🅿🄾🅂🅃 ➪ 01
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*ज़रूरी नहीं कि बेटों से नाम रौशन हो*
*मेरे नबी ﷺ का चला ख़ानदान बेटी से*
*☝🏻 बेटियों के लिए ज़रूरी हिदायात*
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࿐ *हया :* छोटी बच्चियों को बचपन से हया करना, पर रहना सिखाएँ, अगर हया की चादर ओढ़ ली या माँ की उढ़ा दिया तो बचपन से बुढ़ापे तक हर हाल में उसकी आप और उसका वक़ार महफूज़ रहेगा फिर दुनिया के साथ साथ आख़िरत में भी कामयाबी मिलेगी।
࿐ इन्शा अल्लाह छोटी बच्चियों को बचपन ही से अल्लाह और उसके रसल की मोहब्बत और उसके अहकाम की पाबंदी सिखाएँ। अमल में कोताही पर अल्लाह तआला का ख़ौफ़ दिलाएँ।
*❍↬ बा - हवाला ↫❍*
*📬 अच्छी बेटियां सफ़ह - 6 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 02
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*ज़रूरी नहीं कि बेटों से नाम रौशन हो*
*मेरे नबी ﷺ का चला ख़ानदान बेटी से*
*☝🏻 अच्छी बेटियां*
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࿐ *प्रस्तावना :* इस्लाम के अंदर औलाद की तालीम व तरबियत पर जिस कदर ज़ोर दिया गया है और चीज़ों पर उसके मद्दे मुक़ाबिल बहत कम है। औलाद की तरबियत और तालीम व तअल्लुम की अहमियत पर हमारे बड़ों ने बहुत सारी किताबें लिखी हैं। कुराने पाक की आयातऔर अहादीसे मुबारका इस ज़िमन में बेशुमार हैं लेकिन इस रिसाला में हम ने ख़ास कर बच्चियों की तालीम व तरबियत के लिए कुरआन और अहादीस के मफ़हूम के साथ साथ अहले अक़ल व दानिश के क़ौल के मजमूआ को इकट्ठा करने की कोशिश किया है ताकि माँ बाप अपनी बच्चियों की अच्छी तरबियत का ख़याल रखें।
࿐ रही बात बच्चियों की अज़मत, उनकी क़दर व मंज़िलत तो इस बात को पूरी दुनिया जानती है कि इस्लाम से पहले इनका कोई मक़ाम न था, यह सिर्फ मर्द के लिए खिलौना समझी जाती थीं, ऐश व इशरत के सामान के अलावा इनका कोई मक़ाम व मनसब न था। बच्चियाँ ज़िंदा दरगूर करदी जाती थीं और बहुत सारे मज़ालिम इन पर ढाये जाते थे। न बाप की निगाह में कोई अज़मत थी न शौहर की निगाह में कोई वक़अत, न भाई के यहाँ कोई क़दर व मंज़िलत न बेटा के लिए यह क़ाबिले एहतराम।
*❍↬ बा - हवाला ↫❍*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 03
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*ज़रूरी नहीं कि बेटों से नाम रौशन हो*
*मेरे नबी ﷺ का चला ख़ानदान बेटी से*
*☝🏻 अच्छी बेटियां*
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࿐ *प्रस्तावना :* इस्लाम के अंदर औलाद की तालीम व तरबियत पर जिस कदर ज़ोर दिया गया है और चीज़ों पर उसके मद्दे मुक़ाबिल बहत कम है। औलाद की तरबियत और तालीम व तअल्लुम की अहमियत पर हमारे बड़ों ने बहुत सारी किताबें लिखी हैं। कुराने पाक की आयातऔर अहादीसे मुबारका इस ज़िमन में बेशुमार हैं लेकिन इस रिसाला में हम ने ख़ास कर बच्चियों की तालीम व तरबियत के लिए कुरआन और अहादीस के मफ़हूम के साथ साथ अहले अक़ल व दानिश के क़ौल के मजमूआ को इकट्ठा करने की कोशिश किया है ताकि माँ बाप अपनी बच्चियों की अच्छी तरबियत का ख़याल रखें।
࿐ रही बात बच्चियों की अज़मत, उनकी क़दर व मंज़िलत तो इस बात को पूरी दुनिया जानती है कि इस्लाम से पहले इनका कोई मक़ाम न था, यह सिर्फ मर्द के लिए खिलौना समझी जाती थीं, ऐश व इशरत के सामान के अलावा इनका कोई मक़ाम व मनसब न था। बच्चियाँ ज़िंदा दरगूर करदी जाती थीं और बहुत सारे मज़ालिम इन पर ढाये जाते थे। न बाप की निगाह में कोई अज़मत थी न शौहर की निगाह में कोई वक़अत, न भाई के यहाँ कोई क़दर व मंज़िलत न बेटा के लिए यह क़ाबिले एहतराम।
*❍↬ बा - हवाला ↫❍*
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*☝🏻 बेटियों के लिए ज़रूरी हिदायात*
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࿐ *हया :* छोटी बच्चियों को बचपन से हया करना, पर रहना सिखाएँ, अगर हया की चादर ओढ़ ली या माँ की उढ़ा दिया तो बचपन से बुढ़ापे तक हर हाल में उसकी आप और उसका वक़ार महफूज़ रहेगा फिर दुनिया के साथ साथ आख़िरत में भी कामयाबी मिलेगी।
࿐ इन्शा अल्लाह छोटी बच्चियों को बचपन ही से अल्लाह और उसके रसल की मोहब्बत और उसके अहकाम की पाबंदी सिखाएँ। अमल में कोताही पर अल्लाह तआला का ख़ौफ़ दिलाएँ।
*❍↬ बा - हवाला ↫❍*
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*☝🏻 बेटियों के लिए ज़रूरी हिदायात*
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࿐ *इबादत :* छोटी बच्चियों में इबादत व रियाज़त का शौक पैदा करना चाहिए ताकि बालिग़ होने पर इबादत व रियाज़त में कोताही ना करें।
࿐ *इस्तिक़ामत :* ताकि हालात चाहे जैसे हों लेकिन वह साबित क़दम रहे और अल्लाह तआला और उसके रसूल पर तवक्कुल (भरोसा) करें।
*❍↬ बा - हवाला ↫❍*
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*ज़रूरी नहीं कि बेटों से नाम रौशन हो*
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*☝🏻 बेटियों के लिए ज़रूरी हिदायात*
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࿐ *ज़ोहद फिद्दनीया :* यानी दनिया से दूरी और उसकी हिर्स व हवस से दिल ख़ाली रहे ताकि किसी के लालच में आ कर अपनी ज़िंदगी तबाह व बर्बाद ना करें।
࿐ *आख़िरत की मोहब्बत :* ताकि दनिया ना मिलने पर ग़म ना हो और आख़िरत पाने की ख़ाहिश से अल्लाह की रज़ा पर राज़ी रहे।
*❍↬ बा - हवाला ↫❍*
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*☝🏻 बेटियों के लिए ज़रूरी हिदायात*
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࿐ *बेटियों खिदमत :* छोटी बच्चियों में ख़िदमत का जज़्बा पैदा करना चाहिए। यूं तो फ़ितरी तौर पर होता ही है बस ज़रा और उसको बढ़ा दें ताकि उसके ज़रिये माँ बाप के यहाँ और शादी के बाद शौहर के यहाँ हर किसी के दिल में अपना घर बना सके।
࿐ *ज़िद :* छोटी बच्चियों को बचपन ही से ज़िद जैसी ख़तरनाक बीमारी से बचाएं, उसके अंदर ज़िद हरगिज़ ना आने दे फिर उसे सब्र व शुक्र के साथ साथ ख़ुश रहना भी सिखाएँ।
*❍↬ बा - हवाला ↫❍*
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*ज़रूरी नहीं कि बेटों से नाम रौशन हो*
*मेरे नबी ﷺ का चला ख़ानदान बेटी से*
*☝🏻 बेटियों के लिए ज़रूरी हिदायात*
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࿐ *लिबास :* बच्चियों के कपड़ों में भी यह ख़याल रखा जाए कि जानदार की तस्वीर न हो, ग़ैर मुस्लिमों के किसी शेआर की तस्वीर न हो, लड़कों के मुशाबा लड़की का लिबास न हो याद रहे कि बच्ची ख़ुद मुकल्लफ नहीं लेकिन वालिदैन मुकल्लफ हैं। लिहाज़ा अगर वह गैर इस्लामी लिबास पहनाते हैं तो उनसे अल्लाह तआला इस का मूआख़ज़ा करेगा।
࿐ आज कल बच्चियों को फिल्मों, ड्रामों वाले लिबास पहनाए जाते हैं जोकि समाज में बच्चियों के साथ बढ़ती हुई ज़ियादती व दरिंदगी के असबाब में से एक यह भी शुमार होता है जब बच्चियों में बचपन ही से इस तरह के लिबास की आदत दिलवाएँगे तो बड़ी हो कर हरगिज़ मोहज़्ज़ब लिबास पहनने को तैयार नहीं होंगी। अगर आप को अपनी बच्चियों से मोहब्बत है तो उनको बचपन ही से मगरबी लिबास से दर रखें।
࿐ ढीले ढाले मोहज़्ज़ब लिबास पहनने की आदत और कम से कम सिर के बाल मोकम्मल ढॉपने की आदत डाले ताकि भेड़ियों के निगाहे बद और हवस का शिकार होने से बची रहें।
࿐ मोहब्बत का यह सुबूत हरगिज़ नहीं कि आप बेटी की नामोकम्मल महंगी लिबास पहना कर करते रहें और उसकी यह बुरी आदत बाद में आप को मुश्किल में डालने के साथ आज़ाबे क़बर व हशर का सबब बने।
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*मेरे नबी ﷺ का चला ख़ानदान बेटी से*
*☝🏻 बेटियों के लिए ज़रूरी हिदायात*
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࿐ बच्चियों को उरियाँ (अधूरा) लिबास और बेपरदगी और उसके सबब से बच्चियों के साथ होने वाली ज़ियादतियों से आगाह करते रहें।
࿐ वह बच्चियाँ जिनकी उम्र सात साल से कम होती है उनके लिए परदा नहीं लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि उन्हें नंगा रखा जाये या दूसरे लोगों के सामने उन्हें कपड़े बदलवाए जाएँ या गैर इस्लामी लिबास की आदत डाली जाये बच्ची में बचपन ही से हया पैदा करने के लिए उसे न तो दूसरों के सामने कपड़े बदलवायें, न नहलाएँ, न नाफ़ से घुटनों तक के हिस्से में दूसरों के सामने दावा वगैरा लगाएँ ताकि उसे यह पता हो कि इस जगह को दूसरों के सामने नंगा करना बुरी बात है।
*❍↬ बा - हवाला ↫❍*
*📬 अच्छी बेटियां सफ़ह - 8 📚*
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*मेरे नबी ﷺ का चला ख़ानदान बेटी से*
*☝🏻 बेटियों के लिए ज़रूरी हिदायात*
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࿐ दौरे हाज़िर में बच्चियों को फैशन कराना एक आम रिवाज बन चुका है औरतों ने फितनों को खुद इतना बढ़ा दिया है कि अल्लाह बचाए जब माँयें ब्युटिपालर मेकअप करवा कर आती हैं तो वह अपनी सात आठ साल की बच्चियों को भी वहीं मेकअप करवाती हैं या बच्चियां मेकअप कराने की ज़िद्द करती हैं नतीजा यह कि पाँच पाँच छह छह साल की बच्चियों के साथ दरिंदगी के वाक़ियात रुनमा हो रहे हैं। इस लिए फ़ितनों से बचने के लिए बच्चियों को सादा और मोहज़्ज़ब लिबास पहनाना चाहिए।
࿐ *खेल-कूद :* माँ बाप को चाहिए कि छोटी बच्चियों के खेल-कूद में भी निगरानी करें। क्यूँकि आज कल फिल्मों ड्रामों की फहश तस्वीरें कम उम्र की बच्चियों में भी अपना असर उतार चुकी हैं। इस लिए जहां तक मुमकिन हो माँ बाप अपनी बच्चियों को फिल्मों ड्रमों से दूर रखने के साथ ख़राब साथियों के साथ खेल-कूद की इजाज़त हरगिज़ न दें।
*❍↬ बा - हवाला ↫❍*
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*ज़रूरी नहीं कि बेटों से नाम रौशन हो*
*मेरे नबी ﷺ का चला ख़ानदान बेटी से*
*☝🏻 बेटियों के लिए ज़रूरी हिदायात*
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࿐ *तालीम :* बच्चियों को तालीमे क़ुरान और अदब के साथ जहाँ तक हो सके अच्छी से अच्छी दीगर तालीम भी दिलवाएँ। बेटियों की तालीम किस क़दर ज़रूरी है बस इस से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि अहले अक़ल कहते हैं कि अगर एक औरत तालीम याफ़्ता हो गई तो गोया कि एक क़बीला तालीम याफ़्ता हो गया। बच्चों का पहला मदरसा व स्कूल माँ की गोद है। बच्चे सब कुछ यानी अदब, अक़ल, तदब्बुर सब वहीं सीखते हैं। लिहाज़ा बेटियों की तालीम का खूब ख़याल रखें मगर ऐसी ख़लत मलत जगह से महफूज़ रखें जहाँ बुराइयाँ आम हों।
࿐ ऐसी तालीम किस काम की जिस से फित्ना जनम ले और इज्ज़त व आबरू महफूज़ ना हो और बच्चियाँ कहीं मुंह दिखाने के क़ाबिल ना हो उरियानी, फहशगोई, बदकारियाँ उनके ज़ेहन व दिमाग़ में आए तो ऐसी तालीम और ऐसी जगह से दूर रखें वरना दनिया व आख़िरत दोनों में माँ बाप की पकड़ होगी और सख़्त से सख़्त अज़ाब में गिरफ्तार होंगे।
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*📬 अच्छी बेटियां सफ़ह - 9 📚*
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*☝🏻 बेटियों के लिए ज़रूरी हिदायात*
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࿐ *ग़म गुसारी :* छोटी बच्चियों को ग़म गुसारी की तालीम दें ताकि अपने माँ बाप और रिश्तेदारों के ग़म को अपना समझे और उनके ग़म दूर करने और सबर करने में मददगार बन कर हर दिल अज़ीज़ रहे।
࿐ माँ बाप को चाहिए कि बच्चियों के सामने किसी तरह की बे हयाई की बात या काम न करे। मसलन फहशगोई (बरी बात बोलना) गाली गलोच, झगड़ा लड़ाई न करे। इस लिए कि ऐसा करने से आप की तरबियत बेअसर होगी और बच्चियों में यह आदत बआसानी जल्द आजाने का ख़तरा है।
࿐ माँ बाप को चाहिए कि अपनी बच्चियों के सामने एक दूसरे को ताना न दे और एक दूसरे को ज़लील न करे बल्कि एक दूसरे की इज्जत व क़दर करे ताकि बच्चियों की निगाह में माँ बाप की अज़मत बरक़रार रहे और उनकी तरवियत अच्छी से अच्छी हो सके।
࿐ माँ बाप को चाहिए कि अपने किरदार को बच्चियों के सामने बहुत पाक और सुथरा रखे इस से आप की बच्चियां के किरदार भी आला (बुलंद) होंगे।
*❍↬ बा - हवाला ↫❍*
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*ज़रूरी नहीं कि बेटों से नाम रौशन हो*
*मेरे नबी ﷺ का चला ख़ानदान बेटी से*
*☝🏻 बेटियों के लिए ज़रूरी हिदायात*
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࿐ *घरेलू काम :* माँ बाप को चाहिए कि छोटी बच्चिया से घर के कामों में मदद लें और बच्चियों को भी चाहिए कि के कामों में अपनी माँ का हाथ बटाए ताकि घरेलू काम का बेटियों की आदत बने।
࿐ बाप की बात खूब तवज्जो से सुने और किसी क़िस्म का मामला होतो माँ बाप के सिवा किसी को मालूम न होने दे।
*❍↬ बा - हवाला ↫❍*
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*ज़रूरी नहीं कि बेटों से नाम रौशन हो*
*मेरे नबी ﷺ का चला ख़ानदान बेटी से*
*☝🏻 बडी बच्चियों के लिए खास हिदायात*
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࿐ बड़ी बच्चियाँ अपना खूब ख़याल रखें यानी साफ सुथरी रहें, कपड़ा मैला कुचैला न पहनें, बाल संवार कर रखें और दीगर तरीके से भी सफाई सुथराई का ख़याल रखें। इस से माँ बाप ख़ुश होते हैं और रहन सहन में वक़ार पैदा करें इस से ख़ानदान में और रिश्तादारों में उसकी इज़्ज़त बढ़ती है और शादी के पैग़ाम में भी दुश्वारियाँ नहीं होती और हर इज़्ज़तदार शख़्स ऐसी बच्चियों को अपने घर की ज़ीनत बना कर ख़ुशी महसूस करते हैं।
*❍↬ बा - हवाला ↫❍*
*📬 अच्छी बेटियां सफ़ह - 11 📚*
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*मेरे नबी ﷺ का चला ख़ानदान बेटी से*
*☝🏻 बडी बच्चियों के लिए खास हिदायात*
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࿐ बड़ी बच्चियों को चाहिए कि माँ बाप के साथ सिर्फ सच्च बोलें झूठ कभी न बोलें ताकि अंजाने में दोस्तों यानी सहेलियों के बहकावे में कोई ग़लत काम हो जाए या ग़लत बात हो जाए तो माँ बाप उसका बेहतर हल निकाल सकें।
࿐ बड़ी बच्चियाँ इस बात का ख़ास ख़याल रखें कि माँ बाप से बढ़ कर पूरी दुनिया में कोई भी आप का सच्चा हमदर्द नहीं हो सकता बल्कि तजरबा है कि माँ बाप बेटों से भी ज़्यादा बेटियों के हमदर्द होते हैं लिहाज़ा मामला चाहे कुछ भी हो आप उनके साथ सिर्फ सच बोलें अगरचे उनकी तरफ से ग़लती पर मामूली सज़ा का भी इमकान हो, उनकी बरवक़्त की तंबीह दुनिया की रुसवाई और आख़िरत के अज़ाब से बचाएगी इन्शा अल्लाह।
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*☝🏻 बडी बच्चियों के लिए खास हिदायात*
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࿐ बड़ी बच्चियाँ माँ बाप की क़दर व इज़्ज़त और उनकी ताज़ीम व तौक़ीर हर हाल में बजा लाएँ ताकि शादी के बाद मां-बाप के साथ साथ अपने शौहर और उनके माँ बाप और दिगर घर के अफराद की ताज़ीम व तौक़ीर करके उन सब की निगाह में अपनी क़दर व मंज़िलत हमेशा बढ़ाती रहें।
࿐ बड़ी बच्चियाँ तमाम कामों पर अपने माँ बाप को तरजीह दें और उनके हुक्म को अल्लाह व रसूल के हुक्म के बाद हर हुक्म पर मुक़द्दम जाने और शादी के बाद अपने शौहर के हुक्म को सारे हुक्म पर तरजीह दें ताकि इस आदत से माँ बाप की आँखों का तारा बनी रहें और शादी के बाद शौहर के दिल
की मलका बनी रहें।
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*📬 अच्छी बेटियां सफ़ह - 12 📚*
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*मेरे नबी ﷺ का चला ख़ानदान बेटी से*
*☝🏻 बडी बच्चियों के लिए खास हिदायात*
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࿐ *ज़ुबान दराज़ी :* बड़ी बच्चियों को चाहिए कि घर में अपनी माँ और भाई बहनों और दीगर लोगों से जुबान दराज़ी हरगिज़ न करें चूंकि ज़ुबान दराज़ी तमाम फित्नों की जड़ है और ज़ुबान दराज़ी से इंसान अक्सर ज़लील व रुसवा होता रहता है और यही बुरी आदत अक्सर बच्चियों को शादी के बाद शौहर और उनके घर वालों से जदाई का सबब बनती है।
࿐ यह ख़बीस आदत अगर आप नहीं छोड़ती हैं तो तलाक़ जैसा नौबत आ जाती है जो आप की जिंदगी के लिए मौत से बदत्तर पैग़ाम लाती है फिर बच्चियों का पूरा ख़ानदान और उसके शौहर का ख़ानदान मैदाने जंग के सिपाही बनते है मामला कोर्ट तक पहंचता है, वालिदैन (माँ बाप) और भाई जेल तक की मुसीबत झेलते हैं और ज़िल्लत व रुसवाई दोनों खानदान का मोक़द्दर बन जाता है।
࿐ लिहाज़ा आप की नर्म मिजाजी और जुबान दराज़ी न करना उन तमाम फित्नों के दरवाज़े को हमेशा के लिए बंद कर सकता है।
*❍↬ बा - हवाला ↫❍*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 18
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*ज़रूरी नहीं कि बेटों से नाम रौशन हो*
*मेरे नबी ﷺ का चला ख़ानदान बेटी से*
*☝🏻 बडी बच्चियों के लिए खास हिदायात*
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࿐ *सख्त मिज़ाजी :* बड़ी बच्चियों को चाहिए कि अपनी माँ के साथ और घर के दीगर अफराद के साथ सख़्त मिज़ाजी न दिखाएँ, यह बुरी ख़सलत माँ बाप के घर में और शादी के बाद शौहर के घर में उन्हें अकेला कर देता है, लोग ऐसी बच्चियों से दूर होने लगते हैं और उनके सेहत के लिए भी नुक़सानदेह साबित होता है और हुस्न के निखार को भी यक्सर ख़तम कर देता है।
*❍↬ बा - हवाला ↫❍*
*📬 अच्छी बेटियां सफ़ह - 13 📚*
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*ज़रूरी नहीं कि बेटों से नाम रौशन हो*
*मेरे नबी ﷺ का चला ख़ानदान बेटी से*
*☝🏻 तंबीह*
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࿐ हाँ ! बच्चियों को इस बात का ख़याल रखना चाहिए कि माँ बाप की गैर मौजूदगी में अपने घर वालों के अलावा दूसरे के लिए सख़्त मिज़ाजी पेश करें और शादी के बाद शौहर के घर वाले और ख़ास रिश्तादारों के अलावा बज़ाहिर सख़्त मिज़ाजी ज़ाहिर करें कि कोई ग़लत बात या ग़लत काम की उम्मीद उनसे न रखे बल्कि बेटियाँ अपने माँ बाप और शौहर और उनके माँ बाप के अलावा दूसरे के लिए मिसले सूरज बन कर रहें कि कोई ग़लत निगाह से उसे देखने की हिम्मत न करे और उसकी हैबत (डर) से उसकी तरफ किसी गैर की निगाह न उठे।
*❍↬ बा - हवाला ↫❍*
*📬 अच्छी बेटियां सफ़ह 13 📚*
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*ज़रूरी नहीं कि बेटों से नाम रौशन हो*
*मेरे नबी ﷺ का चला ख़ानदान बेटी से*
*☝🏻 तंबीह*
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࿐ *फरमाइश :* बड़ी बच्चियों को चाहिए कि फरमाइश की आदत अपने कंट्रोल में रखें बल्कि न के बराबर अपने बेटियो अच्छी अंदर आने दें। तजरबा है कि माँ बाप उसकी जारी ख़याल रखते ही हैं, फरमाइश की फरावानी पर वाली निगाह में और शादी के बाद शौहर की निगाह में कर देती है लिहाज़ा बेजा (बेवजह) फरमाइश से आप को महफूज़ रखें।
*❍↬ बा - हवाला ↫❍*
*📬 अच्छी बेटियां सफ़ह 14 📚*
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*☝🏻 तंबीह*•
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࿐ *गुस्सा :* बड़ी बच्चियों को चाहिए कि गुस्सा किसी भी मामला में हरगिज़ न करें क्यूँकि अहले अक़ल कहते हैं कि गुस्सा की इब्तिदा अक़ल का ख़तम होना है और इंतिहा हमेशा की शरमिंदगी पर है। बड़ी बच्चियों को चाहिए कि अपने माँ बाप भाई बहन को छोटे छोटे तोहफे देती रहें इस से माँ बाप का दिल बहुत खुश होता है और इस आदत को अपने अंदर बरक़रार रख कर शादी के बाद अपने शौहर को भी छोटे छोटे गिफ्ट देती रहें और उनके घर के अफराद को भी उनके मरातिब के लिहाज़ से और अपनी हैसियत के एतेबार से छोटे छोटे तोहफा देती रहें ताकि घर वालों में उसकी मोहब्बत और इज़्ज़त बढ़ती रहे।
࿐ बड़ी बच्चियों को चाहिए कि अगर मोबाइल टेलीफ़ोन वगैरा पे बात करना चाहें तो माँ बाप के ख़ास और अज़ीज़ रिश्तादार के साथ बात चीत करें इस से माँ बाप को ख़ुशी होती है और शादी के बाद उनसे बात करें जिनसे शाहर बख़ुशी इजाज़त दें, और इस बात का ख़याल रखें कि उनके दोस्तों से इजाज़त के बावजूद भी हरगिज़ बात न कर तार शोहर की निगाह में आप का एतेमाद बरक़रार रह आपकी पाकदामनी पे कोई हासीद (हसद करने वाला) या आपकी आबरू का कोई दुश्मन उंगली न उठा सके।
*❍↬ बा - हवाला ↫❍*
*📬 अच्छी बेटियां सफ़ह 14 📚*
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*ज़रूरी नहीं कि बेटों से नाम रौशन हो*
*मेरे नबी ﷺ का चला ख़ानदान बेटी से*
*☝🏻 ज़रूरी हिदायत*
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࿐ करीब क़रीब तमाम बड़ी बच्चियाँ मोबाइल से उठने वाले फित्नों को जानती हैं लिहाज़ा आप अपने आपको इस फित्ने से कैसे बचाएंगी यह आपके अक़ल व दानिश के ऊपर है, मेरा नाक़िस मशवरा यह है कि मोबाइल से अपने आपको दूर रखें और सिर्फ ज़रूरतन इस्तेमाल करें और इसके फित्नों पर निगाह रखें और सब से बेहतर यह है कि अपने महरम (वह मर्द जिसे निकाह हराम है) और शौहर के अलावा अपने लिए मोबाइल का इस्तेमाल ज़हरे क़ातिल समझें।
*❍↬ बा - हवाला ↫❍*
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*ज़रूरी नहीं कि बेटों से नाम रौशन हो*
*मेरे नबी ﷺ का चला ख़ानदान बेटी से*
*☝🏻 ज़रूरी हिदायत*
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࿐ बड़ी बच्चियों को चाहिए कि अपनी ज़िंदगी का कोई बड़ा फैसला खुद न करें बल्कि माँ बाप से मिल कर करें चाहे वह ऊंची तालीम का मसला हो या अपनी पसंद ना पसंद का, ख़ास कर पसंद की शादी का फैसला तो हरगिज़ न करें इस मामला में आपको सही मशवरा देने वालों की सख़्त ज़रूरत होती है और याद रखें आपको सही मशवरा माँ बाप से बढ़ कर कोई नहीं दे सकता इस की वजह यह है कि आम तौर पर लड़कियां जज़बाती होती हैं और सिर्फ हाल को ही देखती हैं लेकिन माँ बाप माज़ी व हाल के साथ साथ मुस्तक्बिल बल्कि अपनी बच्चियों की आने वाली नस्लों की अच्छाई व बुराई को भी देख रहे होते हैं।
࿐ इस लिए दुनिया में अपने लिए उनका फैसला सबसे अच्छा समझो और अपने फैसले के साथ साथ तमाम हमदर्दों के बेटिया साल पे उनके फैसला को तरजीह दो। इन्शा अल्लाह आप हमेशा खुश रहेंगी अगर उनकी जानिब से कुछ कमी बेशीम आपके मिज़ाज के ख़िलाफ़ कुछ हो भी गया तो उनकी दी बरकत से अल्लाह तआला आपको आपकी चाहत से कहीं ज़्यादा अता फरमाएगा। इस लिए कि हदीस पाक है माँ बाप की दुआ औलाद के हक़ में नबियों की दुआ की तरह होती है।
*❍↬ बा - हवाला ↫❍*
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*ज़रूरी नहीं कि बेटों से नाम रौशन हो*
*मेरे नबी ﷺ का चला ख़ानदान बेटी से*
*☝🏻 तंबीह*
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࿐ बड़ी बच्चियों को सोचना चाहिए कि वह चुड़ियाँ, दोपट्टा और दीगर सामान बौर मशवरा के पसंद करने में धोका खा जाती हैं इस बात को वह ख़ुद भी महसूस करती हैं इसी लिए वह मशवरा के बाद ही कुछ खरीदती हैं, तो अपनी जिंदगी का यह सब से बड़ा फैसला अपने सब से बड़े हमदर्द के मशवरा के बौर हरगिज़ न करें।
࿐ हाँ ! माँ बाप और दूसरे बड़ों के मशवरों में कमी हो तो उसे इंकार का मुकम्मल इख़्तियार है। ऐसा नहीं कि माँ बाप गलत कहें तो उस फैसला को मानना होगा बल्कि इस्लाम ने आपको क़बूल और इंकार का मुकम्मल इख़्तियार दिया है।
࿐ बड़ी बच्चियों को चाहिए कि गाहे बगाहे अपने बचपन की बातें माँ बाप के साथ करती रहे इस से माँ बाप को ख़ुशी होती है।
࿐ बड़ी बच्चियों को चाहिए कि घर का काम खूब सलीक़ा से करना अपनी माँ से सीखें। जैसे खाना बनाना, घर की सफाई सुथराई, सामान को सलीक़ा से सजा कर रखना वगैरा वरौरा।
*❍↬ बा - हवाला ↫❍*
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*ज़रूरी नहीं कि बेटों से नाम रौशन हो*
*मेरे नबी ﷺ का चला ख़ानदान बेटी से*
*☝🏻 तंबीह*
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࿐ बड़ी बच्चियों को चाहिए कि अपनी तमाम सहेलियों का तआरुफ़ (पहचान) अपनी माँ से ज़रूर करवाएँ ताकि मा सहेलियों से मुतमइन रहे। और अगर किसी में बुरी खसलत होतो उस से आपको आगाह करके उसकी सुहबत से आपको बचाए वरना वह आपके मुस्तक़िबल के लिए बहत नुक़सानदेह साबित हो सकती है।
࿐ बड़ी बच्चियों का कभी कभी घर में माँ से बात बिगड़ जाती है तो बच्चियों को चाहिए कि वह अपनी माँ को मनाएँ ऐसा नहीं कि माँ उसको मनाएँ। बच्चियाँ अपने अंदर बदलाऊ लाएँ माँ के अंदर बदलाऊ लाने की कोशिश न करें और अगर ज़रूरत महसूस करें तो मौक़ा महल देख कर अदब और मोहब्बत के साथ प्यार से अपनी बात सही दलील के साथ उनके सामने पेश कर दें और फैसला उनके ज़िम्मा छोड़ दें, उनका फैसला वही होगा जिसमें आपकी भलाई होगी। इन्शा अल्लाह।
*❍↬ बा - हवाला ↫❍*
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*ज़रूरी नहीं कि बेटों से नाम रौशन हो*
*मेरे नबी ﷺ का चला ख़ानदान बेटी से*
*☝🏻 तंबीह*
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࿐ बड़ी बच्चियों को चाहिए कि कोई भी सुरते हाल हो अपनी माँ से बोलचाल कभी बंद ना करें और माँ की हर बात को ख़ास तवज्जो से सुनें और उसे ज़रूर माने और बिगाड़ किसी भी क़िस्म का हो उसे फौरन ठीक करें फिर माँ बाप की बात को बार-बार सोचें और उसमें अपने लिए भलाई ही का पहलू निकालें।
࿐ और अगर ज़ेहन कुछ फैसला न कर सके तो दिल में यही बात जमाएँ कि उन्होने जो कहा है उसमें हमारा फाइदा ही फाइदा है और उनके कहने के ख़िलाफ़ में हमारा नुक़सान ही नुक़सान है, तो इन्शा अल्लाह कभी शैतान आप पर ग़ालिब नहीं आएगा और बुरी ख़सलत वाली सहेलियों से भी कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा। इन्शा अल्लाह।
*❍↬ बा - हवाला ↫❍*
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*ज़रूरी नहीं कि बेटों से नाम रौशन हो*
*मेरे नबी ﷺ का चला ख़ानदान बेटी से*
*☝🏻 तंबीह*
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࿐ बड़ी बच्चियों को चाहिए कि मामला खतम हो जाने के बाद परानी बातें बीच में हरगिज़ न लाएँ वरना फिर से दूरी बढने और निगाड़ जनम लेने का इमकान है।
࿐ बड़ी बच्चियों को चाहिए कि अगर कोई उसको नज़र अंदाज़ करे तो उसको माफ करना सीखें ताकि माँ बाप के यहाँ और शादी के बाद शौहर के घर में बिगाड़ की सरत पैदा न हो।
࿐ अगर आपने माफ करने की आदत नहीं सीखा है तो उस से हसद और किना जैसी मुहलिक बीमारी आपके सिने में जन्म लेने का ख़तरा है फिर चुग़ली और गिबत जैसी ख़बीस आदतें भी आसकती हैं फिर आपका घर जहन्नम का गढ़ा बन कर तबाह व बर्बाद हो जाएगा। हदीस में है बेहतर बदला माफ करना है।
*❍↬ बा - हवाला ↫❍*
*📬 अच्छी बेटियां सफ़ह 18 📚*
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*ज़रूरी नहीं कि बेटों से नाम रौशन हो*
*मेरे नबी ﷺ का चला ख़ानदान बेटी से*
*☝🏻 तंबीह*
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࿐ बड़ी बच्चियों को चाहिए कि अपना हर मामला अपने माँ-बाप के साथ और अपने भाई बहन और शादी के बाद शौहर और उनके घर वालों के साथ ठीक रखें और कुछ गड़बड़ हो जाए तो खुद ही ठीक करें किसी तीसरी पार्टी को बीच में न लाएँ इसमें आपकी जिंदगी के लिए बेहतरी ही बेहतरी है।
࿐ बच्चियों की परवरिश और सही तरबियत पर हदीस में जगह-जगह जन्नत की बशारत है।
࿐ बच्चियों का दिल खुश करना और उनकी ज़रूरतों का ख़याल रखना और मोहब्बत से पेश आकर ज़रूरत पूरी कर देना माँ-बाप के लिए दुनिया में मुफ़लिसी से बचने का एलाज है और आख़िरत में दोज़ख की आग से निजात भी।
*❍↬ बा - हवाला ↫❍*
*📬 अच्छी बेटियां सफ़ह 18 📚*
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*ज़रूरी नहीं कि बेटों से नाम रौशन हो*
*मेरे नबी ﷺ का चला ख़ानदान बेटी से*
*☝🏻 नसीहत*
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࿐ एक बुजुर्ग बयान फरमाते हैं कि मैं ने एक शख़्स को मस्जिद के एक कोने में आह व ज़ारी के साथ गिड़गिड़ा कर आजज़ी से रो रो कर दुआ करते देखा मैं ने दुआ के बाद वजह मालूम करने की कोशिश की तो उसने बताया कि मामला यह है कि मेरी छह 6 बच्चियाँ हैं फिर मेरी बीवी हामिला है तो मैं ने अपनी बीवी को बहुत सख़्त सुस्त कहना शुरू किया और बार बार धमकिया दिया करता था कि अगर अब की बार बच्ची हुई तो तुझे माइके भेज दूंगा, तो मैं एक रात ख़्वाब देखा कि क़यामत क़ाइम है मेरे आमाल के बदले दोज़ख़ की आग है, जब फरिश्ते मुझे दोज़ख़ के पहले दरवाज़े पर लेकर गए तो मैं ने देखा कि मेरी बड़ी बच्ची खड़ी है और उसने फरिश्ते से कहा कि मैं इसकी बच्ची हूँ, मेरा बाप बहुत दुश्वारीयां उठा कर मेरी परवरिश और तरबियत की लिहाज़ा मैं इसे नहीं ले जाने दूँगी।
࿐ वहाँ से मुझे दूसरे दरवाज़े पर लाया गया, वहाँ मेरी दूसरी बच्ची मौजूद थी फिर इसी तरह के सवाल व जवाब हुए फिर तीसरे चौथे पांचवे छठे दरवाज़े पे छठी बच्ची ने रोक लिया फिर मेरी आँख खुल गई तब से मैं रो रो कर दुआ करता हूँ कि अल्लाह पाक मुझे एक और बच्ची अता करदे ताकि कल क़यामत के दिन मेरे आमाल अगर काम न आसके तो इन बच्चियों की वजह से अल पाक दोज़ख़ से निजात अता फरमाए।
*❍↬ बा - हवाला ↫❍*
*📬 अच्छी बेटियां सफ़ह 19 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 30
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*ज़रूरी नहीं कि बेटों से नाम रौशन हो*
*मेरे नबी ﷺ का चला ख़ानदान बेटी से*
*☝🏻ज़रूरी तंबीह*
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࿐ *मगर अफसोस सद अफसोस !* आज कल बेटे वालों की खुबासत की वजह से लोग बच्चियों की पैदाइश पे ग़मगीन हो जाते हैं। हमें बच्चियों की ख़ातिर ग़म न करना चाहिए हदीस में आया है कि जब किसी के यहा बेटा पैदा होता है तो अल्लाह तआला फरमाता है जा अपने बाप की मदद कर और जब किसी के यहाँ बेटी पैदा होती है तो अल्लाह तआला फरमाता है जा मैं तेरे बाप की मदद करूंगा। तो आप ने यह पढ़ कर समझ लिया होगा कि बच्चियों के माँ बाप के साथ अल्लाह तआला की मदद है।
࿐ अगर जहेज़ के नाम पर कोई भिकारी बेटी वालों से भिक मांगता है या जानवर समझ कर बेटा की क़ीमत वसूल करता है तो अल्लाह की लानत का मुस्तहिक़ हो जाता है और यह तजरबा है कि ऐसा बाप हमेशा परीशान और ज़लील व ख़ार होता है।
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*📬 अच्छी बेटियां सफ़ह 20 📚*
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*ज़रूरी नहीं कि बेटों से नाम रौशन हो*
*मेरे नबी ﷺ का चला ख़ानदान बेटी से*
*☝🏻 शादी ब्याह*
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࿐ इस्लाम ने निकाह की अदाईगी में जो कैद लगाया है वह सिर्फ इजाब व कूबूल है। निकाह मनअक़िद होने के लिए जो शराइत हैं जब वह पाये जाएँ उसके बाद इजाब व कुबूल हो जाय शादी हो गई। अब अल्लाह तआला के प्यारे हबीब ﷺ ने जितनी फ़ज़ीलत व अहमियत और लवाज़िमात इरशाद फरमाए हैं लागू हो गया। आज कल यह जो डकैतों की फौज लेकर के भेडिये की तरह बेटी वालों के यहाँ हमला आवर होते हैं और उनकी खिदमत के लिए बेटी वाला जितना क़रज़ लेता है और जिस क़दर उनका दिल दुखता है फिर न चाह कर सिर्फ बेटी को खुश देखने के लिए खून के आंसु पी कर बेटा वालों के बदत्तमीज़ बारात को बरदाश्त करता है। इस से जिस क़दर बेटी वालों का दिल दुखेगा उतने ही अल्लाह तआला की नाराज़गी का सबब होगा।
*❍↬ बा - हवाला ↫❍*
*📬 अच्छी बेटियां सफ़ह 21 📚*
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*ज़रूरी नहीं कि बेटों से नाम रौशन हो*
*मेरे नबी ﷺ का चला ख़ानदान बेटी से*
*☝🏻 शादी ब्याह*
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࿐ फिर मज़ीद यह कि बेटा वाला बेटी वालों पर मीठा और खूबसूरत जुल्म यह भी करता है कि सलामी के नाम पर अपने बेटा का दाम वसूल करता है, और वक़्त का अलमिया यह कि उस रक़म की अदाईगी के लिए बेटी वाला अपनी जाइदाद बल्कि बाज़ औक़ात घर तक सूद की अदाईगी में लगा देता है और बाज़ बेटी वाले भिक मांग मांग कर इंटरनेशनल भिकारी बेटे वाले को रूपिये देते हैं तब जा कर यह शादी करते हैं। याद रखें जब तक बेटी वालों को यह रूपिये वापिस कर के माफी न मांग ले तब तक अल्लाह पाक की नाराज़गी होगी और ऐसी शादी वाले निकाह की बरकत व फ़ज़ीलत से भी यक्सर महरूम ही होंगे।
🤲🏻 अल्लाह तआला हर बेटा वालों को अक़्ले सलीम अता फरमाए और बेटा के ज़रिये दुनिया व आख़िरत की नेमत और अल्लाह व रसूल की ख़ुश्शूदी कमाने की तौफ़ीक़ अता फरमाए, *आमीन!*
*❍↬ बा - हवाला ↫❍*
*📬 अच्छी बेटियां सफ़ह 21 📚*
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*📬 अल्हम्दु लिल्लाह पोस्ट मुकम्मल हुई 🔃*
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