Wednesday, 30 October 2019

तज़किरा ए सालिहात



اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ یــــــــــــــــــــــا رسول  الــــلّٰــــه ﷺ

  कनीज़ ए मां फ़ातिमा तुज़्ज़हरा رضی اللّٰــه تعالیٰ عنــــــــہا

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            तज़किरा   ए   सालिहात
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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था


🅿🄾🅂🅃 ➪  01


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               ❝  हज़रते  खदीजा  ❞
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╭┈►  ये रसूलुल्लाहﷺकी सब से पहली बीवी और रफीकए हयात हैं ये खानदाने कुरैैश की बहुत ही बा वकार व मुमताज खातून है,इन के वालीद का नाम खुवैलद बीन असद और इन की माँ का नाम फातीमा बिन्ते जाइदा है, इन की शराफत और पाक दामनी की बिना पर तमाम मक्का वाले इन को "ताहिरा" के लकब से पुकारा करते थे,इन्होंने हुज़ूरﷺके अख्लाक व आदात और जमाले सूरत व कमाले सीरत को देख कर खुद ही आप से निकाह की रग़बत जाहीर की चुनान्चे अशरफे कुरैश के मजमअ़ में बाक़ायदा निकाह हुवा यह रसूलुल्लाहﷺकी बहुत ही जां निषार और वफा शिआ़र बीवी हैं और हुज़ूरे अक़्दसﷺको इन से बहुत ही बे पनाह मह़ब्बत थी।..✍

📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 468 📚

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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            ❝  हज़रते  बीवी  खदीजा  
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╭┈► इस बात पर सारी उम्मत का इत्तिफाक है कि सब से पहले हुज़ूर ﷺ की नुबूव्वत पर येही ईमान लाई और इब्तिदाए इस्लाम मे जब की हर तरफ आप ﷺ की मुखालफ़त का त़ूफान उठा हुवा था ऐसे खौफनाक और कठिन वक़्त मे सिर्फ एक हज़रते खदीजा की ही जाते पाक थी जो परवानो की तरह हुज़ूर ﷺ पर कुरबान हो रही थीं और इतने खतरनाक अवकात मे जिस इस्तिकलाल व इस्तिकामत के साथ इन्हो ने खतरात व मसाइब का मुकाबला किया , इस खुसूसिय्यत में तमाम अज़वाजे मुत़ह्हारात पर इन को एक मुमताज फज़ीलत हासील है।..✍🏻

     *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 479 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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            ❝  हज़रते  बीवी  खदीजा 
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╭┈► इन की फज़ाइल मे बहुत सी हदीसे भी आई है चुनान्चे हुज़ूरे अकरम ﷺ ने फरमाया कि तमाम दुनिया की औरतो में सब से जियादा अच्छी और बा कमाल चार बीबियाँ है एक हज़रते मरयम,दूसरी हज़रते आसीया,तीसरी हज़रते खदीजा,चौथी हज़रते फातीमा।

╭┈► एक मरतबा हज़रते जिब्रईल दरबारे नुबुव्वत मे हाज़िर हुए और अर्ज़ किया कि ऐ मुहम्मद ﷺ येह खदीजा हैं जो आप के पास एक बरतन मे खाना लेकर आ रही हैं जब यह आप ﷺ के पास आ जाएं तो इन से इन के रब ﷻ का और मेरा सलाम कह दीजिये और इन को यह खुशखबरी सुना दीजिये कि जन्नत में इन के लिये मोती का एक घर बना है जिस में न कोई शोर होगा न कोई तक्लीफ होगी।..✍🏻

      *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 479 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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            ❝  हज़रते  बीवी  खदीजा  
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╭┈► सरकारे दोजहां ﷺ ने इन की वफात के बाद बहुत सी औरतो से निकाह फरमाया लेकिन हज़रते खदीजा की महब्बत आखिर उम्र तक हुज़ूर ﷺ के क़ल्बे में रची बसी रही यहां तक कि इन की वफात के बाद जब भी हुज़ूर ﷺ के घर मे कोई बकरी जिब्ह होती तो आप ﷺ हज़रते खदीजा की सहेलियों के यहाँ भी जरूर गोश्त भेजा करते थे और हमेशा आप ﷺ बार बार हज़रते बीबी खदीजा का जिक्र फ़रमाते रहते थे हिज़रत से तीन बरस कब्ल पैंसठ बरस की उम्र पा कर माहे रमज़ान मे मक्कए मुकर्रमा के अन्दर आपने वफात पाई और मक्कए मुकर्रमा के मशहूर कब्रिस्तान ह़जून (जन्नतुल मा'ला) में खुद हुज़ूरे अक्दस ﷺ ने इन की कब्र मे उतर कर अपने मुकद्दस हाथो से इन को सिपुर्दे खाक फरमाया उस वक्त तक नमाजे जनाज़ा का हुक्म नाज़िल नही हुवा था इस लिये हुज़ूर ﷺ ने इन की नमाज़ नही पढ़ाई हज़रते खदीजा की वफात से तीन या पांच दिन पहले हुज़ूर ﷺ के चचा अबू तालीब का इन्तिकाल हो गया था अभी चचा की वफात के सदमे से हुज़ूर ﷺ गुज़रे ही थे कि हज़रते खदीजा का इन्तिकाल हो गया इस सानिहे का कल्बे मुबारक पर इतना ज़बरदस्त सदमा गुज़रा कि आप ने इस साल का नाम"आमुल हुज़्न "(गम का साल)रख दिया।..✍🏻

      *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 480 📚*
                    
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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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                  ❝  हज़रते  सोदा  
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╭┈► यह हमारे हुज़ूर ﷺ की मुकद्दस बीवी और तमाम उम्मत की मां हैं इन के बाप का नाम"ज़मआ़"और मां का नाम"शमूस बिन्ते उमर" है ,ये भी कुरैश खानदान की बहुत ही नामवर और मुअ़ज्ज़ज औरत हैं ये पहले अपने चाचाजाद भाई"सकरान बिन उमर"से बियाही गई थी और इस्लाम की शुरूआत ही मे येह दोनों मिया बीवी मुसलमान हो गये थे लेकिन जब हब्शा से वापस हो कर दोनों मियां बीवी मक्कए मुकर्रमा मे आ कर रहने लगे तो इन के शोहर का इन्तिकाल हो गया और हुज़ूरे अकरम ﷺ भी हज़रते खदीजा के इन्तिकाल के बाद रात दिन मग़मूम रहा करते थे ये देख कर हज़रते ख़ौला बिन्ते हकीम ने बारगाहे रिसालत ﷺ में ये दरख्वास्त पेश की ,कि या रसूलल्लाह ﷺ हज़रते सौदा बिन्ते जमआ़ से निकाह फरमा लें ताकि आप ﷺ का खानए मईशत आबाद हो जाए..✍🏻

        *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 481 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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                ❝  हज़रते   सोदा 
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╭┈► हज़रते सौदा बहुत ही दीनदार और सलीका शिआर खातून हैं और बेहद खिदमत गुजा़र भी हैं आप ﷺ ने हज़रते खौला के इस मुख्लिसाना मश्वरे को कबूल फरमा लिया चुनान्चे हज़रते खौला ने हज़रते सौदा के बाप से बात चीत कर के निस्बत तै़ करा दी और निकाह हो गया और यह उम्र भर हुज़ूर ﷺ की जौजिय्यत के शरफ से सरफराज़ रही और जिस वालिहाना मोहब्बत व अकीदत के साथ वफादारी व खिदमत गुज़ारी का हक अदा किया वोह इन का बहुत ही शानदार कारनामा है हज़रते बीबी आइशा के साथ हुज़ूर ﷺ की मोहब्बत को देख कर इन्हो ने अपनी बारी का दिन हज़रते आइशा को दे दिया था हज़रते आइशा फ़रमाया करती थी कि किसी औरत को देख कर मुझ को यह हिर्स नही होती थी कि मैं भी वैसी ही होती मगर मैं हज़रते सौदा के जमाले सूरत व हुस्ने सीरत को देख कर येह तमन्ना किया करती थी कि काश मैं भी हज़रते सौदा जैसी होती येह अपनी दूसरी खूबियों के साथ बहुत फय्याज़ और आ,ला दर्जे की सखी थीं..✍🏻

      *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 481-482 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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               ❝  हज़रते  सोदा 
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╭┈► एक मरतबा अमीरुल मोअमिनीन हज़रते उ़मर ने अपनी खिलाफत के ज़माने में दिरहमो से भरा हुवा एक थैला हज़रते बीबी सौदा के पास भेज दिया उन्हो ने इस थैले को देख कर कहा कि वाह भला खजूरो के थैले में कहीं दिरहम भेजे जाते है यह कहा और उठ कर उसी वक़्त उन तमाम दिरहमो को मदीनए मुनव्वरा के फुकरा व मसाकीन को घर मे बुला कर बांट दिया और थैला खाली कर दिया इमाम बुख़ारी और इमाम ज़हबी का कौल है कि 33 हिज़री मे मदीनए मुनव्वरा के अन्दर इन की वफात हुई इन की कब्रे मुनव्वर मदीनए मुनव्वरा के कब्रिस्तान जन्नतुल बक़ीअ़ में है।..✍🏻

         *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 482 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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            ❝   हज़रते  आइशा 
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╭┈► आप अमीरुल मोअमिनीन हज़रते अबू बक्र सिद्दीक रज़ियल्लाहु तआला अन्हु की साहिबजादी है इन की माँ का नाम"उम्मे रूमान"है इन का निकाह हुज़ूरे अक्दस ﷺ से कब्ले हिज़रत मक्कए मुकर्रमा में हुवा था लेकिन काशानए नुबुव्वत में येह मदीनए मुनव्वरा के अन्दर शव्वाल 2 हिज्री. में आई यह हुज़ूर ﷺ की मह़बूबा और बहुत ही चहीती बीवी हैं।

╭┈► हुज़ूरे अक्दस ﷺ का इन के बारे में इरशाद है कि किसी बीवी के लिह़ाफ में मेरे ऊपर वही नहीं उतरी मगर हज़रते आइशा जब मेरे साथ नुबुव्वत के बिस्तर पर सोती रहती हैं तो इस हालत में भी मुझ पर वही उतरती रहती है।..✍🏻

       *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 483 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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              ❝   हज़रते  आइशा 
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╭┈► फ़िक़ह व हदीष के उ़लूम में हुज़ूर ﷺ की बीबियों के दरमियान इन का दर्जा बहुत ऊंचा है बड़े बड़े सहाबा इन से मसाइल पूछा करते थे इ़बादत में इन का ये आलम था कि नमाज़े तहज्जुद की बेहद पाबन्द थीं और नफ्ली रोजे भी बहुत ज़ियादा रखती थीं सखावत और सदाकत व खैरात के मुआ़मले में भी हुज़ूर ﷺ की सब बीबियों में खास तौर पर बहुत मुमताज़ थी।..✍🏻

     *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 483-484 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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             ❝   हज़रते  आइशा  
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╭┈► उम्मे दरदा कहती है कि एक मरतबा हज़रत अब्दुल्लाह बिन जुबैर रज़ियल्लाहु तआला अन्हु(यह आपके भांजे है)ने एक लाख दिरहम इन के पास भेजे आप ने उसी वक़्त उन सब दिरहमो को खैऱात कर दिया उस दिन आप रोज़ादार थीं मैंने अर्ज़ किया कि आप ने सब दिरहमो को बांट दिया और एक दिरहम भी आप ने बाक़ी नही रखा कि इस से आप गोश्त खरीद कर रोज़ा इफ्तार करतीं तो आप ने फ़रमाया कि अगर तुम ने पहले कहा होता तो मैं एक दिरहम का गोश्त मंगा लेती आप के फज़ाइल मे बहुत सी हदीषे आई हैं 17 रमज़ान मंगल की रात मे 57 हि. या 58 हि. में मदीनए मुनव्वरा के अन्दर आप की वफात हुई हज़रते अबू हुरैरा ने आप की नमाज़े जनाज़ा पढ़ाई और रात में दूसरी अज़वाजे मुत़ह्हरात के पहलू में जन्नतुल बक़ीअ़ के अन्दर मदफून हुई।..✍🏻

     *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 483-484 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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             ❝  हज़रते   ह़फ्सा  
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╭┈► यह भी रसूलुल्लाह ﷺ की मुकद्दस बीवी और उम्मत की माँओं में से है यह हज़रते अमीरुल मोअमिनीन उ़मर की बुलन्द इक्बाल साहिबजादी हैं और इन की वालिदा का नाम ज़ैनब बिन्ते मज़ऊन है जो एक मश्हूर सहाबिया है यह पहले हज़रते खुनैस बिन हुज़ाफा सहमी की ज़ौजिय्यत में थी और मियाँ बीवी दोनो हिज़रत कर के मदीनए मुनव्वरा चले गये थे मगर इन के शोहर जंगे उहुद मे शहीद हो कर वफात पा गये तो 3 हिज़री में रसूलुल्लाह ﷺ ने इन से निकाह फरमा लिया!..✍🏻

        *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 484 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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                    ❝  हज़रते  ह़फ्सा  
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╭┈► यह भी बहुत ही शानदार बुलन्द हिम्मत और सख़ी औरत थीं और फ़ह्म व फ़िरासत और हकगोई व हाज़िर जवाबी में अपने वालिद ही का मिज़ाज पाया था अकषर रोज़ादार रहा करती थीं और तिलावते कुरआने मजीद और दूसरी क़िस्म क़िस्म की इ़बादतों में मसरूफ़ रहा करती थीं इ़बादत गुज़ार होने के साथ साथ फ़िक़ह व हदीष के उ़लूम में भी बहुत मा'लूमात रखती थीं शा'बान 45हिज़री में मदीनए मुनव्वरा के अन्दर इन की वफात हुई हाकिमे मदीना मरवान बिन हकम ने नमाज़े जनाज़ा पढ़ाई और इन के भतीजों ने कब्र में उतारा और जन्नतुल बक़ीअ में दफ़्न हुई ब वक़्ते वफात इन की उम्र साठ या तिरसठ की थी।..✍🏻

    *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 484-485 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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                 ❝  हज़रते उम्मे सलमा 
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╭┈► इन का नाम "हिन्द" और कुन्यत "उम्मे सलमा" है लेकिन यह अपनी कुन्यत के साथ ही ज़ियादा मश्हूर हैं इन के वालिद का नाम "हुज़ैफा" या "सुहैल" और इन की वालिदा "आ़तिका बिनते आ़मिर" हैं यह पहले अबू सलमा अब्दुल्लाह बिन असद से बियाही गई थीं और यह दोनों मियाँ बीवी मुसलमान हो कर पहले "हब्शा" हिजरत कर गए फिर हब्शा से मक्कए मुकर्रमा चले आए और मदीनए म्नव्वरा की तरफ हिजरत करने का इरादा किया

╭┈► चुनान्चे अबू सलमा ने ऊंट पर कजावा बांधा और उम्मे सलमा को ऊंट पर सुवार कराया और वह अपने दूध पीते बच्चे को गोद में ले कर ऊँट पर बिठा दी गई तो एक दम हज़रते उम्मे सलमा के मैके वाले बनू मुगी़रा दौड़ पड़े और उन लोगों ने यह कह कर कि हमारे खा़नदान की लड़की मदीना नहीं जा सकती हज़रते उम्मे सलमा को ऊँट से उतार डाला यह देख कर हज़रते अबू सलमा के खानदान वालों को तैश आ गया और उन लोगों ने हज़रते उम्मे सलमा की गोद से बच्चे को छीन लिया और यह कहा कि यह बच्चा हमारे खानदान का है..✍🏻

            *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 486 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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                 ❝ हज़रते उम्मे सलमा ❞
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╭┈►इस लिये हम इस बच्चे को हरगिज़़ हरगिज़ तुम्हारे पास नही रहने देंगे इस तरह बीवी व बच्चा दोनो हज़रते अबू सलमा से जूदा हो गए मगर हज़रते अबू सलमा ने हिजरत का इरादा नही छोड़ा बल्कि बीवी और बच्चा दोनों को खुदा के सिपुर्द कर के तन्हा मदीनए मुनव्वरा चले गए हज़रते उम्मे सलमा शोहर और बच्चे की जुदाई पर दिन रात रोया करती थीं इन का यह हाल देख कर इन के चचाजा़द भाई को रहम आ गया और उस ने बनू मुगीरा को समझाया कि आखिर इस गरीब औरत को तुम लोगों ने इस के शोहर और बच्चे से क्यों जुदा कर रखा है क्या तुम लोग यह नहीं देख रहे हो कि वोह एक पथ्थर की चट्टान पर एक हफ्ते से अकेली बैठी हुई बच्चे और शोहर की जुदाई में रोया करती है आखिर बनू मुगीरा के लोग इस पर रिज़ा मन्द हो गए कि उम्मे सलमा अपने बच्चे को ले कर अपने शोहर के पास मदिने चली जाए फिर हज़रते अबू सलमा के खानदान वालो ने भी बच्चे को हज़रते उम्मे सलमा के सिपुर्द कर दिया और हज़रते उम्मे सलमा बच्चे को गोद मे ले कर हिजरत के इरादे से ऊंट पर सुवार हो गई!..✍🏻

    *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 486-487 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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                   ❝ हज़रते उम्मे सलमा ❞
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╭┈►मगर जब मकामे"तनईम"में पहुँची तो उ़षमान बिन त़ल्हा रास्ते में मिला जो मक्का का माना हुवा एक निहायत ही शरीफ इन्सान था उस ने पुछा कि उम्मे सलमा कहाँ का इरादा है उन्हो ने कहा कि मैं अपने शोहर के पास मदीना जा रही हूँ उस ने कहा कि क्या तुम्हारे साथ कोई दूसरा नही है हज़रते उम्मे सलमा ने दर्दभरी आवाज़ मे जवाब दिया मेरे साथ मेरे अल्लाह ﷻ और मेरे इस बच्चे के सिवा दूसरा कोई नही है यह सुन कर उ़षमान बिन तल्हा को शरीफाना जज़्बा आ गया और उस ने कहा कि खुदा की कसम मेरे लिये यह ज़ैब देता कि तुम्हारे जैसी एक शरीफ जा़दी और एक शरीफ इन्सान की बीवी को तन्हा छोड़ दूं यह कह कर उस ने ऊंट की मुहार अपने हाथ मे ली और पैदल चलने लगा हज़रते उम्मे सलमा का बयान है कि खुदा ﷻ की कसम मैं ने उषमान बिन तल्हा से ज़ियादा शरीफ किसी अ़रब को नहीं पाया जब हम किसी मंज़िल पर उतरते तो वह अलग दूर जा कर किसी दरख्त के नीचे सोए रहता और मैं अपने ऊंट पर सोए रहती फिर चलने के वक़्त वोह ऊँट की मुहार हाथ में ले कर पैदल चलने लगता!..✍🏻

        *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 487 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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                    ❝ हज़रते उम्मे सलमा 
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╭┈► इसी तरह उस ने मुझे"कुबा"तक पहुंचा दिया और यह कह कर वापस मक्का चला गया कि अब तुम चली जाओ तुम्हारा शोहर इसी गाऊँ में है चुनान्चे हज़रते सलमा बखैरिय्यत मदीना पहुंच गई फिर दोनो मियाँ बीवी मदीने मे रहने लगे चन्द बच्चे भी हो गए शोहर का इन्तिकाल हो गया तो हज़रते उम्मे सलमा बड़ी बे कसी मे पड़गई चन्द छोटे छोटे बच्चो के साथ बेवगी में जिन्दगी बसर करना दुश्वार हो गया इन का यह हाले ज़ार देख कर रसूलुल्लाह ﷺ ने इन से निकाह फरमा लिया और बच्चो को अपनी परवरीश मे ले लिया इस तरह यह हुज़ूर ﷺ के घर आ गई और तमाम उम्मत की माँ बन गई हज़रते बीबी उम्मे सलमा अक्लो फ़हम इल्मो अ़मल दियानत व शुजाअ़त के कमाल का एक बे मिषाल कमाल थीं और फिकह व हदीष की मा'लूमात का यह आ़लम था कि तीन सो अठत्तर हदीषें इन्हे ज़बानी याद थी मदीनए मुनव्वरा में चौरासी बरस की उम्र पा कर वफात पाई इन के विसाल के साल मे बड़ा इख्तिलाफ है बा'ज मुउर्रिखीन ने53ह़ि बा'ज59ह़ि बा'ज ने62ह़ि लिखा है और बा'ज का कौल है कि इन का इन्तिकाल63ह़ि के बाद हुवा है इन की कब्र मुबारक जन्नतुल बक़ीअ़ में है।..✍🏻

       *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 488 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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                  ❝  हज़रते उम्मे हबीबा 
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╭┈►  ये सरदारे मक्का हज़रते अबू सुफ्यान की बेटी और हज़रते अमीरे मुअ़ाविया की बहन हैं इन की माँ का नाम "सफिया बिन्ते आ़स" है जो अमीरुल मोअमिनीन हज़रते उषमाने गनी की फूफी है हज़रते उम्मे हबीबा का निकाह पहले उ़बैदुल्लाह बिन जह़श से हुवा था और मियाँ बीवी दोनों इस्लाम कबूल कर के हब्शा की तरफ हिजरत कर के चले गए थे मगर हब्शा जा कर उ़बैदुल्लाह बिन जह़श  नस्सरानी हो गया और  ईसाइसों की  सोहबत मे शराब  पीते-पीते मर गया  लेकिन उम्मे हबीबा अपने  ईमान पर काइम रहीं!..✍🏻

           *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 489 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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                 ❝ हज़रते उम्मे हबीबा ❞
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╭┈►  और बड़ी बहादुरी के साथ मसाइब व मुश्किलात का मुकाबला करती रही जब हुज़ूर अकरम ﷺ को इन के हाल की खबर हुई तो कल्बे नाजुक पर बेहद सदमा गुज़रा और आप ने हज़रते अम्र बिन उमय्या ज़मिरी को इन की दीलजोई के लिये हब्शा भेजा और नज्जाशी बादशाह हब्शा के नाम खत भेजा कि तुम मेरे वकील बन कर हज़रते उम्मे हबीबा के साथ मेरा निकाह कर दो नज्जाशी बादशाह ने अपनी लौंडी "अबरहा" के जरीए रसूलुल्लाह ﷺ का पैगाम हज़रते उम्मे हबीबा के पास भेजा जब हज़रते बीबी उम्मे हबीबा ने ये खुश खबरी का पैगाम सुना तो खुश हो कर अबरहा लौंडी को इनाम के तौर पर अपना ज़ेवर उतार कर दे दिया!..✍🏻

              *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 489 📚*

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🅿🄾🅂🅃 ➪ 19

   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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               ❝ हज़रते उम्मे हबीबा  ❞
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╭┈►  फिर अपने मामूज़ाद भाई हज़रते खालिद बिन सईद को अपने निकाह का वकील बना कर नज्जाशी बादशाह के पास भेज दिया और उन्हों ने बहुत से मुहाजिरीन को जम्अ़ कर के हज़रते उम्मे हबीबा का निकाह हुजूर ﷺ के साथ कर दिया और अपने पास से महर भी अदा कर दिया और फिर पूरे ए'ज़ाज़ के साथ हज़रते शरजील बिन ह़सना के साथ मदीनए मुनव्वरा हुज़ूर ﷺ के पास भेज दिया और यह हुज़ूर ﷺ की मुकद्दस बीवी और तमाम मुसलमानों की माँ बन कर हुज़ूर ﷺ के खानए नुबुव्वत में रहने लगीं यह सखावत व शुजाअत दीनदारी और अमानत व दियानत के साथ बहुत ही क़वी ईमान वाली थी।..✍🏻

             *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 490 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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                  ❝  हज़रते उम्मे हबीबा 
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╭┈►  एक मरतबा इन के बाप अबू सुफ्यान जो अभी काफिर थे मदीने में इन के घर आए और रसूलुल्लाह ﷺ के बिस्तर पर बैठ गए हज़रते उम्मे हबीबा ने जरा भी बाप की परवाह नही की और बाप को बिस्तर से उठा दिया और कहा कि मैं हरगीज़ ये गवारा नही कर सकती कि एक नापाक मुशरिक रसूल ﷺ के इस पाक बिस्तर पर बैठे इसी तरह इन के जोशे ईमानी और जज़्बए इस्लामी के वाकिआ़त अ़जीबो गरीब हैं जो तारीखों में लिखे हुए हैं बहुत ही दीनदार और पाकीजा औरत थी बहुत सी हदीषें भी याद थी और इन्तिहाई इबादत गुज़ार और हुज़ूर ﷺ की बे इन्तिहा खिदमत गुज़ार और वफादार बीवी थीं44 ह़िजरी में मदीनए मुनव्वरा के अन्दर इन की वफात हुई और जन्नतुल बकी़अ़ के कब्रिस्तान में दूसरी अज़वाजे मुत़ह्हरात के खतीरे में मदफून हुई।..✍🏻

              *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 490 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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         ❝ हज़रते ज़ैनब बिन्ते ज़हश ❞
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╭┈► ये हुज़ूर ﷺ की फू़फी उमैमा बिन्ते अब्दुल मुत्तलिब की बेटी हैं हुज़ूर ﷺ ने अपने आजाद कर्दा गुलाम और मुतबन्ना हज़रते ज़ैद बिन हारिषा से इन का निकाह कर दिया लेकिन खुदा ﷻ कि शान के मियाँ बीवी में निबाह न हो सका और हज़रते जै़द ने इन को तलाक दे दी जब इन की इद्दत गुज़र गई तो अचानक एक दिन ये आयत उतरी।

╭┈► तर्जमए कन्जुल ईमान= फिर जब जै़द की गर्ज़ इस से निकल गई तो हम ने वोह तुम्हारे निकाह में दे दी।..✍🏻

        *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 491 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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         ❝ हज़रते ज़ैनब बिन्ते ज़हश 
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╭┈► इस आयत के नुज़ूल होने पर रसूलुल्लाह ﷺ ने मुस्कुराते हुए इरशाद फ़रमाया कि कौन है जो जै़नब के पास जा कर उस को ये खुशखबरी सुना दे कि अल्लाह तआ़ला ने मेरा निकाह उस के साथ कर दिया ये सुन कर एक खादिमा दौड़ी हुई गई और हज़रते जै़नब को ये खुशखबरी सुना दी हज़रते जै़नब ये खुशखबरी सुन कर इतनी खुश हुई कि अपने ज़ेवरात उतार कर खादिमा को इन्आम में दे दिये और खुद सजदे मे गिर पड़ी और फिर दो माह लगातार शुक्रिया का रोज़ा रखा हुज़ूर ﷺ ने हज़रते ज़ैनब के साथ निकाह करने पर इतनी बड़ी दा'वते वलीमा फरमाई कि किसी बीवी के निकाह पर इतनी बड़ी दा'वते वलीमा नही की थी तमाम सहाबए किराम को आप ने नान गोश्त खिलाया।..✍🏻

        *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 492 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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         ❝ हज़रते ज़ैनब बिन्ते ज़हश 
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╭┈►  हुज़ूर ﷺ की मुकद्दस बीबियों में हज़रते ज़ैनब बिन्ते जहश इस खुसूसिय्यत में सब बीबियों में मुमताज हैं कि अल्लाह तआ़ला ने इन का निकाह खुद अपने हबीब से कर दिया इन की एक खुसूसिय्यत यह भी है कि ये अपने हाथ से कुछ दस्तकारी कर के इस की आमदनी फुकरा और मसाकिन को दिया करती थी चुनान्चे एक मरतबा हुज़ूर ﷺ ने फरमाया था कि मेरी वफात के बाद सब से पहले मेरी उस बीबी की वफात होगी जिस के हाथ सब बीबियों से लम्बे हैं ये सुन कर बीबियों ने एक लकड़ी से अपना अपना हाथ नापा तो हज़रते सौदा का हाथ सब से लम्बा निकला!...✍🏻

              *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 492 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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         ❝ हज़रते ज़ैनब बिन्ते ज़हश ❞
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 ╭┈► लेकिन जब हुज़ूर ﷺ की वफाते अक्दस के बाद सब से पहले हज़रते जै़नब बिन्ते जहश की वफात हुई तो लोगो की समझ मे यह बात आई कि हाथ लम्बा होने से हुज़ूर ﷺ की मुराद कषरत से सदका देना था बहर हाल अपनी किस्म किस्म की सिफाते हमीदा की बदौलत ये तमाम अज़वाजे मुतह्हरात में खुसूसी इम्तियाज़ के साथ मुमताज़ थी 20हि.या 21हि.में मदीनए मुनव्वरा के अन्दर इन की वफात हुई और अमीरुल मोअमिनीन हज़रते उ़मर ने हर कूचा व बाज़ार मे एलान करा दिया था कि सब लोग उम्मुल मोअमिनीन के जनाज़े में शरीक हों चुनान्चे बहुत बड़ा मज्मअ हुवा अमीरुल मोअमिनीन ने खुद ही इन की नमाज़े जनाज़ा पढ़ाई और इन को जन्नतुल बकीअ में हुज़ूर ﷺ की दूसरी बीवीयों के पहलू मे दफ्न किया।...✍🏻

           *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 493 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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         ❝ हज़रते जै़नब बिन्ते खुजैमा ❞
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╭┈► ये बचपन ही से बहुत सखी थी गरीबों और मिस्कीनों को ढूंड ढूंड कर खाना खिलाया करती थी इस लिये लोग इन्को "उम्मुल मसाकीन" (मिस्कीनों की माँ) कहा करते थे पहले मश्हूर सहाबी हज़रते अब्दुल्लाह बिन जहश से इन का निकाह हुवा था लेकिन जब वह जंगे उहुद मे शहीद हो गए तो हुज़ूर ﷺ ने 3हि. में इन से निकाह कर लिया और ये "उम्मुल मसाकीन" की जगह "उम्मुल मोअमिनीन" कहलाने लगीं मगर ये हुज़ूर ﷺ से निकाह के बाद सिर्फ दो या तीन महीने जिन्दा रहीं और रबीउल अव्वल4हि. में ब मकामे मदीनए मुनव्वरा वफात पा गई और जन्नतुल बकीअ मे मदफून हुई हुज़ूरे अकरम ﷺ इन की वफात तक इन से बेहद खुश रहे और इन की वफात का कल्बे नाज़ुक पर बड़ा सदमा गुज़रा ये माँ की जानिब से हज़रते उम्मुल मोअमिनीन बीबी मैमूना की बहन है इन की वफात के बाद हुज़ूर ﷺ ने इन की बहन मैमूना से निकाह फ़रमाया।..✍🏻

    *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 493-494 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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                  ❝  हज़रते मैमूना 
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╭┈► आप के वालिद का नाम हारिष बिन हज़्न और वालिदा हिन्द बिन्ते औफ है पहले आप का नाम "बर्रा" था मगर जब ये हुज़ूर ﷺ के निकाह में आ गई तो हुज़ूर ﷺ ने इन का नाम मैमूना (बरकत वाली) रख दिया 7 हि. उम्रतुल कजा़ की वापसी में हुज़ूर ﷺ ने इन से निकाह फरमाया और मकामे "सरफ़" में ये पहली मरतबा बिस्तरे नुबुव्वत पर सोई कुल छहत्तर हदिषे इन से मरवी हैं इन के इन्तिकाल के साल में इख्तिलाफ है बाज़ ने 51हि बाज़ ने 61हि. लेकिन इब्ने इस्हाक का कौल है कि 63 हि. में इन की वफात मकामे "सरफ" में हुई जब इन का जनाजा़ उठाया गया तो इन के भान्जे हज़रते अब्दुल्लाह बिन अब्बास ने बुलन्द आवाज़ से फरमाया कि ऐ लोगो ! ये रसूलुल्लाह ﷺ की बीवी है जनाजा़ बहुत आहिस्ता आहिस्ता ले कर चलो और इन की मुकद्दस लाश को हिलने न दो हज़रते यज़ीद बिन असम का बयान है कि हम लोगो ने हज़रते मैमूना को मकामे सरफ़ में उसी छप्पर के अन्दर दफ्न किया जिस में पहली बार इन को हुज़ूर सय्यिदे आलम ﷺ ने अपनी कुर्बत से सरफ़राज़ फरमाया था।..✍🏻

    *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 494-495 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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              ❝  हज़रते जुवैरिया 
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╭┈► ये कबीला बनी मुस्तलक के सरदारे आज़म हारिष बिन ज़रार की बेटी है गज़्वए "मुरैसयअ" में इन का सारा कबीला गिरिफ्तार हो कर मुसलमानो के हाथो मे कैदी बन चुका था और सब मुसलमानो के लौंडी गुलाम बन चके थे मगर रसूलुल्लाह ﷺ ने जब हज़रते जुवैरिया को आजाद कर के इन से निकाह फरमा लिया तो हज़रते जुवेेैरिया की शादमानी व मसर्रत की कोई इन्तिहा न रही जब इस्लामी लश्कर मे यह खबर फैली कि रसूलुल्लाह ﷺ ने हज़रते जुवैरिया से निकाह फरमा लिया इस खानदान का कोई फर्द लौंडी गुलाम नही रह सकता चुनान्चे उस खानदान के जितने लौंडी गुलाम मुसलमानों के कब्जे मे थे सब के सब आजाद कर दिये गए येही वजह है कि हज़रते आइशा फरमाया करती थी कि दुन्या मे किसी औरत का निकाह हज़रते जुवैरिया के निकाह से जियादा मुबारक नही साबित हुवा क्यूंकि इस निकाह की वजह से तमाम खानदाने बनी मुस्तलक को गुलामी से नजात मिल गई!..✍🏻

         *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 495 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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                 ❝ हज़रते जुवैरिया ❞
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╭┈►हज़रते जुव्वैरिया का बयान है कि हुज़ूर ﷺ के मेरे कबीले में आने से पहले मैं ने ये ख़्वाब देखा था कि मदीने की जानिब से एक चांद चलता हुवा अाया और मेरी गोद मे गिर पड़ा मैं ने ख़्वाब का ज़िक्र नही किया लेकिन जब हुज़ूर ﷺ ने मुझसे निकाह फरमा लिया तो मैने समझ लिया कि येही मेरे उस ख़्वाब की ताबीर है आपका असली नाम "बर्रा" था मगर हुज़ूर ﷺ ने इन का नाम जुवैरिया रख दिया इन के दो भाई अम्र बिन हारिष व अब्दुल्लाह बिन हारिष और इन की एक बहन अम्मारा बिन्ते हारिष ने भी इस्लाम कबूल कर के सहाबी का शरफ पाया हज़रते जुवैरिया बड़ी इबादत गुज़ार और दीनदार थी नमाज़े फज्र से नमाज़े चाश्त तक हमेशा अपने वज़ीफो में मश्गूल रहा करती थी 50हि. में पैंसठ बरस की उम्र पा कर वफात पाई।हाकिमे मदीना मरवान ने इन की नमाज़े जनाज़ा पढ़ाई और आप जन्नतुल बकीअ में सिपुर्दे खाक की गई।..✍🏻

       *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 496 📚*         

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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         ❝  हज़रते जुवैरिया  
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╭┈► *तबसिरा :*  इनका ज़िन्दगी भर का ये अमल कि नमाज़े फज्र से नमाजे चाश्त तक हमेशा लागातार जिक्रे इलाही और वजी़फों मे मशगूल रहना ये उन औरतों के लिये ताजियाना इब्रत है जो नमाज़े चाश्त तक सोती रहती है अल्लाहु अक्बर नबी ﷺ की बीबियाँ तो इतनी इबादत गुज़ार और दीनदार और उम्मतियों का येे हाले ज़ार कि नवाफिल का तो पूछना हि क्या फराइज़ से भी बेजार बल्कि उलटे दिन रात तरह तरह के गुनाहों के आज़ार में गिरिफ्तार। इलाही तौबा इलाही तेरी पनाह में रख!..✍🏻

        *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 496 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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                   ❝ हज़रते सफ़िय्या ❞
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 ╭┈► ये खैबर के सरदारे आज़म "हय बिन अख्तब" की बेटी और कबीला बनू नुजै़र की रईसे आज़म "किनाना बिन अल हकीक" की बीवी थीं जो "जंगे खैबर" में मुसलमानो के हाथो से कत्ल हुवा ये खैबर के कैदियों मे गिरिफ्तार हो कर आई रसूलुल्लाह ﷺ ने इन की खानदनी इज़्ज़त व वजाहत का खयाल फ़रमा कर अपनी अज़वाजे मुतह्हरात और उम्मत की माओं में शामिल फरमा लिया जंगे खैबर से वापसी में तीन दिनों तक मंजिले सहबा में आप ﷺ ने इन को अपने खैमे के अन्दर अपनी कुर्बत से सरफराज फ़रमाया और इन के वलीमें में खजूर,घी,पनीर का मलिदा आप ﷺ ने सहाबए किराम को खिलाया!..✍🏻

       *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 497 📚*
          
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 31

   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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                 ❝  हज़रते सफ़िय्या 
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╭┈► हुज़ूरे अकरम ﷺ इन का बहुत जियादा खयाल रखते थे एक मरतबा हज़रते आइशा ने इन को "पस्ता कद" कह दिया तो हुज़ूर ﷺ ने हज़रते आइशा को इस कदर गुस्से में भर कर डांटा कि कभी भी इन को इतना नही डांटा था इसी तरह एक मरतबा हज़रते जै़नब ने इन को "यहूदिया" कह दिया तो ये सुन कर रसूलुल्लाह ﷺ हज़रते जै़नब पर इस कदर खफा हो गए कि दो तीन माह तक इन के बिस्तर पर कदम नही रखा ये बहुत ही इबादत गुज़ार और दीनदार होने के साथ साथ हदीष व फिकह सीखने का भी जज़्बा रखती थी चुनान्चे दस हदीसे भी इन से मरवी हैं इन की वफात के साल मे इख्तिलाफ है वाकिदी ने 50 हि. और इब्ने साद ने 52 हि. लिखा है ये भी मदीने के मश्हूर कब्रिस्तान जन्नतुल बकीअ में मदफून हैं।..✍🏻

         *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 497 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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                  ❝ हज़रते सफ़िय्या ❞
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╭┈► *तबसिरा :* हुज़ूरे अकरम ﷺ ने इन से महज इस बिना पर खुद निकाह फरमा लिया ताकि इन के खानदानी ए'ज़ाज व इकराम मे कोई कमी न होने पाए तुम गौर से देखोगे तो हुज़ूरे अकदस ﷺ ने जियादा तर जिन औरतो से निकाह फ़रमाया वह किसी न किसी दीनी मस्लिहत ही की बिना पर हुवा कुछ औरतो की बे कसी पर रहम फ़रमा कर और कुछ औरतो के खानदानी एजाज व इकराम को बचाने के लिये कुछ औरतो से इस बिना पर निकाह फरमा लिया कि वोह रंजो गम के सदमों से निढ़ाल थीं लिहाज़ा हुज़ूर ﷺ ने इन के ज़ख्मी दिलो पर मरहम रखने के लिये इन को एजाज बख्श दिया कि अपनी अज़वाजे मुतह्हरात में इन को शामिल कर लिया।..✍🏻

        *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 498 📚*

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      📮  पोस्ट मुक़म्मल हुआ अल्हम्दुलिल्लाह     
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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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              ❝  हज़रते सफ़िय्या 
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╭┈► हुज़ूर ﷺ का इतनी औरतो से निकाह फरमाना हरगिज हरगिज अपनी ख्वाहिशे नफ्सानी की बिना पर नही था इस का सबसे बड़ा षुबुत ये है कि हुज़ूर ﷺ की बीबियो मे हज़रते आइशा के सिवा कोई भी कंवारी नही थी बल्कि सब उम्र दराज और बेवा थी हालांकि अगर हुज़ूर ﷺ ख्वाहिश फरमाते तो कौन सी एसी कंवारी लड़की थी जो हुज़ूर ﷺ से निकाह करने की तमन्ना न करती मगर दरबारे नुबुव्वत का तो ये मुअामला है कि शहनशाहे दो आलम ﷺ का कोई कौल फेल कोई इशारा भी एसा नही हुवा जो दुन्या और दीन की भलाई के लिये न हो आप ﷺ ने जो कहा और जो किया सब दीन ही के लिये किया बल्कि आप ﷺ ने जो किया और कहा सब दीन ही है बल्कि आप ﷺ की जाते अकरम ही मुजस्समे दीन है।

╭┈► ये हुज़ूरे अकरम शहनशाहे कौनैन ﷺ की वोह ग्यारह अज़वाजे मुत़ह्हरात हैं जिन पर तमाम मुअर्रिखीन का इत्तिफाक है इन का मुख्तसर तज़किरा तुम ने पड़ लिया अगर मुफस्सल हाल पढ़ना हो तो हज़रते अब्दुल मुस्तफा आ'ज़मी की किताब सीरते मुस्तफा पढ़ हिये।..✍🏻

        *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 498 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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                ❝  हज़रते ज़ैनब  ❞
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╭┈► अब हम हुज़ूर सुल्ताने दो आलम ﷺ की उन चार शहजादियों का मुख्तसर तज़किरा लिखते हैं जो सालिहात और नेक बीबियों की लडी में आबदार मोतियों की तरह चमक रही है

╭┈► ये रसूलुल्लाह ﷺ की सब से बड़ी शहजादी हैं जो एलाने नुबुव्वत से दस साल कब्ल मक्कए मुकर्रमा मे पैदा हुई ये इब्तिदाए इस्लाम ही में मुसलमान हो गई थी और जंगे बद्र के बाद हुज़ूर ﷺ ने इन को मक्का से मदीना बुला लिया था मक्का मे काफिरों ने इन पर जो जुल्मो सितम के पहाड़ तोड़े इन का तो पूछना ही क्या हद हो गई कि जब ये हिजरत के इरादे से ऊँट पर सुवार हो कर मक्का से बाहर निकलीं तो काफिरो ने इन का रास्ता रोक लिया और एक बद नसीब काफिर जो बड़ा ही जालिम था "हबार बिन अल अस्वद" उस ने नेज़ा मार कर आपको ऊँट से जमीन पर गिरा दिया जिसके सदमे से इन का हम्ल साकित हो गया ये देख कर इन के देवर "किनाना" को जो अगर्चे काफिर था एक दम तैश आ गया और उस ने जंग के लिये तीर कमान उठा लिया ये माजरा देख कर "अबू सुफ्यान" ने दरमियान में पड़ कर रास्ता साफ करा दिया और ये मदीन-ए-मुनव्वरा पहुंच गई।..✍🏻

        *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 499 📚*

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🅿🄾🅂🅃 ➪ 35

   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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                 ❝ हज़रते ज़ैनब ❞
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╭┈► हुज़ूरे अकरम ﷺ के कल्ब को इस वाकिए से बड़ी चोट लगी चुनान्चे आप ﷺ ने इन के फज़ाइल में ये इरशाद फरमाया कि येह मेरी बेटियों में इस एतिबार से बहुत फजीलत वाली है कि मेरी तरफ हिज़रत करने में इतनी बड़ी मुसीबत उठाई।

╭┈► फिर  इसके बाद इन के शोहर हज़रते अबुल आस भी मक्का से हिजरत कर के मदीना आ गए और दोनो एक साथ रहने लगे इन की अवलाद में एक लड़का जिसका का नाम "अली" था और एक लड़की जिसका का नाम "उमामा" था जिन्दा रहे इब्ने असाकिर का कौल है कि "अली" जंगे यरमूक में शहीद हो गए हज़रते उमामा से हुज़ूर ﷺ को बेहद महब्बत थी बादशाहे ह़ब्शा ने तोहफे में एक जोड़ा और एक कीमती अंगूठी दरबारे नुबुव्वत में भेजी तो आप ﷺ ने ये अंगूठी हज़रते उमामा को अता फरमाई!..✍🏻

     *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 499 📚*
               
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 36

   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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                 ❝  हज़रते ज़ैनब 
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  ╭┈► इस तरह किसी ने एक मरतबा बहुत ही बेश कीमत और इन्तिहाई खूब सूरत एक हार नज्र किया तो सब बीबिया ये समझती थी कि हुज़ूर ﷺ ये हार हज़रते आइशा के गले में डालेंगे मगर आप ﷺ ने ये फरमाया कि मैं ये हार उस को पहनाऊंगा जो मेरे घर वालों में मुझ को सबसे जियादा प्यारी है ये फरमा कर आप ने ये कीमती हार अपनी नवासी "हज़रते उमामा" के गले में डाल दिया 8हि. में हज़रते ज़ैनब का इन्तिकाल हो गया और हुज़ूर ﷺ ने तबर्रुक के तौर पर अपना तहबन्द शरीफ इन के कफन में दे दिया और नमाज़े जनाज़ा पढ़ा कर खुद अपने मुबारक हाथों से इन को कब्र में उतारा इन की कब्र शरीफ भी जन्नतुल बकीअ (मदीनए मुनव्वरा) में है।..✍🏻

        *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 500 📚*

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         📮  नेस्ट  पोस्ट  कंटिन्यू ان شاء الله
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 37

   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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                ❝  हज़रते ज़ैनब 
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  ╭┈► *तबसिरा :* हुज़ूर नबी-ए-करीम ﷺ की साहिबज़ादी को इस्लाम लाने की बिना पर काफिरों ने जिस कदर सताया और दुख दिया इस से मुसलमान बीबियों को सबक लेना चाहिये कि काफिरों और जालिमों के जुल्म पर सब्र करना हमारे रसूल ﷺ और रसूल ﷺ के घर वालों की सुन्नत है और खुदा की राह में दीन के लिये तक़लीफ उठाना और बरदाश्त करना बहुत बड़े अज्रो सवाब का काम है।..✍🏻

        *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 500 📚*
                   
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🅿🄾🅂🅃 ➪ 38

   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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         ❝ हज़रते रूकैय्य हिस्सा - 01 
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╭┈► ये एलाने नुबुव्वत से सात बरस कब्ल जब कि हुज़ूर ﷺ की उम्र शरीफ का तैंतीसवां साल था ये मक्कए मुकर्रमा में पैदा हुई पहले इन का निकाह अबू लहब के बेटे "उतबा" से हुवा था मगर अभी रुख्सती भी नहीं हुई थी कि "सूरए तब्बत यदा" नाज़िल हुई इस गुस्से में अबू लहब के बेटे उतबा ने हज़रते रुकय्या को तलाक दे दी इस के बाद हुज़ूर ﷺ ने हज़रते उषमाने गनी से इन का निकाह कर दिया और इन दोनो मियाँ बीवी ने हब्शा की तरफ और फिर मदीना की तरफ हिजरत की और दोनो साहिबुल हिजरतैन (दो हिजरतों वाले) के मुअज़्ज़ज़ लकब से सरफराज़ हुए।..✍🏻

         *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 501 📚*

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🅿🄾🅂🅃 ➪ 39

   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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         ❝  हज़रते रूकैय्य हिस्सा - 02 
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╭┈► जंगे बद्र के दिनों में हज़रते रुकय्या जियादा बीमार थीं चुनान्चे हुज़ूर ﷺ ने हज़रते उषमान को इन की तीमारदारी के लिये मदीने में रहने के लिये दे दिया और जंगे बद्र मे जाने से रोक दिया हज़रते जै़द बिन हारिषा जिस दिन जंगे बद्र में फत्हे मुबीन की खुश खबरी ले कर मदीना पहुंचे उसी दिन बीबी रुकय्या ने बिस बरस की उम्र पा कर मदीने में इन्तिकाल किया हुज़ूर ﷺ जंगे बद्र की वजह से इन के जनाज़े में शरीक न हो सके हज़रते उषमाने गनी अगर्चे जंगे बद्र में शरीक नहीं हुए मगर हुज़ूर ﷺ ने इन को जंगे बद्र के मुजाहिदीन में शुमार फरमाया और मुजाहिदीन के बराबर माले गनीमत में से हिस्सा भी अता फरमाया हज़रते बीबी रुकय्या के शिकमे मुबारक से एक फरज़न्द पैदा हुए थे जिन का नाम "अब्दुल्लाह" था मगर वोह अपनी वालिदा की वफात के बाद 4हि. में वफात पा गए बीबी रुकय्या की कब्र भी जन्नतुल बकीअ में है।..✍🏻

        *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 501 📚*

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🅿🄾🅂🅃 ➪ 40

   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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         ❝  हज़रते उम्मे कुलसूम हिस्सा - 01 
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╭┈►  ये भी पहले अबू लहब के दुसरे बेटे "उतैबा" से बियाही गई थीं मगर "सूरए तब्बत यदा" में अबू लहब की बुराई सुन कर "उतैबा" इस कदर तैश में आ गया कि उस ने गुस्ताखी करते हुए हुज़ूर ﷺ पर झपट कर आप के पैराहन शरीफ को फाड़ डाला और हज़रते उम्मे कुलषूम को तलाक दे दी हुज़ूर रहमते आलम ﷺ के कल्बे नाजु़क पर इस गुस्ताखी और बे अदबी से इन्तिहाई सदमा गुज़रा और जोशे गम से आप ﷺ की ज़बाने मुबारक से बे इख्तियार ये अल्फाज़ निकल गए कि या अल्लाह ﷻ अपने कुत्तो में से किसी कुत्ते को इस पर मुसल्लत फरमा दे!..✍🏻

         *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 502 📚*

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🅿🄾🅂🅃 ➪  41

   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ हज़रते उम्मे कुलसूम हिस्सा -02 
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╭┈►इस दुआए नब्वी का ये असर जाहिर हुवा कि मुल्के शाम के रास्ते में ये काफिले के बिच में सोया था और अबु लहब काफिले वालो के साथ पहरा दे रहा था मगर अचानक एक शेर आया और उतैबा के सर को चबा गया और वोह मर गया हज़रते बीबी रुकय्या की वफात के बाद हुज़ूर ﷺ ने 3 हि. में हज़रते उम्मे कुलसूम का निकाह हज़रते उस्माने गनी के साथ कर दिया मगर इन के शिकमे मुबारक से कोई अवलाद नही हुई 9 हि. में हज़रते उम्मे कुलषूम की वफात हुई हुज़ूर ﷺ ने इन की नमाज़े जनाज़ा पढ़ाई और मदीनए मुनव्वरा के कब्रिस्तान जन्नतुल बकीअ में इन को दफ्न फरमाया!..✍🏻

         *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 502 📚*

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🅿🄾🅂🅃 ➪  42

   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ हज़रते फातिमा हिस्सा - 0 1 
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╭┈► ये हुज़ूर शहनशाहे कौनैन ﷺ की सब से छोटी मगर सब से ज़ियादा चहीती और लाडली शहजादी हैं इन का नाम फातिमा और लकब ज़हरा व बतूल है "अल्लाहु अकबर" इन के फज़ाइल और मनाकिब और इन के दर्जात व मरातिब का क्या कहना हदीषों में ब कसरत इन के फज़ाइल और बुजु़र्गियों का ज़िक्र है 2 हि. मे हज़रते अली शेरे खुदा से इन का निकाह हुवा और इन के शिकमे मुबारक से तीन साहिब ज़ादगान हज़रते इमामे हसन व हज़रते इमामे हुसैन व हज़रते मोहसिन और तीन साहिब ज़ादियां हज़रते जै़नब, हज़रते उम्मे कुलसूम व हज़रते रुकय्या पैदा हुएं!...✍🏻

         *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 502 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ हज़रते फातिमा हिस्सा - 0 2
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╭┈►हज़रते मोहसिन व हज़रते रुकय्या तो बचपन ही में वफात पा गए हज़रते उम्मे कुलषूम की शादी अमीरुल मोअमिनीन हज़रते उमर से हुई जिन के शिकमे मुबारक से एक फरज़न्द हज़रते जैद और एक साहिबजा़दी हज़रते रुकय्या की पैदाइश हुई और हज़रते जै़नब की शादी हज़रते अब्दुल्लाह बिन जाफर से हुई जिन के फरज़न्द औन व मुहम्मद करबला में शहीद हुए हुज़ूरे अकरम ﷺ के छह महीने बाद 3 रमज़ान 11 हि. मंगल की रात में आप की वफात हुई और जन्नतुल बकीअ में मदफून हुई।[इन का जिक्र मुफस्सल "हक्कानी तकरीरें" में लिखा है!...✍🏻

         *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 503 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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❝ हज़रते सफिय्या बिन्ते अब्दुल मुत्तलिब हिस्सा-01
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╭┈►आप हमारे रसूले अकरम ﷺ की फूफी और जन्नती सहाबी हज़रते जु़बैर बिन अल अव्वाम की वालिदा है ये बहुत शेर दिल और बहादुर खातून है जंगे खन्दक के मौकअ पर तमाम मुजाहिदीने इस्लाम कुफ्फार के मुकाबले में सफबन्दी कर के खड़े थे और एक महफूज़ मकाम पर सब औरतों बच्चो को एक पुराने कल्ए में जम्अ कर दिया था अचानक एक यहूदी तलवार ले कर कल्ए की दीवार फांदते हुए औरतो की तरफ बड़ा इस मौकअ पर हज़रते सफिय्या अकेली उस यहूदी पर झपट कर पहुँची!..✍🏻

          *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 503 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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 ❝हज़रते सफिय्या बिन्ते अब्दुल मुत्तलिब हिस्सा-02 ❞
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╭┈► और खैमे की एक चोब उखाड़ कर इस जोर से उस यहूदी के सर पर मारी कि उस का सर फट गया और वह तलवार लिये हुए चकरा कर गीरा और मर गया फिर उसी की तलवार से उस का सर काट कर बाहर फैंक दिया ये देख कर जितने यहूदी औरतों पर हम्ला करने के लिये कल्ए के बाहर खड़े थे भाग निकले इसी तरह जंगे उुद में जब मुसलमानों का लश्कर बिखर गया ये अकेली कुफ्फार पर नेजा़ चलाती रही यहां तक कि हुज़ूर ﷺ को इन की बे पनाह बहादुरी पर सख्त तअ़ज्जुब हुवा और आप ﷺ ने इन के फरज़न्द हज़रते जु़बैर से फरमाया कि एे जु़बैर अपनी माँ और मेरी फूफी की बहादुरी तो देखो कि बड़े बड़े बहादुर भाग गए मगर चट्टान की  तरह कुफ्फार  के नर्गे में  डटी  हुई  अकेली  लड़ रहीं हैं!..✍🏻

         *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 503 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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 ❝ हज़रते सफिय्या बिन्ते अब्दुल मुत्तलिब हिस्सा-03
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╭┈► इसी तरह जब जंगे उहुद में हुज़ूर ﷺ के चचा हज़रते सय्यिदुश्शुहदा हम्ज़ा शहीद हो गए और काफिरों ने इन के कान नाक काट कर और आँखें निकाल कर शिकम चाक कर दिया तो हुज़ूर ﷺ ने हज़रते ज़ुबैर को मन्अ कर दिया कि मेरी फूफी हज़रते सफिय्या को मेरे चचा की लाश पर मत आने देना वरना वह अपने भाई की लाश का ये हाल देख कर रंजो गम में डूब जाएँगी मगर हज़रते सफिय्या फिर भी लाश के पास पहुंच गई और हुज़ूर ﷺ से इजाज़त ले कर लाश को देखा तोإِنَّا لِلّهِ وَإِنَّـا إِلَيْهِ رَاجِعونَपढ़ा और कहा कि मेैं खुदा की राह में इस को कोई बड़ी कुरबानी नही समझती फिर मगफिरत की दुआ़ मांगते हुए वहाँ से चली आई 20 हि. में तिहत्तर बरस की उम्र पा कर मदीने में वफात पाई और जन्नतुल बकीअ़ में मदफून हुई।..✍🏻

         *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 504 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ एक अन्सारिया औरत हिस्सा - 01 
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╭┈► मदीने की एक औरत जो अन्सार के कबीले की थीं इनको ये गलत खबर पहुँची कि रसूलुल्लाह ﷺ जंगे उहुद में शहीद हो गए हैं तो ये बे करार हो कर घर से निकल पड़ीं और मैदाने जंग में पहुंच गई वहाँ लोगो ने इन को बताया कि ऐ औरत तेरे बाप और भाई और शोहर तीनों इस जंग में शहीद हो गए ये सुन कर इस ने कहा कि मुझे ये बताओ मेरे प्यारे नबी ﷺ का क्या हाल है जब लोगो ने बताया कि हुज़ूर ﷺ अगर्चे ज़ख्मी हो गए हैं मगर कि ज़िन्दा और सही सलामत हैं। तो बे इख्तियार इस की ज़बान से इस शेर का मज़मून निकल पड़ा कि!...✍🏻

*तसल्ली है पनाहे बे कसां ज़िन्दा सलामत है*
   कोई परवा नहीं सारा जहाँ ज़िन्दा सलामत है

       *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 504 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ एक अन्सारिया औरत हिस्सा - 02 
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╭┈►(अल्लाहु अक्बर) एेसी शेर दिल और बहादुर औरत का क्या कहना बाप और शोहर और भाई तीनों के क़त्ल हो जाने से सदमात के तीन तीन पहाड़ दिल पर गिर पड़े हैं मगर मह़ब्बते रसूल ﷺ के नशे में इस की मस्ती का ये आलम है कि जबाने हाल से ये नारा इस की जबान पर जारी है कि

   *मैं भी और बाप भी शोहर भी बरादर भी फ़िदा*
      शहे   दीं   तेरे   होते   हुए   क्या   चीज़   है   हम

       *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 505 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ हज़रते उम्मे अम्मारा हिस्सा -01
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╭┈►ये जंगे उहुद में अपने शोहर हज़रते ज़ैद बिन अासिम और अपने दो बेटों हज़रते अम्मारा और हज़रते अब्दुल्लाह को साथ लेकर मैदाने जंग में कूद पड़ी और जब कुफ्फार ने हुज़ूर ﷺ पर हम्ला कर दिया तो ये एक खन्जर ले कर कुफ्फार के मुकाबले में खड़ी हो गई और कुफ्फार के तीर व तलवार के हर एक वार को रोकती रही यहाँ तक कि जब इब्ने कमीअह मलऊन ने रहमते आलम ﷺ पर तलवार चला दी तो सय्यिदा उम्मे अम्मारा ने उस तलवार को अपनी पीठ पर रोक लिया चुनान्चे इन के कंधे पर इतना गहरा ज़खम लगा के गार पड़ गया फिर खुद बढ़ कर इब्ने कमीअह के कंधे पर इस जो़र से तलवार मारी कि वह दो टुकड़े हो जाता मगर वह मलऊन दोहरी जिरह पहने हुए था इस लिये बच गया इस जंग में बीबी उम्मे अम्मारा के सर व गरदन पर तेरह ज़ख्म लगे थे!..✍🏻

       *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 505 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝हज़रते उम्मे अम्मारा हिस्सा -02 ❞
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╭┈► हज़रते बीबी उम्मे अम्मारा के फरज़न्द हज़रते अब्दुल्लाह का बयान है कि मुझे एक काफिर ने जंगे उहुद में ज़ख्मी कर दिया और मेरे ज़ख्म से खून बन्द नहीं होता था मेरी वालिदा हज़रते उम्मे अम्मारा ने फौरन अपना कपड़ा फाड़ कर ज़ख्म को बान्ध दिया और कहा कि बेटा उठो खड़े हो जाओ और फिर जिहाद में मश्गूल हो जाओ इत्तिफाक से वही काफिर सामने आ गया तो हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया कि ऐ उम्मे अम्मारा देख तेरे बेटे को ज़ख्मी करने वाला ये है ये सुनते ही हज़रते उम्मे अम्मारा ने झपट कर उस काफिर की टांग में तलवार का ऐसा भरपूर वार किया कि वह काफिर गिर पड़ा और फिर चल ना सका!..✍🏻

     *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 506 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ हज़रते उम्मे अम्मारा हिस्सा -03 ❞
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╭┈► बल्कि सुरीन के बल घिसटता हुवा भागा ये मन्ज़र देख कर रसूलुल्लाह ﷺ हंस पड़े और फ़रमाया कि ऐ उम्मे अम्मारा तू खुदा का शुक्र अदा कर कि उस ने तुझ को इतनी ताकत और हिम्मत अता फरमाई है तू ने खुदा ﷻ की राह मे जिहाद किया हज़रते उम्मे अम्मारा ने कहा कि या रसूलुल्लाह ﷺ आप दुआ फरमाइये कि "अल्लाह तआ़ला" हम लोगो को जन्नत मे आप की खिदमत गुजा़री का शरफ अता़ फरमाए उस वक़्त आप ﷺ ने इन के लिये और इन के शोहर और इन के बेटों के लिये इस तरह दुआ फरमाई कि "या अल्लाह इन सब को जन्नत में मेरा रफीक बना दे" हज़रते बीबी उम्मे अम्मारा ज़िन्दगी भर अलानिया ये कहती रही कि रसूलुल्लाह ﷺ की इस दुआ के बाद दुन्या में बड़ी से बड़ी मुसीबत भी मुझ पर आजाए तो मुझ को इस की कोई परवाह नही है।..✍🏻

         *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 507 📚*

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     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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                ❝ तबसीरा हिस्सा - 01 
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╭┈►इस पोस्ट को समझने के लिये आपको पिछली आठ पोस्ट पड़नी होगी

╭┈► हज़रते बीबी सफिय्या और अन्सारिया औरत और हज़रते बीबी उम्मे अम्मारा के तीनों वाकिआत को पढ़ कर गौर करो कि मादरे इस्लाम की आगोश में कैसी कैसी शेर दिल और बहादुर औरतों ने जन्म लिया है इन बहादुर खवातीने इस्लाम के कारनामों को गर्दिशे लैलो नहार कियामत तक कभी नहीं मिटा सकती इन के सीनों में पथ्थर की चट्टानों से जियादा मजबूत दिल था जिस में इस्लाम की हरारत का जोश और महब्बते रसूल ﷺ की ऐसी मस्ती भरी हुई थी कि कुफ्फार के लश्करों का दल बादल इन की नज़रो में मख्खियों और मच्छरों का झुंड नज़र आता था और इन के दिलों में सब्रो इस्तिकामत का ऐसा समुन्दर लहरें मार रहा था कि इस के तूफान में बड़ी बड़ी मुसीबतों के पहाड़ पाश पाश हो जाया करते थे!..✍🏻

       *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 502 📚*

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                ❝  तबसीरा हिस्सा - 02 
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╭┈►मगर अफ्सोस आज कल की मुसलमान औरतो के दिलों में महब्बते रसूल ﷺ का चराग इस तरह बुझ गया है कि इस्लाम का जोशे ईमान का जज़्बा,महब्बते रसूल ﷺ की मस्ती,जिहाद का नशा, सब कुछ गारत हो गया और दुन्या की मोहब्बत और ज़िन्दगी की हवस ने बदन के रौंगटे रौंगटे में खौफ व हिरास और बुज़दिली की ऐसी आंधी चला दी है कि कुफ्फार के मुकाबलें में हर मुसलमान औरत रोने और गिड़ गिड़ाने के सिवा कुछ कर ही नही सकती ऐ मुसलमान औरत ! तुम उन जांबाज़ और सरफरोश जिहाद करने वाली औरतो के जज़्बए ईमानी और जोशे इस्लामी से सबक सीखों तुम भी मुसलमान औरत हों अगर कुफ्फार का मुकाबला हो तो अपनी जान पर खेल कर और सर हथेली पर रख कर कुफ्फार से लड़ते हुए जामे शहादत पी लो और जन्नतुल फिरदौस में पहुंच जाओ!..✍🏻

     *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 502 📚*

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              ❝ तबसीरा हिस्सा - 03 
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╭┈► खबरदार खबरदार कुफ्फार के आगे रोते गिड़ गिड़ाते हुए और रहम की भीक मांगते हुए बुज़दिली की मौत हरगिज़ न मरो और याद रखो कि वक़्त से पहले हरगिज़ मौत नही आ सकती लिहाजा़ डर,खौफ व हिरास और बुज़दिली से मौत नहीं टल सकती इस लिये बहादुर बनो, शेर दिल बनो और बीबी सफिया और बीबी उम्मे अम्मारा और बीबी अन्सारिया की मुजाहिदाना सर फरोशियों का किरदार पेश करो।

╭┈► *गुजारिश :*  मेरी यह गुजारिश उन बहनों से है जो musicalsऔर Tik.tokपर विडियो बनाकर डालती है और उन भाई यों से जो musicalsऔर Tik.tok जैसे एप्स इस्तेमाल करते है और इस्लाम कि शहजादियों को नुमाइश को आम करते है आप लोगो से यह तो नही कहा जा रहा है कि लड़ाई लड़ने चलो हम तो सिर्फ यह कह रहे है कि सही माएने में कनिज़े फातिमा जोहरा रदियल्लाहु तआला अन्हा बन जहो तुम इस्लाम की शहजादिया हो तुम कोई नुमाइश के लिए नही हो और एक बात और बताता दू कि जिस शख्स ने विडियो बनाई और जिस जिस ने देखी या शेयर कि या दिखाई तो उतना ही गुनाह उस शख्स पर होगा जिसने विडियो बनाई या दिखाई या शेयर कि उसके गुनाह में कुछ कमी नही कि जाहेगी आप से गुजारिश है कि आप musicals और Tik.tok इसतिमाल मत कि जिये।..✍🏻

       *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 502 📚*

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🅿🄾🅂🅃 ➪  55

   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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          ❝ हज़रते बीवी सुमय्या हिस्सा - 0 1
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╭┈► आप हज़रते अम्मार बिन यासिर सहाबी की वालिदा है इस्लाम लाने की वजह से मक्का के काफिरों ने इन को बहुत जियादा सताया एक मरतबा अबू जहल ने नेज़ा तान कर इन से धमका कर कहा कि तू कलिमा न पढ़ वरना मैं तुझे ये नेजा़ मार दुंगा हज़रते बीवी सुमय्या ने सीना तान कर जो़र जो़र से कलिमा पढ़ना शुरूअ किया अबू जहल ने गुस्से में भर कर इन की नाफ के नीचे इस जो़र से नेज़ा मारा की वोह खून में लत पत हो कर गिर पड़ी और शहीद हो गई।...✍🏻

                إِنَّا لِلّهِ وَإِنَّـا إِلَيْهِ رَاجِعونَ
    
        *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 502 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ हज़रते बीवी सुमय्या हिस्सा - 02 
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╭┈► तबसिरा : ये एक जांबाज़ मुसलमान औरत का पहला खून था जिस से खुदा ﷻ की ज़मीन रंगीन हो गई मगर इस खून की गर्मी ने हज़ारों मुसलमान मर्दो और औरतों में जोशे जिहाद का ऐसा जज़्बा पैदा कर दिया कि बद्र व उहुद और हुनैन का मैदान कुफ्फार का कब्रिस्तान बन गया और मक्का व खैबर में कुफ्रो शिर्क के जंगलात कट गए और हर तरफ इस्लाम का बाग फलने फूलने लगा।...✍🏻

        *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 502 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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           ❝ हज़रते बीवी लुबैना हिस्सा - 01 
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╭┈►आप एक लौंडी थी इब्तिदाए इस्लाम ही में इस्लाम की हक्कानिय्यत का नूर इन के दिल में चमक उठा और ये इस्लाम के दामन में आ गईं कुफ्फारे मक्का ने इन को एेसी ऐसी दर्दनाक तक्लिफें दीं कि अगर पहाड़ भी इन की जगह पर होता तो शायद लरज़ जाता मगर इस पैकरे ईमान के कदम नहीं डगमगाए खुद हज़रते उमर जब तक दामने इस्लाम में नही आए थे इस लौंडी को इतना मारते थे कि मारते मारते खुद थक जाते थे मगर हज़रते लुबैना उफ़ नहीं करती थी बल्कि निहायत ही जुरअत व इस्तिकलाल के साथ कहती थीं कि ऐ उ़मर तुम जितना चाहो मुझ गरीब को मार लो अगर खुदा ﷻ के सच्चे रसूल ﷺ पर तुम ईमान नहीं लाओगे तो खुदा ﷻ ज़रूर तुम से इनतिकाम लेगा।..✍🏻

       *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 508 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ हज़रते बीवी लुबैना हिस्सा - 02 
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╭┈►  *तबसीरा :* हज़रते लुबैना की इस ईमानी तकरीर की जहांगीरी तो देखो कि अभी हज़रते लुबैना के जंख्म नहीं भरे थे कि इस्लाम की हक्कानिय्यत ने हज़रते उ़मर को इस तरह दबोच लिया कि वोह बे इख्तियार दामने इस्लाम में आ गए और ज़िन्दगी भर अपने किये पर पछताते रहे और हज़रते लुबैना जैसी गरीब व मज़लूम लौंडी़ के सामने शर्म से सर नहीं उठा सकते थे और इन कमजोरों और गरीबों से मआफी मांगा करते थे यहां तक कि हज़रते बिलाल जिन को येह गर्म गर्म जलती हुई रैत पर लिटा कर इन के सीने पर वज़्नी पथ्थर रखा हुवा देख कर हकारत से ठोकर मार कर गुज़रते थे थोंड़े दिन नहीं गुज़रे कि अमीरुल मोअमिनीन होते हुए अपने तख्ते शाही पर बैठ कर ये कहा करते थे कि सय्यिदुना व मौलाना बिलाल यानी बिलाल तो हमारे आका ﷺ के हैं और बिलाल की सूरत को कमाले अदब और मोहब्बत के साथ देख कर ज़बाने हाल से भरे मज़मओं मे येह कहा करते थे कि।...✍🏻

    [बद्र अच्छा है फलक पर न हिलाल अच्छा है]

    [चश्मे बीना हो तो दोंनो से बिलाल अच्छा अच्छा है]

       *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 509 📚*

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🅿🄾🅂🅃 ➪  59

   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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            ❝ हज़रते बीवी नहदिया 
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╭┈►ये भी लौंडी थीं मगर इस्लाम लाने पर इन के साथ कैसे कैसे जालिमाना सुलूक किये इस की तस्विर खींचने से कलम का सीना शक हो जाता है और हाथ कांपने लगते है लेकिन ये "अल्लाह" वाली बड़ी बड़ी मारधाड़ को बरदाश्त करती रही और मुसीबतें झेलती रहीं मगर इस्लाम से बाल भर भी इस के कदम कभी नहीं डगमगाए यहाँ तक कि वह दिन आ गया कि इस्लाम को ढाने वाले खुद इस्लाम के मे'मार बन गए और इस्लाम के खून के प्यासे अपने खूनों से इस्लाम के बाग को सींच सींच कर सुर्खरू बनने लगे।..✍🏻

  *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 509-510 📚*

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🅿🄾🅂🅃 ➪  60

   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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             ❝  हज़रते बीवी उम्मे उबैस 
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╭┈►हज़रते बीबी नहदिया की तरह ये भी लौंडी थी और इन को भी काफिरों ने बहुत सताया बेहद ज़ुल्मो सितम किया लोहा गर्म कर के इन के बदन के नाज़ुक हिस्सों पर दाग लगाया करते थे कभी पानी में इस कदर डुबकियाँ दिया करते थे कि इन का दम घुटने लगता था मार पीट का तो पूछना ही क्या वह तो उन काफिरों का रोज़ाना का मह़बूब मश्गला था अाखिर प्यारे रसूल मुस्तफा ﷺ के यारे गार सिद्दीक़े अकबर रज़ियल्लाहु तआला अन्हु जां निषार ने अपना खजा़ना खाली कर के इन मज़लूमों को खरीद खरीद कर आजा़द कर दिया तो इन मुसीबत के मारों को कुछ आराम मिला।..✍🏻

      *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 510 📚*
  
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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝  हज़रते बीवी जिन्नीरह  हिस्सा - 01 
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╭┈► ये भी हज़रते उ़मर के घराने की एक लौंडी थी इन्होंने भी जब इस्लाम कबूल कर लिया तो सारा घर इन की जान का दुश्मन हो गया और उन काफिरो ने इतना मारा कि इन की आँखो की बीनाई जाती रही तो काफिर इन को ये ताना देने लगे कि तूने हमारे देवताओं को छोड़ दिया तो तेरी आँखें फूट गई अब कहा है तेरा एक खुदा तू क्यूँ उस को नही बुलाती कि वह तेरी आँखों को रोशन कर दे ये ताना सुन कर वह निहायत जुरअ़त के साथ कहा करती थी जिस रसूल ﷺ पर ईमान लाई हूँ यकीन्न वह खुदा ﷻ के सच्चे रसूल ﷺ हैं और मेरा एक खुदा ﷻ अगर चाहेगा तो जरूर मेरी आँखें रोशन हो जाएंगी और तुम्हारे सेकड़ो देवता मेरा कुछ भी नहीं बिगाड़ सकते एक दिन रसूलुल्लाह ﷺ ने काफिरो ये ताना सुना तो फरमाया कि ऐ जिन्नीरह तू सब्र कर फिर हुज़ूर ﷺ ने फरमा दी तो इन की आँखों में एक दम रोशनी आ गई ये मो'जिजा़ देख कर कुफ्फार कहने लगे कि ये तो मुहम्मद "ﷺ" का जादू है वह रसूल ﷺ नही है बल्कि वोह तो अरब के सब से बड़े जादूगर हैं" مَعَاذَاللّٰہ" हज़रते अबू बक्र सिद्दिक रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने इन को खरीद कर आज़ाद कर दिया।..✍🏻

        *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 510 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ हज़रते बीवी जिन्नीरह  हिस्सा - 02 
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╭┈► *तबसिरा :*  ऐ मुसलमान मांओं बहनो तुम्हें खुदा ﷻ का वास्ता दे कर कहता हूं कि हज़रते लुबैना व हज़रते नहदिया व हज़रते उम्मे उबैस व हज़रते जिन्नीरह वगैरा की जान सोज व दिल दोज़ हिकायतो को बगौर और बार बार पढ़ो और सोचो की इन अल्लाह वालियों ने इस्लाम के लिये कैसी कैसी मुसीबते उठाई मगर एक सेकन्ड के लिये भी इस्लाम से इन के कदम नहीं डगमगाए एक तुम हो कि ज़रा कोई तक्लीफ पहुंची तो तुम घबरा कर अपने होश व हवास खो बैठती हो और खुदा ﷻ व रसूल ﷺ की शान में नाशुक्री के अल्फाज़ बोलने लगती हो और ज़रा काफिरो ने धोंस दी तो तुम काफिरों की बोलियां बोलने लगती हो खुदा के लिये ऐ मुसलमान मर्दो और ऐ मुसलमान औरतो तुम उन अल्लाह की मुकद्दस बन्दियों का किरदार पेश करो कि अपने ईमान व इस्लाम पर इतनी मजबूती के साथ काइम रहो कि तुम्हे देख कर काफिरो की दुन्या पुकार उठे कि।...✍🏻

*बिनाए आसमान भी इस सितम पर डग मगाएगी*

*मगर मोमिन के कदमों मे कभी लगजिश न आएगी*

        *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 511 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝  हज़रते हलीमा सादिया हिस्सा - 01 
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╭┈►आप वो मुकद्दस और खुश नसीब औरत है कि इन्हों ने हमारे रसूलुल्लाह ﷺ को दूध पिलाया है जब रसूल ﷺ ने मक्का फत्ह हो जाने के बाद ताइफ के शहर पर जिहाद फ़रमाया उस वक़्त हज़रते हलीमा सादिया अपने शोहर और बेटे को लेकर बारगाहे रिसालत ﷺ में हाजिर हुई तो रसूलुल्लाह ﷺ ने इन के लिये अपनी चादर मुबारक को ज़मीन पर बिछा कर इन को इस पर बिठाया और इन्आम व इकराम से भी नवाज़ा और ये सब कलिमा पढ़ कर मुसलमान हो गए हज़रते बीबी हलीमा की कब्रे अन्वर मदीनए मुनव्वरा में जन्नतुल बकीअ के अन्दर है।..✍🏻

     *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 512 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ हज़रते हलीमा सादिया हिस्सा - 02 
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                    *⇩  तबसिरा  ⇩*

⚘❆➮ अल्लामा अब्दुल मुस्तफा आज़मी कहते है कि 1959 ई° में जब मे मदीनए तय्यिबा हाज़िर हुवा और जन्नतुल बकीअ के मज़ाराते मुकद्दसा की जियारतों के लिये गया तो देख कर कल्बो दिमाग पर रंजो गम और सदमात के पहाड़ टूट पड़े कि जा़लिम नजदी वहाबियो ने तमाम मज़ारात को तोड़ फोड़ कर और कुब्बो को गिरा कर फेंक दिया है सिर्फ टूटी फूटी कब्रो पर चन्द पथ्थरो के टुकड़े पड़े हुए है और सफाई सुथराई का भी कोई एहतिमाम नही है बहर हाल सब मुकद्दस कब्रो की जियारत करते हुए जब मैं हज़रते बीबी हलीमा की कब्रे अनवर के सामने खड़ा हुवा तो ये देख कर हैरान रह गया कि जन्नतुल बकीअ की किसी कब्र पर मैं ने कोई घास और सब्ज़ा नही देखा लेकिन हज़रते हलीमा की कब्र शरीफ को देखा कि बहुत ही हरी और शादाब घासों से पूरी कब्र छुपी हुई है।..✍🏻


      *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 512 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ हज़रते हलीमा सादिया हिस्सा - 03 
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                          *⇩  तबसिरा  ⇩*

╭┈► मैं हैरत से देर तक ईस मन्ज़र को देखता रहा अाखिर मैं ने अपने गुज़राती साथियों से कहा कि लोगो बताओ तुम लोगो ने जन्नतुल बकीअ की किसी कब्र पर भी घास जमी हुई देखी लोगो ने कहा कि "जी नहीं" मैं ने कहा कि हज़रते बीबी हलीमा की कब्र को देखो कि कैसी हरी हरी घास से ये कब्र सर सब्ज़ो शादाब हो रही है लोगो ने कहा कि "जी हाँ बेशक" फिर मैं ने कहा कि क्या इस की कोई वजह तुम लोगो के समज़ मे आ रही है लोगो ने कहा कि जी नहीं आप ही बताइये तो मैं ने कहा कि इस वक़्त मेरे दिल मे ये बात आई है कि इन्हो ने हुज़ूर रहमतुल्लिल आलमीन ﷺ को अपना दूध पिला पिला कर सैराब किया था तो रब्बुल आलमीन ﷻ ने अपनी रहमत के पानियो से इन की कब्र पर हरी हरी घास उगा कर इन की कब्र को सर सब्ज़ो शादाब कर दिया हैं।..✍🏻

       *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 513 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ हज़रते हलीमा सादिया हिस्सा - 04 
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 हज़र                 *⇩  तबसिरा  ⇩*

╭┈► मेरी ये तकरीर सुन कर तमाम हाजिरीन पर ऐसी रिक्कत तारी हुई कि सब लोग चीख मार मार कर रोने लगे और मैं खुद भी रोते रोते निढाल हो गया फिर मेरे मुहिब्बे मुख्लिस सेठ अलहा़ज उषमान गनी छीपा रंग वाले अहमदाबादी ने इत्र की एक बड़ी सी शीशी जिस मे से दो दो तीन तीन कतरे वोह हर कब्र पर इत्र डालते थे एक दम पूरी शीशी इन्हो ने हज़रते बीबी हलीमा की कब्र पर उंडेल दी और रोते हुए कहा कि ऐ दादी हलीमा खुदा ﷻ की कसम अगर आप की कब्र अहमदाबाद मे होती तो मैं आप की कब्रे मुबारक को इत्र से धो देता फिर बड़ी देर के बाद हमारे दिलो को सुकून हुवा और मै ने पिछे मुड़ कर देखा तो लग भग पचास आदमी मेरे पीछे खड़े थे और सब की आंखें आंसूओं से तेर थी।..✍🏻


      *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 513 📚*
                  

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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        ❝ हज़रते उम्मे ऐमन हिस्सा - 01 
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╭┈► जब हमारे प्यारे रसूल ﷺ हज़रते बीबी हलीमा के घर से मक्कए मुकर्रमा पहुंच गए और अपनी वालिदए मोहतरमा के पास रहने लगे तो हज़रते उम्मे ऐमन जो आप ﷺ के वालिदे माजिद की बांदी थी आप ﷺ की खातिरदारी व खिदमत गुज़ारी में दिन रात जी जान से मसरूफ रहने लगी येही आप ﷺ को खाना खिलाती थी कपड़े पहनाती थी कपड़े धोती थी जब आप ﷺ बड़े हुए तो आप ﷺ ने अपने आज़ाद कर्दा गुलाम और मुंह बोले बेटे हज़रते जै़द बिन हारिषा से इन का निकाह कर दिया जिन से हज़रते उसामा बिन जै़द पैदा हुए हज़रते बीबी उम्मे ऐमन हुज़ूर ﷺ के विसाल के बाद काफी दिनो तक मदीने मे जिन्दा रही और हज़रते अबू बक्र सिद्दीक और हज़रते उमर फारूक रज़ियल्लाहु तआला अन्हु अपनी खिलाफतो के दौरान हज़रते बीबी उम्मे ऐमन की जियारत और मुलाकात के लिये तशरीफ ले जाया करते थे और इन की खबरगीरी फरमाते थे।..✍🏻

       *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 512 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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       ❝ हज़रते उम्मे ऐमन हिस्सा - 02 
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╭┈►   *तबसीरा :* मां बहनो गौर करो कि अमीरुल मोअमिनीन होते हुए अपनी जलालते शान के बा वुजूद हज़रते अबू बक्र सिद्दीक और हज़रते उमर फारुक एक बुढ़ीया औरत की जियारत के लिये इन के घर जाया करते थे ऐसा क्यूं और किस लिये था सिर्फ इस लिये कि हज़रते उम्मे ऐमन को हुज़ूर ﷺ से ये तअल्लुक था कि इन्हो ने बचपन मे आप ﷺ की खातिरदारी और खिदमत गुज़ारी का शरफ पाया था हज़रते अबू बक्र सिद्दीक और हज़रते उमर फारूक रज़ियल्लाहु तआला अन्हु के इस अमल से साबित हुवा कि जिन जिन हस्तियों को बल्कि जिन जिन चीजों को हुज़ूर ﷺ से तअल्लुक रहा हो उन से मुहब्बत व अकीदत और इन की ताजीमो तकरीम और इन का अदबो एहतिराम ये ईमान का निशाान और हर मुसलमान  की ईमानी शान है अल्लाह तआ़ला हर मुसलमान को इस नेक अमल की तौफिक अता़ फरमाए! *आमीन*..✍🏻

     *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 513 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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        ❝  हज़रते उम्मे सुलैम  हिस्सा - 01 
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╭┈► ये हमारे प्यारे नबी ﷺ के सब से प्यारे खादिम हज़रते अनस बिन मालिक की माँ हैं इन के पहले शोहर का नाम मालिक था बेवा हो जाने के बाद इन का निकाह हज़रते अबू तल्हा रज़ियल्लाहु तआला अन्हु सहाबी से हो गया ये रिश्ते में एक तरह से रसूलुल्लाह ﷺ की खाला होती थीं और इन के भाई हुज़ूर ﷺ के साथ एक जिहाद में शरीक हो गए थे इन सब बातों की वजह से रसूलुल्लाह ﷺ इन पर बहुत मेहरबान थे और कभी कभी इन के घर भी तशरीफ ले जाया करते थे बुखारी शरीफ वगै़रा में इन का एक बहुत ही नसीहत आमोज़ और इब्रतखेज वाकिआ़ लिखा हुवा है!..✍🏻

      *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 514 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ हज़रते उम्मे सुलैम  हिस्सा - 02 
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╭┈► और वह ये है कि हज़रते उम्मे सुलैम का एक बच्चा बीमार था जब हज़रते अबू तल्हा रज़ियल्लाहु तआला अन्हु सुब्ह को अपने काम धंदे के लिये बाहर जाने लगे तो उस बच्चे का सांस बहुत ज़ोर ज़ोर से चल रहा था अभी हज़रते अबू तल्हा रज़ियल्लाहु तआला अन्हु मकान पर नहीं आए थे कि बच्चे का इन्तिकाल हो गया हज़रते बीबी उम्मे सुलैम ने सोचा कि दिन भर के थके मादे मेरे शोहर मकान पर आएँगे और बच्चे के इन्तिकाल की खबर सुनेंगे तो न खान खाएँगे न आराम कर सकेंगे इस लिये इन्हों ने बच्चे की लाश को एक मकान मे लिटा दिया और कपड़ा ओढ़ा दिया और खुद रोजाना की तरह खाना पकाया फिर खूब अच्छी तरह बनाव सिंगार कर के बैठ कर शोहर का इन्तिज़ार करने लगी जब हज़रते अबू तल्हा रज़ियल्लाहु तआला अन्हु रात को घर मे आए तो पूछा कि बच्चे का क्या हाल है तो बीबी उम्मे सुलैम ने कह दिया कि अब इस का सांस टहर गया है हज़रते अबू तल्हा रज़ियल्लाहु तआला अन्हु मुतमइन हो गए और इन्हो ने ये समझा कि सांस का खिंचाव थम गया है फिर फौरन ही खाना सामने आ गया और इन्हो ने शिकम सैर होकर खाना खाया फिर बीवी के बनाव सिंगार को देख कर इन्हो ने बीवी से हाज़त पुरी की!..✍🏻

       *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 514 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ हज़रते उम्मे सुलैम  हिस्सा - 03 
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╭┈► जब सब कामो से फारिग हो कर बिल्कुल ही मुतमइन हो गए तो बीबी उम्मे सुलैम ने कहा कि ऐ मेरे शोहर मुझे ये मस्अला बताइयेे कि अगर हमारे पास किसी की कोई अमानत हो और वह अपनी अमानत हम से ले ले तो क्या हमको बुरा मानने या नाराज़ होने का कोई हक है हज़रते अबू तल्हा रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने फरमाया कि हरगिज़ नही  अमानत वाले को उस की अमानत खुशी खुशी दे देनी चाहिये शोहर का ये जवाब सुन कर हज़रते उम्मे सुलैम ने कहा कि ऐ मेरे सरताज आज हमारे घर मे येही मुआ़मला पेश आया कि हमारा बच्चा जो हमारे पास खुदा ﷻ की एक अमानत था आज खुदा ﷻ ने वह अमानत वापस ले ली और हमारा बच्चा मर गया ये सुन कर हज़रते अबू तल्हा रज़ियल्लाहु तआला अन्हु चोंक कर उठ बैठे और हैरान होकर बोले कि क्या मेरा बच्चा मर गया बीबी ने कहा कि जी हाँ हज़रते अबू तल्हा रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने फरमाया कि तुमने तो कहा था कि उस के सांस का खिंचाव थम गया है बीवी ने कहा कि जी हाँ मरने वाला कहाँ सांस लेता है..✍🏻

     *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 515 📚*

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         📮  नेस्ट  पोस्ट  कंटिन्यू ان شاء الله
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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ हज़रते उम्मे सुलैम  हिस्सा - 04 
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╭┈► हज़रते अबू तल्हा रज़ियल्लाहु तआला अन्हु को बेहद अफ्सोस हुवा कि हाए मेरे बच्चे की लाश घर में पड़ी रही और मेने भर पेट खाना खाया और मैंने जिस्मानी हाजत भी  पूरी कि बीवी ने अपना खयाल जाहिर कर दिया कि आप दिन भर के थके हुए घर आए थे मैं फौरन ही अगर बच्चे की मौत का हाल कह देती तो आप रंजो गम मे डूब जाते न खाना खाते न आराम करते इस लिये मैने इस खबर को छुपाया हज़रते अबू तल्हा रज़ियल्लाहु तआला अन्हु सुब्ह को मस्जिदे नबवी में नमाजे़ फज्र के लिये गए और रात का पूरा माज़रा हुज़ूर से अर्ज कर दिया आप ने हज़रते अबू तल्हा रज़ियल्लाहु तआला अन्हु के लिये ये दुआ फरमाई कि तुम्हारी रात की उस मुहब्बत में"अल्लाह तआला"खैरो बरकत अता फरमाए इस दुआए नबवी का ये असर हुवा कि उसी रात मे बीबी उम्मे सुलैम के हम्ल टहर गया और एक बच्चा पैदा हुवा जिस का नाम अब्दुल्लाह रखा गया और इन अब्दुल्लाह के बेटो मे बड़े बड़े उलमा पैदा हुए।...✍🏻

     *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 516 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ हज़रते उम्मे सुलैम  हिस्सा - 05 
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╭┈► *तबसिरा :* मुसलमान  मांओ और बहनो!  हज़रते बीबी उम्मे सुलैम से सब्र करना सीखो और शोहर को आराम पहुंचाने का तरीका और सलीका भी इस वाकिए से जे़हन नशीन करो और देखो कि बीबी उम्मे सुलैम ने कैसी अच्छी मीसाल देकर शोहर को तसल्ली दी अगर हर आदमी इस बात को अच्छी तरह समझ ले तो कभी बे सब्री न करेगा और देखो कि सब्र का फल खुदावन्दे करीम ने कितनी जल्दी हज़रते बीबी उम्मे सुलैम को दिया कि हज़रते अब्दुल्लाह एक साल पूरा होने से पहले ही पैदा हो गए और फिर इन का घर आलिमों से भर गया!..✍🏻

     *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 517 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ हज़रते उम्मे हिराम हिस्सा - 01 
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╭┈► यह हज़रते बीबी उम्मे सुलैम की बहन हैं जिन का ज़िक्र तुम ने ऊपर पढ़ा है इन के मकान पर भी कभी कभी हुज़ूर ﷺ दोपहर को कैलूला फरमाया करते थे एक दिन हुज़ूर ﷺ मुस्कुराते हुए नींद से बैदार हुए तो हज़रते बीबी उम्मे हिराम ने अर्ज़ की, कि या रसूलुल्लाह ﷺ आप के मुस्कुराने का क्या सबब है ? तो इरशाद फ़रमाया कि मैं ने अभी अभी अपनी उम्मत के कुछ मुजाहिदीन को ख्वाब में देखा है कि वोह समुन्दर में किश्तियों पर इस तरह बैठे हुए जिहाद के लिये जा रहें हैं जिस तरह बादशाह लोग अपने अपने तख्त पर बैठे रहा करते हैं हज़रते उम्मे हिराम ने कहा कि या रसूलुल्लाह ﷺ दुआ फ़रमाइये कि अल्लाह तआ़ला मुझे उन मुजाहिद्दीन में शामिल फरमाए फिर आप ﷺ सो गए और दोबारा फिर इसी तरह हंसते हुए उठे और येही ख़्वाब बयान फ़रमाया तो उम्मे हिराम ने कहा कि आप दुआ फरमाइये कि मैं उन मुजाहिदों में शामिल रहूं तो आप ﷺ ने फ़रमाया कि तुम पहले मुजाहिदीन की सफ में रहोगी!..✍🏻

       *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 517 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ हज़रते उम्मे हिराम हिस्सा - 02 
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╭┈► चुनान्चे जब हज़रते अमीरे मुआविया के दौरे हुकूमत मे बहरी बेड़ा तय्यार हुवा और मुजाहिदीन किश्तियों में सुवार होने लगे तो हज़रते बीबी उम्मे हिराम भी अपने शोहर हज़रते उबादा के साथ उन मुजाहिदीन की जमाअत में शामिल होकर जिहाद के लिये रवाना हो गई समुन्दर से पार हो जाने के बाद येह ऊंट पर सुवार होने लगीं तो ऊंट पर से गिर पड़ी और ऊंट के पाऊं से कुचल कर इन की रूह परवाज़ कर गई इस तरह येह शहादत के शरफ से सरफराज हो गई!

                 إِنَّا لِلّهِ وَإِنَّـا إِلَيْهِ رَاجِعونَ

╭┈► *तबसिरा :* मुसलमान बीबियो! हज़रते बीबी उम्मे हिराम के इस वाकिए से जिहाद का शौक और इस्लाम पर कुरबान होने का जज़्बा सीखो इन दोनों बुढ्ढ़े मियां बीवी को बुढ़ापे के बा वुजूद जिहाद का किस कदर शौक था? और शहादत की कितनी ज़ियादा तमन्ना थी अल्लाहु अक्बर! अल्लाहु अक्सर!..✍🏻

       *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 518 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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  ❝ हज़रते फातिमा बिन्ते खत्ताब हिस्सा-01
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╭┈► येह हज़रते उ़मर की बहन हैं येह और इन के शौहर हज़रते सईद बिन जैद शुरूअ ही में ही मुसलमान हो गए थे मगर येह दोनो हज़रते उ़मर के डर से अपना इस्लाम पोशीदा रखते थे हज़रते उ़मर को इन दोनो के मुसलमान होने की खबर मिली तो गुस्से मे आग बगूला होकर बहन के घर पहुंचे किवाड़ बन्द थे मगर अन्दर से क़ुरआन पढ़ने की आवाज़ आ रही थी दरवाज़ा खट खटाया तो हज़रते उ़मर की आवाज़ सुन कर सब घर वाले इधर उधर छुप गए बहन ने दरवाज़ा खोला तो हज़रते उ़मर चिल्ला कर बोले कि ऐ अपनी जान की दुश्मन क्या तू ने भी इस्लाम कबूल कर लिया है ? फिर अपने बहनोई हज़रते सईद बिन जै़द पर झपटे और इन की दाढ़ी पकड़कर ज़मीन पर पछाड़ दिया और मारने लगे!..✍🏻

        *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 518 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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  ❝ हज़रते फातिमा बिन्ते खत्ताब हिस्सा-02 
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╭┈► इन की बहन हज़रते फातिमा बिन्ते खत्ताब अपने शोहर को बचाने के लिये हज़रते उ़मर को पकड़ने लगी तो इन को हज़रते उ़मर ने एेसा तमाचा मारा कि कान के झूमर टूट कर गिर पड़े और चेहरा खून से रंगीन हो गया बहन ने निहायत जुरअत के साथ साफ साफ कह दिया कि उ़मर! सुन लो तुम से जो हो सके कर लो मगर अब हम इस्लाम से कभी हरगिज़ हरगिज़ नही फिर सकते हज़रते उ़मर ने बहन का जो लहू लुहान चेहरा देखा और इन का जोशे जज़्बात में भरा हुवा जुम्ला सुना तो एक दम इन का दिल नर्म पढ़ गया थोड़ी देर चुप खड़े रहे फिर कहा कि अच्छा तुम लोग जो पढ़ रहे थे वोह मुझे भी दिखाओ बहन ने क़ुरआन शरीफ़ के वरको को सामने रख दिया हज़रते उ़मर ने सूरए हदीद की चन्द आयतो को बगौ़र पढ़ा तो कांपने लगे और क़ुरआन की हक्कानिय्यत की ताषीर से दिल बे काबू हो कर थर्रा गया!..✍🏻

       *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 518 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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 ❝ हज़रते फातिमा बिन्ते खत्ताब हिस्सा-03
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╭┈► जब इस आयत पर पहुनचे कि *अल्लाह और उसके रसूल पर ईमान लाओ* तो फिर हज़रते उ़मर ज़ब्त न कर सके और आंखो से आंसू जारी हो गए बदन की बोटी बोटी कांप उठी और जो़र जो़र से पढ़ने लगे *अशहदु अल्लाईलाहा इल्लल्लाहु व अशहदुअन्ना मोहम्मदन अब्दुहु व रसूलुहू* फिर एक दम उठे और हज़रते जै़द बिन अरकम के मकान पर जा कर *रसूलुल्लाह ﷺ* के दामने रहमत से चिमट गए और फिर हुज़ूर और सब मुसलमानो को अपने साथ ले कर खानए काबा मे गए और अपने इस्लाम का एलान कर दिया उस दिन से मुसलमानो को खौफो हिरास से कुछ सुकून मिला और हरमे काबा मे अलानिया नमाज़ पढ़ने का मौका मिला वरना लोग पहले घरों मे छुप छुप कर नमाज़ व कुरआन पढ़ करते थे!

╭┈► *तबसिरा :* ऐ इस्लामी बहनो ! हज़रते फातिमा बिन्ते खत्ताब से ईमानी जोश और इस्लामी जुरअत का सबक सीखो!...✍🏻

       *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 519 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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             ❝ हज़रते उम्मुल फ़ज़्ल 
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╭┈►येह हमारे रसुले अकरम ﷺ की चची और हज़रते अब्दुल्लाह बिन अब्बास की वालिदा और *हुज़ूर ﷺ* के चचा हज़रते अब्बास की बीवी है़  येह हज़रते अब्बास से पहले मुसलमान हो गई थी औंर *हुज़ूर ﷺ* भी इन पर बेहद मेहरबान थे और *हुज़ूर ﷺ* ने इन को दीनो दुन्या की बड़ी बड़ी बिशारते दी थी येह हिजरत के लिये बे करार थी मगर येह हिजरत का सामान न होने से लाचार थी चुनान्चे इन के बारे मे येह आयत नाज़िल हुई की येह हिजरत का सामान न होने की वजह से हिजरत नही कर सकती हैं तो इन पर कोई गुनाह नहीं!...✍🏻

       *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 520 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ हज़रते रबीअ़ बिन्ते मुअव्विज़ हिस्सा-01
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╭┈► येह अन्सारिया सहाबिया और जंगे बद्र मे अबू जहल को कत्ल करने वाले सहाबी हज़रते मुअव्विज़ बिन अफरा की बेटी है इन्हों ने बैअतुर्रिज़वान में हुज़ूर के दस्ते मुबारक पर बैअत की थी हुज़ूर का इन पर बड़ा खास करम था इन की शादी के दिन हुज़ूर इन के मकान पर तशरीफ ले गए थे और एक रिवायत मे है कि इन्हो ने हुज़ूर की खिदमत मे खजूर का एक खोशा नज्र किया तो आप ने इस को कबूल फरमा कर कुछ सोना या चांदी इन को अता फ़रमाया और इरशाद फ़रमाया कि तुम इस के ज़ेवर बनवा लो इमाम वाकिदी ने इन का एक अजीब वाकिआ नक्ल फरमाया है और वोह येह है कि एक औरत अस्मा बिन्ते मखरुमा मदीनए मुनव्वरा में इत्र बेचा करती थी वोह इत्र ले कर हज़रते रबीअ बिन्ते मुअव्विज़ के पास आई और कहा कि तुम उस शख़्स की बेटी हो जिस ने अपने सरदार यानी अबू जहल को कत्ल कर दिया ? तो इन्हो ने तड़प कर जवाब दिया मैं उस शख़्स की बेटी हूं जिस ने अपने गुलाम यानी अबू जहल को कत्ल कर दिया!..✍🏻

        *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 520 📚*
                    
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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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   ❝ हज़रते रबीअ़ बिन्ते मुअव्विज़ हिस्सा-02
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╭┈►येह जवाब सुन कर इत्र बेचने वाली औरत झला गई और कहा कि मुझ पर हराम है कि मैं तुम्हारे हाथ अपना इत्र बेंचू तो हज़रते रबीअ ने भी जोश मे आ कर येह कह दिया कि मुझ पर हराम है कि मैं तेरा इत्र खरीदूं तेरे इत्र से तो बदबूदार मैं ने किसी का इत्र नही पाया हज़रते रबीअ कहती है उस का इत्र बदबूदार नही था मगर मैं ने उस को जलाने के लिये उस के इत्र को बदबूदार कह दिया था क्यूंकि वोह अबू जहल का मद्दाह थी!

╭┈► *तबसिरा :* हज़रते रबीअ बिन्ते मुअव्विज़ की जुरअते ईमानी देखो की अबू जहल को सरदार कहने वाली औरत को इस के मंह पर केसा दन्दान शिकन जवाब दिया कि उस का मंह बन्द हो गया और वोह ला जवाब हो गई और बिला शुबा जो कुछ कहा वोह हक ही कहा अबू जहल हरगिज़ हरगिज़ किसी मुसलमान का सरदार नही हो सकता बल्कि वोह हर मुसलमान का गुलाम बल्कि गुलामों से भी हज़ारों दर्जे बदतर और कमतर है!..✍🏻

        *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 521 📚*
                    
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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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         ❝  हज़रते उम्मे सलीत ❞
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╭┈►येह मदीनए मुनव्वरा की एक अन्सारिया औरत हैं बड़ी बहादुर और इस्लाम पर जान देने वाली सहाबिया है हज़रते उ़मर अपनी खीलाफत के जमाने मे मदीने की औरतो के दरमियान चादरे तक्सीम कर रहे थे कि एक बहुत ही उम्दा चादर बच गई तो आप ने लोगो से मशवरा किया कि येह चादर मैं किस को दूं ? तो लोगो ने कहा कि येह चादर आप हज़रते अली की साहिबज़ादी बीबी उम्मे कुलषूम को दे दीजिये जो आप की बीवी है तो आप ने फरमाया कि नहीं हरगिज़ हरगिज़ नही मै येह चादर उम्मे कुलषूम को नही दूंगा बल्कि मेरी नज़र मे इस चादर की हकदार बीबी उम्मे सलीत हैं खुदा ﷻ की कसम मैं ने अपनी आंखो से देखा है कि जंगे उहुद के दिन येह और उम्मुल मोअमिनीन बीबी आईशा दोनों अपने कंधो पर मशक भर भर कर लाती थी और मुजाहिदीन और जख्मियो को पानी पिलाती थी और फिर उम्मे सलीत उन खुश नसीब औरतो मे से है जो रसूलुल्लाह ﷺ से बैअ़त कर चुकी है हज़रते अमीरुल मोअमिनीन उ़मर ने येह फरमा कर वोह चादर हज़रते उम्मे सलीत को अता फरमा दी!..✍🏻

  *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 521-522 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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         ❝ हज़रते हौला बिन्ते तुवैत ❞
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╭┈►येह खानदाने कुरैश की एक बा वकार औरत है शरफे सहाबियत पाया और हिजरत की फजीलत भी इन को मिली येह बहुत ही इबादत गुज़ार सहाबिया है चुनान्चे एक हदीष मे है कि येह रात भर जाग कर इबादत करती थी इन का येह हाल सुन कर हुज़ूरे अक्दस ﷺ ने फ़रमाया कि सुन लो अल्लाह तआला नहीं उक्ताएगा बल्कि तुम्ही लोग उक्ता जाओगे इस लिये तुम लोग इतने ही आ'माल करो जितने आ'माल की तुम ताकत रखते हो अपनी ताकत से ज़ियादा कोई अमल मत किया करो!..✍🏻

       *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 522 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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         ❝  हज़रते हौला बिन्ते तुवैत ❞
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╭┈► हज़रते आईशा का बयान है कि एक मरतबा हज़रते हौला बिन्ते तुवैत ने हुज़ूर ﷺ के घर में दाखिल होने की इजाज़त तलब की तो हुज़ूर ﷺ ने इन को मकान के अन्दर आने की इजाज़त अता फरमाई और येह घर मे आई तो हुज़ूर ﷺ ने इन की तरफ बहुत खुसूसी तवज्जोह फरमाई और इन की मिज़ाज पुर्सी फरमाई हज़रते आईशा फरमाती है कि येह देख कर मैं ने अर्ज़ किया की या रसूलल्लाह ﷺ आप इन पर इस कदर जियादा तवज्जोह फरमाते है इस की क्या वजह है ? तो आप ﷺ ने इरशाद फ़रमाया कि येह हज़रते खदीजा के जमाने में भी हमारे घर बहुत ज़ियादा आया जाया करती थी और पुराने मुलाकातियों के साथ अच्छा सुलूक करना येह ईमानी खस्लत है!

╭┈► *तबसिरा:* ऐ इस्लामी बहनो हज़रते हौला बिन्ते तुवैत की इबादत और अपनी मर्हुमा बीवी की सहेलियो के साथ हुज़ूर ﷺ के अच्छे बरताव से सबक सीखो, अल्लाह तआला तुम पर अपना फज़्ल फरमाए!...✍🏻 *आमीन*

       *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 523 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

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         ❝ हज़रते अस्मा बिन्ते उमैस ❞
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╭┈►येह भी सहाबिया और रसूलुल्लाह ﷺ पर जान छिड़कने वाली औरत है मक्का मे जब काफिरों ने मुसलमावो को बेहद सताना शुरूअ किया तो रसूलुल्लाह ﷺ ने हब्शा की तरफ़ हिजरत का हुक्म दिया चुनान्चे जब लोगो ने हब्शा की तरफ हिजरत की तो अस्मा बिन्ते उमैस ने भी अपने शोहर जाफर बिन अबी तालिब के साथ हब्शा का सफर किया और जब रसूलुल्लाह ﷺ ने मदीनए मुनव्वारा की तरफ हिजरत फरमाई तो हब्शा के मुहाजिरीन हब्शा से मदीनए मुनव्वरा चले आए जब बीबी अस्मा बिन्ते उमैस बारगाहे रिसालत ﷺ मे हाजिर हुई तो हुज़ूर ﷺ ने इन को साहिबतुल हिजरत (दो हिजरत वाली) के लकब से सरफराज फ़रमाया और अज्रे अज़ीम की बिशारत दी!..✍🏻

       *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 523 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

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              ❝  हज़रते उम्मे रूमान ❞
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╭┈► येह अमीरुल मोअमिनीन हज़रते अबू बक्र सिद्दीक़ की बीवी हैं और हज़रते आईशा और हज़रते अब्दुर्रहमान बिन अबू बक्र की मां हैं इन की शक्लो सूरत और इन की बेहतरीन आदतों और खस्लतों की बिना पर हुज़ूरे अकरम ﷺ फ़रमाया करते थे कि दुन्या में अगर किसी को हूर देखने की ख़्वाहिश हो तो वोह उम्मे रूमान को देख ले कि वोह जमाले सूरत और हुस्ने सीरत में बिल्कुल जन्नत की हूर जैसी हैं हुज़ूर ﷺ इन पर बड़ा खास करम फरमाया करते थे 6 हि. मे जब हज़रते उम्मे रूमान का इन्तिकाल हुवा तो हुज़ूर ﷺ इन की कब्र मे उतरे और अपने दस्ते मुबारक से इन को सिपुर्दे खाक फ़रमाया और इन की मगफिरत के लिये दुआ करते हुए कहा कि या अल्लाह ﷻ उम्मे रूमान ने तेरे और तेरे रसूल ﷺ के साथ बेहतरीन सुलूक किया है वोह तुझ पर पोशीदा नही है लिहाज़ा तू इन की मगफिरत फ़रमा!..✍🏻

       *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 523 📚*

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         ❝ हज़रते उम्मे रूमान ❞
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╭┈► *तबसिरा :* खुदा ﷻ की इबादत और रसूल ﷺ की मोहब्बत व इताअत की ब दौलत हज़रते उम्मे रूमान को कितनी अज़ीम सआदत और कितनी बड़ी फजीलत नसीब हो गई कि हुज़ूरे अकरम ﷺ ने अपने दस्ते मुबारक से इन को कब्र मे उतारा और बेहतरीन अन्दाज़ से इन की मगफिरत की दुआ फरमाई यकीनन येह हज़रते उम्मे रूमान की बहुत बड़ी खुशनसीबी है और इस से येह सबक मिलता हैं कि खुदावन्दे करीम ﷻ की इबादत और रसूल ﷺ की मुहब्बत व इताअत से दीनो दुनिया की कितनी बड़ी बड़ी नेमते और दौलत मिलती हैं खुदावन्दे कुद्दुस ﷻ तमाम मुसलमान मर्दो और औरतों को अपनी इबादत और रसूल ﷺ की मुहब्बत व इताअत की तोफीक अता फरमाए!..✍🏻 *आमीन*

       *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 524 📚*

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     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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         ❝ हज़रते उम्मे अतिया ❞
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╭┈► यह बहुत ही जांनिषार सहाबिया हैं और रसूलुल्लाह ﷺ के साथ 6 लड़कीयो में गई यह मुजाहिदीन को पानी पिलाया करती थी और जख्मियो का इलाज और उन की तीमारदारी किया करती थी और इन को रसूलुल्लाह ﷺ से इतनी आशिकाना मुहब्बत थी कि जब भी यह हुज़ूर ﷺ का नाम लेती थी तो हर मरतबा यह ज़रूर कहा करती थी कि "मेरे बाप आप ﷺ पर कुरबान"

╭┈► *तबसिरा :* मुसलमान बीबियो तुम इन अल्लाह ﷻ व रसूल ﷺ वाली औरतों की इन हिकायतों से सबक सीखो और रसूलुल्लाह ﷺ से इसी तरह इश्को मुहब्बत रखो कि मुहब्बते रसूल ﷺ इमान का निशान बल्कि ईमान की जान है खुदावन्दे करीम हर मुसलमान को यह करामत नसीब फरमाए!..✍🏻 *आमीन*

       *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 525 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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         ❝ हज़रते अस्मा बिन्ते अबू बक्र ❞
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╭┈► येह अमीरुल मोअमिनीन अबू बक्र सिद्दीक़ की साहिबज़ादी हज़रते उम्मुल मोअमिनीन आइशा की बहन और जन्नती सहाबी हज़रते ज़ुबैर बिन अल अव्वाम की बीवी हैं हज़रते अब्दुल्लाह बिन ज़ुबैर इन ही के शिकम से पैदा हुए हिजरत के बाद मुहाजिरीन के यहां कुछ दिन तक अवलाद नहीं हुई तो यहूदियों को बड़ी ख़ुशी हुई बल्कि बाज यहूदियों ने यह भी कहा कि हम लोगो ने एेसा जादू कर दिया है कि किसी मुहाजिर के घर बच्चा पैदा ही नहीं होगा इस फजा में सब से पहले जो बच्चा मुहाजिरीन के यहा पैदा हुवा वोह येही अब्दुल्लाह बिन ज़ुबैर थे पैदा होते ही हज़रते बीबी अस्मा ने इस अपने फरज़न्द को बारगाहे रिसालत ﷺ में भेजा हुज़ूरे अक्दस ﷺ ने अपनी मुकद्दस गोद में ले कर खजूर मंगाई और खुद चबा कर खजूर को इस बच्चे के मुंह में डाल दिया और अब्दुल्लाह नाम रखा और खैरो बरकत की दुआ फरमाई!..✍🏻

       *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 525 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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         ❝  हज़रते अस्मा बिन्ते अबू बक्र ❞
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╭┈► येह इस बच्चे की खुश नसीबी है कि सब से पहली गीज़ा जो इन के शिकम में गई वोह हुज़ूर ﷺ का लुआबे दहन था चुनान्चे हज़रते अस्मा को अपने बच्चे के इस शरफ पर बड़ा नाज था इन के शौहर हज़रते जु़बैर रिश्ते में हुज़ूर ﷺ के फूफीजा़द है, मुहाजिरीन में बहुत ही गरीब थे हज़रते बीबी अस्मा जब इन के घर में आई तो घर में न कोई लौंडी थी न कोई गुलाम घर का सारा काम धंदा येही किया करती थी यहा तक कि घोड़े का घास दाना और उस की मालिश की खिदमत भी येही अन्जाम दिया करती थी बल्कि ऊंट की खूराक के लिये खजूरो की गुटलियां भी बागों से चुन कर और सर पर गठरी लाद कर लाया करती थी इन की येह मशक्कत देख कर हज़रते अबू बक्र सिद्दीक़ ने इन को गुलाम अता फरमा दिया तो इन के कामो का बोझ हल्का हो गया आप फरमाया करती थी कि एक गुलाम दे कर गोया मेरे वालिद ने मुझे आजाद कर दिया!..✍🏻

      *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 526 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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         ❝  हज़रते अस्मा बिन्ते अबू बक्र ❞
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╭┈►येह येह मेहनती होने के साथ साथ बड़ी बहादुर और दिल गुर्दा वाली औरत थी |हिजरत के वक़्त हज़रते अबू बक्र सिद्दीक़ के मकान मे जब हुज़ूर ﷺ का तौशए सफर एक थेले में रखा गया और उस थेले का मुंह बान्धने के लिये कुछ न मिला तो हज़रते बीबी अस्मा ने फौरन अपने कमर के पटके को फाड़ कर इस से तौशादान का मुंह बांध दिया इसी दिन से इन को जातुन्नताकैन (दो पटके वाली) का मुअज़्ज़ज़ लकब मिला | हज़रते अबू बक्र सिद्दीक़ ने तो हुज़ूर ﷺ के साथ हिजरत की लेकिन हज़रते अस्मा ने इस के बाद अपने घर वालो के साथ हिजरत की!...✍🏻

     *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 526 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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         ❝ हज़रते अस्मा बिन्ते अबू बक्र ❞
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╭┈► 63 हि. में वाकिअए करबला के बाद यज़ीदे पलीद की फौजों ने मक्कए मुकर्रमा पर हमला किया और हज़रते अब्दुल्लाह बिन ज़ुबैर ने इन ज़ालिमो का मुकाबला किया और यज़ीदी लश्कर को कुत्तों और चुहो की तरह दौड़ा दौड़ा कर मारा |उस वक़्त भी हज़रते अस्मा मक्कए मुकर्रमा में मौजूद रह कर अपने फरज़न्द हज़रते अब्दुल्लाह बिन ज़ुबैर की हिम्मत बड़ाती और इन की फत्हो नुसरत के लिये दुआएं मांगती रही और जब अब्दुल मलिक बिन मरवान के जमानए हुकूमत मे हज्जा़ज बिन यूसुफ षकफी जालिम ने मक्कए मुकर्रमा पर हमला किया और हज़रते अब्दुल्लाह बिन जु़बैर ने उस ज़ालिम की फौजों का भी मुकाबला किया तो इस खू़रेज़ जंग के वक़्त भी हज़रते अस्मा मक्कए मुकर्रमा में अपने फरज़न्द का हौसला बड़ाती रही!..✍🏻

     *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 527 📚*   

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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         ❝ हज़रते अस्मा बिन्ते अबू बक्र ❞
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╭┈► यहां तक कि जब अब्दुल्लाह बिन जु़बैर को शहीद कर के हज़्जाज बिन यूसुफ ने इन की लाश को सूली पर लटका दिया और उस जा़लिम ने मजबूर कर दिया कि बीबी अस्मा चल कर अपने बेटे की लाश को सूली पर लटकी हुई देखे तो आप अपने बेटे की लाश के पास तशरीफ ले गई जब लाश को सूली पर देखा तो न रोई न बिलबिलाई बल्कि निहायत जुरअत के साथ फ़रमाया कि सब सुवार तो घोड़ों से उतर गए लेकिन अब तक येह सूवार घोड़े से नहीं उतरा फिर फ़रमाया कि ऐ हज्जाज तूने मेरे बेटे की दुनिया खराब की और उस ने तेरे दीन को बरबाद कर दिया इस वाकिए के बाद भी चन्द दिनो हज़रते अस्मा जिन्दा रही, मक्कए मुकर्रमा के कब्रिस्तान में मां बेटे दोनो की मुकद्दस कब्रे एक दूसरे के बराबर बनी हुई है जिन को नजदियो ने तोड़ फोड़ डाला है मगर अभी निशान बाकी है और 1959 ई. में इन दोनों मज़ारो की जियारत मैं ने की है!..✍🏻

        *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 528 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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         ❝ हज़रते अस्मा बिन्ते अबू बक्र ❞
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╭┈► इस पोस्ट को पढ़ने के लिए आपको पोस्ट 89 से 93 तक पढ़नी होगी

╭┈► *तबसिरा :* इस्लामी बहनो! हज़रते बीबी अस्मा की गरीबी और अपने शोहर की खिदमत और रसूलुल्लाह ﷺ से इन की मुहब्बत फिर इन की बहादुरी और जुरअत व इस्तिक्लाल के इन वाकिआत को बराबर पढ़ो और इन के नक्शे कदम पर चलने की कोशिश करो और येह भी सुन लो कि पहले तो हज़रते अस्मा के शोहर बहुत गरीब थे मगर बहुत ही बड़े मुजाहिद थे, बहुत ज़्यादा माले गनीमत में से हिस्सा पाया यहां तक कि बहुत ही ज़्यादा मालदार हो गए और फिर इन के मालो में इस कदर खैरो बरकत हुई कि शायद ही किसी सहाबी के माल में इतनी खैरो बरकत हासिल हुई होगी!..✍🏻

        *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 528 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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         ❝ हज़रते अस्मा बिन्ते अबू बक्र ❞
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╭┈►येह येह इन की नेक निय्यती और इस्लाम की खिदमतो और इबादतो की बरकतो के मीठे मीठे फल थे जो इन को दुन्या की ज़िन्दगी में मिले और आख़िरत में अल्लाह तआ़ला ने इन अल्लाह ﷻ वालियों के लिये जो नेमतो के खज़ाने तय्यार फरमाए हैं इन को तो न किसी आंख ने देखा है न किसी कान ने सुना है न किसी के खयाल में आ सकता है

╭┈► ऐ अल्लाह ﷻ की बन्दियो! हिम्मत करो और कोशिश करो और इन नेक बन्दियो के तरीको पर चलने का पुख्ता इरादा कर लो   ان شاء اللہ, अल्लाह ﷻ की इमदाद व नुसरत तुम्हारा बाजू थाम लेगी और दुनिया व आखिरत में तुम्हारा बेड़ा पार हो जाएगा बस शर्त येह है कि इख्लास के साथ येह अज्म़ कर लो कि हम इन अल्लाह ﷻ वाली मुकद्दस बीबियों के नक्शे कदम पर अपनी ज़िन्दगी की आखिरी सासं तक चलती रहेंगी और इस्लाम के अकाइदो आमाल पर पूरी तरह कमरबन्द रह कर दूसरी औरतों की इस्लाहे हाल के लिये भी अपनी ताकत भर कोशिश करती रहेगी!..✍🏻

        *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 529 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ हज़रते अस्मा बिन्ते यज़ीद ❞
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╭┈►येह हज़रते मुआज़ बिन जबल की फूफी जा़द बहन है और इन की कुन्यत उम्मे सलमा है |कबीलए अन्सार से तअल्लुक रखने वाली सहाबिया हैं येह बहुत अक्लमंद और होश गोश वाली औरत थी एक मरतबा हुज़ूर ﷺ की खिदमत में हाजिर हुई और कहने लगीं कि या रसूलुल्लाह ﷺ मैं बहुत सी औरतों की नुमाइन्दा बन कर आई हूं सुवाल येह है कि अल्लाह तआ़ला ने आप ﷺ को मर्दों और औरतों दोनों की तरफ रसूल बना कर भेजा है चुनान्चे हम औरते आप ﷺ पर इमान लाई हैं और आप ﷺ की पैरवी का अहद किया है अब सूरते हाल येह है कि हम औरते पर्दा नशीन बना कर घरों में बिठा दी गई हैं और हम अपने शोहरों की ख्वाहिशात पूरी करती हैं और इन के बच्चों को गोद में लिये फिरती हैं और इन के घरों की रखवाली करती हैं और इन के मालों और सामानो की हिफाजत करती हैं और मर्द लोग जनाज़ो और जिहादों में शिर्कत कर के अज्रे अज़ीम हासिल करते है!..✍🏻

          *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 529 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ हज़रते अस्मा बिन्ते यज़ीद❞
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╭┈►तो सुवाल येह हैं कि इन मर्दों के षवाबो में से कुछ हम औरतों को भी हिस्सा मिलेगा या नहीं  येह सुन कर हुज़ूर ﷺ ने सहाबए किराम से फरमाया की देखो इस औरत ने अपने दीन के बारे में कितना अच्छा सुवाल किया है फिर आप ने फरमाया कि ऐ अस्मा तुम सुन लो और जा कर औरतों से कह दो कि औरते अगर अपने शोहर की खिदमत गुज़ारी कर के इन को खुश रखें और हमेशा अपने शोहरों की खुशनूदी तलब करती रहे और इन की फरमा बरदारी करती रहे तो मर्दो के आमाल के बराबर ही औरतों को भी सवाब मिलेगा येह सुन कर हज़रते अस्मा बिन्ते यज़ीद मारे खुशी के नारए तक्बीर लगाती हुई बाहर निकली!

⚘❆➮ *तबसिरा :* हज़रते अस्मा बिन्ते यज़ीद को सवाबे आख़िरत हासिल करने का कितना शौक और जज़बा था येह तमाम मुसलमान औरतों के लिये एक क़ाबिले तक्लीद नमूना है काश इस जमाने की औरतों में भी येह शौक और जज़बा होता यकीनन येह औरते भी नेक बीबियों की फेहरिस्त में शामिल हों जाती और सवाब से माला माल हो जाती!..✍🏻

       *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 530 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ हज़रते उम्मे खालिद ❞
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╭┈►येह भी सहाबिया हैं जब मुसलमानों ने हब्शा की तरफ हिजरत की तो यह हब्शा में पैदा हुई जब इन के वालिदैन हब्शा से हिजरत कर के मदीनए मुनव्वरा आए तो इन के बाप इन को लेकर हुज़ूर ﷺ की बारगाहे अक्दस में गए यह उस वक़्त पीले रंग का कपड़ा पहने हुए थी आप ﷺ ने इन को देख कर फ़रमाया कि बहुत अच्छा लिबास है बहुत अच्छा कपड़ा है फिर एक फूल दार चादर जो बहुत ही खूबसूरत थी आप ﷺ ने प्यार व मुहब्बत से इन को ओढ़ा दी और यह फ़रमाया कि इस को पुरानी कर इस को फाड़ यह बहुत अच्छी लगती हैं इस दुआ का मतलब यह था कि तेरी उम्र खूब बड़ी हो ताकि इस को ओढ़ते ओढ़ते पुरानी कर दे कि और बिल्कुल फट जाए चुनान्चे इस दुआए नबवी का यह असर हुवा कि हज़रते उम्मे खालिद की उम्र इस कदर लम्बी हुई कि इन की बड़ी उम्र का लोगों में चर्चा होता था और लोग कहा करते थे कि हम ने नहीं सुना कि जितनी लम्बी उम्र इन्हों ने पाई है इतनी बड़ी उम्र मदीने में किसी ने पाई हो!..✍🏻

        *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 530 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ हज़रते उम्मे खालिद ❞
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╭┈► *तबसिरा :* سبحان الله उम्र लम्बी हो और सारी उम्र नेकियो को कमाने में गुज़र जाए इस से बड़ी खुश नसीबी और क्या हो सकती है ?इस मे कोई शक नहीं कि हज़रते उम्मे खालिद बड़ी नेक बख्त और खुश नसीब थी कि हुज़ूर ﷺ ने अपने दस्ते मुबारक से इन को चादर ओढ़ाइ और अपनी मुबारक दुअाओ से इन को सरफराज किया जिस का यह असर हुवा कि उम्र लम्बी हुई और ज़िन्दगी का एक एक लम्हा नाकियो और इबादतो की छाऊं में गुज़रा!

 ╭┈► *दीनी बहनो !* तुम भी कोशिश करो कि जितनी भी उम्र गुज़रे वोह नेकियो में गुज़रे यह यकीनन तिजारते अाखिरत है कि जिस में नफ्अ के सिवा कभी कोई घाटा नहीं हो सकता!..✍🏻

       *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 531 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝हज़रते उम्मे हानी ❞
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╭┈►यह हज़रते अली की बहन हैं फत्हे मक्का के साल 8 हि. में इन्हों ने इस्लाम कबूल कर लिया था जु़हूरे इस्लाम से पहले ही इन की शादी हुबैरा बिन अबी वहब के साथ हो गई थी हुबैरा अपने कुफ्र पर अड़ा रहा और मुसलमान नहीं सुना इस लिये मियां बीवी में जुदाई हो गई हुज़ूरे अक्दस ﷺ ने इन के जख्मी दिल को तस्किन देने के लिये इन के पास कहला भेजा कि अगर तुम्हारी ख़्वाहिश हो तो मैं खुद तुम से निकाह कर लूं ? उन्हों ने जवाब में अर्ज़ किया कि या रसूलुल्लाह ﷺ जब मैं कुफ्र की हालत में आप ﷺ से मुहब्बत करती थी तो भला इस्लाम की दौलत मिल जाने के बाद मैं क्युं ना आप ﷺ से मुहब्बत करूंगी ? लेकिन बड़ी मुश्किल यह है कि मेरे छोटे छोटे बच्चे हैं मुझे खौफ है कि मेरे इन बच्चो की वजह से आप ﷺ को कोई तख्लीफ न पहुंच जाएं हुज़ूर ﷺ इन का जवाब सुन कर मुतमइन हो गए!..✍🏻

      *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 531 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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            ❝ हज़रते उम्मे हानी ❞
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╭┈►हज़रते उम्मे हानी की येह दो खुसूसिय्यात बहुत ज्यादा बाइसे शरफ हैं एक यह कि फत्हे मक्का के दिन हज़रते उम्मे हानी ने एक काफिर को अमान और पनाह दे दी इस के बाद हज़रते अली ने उस काफिर को कत्ल करना चाहा जब उम्मे हानी ने हुज़ूर ﷺ से अर्ज़ किया तो आप ﷺ ने फ़रमाया कि जिस को तुम ने अमान दे दी उस को हम ने भी अमान दे दी दूसरी यह कि फत्हे मक्का के दिन हुज़ूर ﷺ ने इन के मकान पर गुस्ल फ़रमाया और खाना तनावुल फरमाया फिर 8 रक्अत नमाज़े चाश्त अदा फरमाई!..✍🏻

     *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 532 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ हज़रते उम्मे कुलषूम बिन्ते उकबा ❞
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╭┈►यह मक्काए मुकर्रमा में मुसलमान हुई और चूंकि मुफलिसी की वजह से सुवारी का इन्तिजाम न हो सका इस लिये पैदल चल कर इन्हों ने हिजरत की और मदीनए मुनव्वरा पहुंच कर हुज़ूर ﷺ से बैअत हुई मदीने में इन से ज़ैद बिन हारिष ने निकाह फरमा लिया फिर जब वह जंगे मौता में शहीद हो गए तो इन से जन्नती सहाबी हज़रते ज़ुबैर ने निकाह फरमा लिया फिर तलाक दे दी तो दूसरे जन्नती सहाबी हज़रते अब्दुर्रहमान बिन औफ ने इन से निकाह फरमा लिया और इन के शिकम से इब्राहिम व हुमैद दो फरज़न्द पैदा हुए फिर जब हज़रते अब्दुर्रहमान बिन औफ की वफात हो गई तो फातेहे मिस्र हज़रते अम्र बिन अल आस ने इन से निकाह किया और चन्द महीने जिन्दा रह कर वफात पा गई यह हज़रते उषमाने गनी की मां की तरफ से बहन हैं!

╭┈►  *तबसिरा :* मुसलमानों बहनो! गौर करो कि इन्हों ने इस्लाम की मुहब्बत में अपने घर और वतन को छोड़ कर पैदल हिजरत की और मदीना जा कर हुज़ूरे अक्दस ﷺ से बैअत हुई फिर यह गौर करो कि इन्हों ने यके बाद दीगर चार शोहरों से निकाह किया इस मे उन औरतों के लिये बहुत बड़ा सबक है जो दूसरा निकाह करने को ऐब समझती हैं और पूरी उम्र बिला शोहर के गुजा़र देती हैं!..✍🏻

   *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 532-533 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ हज़रते शिफा बिन्ते अब्दुल्लाह ❞
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╭┈►यह हिजरत से पहले ही मुसलमान हो गई थी बहुत ही अक्लमंद और फज़्लो कमाल वाली औरत थी हुज़ूरे अकरम ﷺ इन पर बहुत ज्यादा शफ्कत व करम फरमाते थे इन्हों ने हुज़ूर ﷺ के लिये एक मख्सूस बिस्तर बना रखा था कि जब आप ﷺ दोपहर में कभी कभी इन के मकान पर कैलूला फरमाते थे तो वोह इस बिस्तर को हुज़ूर ﷺ के लिये बिछा देती थी दूसरा कोई शख्स भी न इस बिस्तर पर सो सकता था न बैठ सकता था!

╭┈►  *तबसिरा :* سبحان اللهइन के कल्ब में किस कदर हुज़ूर ﷺ की अज़मत और कितना नुबुव्वत का एहतिराम था कि जिस बिस्तर पर हुज़ूर ﷺ ने आराम फरमा लिया उन्हों ने दूसरे किसी शख़्स को भी इस पर बैठने नहीं दिया यह बिस्तर हज़रते शिफा के बाद इन के साहिब ज़ादे हज़रते सुलैमान बिन अबी हषमा के पास एक यादगारी तबर्रुक होने की हैषिय्यत से महफूज रहा मगर हाकिमे मदीना मरवान बिन उमवी ने इस मुकद्दस बिछौनेै को इन से छीन लिया इस तरह यह तबर्रुक ला पता हो गया!..✍🏻

        *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 533 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ हज़रते शिफा बिन्ते अब्दुल्लाह ❞
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╭┈►हुज़ूरे अकरम ﷺ ने हज़रते शिफा को जागीर में एक घर भी अता फरमाया था जिस में यह अपने बेटे सुलैमान के साथ रहा करती थी हज़रते अमीरुल मोअमिनीन उमर इन की बहुत कद्र करते थे बल्कि बहुत से मुआमलात में इन से मशवरा तलब किया करते थे इन को बिच्छू के डंक का ज़हर उतारने वाला एक अमल भी याद था और हुज़ूर ﷺ ने इन से फरमाया था कि तुम यह अमल मेरी बीवी हज़रते हफ्सा को भी सिखा दो अल गरज यह बारगाहे नुबुव्वत में मुकर्रब थी और हुज़ूर ﷺ के इश्को मुहब्बत की दौलत से माला माल थी!..✍🏻

      *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 534 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ हज़रते उम्मे दरदा ❞
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╭┈►यह मशहूर सहाबी हज़रते अबू दरदा की बीवी हैं बहुत समझदार निहायत अक्लमंद सहाबिया हैं इल्मी फजीलत के अलावा इबादत में भी बे मिसाल थी अपने शोहर हज़रते अबू दरदा से दो साल पहले मुल्के शाम में हज़रते उषमान की खिलाफ़त के दौरान इन की वफात हुई!..✍🏻

       *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 534 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ हज़रते रुबय्यिअ बिन्ते नज़र  ❞
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╭┈►यह मशहूर सहाबी हज़रते अनस बिन मालिक की फूफी है बहुत ही बहादुर और बुलंद हौसला सहाबिया हैं इन के फरजन्द हारिषा बिन सुराका भी बहुत बा कमाल हुए अन्सारी खानदान में काबिले फक्र औरत थी जब इन के बेटे हारिषा शहीद हो गए तो इन्हों ने कहा कि या रसूलुल्लाह ﷺ अगर मेरा बेटा जन्नत में है तो मैं सब्र करूंगी वरना इतना गम खाऊंगी कि आप ﷺ भी देखेंगे तो आप ﷺ ने फ़रमाया कि तेरा बेटा जन्नतुल फिरदौस में है!..✍🏻

       *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 534 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ हज़रते उम्मे शरीक ❞
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╭┈► येह कबीला "दोस" की एक सहाबिया हैं जो अपने वतन से हिजरत कर के मदीनए मुनव्वरा आ गई थी येह बहुत ही इबादत गुज़ार और साहिबें करामत भी थी इन की दो करामते बहुत मशहूर है जिन को हम ने अपनी किताब "करामते सहाबा" में लिखा है एक करामत तो यह है कि यह हिजरत कर के मदीनए मुनव्वरा जा रही थी और रोजादार थी  रास्ते में एक यहूदी के मकान पर पहुंची ताकि रोज़ा इफ्तार कर लें उस दुश्मने इस्लाम ने इन को एक मकान मे बन्द कर दिया ताकि रोज़ा इफ्तार करने के लिये एक कतरा भी पानी न मिल सके जब सूरज गुरूब हो गया और इन को रोज़ा इफ्तार करने की फ़िक्र हुई तो अन्धेरी बन्द कोठड़ी में अचानक किसी ने ठन्डे पानी का भरा हुवा डोल इन के सीने पर रख दिया और इन्हों ने रोज़ा इफ्तार कर लिया..✍🏻

     *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 535 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ हज़रते उम्मे शरीक ❞
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╭┈► दूसरी करामत येह है कि इन के पास चमड़े का एक कुप्पा था एक दिन इन्हों ने उस कुप्पे में फूंक मार कर इस को धूप में रख दिया तो वह कुप्पा घी से भर गया फिर हमेशा उस कुप्पे में से घी निकलता रहता यहां तक कि इस करामत का चर्चा हो गया कि लोग कहा करते थे कि उम्मे शरीक का कुप्पा खुदा की निशानियों में से एक निशानी है!..✍🏻

      *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 535 📚*

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🅿🄾🅂🅃 ➪  109

   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ हज़रते उम्मे साइब  ❞
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╭┈► येह एक बुढ़िया नाबीना सहाबिया हैं जो खुदा ﷻ की राह में अपना वतन छोड़ कर और हिजरत कर के मदीनए मुनव्वारा रहने लगी थी इन की भी एक करामत अजीबो गरीब है और वोह यह है कि इन का एक बेटा जो अभी बच्चा था अचानक इन्तिकाल कर गया लोगो ने उस की लाश को कपड़ा ओढ़ा दिया और हज़रते उम्मे साइब को खबर कर दी कि आप का बच्चा इन्तिकाल कर गया यह सुन कर इन्हों ने आबदीदा हो कर दोनों हाथ उठा कर इस तरह दुआ मांगी कि या अल्लाह ﷻ तुझ पर ईमान लाई और मैं ने अपना वतन छोड़ कर तेरे रसूल ﷺ की तरफ हिजरत की है इस लिये ऐ मेरे अल्लाह ﷻ मेैं तुझ से दुआ करती हूं कि तू मेरे बच्चे की मौत की मुसीबत मुझ पर न डाल हज़रते अनस बिन मालिक का बयान है कि हज़रते उम्मे साइब की दुआ खत्म होते ही एक दम इन का बच्चा अपने चेहरे से कपड़ा उठा कर उठ बैठा और जिन्दा हो गया!...✍🏻

       *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 535 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ हज़रते उम्मे साइब ❞
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╭┈► *तबसिरा :* इस्लामी बहनो! गौर करो कि हुज़ूरे अक्दस ﷺ से मुहब्बत करने वालियों और इबादत गुज़ार औरतों को खुदावन्दे करीम ने कैसी कैसी करामतो से सरफराज फरमाया है तुम भी रसूले पाक ﷺ से सच्ची मुहब्बत रखो और किस्म किस्म की नेकियों और इबादतो में अपनी जिंदगी गुज़ार दो खुदावन्दे कुद्दूस बड़ा रहीमो करीम है हो सकता है कि वोह अपना फज़्लो करम फरमा दे और तुम को भी साहिबे करामत बना दे!..✍🏻

      *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 536 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝  हज़रते खन्सा ❞
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╭┈►येह जमानए जाहिलिय्यत में बहुत बड़ी मरषिया गो शाइरा थी यहां तक कि "इकाज़ के मेले में इन के खेमे पर जो साइन बोर्ड लगता था उस पर "अरषिल अरब"(अरब की सब से बड़ी मरषिया गो शाइरा) लिखा हो ता था येह मुसलमान हुई और हज़रते अमीरुल मोअमिनीन उ़मर फारूक के दरबारे खिलाफ़त में भी हाजिर हुई इन की शाइरी का दीवाना आज भी मौजूद है और उलमाए अदब का इत्तिफाक है कि मरषिया के फन में आज तक खन्सा का मिस्ल पैदा नहीं हुवा इन के मुफस्सल हालात अल्लामा अबुल फरज अस्फहानी ने अपनी किताब "किताबुल अगानी" में तहरीर किये हैं!..✍🏻

       *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 537 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ हज़रते खन्सा ❞
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╭┈►येह सहाबियत के शरफ से सरफराज है और बे मिसाल शेर गोई के साथ येह बहुत ही बहादुर भी थी मुहर्रम 14 हि. में जंगे कादिसिय्या के खूरेज़ मारके में येह अपने चार जवान बेटों के साथ तशरीफ ले गई जब मैदाने जंग में लड़ाई की सफे लग गई और बहादुरो ने हथियार संभाल लिये तो इन्हों ने अपने बेटो के सामने येह तकरीर की कि मेरे प्यारे बेटो! तुम अपने मुल्क को दूभर न थे न तुम पर कोई कहत पड़ा था बा वुजूद इस के तुम अपनी बुढ्ढी़ मां को यहा लाए और फारस के अागे डाल दिया खुदा ﷻ की कसम! जिस तरह तुम एक मां की अवलाद हो इसी तरह एक बाप की भी हो मैं ने कभी तुम्हारे बाप से बद दियानती नहीं की न तुम्हारे मामूं को रुस्वा किया लो जाओ आखिर तक लड़ो "!..✍🏻

       *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 537 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ हज़रते खन्सा ❞
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╭┈►बेटों ने मां की तकरीर सुन कर जोश भरे हुए एक साथ दुश्मनों पर हमला कर दिया जब निगाह से ओझल हो गए तो हज़रते खन्सा ने आसमान की तरफ हाथ उठा कर कहा कि इलाही ﷻ तू मेरे बच्चों का हाफिज़ो नासिर है तू इन की मदद फरमा चारों भाइयों ने इन्तिहाई दिलेरी और जांबाजी के साथ जंग की यहां तक कि चारों इस लड़ाई में शहीद हो गए अमीरुल मोअमिनीन हज़रते उ़मर फारूक इस वाकिए से बेहद मुतअस्सिर हुए और इन चारों बेटों की तनख्वाहे इन की मां हज़रते खन्सा को अता फरमाने लगे

⚘❆➮ *तबसिरा :* खवातीने इस्लाम! खुदा ﷻ के लिये हज़रते खन्सा का दिल अपने सीनों में पैदा करो और इस्लाम पर अपने बेटों को कुरबान कर देने का सबक इस दीनदार और जांनिसार औरत से सीखो जिस के जोशे इस्लाम पर जज्बए जिहाद की याद कियामत तक फ़रामोश नहीं की जा सकती!..✍🏻

       *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 538 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ हज़रते उम्मे वरका बिन्ते अब्दुल्लाह ❞
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╭┈►येह कबीलए अन्सार की एक सहाबिया हैं हुज़ूरे अकरम ﷺ इन पर बहुत ही मेहरबान थे और कभी कभी इन के मकान पर भी तशरीफ ले जाते थे और इन की ज़िन्दगी ही में आप ﷺ ने इन को शहादत की बिशारत दी और इन को शहीदा के लकब से सरफराज फरमाया जंगे बद्र के मौकअ पर इन्हों ने अर्ज़ किया की या रसूलुल्लाह ﷺ आप मुझे भी इस जंग में चलने की इजाजत दे दीजिये मैं ज़ख्मियों की मरहम पट्टी और इन की तीमारदारी करूंगी शायद अल्लाह तआला मुझे शहादत नसीब फरमाए येह सुन कर हुज़ूरﷺ ने फरमाया कि तुम अपने घर में बैठी रहो अल्लाह तआला तुम्हें शहादत से सरफराज फरमाएगा, यकीनन तुम शहीदा हो!..✍🏻

        *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 538 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ हज़रते उम्मे वरका बिन्ते अब्दुल्लाह ❞
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╭┈►चुनान्चे ऐसा ही हुवा कि हज़रते उ़मर के दौरे खिलाफ़त में इन को इन के घर के अन्दर इन के एक गुलाम और लौंडी ने कत्ल कर दिया और दोनो फिरार हो गए अमीरुल मोअमिनीन हज़रते उ़मर को बड़ा रंजो कलक हुवा और आप ने इन दोनों कातिलों को गिरिफ्तार कराया और मदीनए मुनव्वरा में इन दोनों को फाँसी दी गई थी उम्मे वरका की शहादत की खबर सुन कर हज़रते उ़मर ने फरमाया कि बेशक रसूलुल्लाह ﷺ सच्चे थे क्योंकि आप ﷺ फरमाया करते थे कि चलो उम्मे वरका शहीदा की मुलाकात कर लें चुनान्चे ऐसा ही हुवा कि घर बैठे इन को शहादत नसीब हो गई

╭┈► *तबसिरा :* हज़रते उम्मे वरका के शौके शहादत से इब्रत हासिल करो!..✍🏻

          *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 539 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ हज़रते सय्यिदा आइशा ❞
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╭┈►येह हज़रते गौस मुह्युद्दीन अब्दुल कादिर जीलानी की फूफी हैं बड़ी आबिदा जाहिदा और साहिबे करामत वलिया थीं एक मरतबा गीलान में बिल्कुल बारिश नही हुई और लोग कहत से परेशान हाल हो कर इन की खिदमत में दुआ के लिये हाजिर हुए तो आप ने अपने सहन में झाड़ू दे कर आसमान की तरफ सर उठाया और यह कहा कि ऐ परवर दगार! मैं ने झाड़ू दे दिया तू छिड़काव कर दे इस दुआ के बाद फौरन ही मूसलाधार बारिश होने लगी और इस कदर बारिश हुई कि लोग निहाल और खुशहाल हो गए!..✍🏻

       *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 539 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ हज़रते सय्यिदा आइशा ❞
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╭┈►*तबसिरा :* अल्लाहु अकबर ! खुदा के नेक बन्दो और नेक बन्दियों की विलायत और करामत का क्या कहना? जो लोग औलिया से अकीदत व मुहब्बत नही रखते वोह बहुत बड़े महरूम बल्कि मन्हूस हैं इस लिये हर मुसलमान मर्द व औरत पर लाज़िम है कि इन बुज़ुर्गो से अकीदत व मुहब्बत रखे और फातिहा पढ़ कर इन की नियाज़ दिला कर इन की रूहो को सवाब पहुंचाता रहे और इन को वसीला बना कर खुदा से दुआएं मांगता रहे औलिया खुदा के महबूब और प्यारे बन्दे हैं इस लिये जो मुसलमान औलिया से उल्फत व अकीदत रखता है अल्लाह तआला उस मुसलमान से खुश हो कर उस को अपना प्यारा बन्दा बना लेता है और तरह तरह की नेमतों और दौलतों से उस बन्दे को माला माल और खुशहाल बना देता है इस किस्म के हज़ारो वाकिआत हैं कि अगर इन को लिखा जाए तो किताब बहुत मोटी हो जाएगी!..✍🏻

       *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 540 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ हज़रते मुआज़ अदविया  ❞
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╭┈►येह बहुत ही इबादत गुज़ार और खुदा की नेक बन्दि थीं हज़रते उम्मुल मोअमिनीन बीबी आइशा की हदीस में शागिर्द है दिन रात में छे सो रक्आत नफ्ल पढा़ करती थी और रात भर नवाफिल और खुदा की याद में मसरूफ रह कर जागती थी खुदा के खौफ से कभी आसमान की तरफ सर उठा कर नहीं देखती थी दिन में कभी कभी जब बहुत ज्यादा नींद का गलबा होता था तो घन्टा दो घन्टा सो लिया करती थी और अपने नफ्स से कहा करती थी कि अभी क्यूं सोई? येह तो अमल का वक़्त हैं जाग कर जितना हो सके अच्छे अच्छे अमल कर लेना चाहिए, मौत के बाद जब अमल का वक़्त नही रहेगा फिर तो कियामत तक सोना ही है कभी कहा करती थी कि मैं क्यूं सोऊं? क्या मालूम कब मौत आ जाए? कहीं ऐसा न हो कि मैं सोती रह जाऊं और खुदा की याद से गाफिल रहते हुए मेरा दम निकल जाए गरज़ इन पर खौफे खुदा का बहुत ज़्यादा गलबा था जो विलायत की खास निशानी है अल्लाह तआला हर मुसलमान को यह दौलत नसीब फरमाए!...✍🏻 आमीन

        *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 540 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ हज़रते मुआज़ अदविया  ❞
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╭┈►*तबसिरा :* अल्लाह की बन्दियो! आंखे खोलो और देखो कि कैसी कैसी नेक बीबियां इस दुनिया में हो गई है क्या तुम में भी नेक बनने का कोई शौक है? हाए अफ्सोस आज कल की मुसलमान औरतों की ज़िन्दगी और इन की गफ्लतों और बद आमालियों को देख कर डर लगता है कि कहीं इन गुनाहो की नुहूसत से खुदा का अज़ाब न उतर पड़े ऐ सीनेमा देख देख कर जागने वालियो! क्या खुदा के खौफ से भी कभी तुम जागती रही हो और ऐ नाविल और झूठे अफ्साने पढ़ने वालियो क्या तुम्हें इस की भी तौफीक हुई कि क़ुरआन और दीनी व ईमानी किताबे पढ़ो?  सोचो और इब्रत पकड़ो और अपनी हालतो को बदलो और येह न भूलो कि दुन्या की ज़िन्दगी चन्द रोज़ा और आनी फानी है लिहाज़ा जल्द कुछ आख़िरत का काम कर लो!..✍🏻

       *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 541 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ हज़रते राबिआ बसरिया   ❞
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╭┈► येह वोह नेक बीबी और करामत वाली वलिया हैं कि तमाम दुनिया में इन की धूम मची हुई हैं येह दिन रात खुदा के खौफ से रोया करती थी अगर इन के सामने कोई जहन्नम का ज़िक्र कर देता तो येह मारे खौफ़ के बेहोश हो जाया करती थी बहुत ज्यादा नफली नमाज़े पढ़ा करती थी खुदा ने इन का दिल इस कदर रोशन कर दिया था कि हज़ारो मील के वाकिआत की इन को खबर हो जाया करती थी बल्कि अपनी आंखों से देख लिया करती थी बड़े बड़े बुज़ुर्गाने दीन इन से दुआ लेने के लिए इन की खिदमत में हाज़िरी दिया करते थे इन की करामते और इन के अक्वाल बहुत ज़्यादा है जो आम तौर पर मशहूर हैं!..✍🏻

     *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 541 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝   हज़रते आमिना रमलिय्या  ❞
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╭┈►येह भी बुलन्द मरतबा और बा करामत वलिया हैं हज़रते बिशर हाफी जो बहुत बड़े मुहद्दिस और साहिबे करामत वली हैं इन की मुलाकात को जाया करते थे एक मरतबा हज़रते बिशर हाफी बीमार हो गए तो हज़रते आमिना रमलिय्या इन की बीमार पुर्सी के लिये गई इत्तिफाक से उसी वक्त हज़रते इमाम अहमद ने हज़रते बिशर हाफी से कहा इन बीबी साहिबा से हमारे हक में दुआ कराइये चुनान्चे हज़रते बीबी आमिना रमलिय्या ने इस तरह दुआ मांगी कि या अल्लाह बिशर हाफी और अहमद बिन हम्बल को जहन्नम के अजाब से अमान दे हज़रते इमाम अहमद बिन हम्बल का बयान है कि उसी रात को एक पर्चा आसमान से हमारे आगे गिरा जिस मे बिस्मिल्लाह के बाद लिखा हुवा था कि हम ने बिशर हाफी और अहमद बिन हम्बल को दोज़ख के अज़ाब से अमान दे दी और हमारे यहां इन दोनो के लिये और भी नेमते हैं!..✍🏻

     *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 542 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ हज़रते मैमूना सौदा ❞
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╭┈►येह पाक बातिन औरत भी अपने ज़माने की एक बहुत ही मशहूर करामत वाली वलिया हैं इन के ज़माने के एक बहुत ही बुलन्द मरतबा बा करामत वली हज़रते अब्दुल वाहिद बिन ज़ैद फरमाते हैं कि एक मरतबा मैं ने खुदा से यह दुआ मांगी कि या अल्लाहﷻ जन्नत में दुनिया की जो औरत मेरी बीवी बनेगी मुझे वोह औरत दुनिया ही में एक मरतबा दिखा दे खुदा ﷻ ने मेरे दिल मे यह बात डाल दी कि वोह औरत मैमुना सौदा है और वोह कूफा में रहती हैं चुनान्चे मैं कूफा गया और जब लोगो से इस का पता ठिकाना पूछा तो मालूम हुवा कि वोह एक दीवानी औरत है जो जंगल में बकरियाँ चराती है मैं उस की तलाश में जंगल की तरफ़ गया तो यह देखा कि वोह खड़ी हुई नमाज़ पड़ रही हैं और भेड़िये और बकरियां एक साथ चल फिर रहे हैं!..✍🏻

        *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 543 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ हज़रते मैमूना सौदा ❞
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╭┈►जब वोह नमाज़ से फारिग हुई तो मुझ से फरमाया कि ऐ अब्दुल वाहिद जाओ! हमारी तुम्हारी मुलाकात बहिश्त में होगी मुझे बेहद ताज्जुब हुवा कि इन बीबी साहिबा को मेरा नाम और मेरे आने का मक़सद कैसे मालूम हो गया मुझे यह ख्याल आया ही था कि उन्हों ने कहा कि ऐ अब्दुल वाहिद! क्या तुम को मालुम नही कि रोज़े अज़ल में जिन जिन रूहों को एक दूसरे की पहचान हो गई है इन में दुनिया के अंदर उल्फत व मुहब्बत पैदा हो जाया करती है फिर मैं ने पूछा कि भेड़ियों और बकरियों को मैं एक साथ चरते हुए देख रहा हूं यह क्या मुआमला हैं? यह सुन कर उन्होंने जवाब दिया कि जाइये अपना काम कीजिये मुझे नमाज़ पढ़ने दीजिये, मैं ने अपना मुआमला अल्लाह तआला से दुरूस्त कर लिया है इस लिये अल्लाह तआला ने मेरी बकरियों का मुआमला भेड़ियों के साथ दुरूस्त कर दिया है!..✍🏻

        *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 543 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝हज़रते मैमूना सौदा ❞
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╭┈►*तबसिरा :* मां बहनो ! यह मुख्तलिफ़ ज़मानों की बा कमाल औरतों का तज़किरा हम ने लिख दिया है ताकि मुसलमान औरते इन अल्लाह वालियों के हालात व वाकिआत को पढ़ कर इब्रत और सबक हासिल करे और अपनी इस्लाह कर के दोनों जहान की सलाह व फलाह हासिल करने का सामान करे खुदावन्दे करीम अपने हबीब ﷺ के तुफैल में सब को हिदायत दे और सब को सिराते मुस्तकीम पर चला कर खातिमा बिल खैर नसीब फरमाए!...✍🏻आमीन

       *📬 जन्नती ज़ेवर सफ़ह 544 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ हज़रते आसिया का ईमान ❞
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╭┈►हज़रते आसिया ने अपना ईमान अपने शोहर फिरऔन से छुपाया था जब फिरऔन को इस का पता चला तो उस ने हुक्म दिया कि इसे गूना-गूं अज़ाब दिये जाएं ताकि हज़रते आसिया ईमान को छोड़ दें लेकिन हज़रते आसिया साबित कदम रही, तब फिरऔन ने मींखें मंगवाई और इन के जिस्म पर मिंखें गड़वा दी और फिरऔन कहने लगा अब भी वक़्त है ईमान को छोड़ दो मगर हज़रते आसिया ने जवाब दिया तू मेरे वुजूद पर कादिर है लेकिन मेरा दिल मेरे रब की पनाह में है, अगर तू मेरा हर उ़ज़्व काट दे तब भी मेरा इश्क़ बढ़ता जाएगा!..✍🏻

      *📬 मकाशफ़्तुल कुलूब सफ़ह 78 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ हज़रते आसिया का ईमान  ❞
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╭┈►मूसा अलैहिस्सलाम का वहां से गुज़र हुवा, आसिया ने मूसा अलैयहिस्सलाम से पूछा मेरा रब मुझ से राज़ी है या नहीं? हज़रते मूसा अलैसहिस्सलाम ने फ़रमाया ऐ आसिया! आसमान के फिरिश्ते तेरे इन्तिज़ार में हैं और अल्लाह तआला तेरे कारनामो पर फख्र फरमाता है, सुवाल कर तेरी हर हाजत पूरी होगी आसिया ने दुआ मांगी ऐ मेरे रब मेरे लिये अपने जवारे रहमत में जन्नत में मकान बना दे, मुझे फिरऔन, उस के मज़ालिस और ज़ालिम लोगों से नजात अता फरमा हज़रते सलमान कहते हैं आसिया को धूप में अज़ाब दिया जाता था, जब लोग लौट जाते तो फिरिश्ते अपने परों से आप पर साया किया करते थे और वोह अपने जन्नत वाले घर को देखती रहती थीं!..✍🏻

     *📬 मकाशफ़्तुल कुलूब सफ़ह 78 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝हज़रते आसिया का ईमान  ❞
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╭┈►हज़रते अबू हुरैरा कहते हैं कि जब फिरऔन ने हज़रते आसिया को धूप में लिटा कर चार मिंखें इन के जिस्म में गड़वाईं और इन के सीने पर चक्की के पाट रख दिये गए तो हज़रते आसिया ने आसमान की तरफ निगाह उठा कर अर्ज़ की

⚘❆➮ तर्जमए कन्ज़ुल ईमान : ऐ मेरे रब मेरे लिये अपने पास जन्नत में घर बना और मुझे फिरऔन और उस के काम से नजात दे और मुझे जा़लिम लोगों से नजात बख्श

⚘❆➮ हज़रते ह़सन कहते हैं अल्लाह तआला ने इस दुआ के तुफैल आसिया को फिरऔन से बा इज्ज़त रिहाई अता फरमाई और इन को जन्नत में बुला लिया जहां वोह जी ह़यात की तरह खाती पीती हैं!

⚘❆➮ *तबसिरा :* इस हिकायत से यह बात वाज़ेह हो गई कि मसाइब और तकालीफ में अल्लाह की पनाह मांगना ,उस से इल्तिजा करना और रिहाई का सुवाल करना मोमिनीन और सालिहीन का तरीका हैं!..✍🏻

     *📬 मकाशफ़्तुल कुलूब सफ़ह 79 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ हज़रते फातिमा का आलमे गुर्बत ❞
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╭┈►हज़रते इमरान बिन हुसैन से मरवी है हुज़ूर ﷺ मुझ से हुस्ने ज़न रखते थे, एक मरतबा हुज़ूर ﷺ ने फरमाया ऐ इमरान! तुम्हारा मेरे नज़दीक एक खास मकाम है, क्या तुम मेरी बेटी फातिमा की इयादत को चलोगे? मैं ने कहा मेरे मां बाप आप पर कुरबान! जरूर चलूंगा" चुनान्चे, हम रवाना हो गए और हज़रते फातिमा के दरवाजे पर पहुंचे ,आप ﷺ ने दरवाज़ा खट -खटाया और सलाम के बाद अन्दर आने की इजाज़त तलब फरमाई हज़रते फातिमा ने फरमाया तशरीफ लाइये ! आप ने फरमाया मेरे साथ एक और शख़्स भी है, पूछा गया हुज़ूर ﷺ दूसरा कौन है? आप ने फरमाया इमरान ! हज़रते फातिमा बोलीं रब्बे ज़ुल जलाल की कसम! जिस ने आप को हक के साथ मबऊस फरमाया मैं सिर्फ़ एक चादर से तमाम जिस्म छुपाए हुवे हूं आप ने दस्ते अक्दस के इशारे से फरमाया तुम ऐसे ऐसे पर्दा कर लो, उन्हों ने अर्ज़ किया इस तरह मेरा जिस्म तो ढक जाता है मगर सर नहीं छुपता, आप ने उन की तरफ एक पुरानी चादर फेंकी और फरमाया तुम इस से सर ढांप लो!..✍🏻

     *📬 मुकाशफतुल कुलूब सफ़ह 255 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ हज़रते फातिमा का आलमे गुर्बत ❞
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╭┈►इस के बाद आप घर में दाखिल हुवे और सलाम के बाद पूछा बेटी कैसी हो? हज़रते फातिमा ने अर्ज़ किया हुज़ूर ﷺ मुझे दोहरी तक्लीफ है ,एक बीमारी की तक्लीफ और दूसरे भूक की तक्लीफ! मेरे पास ऐसी कोई चीज़ नहीं है जिसे खा कर भूक मिटा सकूं, रसूलुल्लाह ﷺ येह सुन कर अश्कबार हो गए और फरमाया बेटी घबराओ नहीं, रब ﷻ की कसम! मेरा रब के यहां तुम से ज्यादा मर्तबा है मगर मैं ने तीन दिन से कुछ नहीं खाया है, अगर मैं अल्लाह तआला से मांगूं तो मुझे जरूर खिलाए मगर मैं ने दुनिया पर आखिरत को तरजीह दी है फिर आप ने हज़रते फातिमा के कंधे पर हाथ रख कर फरमाया खुश हो जाओ तुम जन्नती औरतों की सरदार हो" उन्हों ने पूछा हज़रते आसिया और मरयम कहां होंगी? आप ने फरमाया आसिया अपने ज़माने की औरतों की और तुम अपने ज़माने की औरतों की सरदार हो, तुम जन्नत के ऐसे महल्लात में रहोगी जिस में कोई ऐब, कोई दुख और कोई तक्लीफ नहीं होगी फिर फरमाया अपने चचाज़ाद के साथ खुश रहो, मैं ने तुम्हारी शादी दुनिया और आखिरत के सरदार के साथ की है!..✍🏻

     *📬 मुकाशफतुल कुलूब सफ़ह 256 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝एक जा़निया की तौबा ❞
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╭┈►मुस्लिम शरीफ की रिवायत है कि एक औरत जुहैना जो ज़िना से हामिला हुई थी हुज़ूर की खिदमत में आई और अर्ज़ की या रसूलुल्लाह! मैं काबिले हद हूं, मुझ पर हद जारी फरमाइये, हुज़ूर ने उस के सर परस्त को बुला कर फ़रमाया कि इस से हुस्ने सुलूक करना और जब इस का बच्चा पैदा हो जाए तो इसे मेरे पास ले आना, चुनान्चे, उस शख़्स ने ऐसा ही किया और हुज़ूर ने हुक्म फरमाया कि इस औरत के कपड़े अच्छी तरह बांध दिये जाएं ,फिर आप ने उसे संगसार करने का हुक्म दिया और बाद में आप ने उस की नमाज़े जनाज़ा पढ़ाई हज़रते उ़मर ने अर्ज़ की : या रसूलुल्लाह आप ने इस जा़निया की नमाज़े जनाज़ा पढ़ाई? आप ने फरमाया : कि इस ने एसी तौबा की है कि अगर वोह मदीने के 70 आदमियों पर बांट दी जाए तो सब को पूरी हो जाए, क्या तुम ने इस से कोई अफ़्ज़ल शख्स देखा कि वोह खुद को अल्लाह की हुदूद के इजरा के लिये ले आई है!...✍🏻

 *📬 मुकाशफ़तुल कुल़ूब सफआ 405 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

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     ❝ अल्लाह देख रहा है ❞
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╭┈►हज़रते सय्यिदुना अस्लम फरमाते हैं अमीरुल मुअमिनीन हज़रते सय्यिदुना उ़मर बिन खत्ताब अक्सर रात के वक़्त मदीनए मुनव्वरा का दौरा फरमाते ताकि अगर किसी को कोई हाजत हो तो उसे पूरा करें, एक रात मैं भी उन के साथ था, आप चलते चलते अचानक एक घर के पास रुक गए, अन्दर से एक औरत की आवाज़ आ रही थी बेटी दूध में थोड़ा सा पानी मिला दो लड़की येह सुन कर बोली अम्मी जान! क्या आप को मालूम नहीं कि अमीरुल मुअमिनीन हज़रते सय्यिदुना उ़मर बिन खत्ताब ने क्या हुक्म जारी फरमाया है? उस की मां बोली बेटी ! हमारे खलीफा ने क्या हुक्म जारी फरमाया है? लड़की ने कहा अमीरुल मुअमिनीन हज़रते सय्यिदुना उ़मर बिन खत्ताब ने येह एलान करवाया है कि कोई भी दूध में पानी न मिला!..✍🏻

*📬 उ़यूनुल हिकायात (मुतर्जम) सफह 45-46 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ अल्लाह देख रहा है ❞
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╭┈►मां ने येह सुन कर कहा बेटी! अब तो तुम्हें हज़रते सय्यिदुना उ़मर नहीं देख रहे, उन्हें क्या मालूम कि तुम ने दूध में पानी मिलाया है, जाओ और दूध में पानी मिला दो लड़की ने येह सुन कर कहा "खुदा की कसम! मैं हरगिज़ ऐसा नहीं कर सकती कि उन के सामने तो उन की फरमां बरदारी करूं और उनकी गैर मौजूदगी में उन की ना फरमानी करूं ,इस वक़्त अगर्चे मुझे अमीरुल मुअमिनीन हज़रते सय्यिदुना उ़मर बिन खत्ताब नहीं देख रहे हैं, लेकिन मेरा रब तो मुझे देख रहा है, मैं हरगिज़ दूध में पानी नहीं मिलाऊंगी हज़रते सय्यिदुना उ़मर फारूक ने मां बेटी के दरमियान होने वाली तमाम गुफ्तगू सुन ली थी आप ने मुझ से फरमाया एे अस्लम! इस घर को अच्छी तरह पहचान लो फिर आप सारी रात इसी तरह गलियों में दौरा करते रहे, जब सुबह हुई तो मुझे अपने पास बुलाया और फरमाया ऐ अस्लम उस घर की तरफ जाओ और मालूम करो कि यहां कौन कौन रहता है?  और येह भी मालूम करो की वोह लड़की शादी शुदा है या कंवारी!..✍🏻

*📬 उ़यूनुल हिकायात(मुतर्जम) सफ़ह 45-46 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝अल्लाह देख रहा है ❞
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╭┈►हज़रते सय्यिदुना अस्लम फरमाते हैं "मैं उस घर की तरफ गया और उन के बारे में मालूमात हासिल कीं तो पता चला कि उस घर में एक बेवा औरत और उस की एक बेटी रहती है ,और उस की बेटी की अभी तक शादी नही हुई मालूमात हासिल करने के बाद मैं हज़रते सय्यिदुना उ़मर के पास आया और उन्हें सारी तफ्सील बताई आप ने फरमाया मेरे तमाम साहिब ज़ादो को मेरे पास बुला कर लाओ जब सब आप के पास जम्अ हो गए तो आप ने उन से फरमाया क्या तुम में से कोई शादी करना चाहता है?हज़रते सय्यिदुना अब्दुल्लाह बिन उ़मर और हज़रते सय्यिदुना अब्दुर्रहमान ने अर्ज़ की :"हम तो शादी शुदा हैं फिर हज़रते आसिम बिन उ़मर खड़े हुए और अर्ज़ की अब्बा जान मैं गैरे शादी शुदा हूं मेरी शादी करा दीजिये चुनान्चे आप ने उस लड़की को अपने बेटे से शादी के लिये पैगाम भेजा जो उस ने ब खुशी कबूल कर लिया इस तरह हज़रते आसिम की शादी उस लड़की से हो गई और फिर उन के हां एक बेटी पैदा हुई जिस से हज़रते उ़मर बिन अब्दुल अज़ीज़ की विलादत हुई!..✍🏻

*📬 उ़यूनुल हिकायात(मुतर्जम) सफ़ह 45-46 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝नेमत पर गमगीन और मुसीबत पर खुश होने वाली औरत ❞
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╭┈►हज़रते सय्यिदुना इब्ने यसार मुस्लिम फरमाते हैं एक मरतबा मैं तिजारत की गरज से बहरीन की तरफ गया, वहां मैं ने देखा कि एक घर की तरफ बहुत लोगों का आना जाना है, मैं भी उस तरफ चल दिया वहां जा कर देखा कि एक औरत निहायत अफ्सुर्दा और गमगीन फटे पुराने कपड़े पहने मुसल्ले पर बैठी है और उसके इर्द गिर्द गुलामों और लौंडियों की कसरत है, उस के कई बेटे और बेटियाँ हैं, तिजारत का बहुत सारा साजो सामान उस की मिल्कियत में है, खरीदारो का हुजूम लगा हुआ है, वोह औरत हर तरह की नैमतो के बावजूद निहायत ही गमगीन थी न किसी से बात करती, न ही हंसती मैं वहां से वापस लौट आया और अपने कामो से फारिग होने के बाद दोबारा उसी घर की तरफ चल दिया वहां जा कर मैं ने उस औरत को सलाम किया उस ने जवाब दिया और कहने लगी अगर कभी दोबारा यहां आना हो और कोई काम हो तो हमारे पास जरूर आना, फिर मैं वापस अपने शहर चला आया कुछ अर्से बाद मुझे दोबारा किसी काम के लिये उसी औरत के शहर में जाना पड़ा!..✍🏻

*📬 उ़यूनुल हिकायात (मुतर्जम) सफ़ह 94-95 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ नेमत पर गमगीन और मुसीबत पर खुश होने वाली औरत❞
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╭┈►जब मैं उस के घर गया तो देखा कि अब वहां किसी तरह की चहल पहल नहीं न तिजारती सामान है,न खुद्दाम व लौंडिया नज़र आ रही है और न ही उस औरत के लड़के मौजूद हैं, हर तरफ वीरानी छाई हुई है मैं बड़ा हैरान हुवा और मैं ने दरवाज़ा खट खटाया तो अन्दर से किसी के हसने और बाते करने की आवाज़ आने लगी जब दरवाज़ा खोला गया और मैं अन्दर दाखिल हुवा तो देखा कि वोही औरत अब निहायत कीमती और खुश रंग लिबास में मल्बूस बड़ी खुश व खुर्रम नज़र आ रही थी, और उस के साथ सिर्फ एक औरत घर में मौजूद थी इस के इलावा कोई और न था मुझे बड़ा ताज्जुब हुवा और मैं ने उस औरत से पूछा जब मैं पिछली मर्तबा तुम्हारे पास आया था तो तुम कसीर नेमतो के बावजूद गमगीन और निहायत अफ्सुर्दा थीं लेकिन अब खादिमों, लौंडियों और दौलत की अदम मौजूदगी में भी बहुत खुश और मुत्मइन नज़र आ रही हो, इस मे क्या राज़ है?

⚘❆➮ तो वोह औरत कहने लगी तुम ताज्जुब न करो, बात दरअसल यह है कि जब पिछली मर्तबा तुम मुझ से मिले तो मेरे पास दुनियावी नेमतो की बोहतात थी, मेरे पास मालो दौलत और औलाद की कसरत थी, उस हालत में मुझे येह खौफ हुवा कि शायद मेरा रब मुझ से नाराज है, इस वजह से मुझे कोई मुसीबत और गम नहीं पहुंचता वरना उस के पसन्दीदा बन्दे तो आज़माइशो और मुसीबतों में मुब्तला रहते हैं उस वक़्त यही सोच कर मैं परेशान व गमगीन थी और मैं ने अपनी हालत ऐसी बनाई हुई थी!..✍🏻

*📬 उ़यूनुल हिकायात (मुतर्जम) सफ़ह 94-95 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝नेमत पर गमगीन और मुसीबत पर खुश होने वाली औरत ❞
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╭┈►इस के बाद मेरे माल व औलाद पर मुसलसल मुसीबतें टूटती रहीं,मेरा सारा असासा जाएअ हो गया, मेरे तमाम बेटो और बेटियों का इन्तिकाल हो गया, खुद्दाम व लौंडियां सब जाती रहीं और मेरी तमाम दुनियावी नेमते मुझ से छिन गई अब मैं बहुत खुश हूँ कि मेरा रब मुझ से खुश है इसी वजह से तो उस ने मुझे अजमाइश में मुब्तला किया है पस मैं इस हालत में अपने आप को बहुत खुश नसीब समझ रही हूं, इसी लिये मैने अच्छा लिबास पहना हुआ है हज़रते सय्यिदुना यसार मुस्लिम फरमाते हैं इस के बाद मैं वहां से चला आया और मैं ने हज़रते सय्यिदुना अब्दुल्लाह बिन उमर को उस औरत के मुतअल्लिक बताया तो वोह फरमाने लगे उस औरत का हाल तो हज़रते सय्यिदुना अय्युब अलैयहिस्सलाम की तरह है और मेरा तो यह हाल है कि एक मरतबा मेरी चादर फट गई मैं ने उसे ठीक करवाया लेकिन वोह मेरी मर्जी के मुताबिक ठीक न हुई तो मुझे इस बात ने काफी दिन गमगीन रखा!..✍🏻

*📬 उ़यूनुल हिकायात (मुतर्जम) सफ़ह 94-95 📚*

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     ❝ हज़रते सय्यिदतुना राबिआ अदविया के शबो रोज़ ❞
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╭┈►हज़रते सय्यिदुना ईसा बिन मर्हूम अत्तार फरमाते हैं :एक नेक सीरत लौंडी हज़रते सय्यिदतुना राबिआ अदविया की इबादत व रियाजत के बारे में बताया कि आप सारी सारी रात नमाज़ में मश्गूल रहती |जब सुबह सादिक होती तो थोड़ी देर के लिये अपने मुसल्ले पर लेट जाती, और जब हल्का हल्का उजाला होने लगता तो फौरन उठ खड़ी होती और अपने नफ्स को मुखातब कर के कहतीं :ऐ नफ्स! तू इस ना पाएदार दुनियां में कब तक सोता रहेगा? येह दुनियां तो तंगी का घर है, फिर इस मे इतनी नींद क्यूं? आज कुछ देर जाग ले कुछ नेक आमाल कर लें, फिर कब्र मे खूब मीठी नींद सो जाना, वहां तुझे कियामत तक कोई नहीं जगाएगा, अमल यहां कर ले आराम वहां करना!..✍🏻

*📬 उयूनुल हिकायात(मुतर्जम) सफ़ह 168-169 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

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     ❝ हज़रते सय्यिदतुना राबिआ अदविया के शबो रोज़ ❞
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╭┈►फिर आप उठ बैठतीं और दोबारा इबादत में मश्गूल हो जाती आप ने पूरी ज़िन्दगी इसी तरह इबादत व रियाजत में गुजारी जब आप की वफात का वक्त करीब आया तो मुझे बुला कर फरमाने लगी :मेरी मौत की वजह से मुझे अज़िय्यत न देना यानी मेरे मरने के बाद चीखो पुकार न करना, और इसी ऊन के जुब्बे में मेरी तक्फीन करना आप उसी जुब्बे को पहन कर सारी सारी रात अल्लाहﷻ की इबादत में मश्गूल रहती, लोग नींद के मजे ले रहे होते लेकिन यह अल्लाहﷻ की बंदी लज्जते इबादत से लुत्फ अन्दोज हो रही होती!...✍🏻

*📬 उयूनुल हिकायात(मुतर्जम) सफ़ह 168-169 📚*

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     ❝ हज़रते सय्यिदतुना राबिआ अदविया के शबो रोज़ ❞
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╭┈►आप की वफात के बाद हमने आप को उसी जुब्बे में कफन दिया जिस की आप ने वसिय्यत फरमाई थी, और वोह चादर भी कफन में शामिल कर दी जिसे ओढ़ कर आप इबादत किया करती थी आप की वफात के तकरीबन एक साल बाद मैं ने आप को ख्वाब में देखा कि आप जन्नत के आला दर्जों में हैं और आप ने सब्ज़ रेशम का बेहतरीन लिबास जैंबे बदन किया हुवा है, और सब्ज़ रेशम का दुपट्टा ओढ़ा हुवा है, खुदाﷻ की कसम! मैं ने कभी ऐसा खूबसूरत लिबास नहीं देखा था जैसा आप ने पहना हुवा था!...✍🏻

*📬 उयूनुल हिकायात(मुतर्जम) सफ़ह 168-169 📚*

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     ❝ हज़रते सय्यिदतुना राबिआ अदविया के शबो रोज़ ❞
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╭┈►मैं ने आप से पूछा :ऐ राबिआ! आप के उस जुब्बे और चादर का क्या हुवा जिस में हम ने आप को कफन दिया था? तो आप ने फरमाया : अल्लाहﷻ की कसम! वोह लिबास मुझ से ले लिया गया, और उस की जगह येह बेहतरीन लिबास मुझे अता किया गया है जिसे तुम देख रही हो, और मेरे उस जुब्बे और चादर को लपेट कर उस पर मोहर लगा दी गई और उसे मकामे इल्लिय्यीन में रख दिया गया है ताकि कियामत के दिन उस के बदले मुझे सवाब अता किया जाए मैं ने पूछा :आप को अपने दुनिया में किये हुए आमाल के बदले में और क्या क्या नेमतें अता की गई? आप फरमाने लगी : अल्लाहﷻ ने अपने नेक बंदों के लिये जो नेमते तय्यार कर रखी हैं, वोह बयान से बाहर हैं तुम ने तो अभी उन नेमतों की एक झलक ही देखी हैं!...✍🏻

*📬 उयूनुल हिकायात(मुतर्जम) सफ़ह 168-169 📚*

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     ❝ हज़रते सय्यिदतुना राबिआ अदविया के शबो रोज़ ❞
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╭┈► फिर मैं ने पूछा : उबैदा बिन्ते अबू किलाब के साथ आखिरत में क्या मुआमला पेश आया? फरमाने लगी : अल्लाह ﷻ की कसम! वोह हम से सब्कत ले गई और हम से आला मर्तबों में उन्हें रखा गया है मैं ने पूछा किस वजह से उन्हें आप पर फजीलत दी गई? हालां की लोगों की नज़रों में आप का मर्तबा उन से ज्यादा था आप ने फरमाया वोह हर हाल में अल्लाह ﷻ का शुक्र अदा करती थीं और दुनियावी फिक्रों से परेशान न होती थीं फिर मैं ने पूछा :अबू मालिक ज़ैग़म के साथ कैसा बरताव किया गया? फरमाने लगीं :अल्लाहﷻ ने उन्हें बहुत बड़ा इन्आम अता फरमाया है, वोह जब चाहते हैं अपने परवर्द गार की जियारत कर लेते हैं, उन का अल्लाह ﷻ की बारगाह में बहुत बड़ा मकाम है मैं ने पूछा हज़रते बिशर बिन मन्सूर के साथ क्या हुवा ?फरमाने लगी : उन का मर्तबा तो काबिले रश्क है, उन्हें तो ऐसी ऐसी नेमतो से नवाजा गया है जिन के बारे में उन्हों ने कभी सोचा भी न होगा!..✍🏻

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     ❝ हज़रते सय्यिदतुना राबिआ अदविया के शबो रोज़❞
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╭┈► फिर मैं ने अर्ज़ की मुझे किसी ऐसे अमल के मुतअल्लिक बता दीजिये जिस के जरीए मुझे अल्लाह ﷻ का कुर्ब और उस की रिज़ा नसीब हो जाए तो आप ने फरमाया :कसरत से ज़िक्रुल्लाह करो, हर वक्त अपने ऊपर ज़िक्रुल्लाह को लाज़िम कर लो अगर ऐसा करोगी तो कुछ बईद नहीं कि तुम्हारी कब्र में तुम्हें ऐसी नेमतों से नवाजा जाए कि तुम काबिले रश्क हो जाओ!

🤲🏻 ⚘ ऐ हमारे परवर्द गारﷻ! हमें भी इन बुज़ुर्ग हस्तियों के सदके ऐसी ज़बान अता फरमा जो हर वक़्त तेरे ज़िक्र में मश्गूल रहे ऐसा जिस्म अता फरमा जो दीन की राह में आने वाली मुसीबतों पर सब्र करे और ऐसा दिल अता फरमा जो हर वक़्त तेरा शुक्र अदा करता रहे!...✍🏻 आमीन

*📬 उयूनुल हिकायात(मुतर्जम) सफ़ह 168-169 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था


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     ❝ खुदा तरस औरत को डूबा हुवा बच्चा कैसे मिला❞
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╭┈► हज़रते सय्यिदुना इकरिमा फरमाते हैं कि एक मुल्क का बादशाह बहुत ज़ालिम और कन्जूस था उस ने अपने मुल्क में येह एलान कर दिया कि कोई भी शख्स किसी फकीर या मिल्कीन पर कोई चीज सदका न करे, कोई किसी गरीब की मदद न करे अगर किसी ने ऐसा किया तो मैं उस का हाथ काट दूंगा येह खबर सुन कर लोगों में सनसनी मच गई, अब हर कोई सदका देने से डरने लगा एक दिन एक फकीर मजबूर हो कर एक औरत के पास आया और उस ने कहा अल्लाह ﷻ की रीज़ा के खातिर मुझे कोई चीज़ खाने के लिये दे दो तो वह औरत बोली हमारे मुल्क के बादशाह ने एलान किया है कि जो कोई किसी को सदका देगा उस का हाथ काट दिया जाएगा, अब मैं तुम्हें किस तरह कोई चीज़ दूं? फकीर ने कहा तुम मुझे अल्लाह ﷻ की रीज़ा के खातिर कोई खाने की चीज़ दे दो औरत को उस फकीर पर बहुत तरस आया और उस ने बादशाह की नाराज़गी और सजा की परवाह किए बगैर अल्लाह ﷻ की रीज़ा के लिये उस फकीर को दो रोटियां दे दी फकीर रोटियां ले कर दुआएं देता हुवा वहां से चला गया!..✍🏻

 *📬 उ़यूनुल हिकायात (मुतर्जम) सफ़ह 226-227 📚*

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🅿🄾🅂🅃 ➪  144

   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था


    इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝खुदा तरस औरत को डूबा हुवा बच्चा कैसे मिला ❞
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╭┈► जब बादशाह को मालूम हुवा कि फुलां औरत ने मेरे हुक्म की खिलाफ वर्जी़ की है तो उस ने औरत की तरफ अपने सिपाही भेजे और औरत के दोनों हाथ काट दिये गए कुछ अर्से बाद बादशाह ने अपनी वालिदा से कहा मुझे किसी ऐसी औरत के बारे में बताओ जो सब से ज्यादा हसीनो जमील हो ताकि मैं उस से शादी करूं तो उस की वालिदा ने उसे बताया हमारे मुल्क में एक ऐसी खुबसुरत और बे मिसाल हुस्नो जमाल की पैकर औरत रहती है कि मैं ने आज तक उस जैसी हसीनो जमील औरत नहीं देखी लेकिन उस में एक बहुत बड़ा ऐब है बादशाह ने पूछा उस में क्या ऐब है? उस की वालिदा ने जवाब दिया उस के दोनों हाथ कटे हुए हैं!..✍🏻

 *📬 उ़यूनुल हिकायात (मुतर्जम) सफ़ह 226-227 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ खुदा तरस औरत को डूबा हुवा बच्चा कैसे मिला❞
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╭┈► बादशाह ने सिपाहियों को हुक्म दिया कि फूलां औरत को मेरे पास हाज़िर किया जाए चन्द सिपाही गए और उसी औरत को बादशाह के पास ले आए जिस के हाथ फकीर को रोटियां देने की वजह से काट दिये गए थे जब बादशाह ने उस औरत को देखा तो उस के हुस्नो जमाल ने बादशाह को हैरत में डाल दिया बादशाह ने उस से कहा क्या तुम मुझ से शादी करना चाहती हो?  औरत ने कहा मुझे कोई एतिराज नहीं अगर तुम मुझ से शादी करना चाहो तो मुझे मन्जूर है चुनान्चे उन दोनों की शादी बड़ी धूमधाम से हुई, जशन मनाया गया और इस तरह वोह हंसी खुशी ज़िन्दगी गुज़ारने लगे!..✍🏻

 *📬 उ़यूनुल हिकायात (मुतर्जम) सफ़ह 226-227 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝खुदा तरस औरत को डूबा हुवा बच्चा कैसे मिला ❞
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╭┈► बादशाह की दूसरी बीवीयों को उस औरत से हसद हो गया और वोह दिन रात हसद की आग में जलने लगीं, उन के दिल में येह बात बैठ गई कि बादशाह अब हमे इतनी वुक्अत नहीं देता जितनी इस गरीब व नादार नई दुल्हन को देता है चुनान्चे वोह हर वक़्त इसी फिक्र में रहती कि किसी तरह नई दुल्हन को बादशाह की नज़रो से गिरा दिया जाए लेकिन वोह अपने इस मज़मूम इरादे में काम्याब न हो सकीं फिर अचानक बादशाह किसी महाज़ पर रवाना हो गया और वहां उसे काफी दिन दुश्मनों से लड़ना पड़ा बादशाह की बीवियों को येह बहुत अच्छा मौकअ मिल गया उन्हों ने बादशाह को खत लिखा कि तुम्हारे पीछे से तुम्हारी नई दुल्हन ने तुम्हारी इज्ज़त को दागदार कर दिया है और वोह बदकार हो गई है और इस बदकारी के नतीजे में उस के हां बच्चा भी पैदा हुवा है!..✍🏻

 *📬 उ़यूनुल हिकायात (मुतर्जम) सफ़ह 226-227 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝खुदा तरस औरत को डूबा हुवा बच्चा कैसे मिला ❞
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╭┈► जब बादशाह को येह खत मिला तो वोह आग बगूला हो गया उस ने फौरन अपने कासिद को येह पैगाम दे कर अपनी वालिदा के पास भेजा कि उस बदकार औरत को उस के बच्चे समेत मेरे मुल्क से निकाल दो, उस के गले में कपड़ा बांध कर बच्चा उस में डाल दो जब उस की वालिदा को येह पैगाम मिला तो उस ने ऐसा ही किया और उस के गले में कपड़ा डाल कर बच्चा उस में डाल दिया फिर उसे मुल्क से दूर एक जंगल में छोड़ दिया गया अब वोह बेचारी तंहा जंगल में रह गई लेकिन उसे अपने रब से किसी किस्म का कोई शिक्वा न था, वोह तो उस की रिज़ा में राज़ी थी वोह बेचारी इसी तरह जंगल में घूमती रही, प्यास की शिद्दत ने उसे परेशान कर रखा था बिल आखिर उसे दूर एक नहर नज़र आई वोह नहर पर गई और जैसे ही पानी पीने के लिये झुकी तो उस का बच्चा गहरे पानी में जा गिरा और डूबने लगा!..✍🏻

 *📬 उ़यूनुल हिकायात (मुतर्जम) सफ़ह 226-227 📚*

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     ❝ खुदा तरस औरत को डूबा हुवा बच्चा कैसे मिला❞
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╭┈► जब औरत ने अपने बच्चे को डूबते देखा तो वोह रोने लगी इतने में उस के पास दो खूब सूरत नौ जवान आए और उस से पूछा तुम क्यों रो रही हो? उस ने कहा मैं पानी पिने के लिये झुकी तो मेरा बेटा इस नहर में गिर कर डूब गया, मेैं इसी गम मे रो रही हूं उन खूब सूरत नौ जवानों ने पूछा क्या तू चाहती है कि हम तेरे बच्चे को निकाल लाए, ?औरत ने बेताब हो कर कहा हां! मैं चाहती हूं कि अल्लाह मुझे मेरा बच्चा वापस लौटा दे उन नौ जवानो ने दुआ की और उसका बच्चा निकाल कर उसे दे दिया फिर उन्हों ने पूछा ऐ रहम दिल औरत! क्या तू चाहती है कि तेरे हाथ तुझे वापस कर दिये जाएं और तू ठीक हो जाए? उस ने कहा हां! मैं चाहती हूं |चुनान्चे उन दोनों नौ जवानो ने दुआ की और उसके दोनों हाथ बिल्कुल ठीक हो गए औरत ने अल्लाह का शुक्र अदा किया और हैरान कुन नज़रो से उन नौ जवानों को देखने लगी जिन की बरकत से उसे डूबा हुवा बच्चा भी मिल गया और उस के हाथ भी उसे लौटा दिये गए फिर उन नौ जवानो ने पूछा ऐ अज़ीम औरत! क्या तू जानती है कि हम कौन हैं? औरत ने कहा मैं आप को नहीं पहचानती औरत का येह जवाब सुन कर उन्हों ने कहा हम तेरी वही दो रोटियां हैं जो तूने एक मजबूर साइल को दी थी!..✍🏻

 *📬 उ़यूनुल हिकायात (मुतर्जम) सफ़ह 226-227 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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   *❝  बदनामे ज़माना फाहिशा ने तौबा कैसे की❓❞*
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           *🌹खौफे खुदा की बरकते 🌹*
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╭┈►हज़रते सय्यिदुना हसन बसरी फरमाते हैं :एक फाहिशा औरत के बारे में मशहूर था कि उसे दुनिया का तिहाई हुस्न दिया गया है उस की बदकारी भी इन्तिहा को पहुंच चुकी थी, जब तक वोह 100 दीनार न ले लेती अपने करीब किसी को न आने देती लोग उस के हुस्न की वजह से इतनी भारी रकम अदा कर के भी उस से बदकारी करते एक मरतबा एक आबिद की उस पर अचानक नज़र पड़ गई, इतनी हसीनो जमील औरत को देख कर वोह आबिद उस के इश्क़ में मुब्तला हो गया और उस ने इरादा किया कि मैं इस हसीनो जमील औरत का कुर्ब जरूर हासिल करूंगा, जब उसे मालूम हुवा कि 100 दीनार दिये बिगैर मेरी यह हसरत पूरी नही हो सकती तो उस मत्लूबा रकम हासिल करने के लिये दिन रात मजदूरी की काफी तगो दौ के बाद जब 100 दीनार जम्अ हो गए तो वोह उस बदकार औरत के पास पहुंचा और कहा ऐ हुस्नो जमाल की पैकर! मैं पहली ही नज़र में तेरा दीवाना हो गया था, तेरा कुर्ब हासिल करने के लिए मै ने मजदूरी की और अब 100 दीनार ले कर तेरे पास आसा हूं!..✍🏻

*📬 उ़यूनुल हिकायात(मुतर्जम) सफ़ह 248-250 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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 *❝  बदनामे ज़माना फाहिशा ने तौबा कैसे की❓❞*
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           *🌹खौफे खुदा की बरकते 🌹* 
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╭┈►येह सुन कर उस फाहिशा औरत ने कहा अन्दर आ जाओ जब वोह आबिद कमरे में दाखिल हुवा तो देखा कि वोह हसीनो जमील औरत सोने के तख्त पर बैठी है उस ने आबिद से कहा मेरे करीब आओ और अपनी देरीना ख़्वाहिश पूरी कर लो ,मैं हाज़िर हूं, आओ! मेरे करीब आओ वोह आबिद बेताब हो कर उस की तरफ बड़ा और उस के करीब तख्त पर जा बैठा जब वोह दोनों बदकारी के लिये बिल्कुल तय्यार हो गए तो उस आबिद की साबिका इबादत उस के काम आ गई और उसे अल्लाह की बारगाह में हाज़िरी का दिन याद आ गया बस येह खयाल आना था कि उस के जिस्म पर कपकपी तारी हो गई, उस की शहवत खत्म हो गई और उसे अपने इस फेले बद के इरादे पर बड़ी शर्मिंदगी हुई उस ने औरत से कहा मुझे जाने दो और येह 100 दीनार भी तुम अपने पास रखो, मैं इस गुनाह से बाज़ आया उस औरत ने हैरान हो कर पूछा आखिर तुम्हें क्या हुवा? तुम तो कह रहे थे कि तुम्हारा हुस्नो जमाल देख कर मैं दीवाना हो गया हूं और मेरा कुर्ब हासिल करने के लिये तुम ने बहुत जतन किये, अब जब कि तुम मेरे कुर्ब में हो और मैं ने अपने आप को तुम्हारे हवाले कर दिया है तो अब तुम मुझ से दूर भाग रहे हो, आखिर क्या चीज़ तुम्हें मेरे कुर्ब से मानेअ है?!..✍🏻

*📬 उ़यूनुल हिकायात(मुतर्जम) सफ़ह 248-250 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

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   *❝  बदनामे ज़माना फाहिशा ने तौबा कैसे की❓❞*
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           *🌹खौफे खुदा की बरकते 🌹*
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╭┈►यह सुन कर उस आबिद ने कहा मुझे अपने रब से डर लग रहा है और उस का खौफ तेरी तरफ माइल नहीं होने दे रहा, मुझे उस दिन का खौफ दामन गीर है जब मैं अपने परवर्द गार की बारगाह में हाज़िर होउंगा, अगर मैं ने येह गुनाह कर लिया तो कल बरोज़े कियामत अल्लाह की नाराज़गी का सामना किस तरह कर सकूंगा, लिहाजा अब मेरा दिल तुझ से उचाट हो चुका है, मुझे यहां से जाने दो आबिद की येह बात सुन कर फाहिशा औरत बहुत हैरान हुई और कहने लगी अगर तुम अपनी इस गुफ्त-गू में सच्चे हो तो मैं भी पुख्ता इरादा करती हूं कि तुम्हारा इलावा कोई और मेरा शोहर हरगिज़ नही बन सकता, मैं तुम ही से शादी करूंगी आबिद कहने लगा तुम मुझे छोड़ दो मुझे बहुत घबराहट हो रही है औरत ने कहा अगर तुम मुझ से शादी कर लो तो मैं तुम्हें छोड़ देती हूं आबिद ने कहा जब तक मैं यहां से चला न जाऊं उस वक़्त तक मैं शादी के लिये तय्यार नहीं औरत ने कहा अच्छा अभी तुम चले जाओ लेकिन मैं तुम्हारे पास आऊंगी और तुम ही से शादी करूंगी फिर वोह आबिद सर पर कपड़ा डाले मुंह छुपाए शरमिन्दा शरमिंदा वहां से निकला और अपने शहर की तरफ रवाना हो गया!..✍🏻

*📬 उ़यूनुल हिकायात(मुतर्जम) सफ़ह 248-250 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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   *❝  बदनामे ज़माना फाहिशा ने तौबा कैसे की❓❞*
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           *🌹खौफे खुदा की बरकते 🌹*
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╭┈►फाहिशा औरत के दिल में उस आबिद की बातें असर कर चुकी थी चुनान्चे उस ने अपने साबिका गुनाहों से तौबा कर ली फिर उस ने अपने शहर को खैरबाद कहा और उस आबिद के बारे में पूछती पूछती बिल अाखिर उस के घर पहुंच गई लोगों ने आबिद को बताया कि फुलां औरत तुम से मुलाकात करना चाहती है आबिद बाहर आया जैसे ही उस की नजर औरत पर पड़ी तो एक ज़ोरदार चीख मारी और उस की रूह आलमे बाला की तरफ परवाज़ कर गई औरत उस की तरफ बढ़ी तो देखा कि उस का जिस्म साकित हो चुका था वोह बहुत ज्यादा गमज़दा हुई और उस ने लोगों से पूछा क्या इस का कोई करीबी रिश्तेदार है? लोगों ने कहा हां इस का भाई है लेकिन वोह बहुत गरीब है यह सुन कर उस औरत ने कहा मैं तो इस नेक आबिद से शादी करना चाहती थी लेकिन येह तो दुनिया से रुख्सत हो गया, अब मैं इस की मुहब्बत में इस के भाई से शादी करूंगी चुनान्चे उस औरत और आबिद के भाई की शादी हो गई ,अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने उन्हें नेक व सालेह औलाद अता फरमाई और उन के हां सात बेटे हुए जो सब के सब अपने ज़माने के मशहूर वली बने!..✍🏻

*📬 उ़यूनुल हिकायात(मुतर्जम) सफ़ह 248-250 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ मारिफते इलाहीﷻ रखने वाली बूढ़ी औरत❞
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╭┈►हज़रते सय्यिदुना उस्मान रजा-ई फरमाते हैं एक मरतबा मैं किसी जरूरी काम के सिल्सिले में बैतुल मुकद्दस से एक गांव की तरफ रवाना हुवा  रास्ते में एक बुढ़ी औरत मिली जिस ने ऊन का जुब्बा पहना हुवा था और ऊन ही की चादर ओढ़ी हुई थी मैं ने उसे सलाम किया उस ने जवाब दिया और पूछा बेटा! तुम कहां से अा रहे हो और कहां का इरादा है? मैं ने बताया मैं बैतल मुकद्दस से आ रहा हूं और फुलां गांंउ किसी काम के सिलसिले में जा रहा हूं उस बूढ़ी औरत ने फिर पूछा जहां से तुम आए हो और जहां जाने का तुम्हारा इरादा है इन दोनों इलाकों के दरमियान कितना फासिला है? मैं ने कहा तकरीबन 18 मील का फासिला होगा वोह कहने लगी बेटे! फिर तो तुम्हारा काम बहुत जरूरी होगा जिस के लिये तुम ने इतनी मशक्कत बरदाश्त की है? मैं ने कहा जी हां! मुझे वाकई बहुत जरूरी काम है उस ने पूछा तुम्हारा नाम क्या है? मैं ने कहा उस्मान वोह कहने लगी ऐ उस्मान तुम जिस गाउं में अपने काम से जा रहे हो उस के मालिक से अर्ज़ क्यूं नहीं करते कि वोह तुम्हें थकाए बिगैर तुम्हारी हाजत पूरी कर दे और तुम्हें सफर की सुऊबतें बरदाश्त न करनी पड़े!..✍🏻

*📬 उ़यूनुल हिकायात(मुतर्जम) सफ़ह 250- 252 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ मारिफते इलाहीﷻ रखने वाली बूढ़ी औरत ❞
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╭┈►मैं इस कलाम से उस ज़ईफ औरत की मुराद न समझ सका और कहा मेरे और उस बस्ती के मालिक के दरमियान कोई खास तअल्लुक नहीं कि वोह मेरी हाजत को इस तरह पूरा कर दे उस औरत ने फिर पूछा ऐ उस्मान! वोह कौन सी शै है जिस ने तुझे उस गावं के मालिके हकीकी की मारिफत से ना बलद रखा है और तुम्हारा उस मालिक से तअल्लुक मुन्कतेअ हो गया है अब मैं उस बूढ़ी औरत की मुराद समझ गया कि येह मुझे क्या समझाना चाहती है यानी येह मेरी तवज्जोह इस बात की तरफ दिला रही है कि खालिके हकीकी ﷻ से अपना तअल्लुक मजबूत क्यूं नहीं रखा और तू उस की मारिफत में अभी तक कामिल क्यूं नहीं हुवा? जब मुझे उस की बात समझ आई तो मैं रोने लगा उस बुढ़ीया ने पूछा ऐ उस्मान! तुझे किस चीज़ ने रुलाया? क्या कोई ऐसा काम है कि तूने वोह सर अन्जाम दिया और अब तू उसे भूल गया या फिर कोई ऐसी बात है कि पहले तू उसे भूला हुवा था अब वोह तुझे याद आ गई है? मैं ने कहा वाकेई अब तक मैं गफ्लत में था और अब ख्वाबे गफ्लत से बेदार हो चुका हूँ येह सुन कर उस औरत ने कहा शुक्र है उस परवर्द गार ﷻ का जिस ने तुझे गफ्लत से बेदार किया और अपनी तरफ राह दी!..✍🏻

*📬 उ़यूनुल हिकायात(मुतर्जम) सफ़ह 250- 252 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ मारिफते इलाहीﷻ रखने वाली बूढ़ी औरत❞
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╭┈►ऐ उस्मान! क्या तुम अल्लाह ﷻ से मुहब्बत करते हो? मैं ने कहा जी हां ! मैं उस पाक परवर्द ﷻ गार से मुहब्बत करता हूं उस ने फिर पूछा क्या तुम अपने इस दावे में सच्चे हो? मैं ने कहा अल्लाह ﷻ की कसम! मैं उस से बहुत मुहब्बत करता हूं बुढ़िया ने कहा ऐ उस्मान जिस पाक जात से तुम ने मुहब्बत की है क्या तुम जानते हो कि उस ने तुम्हें किस किस हिक्मत से नवाजा और कौन सी कौन सी भलाइयां अता फरमाई? मैं इस बात का जवाब न दे सका और खामोश रहा उस ने कहा ऐ उस्मान! शायद तू उन लोगों में से है जो अपनी मुहब्बत को पोशीदा रखना चाहते हैं और लोगों पर जाहिर नहीं होने देते इस पर भी मैं उसे कोई जवाब न दे सका और मैं ने रोना शुरूअ कर दिया मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या जवाब दूं मेरी इस हालत को देख कर उस अज़ीम बूढ़ी औरत ने कहा ऐ उस्मान! अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ﷻ अपनी हिक्मत के चश्मे, अपनी मारिफत की दौलत और पोशीदा मुहब्बत ना लाइकों को अता नहीं फरमाता, वोह ना लाइकों और ना अहलों से येह तमाम नेमतें दूर रखता है!..✍🏻

*📬 उ़यूनुल हिकायात(मुतर्जम) सफ़ह 250- 252 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ मारिफते इलाहीﷻ रखने वाली बूढ़ी औरत ❞
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╭┈►मैं ने उस अज़ीम औरत से अर्ज़ की आप मेरे लिये दुआ फरमाएं कि अल्लाह ﷻ मुझे अपनी सच्ची मुहब्बत अता फरमाए कुछ देर के बाद मैं ने फिर उस औरत से दुआ के लिये अर्ज़ की तो उस ने कहा ऐ उस्मान! वोह पाक परवर्द गार ﷻ तो दिलों के भेदों को भी जानता है, वोह अपने चाहने वालों के दिलों से बा खबर है कि कौन उस से कितनी मुहब्बत करता है और कौन उस की मुहब्बत का तालिब है? ऐ उस्मान! तुम अपने मत्लूबा काम के लिये जाओ ,खुदा ﷻ की कसम! अगर मुझे अपनी मारिफत के सल्ब हो जाने का खौफ न होता तो ऐसे ऐसे अज़ाइबात जाहिर करती कि तू हैरान रह जाता फिर उस ने एक आहे सर्द दिले पुर दर्द से खींची और कहने लगी ऐ उस्मान! जब तक तुम खुद अल्लाहﷻ की मुहब्बत के लिये नहीं तड़पोगे उस वक्त तक तुम्हें कोई फायदा हासिल न होगा और तुम्हें गम से उस वक्त तक तस्कीन हासिल न होगी जब तक तुम खुद नहीं चाहोगे बन्दा हमेशा अपनी सच्ची तलब और शौके कामिल से अपनी मन्जिल को पाता है इतना कहने के बाद वोह अज़ीम औरत वहां से रुख्सत हो गई हज़रते सय्यिदुना उस्मान फरमाते हैं जब भी मुझे उस बूढ़ी औरत की वोह बातें और मुलाकात याद अाती है तो मैं बे इख्तियार रोने लगता हूं और मुझ पर गशी तारी हो जाती है!..✍🏻

*📬 उ़यूनुल हिकायात(मुतर्जम) सफ़ह 250- 252 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ मुतवक्किल खातून  ❞
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╭┈►हज़रते सय्यिदुना अफ्फान बिन मुस्लिम हज़रते सय्यिदुना हम्माद बिन सलमह से रिवायत करते हैं कि एक मरतबा सर्दियों के मौसम में ज़बर दस्त मूसला धार बारिश हुई, मुसल्सल बारिश की वजह से लोगों को परेशानी होने लगी हज़रते सय्यिदुना हम्माद बिन सलमह फरमाते हैं कि हमारे पड़ोस में एक इबादत गुजा़र औरत अपनी यतीम बच्चियों के साथ एक पुराने से घर मे रहती थी जब बारिश हुई तो उनके कच्चे घर की छत टपक्ने लगी और बारिश का पानी घर में आने लगा, उन गरीबों के पास सिर्फ येह एक कमरे पर मुश्तमिल घर था उस नेक औरत ने जब देेखा कि सर्दी की वजह बच्चे ठिठर रहें हैं और बारिश का पानी मुसल्सल घर में गिर रहा है जब कि बारिश रुकने का नाम तक नहीं ले रही चुनान्चे उस नेक औरत ने अल्लाह ﷻ की बारगाह में दुआ के लिये हाथ उठाए और अर्ज़ गुज़ार हुई ऐ मेरे रहीमो करीम परवर्द गार ﷻ तू रहम और नर्मी फरमाने वाला है, हमारे हाले ज़ार पर रहम और नर्मी फरमा!..✍🏻

 *📬 उ़यूनुल हिकायात (मुतर्जम) सफह 308-309 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ मुतवक्किल खातून  ❞
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╭┈►वोह नेक औरत अभी दुआ से फारिग भी न होने पाई थी कि फौरन बारिश रुक गई मेरा घर चूंकि उस सालिहा औरत के घर से बिल्कुल मुत्तसिल था मैं उस की दुआ सुन रहा था जब मैं ने देखा कि इस औरत की दुआ से बारिश बन्द हो गई है तो मैं ने एक थैली में दस सोने की अशरफियां डालीं और उस औरत के दरवाजे पर पहुंच कर दल्तक दी दस्तक सुन कर औरत ने कहा अल्लाह ﷻ करे कि आने वाला हम्माद बिन सलमह हो जब मैं ने येह सुना तो कहा कि मैं हम्माद बिन सलमह ही हूं मैं ने तुम्हारी आवाज़ सुनी थी तुम दुआ में इस तरह कह रही थीं ऐ नर्मी फरमाने वाले परवर्द गार ﷻ नर्मी फरमा क्या तुम्हारी येह दुआ मक्बूल हो गई है और अल्लाहﷻ ने तुम से नर्मी वाला मुआमला फरमाया है? वोह नेक औरत बोली मेरे परवर्द गारﷻ ने हम पर इस तरह नर्मी फरमाई कि बारिश रुक गई और जो पानी हमारे घर मे जमा हो गया था वोह भी खुश्क हो गया मेरे बच्चे भी सर्दी से महफूज़ हो गए हैं, उन्हों ने गरमाइश हासिल करने का भी इन्तिज़ाम कर लिया है जब मैं ने उस औरत की येह बात सुनीं तो सोने की अशरफियों वाली थैली निकाली और कहा :येह कुछ रकम है, इसे तुम अपनी ज़रूरियात में इस्तेमाल करो अभी हमारे दरमियान येह गुफ्तगू हो रही थी कि एक बच्ची अचानक हमारे पास आई, उस ने ऊन का पूराना सा कुर्ता पहना हुवा था जो एक जगह से फटा हुवा था और उस पर पैबंद लगे हुए थे हमारे पास आकर वोह कहने लगी ऐ हम्माद बिन सलमह! क्या आप येह दुनियावी दौलत दे कर हमारे और हमारे रबﷻ के दरमियान पर्दा हाइल करना चाहते हैं, हमें ऐसी दौलत नहीं चाहिये जो हमें हमारे रबﷻ की बारगाह से जुदा करने का सबब बने!..✍🏻

 *📬 उ़यूनुल हिकायात (मुतर्जम) सफह 308-309 📚*

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🅿🄾🅂🅃 ➪  159

   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ मुतवक्किल खातून  ❞
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╭┈►फिर उस ने अपनी वालिदा से कहा :वअम्मी जान! जब हम ने अपने परवर्द गारﷻ से अपनी मुसीबतों की इल्तिजा की तो उस ने फौरन ही दुनियावी दौलत हमारी तरफ भिजवा दी, कहीं ऐसा न हो कि हम इस दुनियावी दौलत की वजह से अपने मालिके हकीकी के ज़िक्र से गाफिल हो जाएं और हमारी तवज्जोह उस से हट कर किसी ओर की तरफ मब्ज़ूल हो जाए फिर उस लड़की ने अपना चेहरा ज़मीन पर मलना शुरू किया और कहने लगी ऐ हमारे पाक परवर्द गारﷻ! हमें तेरी इज़्जत व जलाल की कसम! हम कभी भी तेरे दर से नहीं जाएंगे, हमारी उम्मीदें सिर्फ तुझ से ही वाबस्ता रहेंगी, हम तेरे ही दर पर पड़े रहेंगे अगर्चे हमें धुत्कार दिया जाए लेकिन हम फिर भी तेरे दर को न छोड़ेंगे

*तुम्हारे दर तुम्हारे आस्तां से मैं कहां जाऊं*

*न मुझ सा कोई बे बस है न तुम सा कोई वाली ह*

 ⚘❆➮  फिर उस बच्ची ने मुझ से कहा अल्लाह आप को अपनी हिफ्ज़ो अमान में रखे, बराए करम! आप येह रकम वापस ले जाएं जहां से लाए हैं वहीं रख दें व हमे इस दौलत की कोई हाजत नहीं, हमे हमारा परवर्द गार काफी है वोह हमें कभी भी मायूस नहीं करेगा हम अपनी तमाम हाजतें उस पाक परवर्द गार की बारगाह में पेश करते हैं, वोही हमारी हाजतो को पूरा करने वाला है, वोही तमाम जहानों का पालने वाला और सारी मख्लूक का हाकिम व वाली है!..✍🏻

 *📬 उ़यूनुल हिकायात (मुतर्जम) सफह 308-309 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ बिन्ते सिद्दीक़, आरामे जाने नबी ❞
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╭┈►हज़रते अब्दुल्लाह बिन अबू मलीका से मरवी है कि उम्मुल मुअमिनीन हज़रते सय्यिदतुना अाइशा सिद्दीका के दरबान हज़रते सय्यिदुना ज़क्वान ने बयान फरमाया जब उम्मुल मुअमिनीन हज़रते सय्यिदतुना आइशा सिद्दीक़ा तय्यिबा ताहिरा का वक्ते विसाल करीब आया तो हज़रते सय्यिदुना अब्दुल्लाह बिन अब्बास काशानए अक्दस पर आए और अन्दर आने की इजाज़त तलब की मैं उम्मुल मुअमिनीन हज़रते सय्यिदतुना आइशा सिद्दीक़ा की बारगाह में हाज़िर हुवा, उस वक्त आप के भतीजे हज़रते सय्यिदुना अब्दुल्लाह बिन अब्दुर्रहमान आप के सिरहाने खड़े थे मैं ने अर्ज़ की बाहर हज़रते सय्यिदुना अब्दुल्लाह बिन अब्बास खड़े हैं और अन्दर आने की इजाज़त तलब कर रहे हैं आप ने फरमाया अभी मेरा जी नहीं चाह रहा कि मैं (किसी से)मुलाकात करूं हज़रते सय्यिदुना अब्दुर्रहमान ने अर्ज़ की ऐ फूफी जान! हज़रते सय्यिदुना इब्ने अब्बास हमारे प्यारे नबिय्ये करीम ﷺ के खानदान में से हैं और बड़ी अज़मत वाले हैं, वोह आप के पास आ कर आप के लिये सलामती की दुआ करेंगे आप ने फरमाया अच्छा तुम्हारी येह मरजी है तो इज़ाज़त दे दो!..✍🏻

*📬 उ़यूनुल हिकायात (मुतर्जम) सफआ 361-362 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ बिन्ते सिद्दीक़, आरामे जाने नबी ❞
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╭┈► चुनान्चे इज़ाज़त मिलते ही हज़रते सय्यिदुना इब्ने अब्बास हाजिरे खिदमत हुए और अर्ज़ की आप को खुश खबरी हो उम्मुल मुअमिनीन हज़रते सय्यिदुना आइशा सिद्दीक़ा ने फरमाया किस बात पर खुशख़बरी अर्ज़ की जैसे ही आप इस दुनिया से रुख्सत होंगी तो फौरन आप की मुलाकात आकाए दो जहांﷺ और आपﷺ के उन सहाबए किराम से होगी जो दुनिया से रुख्सत हो चुके हैं और आप तो हुज़ूर नबिय्ये करीम ﷺ को अपनी अज़्वाजे मुत़ह्हरात में सब से ज्यादा महबूब थी आप तो तय्यिबा व ताहिरा हैं क्यूं की हुज़ूरﷺ खुद तय्यिब व ताहिर हैं तो तय्यिबीन के लिये तय्यिबात ही होती हैं आप तो बड़ी शान की मालिक हैं, आप की बरकत से मुसलमानों के लिये तयम्मुम की इजाजत अता की गई जब एक सफर में आप का हार गुम हो गया और उसे ढूंडने में देर लगी और लोगों के पास पानी खत्म हो गया तो अल्लाहﷻ ने आयते तयम्मुम नाज़िल फरमाई

⚘❆➮ *तरजमए कन्ज़ुल ईमान:-* और पानी न पाया तो पाक मिट्टी से तयम्मुम करो!..✍🏻

*📬 उ़यूनुल हिकायात (मुतर्जम) सफआ 361-362 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ बिन्ते सिद्दीक़, आरामे जाने नबी ❞
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⚘❆➮ जब आप पर तोहमत लगाई गई तो अल्लाहﷻ ने आप की पाकीज़गी और तहारत के बारे में कुरआन की आयतें नाज़िल फरमाई जिन्हें हज़रते सय्यिदुना जिब्रीले अमीन ले कर आए, अब कियामत तक आप की पाकीज़गी और तहारत का चर्चा होता रहेगा वोह आयतें जो आप की शान में नाज़िल हुई कियामत तक नमाज़ो और खुत्बों में सुब्हो शाम मुसलमानों की मसाजिद में पढ़ी जाती रहेंगी येह सुन कर उम्मुल मुअमिनीन हज़रते सय्यिदतुना आइशा सिद्दीक़ा तय्यिबा ताहिरा ने फरमाया ऐ इब्ने अब्बास! मेरी तारीफ न करो, कसम है मुझे मेरे उस पाक परवर्द गार की जिस के कब्ज़ए कुदरत में मेरी जान है !मैं तो इस बात को पसंद करती हूं कि मैं गुमनाम ही रहती और मेरी शोहरत न होती!..✍🏻

      *बिन्ते सिद्दीक़ आरामे जाने नब*
            उस हरीमे बराअत पे लाखों सलाम

    *यानी है सूरए नूर जिन की गवा*
             उन की पुरनूर सूरत पे लाखों सलाम

*📬 उ़यूनुल हिकायात (मुतर्जम) सफआ 361-362 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ नसीहत भरा जवाब  ❞
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अबू खलीफा फरमाते हैं बसरा में अबू सुलैमान हाशिमी नामी एक बहुत बड़ा ताजिर रहता था जिस की रोज़ाना की आमदनी अस्सी हज़ार दिरहम थी उस ने उलमाए किराम से पूछा कि बसरा की कौन सी नेक औरत से शादी करना मेरे हक में बेहतर रहेगा उलमाए किराम ने मशवरा देते हुवे कहा राबिआ अदविय्या से शादी करना तुम्हारे हक में बेहतर साबित होगा ताजिर ने फौरन हज़रते सय्यिदतुना राबिआ अदविय्या को येह खत भेजा

                         ﷽
                               
⚘❆➮ अम्माबअद : (ऐ राबिआ अदविय्या) मेरी रोज़ाना की आमदनी अस्सी हज़ार दिरहम है ان شاء اللہ कुछ ही दिनों में एक लाख दिरहम हो जाएगी मैं आप से निकाह करना चाहता हूं आप राज़ी हो जाए तो मैं एक लाख दिरहम बतौरे मेहर देने को तय्यार हूं, शादी के बाद इतने दिरहम मज़ीद दुंगा अगर आप राज़ी हो तो मुझे इत्तिलाअ कर दें!..✍🏻

*📬 उ़यूनुल हिकायात (मुतर्जम) हिस्सा 2 सफ़ह 26 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝नसीहत भरा जवाब  ❞
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⚘❆➮ हज़रते सय्यिदतुना राबिआ ने जब ताज़िर का खत पढ़ा तो जवाब मिला

                         *﷽*

⚘❆➮ अम्माबअद : बेशक दुनिया से किनारा कशी बदन और दिल को तक्विय्यत बख्शती है और दुनिया की तरफ रगबत, रन्जो मलाल का बाइस है मेरा येह खत मिलते ही अाखिरत की तय्यारी में कोशिश शुरू कर दो सफरे आखीरत के लिये जादे राह इकठ्ठा करने में मश्गूल हो जाओ अपना माल आखीरत के लिये जमा करो अपने लिये खुद वसिय्यत करने वाले बन जाओ अपने गैर को वसी न बनाना मुसलसल रोज़े रखना अगर अल्लाह ﷻ मुझे तुझ से दुगना माल दे दे और मैं इस माल की वजह से अल्लाह ﷻ की याद से लम्हा भर भी गाफिल हो जाऊं तो येह मुझे हरगिज़ हरगिज़ पसन्द नहीं मैं इसी हाल में खुश हूं वस्सलाम!..✍🏻

*📬 उ़यूनुल हिकायात (मुतर्जम) हिस्सा 2 सफ़ह 26 📚*

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🅿🄾🅂🅃 ➪  165

   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ एक लुक्मा सदका करने की बरकत ❞
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⚘❆➮ हज़रते सय्यिदुना षाबित से मन्कूल है कि एक औरत खाना खा रही थी, इतने में साइल ने सदा लगाई मुझे खाना खिलाओ, मुझे खाना खिलाओ औरत के पास सिर्फ एक लुक्मा बचा था जैसे ही उसने मुंह खोला साइल ने दोबारा सदा लगाई हमदर्द व नेक औरत ने वोह लुक्मा साइल को खिला दिया कुछ अर्से बाद वही औरत अपने नन्हें मुन्ने बच्चे के साथ कहीं सफर पर जा रही थी कि रास्ते में एक शेर उस का बच्चा छिन कर ले गया अभी शेर थोड़ी ही दूर गया था कि अचानक एक शख्स नुमूदार हुवा और शेर की तरफ बड़ा, फिर शेर के दोनों जबड़े पकड़ कर फाड़ डाले और बच्चा उस के मुंह से निकाल कर औरत के हवाले करते हुवे कहा लुक्मे के बदले लुक्मा यानी तू ने जो एक लुक्मा साइल को खिलाया था इस की बरकत से तेरा बच्चा शेर का लुक्मा बनने से बच गया!..✍🏻

*📬 उ़यूनुल हिकायात (मुतर्जम) हिस्सा 2 सफ़ह 28-27 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝एक लुक्मा सदका करने की बरकत ❞
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⚘❆➮  हज़रते सय्यिदुना इकरमा फरमाते हैं हज़रते सय्यिदुना इब्ने अब्बास से मरवी है कि हुज़ूर नबिय्ये पाकﷺ ने इरशाद फरमाया एक औरत के मुंह में लुक्मा था इतने मे साइल ने सदा लगाई उसने वोह लुक्मा साइल को खिला दिया कुछ अर्से बाद उस के हां एक बच्चे की विलादत हुई, जब वोह कुछ बड़ा हुवा तो उसे भेड़िया उठा कर ले गया औरत उस भेड़िये के पीछे भागती हुई पुकार रही थी "मेरा बेटा, मेरा बेटा" अल्लाह عَزَّوَجَلَّने एक फिरिश्ते को हुक्म दिया कि भेड़िये से बच्चा छीन लो (और उस की मां के हवाले कर दो) और उस से कहो कि अल्लाह عَزَّوَجَلَّ ने तुम पर सलाम भेजा है और फरमाया है कि येह लुक्मा लुक्मे के बदले है!..✍🏻

*📬 उ़यूनुल हिकायात (मुतर्जम) हिस्सा 2 सफ़ह 28-27 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ एक आरिफा की मारिफत भरी गुफ्तगू  ❞
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⚘❆➮ हज़रते सय्यिदुना अहमद बिन मुहम्मद बिन मसरूक से मन्कूल है कि मैं ने हज़रते सय्यिदुना ज़ुन्नून मिस्'री को येह फरमाते हुए सुना एक मरतबा दौराने सफर एक औरत ने मुझ से पूछा तुम्हारा तअल्लुक कहां से है? मैं ने कहा मैं परदेसी हूं बोली अफ्सोस है तुम पर! अल्लाह रब्बुल इज्ज़तﷻ के होते हुवे भी तुम्हें अजनबिय्यत महसूस हो रही है, वोह पाक परवर्द गारﷻ तो कमज़ोरों और गरीबों का मूनिस व मददगार है येह सुन कर मैं रोने लगा उस ने कहा तुम्हें कौन सी चीज रूला रही है? मैं ने कहा मेरे ज़ख्मी दिल पर मरहम रख दी गई है, अब मैं जल्दी नजात पा जाऊंगा कहा अगर तू अपनी बात में सच्चा है तो फिर रोया क्यूं? मैं ने कहा क्या सच्चा शख्स रोता नहीं? कहा नहीं! क्यूं कि आंसू बह जाने के बाद दिल को सुकून मिल जाता है!..✍🏻

 *📬 उ़यूनुल हिकायात (मुतर्जम) हिस्सा -2 सफ़ह 53-54 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ एक आरिफा की मारिफत भरी गुफ्तगू❞
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⚘❆➮ उस की इस बात ने मुझे ताज्जुब में डाल दिया फिर वोह कहने लगी तुम इतने हैरान क्यूं हो रहे हो मैं ने कहा मुझे तुम्हारी बातों से बहुत ताज्जुब हो रहा है कहा क्या तुम अपने ज़ख्म को भूल गए मैं ने कहा नहीं, मैं अपने ज़ख्मों को नहीं भुला तुम मुझे कोई ऐसी बात बताओ जिस के जरीए अल्लाह ﷻ मुझे नफ्अ दे कहा जो फायदा तुझे हुकमा की बातें सुन कर हुवा क्या वोह तुम्हारे लिये काफी नहीं मैं ने कहा नहीं, मैं अभी नेक बातों की तलब से बे नियाज़ नहीं हुवा कहा तू ने सच कहा ,पस अपने रब से सच्ची मुहब्बत कर, उस का सच्चा आशिक बन जा कल बरोज़े कियामत जब अल्लाह ﷻ अपने औलियाए किराम को अपनी मुहब्बत के जाम पिलाएगा तो फिर वोह कभी भी प्यास महसूस नहीं करेंगे मैं रोने लगा और मेरो सीने से घुटी घुटी सी आवाज़ आने लगी फिर वोह औरत मुझे वहीं रोता छोड़ कर येह कहती हुई चली गई ऐ मेरे आका !तू कब तक मुझे ऐसे घर में बाकी रखेगा जहां मैं किसी भी ऐसे शख्स को नहीं पाती जो रोने में मेरा मददगार हो!..✍🏻

 *📬 उ़यूनुल हिकायात (मुतर्जम) हिस्सा -2 सफ़ह 53-54 📚*

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🅿🄾🅂🅃 ➪  169

   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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  ❝ बा अमल मरीदनी का बेटा डूब कर भी बच गया ❞
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⚘❆➮ हज़रते सय्यिदुना अल्लान से मन्कूल है कि हज़रते सय्यिदुना सरी की एक मुरीदनी का लड़का मद्रसे जाता था एक दिन उस्ताद ने आटा पिसवाने के लिये उसे चक्की पर भेज दिया रास्ते में नहर थी जब वोह नहर से गुजरने लगा तो उस में डूब गया जब उस्ताद को उसके डूबने की इत्तिला मिली तो वोह बहुत परेशान हुवे और हज़रते सय्यिदुना सरी सकती के पास आ कर सारा वाकिआ कह सुनाया हज़रते सय्यिदुना सरी सकती ने फरमाया आओ मेरे साथ चलो! हम चल दिये आप ने वहां पहुंच कर उस औरत को सब्र के फज़ाइल बताए फिर अल्लाहﷻ की रिज़ा पर राज़ी रहने की तरगीब दिलाई औरत ने कहा हुज़ूर!आज आप मुझे सब्रो रिज़ा के मुतअल्लिक खास तौर पर नसीहत कर रहे हैं, इस मे क्या हिक्मत है? आप ने अपनी मुरीदनी से फरमाया तुम्हारा बेटा नहर में डूब गया है उस ने मुतअज्जिब हो कर पूछा मेरा बेटा फरमाया हां औरत ने कहा बेशक मेरे रब ﷻ ने ऐसा नहीं किया होगा हज़रते सय्यिदुना सरी सकती उसे सब्रो रिज़ा की तल्कीन करते लगे औरत ने कहा आओ! मेरे साथ चलो चुनान्चे तमाम लोग उस औरत के साथ चल दिये जब नहर पर पहूंचे तो औरत ने लोगों से पूछा बताओ !वोह कहां है लोगों ने बताया तुम्हारा लड़का फुलां जगह डूबा है औरत ने बुलन्द आवाज़ से पुकारा ऐ मेरे बेटे मुहम्मद! फौरन नहर से उसके बेटे ने पुकार कर कहा अम्मी जान! मैं यहां हूं, अम्मी जान! मैं यहां हूं औरत फौरन नहर में उतरी, अपने बेटे का हाथ पकड़ कर बाहर ले आई और ख़ुशी खुशी अपने घर चली गई!..✍🏻

*📬 उ़यूनुल हिकायात (मुतर्जम हिस्सा -2 सफ़ह 54-55 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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  ❝बा अमल मरीदनी का बेटा डूब कर भी बच गया  ❞
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⚘❆➮ हज़रते सय्यिदुना अल्लान फरमाते हैं हज़रते सय्यिदुना सरी सकती हज़रते सय्यिदुना जुनैद बगदादी के पास गए और पूछा येह क्या मुआमला है, और ऐसा क्यूंकर हुवा हज़रते सय्यिदुना जुनैद बगदादी ने हज़रते सय्यिदुना सरी सकती से फरमाया कहो कुल आप ने कुल कहा फिर हज़रते सय्यिदुना जुनैद बगदादी ने फरमाया बात दर अस्ल येह है कि वोह औरत अहकामाते इलाहिय्या ﷻ को पूरा करने वाली थी और जो शख्स अल्लाह ﷻ के अहकामात पर अमल पैरा हो उसे कोई ऐसा हादिषा पेश नहीं अाता जिसे वोह न जानता हो जब उस औरत का बेटा डूबा तो उसे मालूम न था, इस लिये उसे यकीन न आया और उस ने कहा बेशक मेरे रब ﷻ ने ऐसा नहीं किया उसे अल्लाह ﷻ की ज़ात पर यकीने कामिल था इस लिये उस का बेटा उसे वापस कर दिया गया!...✍🏻

*📬 उ़यूनुल हिकायात (मुतर्जम हिस्सा -2 सफ़ह 54-55 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ समझदार व पारसा औरत❞
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⚘❆➮ हज़रते सय्यिदुना हसन बिन अब्दुर्रहमान फरमाते हैं कि बसरा में एक मालदार शख्स रहता था एक दिन जब वोह अपने बाग में गया तो देखा कि उस का नौकर अपनी हसीनो जमील बीवी के साथ बाग में मौजूद है नौकर की खुबसुरत बीवी को देख कर मालदार की निय्यत खराब हो गई उस ने औरत को महल में भेजा और नौकर से कहा जाओ हमारे लिये खजूरें तोड़ लाओ, जब खजूरें तोड़ चुको तो फुलां फुलां को मेरे पास बुला लाना नौकर हुक्म पाते ही खजूरें लेने चला गया अब येह अपने महल में आया और नोकर की बीवी से कहा तमाम दरवाजे बंद कर दो औरत ने तमाम दरवाजे बंद कर दिये तो मालदार ने कहा क्या तमाम दरवाजे बंद कर दिये

⚘❆➮ समझदार नेक औरत ने कहा सिर्फ एक दरवाज़ा मैं बंद न कर सकी मालदार ने कहा कौन सा दरवाज़ा तू ने बंद नहीं किया उस ने कहा वोह दरवाज़ा जो हमारे और हमारे रब के दरमियान है, मैं उसे बंद नहीं कर सकी येह जुम्ला उस मालदार के दिल में ताषीर का तीर बन कर पैवस्त हो गया वोह गुनाह से बच गया और रो रो कर अल्लाहعَزَّوجَلَّ की बारगाह में तौबा करता हुवा वहां से चला गया!..✍🏻

 *📬 उ़यूनुल हिकायात(मुतर्जम) हिस्सा 2 सफ़ह 58 📚*

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         📮  नेस्ट  पोस्ट  कंटिन्यू ان شاء الله
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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝एक इबादत गुज़ार खादिमा ❞
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⚘❆➮ बसरा के काज़ी उबैदुल्लाह बिन हसन से मन्कूल है कि मेरे पास एक हसीनो जमील अज़मी लौंडी थी, उस के हुस्नो जमाल ने मुझे हैरत में डाल रखा था एक रात वोह सो रही थी जब रात गए मेरी आँख खुली तो उसे बिस्तर पर न पा कर मैं ने कहा येह तो बहुत बुरा हुवा फिर मैं उसे ढूंडने के लिये जाने लगा तो देखा कि वोह अपने पाक परवर्द गार عَزَّوَجَلَّ की इबादत में मश्गूल है उस की नूरानी पेशानी अल्लाह عَزَّوَجَلَّ की बारगाह में सजदा रेज़ थी वोह अपनी पुरसोज़ आवाज़ से बारगाहे खुदावन्दी عَزَّوَجَلَّ में इस तरह अर्ज़ गुज़ार थी ऐ मेरे खालिक! तुझे मुझ से जो मुहब्बत है मैं उसी का वासिता दे कर इल्तिजा करती हूं कि तू मेरी मगफिरत फरमा दे जब मैं ने येह सुना तो कहा इस तरह न कह, बल्कि यूं कह ऐ मेरे मौला عَزَّوَجَلَّ तुझे उस मुहब्बत का वासिता जो मुझे तुझ से है, तू मेरी मगफिरत फरमा दे येह सुन कर वोह आबिदा ज़ाहिदा व लौंडी जो हकीकत में मलिका बनने के लाइक थी कहने लगी ऐ गाफिल शख्स! अल्लाह عَزَّوَجَلَّ को मुझ से मुहब्बत है इसी लिये तो उस करीम परवर दगार ने मुझे शिर्क की अन्धेरी वादियों से निकाल कर इस्लाम के नूरबार शहर में दाखिल किया, उस की मुहब्बत ही तो है कि उस ने अपनी याद में मेरी आँखों को जगाया और तुझे सुलाए रखा अगर उसे मुझ से मुहब्बत न होती तो वोह मुझे अपनी बारगाह में हाज़िरी की हरगिज़ इजाजत न देता!..✍🏻

 *📬 उ़यूनुल हिकायात (मुतर्जम) हिस्सा 2 सफह 90-91 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ एक इबादत गुज़ार खादिमा❞
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⚘❆➮ काज़ी उबैदुल्लाह बिन हसन कहते हैं मैं उस के हुस्नो जमाल और चेहरे की नूरानिय्यत से पहले ही बहुत मुतअष्षिर था अब जब उस की आरिफाना गुफ्तगू सुनी तो मेरी हैरानगी में मज़ीद इज़ाफ़ा हुवा और मैं समझ गया कि येह अल्लाह عَزَّوَجَلَّ की वलिय्या है मैं ने कहा :ऐ अल्लाह عَزَّوَجَلَّ की नेक बन्दी! जा तू अल्लाह عَزَّوَجَلَّ की रिज़ा के लिये आज़ाद है जब लौंडी ने येह सुना तो कहा मेरे आका! येह आप ने अच्छा नहीं किया कि मुझे आजाद कर दिया अब तक मुझे दोहरा अज़्र मिल रहा था (यानी एक आप की इताअत का और दूसरा अल्लाह عَزَّوَجَلَّ की इताअत का) लेकिन अब आजादी के बाद मुझे सिर्फ एक अज्र मिलेगा!

🤲🏻 ऐ हमारे प्यारे अल्लाह عَزَّوَجَلَّ अपने नेक और मुहिब्बीन बंदो के सदके हमें भी अपनी मुहब्बत की दौलते उज़मा से माला माल फरमा कर दिन रात इबादत करने की सआदत अता फरमा!..✍🏻 आमीन

 *📬 उ़यूनुल हिकायात (मुतर्जम) हिस्सा 2 सफह 90-91 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝एक कनीज़ का आरिफाना कलाम ❞
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⚘❆➮ हज़रते सय्यिदुना जाफर खुल्दी से मन्कूल है कि मैं ने हज़रते सय्यिदुना जुनैद बगदादी को येह फरमाते हुवे सुना एक मरतबा मैं अकेला ही सफरे हज पर रवाना हुवा, मन्जिलों पर मन्जिलें तै करता हरम शरीफ की मुश्कबार फजाओं में जा पहुंचा जब शाम हुई और रात ने अपने पर फैला दिये तो दिन भर के थके मांदे लोग बिस्तरे आराम पर ख्वाबे खरगोश के मज़े लेने लगे, मुहब्बते इलाही عَزَّوَجَلَّ  से सर शार दिल वाले इबादत गुज़ारो ने अल्लाह عَزَّوَجَلَّ की बारगाह में आहो जारी करना शुरू कर दी मैं भी अपने पाक परवर दगार عَزَّوَجَلَّ के प्यारे घर खानए काबा का तवाफ करने लगा एक कनीज़ भी तवाफ कर रही थी और उस की ज़बान पर चन्द अरबी अश्आर जारी थे,

⚘❆➮ जिन का मफ्हूम कुछ इस तरह है :मुहब्बत ने पोशीदा रहने से इन्कार किया और कितनी ही मरतबा मैं ने उसे छुपाया मगर वोह जाहिर हो गई फिर उस ने मेरे ही पास डेरा डाल लिया और मुझे अपना मस्कन बना लिया जब मेरा शौक बढ़ता है तो मेरा दिल उसे याद करने की खूब ख़्वाहिश करता है और जब मैं अपने हबीब का कुर्ब चाहती हूं तो वोह मेरे करीब हो जाता है और वोह सामने आता है तो मैं फना हो जाती हूं फिर उस की वजह से उसी के लिये जिन्दा हो जाती हूं और वोह मेरी मदद करता है यहां तक कि मैं खूब लुत्फ महसूस करती हूं और कैफो सुरूर से झूमने लगती हूं!..✍🏻

 *📬 उ़यूनुल हिकायात (मुतर्जम) हिस्सा -2 सफ़ह 106-107 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ एक कनीज़ का आरिफाना कलाम ❞
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⚘❆➮ हज़रते सय्यिदुना जुनैद बगदादी फरमाते हैं मैं ने कहा ऐ अल्लाह की बन्दी! तुझे खौफ नहीं आता कि ऐसे बा बरकत मकान में इस तरह का कलाम कर रही है? वोह मेरी तरफ मुतवज्जेह हुई और इस मफ्हूम के चन्द अश्आर पढ़े : अगर उस से मुलाकात का मुआमला न होता तो तू मुझे पुर सुकून नींद से दूर न देखता, जब वोह मिल गया तो उस ने मुझे वतन से बहुत दूर कर दिया जैला कि तू देख रहा है, मैं उसे पाने से डरती हूं लेकिन उस की मुहब्बत मुझे शौक दिलाती है

⚘❆➮ फिर पूछा :ऐ जुनैद! तू काबे का तवाफ कर रहा है या फिर रब्बे काबा का? मेैं ने कहा खानए काबा का तवाफ कर रहा हूँ कनीज़ ने अपना सर आसमान की तरफ उठाया और कहा ऐ पाक परवर दगार عَزَّوَجَلَّ तेरे लिये पाकी है, तू पाक है तू ने जैसा चाहा अपनी मख्लूक को पैदा फरमाया, तेरी हिक्मतें बहुत अज़ीम है, येह लोग तो पथ्थरों जैसे हैं जिन की नजर सिर्फ मख्लूक तक महदूद है फिर कुछ अश्आर पढ़े, जिन का मफ्हूम येह है : लोग कुर्बे इलाही पाने के लिये तवाफ करते हैं और हाल येह है कि उन के दिल चट्टान से भी ज्यादा सख्त होते हैं, वोह चटयल मैदानों में रास्ता भटक कर अपनी पहचान भी खो बैठे और येह गुमान कर लिया कि हम तो बहुत मुकर्रब हो गए हैं, अगर वोह मुहब्बत में खालिस हो जाते तो उन की सिफात गाइब हो जाती और ज़िक्रे इलाही عَزَّوَجَلَّ की बदौलत हक से मुहब्बत की सिफात उन में जाहिर हो जाती

⚘❆➮ हज़रते सय्यिदुना जुनैद बगदादी फरमाते हैं :उस का आरिफाना कलाम सुन कर मुझ पर गशी तारी हो गई, जब इफाका हुवा तो मैं ने उसे बहुत तलाशा मगर कहीं न पाया..✍🏻

 *📬 उ़यूनुल हिकायात (मुतर्जम) हिस्सा -2 सफ़ह 106-107 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝कुरआन सुन कर रूह निकल गई ❞
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⚘❆➮ हज़रते सय्यिदुना अबूै बक्र शीराज़ी से मन्कूल है कि मक्कए मुकर्रमा से वापसी पर मैं कई दिन इराक के गैर आबाद वीरान जगलों में फिरता रहा मुझे कोई शख्स नज़र न आया जिस की रफाकत इख्तियार करता काफी दिनों के बाद मुझे एक खैमा नज़र आया, ऐसा लगता था जैसे जानवरों के बालों से बनाया गया हो मैं खैमे के करीब गया तो देखा कि वोह एक खस्ता हाल पुराना मकान था जिसे कपड़े से ढांप दिया गया था मैं ने सलाम किया तो अंदर से एक बुढ्ढ़ी औरत की आवाज़ सुनाई दी, उस ने पूछा ऐ इब्ने आदम! तुम कहां से आ रहें हो? मैं ने कहा मैं मक्कए मुअज्ज़मा से आ रहा हूं पूछा कहां का इरादा है? मैं ने कहा शाम जा रहा हूँ कहा मैं तेरे जैसे इन्सान को झूठा और गलत दावा करने वाला देख रही हूं क्या तू ऐसा न कर सकता था कि एक कोना संभाल लेता और उसी में बैठ कर इबादत व रियाजत करता यहां तक कि तुझे पैगामे अज़ल आ पहुंचता? ऐ शख्स तू यही सोच रहा है ना कि येह बुढ़िया इस बयाबान जंगल में एक टूटे फूटे मकान मे रहती है, येह खाती कहां से होगी? मैं खामोश रहा उस ने पूछा क्या तुम्हें कुरआन याद है मैं ने कहा : اَلْحَمْدُلِلّٰہ मुझे कुरआन याद है कहा सूरए फुरकान की आखिरी आयात पढ़ो मैं ने जैसे ही तिलावत शुरूअ की वोह चीखने लगी और गश खा कर गिर पड़ी काफी देर बाद रात गए इफाका हुवा तो वोही आयात पढ़ती रही और शदीद आहो जारी करती रही दोबारा मुझे वोही आयात पढ़ने को कहा मैं ने तिलावत की तो पहले की तरह फिर बेहोश हो कर गिर पड़ी!..✍🏻

 *📬 उ़यूनुल हिकायात(मुतर्जम) हिस्सा - 2 सफ़ह 109-110 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ कुरआन सुन कर रूह निकल गई❞
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⚘❆➮ जब काफी देर तक होश न आया तो मैं बहुत परेशान हो गया और सोचने लगा कि कैसे मालूम किया जाए कि येह बेहोश है या इन्तिकाल कर गई है? उसे वहीं छोड़ कर मेैं एक सम्त चल दिया तकरीबन निस्फ मील चलने के बाद मुझे आराबियों की एक वादी नज़र आई जब वहां पहुंचा तो एक लौंडी और दो नौजवान मेरे पास आए उन मे से एक ने मुझ से पूछा ऐ मुसाफिर! क्या तू जंगल में मौजूद घर की तरफ से आ रहा है? मैं ने कहा हां पूछा क्या तू ने वहां कुरआन की तिलावत की मैं ने कहा हां नौजवान ने कहा रब्बे काबा की कसम! तू ने उस बुढ़िया को कत्ल कर दिया ' फिर हम उस घर की तरफ आए ,लौंडी ने बुढ़िया को देखा तो वोह इस दारे फानी से कूच कर चुकी थी मुझे नौजवान के अन्दाजे ने ताज्जुब में डाल दिया, मैं हैरान था कि उस ने कैसे जाना कि कुरआन सुन कर बुढ़िया का इन्तिकाल हो जाएगा मैं ने लौंडी से पूछा येह नौजवान कौन है और बुढ़िया से इस का क्या रिश्ता था कहा येह खुदा रसीदा बुढ़िया इन की बहन थी, तीस साल से इस ने किसी इन्सान से गुफ्त्गू न की ,भूकी प्यासी इसी जंगल में इबादते इलाही عَزَّوَجَلَّ में मशगूल रहती तीन दिन बाद थोड़ा सा पानी पी कर और थोड़ा सा खाना खा कर गुज़ारा करती यहां तक कि आज अपने खालिके हकीकी से जा मिली,

⚘❆➮ तबसिरा : سُبْحَانَ اللّٰہ पहले की इस्लामी बहनों में भी इबादते इलाही عَزَّوجَلَّ का कैसा जज़्बा हुवा करता था उन्हें कुरआन की मुहब्बत व तिलावत, इबादत का ज़ौक, खल्वत से उल्फत, मुजाहदात की तरफ रगबत और आमाले सालेहा पर इस्तिकामत जैसी बेश बहा नेमतें हासिल थी इन तमाम उमूर के हुसूल के लिये जरूरी है कि नेकों की सोहबत इख्तियार की जाए और ऐसा माहोल आपनाया जाए जिस में हर दम कुरआनो सुन्नत की बातें सीखी और सिखाई जाती हों!..✍🏻

 *📬 उ़यूनुल हिकायात(मुतर्जम) हिस्सा - 2 सफ़ह 109-110 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝अ़ज़ीम बाप की अ़ज़ीम बेटियां ❞
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⚘❆➮ हज़रते सय्यिदुना मुहम्मद बिन सुवैद तह्हान से मन्कूल है कि जिस दिन इल्मो अमल के पैकर, मर्दे कलन्दर, इमामे जलील इमाम अहमद बिन हम्बल को खल्के कुरआन के मस्अले पर निहायत बे दर्दी से कोड़े मारे जा रहे थे और आप कोहे इस्तिकामत बन कर ज़ुल्मो सितम की खतरनाक आंधियों का सामना कर रहे थे उस दिन हम हज़रते सय्यिदुना आसिम बिन अली के पास थे इब्ने उबैद कासिम बिन सलाम, इब्राहीम बिन अबू लैष के अलावा और भी बहुत से लोग वहां मौजूद थे ,आप ने लोगों से फरमाया क्या तुम मे कोई ऐसा मर्दे मुजाहिद है जो मेरे साथ ज़ालिम हाकिम के पास चले, ताकि हम उस से पूछें कि वोह इमामे जलील पर ज़ुल्मो सितम क्यों कर रहा है? हज़रते सय्यिदुना आसिम बिन अली के साथ चलने के लिये कोई भी तय्यार न हुवा ज़ालिम हाकिम के पास जाने से सब गुरैज़ कर रहे थे इब्राहिम बिन अबू लैष खड़े हुवे और कहा ऐ अबल हसन! मैं आप के साथ चलने को तय्यार हूं उन का यह जज़्बा देख कर हज़रते सय्यिदुना असिम बिन अली ने हैरान होते हुवे कहा ऐ नौजवान! क्या तुम मेरे साथ चलोगे? अच्छी तरह सोच लो के हम किस के पास जा रहे हैं? कहा ऐ अबल हसन! मैं ने खुब सोच लिया है, मैं जरूर बिज़्ज़रूर आप के साथ उस ज़ालिम हाकिम के पास जाऊंगा मुझे थोड़ी सी मोहलत दीजीये ताकि घर जा कर अपनी बेटियों को वसिय्यत और उन्हें दीन पर अमल पैरा होने की तल्कीन कर आऊं येह कह कर वोह अपने घर की तरफ चले गए!..✍🏻

*📬 उ़यूनुल हिकायात (मुतर्जम) हिस्सा 2 सफ़ह 111-112 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ अ़ज़ीम बाप की अ़ज़ीम बेटियां ❞
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⚘❆➮ हम समझ रहे थे कि येह अपने लिये कफन वगैरा का इन्तिजाम करने गए हैं, क्योंकि ज़ालिम हाकिम के पास जाना मौत को दावत देना था बहर हाल कुछ देर बाद वापस आए तो हज़रते सय्यिदुना आसिम ने पूछा क्या तुम तैय्यार हो गए कहा हां! मैं बिल्कुल तय्यार हूं, बच्चियों को नसीहत कर आया हूं जब मैं ने उन्हें बताया कि मैं हाकिम के पास जा रहा हूँ वोह रोने लगी, मैं उन्हें रोता छोड़ आया हूँ, अभी यह बातें हो ही रही थीं कि कासिद हज़रते सय्यिदुना आसिम बिन अली की साहिब ज़ादियों का खत ले कर आया, खत में लिखा था ऐ हमारे मोहतरम वालिद ! हमे खबर पहुंची है कि एक ज़ालिम शख्स, इमाम अहमद बिन हम्बल को कैद कर के कोड़े लगवा रहा है ताकि वोह यह कहने पर मजबूर हो जाए कि कलामुल्लाह (यानी कुरआने पाक) मख्लूक है, ऐ अब्बा जान! अल्लाह عَزَّوَجَلَّ से डरना, हिम्मत व इस्तिकामत से काम लेना, बातिल के सामने हरगिज़ हरगिज़ सर न झुकाना ,इमामे जलील के हौसला व साबित कदमी को पेशे नज़र रखना, अगर हाकिमे बद आप को नाहक बात कहलवाना चाहे तो हरगिज़ गलत बात न करना, खुदाए बुज़ुर्ग व बरतर की कसम! आप की मौत की खबर आना हमे इस बात से ज्यादा पसंद है कि आप मौत के खौफ से नाहक बात तस्लीम कर लें जान जाती है तो जाए मगर इमान न जाए!..✍🏻

अज़ीम बाप की बेटियां :وَالسَّلَام

*📬 उ़यूनुल हिकायात (मुतर्जम) हिस्सा 2 सफ़ह 111-112 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

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     ❝अ़ज़ीम बाप की अ़ज़ीम बेटियां ❞
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⚘❆➮ तबसिरा : कैसी अज़ीम अवलाद थी उस अज़ीम वली की, येह सब अच्छी तर्बिय्यत का नतीजा था हज़रते सय्यिदुना आसिम बिन अली ने इल्लामी तरीके पर अपनी अज़ीम बेटियों की तर्बिय्यत की उन्हें दीन की हिफाजत का जेहन दिया, ज़ुल्म व जब्र के सामने न झुकने की तरगीब दी, येही वजह थी कि वोही बेटियाँ अपने बाप का हौसला बड़ा रही थीं, ज़ालिम के सामने डट जाने की तल्कीन कर रही थीं, उन्हें बाप की शहादत उस ज़िन्दगी से अज़ीज़ थी जो ज़ालिम के सामने झुक कर गुजरती वोह वाकेई अज़ीम बाप की अज़ीम बेटियां थीं अल्लाह عَزَّوَجَلَّ  हर मुसलमान को तौफीक अता फरमाए कि वोह अपने घर में सुन्नतें अपनाने का ज़ेहन दे अपने बच्चों को सलातो सुन्नत का पाबंद बनाने के लिये खूब तगो दो ( यानी कोशिश) करे, अल्लाह عَزَّوجَلَّ हमारी आने वाली नस्लों को ऐसा जज़्बा अता फरमाए कि हर दम दीने मतीन की ख़िदमत करें और दीने इस्लाम की सर बुलन्दी के लिये हर दम कोशां रहें!..✍🏻

*📬 उ़यूनुल हिकायात (मुतर्जम) हिस्सा 2 सफ़ह 111-112 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ हज़रते बिशर ह़ाफ़ी की हमशीरा ❞
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⚘❆➮ हज़रते सय्यिदुना अब्दुल्लाह बिन अहमद बिन हम्बल से मन्कूल है कि एक दिन मैं अपने वालिदे मोहतरम हज़रते सय्यिदुना अहमद बिन हम्बल के साथ अपने घर मे था कि किसी ने दरवाजे पर दस्तक दी मेरे वालिद ने फरमाया बेटे जाओ,! देखो! कौन है? मैं बाहर गया तो एक बा पर्दा खातून खड़ी थी उस ने मुझ से कहा ऐ अब्दुल्लाह! अहमद बिन हम्बल से मेरे अन्दर आने की इजाज़त तलब करो मैं वालिद साहिब के पास आया और उस खातून के मुतअल्लिक बताया तो उन्हों ने इजाज़त अता फरमा दी वोह आई और सलाम कर के बैठ गई फिर पूछा ऐ अबू अब्दुल्लाह! मैं रात को चराग की रौशनी में सूत कातती हूं, जब कभी चराग बुझ जाए तो चाँद की रोशनी में भी सूत कात लेती हूं, क्या सूत फरोख्त करते वक्त खरीदार के सामने येह ज़ाहिर कर देना मुझ पर लाज़िम है कि येह सूत चांद की रोशनी में तय्यार किया गया है और येह चराग की रोशनी में!?..✍🏻

 *📬 उ़यूनुल हिकायात (मुतर्जम) हिस्सा 2 सफ़ह 168-169 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

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     ❝ हज़रते बिशर ह़ाफ़ी की हमशीरा ❞
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⚘❆➮ मेरे वालिदे मोहतरम हज़रते सय्यिदुना अहमद बिन हम्बल ने फरमाया अगर आप इन दोनों ऊनों में फर्क कर सकती है तो जरूरी है कि दोनों को अलाहिदा अलाहिदा फरोख्त करें खातून ने फिर सुवाल किया ऐ अबू अब्दुल्लाह! क्या शिद्दते मरज़ की वजह से मरीज़ का कराहना या आहें भरना शिकवा कहलाएगा? फरमाया मैं उम्मीद करता हूँ कि येह शिकवा नहीं, लेकिन तमाम गमों और मुसीबते की फरयाद अल्लाह عَزَّوَجَلَّ की बारगाह में की जाती है मुत्तकी खातून रुख्सत हो गई मेरे वालिद ने मुझ से फरमाया मेरे बेटे! मैं ने आज तक ऐसा शख्स नही देखा जिस ने इस खातून की मिष्ल सुवाल किया हो जाओ! देखो येह ख़ातून कौन है और कहां रहती है? मैं उस के पीछे पीछे गया तो देखा कि वोह हज़रते सय्यिदुना बिशर हाफ़ के घर में दाखिल हो गई वोह आप की हमशीरा (बहन)  थी मैं ने वापस आ कर वालिद साहिब को बताया तो उन्हों ने फरमाया बिशर हाफ़ी की हमशीरा के अलावा कोई और औरत इतनी मुत्तकी व परहेज़गार नहीं हो सकती!

⚘❆➮ हज़रते सय्यिदुना अब्दुल्लाह बिन अहमद बिन हम्बल फरमाते हैं हमे नहीं मालूम कि हज़रते सय्यिदुना बिशर हाफ़ी की तीन बहनों ज़ुबिदा, मुज़गा, मुख्खा़ में से येह कौनसी थी ज़ुबिदा को उम्मे अली कहा जाता था, मुज़गा आप से बड़ी थी और आप की ज़िन्दगी ही में इन का इन्तिकाल हो गया था इन के विसाल पर आप बहुत रोए और बहुत गमगीन हुवे जब इतने ज्यादा रंजो मलाल का सबब दरयाफ्त किया गया तो फरमाया :मैं ने बाज़ किताबों में पढ़ा है कि जब बन्दा अपने परवर दगार عَزَّوَجَلَّ की इबादत में सुस्ती करता है तो अल्लाह عَزَّوَجَلَّ उसे उस की सबसे ज्यादा महबूब शै से महरूम कर देता है मेरी येह हमशीरा मुझे दुनियां में सबसे ज्यादा प्यारी थी, अब वोह मुझ से जुदा हो गई है!..✍🏻

 *📬 उ़यूनुल हिकायात (मुतर्जम) हिस्सा 2 सफ़ह 168-169 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ तक्वा हो तो ऐसा  ❞
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⚘❆➮ हज़रते सय्यिदुना अबू बक्र अह़नफ़ से मरवी है कि "मैं ने अब्दुल्लाह बिन अहमद बिन हम्बल को यह फरमाते हुवे सुना एक मरतबा हज़रते सय्यिदुना बिशर हाफ़ी की हमशीरा सय्यिदतुना "मुख्खा" मेरे वालिद के पास आई और पूछा मेरे पास दो दानिक (यानी दिरहम का छटा हिस्सा) थे मैं ने इन का ऊन खरीद कर काता और निस्फ दिरहम का बेच दिया मेरा खाने पीने का पूरे होने का खर्च एक दानिक है हुवा यूं कि हाकिमे शहर इब्ने ताहिर हमारे घर के करीब से गुज़रा उस के साथ मश्अ़ले भी थीं हमारे घर के करीब खड़ा हो कर वोह चन्द कारन्दों से गुफ़्त्गू करने लगा मैं ने इन मश्अ़लों की रोशनी में कुछ ऊन कात लिया था जब हाकिम वहां से चला गया तो मेरे दिल में यह खयाल आया कि "हाकिमे शहर की मश्अ़लों की रोशनी में काती हुई ऊन का हिसाब देना होगा बस इस खयाल के आते ही मैं परेशान हो गई ,अब आप के पास अपना मस्अला ले कर आई हूं मुझे इस परेशानी से नजात दिलाएं, अल्लाह عَزَّوَجَلَّ आप की परेशानी दूर फरमाए मुझे बताइयें कि अब मैं इस ऊन की कीमत का क्या करूं मेरे वालिदे मोहतरम ने फरमाया तुम दो दानिक रख लो और नफ्अ छोड़ दो अल्लाह عَزَّوَجَلَّ इस नफ्अ के बदले तुम्हें अच्छा बदला अता फरमाएगा येह सुन कर वोह चली गई

⚘❆➮ मैं ने अपने वालिदे मोहतरम से कहा हुज़ूर! अगर आप उसे येह कह देते कि इस रोशनी में जितना ऊन काता वोह अलाहिदा कर लो, बाकी ऊन तुम्हारे लिये जाइज़ है तो क्या हरज था फरमाया बेटे! उस खातून का सुवाल इस तावील का एहतिमाल नहीं रखता था फिर फरमाया तुम जानते हो, वोह कौन थी? मैं ने कहा : हां! वोह ज़माने के मशहूर वली हज़रते सय्यिदुना बिशर हाफ़ी की हमशीरा मुख्खा थी फरमाया जभी तो वोह यह मस्अला पूछने आई थी वाकेई ऐसी अज़मत व शान वाली औरत बिशर जैसे वली की बहन ही हो सकती है!...✍🏻

 *📬 उ़यूनुल हिकायात(मुतर्जम) हिस्सा -2 सफह 169-170 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ हज़रते सय्यिदतुना मिस्कीना ❞
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⚘❆➮ हज़रते सय्यिदुना अम्मार बिन राहिब से मन्कूल है कि "हज़रते सय्यिदतुना मिस्कीना इजतिमाए ज़िक्र में पाबन्दी से शिर्कत किया करती थीं इन के इन्तिकाल के बाद मैं ने इन्हें ख्वाब में देखा तो कहा ऐ मिस्कीना! मरहबा! मिस्कीना ने कहा ऐ अम्मार! तुम्हारा भला हो, मैं मिस्कीन नहीं अब तो बहुत ज्यादा गना मिल चुका है, मोहताजी खत्म हो गई और कुशादगी आ चुकी है मैं ने कहा अच्छा! इन बातों को छोड़ो अपना हाल बयान करो, तुम्हें क्या क्या नेमतें अता की गई? मिस्कीना ने कहा तुम उस से सुवाल कर रहे हो जिसे जन्नत अपनी कषीर नेमतों के साथ अता कर दी गई है अब वोह जहां चाहे जन्नत के दरख्तों के साए में रहे हज़रते सय्यिदुना अम्मार का बयान है कि अल्लाह عَزَّوَجَلَّ की येह नेक बन्दी हमारे साथ हद़रते सय्यिदुना ईसा बिन ज़ाज़ान की महफ़िले ज़िक्र में हाज़िर हुवा करती थी मैं ने पूछा ऐ मिस्कीना! हज़रते सय्यिदुना ईसा बिन ज़ाज़ान के साथ क्या मुआमला किया गया? येह सुन कर वोह हसने लगी और दो अरबी अश्आर पढ़े जिन का मफ्हूम येह है

⚘❆➮  उन्हें खूबसूरत व बेश बहा जन्नती लिबास पहनाया गया जन्नती खुद्दाम हाथों में अाबख़ूरे लिये हर वक्त उन के इर्द गिर्द मौजूद रहते हैं फिर उन्हें जन्नती ज़ेवर से आरास्ता किया गया और कहा गया ऐ कारी! तिलावत कर, ब खुदा तुझे तेरे रोज़ों ने छुटकारा दिला दिया!...✍

 *📬 उ़यूनुल हिकायात (मुतर्जम) हिस्सा 2 सफह 170-171 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝हज़रते सय्यिदतुना मिस्कीना ❞
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⚘❆➮ रावी कहते हैं कि हज़रते सय्यिदुना ईसा बिन ज़ाज़ान आखिरी उ़म्र तक इस कषरत से रोज़े रखते रहे कि आप की कमर बिल्कुल झुक गई और आप की आवाज़ बन्द हो गई इन की येह इबादत व रियाज़त अल्लाह عَزَّوَجَلَّ की बारगाह में ऐसी मक्बूल हुई कि मगफिरत व बख्शीश का सबब बन गई

⚘❆➮ हमारे अस्लाफ फराइज़ की अदाएगी के साथ साथ नफ्ली इबादत का भी खूब खूब एहतिमाम करते थे जैसा की हमने अभी हज़रते सय्यिदुना ईसा बिन ज़ाज़ान के बारे में पढ़ा कि वोह कषरत से नफ्ली रोज़े रखा करते थे हमें भी चाहिये कि वक्तन फ वक्तन नफ़्ली रोज़े रख कर अल्लाह ٰعَزَّوَجَلَّ की रिज़ा तलब करें अल्लाह عَزَّوَجَلَّ हमें आमाले सालेहा की तौफीक अता फरमाए, अपनी रिज़ा वाले कामों पर गामज़न फरमाए और हमारा खातिमा बिल खैर फरमाए अगर हम चन्द रोज़ा ज़िन्दगी में थोड़ी सी मशक्कत बरदाश्त कर के फर्ज़ इबादत के साथ साथ नफ्ली इबादत पर भी मुवाज़बत यानी हमेशगी इख्तियार करते रहे तो  ان شاء اللہ जन्नत में खुदाए बुज़ुर्ग व बरतर की तरफ से हमारी मेहमानी की जाएगी जिन खुश नसीबों के लिये *तर्जमए कन्ज़ुल ईमान :* मेहमान बख्शने वाले मेहरबान की तरफ से का मुज़दए जां फिज़ा सुनाया गया अल्लाह عَزَّوَجَلَّ हमें भी उन में शामिल फरमङये हम भी अल्लाह عَزَّوَجَلَّ की रहमत से उम्मीद लगाए इस यौमे इद के मुन्तज़ीर हैं या अल्लाह عَزَّوَجَلَّ हमें जन्नतुल फिरदौस में अपने प्यारे मह़बूबﷺ का पड़ोस अता फरमा!..✍🏻

 *📬 उ़यूनुल हिकायात (मुतर्जम) हिस्सा 2 सफह 170-171 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ साबिरा  खा़तून  ❞
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⚘❆➮  हज़रते सय्यिदुना असमई फरमाते हैं एक मरतबा मैं अपने एक दोस्त के साथ सफर पर था, जंगल से गुज़रते हुए हम रास्ता भूल गए ,कुछ दूर एक खैमा नज़र आया तो उस तरफ गए वहां पहुंच कर बुलन्द आवाज़ से सलाम किया, तो एक औरत खैमे से बाहर आई और हमारे सलाम का जवाब देते हुए पूछा तुम कौन हो? हम ने कहा हम रास्ता भूल गए हैं खैमा देखा तो इस तरफ चले आए औरत ने कहा तुम लोग थोड़ी देर यहीं ठहरो यहां तक कि मैं तुम्हारा हक पूरा करूं जिस के तुम हकदार हो हम वहीं खड़े रहे वोह पर्दे के पीछे चली गई और कहा तुम अपना मुंह दूसरी तरफ करो यहां तक कि तुम्हें तुम्हारा हक दिया जाए हम दूसरी तरफ देखने लगे, उस ने अपनी चादर उतार कर बिछाई और खुद पर्दे की ओट में ही रही और कहने लगी इस चादर पर बैठ जाओ, मेरा बेटा अभी आता ही होगा फिर तुम्हारी ज़ियाफत का एहतिमाम कर दिया जाएगा हम चादर पर बैठ गए कुछ दूर एक सुवार आता दिखाई दिया तो बोली येह ऊंट तो मेरे बेटे का है लेकिन इस पर सुवार होने वाला मेरे बेटे के इलावा कोई और है!..✍🏻

 *📬 उ़यूनुल हिकायात (मुतर्जम) हिस्सा -2 सफह 179-180 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ साबिरा  खा़तून  ❞
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⚘❆➮ कुछ ही देर बाद सुवार खैमे के पास पहुंच गया उस ने औरत से कहा ऐ उम्मे अकील !अल्लाह عَزَّوَجَلَّ तुम्हारे बेटे के मुआमले में तुम्हें अज़ीम अज्र अता फरमाए येह सुन कर उस औरत ने कहा तुम्हारा भला हो, क्या मेरा बेटा मर गया कहा हां पूछा उस की मौत का सबब क्या बना कहा वोह ऊँटो के दरमियान फंस गया था ,ऊँटो ने उसे कुंवे में धकेल दिया जिस की वजह से उस की मौत वाकेअ हो गई बेटे की मौत की ख़बर सुन कर वोह साबिरा ख़ातून न रोई और न ही किसी किस्म का वावेला किया बल्कि उस ऊंट वाले से कहा नीचे उतरो हमारे हां कुछ मेहमान आएं हैं इन की ज़ियाफत का एहतिमाम करो,  वोह सामने मेंढा बान्धा हुवा है उसे ज़ब्ह कर के मेहमानो को पेश करो चुनान्चे मेंढा ज़ब्ह किया गया और उस के गोश्त से हमारी दावत की गई हम खाना खाते हुवे सोच रहे थे कि येह औरत कितने सब्र वाली कि जवान बेटे की मौत पर किसी तरह का गैर शरई काम न किया और न ही किसी किस्म का शोर शराबा किया जब हम खाना खा चुके तो साबिरा ख़ातून ने कहा तुम में से कोई शख्स मुझे अल्लाह عَزَّوَجَلَّ की किताब में से कुछ आयात सुना कर मुझ पर एहसान करेगा मैं ने कहा हां! मैं तुम्हें कुरआनी आयात सुनाता हूं |साबिरा ख़ातून ने कहा मुझे कुछ ऐसी आयात सुनाओ जिन से सब्रो शुक्र की दौलत नसीब हो मैं ने सूरए बकरह की दर्जे ज़ैल आयाते बय्यिनात की तिलावत की

⚘❆➮ *तर्जमए कऩ्जुल ईमान :* और खुश खबरी सुना उन सब्र वालों को कि जब उन पर कोई मुसीबत पड़े तो कहें हम अल्लाह के माल हैं और हम को उसी की तरफ फिरना!..✍🏻

 *📬 उ़यूनुल हिकायात (मुतर्जम) हिस्सा -2 सफह 179-180 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ साबिरा  खा़तून  ❞
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⚘❆➮  ख़ातून ने येह आयते कुरआनिय्या सुनीं तो कहा जो तुम ने पढ़ा क्या कुरआन में बिल्कुल इसी तरह है मैं ने कहा हां! खुदा عَزَّوَجَلَّ की कसम! कुरआन में इसी तरह है साबिरा ख़ातून ने कहा तुम पर सलामती हो, अल्लाहﷻ तुम्हें खुश रखें फिर उस ने नमाज़ पढ़ी और कहा बेशक मेरा बेटा अकील अल्लाहﷻ की बारगाह में पहुंच गया होगा ,तीन मर्तबा उस ने यही कलिमात कहे फिर इस तरह मुल्तजी हुई ऐ मेरे पाक परवरﷻ दगार जैसा तू ने हुक्म दिया मैने वैसा ही किया अब तू भी अपने उस वादे को पूरा फरमा दे जो तू ने किया है, बेशक तू वादा खिलाफी नहीं करता

⚘❆➮ सब्र हो तो ऐसा और यकीन हो तो ऐसा उस खुश बख्त मां ने अपने जिगर के टुकड़े, अपने जवान बेटे की मौत पर बे वुकूफ और जाहिल औरतों की तरह नौहा, चीख़ो पुकार और कोई भी गैर शरई काम न किया बल्कि हुक्मे खु़दावन्दी सुन कर नमाज़ अदा की और वही किया जो हुक्मे खुदावन्दी था

🤲🏻 ⚘ अल्लाहﷻ हमें भी मसाइब व आलाम पर सब्र करने की तौफ़ीक़ अता फरमाए जो नेक बन्दे मुसीबत में हर्फे शिकायत ज़बान पर नहीं लाते और न ही मसाइब से घबराते हैं उन आशिकाने रसूल का सदके अल्लाह ﷻ हमें भी दौलते सब्रो शुक्र से माला माल फरमा दे!..✍🏻 आमीन

 *📬 उ़यूनुल हिकायात (मुतर्जम) हिस्सा -2 सफह 179-180 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ दर्से  सब्रो  शुक्र   ❞
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⚘❆➮ हज़रते सय्यिदुना अब्दुर्रहमान अपने चचा के हवाले से बयान करते हैं कि एक बुढ्ढ़ी औरत जो जंगल में चरागाह के करीब रहती थी उस के मुतअल्लिक मुझे एक शख्स ने बताया कि वोह बुढ़ियां बहुत अक्लमंद और साबिरा व शाकिरा थी लोग उस के सब्रो शुक्र और दानाई की मिसालें दिया करते थे उस का एक बेटा था जो इन्तिहाई वजिया व खूबसूरत था काफी अर्से बीमार रहा, बुढ्ढ़ी मां ने बहुत अच्छे तरीके से उसकी तीमार दारी की अर्सए दराज़ तक बिस्तरे अलालत पर अपने ज़िन्दगी के अय्याम गुज़ारने के बाद बिल आखिर उस का नौजवान जमील व शकील इक लौता बेटा इस दारे फना से दारे बका की तरफ कूच कर गया उस की मौत के बाद बुढ़िया अपने घर के सहन में बैठी हुई थी लोग ता'ज़िय्यत के लिये आए तो बुढ़ियां ने एक ज़ईफुल उम्र शख्स से कहा कितना अच्छा है वह ख़ुशबख़्त जिस ने आफिय्यत का लिबास पहन लिया, जिस पर नेमतों का रंग चढ़ गया, जिसे ऐसी फ़ितरत अता की गई कि जब तक वोह अपने मसाइल हल न कर लें उसे तौफीक व हिम्मत दी जाती रहे फिर बुढ़िया ने दो अरबी अश्आर पढ़े जिन का मफ्हूम येह है :

⚘❆➮ वोह मेरा बेटा था मुझे मालूम नहीं कि उस की वजह से मुझे कितना अज़्र मिला, मेरी मदद उस के लिये यह थी कि मैं ने उस की परवरिश की और मैं उस की देखभाल करने वाली थी, अगर मैं उस की मौत पर सब्र करूं तो अज्र दी जाऊंगी और अगर गिर्या व ज़ारी और चीखो़ पुकार करूं तो उस रोने वाली की तरह हो जाऊंगी जिसे उस के रोने धोने ने कुछ फाइदा न दिया!...✍🏻

 *📬 उ़यूनुल हिकायात(मुतर्जम) हिस्सा -2 सफह 180-181 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝  दर्से  सब्रो  शुक्र  ❞
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⚘❆➮ बुढ़िया की येह हिक्मत भरी बातें सुन कर ज़ईफुल उम्र शख्स ने कहा अब तक तो हम येही सुनते आए हैं कि रोना धोना, वावेला करना औरतों की आदत है, लेकिन तुम तो मर्दों से भी ज़्यादा सब्र वाली हो, तुम्हारा सब्र अज़ीम है और औरतों में तुम्हारी नज़ीर मिलना मुश्किल है येह सुन कर बुढ़िया ने कहा जब भी कोई शख्स दो चीज़ों यानी सब्रो शुक्र और जज़्अ व फज़्अ (यानी बे सब्री) के दरमियान हो तो उस के सामने दो रास्ते होते हैं बहर हाल सब्र तो हर हाल में अच्छा है वोह ज़ाहिरन हसीन और उस का अन्जाम महमूद है जब कि बे सब्री, इस पर तो कोई सवाब ही नहीं है अगर सब्र व बे सब्री इन्सानी शक्ल में होते तो सब्र, हुस्नो आदात और दिन के मुआमलें में बे सब्री से ब दरजहा अफ्ज़ल होता सब्र दीनी मुआमलात और नेकी के कामों में जल्दी करने वाला है जिसे अल्लाहﷻ दौलते सब्र अता फरमाए उसे अल्लाहﷻ का वादा काफी है सब्र में भला ही भला और बे सब्री में नुक्सान ही नुक्सान है!

🤲🏻 ⚘ अल्लाह ﷻ हमें सब्र की दौलत से मालामाल फरमाए ,बे सब्री व बे शुक्री की नुहूसत से महफूज़ रखे राज़ी ब रिज़ाए इलाही रहने वाला और हर्फे शिकायत लब पर न लाने वाला खुश नसीब है अल्लाह ﷻ हमें साबिरो शाकिर बनाए!...✍🏻

 *📬 उ़यूनुल हिकायात (मुतर्जम) हिस्सा -2 सफह 180-181 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ हज़रते ज़ैनब बिन्ते जह़श की सखावत ❞
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⚘❆➮ हज़रते सय्यिदुना अबू हुरैरा से मरवी है कि,अमीरुल मोमिनीन हज़रते सय्यिदुना उमर फारूके आज़म के दौरे खिलाफ़त में बहरैन से वापसी पर मैं ने इशा की नमाज़ आप के पीछे अदा की, नमाज़ से फरागत के बाद मैं ने सलाम अर्ज किया आप ने जवाब दे कर पूछा ऐ अबू हुरैरा बहरैन से क्या ले कर आए हो मैं ने कहा पांच लाख दिरहम फरमाया जानते हो, तुम कितनी रकम कह रहे हो मैं ने कहा जी हां! एक सो हज़ार, एक सो हज़ार, एक सो हज़ार इस तरह मैं ने पांच मरतबा गिना आप ने फरमाया ऐ अबू हुरैरा शायद तुम्हें नींद आ रही हैं, जाओ अभी घर जा कर आराम कर लो कल सुबह मेरे पास आना चुनान्चे मैं घर चला आया सुबह जब दरबारे खिलाफ़त में पहुंचा तो आप ने फिर पूछा ऐ अबू हुरैरा बहरैन से क्या लाए हो मैं ने कहा पांच लाख दिरहम आप ने मुतअज्जीब हो कर पूछा क्या वाकई तुम ठीक कह रहे हो मैं ने कहा हुज़ूर मैं बिल्कुल सच कह रहा हूँ, मैं वाकई पांच लाख दिरहम लाया हूं आप ने लोगों से फरमाया ऐ लोगों! बेशक मेरे पास कषीर माल आया है, बताओ गिन कर तुम्हारे दरमियान तकसीम करूं या तोल कर!...✍🏻

 *📬 उ़यूनुल हिकायात (मुतर्जम) हिस्सा -2 सफह 217-218 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ हज़रते ज़ैनब बिन्ते जह़श की सखावत ❞
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⚘❆➮ एक शख़्स ने कहा ऐ अमीरूल मोमिनीन मैं ने अज़मियों को देखा है कि वोह रजिस्टर वगैरा में लोगों के नाम लिख लेते हैं और फिर उस रजिस्टर को देख कर हकदारो में गल्ला वगैरा तक्सीम किया जाता है आप ने मुहाजिरीन सहाबए किराम के लिये पांच हज़ार,अन्सार सहाबए किराम के लिये चार हजार और अज़वाजे मुत्तहहरात के लिये बारह हज़ार दिरहम मुकर्रर किये हज़रते सय्यिदतुना बरज़ा बिन्ते राफेअ फरमाती हैं जब अमीरूल मोमिनीन हज़रते सय्यिदुना उमर फारूके आज़म के पास जब जिज़या वगैरा का माल आया तो आप ने उम्मुल मोअमिनीन हज़रते सय्यिदतुना ज़ैनब बिन्ते जहश के लिये बहुत सा माल भिजवाया उन्हों ने माले कषीर देख फरमाया अल्लाह तबारक व तआला हज़रते उमर की मगफिरत फरमाए मेरे अलावा मेरे और मुसलमान भाई भी हैं जो इस माल के मुझ से ज्यादा मोहताज होंगे लोगों ने कहा यह सब का सब आप के लिये है (दीगर हकदारों को अपना हिस्सा मिल चुका है) आप ने سبحان الله कह कर ज़मीन पर एक कपड़ा बिछाते हुए कहा सारा माल यहां डाल कर इस पर एक कपड़ा डाल दो लोगों ने तमाम दिरहम वहां डाल दिये!...✍🏻

 *📬 उ़यूनुल हिकायात (मुतर्जम) हिस्सा -2 सफह 217-218 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ हज़रते ज़ैनब बिन्ते जह़श की सखावत ❞
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⚘❆➮ हज़रते सय्यिदतुना बरज़ा बिन्ते राफेअ़ फरमाती है कि फिर आप ने मुझ से फरमाया इस कपड़े के नीचे अपना हाथ डाल कर एक मुठ्ठी दिरहमों की भरो और फुलां यतीम को दे आओ, एक मुठ्ठी फुलां गरीब को दे आओ, एक मुठ्ठी फुलां रिश्तेदार को दे आओ आप हुक्म फरमाती जाती और मैं लोगों में तक्सीम करती जाती यहां तक कि चंद दिरहमों के अलावा बाकी तमाम दिरहम तकसीम फरमा दिये फिर मैं ने अर्ज़ की अल्लाह ﷻ आप की मगफिरत फरमाए क्या इस मे हमारा कुछ हिस्सा नहीं फरमाया हां जो बाकी बचा है वोह तुम्हारे लिये है मैं ने कपड़ा उठाया तो उसके नीचे सिर्फ पचासी दिरहम बाकी थे फिर उम्मुल मोअमिनीन हज़रते सय्यिदतुना ज़ैनब बिन्ते जहश ने हाथ उठा कर इस तरह दुआ की ऐ अल्लाह ﷻ हज़रते उमर की जानीब से मुझे इस के बाद कोई हदिय्या नसीब न हो फिर उसी साल आप का इन्तिकाल हो गया!...✍🏻

 *📬 उ़यूनुल हिकायात (मुतर्जम) हिस्सा -2 सफह 217-218 📚*

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     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ हज़रते ज़ैनब बिन्ते जह़श की सखावत ❞
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⚘❆➮ अल्लाह ﷻ की करोड़ो रहमतें हो मोअमिनीन की उन माओं पर जिन्हों ने हर हाल में रब्बे करीम ﷻ का शुक्र अदा किया खुद भूक व प्यास बरदाश्त कर के उम्मत के गुरबा व फुकरा की परेशानियां दूर फरमाई उन्हें मालो दौलत और दुनियावी साज़ो सामान से मुहब्बत न थी बल्कि वोह तो खालिके हकीकी की मुहब्बत में सरशार थी दुनियावी मालो दौलत की आमद उन्हें खुश न करती बल्कि इस की फिरावानी उन के लिये परेशानी का बाइष बनती उन के पास जो माल आता उसे फौरन सदका कर देती यह सब हमारे मक्की मदनी आका ﷺ की तर्बिय्यत व सोहबत का असर था जिस तरह आप ﷺ से किसी उम्मती की परेशानी नहीं देखी जाती इसी तरह आप ﷺ के घर वाले भी उम्मते मुस्लिमा को परेशानी में देख कर बे करार हो जाते इन्हीं पाकीज़ा हस्तियों के रहमों करम से हम जैसे गुनाहगारों का गुज़ारा हो रहा है हमारे मक्की मदनी आका, मदीने वाले मुस्तफा ﷺ ही हमारी षरवत व इज्ज़त हैं

🤲🏻 ⚘ अल्लाह तबारक व तआला हमें इन के दामने करम से हमेशा हमेशा वाबस्ता रखे!...✍🏻 *आमीन*

   *हम  गरीबों  के  आका  पे  बे  हद  दुरूद*

   हम  फकीरों  की  षरवत  पे  लाखों  सलाम

 *📬 उ़यूनुल हिकायात (मुतर्जम) हिस्सा -2 सफह 217-218 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

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     ❝ मन्क़बते खातूने जन्नत  ❞
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⚘❆➮ है रूत्बा इस लिये कौनैन में इस्मत का इफ्कत का

*शरफ हासिल है उन को दामने ज़हरा से निस्बत का*

⚘❆➮ जो जाना खुल्द में हो पाए ज़हरा से लिपट जाओ

*जिसे कहते हैं जन्नत मुल्क है खातूने जन्नत का*

⚘❆➮ नबी के दिल की राहत और अली के घर की ज़ीनत हैं

*बयां किस से हो इन की पाक त़ीनत पाक तलअ़त का*

⚘❆➮ इन्हीं के माह पारे दो जहां के लाज़ वाले हैं

*येह ही हैं मजमए़ बहरैन सर चश्मा हिदायत का*

⚘❆➮ रसूलुल्लाह की जीती जागती तस्वीर को देखा

*किया नज़ारा जिन आंखों ने तफ्सीरें नुबुव्वत का*

⚘❆➮ बतूल व फातिमा ज़हरा लक़ब इस वासिते़ पाया

*कि दुनिया में रहें और दें पता जन्नत की निगहत का*

⚘❆➮नबी  की लाडली, बीवी वली की, मां शहीदों की

*यहां जल्वा नुबुव्वत का विलायत का शहादत का*

⚘❆➮ तआ़लल्लाह इस सअदैन के जोड़े का क्या कहना

*कि रह़मत की दुल्हन ज़हरा, अली दुल्हा विलायत का*

⚘❆➮ वोह इतरत जो कि उम्मत के लिये कुरअाने षानी है

*नबी का है चमन या,नी शजर इस पाक मन्बत का*

⚘❆➮ वोह चादर जिस का आंचल चांद सूरज ने नहीं देखा

*बनेगी हश्र में पर्दा गुनहगाराने उम्मत का*

⚘❆➮अगर  सालिक भी या रब्ब दा,वए जन्नत करे, हक़ है

*जो वोह ज़हरा की है येह भी तो है खा़तूने जन्नत का*

⚘ *(दीवान सालिक अज़ हकीमुल उम्मत मुफ्ती अहमद यार खान !...✍🏻*

 *📬 शाने खातूने जन्नत सफह 43-44 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ एक अक्लमंद बुढ़िया ❞
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⚘❆➮ एक आलिम ने एक बुढ़िया को चरखा कातते देख कर फरमाया कि बड़ी बी! सारी उम्र चरख़ा ही काता या कुछ अपने खुदा की पहचान की बुढ़िया ने जवाब दिया कि बेटा सब कुछ इसी चरख़े में देख लिया फरमाया बड़ी बी! यह तो बताओ कि खुदा मौजूद है या नहीं बुढ़िया ने जवाब दिया कि हां हर घड़ी और हर रात दिन हर वक्त ख़ुदा मौजूद है आलिम ने पूछा मगर इसकी दलील बुढ़िया बोली मेरा यह चरख़ा आलिम ने पूछा यह कैसे वह बोली वह ऐसे कि जब तक मैं इस चरख़े को चलाती रहती हूं यह बराबर चलता रहता है और जब मैं इसे छोड़ देती हूं तब यह ठहर जाता है तो जब इस छोटे से चरख़े को हर वक्त चलाने की ज़रूरत है तो ज़मीन व आसमान, चांद सूरज के इतने बड़े-बड़े चरखों को किस तरह चलाने वाले की जरूरत न होगी पस इसी तरह ज़मीन व आसमान के चरख़े को एक चलाने वाला चाहिए जब तक वह चलाता रहेगा यह सब चरख़े चलते रहेंगे और जब वह छोड़ देगा तो यह ठहर जाएंगे मगर हमने कभी ज़मीन व आसमान, चांद सूरज को ठहरे नहीं देखा तो जान लिया कि उनका चलाने वाला हर घड़ी मौजूद है!..✍🏻

*📬 सच्ची हिकायात हिस्सा अव्वल सफह 16-17 📚*

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🅿🄾🅂🅃 ➪  197

   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ एक अक्लमंद बुढ़िया ❞
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⚘❆➮ मौलवी साहब ने सवाल किया कि आसमान व ज़मीन का चरख़ा चलाने वाला एक है या दो बुढ़िया ने जवाब दिया कि एक है व दावे की दलील भी यही मेरा चरख़ा है क्योंकि जब इस चरख़े को अपनी मर्जी से एक तरफ चलाती हूं यह चरख़ा मेरी मर्जी से एक ही तरफ चलता है और अगर कोई दूसरी चलाने वाली भी होती तो यह तो यह मेरी मददगार होकर मेरी मर्जी के मुताबिक चरख़ा चलाती तब तो चरख़े की रफ्तार तेज़ हो जाती और इस चरख़े की रफ्तार में फर्क आकर नतीजा हासिल न होता अगर वह मेरी मर्जी के खिलाफ और मेरे चलाने के मुख़ालिफ जेहत पर चलाती तो चरख़ा चलने से ठहर जाता या टूट जाता मगर ऐसा नहीं होता इस वजह से कि दूसरी चलाने वाली नहीं है इसी तरह आसमान व ज़मीन का चलाने वाला अगर कोई दूसरा होता तो ज़रूर आसमानी चरख़े की रफ्तार तेज होकर दिन रात के निज़ाम में फर्क आ जाता या चलने से ठहर जाता या टूट जाता जब ऐसा नहीं है तो ज़रूर आसमान व ज़मीन के चरख़े को चलाने वाला एक ही है!

 *सबक :- ➮* दुनिया की हर चीज़ अपने ख़ालिक के वुजूद और उसकी यक्ताई पर शाहिद है मगर अक़्ले सलीम दरकार है!..✍🏻

*📬 सच्ची हिकायात हिस्सा अव्वल सफह 16-17 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ उम्मे  फ़ातिमा ❞
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⚘❆➮ स्कंदरिया की एक औरत उम्मे फ़ातिमा मदीना मुनव्वरा में हाज़िर हुई तो उसका एक पैर ज़ख्मी हो गया हत्ता की वह चलने से रह गई लोग मक्का मोअज्जमा जाने लगे मगर वह वहीं रह गई एक दिन वह किसी तरह रौज़ए अनवर पर हाज़िर हुई रौज़ए अनवार का तवाफ करने लगी तवाफ करती जाती और कहती जाती, या हबीबी या रसूलुल्लाह! लोग चले गये और मैं रह गई हुज़ूर या तो मुझे भी वापस भेजिये या फिर अपने पास बुला लीजिये यह कह रही थीं कि तीन अरबी नौजवान मस्जिद में दाखिल हुए और कहने लगे कि कौन मक्का मोअज़्ज़मा जाना चाहता है फ़ातिमा ने जल्दी से कहा मैं जाना चाहती हूं उनमें से एक बोला तो उठो फ़ातिमा बोली मैं उठ नहीं सकती उसने कहा अपना पैर फैलाओ तो फ़ातिमा ने अपना सूजा हुआ पैर फैलाया उसका जब सूजा हुआ पैर देखा तो तीनों बोले हां यही वह है फिर तीनों आगे बढ़े और उम्मे फ़ातिमा को उठाकर सवारी पर बैठा दिया और मक्का मोअज़्ज़मा पहुंचा दिया दर्याफत करने पर उनमे से एक नौजवान ने बताया कि मुझे हुज़ूर ने ख्वाब में हुक्म फरमाया था कि उस औरत को मक्का पहुंचा दो उम्मे फ़ातिमा कहती है कि मैं बड़े आराम से मक्का पहुंची!

*सबक :- ➮* हमारे हुज़ूर आज भी हर फरयादी की फरयाद सुनते हैं हर मुश्किल हल फ़रमा देतें हैं बशर्ते की फ़रियादी दिल और सच्ची अक़ीदत से या हबीबी या रसूलुल्लाह कहने का भी आदी हो!..✍🏻

 *📬 सच्ची हिकायात हिस्सा अव्वल सफह 51-52 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

     इसी गै़रत से इन्सान नूर के सांचे में ढलता था

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     ❝ एक हाशमी औरत ❞
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⚘❆➮ मदीना मुनवरा में एक हाशमी औरत रहती थी उसे बाज लोग ईजा दिया करते थे एक दिन वह हुजूर के रौजा पर हाजिर हुई, अर्ज करने लगी या रसूलल्लाह यह लोग मुझे ईजा देते हैं!

⚘❆➮ रौजए अनवर से आवाज आई क्या मेरा उस्वा-ए-हुस्ना तुम्हारे सामने नहीं दुशमनों ने मुझे ईजाएं दीं और मैंने सब्र किया मेरी तरह तुम भी सब्र करो वह औरत फरमाती है कि मुझे बड़ी तस्कीन(राहत) हुई और चंद दिन के बाद मुझे ईजा देने वाले भी मर गए!

*सबक :- ➮* हमारे हजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम सबकी सुनते हैं और हर मजलूम के लिये आप ही का दर जाए पनाह है या रसूलल्लाह कहनेे से हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की जानिब से रहमत व तस्कीन हासिल होती है!...✍🏻

     *📬 शवाहिदुल-हक सफह 165 📚*

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   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

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     ❝ जन्नत की ऊंटनी ❞
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⚘❆➮ हजरत मौला अली रजियल्लाहु अन्हु एक बार घर तशरीफ लाये तो हजरत फातिमा रजियल्लाहु अन्हा ने कहा मैंने यह सूत काता है आप इसे बाजार ले जाइये और बेचकर आटा ले आइये ताकि हसन और हुसैन (रज़ियल्लाह अन्हो) को रोटी खिला दें हज़रत अली वह सूत बाजार ले गये और उसे 6(छः) दिरहम में बेच दिया ! फिर उन दिरहम का कुछ खरीदना चाहते थे कि एक साइल ने सदा की हजरत अली ने वह रुपये उस साईल को दे दिये थोड़ी देर के बाद एक आराबी आया जिसके पास बड़ी फरबा एक ऊंटनी थी! वह बोला ऐ अली! यह ऊंटनी खरीदोगे फरमाया- पैसे पास नहीं हैं!

⚘❆➮ आराबी ने कहा उधार देता हूं ! यह कहकर ऊंटनी की मुहार हज़रत अली के हाथ में दे दी और खुद चला गया इतने में एक दूसरा आराबी नमूदार हुआ और कहा ए अली! ऊंटनी देते हो फ़रमाया ले लो आराबी ने कहा- तीन सौ नकद देता हूं ! यह कहा और तीन सौ नकद हजरत अली को दे दिये और ऊंटनी लेकर चला गया ! उसके बाद हजरत अली ने पहले आराबी को तलाश किया मगर वह न मिला आप घर आये और देखा हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम हजरत फातिमा के पास तशरीफ़ फ़रमा हैं

⚘❆➮ हुजूर ने मुस्कुरा कर फरमाया अली! ऊंटनी का किस्सा तुम खुद सुनाते हो या मैं सुनाऊ हजरत अली ने अर्ज किया हुजूर आप ही सुनायें फरमाया पहला आराबी जिब्रईल था और दूसरा आराबी इसराफ़ील ऊंटनी जन्नत की वह ऊंटनी थी जिस पर जन्नत में फातिमा सवार होगी खुदा को तुम्हारा ईसार, जो की तुमने छः दिरहम साइल को दिये, पसंद आया और उसके सिले में दुनिया में भी उसने तुम्हें इसका अज्र ऊंटनी की खरीद व फरोख्त के बहाने दिया!

📕 जामिउल-मुजिजात सफह 4

*सबक :- ➮* अल्लाह वाले खुद भूखे रहकर भी मोहताजों को खाना खिलाते हैं। यह भी मालूम हुआ कि हमारे हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम दाना ए गुयूब हैं। आपसे कोई बात मख्फी(छुपी) नहीं!...✍🏻

*📬 सच्ची हिकायत हिस्सा अव्वल सफह 41 📚*

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🅿🄾🅂🅃 ➪  201

   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

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     ❝   कातिल  की  रिहाई   ❞
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⚘❆➮ बगदाद के हाकिम इब्राहीम बिन इस्हाक ने एक रात ख्वाब में हुजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को देखा हुजूर ने उससे फरमाया रिहा कर दो यह हुक्म सुनकर हाकिम बगदाद कापता हुआ उठा अमला से पूछा कि क्या कोई ऐसा मुजरिम भी है जो कातिल है उन्होंने बताया कि हां एक ऐसा शख्स भी है जिस पर कत्ल का इल्जाम है।

⚘❆➮ हाक़िम ए बगदाद ने कहा उसे मेरे सामने लाओ चुनाचे उसे लाया गया हाकिम बगदाद ने पूछा कि सच सच बताओ वाकिया क्या है उसने कहा सच कहूगा, झूठ हरगिज़ न बोलू बात यह हुई कि हम चंद आदमी मिलकर एय्याशी व बदमाशी किया करते थे एक बूढी औरत को हमने मुकर्रर कर रखा था जो हर रात किसी बहाने से कोई न कोई औरत ले आती थी एक रात वह एक ऐसी औरत को लाई जिसने मेरी दुनिया में इंक़लाब बरपा कर दिया बात यह हुई कि वह औरत जब हमारे सामने आई तो चीख मारकर बेहोश होकर गिर गई मैंने उसे उठाकर एक दूसरे कमरे में लाकर उसे होश में लाने की कोशिश की जब वह होश में आ गई तो उससे चीखने और बेहोश होने की वजह पूछी वह बोली ऐ नौजवान मेरे हक में अल्लाह से डर फिर कहती हूं कि अल्लाह से डर यह बुढ़िया तो मुझे बहाने से इस जगह ले आई है देख मैं एक शरीफ औरत हूं सय्यदा हूँ मेरे नाना रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम और मेरी मां फातिमा ज़हरा हैं ख़बरदार! इस निस्बत का लिहाज़ रखना और मेरी तरफ बद-निगाही से न देखना!..✍🏻

*📬 सच्ची हिकायत हिस्सा अव्वल सफह 56-57 📚*

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🅿🄾🅂🅃 ➪  202

   येही माएं है जिन की गोद में इस्लाम पलता था

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     ❝  कातिल  की  रिहाई  ❞
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⚘❆➮  मैंने जब उस पाक औरत से जो सय्यदा थी यह बात सुनी तो, लरज़ गया और अपने दोस्तों के पास आकर उन्हें हकीकते हाल से आगाह किया ! कहा कि अगर आख़िरत की खैर चाहते हो तो इस मुकर्रमा व मोअज्जमा ख़ातून की बेअदबी न होने पाए !  मेरे दोस्तों ने मेरी इस बात से यह समझा कि शायद मैं उनको हटाकर खुद तनहा ही यह गुनाह करना चाहता हूं ! उनसे धोखा कर रहा हूं ! इसी ख्याल से वह मुझसे लड़ने पर आमादा हो गया ! मैंने कहा मैं तुम लोगों को किसी सूरत में इस गलत और बुरे काम की इजाज़त न दूंगा ! लडूंगा, मर जाऊंगा मगर इस सैय्यदा की तरफ बद-निगाह न करूंगा ! चुनाचे वह मुझपर झपट पड़े और मुझे उनके हमले से चोंट पहुँची !

⚘❆➮ इसी बीच में एक शख्स, जो उस सैय्यदा के कमरा की तरफ आना चाहता था, मेरे रोकने पर मुझ पर हमलावर हुआ तो मैंने उस पर छुरी से हमला कर दिया ! उसे मार डाला ! फिर उस सय्यदा को अपनी हिफाज़त से लेकर बाहर निकाला तो शोर मच गया ! छुरी मेरे हाथ में थी ! में पकड़ा गया और आज यह ब्यान दे रहा हूं हाकिमे बगदाद ने कहा जाओ, तुम्हें रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के हुक्म से रिहा किया जाता है

📕 हुज्जतुल्लाह अलल-आलमीन, सफा 813

⚘❆➮ *सबक :* हमारे हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अपनी उम्मत के हर नेक व बद आदमी और हर नेक व बद अमल को जानते और देखते हैं ! यह भी मालूम हुआ कि हुजूर की निस्बत के लिहाज व अदब से आदमी का अंजाम अच्छा हो जाता है ! लिहाजा हर उस चीज़ का दिल में अदब व एहतेराम रखना चाहिये जिसका हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से तअल्लुक हो!..✍🏻

*📬 सच्ची हिकायत हिस्सा अव्वल सफह 56-57 📚*

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*📬 पोस्ट मुकम्मल हुई अल्हम्दुलिल्लाह 🔃*
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