🅿🄾🅂🅃 ➪ 01
जगह जी लगाने की दुनिया नहीं है
यह इबरत की जा है तमाशा नहीं है
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❝ असबाक -ए- इबरत ❞
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╭┈► इस फानी दुनिया में किसी को हमेशा नहीं रहना है बल्कि एक न एक दिन हर किसी को यह दुनिया छोड़कर आख़िरत का सफ़र तय करना है। मगर फिर भी ग़ाफ़िल लोग इस फ़ानी दुनिया की चन्द दिनों की ऐशो इशरत की वजह से मसरूर, मौत की सख़्तियों से ग़ाफ़िल और दुनिया की लज्जतों में बद-मस्त हैं। अहल व अयाल की चन्द दिनों की उन्सियत और दोस्तों की वक़्ती महब्बत में अंधेरी कब्र को भूले बैठे हैं। मगर अचानक मौत का फिरिश्ता आएगा और उनकी सारी उम्मीदें ख़ाक में मिल कर रह जाएंगी।
╭┈► कामयाब शख़्स वही है जो मौत से पहले ख़्वाबे ग़फ़लत से बेदार हो जाए, गुनाहों से नफ़रत करने लगे और अपने गुनाहों से सच्ची तौबा करके अल्लाह तआला की फ़रमाँ-बरदारी में लग जाए।...✍
अल्लाह तआला हमें तौफीक अता फ़रमाए *आमीन*
*📬 असबाक -ए- इबरत सफ़ह - 03 📚*
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📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 02
जगह जी लगाने की दुनिया नहीं है
यह इबरत की जा है तमाशा नहीं है
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❝ दुनिया की जिन्दगी का धोका ❞
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╭┈► अफ़सोस है उस शख्स पर जो चन्द दिनों की दुनिया की ज़िन्दगी के धोके में पड़ कर मौत की सख़्तियों, कब्र की तारीकियों और हिसाब व किताब को भूल जाए।
╭┈► अल्लाह तआला दुनिया के धोके से बचने के लिए लोगों को ख़बरदार करते हुए इरशाद फरमा रहा
*तर्जमा :* ऐ लोगो! बेशक अल्लाह का वादा सच है तो हरगिज़ तुम्हें धोका न दे दुनिया की ज़िन्दगी और हरगिज़ तुम्हें अल्लाह के हुक्म पर फ़रेब न दे वह बड़ा फरेबी (यानी शैतान)
📔 पारा 22, सूरा-ए फ़ातिर, आयत 5
╭┈► अल्लाह तआला ने इस आयत में बन्दों को ख़बरदार किया है कि अल्लाह तआला का वादा सच है, मरने के बाद ज़रूर उठना है और हर एक को अपने आमाल का हिसाब अल्लाह तआला की बारगाह में देना है, तो ऐसा न करना कि दुनिया की लज्जतों में मशगूल हो कर आख़िरत को भूल जाओ।...✍🏻
*📬 असबाक -ए- इबरत सफ़ह - 04 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 03
जगह जी लगाने की दुनिया नहीं है
यह इबरत की जा है तमाशा नहीं है
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❝ नुकसान में कौन ❞
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╭┈► अल्लाह तआला इरशाद फ़रमाता है
*तर्जमा :* ऐ ईमान वालो! तुम्हारे माल न तुम्हारी औलाद कोई चीज़ तुम्हें अल्लाह के ज़िक्र से गाफ़िल न करे और जो ऐसा करे तो वही लोग नुकसान में हैं।
📔 पारा 28, सूरा-ए मुनाफ़िकून, आयत 9
╭┈► इस आयते करीमा में अल्लाह तआला ने मुसलमानों को हिदायत फ़रमाई कि ऐसा न हो कि तुम दुनिया में मशगूल हो कर दीन को फ़रामोश कर दो और माल की महब्बत में अपने हाल (अन्जाम) की परवाह न करो और औलाद की खुशी के लिए आख़िरत की राहतों से ग़ाफ़िल रहो। और यह भी बता दिया कि जो ऐसा करे यानी इस ख़त्म हो जाने वाली दुनिया के पीछे आख़िरत की बाकी रहने वाली नेमतों की परवाह न करे वही घाटे में है। और फ़रमाता है
*तर्जमा :* तुम्हारे माल और तुम्हारे बच्चे जांच ही हैं और अल्लाह के पास बड़ा सवाब है।...✍🏻
*📬 असबाक -ए- इबरत सफ़ह - 05 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 04
जगह जी लगाने की दुनिया नहीं है
यह इबरत की जा है तमाशा नहीं है
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❝ अपने नफ़्स का मुहासबा करना ❞
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╭┈► इन्सान को चाहिए कि हर वक़्त अपने आमाल का मुहासबा करता रहे। अल्लाह तआला नफ्स के मुहासबे का हुक्म देते हुए इरशाद फरमा रहा है
╭┈► *तर्जमा :* ऐ ईमान वालो! अल्लाह से डरो और हर जान देखे कि कल के लिए क्या आगे भेजा और अल्लाह से डरो बेशक अल्लाह को तुम्हारे कामों की ख़बर है।
╭┈► इस आयत में इस बात की तरफ़ इशारा है कि इन्सान अपने गुज़िश्ता आमाल का मुहासबा करे। इसी लिए अमीरुल मोमिनीन हज़रत उमर फारूके आज़म रदिअल्लाहु तआला अन्हु ने फ़रमाया कि “इस से पहले कि तुम्हारा मुहासबा हो, तुम खुद अपना मुहासबा कर लो और इस से पहले कि तुम्हारे आमाल तोले जाएं तुम खुद अपने आमाल तोल लो।...✍🏻
*📬 असबाक -ए- इबरत सफ़ह - 06 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 05
जगह जी लगाने की दुनिया नहीं है
यह इबरत की जा है तमाशा नहीं है
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❝ मुहासबा-ए नफ्स और अमीरुल मोमिनीन हज़रत उमर फारुके आज़म रादि अल्लाहु तआला अन्हु ❞
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╭┈► जब रात होती तो अमीरुल मोमिनीन हज़रत उमर फारूके आज़म रदि अल्लाहु तआला अन्हु अपने क़दमों पर चाबुक मारते और अपने नफ्स से कहते तू ने आज क्या अमल किया?
╭┈► ज़रा गौर कीजिए! अमीरुल मोमिनीन हज़रत उमर फारूके आज़म रादि अल्लाहु तआला अन्हु जिनको हयात ही में हुजूरे अकरम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने जन्नत की खुशखबरी दे दी थी, वह अपने नफ़्स का किस तरह मुहासबा फ़रमा रहे हैं। और हम ख़ताकार सियाहकार इन्सनों का क्या हाल है? रात व दिन ग़फ़लत में गुज़ार रहे हैं फिर भी अपने नफ़्स का मुहासबा नहीं करते।...✍🏻
*📬 असबाक -ए- इबरत सफ़ह 6-7 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 06
जगह जी लगाने की दुनिया नहीं है
यह इबरत की जा है तमाशा नहीं है
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❝ अल्लाह तआला का खौफ़ ❞
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╭┈► सच्चा और कामिल मोमिन वही है जो अल्लाह तआला की रहमत से मग़फ़िरत की उम्मीद रखे और उसके अज़ाब से डरता भी रहे। अल्लाह तआला इरशाद फ़रमाता है
*तर्जमा :* लोगों से ख़ौफ़ न करो और मुझ से डरो।
📔 पारा 6 सूरा-ए माइदा, आयत 44
╭┈► रसूल अकरम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया जब कोई बन्दा खौफे इलाही से कांपता है तो उसके गुनाह उसके बदन से ऐसे झड़ जाते हैं जैसे दरख्त को हिलाने से उसके पत्ते झड़ जाते हैं।...✍🏻
*📬 असबाक -ए- इबरत सफ़ह - 07 📚*
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📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 07
जगह जी लगाने की दुनिया नहीं है
यह इबरत की जा है तमाशा नहीं है
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❝ अल्लाह तआला का खौफ़ ❞
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╭┈► हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने उन सात आदमियों का ज़िक्र फ़रमाया कि जिस दिन कोई साया न होगा तो अल्लाह तआला उन्हें अपने अर्श के साये में जगह देगा, उनमें से एक वह आदमी है जिसने तन्हाई में अल्लाह तआला के अज़ाब और वईद को याद किया और अपने कुसूर को याद करके ख़ौफ़े इलाही से उसके आंसू बह निकले और ख़ौफ़े इलाही की वजह से वह नाफ़रमानी और गुनाहों से बाज़ आ गया।
╭┈► हज़रत इब्ने अब्बास रदि अल्लाहु तआला अन्हुमा से मरवी है कि हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया कि “दो आंखें ऐसी हैं जिन्हें जहन्नम की आग नहीं छुएगी। एक वह आँख जो आधी रात में अल्लाह तआला के ख़ौफ़ से रोई और दूसरी वह आँख जिसने राहे खुदा में निगहबानी करते हुए रात गुज़ारी।...✍🏻
*📬 असबाक -ए- इबरत सफ़ह - 08 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 08
जगह जी लगाने की दुनिया नहीं है
यह इबरत की जा है तमाशा नहीं है
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❝ अल्लाह तआला का खौफ़ ❞
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╭┈► हज़रत अबू हुरैरह रदि अल्लाहु तआला अन्हु से मरवी है कि हुजूर अकरम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया “कियामत के दिन हर आँख रोएगी मगर जो आँख अल्लाह की हराम की हुई चीज़ों से रुक गई और जिस आँख से ख़ौफ़े इलाही की वजह से मक्खी के सर के बराबर आँसू निकला वह रोने से महफूज़ रहेगी।
╭┈► जिन बन्दों के अन्दर अल्लाह तआला का ख़ौफ़ है, अल्लाह तआला उनको बशारत देते हुए इरशाद फ़रमा रहा हैः
*तर्जमा :* अल्लाह उन से राज़ी और वह उस से (अल्लाह तआला से) यह उसके लिए है जो अपने रब से डरे।
📔 पारा 30, सूरा-ए बय्यिना, आयत 8
╭┈► और इरशाद फ़रमाता है :
*तर्जमा :* अनकरीब नसीहत मानेगा (वह) जो डरता है।..✍🏻
📔 पारा 30, सूरा-ए अअला, आयत 10
*📬 असबाक -ए- इबरत सफ़ह 8-9 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 09
जगह जी लगाने की दुनिया नहीं है
यह इबरत की जा है तमाशा नहीं है
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❝ नफ्स के साथ जिहाद ❞
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╭┈► नबीए करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम का फ़रमाने आलीशान है नफ़्स के साथ जिहाद बेहतरीन जिहाद है।
╭┈► सहाबा-ए किराम रिदवानुल्लाहि तआला अलैहिम अजमईन जब जिहाद से वापस आते तो कहते हम छोटे जिहाद से बड़े जिहाद की तरफ़ लौट आए हैं।
╭┈► सहाबा-ए किराम रदि अल्लाहु तआला अन्हुम ने नफ़्स, शैतान और ख्वाहिशात से जिहाद को काफ़िरों के साथ जिहाद करने से चन्द वजहों से अकबर और अज़ीम कहा। एक तो यह कि नफ्स के साथ जिहाद हमेशा जारी रहता है और काफिरों के साथ कभी कभी होता है, दूसरी वजह यह है कि काफ़िरों के साथ जिहाद में गाज़ी अपने दुशमन को सामने देखता रहता है मगर शैतान नज़र नहीं आता है और दिखाई देने वाले दुशमन के मुकाबले छुप कर वार करने वाले दुशमन से लड़ाई ज़्यादा सख्त होती है, तीसरी वजह यह है कि काफिर के साथ गाजी की हमदर्दियाँ बिल्कुल नहीं होती और शैतान के साथ जिहाद करने में नफ़्स और ख़्वाहिशात शैतान की मददगार ताक़तों में शुमार होते हैं।...✍🏻
*📬 असबाक -ए- इबरत सफ़ह - 09 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 10
जगह जी लगाने की दुनिया नहीं है
यह इबरत की जा है तमाशा नहीं है
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❝ नफ्स के साथ जिहाद ❞
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╭┈► मुसलमानो! यह दुनिया चन्द रोज़ा है इसकी रंगीनियों में मस्त हो कर अपनी आख़िरत बर्बाद मत करो, हर वक़्त अपने नफ़्स का मुहासबा करते रहो, उसको नेकियों पर उभारते रहो और बुराइयों से उसको रोकते रहो।
╭┈► अल्लाह तआला ख्वाहिशात से बाज़ रहने वालों को जन्नत की खुशखबरी देते हुए इरशाद फ़रमा रहा
*तर्जमा :* और वह जो अपने रब के हुजूर खड़े होने से डरा और नफ़्स को ख्वाहिश से रोका तो बे-शक जन्नत ही उसका ठिकाना है।
📔 पारा 30, सूरा-ए नाज़िआत, आयत 40 व 41
╭┈► और फ़रमाता है:
*तर्जमा :* और जो अपने रब के हुजूर खड़े होने से डरे उसके दिए दो जन्नतें हैं।...✍🏻
*📬 असबाक -ए- इबरत सफ़ह - 10 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 11
जगह जी लगाने की दुनिया नहीं है
यह इबरत की जा है तमाशा नहीं है
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❝ मौत ❞
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╭┈► हुजूरे अकरम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम का फ़रमाने आलीशान है लज्जतों को मिटाने वाली (यानी मौत) को कसरत से याद किया करों।
╭┈► इस फरमान में मौत का कसरत से ज़िक्र करने को कहा गया है ताकि इन्सान मौत को याद करके दुनिया की ख़त्म हो जाने वाली लज्जतों से किनारा कश हो जो जाए और अल्लाह तआला का फ़रमाँबरदार बन्दा बन जाए।
╭┈► हज़रत अनस रदि अल्लाहु तआला अन्हु से मरवी है कि हुजूरे अकरम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया मौत को कसरत से याद करो इससे गुनाह ख़त्म हो जाते हैं और दुनिया से बे-रगबती बढ़ती हैं।...✍🏻
*📬 असबाक -ए- इबरत सफ़ह - 11 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 12
जगह जी लगाने की दुनिया नहीं है
यह इबरत की जा है तमाशा नहीं है
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❝ होशियार कौन ❞
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╭┈► हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने उमर रदि अल्लाहु तआला अन्हुमा से मरवी है कि मैं दसवाँ शख्स था जो हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की मजलिस में हाज़िर था, एक अन्सारी जवान ने पुछा या रसूलल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलै-क वसल्लम! सबसे ज़्यादा बा-इज़्ज़त और होशियार कौन है? आप ने फ़रमाया जो मौत को बहुत याद करता है और उसके लिए ज़बरदस्त तैयारी करता है वह होशियार है और ऐसे ही लोग दुनिया और आख़िरत में बा-इज्जत होते हैं।
╭┈► एक मरतबा हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम मस्जिद की तरफ तशरीफ ले जा रहे थे कि आप ने ऐसी जमाअत को देखा जो हँस-हँस कर बातें कर रहे थे, आप ने फ़रमाया मौत को याद करो, रब्बे जुल्जलाल की कसम जिसके कब्ज़ा-ए कुदरत में मेरी जान है, जो मैं जानता हूँ अगर वह तुम्हें मालूम हो जाए तो कम हँसों और ज्यादा रोओ।...✍🏻
*📬 असबाक -ए- इबरत सफ़ह 11-12 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 13
जगह जी लगाने की दुनिया नहीं है
यह इबरत की जा है तमाशा नहीं है
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❝ मौत की सख्ती ❞
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╭┈► हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम अल्लाह तआला के हुक्म से मुर्दो को ज़िन्दा किया करते थे। कुछ काफ़िरों ने आप से कहा कि आप तो फौरन मरे हुए को ज़िन्दा कर दिया करते हैं, क्या पता वह न भी मरा हो, किसी पहले ज़माने के मुर्दे को ज़िन्दा करके दिखाओ। हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया तुम खुद ही बताओ कि किस मुर्दे को ज़िन्दा करूँ, उन्होंने कहा कि हज़रत नूह अलैहिस्सलाम के बेटे साम को ज़िन्दा करके दिखाओ। हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम उनकी कब्र पर तशरीफ़ लाए, आप ने दो रकअत नमाज़ पढ़ी और अल्लाह तआला से दुआ की, वह खुदा के हुक्म से ज़िन्दा हो गए। तो हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम ने देखा कि उनके सर और दाढ़ी के बाल सफेद हो गए। आप ने फ़रमाया ऐ साम! यह सफ़ेदी कैसी है? यह आपके ज़माने में तो नहीं थी। उन्होंने कहा कि जब मैं ने आपकी आवाज़ सुनी तो मैं समझा कि शायद कियामत काइम हो गई, क़ियामत के ख़ौफ़ से मेरे सर और दाढ़ी के बाल सफ़ेद हो गए।..✍🏻
*📬 असबाक -ए- इबरत सफ़ह 12-13 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 14
जगह जी लगाने की दुनिया नहीं है
यह इबरत की जा है तमाशा नहीं है
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❝ मौत की सख्ती ❞
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╭┈► हज़रत ईसा अलैहिसलाम ने फ़रमाया तुम्हें इन्तिकाल किए हुए कितने बरस हो गए? वह बोले कि पूरे चार हज़ार बरस, और अब तक मौत की तल्खी और नज़अ के वक़्त की तकलीफ़ और बे-चैनी बाकी है।
╭┈► ज़रा गौर करो कि नज़अ के वक़्त इन्सान को कितनी तकलीफ़ होती है कि चार हज़ार बरस का लम्बा अरसा गुज़र जाने के बाद भी नज़अ के वक़्त की तकलीफ़ और बेचैनी नहीं गई।
╭┈► फ़रमाने नबवी है अगर तुम्हारी तरह जानवर मौत को जान लेते तो उनमें कोई मोटा जानवर खाने को न मिलता।
╭┈► यानी मौत का जितना इल्म इन्सान को है अगर उतना इल्म जानवरों को होता तो वह सब मौत के डर से सूख जाते और कोई मोटा जानवर खाने को न मिलता।...✍🏻
*📬 असबाक -ए- इबरत सफ़ह 13-14 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 15
जगह जी लगाने की दुनिया नहीं है
यह इबरत की जा है तमाशा नहीं है
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❝ कब्र के हालात ❞
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अंधेरा घर अकेली जान दम घुटता दिल उकताता
खुदा को याद कर प्यारे वह साअत आने वाली है
╭┈► इन्सान को इस दुनिया से रुखसत होने के बाद आख़िरत की मन्जिलों में सबसे पहली जिस मन्ज़िल का सामना करना पड़ता है वह कब्र है।
╭┈► अल्लाह तआला फ़रमाता है
*तर्जमा :* तुम्हें गाफ़िल रखा माल की ज्यादा तलबी ने यहां तक कि तुम ने कब्रों का मुंह देख लिया।
📔 पारा 30, सूरा-ए तकासुर, आयत 1
╭┈► फ़रमाने नबवी है कि जब मय्यत को कब्र में रखा जाता है तो कब्र कहती है ऐ इन्सान! तुझ पर अफ़सोस है, तुझे मेरे बारे में किस चीज़ ने धोके में डाला था? क्या तुझे मालूम नहीं था कि मैं आज़माइशों और कीड़े मकोड़ों का घर हूँ, जब तू मुझ पर से आगे पीछे कदम रखता गुज़रा करता था तो तुझे कौन सा गुरूर घेरे होता था?।...✍🏻
*📬 असबाक -ए- इबरत सफ़ह - 14 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 16
जगह जी लगाने की दुनिया नहीं है
यह इबरत की जा है तमाशा नहीं है
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❝ कब्र के हालात ❞
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अंधेरा घर अकेली जान दम घुटता दिल उकताता
खुदा को याद कर प्यारे वह साअत आने वाली है
╭┈► अगर मय्यत नेक होती है तो उसकी तरफ से कोई जवाब देने वाला कब्र को जवाब देता है क्या तुझे मालूम नहीं है यह शख्स नेकियो का हुक्म देता और बुराइयों से रोका करता था। कब्र कहती है जब तो मैं इसके लिए सबजे में तबदील हो जाऊँगी, इसका जिस्म नूरानी बन जाएगा
और इसकी रूह अल्लाह तआला के कुर्बे रहमत में जाएगी।
╭┈► मुहम्मद बिन सबीह रहमतुल्लाह तआला अलैहि कहते हैं कि मुझ तक यह रिवायत पहुँची है कि जब आदमी कब्र में रखा जाता है और उसे अज़ाब दिया जाता है तो उसके करीबी मुर्दे कहते हैं ऐ अपने भाइयों और हमसायों (पड़ोसियों) के बाद दुनिया में रहने वाले! क्या तू ने हमारे जाने से कोई नसीहत हासिल न की और तेरे सामने हमारा मर कर कब्रों में दफ्न हो जाना कोई काबिले गौर बात न थी?।...✍🏻
*📬 असबाक -ए- इबरत सफ़ह - 15 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 17
जगह जी लगाने की दुनिया नहीं है
यह इबरत की जा है तमाशा नहीं है
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❝ कब्र के हालात ❞
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अंधेरा घर अकेली जान दम घुटता दिल उकताता
खुदा को याद कर प्यारे वह साअत आने वाली है
╭┈► तू ने हमारी मौत से हमारे आमाल ख़त्म होते देखे, लेकिन तू ज़िन्दा रहा और तुझे अमल करने की मोहलत दी गई मगर तू ने इस मोहलत को गनीमत न जाना और नेक आमाल न किए। और उससे ज़मीन का वह टुकड़ा कहता है ऐ ज़ाहिरी दुनिया पर इतराने वाले! तू ने अपने उन रिश्तेदारों से इबरत क्यों न हासिल की जो दुनियावी नेमतों पर इतराया करते थे मगर वह तेरे सामने मेरे पेट में गुम हो गए। उनकी मौत उन्हें कब्रों मे ले आई और तू ने उन्हें कन्धों पर सवार होकर इस मन्ज़िल की तरफ आते देखा कि जिससे कोई राहे फरार (भाग जाने का रास्ता) नहीं है।
╭┈► मुसलमानो! नहीं मालूम कि किस वक़्त मौत का फ़िरिश्ता आ जाए और हमें इस फ़ानी दुनिया को अलवदा कहना पड़े। अभी जो मोहलत है इस मोहलत को गनीमत जानो। नेक आमाल करो और बुराइयों से बचो और बचाओ।...✍🏻
*📬 असबाक -ए- इबरत सफ़ह 15-16 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 18
जगह जी लगाने की दुनिया नहीं है
यह इबरत की जा है तमाशा नहीं है
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❝ कब्र और हजरत उस्माने गनी रदिअल्लाहु तआला अन्हु ❞
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╭┈► अमीरुल मोमिनीन हज़रत उस्माने ग़नी रदि अल्लाहु तआला अन्हु जब किसी कब्र के पास खड़े होते तो इतना रोते थे कि आँसुओं से उनकी दाढ़ी तर हो जाया करती थी, तो किसी ने कहा (ऐ अमीरुल मोमिनीन) आप जन्नत व दोज़ख का ज़िक्र करते हैं तो नहीं रोते और कब्र के पास क्यों रोते हैं? तो आप ने फ़रमाया कि यकीन रखो कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया है कि कब्र आख़िरत की मन्ज़िलों में से पहली मन्ज़िल है अगर इससे नजात मिल गई तो इसके बाद की मन्ज़िलें इससे ज़्यादा आसान होंगी। और अगर इससे नजात न मिली तो इसके बाद की मन्ज़िलें इससे ज्यादा सख्त होंगी।...✍🏻
*📬 असबाक -ए- इबरत सफ़ह - 16 📚*
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 19
जगह जी लगाने की दुनिया नहीं है
यह इबरत की जा है तमाशा नहीं है
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❝ कब्र और हजरत उस्माने गनी रदिअल्लाहु तआला अन्हु ❞
••──────────────────────••►
╭┈► और रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने यह भी फ़रमाया है कि कब्र से बढ़कर ख़ौफ़नाक मन्ज़र कभी मैं ने देखा ही नहीं।
╭┈► ज़रा सोचो! हज़रत उस्माने ग़नी रदि अल्लाहु तआला अन्हु वह हैं जिनका हर लम्हा ज़िक्रे इलाही में गुज़रा करता था, इसके बावजूद भी वह अज़ाबे कब्र के ख़ौफ़ से इतना रोते थे कि आँसुओं से दाढ़ी तर हो जाया करती थी। और एक हम हैं कि नेकियाँ तो छोड़िए बुराइयों से बाज़ नहीं आते। काश कि हम गौर करें, ग़फ़लत की नींद से बेदार हों, बुराइयों से बाज़ आएं और दूसरों को बाज़ रखें और दुनिया की रंगीनियों को छोड़कर आख़िरत की तैयारी करें।...✍🏻
*📬 असबाक -ए- इबरत सफ़ह 16-17 📚*
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📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 20
जगह जी लगाने की दुनिया नहीं है
यह इबरत की जा है तमाशा नहीं है
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❝ जहन्नम ❞
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╭┈► अल्लाह तआला का इरशाद है :
*तर्जमा :* बे-शक जहन्नम ताक में है, सरकशों का ठिकाना, उसमें करनों रहेंगे। उसमें किसी तरह की ठन्डक का मज़ा न पाएंगे और न कुछ पीने को मगर खौलता पानी और दोज़खियों का जलता पीप, जैसे को तैसा बदला। बे-शक उन्हें हिसाब का ख़ौफ़ न था।
📔 पारा 30, सूरा-ए नबा, आयत 21 ता 25
╭┈► जहन्नम एक तारीक और तकलीफ़ देने वाला घर है, जितनी भी आफ़तें, मुसीबतें और तकलीफें हो सकती हैं वह सब उस में हैं। इन्सान जितना भी जहन्नम की आफतों और तकलीफों के बारे में सोच सकता है वह अल्लाह तआला के अज़ाब का एक छोटा सा हिस्सा होगा।...✍🏻
*📬 असबाक -ए- इबरत सफ़ह 17-18 📚*
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जगह जी लगाने की दुनिया नहीं है
यह इबरत की जा है तमाशा नहीं है
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❝ जहन्नम ❞
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╭┈► कुआने करीम में अल्लाह तआला ने जहन्नम से डरने और उससे बचने का हुक्म दिया है।
╭┈► चुनांचे अल्लाह तआला फ़रमाता है:
*तर्जमा :* तो डरो उस आग से जिसके ईंधन आदमी और पत्थर हैं तैयार रखी है काफ़िरों के लिए।
📔 पारा 1, सूरा-ए बक़रा, आयत 24
╭┈► और फ़रमाता है :
*तर्जमा :* ऐ ईमान वालो! अपनी जानों और अपने घर वालों को उस आग से बचाओ जिसके ईंधन आदमी और पत्थर हैं, उस पर सख्त करें फ़िरिश्ते मुकर्रर हैं जो अल्लाह का हुक्म नहीं टालते और जो उन्हें हुक्म हो वही करते हैं।
📔 पारा 28, सूरा-ए तहरीम, आयत 6
╭┈► हदीस शरीफ़ में है कि जो बन्दा जहन्नम से पनाह माँगता है, जहन्नम कहता है ऐ रब! यह मुझसे पनाह माँगता है तू इसको पनाह दे।...✍🏻
*📬 असबाक -ए- इबरत सफ़ह 18-19 📚*
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जगह जी लगाने की दुनिया नहीं है
यह इबरत की जा है तमाशा नहीं है
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❝ जहन्नम की आग की हौलनाकियाँ ❞
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╭┈► हज़रत उमर रदिअल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है कि एक मरतबा हज़रत जिबरईल अलैहिस्सलाम ऐसे वक़्त में तशरीफ़ लाए कि उस वक़्त में उससे पहले नहीं आते थे, हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम खड़े हो गए और फ़रमाया जिबरईल! क्या बात है मैं तुम को मुतग़य्यर (बदला हुआ) देख रहा हूँ। जिबरईल ने अर्ज़ की मैं उस वक़्त आपके पास आया हूँ जब कि अल्लाह तआला ने जहन्नम को दहकाने का हुक्म दिया है। आप ने फरमाया जिबरईल मुझे उस आग या जहन्नम के बारे में बताओ। जिबरईल अलैहिस्सलाम ने अर्ज़ की कि अल्लाह तआला ने जहन्नम को दहकाने का हुक्म दिया और उसमें एक हज़ार साल तक आग दहकाई गई यहां तक कि वह सफेद हो गई, फिर उसे एक हजार साल तक और भड़काने का हुक्म मिला यहां तक कि वह सुर्ख हो गई, फिर उसे अल्लाह तआला के हुक्म से एक हज़ार साल तक और भड़काया गया यहाँ तक कि वह बिल्कुल सियाह (काली) हो गई। अब वह सियाह और तारीक है, न उसमें चिंगारी रौशन होती है और न ही उसका भड़कना ख़त्म होता है और न उसके शोले बुझते हैं।...✍🏻
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जगह जी लगाने की दुनिया नहीं है
यह इबरत की जा है तमाशा नहीं है
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❝ जहन्नम की आग की हौलनाकियाँ ❞
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╭┈► उस ज़ात की कसम जिसने आप को नबी-ए बर-हक़ बनाकर मबऊस फ़रमाया है, अगर सुई के नाके के बराबर भी जहन्नम को खोल दिया जाए तो तमाम अहले ज़मीन फ़ना हो जाएं और क़सम है उस ज़ात की जिसने आप को हक़ के साथ भेजा, अगर जहन्नम के फ़िरिश्तों में से एक फ़िरिश्ता दुनिया वालों पर ज़ाहिर हो जाए तो ज़मीन की तमाम मखलूक उसकी बद-सूरती और बदबू की वजह से हलाक हो जाए। और कसम है उस ज़ात की जिसने आपको हक के साथ मबऊस फ़रमाया, अगर जहन्नम की जन्जीरों का एक हलका जिसका अल्लाह तआला ने कुआने करीम में ज़िक्र किया है, दुनिया के पहाड़ों पर रख दिया जाए तो वह रेज़ा रेज़ा हो जाएं और वह हलका तहतुससरा में जा ठहरे। हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने यह सुनकर फ़रमाया बस जिबरईल बस। इतना तजकिरा ही काफी है, मेरे लिए यह बात इन्तिहाई परेशान करने वाली है।...✍🏻
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यह इबरत की जा है तमाशा नहीं है
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❝ जहन्नम की आग की हौलनाकियाँ ❞
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╭┈► रावी कहते हैं कि तब हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने जिबरईल को देखा वह रो रहे हैं। आप ने फरमाया जिबरईल! तुम क्यों रोते हो? तुम्हारा तो अल्लाह तआला के यहां बहुत बड़ा मकाम है। जिबरईल ने अर्ज की मैं क्यों न रोऊँ? मैं ही रोने का ज़्यादा हक़दार हूँ, क्या ख़बर अल्लाह तआला के इल्म में मेरा इस मकाम के अलावा कोई और मक़ाम हो, क्या ख़बर मुझे कहीं इब्लीस की तरह न आज़माया जाए वह भी तो फ़िरिश्तों में रहता था और क्या ख़बर मुझे हारूत मारूत की तरह आज़माइश में न डाल दिया जाए। तब हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम और जिबरईल अलैहिस्सलाम दोनों अश्कबार हो गए और यह अश्क (आंसू) बराबर जारी रहे यहां तक कि आवाज़ आई ऐ जिबरईल! ऐ मुहम्मद! अल्लाह तआला ने तुम दोनो को अपनी नाफ़रमानी से महफूज़ कर लिया है। इसके बाद जिबरईल अलैहिस्सलाम आसमानों की तरफ़ परवाज़ कर गए।...✍🏻
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जगह जी लगाने की दुनिया नहीं है
यह इबरत की जा है तमाशा नहीं है
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❝ जहन्नम की आग की हौलनाकियाँ ❞
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╭┈► मुसलमानो ! जहन्नम की हौलनाकियों पर गौर करो और उससे पनाह मांगो और बचो उन कामों से जिनका बदला जहन्नम है। अगर तुम्हें आग के जलाने पर कोई शक है तो ज़रा अपनी उंगली इस दुनियावी आग में डाल कर देखो तो तुम्हें पता चल जाएगा। जब कि दुनिया की इस आग को जहन्नम की आग से कोई निस्बत नहीं। लेकिन सोचो तो जब यह दुनिया की आग का एक कोयला अगर तुम्हारे जिस्म पर लग जाए तो तुम चीखने चिल्लाने लगो और यह आग दुनिया के बहुत सख़्त अज़ाबों में शुमार की जाती है, तो उस जहन्नम की आग का क्या आलम होगा जिससे यह दुनिया की आग भी पनाह मांगती है।
🤲🏻 ⚘ अल्लाह तआला हमें उस आग से महफूज़ फ़रमाए।...✍🏻 आमीन
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❝ जहन्नम के अजाब ❞
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╭┈► जहन्नमियों को जहन्नम में तरह तरह के अज़ाबों का सामना करना पड़ेगा। उन अज़ाबों पर गौर करो और इबरत हासिल करो। और बचो उन कामों से जिन कामों की वजह से यह अज़ाब दिया जाएगा।
╭┈► हज़रत उमर रदि अल्लाहु तआला अन्हु फ़रमाया करते थे कि जहन्नम को अक्सर याद किया करो क्योंकि इसकी गर्मी सख्त, इसकी गहराई बे-हद और इसमें लोहे के हथौड़े हैं।
╭┈► मरवी है कि अगर जहन्नम का हथौड़ा जो लोहे से तैयार किया हुआ है, ज़मीन पर रख दिया जाए और जिन्न व इन्सान मिल कर उसे उठाना चाहें तो उसे उठा नहीं सकेंगे।...✍🏻
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❝ जहन्नम के अजाब ❞
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╭┈► जहन्नम में बहुत बड़े-बड़े सांप और बख़्ती ऊंट के बराबर बिच्छू होगे जो अगर एक बार काट लें तो उससे दर्द, जलन और बे-चैनी हज़ार साल तक रहे। जहन्नमियों को तलछट की तरह बहुत खौलता हुआ पानी पीने को दिया जाएगा कि जैसे ही उस पानी को मुंह के करीब ले जाएंगे उसकी गर्मी और तेज़ी से चेहरे की खाल जल कर गिर जाएगी। गर्म पानी उनके सरों पर डाला जाएगा और जहन्नमियों के बदन से निकली हुई पीप उन्हें पिलाई जाएगी। काँटेदार थूहड़ उन्हें खाने को दिया जाएगा, वह ऐसा होगा कि अगर उस की एक बूंद दुनिया में आ जाए तो उसकी जलन
और बदबू से सारी दुनिया का रहन-सहन बर्बाद हो जाए। जहन्नमी जब थूहड़ को खाएंगे तो उनके गले में फंस जाएगा। उसे उतारने के लिए जब वह पानी माँगेंगे तो उन्हें वही तेल की जली हुई तलछट की तरह खौलता हुआ पानी दिया जाएगा। वह पानी पेट में जाते ही आँतों को टुकड़े टुकड़े कर देगा और आँतें शोरबे की तरह बह कर कदमों की तरफ निकलेंगी।
🤲🏻 ⚘ अल्लाह तआला हम सबको जहन्नम के अज़ाब से महफूज़ फरमाए *आमीन*
⚠ अब तक जो भी बयान हुआ वह तरहीब पर था। असलाफ़े किराम की इत्तिबा करते हुए अब तरगीब के तअल्लुक से कुछ बयान किया जा रहा है। क्योंकि हमारे असलाफ़े किराम की अक्सर किताबें जो वअज व नसीहत पर मुशतमिल हैं उनमें तरगीब और तरहीब दोनों ही का बयान होता है।..✍🏻
*📬 असबाक -ए- इबरत सफ़ह 22-23 📚*
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जगह जी लगाने की दुनिया नहीं है
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❝ जन्नत का बयान ❞
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╭┈► जन्नत एक मकान है जिसको अल्लाह तआला ने ईमान वालों के लिए बनाया है। उसमें ऐसी ऐसी नेमतें रखी गई हैं जिनको न आंखों ने देखा, न कानों ने सुना और न कोई इन नेमतों का ख्याल कर सकता है। जन्नत की कोई औरत अगर ज़मीन की तरफ़ देख ले तो ज़मीन से आसमान तक रौशन हो जाए, चाँद और सूरज की रौशनी फीकी पड़ जाए और पूरी दुनिया उसकी खुशबू से भर जाए, कम दर्जे के जन्नती के लिए अस्सी हज़ार (80,000) ख़ादिम और बहत्तर (72) बीवियाँ होंगी और उनको ऐसे ताज मिलेंगे कि उसमें का एक कम दर्जे का मोती पूरी दुनिया को चमका दे। जन्नतियों को जन्नत में हर किस्म की लज्जत वाले फल और खाने मिलेंगे। जो चाहो फौरन उनके सामने आ जाएगा। अगर किसी चीज़ के पीने को जी चाहेगा तो उस चीज़ से भरा हुआ गिलास फौरन हाथ में आ जाएगा। गरज़ यह कि जन्नती को हर तरह का आराम और चैन व सुकून मिलेगा।...✍🏻
*📬 असबाक -ए- इबरत सफ़ह 23-24 📚*
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जगह जी लगाने की दुनिया नहीं है
यह इबरत की जा है तमाशा नहीं है
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❝ आखिरी बात ❞
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╭┈► यह सब जो कुछ ऊपर बयान हुआ इसका मकसद यह है कि लोग इसको पढ़कर इबरत हासिल करें। खुद भी नेक आमाल करें और दूसरों को भी नेकी की तरफ़ दावत दें और उन कामों से बचें जिन कामों के बदले आख़िरत में सख़्त दुशवारियों का सामना करना पड़ेगा।
╭┈► *मुसलमानो !* यह दुनिया चन्द दिनों की है इसकी महब्बत में अपनी आख़िरत बर्बाद मत करो। आज ही अपने गुनाहों से सच्ची तौबा करो और रब की फरमाबरदारी में लग जाओ। इसी में दुनिया और आख़िरत की कामयाबी है।
🤲🏻 ⚘ अल्लाह तआला हमें तौफीक अता फरमाए।...✍🏻 आमीन
*📬 असबाक -ए- इबरत सफ़ह - 24 📚*
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*📮अल्हम्दु लिल्लाह पोस्ट मुकम्मल हुई 🔃*
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