Sunday, 8 January 2023

🔥 बुग्ज़ व किना


 


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      *❝  क़ब्र काले सापो से भरी हुई थी  ❞* 

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࿐  इब्ने अब्बास رضي الله تعالي عنه की खिदमत में कुछ लोग घबराहट के आलम में हाज़िर हुए और अर्ज़ की : हम हज की सआदत पाने के लिये निकले थे, हमारे साथ एक आदमी भी था, जब हम जातुस्सीफाह के मक़ाम पर पहुचे तो वो इंतिक़ाल कर गया। हमने उस के गुस्ल व कफ़न का इन्तिज़ाम किया फिर उसके लिये क़ब्र खोदी और उसे दफन करने लगे तो देखा कि उसकी क़ब्र काले काले सापो से भरी हुई है।

࿐  हमने वो जगह छोड़ कर दूसरी क़ब्र खोदी तो देखते ही देखते वो भी काले सापो से भर गई चुनान्चे हमने उसे वहा भी नहीं दफनाया और आप के पास हाज़िर हो गए है।

࿐  हज़रते इब्ने अब्बास رضي الله تعالي عنه ने फ़रमाया : ये उसका किना है जो वो अपने दिल में रखा करता था, जाओ ! और उसे वही दफन कर दो।

࿐  भाइयो देखा आपने कि सफ़रे हज जैसी अज़ीम सआदत से मुशर्रफ होने वाले शख्स को भी साइन के किने की वजह से सापो भरी क़ब्र में दफन होना पड़ा। इस हिकायत में हम जेसो के लिये इब्रत ही इब्रत है। जिनका ज़ाहिर बड़ा साफ़ और पाकीज़ा दिखाई देता है मगर बातिन बुग्ज़ व किने और तरह तरह की गलाज़तो से आलूदा होता है। ज़रा सोचिये ! अगर हमारी क़ब्र में भी इसी तरग साँप बिच्छु आ गए तो हमारा क्या बनेगा ?

࿐  लिहाज़ा इस से पहले कि सासो का तसलसुल टूट जाए और तौबा की मोहलत भी न मिले।

࿐  आइये ! हम बारगाहे खुदावन्दि में अपने गुनाहो से तौबा कर लेते है और अपने रब से मुनाजात करते है कि...

      ☘️साप लिपटे न मेरे लाशो से
          ☘️क़ब्र में कुछ न दे सज़ा या रब
                 ☘️नुरे अहमद से क़ब्र रोशन हो
                        ☘️वहशत क़ब्र से बचा या रब

*📬 क़िताब :-  बुग्ज़ व किना सफ़ह - 2 📚*


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  *❝ बातनी गुनाहो का इलाज बेहद ज़रूरी है! हिस्सा~01 ❞* 

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࿐   कुछ गुनाहो का तअल्लुक़ ज़ाहिर से होता है जैसा क़त्ल, चोरी, ग़ीबत, रिशवत, शराब नोशी और कुछ का बातिन से मशलन हसद, तकब्बुर, रियाकारी, बदगुमानी।

࿐   बहर हाल गुनाह ज़ाहिर हो या बातिनी ! इनका इर्तिकाब करने वाला जहन्नम के दर्दनाक अज़ाब का हक़दार है, इस लिये दोनों किस्म के गुनाहो से बचना ज़रूरी है

࿐   लेकिन बातिनी गुनाहो से बचना ज़ाहिरी गुनाहो की निस्बत ज़्यादा मुश्किल है क्यूकी ज़ाहिरी गुनाह को पहचानना आसान जब कि बातिनी गुनाह की शनाख्त इस वजह से दुस्वार है कि ये सर की आँखों से दिखाई नहीं देते इन्हें सिर्फ महसूस किया जा सकता है।

*📬 क़िताब :-  बुग्ज़ व किना सफ़ह - 3 📚*


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 *❝ बातनी गुनाहो का इलाज बेहद ज़रूरी है! हिस्सा~02 ❞* 

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࿐   तक़वा व परहेज़गारी पाने और अपने रब्ब को राज़ी करने के लिये हमे ज़ाहिर के साथ साथ अपना बातिन भी सुथरा रखने की ज़रूर कोशिश करनी चाहिये। बहुत सारे बातिनी गुनाहो में से एक "बुग्ज़ व किना" भी है।

࿐   इसकी तबाह क़ारियो से बचने के लिये हमे मालुम होना चाहिये कि किना किसे कहते है ? इसके नुक्सानात क्या है ? कौन सा किना ज़्यादा बुरा है ? इसका इलाज क्यूकर हो सकता है ? किससे किना रखना वाजिब है ? हमे ऐसा क्या करना चाहिये कि किसी के दिल में हमारे लिये किना पैदा न हो ?

࿐   अब आने वाले इस पोस्ट में किने के बारे में इसी नोइय्यत की मालूमात फरामह करने की कोशिश की जायेगी! *इन्शा अल्लाह तआला*

*📬 क़िताब :-  बुग्ज़ व किना सफ़ह - 4 📚*


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                 *❝ किना किसे कहते है ❞* 

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࿐   दिल में दुश्मनी को रोके रखना और मौक़ा पाते ही इसका इज़हार करना किना कहलाता है।

࿐   हुज्जतुल इस्लाम हज़रते इमाम मुहम्मद ग़ज़ालि अलैरहमा ने किने की तारीफ़ इन अलफ़ाज़ में की है : किना ये है कि इंसान अपने दिल में किसी को बोझ जाने, उससे दुश्मनी व बुग्ज़ रखे, नफरत करे और ये कैफिय्यत हमेशा हमेशा बाक़ी रहे।

📘 *अहयाउल उलूम* 3/223

࿐   मशलन कोई शख्स ऐसा है जिसका ख़याल आते ही आप को अपने दिल में बोझ महसूस होता है, नफरत की एक लहर दिलो दिमाग में दौड़ जाती है, वो नज़र आ जाए तो मिलने से कतराते है और ज़बान, हाथ या किसी भी तरह से उसे नुक़सान पहुचाने का मौक़ा मिले तो पीछे नहीं रहते, तो समझ लीजिये कि आप उस शख्स से किना रखते है और अगर इस मेसे कोई बात भी नहीं बल्कि वेसे ही किसी से मिलने को जी नहीं चाहता तो ये किना नहीं कहलाएगा।

*📬 क़िताब :-  बुग्ज़ व किना सफ़ह - 5 📚*


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*❝ मुसलमानो से किना रखने का शरई हुक्म ❞* 
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࿐   मुस्लमान से बिला बज्हे शरई किना व बुग्ज़ रखना हराम है।

📗 फतवा राजविय्या 6/526

࿐   यानी किसी ने हम पर नतो ज़ुल्म किया और न ही हमारी जानो माल वगैरा में कोई हक तलफि की फिर भी हम उस के लिए दिल में किना रखे तो ये नाजाइज़ व हराम और जहन्नम में लेजाने वाला काम है।

࿐   अगर किसी ने हम पर ज़ुल्म किया हो और हम बदला लेने के पर कदीर हो तो उससे इस कदर बदला ले शकते है जितना उसने हम पर ज़ुल्म किया हो। लेकिन ऐसी सूरत में भी अगर मुआफ़ करदे तो ज्यादा षवाब के हक़दार होंगे।

*☝🏽अल्लाह* हमें मुआफ़ करने वाला बनाये। आमीन.....

*📬 क़िताब :-  बुग्ज़ व किना सफ़ह - 6 📚*


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          *❝ किने की हलाकत खेज़िया ❞* 

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࿐   किना वो मोहलिक (यानी हलाक कर देने वाली) बातिनी बिमारी है जिस में मुब्तला होने वाला दुन्या व आख़िरत का खसारा उठाता है और इसके नुक़सान दे अशरात से उसके आस पास रहने वाले अफ़राद भी नहीं बाच पाते यु ही ये बिमारी आम हो कर मुआशरे का सुकून बर्बाद करके रख देती है।

࿐   खानदानी दुष्मनिया शुरू हो जाती है, एक दूसरे की टंगे खिची जाती है, ज़लील व रुस्वा करने और माली नुक़सान पहुचने की कोशिश की जाती है, अपने मुसलमान भाई की खैर ख्वाही करने के बजाए उसे तकलीफ पहुचाने की कोशिश की जाती है, उसके खिलाफ साज़िशें की जाती है जिससे फितना व फसाद जन्म लेता है।

࿐   फि ज़माना इसी की मिषाले खुली आँखों से देखि जा सकती है।

*अल्लाह तआला हम सबको इस मोहलिक बिमारी से बचाए* आमीन बिजाहिन्नबीय्यिल आमीन!

*📬 क़िताब :-  बुग्ज़ व किना सफ़ह - 6 📚*


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           *❝ पिछली उम्मतों की बिमारी ❞* 

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࿐   याद रहे कि *बुग्ज़ व किना* आज कल की पैदावार नहीं बल्कि बहुत पुरानी बिमारी है, हम से पहली उम्मते भी इसका शिकार होती रही है।

࿐   नबी ﷺ का फरमान है :
अन क़रीब मेरी उम्मत को पिछली उम्मतों की बिमारी लाहिक होगी।

࿐   सहाबए किराम ने अर्ज़ की: पिछली उम्मतों की बिमारी क्या है ?

࿐   आप ﷺ ने फ़रमाया :
तकब्बुर करना, इतराना, एक दूसरे की ग़ीबत करना और दुन्या में एक दूसरे पर सबक़त की कोशिश करना नीज़ आपस में बुग्ज़ रखना, बुख्ल करना, यहाँ तक की वो ज़ुल्म में तब्दील हो जाए और फिर फितना व फसाद बन जाए।

*किने के नुक्सानात* दिल ही दिल में पलने वाला *किना* दुन्या व आख़िरत में कैसे कैसे नुक्सानात का सबब बनता है ! इसकी चन्द झलकिया इन्शा अल्लाह अगली पोस्टो में मुलाहिज़ा कीजियेगा।

*📬 क़िताब :-  बुग्ज़ व किना सफ़ह - 7 📚*


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 *❝ चुगलखोरी और किना परवरी दोज़ख में ले जाएंगे ❞* 

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࿐   नबी ने फ़रमाया : बेशक चुगलखोरी और किना परवरी जहन्नम में है, ये दोनों किसी मुसलमान के दिल में जमा नही हो सकते।

࿐   *अल अमान वल हफ़ीज़ !*जहन्नम के अज़ाबात इस क़दर कहुफनाक और दहशतनाक है कि हम तसव्वुर भी नहीं कर सकते, कई अहादिष व रिवायत में ये मज़ामीन मौजूद है कि दोज़खीयो को जिल्लत व रुसवाई के आलम में दाखिले जहन्नम किया जाएगा, वहा दुन्या की आग से 70 गुना तेज़ आग होगी जो खालो को जला कर कोइला बना देगी, हड्डियों का सुरमा बना देगी, उस पर शदीद धुवा जिस से दम घुटेगा, अँधेरा इतना कि हाथ को हाथ सुजाइ न दे, भूक प्यास से निढाल बेडियो में जकड़े जहन्नमी को जब पिने के लिये उबलती हुई बदबूदार पिप दी जाएगी तो मुह के क़रीब करते ही उसकी तपिश से मुह की खाल झड़ जाएगी, खाने को कायेदार थोहड मिलेगा, लोहे के बड़े बड़े हथौड़ों से उसे पीटा जाएगा।

࿐   इसी किस्म के बे शुमार रंजो अलम और तकलीफो से भर पुर जगह होगी जहां दीगर गुनाहगारो के साथ साथ *चुगलखोर और किना परवर* भी जाएंगे।

࿐   *हम क़हरे क़ह्हार और गजबे जब्बार से उस की पनाह के तलबगार है* आमीन बिजहिन्नबीय्यिल अमीन!

*📬 क़िताब :-  बुग्ज़ व किना सफ़ह - 8 📚*


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                 *❝ बख्शिस नहीं होती ❞* 

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࿐   हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया : हर पिर और जुमेरात के दिन लोगो के आमाल पेश किये जाते है, फिर बुग्ज़ व किना रखने वाले के इलावा हर मोमिन को बख्श दिया जाता है और कहा जाता है : इन दोनों को छोड़ दो यहाँ तक की ये बुग्ज़ से वापस पलट आएं।

࿐   मुसलमानो का किना अपने सिने मे पालने वालो के लिए रोने का मकाम है की खुदाए रहमान की तरफ से बख्शीश के परवाने तकसीम होते है लेकिन किना परवर अपनी कलबी बीमारी की वजह से बख्शे जाने वाले खुश नसीबो में शामिल होने से महरूम रह जाते है।

    *तुजे वासिता सारे नबियों का मौला*
           *मेरी बख्श दे हर खता या इलाही*

*📬 क़िताब :-  बुग्ज़ व किना सफ़ह - 9 📚*


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   *❝ रहमत व मग्फिरत से महरूमी ❞* 
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࿐   नबी ﷺ का फरमान है : अल्लाह शाबान की 15वी रात अपने बन्दों पर (अपनी क़ुदरत के शायाने शान) तजल्ली फ़रमाता है, मग्फिरत चाहने वालो की मग्फिरत फ़रमाता है और रहम तलब करने वालो पर रहम फ़रमाता है जबकि *किना* रखने वालो को उन की हालत पर छोड़ देता है। *शोएबुल ईमान*

࿐   *नाज़ुक फेसलो की रात :-* उम्मुल मोअमिनीन हज़रते आइशा सिद्दीक़ा रदिअल्लाहु अन्हा से मरवी फरमाने मुस्तफा में ये भी है कि शाबान की 15वी रात में मरने वालो के नाम, लोगो को रिज़्क़ और हज करने वालो के नाम लिखे जाते है। *तफ़्सीर अल-दुर्रेमंसुर*

࿐   ज़रा गौर फरमाइये शाबान की रात कितनी नाज़ुक है ! न जाने किस किस की किस्मत में क्या लिख दिया जाए ! ऐसी अहम रात में भी *किना परवर* बख्शिश व मग्फिरत की खैरात से महरूम रहता है।

     *बना दे मुझे नेक, नेको का सदक़ा*
          *गुनाहो से हर दम बचा या इलाही*

*📬 क़िताब :-  बुग्ज़ व किना सफ़ह - 10 📚*


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        *❝ जन्नत की खुशबु भी न पाएगा ❞* 

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࿐   हज़रते फ़ुज़ैल बिन इयाज़ अलैरहमा ने खलीफा हारून को एक मर्तबा नसीहत करते हुए फ़रमाया : ऐ हसीनो जमील चेहरे वाले ! याद रख ! कल बरोज़े क़यामत अल्लाह तुझसे मख्लूक़ के बारे में सुवाल करेगा।

࿐   अगर तू चाहता है कि तेरा ये खूब सूरत चेहरा जहन्नम की आग से बच जाए तो कभी भी सुबह या शाम इस हाल में न करना कि तेरे दिल में किसी मुसलमान के मुतअल्लिक़ *किना* या *अदावत* हो।

࿐   बेशक रसूलल्लाह ﷺ ने इरशाद फ़रमाया : जिसने इस हाल में सुबह की, कि वो *किना परवर* है तो वो जन्नत की खुशबु न सूंघ सकेगा। ये सुनकर खलीफा हारून रशिद रोने लगे।

*अफव् कर और सदा के लिये राज़ी हो जा*
     *गर करम कर दे तो जन्नत में रहूंगा या रब्ब !*

*📬 क़िताब :-  बुग्ज़ व किना सफ़ह - 11 📚*


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           *❝ ईमान बर्बाद होने का खतरा ❞* 

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࿐   ईमान एक अनमोल दौलत है और एक मुसलमान के लीये ईमान की सलामती से अहम कोई शै नहीं हो सकती लेकिन अगर वो बुग्ज़ व हसद में मुब्तला हो जाए तो ईमान छीन जाने का अंदेशा है।

࿐   हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया : तुम में पिछली उम्मतों की बीमारी हसद और बुग्ज़ सरायत कर गई, ये मुंड देने वाली है, में नहीं कहता की ये बाल मुंदती है बल्कि ये दिन को मुंड देती है।

࿐   हज़रत मुफ़्ती अहमद यार खान इस हदिष के तहत फरमाते है : इस तरह की दिन व ईमान को जड़ से ख़त्म कर देती है की इन्शान बुग्ज़ व हसद में इस्लाम ही छोड़ देता है शैतान भी इन्ही दो बीमारियो का मारा हुवा है।

📗 मीरआतूल मनाजिह, 6/615

*📬 क़िताब :-  बुग्ज़ व किना सफ़ह - 12 📚*


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            *❝ दुआ कबूल नहीं होती ❞* 

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࿐   हज़रते सय्यिदुना फ़क़ीह अबुल्लैष समार्कन्दी फरमाते है 3 अश्खास ऐसे है जिन की दुआ कुबूल नहीं की जाती।

1⃣ हराम खाने वाला
2⃣ कशरत से गीबत करने वाला
3⃣ जिसके दिल में अपने मुसलमान भाइयों का किना या हसद मौजूद ही।

࿐   मीठे मीठे इस्लामी भाइयों ! दुआ अपने रब्ब से हाजत तलब करने का बेहतरीन वसीला है, इसी के जरिए बन्दे अपने मन की मुरादे या खजानए आख़िरत पाते है। मगर किना परवर अपने किने के सबब दुआओ की कबुलियत से महरूम हो जाता है।

*📬 क़िताब :-  बुग्ज़ व किना सफ़ह - 13 📚*


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                 *❝ दीन दारी न होना ❞* 

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࿐   हज़रते सय्यिदुना हातिमे असम ने इर्शाद फ़रमाया :

👉 किना परवर कामिल दीनदार नहीं होता।
👉 लोगो को ऐब लगाने वाला खालिस इबादत गुज़ार नहीं होता।
👉 चुगल खोर को अम्न नसीब नहीं होता और
👉 हासिद की मदद नहीं की जाती।

📕 मिंहजुल आबिदीन, 70

࿐   मालूम हुवा की अगर कोई शख्स किने, एबजोइ, चुगल खोरी और हसद में मुब्तला हो तो वो मुत्तक़ी परहेजगार कहलाने का हकदार नहीं। बज़ाहिर वो कैसा ही नेक सूरत व नेक सीरत हो।

࿐  अल्लाह तआला हमें ज़ाहिर व बातिन में नेक बनने की तौफ़ीक़ अता फरमाए। *आमीन बिजाहिन्नबीय्यिल अमीन*

*📬 क़िताब :-  बुग्ज़ व किना सफ़ह - 13 📚*


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 *❝ दीगर गुनाहो का दरवाज़ा खुल जाता है। ❞* 
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࿐   गुस्से से किना पैदा होता है और किने से 8 हलाकत खेज़ चीज़े जन्म लेती है।

➡ किना परवर हसद करेगा यानी किसी के गम से शाद होगा और उसकी ख़ुशी से गमगीन।

➡ शमातत करेगा यानी किसी को कोई मुसीबत पहुचती तो खुशी का इज़हार करेगा।

➡ गीबत, झूट और फोहश कलामी से उस के राजो को आशकार करेगा।

➡ बात करना छोड़ देगा और सलाम का जवाब नहीं देगा।

➡ ये उसे हक़ारत की नज़र से देखेगा और उस पर जबान दराज़ी करेगा।

➡ उस का मज़ाक उड़ाएगा।

➡ उसकी हक़ तलफि करेगा और सीलए रहमी नही करेगा यानी अक़रीबा से मुरव्वत नहीं करेगा और रिश्तेदारो के हुक़ूक़ अदा नही करेगा और उनके साथ इन्साफ नहीं करेगा और तालिबे मुआफ़ी नही होगा।

➡ दूसरो को भी उसकी इज़ा रसायनी पर उभारेगा। अगर कोई बहुत दीनदार है और गुनाहो से भागता है तो इतना ज़रूर करेगा कि उस के साथ जो एहसान करता था उस को रोक देगा और उसके साथ शफ़क़त से पेश नहीं आएगा और न उसके कामो में दिलसोज़ि करेगा और न उसके साथ अल्लाह के ज़िक्र में शरीक होगा और न उस की तारीफ़ करेगा।

࿐  ये तमाम बाते आदमी के नुकसान और उसकी खराबी का बाईष् होती है।

࿐  देखा आपने किने की वजह से इंसान दीगर गुनाहो और बुराइयो की दल दल में किस तरह फसता चला जाता है !

*📬 क़िताब :-  बुग्ज़ व किना सफ़ह - 14 📚*


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         *❝ किना परवर बे सुकून रहता है। ❞* 

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࿐   किना परवर के शबो रोज़ रंज़ और गम में गुज़रते है और वो पस्त हिम्मत हो जाता है दुआओ की राह में रोड़े अटकाता है और खुद भी तरक़्क़ी से महरूम रहता है।

࿐   इमाम शाफ़ेई अलैरहमा फरमाते है : दुन्या में किना परवर और हासिदिन सबसे कम सुकून पाते है।

࿐   हर इंसान सुकून का मुतलाशी होता है मगर नादान किना परवर को खबर ही नही होती कि सुकून की राह रोकने वाली चीज़ तो उसने अपने सीने में पाल रखी है, ऐसे में दिल को चैन क्यूकर नसीब होगा !

*📬 क़िताब :-  बुग्ज़ व किना सफ़ह - 15 📚*


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      *❝ मुआशरे का सुकून बर्बाद हो जाता है। ❞* 

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࿐   मुआशरे का सुकून बर्बाद करने में *किने* का बजी बड़ा किरदार है, ये भाई को भाई से लड़वा देता है, खानदान का शिराजह बिखेर देता है, एक बरादरी को दूसरी बरादरी का मुखालिफ बना देता है और ये मिज़ाजे शरीअत के खिलाफ है क्यूकि मुसलमानो को तो भाई भाई बन कर रहने की ताकीद की गई है। चुनान्चे...

࿐   *तुम लोग भाई भाई बन कर रहो* नबी ﷺ ने फ़रमाया : आपस में हसद न करो, आपस में बुग्ज़ व अदावत न रखो, पीठ पीछे एक दूसरे की बुराई बयान न करो और ऐ अल्लाह के बन्दों ! भाई भाई हो जाओ। *सहीह बुखारी 4/117*

࿐   हज़रत मुफ़्ती अहमद यार खान अलैरहमा इस हदिसे पाक के तहत फरमाते है : बदगुमानी, हसद, बुग्ज़ वगैरा वो चीज़े है जिन से महब्बत टूटती है और इस्लामी भाईचारा महब्बत चाहता है, लिहाज़ा ये उयुब छोड़ो ताकि भाई भाई बन जाओ। *मीरअतुल मनाजिह् 6/608*

*📬 क़िताब :-  बुग्ज़ व किना सफ़ह - 16 📚*


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             *❝ बदतरीन बुग्ज़ व किना ❞* 

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࿐   आम मुसलमानो से बिला वजहे शरई किना रखना बेशक हराम और जहन्नम में ले जाने वाला काम है मगर सहाबए किराम सादाते उज़्ज़ाम उल्माए किराम और अरबो से बुग्ज़ व किना रखना इससे कही ज़्यादा बुरा है। ऐसा करने वालो की शदीद मज़म्मत की गई है।

࿐   *सहाबए किराम से बुग्ज़ रखने की वईदे शदीद* हज़रते अब्दुल्लाह बिन मुगफ्फल رضي الله تعالي عنه से मरवी है कि रसूले करीम ﷺ ने फ़रमाया कि मेरे असहाब के हक़ में खुदा से डरो ! खुदा का खौफ करो !! इन्हें मेरे बाद निशाना न बनाओ, जिसने इन्हें महबूब रखा मेरी महब्बत की वजह से महबूब पाया और जिसने इनसे बुग्ज़ किया वो मुझ से बुग्ज़ रखता है, इसलिये उसने इनसे बुग्ज़ रखा, जिस ने इन्हें इज़ा दी उसने मुझे इज़ा दी, जिसने मुझे इज़ा दी उसने बेशक खुदा तआला को इज़ा दी, जिसने अल्लाह तआला को इज़ा दी क़रीब है कि अल्लाह उसे गिरफ्तार करे। *सुनन तिर्मिज़ी 5/463*

࿐   हज़रते अल्लामा मौलाना नईमुद्दीन मुरादाबादी अलैरहमा फरमाते है : मुसलमान को चाहिये कि सहाबए किराम का निहायत अदब रखे और दिल में इनकी अक़ीदत व महब्बत को जगह दे। इनकी महब्बत हुज़ूर ﷺ की महब्बत है और जो बद नसीब सहाबा की शान में बे अदबी के साथ ज़बान खोले वो दुश्मने खुदा व रसूल है! *सवानहे कर्बला 31

*📬 क़िताब :-  बुग्ज़ व किना सफ़ह - 21 📚*


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  *❝ सहाबए किराम से बुग्ज़ व किना रखने वाले का भयानक अंजाम हिस्सा ~ 01 ❞* 

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࿐   सहाबए किराम से बुग्ज़ व अदावत रखना दारैन (यानि दुन्या व आख़िरत) में नुकसान व खुसरान का सबब है चुनान्चे हज़रत नूरुद्दीन अब्दुर्रहमान जामी नक़ल करते है : तिन अफ़राद यमन के सफर पर निकले इनमे एक कुफी था जो शैखेने करीमैन (हज़रते अबू बक्र व हज़रत उमर) का गुस्ताख था, उसे समझाया गया लेकिन वो बाज़ न आया। जब ये तीनो यमन के क़रीब पहुचे तो एक जगह क़याम किया और सो गए। जब कूच का वक़्त आया तो इन में से उठ कर दो ने वुज़ू किया और फिर उस गुस्ताख कुफी को जगाया। वो उठ कर कहने लगा :

࿐  अफ़सोस ! मैं तुम से इस मंजिल में पीछे रह गया हु तुम ने मुझे ऐन उस वक़्त जगाया जब हुज़ूर मेरे सिरहाने तहरीफ़ ला कर इरशाद फरमा रहे थे : ऐ फ़ासिक़ ! अल्लाह फ़ासिक़ को ज़लिलो ख्वार करता है, इसी सफर में तेरी शक्ल बदल जाएगी।

*📬 क़िताब :-  बुग्ज़ व किना सफ़ह - 22 📚*


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*❝ सहाबए किराम से बुग्ज़ व किना रखने वाले का भयानक अंजाम हिस्सा ~ 02 ❞* 
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࿐   हुज़ूर ﷺ का ये फरमान ख्वाब में देखा और जब वो गुस्ताख उठ कर वुज़ू के लिये बेठा तो उस के पाउ की उंगलिया मस्ख होना (बिगड़ना) शुरू हो गई, फिर उसके दोनों पाउ बंदर के पाउ के मुशाबेह हो गए, फिर घुटनो तक बंदर की तरह हो गया, यहाँ तक की के का सारा बदन बंदर की तरह बन गया। उस के रुफ़क़ा ने उस बंदर नुमा गुस्ताख को पकड़ कर ऊंट के पालान के साथ बांध दिया और अपनी मंज़िल की तरफ चल दिये।

࿐   गुरुबे आफताब के वक़्त वो एक ऐसे जंगल में पहुचे जहां कुछ बंदर जमा थे, जब उसने उन को देखा तो बे ताब हो कर रस्सी छुड़ाई और उनमे जा मिला। फिर सभी बंदर इन दोनों के क़रीब आए तो ये ख़ौफ़ज़दा हो गए मगर उन्होंने इन को कोई अज़िय्यत न दी और वो बंदर नुमा गुस्ताख इन दोनों के पास बैठ गया और इन्हें देख देख कर आसु भाता रहा। एक घंटे के बाद जब बंदर वापस गए तो वो भी उनके साथ ही चला गया। *सवाहेदुन्नूबुवह 203*

࿐   आपने देखा शेखैन करीमैन का गुस्ताख बंदर बन गया। किसी किसी को इस तरह दुन्या में भी सज़ा दे कर लोगो के लिये इबरत का नमूना बना दिया जाता है ताकि लोग डरे, गुनाहो और गुस्ताखियों से बाज़ आए। अल्लाह हमको सहाबए किराम और अहले बैते इज़ाम से महब्बत करने वालो में रखे। *آمین آمین ثم آمین یا رب العٰلمین*

*📬 क़िताब :-  बुग्ज़ व किना सफ़ह - 23 📚*


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 *❝ सादात से बुग्ज़ रखने वाले को हौज़ कौषर पर शाबुक मारे जाएंगे ❞* 

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࿐   हज़रते हसन बिन अली رضي الله تعالي عنه का फरमाने इबरत निशान है : हम से बुग्ज़ मत रखना की रसूले पाक ﷺ ने इरशाद फ़रमाया : जो शख्स हमसे बुग्ज़ या हसद करेगा उसे क़यामत के दिन हौज़े कौषर से आग के चाबुको के ज़रिए दूर किया जाएगा।

*📔 अल मजम अल वुसत 2/33*

࿐  *अहले बैत का दुश्मन दोज़खी है :-* एक तवील हदिशे पाक में ये भी है की अगर कोई शख्स *बैतुल्लाह शरीफ* के एक कोने और *मक़ामे इब्राहिम* के दरमियान जाए और नमाज़ पढ़े और रोज़े रखे और फिर वो *अहले बैत* की दुश्मनी पर मर जाए तो वो जहन्नम में जाएगा।

*📕 अलमुस्तदरक, किताब मारेफ़त अलसाहबह 4/129*

*📬 क़िताब :-  बुग्ज़ व किना सफ़ह - 24 📚*


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 *❝ इल्म और आलिम से बुग्ज़ रखने वाला हलाक हो जाएगा ❞* 

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࿐   सरकार मदीना ﷺ ने फ़रमाया : आलिम बन या मूतअल्लिम, या इल्मी गुफ्तगू सुनने वाला या इल्म से महब्बत करने वाला बन और इल्म व आलिम से बुग्ज़ रखने वाला न बन कि हलाक हो जाएगा।

*📓 अलजामि अलसगिर 78*

࿐   आला हज़रत अलैरहमा फरमाते है अगर आलिमे दीन को इस लिये बुरा कहता है कि वो आलिम है जब तो सरिह काफ़िर है और अगर ब वजहे इल्म उस की ताज़ीम फ़र्ज़ जानता है मगर अपनी किसी दुन्यवि दुश्मनी के बाईष् बुरा कहता है, गाली देता है और तहक़ीर करता है तो सख्त फ़ासिक़ फाजिर है और अगर बे सबब बुग्ज़ रखता है तो मृजुल क्लब खबिशूल बातिन (यानी दिल का मरीज़ और नापाक बातिन वाला है)

*📗 फतावा रज़विय्या 21/129*

࿐   खुलासा में है : जो बिला किसी ज़ाहिरी वजह के आलिमे दिन से बुग्ज़ रखे उस पर कुफ़्र का खौफ है।

*📔 खुलासुल फतावा 4/388*

*📬 क़िताब :-  बुग्ज़ व किना सफ़ह - 27 📚*


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*❝ तुम्हारे दिल में किसी के लिये किना व बुग्ज़ न हो ❞* 
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࿐   हज़रते अनस رضي الله تعالي عنه फरमाते है : ताजदार मदीना ﷺ ने मुझसे इरशाद फ़रमाया : ऐ मेरे बेटे ! अगर तुम से हो सके कि तुम्हारी सुबहो शाम ऐसी हालत में हो कि तुम्हारे दिल में किसी के लिये *किना व बुग्ज़* न हो तो ऐसा ही किया करो। *तिर्मिज़ी 4/309*

࿐   यानी मुसलमान भाई की तरफ से दुन्यवि उमूर में साफ़ दिल हो, सीना *किने* से पाक हो तब इसमें अनवारे मदीना आएँगे। धुंदला आइना और मेला दिल क़ाबिले इज़्ज़त नही। *मीरआतुल मनाजिह् 1/172*

࿐   *अफज़ल कौन ?* हज़रते अब्दुल्लाह इब्ने अम्र رضي الله تعالي عنه फरमाते है कि रसूलल्लाह ﷺ से अर्ज़ की गई कि लोगों में से कौन अफज़ल है? फ़रमाया : हर सलामत दिलवाला, सच्ची ज़बान वाला। लोगों ने अर्ज़ की : सच्ची ज़बान वाले को तो हम जानते है, ये सलामत दिल वाला क्या है ? फ़रमाया : वो ऐसा सुथरा है जिस पर न गुनाह हो, न बगावत, न किना और न हसद। *सुनन इब्ने माजह 4/470*

*📬 क़िताब :-  बुग्ज़ व किना सफ़ह - 28 📚*


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                   *❝ जन्नती आदमी ❞* 

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࿐   हज़रते अनस رضي الله تعالي عنه फरमाते है कि हम हुज़ूर ﷺ की बारगाह में हाज़िर थे कि आप ने फ़रमाया अभी तुम्हारे पास इस रस्ते से एक *जन्नती आदमी* आएगा। उसी वक़्त एक अन्सारी साहिब वहा आए जिन की दाढ़ी वुज़ू के पानी से तर थी, उन्हों ने बाए हाथ में अपनी जुतिया उठा रखी थी। मुसलसल 3 दिन ऐसा ही हुवा।

࿐  हज़रते अब्दुल्लाह बिन अम्र رضي الله تعالي عنه फरमाते है कि में उस अन्सारी के पास पहुचा और पूछा : क्या आप मेरी मेहमान नवाज़ी कर सकते है ? उन्हों ने हामी भरी और मुझे अपने साथ ले गए।

࿐  मैं 3 राते उनके पास रहा, इस दौरान मैंने उन्हें रात को क़याम करते यानी नवाफ़िल अदा करते हुए नही देखा, हा ! ये ज़रूर देखा कि जब वो बिस्तर पर करवटे बदलते तो ज़िकरुल्लाह करते यहाँ तक की नमाज़े फ़ज्र का वक़्त हो जाता और वो अच्छी बात करते या खामोश रहते।

*📬 क़िताब :-  बुग्ज़ व किना सफ़ह - 35 📚*


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              *❝ जन्नती आदमी ❞* 
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࿐  जब 3 राते इसी तरह गुज़र गई तो मैंने उनके अमल को कम जाना चुनान्चे मैं ने उनसे कहा कि में ने सरकार को ये फरमाते हुए सुना : अभी तुम्हारे पास एक जन्नती आदमी आएगा फिर तीनो बार आप ही आए तो मैं ने सोचा कि आप के पास रह कर आप का अमल देखु, लेकिन मुझे तो आप का कोई ज़्यादा अमल दिखाई नहीं दिया।

࿐  जब में वापस होने लगा तो उन्हों ने मुझे बुलाया और कहा : मेरा अमल तो वही है जो आप देख चुके है लेकिन मैं अपने दिल में किसी मुसलमान के लिये *किना* नही रखता और न ही मुसलमान को मिलने वाली नेमते इलाही पर *हसद* करता हु।

࿐  हज़रते अब्दुल्लाह رضي الله تعالي عنه ने फ़रमाया यही वो वस्फ है जिस ने आप को इस मक़ाम पर पंहुचा दिया। *शोएबुल ईमान 5/264*

*📬 क़िताब :-  बुग्ज़ व किना सफ़ह - 35 📚*


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 *❝ मैं तुम्हारे पास साफ सीना आया करू ❞* 

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࿐   हुज़ूर ﷺ का फरमान है : मुझे कोई सहाबी किसी की तरफ से कोई बात न पहुचाए, मैं चाहता हु कि तुम्हारे पास साफ़ सीना आया करू। *सुनन इब्ने दाऊद 4/348*

࿐   शैख़ अब्दुल हक़ मुहद्दिषे दहलवी अलैरहमा इस हदीस के इस हिस्से *मुझे कोई सहाबी किसी की तरफ से कोई बात न पहुचाए* की वज़ाहत करते हुए फरमाते है : यानी किसी की कोताही, फेले बद, आदते बद, इस ने ये किया या उसने ये कहा, फुला इस तरह कह रहा था। *अशअत अलमआत 4/83*

࿐   और हदीस के इस हिस्से *में चाहता हु की तुम्हारे पास साफ़ सीना आया करू* की तशरीह करते हुए हज़रत मुफ़्ती अहमद यार खान अलैरहमा फरमाते है : यानी किसी की अदावत, किसी से नफरत दिल में न हुवा करे। ये भी हम लोगों के लिये बयाने क़ानून है कि अपने सीने (मुसलमानो के *किने* से) साफ़ रखो ताकि इन में हुज़ूर ﷺ का सिनए रहमत नुरे करामत का गंजीना है वहा *बुग्ज़ व किने* की पहुच ही नही।

*📒 मीरआतुल मनाजिह् 6/472*

*📬 क़िताब :-  बुग्ज़ व किना सफ़ह - 38 📚*


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         *❝ किने का इलाज* हिस्सा - 01 ❞* 
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࿐   *ईमान वालो के किने से बचने की दुआ कीजिये* हर इस्लामी भाई को चाहिये कि ईमान वालों के *किने* से बचने की दुआ करता रहे, दरजे ज़ैल मुख़्तसर क़ुरआनी दुआ को याद कर लेना और वक़्त फ वक़्तन पढ़ना भी बहुत मुफीद है। *पारह 28 सूरए हशर की आयत 10*

وَ لَا تَجْعَلْ فِیْ قُلُوْبِنَا غِلًّا لِّلَّذِیْنَ اٰمَنُوْا رَبَّنَاۤ اِنَّكَ رَءُوْفٌ رَّحِیْمٌ(10)

࿐   *तर्जमह :-* और हमारे दिल में ईमान वालो की तरफ से *किना* न रख, ऐ रब्ब हमारे ! बेशक तू ही निहायत मेहरबान रहम वाला है।

*📬 क़िताब :-  बुग्ज़ व किना सफ़ह - 40 📚*


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          *❝ किने का इलाज* हिस्सा - 02 ❞* 

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࿐   *अस्बाब दूर कीजिये* बिमारी जिस्मानी हो या रूहानी ! इसके कुछ न कुछ अस्बाब होते है, अगर इन अस्बाब का सद्दे बाब कर लिया जाए तो बिमारी से छुटकारा पाना आसान हो जाता है। लिहाज़ा किने के चन्द मुमकिना अस्बाब और इन के खातिमे का तरीक़ा अर्ज़ करते है!

࿐  *पहला सबब_गुस्सा* इहयाउल उलूम और दीगर की क़ुतुब में है कि किना गुस्से की कोख से जन्म लेता है। वो इस तरह कि जब कोई शख्स गुस्से से मगलुब हो कर किसी को नुक़सान पहुचाता है तो सामने वाला भी अपना रद्दे अमल देता है। यु मुसलमान अमल और रद्दे अमल के नतीजे में दिलो में बुग्ज़ व किना अपनी जगह बना लेता है। इस लिये अगर गुस्से को अल्लाह तआला की रिज़ा के लिये पी लिया जाए तो षवाब मिलने के साथ साथ किने का भी सद्दे बाब हो जाएगा, बतौरे तरगिब् गुस्सा पीने की फ़ज़ीलत मुलाहजा कीजिये!

࿐  *गुस्सा पीने वाले के लिये जन्नती हूर* हुज़ूर ﷺ का फरमान है : जिसने गुस्से को ज़ब्त कर लिया हालांकि वो इसे नाफ़िज़ करने पर क़ादिर था तो अल्लाह बरोज़े क़यामत उसको तमाम मख्लूक़ के सामने बुलाएगा और इख़्तियार देगा कि जिस हर को वाह ले ले। *सुनन इब्ने दाऊद 4/325*

*📬 क़िताब :-  बुग्ज़ व किना सफ़ह - 40 📚*


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         *❝ किने का इलाज* हिस्सा - 03 ❞* 

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࿐   *शराब नोशी और जुआ* शराब पीने और जुआ खेलने जेसे हराम व जहन्नम में ले जाने वाले काम से कोसो दूर रहिये कि क़ुरआन में इन दोनों चीज़ों को किने का सबब क़रार दिया गया है। चुनान्चे पारह 7, सूरतुल माइदह की आयत 90-91 मे अल्लाह का फरमान है : *ऐ ईमान वालो ! शराब और जुआ और बूत और पासे नापाक ही है शैतानी काम, तो इन से बचते रहना कि तुम फलाह पाओ, शैतान यही चाहता है कि तुम में बेर और दुश्मनी डलवा दे शराब और जुए में और तुम्हे अल्लाह की याद और नमाज़ से रोके तो क्या तुम बाज़ आए ?*

࿐   हज़रत नईमुद्दीन मुरादाबादी अलैरहमा इस आयत के तहत लिखते है : इस आयत में शराब और जुए के नताइज और वबाल बयान फरमाए गए कि शराब खोरी और जुए बाज़ी का एक वबाल तो ये कि इससे आपस में बुग्ज़ और अदावते पैदा होती है और जो इन बुराइयो में मुब्तला हो वो ज़िक्रे इलाही और नमाज़ के अवक़ात की पाबंदी से महरूम हो जाता है।

📕 *कन्जुल ईमान मअ खज़ाइनुल इरफ़ान 236*

*📬 क़िताब :-  बुग्ज़ व किना सफ़ह - 40 📚*


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       *❝ किने का इलाज* हिस्सा - 04 ❞* 
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࿐   *नेमतों की काशरत* नेमतों की फरावानी भी आपस में बुग्ज़ व किने का एक सबब है, शुक्र नेमत और सखावत की आदत अपना कर इस से बचना मुमकिन है।

࿐   अमीरुल मुअमिनिन हज़रते उमर رضي الله تعالي عنه ने फ़रमाया कि में ने सरकार मदीना ﷺ को ये फरमाते हुए सुना कि : दुन्या किसी पर कुशादा नही की जाती मगर अल्लाह इनको ता क़यामत बुग्ज़ व अदावत में मुब्तला फरमा देता है! *मसनद अहमद 1/45*

*📬 क़िताब :-  बुग्ज़ व किना सफ़ह - 40 📚*


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         *❝ किने का इलाज* हिस्सा - 05 ❞* 
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࿐   *बुग्ज़अदावत में पड जाओगे :-* हज़रते हसन رضي الله تعالي عنه से मरवी है कि एक बार नबी ﷺ असहाबे सुफ़्फ़ा के पास तशरीफ़ लाए और इस्तिफ़सार फ़रमाया तुम ने सुबह किस हाल में की ? इन्होंने अर्ज़ की खैरो भलाई के साथ।

࿐   इरशाद फ़रमाया : आज तुम बेहतर हो (उस वक़्त से कि) जब तुम्हारे पास सुबह खाने का एक बड़ा प्याला और शाम दूसरा बड़ा प्याला लाया जाएगा और अपने घरो पर इस तरह पर्दे लटकाओगे जिस तरह काबा पर गिलाफ डाले जाते है।

࿐   असहाबे सुफ़्फ़ा अर्ज़ गुज़ार हुए : या रसूलल्लाह ﷺ ! क्या हम अपने दिन पर क़ाइम रहते हुए ये नेमते हासिल होंगी ? फ़रमाया : हा।

࿐   अर्ज़ की: फिर तो हम उस वक़्त बेहतर होंगे क्यू कि हम सदक़ा व खैरात करेंगे और गुलामो को आज़ाद करेंगे

࿐   आप ﷺ ने इरशाद फ़रमाया : नही ! बल्कि तुम आज बेहतर हो क्यू की जब तुम इन नेमतों को पाओगे तो आपस में हसद करने लगोगे, बाहम कतए तअल्लुक़ी करने की आफत और बुग्ज़ व अदावत में पद जाओगे।

*📬 क़िताब :-  बुग्ज़ व किना सफ़ह - 40 📚*

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         *❝ किने का इलाज* हिस्सा - 06 ❞* 
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࿐   *आपस में बुग्ज़ व अदावत जड़ पकड़ लेती है :-* जब आले किसरा के खजानो को अमीरुल मुआमिनिन हज़रत उमर رضي الله تعالي عنه के पास लाया गया तो आप रोने लगे!

࿐  हज़रत अब्दुर्रहमान बिन औफرضي الله تعالي عنه ने अर्ज़ की : किस चीज़ ने आप को रुलाया है ? आज तो शुक्र का दिन है, फरहत व सुरूर का दिन है।

࿐  हज़रते उमरرضي الله تعالي عنه ने फ़रमाया : जिस क़ौम के पास भी इस माल की कशरत हो जाए तो अल्लाह उन को बुग्ज़ व अदावत में मुब्तला फरमा देता है।

*📬 क़िताब :-  बुग्ज़ व किना सफ़ह - 46 📚*


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         *❝ किने का इलाज* हिस्सा - 07 ❞* 

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࿐   *सलाम व मुसफ्हा की आदत बना लीजिये :-* मुसलमान से मुलाक़ात के वक़्त सलाम व मुसाफहा करने की बड़ी फ़ज़ीलत है नीज़ आपस में हाथ मिलाने से किना खत्म होता है और एक दूसरे को तोहफा देने से महब्बत बढ़ती और अदावत दूर होती ही।

࿐  नबी ﷺ ने फ़रमाया : मुसाफहा किया करो किना दूर होगा और तोहफे दिया करो महब्बत बढ़ेगीऔर बुग्ज़ दूर होगा।

*📙 हुस्न अख़लाक़ 2/407*

࿐  हज़रते मुफ़्ती अहमद यार खान अलैरहमा इस हदिष के तहत फरमाते है : ये दोनों अमल बहुत तजरबा शुदा है जिससे मुसाफहा करते रहो उससे दुश्मनी नही होती अगर इत्तफाकन कभी हो भी जाए तो इसकी बरकत से ठहरती नही यु ही दूसरे को हदिय्या देने से अदावते ख़त्म हो जाती है।

📕 मीरआतुल मनाजिह 6/368*

࿐  *मदनी फूल* मुसाफहा करते वक़्त सुन्नत ये है कि हाथ में रुमाल वगैरा न हो, दोनों हथेलिया खाली हो और हथेली से हथेली मिलनी चाहिये।

*📔 बहारे शरीअत 3/16/471*

*📬 क़िताब :-  बुग्ज़ व किना सफ़ह - 46 📚*


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         *❝ किने का इलाज* हिस्सा - 08 ❞* 

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࿐   *बेजा सोचना छोड़ दीजिये_* बाज़ हुकमा क़ौल है : तिन चीज़ों में गौर न करे!

࿐   1 अपनी मुफलिसी व तंग दस्ती (और मुसीबत) पर, इस लिये कि इसमें गौर करते रहने से गम व टेन्शन में इज़ाफ़ा और हिर्स में ज़्यादती होगी।

࿐   2 ज़ुल्म करने वाले के ज़ुल्म पर गौर न कर कि इससे दिल में किना बढ़ेगा और गुस्सा बाक़ी रहेगा।

࿐   3 दुन्या में ज़्यादा देर ज़िन्दा रहने के बारे में न सोच की इस तरह माल जमा करने में अपनी उम्र ज़ाएअ कर देंगा और अमल के मुआमले में टालम टोल से काम लेगा।

࿐   लिहाज़ा हमे चाहिये कि दुन्यवि तफक्कुरात में जान खपाने के बजाए आख़िरत के मुआमलात में इस तरह मूनहमिक हो जाए जैसा कि हमारे अस्लाफ का मदनी अंदाज़ था।

*📬 क़िताब :-  बुग्ज़ व किना सफ़ह - 46 📚*


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           *❝ किने का इलाज* हिस्सा - 09 ❞* 

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࿐   *मुसलमानो से अल्लाह की रिज़ा के लिये महब्बत कीजिये*

࿐   महब्बत किने की ज़िद (यानी उलट) है लिहाज़ा अगर हम रिज़ाए इलाही के लिये अपने मुसलमान भाई से महब्बत रखे तो किने को दिल में आने की जगह नही मिलेगी और हमे दीगर फवाइद व फ़ज़ाइल भी हासिल होंगे।

࿐  फरमाने मुस्तफाﷺ है : जो कोई अपने मुसलमान भाई की तरफ महब्बत भरी नज़र से देखे और उस के दिल या सीने में अदावत न हो तो निगाह लौटने से पहले दोनों के पिछले गुनाह बख्श दिये जाएंगे।

*📔 शोएबुल ईमान 5/270

*📬 क़िताब :-  बुग्ज़ व किना सफ़ह - 48 📚*


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          *❝ किने का इलाज* हिस्सा - 10 ❞* 

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࿐   *दुनयावी चीज़ों की वजह से बुग्ज़ व किना रखना अक्लमंदी नही :-* किने की बुन्याद उमुमन दुनयावी चीज़े होती है, लेकिन सोचने की बात है कि क्या दुन्या की वजह से अपनी आख़िरत बर्बाद क रलेना दानिशमंदि है ?

࿐  हज़रते अब्बासرضي الله تعالي عنه ने इरशाद फ़रमाया : बरोज़े क़यामत दुन्या को एक बद सूरत नीली आँखों वाली बुढ्ढ़ी औरत के रूप में लाया जाएगा जिसके (डरावने) दांत नज़र आ रहे होंगे और वो तमाम इंसानो के सामने हो जाएगी, उन से पूछा जाएगा : क्या तुम इस को जानते हो ? वो जवाब देंगे, हम इसकी पहचान से अल्लाह की पनाह मांगते है।

࿐  तो कहा जाएगा : ये वो दुन्या है जिसे हासिल करने के लिये तुम एक दूसरे का खून बहाते थे, इस को पाने के लिये रिश्तेदारी तोड़ दिया करते थे, इसकी खातिर एक दूसरे पर गुरुर और हसद करते थे और इसी के लिये एक दूसरे से बुग्ज़ रखते थे।
   
࿐   फिर दुन्या को बुढ्ढी औरत के रूप में जहन्नम में डाल दिया जाएगा तो वो कहेगी : या अल्लाह मेरे चाहने वाले, मेरे पीछे आने वाले कहा गए ? तो अल्लाह इरशाद फ़रमाएगा : इसके पीछे भागने वालो और चाहने वालो को भी इसके पास जहन्नम में पंहुचा दो।

*📕 शोएबुल ईमान 7/383*

*📬 क़िताब :-  बुग्ज़ व किना सफ़ह - 49 📚*


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  *❝ अगर कोई हमसे किना रखता हो तो क्या करना चाहिये? ❞* 

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࿐   बाज़ अवक़ात किसी इस्लामी भाई को सुनी सुनाई बातो की बुन्याद पर ये ख़याल सताने लगता है कि फुला शख्स मुझ से किना रखता है या हसद करता है, हालाकि ऐसा कुछ भी नही होता महज़ उस की बद गुमानी या वहम होता है। क्यू की किना हो या हसद ! इसका तअल्लुक़ बातिन से है और किसी की बातिनी केफिय्यत का यक़ीनी पता चलाना हमारे इख़्तियार में नही ही।
     
࿐   इसलिये हुस्न ज़न की आदत बना ली जाए की हुस्ने ज़न में कोई नुकसान नही और बद गुमानी में कोई फायदा नही।
   
࿐   हा ! अगर किसी की हरकात सकनात और बुरे सुलूक से आप को वाज़ेह तौर महसूस हो कि ये मुझ से किना रखता है तो भी अफव् दर गुज़र से काम लीजिये और हुस्ने सुलूक से उसकी दुश्मनी को दोस्ती में बदलने की कोशिश कीजिये।
     
࿐   हज़रते इमाम गजाली अलैरहमा फरमाते है : 1 उसका वो हक़ पूरा किया जाए जिसका वो मुस्तहिक़ है और उस में किसी किस्म की कमी ज़्यादती न की जाए उसे अदल कहते है और ये सालिहीन का इन्तिहाई दर्जा है।

࿐   2 अफव् दर गुज़र और सिलए रहमी के ज़रीए उसके साथ नेकी की जाए ये सिद्दीक़ीन का तर्ज़े अमल है।

࿐   3.  उस के साथ ऐसी ज़्यादती करना जिस का वो मुस्तहिक़ नही ये ज़ुल्म है और कमीने लोग का तरीक़ा है।

*📙 अहयाउल उलूम 3/224*

*📬 क़िताब :-  बुग्ज़ व किना सफ़ह - 52 📚*


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 *❝ किसी को किसी से बुग्ज़ व हसद न होगा ❞* 

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࿐   क़यामत से पहले एक वक़्त ऐसा भी आएगा जब किसी को किसी से बुग्ज़ व हसद न होगा।
     
࿐   हज़रते अबू हुरैराرضي الله تعالي عنه से रिवायत है की हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया : खुदा की क़सम ! इब्ने मरयम (यानी हज़रते ईसा अलैहिस्सलाम) उतरेंगे, हाकिमे आदिल हो कर कि सलीब तोड़ देंगे और खिन्ज़िर फना कर देंगे, जिज़्या खत्म फरमा देंगे, उंटनिया आवारा छोड़ दी जाएगी जिन पर काम काज न किया जावेगा और किने, बुग्ज़ और हसद जाते रहेंगे, वो माल की तरफ बुलाएंगे तो कोई उसे क़बूल न करेगा।

*📒 सहीह मुस्लिम 91, हदिष:243*

࿐   हज़रते मुफ़्ती अहमद यार खान अलैर्हिरमा हदीस के इस हिस्से _"और किने बुग्ज़ और हसद जाते रहेंगे"_ के तहत फरमाते है : यानी हज़रते ईसा अलैहिस्सलाम की बरकत से लोगो में दिलो से हसद, बुग्ज़ और किने निकल जाएंगे क्यू कि किसी के दिल में दुन्या की महब्बत न रहेगी। हर एक को दीन व ईमान की लगन लग जाएगी। महब्बते दुन्या इन सब की जड़ है, जब जड़ ही कट गई तो शाखे कैसे रहे।

*📔 मीरआतुल मनाजिह 7/339*

*📬 क़िताब :-  बुग्ज़ व किना सफ़ह - 68 📚*


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  *❝ क्या मेरे महबुबो से महब्बत और मेरे दुश्मनो से अदावत भी रखी? ❞* 

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࿐   हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया : क़यामत के दिन एक ऐसे शख्स को लाया जाएगा जो खुद को नेक समझता होगा और उसे ये गुमान होगा कि मेरे नामए आमाल में कोई गुनाह नही है।
     
࿐   उससे पूछा जाएगा : क्या तूने मेरे दोस्तों से दोस्ती रखता था ? वो अर्ज़ करेगा : ऐ मेरे परवर दगार तू तो लोगो से सालिम व महफूज़ (यानी बे नियाज़) है।
     
࿐   फिर रब्बे अज़ीम फ़रमाएगा : क्या तू मेरे दुश्मनो से अदावत रखता था ? तो वो अर्ज़ करेगा : ऐ मेरे मालिको मुख्तार में ये पसन्द नही करता था की मेरे और किसी के दरमियान कुछ हो,
     
࿐   तो अल्लाह फ़रमाएगा : वो मेरी रहमत को नही पा सकेगा जिसने मेरे दोस्तों के साथ दोस्ती और मेरे दुश्मनो के साथ अदावत न रखी।

*📒 अल-मअजुम अल-कबीर 22/95*

*📬 क़िताब :-  बुग्ज़ व किना सफ़ह - 73 📚*


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                  *❝ खुलासए किताब ❞*  
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࿐   किना मोहलिक बातिन मर्ज़ है और इस के बारे में जानना फ़र्ज़ है।

࿐  किना ये है की इन्सान अपने दिल में किसी को बोझ जाने, उससे दुश्मनी व बुग्ज़ रखे, नफरत करे और केफिय्यत हमेशा रहे।

࿐   किसी मुसलमान से बिला वजहे शरई किना रखना हराम है।

࿐   किसी ज़ालिम से किना रखना जाइज़ जब की बद मजहब व काफ़िर से किना रखना वाजिब है।

࿐   *किना रखने वाले को इन नुक्सानात का सामना होगा*  दोज़ख में दाखिला, बख्शीश से महरूमी, शबे क़द्र में भी महरूम रहता है, जन्नत की खुशबु भी न पाएगा, ईमान बर्बाद होने का खतरा है, दुआ क़बूल नही होती, दीगर गुनाहो का दरवाज़ा खुल जाता है, उसे सुकून नसीब नही होता, सहाबए किराम, सादाते उज़्ज़ाम, उल्माए किराम से बुग्ज़ व किना रखना ज़्यादा बुरा है।

*📬 क़िताब :-  बुग्ज़ व किना सफ़ह - 73 📚*

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                *❝ किने का इलाज ❞*  
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࿐   ईमान वालो के किने से बचने की दुआ कीजिये।

࿐   किने के अस्बाब (गुस्सा, बाद गुमानी, शराब नोशी, जुआ वगैरा) दूर कीजिये।

࿐   सलाम व मूसाफहा की आदत बना लीजिये।

࿐   बे जा सोचना छोड़ दीजिये।

࿐   मुसलमानो से अल्लाह की रिज़ा के लिये महब्बत कीजिये।

࿐   दुनयावी चीज़ों की सजह से बुग्ज़ व किना रखने के नुक्सानात पर गौर कीजिये।

*📬 क़िताब :-  बुग्ज़ व किना सफ़ह - 73 

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 *✐°°•. अल्हम्दुलिल्लाह मुक़म्मल हुआ.!*  
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