Friday, 21 January 2022

हुस्ने सुलूक, रिश्तेदारों व आम इन्सानों के अधिकार


 

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 *❝ 🤝🏻 हुस्ने सुलूक, रिश्तेदारों व आम इन्सानों के अधिकार ❞* 
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࿐  हज़रत अब्दुर्रहमान बिन औफ रज़ियल्लाहु अन्हु से मरवी है कि मैं ने रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को फरमाते हुए सुना अल्लाह तआला ने फरमाया मैं ही अल्लाह हूँ और मैं ही रहमान हूँ। मैं ने रहम (रिश्तेदारी) को पैदा किया। मैं ने इस का नाम अपने नाम से निकाला है। जो इसे जोड़ेगा मैं उसे जोडूंगा और जो इस से कत्ए ताल्लुक करेगा मैं भी उसे टक्ड़े टुकड़े कर दूंगा।
 
࿐  अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम वही से सरफ़राज़ होने से पहले ही सिलए रहमी पर अमल पैरा थे। इस का सुबूत उम्मुल मोमिनीन हज़रत ख़दीजतुल कुबरा रज़ियल्लाहु अन्हा की गवाही है कि गारे हिरा में हज़रत जिब्रईल अलैहिस्सलाम ने आकर सरकार सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को पहली वही सुनाई और नबुब्बत का बार आप पर डाला गया इस की वजह से आप पर एक बेचैनी सी तारी थी आप घर तशरीफ लाए और जो वाकिआ पेश आया था उस से उम्मुल मोमिनीन को आगाह किया और कहा कि मुझे अपनी जान का ख़ौफ़ है उस वक़्त आप को तसल्ली देते हुए उम्मुल मोमिनीन ने जो बातें कहीं वह यह थीं हरगिज़ नहीं हो सकता, अल्लाह तआला आप को कभी रंजीदा नहीं करेगा क्योंकि आप रिश्तेदारों के साथ अच्छा बर्ताव करते हैं, बेसहारों को सहारा देते हैं, मोहताजों के लिये कमाते हैं, मेहमानों की तवाज़ोअ करते हैं और ज़रूरत मन्दों की मदद करते हैं।

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࿐  सुल्हे हुदैबिया (सन छ: हिजरी) के बाद रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने मुख़्तलिफ सलातीन के पास खुतूत इरसाल किये।जिन में उन्हें इस्लाम की दअवत दी। जब आप का नामए मुबारक हिरक़िल के पास पहुंचा तो उस ने।आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के बारे में जानने की गर्ज से अपने।दरबारियों से कहा कि मक्का के किसी आदमी को दरबार में पेश करो।उन्हों ने अबू सुफियान को पेश किया जो उस वक्त तक ईमान नहीं लाए थे बादशाह ने उन से बहुत से सवाल किये जिन में से एक सवाल यह भी था कि तुम्हारे नबी तुम्हें किस बात का हुक्म देते हैं? अबू सुफियान ने जवाब दिया वह हमें नमाज़, जकात, सिलए रहमी और पाक दामनी का हुक्म देते हैं।

࿐  सय्यिदुना अम्र बिन अम्बसा रज़ियल्लाहु अन्हु से एक तवील हदीस मरवी है जिस में इस्लाम के जुम्ला उसूल व आदाब बयान किये गए हैं। वह फरमाते हैं  मैं नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ख़िदमत में हाज़िर हुआ यह आगाज़े नबुव्वत का ज़माना था। मैं ने अर्ज़ किया आप क्या हैं? फरमायाः मैं नबी हूँ। मैं ने अर्ज़ कियाः नबी किसे कहते हैं? फरमायाः मुझे अल्लाह तआला ने भेजा है। मैं ने कहाः अल्लाह तआला ने आप को क्या चीज़ देकर भेजा है?।आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमायाः अल्लाह तआला ने मुझे रिश्तों को जोड़ने और बुतों को तोड़ने के लिये भेजा है और इस बात के लिये भेजा है कि अल्लाह तआला को एक समझा जाए और उस के साथ किसी को शरीक न ठहराया जाए।

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࿐  सय्यिदुना अबू अय्यूब अन्सारी रज़ियल्लाहु अन्हु से मरवी है एक शख़्स ने रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से अर्ज़ किया ऐ अल्लाह के रसूल मुझे ऐसा अमल बताइये जिस से मैं जन्नत में दाखिल हो जाऊं नबीये करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया अल्लाह की इबादत करो, उस के साथ किसी को शरीक न ठहराओ, नमाज़ काइम करो, ज़कात दो और रिश्तेदारों के साथ अच्छा बर्ताव करो। 

࿐   सरकारे दो आलम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया अगर किसी सुल्तान पर गुस्सा सवार हो तो समझ लो कि उस पर शैतान मुसल्लत   हो गया  है। 

࿐  नबीये करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया जानते हो कि गीबत क्या चीज़ है? सहाबा ने।अर्ज़ किया अल्लाह और रसूल ही बेहतर जानें। फ़रमायाः किसी का अपने भाई के बारे में ऐसी बात बयान करना जो उसे नागवार हो। एक शख्स ने अर्ज़ किया अगर वाकई उस में वह बात मौजूद हो जो मैं कहता हूं? फरमाया  तुम जो कुछ कहो अगर वह वाकई उस में मौजूद है तो यह गीबत होगी और अगर उस में वह बात न हो तो यह बोहतान होगा। 

࿐  हज़रत आयशा सिद्दीका रज़ियल्लाहु अन्हा फरमाती हैं मैं ने अर्ज़ किया या रसूलल्लाह हज़रत सफ़िया (उम्मुल मोमिनीन) की मज़म्मत के लिये तो उन का पस्ता कद होना ही काफी है। रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया तुम ने ऐसी बात कही है कि अगर इसे समुन्द्र में मिला दिया जाए तो वह उसे भी गदला कर।देगी। 

࿐   नबीये करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमायाः बदतरीन रिबा (सूद) किसी मुसलमान की इज्जत पर हमला करना है। 

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࿐  सरकार सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का इरशादे गिरामी है चुगल ख़ोर जन्नत में नहीं जाएगा। 

࿐  हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने एक कबूतर बाज़ को किसी कबूतर के पीछे जाते देखा तो फरमायाः शैतान के पीछे शैतान लगा हुआ है। 

࿐  जो शख़्स किसी जानदार पर निशाना बाज़ी की मश्क करे उस पर रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने लअनत फरमाई है। 

࿐  रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया  मोमिन न लअन तअन करता है, न बेहयाई, न फहशगोई। (गाली गलोच) 

࿐  नबीये रहमत सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया मोमिन को गाली देना फिस्क और उस से जंग करना कुफ्र है। 

࿐   रसूले अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमायाः अगर किसी को फासिक कहा जाए और वह दर अस्ल ऐसा न हो तो यह अल्फ़ाज़ पलट कर कहने वाले पर ही आएंगे। 

࿐  जब बन्दा किसी पर लअनत करता है तो वह लअनत आसमान की तरफ जाती है और आसमान के दरवाजे उस लअनत को रोकने के लिये बन्द हो जाते हैं। फिर वह ज़मीन की तरफ आती है. तो ज़मीन के दरवाज़े भी।उस के लिये बन्द हो जाते हैं। फिर वह दाएं बाएं जाती है और जब उसे कोई ठिकाना नहीं मिलता तो उस की तरफ जाती है जिस पर लअनत की गई है। अगर वह वाकई उस का मुस्तहिक हुआ तो ठीक वरना लअनत करने वाले पर पलट जाती है। 

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࿐   नबीये करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया मुसाफ़हा किया करो इस से बाहमी रंजिश दूर हो जाती है और एक दूसरे को हदिया भेजा करो इस से बाहमी मुहब्बत काइम रहती है और कीना दूर होता है। 

࿐   हज़रत इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हुमा से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया वह हम में से नहीं जो हमारे छोटों पर रहम न करे और हमारे बड़ों की इज्जत न करे और नेक बातों का हुक्म न दे और बुरी बातों से न रोके।

࿐  हज़रत हुसैन बिन मन्सूर हल्लाज रहमतुल्लाहि अलैहि ने फरमाया खुल्क उस को कहते है कि जफाए खल्क का असर न हो। 

࿐   हज़रत अबुल हसन ख़िरकानी रहमतुल्लाहि अलैहि ने फरमाया उस के दिल में खुदा की मुहब्बत नहीं होती जो अल्लाह की ख़ल्क पर शफ़क्क़त नहीं करता। 

࿐  हज़रत अली कर्रमल्लाहु तआला वजहहुल करीम फरमाते हैं कि मैं ने नबीये करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को फरमाते सुना कि जब कोई मुसलमान अपने मुसलमान भाई की सुब्ह के वक़्त अयादत करता है तो शाम तक सत्तर।हज़ार फरिश्ते उस के लिये मगफिरत व रहमत की दुआ करते हैं और जो शाम के वक़्त अयादत करता है उस के लिये सत्तर हज़ार फरिश्ते सुब्ह तक दुआए मगफिरत करते हैं और उस के लिये जन्नत में एक बाग है। हज़रत जाबिर रज़ियल्लाहु अन्हु ने कहा कि हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि जो शख़्स मरीज़ की अयादत को जाता है तो वह रहमत के दरिया में गोता जन होता है और जब बैठ जाता है तो रहमत के दरिया में सर से पाएँ तक उतर जाता है। 

📬 बा - हवाला ↬ *अहमद, मालिक, क्या आप जानते हैं 📚*

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࿐  हज़रत अहमद ख़िज़रविया रहमतुल्लाहि अलैहि ने अपने मुरीदों से हिदायत के तौर पर फरमाया जिस का खुल्क जितना ज़्यादा अच्छा है।उतना वह अल्लाह से करीब तर है। 

࿐  हज़रत अबू कासिम जुनैद बगदादी रहमतुल्लाहि अलैहि ने फरमाया खुल्क शामिल है सखावत, उल्फत, नसीहत और शफक्कत पर। 

 ࿐  हज़रत अबुल अब्बास अहमद बिन मुहम्मद सहल रहमतुल्लाहि अलैहि ने फरमाया किसी का मर्तबा नमाज़ रोज़े से बलन्द हो न खैरात और मुजाहिदात की ज़ियादती से बल्कि उमदा अख़लाक से। 

࿐  हुजूर नबीये करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का इरशादे गिरामी है कियामत के दिन तुम में से उसी शख्स को मुझ से करीब जगह मिलेगी जो ज़्यादा खुश अख़लाक़ होगा। 

 ࿐  नबीये करीम सल्लल्लाहु अलैहि 
 वसल्लम का इरशादे गिरामी है किसी मुसलमान की बेइज्जती या बेहुरमती हो रही हो और दूसरा मुसलमान उस की मदद न करे तो दूसरे मौके पर जब कि उसे मदद की ज़रूरत होगी तो अल्लाह तआला उस की कोई मदद न करेगा और जब किसी मुसलमान की बेइज्जती या बेहुरमती के वक़्त दूसरा मुसलमान उस की मदद करेगा तो दूसरे मौके पर जब खुद उसे मदद की ज़रूरत होगी तो अल्लाह तआला।उस की इमदाद फ़रमाएगा। 

࿐  नबीये करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया जो शख़्स अपने किसी भाई की आबरू का बचाव करेगा, अल्लाह तआला कियामत के दिन उस के चेहरे से आग को दूर कर देगा। 

📬 बा - हवाला ↬ *तिर्मिज़ी शरीफ, तज़्किरतुल  औलियाक्या आप जानते हैं, सफ़ह, 598-599 📚*

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࿐  रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया हिदायत के बाद वही कौम गुमराही की तरफ आती है जिस में झगड़े की आदत पैदा हो जाती है। इस के बाद हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने यह आयत पढ़ी (तर्जमा) ऐ रसूल! यह लोग महज़ झगड़ने के लिये आप पर ज़र्बुल मिरल चस्पां करते हैं, यह लोग हैं ही झगड़ालू। 

࿐  नबीये करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया अल्लाह के नन्दीक सब से ज़्यादा नफरत के काबिल वह लोग हैं जो झगड़ने में सब से बढ़ चढ़ कर हैं। 

࿐  रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया मुसलमान दूसरे मुसलमान का भाई है, न उस पर जुल्म करता है, न उसे हलाकत में जाता देख कर छोड़ देता है जो शख़्स अपने भाई की हाजत रवाई करेगा अल्लाह तआला उस की हाजत रवाई फरमाएगा जो शख़्स किसी मुसलमान की एक तकलीफ दूर करेगा, अल्लाह तआला हश्र के दिन उस की तकलीफ दूर फरमाएगा और जो उस की पर्दा पोशी करेगा अल्लाह तआला कियामत के दिन उस की पर्दा पोशी फरमाएगा। एक रिवायत में है जो शख्स किसी मज़लूम के साथ चल कर जाए और उस का हक साबित कर दे तो अल्लाह तआला उसे उस दिन साबित कदम रखेगा जिस दिन बहुत से कदम फिसल जाएंगे। 

📬 बा - हवाला ↬ *सैख़ैन तिर्मिज़ी शरीफ, क्या आप जानते हैं,सफ़ह 599-600 📚*

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࿐   रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया हश्र के दिन तीन तरह के आदमियों का मैं मुखालिफ होउंगा एक वह शख्स जो मुझ से कोई मुआहिदा करे फिर अहद को तोड़े, दूसरे वह जो किसी आज़ाद को बेच कर उस के दाम खा जाए और तीसरे वह जो किसी मज़दूर से मुआमला तय करे, उस से मेहनत तो पूरी ले मगर उस की उजरत पूरी न दे। 

࿐  हुजूरे अनवर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया जो शख्स अपनी दो टांगों की बीच की चीज़ (शर्मगाह) की और दो जबड़ों के बीच की चीज़ (ज़बान) की जमानत दे मैं उस के लिये जत्रत की ज़मानत देता हूं। 

࿐  हदीस में है कि जो शख़्स वलीमे में बुलाया जाए और न जाए वह।अल्लाह और उस के रसूल की नाफरमानी करता है और जो शख़्स बिना बुलाए घुस जाए वह दाखिल।होते वक़्त चोर और निकलते वक़्त।डाकू होता है।

📬 बा - हवाला ↬ *अबू दाऊद, तिर्मिज़ी, क्या आप जानते हैं,सफ़ह 600 📚*

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࿐   रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कानों का ज़िना शहवानी बात चीत सुनना है, हाथ का ज़िना उधर बढ़ना है और पावँ का ज़िना उथर चलना है। 

࿐   सरकार सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम यह शेअर पढ़ा करते थे ऐ अल्लाह! तेरी मगफिरत तो है ही बड़े गुनाहों के लिये वरना छोटे गुनाहों के इर्तिकाब से तेरा कौन बन्दा बच सका।है? 

࿐   अल्लाह तआला फरमाता है कि ऐ आदम के बेटे! जब तक तू मुझे पुकारता रहेगा और मुझ से अच्छाई की उम्मीद रखता रहेगा, मैं तेरे गुनाहों को छुपाता रहूंगा चाहे वह कैसा ही गुनाह हो। ऐ बनी आदम! अगर तेरे गुनाह आसमान की ऊंचाइयों तक भी पहुंच जाएं और तू मुझ से मगफिरत का तलबगार हो तो मुझे पर्वाह न होगी और मैं तेरी मगफिरत कर दूंगा,चाहे वह कैसा ही गुनाह हो और अगर ज़मीन के घेरे के बराबर भी गुनाह का बोझ लेकर तू मेरे पास आए बशर्ते कि तू ने किसी को मेरा शरीक न किया हो तो मुझे पर्वाह न होगी बल्कि उसी मिकदार के मुताबिक बराबर मगफिरत अता कर दूंगा। 

࿐   एक शख़्स था जिस ने अपने 
 ऊपर गुनाह करके बड़ी ज़ियादतियाँ की थीं जब उस का आखिरी वक़्त आया तो उस ने अपने बेटों को वसियत की जब मैं मर जाऊं तो मुझे जला कर चक्की में बारीक पीस डालना और हवा में उड़ा देना क्योंकि अगर मुझ पर अल्लाह ने काबू पा लिया तो मुझे ऐसी सज़ा देगा जो किसी को भी न दी होगी। जब वह मर गया और उस की वसियत पूरी कर दी गई तो अल्लाह तआला ने ज़मीन को हुक्म दिया कि वह तमाम ज़र्रे  जो तेरे अन्दर हैं यकजा कर ले जब ज़मीन ने हुक्म की तअमील की तो वह मुर्दा सामने हाज़िर था। अल्लाह तआला ने उस से पूछा तू ने ऐसी वसियत क्यों की थी? उस ने अर्ज़ किया मौला, सिर्फ तेरा ख़ौफ था। आखिर अल्लाह तआला ने उस की मगफिरत फरमा ही दी। 

📬 बा - हवाला ↬ *शैख़ैन, मुअत्ता, निसाई, क्या आप जानते हैं,सफ़ह 600-601 📚*

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࿐   हज़रत अबू दरदा रज़ियल्लाहु अन्हु रिवायत करते हैं मैं ने रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को मिम्बर पर यह आयत तिलावत करते सुना (तर्जमा) खुदा तरस के लिये दो जन्नतें हैं। मैं ने अर्ज़ किया अगर्चे वह खुदा तरस ज़िना और चोरी कर चुका हो? सरकार सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने दूसरी बार यही आयत पढ़ी। मैं ने फिर वही सवाल किया और हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने तीसरी बार यही आयत तिलावत फरमाई। मैं ने फिर यही सवाल किया। सरकार सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमायाः हाँ हाँ अगर्चे अबू दरदा को नागवार हो। 

 ࿐  सरकार सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने सहाबा को मुखातब करके फरमाया ऐ लोगो! तकवा को अपनी तिजारत बना लो तो तुम्हारे पास बिना माल और बिना दुकान रिज्क आएगा। इस के बाद सरकार सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने यह आयत पढ़ीः (तर्जमा) जो अल्लाह तआला का तकवा रखेगा अल्लाह तआला उस के लिये सबील पैदा फरमा देगा और वहाँ से रिज्क पहुंचाएगा जहाँ उस का गुमान भी न हो। 

࿐  रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमायाः तुम एक ऐसे दौर में हो कि अगर कोई शख़्स अहकामे इलाही का दसवाँ हिस्सा भी छोड़ दे तो बर्बाद हो जाए। फिर वह ज़माना आने वाला है कि अगर कोई अहकामे इलाही के दसवें हिस्से के बराबर भी अमल करे तो उस की निजात हो जाएगी।

࿐  रसूले अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमायाः अपने भाई की मदद करो चाहे वह ज़ालिम हो या मज़लूमा यह सुन कर एक शख्स ने कहा या रसूलल्लाह! मैं मज़लूम की तो मदद कर सकता हूँ लेकिन यह फरमाइए कि ज़ालिम की मदद कैसे होगी? फरमाया  उसे जुल्म से रोक दो यही उस की मदद है।
 
📬 बा - हवाला ↬ *बुख़ारी शरीफ क्या आप जानते हैं, सफ़ह , 601,602 📚*

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࿐  हज़रत अबू बक्र रज़ियल्लाहु अन्हु कहते हैं कि मैं ने सरकार सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को यह फ़रमाते सुना है कि जब दो मुसलमान अपनी तलवारें लेकर मुकाबले पर आ जाते हैं तो कातिल और मकतूल दोनों ज़हन्नम में जाते हैं। मैं ने या किसी और ने दरियाफ्त किया या रसूलल्लाह! एक तो कातिल हुआ लेकिन मकतूल का क्या कुसूर? फरमाया उस ने भी तो अपने साथी को कत्ल करने का इरादा किया था। 

࿐   सरकार सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया जिस के दिल में राई बराबर भी तकब्बुर होगा वह जन्नत में नहीं जाएगा। एक शख़्स ने पूछा इन्सान तो यह पसन्द करता है कि उस का कपड़ा जूता अच्छा हो। सरकार सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया अल्लाह जमील है और जमाल को पसन्द करता है। यह किब्र नहीं बल्कि ह़क का इन्कार और लोगों को हिकारत की निगाह से देखना किब्र है। 

࿐  सहाबए किराम की नज़र में सरकार नबीये करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से ज़्यादा कोई मेहबूब न था लेकिन जब हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को देखते तो खड़े न होते थे इस लिये कि उन्हें इल्म था कि हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम इसे पसन्द नहीं फरमाते।

📬 बा - हवाला ↬ *तिर्मिज़ी शरीफ, क्या आप जानते हैं, सफ़ह, 602,603 📚*

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࿐   रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया जो शख्स यह पसन्द करता हो कि लोग उस के लिये तअज़ीमन खड़े हो जाया करें उसे अपना ठिकाना जहन्नम में बना लेना चाहिये। 

࿐   एक शख्स ने पूछा या रसूलल्लाह! बाज़ औकात इन्सान छुपा कर नेक अमल करता है लेकिन जब वह ज़ाहिर हो जाता है तो उसे खुशी होती है। यह रियाकारी तो नहीं? फ़रमायाः उस के लिये दोहरा अज्र है। एक पोशीदा रखने का और दूसरा ज़ाहिर हो जाने का। 

࿐   रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया मैं तुम्हें अकबरुल किबाइर यानी सब से बड़े गुनाहों की निशानदही न कर दूं? यह तीन बार दोहराने के बाद फरमाया यह गुनाह हैं अल्लाह के साथ शरीक करना, वालिदैन की नाफरमानी और सुन लो झूटी गवाही और झूटा बयान भी। सरकार सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम उस वक़्त टेक, लगाए हुए थे फिर उठ बैठे और उस की (यानी झूटी गवाही और झूटे बयान की) इतनी बारं तकरार फरमाते रहे कि लोग दिल में कहने लगे कि काश हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अब बस फरमाएं। 

📬 बा - हवाला ↬ *तिर्मिज़ी शरीफ, क्या आप जानते हैं, सफ़ह, 603-604 📚*

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࿐   एक शख्स ने हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से कबाइर (बड़े गुनाहों) के बारे में पूछा कि वह कौन कौन से हैं? सरकार सल्लल्लाहु।अलैहि वसल्लम ने फरमायाः वह नौ हैं। (१) शिर्क (२) सेहर (३) कत्ल (४) सूद ख़ोरी (५) यतीम का माल खाना (६) जिहाद के मौके पर फरार इख़्तियार करना (७) पाक दामन औरतों पर तोहमत लगाना (८) वालिदैन की नाफरमानी करना (9) कअबतुल्लाह में हुरमत के खिलाफ।काम करना चाहे ज़िन्दों के ज़रिये से या मुर्दो के। 

࿐  रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया चार ख़सलतें ऐसी हैं जो किसी के अन्दर इकट्ठी हों तो वह मुनाफिक होता है और अगर किसी में एक ख़सलत हो तो उस में निफाक की एक ख़सलत होगी यहाँ तक कि वह उसे तर्क कर दे। वह यह हैं  (१) जब अमीन बनाया जाए तो ख़यानत करे। (२) बात करे तो झूट बोले। (३) जब मुआहिदा करे तो अहद शिकनी करे। (४) जब झगड़े तो हद से तजावुज़ कर जाए।

📬 बा - हवाला ↬ *क्या आप जानते हैं,सफ़ह ,604 📚*

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࿐  उम्मुल मोमिनीन हज़रत आयशा सिद्दीका रज़ियल्लाहु अन्हा ने अर्ज़ किया या रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम! इब्ने जदआन जाहिलियत में सिलए रहमी करता था और मिस्कीनों को खाना खिलाता था क्या उस के यह आमाल उसे कुछ नफा पहुंचाएंगे? रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया नहीं! क्योंकि उस ने एक दिन भी यह नहीं कहा ऐ मेरे रब कियामत के दिन मेरे गुनाह बख़्श दे। 

 ࿐   सरकार सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया दीन नाम है बहीख़्वाही का लोगों ने पूछः किस की बहीख्वाही का या रसूलल्लाह? फरमाया अल्लाह तआला की, उस की किताब की और उलिल अन की और मुसलमान तो दूसरे मुसलमान का भाई है। वह न तो उस की मदद से मुंह मोड़ सकता है न उस झूट बोलता है और न उस पर जुल्म करता है तुम में हर शख़्स दूसरे का आइना है लिहाज़ा जब उसे तकलीफ में देखे तो उसे दूर करे। 

࿐   नबीये करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमायाः मोमिन मोमिन के लिये एक ऐसी इमारत है जिस का एक हिस्सा दूसरे से मज़बूत जुड़ा हुआ है। सरकार सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने यह फ़रमाते हुए अपने एक पंजे को दूसरे पंजे में डाल लिया। 

࿐   रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमायाः जो शख़्स किसी को हिदायत की दावत देता है उस का अज्र वैसा ही है जैसे उस पर अमल करने वाले का, बगैर इस के कि अमल करने वाले के अज में कोई कमी हो और जो किसी गुमराही की तरफ दावत दे उस का गुनाह भी वैसा ही है जैसे उस पर अमल करने वाले का, बगैर इस के कि अमल करने वाले के बोझ में कोई कमी आए। 

📬 बा - हवाला ↬ *शैखैन, अबू दाऊद, तिर्मिजी शरीफ, क्या आप जानते हैं ,सफ़ह 604,605 📚*

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࿐   नबीये करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया बाहमी यगानिगत मुहब्बत व रहमत और लत्फो करम में ईमान वालों की मिसाल एक जिस्म की तरह है कि अगर एक अंग में कोई तकलीफ हो तो सारा शरीर ही शब बेदारी और बुख़ार में उस का शरीक हो जाता है। 

࿐  नबीये करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया अगर कोई मुसलमान अपने मुसलमान भाई से मुहब्बत रखता हो तो उसे बता देना चाहिये कि मैं तुम से मुहब्बत करता हूं। 

࿐   रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया बदतरीन ख़सलत वाला वह शख्स है जो हरीस और बेसब्र हो या बुज़दिल और बेहया हो। 

࿐  हुजूरे अनवर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया दगाबाज़, कंजूस और एहसान जताने वाला जन्नत में नहीं जाएगा। 

࿐  रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का इरशादे गिरामी है अपने दोस्त से एतिदाल के साथ मुहब्बत करो हो सकता है कि वह किसी दिन तुम्हारा दुशमन हो जाए और अपने दुशमन से दुशमनी भी एतिदाल के साथ रखो, हो सकता है किसी रोज़ वह तुम्हारा दोस्त हो जाए। 

📬 बा - हवाला ↬ *अबू दाऊद)* *(📚क्या आप जानते हैं,सफ़ह 605-606 📚*

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࿐  नबीये करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया अल्लाह तआला कियामत के दिन फरमाएगाः मेरी ख़ातिर आपस में मुहब्बत करने वाले लोग कहाँ हैं? आज मैं उन्हें अपने सायए रहमत में लूंगा जब कि मेरे साए के सिवा कोई और साया मौजूद नहीं है। 

࿐  नबीये करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का इरशाद है बेहतरीन अमल है अल्लाह तआला के लिये मुहब्बत करना और अल्लाह तआला ही के लिये दुशमनी रखना।

࿐  सरवरे आलम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमायाः अल्लाह तआला के कुछ बन्दे ऐसे भी हैं जो नबी या शहीद तो नहीं मगर अम्बिया और शुहदा को भी उन का मर्तबा देख कर रश्क आएगा। लोगों ने पूछाः या रसूलल्लाह! वह कौन लोग हैं? इरशाद हुआः यह वह लोग हैं जो आपस में रूह की वहदत की वजह से मुहब्बत रखते हैं, न रिश्ते दारी को उस में दखल होता है न माली लेन देन को। खुदा की कसम उन के चेहरे पूरे पूरे रौशन होंगे और यह नूर पर ही काइम होंगे। दूसरे लोग खौफ और हुज्न में गिरफ्तार होंगे और इन को कोई ख़ौफ़ न होगा फिर हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने यह आयत तिलावत फरमाई जिस का तर्जमा है अल्लाह के दोस्तों को कोई खौफ होगा न कोई हुज्न। 

📬 बा - हवाला ↬ *अबू दाऊद)क्या आप जानते हैं, सफ़ह, 604-605 📚*

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࿐  रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने रात को भूखा सोने से मना फरमाया  है। आप ने फरमायाः इस से बुढ़ापा जल्द आता है। 

࿐  सरकार सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की बारगाह में एक शख्स ने बाएं हाथ से खाना शुरू किया आप ने फरमायाः सीथे हाथ से खा। वह बोला मेरा सीथा हाथ मुंह तक नहीं आता फरमायाः अब तक तो आता था अब न आएगा ऐसा ही हुआ। 

࿐  नबीये करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने जिस तरह ज़मानए जाहिलियत की दूसरी बुरी रस्मों का ख़ात्मा फरमाया उसी तरह मुतअ की शर्मनाक रस्म का भी खात्मा कर दिया। एक मर्द और औरत का बाहमी रज़ामन्दी से एक मुकर्ररा मुद्दत तक एक मुतअय्यिन रकम के बदले मियां बीवी की तरह एक साथ मुबाशिरत को मुतअ कहते हैं। गजवए खैबर के मौके पर सरकार सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने यह एलान कर दिया कि मुतअ हराम है।

📬 बा - हवाला ↬ *ज़ियाउन्नबी, जिल्द ४, क्या आप जानते हैं ,सफ़ह, 605-606 📚*

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࿐   रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया अल्लाह तआला जब किसी बन्दे से मुहब्बत करता है तो जिब्रईल अलैहिस्सलाम को बुला कर फरमाता है कि मैं फुलाँ से मुहब्बत रखता हूँ तुम भी उस से मुहब्बत रखो। फिर जिब्रईल अलैहिस्सलाम भी उस से मुहब्बत करते हैं और वह आसमान में पुकार कर बता देते हैं कि अल्लाह तआला फुलाँ बन्दे से मुहब्बत करता है लिहाज़ा तुम भी उस से मुहब्बत करो गर्ज आसमान वाले भी उस से मुहब्बत करने लगते हैं इस के बाद मकबूलियत का परवाना ज़मीन पर नाज़िल होता है!

࿐   और जब अल्लाह तआला किसी बन्दे से दुशमनी रखता है तो जिब्रईल अलैहिस्सलाम को बुला कर बता देता है कि मैं फुलाँ शख़्स से दुशमनी रखता हूँ, तुम भी उस से दुशमनी रखो। चुनान्चे जिब्रईल अलैहिस्सलाम भी उस से बुग्ज़ करने लगते हैं और आसमान वालों को निदा देकर बताते हैं कि अल्लाह तआला फुलाँ बन्दे से दुशमनी रखता है, तुम भी. उस से दुशमनी रखो। चुनान्वे।आसमान वाले भी उस से दुशमनी रखने लगते हैं और फिर उस के बुग्ज़ का परवाना ज़मीन पर नाज़िल होता है। 

📚बुख़ारी, मुस्लिम, तिर्मिज़ी)

࿐  एक शख्स ने रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से पूछाः कियामत कब आएगी? सरकार सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया तुम ने उस के लिये क्या तय्यारी कर रखी है? उस ने जवाब दिया और कुछ तो नहीं बस इतनी सी बात है कि मैं अल्लाह तआला और उस के रसूल से मुहब्बत रखता हूँ फरमाया फिर तुम उसी के साथ रहोगे जिस से मुहब्बत रखते हो। 

࿐  हज़रत अनस रज़ियल्लाहु अन्हु कहते हैं कि मुझे सरकार सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के इस इरशाद से कि तुम उसी के साथ रहोगे जिस से मुहब्बत रखते हो, जितनी खुशी हुई उतनी किसी चीज़ से नहीं हुई क्योंकि मैं हुजूर से और हज़रत अबू बक्र व उमर से मुहब्बत रखता हूँ और मुझे यकीन है कि इस मुहब्बत की वजह से मेरा हश्र भी इन्हीं बुजुर्गों के साथ होगा अगर्चे मेरे अमल उन जैसे नहीं हैं। 

📬 बा - हवाला ↬ *शैख़ैन, अबू दाऊद, तिर्मिज़ी, क्या आप जानते हैं,सफ़ह 605-606,📚*

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࿐   रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया मैं तुम्हें बता न दूं कि अल्लाह तआला के नज़दीक सबसे ज़्यादा मेहबूब कौन है? लोगों ने कहा ज़रूर इरशाद हो। फरमाया सब से ज़्यादा अल्लाह तआला के नदीक भी वही है जो इन्सानों को सब से ज़्यादा मेहबूब हो फिर फ़रमाया क्या मैं बता न दूँ कि अल्लाह तआला की नज़र सब से ज़्यादा नफरत के काबिल कौन है? लोगों ने कहा हाँ इरशाद हो फरमायाःजो इन्सानों की निगाह में सब से ज्यादा नफ़रत के काबिल है वही अल्लाह तआला के नज़दीक भी ज़्यादा नफरत के काबिल है। 

࿐   नबीये करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया क्या मैं तुम्हें ऐसी चीज़ न बता दूं जिस का दर्जा नमाज़, रोज़ा और सदके से अफज़ल।है? लोगों ने अर्ज की ज़रूर इरशाद हो फरमाया आपस में सुलह रखना क्योंकि आपसी लड़ाई झगड़ा तबाह करने वाली चीज़ है। 

࿐   हज़रत मआज़ रज़ियल्लाहु अन्हु कहते हैं जिस वक़्त मैं सफर पर जा रहा था उस वक्त सरकार सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने जो आख़िरी वसियत फरमाई वह यह थी कि ऐ मआज़, लोगों के साथ अपने अख़लाक अच्छे रखो।

📬 बा - हवाला ↬ *मुअत्ता इमाम मालिक, क्या आप जानते हैं, सफ़ह,606-607 📚*

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࿐   सरकारे दो आलम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया अल्लाह ने मुझे भेजा ही इस लिये है कि हुस्ने अख़लाक़ को कमाल तक पहुंचाऊ!

࿐  रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया मोमिन महज़ अपने हुस्ने अख़लाक की वजह से हमेशा दिन में रोजा रखने वाले और हमेशा. रात में जाग कर अल्लाह की इबादत करने वाले के दर्जे को पा लेता है। 

࿐  नबीये करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया जिस के अख़लाक़ सब से बेहतर हों और जो अपने बाल बच्चों पर सब से ज़्यादा मेहरबान हो वही ईमान में भी सब से ज़्यादा कामिल है। 

࿐  हज़रत अकबा बिन आमिर रज़ियल्लाहु अन्हु ने अर्ज़ किया या रसूलल्लाह! निजात क्या है? फरमाया अपनी ज़बान पर काबू रखो, तुम्हारा घर कुशादा रहे और अपनी ख़ताओं पर आँसू बहाओ। 

࿐  नबीये करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का इरशाद है कियामत के दिन अच्छे अख़लाक से ज़्यादा कोई चीज़ भी मोमिन की मीज़ान में ज़्यादा वज़न नहीं रखती और अल्लाह तआला बेहया और बेहूदा बातें करने वाले से बुग्ज रखता है। 

࿐  रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया मोमिन के लिये अपने आप को ज़लील करना अच्छा नहीं है। सहाबए किराम ने अर्ज़ किया या रसूलल्लाह! अपने आप को ज़लील करना क्या है? फरमाया खुद को ऐसी आज़माइशों में डालना जो बर्दाश्त से बाहर हों। 

📬 बा - हवाला ↬ *तिर्मिज़ी शरीफ, क्या आप जानते हैं,सफ़ह,606-607 📚*

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࿐  हज़रत अमीर मुआविया रज़ियल्लाहु अन्हु ने उम्मुल मोमिनीन हज़रत आयशा सिद्दीका रज़ियल्लाहु अन्हा को इस मज़गून का ख़त लिखा मुझे कोई नसीहत लिख कर भेजें।लेकिन वह लम्बी चौड़ी न हो। उम्मुल मोमिनीन ने लिखा अम्मा बअद, मैं ने हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को यह फरमाते सुना जो शख़्स इन्सानों की नाराज़गी के मुकाबले में अल्लाह की रज़ा जूई करता है तो लोगों की सख़्ती दूर करने के लिये अल्लाह काफ़ी हो जाता है और जो अल्लाह की नाराज़गी के मुकाबले में इन्सानों की रज़ा जूई करता है तो अल्लाह उसे इन्सानों के ही हवाले कर देता है। वस्सलामु अलैका

࿐  रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि 
 वसल्लम ने फरमाया मुझे सब से ज़्यादा मेहबूब और हश्र के दिन सब से ज़्यादा करीब वह लोग होंगे जो अख़लाक़ में।सब से ज्यादा बेहतर हों और मेरी निगाह में सब से ज़्यादा।नापसन्द और हश्र के दिन मुझ से ज़्यादा दूर वह लोग होंगे जो ज़्यादा बकवास करते हों और बे वजह कलाम को तूल देते हों और तकब्बुर करते हों। 


📬 बा - हवाला ↬ *तिर्मिज़ी शरीफ , क्या आप जानते हैं, सफ़ह, 507-508📚*

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࿐  सरवरे आलम सल्लल्लाहुअलैहि वसल्लम का इरशाद है नेकी हुस्ने अख़लाक़ का नाम है और गुनाह वह है जो तुम्हारे दिल पर असर करे और तुम्हें यह पसन्द न हो कि दूसरों को।उस का इल्म हो। 

࿐ हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है. कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमायाः मोमिन सादा दिल और सख़ी होता है और फाजिर दगाबाज़ और बखील होता है। 

📬 बा - हवाला ↬ *तिर्मिज़ी शरीफ , क्या आप जानते हैं, सफ़ह,508📚*

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࿐  सरकार सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया हया ईमान का ही एक हिस्सा है और ईमान का अन्जाम जन्नत है फहश कलामी बदख़ल्की है और बदख़ल्की का अन्जाम दोज़ख़ है।

࿐ सरकार सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया बेहयाई जिस चीज़ में शामिल होगी उसे ऐब वाला बना देगी और हया जिस चीज़ में शामिल होगी उसे सजावट वाला बना देगी। 

࿐  नबीये करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया हर दीन का एक ख़ास अख़लाकी मिज़ाज होता है। इस्लाम का अख़लाकी क़िवाम हया है। 

࿐  रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का इरशादे गिरामी है  इन्सान अपने दोस्त के दीन (तरीकए।ज़िन्दगी) पर हुआ करता है इस लिये हर शख़्स को यह देख लेना चाहिये कि वह किस से दोस्ती कर रहा है।

࿐ नबीये रहमत सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया बाहमी अफवो दरगुज़र से काम लिया करो इस से आपस के कीने दूर हो जाते हैं। 

📬 बा - हवाला ↬ *अल हदीस, मुस्लिम शरीफ, क्या आप जानते हैं, सफ़ह 508📚*

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࿐  सरकारे दो आलम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया अल्लाह के नदीक हश्र के दिन सब से बदतर उसे पाओगे जो दोरुखी पालीसी वाला होगा कि इधर उस का कुछ और रुख़ और उधर कुछ और।

࿐  रसूले अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का इरशाद है संजीदगी अल्लाह तआला की तरफ़ से होती है और जल्द बाज़ी शैतान की तरफ से। 

࿐   एक शख्स ने नबीये करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के सामने एक दूसरे शख्स की तारीफ की नबीये करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने तीन बार फ़रमाया तुम ने अपने रफीक की गर्दन काट डाली फिर फरमाया अगर तुम्हें अपने भाई की तारीफ़ ही करनी पड़े तो यूं कहो मेरा गुमान फुलाँ के बारे में यह है और हकीकते हाल का इल्म अल्लाह ही को है किसी की तारीफ़ में अल्लाह तआला से आगे मत बढ़ जाओ तुम्हें अगर किसी के बारे में तारीफ़ के काबिल होने का यकीन है तो बस इतना कह दो मेरे ख्याल में वह ऐसा है। 

📬 बा - हवाला ↬ *शैख़ैन, अबू दाऊद, क्या आप जानते हैं सफ़ह 508-509 📚*

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࿐  सरकार सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया जो नर्मी से मेहरूम हुआ वह सारी खूबियों से मेहरूम हुआ। 

࿐  रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का इरशाद है जो शख़्स कोई इमारत बनाए और उस में जुल्मो ज़ियादती न हो या कोई दरख़्त लगाए।और उस में कोई जुल्म और ज़ियादती न हो तो जब तक अल्लाह की मुख़लूक उस से फायदा उठाती रहेगी उस के लिये सवाब जारी रहेगा। 

࿐  नबीये करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया अल्लाह तआला का इरशाद है कि जब फर्ज़न्दे आदम यह कहता है कि यह नामुराद ज़माना तो दर अस्ल मुझे अज़ियत देता है लिहाज़ा कोई ज़माना को नामुराद न कहे क्योंकि ज़माना मैं खुद ही हूँ यानी रात और दिन को मैं ही गर्दिश।देता हूँ।

📬 बा - हवाला ↬ *शैख़ैन, अबू दाऊद, मुअत्ता, क्या आप जानते हैं, सफ़ह 509 📚*

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 *❝ 🤝🏻 हुस्ने सुलूक, रिश्तेदारों व आम इन्सानों के अधिकार ❞* 
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࿐  हवा एक आदमी की चादर उड़ाने लगी तो उस ने हवा पर लअनत की। नबीये करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया हवा पर लअनत न करो यह तो मामूर और मुसख्ख़र है यानी अपने इरादे से नहीं चलती। जो शख़्स किसी पर लअनत करे और वह उस का मुस्तहिक न हो तो वह लअनत करने वाले पर पलट आती है। 

࿐  रसूले अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया मरे हुओं को बुरा भला न कहो कि वह जो कुछ आगे भेज चुके हैं उधर ही जा चुके हैं। 

࿐  रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का इरशाद है इल्म का स्त्रोत्र बनो और हिदायत की शम्अ, घर का टाट बनो और रात का चराग, हमवार दिल और कोहना पोश (पुराना लिबास पहनने वाला) बनो। इस तरह आसमान वालों में तो पहचान लिये जाओगे और ज़मीन वालों से पोशीदा रहोगे। 

📬 बा - हवाला ↬ *तिर्मिज़ी शरीफ, क्या आप जानते हैं, सफ़ह, 609-610 📚*

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*❝ 🤝🏻 हुस्ने सुलूक, रिश्तेदारों व आम इन्सानों के अधिकार ❞* 
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࿐  नबीये करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया मुदों की नेकियों का ज़िक्र करो और बुराइयों के ज़िक्र से परहेज़ करो। 

࿐ हज़रत इमरान बिन हिसीन रज़ियल्लाहु अन्हु रिवायत करते हैं: एक सफर के मौके पर सरकार नबीये करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के साथ एक अन्सारिया औरत भी अपनी ऊंटनी पर सवार थी। उस की किसी बात से तंग आकर उस ने अपनी ऊंटनी पर लअनत भेजी। सरकार सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने यह सुना तो फरमाया इसे नीचे उतार कर छोड़ दो यह मलऊना है। हज़रत इमरान बिन हिसीन रज़ियल्लाहु अन्हु फ़रमाते हैं इस वक़्त मेरी आँखों के सामने वह मन्ज़र है कि वह औरत पैदल चली जा रही है और कोई उस की तरफ ध्यान नहीं देता। 

📬 बा - हवाला ↬ *मुस्लिम, अबू दाऊद, क्या आप जानते हैं,सफ़ह,609 📚*

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 *❝ 🤝🏻 हुस्ने सुलूक, रिश्तेदारों व आम इन्सानों के अधिकार ❞* 
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࿐   रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का इरशाद है कि हसद और रश्क सिर्फ दो मौकों पर मुज़िर हो सकता है। एक तो ऐसे आदमी से जिसे अल्लाह ने हिकमत दी हो और वह उसी के मुताबिक फैसले देता हो और उस की तालीम देता हो। दूसरे उस आदमी से जिसे अल्लाह तआला ने माल दिया हो और वह उसे अल्लाह की राह में फना करने को तय्यार रहता हो। 

 ࿐  नबीये करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया हसद से बचो, यह नेकियों को इस तरह खा जाता है जिस तरह आग लकड़ी को। 

࿐  रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया जानते हो मुफ़लिस किसे कहते है? लोगों ने अर्ज़ किया हम में तो मुफ़लिस उसे कहा जाता है जिस के पास न रुपया पैसा हो न माल और अस्बाबा फरमाया नहीं बल्कि मुफ़लिस वह है जो कियामत में अपनी नमाज़, रोज़ा और ज़कात लेकर आएगा। लेकिन दुनिया में किसी को गाली दी होगी, किसी पर बोहतान लगाया होगा, किसी का नाहक माल खाया होगा और किसी को मारा होगा, किसी का खून बहाया होगा। नतीजा यह होगा कि उन में से किसी को फुलाँ नेकी दी जाएगी और किसी को फुलाँ। (इस तरह होते होते) उस के ज़िम्मे जो हक़ आता है अगर चुकाए जाने से पहले ही उस की नेकियाँ ख़त्म हो गई तो उन लोगों की ख़ताएं उस के हिस्से में आती जाएंगी और आखिर कार उसे जहन्नम में डाल दिया जाएगा।

📬 बा - हवाला ↬ *मुस्लिम शरीफ , तिर्मिज़ी शरीफ, क्या आप जानते हैं,सफ़ह 609 📚*

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࿐   जहालत के साथ जो इबादत करता है उस का फसाद उस की इस्लाह से ज़्यादा होता है और जो अपनी गुफ्तगू का मुकाबला अपने अमल से करे उस की गुफ़्तगू कम हो जाती है। सिर्फ वहीं गुफ्तगू होती है जहाँ मुफीद हो और जो शख्स झगड़ों को दीन का मकसद बनाता है उस की राय बदलती रहती है। 

࿐  नबीये करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया बदगुमानी से बचो क्योंकि यह सब से बड़ा झूट है। टोह भी न लिया करो। खुदगर्जी, हसद, बुग्ज़ और दुशमनी न किया करो। अल्लाह के बन्दे और भाई भाई बने रहो जैसा कि हुक्मे इलाही है मुसलमान मुसलमान का भाई है। एक मुसलमान दूसरे पर जुल्म नहीं करता, उसे बेयारो मददगार नहीं छोड़ता और उस की तहक़ीर नहीं करता। फिर अपने दिल की तरफ इशारा करते हुए फरमाया तकवा इस जगह होता है, इस जगह होता है, इस जगह होता है। किसी की तरफ से शर होने के लिये इतना ही काफ़ी है कि वह अपने मुसलमान भाई की तहकीर करे। हर मुसलमान का खून, आबरू और माल दूसरे मुसलमान पर हराम है। अल्लाह तुम्हारे जिस्मों, शक्लों और अमलों को नहीं देखता बल्कि तुम्हारे दिलों को देखता है। 

📬 बा - हवाला ↬ *क्या आप जानते हैं सफ़ह,611 📚*

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*❝ 🤝🏻 हुस्ने सुलूक, रिश्तेदारों व आम इन्सानों के अधिकार ❞* 
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࿐  रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया मोमिन के लिये यह हलाल नहीं कि दूसरे मोमिन से तीन दिन से ज्यादा तअल्लुक तोड़े रहे। अगर तीन दिन हो जाएं तो चाहिये कि वह उस से मिले और उसे सलाम करे। अगर वह सलाम का जवाब दे दे तो दोनों ही अज्र में शरीक रहेंगे और अगर वह जवाब न दे तो खुद गुनाह की लपेट में आ जाएगा। 

📬 बा - हवाला ↬ *अबू दाऊद, क्या आप जानते हैं सफ़ह, नम्बर, 611 📚*

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࿐  रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमायाः मुझे इल्म है कि सब से आख़िरी जन्नती और सब के बाद दोज़ख से निकलने वाला कौन होगा? एक शख्स होगा जो कियामत के दिन हाज़िर किया जाएगा और कहा जाएगा कि इस के छोटे छोटे गुनाह पेश करो और बड़े गुनाहों को अलग रखो। फिर उस के छोटे गुनाह पेश किये जाएंगे और पूछा जाएगा तुम ने फुलाँ दिन फुलाँ फुलाँ गुनाह और फुलाँ फुलाँ दिन फुला फुला गुनाह किये थे? वह कहेगा हाँ। उसे इन्कार की मजाल न हो सकेगी। वह इस ख़ौफ से कांप रहा होगा कि देखिये बड़े बड़े गुनाहों की बारी कब आती है। फिर उस से कहा जाएगा जाओ तुम्हारी हर बुराई के बदले वैसी ही नेकी लिख दी गई है। यह सुन कर वह बोल उठेगा मौला, मैं ने तो और भी बहुत से गुनाह किये हैं जो यहाँ अभी मेरे सामने नहीं आए हैं। यह फरमाने के बाद हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को ऐसी हंसी आई कि दन्दाने मुबारक ज़ाहिर हो गए!

📬 बा - हवाला ↬ *क्या आप जानते हैं सफ़ह नम्बर,611-612 📚*

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*❝ 🤝🏻 हुस्ने सुलूक, रिश्तेदारों व आम इन्सानों के अधिकार ❞* 
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࿐  सरवरे दो आलम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम चढ़ कर ज़ोरदार आवाज़ में पुकार कर फरमाया ऐ वह लोगो जो ज़बान से इस्लाम लाए हो और दिल में अभी ईमान नहीं उतरा है, मुसलमानों को अज़िय्यत न पहुंचाओ, उन को शर्मिन्दा न करो और उन के पर्दे की बातों के पीछे न पड़ो। जो शख़्स अपने मुसलमान भाई के पर्दे की बातों के पीछे पड़ता है अल्लाह तआला उस की पर्दा दरी करके रुस्वा करेगा चाहे वह अपने घर में क्यों न बन्द हो। 

📬 बा - हवाला ↬ *क्या आप जानते हैं सफ़ह नम्बर, 612, बुखारी शरीफ 📚*

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 *❝ 🤝🏻 हुस्ने सुलूक, रिश्तेदारों व आम इन्सानों के अधिकार ❞* 
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࿐  सरवरे दो आलम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम चढ़ कर ज़ोरदार आवाज़ में पुकार कर फरमाया ऐ वह लोगो जो ज़बान से इस्लाम लाए हो और दिल में अभी ईमान नहीं उतरा है, मुसलमानों को अज़िय्यत न पहुंचाओ, उन को शर्मिन्दा न करो और उन के पर्दे की बातों के पीछे न पड़ो। जो शख़्स अपने मुसलमान भाई के पर्दे की बातों के पीछे पड़ता है अल्लाह तआला उस की पर्दा दरी करके रुस्वा करेगा चाहे वह अपने घर में क्यों न बन्द हो। 

࿐  हज़रत नाफेअ रज़ियल्लाहु अन्हु का बयान है कि हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने उमर रज़ियल्लाहु अन्हुमा ने एक दिन कअबे को देख कर फरमाया तेरी शान और तेरा एहतिराम ज़बरदस्त है लेकिन अल्लाह तआला की नज़रों में एक मुसलमान का एहतिराम तुझ से भी ज़्यादा है। 

📬 बा - हवाला ↬ *तिर्मिज़ी शरीफ 📚*

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  *❝ 🤝🏻 हुस्ने सुलूक, रिश्तेदारों व आम इन्सानों के अधिकार ❞* 
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࿐  हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने मसऊद रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया बुरा शगुन लेना शिर्क है। आप ने यह बात तीन बार फ़रमाई। 

࿐ नबीये करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से काहिनों (जादूगरों) के बारे में पूछा गया तो सरकार सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया उस में कोई हकीकक़त नहीं है। लोगों ने अर्ज़ किया या रसूलल्लाह! यह लोग बाज़ औकात कुछ बातें बताते हैं जो सच्ची निकलती हैं। फ़रमाया एक आध सच्ची बात शैतान उड़ा लेता है और उसे अपने दोस्त के कान में डाल देता है और उस के साथ सौ झूट मिला देता है। 

📬 बा - हवाला ↬ *क्या आप जानते हैं 📚*

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  *❝ 🤝🏻 हुस्ने सुलूक, रिश्तेदारों व आम इन्सानों के अधिकार ❞* 
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࿐  हज़रत क़तन इब्ने कबीसा रज़ियल्लाहु अन्हु अपने वालिद से नक्ल करते हैं कि नबीये अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया अयाफ़ह (परिन्दों के ज़रिये फाल लेने की एक सूरत है जिस में परिन्दों को उड़ा कर या उस के खुद बख़ुद उड़ने और उस की आवाज़ के ज़रिये अच्छी या बुरी फाल निकाली जाती है) और तुरुक (कंकरियां मार कर फाल लेना या रेत पर लकीरें खींचने को तुरुक कहते हैं जैसा कि रमल के जानने वाले रेत पर लकीरें खींच कर गैब की बातें जानने का दावा करते हैं) और बुरा शगुन लेना यह सब चीजें सेहर, कहानत या शैतानी कामों में से हैं। (अबू दाऊद)

࿐  हज़रत जुबैर बिन मुत्इम रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि नबीये करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को फरमाते सुना कत्ए रहमी करने वाला जन्नत में नहीं जाएगा। 

📬 बा - हवाला ↬ *बुख़ारी शरीफ़📚*

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  *❝ 🤝🏻 हुस्ने सुलूक, रिश्तेदारों व आम इन्सानों के अधिकार ❞* 
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࿐  हज़रत जाबिर रज़ियल्लाहु अन्हु रिवायत करते हैं कि नबीये करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया जुल्म करने से बचो इस लिये कि जुल्म कियामत वाले दिन के अन्धेरों का बाइस होगा और बुख़्ल से बचो इस लिये कि इसी हिर्स ने तुम से पहले के लोगों को हलाक किया। 

࿐  हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया बुख़्ल और हिर्स और ईमान कभी एक दिल में इकट्ठे नहीं हो सकते। 

࿐  एक हदीस शरीफ़ का मफहूम है अल्लाह तआला का अपने बन्दों से इरशाद है तुम दूसरों पर खर्च करते रहो, मैं तुम पर खर्च करता रहूंगा।

📬 बा - हवाला ↬ *क्या आप जानते हैं सफ़ह नम्बर,613 📚*

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  *❝ 🤝🏻 हुस्ने सुलूक, रिश्तेदारों व आम इन्सानों के अधिकार ❞* 
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࿐  रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हज़रत अबू ज़र गिफारी रज़ियल्लाहु अन्हु से फरमाया ऐ अबूज़र, मुझे पसन्द नहीं कि मेरे पास कोहे उहद के बराबर सोना हो और तीसरे दिन तक उस में से एक अशरफ़ी भी मेरे पास बच जाए। सिवाए उस के जो कर्ज अदा करने के लिये हो। तो ऐ अबूज़र, मैं उस माल को दोनों हाथों से अल्लाह की मखलूक में तकसीम करके उठूगा। (बुख़ारी)

࿐  रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया ऐसे शख्स के दौलतमन्द होने में कोई हर्ज नहीं जिस के माल में हकदारों का हक़ निकलता हो। 

📬 बा - हवाला ↬ *बुखारी शरीफ 📚*

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࿐  रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया ऐसे शख्स के दौलतमन्द होने में कोई हर्ज नहीं जिस के माल में हकदारों का हक़ निकलता हो। 

 ࿐  रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का इरशादे गिरामी है किसी इन्सान का गुनाह साबित होने के लिये इतना ही काफी है कि उस की तरफ उंगलियां उठने लगें (कि यह बड़ा अच्छा आदमी है) सहाबए किराम ने अर्ज़ किया या रसूलल्लाह! अगर्चे वह इशारा नेकी की वजह से हो? फरमाया अगर नेकी की वजह से हो तब भी वह उस के लिये शर है सिवाए उस के जिस पर अल्लाह तआला का ख़ास करम हो और अगर वह इशारा किसी शर की वजह से हो फिर तो शर है ही। 

࿐  रसूले अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया दूसरे गुनाहों के मुकाबले में कत्ए रहमी और बग़ावत ऐसे गुनाह हैं कि रब तआला उन के करने वालों को दुनिया ही में अज़ाब देता है, आख़िरत में उन पर जो सज़ा होगी वह तो होगी ही। 

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  *❝ 🤝🏻 हुस्ने सुलूक, रिश्तेदारों व आम इन्सानों के अधिकार ❞* 
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࿐  हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने मसऊद रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि एक शख्स नबीये करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ख़िदमत में हाज़िर हुआ और अर्ज़ कियाः या रसूलल्लाह! मेरे हुस्ने सुलूक का सब से ज़्यादा हकदार कौन है? फरमाया तेरी माँ। उस ने फिर पूछाः उस के बाद कौन? फरमाया तेरी माँ। उस ने दरियाफ्त कियाः फिर कौन? आप ने फरमाया तेरा बाप  एक दूसरी रिवायत में बाप के बाद करीबी रिश्तेदार का भी जिक्र है। 

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࿐  हज़रत जाबिर रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया पड़ोसी तीन तरह के और तीन दर्जे के होते हैं। एक वह पड़ोसी जिस का सिर्फ एक ही हक हो और वह हक के लिहाज़ से सब से कम दर्जे का पड़ोसी है और दूसरा वह पड़ोसी जिस के दो हक हों और तीसरा वह जिस के तीन हक हों तो एक हक वाला वह मुश्रिक (गैर मुस्लिम) पड़ोसी है जिस से कोई रिश्तेदारी भी न हो। (तो उस का सिर्फ पड़ोसी होने का हक है) और दो हक वाला वह पड़ोसी है जो पड़ोसी होने के साथ साथ मुस्लिम भी हो। उस का एक हक मुसलमान होने की वजह से होगा और दूसरा पड़ोसी होने की वजह से। और तीन हक वाला पड़ोसी वह है जो पड़ोसी भी हो और मुस्लिम भी हो और रिश्तेदार भी हो तो उस का एक हक मुसलमान होने का होगा, दूसरा हक पड़ोसी होने का और तीसरा हक रिश्तेदारी का होगा।

📬 बा - हवाला ↬ *क्या आप जानते हैं सफ़ह नम्बर, 614 📚*

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࿐  सरकार सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया अपने भाई की मुसीबत पर खुशी का इज़हार न किया करो वरना उसे तो अल्लाह तआला आफियत दे देगा और तुम्हें उसी में मुन्तिला कर देगा। (तिर्मिज़ी)

࿐  चार बातें बड़ी बदबख़्ती की हैं: (१) आँसू का न निकलना (२) दिल का सख़्त होना (३) आरजुओं का दराज़ होना और (४) दुनिया की हवस होना!

📬 बा - हवाला ↬ *क्या आप जानते हैं सफ़ह नम्बर ,614 📚*

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 *❝ 🤝🏻 हुस्ने सुलूक, रिश्तेदारों व आम इन्सानों के अधिकार ❞*

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࿐   रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का इरशाद है जो शख़्स लोगों को फांसने के लिये खुश बयानी का फन सीखता है, अल्लाह तआला उस के जुर्म की तलाफ़ी के लिये कोई कीमत और मुआवज़ा कुबूल न फरमाएगा।

࿐   रसूले अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया मोमिन वह है कि वह दूसरों से और दूसरे उस से मानूस हों जिस में यह दोनों बातें न हों वहाँ कौन सी खैर हो सकती है।

📬 बा - हवाला ↬ *अहमद, कबीर 📚*


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࿐   अल्लाह के हबीब सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का इरशादे गिरामी है मेरे रब ने मुझे इन नौ बातों का हुक्म दिया है *(१)* जाहिर और बातिन हर हाल में अल्लाह का डर हो *(२)* खुशी और गुस्से में अदल बाकी रहे *(३)* गिना और फक हर एक में मियाना रबी बाकी रहे *(४)* कतए रहमी करने वाले के साथ भी सिलए रहमी हो *(५)* मेहरूम रखने वाले को भी हक दिया जाए *(६)* ज़ियादती करने वाले से दरगुज़र हो *(७)* ख़ामोशी में फिक्र हो *(८)* गुफ़्तगू में ज़िक्रे इलाही हो *(9)* निगाह में इबरत पज़ीरी हो और अम्र बिल मअरूफ हो।

📬 बा - हवाला ↬ *क्या आप जानते हैं सफ़ह नम्बर, 615 📚*


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࿐   रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया मोमिन एक बिल से दो बार डसा नहीं जाता।

࿐   रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया निकाह मेरी सुन्नत है लिहाज़ा जो मेरी सुन्नत पर अमल नहीं करता वह मुझ से नहीं।

࿐   सरकारे मदीना सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का इरशाद है एक औरत दूसरी औरत से इस तरह घुल मिल कर न रहे कि वह उस की तारीफे अपने शौहर से इस तरह बयान करे गोया वह उसे देख रहा है।

📬 बा - हवाला ↬ *अबू दाउद, तिर्मिज़ी शरीफ 📚*


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 *❝ 🤝🏻 हुस्ने सुलूक, रिश्तेदारों व आम इन्सानों के अधिकार ❞*

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࿐  रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया जब तुम में से कोई अपनी रफीकए हयात से मवासिलत करे तो बे लिबास ऊंटों की तरह नंगापन इख़्तियार न करे बल्कि पर्दे का ख्याल रखे। 

࿐  रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया औरत गर्भ के दिनों से बच्चा जनने बल्कि दूध छुड़ाने तक ऐसी है जैसे सरहद की फी सबीलिल्लाह निगरानी करने वाला। अगर वह इस दौरान मर जाए तो वह भी शहीद का अज्र और सवाब हासिल करेगी।

࿐  सरकार सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया अगर मैं किसी को किसी के आगे सज्दा करने का हुक्म देता तो बीवी को हुक्म देता कि वह अपने शौहर को सज्दा करे।

📬 बा - हवाला ↬ *तिर्मिज़ी शरीफ 📚*


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࿐   सरकार सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमायाः जो औरत ऐसी  हालत में मरे कि उस का शौहर उस से राज़ी रहा तो वह जत्रत में दाखिल हो गई।

࿐   नबीये करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से पूछा गया कि बेहतरीन औरत कौन सी है? फरमाया वह जिसे शौहर देखे तो खुश हो जाए और जब वह हुक्म दे तो बजा लाए और खुद उस की अपनी ज़ात और अपने माल के बारे में भी शौहर जिस बात को नापसन्द करे उस की मुखालिफत न करे।

࿐  नबीये करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया अगर औरत पांच नमाजें अदा करे और रमज़ान के रोज़े रखे और अपनी इस्मत को मेहफूज़ रखे और अपने शौहर की फरमाबरदारी करती रहे तो उसे कहा जाएगा कि जन्नत के जिस दरवाज़े से चाहे दाखिल हो जा।

📬 बा - हवाला ↬ *अल हदीस , तिर्मिज़ी शरीफ 📚*


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࿐  सरकार सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया मेरी इस वसियत को कुबूल करो और औरतों के साथ दानिशमन्दी और रहम दिली से क्योंकि औरत की खिल्कत टेढ़ी पसली से हुई है। पसली की हड्डी जितनी ऊपर होती है उतनी ही ज़्यादा टेढ़ी होती है अगर उसे सीधा करने की कोशिश करोगे तो उसे तोड़ कर रख दोगे और अगर उसे छोड़ दोगे तो वह टेढ़ी ही रहेगी। लिहाजा उन के साथ अच्छे सुलूक की मेरी वसियत को याद रखो। *(यानी उन से उसी टेढ़ के रहते हुए फायदा उठाओ और सीधा करके तोड़ने की कोशिश मत करो)* एक दूसरी रिवायत में है कि औरत को तलाक देना ऐसा ही है जैसे पसली की टेढ़ी हड्डी को सीधा करने के लिये तोड़ डालना।

📬 बा - हवाला ↬ *क्या आप जानते हैं सफ़ह नम्बर, 616 📚*


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࿐   एक सहाबीये रसूल ने अर्ज़ कियाः या रसूलल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम)! बीवी का शौहर पर क्या हक़ है? फ़रमायाः जब तुम खाओ तो उसे भी खिलाओ, जब तुम पहनो तो उसे भी पहनाओ। उस के चेहरे पर न मारो और उस की फजीहत न करो। अगर तम्बीह के लिये उस से अलाहिदगी इख्तियार करनी पड़े तो यह घर के अन्दर ही हो *(यानी ख़फ़ा होकर घर न छोड़ो)*

࿐  रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमायाः मेरे बाद मर्दो के लिये जो सब से ज़्यादा नुकसान पहुंचाने वाला इम्तिहान है वह औरतों का वुजूद है।

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࿐   एक सहाबीये रसूल ने अर्ज़ कियाः या रसूलल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम)! बीवी का शौहर पर क्या हक़ है? फ़रमायाः जब तुम खाओ तो उसे भी खिलाओ, जब तुम पहनो तो उसे भी पहनाओ। उस के चेहरे पर न मारो और उस की फजीहत न करो। अगर तम्बीह के लिये उस से अलाहिदगी इख्तियार करनी पड़े तो यह घर के अन्दर ही हो *(यानी ख़फ़ा होकर घर न छोड़ो)*

࿐  रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमायाः मेरे बाद मर्दो के लिये जो सब से ज़्यादा नुकसान पहुंचाने वाला इम्तिहान है वह औरतों का वुजूद है।

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࿐  सरकार सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया जो शख़्स जमाअत से बालिश्त भर भी अलग हुआ उस ने इस्लाम का कलावा अपनी गर्दन से उतार फेंका।
(अबू दाऊद)

࿐  नबीये रहमत सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया मेरी उम्मत का इज्तिमाअ गुमराही पर न होगा लिहाज़ा तुम लोग जमाअत से जुड़े रहो क्योंकि जमाअत के साथ अल्लाह तआला की मदद होती है।

📬 बा - हवाला ↬ *क्या आप जानते हैं सफ़ह नम्बर,619 📚*


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࿐  रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया भेड़ बकरी की तरह इन्सान के भी भेड़िये होते हैं और इन्सान का भेड़िया शैतान है। दूर और किनारे रहने वाली बकरी को भेड़िया उठा ले जाता है लिहाज़ा तफरीक से बचो और जमाअत से, अवाम से और मस्जिद से जुड़े रहो।

࿐  नबीये करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का इरशाद है इस्लाम की चक्की चल पड़ी है लिहाज़ा जिधर अल्लाह की किताब ले जाए उधर तुम भी घूम जाओ। सुनो, किताबुल्लाह और हुकूमत बहुत जल्द अलग अलग।हो जाएंगी। उस वक़्त तुम किताबुल्लाह को न छोड़ना। सुनो, बहुत जल्द तुम पर ऐसे अमीर मुसल्लत होने वाले हैं जिन के फैसले तुम्हारे लिये कुछ और होंगे और अपने लिये कुछ और। उन की नाफरमानी करोगे तो वह तुम्हें कत्ल कर देंगे और अगर इताअत करोगे तो गुमराह कर देंगे। सहाबा ने अर्ज़ किया या रसूलल्लाह! उस वक़्त हमारा अमल कैसा हो? फरमाया वही जो हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम के असहाब का था। उन्हें आरों से चीरा गया और सूली पर लटकाया गया। अल्लाह की इताअत में मर जाना उस की नाफरमानी में ज़िन्दा रहने से बेहतर है।

📬 बा - हवाला ↬ *क्या आप जानते हैं सफ़ह नम्बर,620 📚*


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࿐  नबीये करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया जहाँ तक हो सके हाकिमों के पास न जाया करो। अगर ऐसा करना ही पड़े तो मेरी सुन्नत से मुंह न मोड़ो और उन्हें अल्लाह से डरने का हुक्म सुनाने में तलवार और कोड़े से न डरो।

࿐ रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया आख़िर ज़माने में ज़ालिम उलिल अम्र, फासिक वज़ीर, खयानत करने वाले काज़ी और झूटे फकीह होंगे। तुम में से जो कोई भी ऐसा दौर देखे वह न उन का मुहस्सिल बने, न नक़ीब और न सिपाही।

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࿐   रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया तुम में से हर शख़्स राई (हाकिम) की हैसियत रखता है और उस से उस की रैय्यत के बारे में पूछा जाएगा। इमाम एक हाकिम है और उस से उस की रैय्यत के बारे में पूछा जाएगा। मर्द भी अपने बाल बच्चों का हाकिम है और उस से उस की रैय्यत के बारे में पूछा जाएगा।

࿐   औरत भी अपने शौहर के घर की हाकिम है और उस से उस की रैय्यत के बारे में सवाल किया जाएगा। नौकर भी अपने आका के माल का हाकिम है और उस से उस की रैय्यत के बारे में बाज़पुर्स होगी। रावी कहते हैं मैं ने रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से इन तमाम हाकिमों और रैय्यत का ज़िक्र सुना और मुझे ख्याल आता है कि मैं ने नबीये करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को यह भी कहते सुना है कि आदमी अपने बाप के माल का भी हाकिम है और उस से इस की भी बाज़पुर्स होगी। सरकार सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया तुम में से हर शख्स हाकिम है और अपने दायरे में अपनी रैय्यत के बारे में जवाबदेह है।

📬 बा - हवाला ↬ *शैख़ैन, अबू दाऊद, तिर्मिज़ी शरीफ 📚*


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*❝ 🤝🏻 हुस्ने सुलूक, रिश्तेदारों व आम इन्सानों के अधिकार ❞*
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࿐   रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का इरशाद है अदल करने वाले अल्लाह के दाईं तरफ नूरानी मिम्बरों पर बैठेंगे और अल्लाह के तो दोनों ही हाथ दाहिने हैं। यह लोग जब तक अपने ओहदे पर रहते हैं अपने फैसलों में अपने बाल बच्चों के मुआमले में भी अदल ही से काम लेते हैं।

࿐   रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया जिसे अल्लाह तआला किसी रैय्यत का हाकिम बनाए और वह अपने फर्ज़ में ख़यानत करके  मरे तो अल्लाह तआला उस पर जन्नत हराम कर देगा।

📬 बा - हवाला ↬ *अबू दाऊद 📚*


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࿐  नबीये करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लग ने फरमाया हश्र के दिन अल्लाह तआला का सब से ज़्यादा मेहबूब और अल्लाह के हुज़ूर सब से करीब बैठने वाला शख़्स इमामे आदिल होगा और सब से ज़्यादा काबिले नफरत और सब से ज्यादा दूर जगह पाने वाला शख़्स ज़ालिम इमाम होगा।

࿐  नबीये अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने म़क़दाम बिन मअदी कर्ब के कन्धों पर हाथ मार कर फरमायाः ऐ म़क़दाम, अगर कहीं के अमीर या मुन्शी या चौधरी बने बिना मर जाओ तो समझो कि तुम ने फ़लाह हासिल कर ली।

📬 बा - हवाला ↬ *अबू दाऊद,शरीफ 📚*


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࿐  सरकारे मदीना ﷺ सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ऐ अब्दुर्रहमान, कभी इमारत (हाकिम बनने) की तलब न करो। अगर तुम्हें मांगने से इमारत मिली तो नफ़्स के फन्दों में आ जाओगे और अगर बे मांगे मिली तो अल्लाह तआला की तरफ से तुम्हारी मदद होगी।

࿐ रसूलुल्लाह ﷺ सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमायाः तुम लोगों में बहुत जल्द इमारत (हाकिम बनने) की हिर्स पैदा होने लगेगी लेकिन ऐसी इमारत हश्र के दिन निदामत बनेगी। यह दूध पिलाने वाली तो बड़ी अच्छी है मगर दूध छुड़ाते वक्त बड़ी बुरी होती है।

📬 बा - हवाला ↬ *बुख़ारी शरीफ, निसाई 📚*


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࿐  एक सहाबी अपने दो चचा ज़ाद भाइयों के साथ सरकार ﷺ सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ख़िदमते अक़दस में हाज़िर हुए। उन में से एक ने अर्ज़ की या रसूलल्लाहﷺ आप अपने अता शुदा इख़्तियारात से मुझे भी कहीं की इमारत सिपुर्द कर दीजिये। दूसरे शख्स ने भी ऐसी ही दरख्वास्त पेश की सरकारﷺ सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कसम ख़ुदा की मैं इस ओहदे पर किसी ऐसे शख्स को मुकर्रर न करूंगा जो इस की तलब या हिर्स रखता हो।

࿐  रसूलुल्लाह ﷺ सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का इरशादे गिरामी है जब अल्लाह तआला किसी अमीर की भलाई चाहता है तो उसे एक मुख्लिस वज़ीर भी दे देता है। अमीर अगर कुछ भूल भी जाए तो वह वज़ीर उसे याद दिला देता है और अगर याद रखे तो मदद देता है और अगर किसी अमीर की भलाई मकसूद न हो तो उस के लिये एक बुरा वज़ीर पैदा कर देता है जो भूलते वक़्त कुछ याद नहीं दिलाता और अगर याद रहे तो कुछ मदद नहीं पहुंचाता।

*(📚अबू दाऊद, निसाई)*

📬 बा - हवाला ↬ *क्या आप जानते हैं सफ़ह नम्बर, 621,622 📚*


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࿐   रसूलुल्लाह ﷺ सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया सुन लो, बहुत जल्द कुछ नालायक अमीर होंगे। जो शख्स उन के पास जाए और उन के झूट की तस्दीक करके उन के जुल्म में मदद करे, वह मुझ से और मैं उस से अलग होऊंगा और वह मेरे हौज़ पर सैराब होने के लिये नहीं आ सकेगा। लेकिन जो इन अमीरों के पास जाकर न इनके मज़ालिम में हाथ बटाएगा और न इन की झूटी बातों को सच्चा बताएगा वह मेरा और मैं उस का होऊंगा और वह हौज़ से सैराब होने के लिये मेरे पास पहुंच जाएगा।

࿐   सरकार ﷺ सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया ऐ अल्लाह, जो शख़्स मेरी उम्मत के किसी मुआमले का अमीर हो और वह लोगों को मशक्क़त में डाले तो तू भी उसे मशक्क़त में डाल और जो अमीर उन से नर्मी का बर्ताव भी उस के साथ नर्मी का सुलूक फ़रमा।

*(📚मुस्लिम शरीफ )*

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