलाने के जमाने में इस की जान पर बन जाए येही वह है कि हम्ल और इब्तिदाए शीर ख्वारगी (या'नी दूध पिलाने) में खून नहीं आता और जिस ज़माने में न हम्ल हो और न दूध पिलाना तब वोह खून अगर बदन से न निकले तो किस्म किस्म की बीमारियां हो जाएं।
📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 2, सफ़ह 93
*⇩ हैज़ की मुद्दत ⇩*
╭┈► हैज़ की कम से कम मुद्दत तीन दिन और तीन रातें या'नी पूरे 72 घन्टे हैं। अगर एक मिनट भी कम हुवा तो वोह हैज़ नहीं बल्कि इस्तिहाजा या'नी बीमारी का खून है और ज़ियादा से जियादा मुद्दत दस दिन और दस रातें या'नी 240 घन्टे हैं।...✍🏻
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❝ हैज़ व निफास का बयान ❞
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*⇩ कैसे मालूम हो कि इस्तिहाज़ा है ⇩*
╭┈► अगर दस दिन और दस रात से ज़ियादा खून आया तो अगर येह हैज़ पहली मर्तबा आया है तो दस दिन तक हैज माना जाएगा। और इस के बाद जो खून आया वोह इस्तिहाज़ा है, और अगर पहले औरत को हैज़ आ चुके हैं और इस की आदत दस दिन से कम थी तो आदत से जितने दिन ज़ियादा खून आया वोह इस्तिहाज़ा है, मिसाल के तौर पर किसी औरत को हर महीने में पांच दिन हैज़ आने की आदत थी अब की मर्तबा दस दिन आया तो येह दसों दिन हैज़ के माने जाएंगे अलबत्ता अगर बारह दिन खून आया तो आदत वाले पांच दिन हैज़ के माने जाएंगे और सात दिन इस्तिहाजे के और अगर एक आदत मुकर्रर न थी बल्कि किसी महीने चार दिन तो किसी महीने सात दिन हैज़ आता था तो पिछली मर्तबा जितने दिन हैज़ के थे वोही अब भी हैज़ के दिन माने जाएंगे, और बाकी इस्तिहाजे का खून होगा।...✍🏻
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❝ हैज़ व निफास का बयान ❞
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*⇩ हैज़ की कम अज़ कम और इन्तिहाई उम्र ⇩*
╭┈► कम से कम 9 बरस की उम्र से हैज़ शुरू होगा और हैज़ आने की इन्तिहाई उम्र पचपन साल है। इस उम्र वाली को आएसा (या'नी हैज़ व औलाद से ना उम्मीद होने वाली) कहते हैं।
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 2, सफ़ह 94
╭┈► नव बरस की उम्र से पहले जो खून आएगा वोह हैज नहीं बल्कि इस्तिहाज़ा है यूं ही 55 बरस की उम्र के बाद जो आएगा वोह भी इस्तिहाज़ा है। लेकिन अगर किसी को 55 बरस की उम्र के बा'द भी ख़ालिस खून बिल्कुल ऐसे ही रंग का आया जैसा कि हैज़ के जमाने में आया करता था तो उस को हैज़ मान लिया जाएगा।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 223 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 251
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❝ हैज़ व निफास का बयान ❞
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*⇩ दो हैज़ के दरमियान कम अज़ कम फ़ासिला ⇩*
╭┈► दो हैजों के दरमियान कम से कम पूरे 15 दिन का फ़ासिला ज़रूरी है। इस्लामी बहन को चाहिये कि वोह है आने की मुद्दत अच्छी तरह याद रखे या लिख ले ताकि शरीअते मुतह्हरा पर अहसन तरीके से अमल कर सके, मुद्दते हैज याद न रखने की सूरत में बहुत सी पेचीदगियां हो जाती हैं।
*⇩ अहम मस्अला ⇩*
╭┈► येह ज़रूरी नहीं कि मुद्दत में हर वक़्त खून जारी रहे जब ही हैज़ हो बल्कि अगर बा'ज़ बाज़ वक़्त भी आए, जब भी हैज़ है।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 224 📚*
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❝ हैज़ व निफास का बयान ❞
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*⇩ निफ़ास का बयान ⇩*
╭┈► बच्चा होने के बाद औरत के आगे के मक़ाम से जो खून आता है वोह निफास कहलाता है।
*⇩ निफ़ास की ज़रूरी वजाहत ⇩*
╭┈► अक्सर इस्लामी बहनों में येह मशहूर है कि बच्चा जनने के बा'द इस्लामी बहन 40 दिन तक लाज़िमी तौर पर नापाक रहती है येह बात बिल्कुल गलत है। बराए करम ! निफ़ास की ज़रूरी वजाहत ! पढ़ लीजिये :
╭┈► निफ़ास की ज़ियादा से ज़ियादा मुद्दत 40 दिन है या'नी अगर 40 दिन के बाद भी बन्द न हो तो मरज़ है। लिहाज़ा 40 दिन पूरे होते ही गुस्ल कर ले और 40 दिन से पहले बन्द हो जाए ख्वाह बच्चे की विलादत के बाद एक मिनट ही में बन्द हो जाए तो जिस वक़्त भी बन्द हो गुस्ल कर ले और नमाज़ व रोज़ा शुरू हो गए अगर 40 दिन के अन्दर अन्दर दोबारा खून आ गया तो शुरूए विलादत से ख़त्मे खून तक सब दिन निफ़ास ही के शुमार होंगे। म-सलन विलादत के बाद दो मिनट तक खून आ कर बन्द हो गया और गुस्ल कर के नमाज़ रोज़ा वगैरा करती रही, 40 दिन पूरे होने में फ़क़त दो मिनट बाकी थे कि फिर खून आ गया तो सारा चिल्ला या'नी मुकम्मल 40 दिन निफ़ास के ठहरेंगे जो भी नमाजें पढ़ी या रोज़े रखे सब बेकार गए, यहां तक कि अगर इस दौरान फ़र्ज़ व वाजिब नमाज़ें या रोजे क़ज़ा किये थे तो वोह भी फिर से अदा करे।...✍🏻
📕 माखूज अज़ फ़्तावा र-ज़विय्या जिल्द 4 सफ़ह 354 ता 356
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 224 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 253
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❝ हैज़ व निफास का बयान ❞
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*⇩ निफास के मु-तअल्लिक कुछ ज़रूरी मसाइल ⇩*
╭┈► किसी औरत को 40 दिन व रात से ज़ियादा निफ़ास का खून आया, अगर पहला बच्चा पैदा हुवा है तो 40 दिन रात निफ़ास है, बाकी जितने अय्याम 40 दिन रात से ज़ियादा हुए हैं वोह इस्तिहाजे के हैं। और अगर इस से पहले भी बच्चा तो पैदा हुवा था मगर येह याद नहीं रहा कि कितने दिन खून आया था तो इस सूरत में भी येही मस्अला होगा या'नी 40 दिन रात निफ़ास के और बाकी इस्तिहाजे के और अगर पहले बच्चे के पैदा होने पर खून आने के दिन याद हैं म-सलन पहले जो बच्चा पैदा हुवा था तो 30 दिन रात खून आया था तो इस सूरत में 30 दिन रात निफ़ास के हैं बाक़ी इस्तिहाजे के म-सलन पहले बच्चे के पैदा होने पर 30 दिन रात खून आया था और दूसरे बच्चे की पैदाइश पर 50 दिन रात खून आया तो 30 दिन निफास के होंगे बाकी 20 दिन रात इस्तिहाजे के।...✍🏻
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 2 सफ़ह 99
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 225 📚*
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❝ हैज़ व निफास का बयान ❞
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*⇩ हम्ल साकित हो जाए तो ⇩*
╭┈► हम्ल साक़ित हो गया और उस का कोई उज्व बन चुका है जैसे हाथ, पाउं या उंग्लियां, तो येह खून निफ़ास है वरना अगर तीन दिन रात तक रहा और इस से पहले पन्दरह दिन पाक रहने का ज़माना गुज़र चुका है तो हैज़ है और जो तीन दिन से पहले ही बन्द हो गया, या अभी पूरे पन्दरह दिन तहारत के नहीं गुज़रे हैं तो इस्तिहाज़ा है।...✍🏻
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 2 सफ़ह 99
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 226 📚*
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❝ हैज़ व निफास का बयान ❞
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*⇩ चन्द गलत फहमियों का इज़ाला ⇩*
╭┈► बच्चा जनने के बाद से ले कर निफ़ास से पाक होने तक औरत जच्चा कहलाती है ऐसी औरत या'नी जच्चा को जच्चा खाने से निकलना जाइज़ है। उस को साथ खिलाने या उस का झूटा खाने में कोई हरज नहीं, बा'ज़ इस्लामी बहनें जच्चा के बरतन तक अलग कर देती हैं बल्कि उन बरतनों को एक तरह से नापाक समझती हैं ऐसी बेहूदा रस्मों से एहतियात लाज़िम है। इसी तरह येह मस्अला भी। मन घड़त है कि जच्चा (निस वाली) जब गुस्ल करे तो वोह चालीस लोटों के पानी से गुस्ल करे वरना गुस्ल नहीं उतरेगा सहीह मस्अला येह है कि अपनी ज़रूरत के मुताबिक़ पानी इस्ति'माल करे।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 226 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 256
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❝ हैज़ व निफास का बयान ❞
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 257
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❝ हैज़ व निफास का बयान ❞
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❝ हैज़ व निफास का बयान ❞
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 259
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❝ हैज़ व निफास का बयान ❞
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❝ हैज़ व निफास का बयान ❞
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 261
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❝हैज़ व निफास का बयान ❞
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 262
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❝हैज़ व निफास का बयान ❞
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 263
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❝ हैज़ व निफास का बयान ❞
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 215
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❝ इस्तिन्जा का तरीका ❞
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*⇩ दुरूद शरीफ़ की फ़ज़ीलत ⇩*
╭┈► हुज़ूर नबी ए करीम ﷺ का इर्शादे नूरबार है तुम अपनी मजलिसों को मुझ पर दुरूदे पाक पढ़ कर आरास्ता करो क्यूं कि तुम्हारा मुझ पर दुरूदे पाक पढ़ना बरोजे क़ियामत तुम्हारे लिये नूर होगा।
*⇩ अज़ाब में तख़्फीफ़ हो गई ⇩*
╭┈► हज़रते सय्यिदुना इब्ने अब्बास रादिअल्लाहु तआला अन्हु से मरवी है कि सरकारे दो आलम, नूरे मुजस्सम शाहे बनी आदम, रसूले मुहूतशम ﷺ दो क़ब्रों के पास से गुज़रे (तो गैब की ख़बर देते हुए) फ़रमाया येह दोनों कब्र वाले अज़ाब दिये जा रहे हैं और किसी बड़ी चीज़ में (जिस से बचना दुशवार हो) अज़ाब नहीं दिये जा रहे बल्कि एक तो पेशाब के छींटों से नहीं बचता था और दूसरा चुग़ल ख़ोरी किया करता था। फिर आप ﷺ ने खजूर ताज़ा टहनी मंगवाई और उसे आधों आध चीरा और हर एक की कब्र पर एक एक हिस्सा गाड़ दिया और फ़रमाया जब तक येह खुश्क न हों तब तक इन दोनों के अज़ाब में तख़्फीफ़ होगी।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 201-202 📚*
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❝ इस्तिन्जा का तरीका ❞
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╭┈► 1) इस्तिन्जा ख़ाने में जिन्नात और शयातीन रहते हैं अगर जाने से पहले बिस्मिल्लाह पढ़ लो जाए तो इस की ब-र-कत से वोह सित्र देख नहीं सकते। हदीसे पाक में है जिन की आंखों और लोगों के सित्र के दरमियान पर्दा येह है कि जब पाखाने को जाए तो बिस्मिल्लाह कह ले। या'नी जैसे दीवार और पर्दे लोगों की निगाह के लिये आड़ बनते हैं ऐसे ही येह अल्लाह अज़्ज़वजल का ज़िक्र जिन्नात की निगाहों से आड़ बनेगा कि जिन्नात उस को देख न सकेंगे।
📙 मिरआत जिल्द 1 सफ़ह 268
╭┈► 2) इस्तिन्जा खाने में दाखिल होने से पहले बिस्मिल्लाह पढ़ लीजिये। बल्कि बेहतर है कि येह दुआ पढ़ लीजिये। (अव्वल व आखिर दुरूद शरीफ़)
بَسْمِ اللّٰهِ اَللّٰھُمَّ اِنِّیْ اَعُوْذُبِكَ مِنَ الْخُبُثِ وَالْخَبَائِثِ
╭┈► या'नी अल्लाह के नाम से शुरूअ, या अल्लाह मैं नापाक जिन्नों (नर व मादा) से तेरी पनाह मांगता (मांगती) हूं।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 202 📚*
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❝ इस्तिन्जा का तरीका ❞
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╭┈► 3) फिर पहले उल्टा क़दम इस्तिन्जा खाने में रख कर दाखिल हों।
╭┈► 4) सर पर दुपट्टा वगैरा अच्छी तरह लपेट लीजिये ताकि उस का कनारा वगैरा नजासत में गिर कर नापाक न हो जाए।
╭┈► 5) नंगे सर इस्तिन्जा खाने में दाखिल होना मम्नूअ है।
╭┈► 6) जब पेशाब करने या क़ज़ाए हाजत के लिये बैठे तो मुंह और पीठ दोनों में से कोई भी किब्ले की तरफ न हो अगर भूल कर किब्ले की तरफ मुंह या पुश्त कर के बैठ गई तो याद आते ही फ़ौरन किब्ले की तरफ से इस तरह रुख बदल दे कि कम अज़ कम 45 डिग्री से बाहर हो जाए इस में उम्मीद है कि फौरन उस के लिये मग़फिरत व बख्शिश फ़रमा दी जाए।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 203 📚*
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❝ इस्तिन्जा का तरीका ❞
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╭┈► 7) अक्सर इस्लामी बहनें बच्चे ! को पेशाब या पाखाने के लिये जब बिठाती हैं तो किब्ले की सम्त का खयाल नहीं रखती, लिहाजा उन को चाहिये कि बच्चे को इस तरह बिठाए कि उस का मुंह या पीठ किल्ले को न हो। अगर किसी ने ऐसा किया तो वोह गुनहगार होगी।
╭┈► 8) जब तक क़ज़ाए हाजत के लिये बैठने के करीब न हो कपड़ा बदन से न हटाए और न ही हाजत से ज़ियादा बदन खोले।
╭┈► 9) फिर दोनों पाउं ज़रा कुशादा कर के बाएं (या'नी उल्टे) पाउं पर जोर दे कर बैठे कि इस तरह बड़ी आंत का मुंह खुलता है और इजाबत आसानी से होती है।
╭┈► 10) किसी दीनी मस्अले पर गौर न करे कि महरूमी का बाइस है।
╭┈► 11) उस वक्त छींक
╭┈► 12) सलाम या
╭┈► 13) अजान का जवाब जबान से न दे।
╭┈► 14) अगर खुद छींके तो जबान से अल्हम्दु लिल्लाह न कहे, दिल में कह ले।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 203 📚*
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❝ इस्तिन्जा का तरीका ❞
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╭┈► 15) बातचीत न करे।
╭┈► 16) अपनी शर्मगाह की तरफ़ न देखे।
╭┈► 17) उस नजासत को न देखे जो बदन से निकली है।
╭┈► 18) ख्वाह मख्वाह देर तक इस्तिन्जा खाने में न बैठे कि बवासीर होने का अन्देशा है।
╭┈► 19) ता 25) पेशाब में न थूके, न नाक साफ़ करे, न बिला ज़रूरत खन्कारे, न बार बार इधर उधर देखे, न बेकार बदन छूए, न आस्मान की तरफ़ निगाह करे, बल्कि शर्म के साथ, सर झुकाए रहे।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 204 📚*
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❝ इस्तिन्जा का तरीका ❞
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╭┈► 26) क़ज़ाए हाजत से फ़ारिग होने के बाद पहले पेशाब का मक़ाम धोए फिर पाखाने का मकाम।
╭┈► 27) औरत के लिये पानी से इस्तिन्ना करने का मुस्तहब तरीका यह है कि ज़रा कुशादा हो कर बैठे और सीधे हाथ से आहिस्ता आहिस्ता पानी डाले और उल्टे हाथ की हथेली से नजासत के मकाम को धोए, लोटा ऊंचा रखे कि छींटें न पड़ें सीधे हाथ से इस्तिन्जा करना मक्रूह है और धोने में मुबा-लगा करे या'नी सांस का दबाव नीचे की जानिब डाले यहां तक कि अच्छी तरह नजासत का मकाम धुल जाए या'नी इस तरह कि चिकनाई का असर बाक़ी न रहे अगर औरत रोज़ादार हो तो फिर मुबा लगा न करे।
╭┈► 28) तहारत हासिल होने के बाद हाथ भी पाक हो गए लेकिन बाद में साबुन वगैरा से भी धो ले।
📗 बहारे शरीअत, हिस्सा 2 सफ़ह 131-132
╭┈► 29) जब इस्तिन्जा खाने से निकले तो पहले सीधा क़दम बाहर निकाले और बाहर निकलने के बाद (अव्वल आखिर दुरूद शरीफ के साथ) येह दुआ पढ़े
اَلْحَمْدُ لِلّٰهِ الَّذِیْ اَذْھَبَ عَنِّی الْاَذٰی وَعَافَانِیْ
╭┈► या'नी अल्लाह तआला का शुक्र है जिस ने मुझ से तक्लीफ़देह चीज़ को दूर किया। और मुझे आफ़िय्यत (राहत) बख्शी।
╭┈► बेहतर येह है कि साथ में येह दुआ भी मिला ले इस तरह दो हदीसों पर अमल हो जाएगा غُفْرَانَكَ तरजमा : मैं अल्लाह अज़्ज़वजल से मग़फ़िरत का सुवाल करता (करती) हूं।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 204-205 📚*
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❝ इस्तिन्जा का तरीका ❞
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*⇩ आबे ज़मज़म से इस्तिन्जा करना कैसा ⇩*
╭┈► 1) ज़मज़म शरीफ़ से इस्तिन्जा करना मकरुह है और ढेला न लिया हो तो ना जाइज़।
📗 बहारे शरीअत हिस्सा 2 सफ़ह 135
╭┈► 2) वुज़ू के बकिय्या पानी से तहारत करना खिलाफे औला है।
╭┈► 3) तहारत के बचे हुए पानी से वुजू कर सकते हैं, बा'ज़ लोग जो उस को फेंक देते हैं येह न चाहिये इसराफ़ में दाखिल है।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 205 📚*
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❝ इस्तिन्जा का तरीका ❞
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*⇩ इस्तिन्जा खाना का रुख दुरुस्त रखिये ⇩*
╭┈► अगर खुदा न ख्वास्ता आप के घर के इस्तिन्जा खाने का रुख गलत है या'नी बैठते वक़्त किब्ले की तरफ मुंह या पीठ होती है तो इस को दुरुस्त करने की फौरन तरकीब कीजिये मगर येह ज़ेहन में रहे कि मा'मूली सा तिरछा करना काफी नहीं। W.C. इस तरह हो कि बैठते वक़्त मुंह या पीठ किब्ले से 45 डिग्री के बाहर रहे। आसानी इसी में है कि क़िब्ले से 90 डिग्री पर रुख रखिये। या'नी नमाज़ के बाद दोनों! बार सलाम फैरने में जिस तरफ़ मुंह करते हैं उन दोनों सम्तों में से किसी एक जानिब w.c. का रुख रखिये।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 205 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 223
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❝ इस्तिन्जा का तरीका ❞
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*⇩ इस्तिन्जा के बाद क़दम धो लीजिये ⇩*
╭┈► पानी से इस्तिन्जा करते वक़्त उमूमन पाउं के टलों की तरफ़ छीटें आ जाते हैं लिहाज़ा एहतियात इसी में है कि बा'दे फ़रागत कदमों के वोह हिस्से धो कर पाक कर लिये जाएं मगर येह खयाल रहे कि धोने के दौरान अपने कपड़ों या दीगर चीज़ों पर छींटे न पड़ें।
*⇩ बिल में पेशाब करना ⇩*
╭┈► रहमत वाले आका, दो जहां के दाता, शाफेए रोजे जज़ा, मक्की म दनी मुस्तफा, महबूबे किब्रिया ﷺ का फ़रमाने शफ्क़त निशान है तुम में से कोई शख्स सूराख में पेशाब न करे।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 206 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 224
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❝ इस्तिन्जा का तरीका ❞
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*⇩ जिन्न ने शहीद कर दिया ⇩*
╭┈► मुफस्सिरे शहीर हकीमुल उम्मत हज़रते मुफ्ती अहमद यार, खान अलैहिर्रहमा फ़रमाते हैं जुहूर से मुराद या जमीन का सूराख है या दीवार की फटन (या'नी दराड़), चूंकि अक्सर सूराखों में जहरीले ! जानवर (या) च्यूंटियां वगैरा कमज़ोर जानवर या जिन्नात रहते हैं, च्यूंटियां पेशाब या पानी से तकलीफ़ पाएंगी या सांप व जिन्न निकल कर हमें तकलीफ़ देंगे, इस लिये वहां पेशाब करना मन्अ फ़रमाया गया।
╭┈► चुनान्चे (हज़रते सय्यिदुना) सा'द इब्ने उबादा अन्सारी (रादिअल्लाहु तआला अन्हु) की वफ़ात इसी से हुई कि आप रादिअल्लाहु तआला अन्हु ने एक सूराख में पेशाब किया, जिन्न ने निकल कर आप को शहीद कर दिया। लोगों ने उस सूराख से येह आवाज़ सुनी *तरजमा :* यानी हम ने कबौलए खज़रज के सरदार सा'द बिन उबादा रादिअल्लाहु तआला अन्हु को शहीद कर दिया और हम ने (ऐसा) तीर मारा जो उन के दिल से आर पार हो गया।
🤲🏻 ⚘ अल्लाहु रब्बुल इज़्ज़त अज़्ज़लजल की उन पर रहमत हो और उन के सदके हमारी मग़फिरत हो।...✍🏻 आमीन
📙 मिरआत जिल्द 1 सफ़ह 267
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 206-207 📚*
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❝ इस्तिन्जा का तरीका ❞
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*⇩ हम्माम में पेशाब करना ⇩*
╭┈► सरकारे मदीनए मुनव्वरह, सरदारे मक्कए मुकर्रमा ﷺ ने फ़रमाया कोई गुस्ल खाने में पेशाब न करे, फिर उस में नहाए या वुजू करे कि अक्सर वस्वसे इस से होते हैं।
╭┈► मुफस्सिरे शहीर हकीमुल उम्मत हज़रते मुफ्ती अहमद यार ख़ान रहमतुल्लाहि तआला अलैह इस हदीसे पाक के तहत फ़रमाते हैं अगर गुस्ल ख़ाने की ज़मीन पुख्ता हो, और उस में पानी खारिज होने की नाली भी हो तो वहां पेशाब करने में हरज नहीं अगर्चे बेहतर है कि न करे, लेकिन अगर ज़मीन कच्ची हो, और पानी निकलने का रास्ता भी न हो तो पेशाब करना सख्त बुरा है कि ज़मीन नजिस हो जाएगी, और गुस्ल या वुजू में गन्दा पानी जिस्म पर पड़ेगा। यहां दूसरी सूरत ही मुराद है इस लिये ताकीदी मुमा-न-अत फ़रमाई गई, या'नी इस से वस्वसों और वहम की बीमारी पैदा होती है जैसा कि तजरिबा है या गन्दी छीटें पड़ने का वस्वसा रहेगा।...✍🏻
📙 मिरआत जिल्द 1 सफ़ह 266
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 207 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 226
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❝ इस्तिन्जा का तरीका ❞
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*⇩ इस्तिन्जा के ढेलों के अहकाम ⇩*
╭┈► 1) आगे पीछे से जब नजासत निकले तो ढेलों से इस्तिन्जा करना सुन्नत है, और अगर सिर्फ पानी ही से तहारत कर ली तो भी जाइज़ है, मगर मुस्तहब येह है कि ढेले लेने के बाद पानी से तहारत करे। फ़तावा र-ज़विय्या मुखर्रजा जिल्द 4 सफ्हा 598 पर है सुवाल औरत बा'दे पेशाब कुलूख (या'नी ढेला) ले या सिर्फ पानी से इस्तिन्जा करे ? जवाब : दोनों का जम्अ करना अफ़ज़ल है और इस के हक़ में कुलूख (या'नी ढेले) से कपड़ा बेहतर है।
╭┈► 2) आगे और पीछे से पेशाब, पाखाना के सिवा कोई और नजासत, म-सलन खून, पीप, वगैरा, निकले, या उस जगहे खारिज से नजासत लग जाए तो भी ढेले से साफ़ कर लेने से तहारत हो जाएगी, जब कि उस मौजअ (या'नी जगह) से बाहर न हो मगर धो डालना मुस्तहब है।
╭┈► 3) ढेलों की कोई तादाद मुअय्यन (या'नी मुकर्ररा ता'दाद) सुनत नहीं, बल्कि जितने से सफ़ाई हो जाए, तो अगर एक से सफाई हो गई सुन्नत अदा हो गई और अगर तीन ढेले लिये और सफाई न हुई सुन्नत अदा न हुई, अलबत्ता, मुस्तहब येह है कि ताक (म-सलन एक, तीन, पांच) हों और कम से कम तीन हों तो अगर एक या दो से सफाई हो गई तो तीन की गिनती पूरी करे, और अगर चार से सफाई हो तो एक और ले, कि ताक हो जाएं।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 208 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 227
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❝ इस्तिन्जा का तरीका ❞
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*⇩ इस्तिन्जा के ढेलों के अहकाम ⇩*
╭┈► 4) ढेलों से तहारत उस वक़्त होगी कि नजासत से मख्रज (या'नी खारिज होने की जगह) के आस पास की जगह एक दिरहम' से ज़ियादा आलूदा न हो और अगर दिरहम से ज़ियादा सन जाए तो धोना फर्ज है, मगर ढेले लेना अब भी सुन्नत रहेगा।
╭┈► 5) कंकर, पथ्थर, फटा हुवा कपड़ा, (फटा हुवा कपड़ा या दरजी की बे कीमत कतरन बेहतर येह। है कि सूती (COTTON) हो ताकि जल्द जज्ब कर ले) येह सब ढेले के हुक्म में हैं, इन से भी साफ़ कर लेना बिला कराहत जाइज़ है।
╭┈► 6) हड्डी और खाने और गोबर और पक्की ईट और ठेकरी और शीशा और कोएले और जानवर के चारे से और ऐसी चीज़ से जिस की कुछ कीमत हो, अगर्चे एकआध पैसा ही सही, इन चीज़ों से इस इस्तिन्जा करना मकरुह है।
╭┈► 7) कागज़ से इस्तिन्जा मन्अ है, अगर्चे उस पर कुछ लिखा न हो, या अबू जल ऐसे काफ़िर का नाम लिखा हो।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 209 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 228
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❝ इस्तिन्जा का तरीका ❞
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*⇩ इस्तिन्जा के ढेलों के अहकाम ⇩*
╭┈► 8) दाने (या'नी सीधे) हाथ से इस्तिन्जा करना मकरूह है, अगर किसी का बायां हाथ बेकार हो गया, तो उसे दहने (सीधे) हाथ से जाइज़ है।
╭┈► 9) जिस ढेले से एक बार इस्तिन्जा कर लिया उसे दोबारा काम में लाना मकरुह है, मगर दूसरी करवट उस को साफ़ हो तो उस से कर सकते हैं।
╭┈► 10) औरत के लिये तरीका यह है कि पहला ढेला आगे से पीछे को ले जाए, और दूसरा पीछे से आगे की तरफ़, और तीसरा आगे से पीछे को।
╭┈► 11) पाक ढेले दाह्नी (सीधी) जानिब रखना और बा'द काम में लाने के, बाई (उल्टे हाथ की) तरफ़ डाल देना, इस तरह पर कि जिस रुख में नजासत लगी हो नीचे हो, मुस्तहब है।
📗 बहारे शरीअत, हिस्सा 2 सफ़ह 132-134
╭┈► 12) टोयलेट पेपर के इस्ति'माल की उ-लमा ने इजाज़त दी है क्यूं कि येह इसी मक्सद के लिये बनाया गया है और लिखने में काम नहीं आता। अलबत्ता बेहतर मिट्टी का ढेला है।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 209-210 📚*
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❝ इस्तिन्जा का तरीका ❞
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*⇩ मिट्टी का ढेला और साइन्सी तहकीक़ ⇩*
╭┈► एक तहकीक़ के मुताबिक मिट्टी में नौशादर (AMMONIUM ECHLORIDE) नीज़ बदबू दूर करने वाले बेहतरीन अज्ज़ा मौजूद हैं। पेशाब और फुज्ला जरासीम से लबरेज़ होता है, इस का जिस्मे इन्सानी, पर लगना नुक्सान देह है। इस के अज्ज़ा बदन पर चिपके रह जाने की सूरत में तरह तरह की बीमारियां पैदा होने का अन्देशा है। डॉक्टर हलोक" लिखता है : इस्तिन्जा के मिट्टी के ढेले ने साइन्सी दुन्या को वर्तुए हैरत में डाल रखा है। मिट्टी के तमाम अज्ज़ा जरासीम के कातिल होते हैं लिहाज़ा मिट्टी के ढेले के इस्ति'माल से पर्दे की जगह पर मौजूद जरासीम का ख़ातिमा हो जाता है बल्कि इस का इस्ति'माल “पर्दे की जगह के केन्सर" से बचाता है।...✍🏻
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❝ इस्तिन्जा का तरीका ❞
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*⇩ बुढ्ढे काफ़िर डोक्टर का इन्किशाफ़ ⇩*
╭┈► इस्लामी बहनो सुन्नत के मुताबिक़ क़ज़ाए हाजत करने में आखिरत की सआदत और दुन्या में बीमारियों से हिफ़ाज़त है। कुफ्फार भी इस्लामी अत़वार का ख्वाही न ख्वाही इक़रार कर ही लेते हैं। इस की झलक इस हिकायत में मुला-हज़ा फ़रमाइये चुनान्चे फिजियोलोजी ! के एक सीनियर प्रोफेसर का बयान है मैं उन दिनों मराकिश में था, मुझे बुखार आ गया, दवा के लिये एक गैर मुस्लिम बुट्टे घाघ डोक्टर के पास पहुंचा, उस ने पूछा क्या मुसल्मान हो ? मैं ने कहा हां! मुसल्मान हूं और पाकिस्तानी हूं येह सुन कर कहने लगा अगर तुम्हारे पाकिस्तान में एक तरीका जो खुद तुम्हारे नबी, ﷺ का बताया हुवा है जिन्दा हो जाए तो पाकिस्तानी बहुत सारे अमराज़ से, बच जाएं मैं ने हैरत से पूछा वोह कौन सा तरीका है बोला अगर कज़ाए हाजत के लिये इस्लामी तरीके पर बैठा जाए तो एपेन्डे साइटिस (APPENDICITIS), दाइमी कब्ज, बवासीर और गुर्दो ! के अमराज़ नहीं होंगे।...✍🏻
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❝ इस्तिन्जा का तरीका ❞
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*⇩ रफए हाजत के लिये बैठने का तरीका ⇩*
╭┈► इस्लामी बहनो यकीनन आप भी जानना चाहेंगी कि वोह करिश्माती तरीका कौन सा है तो सुनिये हज़रते सय्यिदुना सुराका ! बिन मालिक रादिअल्लाहु तआला अन्हु फ़रमाते हैं हमें ताजदारे रिसालत, महबूबे रब्बुल इज्जत सरापा अ-ज-मतो व शराफ़त ﷺ ने हुक्म दिया कि हम रफ़्ए हाजत के वक़्त बाएं (उल्टे) पाउं पर वज़्न दें और दायां पाउं खड़ा रखें।
*⇩ बाएं पाउं पर वज़न डालने की हिक्मत ⇩*
╭┈► रफ़्ए हाजत के वक़्त उक्डूं बैठ कर दायां (सीधा) पाउं खड़ा या'नी ! अपनी अस्ली हालत पर (NORMAL) रख कर बाएं या'नी उल्टे पाउं पर वज़्न देने से बड़ी आंत जो कि उल्टी तरफ होती है और उसी में फुज्ला होता है उस का मुंह अच्छी तरह खुल जाता और ब आसानी फ़राग़त हो जाती और पेट अच्छी तरह साफ़ हो जाता है और जब पेट साफ हो जाएगा तो बहुत सारी बीमारियों से तहफ्फुज हासिल रहेगा।...✍🏻
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❝ इस्तिन्जा का तरीका ❞
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*⇩ कुर्सी नुमा कमोड ⇩*
╭┈► अफ़सोस ! आज कल इस्तिन्जा के लिये कमोड (COMMODE) आम होता जा रहा है इस पर कुर्सी की तरह बैठने के सबब टांगें पूरी तरह नहीं खुलती, उक्डूं बैठने की तरकीब न होने के सबब उल्टे पाउं पर वजन भी नहीं दिया जा सकता और यूं आंतों और मे'दे पर जोर नहीं पड़ता इस लिये बराबर फ़रागत नहीं हो पाती कुछ, न कुछ फुज्ला आंत में बाकी रह जाता है जिस से आंतों और में'दे के मु-तअद्दद अमराज पैदा होने का अन्देशा रहता है कमोड के इस्ति'माल से आ'साबी तनाव पैदा होता है, हाजत के बाद पेशाब के कतरात गिरने के भी ख़तरात रहते हैं।...✍🏻
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❝ इस्तिन्जा का तरीका ❞
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*⇩ पर्दे की जगह का केन्सर ⇩*
╭┈► कुर्सी नुमा कमोड में पानी से इस्तिन्जा करना और अपने बदन और कपड़ों को पाक रखना एक अम्रे दुशवार है। ज़ियादा तर इस के लिये टोयलेट पेपर्ज का इस्ति'माल होता है। कुछ अर्सा कब्ल यूरोप में पर्दे के हिस्सों के मोहलिक अमराज बिल खुसूस पर्दे की जगह का केन्सर तेजी से फैलने की खबरें अख्बारात में शाएअ हुई, तहक़ीकी बोर्ड बैठा और उस ने नतीजा येह बयान किया कि इन अमराज़ के दो ही अस्बाब सामने आए हैं
╭┈► 1) टॉयलेट पेपर का इस्ति'माल करना और
╭┈► 2) पानी का इस्ति'माल न करना।...✍🏻
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❝ इस्तिन्जा का तरीका ❞
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*⇩ टोयलेट पेपर से पैदा होने वाले अमराज ⇩*
╭┈► टोयलेट पेपर बनाने में बा'ज़ ऐसे केमीकल इस्ति'माल होते हैं जो जिल्द (चमड़ी) के लिये इन्तिहाई नुक्सान देह हैं। इस के इस्ति माल से जिल्दी अमराज़ पैदा होते हैं जैसा की एग्जीमा और चमड़ी का रंग तब्दील होना। डॉक्टर केनन डयूस" का कहना है : टॉयलेट पेपर्ज का इस्ति'माल करने वाले इन अमराज के इस्तिक्बाल की तय्यारी करें।
╭┈► 1) पर्दे की जगह का केन्सर।
╭┈► 2) भगन्दर (एक फोड़ा जो मद के आस पास होता या'नी बैठने की जगह पर और बहुत तकलीफ़ पहुंचाता है।
╭┈► 3) जिल्द इन्फेक्शन (SKIN INFECTION)।
╭┈► 4) फफूंदी के अमराज़ (VIRAL DISEASES)।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 214 📚*
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❝ इस्तिन्जा का तरीका ❞
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*⇩ टोयलेट पेपर और गुर्दो के अमराज़ ⇩*
╭┈► अतिब्बा का कहना है कि टोयलेट पेपर से सफ़ाई बराबर नहीं होती लिहाजा जरासीम फैलते और ब-दने इन्सानी के अन्दर जा कर तरह तरह की बीमारियों का सबब बनते हैं। खूसूसन औरतों की पेशाब गाह के जरीए गुर्दो में दाखिल हो जाते हैं जिस के सबब बसा अवकात गुर्दो से पीप आना शुरू हो जाता है। हां टॉयलेट पेपर के इस्ति'माल के बाद अगर पानी से इस्तिन्जा कर लिया जाए तो इस का नुक्सान न होने के बराबर रह जाता है।...✍🏻
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*⇩ सख्त ज़मीन पर क़जाए हाजत के नुक्सानात ⇩*
╭┈► कुर्सी नुमा कमोड और w.c. का इस्तिमाल शरअन जाइज़ है। सहूलत के लिहाज़ से कमोड के मुकाबले में w.c. बेहतर है जब कि कुशादा हो ताकि इस पर सुन्नत के मुताबिक़ बैठा जा सके। लेकिन आज कल छोटे w.c. लगाए जाते हैं और उन में कुशादा हो कर नहीं बैठा जा सकता । हां अगर क़दम्चे या'नी पाउं रखने की जगह फ़र्श के साथ हमवार रखी जाए तो हस्बे ज़रूरत कुशादा बैठा जा सकता है एक सुन्नत नर्म ज़मीन पर रफ़्ए हाजत करना भी है जैसा कि हदीसे रसूल ﷺ में है जब तुम में से कोई पेशाब करना चाहे तो पेशाब के लिये नर्म जगह ढूंडे।
╭┈► इस के फ़्वाइद को तस्लीम करते हुए ल्यूवल पावल (louval poul) कहता है इन्सान की बक़ा मिट्टी और फ़ना भी मिट्टी है जब से लोगों ने नर्म मिट्टी की जमीन पर कज़ाए हाजत करने के बजाए सख्त जमीन (या'नी w.c., कमोड वगैरा) का इस्ति'माल शुरू किया है उस वक़्त से मर्दो में जिन्सी (मर्दाना) कमजोरी और पथरी के अमराज़ में इज़ाफ़ा हो गया है सख्त ज़मीन पर हाजत करने के अ-सरात मसाने के गुदूद (PROSTATE GLANDS) पर भी पड़ते हैं, पेशाब या फुज़्ला जब नर्म जमीन पर गिरता है तो उस के जरासीम और तेज़ाविय्यत फौरन जज़ब हो जाते हैं जब कि सख्त ज़मीन चूंकि जज्ब नहीं कर पाती इस लिये तेजाबी और जरासीमी अ-सरात बराहे रास्त जिस्म पर हम्ला आवर होते और तरह तरह के अमराज़ का बाइस बनते हैं।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 214 📚*
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❝ इस्तिन्जा का तरीका ❞
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*⇩ आका ﷺ दूर तशरीफ़ ले जाते ⇩*
╭┈► मदीने के सुल्तान, रहमते आ-लमिय्यान ﷺ की शाने अ-जमत निशान पर कुरबान कि जब क़ज़ाए हाजत को तशरीफ़ ले जाते तो इतनी दूर जाते कि कोई न देखे। या'नी या तो दरख्त या दीवार के पीछे बैठते और अगर चटयल मैदान होता तो इतनी दूर तशरीफ़ ले जाते जहां किसी की निगाह न पड़ सकती।
╭┈► यकीनन सरकारे मदीना ﷺ के हर फेल में दीनो दन्या की बे शुमार भलाइयां पिन्हां होती हैं। पेशाब करने के बाद अगर हर फ़र्द एक लोटा पानी बहा दिया करे तो बदबू और जरासीम की अफ्ज़ाइश में कमी होगी, बड़ा पेशाब करने के बाद भी जहां एक आध लोटा पानी काफ़ी हो वहां फ्लेश टेंक से पानी न बहाया जाए क्यूं कि वोह कई लोटे पर मुश्तमिल होता है।...✍🏻
📙 मिरआत जिल्द 1 सफ़ह 262
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❝ इस्तिन्जा का तरीका ❞
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*⇩ क़ज़ाए हाजत से क़ब्ल चलने के फवाइद ⇩*
╭┈► आज कल बिल खुसूस शहरों में बन्द कमरे के अन्दर ही बैतुल खुला होते हैं, जो कि जरासीम को नशवो नमा और इन के जरिए फैलने वाले अमराज के ज़राएअ हैं एक बायो केमिस्ट्री के माहिर का कहना है जब से शहरों में वुस्अत, आबादियों की कसरत और खेतों की किल्लत होने लगी है तब से अमराज़ की खूब ज़ियादत होने लगी है। क़ज़ाए हाजत के लिये जब से दूर चल कर जाना तर्क किया है कब्ज़, गेस, तबखीर और जिगर की बीमारियां बढ़ गई हैं। चलने से आंतों की ह-र-कतों में तेजी आती है। जिस के सबब हाजत तसल्ली बख्श हो जाती है, आजकल बिगैर चले (घर ही घर में) बैतुल खला में दाखिल हो जाने की वजह से बसा अवकात फ़रागत भी ताखीर से होती है।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 215 📚*
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❝ इस्तिन्जा का तरीका ❞
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*⇩ बैतुल खला जाने की 47 निय्यतें ⇩*
╭┈► फरमाने मुस्तफा ﷺ मुसलमान की निय्यत उस के अमल से बेहतर है।
╭┈► 1) सर ढांप कर।
╭┈► 2) जाने में उल्टे पाउं से। और
╭┈► 3) बाहर निकलने में सीधे पाउं से पहल कर के इत्तिबाए सुन्नत करूंगी।
╭┈► 4,5) दोनों बार या'नी दाखिले से कब्ल और निकलने के बाद, मस्नून दुआएं पढूंगी।
╭┈► 6) सिर्फ अंधेरे की सूरत में येह निय्यत कीजिये। तहारत पर मदद हासिल करने के लिये बत्ती जलाऊंगी।
╭┈► 7) फ़रागत के फौरन बा'द इसराफ़ से बचने की निय्यत से बुझा दूंगी।
╭┈► 8) हदीसे पाक *तरजमा :* पाकी निस्फ़ ईमान है पर अमल करते हुए पाउं को गन्दगी से बचाने के लिये चप्पल पहनूंगी।
╭┈► 9) पहनते हुए सीधे कदम से। और
╭┈► 10) उतारते हुए उल्टे से पहल कर के इत्तिबाए सुन्नत करूंगी।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 216 📚*
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❝ इस्तिन्जा का तरीका ❞
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*⇩ बैतुल खला जाने की 47 निय्यतें ⇩*
╭┈► 11,12) सित्र खुला होने की सूरत में इस्तिकबाले किब्ला (या'नी किब्ले की तरफ़ मुंह करने) और इस्तिदबारे किब्ला (या'नी क़िब्ले की तरफ पीठ करने) से बचूंगी।
╭┈► 13,14) ज़मीन से करीब हो कर फ़क़त हस्बे ज़रूरत सित्र खोलूंगी। इसी तरह फ़रागत के बाद
╭┈► 15) उठने से कब्ल ही सित्र छुपा लूंगी।
╭┈► 16) जो कुछ खारिज होगा उस की तरफ़ नहीं देखूगी।
╭┈► 17) पेशाब के छींटों से बचूंगी।
╭┈► 18) हया से सर झुकाए रहूंगी।
╭┈► 19) ज़रूरतन आंखें बन्द कर लूंगी और।
╭┈► 20, 21) बिला ज़रूरत शर्मगाह को देखने और छूने से बचूंगी।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 217 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 241
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❝ इस्तिन्जा का तरीका ❞
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*⇩ बैतुल खला जाने की 47 निय्यतें ⇩*
╭┈► 22 ता 26) उल्टे हाथ से ढेला पकड़ कर उल्टे ही हाथ से खुश्क कर के उल्टे हाथ की तरफ़ उल्टा (या'नी नजासत वाला हिस्सा जमीन की तरफ) रखूगी, पाक सीधी तरफ़ रखूगी, मुस्तहब ता'दाद में म-सलन तीन, पांच, सात ढेले इस्ति'माल करूंगी
╭┈► 27) पानी से तहारत करते वक़्त भी सिर्फ उल्टा हाथ शर्मगाह को लगाऊंगी
╭┈► 28) शर-ई मसाइल पर गौर नहीं करूंगी (कि बाइसे महरूमी है)
╭┈► 29) सित्र खुला होने की सूरत में बातचीत नहीं करूंगी और
╭┈► 30, 31) पेशाब वगैरा में न थूकूगी न ही इस में नाक सिनतुंगी
╭┈► 32, 33) अगर फ़ौरन हम्माम ही में वुजू करना न हुवा तो तहारत वाली हदीस पर अमल करते हुए दोनों हाथ धोऊंगी नीज़।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 217 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 242
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❝ इस्तिन्जा का तरीका ❞
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*⇩ बैतुल खला जाने की 47 निय्यतें ⇩*
╭┈► 34) जो कुछ निकला उस को बहा दूंगी (पेशाब करने के बाद अगर हर फ़र्द एक लोटा पानी बहा दिया करे तो बदबू और जरासीम की अफ़्ज़ाइश में कमी होगी, बड़ा इस्तिन्जा करने के बाद भी जहां एकआध लोटा पानी काफ़ी हो वहां फ्लेश टेंक से पानी न बहाया जाए क्यूं कि वोह कई लोटे पर मुश्तमिल होता है।
╭┈► 35) पानी से इस्तिन्जा करने के बाद पाउं के टख्ने वाले हिस्से एहतियात के साथ धो लूंगी (क्यूं कि इस मौका पर उमूमन टख़्नों की तरफ़ गन्दे पानी के छीटे आ जाते हैं।
╭┈► 36) फ़ारिग हो कर जल्दी निकलूंगी।
╭┈► 37) बे पर्दगी से बचने के लिये बैतुल खला का दरवाजा बन्द करूंगी।
╭┈► 38) मुसल्मानों को घिन से बचाने के लिये बा दे फ़रागत दरवाज़ा बन्द, करूंगी।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 218 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 243
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❝ इस्तिन्जा का तरीका ❞
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*⇩ बैतुल खला जाने की 47 निय्यतें ⇩*
*⇩ अवामी इस्तिन्जा खाने में जाते हुए येह निय्यतें भी कीजिये ⇩*
╭┈► 39-41) अगर लाइन लम्बी हुई तो सब के साथ अपनी बारी का इन्तिज़ार करूंगी, किसी की हक़ तलफ़ी नहीं करूंगी, बार बार दरवाज़ा बजा कर उस को ईज़ा नहीं दूंगी।
╭┈► 42) अगर मेरे अन्दर होते हुए किसी ने बार बार दरवाज़ा बजाया तो सब्र करूंगी।
╭┈► 43) अगर किसी को मुझ से ज़ियादा हाजत हुई और कोई सख्त मजबूरी या नमाज़ फौत होने का अन्देशा न हुवा तो ईसार करूंगी।
╭┈► 44) हत्तल इम्कान भीड़ के वक़्त इस्तिन्जा खाने जा कर भीड़ में मजीद इज़ाफ़ा कर के मुसल्मानों पर बोझ नहीं बनूंगी।
╭┈► 45) दरो दीवार पर कुछ नहीं लिखूगी।
╭┈► 46) वहां बनी हुई फोहश तस्वीरें देख कर। और
╭┈► 47) हया सोज़ तहरीरें पढ़ कर अपनी आंखों को बरोजे कियामत अपने खिलाफ गवाह नहीं बनाऊंगी।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 218 📚*
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❝ हैज़ व निफास का बयान ❞
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╭┈► *दुरूद शरीफ़ की फ़ज़ीलत :* एक बार किसी भिकारी ने कुफ्फार से सुवाल किया, उन्हों ने मज़ाकन हज़रते मौला अली करम अल्लाहु तआला वजहाहूल करीम के पास भेज दिया जो कि सामने तशरीफ़ फ़रमा थे। उस ने हाज़िर हो कर दस्ते सुवाल दराज किया। आप करम अल्लाहु तआला वजहाहूल ने दस बार दुरूद शरीफ़ पढ़ कर। उस की हथेली पर दम कर दिया और फ़रमाया मुठ्ठी बन्द कर लो और जिन लोगों ने भेजा है उन के सामने जा कर खोल दो (कुफ्फार हंस रहे थे कि खाली फूंक मारने से क्या होता है!) मगर जब साइल ने उन के सामने जा कर मुठ्ठी खोली तो वोह सोने के दीनारों से भरी हुई थी येह करामत देख कर कई काफ़िर मुसल्मान हो गए।
╭┈► अल्लाह तआला इर्शाद फ़रमाता है
*तर-ज-मए कन्जुल ईमान :* और तुम से पूछते हैं हैज़ का हुक्म तुम फरमाओ वोह नापाकी है, तो औरतों से अलग रहो हैज़ के दिनों, और उन से नज़्दीकी न करो, जब तक पाक न हो लें, फिर जब पाक हो जाएं तो उन के पास जाओ जहां से तुम्हें अल्लाह अज़्ज़वजल ने हुक्म दिया।
╭┈► सदरुल अफ़ाज़िल हज़रते अल्लामा मौलाना सय्यिद मुहम्मद नईमुद्दीन मुरादआबादी अलैहिर्रहमा इस आयत के तहत तफ्सीरे ख़ज़ाइनुल इरफ़ान में लिखते हैं अरब के लोग यहूद व मजूस की तरह हाएज़ा औरतों से कमाले नफरत करते थे। साथ खाना पीना एक मकान में रहना गवारा न था बल्कि शिद्दत यहां तक पहुंच गई थी कि उन की तरफ़ देखना और उन से कलाम करना भी हराम समझते थे। और नसारा (या'नी क्रिस्चेन) इस के बर अक्स हैज़ के अय्याम में औरतों के साथ बड़ी महब्बत से मश्गूल होते थे और इख्तिलात (मेलजोल) में बहुत मुबा-लगा करते थे। मुसलमानों ने हुजूर ﷺ से हैज़ का हुक्म दरयाफ़्त किया, इस पर येह आयत नाज़िल हुई और इफ्रातो तफ्रीत (या'नी बढ़ाने घटाने) की राहें छोड़ कर ए'तिदाल। (मियाना रवी) को ता'लीम फ़रमाई गई और बता दिया गया कि हालते हैज़ में औरतों से मुजा-म-अत (या'नी सोहबत) मम्नूअ है।...✍🏻
📙 तफ़्सीरे खजाइनुल इरफान, सफ़ह 56
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 245
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❝ हैज़ व निफास का बयान ❞
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*⇩ हैज़ किसे कहते हैं ⇩*
╭┈► बालिगा औरत के आगे के मकाम से जो खून आदत के तौर पर निकलता है और बीमारी या बच्चा पैदा होने के सबब से न हो तो उसे हैज़ कहते हैं।
📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 2, सफ़ह 93
╭┈► हैज़ के लिये माहवारी, अय्याम, अय्याम से होना, महीना, महीना आना, महीने से होना, बारी के दिन और MONTHLY COURSE (मंथली कोर्स) वगैरा अल्फ़ाज़ भी बोले जाते हैं।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 220 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 246
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❝ हैज़ व निफास का बयान ❞
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*⇩ इस्तिहाज़ा किसे कहते हैं ? ⇩*
╭┈► जो खून बीमारी को वज्ह से आए, उस को इस्तिहाज़ा कहते है हैं। उम्मुल मुअमिनीन हज़रते सय्यि दतुना उम्मे सलमह रादिअल्लाहु तआला अन्हा से रिवायत है कि रसूले अकरम, नूरे मुजस्सम, शाहे बनी आदम ﷺ के अहदे मुबारक में एक औरत के अगले मकाम से खून बहता रहता था। उस के लिये उम्मुल मुअमिनीन हज़रते सय्यि-दतुना उम्मे स-लमह रादिअल्लाहु तआला अन्हा ने हुजूरे अकरम ﷺ से फ़तवा पूछा। इर्शाद फरमाया इस बीमारी से पहले महीने में जितने दिन व रातें हैज़ आता था, उन की गिनती शुमार कर के महीने में उन ही की मिक्दार नमाज़ छोड़ दे और जब वोह दिन जाते रहें तो गुस्ल करे और शर्मगाह पर कपड़ा बांध कर नमाज़ पढ़े।...✍🏻
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❝ हैज़ व निफास का बयान ❞
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*⇩ हैज़ के रंग ⇩*
╭┈► हैज़ के छ रंग है 1), सियाह 2), सुर्ख 3), सब्ज़ 4), ज़र्द 5), गदला 6), मटियाला। सफेद रंग की रतूबत हैज नहीं।
📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 2, सफ़ह 95
╭┈► याद रहे कि औरत के अगले मकाम से जो खालिस रतूबत बे आमेज़िशे खून निकलती है उस से वुजू नहीं टूटता अगर कपड़े में लग जाए तो कपड़ा पाक है।
📔 ऐज़न, सफ़ह 26
*नोट :* ⚠ हम्ल वाली औरत को जो खून आया वोह इस्तिहाज़ा है।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 221 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 248
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❝ हैज़ व निफास का बयान ❞
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*⇩ हैज़ की हिक्मत ⇩*
╭┈► बालिगा औरत के बदन में फ़ित-रतन ज़रूरत से कुछ जियादा खून पैदा होता है कि हम्ल की हालत में वोह खून बच्चे की गिजा में काम आए और बच्चे के दूध पीने के ज़माने में वोही खून दूध हो जाए अगर ऐसा न हो तो हम्ल और दूध पिलाने के जमाने में इस की जान पर बन जाए येही वह है कि हम्ल और इब्तिदाए शीर ख्वारगी (या'नी दूध पिलाने) में खून नहीं आता और जिस ज़माने में न हम्ल हो और न दूध पिलाना तब वोह खून अगर बदन से न निकले तो किस्म किस्म की बीमारियां हो जाएं।
📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 2, सफ़ह 93
*⇩ हैज़ की मुद्दत ⇩*
╭┈► हैज़ की कम से कम मुद्दत तीन दिन और तीन रातें या'नी पूरे 72 घन्टे हैं। अगर एक मिनट भी कम हुवा तो वोह हैज़ नहीं बल्कि इस्तिहाजा या'नी बीमारी का खून है और ज़ियादा से जियादा मुद्दत दस दिन और दस रातें या'नी 240 घन्टे हैं।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 222 📚*
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❝ हैज़ व निफास का बयान ❞
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*⇩ कैसे मालूम हो कि इस्तिहाज़ा है ⇩*
╭┈► अगर दस दिन और दस रात से ज़ियादा खून आया तो अगर येह हैज़ पहली मर्तबा आया है तो दस दिन तक हैज माना जाएगा। और इस के बाद जो खून आया वोह इस्तिहाज़ा है, और अगर पहले औरत को हैज़ आ चुके हैं और इस की आदत दस दिन से कम थी तो आदत से जितने दिन ज़ियादा खून आया वोह इस्तिहाज़ा है, मिसाल के तौर पर किसी औरत को हर महीने में पांच दिन हैज़ आने की आदत थी अब की मर्तबा दस दिन आया तो येह दसों दिन हैज़ के माने जाएंगे अलबत्ता अगर बारह दिन खून आया तो आदत वाले पांच दिन हैज़ के माने जाएंगे और सात दिन इस्तिहाजे के और अगर एक आदत मुकर्रर न थी बल्कि किसी महीने चार दिन तो किसी महीने सात दिन हैज़ आता था तो पिछली मर्तबा जितने दिन हैज़ के थे वोही अब भी हैज़ के दिन माने जाएंगे, और बाकी इस्तिहाजे का खून होगा।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 223 📚*
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❝ हैज़ व निफास का बयान ❞
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*⇩ हैज़ की कम अज़ कम और इन्तिहाई उम्र ⇩*
╭┈► कम से कम 9 बरस की उम्र से हैज़ शुरू होगा और हैज़ आने की इन्तिहाई उम्र पचपन साल है। इस उम्र वाली को आएसा (या'नी हैज़ व औलाद से ना उम्मीद होने वाली) कहते हैं।
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 2, सफ़ह 94
╭┈► नव बरस की उम्र से पहले जो खून आएगा वोह हैज नहीं बल्कि इस्तिहाज़ा है यूं ही 55 बरस की उम्र के बाद जो आएगा वोह भी इस्तिहाज़ा है। लेकिन अगर किसी को 55 बरस की उम्र के बा'द भी ख़ालिस खून बिल्कुल ऐसे ही रंग का आया जैसा कि हैज़ के जमाने में आया करता था तो उस को हैज़ मान लिया जाएगा।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 223 📚*
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❝ हैज़ व निफास का बयान ❞
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*⇩ दो हैज़ के दरमियान कम अज़ कम फ़ासिला ⇩*
╭┈► दो हैजों के दरमियान कम से कम पूरे 15 दिन का फ़ासिला ज़रूरी है। इस्लामी बहन को चाहिये कि वोह है आने की मुद्दत अच्छी तरह याद रखे या लिख ले ताकि शरीअते मुतह्हरा पर अहसन तरीके से अमल कर सके, मुद्दते हैज याद न रखने की सूरत में बहुत सी पेचीदगियां हो जाती हैं।
*⇩ अहम मस्अला ⇩*
╭┈► येह ज़रूरी नहीं कि मुद्दत में हर वक़्त खून जारी रहे जब ही हैज़ हो बल्कि अगर बा'ज़ बाज़ वक़्त भी आए, जब भी हैज़ है।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 224 📚*
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❝ हैज़ व निफास का बयान ❞
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*⇩ निफ़ास का बयान ⇩*
╭┈► बच्चा होने के बाद औरत के आगे के मक़ाम से जो खून आता है वोह निफास कहलाता है।
*⇩ निफ़ास की ज़रूरी वजाहत ⇩*
╭┈► अक्सर इस्लामी बहनों में येह मशहूर है कि बच्चा जनने के बा'द इस्लामी बहन 40 दिन तक लाज़िमी तौर पर नापाक रहती है येह बात बिल्कुल गलत है। बराए करम ! निफ़ास की ज़रूरी वजाहत ! पढ़ लीजिये :
╭┈► निफ़ास की ज़ियादा से ज़ियादा मुद्दत 40 दिन है या'नी अगर 40 दिन के बाद भी बन्द न हो तो मरज़ है। लिहाज़ा 40 दिन पूरे होते ही गुस्ल कर ले और 40 दिन से पहले बन्द हो जाए ख्वाह बच्चे की विलादत के बाद एक मिनट ही में बन्द हो जाए तो जिस वक़्त भी बन्द हो गुस्ल कर ले और नमाज़ व रोज़ा शुरू हो गए अगर 40 दिन के अन्दर अन्दर दोबारा खून आ गया तो शुरूए विलादत से ख़त्मे खून तक सब दिन निफ़ास ही के शुमार होंगे। म-सलन विलादत के बाद दो मिनट तक खून आ कर बन्द हो गया और गुस्ल कर के नमाज़ रोज़ा वगैरा करती रही, 40 दिन पूरे होने में फ़क़त दो मिनट बाकी थे कि फिर खून आ गया तो सारा चिल्ला या'नी मुकम्मल 40 दिन निफ़ास के ठहरेंगे जो भी नमाजें पढ़ी या रोज़े रखे सब बेकार गए, यहां तक कि अगर इस दौरान फ़र्ज़ व वाजिब नमाज़ें या रोजे क़ज़ा किये थे तो वोह भी फिर से अदा करे।...✍🏻
📕 माखूज अज़ फ़्तावा र-ज़विय्या जिल्द 4 सफ़ह 354 ता 356
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 224 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 253
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❝ हैज़ व निफास का बयान ❞
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*⇩ निफास के मु-तअल्लिक कुछ ज़रूरी मसाइल ⇩*
╭┈► किसी औरत को 40 दिन व रात से ज़ियादा निफ़ास का खून आया, अगर पहला बच्चा पैदा हुवा है तो 40 दिन रात निफ़ास है, बाकी जितने अय्याम 40 दिन रात से ज़ियादा हुए हैं वोह इस्तिहाजे के हैं। और अगर इस से पहले भी बच्चा तो पैदा हुवा था मगर येह याद नहीं रहा कि कितने दिन खून आया था तो इस सूरत में भी येही मस्अला होगा या'नी 40 दिन रात निफ़ास के और बाकी इस्तिहाजे के और अगर पहले बच्चे के पैदा होने पर खून आने के दिन याद हैं म-सलन पहले जो बच्चा पैदा हुवा था तो 30 दिन रात खून आया था तो इस सूरत में 30 दिन रात निफ़ास के हैं बाक़ी इस्तिहाजे के म-सलन पहले बच्चे के पैदा होने पर 30 दिन रात खून आया था और दूसरे बच्चे की पैदाइश पर 50 दिन रात खून आया तो 30 दिन निफास के होंगे बाकी 20 दिन रात इस्तिहाजे के।...✍🏻
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 2 सफ़ह 99
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 225 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 254
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❝ हैज़ व निफास का बयान ❞
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*⇩ हम्ल साकित हो जाए तो ⇩*
╭┈► हम्ल साक़ित हो गया और उस का कोई उज्व बन चुका है जैसे हाथ, पाउं या उंग्लियां, तो येह खून निफ़ास है वरना अगर तीन दिन रात तक रहा और इस से पहले पन्दरह दिन पाक रहने का ज़माना गुज़र चुका है तो हैज़ है और जो तीन दिन से पहले ही बन्द हो गया, या अभी पूरे पन्दरह दिन तहारत के नहीं गुज़रे हैं तो इस्तिहाज़ा है।...✍🏻
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 2 सफ़ह 99
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 226 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 255
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❝ हैज़ व निफास का बयान ❞
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*⇩ चन्द गलत फहमियों का इज़ाला ⇩*
╭┈► बच्चा जनने के बाद से ले कर निफ़ास से पाक होने तक औरत जच्चा कहलाती है ऐसी औरत या'नी जच्चा को जच्चा खाने से निकलना जाइज़ है। उस को साथ खिलाने या उस का झूटा खाने में कोई हरज नहीं, बा'ज़ इस्लामी बहनें जच्चा के बरतन तक अलग कर देती हैं बल्कि उन बरतनों को एक तरह से नापाक समझती हैं ऐसी बेहूदा रस्मों से एहतियात लाज़िम है। इसी तरह येह मस्अला भी। मन घड़त है कि जच्चा (निस वाली) जब गुस्ल करे तो वोह चालीस लोटों के पानी से गुस्ल करे वरना गुस्ल नहीं उतरेगा सहीह मस्अला येह है कि अपनी ज़रूरत के मुताबिक़ पानी इस्ति'माल करे।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 226 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 256
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❝ हैज़ व निफास का बयान ❞
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*⇩ इस्तिहाज़ा के अहकाम ⇩*
╭┈► 1) इस्तिहाजे में न नमाज़ मुआफ है न रोज़ा, न ऐसी औरत से सोहबत हराम।
╭┈► 2) मुस्तहाज़ा (या'नी इस्तिहाजे वाली) का का'बा शरीफ में दाखिल होना, तवाफ़े का'बा, वुजू कर के कुरआन शरीफ़ को हाथ लगाना और इस की तिलावत करना येह तमाम उमूर भी जाइज़ हैं।
╭┈► 3) इस्तिहाजा अगर इस हद तक पहुंच गया कि (बार बार खून आने के सबब) इस को इतनी मोहलत नहीं मिलती कि वुजू कर के फर्ज नमाज़ अदा कर सके तो नमाज़ का पूरा एक वक्त शुरू से आखिर तक इसी हालत में गुज़र जाने पर उस को मा'जूर कहा जाएगा, एक वुजू से उस वक्त में जितनी नमाजे चाहे पढ़े, खून आने से उस का वुजू न जाएगा।
📙 बहारे शरीअत, हिस्सा 2 सफ़ह 107
╭┈► 4) अगर कपड़ा वगैरा रख कर इतनी देर तक खून रोक सकती है कि वुजू कर के फ़र्ज़ पढ़ ले, तो उज्र साबित न होगा। (या'नी ऐसी सूरत में "मा'जूर" नहीं कहलाएगी)।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 227 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 257
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❝ हैज़ व निफास का बयान ❞
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*⇩ हैज़ व निफ़ास के 21 अहकाम ⇩*
╭┈► 1) हैज़ व निफ़ास की हालत में नमाज़ पढ़ना और रोज़ा रखना हराम है।
📙 बहारे शरीअत्त, हिस्सा 2 सफ़ह 102
╭┈► 2) इन दिनों में नमाजें मुआफ हैं इन की क़ज़ा भी नहीं। अलबत्ता रोजों की क़ज़ा दूसरे दिनों में रखना फ़र्ज़ है।
📗 बहारे शरीअत, हिस्सा 2, 1.सफ़स 102,
╭┈► इस मुआ मले में इस्लामी बहनें इम्तिहान में पड़ जाती हैं। एक ता'दाद है जो रोज़े का नहीं करती। मेहरबानी कर
के लाज़िमी रोजे क़ज़ा करें वरना जहन्नम का अजाब सहा न जाएगा।
╭┈► 3) हैज़ व निफ़ास वाली को कुरआने मजीद पढ़ना हराम है ख्वाह देख कर पढ़े या ज़बानी पढ़े। यूंही कुरआने मजीद का छूना भी हराम है। हां अगर जुज्दान में कुरआने मजीद हो तो उस जुज्दान को छूने में कोई हरज नहीं।...✍🏻
📕 बहारे शरीअत, हिस्सा : 2, सफ़ह 101
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 228 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 258
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❝ हैज़ व निफास का बयान ❞
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*⇩ हैज़ व निफ़ास के 21 अहकाम ⇩*
╭┈► 4) कुरआने मजीद पढ़ने के इलावा दूसरे तमाम अवरादो वज़ाइफ कलिमा शरीफ़ और दुरूद शरीफ़ वगै हैज़ व निफ़ास की हालत में इस्लामी बहन बिला कराहत पढ़ सकती है बल्कि मुस्तहब है कि नमाजों के अवकात में वुजू कर के उतनी देर तक दुरूद शरीफ़ और दूसरे वज़ाइफ़ पढ़ लिया करे जितनी देर में नमाज़ पढ़ सकती थी ताकि आदत बाक़ी रहे।
📙 बहारे शरीअत, हिस्सा 2 सफ़ह 101-102
╭┈► 5) हैज़ व निफ़ास की हालत में हम-बिस्तरी हराम है। इस हालत में नाफ से घुटने तक औरत के बदन को मर्द अपने किसी उज्व से न छूए कि येह भी ना जाइज है जब कि कपड़ा वगैरा हाइल न हो शहवत से हो या बे शहवत और अगर ऐसा हाइल हो कि बदन की गरमी महसूस न होगी तो हरज नहीं। हां नाफ़ से ऊपर और घुटने के नीचे के बदन को छूना और बोसा वगैरा देना जाइज़ है।
📗 ऐज़न, सफ़ह 104
╭┈► इस हालत में औरत मर्द के हर हिस्सए बदन को हाथ लगा सकती है।...✍🏻
📕 ऐज़न, सफ़ह 105
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 228 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 259
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❝ हैज़ व निफास का बयान ❞
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*⇩ हैज़ व निफ़ास के 21 अहकाम ⇩*
╭┈► 6) हैज़ व निफास की हालत में इस्लामी बहन को मस्जिद में जाना हराम है। हां अगर चोर या दरिन्दे से डर कर या किसी भी शदीद मजबूरी से मजबूर हो कर मस्जिद में चली जाए तो जाइज़ है मगर उस को चाहिये कि तयम्मुम कर के मस्जिद में जाए।
📙 ऐजन, सफ़ह 101-102
╭┈► 7) हैज़ व निफ़ास वाली इस्लामी बहन अगर ईदगाह में दाखिल हो जाए तो कोई हरज नहीं।
📗 ऐज़न सफ़ह 102
╭┈► इसी तरह फिनाए मस्जिद में भी जा सकती है। मसलन दा'वते इस्लामी के आलमी मदनी मर्कज फैज़ाने मदीना बाबुल मदीना कराची का वसीओ अरीज़ तहख़ाना जहां इस्लामी बहनों का सुन्नतों भरा इज्तिमाअ होता है येह फिनाए मस्जिद है यहां हैज़ व निफ़ास वाली आ सकती है, इज्तिमाअ में शरीक हो सकती है। सुन्नतों भरा बयान भी कर सकती है नात शरीफ़ भी पढ़ सकती है, दुआ भी करवा सकती है।
╭┈► 8) हैज व निफास की हालत में अगर मस्जिद के बाहर रह कर और हाथ बढ़ा कर मस्जिद से कोई चीज़ उठा ले या मस्जिद में कोई चीज़ रख दे तो जाइज़ है।...✍🏻
📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 2, सफ़ह 102
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 229 📚*
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📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 260
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❝ हैज़ व निफास का बयान ❞
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*⇩ हैज़ व निफ़ास के 21 अहकाम ⇩*
╭┈► 9) हैज व निफास वाली को खानए का'बा के अन्दर जाना और उस का तवाफ़ करना अगर्चे मस्जिदुल हराम के बाहर से हो हराम है।
╭┈► 10) हैज़ व निफ़ास की हालत में बीवी को अपने बिस्तर पर सुलाने में ग-लबए शह्वत या अपने को काबू में न रखने का अन्देशा हो तो शोहर के लिये लाज़िम है कि बीवी को अपने बिस्तर पर न सुलाए। बल्कि अगर गुमान गालिब हो कि शह्वत पर काबू न रख सकेगा तो शोहर को ऐसी हालत में बीवी को अपने साथ सुलाना गुनाह है।
📙 बहारे शरीअत हिस्सा 2 सफ़ह 105
╭┈► 11) हैज़ व निफ़ास की हालत में बीवी के साथ हम-बिस्तरी को हलाल समझना कुफ्र है और हराम समझते हुए कर लिया तो सख्त गुनहगार हुवा उस पर तौबा करना फ़र्ज़ है। और अगर शुरूए हैज़ व निफ़ास में ऐसा कर लिया तो एक दीनार' और अगर क़रीबे ख़त्म के किया तो निस्फ़ (या'नी आधा) दीनार खैरात करना मुस्तहब है
📗 ऐज़न, सफ़ह 104
╭┈► अजब नहीं कि यहां सोना देना ही अन्सब (या'नी मुनासिब तर) हो फ़्तावा र ज़विय्या, जिल्द 4, सफ़ह 364 ताकि खुदा के गज़ब से अमान पाए। इस का मतलब हरगिज़ येह नहीं कि खैरात कर देने का जेहन बना कर जानबूझ कर जिमाअ में मुजला हो, अगर ऐसा किया तो सख्त गुनहगार और जहन्नम का हक़दार है। दुरे मुख्तार में है इस का मसरफ़ वोही है जो ज़कात का है। क्या औरत पर भी स-दका करना मुस्तहब है ? ज़ाहिर बात येह है कि औरत पर येह हुक्म नहीं है।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 229-230 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 261
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❝हैज़ व निफास का बयान ❞
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*⇩ हैज़ व निफ़ास के 21 अहकाम ⇩*
╭┈► 12) रोजे की हालत में अगर हैज व निफास शुरू हो गया तो वोह रोज़ा जाता रहा उस की क़ज़ा रखे, फ़र्ज़ था तो कजा फर्ज है और नफ़्ल था तो क़ज़ा वाजिब है।
📙 बहारे शरीअत हिस्सा 2 सफ़ह 104
╭┈► 13) हैज़ अगर पूरे दस दिन पर ख़त्म हुवा तो पाक होते ही उस से जिमाअ करना जाइज़ है अगर्चे अब तक गुस्ल न किया हो लेकिन मुस्तहब येह है कि नहाने के बा'द सोहबत करे।
📗 ऐज़न सफ़ह 105
╭┈► 14) अगर दस दिन से कम में हैज़ बन्द हो गया तो ता वक्ते कि गुस्ल न करे या वोह वक्ते नमाज़ जिस में पाक हुई न गुज़र जाए सोहबत करना जाइज़ नहीं।
╭┈► 15 ) हैज़ व निफ़ास की हालत में सज्दए तिलावत भी हराम है और सज्दे की आयत सुनने से इस पर सज्दा वाजिब नहीं।...✍🏻
📕 ऐज़न , सफ़ह 104
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 231 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 262
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*⇩ हैज़ व निफ़ास के 21 अहकाम ⇩*
╭┈► 16) रात को सोते वक्त औरत पाक थी और सुब्ह को सो कर उठी तो हैज़ का असर देखा तो उसी वक्त से हैज़ का हुक्म दिया जाएगा रात से हाएज़ा नहीं मानी जाएगी।
📙 बहारे शरीअत , हिस्सा 2, स फ़ह 104
╭┈► 17) हैज़ वाली सुब्ह को सो कर उठी और गद्दी पर कोई निशान हैज़ का नहीं तो रात ही से पाक मानी जाएगी।
╭┈► 18) जब तक औरत को खून आए नमाज़ छोड़े रखे अलबत्ता अगर खून का बहना दस दिन रात कामिल से आगे बढ़ जाए तो गुस्ल कर के नमाज़ पढ़ना शुरू कर दे येह इस सूरत में है कि पिछला हैज़ भी दस दिन रात आया हो और अगर पिछला हैज़ दस दिन से कम था म - सलन 6 दिन का था तो अब गुस्ल कर के चार दिन की क़ज़ा नमाजें पढ़े और अगर पिछला हैज़ चार दिन का था तो अब छ दिन की क़ज़ा नमाज़ें पढ़ेगी।
📕 फ़्तावा रज़विय्या मुखर्रजा , जिल्द 4 , सफ़ह 350
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 263
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╭┈► 19) जो हैज़ अपनी पूरी मुद्दत या'नी दस दिन कामिल से कम में ख़त्म हो जाए उस में दो सूरते हैं :
╭┈► 1. या तो औरत की आदत से भी कम मुद्दत में ख़त्म हुवा या'नी इस से पहले महीने में जितने दिन हैज आया था उतने दिन भी अभी नहीं गुजरे थे कि खून बन्द हो गया। लिहाज़ा इस सूरत में सोहबत अभी जाइज़ नहीं अगर्चे गुस्ल भी कर ले।
╭┈► 2. और अगर आदत से कम मुद्दत हैज़ नहीं आया मसलन पहले महीने सात दिन हैज़ आया था अब भी सात दिन या आठ दिन हैज़ आ कर ख़त्म हो गया या येह पहला ही हैज़ है जो इस औरत को आया और दस दिन से कम में ख़त्म हुवा तो इन सूरतों में सोहबत जाइज़ होने के लिये दो बातों में से एक बात ज़रूरी है : (الف) या तो औरत गुस्ल कर ले और अगर ब वज्हे मरज़ या पानी न होने के तयम्मुम करना हो तो तयम्मुम कर के नमाज़ भी पढ़ ले सिर्फ तयम्मुम काफ़ी नहीं । (ب) या औरत गुस्ल न करे तो इतना हो कि उस औरत पर कोई नमाजे फ़र्ज़, फ़र्ज़ हो जाए या'नी नमाजे पन्जगाना से किसी नमाज़ का वक्त गुज़र जाए जिस में कम से कम उस ने इतना वक़्त पाया हो जिस में वोह नहा कर सर से पाउं तक एक चादर ओढ़ कर तक्बीरे तहरीमा कह सकती है तो इस सूरत में बिगैर तहारत या'नी गुस्ल के बिगैर भी उस से सोहबत जाइज़ हो जाएगी।..✍🏻
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 264
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❝ हैज़ व निफास का बयान ❞
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*⇩ हैज़ व निफ़ास के 21 अहकाम ⇩*
╭┈► 20) निफ़ास में खून जारी होता है अगर पानी जारी हो तो वोह कोई चीज़ नहीं लिहाज़ा चालीस दिन के अन्दर जब भी खून लौटेगा शुरूए विलादत से ख़त्मे खून तक सब दिन निफ़ास ही के गिने जाएंगे। जो दिन बीच में खून न आने की वज्ह से खाली रह गए वोह भी निफ़ास ही में शुमार होंगे म-सलन बच्चे की विलादत के बाद दो मिनट तक खून आ कर बन्द हो गया औरत ने तहारत का गुमान कर के गुस्ल किया और नमाज़, रोज़ा वगैरा अदा करती रही मगर चालीस दिन पूरे होने में अभी दो मिनट बाक़ी थे कि फिर खून आ गया तो येह सारे दिन निफ़ास ही के ठहरेंगे, नमाजें बेकार गई, फ़र्ज़ या वाजिब रोजे या अगली क़ज़ा नमाजें जितनी पढ़ी हों उन्हें फिर फैरे।
📙 फ़्तावा रजविय्या मुखर्रजा, जिल्द 4, सफ़ह 354
╭┈► 21) हैज़ वाली औरत के हाथ का पका हुवा खाना भी जाइज़ और उसे अपने साथ खाना खिलाना भी जाइज़, इन बातों से एहतिराज व इज्तिनाब यहूद व मजूस' का मस्अला है कि वोह ऐसा करते हैं।...✍🏻
📕 ऐज़न, सफ़ह 355
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 265
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❝हैज़ व निफास का बयान ❞
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*⇩ हैज़ और निफ़ास के मु-तअल्लिक़ आठ म-दनी फूल ⇩*
╭┈► 1) हैज़ व निफास की हालत में इस्लामी बहनें दर्स भी दे सकती हैं और बयान भी कर सकती हैं इस्लामी किताब को छूने में भी हरज नहीं। कुरआने पाक को हाथ या उंगली की नोक या बदन का कोई हिस्सा लगाना हराम है। नीज़ किसी परचे पर अगर सिर्फ आयते कुरआनी लिखी हो दीगर कोई इबारत न लिखी हो तो उस कागज़ के आगे पीछे किसी भी हिस्से कोने कनारे को छूने की इजाजत नहीं।
╭┈► 2) कुरआने पाक या कुरआनी आयत या इस का तरजमा पढ़ना और छूना दोनों हराम है।
╭┈► 3) अगर कुरआने अजीम जुदान में हो तो जुदान पर हाथ लगाने में हरज नहीं, यूंही रुमाल वगैरा किसी ऐसे कपड़े से पकड़ना जो न अपना ताबेअ हो न कुरआने मजीद का तो जाइज़ है, कुरते की आस्तीन, दुपट्टे के आंचल से यहां तक कि चादर का एक कोना इस के मंढे (कन्धे) पर है दूसरे कोने से छूना हराम है कि येह सब इस के ताबेअ हैं जैसे चोली कुरआने मजीद की ताबेअ थी।...✍🏻
📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 2, सफ़ह 48
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 233 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 266
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❝हैज़ व निफास का बयान ❞
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*⇩ हैज़ और निफ़ास के मु-तअल्लिक़ आठ म-दनी फूल ⇩*
╭┈► 4) अगर कुरआन की आयत दुआ की निय्यत से या तबईक के लिये: जैसे بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ या अदाए शुक्र को या छींक के बाद الْحَمْدُ لِلَّهِ رَبِّ الْعَالَمِينَ या खबरे परेशान पर اِنَّالِلّٰهِ وَاِنَّآ اِلَیْهِ رٰجِعُوْنَ कहा या ब निय्यते सना पूरी सूरतुल फ़ातिहा या आ-यतुल कुर्सी या सूरए हर की पिछली तीन आयतें ھَوَاللّٰهُ الَّذِیْ لَاَ اِلٰهَ اِلَّا ھَوَ से आखिर सूरह तक पढ़ीं और इन सब सूरतों में कुरआन की निय्यत न हो तो कुछ हरज नहीं। यूंही तीनों قُلْ बिला लफ्ज़े قُلْ ब निय्यते सना पढ़ सकती है और लफ्जे قُلْ के साथ नहीं पढ़ सकती अगर्चे ब निय्यते सना ही हो कि इस सूरत में इन का कुरआन होना मु-तअय्यन है, निय्यत को कुछ, दखल नहीं।
📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 2 सफ़ह 48
╭┈► 5) ज़िक्रो अज्कार, दुरूदो सलाम, नात शरीफ पढ़ने, अज़ान का जवाब देने वगैरा में कोई मुज़ा यक़ा नहीं हल्कए ज़िक्र में शिर्कत कर सकती हैं। बल्कि ज़िक्र करवा भी सकती हैं।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 234 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 267
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❝ हैज़ व निफास का बयान ❞
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*⇩ हैज़ और निफ़ास के मु-तअल्लिक़ आठ म-दनी फूल ⇩*
╭┈► 6) खुसूसन येह बात याद रखिये कि (इन दिनों में) नमाज़ और रोजा हराम है।
📙 ऐज़न, सफह - 102
╭┈► 7) मुरव्वत में भी ऐसे मौका पर हरगिज़ हरगिज़ नमाज़ न पढ़िये कि फु-कहाए किराम रहमतुल्लाहि तआला अलैह यहां तक फरमाते हैं बिला उज्र जानबूझ कर बिगैर वुजू के नमाज़ पढ़ना कुफ्र है। जब कि इसे जाइज़ समझे या इस्तिहज़ाअन (या'नी मज़ाक उड़ाते हुए) येह फेल करे।
╭┈► 8) इन दिनों की नमाजों की क़ज़ा नहीं अलबत्ता र-मज़ानुल मुबारक के रोज़ों की क़ज़ा फ़र्ज़ है।
📗 बहारे शरीअत, हिस्सा 2, सफह 102
╭┈► जब तक का रोजे ज़िम्मे बाकी रहते हैं उस वक्त तक नफ्ली रोजे के मक्बूल होने की उम्मीद नहीं। इन अहकाम की तफ्सीली मा लूमात के लिये मक-त-बतुल मदीना की मत्बूआ बहारे शरीअत, हिस्सा 2 सफ़हा 91 ता 109 का मुता-लआ करने की हर इस्लामी बहन को न सिर्फ दर-ख्वास्त बल्कि सख़्त ताकीद है।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 235 📚*
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❝ जनानी बीमारियों के घरेलू इलाज ❞
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╭┈► *दुरूद शरीफ़ की फ़ज़ीलत :* अल्लाह के महबूब, दानाए गुयूब, मुनज्जहुन अनिल उयूब ﷺ का फ़रमाने बख्शिश निशान है अल्लाह अज़्ज़वजल की खातिर आपस में महब्बत रखने वाले जब बाहम मिलें और मुसा-फहा करें और नबी (ﷺ) पर दुरूदे पाक भेजें तो उन के जुदा होने से पहले दोनों के अगले पिछले गुनाह बखा दिये जाते।
╭┈► इस्लामी बहनो ! हर एक का तब्ई मिज़ाज अलग अलग होता है एक ही दवा किसी के लिये आबे हयात का काम दिखाती है तो किसी के लिये मौत का पैगाम लाती है लिहाज़ा किताबों में लिखे हुए। (और इस किताब के भी) या अवामुनास के बताए हुए इलाज शुरू करने से कब्ल अपनी तबीबा से मश्वरा कर लेना ज़रूरी है। एक म-दनी फूल येह भी कबूल कर लीजिये कि बदल बदल कर नहीं बल्कि एक ही तबीबा से इलाज करवाना मुनासिब रहता है कि वोह तब्ई मिज़ाज से वाकिफ़ हो जाती है।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 236 📚*
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❝ जनानी बीमारियों के घरेलू इलाज ❞
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*⇩ बीमारियों से हिफाजत के लिये ⇩*
╭┈► पुरानी जनानी बीमारियों से नजात और आयिन्दा इन से तहफ्फुजात के लिये इस्लामी बहनें येह चीजें ब कसरत इस्ति'माल करें 1) चुकन्दर 2) पत्ते वाली सब्जियां 3) साग 4) सोयाबीन 5) चोलाई का साग 6) सरसों का साग 7) कढ़ी पत्ता मरीज़ गैरे मरीज़ सभी इस को खा लें, इसे सालन से निकाल कर फेक न दिया करें 8) हरा धनिया 9) पोदीना 10) काले और सफेद चने 11) दालें 12) बिगैर छने आटे की रोटी। (ब्राऊन खुब्ज (रोटी) और ब्राऊन ब्रिड (डबल रोटी) के नाम से बिगैर छने आटे की रोटियां बेकरी से मिल सकती है)।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 237 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 270
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❝जनानी बीमारियों के घरेलू इलाज ❞
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*⇩ हैज़ की खराबी के नुक्सानात ⇩*
╭┈► हैज़ खुल कर न आने, या तक्लीफ़ से आने या बन्द हो जाने से कई किस्म के अमराज जनम लेते हैं। म-सलन चक्कर आना, सर का दर्द और खून की खराबी के अमराज़ जैसे खारिश, फोड़े फुन्सियां वगैरा।
*⇩ हैज़ की खराबी और डरावने ख्वाब ⇩*
╭┈► हैज़ की खराबियों की वज्ह से मरीज़ा को दूसरी परेशानियों के इलावा डरावने ख्वाब भी तंग करते हैं, यहां तक कि बाज अवकात आमिल "अ-सरात" कह कर मजीद खौफजदा कर देते हैं हालां कि वोह आसेब ज़दा नहीं होती इस्लामी बहन या इस्लामी भाई को जिस वज्ह से भी डरावने ख्वाब आते हों रोज़ाना सोते वक़्तیَا مُتَکَبِّرُ 21 बार (अव्वल आखिर एक बार दुरूद शरीफ) पढ़ लिया करे। इस अमल की पाबन्दी करने से इंशाअल्लाह ख्वाब में नहीं डरेंगे।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 237 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 271
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❝ जनानी बीमारियों के घरेलू इलाज ❞
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*⇩ कसरते हैज़ के दो इलाज ⇩*
╭┈► 1) बहुत ज़ियादा खून गिरता हो और चक्कर आते हों तो थोड़े से तुलसी के रस में एक चम्मच शहद मिला कर पीना मुफीद है
╭┈► 2) छ ग्राम धनिया (बीज) आधा किलो पानी में खूब पकाइये यहां तक कि पानी आधा रह जाए अब उतार कर एक चम्मच शहद मिला कर नीम गर्म पी लीजिये, इंशाअल्लाह जल्द फाएदा हो जाएगा। (मुद्दत 20 दिन)।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 238 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 272
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❝ जनानी बीमारियों के घरेलू इलाज ❞
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*⇩ माहवारी की खराबियों के तीन इलाज ⇩*
╭┈► 1) हींग खाने से रेहम (बच्चादान) सुकड़ता और हैज़ साफ़ आता है
╭┈► 2) 12 ग्राम काले तिल, पाव किलो पानी में खूब जोश दीजिये जब तीन हिस्से पानी जल जाए तो उस में कुछ गुड़ डाल कर दोबारा जोश दीजिये (पीने के काबिल हो जाने के बाद) येह पानी पीने से इंशाअल्लाह माहवारी को तकलीफ़ कम और अय्याम दुरुस्त हो जाएंगे।
╭┈► 3) कच्ची पियाज़ खाने से माहवारी साफ़ आती है और दर्द नहीं होता।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 238 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 273
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❝ जनानी बीमारियों के घरेलू इलाज ❞
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*⇩ हैज़ बन्द होने के 6 इलाज ⇩*
╭┈► 1) अगर गरमी या खुश्की के बाइस हैज़ बन्द हो जाए तो एक कप सोंफ के अरक में एक छोटा चम्मच तरबूज़ के बीज का मग्ज और एक चम्मच शहद मिला कर सुब्ह व शाम पियें इंशाअल्लाह फाएदा हो जाएगा। पानी खूब कसरत से पियें, हो सके तो रोज़ाना 12 गिलास पी लें।
╭┈► 2) 25 ग्राम गुड़ और 25 ग्राम सोंफ एक किलो पानी में जोश दीजिये, अन्दाज़न जब एक पियाली रह जाए तो छान कर गर्म गर्म पी लीजिये। ता हुसूले शिफ़ा रोज़ाना सुब्ह व शाम येह इलाज कीजिये।
╭┈► 3) हर खाने के साथ लड्सन का एक जवा (या'नी लहसन की पोथी की काश, कली) बारीक काट कर निगल लीजिये और बेहतर है कि उबाल कर पी लीजिये। (नमाज़ और जिक्रो दुरूद के लिये मुंह खूब साफ़ कीजिये हत्ता कि बदबू खत्म हो जाए)।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 239 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 274
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❝जनानी बीमारियों के घरेलू इलाज ❞
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*⇩ हैज़ बन्द होने के 6 इलाज ⇩*
╭┈► 4) तीन अदद छुहारे, माजे बादाम 10 ग्राम, नारियल 10 ग्राम और किशमिश या'नी खुश्क छोटे अंगूर 20 ग्राम हैज के दिनों में रोजाना गर्म दूध के साथ इस्तिमाल कीजिये।
╭┈► 5) अय्यामे हैज़ से एक हफ्ता कब्ल रोजाना दूध के साथ 25 ग्राम सोंफ़ इस्ति'माल कीजिय।
╭┈► 6) आलू, मसूर और खुश्क ग़िजाएं माहवारी में रुकावट बनती हैं लिहाजा इन अय्याम में इन से परहेज़ कीजिये।
*⇩ हैज़ के दर्द का इलाज ⇩*
╭┈► 25 ग्राम गुड़ और गाजर के बीज 15 ग्राम दो गिलास पानी में उबालिये जब आधा गिलास रह जाए तो छान कर पी लीजिये। अगर हैज़ दर्द से आता हो तो उस के अय्याम में बिगैर दर्द के आने लगेगा।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 239 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 275
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❝ जनानी बीमारियों के घरेलू इलाज ❞
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*⇩ "या खुदा" के पांच हुरूफ़ की निस्बत से बांझपन के 5 इलाज ⇩*
╭┈► 1) हर नमाज के बाद दोनों मियां बीवी (अव्वल आखिर एक बार दुरूद शरीफ़ के साथ) कुरआने करीम में वारिद येह दुआए इब्राहीम अलैहिस्सलातु वस्सालाम तीन बार पढ़ते रहें
رَبِّ اجْعَلْنِیْ مُقِیْمَ الصَّلٰوةِ وَ مِنْ ذُرِّیَّتِیْ رَبَّنَا وَ تَقَبَّلْ دُعَآءِ(۴۰)رَبَّنَا اغْفِرْ لِیْ وَ لِوَالِدَیَّ وَ لِلْمُؤْمِنِیْنَ یَوْمَ یَقُوْمُ الْحِسَابُ۠(۴۱)
📙 पारा 13 सूरह इब्राहीम आयत 40-41
╭┈► 2) दोनों हर नमाज के बाद (अव्वल आखिर एक बार दुरूद शरीफ़) दुआए ज़-करिव्या भी तीन मर्तबा पढ़ लिया करें :
رَبِّ هَبْ لِیْ مِنْ لَّدُنْكَ ذُرِّیَّةً طَیِّبَةًۚ-اِنَّكَ سَمِیْعُ الدُّعَآءِ(۳۸)
📕 पारा 3 सूरह आले इमरान आयत 38
╭┈► 3) एक अदद जाइफल बारीक पीस कर सात हिस्से कर लीजिये तीन माह तक औरत एक एक हिस्सा रोजाना सुब्ह पानी से इस्ति'माल करे मगर हैज़ के दौरान न ले।
╭┈► 4) 12 ग्राम सोंफ़ और 50 ग्राम गुलकन्द रोज़ाना रात को गर्म दूध से खाइये।
╭┈► 5) आधा किलो शकर, आधा किलो सोंफ़, 250 ग्राम मरजे बादाम, आधा किलो देसी घी सोंफ को बारीक पीस कर गर्म घी में मिला दीजिये नीज़ शकर डाल दीजिये फिर चूल्हे से उतार कर कूटे हुए बादाम ऊपर डाल दीजिये।
╭┈► *तरकीबे इस्ति'माल :* जिस दिन माहवारी शुरू हो उस दिन से मियां बीवी दोनों तीस तीस ग्राम सुब्ह व शाम दूध के साथ इस्ति'माल करना शुरुअ कर दें।...✍🏻 (मुद्दाते इलाज कम अज कम 92 दिन)
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 240 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 276
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❝ जनानी बीमारियों के घरेलू इलाज ❞
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*⇩ हामिला की तकालीफ़ के 6 इलाज ⇩*
╭┈► 1) देसी घी में भुनी हुई हींग देसी घी के साथ खाने से दर्दे जेह और चक्कर में फाएदा होता है।
╭┈► 2) अगर हामिला को भूक न लगती हो तो दो चम्मच अदरक के रस में सुपारी जितना गुड़ और पाव चम्मच अजमा का चूरन मिला कर सुब्ह व शाम इस्ति'माल करने से भूक खूब लगती है।
╭┈► 3) दौराने हम्ल बुखार और विलादत के बाद दर्दे कमर हो तो आधा चम्मच पिसी हुई सूंठ, आधा चम्मच अजमा और आधा चम्मच देसी घी मिला कर सुब्ह व शाम खिलाइये इंशाअल्लाह आराम आ जाएगा।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 241 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 277
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❝जनानी बीमारियों के घरेलू इलाज ❞
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*⇩ हामिला की तकालीफ़ के 6 इलाज ⇩*
╭┈► 4) हामिला रोज़ाना माल्टा और सिर्फ एक अदद छोटा सेब खाए, अगर मजबूरी हो तो तब भी आयरन की गोलियां कम से कम इस्ति'माल करे इंशाअल्लाह हर किस्म की बीमारी से हिफ़ाज़त होगी और बच्चा खूब सूरत होगा सेब और आयरन की गोलियां ज़ियादा खाने से बच्चा काला पैदा हो सकता है।
╭┈► 5) कै मतली, बद हज़्मी, गेस से पेट फूलना, बल्गम, पेट का दर्द और हामिला की दीगर तकालीफ़ में अजमा का चूरन आधा चम्मच नीम गर्म पानी के साथ सुब्ह व शाम इस्ति'माल करना बहुत मुफीद है।
╭┈► 6) तीन ग्राम पिसा हुवा धनिया और 12 ग्राम शकर को चावल के धोवन (या'नी चावल का धोया हुवा पानी) के साथ हामिला इस्ति'माल करे तो कै में इफ़ाका (कमी, फाएदा) होता है।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 241 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 278
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❝जनानी बीमारियों के घरेलू इलाज ❞
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*⇩ हसीन व अक्लमन्द औलाद के लिये ⇩*
╭┈► हामिला अगर ब कसरत खरबूज़ा खाए तो औलाद हसीन और सिहहत मन्द पैदा होगी इंशाअल्लाह और अगर हामिला "लोबिया" (जो कि एक मशहूर सब्जी है) कसरत से खाए तो औलाद अक्ल मन्द पैदा हो। इंशाअल्लाह
*⇩ अय्यामे हम्ल के लिये बेहतरीन अमल ⇩*
╭┈► हम्ल में किसी किस्म की भी तक्लीफ़ हो उस के लिये नीज़ वज़ए हम्ल (या'नी विलादत) में आसानी की ख़ातिर सूरए मरयम (पारह 15) का विर्द बेहद मुफीद है। हामिला रोज़ पढ़ कर अपने ऊपर दम कर लिया करे या कोई दूसरा पढ़ कर दम कर दे रोज़ाना न पढ़ सके तो जब दर्द की शिद्दत हो या बच्चा पेट में टेढ़ा हो जाए तो पढ़ कर दम कर लिया करे। इंशाअल्लाह इस की ब-र-कतें खूब ज़ाहिर होंगी।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 242 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 279
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❝जनानी बीमारियों के घरेलू इलाज ❞
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*⇩ हम्ल में ताख़ीर ⇩*
╭┈► अगर हम्ल में मतलूबा दर्द शुरूअ होने में ताखीर हो जाए तो बहुत पुराना गुड़ 30 या 40 ग्राम ले कर 100 ग्राम पानी में गर्म कीजिये, जब गुड़ पिघल जाए तो "सुहागा" और "फूली हुई फट्करी" दो ग्राम मिला कर पिलाने से इंशाअल्लाह, आसानी से विलादत हो जाएगी।
*⇩ अगर पेट में बच्चा टेढ़ा हो गया तो ⇩*
╭┈► सूरए इन्शिकाक की इब्तिदाई पांर् आयात तीन बार पढ़े। (अव्वल आख़िर तीन मतंबा दुरूद शरीफ पढ़े) आयतों के शुरू में हर बार بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ पढ़ ले। पढ़ कर पानी पर दम कर के पी ले रोज़ाना येह अमल करती रहे वक्तन फ़ वक्तन इन आयात का विर्द करती रहे। दूसरा कोई भी दम कर के दे सकता है। इंशाअल्लाह बच्चा सीधा हो जाएगा। दर्दे जेह के लिये भी येह अमल मुफीद है।
*⇩ सफ़ेद पानी ⇩*
╭┈► 1. तीन तीन ग्राम जीरा और शकर को पीस कर मिला लीजिये। इस चूरन को मुनासिब मिक्दार में चावल के धोवन में मिला कर पीने से इंशाअल्लाह सफ़ेद पानी गिरना बन्द हो जाएगा।
╭┈► 2) 6 ग्राम खालिस घी और एक पक्का केला साथ खाने से इंशाअल्लाह) पानी गिरना बन्द होगा।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 242 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 280
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❝जनानी बीमारियों के घरेलू इलाज ❞
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*⇩ "या फ़ातिमा" के सात हुरूफ़ की निस्बत से हम्ल की हिफाजत के 7 इलाज ⇩*
╭┈► 1) लाइलाहा इल्लल्लाह ( لَاَ اِلٰهَ اِلَّا اللّٰه) (ए'राब लगाने की हाजत नहीं अलबत्ता दोनों जगह لا के दाएर खुले रखिये) किसी कागज़ पर 55 बार लिख कर (या लिखवा कर) हस्बे ज़रूरत तावीज़ की तरह तह कर के मोमजामा या प्लास्टिक कोटिंग करवा कर कपड़े या रेग्ज़ीन या चमड़े में सी कर हामिला गले! में पहन या बाजू में बांध ले इंशाअल्लाह हम्ल की भी हिफाज़त होगी। और बच्चा भी बला व आफ्त से सलामत रहेगा। अगर 55 बार (अव्वल आखिर एक बार दुरूद शरीफ़ के साथ) पढ़ कर पानी पर दम कर के रख लें और पैदा होते ही बच्चे के मुंह पर लगा दें तो इंशाअल्लाह) बच्चा जहीन होगा और बच्चों को होने वाली बीमारियों से भी महफूज रहेगा। अगर येही पढ़ कर जैत (या'नी जैतून शरीफ़ के तेल) पर दम कर के बच्चे के जिस्म पर नरमी के साथ मल दिया जाए तो बेहद मुफीद है। इंशाअल्लाह कीड़े मकोड़े और दीगर मूजी जानवर बच्चे से दूर रहेंगे। इस तरह का पढ़ा हुवा जैत बड़ों के जिस्मानी दर्दों में मालिश के लिये
भी निहायत कारआमद है।...✍🏻
📙 फैलाने सुन्नत, जिल्द अव्वल, सफ़ह 995
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 243 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 281
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❝ जनानी बीमारियों के घरेलू इलाज ❞
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*⇩ "या फ़ातिमा" के सात हुरूफ़ की निस्बत से हम्ल की हिफाजत के 7 इलाज ⇩*
╭┈► 2) लाइलाहा इल्लल्लाह ( لَاَ اِلٰهَ اِلَّا اللّٰه) (बिगैर ए'राब मगर दोनों जगह لا के दाएरे खुले हो) किसी रिकावी (या काग़ज़) पर 11 बार लिख कर धो कर औरत को पिला दीजिये इंशाअल्लाह हम्ल की हिफ़ाज़त होगी जिस औरत को दूध न आता हो या कम आता हो इंशाअल्लाह) उस के लिये भी येह अमल मुफीद है। चाहें तो एक ही दिन पिलाएं या कई रोज़ तक रोज़ाना ही लिख कर पिलाएं हर तरह से इख्तियार है।
╭┈► 3) या हय्यू या कय्यूम (یا حَیُّ یا قَیُّومُ) 111 बार किसी कागज़ पर लिख कर हामिला के पेट पर बांध दीजिये और विलादत के वक्त तक बांधे रहिये (ज़रूरतन कुछ देर के लिये खोलने में ! हरज नहीं) इंशाअल्लाह हम्ल भी महफूज़ रहेगा और बच्चा भी सिहहत मन्द पैदा होगा।...✍🏻
📙 फ़ैज़ाने सुन्नत, जिल्द अव्वल, सफ़ह 1296
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 244 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 282
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❝ जनानी बीमारियों के घरेलू इलाज ❞
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*⇩ "या फ़ातिमा" के सात हुरूफ़ की निस्बत से हम्ल की हिफाजत के 7 इलाज ⇩*
╭┈► 4) हिफ़ाजते हम्ल के लिये शुरूए हम्ल से ले कर बच्चे का दूध छुड़ाने तक रोज़ाना एक बार सूरए वश्शम्स (पारह 30) पढ़े
╭┈► 5) हम्ल जाएअ होने के खतरे की सूरत में रोजाना बा दे नमाजे फज्र शोहर हामिला जौजा के पेट पर शहादत की उंगली रख कर दस बार दाएरा बनाए और हर बार उंगली घुमाते हुए یا مُبْتَدِئُ पढ़े
╭┈► 6) या राक़िबु (یارَقِیْبُ) सात बार रोजाना पांचों नमाजों के बाद अपने पेट पर हाथ रख कर हामिला पढ़े इंशाअल्लाह बच्चा जाएअ न होगा
╭┈► 7) जिस औरत का हम्ल गिर जाता हो उसे चाहिये कि आगाज़ से ले कर आखिरी दिन तक रोज़ाना सुब्ह खुश्क धनिया 21 दाने और शाम को काला जीरा दो चुटकियां ठन्डे पानी के साथ निगल लिया करे। इंशाअल्लाह) मुकर्ररा वक़्त पर तन्दुरुस्त बच्चे की विलादत हो जाएगी।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 245 📚*
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❝जनानी बीमारियों के घरेलू इलाज ❞
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*⇩ लीकोरिया का इलाज ⇩*
╭┈► 1) नाश्ते के बाद तीन खुश्क अन्जीर खाइये इंशाअल्लाह फाएदा होगा।
*⇩ इर्कुन्निसा के दो इलाज ⇩*
╭┈► 1) रोज़ाना दर्द के मकाम पर हाथ रख कर अव्वल आखिर दुरूद शरीफ़ सू-रतुल फ़ातिहा एक बार और सात मरतबा येह दुआ पढ़ कर दम कर दीजिये اَللّٰھُمَّ اَذْھِبْ عَنَّیْ سُوْءَ مَااَجِدُ (ऐ अल्लाह मुझ से मरज़ दूर फ़रमा दे) अगर दूसरा कोई पढ़ कर दम करे तो عَنَّیْ की जगह मर्द के लिये عَنْهُ और औरत के लिये عَنْھا कहे। (मुद्दत :ता हुसूले शिफ़ा)
╭┈► 2) या मुहय्यी (یا مُحْیِیْ) सात बार पढ़ कर गेस हो या पीठ या पेट में तकलीफ़ या इर्कुन्निसा या किसी भी जगह दर्द हो या किसी उज्व के जाएअ हो जाने का ख़ौफ़ हो, अपने ऊपर दम कर दीजिये।...✍🏻 (मुद्दत ता हुसूले शिफ)
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 245 📚*
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❝ कपड़े पाक करने का तरीका❞
(मअनजासतों का बयान)
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╭┈► *दुरूद शरीफ़ की फ़ज़ीलत :* अल्लाह के महबूब, दानाए गुयूब, मुनज्जहुन अनिल उयूब ﷺ का फ़रमाने तकरब निशान है जिस ने मुझ पर सो मर्तबा दुरूदे पाक पढ़ा अल्लाह तआला उस की दोनों आंखों के दरमियान लिख देता है कि येह निफ़ाक़ और जहन्नम की आग से आजाद है और उसे बरोजे कियामत शु-हदा के साथ रखेगा।
*⇩ नजासत की अक्साम ⇩*
╭┈► नजासत की दो किस्में हैं
╭┈► 1) नजासते गलीज़ा।
╭┈► 2) नजासते खफ़ीफ़ा।...✍🏻
📙 फ़्तावा काज़ी ख़ान, जिल्द 1 सफ़ह 10
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 246 📚*
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❝ कपड़े पाक करने का तरीका❞
(मअनजासतों का बयान)
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*⇩ नजासते गलीज़ा ⇩*
╭┈► 1) इन्सान के बदन से जो ऐसी चीज़ निकले कि उस से गुस्ल या वुजू वाजिब हो नजासते गलीज़ा है जैसे पाखाना, पेशाब, बहता खून, पीप, मुंह भर के, हैज़ व निफास व इस्तिहाजे का खून, मनी, मजी, वदी।
╭┈► 2) जो खून ज़ख्म से बहा न हो! पाक है।
📙 फ़्तावा रज़विय्या मुखर्रजा, जिल्द 1सफ़ह 280
╭┈► 3) दुखती आंख से जो पानी निकले, नजासते गलीज़ा है। यूंही नाफ़ या पिस्तान से दर्द के साथ पानी निकले, नजासते गलीजा है।...✍🏻
📕 ऐजन, सफ़ह 269- 270
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 247 📚*
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❝ कपड़े पाक करने का तरीका ❞
(मअनजासतों का बयान)
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*⇩ नजासते गलीज़ा ⇩*
╭┈► 4) खुश्की के हर जानवर का बहता खून, मुर्दार का गोश्त और चर्बी, (या'नी जिस जानवर में बहता खून होता है वोह अगर बिगैर जब्हे शर-ई के मर जाए तो मुर्दार है, नीज़ मजूसी या बत परस्त या मुरतद का जबीहा भी मुरदार है अगर्चे उस ने हलाल जानवर म-सलन बकरी वगैरा को "بِسْمِ اللّٰهِ اَللّٰهُ اَکْبَر" पढ़ कर जब्ह किया हो उस का गोश्त पोस्त (चमड़ा), सब नापाक हो गया हां मुसल्मान ने हराम जानवर को भी अगर शर-ई तरीके से जब्ह कर लिया तो उस का गोश्त पाक है अगचे खाना हराम है, सिवा खिजीर के कि वोह नजिसुल ऐन है किसी तरह पाक नहीं हो सकता)।
╭┈► 5) हराम चौपाए जैसे कुत्ता, शेर, लोमड़ी, बिल्ली, चूहा, गधा, खच्चर, हाथी और सुवर का पाखाना, पेशाब और घोड़े की लीद। और
╭┈► 6) हर हलाल चौपाए का पाखाना जैसे गाय भैस का गोबर, बकरी ऊंट की मेंगनी।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 247 📚*
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❝ कपड़े पाक करने का तरीका ❞
(मअनजासतों का बयान)
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*⇩ नजासते गलीज़ा ⇩*
╭┈► 7) जो परिन्दा कि ऊंचा न उड़े उस की बीट जैसे मुर्गी और बत् (बतख) छोटी हो ख्वाह बड़ी, और
╭┈► 8) हर किस्म की शराब और नशा लाने वाली ताड़ी और सेंधी। और
╭┈► 9) सांप का पाखाना पेशाब। और
╭┈► 10) उस जंगली सांप और मेंडक का गोश्त जिन में बहता खून होता है अगर्चे जब्ह किये गए हों, यूंही उन की खाल अगर्ने पका (या'नी सुखा) ली गई हो। और
╭┈► 11) सुवर का गोश्त और हड्डी और बाल अगर्चे जब्ह किया गया हो येह सब नजासते गलीज़ा हैं।
📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 2, सफह 112-113)
╭┈► 12) छिप-कली या गिरगट का खून नजासते गलीज़ा है।
📕 ऐजन सफ़ह 113
╭┈► 13) हाथी के सूंड की रतूबत और शेर, कुत्ते, चीते और दूसरे दरिन्दे चौपायों का लुआब (थूक) नजासते गलीज़ा है।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 247 📚*
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❝ कपड़े पाक करने का तरीका ❞
(मअनजासतों का बयान)
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*⇩ दूध पीते बच्चों का पेशाब नापाक है ⇩*
╭┈► अक्सर अवाम में जो येह मशहूर है कि दूध पीते बच्चे चूंकि खाना नहीं खाते इस लिये इन का पेशाब नापाक नहीं होता येह गलत है, दूध पीते बच्चे और बच्ची का पेशाब पाखाना भी नजासते गलीज़ा है इसी तरह अगर दूध पीते बच्चे ने दूध डाल दिया अगर मुंह भर है तो नजासते गलीज़ा है।...✍🏻
📙 मुलख्खसन बहारे शरीअत हिस्सा 2, सफ़ह 112
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 248 📚*
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❝ कपड़े पाक करने का तरीका❞
(मअनजासतों का बयान)
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*⇩ नजासते गलीज़ा का हुक्म ⇩*
╭┈► नजासते गलीज़ा का हुक्म येह है कि अगर कपड़े या बदन पर एक दिरहम से ज़ियादा लग जाए तो उस का पाक करना फर्ज है, बिगैर पाक किये अगर नमाज़ पढ़ ली तो नमाज़ न होगी और इस सूरत में जान बूझ कर नमाज़ पढ़ना सख्त गुनाह है, और अगर नमाज़ को हलका जानते हुए इस तरह नमाज़ पढ़ी तो कुफ्र है नजासते गलीज़ा अगर दिरहम के बराबर कपड़े या बदन पर लगी हुई हो तो उस का पाक करता वाजिब है अगर बिगैर पाक किये नमाज़ पढ़ ली तो नमाज़ मकरुहे तहरीमी होगी और ऐसी सूरत में कपड़े या बदन को पाक कर के दोबारा नमाज़ पढ़ना वाजिब है, जान बूझ कर इस तरह नमाज़ पढ़नी गुनाह है अगर नजासते गलीज़ा 'दिरहम से कम कपड़े या बदन पर लगी हुई है तो उस का पाक करना सुन्नत है अगर बिगैर पाक किये नमाज़ पढ़ ली तो नमाज़ हो जाएगी, मगर खिलाफे सुन्नत, ऐसी नमाज़ को दोहरा लेना बेहतर है।...✍🏻
📙 बहारे शरीअत, हिस्सा 2, सफ़ह 111
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 248 📚*
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❝ कपड़े पाक करने का तरीका ❞
(मअनजासतों का बयान)
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*⇩ दिरहम की मिक्दार की वज़ाहत ⇩*
╭┈► नजासते गलीज़ा का दिरहम या इस से कम या ज़ियादा होने से मुराद येह है कि नजासते गलीज़ा अगर गाढ़ी हो म-सलन पाखाना, लीद वगैरा तो दिरहम से मुराद वज्न में साढ़े चार माशा (या'नी 4.374 ग्राम) है, लिहाजा अगर नजासत दिरहम से ज़ियादा या कम है तो उस से मुराद वन में साढ़े चार माशे से कम या ज़ियादा होना है और अगर नजासते गलीज़ा पतली हो जैसे पेशाब वगैरा तो दिरहम से मराद लम्बाई चौड़ाई है या'नी हथेली को खूब फैला कर हमवार रखिये और। उस पर आहिस्तगी से इतना पानी डालिये कि इस से ज़ियादा पानी न: रुक सके, अब जितना पानी का फैलाव है उतना बड़ा दिरहम समझा जाएगा।
📙 बहारे शरीअत, हिस्सा 2, स. 111
╭┈► किसी कपड़े या बदन पर चन्द जगह नजासते गलीज़ा लगी और किसी जगह दिरहम के बराबर नहीं, मगर मज्मूआ दिरहम के बराबर है, तो दिरहम के बराबर समझी जाएगी और जाइद है तो जाइद नजासते खफ़ीफ़ा में भी मज्मूए ही पर हुक्म दिया जाएगा।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 249 📚*
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❝ कपड़े पाक करने का तरीका❞
(मअनजासतों का बयान)
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*⇩ नजासते ख़फ़ीफ़ा ⇩*
╭┈► जिन जानवरों का गोश्त हलाल है, (जैसे गाय, बैल, भेंस, बकरी, ऊंट वगैरहा) उन का पेशाब, नीज़ घोड़े का पेशाब और जिस परिन्द का गोश्त हराम है, ख्वाह शिकारी हो या नहीं, (जैसे कव्वा, चील, शिकरा, बाज़) उस की बीट नजासते खफ़ीफ़ा है।
📙 ऐज़न, सफ़ह 113
*⇩ नजासते ख़फ़ीफ़ा का हुक्म ⇩*
╭┈► नजासते खफ़ीफ़ा का हुक्म येह है कि कपड़े के जिस हिस्से या बदन के जिस उज्व में लगी है अगर उस का चौथाई से कम है तो मुआफ है, म-सलन आस्तीन में नजासते ख़फ़ीफ़ा लगी हुई है तो अगर आस्तीन की चौथाई से कम है या दामन में लगी है तो दामन की चौथाई से कम है या इसी तरह हाथ में लगी है तो हाथ की चौथाई से कम है तो मुआफ है या'नी इस सूरत में पढ़ी गई नमाज़ हो जाएगी और अलबत्ता अगर पूरी चौथाई में लगी हो तो बिगैर पाक किये नमाज़ न होगी।
📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 2, सफ़ह 111
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 249 📚*
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❝ कपड़े पाक करने का तरीका❞
(मअनजासतों का बयान)
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*⇩ जुगाली का हुक्म ⇩*
╭┈► हर चौपाए की जुगाली का वोही हुक्म है जो उस के पाखाने का।
📙 ऐज़न, सफ़ह 113
╭┈► हैवानात का अपने चारे को मे'दे में से निकाल कर मुंह में दोबारा चबाना जुगाली कहलाता है। जैसा कि अक्सर गाय और ऊंट अपना मुंह चलाते रहते हैं और उन से साबुन की तरह झाग निकलता है, उन की (या'नी गाय और ऊंट की) जुगाली में निकलने वाला झाग वगैरा नजासते गलीज़ा है।
*⇩ पित्ते का हुक्म ⇩*
╭┈► हर जानवर के पित्ते का बोही हुक्म है जो उस के पेशाब का हराम जानवरों का पित्ता नजासते गलीज़ा और हलाल का नजासते, खफ़ीफ़ा है।...✍🏻
📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 2, सफ़ह 113
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 250 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 293
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❝ कपड़े पाक करने का तरीका ❞
(मअनजासतों का बयान)
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*⇩ जानवरों की कै ⇩*
╭┈► हर जानवर की कै उस की बीट का हुक्म रखती है या'नी जिस की बीट पाक है जैसे चिड़िया या कबूतर उस की कै भी पाक है और जिस की नजासते खफ़ीफ़ा है जैसे बाज़ या कव्वा, उस की कै भी नजासते खफीफा और जिस की नजासते गलीज़ा है जैसे बत् (बतख) या मुर्गी, उस की कै भी नजासते गलीज़ा और कै से मुराद वोह खाना पानी वगैरा है जो पोटे (या'नी मे'दे) से बाहर निकले कि जिस जानवर की बीट नापाक है उस का पोटा मा'दिने नजासात (नजासतों की जगह) है पोटे से जो चीज़ बाहर आएगी खुद नजिस (नापाक) होगी या नजिस से मिल कर आएगी बहर हाल मिस्ले बीट नजासत रखेगी खफ़ीफ़ा में खफ़ीफ़ा, गलीज़ा में गलीज़ा, ब खिलाफ उस चीज़ के जो अभी पोटे तक न पहुंची थी कि निकल आई म-सलन मुर्गी ने पानी पिया अभी गले ही में था कि उच्छू लगा और निकल गया येह पानी बीट का हुक्म न रखेगा।
╭┈► क्यूं कि इस ने नजासत में हुलूल नहीं किया (मिक्स न हुवा) और न ही नजासत की जगह से मिला) बल्कि इसे सुअर या'नी झूटे का हुक्म दिया जाएगा कि उस के मुंह से मिल कर आया है उस जानवर का झूटा नजासते गलीज़ा या खफ़ौफ़ या मश्कूक या मकरुह या ताहिर (या'नी पाक) जैसा होगा पैसा ही उस चीज़ का हुक्म दिया जाएगा जो मेंदे तक पहुंचने से पहले बाहर आई जो मुर्गी छूटी फिरे उस का झूटा मकरुह है येह पानी भी मकरुह होगा और पोटे (मे'दे) में पहुंच कर आता तो नजासते गलीजा होता।...✍🏻
📙 फताबा र-जविय्या मुखर्रजा, जिल्द 4, सफह 390-391
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 250 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 294
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❝ कपड़े पाक करने का तरीका❞
(मअनजासतों का बयान)
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*⇩ दूध या पानी में नजासत पड़ जाए तो ⇩*
╭┈► नजासते गलीज़ा और ख़फ़ीफ़ा के जो अलग अलग हुक्म बताए गए हैं येह अहकाम उसी वक़्त हैं जब कि बदन या कपड़े में लगे अगर किसी पतली चीज़ म-सलन दूध या पानी में नजासत पड़ जाए चाहे गलीज़ा हो या ख़फ़ीफ़ा दोनों सूरतों में वोह दूध या पानी जिस में नजासत पड़ी है नापाक हो जाएगा अगचें एक ही कतरा नजासत पड़ी हो नजासते खफीफा अगर नजासते गलीज़ा में मिल जाए तो वोह तमाम नजासते गलीज़ा हो जाएगी।...✍🏻
📙 बहारे शरीअत, हिस्सा 2 सफह 112-113
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 251 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 295
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❝ कपड़े पाक करने का तरीका❞
(मअनजासतों का बयान)
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*⇩ दीवार, जमीन, दरख्त वगैरा कैसे पाक हों? ⇩*
╭┈► 1) नापाक ज़मीन अगर सूख जाए और नजासत का असर या'नी रंग व बू जाते रहें तो वोह ज़मीन पाक हो गई ख्वाह वोह नापाकी हवा से सूखी हो या धूप से या आग से, लिहाजा उस ज़मीन पर नमाज पढ़ सकते हैं मगर उस ज़मीन से तयम्मुम नहीं कर सकते
╭┈► 2) दरख्त और घास और दीवार और ऐसी ईट जो ज़मीन में जड़ी हो, येह सब खुश्क हो जाने से पाक हो गए (जब कि नजासत का असर रंग व बू जाते रहे हो) और अगर ईट जड़ी हुई न हो तो खुश्क होने से पाक न होगी बल्कि धोना ज़रूरी है। यूंही दरख्त या घास (नजासत) सूखने के पेश्तर काट लें, तो तहारत (या'नी पाक करने) के लिये धोना ज़रूरी है।...✍🏻
📙 बहारे शरीअत, हिस्सा 2, सफ़ह 123
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 253 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 296
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❝ कपड़े पाक करने का तरीका❞
(मअनजासतों का बयान)
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*⇩ दीवार, जमीन, दरख्त वगैरा कैसे पाक हों?⇩*
╭┈► 3) अगर पथ्थर ऐसा हो जो ज़मीन से जुदा न हो सके तो खुश्क होने से पाक हो जाएगा जब कि नजासत का असर ज़ाइल हो जाए वरना धोने की ज़रूरत है।
╭┈► 4) जो चीज़ ज़मीन से मुत्तसिल (या'नी मिली हुई) थी और नजिस हो गई, फिर खुश्क होने (और नजासत का असर दूर हो जाने) के बाद अलग की गई, तो अब भी पाक ही है।
╭┈► 5) जो चीज़ सूखने या रगड़ने वगैरा से पाक हो गई फिर उस के बाद गीली हो गई तो वोह चीज़ नापाक न होगी जैसे ज़मीन पर पेशाब पड़ने से वोह नापाक हो गई फिर वोह ज़मीन सूख गई और नजासत का असर ख़त्म हो गया तो वोह, जमीन पाक हो गई। अब अगर वोह ज़मीन फिर किसी पाक चीज़ से गीली हो गई तो नापाक नहीं होगी।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 253 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 297
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❝ कपड़े पाक करने का तरीका❞
(मअनजासतों का बयान)
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*⇩ खून आलूद जमीन पाक करने का तरीका⇩*
╭┈► बच्चे या बड़े ने जमीन पर पेशाब पाखाना कर दिया या ज़ख्म वगैरा से खून या पीप या जानवर जब्ह करते वक़्त निकला हुवा खून जमीन पर गिर गया और बिगैर पानी के वैसे ही किसी कपड़े वगैरा से पोंछ लिया, सूखने और नजासत का असर ख़त्म हो जाने के बाद वोह जमीन पाक हो गई उस पर नमाज़ पढ़ सकते हैं।
*⇩ गोबर से लीपी हुई जमीन ⇩*
╭┈► जो जमीन गोबर से लीसी या लीपी गई अगर्चे वोह सूख जाए फिर भी ऐन उस ज़मीन पर नमाज़ जाइज़ नहीं, अलबत्ता ऐसी ज़मीन जो गोबर से लीसी या लीपी गई हो, उस के सूख जाने के बाद उस पर कोई मोटा कपड़ा बिछा कर नमाज़ पढ़ी तो नमाज़ दुरुस्त होगी।...✍🏻
📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 2, सफ़ह 126
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 254 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 298
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❝ कपड़े पाक करने का तरीका ❞
(मअनजासतों का बयान)
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*⇩ जिन परिन्दों की बीट पाक है ⇩*
╭┈► 1) चमगादड़' की बीट और पेशाब दोनों पाक हैं।
📙 बहारे शरीअत, हिस्सा 2, सफ़ह 113
╭┈► 2) जो हलाल परिन्दे ऊंचे उड़ते हैं, जैसे (चिड़िया), कबूतर, मैना, मुर्गाबी वगैरा इन की बीट पाक है।
📗 ऐज़न, सफ़ह 113
*⇩ मछली का खून पाक है ⇩*
╭┈► मछली और पानी के दीगर जानवरों और खटमल और मच्छर का खून और खच्चर और गधे का लुआब और पसीना पाक है।...✍🏻
📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 2, सफ़ह 114
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 254 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 299
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❝ कपड़े पाक करने का तरीका ❞
(मअनजासतों का बयान)
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*⇩ पेशाब की बारीक छींटें ⇩*
╭┈► 1) पेशाब की निहायत बारीक छीटें सूई की नोक बराबर की बदन या कपड़े पर पड़ जाएं, तो कपड़ा और बदन पाक रहेगा।
📙 बहारे शरीरात, हिरसा 2 सफ़ह 114
╭┈► 2) जिस कपड़े पर पेशाब की ऐसी ही बारीक छीटें पड़ गईं, अगर वोह कपड़ा पानी में पड़ गया तो पानी भी नापाक न होगा।
📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 2, सफ़ह 114
*⇩ गोश्त में बचा हुवा खून ⇩*
╭┈► गोश्त, तिल्ली, कलेजी में जो खून बाकी रह गया पाक है और अगर येह चीजें बहते खून में सन जाएं (या'नी आलूदा हो जाएं) तो। नापाक हैं, बिगैर धोए पाक न होंगी।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 255 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 300
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❝ कपड़े पाक करने का तरीका ❞
(मअनजासतों का बयान)
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*⇩ जानवरों की सूखी हड्डियां ⇩*
╭┈► सुवर के इलावा तमाम जानवरों की वोह हड्डी जिस पर मुर्दार की चिक्नाई न लगी हो पाक है, और बाल और दांत भी पाक हैं।
📙 बहारे शरीअत, हिस्सा : 2, सफ़ह 117
*⇩ हराम जानवर का दूध ⇩*
╭┈► हराम जानवरों का दूध नजिस है, अलबत्ता घोड़ी का दूध पाक है मगर खाना जाइज नहीं।
📗 ऐजन, सफ़ह 115
*⇩ चूहे की मेंगनी ⇩*
╭┈► चूहे की मेंगनी (नापाक है मगर) गेहूं में मिल कर पिस गई या तेल में पड़ गई तो आटा और तेल पाक है, हां अगर मजे में फ़र्क आ जाए तो नजिस (नापाक) है और अगर रोटी के अन्दर मिली तो उस के आस पास से थोड़ी सी अलग कर दें, बाकी में कुछ हरज नहीं।...✍🏻
📕 बहरे शरीअत, हिस्सा : 2, स. 115
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 255 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 301
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❝ कपड़े पाक करने का तरीका❞
(मअनजासतों का बयान)
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*⇩ गलाजत पर बैठने वाली मख्खियां ⇩*
╭┈► 1) पाखाने पर से मख्खियां उड़ कर कपड़े पर बैठी कपड़ा नजिस (नापाक) न होगा।
📕 बहारे शरीअत, हिस्सा : 2. सफह 116
╭┈► 2) रास्ते की कीचड़ (चाहे बारिश की हो या कोई और) पाक है जब तक उस का नजिस होना मालूम न हो, तो अगर पाउं या कपड़े में लगी और बे धोए नमाज़ पढ़ ली हो गई मगर धो लेना बेहतर है।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 256 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 302
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❝ कपड़े पाक करने का तरीका❞
(मअनजासतों का बयान)
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*⇩ बारिश के पानी के अहकाम ⇩*
╭┈► 1) छत के परनाले से मीह (बारिश) का पानी गिरे वोह पाक है अगर्चे छत पर जा बजा नजासत पड़ी हो, अगर्चे नजासत परनाले के मुंह पर हो, अगर्चे नजासत से मिल कर जो पानी गिरता हो वोह निस्फ़ से कम या बराबर या जियादा हो जब तक नजासत से पानी के किसी वस्फ़ में तगय्युर न आए (या'नी जब तक नजासत की वज्ह से पानी का रंग या बू या जाएका तब्दील न हो जाए) येही सहीह है और इसी पर ए'तिमाद है और अगर मौह (बरसात) रुक गया और पानी का बहना मौकूफ हो गया तो अब वोह ठहरा हुवा पानी और जो छत से टपके नजिस है।...✍🏻
📙 बहारे शरीअत हिस्सा 2 सफ़ह 52
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 256 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 303
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❝ कपड़े पाक करने का तरीका ❞
(मअनजासतों का बयान)
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*⇩ बारिश के पानी के अहकाम ⇩*
╭┈► 2) यूंही नालियों से बरसात का बहता पानी पाक है जब तक नजासत का रंग, या बू, या मज़ा उस में ज़ाहिर न हो, रहा उस से वुजू करना अगर उस पानी में नजासते मरइय्या (या'नी नज़र आने वाली नजासत) के अज्ज़ा ऐसे बहते जा रहे हों जो चुल्लू लिया जाएगा उस में एकआध ज़र्रा उस का भी ज़रूर होगा जब तो हाथ में लेते ही नापाक हो गया वुजू उस से हराम वरना जाइज़ है और बचना बेहतर है।
╭┈► 3) नाली का पानी कि बा'द बारिश के ठहर गया अगर उस में नजासत के अज्ज़ा महसूस हों या उस का रंग व बू महसूस हो तो नापाक है वरना पाक।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 256 📚*
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❝ कपड़े पाक करने का तरीका❞
(मअनजासतों का बयान)
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*⇩ गलियों में खड़ा हुवा बारिश का पानी ⇩*
╭┈► निचान वाली गलियों और सड़कों पर बारिश का जो पानी खड़ा हो जाता है वोह पाक है अगर्चे उस का रंग गदला होता है बाज़ अवकात गटर का पानी भी उस में शामिल हो जाता है लेकिन यहां भी येही काइदा है कि नापाकी के सबब से इस पानी के रंग या मज़ा या बू में तब्दीली आई तो नापाक है वरना पाक हां अगर बारिश थम गई, पानी भी बहना बन्द हो गया और दह दर दह से कम है और उस में कोई नजासत या उस के अज्ज़ा नज़र आ रहे हैं तो अब नापाक है। इसी तरह उस में किसी ने पेशाब कर दिया तो नापाक हो गया चप्पल से उड़ कर जो कीचड़ के छींटे पाजामे के पिछले हिस्से पर पड़ते हैं वोह पाक हैं जब तक यकीनी तौर पर इन का नापाक होना मा'लूम न हो।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 257 📚*
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❝ कपड़े पाक करने का तरीका❞
(मअनजासतों का बयान)
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*⇩ सड़क पर छिड़के जाने वाले पानी के छींटे ⇩*
╭┈► सड़क पर पानी छिड़का जा रहा था जमीन से छीटें उड़ कर कपड़े पर पड़ें, कपड़ा नजिस न हुवा मगर धो लेना बेहतर है।
📙 बहारे शरीअत, हिस्सा : 2, सफह 116
*⇩ ढेलों से पाकी लेने के बाद आने वाला पसीना ⇩*
╭┈► बाद पाखाना पेशाब के ढेलों से इस्तिन्जा कर लिया, फिर उस जगह से पसीना निकल कर कपडे या बदन में लगा तो बदन और कपड़े नापाक न होंगे।...✍🏻
📕 बहारे शरीअत्त, हिस्सा 2, सफ़ह 117
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 258 📚*
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❝ कपड़े पाक करने का तरीका❞
(मअनजासतों का बयान)
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*⇩ कुत्ता बदन से छू जाए ⇩*
╭┈► कुत्ता बदन या कपड़े से छू जाए तो अगर्चे उस का जिस्म तर, हो बदन और कपड़ा पाक है, हां अगर उस के बदन पर नजासत लगी हो तो और बात है या उस का लुआब लगे तो नापाक कर देगा।
📙 बहारे शरीअत, हिस्सा 2, सफ़ह 117
*⇩ कुत्ता आटे मे मुंह डाल दे तो ⇩*
╭┈► कुत्ते वगैरा किसी ऐसे जानवर (म-सलन सुवर, शेर, चीता, भेड़िया, हाथी, गीदड़ और दूसरे दरिन्दों में से किसी) ने जिस का लुआब नापाक है, आटे में मुंह डाला तो अगर गुंधा हुवा था तो जहां उस का मूंह पड़ा उस को अलाहिदा कर दे बाकी पाक है और सूखा था तो जितना तर हो गया वोह फेंक दे।...✍🏻
📕 बहारे शरीअत. हिस्सा : 2, सफह 117
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 258 📚*
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❝ कपड़े पाक करने का तरीका ❞
(मअनजासतों का बयान)
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*⇩ कुत्ता बरतन में मुंह डाल दे ⇩*
╭┈► कुत्ते ने बरतन में मूंह डाला तो अगर वोह चीनी या धात का है या मिट्टी का रोगनी या इस्ति'माली चिकना तो तीन बार धोने से पाक हो जाएगा वरना हर बार सुखा कर हां चीनी में बाल (या'नी बहुत बारीक शिगाफ) हो या और बरतन में दराड़ हो तो तीन बार सुखा कर पाक होगा फ़क़त धोने से पाक न होगा।
📙 ऐज़न, सफ़ह 64
╭┈► मटके को कुत्ते ने ऊपर (बाहरी हिस्सों) से चाटा उस में का पानी नापाक न होगा।
*⇩ बिल्ली पानी में मुंह डाल दे तो ⇩*
╭┈► घर में रहने वाले जानवर जैसे बिल्ली, चूहा, सांप, छिप-कली, का झूटा मकरुह है।
📕 ऐज़न, सफ़ह 65
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 259 📚*
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❝ कपड़े पाक करने का तरीका ❞
(मअनजासतों का बयान)
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*⇩ तीन म-दनी मुन्नियों की मौत का अलम-नाक वाक़िआ ⇩*
╭┈► दूध पानी और खाने पीने की चीजें ढक कर रखनी चाहिए। बाबुल मदीना कराची का इब्रतनाक वाकिआ है कि एक मियां बीवी अपनी तीन छोटी छोटी बच्चियों को पड़ोसन या किसी अजीजा के सिपुर्द कर के हज के लिये गए, हज से कब्ल ही यकायक तीनों म-दनी मुन्नियां एक साथ मौत की नींद सो गईं कोहराम पड़ गया, : मां बाप हज के बिगैर ही रोते धोते मक्कए मुकर्रमा से बाबुल मदीना आ पहुंचे, तहकीक करने पर इन्किशाफ़ हुवा कि दूध खुला हुवा रखा था उस में छिप-कली गिर कर मर गई थी वोही दूध बच्चियों ने पिया और ज़हर के असर से येह अलमिय्या पेश आया कहा जाता है अगर छिप-कली मशरुब में मर कर फट जाए तो 100 आदमियों के लिये उस का जहर काफ़ी है!...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 259 📚*
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❝ कपड़े पाक करने का तरीका❞
(मअनजासतों का बयान)
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*⇩ जानवरों का पसीना ⇩*
╭┈► जिस का झूटा नापाक है उस का पसीना और लुआब (या'नी ! थूक) भी नापाक है और जिस का झूटा पाक उस का पसीना और लुआब भी पाक और जिस का झूटा मकरुह उस का लुआब और पसीना भी मकरुह।
📙 बहारे शरीअत, हिस्सा 2, सफ़ह 66
*⇩ गधे का पसीना पाक है ⇩*
╭┈► गधे, खच्चर का पसीना अगर कपड़े में लग जाए तो कपड़ा पाक है चाहे कितना ही ज़ियादा लगा हो।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 260 📚*
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❝ कपड़े पाक करने का तरीका ❞
(मअनजासतों का बयान)
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*⇩ खून वाले मुंह से पानी पीना ⇩*
╭┈► किसी के मुंह से इतना खून निकला कि थूक में सुर्खा आ गई और उस ने फौरन पानी पिया तो येह झूटा (पानी) नापाक है और सुर्खी जाती रहने के बाद उस पर लाज़िम है कि कुल्ली कर के मुंह पाक करे और अगर कुल्ली न की और चन्द बार थूक का गुज़र मौजए नजासत: (या'नी नापाक हिस्से) पर हुवा ख्वाह निगलने में या थूकने में यहां तक कि नजासत का असर न रहा तो तहारत हो गई इस के बाद अगर पानी पियेगा तो पाक रहेगा अगर्चे ऐसी सूरत में थूक निगलना सख्त नापाक बात और गुनाह है।...✍🏻
📙 बहारे शरीअत, हिस्सा : 2. सफ़ह 63
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 260 📚*
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❝ कपड़े पाक करने का तरीका❞
(मअनजासतों का बयान)
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*⇩ औरत के पर्दे की जगह की रतूबत ⇩*
╭┈► औरत के पेशाब के मकाम से जो रतूबत निकले पाक है, कपड़े या बदन में लगे तो धोना ज़रूरी नहीं हां धो लेना बेहतर है।
📙 ऐजन, सफ़ह 117
*⇩ सड़ा हुवा गोश्त ⇩*
╭┈► जो गोश्त सड़ गया बदबू ले आया उस का खाना हराम है। अगर्चे नजिस (नापाक) नहीं।
📗 बहारे शरीअत, हिस्सा : 2, सफ़ह 117
*⇩ खून की शीशी ⇩*
╭┈► अगर नमाज़ पढ़ी और जेब वगैरा में शीशी है और उस में पेशाब या खून या शराब है तो नमाज़ न होगी और जेब में अन्डा है और उस की ज़र्दी खून हो चुकी हैं तो नमाज़ हो जाएगी।...✍🏻
📕 ऐज़न, सफ़ह 114
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 261 📚*
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❝ कपड़े पाक करने का तरीका❞
(मअनजासतों का बयान)
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*⇩ मय्यित के मुंह का पानी ⇩*
╭┈► मुर्दे के मुंह का पानी नापाक है।
📙 फ़्तावा र-ज़िव्या मुखर्रजा, जिल्द 1, सफ़ह 268
*⇩ नापाक बिछोना ⇩*
╭┈► 1) भीगी हुई नापाक ज़मीन या नजिस (नापाक) बिछोने पर सूखे हुए पाउं रखे और पाउं में तरी आ गई तो नजिस (नापाक) हो गए और सील (या'नी ऐसी नमी जो पाउं को तर न कर सके, ठन्डक) है तो नहीं।
📗 बहारे शरीअत, हिस्सा : 2, सफ़ह 115
╭┈► 2) नजिस (नापाक) कपड़ा पहन कर या नजिस (नापाक) बिछोने पर सोया और पसीना आया अगर पसीने से वोह नापाक जगह भीग गई फिर उस से बदन तर हो गया तो नापाक हो गया वरना नहीं।...✍🏻
📕 ऐजन, सफ़ह 116
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 261 📚*
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❝ कपड़े पाक करने का तरीका❞
(मअनजासतों का बयान)
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*⇩ गीली रुमाली ⇩*
╭┈► मियानी' तर थी और हवा निकली तो कपड़ा नजिस न होगा।
*⇩ इन्सानी खाल का टुकड़ा ⇩*
╭┈► आदमी की खाल अगचें नाखुन बराबर थोड़े पानी (या'नी दह दर दह से कम) में पड़ जाए वोह पानी नापाक हो गया और खुद नाखुन गिर जाए तो नापाक नहीं।
*⇩ उपला (सूखा हुवा गोबर) ⇩*
╭┈► 1) उपले (या'नी गाय भेंस का सूखा हुवा गोबर) जला कर खाना पकाना जाइज़ है।
📙 बहारे शरीअत, हिस्सा : 2, सफ़ह 124
╭┈► 2) उपले (या'नी गाय भैस के सूखे हुए गोबर) का धुवां रोटी में लगा तो रोटी नापाक न हुई।
📗 ऐज़न, सफ़ह 116
╭┈► 3) उपले की राख पाक है और अगर राख होने से कब्ल बुझ गया तो नापाक।...✍🏻
📕 ऐज़न, सफ़ह 118
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 262 📚*
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❝ कपड़े पाक करने का तरीका❞
(मअनजासतों का बयान)
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*⇩ तवे पर नापाक पानी छिड़क दिया तो? ⇩*
╭┈► तन्नूर या तवे पर नापाक पानी का छींटा डाला और आंच से उस की तरी जाती रही अब जो रोटी लगाई गई पाक है।
📙 ऐजन, सफ़ह 124
*⇩ हराम जानवर का गोश्त और चमड़ा कैसे पाक हो ⇩*
╭┈► सुवर के सिवा हर जानवर हलाल हो या हराम जब कि ज़ब्द के काबिल हो, और बिस्मिल्लाह कह कर ज़ब्ह किया गया तो उस का गोश्त और खाल पाक है, कि नमाज़ी के पास अगर वोह गोश्त है या उस की खाल पर नमाज़ पढ़ी तो नमाज़ हो जाएगी मगर हराम जानवर (का गोश्त वगैरा खाना) ज़बह से हलाल न होगा हराम ही रहेगा।...✍🏻
📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 2. सफ़ह 124
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 263 📚*
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❝ कपड़े पाक करने का तरीका ❞
(मअनजासतों का बयान)
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*⇩ बकरे की खाल पर बैठने से आजिज़ी पैदा होती है ⇩*
╭┈► दरिन्दे की खाल अगर्चे पका (या'नी सुखा) ली गई हो न उस पर बैठना चाहिये न नमाज़ पढ़नी चाहिये कि मिज़ाज में सख्ती और तकब्बुर पैदा होता है, बकरी (बकरा) और मेंढे की खाल पर बैठने और पहनने से मिज़ाज में नरमी और इन्किसार (आजिज़ी) पैदा होता है, कुत्ते की खाल अगरचे पका (या'नी सुखा) ली गई हो या वोह ज़ब्ह कर लिया। गया हो इस्ति'माल में न लाना चाहिये कि आइम्मा के इख़्तिलाफ़ और अवाम की नफरत से बचना मुनासिब है।...✍🏻
📙 ऐज़न, सफ़ह 124- 125
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 263 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 316
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❝ कपड़े पाक करने का तरीका ❞
(मअनजासतों का बयान)
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╭┈► जो नजासत दिखाई देती हैं उस को मरइय्या और जो नहीं दिखाई देती उसे गैर मरइय्या कहते हैं।
📕 ऐज़न, सफ़ह 54
*⇩ गाढ़ी नजासत वाला कपड़ा किस तरह धोए ⇩*
╭┈► नजासत अगर दलदार या'नी गाढ़ी हो जिसे नजासते मरइय्या कहते हैं (जैसे पाखाना, गोबर, खून वगैरा) तो धोने में गिनती की कोई शर्त नहीं बल्कि उस को दूर करना ज़रूरी है, अगर एक बार धोने से दूर हो जाए तो एक ही मरतबा धोने से पाक हो जाएगा और अगर चार पांच मरतबा धोने से दूर हो तो चार पांच मरतबा धोना पडेगा हां अगर तीन मरतबा से कम में नजासत दूर हो जाए तो तीन बार पूरा कर लेना मुस्तहब है।...✍🏻
📙 बहारे शरीअत, हिस्सा 2, सफ़ह 119
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 263 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 317
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❝ कपड़े पाक करने का तरीका❞
(मअनजासतों का बयान)
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*⇩ अगर नजासत का रंग कपड़े पर बाकी रह जाए तो? ⇩*
╭┈► अगर नजासत दूर हो गई मगर उस का कुछ असर, रंग या बू बाकी है तो उसे भी ज़ाइल करना लाज़िम है हां अगर उस का असर ब दिक्क़त (या'नी दुशवारी से) जाए तो असर दूर करने की ज़रूरत नहीं तीन मरतबा धो लिया पाक हो गया, साबुन या खटाई या गर्म पानी (या किसी किस्म के केमीकल वगैरा) से धोने की हाजत नहीं।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 264 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 318
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❝ कपड़े पाक करने का तरीका❞
(मअनजासतों का बयान)
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*⇩ पतली नजासत वाला कपड़ा पाक करने के मु-तअल्लिक़ 6 म-दनी फूल ⇩*
╭┈► 1) अगर नजासत रक़ीक़ (या'नी पतली जैसे पेशाब वगैरा) हो तो तीन मर्तबा धोने और तीनों मर्तबा ब कुव्वत (या'नी पूरी ताकत से) निचोड़ने। से पाक होगा और कुव्वत के साथ निचोड़ने के येह मा'ना हैं कि वोह, शख्स अपनी ताकत भर इस तरह निचोड़े कि अगर फिर निचोड़े तो उस से कोई कतरा न टपके, अगर कपड़े का खयाल कर के अच्छी तरह नहीं निचोड़ा तो पाक न होगा।...✍🏻
📙 बहारे शरीअत्त, हिस्सा : 2, सफ़ह 120
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 264 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 319
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❝ कपड़े पाक करने का तरीका❞
(मअनजासतों का बयान)
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*⇩ पतली नजासत वाला कपड़ा पाक करने के मु-तअल्लिक़ 6 म-दनी फूल ⇩*
╭┈► 2) अगर धोने वाले ने अच्छी तरह निचोड़ लिया मगर अभी ऐसा है कि अगर कोई दूसरा शख्स जो ताकत में उस से ज़ियादा है निचोड़े तो दो एक बूंद टपक सकती है तो उस (पहले निचोड़ने वाले) के हक़ में पाक और दूसरे के हक में नापाक है। इस दुसरे की ताकत का (पहले के हक में) ए'तिबार नहीं, हां अगर येह धोता और इसी कदर निचोड़ता (जिस कदर पहले वाले ने निचोड़ा था) तो पाक न होता।
╭┈► 3) पहली और दूसरी मरतबा निचोड़ने के बाद हाथ पाक कर लेना बेहतर है। और तीसरी बार निचोड़ने से कपड़ा भी पाक हो गया और हाथ भी, और जो कपडे में इतनी तरी रह गई हो कि निचोड़ने से एकआध बूंद टपकेगी तो कपड़ा और हाथ दोनों नापाक हैं।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 265 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 320
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❝ कपड़े पाक करने का तरीका❞
(मअनजासतों का बयान)
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*⇩ पतली नजासत वाला कपड़ा पाक करने के मु-तअल्लिक़ 6 म-दनी फूल ⇩*
╭┈► 4) पहली या दूसरी बार हाथ पाक नहीं किया, और उस की तरी से कपड़े का पाक हिस्सा भीग गया तो येह भी नापाक हो गया फिर अगर पहली बार के निचोड़ने के बाद भीगा है तो उसे दो मरतबा धोना चाहिये और दूसरी मर्तबा निचोड़ने के बाद हाथ की तरी से भीगा है तो एक मर्तबा धोया जाए। यूंही अगर उस कपड़े से जो एक मरतबा धो कर निचोड़ लिया गया है, कोई पाक कपड़ा भीग जाए तो येह दो बार धोया जाए और अगर दूसरी मर्तबा निचोड़ने के बाद उस से वोह कपड़ा भीगा तो एक बार धोने से पाक हो जाएगा।...✍🏻
📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 2, सफ़ह 120
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 265 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 321
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❝ कपड़े पाक करने का तरीका❞
(मअनजासतों का बयान)
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*⇩ पतली नजासत वाला कपड़ा पाक करने के मु-तअल्लिक़ 6 म-दनी फूल ⇩*
╭┈► 5) कपड़े को तीन मरतबा धो कर हर मरतबा खुब निचोड लिया है कि अब निचोड़ने से न टपकेगा फिर उस को लटका दिया और उस से पानी टपका तो येह पानी पाक हैं और अगर खूब नहीं निचोड़ा था तो येह पानी नापाक है।
📙 ऐज़न, सफ़ह 121
╭┈► 6) येह ज़रूरी नहीं कि एक दम तीनों बार धोएं बल्कि अगर मुख्तलिफ़ वक़्तों बल्कि मुख्तलिफ़ दिनों में येह ता'दाद पूरी की जब भी पाक हो जाएगा।...✍🏻
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 322
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❝ कपड़े पाक करने का तरीका❞
(मअनजासतों का बयान)
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*⇩ बहते नल के नीचे धोने में निचोड़ना शर्त नहीं ⇩*
╭┈► फ़तावा अम्जदिया दिल्द 1 सफ़हा 35 में है कि येह (या'नी तीन मरतबा धोने और निचोड़ने का) हुक्म उस वक़्त है जब थोड़े पानी में धोया हो, और अगर हौजे कबीर (या'नी दह दर दह या इस से बड़े हौज़, नहर, नदी, समुन्दर वगैरा) में धोया हो या (नल, पाइप या लोटे वगैरा के जरीए) बहुत सा पानी उस पर बहाया या (दरिया वगैरा) बहते पानी में धोया तो निचोड़ने की शर्त नहीं।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 266 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 323
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❝ कपड़े पाक करने का तरीका❞
(मअनजासतों का बयान)
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*⇩ बहते पानी में पाक करने में निचोड़ना शर्त नहीं ⇩*
╭┈► फु-कहाए किराम रहमतुल्लाहि तआला अलैह फ़रमाते हैं दरी या टाट या कोई नापाक कपड़ा बहते पानी में रात भर पड़ा रहने दें पाक हो जाएगा और अस्ल येह है कि जितनी देर में येह ज़न्ने गालिब हो जाए कि पानी नजासत को बहा ले गया पाक हो गया कि बहते पानी से पाक करने में निचोड़ना शर्त नहीं।...✍🏻
📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 2, सफ़ह 121
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 324
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❝ कपड़े पाक करने का तरीका❞
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*⇩ पाक नापाक कपड़े साथ धोने का मस्अला ⇩*
╭┈► अगर बाल्टी या कपड़े धोने की मशीन में पाक कपड़ों के साथ एक भी नापाक कपड़ा पानी के अन्दर डाल दिया तो सारे ही कपड़े नापाक हो जाएंगे और बिला ज़रूरते शरइय्या ऐसा करना जाइज़ नहीं है। चुनान्चे मेरे आका आ'ला हज़रत, इमामे अहले सुन्नत, मौलाना शाह इमाम अहमद रज़ा खान अलैहिर्रहमा फ़्तावा र-ज़विय्या (मुखर्रजा) जिल्द अव्वल सफ़हा 792 पर फ़रमाते हैं बिला ज़रूरत पाक शै को नापाक करना ना जाइज़ व गुनाह है। जिल्द 4 (मुखर्रजा): सफ़हा 585 पर फ़रमाते हैं : “जिस्म व लिबास बिला ज़रूरते शरइय्या नापाक करना और येह हराम है।" "अल बहुरुर्राइक" में है "पाक 1 चीज़ को नापाक करना हराम है।
╭┈► इस्लामी बहनों को चाहिये की पाक व नापाक कपड़े जुदा जुदा धोएं अगर साथ ही धोना है तो नापाक कपडे का नजासत वाला हिस्सा एहतियात के साथ पहले पाक कर लीजिये फिर बेशक दीगर मैले कपड़ों के हमराह एक साथ वॉशिंग मशीन में उस को भी धो लीजिये।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 267 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 325
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❝ कपड़े पाक करने का तरीका.❞
(मअनजासतों का बयान)
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*⇩ नापाक कपड़े पाक करने का आसान तरीका ⇩*
╭┈► कपड़े पाक करने का एक आसान तरीका यह भी है कि बाल्टी में नापाक कपड़े डाल कर ऊपर से नल खोल दीजिये, कपड़ों को हाथ या किसी सलाख वगैरा से इस तरह डुबोए रखिये कि कहीं से कपड़े का कोई हिस्सा पानी के बाहर उभरा हुवा न रहे जब बाल्टी के ऊपर से उबल कर इतना पानी बह जाए कि ज़न्ने गालिब आ जाए कि पानी नजासत को बहा कर ले गया होगा तो अब वोह कपड़े और बाल्टी का पानी नीज़ हाथ या सलाख का जितना हिस्सा पानी के अन्दर था सब पाक हो गए जब कि कपड़े वगैरा पर नजासत का असर बाकी न हो इस अमल के दौरान येह एहतियात ज़रूरी है कि पाक हो जाने के ज़न्ने गालिब से कब्ल नापाक पानी का एक भी छींटा आप के बदन या किसी और चीज़ पर न पड़े बाल्टी या बरतन का ऊपरी कनारा या अन्दरूनी दीवार का कोई हिस्सा नापाक पानी वाला है और ज़मीन इतनी हमवार नहीं कि बाल्टी के हर तरफ़ से पानी उभर के निकले और मुकम्मल कनारे वगैरा धुल जाएं तो ऐसी सूरत में किसी बरतन के जरीए या जारी पानी के नल के नीचे हाथ रख कर उस से बाल्टी वगरा के चारों तरफ इस तरह पानी बहाइये कि कनारे और बकिय्या अन्दरूनी हिस्से भी धुल कर पाक हो जाएं मगर येह काम शुरूअ ही में कर लीजिये कहीं पाक कपड़े दोबारा नापाक न कर बैठें।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 267 📚*
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❝ कपड़े पाक करने का तरीका ❞
(मअनजासतों का बयान)
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*⇩ वॉशिंग मशीन में कपड़े पाक करने का तरीका ⇩*
╭┈► वॉशिंग मशीन में कपड़े डाल कर पहले पानी भर लीजिये और कपड़ों को हाथ वगैरा से पानी में दबा कर रखिये ताकि कोई हिस्सा उभरा हुवा न रहे, ऊपर का नल खुला रखिये अब निचला सूराख भी खोल दीजिये, इस तरह ऊपर नल से पानी आता रहेगा और निचले सूराख से बहता रहेगा जब ज़न्ने गालिब आ जाए कि पानी नजासत को बहा ले गया होगा तो कपड़े और मशीन के अन्दर का पानी पाक हो जाएगा जब कि नजासत का असर कपड़ों वगैरा पर बाकी न हो। ज़रूरतन मशीन के ऊपरी कनारे वगैरा मजकूरा तरीके पर शुरू ही में धो लेने चाहिएं।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 268 📚*
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❝ कपड़े पाक करने का तरीका❞
(मअनजासतों का बयान)
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*⇩ नल के नीचे कपड़े पाक करने का तरीका ⇩*
╭┈► मजकूरा तरीके पर पाक करने के लिये बाल्टी या बरतन ही ज़रूरी नहीं, नल के नीचे हाथ में पकड़ कर भी पाक कर सकते हैं।
╭┈► म-सलन रुमाल नापाक हो गया, तो बेसिन में नल के नीचे रख कर इतनी देर तक पानी बहाइये कि ज़न्ने गालिब आ जाए कि पानी नजासत को बहा कर ले गया होगा तो पाक हो जाएगा बड़ा कपड़ा या उस का नापाक हिस्सा भी इसी तरीके पर पाक किया जा सकता है मगर येह एहतियात ज़रूरी है कि नापाक पानी के छींटे आप के कपडे, बदन और अतराफ में दीगर जगहों पर न पड़ें।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 268 📚*
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❝ कपड़े पाक करने का तरीका❞
(मअनजासतों का बयान)
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*⇩ कारपेट पाक करने का तरीका ⇩*
╭┈► कारपेट का नापाक हिस्सा एक बार धो कर लटका दीजिये यहां तक कि पानी टपक्ना मौकूफ़ हो जाए फिर दोबारा धो कर लटकाइये हत्ता कि पानी टपकना बन्द हो जाए फिर तीसरी बार इसी तरह धो कर लटका दीजिये जब पानी टपक्ना बन्द हो जाएगा तो कारपेट पाक हो जाएगा चटाई, चमड़े के चप्पल और मिट्टी के बरतन विगैरा जिन चीजों में पतली नजासत जज़्ब हो जाती हो इसी तरीके पर पाक कीजिये ऐसा नाजुक कपड़ा कि निचोड़ने से फट जाने का अन्देशा हो वोह भी इसी तरह पाक कीजिये अगर नापाक कारपेट या कपड़ा वगैरा बहते पानी में (म-सलन दरिया, नहर में या पाइप या टोंटी के जारी पानी के नीचे) इतनी देर तक रख छोड़ें कि जने गालिब हो जाए कि पानी नजासत को बहा कर ले गया होगा तब भी पाक हो जाएगा। कारपेट पर बच्चा पेशाब कर दे तो उस जगह पर पानी के छींटे मार देने से वोह पाक नहीं होता याद रहे एक दिन के बच्चे या बच्ची का पेशाब भी नापाक होता है।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 269 📚*
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❝ कपड़े पाक करने का तरीका ❞
(मअनजासतों का बयान)
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*⇩ नापाक मेंहदी से रंगा हुवा हाथ कैसे पाक हो ? ⇩*
╭┈► कपड़े या हाथ में नजिस रंग लगा, या नापाक मेंहदी लगाई तो इतनी मर्तबा धोएं कि साफ़ पानी गिरने लगे पाक हो जाएगा अगर्चे कपड़े या हाथ पर रंग बाक़ी हो।
📙 बारे शरीअत, हिस्सा : 2, सफ़ह 119
*⇩ नापाक तेल वाला कपड़ा धोने का मस्अला ⇩*
╭┈► कपड़े या बदन में नापाक तेल लगा था तीन मर्तबा धो लेने से पाक हो जाएगा अगर्चे तेल की चिक्माई मौजूद हो, इस तकल्लुफ़ की ज़रूरत नहीं कि साबुन या गर्म पानी से धोए लेकिन अगर मुर्दार की चर्बी लगी थी तो जब तक इस की चिक्नाई न जाए पाक न होगा।...✍🏻
📕 ऐज़न, सफ़ह 120
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 269 📚*
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❝ कपड़े पाक करने का तरीका ❞
(मअनजासतों का बयान)
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*⇩ अगर कपड़े का थोड़ा सा हिस्सा नापाक हो जाए ⇩*
╭┈► कपड़े का कोई हिस्सा नापाक हो गया और येह याद नहीं कि वोह कौन सी जगह है, तो बेहतर बेह है कि पूरा ही धो डालें (या'नी जब बिल्कुल न मालूम हो कि किस हिस्से में नापाकी लगी है और अगर मालूम है कि म-सलन आस्तीन नजिस हो गई मगर येह नहीं मालूम कि आस्तीन का कौन सा हिस्सा है, तो पूरी आस्तीन का धोना ही पूरे कपड़े का धोना है और अगर अन्दाजे से सोच कर इस का कोई सा हिस्सा धो ले जब भी पाक हो जाएगा, और जो बिला सोचे हुए कोई टुकड़ा (हिस्सा) धो लिया जब भी पाक है मगर इस सूरत में अगर चन्द नमाजें पढ़ने के बाद मालूम हो कि नजिस हिस्सा नहीं धोया गया तो फिर धोए और नमाज़ों का इआदा करे (या'नी दोबारा पढ़े) और जो सोच कर धो लिया था और बाद को ग-लती मालम हुई तो अब धो ले और नमाज़ों के इआदे (या'नी दोबारा अदा करने) को हाजत नहीं।
📙 ऐज़न, सफ़ह 121-122
*⇩ दूध से कपड़ा धोना कैसा ⇩*
╭┈► दूध और शोरबा और तेल से धोने से पाक न होगा कि इन से नजासत दर न होगी।...✍🏻
📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 2 सफ़ह 119
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 270-271 📚*
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❝ कपड़े पाक करने का तरीका ❞
(मअनजासतों का बयान)
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*⇩ मनी वाले कपड़े पाक करने के 6 अहकाम ⇩*
╭┈► 1) मनी कपड़े में लग कर खुश्क हो गई तो फक्त मल कर झाड़ने और साफ़ करने से कपड़ा पाक हो जाएगा अगर्चे बा'द मलने के कुछ, इस का असर कपड़े में बाकी रह जाए।
📙 ऐज़न, सफ़ह 122
╭┈► 2) इस मस्अले में औरत व मर्द और इन्सान व हैवान व तन्दुरुस्त व मरीजे जिरयान सब की मनी का एक हुक्म है।
╭┈► 3) बदन में अगर मनी लग जाए तो भी इसी तरह पाक हो जाएगा।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 271 📚*
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❝ कपड़े पाक करने का तरीका❞
(मअनजासतों का बयान)
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*⇩ मनी वाले कपड़े पाक करने के 6 अहकाम ⇩*
╭┈► 4) पेशाब कर के तिहारत न की पानी से न ढेले से और मनी उस जगह पर गुज़री जहां पेशाब लगा हुवा है, तो येह मलने से पाक न होगी बल्कि धोना ज़रूरी है और अगर तहारत कर चुका था या मनी जस्त कर के (या'नी उछल कर) निकली कि उस मौजए नजासत (या'नी नापाक जगह) पर न गुज़री तो मलने से पाक हो जाएगी।
📔 ऐजन सफ़ह 123
╭┈► 5) जिस कपड़े को मल, कर पाक कर लिया (अब) अगर वोह पानी से भीग जाए तो नापाक न होगा।
╭┈► 6) अगर मनी कपड़े में लगी है और अब तक तर है। बिगैर सुखाए पाक करना चाहें) तो धोने से पाक होगा (सूखने से कब्ल) मलना काफ़ी नहीं।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 272 📚*
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❝ कपड़े पाक करने का तरीका❞
(मअनजासतों का बयान)
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*⇩ दूसरे के नापाक कपड़े की निशान देही कब वाजिब है ⇩*
╭┈► किसी दूसरे मुसलमान के कपड़े में नजासत लगी देखी और गालिब गुमान है कि इस को खबर करेगा तो पाक कर लेगा तो खबर करना वाजिब है। (ऐसी सूरत में खबर नहीं देगा तो गुनहगार होगा)।
📙 बहारे शरीअत, हिस्सा 2 सफ़ह 120
╭┈► इस्लामी बहन ने अगर ना महरम म-सलन भाभी ने देवर के कपड़े में नजासत देखी तो बताना ज़रूरी नहीं।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 272 📚*
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❝ कपड़े पाक करने का तरीका ❞
(मअनजासतों का बयान)
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*⇩ रूई पाक करने का तरीका ⇩*
╭┈► रूई का अगर इतना हिस्सा नजिस (नापाक) है जिस कदर धुनने से उड़ जाने का गुमाने सहीह हो तो धुनने से (रूई) पाक हो जाएगी वरना बिगैर धोए पाक न होगी, हां अगर मा'लूम न हो कि कितनी नजिस (नापाक) है तो भी धुनने से पाक हो जाएगी।...✍🏻
📔 बहारे शरीअत, हिस्सा 2 सफ़ह 125
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 272 📚*
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❝ कपड़े पाक करने का तरीका❞
(मअनजासतों का बयान)
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*⇩ बरतन पाक करने का तरीका ⇩*
╭┈► अगर ऐसी चीज़ हो कि उस में नजासत जज्ब न हुई, जैसे चीनी के बरतन या मिट्टी का पुराना इस्ति'माली चिकना बरतन या लोहे, तांबे, पीतल वगैरा धातों की चीजें तो उसे फ़क़त तीन बार धो लेना काफ़ी है, इस की भी ज़रूरत नहीं कि उसे इतनी देर तक छोड़ दें कि पानी टपक्ना मौकूफ़ हो जाए।...✍🏻
📙 ऐज़न सफ़ह 121
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 272 📚*
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❝ कपड़े पाक करने का तरीका ❞
(मअनजासतों का बयान)
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*⇩ छुरी चाकू वगैरा पाक करने का तरीका ⇩*
╭┈► लोहे की चीज़ जैसे छुरी, चाकू, तलवार वगैरा जिस में न जंग हो न नक्शो निगार, नजिस हो जाए तो अच्छी तरह पोंछ डालने से पाको हो जाएगी और इस सूरत में नजासत के दलदार या पतली होने में कुछ फर्क नहीं यूंही चांदी, सोने, पीतल, गिलट और हर किस्म की धात की चीजें पोंछने से पाक हो जाती हैं बशर्ते कि नक्शी न हों और अगर नक्शी हों या लोहे में जंग हो तो धोना ज़रूरी है पोंछने से पाक न होंगी।...✍🏻
📙 बहारे शरीअत, हिस्सा 2 सफ़ह 122
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 273 📚*
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❝ कपड़े पाक करने का तरीका ❞
(मअनजासतों का बयान)
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*⇩ आईना पाक करने का तरीका ⇩*
╭┈► आईना और शीशे की तमाम चीजें और चीनी के बरतन या मिट्टी के रो-गनी बरतन (या मिट्टी के वोह बरतन जिन पर कांच की पतली तह चढ़ी होती है) या पोलिश की हुई लकड़ी गरज वोह तमाम चीजें जिन में मसाम न हों, कपड़े या पत्ते से इस कदर पोंछ ली जाएं कि (नजासत का) असर बिल्कुल जाता रहे पाक हो जाती हैं। मगर खयाल रहे कि दराड़ हो, या कहीं से कुछ उखड़ा हुवा हो या कोई हिस्सा टूटा हुवा हो या कहीं से पॉलिश निकल गई हो अल गरज़ किसी तरह का भी खुर-दरा पन होने की सूरत में उस हिस्से का पोंछना काफ़ी न होगा धो कर पाक करना ज़रूरी है।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 273 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 338
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❝ कपड़े पाक करने का तरीका ❞
(मअनजासतों का बयान)
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*⇩ जूते पाक करने का तरीका ⇩*
╭┈► मोजे (चमड़े के) या जूते में दलदार नजासत लगी, जैसे पाखाना, गोबर, मनी तो अगर्चे वोह नजासत तर हो खुरचने और रगड़ने से पाक हो जाएंगे। और अगर मिस्ल पेशाब के कोई पतली नजासत लगी हो और उस पर मिट्टी या राख या रैता वगैरा डाल कर रगड़ डालें जब भी पाक हो जाएंगे और अगर ऐसा न किया यहां तक कि वोह नजासत सूख गई तो अब बे धोए पाक न होंगे।...✍🏻
📙 बहारे शरीअत, हिस्सा 2, सफ़ह 123
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 274 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 339
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❝ कपड़े पाक करने का तरीका ❞
(मअनजासतों का बयान)
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*⇩ काफिरों के इस्ति'माल शुदा स्वेटर वगैरा ⇩*
╭┈► कुफ्फार के मुमालिक से दरआमद किये हुए (IMPORTED) इस्ति माल शुदा स्वेटर (SWEATER) जुराबें, कालीन (CARPET) और दीगर पुराने कपड़े कि जब तक इन पर नजासत का असर ज़ाहिर न हो पाक हैं बिगैर धोए नमाज़ में इस्ति'माल करने में हरज नहीं, अलबत्ता पाक कर लेना मुनासिब है। सदरुश्शरीअह, बदरुत्तरीकह हज़रते अल्लामा मौलाना मुफ्ती मुहम्मद अमजद अली आ'जमी अलैहिर्रहमा मक-त-बतुल मदीना की मल्लूआ बहारे शरीअत हिस्सा 2 सफ़हा 127 पर फ़रमाते हैं फ़ासिकों के इस्ति'माली कपड़े जिन का नजिस होना मा'लूम न हो पाक समझे जाएंगे मगर बे नमाज़ी के पाजामे वगैरा में एहतियात येही है कि रुमाली पाक कर ली जाए कि अक्सर बे नमाजी पेशाब कर के वैसे ही पाजामा बांध लेते हैं और कुफ्फार के इन कपड़ों के पाक कर लेने में तो बहुत ख़याल करना चाहिये।...✍🏻
📙 बहारे शरीअत हिस्सा 2 सफ़ह 127
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 274 📚*
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*📬 पोस्ट मुकम्मल हुई अल्हम्दुलिल्लाह 🔃*
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