اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ یــــــــــــــــــــــا رسول الــــلّٰــــه ﷺ
कनीज़ ए मां फ़ातिमा तुज़्ज़हरा رضی اللّٰــه تعالیٰ عنــــــــہا
••──────────────────────••►
इस्लामी बहनों की नमाज़ (ह-नफ़ी)
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 01
••──────────────────────••►
❝ अर्ज़ ए क़लम फ़र्ज़ उलूम का तार्रुफ़ ❞
••──────────────────────••►
╭┈► आ'ला हज़रत, इमामे अहले सुन्नत, मौलाना शाह इमाम अहमद रजा खान रादिअल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैँ इल्म ए दीन सीखना इस क़दर कि मज़हबे हक से आगाह, वुजु गुस्ल नमाज रोज़े वगैरह ज़रूरिय्यात के अहकाम से मुत्तलअ हो। ताजिर तिजारत, मुज़ारेअ (किसान) ज़राअत, अजीर (मज़दूर मुलाजिम) इजारे, ग़रज़ हर शख्स जिस हालत में है उस के मुतअल्लिक अहक्रामे शरीअत से वाकिफ़ हो, फर्ज़े ऐन है जब तक यह हासिल न करे जुगराफिया, तारीख वग़ैरा में वक़्त ज़ाया करना जाइज़ नहीं जो फ़र्ज़ छोड़ का नफ़्ल में मशगूल हो हदीसों में उस की सख्त बुराई आई और उस का वो नेक काम मरदूद करार पाया न कि फ़र्ज़ छोड़ कर फुजूलियात मेँ वक़्त गंवाना।
📕 फतावा र-जविय्या मुखर्रजा, ज़िल्द 23, सफ़ह 647, 648
╭┈► अफ़सोस आज हमारी गालिब अक्सरिय्यत सिर्फ व सिर्फ दुन्यवी उलूम के हुसूल में मशगूल है, अगर किसी को कुछ मज़हबी जौक मिला भी तो अक्सर उस का ध्यान मुस्तहब उलूम ही की तरफ़ गया। अफ़सोस ! सद करोड़ अफ़सोस ! फर्ज उलूम की जानिब मुसलमानों की तवज्जों न होने के बराबर है, और हालत यह है कि नमाजियों की भी भारी ता'दाद नमाज के ज़रूरी मसाइल से ना आशना है। हालांकि मसाइल को सीखना फ़र्ज़ और न जानना सख्त गुनाह है।
╭┈► आ'ला हज़रत रादिअल्लाहु तआला अन्हु फ़रमाते हैं "नमाज़ के ज़रूरी मसाइल न जानना फिस्क है।
📔 ऐजन ज़िल्द 6, सफ़ह 523
╭┈► अल्हम्दुलिल्लाह हमारी ये पोस्ट "इस्लामी बहनों की नमाज़ (ह-नफी)" उन बे-शुमार अहकाम पर मुहीत है जिनका सीखना इस्लामी बहनों के लिये फ़र्ज़ है। लिहाजा इस्लामी बहनें इस पोस्ट को जरूर पढे मसाइल को याद करें अच्छी अच्छी निय्यतों के साथ दूसरी इस्लामी बहनों को भी पढ़ कर सुनाएं औऱ शेयर करें अगर कोई मसअला किसी पढ़ने सुनने वाली को समझ में न आए तो महज़ अपनी अक्ल से वजाहत करने के बजाए उलमाए अहले सुन्नत से मा’लूमात हासिल करें। इसका तरीका बयान करते हुए हज़रते अल्लामा मौलाना मुफ़्ती मुहम्मद अमजद अली आ'ज़मी रादिअल्लाहु तआला अन्हु बहारे शरीअत हिस्सा 7 सफ़ह 89 (मत्बुआ मकतबए र जुबिय्या) सतर 12 पर फरमाते हैँ औरतों को मसअला पूछने को ज़रूरत हो तो अगर शौहर आलिम हो तो उससे पूछ ले और आलिम नहीं तो उससे कहे वो पूछ आए और इन सूरतों में उसे खुद आलिम के यहां जाने की इजाज़त नहीं और यह सूरतें न हों तो जा सकती है।...✍
📘 आलमगीरी ज़िल्द 1 सफ़ह 371
📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 10 📚
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 02
••──────────────────────••►
❝ अगले पिछले गुनाह मुआफ़ करवाने का नुस्ख़ा ❞
••──────────────────────••►
╭┈► हज़रते सैय्यदना हुमरान रादिअल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है कि हजुरते सैय्यदना उस्माने गनी रादिअल्लाहु तआला अन्हु ने वुजू के लिये पानी मंगवाया जब कि आप एक सर्द रात में नमाज़ के लिये बाहर जाना चाहते थे, मैं उन के लिये पानी ले का हाजिर हुवा तो आप रादिअल्लाहु तआला अन्हु अपना चेहरा और दोनों हाथ धोए। (येह देख का) मैं ने पूछा की : "अल्लाह तआला आप को किफायत करे रात तो बहुत ठन्डी है।" तो आप रादिअल्लाहु तआला अन्हु ने फ़रमाया मैंने नबी करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहिस्सलाम को फ़रमाते हुए सुना कि "जो बन्दा कामिल वुज़ू बकरता है उस के अगले पिछले गुनाह मुआफ़ कर दिये जाएंगे।...✍
📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 14-15 📚
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 03
••──────────────────────••►
❝ गुनाह झड़ने की हिकायत ❞
••──────────────────────••►
╭┈► अल्हम्दुलिल्लाह अज़्ज़वज़ल वुज़ू करने वाले के गुनाह झड़ते हैं, इस ‘ज़िम्न में एक ईमान अफ़रोज हिकायत नक्ल करते हुए हजरते अल्लामा अब्दुल बस्ताब शा’रानी रहमतुल्लाहि तआला अलैह फ़रमाते है एक मर्तबा सैय्यदुना इमामे आ'जम अबू हनीफा रादिअल्लाहु तआला अन्हु जामेअ मस्जिद कूफा के वुज़ू खाने में तशरीफ ले गए तो एक नौ जबान को वुजू बनाते हुए देखा, उस से वुज़ू (में इस्ति‘माल शुदा पानी) के कतरे टपक रहे थे।
╭┈► आप रादिअल्लाहु तआला अन्हु ने इर्शाद फ़रमाया "ऐ बेटे ! मां बाप की ना-फ़रमानी से तौबा कर ले।" उस ने फौरन अर्ज़ की, ''मैं ने तौबा की ।" एक और शख्स के वुज़ू (में इस्ति'माल होने वाले पानी) के कतरे टपकते देखे, आप रादिअल्लाहु तआला अन्हु ने उस शख्स से इरशाद फ़रमाया, "ऐ मेरे भाई ! तू जिना से तौबा कर ले।" उस ने अर्ज की, "मैं ने तौबा की।" एक और शख्स के वुज़ू के कतरात टपकते देखे तो उसे फ़रमाया, "शराब नोशी और गाने बाजे सुनने से तौबा का ले।" उस ने अर्ज़ की : "मैं ने तौबा की।" सैय्यदुना इमामे आज़म अबू हनीफ़ा रादिअल्लाहु तआला अन्हु पर क़स्फ़ के बाइस चूंकि लोगों के उयूब जाहिर हो जाते थे लिहाजा आप रादिअल्लाहु तआला अन्हु ने बारगाहे ख़ुदा बंदी अज़्ज़वज़ल में इस क़स्फ़ के ख़त्म हो जाने की दुआ मांगी। अल्लाह अज़्ज़वज़ल ने दुआ कुबूल फरमा ली। जिस से आप रादिअल्लाहु तआला अन्हु, को वुज़ू करने वालों के गुनाह झड़ते नज़र आना बन्द हो गए।...✍
📔 अल-मीज़ान अल-कबरी ज़िल्द 1 सफ़ह 130
📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 15-16 📚
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 04
••──────────────────────••►
❝ क़ब्र में आग भडक उठी ❞
••──────────────────────••►
╭┈► हज़रते सैय्यदुना अम्र बिन शुरहूबील रादिअल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है कि एक शख्स इन्तिक़ाल कर गया जिस को लोग मुत्तकी और परहेज़गार समझते थे जब उसे क़ब्र में दफ़न किया गया तो फिरिश्तों ने फ़रमाया "हम तुझको अल्लाह तआला के अजाब के 100 क्रोड़े मारेंगे। उस ने पूछा : "क्यूं मारोगे ? मैं तो तक़वा व परहेज़गारी को इख़्तियार किये हुए था।" तो फिरिश्तों ने फ़रमाया : "चलो पचास 50 कोड़े ही मार देंगे।" इस पर वोह शख्स बराबर बहस करता रहा यहां तक कि वोह फिरिश्ते एक कोड़े पर आ गए और उन्होंने अजाबे इलाही का एक कोड़ा मारा जिससे तमाम कब्र में आग भडक उठी तो उस ने पूछा कि तुमने मुझे कोड़ा क्यों मारा ? फिरिश्तों ने जवाब दिया : "तूने एक दिन जान बूझ कर बे वुज़ू नमाज़ पढी थी। और एक मर्तबा एक मज़लूम तेरे पास फरियाद ले कर आया मगर तूने उसकी मदद न की।
╭┈► बे वुज़ू नमाज़ पढ़ना सख्त जुरुअत की बात है । फु-कहाए किराम यहां तक फ़रमाते हैं : बिला उज़्र जान बूझ कर जाइज़ समझ कर या इस्तिहजाअन (या‘नी मजाक उड़ाते हुए) बिगैर वुज़ू के नमाज़ पढ़ना कुफ्र है।..✍
📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 16-17 📚
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 05
••──────────────────────••►
❝ वुज़ू का तरीक़ा ❞
••──────────────────────••►
╭┈► का'बा तुल्लाह शरीफ़ की तरफ मुंह कर के ऊंची जगह बैठना मुस्तहब है। वुजु के लिये निय्यत करना सुन्नत है। निय्यत दिल के इरादे को कहते हैं, दिल में निय्यत होते हुए ज़बान से भी कह लेना अफज़ल है। लिहाजा ज़बान से इस तरह निय्यत कीजिये कि मैं हुक़्में इलाही अज़्ज़व्वज़ल बजा लाने और पाकी हासिल करने के लिये वुज़ू कर रही हूँ। बिस्मिल्लाह कह लीजिये कि यह भी सुनत है । बल्कि बिस्मिल्लाही वलहमदुलिल्लाही कह लीजिये कि जब तक बा वुजू रहेंगी फिरिश्ते नेकिंयां लिखते रहेंगे।
╭┈► अब दोनो हाथ तीन तीन बार पहुँचो तक धोइये, (नल बन्द कर के) दोनों हाथों की उंगलियां का खिलाल भी कीजिये। कम अज कम तीन बार दाएं बाएं ऊपर नीचे के दांतों में मिस्वाक कीजिये और हर बार मिस्वाक को धो लीजिये। हुज्जतुल इस्लाम हज़रते सैय्यदुना इमाम मुहम्मद बिन मुहम्मद गृजाली रहमतुल्लाह तआला अलैह फ़रमाते हैं "मिस्वाक करते वक़्त नमाज़ में कुरआन ए मजीद की किराअत और जिकुल्लाह अज़्ज़वज़ल के लिये मुंह पाक करने की निय्यत करनी चाहिये।...✍
📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 18 📚
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 06
••──────────────────────••►
❝ वुज़ू का मुक़म्मल तरीक़ा ❞
••──────────────────────••►
╭┈► अब सीधे हाथ के तीन चुल्लू पानी से (हर बार नल बन्द कर के) इस तरह तीन कुल्लिया कीजिये कि हर बार मुंह के हर पुर्जे पर पानी बह जाए अगर रोजा न हो तो गर गरा भी कर लीजिये।
╭┈► फिर सीधे ही हाथ के तीन चुल्लू (अब हर बार आधा चुल्लू पानी काफी है) से (हर बार नल बन्द कर के) तीन बार नाक में नर्म गोश्त तक पानी चढाइये और अगर रोजा न हो तो नाक की ज़ड़ तक पानी पहुंचाइये, अब (नल बन्द कर के) उल्टे हाथ से नाक साफ का लीजिये और छोटी उंगली नाक के सूराखों में डालिये।
╭┈► तीन बार सारा चेहरा इस तरह धोइये कि जहां से आदतन सर के बाल उगना शुरूअ होते हैं वहां से ले कर ठोडी के नीचे तक और एक कान की लौ से दूसरे कान की लौ तक हर जगह पानी बह जाए। फ़िर पहले सीधा हाथ उंगलियों के सिरे से धोना शुरूअ कर के कोहनियों समेत तीन बार धोइये। इसी तरह फिर उल्टा हाथ धो लीजिये दोनों हाथ आधे बाजू तक धोना मुस्तहब है। अगर चूड़ी, कंगन या कोई से भी जेवरात पहने हुए हों तो उन को हिला लीजिये ताकि पानी उन के नीचे की जिल्द पर बह जाए। अगर उन के हिलाए बिगैर पानी बह जाता है तो हिलाने की हाजत नहीं और अगर बिगैर हिलाए या बिगैर उतारे पानी नहीं पहुंचेगा तो पहली सूरत में हिलाना और दूसरी सूरत में उतारना जरूरी है।...✍
📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 18-19 📚
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 07
••──────────────────────••►
❝ वुज़ू का मुक़म्मल तरीक़ा ❞
••──────────────────────••►
╭┈► अक्सर इस्लामी बहनें चुल्लू में पानी ले कर पहुंचे से तीन बार छोड देती हैं कि कोहनी तक बहता चला जाता है इस तरह करने से कोहनी औऱ कलाई को करबटों पर पानी न पहुंचने का अन्देशा हैं लिहाजा बयान कर्दा तरीके पर हाथ धोइये। अब चुल्लू भर कर कोहनी तक पानी बहाने की हाजत नहीं बल्कि (बिगैर इजाज्ते सहीहा ऐसा करना) यह पानी का इसराफ है।
╭┈► अब (नल बन्द कर के) सर का मस्ह इस तरह कीजिये कि दोनों अंगूंठों और कलिमे की उंगलियों को छोड़ कर दोनों हाथ की तीन तीन उंगलियों के सिरे एक दूसरे से मिला लीजिये और पेशानी के बाल या खाल पर रख कर ज़रा सा दबा का खींचते हुए गुद्दी तक इस तरह ले जाइये कि इस दौरान उन उंगलियों का कोई हिस्सा बालों से जुदा न रहे मगर हथेलियां सर से जुदा रहें, सिर्फ उन बालों पर मस्ह कीजिये जो सर के ऊपर हैं।...✍
📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 19-20 📚
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 08
••──────────────────────••►
❝ वुज़ू का मुक़म्मल तरीक़ा ❞
••──────────────────────••►
╭┈► फिर गुद्दी से हथेलियाँ खींचते हुए पेशानी तक ले आइये, कलिमे की उंगलियां और अंगूठे इस दौरान सर पर बिल्कुल मस नहीं होने चाहिएं।
╭┈► फिर कलिमे को उंगलियों से कानों की अन्दरूनी सत्ह का और अंगूठों से कानों की बाहरी सत्ह का मस्ह कीजिये और छुग्लिया (या'नी छोटी उंग्लियां) कानों के सूराखों में दाखिल कीजिये और उंगलियों की पुश्त से गरदन के पिछले हिस्से का मस्ह कीजिये, बा'ज़ इस्लामी बहनें गले का औऱ घुले हुए हाथों की कोहनियों और कलाइयों का मस्ह करती हैं यह सुन्नत नहीं है। सर का मस्ह करने से क़ब्ल टोंटी अच्छी तरह बन्द करने की आदत बना लीजिये बिला वज़ह नल खुला छोड़ देना या अधूरा बन्द करना कि पानी टपक कर जाएअ होता रहे इसराफ़ है।...✍
📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 20 📚
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 09
••──────────────────────••►
❝ वुज़ू का मुक़म्मल तरीक़ा ❞
••──────────────────────••►
╭┈► अब पहले सीधा फिर उल्टा पाउ हर बार उंगलियों से शुरूअ कर के टखनों के ऊपर तक बल्कि मुस्तहब है कि आधी पिंडली तक तीन तीन बार धो लीजिये। दोनों पाउं की उंगलियों का ख़िलाल करना सुन्नत है। (खिलाल के दौरान नल बन्द रखिये) इसका मुस्तहब तरीक़ा यह है कि उल्टे हाथ की छुग्लिया (छोटी उंगली) से सीधे पाऊं की छुग्लिया का खिलाल शुरूअ कर के अंगूठे पर ख़त्म कीजिये औऱ उल्टे ही हाथ की छुग्लिया से उल्टे पाऊं के अंगूठे से शुरूअ कर के छुग्लिया पर ख़त्म कर लीजिये।
╭┈► हूज्जतुल इस्लाम इमाम मुहम्मद बिन मुहम्मद गजाली रहमतुल्लाह तआला अलैह फ़रमाते हैं ' "हर उज़्व धोते वक्त यह उम्मीद करता रहे कि मेरे इस उज़्व के गुनाह निकल रहे है।...✍
📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 20-21 📚
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 10
••──────────────────────••►
❝ जन्नत के आठों दरवाजे खुल जाते हैं! ❞
••──────────────────────••►
╭┈► कलिमए शहादत या'नी
أَشْهَدُ أنْ لا إلَٰهَ إِلَّا اللهُ وَحْدَهُ لَا شَرِيْكَ لَهُ وَأشْهَدُ أنَّ مُحَمَّدًا عَبْدُهُ وَرَسُولُهُ
╭┈► भी पढ़ लीजिये कि हदीसे पाक में है "जिस ने अच्छी तरह वुज़ू किया और कलिमए शहादत पढ़ा उसके लिये ज़न्नत के आठों दरवाजे खोल दिये जाते हैं जिससे चाहे अन्दर दाखिल हो।
╭┈► जो वुज़ू करने के बा'द यह कलिमात पढे!
سبحانك اللهم وبحمدك اشهد ان لا اله الا انت استغفرك واتوب اليك
╭┈► "ऐ अल्लाह अज़्ज़वज़ल तू पाक है औऱ तेरे लिये ही तमाम खूबियां हैं मैं गवाही देता (देती) हूं कि तेरे सिबा कोई मा'बूद नहीं मैं तुझसे बख़्शिश चाहता (चाहती) हूं और तेरी बारगाह मे' तौबा करता (करती) हू।" तो उस पर मोहर लगा कर अर्श के नीचे रख दिया जाएगा और क़यामत के दिन इस पढ़ने वाले को दें दिया जाएगा!..✍
📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 21-22 📚
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 11
••──────────────────────••►
❝ वुज़ू के बाद सूरए कद्र पढने के फ़ज़ाइल ❞
••──────────────────────••►
╭┈► हदीसे मुबारक में है जो वुजू के बा'द एक मर्तबा सूरए क़द्र पढे तो वो सिद्दीक़ीन में से है और जो दो मर्तबा पढे तो शु-हदा में शुमार किया जाए और जो तीन मर्तबा पढेगा तो अल्लाह अज़्ज़वज़ल मैदाने महशर में उसे अपने अम्बिया के साथ रखेगा।
👀 नज़र कभी कमजोर न हो
╭┈► जो वुजु के बा'द आसमान की तरफ़ देख का (एक बार) सूरए إِنَّا أَنزَلْنَاهُ पढ़ लिया को ان شاء الله ﷻ उसकी नज़र कभी कमजोर न होगी।..✍
📘 मसाइलुल क़ुरआन सफ़ह 291
📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 21-22 📚
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 12
••──────────────────────••►
❝ तसव्वुफ़ का अजीम म-दनी नुस्खा ❞
••──────────────────────••►
╭┈► हुज्जतुल इस्लाम हज़रते सैय्यदुना इमाम मुहम्मद बिन मुहम्मद ग़ज़ाली रहमतुल्लाह तआला अलैह फरमाते है वुज़ू से फ़रागत के बाद जब आप नमाज़ की तरफ मु-तवज्जेह हों उस वक़्त यह तसव्वुर कीजिये कि जिन जाहिरी आ 'जा पर लोगों की नज़र पड़ती है वो तो ब जाहिर ताहिर (या'नी पाक) हो चुके मगर दिल को पाक किये बिगैर बारगाहे इलाही अज़्ज़वज़ल में मुनाजात करना हया के खिलाफ़ है क्यूंकि अल्लाह अज़्ज़वज़ल दिलों को भी देखने वाला है।" मजीद फरमाते हैं, जाहिरी वुजू कर लेने वाले को यह बात याद रखनी चाहिये कि दिल की तहारत (या'नी सफाई) तौबा करने और गुनाहों को छोड़ने और उम्दा अख़लाक़ अपनाने से होती है । जो शख्स दिल को गुनाहों की आलू-दगियों से पाक नहीं करता फ़क़त जाहिरी तहारत (या'नी सफाई) और जेबो जीनत पर इक्तिफा करता है उसकी मिसाल उस शख्स की सी है जो बादशाह को मद्ऊ करता है और अपने घर बार को बाहर से खूब चमकाता है और रंगो रोगन करता है मगर मकान के अन्दरूनी हिस्से की सफाई पर कोई तवज्जोह नहीं देता। चुनाँचे जब बादशाह उस के मकान के अन्दर आ कर गन्दगियां देखेगा तो वह नाराज़ होगा या राजी, यह हर जी शुहुर ख़ुद समझ सकता है।...✍
📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 21-22 📚
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 13
••──────────────────────••►
❝ अल्लाह के चार हुरूफ़ की निस्बत से वुजू के चार फ़राइज़ ❞
••──────────────────────••►
╭┈► चेहरा धोना : या'नी चेहरे का लम्बाई में पेशानी जहां से बाल उमूमन उगते है वहां से ले का ठोडी के नीचे तक और चौड़ाईं में एक कान की लौ से लेकर दूसरे कान की लौ तक एक मर्तबा धोना।
╭┈► कोहनियों समेत दोनों हाथ धोना : या'नी दोनों हाथों का कोहनियों समेत इस तरह धोना कि उंगलियों के नाखूनों से ले कर कोहनियों समेत एक बाल भी खुश्क न रहे।
╭┈► चौथाई सर का मसह करना : या'नी हाथ तर कर के सर के चौथाई बालों पर मसह करना।
╭┈► टख्नों समेत दोनों पाउ' धोना : या'नी दोनों पाऊं को टख्नों समेत इस तरह धोना कि कोई जगह खुश्क न रहे।
📔 बहारे शरीअत, हिस्सा 2 सफ़ह 10
📕 आलमगीरी , ज़िल्द 1 सफ़ह 3
╭┈► म-दनी फूल : इन चार फ़र्ज़ों में से अगर एक फ़र्ज़ भी रह गया तो वुजू न होगा और जब वुज़ू न होगा तो नमाज़ भी न होगी।...✍
📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 23-24 📚
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 14
••──────────────────────••►
❝ धोने की ता 'रीफ ❞
••──────────────────────••►
╭┈► किसी उज़्व को धोने के यह मा'ना है कि उस उज़्व के हर हिस्से पर कम अज कम दो कतरे पानी बह जाए। सिर्फ भीग जाने या पानी को तेल की तरह चुपड़ लेने या एक कतरा बह जाने को धोना नहीं कहेंगे न इस तरह वुज़ू या गुस्ल अदा होगा।...✍
📕 फ़तावा र-जविय्या ज़िल्द 1 सफ़ह 218
📔 बहारे शरीअत हिस्सा 2 सफ़ह 10
📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 24 📚
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 15
••──────────────────────••►
❝ या रहमतलिल्ल आ-लमीन के तेहत हुरूफ़ की निस्बत से वुज़ू की 13 सुन्नतें ❞
••──────────────────────••►
╭┈► वुज़ू का तरीका (ह-नफी) में बा'ज़ सुन्नतों और मुस्तहब्बात का बयान हो चुका है इस की मजीद वजाहत मुला-हजा कीजिये।
①╭┈► निय्यत करना।
②╭┈► बिस्मिल्लाह पढ़ना।
╭┈► अगर वुज़ू से क़ब्ल बिस्मिल्लाह वलहम्दोलिल्लाह कह लें तो जब तक बा वुजू रहे'गी फिरिश्ते नेकियां लिखते रहेंगे।
③╭┈► दोनों हाथ पहुंचों तक तीन बार धोना।
④╭┈► तीन बार मिस्वाक करना।
⑤╭┈► तीन चुल्लू से तीन बार कुल्ली करना।
⑥╭┈► रोज़ा न हो तो गर-गरा करना।
⑦╭┈► चुल्लू से तीन बार नाक में पानी चढाना।
⑧╭┈► हाथ औऱ पैर की उंग्लियों का खिलाल करना। ⑨
①⓪╭┈► पूरे सर का एक ही बार मस्ह करना।
①①╭┈► कानों का मस्ह करना।
①②╭┈► फराइज में तरतीब काइम रखना (या’नी फ़र्ज़ आ 'जा में पहले मुंह फिर हाथ कोहनियों समेत धोना फिर सर का मस्ह करना औऱ फिर पाउं धोना)
①③╭┈► पै दर पै वुज़ू करना या’नी एक उज़्व सूखने न पॉय कि दूसरा उज़्व धो लेना।..✍
📔 बहारे शरीयत हिस्सा 2 सफ़ह 14 - 18 मुलख्खसन
📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 24-25 📚
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 16
••──────────────────────••►
❝ या रसूलल्लाह तेरे दर की फिजाओं को सलाम के उन्तीस हुरूफ की निस्वत से वुज़ू के 29 मुस्तहब्बात ❞
••──────────────────────••►
①╭┈► किब्ला रू
②╭┈► ऊंची जगह
③╭┈► बैठना।
④╭┈► पानी बहाते वक़्त आ'ज़ा पर हाथ फेरना।
⑤╭┈► इत्मीनान से वुज़ू करना।
⑥╭┈► आ'ज़ाए वुज़ू पर पहले पानी चुपड़ लेना ख़ुसूसन सर्दियों में
⑦╭┈► वुज़ू करने में बग़ैर जरूरत किसी से मदद न लेना।
⑧╭┈► सीधे हाथ से कुल्ली करना
⑨╭┈► सीधे हाथ से नाक में पानी चढ़ाना
①⓪╭┈► उलटे हाथ से नाक साफ करना
①①╭┈► उलटे हाथ की छुग्लिया नाक में डालना
①②╭┈► उंगलियों की पुश्त से गर्दन की पुश्त का मसह करना।
①③╭┈► कानों का मसह करते वक़्त भीगी हुई यानी छुग्लिया (छोटी उंगलियां) कानो के सुराखों में दाख़िल करना।
①④╭┈► अंगूठी को ह-र-कत देना जब कि ढीली हो और यह यकीन हो कि इस के नीचे पानी बह गया है अगर सख्त हो तो ह-र-कत दे कर अंगूठी के नीचे पानी बहाना फर्ज है।
①⑤╭┈► मा'ज़ूरे शर-ई (इस के तफ्सीली अहकाम इसी रिसाले के सफ़ह 44 ता 48 पर मुला-हजा फरमा लीजिये) न हो तो नमाज का वक़्त शुरू होने से पहले वुज़ू कर लेना।..✍🏻
📔 बहारे शरीयत हिस्सा 2 सफ़ह 18-22
📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 25-26 📚
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 17
••──────────────────────••►
❝ या रसूलल्लाह तेरे दर की फिजाओं को सलाम के उन्तीस हुरूफ की निस्वत से वुज़ू के 29 मुस्तहब्बात ❞
••──────────────────────••►
①⑥╭┈► इस्लामी बहन जो कामिल तौर पर वुज़ू करती है या'नी जिस की कोई जगह पानी बहने से न रह जाती हो उसका कूओं (या‘नी नाक की तरफ़ आंखों के कोने) टखनों, एड़ियों, तल्वों, कूंचों (या'नी एड़ियों के ऊपर मोटे पट्ठे) घाइयों (उंगलियों के दरमियान वाली जगहों) और कोहनियों का खुसूसिय्यत के साथ खयाल रखना और बे खयाली काने वालियों के लिये तो फ़र्ज़ है कि इन जगहों का खास खयाल रखें कि अक्सर देखा गया है कि यह जगहें खुश्क रह जाती हैं और यह बे खयाली ही का नतीजा है ऐसी वे खयाली हराम है और खयाल रखना फ़र्ज़।
①⑦╭┈► वुज़ू का लोटा उल्टी तरफ़ रखिये अगर तश्त या पतीली वगैरा से वुज़ू कों तो सीधी जानिब रखिये
①⑧╭┈► चेहरा धोते वक़्त पेशानी पर इस तरह फैला का पानी डालना कि ऊपर का कुछ हिस्सा भी घुल जाए
①⑨╭┈► चेहरे औऱ
②⓪╭┈► हाथ पाऊँ की रोशनी वसीअ करना या'नी जितनी जगह पानी बहाना फ़र्ज़ है उस के अतराफ़ में कुछ बढाना म-सलन हाथ कोहनी से ऊपर आधे बाजु तक और पाउं टखनों से ऊपर आधी पिंडली तक धोना।
②①╭┈► दोनों हाथों से मुंह धोना
②②╭┈► हाथ पाउं धोने में उंगलियों से शुरूअ करना
②③╭┈► हर उज़्व धोने के बाद उस पर हाथ फैर कर बूंदें टपका देना ताकि बदन ' या कपड़े पर न टपके
②④╭┈► हर उज़्व के धोते वक़्त और मसह करते वक़्त निय्यते वुज़ू का हाजिर रहना
②⑤╭┈► इब्तिदा में बिस्मिल्लाह के साथ साथ दुरूद शरीफ़ ओर कलिमए शहादत पढ़ लेना
②⑥╭┈► आ'जाए वुज़ू बिला ज़रूरत न पोछे अगर पोंछना हो तब भी बिला ज़रूरत बिल्कुल खुश्क न कों कुछ तरी जाकी रखें कि बरोजे क़यामत नेकियों के पलड़े में रखी जाएगी
②⑦╭┈► वुज़ू के बा'द हाथ न झटके कि शैतान का पंखा है।
②⑧╭┈► बादे वुज़ू मियानी (या'नी पाजामा का वोह हिस्सा जो पेशाब गाह के करीब होता है) पर पानी छिड़कना। (पानी छिड़कतें वक़्त मियानी को कुर्ते के दामन में छुपाए रखना मुनासिब है नीज़ वुज़ू करते वक़्त भी बल्कि हर वक़्त पर्दे में पर्दा करते हुए मियानी को कुर्ते के दामन या चादर वगैरा के जरिये छुपाए रखना हया के करीब है )
②⑨╭┈► अगर मकरूह वक़्त न हो तो दो रकअत नफ्ल अदा करना जिसे तहियतुल वुज़ू कहते है।
📔 बहारे शरीयत हिस्सा 2 सफ़ह 18-22
📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 25-26 📚
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 18
••──────────────────────••►
❝ बा-वुज़ू रहना सवाब हैं। के पन्दरह हुरूफ़ की निस्वत से वुज़ू के 15 मकरुहात ❞
••──────────────────────••►
①╭┈► वुज़ू के लिये नापाक जगह पर बैठना।
②╭┈► नापाक जगह वुजू का पानी गिराना।
③╭┈► आ'जाए वुज़ू से लोटे वगैरा में कतरे टपकना (मुंह धोते वक़्त भरे हुए चुल्लू में अमूमन चेहरे से पानी के कतरे गिरते है इस का ख़याल रखिये।)
④╭┈► किबले की तरफ़ थूक या बल्गम डालना या कुल्ली करना।
⑤╭┈► जियादा पानी ख़र्च करना (सदरुश्शरीअह हजरते अल्लामा मौलाना मुफ़्ती अमजद अली आ‘ज़मी रहमतुल्लाह अलैह "बहारे शरीअत" हिस्सा दुवुम सफ़ह नम्बर 24 में फरमाते हैं : नाक में " पानी डालते वक़्त आधा चुल्लू काफी है तो अब पूरा चुल्लू लेना इसराफ़ है)
⑥╭┈► इतना कम पानी खर्च करना कि सुन्नत अदा न हो (टोंटी न इतनी जियादा खोलें कि पानी हाजत से जियादा गिरे न इतनी कम खोलें कि सुन्नत भी अदा न हो बल्कि मु-तवस्सित हो।)
⑦╭┈► मुंह पर पानी मारना।
⑧╭┈► मुंह पर पानी डालते वक़्त फूंकना।
⑨╭┈► एक हाथ से मुंह धोना कि हैं रवाफिज और हिन्दूओ का शिआर है।
①⓪╭┈► गले का मस्ह करना।
①①╭┈► उल्टे हाथ से कुल्ली करना या नाक में पानी चढ़ाना।
①②╭┈► सीधे हाथ से नाक साफ़ करना।
①③╭┈► तीन जदीद पानियों से तीन बार सर का मस्ह करना।
①④╭┈► धूप के गर्म पानी से वुज़ू करना।
①⑤╭┈► होंठ या आँख जोर से बन्द करना और अगर कुछ सूखा रह गया तो वुज़ू ही न होगा। वुजू की हर सुन्नत का तर्क मकरूह हैं इसी तरह हर मकरूह का तर्क सुन्नत।...✍
📔 बहारे शरीयत हिस्सा 2 सफ़ह 22 - 23
📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 27-28 📚
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 19
••──────────────────────••►
❝ धूप से गर्म पानी की वज़ाहत ❞
••──────────────────────••►
╭┈► सदरुश्शरीअह बदरूत्तरीकह हजरते अल्लामा मौलाना मुफ़्ती अमजद अली आ‘ज़मी रहमतुल्लाह अलैह मक-त-बतुल मदीना की मत्बुआ बहारे शरीअत हिस्सा 2 सफ़ह 23 के हाशिये पर लिखते हैं जो पानी धूप से गर्म हो गया उस से वुज़ू करना मुत्लकन मकरूह नहीं बल्कि इस में चन्द कुयूद है, जिनका जिक पानी के बाब में आएगा और उस से वुजू की कराहत तन्जीही है तहरीमी नहीं।
╭┈► पानी के बाब में सफ़ह 56 पर लिखते हैं "जो पानी गर्म मुल्क में गर्म मौसम में सोने चांदी के सिवा किसी और धात के बरतन में धूप मे गर्म हो गया, तो जब तक गर्म है उस से वुज़ू और गुस्ल न चाहिये, न उसको पीना चाहिये बल्कि बदन को किसी तरह पहुंचना न चाहिये, यहाँ तक कि अगर उससे कपड़ा भीग जाए तो जब तक ठन्डा न हो ,ले उसके पहनने से बचें कि उस पानी के इस्ति'माल पें अन्देशए बरस (या'नी कोढ़ का ख़तरा) है, फ़िर भी अगर वुजू या गुस्ल कर लिया तो हो जाएगा।...✍
📙 बहारे शरीअत, हिस्सा 2 सफ़ह 23 - 56
📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 28-29 📚
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 20
••──────────────────────••►
❝ '' मुस्ता' मल पानी से वुज़ू व ग़ुस्ल नही होता '' के सत्ताईस हुरूफ़ की निस्बत से मुस्ता 'मल पानी के मु-ताल्लिक़ 27 म-दनी फूल ❞
••──────────────────────••►
①╭┈► जो पानी वुज़ू या गुस्ल करने में बदन से गिरा वोह पाक है मगर चूंकि अब मुस्ता'मल (या'नी इस्ति'माल शुदा) हो चुका है लिहाजा इस से वुज़ू और गुस्ल जाइज नहीं।
②╭┈► यूं ही अगर बे वुजू शख्स का हाथ या उंगली या पोरा या नाखून या बदन का कोई टुकड़ा जो वुज़ू में धोया जाता हो ब कस्द (या 'नी जान बूझ कर) या बिला कस्द (या'नी बे खयाली में) दह दर दह (10-10) से कम पानी में बे धोए हुए पड़ जाए तो वोह यानी वुज़ू और गुस्ल के लाइक न रहा।
③╭┈► इसी तरह जिस शख्स पर नहाना फर्ज है उस के जिस्म का कोई बे धुला हुवा हिस्सा दह दर दह से कम पानी से छू जाए तो वोह पानी वुज़ू और गुस्ल के काम का न रहा।
④╭┈► अगर धुला हुवा हाथ या बदन का कोई हिस्सा पड़ जाए तो हर्ज नहीं।
⑤╭┈► हाएजा (या'नी हैज़ वाली) हैज़ से या निफास वाली निफास से पाक तो हो चुकी हो मगर अभी गुस्ल न किया हो तो उस के जिस्म का कोई उज़्व या हिस्सा धोने से क्या अगर दह दर दह (10-1 0) से कम पानी में पड़ा। तो वोह पानी मुस्ता’मल (या'नी इस्ति'माल शुदा) हो जाएगा।
⑥╭┈► जो पानी कम अज कम दह दर दह हो वोह बहते या'नी और जो दह दर दह से कम हो वोह ठहरे पानी के हुक्म में होता है।
⑦╭┈► उमूमन हम्माद के टप घरेलू इस्तेमाल के डोल बाल्टी पतीले, लोटे वगैरा दह दर दह से कम होते हैं इन में भरा हुवा पानी ठहरे पानी के हुक्म में होता है।
⑧╭┈► आ'जाए वुज़ू में से अगर कोई उज़्व धो लिया था और इसके बा'द वुज़ू टूटने वाला कोई अमल न हुवा था तो वो धुला हुवा हिस्सा ठहरे पानी में डालने से पानी मुस्ता'मल न होगा।
⑨╭┈► जिस शख्स पर गुस्ल फ़र्ज़ नहीं उसने अगर कोहनी समेत हाथ धो लिया हो तो पूरा हाथ हत्ता कि कोहनी के बा'द वाला हिस्सा भी ठहरे पानी में डालने से यानी मुस्ता'मल न होगा।
①⓪╭┈► बा-वुजू ने या जिसका हाथ धुला हुवा है उसने अगर फ़िर धोने की निय्यत से डाला और यह धोना सवाब का काम हो म-सलन खाना खाने या वुज़ू की निय्यत से ठहरे पानी में डाला तो मुस्ता'मल हो जाएगा।...✍
📒 मुस्ता'मल पानी के तफ्सीली मालूमात के लिए फ़-तावा र-ज़विय्या ज़िल्द 2 सफ़ह 37 ता 248 बहारे शरीअत हिस्सा 2 सफ़ह 55 ता 56 औऱ फ़-तावा अम-ज़दिय्या ज़िल्द 1 सफ़ह 14 ता 15 मुला-इजा फरमाइये।
📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 29-30 📚
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 21
••──────────────────────••►
❝ '' मुस्ता' मल पानी से वुज़ू व ग़ुस्ल नही होता '' के सत्ताईस हुरूफ़ की निस्बत से मुस्ता 'मल पानी के मु-ताल्लिक़ 27 म-दनी फूल ❞
••──────────────────────••►
①①╭┈► हैज़ या निफास वाली का जब तक हैज़ या निफ़ास बाकी है ठहरे पानी में बे धुला हाथ या बदन का कोई हिस्सा डालेगी पानी मुस्ता'मल नहीं होगा हां अगर यह भी सवाब की निय्यत से डालेगी तो मुस्ता'मल हो जाएगा। मस-लन इस के लिये मुस्तहब है कि पांचों नमाज़ों के अवकात में और अगर इशराक, चाश्त व तहज्जुद की आदत रखती हो तो इन वक़्तों में बा वुज़ू कुछ देर ज़िक्र व दुरूद कर लिया करें ताकि इबादत की आदत बाकी रहे तो अब इन के लिये ब निय्यते वुज़ू बे धुला हाथ ठहरे पानी में डालेगी तो पानी मुस्ता'मल हो जाएगा।
①②╭┈► पानी का गिलास, लोटा या बाल्टी वगैरा उठाते वक्त एहतियात ज़रूरी है ताकि बे धुली उंगलिया पानी में न पड़े।
①③╭┈► दौराने वुज़ू अगर हदस हुवा या'नी वुज़ू टूटने वाला कोई अमल हुवा तो जो आ'जा पहले धो चुके थे वोह बे धुले हो गए यहां तक कि अगर चुल्लू में पानी था तो वोह भी मुस्ता'मल हो गया।
①④╭┈► अगर दौराने गुस्ल वुज़ू टूटने वाला अमल हुवा तो सिर्फ आ'जाए वुज़ू बे धुले हुए जो जो आ'जाए गुस्ल धुल चुके है वोह बे धुले न हुए।
①⑤╭┈► ना बालिग़ या ना बालिगा का पाक बदन अगर्चे ठहरे पनी म-सलन पानी को बाल्टी या टब वगैरा में मुकम्मल डूब जाए तब भी पानी मुस्ता'मल न हुवा।
①⑥╭┈► समझदार बच्ची या समझदार बच्चा अगर सवाब की निय्यत से म-सलन वुज़ू की निय्यत से ठहरे पानी में हाथ की उंगली या उस का नाखुन भी अगर डालेगा तो मुस्ता'मल हो जाएगा।
①⑦╭┈► ग़ुस्ले मैय्यत का पानी मुस्ता'मल है जब कि उस में कोई नजासत न हो।
①⑧╭┈► अगर ब जरूरत ठहरे पानी में हाथ डाला तो पानी मुस्ता'मल न हुवा म-सलन देग या बड़े मटके या बड़े पीपे (DRUM) में पानी है इसे झुका कर नही निकाल सकते औऱ न ही छोटा बर्तन है कि उससे निकाल लें तो ऐसी मजबूरी की सूरत में ब क -दरे बे धुला हाथ पानी मे डाल कर निकाल सकते है।...✍
📒 मुस्ता'मल पानी के तफ्सीली मालूमात के लिए फ़-तावा र-ज़विय्या ज़िल्द 2 सफ़ह 37 ता 248 बहारे शरीअत हिस्सा 2 सफ़ह 55 ता 56 औऱ फ़-तावा अम-ज़दिय्या ज़िल्द 1 सफ़ह 14 ता 15 मुला-इजा फरमाइये।
📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 31-32 📚
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 22
••──────────────────────••►
❝ '' मुस्ता' मल पानी से वुज़ू व ग़ुस्ल नही होता '' के सत्ताईस हुरूफ़ की निस्बत से मुस्ता 'मल पानी के मु-ताल्लिक़ 27 म-दनी फूल ❞
••──────────────────────••►
①⑨ अच्छे पानी में अगर मुस्ता'मल पानी मिल जाए और अगर अच्छा पानी जियादा है तो सब अच्छा हो गया म-सलन वुज़ू या गुस्ल के दौरान लोटे या घडे में कतरे टपके तो अगर अच्छा पानी जियादा है तो यह वुज़ू औऱ गुस्ल के काम का है वरना सारा ही बेकार हो गया।
②⓪╭┈► पानी में वे धुला हाथ पड़ गया या किसी तरह मुस्ता'मल हो गया और चाहें कि येह काम का हो जाए तो जितना मुस्ता'मल पानी है उस से ज़ियादा मिकदार में अच्छा पानी उस में मिला लीजिये, सब काम का हो जाएगा।
②①╭┈► एक तरीक़ा यह भी है कि उस में एक तरफ़ से पानी डालें कि दूसरी तरफ़ बह जाए तब काम का हो जाएगा
②②╭┈► मुस्ता'मल पानी पाक होता है अगर इस से नापाक बदन या कपड़े वगैरा धोएंगे तो पाक हो जाएंगे।
②③╭┈► मुस्ता'मल पानी पाक है इस का पीना या इस से रोटी खाने के लिये आटा गुधना मकरूहे तन्जीही है।
②④╭┈► होंटों का वोह हिस्सा जो आदतन बन्द करने के बा'द जाहिर रहता है वुज़ू में इस का धोना फ़र्ज़ है लिहाजा कटोरे या गिलास से पानी पीते वक़्त एहतियात की जाए कि होंटों का मस्कूरा हिस्सा ज़रा सा भी पानी में पडेगा पानी मुस्ता'मल हो जाएगा।
②⑤╭┈► अगर बा वुज़ू है या कुल्ली कर चुका है या होंटों का वोह हिस्सा धो चुका है और इस के बा'द वुज़ू तोड़ने वाला कोई अमल वाकेअ नहीं हुवा तो अब पड़ने से पानी मुस्ता'मल न होगा।
②⑥╭┈► दूध, काफी, चाय, फ्लो के रस वगैरा मशरुबात में बे धुला हाथ वगैरा पड़ने से येह मुस्ता'मल नहीं होते और इन से तो वैसे भी वुज़ू या गुस्ल नहीं होता।
②⑦╭┈► पानी पीते हुए मूंछीं के वे धुले बाल गिलास के पानी में लगे तो पानी मुस्ता'मल हो गया इस का पीना मकरूह है। अगर बा बुजू था या मूंछें धुली हुईं थीं तो शरअन हरज नहीं।..✍
📒 मुस्ता'मल पानी के तफ्सीली मालूमात के लिए फ़-तावा र-ज़विय्या ज़िल्द 2 सफ़ह 37 ता 248 बहारे शरीअत हिस्सा 2 सफ़ह 55 ता 56 औऱ फ़-तावा अम-ज़दिय्या ज़िल्द 1 सफ़ह 14 ता 15 मुला-इजा फरमाइये।
📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 32-33 📚
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 23
••──────────────────────••►
❝ '' सब्र कर "के पांच हुरूफ़ की निस्बत से ज़ख्म वगैरा से खुन निकलने के 5 अहकाम ❞
••──────────────────────••►
①╭┈► खून, पीप या ज़र्द पानी कही से निकल कर बहा और उस हैं के बहने मे ऐसी जगह पहुंचने की सलाहियत थी जिस जगह का वुज़ू या गुस्ल में धोना फ़र्ज़ है तो वुज़ू जाता रहा।
📒 बहारें शरीअत, हिस्सा 2 सफ़ह 26
②╭┈► खून अगर चमका या उभरा और बहा नही जैसे सूई की नोक या चाकू का कनारा लग जाता है और खून अभर या चमक जाता है या ख़िलाल किया या मिस्वाक की या उंगली से दांत मांझे या दांत से कोई चीज म-सलन सेब वगैरा काटा उस पर खून का असर जाहिर हुवा या नाक में उंगली डाली इस पर खून की सुखी आ गई मगर वोह खून बहने के काबिल न था वुजू नहीं टूटा।
③╭┈► अगर बहा लेकिन बह कर ऐसी जगह नहीं आया जिस का गुस्ल या वुज़ू में धोना फ़र्ज़ हो म-सलन आंख में दाना था और टुट कर अन्दर ही फैल गया ' बाहर नहीं निकला या पीप या खून कान के सूराखों के अन्दर ही रहा बाहर न निकला तो इन सूरतों में वुजू न टूटा।
④╭┈► ज़ख़्म बेशक बड़ा है रतूबत चमक रही है मगर जब तक बहेगी नहीं वुज़ू नही टुटेगा।
⑤╭┈► ज़ख़्म का खून बार बार पोंछती रहीं कि बहने की नौबत न आईं तो गौर कर लीजिये कि अगर इतना खून पोंछ लिया है कि अगर न पोंछती तो बह जाता तो वुज़ू टूट गया नहीं तो नहीं।.....✍
📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 33-34 📚
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 24
••──────────────────────••►
❝ थूक में खून से वुज़ू कब टूटेगा ❞
••──────────────────────••►
╭┈► मुंह से खून निकला अगर थूक पर गालिब हैं तो वुजू टूट जाएगा वरना नहीं। ग-लबे की शनाख्त येह है कि अगर थूक का रंग सुखं हो जाए तो खून गालिब समझा जाएगा और वुज़ू टूट जाएगा येह सुर्ख थूक नापाक भी है। अगर थूक ज़र्द हो तो खून पर थूक ग़ालिब माना जाएगा लिहाजा न वुज़ू टुटेगा न येह जर्द थूक नापाक।
📕 बहारें शरीअत हिस्सा 2 सफ़ह 27
खुन वाले मुंह की कुल्ली की एहतियातें
╭┈► मुँह से इतना खून निकला कि थूक सुर्ख हो गया और लोटे या गिलास से मुंह लगा कर कुल्ली के लिये पानी लिया तो लोटा गिलास और कुल पानी नजिस हो गया लिहाजा ऐसे मौक़अ पर चुल्लू में पानी ले कर एहतियात से कुल्ली कीजिये और येह भी एहतियात फरमाइये कि छींटे उड़ कर आप के कपडों वगैरा पर न पडे़ं।....✍
📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 34-35 📚
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 25
••──────────────────────••►
❝ इंजेक्शन लगाने से वुजु टूटेगा या नहीं ? ❞
••──────────────────────••►
╭┈► गोश्त में इंजेक्शन लगाने में सिर्फ उसी सूरत में वुज़ू टुटेगा जब कि बहने की मिक्दार में खून निकले।
╭┈► जब कि नस का इंजेक्शन लगा कर पहले खून ऊपर की तरफ़ खींचते हैं जो कि बहने की मिक्दार में होता है लिहाजा वुज़ू टुट जाता है।
╭┈► इसी तरह ग्लूकोज वगैरा की ड्रिप नस में लगवाने से वुज़ू टूट जाएगा क्योंकि बहने की मिक्दार में खून निकल कर नल्की में आ जाता है। हां अगर बहने की मिक्दार में खून नल्की में न आए तो वुज़ू नही टूटेगा।
••──────────────────────••►
❝ दुखती आँखों के आंसू ❞
••──────────────────────••►
╭┈► दुखती आंख से जो आंसू बहा वोह नापाक है और वुज़ू भी तोड़ देगा।
📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 2 सफ़ह 32
╭┈► अफ़्सोस अक्सर इस्लामी बहनें इस म-सअले से ना वाकिफ़ होती हैं और दुखती आंख से ब वज़हे मरज बहने वाले आंसू को और आंसुओं की मानिन्द समझ कर आस्तीन या कुर्ते के दामन वगैरा से पोंछ कर कपड़े नापाक कर डालती हैं।
╭┈► नाबीना की आंख से जो रतूबत ब वज़हे मरज निकलती है वोह नापाक हैं और उस से वुज़ू भी टूट जाता है। येह याद रहे कि खौफे खुदा अज़्ज़वज़ल या इश्के मुस्तफा ﷺ में या वैसे ही आँसू निकले तो वुज़ू नही टूटता।....✍
📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 35-36 📚
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 26
••──────────────────────••►
❝ पाक और ना-पाक रतुबत ❞
••──────────────────────••►
╭┈► जो रतुबत इन्सानी बदन से निकले और वुज़ू न तोडे वोह नापाक नहीं। म-सलन खून या पीप बह कर न निकले या थोडी कै कि मुंह भर न हो पाक है।
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 2 सफ़ह 31
••──────────────────────••►
•--- छाला और फुड़िया ---•
••──────────────────────••►
╭┈► ❶ ➪ छाला नोच डाला अगर उस का पानी बह गया तो वुज़ू टूट गया वरना नहीं
📒 ऐजून् सफ़ह 27
╭┈► ❷ ➪ फुड़िया बिल्कुल अच्छी हो गई उस की मुर्दा खाल बाकी है जिस में ऊपर मुंह और अन्दर खला है अगर उस में पानी भर गया और दबा कर निकाला तो न वुज़ू जाए न वोह पानी ना-पाक। हां अगर उस के अन्दर कुछ तरी खून वगैरा की बाकी है तो वुज़ू भी जाता रहेगा और वोह पानी भी नापाक है।
📓 फतावा र-जविय्या मुख़रजा, ज़िल्द 1, सफ़ह 355, 356
╭┈► ❸ ➪ खारिश या फुड़िया में अगर बहने वाली रतुबत न हो सिर्फ चिपक हो और कपड़ा उस से बार बार छू का चाहे जितना ही सन जाए पाक है।
📘 बहारे शरीअत, हिस्सा 2, सफ़ह 32
╭┈► ❹ ➪ नाक साफ़ की उस में से जमा हुवा खून निकला वुजू न टूटा, अन्सब (या’नी जियादा मुनासिब) येह है कि वुज़ू करें।...✍
📗 फतावा र-जविय्या मुख़रंजा, ज़िल्द 1 , सफ़ह 281
📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 36 📚
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 27
••──────────────────────••►
❝ कै से वुज़ू कब टूटता है ? ❞
••──────────────────────••►
╭┈► मुंह भर के खाने, पानी या सफ़रा (या'नी पीले रंग वा करवा पानी) की वुज़ू तोड़ देती है। जो कै तकल्लुफ़ के बिगैर न रोकी जा सके उसे मुंह भर कहते हैं। मुंह भर कै पेशाब की तरह नापाक होती है उस के छींटों से अपने कपड़े और बदन को बचाना जरूरी है।
📕 बहारें शरीअत, हिस्सा 2, सफ़ह 28, 112 वगैरा
••──────────────────────••►
•--- दूध पीते बच्चे का पेशाब और कै ---•
••──────────────────────••►
╭┈► ❶ ➪ एक दिन के दूध पीते बच्चे का पेशाब भी इसी तरह नापाक है जिस तरह आप लोगों का।
📒 ऐजन सफ़ह 112
╭┈► ❷ ➪ दूध पीते बच्चे ने दूध डाल दिया और वोह मुंह भर है तो (येह भी पेशाब ही की तरह) नापाक है हां अगर येह दूध मे'दे तक नहीं पहुंचा सिर्फ सीने तक पहुंच कर पलट आया तो पाक है।..✍
📘 ऐजन सफ़ह 32
📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 37 📚
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 28
••──────────────────────••►
❝ मदीना ❞ के पांच हुरूफ़ की निस्बत से वुज़ू में शक आने के 5 अहकाम
••──────────────────────••►
╭┈► ❶ ➪ अगर दौराने वुज़ू किसी उज़्व के धोने में शक वाकेअ हो और अगर येह ज़िन्दगी का पहला वाकिआ है तो इस को धो लीजिये और अगर अक्सर शक पड़ा करता है तो उस की तरफ़ तवज्योंह न दीजिये।
╭┈► ❷ ➪ इसी तरह अगर बा'दे वुज़ू भी शक पड़े तो इसका कुछ खयाल मत कीजिये।
📕 बहारे शरीअत, हिस्सा : 2 सफ़ह 32
╭┈► ❸ ➪ आप बा वुज़ू थी अब शक आने लगा कि पता नहीं वुज़ू है या नहीं, ऐसी सूरत में आप बा वुज़ू हैं क्योंकि सिर्फ शक से वुज़ू नहीं टूटता।
📒 ऐजन सफ़ह 33
╭┈► ❹ ➪ वस्वसे को सूरत में एहतियातन वुज़ू करना एहतियात नहीं इत्तिबाए शैतान है।
📓 ऐज़न
╭┈► ❺ ➪ यकीनन आप उस वक़्त तक बा वुज़ू हैं जब तक वुज़ू टूटने का ऐसा यकीन न हो जाए कि कसम खा सके। येह याद है कि कोई उज़्व धोने से रह गया है मगर येह याद नहीं कौन सा उज़्व था तो बायां (या‘नी उल्टा) पाऊं धो लीजिये।...✍
📘 दुर्र मुख़्तार ज़िल्द 1 सफ़ह 310
📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 37-38 📚
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 29
••──────────────────────••►
❝ पान खाने वालियां मु-तवज्जेह हों ❞
••──────────────────────••►
╭┈► मेरे आका आ'ला हज़रत, इमामे अहले सुन्नत, वलिय्ये ने'मत, अजीमुल ब-र-कत, अज़ीमुल मर्तबत, परवानए शमए रिसालत, मुजद्दिदे दीनो मिल्लत, हामिये सुन्नत, माहिये बिद्अत, आलिमे शरीअत, पीरे तरीक़त, बाइसे खैरो ब-र-कत, हज़रते अल्लामा मौलाना अलहाज अल हाफ़िज़ अल कारी शाह इमाम अहमद रज़ा खान रहमतुल्लाह तआला अलैह फ़रमाते हैं : पानों के कसरत से आदी खुसूसन जब कि दांतों में फ़ज़ा (गेप) हो तजरिबे से जानते हैं कि छालिया के बारीक रेजे और पान के बहुत छोटे छोटे टुकड़े इस तरह मुंह के अतराफ़ व अक्लाफ़ में जा गीर होते हैं (या'नी मुंह के कोनों और दांतों के खांचों में घुस जाते हैं) कि तीन बल्कि कभी दस बारह कुल्लियां भी उन के तस्फियए ताम (या'नी मुकम्मल सफ़ाई) को काफ़ी नहीं होतीं, न खिलाल उन्हें निकाल सकता है न मिस्वाक, सिवा कुल्लियों के कि पानी मनाफ़िज़ (या'नी सूराखों) में दाखिल होता और जुम्बिशें देने (या'नी हिलाने) से उन जमे हुए बारीक ज़रों को ब तदरीज छुड़ा छुड़ा कर लाता है, इस की भी कोई तहदीद (हद बन्दी) नहीं हो सकती और येह कामिल तस्फ़िया (या'नी मुकम्मल सफ़ाई) भी बहुत मुअक्कद (या'नी इस की सख्त ताकीद) है मु-तअद्दद अहादीस में इर्शाद हुवा है कि जब बन्दा नमाज़ को खड़ा होता है फ़िरिश्ता उस के मुंह पर अपना मुंह रखता है येह जो कुछ पढ़ता है इस के मुंह से निकल कर फ़िरिश्ते के मुंह में जाता है उस वक्त अगर खाने की कोई शै उस के दांतों में होती है मलाएका को उस से ऐसी सख्त ईजा होती है कि और शै से नहीं होती।..✍
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 38-39 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────•►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 30
••──────────────────────••►
❝ पान खाने वालियां मु-तवज्जेह हों ❞
••──────────────────────••►
╭┈► हुज़ूरे अकरम, नूरे मुजस्सम, शाहे बनी आदम, रसूले मुहूतशम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, जब तुम में से कोई रात को नमाज़ के लिये खड़ा हो तो चाहिये कि मिस्वाक कर ले क्यूं कि जब वोह अपनी नमाज़ में किराअत करता है तो फ़िरिश्ता अपना मुंह उस के मुंह पर रख लेता है और जो चीज़ उस के मुंह से निकलती है वोह फिरिश्ते के मुंह में दाखिल हो जाती है। और त-बरानी ने कबीर में हज़रते सय्यिदुना अबू अय्यूब अन्सारी रादिअल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत की है कि दोनों फ़िरिश्तों पर इस से ज़ियादा कोई चीज़ गिरां नहीं कि वोह अपने साथी को नमाज़ पढ़ता देखें और उस के दांतों में खाने के रेज़े फंसे हों।...✍
📕 फ़तावा र-ज़विय्या मुखर्रजा, ज़िल्द 1, सफ़ह 624, 625,
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 39-40 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 31
••──────────────────────••►
❝ सोने से वुजू टूटने और न टूटने का बयान ❞
••──────────────────────••►
╭┈► नींद से वुज़ू टूटने की दो शर्ते हैं।
╭┈► (1) दोनों सुरीन अच्छी ! तरह जमे हुए न हों।
╭┈► (2) ऐसी हालत पर सोई जो गाफ़िल हो कर सोने , । में रुकावट न हो । जब दोनों शर्ते जम्अ हों या'नी सुरीन भी अच्छी तरह ! जमे हुए न हों नीज़ ऐसी हालत में सोई हो जो गाफ़िल हो कर सोने में : : रुकावट न हो तो ऐसी नींद वुज़ू को तोड़ देती है। अगर एक शर्त पाई : जाए और दूसरी न पाई जाए तो वुज़ू नहीं टूटेगा।..✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 40 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 32
••──────────────────────••►
❝ सोने के वोह दस 10 अन्दाज़ जिन से वुज़ू नहीं टूटता ❞
••──────────────────────••►
╭┈► 1) इस तरह बैठना कि दोनों सुरीन ज़मीन पर हों और दोनों : पाउं एक तरफ़ फैलाए हों। (कुरसी, रेल और बस की सीट पर बैठने का भी येही हुक्म है)
╭┈► 2) इस तरह बैठना कि दोनों सुरीन ज़मीन पर हों : और पिंडलियों को दोनों हाथों के हल्के में ले ले ख्वाह हाथ ज़मीन : वगैरा पर या सर घुटनों पर रख ले
╭┈► 3) चार जानू या'नी पालती : (चोकड़ी) मार कर बैठे ख़्वाह ज़मीन या तख़्त या चारपाई वगैरा पर हो।
╭┈► 4) दो ज़ानू सीधी बैठी हो।
╭┈► 5) घोड़े या खच्चर वगैरा पर जीन रख कर सुवार हो।
╭┈► 6) नंगी पीठ पर सुवार हो मगर जानवर चढ़ाई पर चढ़ रहा हो या रास्ता हमवार हो।
╭┈► 7) तक्ये से टेक लगा कर इस तरह बैठी हो कि सुरीन जमे हुए हों अगर्चे तक्या हटाने से येह गिर पड़े।
╭┈► 8) खड़ी हो
╭┈► 09) रुकूअ की हालत में हो।
╭┈► 10) सुन्नत के मुताबिक जिस तरह मर्द सज्दा करता है इस तरह सज्दा करे कि पेट रानों और बाजू पहलूओं से जुदा हों । मज्कूरा सूरतें नमाज़ में वाकेअ हों या इलावा नमाज़, वुज़ू नहीं टूटेगा और नमाज़ भी फ़ासिद न होगी अगर्चे क़स्दन सोए, अलबत्ता जो रुक्न बिल्कुल सोते हुए अदा किया उस का इआदा: (या'नी दोबारा अदा करना) ज़रूरी है और जागते हुए शुरू किया फिर नींद आ गई तो जो हिस्सा जागते अदा किया वोह अदा हो गया बकिय्या अदा करना होगा।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 40-41 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 33
••──────────────────────••►
❝ सोने के वोह दस 10 अन्दाज़ जिन से वुज़ू टूट जाता है ❞
••──────────────────────••►
╭┈► 1) उक्डूं या'नी पाउं के तल्वों के बल इस तरह बैठी हो कि दोनों घुटने खड़े रहें
╭┈► 2) चित या 'नी पीठ के बल लैटी हो
╭┈► 3) पट या'नी पेट के बल लैटी हो
╭┈► 4) दाई या बाईं करवट लैटी हो ।
╭┈► 5) एक कोहनी पर टेक लगा कर सो जाए
╭┈► 6) बैठ कर इस तरह सोई
कि एक करवट झुकी हो जिस की वज्ह से एक या दोनों सुरीन उठे हुए हों
कि एक करवट झुकी हो जिस की वज्ह से एक या दोनों सुरीन उठे हुए हों
╭┈► 7) नंगी पीठ पर सुवार हो और जानवर पस्ती की जानिब उतर रहा हो
╭┈► 8) पेट रानों पर रख कर दो ज़ानू इस तुरह बैठे सोई कि दोनों सुरीन जमे न रहें
╭┈► 9) चार जानू या'नी चोकड़ी मार कर इस तरहू बैठे कि सर पर रखा हो
╭┈► 10) जिस तरह औरत सज्दा करती या है इस तरह सज्दे के अन्दाज़ पर सोई कि पेट रानों और बाजू पहलूओं से मिले हुए हों या कलाइयां बिछी हुई हों।मज्कूरा सूरतें नमाज़ में वाकेअ हों या नमाज़ के इलावा वुज़ू टूट जाएगा। फिर अगर इन सूरतों में कस्दन सोई तो नमाज़ फ़ासिद हो गई और बिला कुस्द सोई तो वुज़ू टूट जाएगा मगर नमाज़ बाकी है। बा'दे वुज़ू (मख्सूस शराइत के साथ) बकिय्या नमाज़ उसी जगह से पढ़ सकती है जहां नींद आई थी। शराइत न मा'लूम हों तो नए सिरे से ले पढ़।...✍🏻
📕 माखूज़ अज़ फ़तावा र-जूविय्या मुखर्रजा, जिल्द 1, सफ़ह 365 ता 367
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 41-42 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 34
••──────────────────────••►
❝ हंसने के अहकाम ❞
••──────────────────────••►
╭┈► 1) रुकूअ व सुजूद वाली नमाज़ में बालिगा ने कहक़हा ! लगा दिया या'नी इतनी आवाज़ से हंसी कि आस पास वालों ने सुना तो वुज़ू भी गया और नमाज़ भी गई, अगर इतनी आवाज़ से हंसी कि सिर्फ खुद सुना तो नमाज़ गई वुज़ू बाक़ी है, मुस्कुराने से न नमाज जाएगी न वुज़ू। मुस्कुराने में आवाज़ बिल्कुल नहीं होती सिर्फ़ दांत ज़ाहिर होते हैं ।
╭┈► 2) बालिग ने नमाज़े जनाज़ा में ककहा लगाया तो नमाज़ टूट गई वुज़ू बाकी है।
╭┈► 3) नमाज़ के इलावा ककहा लगाने से वुज़ू नहीं जाता मगर दोबारा कर लेना मुस्तहब है।हमारे मीठे मीठे आका ﷺ ने कभी भी ककहा नहीं लगाया लिहाज़ा : हमें भी कोशिश करनी चाहिये कि येह सुन्नत भी जिन्दा हो और हम जोर जोर से न हंसें। फ़रमाने मुस्तफा ﷺ ककहा शैतान की तरफ़ से है। और मुस्कुराना अल्लाह अज़्ज़वजल की तरफ़ से है।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 42-43 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 35
••──────────────────────••►
❝ सात मु-तफ़र्रिक़ात ❞
••──────────────────────••►
╭┈► 1) पेशाब, पाखाना, मनी, कीड़ा या पथरी मर्द या औरत के आगे या पीछे से निकलीं तो वुज़ू जाता रहेगा।
╭┈► 2) मर्द या औरत के पीछे से मा'मूली सी हवा भी खारिज हुई वुज़ू टूट गया। मर्द या औरत के आगे से हवा खारिज हुई वुज़ू नहीं टूटेगा।
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 2 सफ़ह 26
╭┈► 3) बेहोश हो जाने से वुज़ू टूट जाता है।
╭┈► 4) बा'ज़ लोग कहते हैं कि खिन्ज़ीर का नाम लेने से वुज़ू टूट जाता है येह गलत है।
╭┈► 5) दौराने वुज़ू अगर रीह खारिज हो या किसी सबब से वुज़ू टूट जाए तो नए सिरे से वुज़ू कर लीजिये पहले धुले हुए आ'ज़ा बे धुले हो गए।
📗 माखूज़ अज़ फ़तावा र-जूविय्या मुखर्रजा जिल्द 1 सफ़ह 255
╭┈► 6) बे वुज़ू को क़ुरआन शरीफ़ या किसी आयत का छूना हराम है।
📙 बहारे शरीअत, हिस्सा 2, सफ़ह 48
╭┈► क़ुरआने पाक का तरजमा फारसी या उर्दू या किसी दूसरी ज़बान में हो उस को भी पढ़ने या छूने में कुरआने पाक ही का सा हुक्म है।
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 2 सफ़ह 49
7) आयत को बे छूए देख कर या ज़बानी बे वुजू पढ़ने में हरज नहीं।..✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 43 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 36
••──────────────────────••►
❝ ग़ुस्ल का वुज़ू काफ़ी है ❞
••──────────────────────••►
╭┈► ग़ुस्ल के लिये जो वुज़ू किया था वोही काफ़ी है ख़्वाह बरहना नहाए। अब गुस्ल के बा'द दोबारा वुज़ू करना ज़रूरी नहीं बल्कि अगर वुज़ू न भी किया हो तो ग़ुस्ल कर लेने से आ'ज़ाए वुज़ू पर भी पानी बह जाता है लिहाज़ा वुज़ू भी हो गया, कपड़े तब्दील करने या अपना या किसी दूसरे का सित्र देखने से भी वुज़ू नहीं जाता।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 44 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 37
••──────────────────────••► ❝ जिन का वुज़ू न रहता हो उन के लिये 9 अहकाम ❞
••──────────────────────••►
╭┈► 1) क़तरा आने, पीछे से रीह खारिज होने, जख्म बहने, दुखती आंख से ब वज्हे मरज़ आंसू बहने, कान, नाफ़, पिस्तान से पानी निकलने, फोड़े या नासूर से रतूबत बहने और दस्त आने से वुज़ू टूट जाता है। अगर किसी को इस तुरह का मरज़ मुसल्सल जारी रहे। और शुरूअ से आखिर तक पूरा एक वक्त गुज़र गया कि वुज़ू के साथ नमाजे फ़र्ज अदा न कर सकी वोह शरअन मा'जूर है। एक वुज़ू से उस वक्त में जितनी नमाजे़ं चाहे पढ़े। उस का वुज़ू उस मरज़ से नहीं टूटेगा।
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 2 सफ़ह 107
╭┈► इस मस्अले को मजीद आसान लफ्जों में समझाने की कोशिश करता हूं। इस किस्म
के मरीज़ और मरीजा अपने मा' ज़ूरे शर - ई होने न होने की जांच इस तरह करें कि कोई सी भी दो फर्ज़ नमाज़ों के दरमियानी वक्त कोशिश करें कि वुज़ू कर के तहारत के साथ कम अज़ कम दो रक्अतें अदा की जा सकें। पूरे वक्त के दौरान बार बार कोशिश के बा वुजूद में अगर इतनी मोहलत नहीं मिल पाती, वोह इस तरह कि कभी तो दौराने वुज़ू ही उज्र लाहिक हो जाता है और कभी वुज़ू मुकम्मल कर लेने के बा'द नमाज़ अदा करते हुए, हत्ता कि आखिरी वक्त आ गया तो अब उन्हें इजाज़त है कि वुज़ू कर के नमाज़ अदा करें नमाज़ हो जाएगी। अब चाहे दौराने अदाएगिये नमाज़, बीमारी के बाइस नजासत बदन से खारिज ही क्यूं न हो रही हो । फु- कहाए किराम रहमतुल्लाहि्स सलाम फ़रमाते हैं कि किसी शख़्स की नक्सीर फूट गई या उस का ज़ख़़्म बह निकला तो वोह आख़िरी वक्त का इन्तिज़ार करे अगर खून मुन्क़तअ न हो (बल्कि मुसल्सल या वक्फ़े वक्फ़े से जारी रहे) तो वक्त निकलने से पहले वुज़ू कर के नमाज़ अदा करे।...✍🏻
के मरीज़ और मरीजा अपने मा' ज़ूरे शर - ई होने न होने की जांच इस तरह करें कि कोई सी भी दो फर्ज़ नमाज़ों के दरमियानी वक्त कोशिश करें कि वुज़ू कर के तहारत के साथ कम अज़ कम दो रक्अतें अदा की जा सकें। पूरे वक्त के दौरान बार बार कोशिश के बा वुजूद में अगर इतनी मोहलत नहीं मिल पाती, वोह इस तरह कि कभी तो दौराने वुज़ू ही उज्र लाहिक हो जाता है और कभी वुज़ू मुकम्मल कर लेने के बा'द नमाज़ अदा करते हुए, हत्ता कि आखिरी वक्त आ गया तो अब उन्हें इजाज़त है कि वुज़ू कर के नमाज़ अदा करें नमाज़ हो जाएगी। अब चाहे दौराने अदाएगिये नमाज़, बीमारी के बाइस नजासत बदन से खारिज ही क्यूं न हो रही हो । फु- कहाए किराम रहमतुल्लाहि्स सलाम फ़रमाते हैं कि किसी शख़्स की नक्सीर फूट गई या उस का ज़ख़़्म बह निकला तो वोह आख़िरी वक्त का इन्तिज़ार करे अगर खून मुन्क़तअ न हो (बल्कि मुसल्सल या वक्फ़े वक्फ़े से जारी रहे) तो वक्त निकलने से पहले वुज़ू कर के नमाज़ अदा करे।...✍🏻
📕 البخر الرائق ج ۱ ص ۳۷۷-۳۷۳
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 44-45 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 38
••──────────────────────••►
❝ जिन का वुज़ू न रहता हो उन के लिये 9 अहकाम ❞
••──────────────────────••►
╭┈► 2) फर्ज़ नमाज़ का वक्त जाने से मा'जूर का वुज़ू टूट जाता है जैसे किसी ने असर के वक्त वुज़ू किया था तो सूरज गुरूब होते ही वुज़ू जाता रहा और अगर किसी ने आफ्ताब निकलने के बा'द वुज़ू किया तो जब तक जोहर का वक्त ख़त्म न हो वुज़ू न जाएगा कि अभी तक किसी फ़र्ज नमाज़ का वक्त नहीं गया। फर्ज़ नमाज़ का वक्त जाते ही मा'जूर का वुज़ू जाता रहता है और येह हुक्म उस सूरत में होगा जब मा'जूर का उज्र दौराने वुज़ू या बा' दे वुज़ू जाहिर हो, अगर ऐसा न हो और दूसरा कोई ह़दस (या'नी वुज़ू तोड़ने वाला मुआ-मला) भी लाहिक न हो तो फ़र्ज़ नमाज़ का वक्त जाने से वुज़ू नहीं टूटेगा।
📙 बहारे शरीअत हिस्सा 2 सफ़ह 108
╭┈► 3) जब उज्र साबित हो गया तो जब तक नमाज़ के एक पूरे वक्त में एक बार भी वोह चीज़ पाई जाए मा'जूर ही रहेगी । म-सलन किसी के जख़्म से सारा वक्त खून बहता रहा और इतनी मोहलत ही न मिली {कि वुज़ू कर के फ़र्ज़ अदा कर ले तो मा'जूर हो गई । अब दूसरे अवकात में इतना मौक़अ मिल जाता है कि वुज़ू कर के नमाज़ पढ़ ले मगर एकआध दफ़्आ जख़्म से खून बह जाता है तो अब भी मा'जूर है। हां अगर पूरा एक वक्त ऐसा गुज़र गया कि एक बार भी खून न बहा तो मा'जूर न रही फिर जब कभी पहली हालत आई (या'नी सारा वक्त मुसल्सल मरज़ हुवा) तो फिर मा'जूर हो गई।...✍🏻
📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 2, सफ़ह 107
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 45-46 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 39
••──────────────────────••►
❝ जिन का वुज़ू न रहता हो उन के लिये 9 अहकाम ❞
••──────────────────────••►
╭┈► 4) माज़ूर का वुज़ू अगर्चे उस चीज़ से नहीं जाता जिस के सबब माज़ूर है मगर दूसरी कोई चीज़ वुज़ू तोड़ने वाली पाई गई तो वुज़ू जाता रहा! म-सलन जिस को रीह खारिज होने का मरज़ है, जख़्म बहने से उस का वुज़ू टूट जाएगा। और जिस को जख़्म बहने का मरज है उस का रीह खारिज होने से वुज़ू जाता रहेगा।
📙 ऐज़न, सफ़ह 108
╭┈► 5) माज़ूर ने किसी ह़दस (या'नी वुज़ू तोड़ने वाले अमल) के बाद वुज़ू किया और वुज़ू करते वक़्त वोह चीज़ नहीं है जिस के सबब माज़ूर है फिर वुज़ू के बा'द वोह उज्र वाली चीज पाई गई तो वुज़ू टूट गया (येह हुक्म इस सूरत में होगा जब माज़ूर ने अपने उज़ के बजाए किसी दूसरे सबब की वज्ह से वुज़ू किया हो अगर अपने उज्र की वज्ह से वुज़ू किया तो बा' दे वुज़ू उज्र पाए जाने की सूरत में वुज़ू न टूटेगा।) म-सलन जिस का ज़ख़्म बहुता था उस की रीह खारिज हुई और उस ने वुज़ू किया और वुज़ू करते वक़्त जख्म नहीं बहा और वुज़ू करने के बा' द बहा तो वुज़ू टूट गया। हां अगर वुज़ू के दरमियान बहना जारी था तो न गया।
📕 बहारे शरीअत, हिस्सा : 2, सफ़ह 109
╭┈► 6) माज़ूर के एक नथने से खून आ रहा था वुज़ू के बा'द दूसरे नथने से आया वुज़ू जाता रहा, या एक जख्म बह रहा था अब दूसरा बहा यहां तक कि चेचक के एक दाने से पानी आ रहा था अब दूसरे दाने से आया वुज़ू टूट गया।..✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 46-47 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 40
••──────────────────────••►
❝ जिन का वुज़ू न रहता हो उन के लिये 9 अहकाम ❞
••──────────────────────••►
╭┈► 7) माज़ूर को ऐसा उज्र हो कि जिस के सबब कपड़े नापाक हो जाते हैं तो अगर एक दिरहम से ज़ियादा नापाक हो गए और जानती है कि इतना मौकअ है कि इसे धो कर पाक कपड़ों से नमाज़ पढ़ लूंगी तो पाक कर के नमाज़ पढ़ना फ़र्ज़ है और अगर जानती है कि नमाज़ पढ़ते पढ़ते {फिर उतना ही नापाक हो जाएगा तो अब धोना ज़रूरी नहीं । इसी से पढ़े अगर्चे मुसल्ला भी आलूदा हो जाए तब भी उस की नमाज़ हो जाएगी।
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 2 सफ़ह 109
╭┈► ৪) अगर कपड़ा वगैरा रख कर (या सूराख में रूई डाल कर) इतनी देर तक खून रोक सकती है कि वुज़ू कर के फर्ज़ पढ़ ले तो उज्र साबित न होगा। या'नी येह माज़ूर नहीं क्यूं कि येह उजर दूर करने पर कुदरत रखती है।
╭┈► 9) अगर किसी तरकीब से उज्र जाता रहे या उस में कमी हो जाए तो उस तरकीब का करना फ़र्ज़ है, म-सलन खड़े हो कर पढ़ने से खून बहता है और बैठ कर पढ़े तो न बहेगा तो बैठ कर पढ़ना फ़र्ज है।
📗 ऐजून, सफ़ह 107
📙 बहारे शरीअत हिस्सा 2 सफ़ह 109
📕 मा'जूर के वुज़ू के तफ्सीली मसाइल फतावा र - ज़विय्या मुखर्रजा जिल्द 4 सफ़हा 367 ता 375, बहारे शरीअत हिस्सा 2 सफ़हा 107 ता 109 से मा'लूम कर लीजिये
╭┈► इस्लामी बहनो ! जहां जहां मुम्किन हो वहां अल्लाह की रिज़ा के लिये अच्छी अच्छी निय्यतें कर लेनी चाहिएं, जितनी अच्छी निय्यतें ज़ियादा उतना सवाब भी जियादा और अच्छी निय्यत के सवाब की तो क्या बात है ! मीठे मीठे आका, मक्की म-दनी मुस्तफ़ा ﷺ का फरमाने जन्नत निशान है "अच्छी निय्यत इन्सान को जन्नत में दाखिल करेगी।
╭┈► वुज़ू की निय्यत नहीं होगी तब भी फ़िक्हे ह-नफ़ी के मुताबिक वुज़ू हो जाएगा मगर सवाब नहीं मिलेगा। उमूमन वुज़ू की तय्यारी करने वाली के जेहन में होता है कि मैं वुज़ू करने वाली हूं येही निय्यत काफ़ी है। ताहम मौकअ की मुना-सबत से मज़ीद निय्यतें भी की जा सकती हैं।..✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 47-48 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 41
••──────────────────────••►
❝ हर वक़्त बा वुज़ू रहना सवाब है के बीस हुरूफ़ की निस्बत से वुज़ू के बारे में 20 निय्यतें ❞
••──────────────────────••►
╭┈►1) बे वुजुई दूर करूंगी 2) जो बा वुज़ू हो वोह दोबारा वुज़ू करते वक़्त यूं निय्यत करे : सवाब के लिये वुज़ू पर वुज़ू करूंगी 3) بسمِ اللّہِ وَالْحمدُ لِلّہ कहूंगी
╭┈► 4) फराइज़ व 5) सुनन और 6) मुस्तहब्बात का ख्याल रखूंगी
╭┈► 7) पानी का इस्राफ़ नहीं करूंगी 8) मकरुहात से बचूंगी 9) मिस्वाक करूंगी
╭┈► 10) हर उज़्व धोते वक्त दुरूद शरीफ और 11) یَاقَادِرُ पढ़ूंगी (वुज़ू में हर उज़्व धोने के दौरान یَاقَادِرُ पढ़ने वाली को इंशाअल्लाह दुश्मन इग्वा नहीं कर सकेगा
╭┈►12) फ़राग़त के बा'द आ'जाए वुज़ू पर तरी बाकी रहने दूंगी
╭┈► 13,14) वुज़ू के बा'द दो दुआए पढ़ूंगी
(الف) اَللّٰهُمَّ اجْعَلْنِیْ مِنَ التَّوَّابِيْنَ وَاجْعَلْنِیْ مِنَ الْمُتَطَهِّرِيْنَ
(ب) سُبْحٰنَکَ اَللّٰهُمَّ وَ بِحَمْدِکَ اَشهَدُ اَنْ لَّا اِلهَٰ اِلَّا اَنتَ اَسْتَغْفِرُکَ وَ اَتُوْبُ اِلَیْکَ
(ب) سُبْحٰنَکَ اَللّٰهُمَّ وَ بِحَمْدِکَ اَشهَدُ اَنْ لَّا اِلهَٰ اِلَّا اَنتَ اَسْتَغْفِرُکَ وَ اَتُوْبُ اِلَیْکَ
╭┈► 15 ता 17 ) आसमान की त़रफ़ देख कर कलिमए शहादत और सू-रतुल कद्र पढूंगी मज़ीद तीन बार सू-रतुल कद्र पढ़ूंगी
╭┈► 18) मकरुह वक़्त न हुवा तो) तहिय्यतुल वुज़ू अदा करूंगी
╭┈► 19) हर उज़्व धोते वक़्त गुनाह झड़ने की उम्मीद करूंगी
╭┈► 20) बातिनी वुज़ू भी करूंगी (या'नी जिस तरह पानी से जाहिरी आ'जा़ का मैल कुचैल दूर किया है इसी तुरह तौबा के पानी से गुनाहों की गन्दगी धो कर आयिन्दा गुनाहों से बचने का अहद करूंगी)
🤲🏻 ⚘ या रब्बल मुस्त़फा़ अज़्ज़वजल ! हमें इस्राफ से बचते हुए शर-ई वुज़ू के साथ हर वक़्त बा वुज़ू रहना नसीब फ़रमा। आमीन...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 48-49 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 42
••──────────────────────••►
❝ तरीक़ा गु़स्ल का (ह-नफ़ी) ❞
••──────────────────────••►
*⇩ दुरूद शरीफ़ की फ़रज़ीलत ⇩*
╭┈► खा-तमुल मुर-सलीन, रहूमतुल्लिल आ-लमीन, शफ़ीऊल मुज़निबीन, अनीसुल गुरीबीन, सिराजुस्सालिकीन, महबूबे रब्बुल आ-लमीन, जनाबे सादिको़ अमीन ﷺ का फ़रमाने दिल नशीन है : जब जुमा'रात का दिन आता है अल्लाह तआला फ़िरिश्तों को भेजता है जिन के पास चांदी के कागज़ और सोने के क़लम होते हैं वोह लिखते हैं, कौन यौमे जुमा'रात और शबे जुमुआ (या'नी जुमारात और जुमुआ की दरमियानी शब) मुझ पर कसरत से दुरूदे पाक पढ़ता है!
*⇩ फ़र्ज गुस्ल में एहतियात की ताकीद ⇩*
╭┈► रसूलुल्लाह ﷺ फरमाते हैं : "जो शख़्स गुस्ले जनाबत में एक बाल की जगह बे धोए छोड़ देगा उस के साथ आग से ऐसा ऐसा किया जाएगा। (या'नी अजाब दिया जाएगा।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 50 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 43
••──────────────────────••►
❝ तरीक़ा गु़स्ल का (ह-नफ़ी) ❞
••──────────────────────••►
*⇩ कब्र का बिल्ला ⇩*
╭┈► हज़रते सय्यिदुना अबान बिन अब्दुल्लाह बज्ली अलैहि रहमतुल्लाहिल-वाली फ़रमाते हैं हमारा एक पड़ोसी मर गया तो हम कफ़न व दफ्न में शरीक हुए। जब क़ब्र खोदी गई तो उस में बिल्ले की मिस्ल एक जानवर था, हम ने उस को मारा मगर वोह न हटा। चुनान्चे दूसरी क़ब्र खोदी गई तो उस में भी वोही बिल्ला मौजूद था ! उस के साथ भी वही किया गया जो पहले के साथ किया गया था लेकिन वोह अपनी जगह से न हिला। इस के बा'द तीसरी क़ब्र खोदी गई तो उस में भी येही मुआ-मला हुवा, आखिर लोगों ने मशवरा दिया कि अब इस को इसी क़ब्र में दफ्न कर दो, जब उस को दफ़्न कर दिया गया तो क़ब्र में से एक खौफ़नाक आवाज़ सुनी गई ! तो हम उस शख़्स की बेवा के पास गए और उस से मरने वाले के बारे में दरयाफ्त किया कि उस का अमल क्या था ? बेवा ने बताया : "वोह गुस्ले जनाबत (या'नी फ़र्ज़ गुस्ल) नहीं करता था।
*⇩ गु़स्ले जनाबत में ताखीर कब हराम है ⇩*
╭┈► इस्लामी बहनो ! देखा आप ने ! वोह बद नसीब गु़स्ले जनाबत करता ही नहीं था। गु़स्ले जनाबत में देर कर देना गुनाह नहीं अलबत्ता इतनी ताखीर हराम है कि नमाज़ का वक्त निकल जाए। चुनान्चे बहारे शरीअत में है "जिस पर गु़स्ल वाजिब है वोह अगर इतनी देर कर चुकी कि नमाज़ का आखिर वक्त आ गया तो अब फौरन नहाना फ़र्ज है, अब ताखीर करेगी गुनहगार होगी।...✍🏻
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 2, सफ़ह 47-48
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 51 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 44
••──────────────────────••►
❝ तरीक़ा गु़स्ल का (ह-नफ़ी) ❞
••──────────────────────••►
*⇩ जनाबत की हालत में सोने के अहकाम ⇩*
╭┈► हज़रते सय्यिदुना अबू स-लमह रादिअल्लाहु तआला अन्हु कहते हैं, उम्मुल मुअमिनीन हज़रते सय्यिदतुना आइशा सिद्दीका रादिअल्लाहु तआला अन्हा से पूछा, क्या नबिय्ये रहमत, शफ़ीए उम्मत, शहन्शाहे नुबुव्वत, ताजदारे रिसालत ﷺ जनाबत की हालत में सोते थे ? उन्हों ने बताया : "हां और वुज़ू फ़रमा लेते थे।"
╭┈► हज़रते सय्यिदुना अब्दुल्लाह बिन उमर रादिअल्लाहु तआला अन्हु ने बयान किया कि अमीरुल मुअमिनीन हज़रते सय्यिदुना उमर फ़ारूके आ'ज़म रादिअल्लाहु तआला अन्हु
ने रसूले अकरम, नूरे मुजस्सम, शाहे बनी आदम ﷺ से तज्किरा किया रात में कभी जनाबत हो जाती है (तो क्या किया जाए ?) रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया वुज़ू कर के उज़्वे ख़ास को धो कर सो जाया करो।
ने रसूले अकरम, नूरे मुजस्सम, शाहे बनी आदम ﷺ से तज्किरा किया रात में कभी जनाबत हो जाती है (तो क्या किया जाए ?) रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया वुज़ू कर के उज़्वे ख़ास को धो कर सो जाया करो।
╭┈► शारेहे बुखा़री हज़रते हज़रते अल्लामा मुफ्ती मुहम्मद शरीफुल हक़ अमजदी अलैहि रहमतुल्लाहिल-कावी मज़्कूरा अहादीसे मुबा रका के तह़त फ़रमाते हैं : जुनुबी होने (या'नी गुस्ल फुर्ज़ होने) के बा'द अगर सोना चाहे तो मुस्तहब है कि वुज़ू करे, फौरन गु़स्ल करना वाजिब नहीं अलबत्ता इतनी ताखीर न करे कि नमाज़ का वक़्त निकल जाए।
╭┈► येही इस हदीस का महमल' है। हजरते अली रादिअल्लाहु तआला अन्हु से अबू दावूद व नसाई वरगैरा में मरवी है कि फ़रमाया उस घर में फ़िरिश्ते नहीं जाते जिस में तस्वीर या कुत्ता या जुनुबी (या'नी बे गुस्ला) हो। इस हदीस से मुराद येही है कि इतनी देर तक गुस्ल न करे कि नमाज़ का वक़्त निकल जाए और वोह जुनुबी (या'नी बे गुस्ला) रहने का आदी हो और येही मतलब बुजुर्गों के इस इश्शाद का है कि हालते जनाबत में खाने पीने से रिज्क में तंगी होती है।..✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 52 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 45
••──────────────────────••►
❝तरीक़ा गु़स्ल का (ह-नफ़ी) ❞
••──────────────────────••►
╭┈►बिगैर ज़ुबान हिलाए दिल में इस तरह निय्यत कीजिये कि मैं पाकी हासिल करने के लिये गुस्ल करती हूं। पहले दोनों हाथ पहुंचों तक तीन तीन बार धोइये, फिर इस्तिन्जे की जगह धोइये ख्वाह नजासत हो या न हो, फिर जिस्म पर अगर कहीं नजासत हो तो उस को दूर कीजिये फिर नमाज़ का सा वुजू कीजिये अगर पाउं रखने की जगह पर पानी जम्अ है तो पाउं न धोइये, और अगर सख़्त ज़मीन है जैसा कि आज कल उमूमन गुस्ल खानों की होती है या चौकी वगैरा पर गुस्ल कर रही हैं तो पाउं भी धो लीजिये, फिर बदन पर तेल की तरह पानी चुपड़ लीजिये, खुसूसन सर्दियों में (इस दौरान साबुन भी लगा सकती हैं) फिर तीन बार सीधे कन्धे पर पानी बहाइये, फिर तीन बार उल्टे कन्धे पर, फिर सर पर और तमाम बदन पर तीन बार, फिर गुस्ल की जगह से अलग हो जाइये, अगर वुज़ू करने में पाउं नहीं धोए थे तो अब धो लीजिये। बहारे शरीअत हिस्सा 2 सफ़हा 42 पर है सित्र खुला हो तो किब्ले को मुंह करना न चाहिये, और तहबन्द बांधे हो तो हरज नहीं। तमाम बदन पर हाथ फैर कर मल कर नहाइये, ऐसी जगह नहाइये कि किसी की नज़र न पड़े, दौराने गुस्ल किसी किस्म की गुफ्त-गू मत कीजिये, कोई दुआ़ भी न पढ़िये, नहाने के बा' द तोलिया वगैरा से बदन पोंछने में हरज नहीं। नहाने के बा'द फौरन कपड़े पहन लीजिये। अगर मकरुह वक़्त न हो तो दो रक्अत नफ्ल अदा करना मुस्तहब है।...✍🏻
📕 आम्मए कुतुबे फ़िक़्हे ह़-नफ़ी
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 53-54 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 46
••──────────────────────••►
❝ तरीक़ा गु़स्ल का (ह-नफ़ी) ❞
••──────────────────────••►
*⇩ ग़ुस्ल के तीन फ़राइज़ ⇩*
╭┈► 1) कुल्ली करना, 2) नाक में पानी चढ़ाना, 3) तमाम ज़ाहिरी बदन पर पानी बहाना।
📕 फतावा आलमगीरी जिल्द 1 सफ़ह 13
*⇩ ❶ कुल्ली करना ⇩*
╭┈► मुंह में थोड़ा सा पानी ले कर पिच कर के डाल देने का नाम कुल्ली नहीं बल्कि मुंह के हर पुर्जे, गोशे, होंट से हल्क की जड़ तक हर जगह पानी बह जाए। इसी तरह दाढ़ों के पीछे गालों की तह में, दांतों की खिड़कियों और जड़ों और ज़ुबान की हर करवट पर बल्कि हल्क के कनारे तक पानी बहे। रोज़ा न हो तो गर-गरा भी कर लीजिये कि सुन्नत है। दांतों में छालिया के दाने या बोटी के रेशे वगैरा हों तो उन को छुड़ाना ज़रूरी है। हां अगर छुड़ाने में ज़रर (यानी नुक्सान) का अन्देशा हो तो मुआफ़ है। गुस्ल से क़ब्ल दांतों में रेशे वगैरा महसूस न हुए और रह गए नमाज़ भी पढ़ ली बा'द को मा'लूम होने पर छुड़ा कर। पानी बहाना फुर्ज़ है, पहले जो नमाज पढ़ी थी वोह हो गई।जो हिलता दांत मसाले से जमाया गया या तार से बांधा गया और तार या मसाले के नीचे पानी न पहुंचता हो तो मुआफ़ है।
📗 बहारे शरीअत हिस्सा 2 सफ़ह 38, फतावा रज़विय्या, जिल्द 1 सफ़ह 439-440
*⇩ ❷ नाक में पानी चढ़ाना ⇩*
╭┈► जल्दी जल्दी नाक की नोक पर पानी लगा लेने से काम नहीं चलेगा बल्कि जहां तक नर्म जगह है या 'नी सख्त हड्डी के शुरूअ तक धुलना लाजिमी है। और येह यूं हो सकेगा कि पानी को सूंघ कर ऊपर खींचिये। येह ख्याल रखिये कि बाल बराबर भी जगह धुलने से न रह जाए वरना ग़ुस्ल न होगा। नाक के अन्दर अगर रींठ सूख गई है तो उस का छुड़ाना फ़र्ज़ है। नीज नाक के बालों का धोना भी फर्ज है।
📙ऐज़न ऐज़न, सफ़ह 442-443
*⇩ ❸ तमाम जाहिरी बदन पर पानी बहाना ⇩*
╭┈► सर के बालों से ले कर पाउं के तल्वों तक जिस्म के हर पुर्ज़े और हर हर रोंगटे पर पानी बह जाना ज़रूरी है, जिस्म की बा'ज़ जगहें ऐसी हैं कि अगर एह़तियात् न की तो वोह सूखी रह जाएंगी और गुस्ल न होगा।...✍🏻
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 2 सफ़ह 39
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 54-55 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 47
••──────────────────────••►
❝ तरीक़ा गु़स्ल का (ह-नफ़ी) ❞
••──────────────────────••►
*⇩ صَلَوات اللّٰهِ عليکَ یا رسولَ اللّٰه ⇩*
*"के तेईस हुरूफ़ की निस्बत से इस्लामी बहनों के लिये गुस्ल की 23 एहतियातें"*
╭┈► *1)* अगर इस्लामी बहन के सर के बाल गुंधे हुए हों तो सिर्फ जड़ तर कर लेना जुरूरी है खोलना जुरूरी नहीं। हां अगर चोटी इतनी सख्त गुंधी हुई हो कि वे खोले जड़ें तर न होंगी तो खोलना ज़रूरी है।
╭┈► *2)* अगर कानों में बाली या नाक में नथ का छेद (सूराख) हो और वोह बन्द न हो तो उस में पानी बहाना फ़र्ज़ है। वुज़ू में सिर्फ नाक के नथ के छेद में और गु़स्ल में अगर कान और नाक दोनों में छेद हों तो दोनों में पानी बहाइये
╭┈► *3)* भवों, और उन के नीचे की खाल का धोना जुरूरी है *4)* कान का हर पुर्जा और उस के सूराख का मुंह धोइये *5)* कानों के पीछे के बाल हटा कर पानी बहाइये
╭┈► *6)* ठोड़ी और गले का जोड़ मुंह उठाए बिगैर न धुलेगा *7)* हाथों को अच्छी तरह उठा कर बगलें धोइये *8)* बाजू का हर पहलू धोइये
╭┈► *9)* पीठ का हर जर्रा धोइये, *10)* पेट की बल्टें उठा कर धोइये, *11)* नाफ़ में भी पानी डालिये अगर पानी बहने में शक हो तो नाफ़ में उंगली डाल कर धोइये
╭┈► *12)* जिस्म का हर रोंगटा जड़ से नोक तक धोइये, *13)* रान और पेड़ू (नाफ़ से नीचे के हिस्से) का जोड़ धोइये, *14)* जब बैठ कर नहाएं तो रान और पिंडली के जोड़ पर भी पानी बहाना याद रखिये
╭┈► *15)* दोनों सुरीन के मिलने की जगह का ख्याल रखिये, खुसूसन जब खड़े हो कर नहाएं, *16)* रानों की गोलाई और, *17)* पिंडलियों की करवटों पर पानी बहाइये
╭┈► *18)* ढल्की हुई पिस्तान को उठा कर पानी बहाइये, *19)* पिस्तान और पेट के जोड़ की लकीर धोइये, *20)* फ़र्ज़े खारिज (या'नी औरत की शर्मगाह के बाहर के हिस्से) का हर गोशा हर टुकड़ा ऊपर नीचे खूब एहुतियात् से धोइये
╭┈► *21)* फूर्जे दाखिल (या'नी शर्मगाह के अन्दरूनी हिस्से) में उंगली डाल कर धोना फ़र्ज नहीं मुस्तहब है
╭┈► *22)* अगर हैज या निफास से फारिग हो कर गुस्ल करें तो किसी पुराने कपड़े से फ़र्ज़े दाखिल के अन्दर से खून का असर साफ़ कर लेना मुस्तहब है
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 2 सफ़ह 39-40
╭┈► *23)* अगर नेल पोलिश नाखूनों पर लगी हुई है तो उस का भी छुड़ाना फ़र्ज़ है वरना वुज़ू व गुस्ल नहीं होगा, हां मेंहदी के रंग में हरज नहीं।..✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 55-57 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 48
••──────────────────────••►
❝ तरीक़ा गु़स्ल का (ह-नफ़ी) ❞
••──────────────────────••►
*⇩ ज़ख़्म की पट्टी ⇩*
╭┈► ज़ख़्म पर पट्टी वगैरा बंधी हो और उसे खोलने में नुक्सान या हरज हो तो पट्टी पर ही मस्ह कर लेना काफ़ी है नीज़ किसी जगह मरज़ या दर्द की वज्ह से पानी बहाना नुक्सान देह हो तो उस पूरे उज्व पर मस्ह कर लीजिये। पट्टी जुरूरत से ज़ियादा जगह को घेरे हुए नहीं होनी चाहिये वरना मस्ह़ काफ़ी न होगा। अगर जुरूरत से ज़ियादा जगह घेरे बिगैर पट्टी बांधना मुम्किन न हो म-सलन बाजू पर ज़ख़्म है मगर पट्टी बाजूओं की गोलाई में बांधी है जिस के सबब बाजू का अच्छा हिस्सा भी पट्टी के अन्दर छुपा हुवा है, तो अगर खोलना मुम्किन हो तो खोल कर उस हिस्से को धोना फर्ज है। अगर ना मुम्किन है या खोलना तो मुम्किन है मगर फिर वैसी न बांध सकेगी और यूं ज़ख़्म वगैरा को नुक्सान पहुंचने का अन्देशा है तो सारी पट्टी पर मस्ह कर लेना काफ़ी है। बदन का वोह अच्छा हिस्सा भी धोने से मुआफ़ हो जाएगा।...✍🏻
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 2 सफ़ह 40
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 57 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 49
••──────────────────────••►
❝ तरीक़ा गु़स्ल का (ह-नफ़ी) ❞
••──────────────────────••►
*⇩ गुस्ल फ़र्ज़ होने के पांच अस्बाब ⇩*
╭┈► 1) मनी का अपनी जगह से शहवत के
साथ जुदा हो कर मख़रज से निकलना
साथ जुदा हो कर मख़रज से निकलना
╭┈► 2) एहतिलाम या'नी सोते में मनी का निकल जाना
╭┈► 3) हश्फ़ा या'नी सरे ज़कर (सुपारी) का औरत के आगे या पीछे या मर्द के पीछे दाखिल हो जाना ख्वाह शहवत हो या न हो, इन्ज़ाल हो या न हो, दोनों पर गुस्ल फ़र्ज़ करता है। बशर्ते़ कि दोनों मुकल्लफ़ हों और अगर एक बालिग है तो उस बालिग पर फ़र्ज़ है और ना बालिग पर अगचे गुस्ल फ़र्ज़ नहीं मगर गुस्ल का हुक्म दिया जाएगा
╭┈► 4) हैज़ से फ़ारिग होना
╭┈► 5) निफ़ास (या'नी बच्चा जनने पर जो ख़ून आता है उस) से फरिगु होना।...✍🏻
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 2 सफ़ह 43-46 मुल-त-क़त़न
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 58 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 50
••──────────────────────••►
❝ तरीक़ा गु़स्ल का (ह-नफ़ी) ❞
••──────────────────────••►
*⇩ वोह सूरतें जिन में गुस्ल फ़र्ज़ नहीं ⇩*
╭┈► 1) मनी शहवत के साथ अपनी जगह से जुदा न हुई बल्कि बोझ उठाने बुलन्दी से गिरने या फुज़्ला खारिज करने के लिये जोर लगाने की सूरत में खारिज हुई तो गुस्ल फ़र्ज नहीं। वुज़ू बहर हाल टूट जाएगा।
╭┈► 2) अगर मनी पतली पड़ गई और पेशाब के वक़्त या वैसे ही बिला शहवत इस के क़तरे निकल आए गुस्ल फ़र्ज न हुवा वुज़ू टूट जाएगा।
╭┈► 3) अगर एहतिलाम होना याद है मगर इस का कोई असर कपड़े वरगैरा पर नहीं तो गुस्ल फ़र्ज़ नहीं।..✍🏻
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 2 सफ़ह 43
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 58 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 51
••──────────────────────••►
❝ तरीक़ा गु़स्ल का (ह-नफ़ी) ❞
••──────────────────────••►
*⇩ बहते पानी में ग़ुस्ल का तरीक़ा ⇩*
╭┈► अगर बहते पानी म-सलन दरिया या नहर में नहाया तो थोड़ी देर उस में रुकने से तीन बार धोने, तरतीब और वुज़ू येह सब सुन्नतें अदा हो गईं। इस की भी ज़रूरत नहीं कि आ'ज़ा को तीन बार ह-र-कत दे। अगर तालाब वग़ैरा ठहरे पानी में नहाया तो आ'जा़ को तीन बार ह-र-कत देने या जगह बदलने से तस्लीस या'नी तीन बार धोने की सुन्नत अदा हो जाएगी। बरसात में (या नल या फव्वारे के नीचे) खड़ा होना बहते पानी में खड़े होने के हुक्म में है। बहते पानी में वुज़ू किया तो वोही थोड़ी देर उस में उज़्व को रहने देना और ठहरे पानी में ह-र-कत देना तीन बार धोने के क़ाइम मकाम है।
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 2 सफ़ह 42
╭┈► वुज़ू और गुस्ल की इन तमाम सूरतों में कुल्ली करना और नाक में पानी चढ़ाना होगा गुस्ल में कुल्ली करना और नाक में पानी चढ़ाना फ़र्ज है जब कि वुज़ू में सुन्नते मुअक्कदा है।..✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 58-59 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 52
••──────────────────────••►
❝ तरीक़ा गु़स्ल का (ह-नफ़ी) ❞
••──────────────────────••►
*⇩ फ़व्वारा जारी पानी के हुक्म में है ⇩*
╭┈► फ़तावा अहले सुन्नत (गै़र मत्बूआ) में है, फव्वारे (या नल) के नीचे गुस्ल करना जारी पानी में गुस्ल करने के हुक्म में है लिहाज़ा इस के नीचे गुस्ल करते हुए वुज़ू और गुस्ल करते वक़्त की मुद्दत (या'नी थोड़ी देर) तक ठहरी तो तस्लीस (या'नी तीन बार धोने) की सुन्नत अदा हो जाएगी चुनान्चे दुर्रे मुख़्तार में है अगर जारी पानी, बड़े हौज़ या बारिश में वुज़ू और गुस्ल करने के वक़्त की मुद्दत तक ठहरी तो उस ने पूरी सुन्नत अदा की! याद रहे गुस्ल या वुज़ू में कुल्ली करना और नाक में पानी भी चढ़ाना है।
*⇩ फ़व्वारे की एहतियातें ⇩*
╭┈► अगर आप के हम्माम में फुव्वारा (SHOWER) हो तो उस का रुख देख लीजिये कि उस की तरफ़ मुंह कर के नंगे नहाने में मुंह या पीठ किब्ला शरीफ़ की तरफ़ न हो। इस्तिन्जा खाने में इस की ज़ियादा एहतियात फ़रमाइये। किब्ले की तरफ़ मुंह या पीठ होने का मा'ना येह है कि 45 द-रजे के ज़ाविये के अन्दर अन्दर हो। लिहाज़ा ऐसी तरकीब बनाइये कि 45 डिग्री के ज़ाविये के बाहर हो जाए।..✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 59-60 📚*
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 53
••──────────────────────••►
❝ तरीक़ा गु़स्ल का (ह-नफ़ी) ❞
••──────────────────────••►
*⇩ "मदीना" के पांच 5 हुरूफ़ की निस्बत से ग़ुस्ल के 5 सुन्नत मवाक़ेअ ⇩*
╭┈► 1) जुमुआ
╭┈► 2) ईदुल फित्र
╭┈► 3) बकर ईद
╭┈► 4) अ-रफा के दिन (या'नी 9 जुल हिज्जतुल हराम) और
╭┈► 5) एहराम बांधते वक़्त नहाना सुन्नत है।..✍🏻
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 2 सफ़ह 46
📙 दुर्रे मुख़्तार जिल्द 1 सफ़ह 339-341
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 60 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 54
••──────────────────────••►
❝ तरीक़ा गु़स्ल का (ह-नफ़ी) ❞
••──────────────────────••►
*⇩ "मुस्तहब पर अमल करना बाइसे सवाब है" के चौबीस हुरूफ़ की निस्बत से ग़ुस्ल के 24 मुस्तहब मवाक़ेअ ⇩*
╭┈► 1) वुकूफ़े अ-रफ़ात,
╭┈► 2) वुकूफ़े मुज्दलिफा,
╭┈► 3) हाज़िरिये हरम,
╭┈► 4) हाजिरिये सरकारे आ'ज़म ﷺ
╭┈► 5) तवाफ़,
╭┈► 6) दुखूले मिना,
╭┈► 7) जम्रों (शैतानों) पर कंकरियां मारने के लिये तीनों दिन,
╭┈► 8) शबे बराअत
╭┈► 9) शबे कद्र,
╭┈► 10) अ-रफ़ा की रात (या'नी 9 जुल हिज्जतिल हराम के गुरूबे आफ्ताब ता 10 की सुब्ह,
╭┈► 11) मजलिसे मीलाद शरीफ़
╭┈► 12) दीगर मजालिसे खैर के लिये
╭┈► 13) मुर्दा नहलाने के बा'द
╭┈► 14) मजनून (पागल ) को जुनून जाने के बा'द
╭┈► 15) ग़शी से इफ़ाका (या'नी बेहोशी ख़त्म होने) के बा'द
╭┈► 16) नशा जाते रहने के बा'द
╭┈► 17) गुनाह से तौबा करने
╭┈► 18) नए कपड़े पहनने के लिये
╭┈► 19) सफ़र से आने वाले के लिये
╭┈► (20 ) इस्तिहाजा' का खून बन्द होने के बा'द
╭┈► 21) नमाज़े कुसूफ़ (सूरज गहन) व खुसूफ़ (चांद गहन)
╭┈► 22) इस्तिस्का (त-लबे बारिश) और
╭┈► 23) खौफ व तारीकी और सख्त आंधी के लिये
╭┈► (24) बदन पर नजासत लगी और येह मा'लूम न हुवा कि किस जगह लगी है।...✍🏻
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 2 सफ़ह 46-47
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 60-61 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 55
••──────────────────────••►
❝ तरीक़ा गु़स्ल का (ह-नफ़ी) ❞
••──────────────────────••►
*⇩ एक गुस्ल में मुख़्तलिफ़ निय्यतें ⇩*
╭┈► जिस पर चन्द गुस्ल हों म-सलन एहतिलाम भी हुवा, ईद भी है और जुमुआ का दिन भी, तो तीनों की निय्यत कर के एक गुस्ल कर लिया, सब अदा हो गए और सब का सवाब मिलेगा।
📙 बहारे शरीअत हिस्सा 2 सफ़ह 47
*⇩ ग़ुस्ल से नज़्ला बढ़ जाता हो तो ⇩*
╭┈► जुकाम या आशोबे चश्म वगैरा हो और येह गुमाने सहीह हो कि सर से नहाने में मरज़ बढ़ जाएगा या दीगर अम्राज पैदा हो जाएंगे तो कुल्ली कीजिये, नाक में पानी चढ़ाइये और गरदन से नहाइये। और सर के हर हिस्से पर भीगा हुवा हाथ फैर लीजिये गुस्ल हो जाएगा। बा'दे सिह्हत सर धो डालिये पूरा ग़ुस्ल नए सिरे से करना ज़रूरी नहीं।...✍🏻
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 2 सफ़ह 40
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 61-62 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 56
••──────────────────────••►
❝ तरीक़ा गु़स्ल का (ह-नफ़ी) ❞
••──────────────────────••►
*⇩ बाल्टी से नहाते वक़्त एहतियात ⇩*
╭┈► अगर बाल्टी के ज़रीए ग़ुस्ल करें तो एहतियातन उसे तिपाई (STOOL) वगैरा पर रख लीजिये ताकि बाल्टी में छींटें न आएं। नीज गुस्ल में इस्ति'माल करने का मग भी फ़र्श पर न रखिये।
*⇩ बाल की गिरह ⇩*
╭┈► बाल में गिरह पड़ जाए तो गुस्ल में उसे खोल कर पानी बहाना जुरूरी नहीं।
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 2 सफ़ह 40
*⇩ बे वुज़ू दीनी किताबें छूना ⇩*
╭┈► बे वुज़ू या वोह जिस पर गुस्ल फ़र्ज़ हो उन को फ़िक्ह, तफ्सीर व हदीस की किताबों का छूना मकरुह है। और अगर इन को किसी कपड़े से छुवा अगर्चे इस को पहने या ओढ़े हुए हो तो मुज़ा-यका नहीं। मगर आयते कुरआनी या इस के तरजमे पर इन किताबों में भी हाथ रखना हराम है।..✍🏻
📙 बहारे शरीअत हिस्सा 2 सफ़ह 49
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 62 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 57
••──────────────────────••►
❝ तरीक़ा गु़स्ल का (ह-नफ़ी) ❞
••──────────────────────••►
*⇩ नापाकी की हालत में दुरूद शरीफ़ पढ़ना ⇩*
╭┈► जिन पर गुस्ल फर्ज़ हो उन को दुरूद शरीफ़ और दुआएं पढ़ने में हरज नहीं। मगर बेहतर येह है कि वुज़ू या कुल्ली कर के पढ़ें।
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 2 सफ़ह 49
╭┈► अजान का जवाब देना उन को जाइज़ है।
╭┈► अजान का जवाब देना उन को जाइज़ है।
📗 फतावा आलमगिरी जिल्द 1 सफ़ह 38
*⇩ उंगली में INK की तह जमी हुई हो तो ⇩*
╭┈► पकाने वाली के नाखुन में आटा, लिखने वाली के नाखुन वगैरा पर सियाही (INK) का जिर्म, आम इस्लामी बहनों के लिये मख्खी, मच्छर की बीट लगी हुई रह गई और तवज्जोह न रही तो गुस्ल हो जाएगा। हां मा'लूम हो जाने के बा'द जुदा करना और उस जगह का धोना ज़रूरी है पहले जो नमाज़ पढ़ी वोह हो गई।...✍🏻
📙 बहारे शरीअत हिस्सा 2 सफ़ह 41 मुलख़्ख़सन
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 63 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 58
••──────────────────────••►
❝ तरीक़ा गु़स्ल का (ह-नफ़ी) ❞
••──────────────────────••►
*⇩ बच्ची कब बालिगा होती है ⇩*
╭┈► लड़की नव बरस और लड़का बारह साल से कम उम्र तक हरगिज़ बालिगा व बालिग न होंगे और लड़का लड़की दोनों (हिजरी सिन के ए'तिबार से) 15 बरस की कामिल उम्र में जुरूर शरअन बालिग व बालिगा हैं, अगर्चे आसारे बुलूग (यानी बालिग होने की अलामतें) ज़ाहिर न हों। इन उम्रों के अन्दर अगर आसार पाए जाएं, या'नी ख़्वाह लड़के ख़्वाह लड़की को सोते ख्वाह जागते में इन्ज़ाल हो (या'नी मनी निकले) या लड़की को हैज़ आए या जिमाअ से लड़का (किसी लड़की को) हामिला कर दे या (जिमाअ की वजह से) लड़की को हम्ल रह जाए तो यकीनन बालिग व बालिगा हैं। और अगर आसार न हों, मगर वोह खुद कहें कि हम बालिग व बालिगा हैं और ज़ाहिर हाल उन के कौल की तक्ज़ीब न करता ( या' नी
झुटलाता न) हो तो भी बालिग व बालिगा समझे जाएंगे और तमाम अहकाम, बुलूग के निफाज़ पाएंगे और (लड़के के) दाढ़ी मूंछ निकलना या लड़की के पिस्तान (छाती) में उभार पैदा होना कुछ मो' तबर नहीं।...✍🏻
झुटलाता न) हो तो भी बालिग व बालिगा समझे जाएंगे और तमाम अहकाम, बुलूग के निफाज़ पाएंगे और (लड़के के) दाढ़ी मूंछ निकलना या लड़की के पिस्तान (छाती) में उभार पैदा होना कुछ मो' तबर नहीं।...✍🏻
📕 फतावा र-ज़विय्या जिल्द 19 सफ़ह 630
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 63-64 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 59
••──────────────────────••►
❝ तरीक़ा गु़स्ल का (ह-नफ़ी) ❞
••──────────────────────••►
*⇩ वस्वसों का एक सबब ⇩*
╭┈► गुस्ल खाने में पेशाब करने से वस्वसे पैदा होते हैं। हज़रते सय्यिदुना अब्दुल्लाह बिन मुगफ्फ़ल रादिअल्लाहु तआलाअन्हु से रिवायत है कि रसूले करीम, रऊफुर्रहीम ﷺ ने इरशाद फ़रमाया : कोई शख़्स गुस्ल खाने में पेशाब न करे, जिस में फिर वोह नहाए या वुज़ू करे क्यूं कि अक्सर वस्वसे इसी से होते हैं।
📕 सुनन अबिदाऊद जिल्द 1 सफ़ह 44 हदीस 87
╭┈► हम्माम की ढलवान (SLOPE) बेहतर है और इत्मीनान है कि पेशाब करने के बा'द पानी बहने से अच्छी तुरह फर्श पाक हो जाएगा तो हरज नहीं। फिर भी बेहतर येही है कि वहां पेशाब न करे।...✍🏻
📙 मिरआत जिल्द 1 सफ़ह 266 मुलख्बसन
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 64 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 60
••──────────────────────••►
❝ तरीक़ा गु़स्ल का (ह-नफ़ी) ❞
••──────────────────────••►
*⇩ इत्तिबाए सुन्नत की ब-र-कत से मग़फ़िरत की बिशारत मिली ⇩*
╭┈► बरहना नहाना सुन्नत नहीं चुनान्चे इस ज़िम्न में एक ईमान अफ़रोज हिकायत मुला-हज़ा फ़रमाइये हज़रते सय्यिदुना इमाम अहमद बिन हम्बल रादिअल्लाहु तआला अन्हु फ़रमाते हैं कि एक मर्तबा मैं लोगों के साथ था। इस दौरान हमारे बा'ज़ रु-फ़का गुस्ल के लिये कपड़े उतार कर पानी में उतर गए लेकिन मुझे सरकारे दो आलम, नूरे मुजस्सम, शाहे बनी आदम, रसूले मुहूतशम ﷺ की वोह हदीसे पाक याद थी जिस में आप ﷺ ने फ़रमाया है कि जो अल्लाह तआला और उस के रसूल ﷺ पर ईमान रखता हो उसे चाहिये कि बरहना हम्माम में दाखिल न हो बल्कि तहबन्द बांधे। लिहाज़ा मैं ने इस हदीसे मुबारका पर अमल किया।
╭┈► रात को जब मैं सोया तो मैं ने ख़्वाब में देखा कि एक हातिफे गैबी मुझे निदा कर के कह रहा है : ऐ अहमद ! तुझे बिशारत हो कि अल्लाहु रब्बुल इज़्ज़त ने नबिय्ये रहमत ﷺ की सुन्नत पर अमल करने की वज्ह से तुम्हारी मग़फ़िरत फ़रमा दी है और तुम्हें लोगों का इमाम व पेशवा भी बना दिया है।
╭┈► हज़रते सय्यिदुना इमाम अहमद अलैहि रहमतुल्लाहिल अहद फ़रमाते हैं कि मैं ने उस हातिफे गैबी से दरयाफ्त किया कि आप कौन हैं ? तो आवाज़ आई : मैं जिब्रील (अलैहिस्सलाम) हूं। अल्लाहु रब्बुल इज़्ज़त अज़्ज़वजल की उन पर रहमत हो और उन के सदके हमारी मग़फिरत हो।...✍🏻 *आमीन*
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 65-66 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 61
••──────────────────────••►
❝ तरीक़ा गु़स्ल का (ह-नफ़ी) ❞
••──────────────────────••►
*⇩ तहबन्द बांध कर नहाने की एहतियातें ⇩*
╭┈► शारेहे बुखारी हज़रते अल्लामा मुफ्ती शरीफुल हक अमजदी रहमतुल्लाहि तआला अलैह फ़रमाते हैं : तन्हाई में बरहना नहाना जाइज़ है मगर अफ्ज़ल येह है कि बरहना न नहाए। तहबन्द बांध कर (या पाजामा या शलवार पहन कर) नहाने में खुसूसिय्यत से दो बातों का ख्याल रखे, अव्वल जो तहबन्द (या पाजामा बगैरा) बांध कर नहाए वोह (तहबन्द वरगैरा) पाक हो उस में नजासत न हो । दूसरे येह कि रान वगैरा जिस्म के किसी हिस्से पर नजासत लगी हो तो उसे पहले धो ले वरना जनाबत तो दूर हो जाएगी (या'नी फ़र्ज़ गुस्ल तो अदा हो जाएगा) मगर बदन या तहबन्द की नजासत क्या दूर होगी फैल कर दूसरी जगहों पर भी लग जाएगी। इस से अवाम तो अवाम, खूवास तक गाफ़िल हैं।
📕 नुज्हतुल कारी जिल्द 1 सफ़ह 761
╭┈► हां इतना पानी बहाया कि अगर्चे नजासत इब्तिदाअन फैली मगर बिल आखिर अच्छी तरह धुल गई और पाक करने का शर- ई तकाज़ा पूरा हो गया तो तहबन्द पाक हो जाएगा।
🤲🏻╭ या रब्बे मुस्तफ़ा अज़्ज़वजल हमें बार बार गुस्ल के मसाइल पढ़ने, समझने और दूसरों को समझाने और सुन्नतों के मुताबिक गुस्ल करने की तौफ़ीक अता फ़रमा।..✍🏻 *आमीन*
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 66-67 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 62
••──────────────────────••►
❝ तयम्मुम का तरीक़ा ❞
••──────────────────────••►
*⇩ तयम्मुम के फ़राइज़ ⇩*
╭┈► तयम्मुम में तीन फर्ज हैं ❶ निय्यत ❷ सारे मुंह पर हाथ फेरना ❸ कोहनियों समेत दोनों हाथों का मस्ह करना।
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 2 सफ़ह 75-77
*⇩ "तयम्मुम सीख लो" के दस हुरूफ़ की निस्बत से तयम्मुम की 10 सुन्नतें ⇩*
╭┈► 1) बिस्मिल्लाह शरीफ़ कहना
╭┈► 2) हाथों को जमीन पर
मारना
मारना
╭┈► 3) जमीन पर हाथ मार कर लौट देना (या' नी आगे बढ़ाना और पीछे लाना
╭┈► 4) उंग्लियां खुली हुई रखना
╭┈► 5) हाथों को झाड़ लेना या'नी एक हाथ के अंगूठे की जड़ को दूसरे हाथ के अंगूठे की जड़ पर मारना न इस तरह कि ताली की सी आवाज़ निकले
╭┈► 6) पहले मुंह फिर हाथों का मस्ह करना
╭┈► 7) दोनों का मस्ह पैदर पै होना
╭┈► 8) पहले सीधे फिर उल्टे हाथ का मस्ह करना
╭┈► 9) मर्द के लिये दाढ़ी का
खिलाल करना
खिलाल करना
╭┈► 10) उंग्लियों का खिलाल करना जब कि गुबार पहुंच गया हो। अगर गुबार न पहुंचा हो म-सलन पथ्थर वरगैरा किसी ऐसी चीज़ पर हाथ मारा जिस पर गुबार न हो तो खिलाल फर्ज़ है खिलाल के लिये दोबारा ज़मीन पर हाथ मारना ज़रूरी नहीं।...✍🏻
📙 बहारे शरीअत हिस्सा 2 सफ़ह 78
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 68-69 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 63
••──────────────────────••►
❝ तयम्मुम का तरीक़ा ❞
••──────────────────────••►
╭┈►तयम्मुम की निय्यत कीजिये (निय्यत दिल के इरादे का नाम है जबान से भी कह लें तो बेहतर है। म-सलन यूं कहिये बे वुजूई या बे गुस्ली या दोनों से पाकी हासिल करने और नमाज़ जाइज़ होने के लिये तयम्मुम करती हूं) बिस्मिल्लाह पढ़ कर दोनों हाथों की उंग्लयां कुशादा कर के किसी ऐसी पाक चीज़ पर जो ज़मीन की किस्म (म- सलन पथ्थर, चूना, ईट, दीवार, मिट्टी वरगैरा) से हो मार कर लौट लीजिये (या'नी आगे बढ़ाइये और पीछे लाइये)। और अगर ज़ियादा गर्द लग जाए तो झाड़ लीजिये और उस से सारे मुंह का इस तरह मस्ह कीजिये कि कोई हिस्सा रह न जाए अगर बाल बराबर भी कोई जगह रह गई तो तयम्मुम न होगा।
╭┈► फिर दूसरी बार इसी तरह हाथ जमीन पर मार कर दोनों हाथों का नाखुनों से ले कर कोहनियों समेत मस्ह कीजिये, कंगन चूड़ियां जितने जेवर हाथ में पहने हों सब को हटा कर या उतार कर जिल्द के हर हिस्से पर हाथ पहुंचाइये, अगर ज़रा बराबर भी कोई जगह रह गई तो तयम्मुम न होगा।
╭┈► तयम्मुम के मस्ह का बेहतर तरीक़ा येह है कि उल्टे हाथ के अंगूठे के इलावा चार उंग्लियों का पेट सीधे हाथ की पुश्त पर रखिये और उंग्लियों के सिरों से कोहनियों तक ले जाइये और फिर वहां से उल्टे ही हाथ की हथेली से सीधे हाथ के पेट को मस करते हुए गिट्टे तक लाइये और उल्टे अंगूठे के पेट से सीधे अंगूठे की पुश्त का मस्ह कीजिये। इसी तरह सीधे हाथ से उल्टे हाथ का मस्ह कीजिये। और अगर एक दम पूरी हथेली और उंग्लियों से मस्ह कर लिया तब भी तयम्मुम हो गया चाहे कोहनी से उंग्लियों की तरफ़ लाए या उंग्लियों से कोहनी की तरफ़ ले गए मगर सुन्नत के खिलाफ़ हुवा। तयम्मुम में सर और पाउं का मस्ह नहीं है।...✍🏻
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 2 सफ़ह 76-78
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 69-70 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 64
••──────────────────────••►
❝ तयम्मुम का तरीक़ा ❞
••──────────────────────••►
*⇩ "सरकरे आला हज़रत की पच्चीसवीं शरीफ" के छब्बीस हुरूफ़ की निस्बत से तयम्मुम के 26 म-दनी फूल ⇩*
╭┈► 1) जो चीज़ आग से जल कर न राख होती है न पिघलती है न नर्म होती है वोह ज़मीन की जिन्स (या'नी किस्म) से है इस से तयम्मुम जाइज़ है। रैता, चूना, सुरमा, गन्धक, पथ्थर, जुबर जद, फीरोज़ा, अकीकृ, वगैरा जवाहिर से तयम्मुम जाइज है चाहे इन पर गुबार हो या न हो।
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 2 सफ़ह 79
╭┈► 2) पक्की ईंट, चीनी या मिट्टी के बरतन से तयम्मुम जाइज़ है। हां अगर इन पर किसी ऐसी चीज़ का जिर्म (या'नी जिस्म या तह) हो जो जिन्से जमीन से नहीं म-सलन कांच का जिर्म हो तो तयम्मुम जाइज़ नहीं।
📗 बहारे शरीअत हिस्सा 2 सफ़ह 80
╭┈► 3) जिस मिट्टी, पथ्थर वरगैरा से तयम्मुम किया जाए उस का पाक होना जरूरी है या'नी न उस पर किसी नजासत का असर हो न येह हो कि सिर्फ खुश्क होने से नजासत का असर जाता रहा हो।
📙 ऐज़न सफह 79
╭┈► ज़मीन, दीवार और वोह गर्द जो ज़मीन पर पड़ी रहती है अगर नापाक हो जाए फिर धूप या हवा से सूख जाए और नजासत का असर ख़त्म हो जाए तो पाक है और उस पर नमाज़ जाइज़ है मगर उस से तयम्मुम नहीं हो सकता।
╭┈► 4) येह वहम कि कभी नजिस हुई होगी फुजूल है इस का ए'तिबार नहीं।
📕 ऐज़न सफ़ह 79
╭┈► 5) अगर किसी लकड़ी, कपड़े, या दरी वगैरा पर इतनी गर्द है कि हाथ मारने से उंग्लियों का निशान बन जाए तो उस से तयम्मुम जाइज़ है।..✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 71-72 📚*
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 65
••──────────────────────••►
❝ तयम्मुम का तरीक़ा ❞
••──────────────────────••►
*⇩ "सरकरे आला हज़रत की पच्चीसवीं शरीफ" के छब्बीस हुरूफ़ की निस्बत से तयम्मुम के 26 म-दनी फूल ⇩*
╭┈► 6) चूना, मिट्टी या ईटों की दीवार ख़्वाह घर की हो या मस्जिद की इस से तयम्मुम जाइज़ है। मगर उस पर ऑइल पेइन्ट, प्लास्टिक पेइन्ट और मेट फ़िनिश या वॉल पेपर वरगैरा कोई ऐसी चीज़ नहीं होनी चाहिये जो जिन्से ज़मीन के इलावा हो, दीवार पर मार्बल हो तो कोई हरज नहीं।
╭┈► 7) जिस का वुज़ू न हो या नहाने की हाजत हो और पानी पर कुदरत न हो वोह वुज़ू और गुस्ल की जगह तयम्मुम करें।
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 2 सफ़ह 68
╭┈► ৪) ऐसी बीमारी कि वुज़ू या गुस्ल से इस के बढ़ जाने या देर में अच्छी होने का सहीह अन्देशा हो या खुद अपना तजरिबा हो कि जब भी वुज़ू या गुस्ल किया बीमारी बढ़ गई या यूं कि कोई मुसलमान अच्छा काबिल तबीब जो जाहिरी तौर पर फासिक न हो वोह कह दे कि पानी नुक्सान करेगा। तो इन सूरतों में तयम्मुम कर सकती हैं।
📗 बहारे शरीअत हिस्सा 2 सफ़ह 68
╭┈► 9) अगर सर से नहाने में पानी नुक्सान करता हो तो गले से नहाइये और पूरे सर का मस्ह कीजिये।
╭┈► 10) जहां चारों तरफ़ एक एक मील तक पानी का पता न हो वहां भी तयम्मुम कर सकती हैं।
📙 बहारे शरीअत हिस्सा 2 सफ़ह 69
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 71-72 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 66
••──────────────────────••►
❝ तयम्मुम का तरीक़ा ❞
••──────────────────────••►
*⇩ "सरकरे आला हज़रत की पच्चीसवीं शरीफ" के छब्बीस हुरूफ़ की निस्बत से तयम्मुम के 26 म-दनी फूल ⇩*
╭┈► 11) अगर इतना आबे ज़म-ज़म शरीफ़ पास है जो वुज़ू के लिये काफ़ी है तो तयम्मुम जाइज़ नहीं।
╭┈► 12) इतनी सर्दी हो कि नहाने से मर जाने या बीमार हो जाने का कवी अन्देशा है और नहाने के बा'द सर्दी से बचने का कोई सामान भी न हो तो तयम्मुम जाइज़ है।
📕 ऐज़न सफ़ह 70
╭┈► 13) कैदी को कैदखाने वाले वुज़ू न करने दें तो तयम्मुम कर के नमाज़ पढ़ ले बा'द में इआदा करे और अगर वोह दुश्मन या कैदखाने वाले नमाज़ भी न पढ़ने दें तो इशारे से पढ़े और बा'द में इआदा करे।
📗 ऐज़न सफ़ह 71
╭┈► 14) अगर येह गुमान है कि पानी तलाश करने में (या पानी तक पहुंच कर वुज़ू करने तक) काफ़िला नज़रों से गाइब हो जाएगा या ट्रेन छूट जाएगी। तो तयम्मुम जाइज़ है।
📙 बहारे शरीअत हिस्सा 2 सफ़ह 72
╭┈► फ़तावा र-ज़विय्या मुखर्रजा जिल्द 3 सफ़हा 417 पर है : अगर रेल चले जाने का अन्देशा हो तब भी तयम्मुम करे और इआदा नहीं।
╭┈► 15) वक़्त इतना तंग हो गया कि वुज़ू या गुस्ल करेगी तो नमाज़ क़ज़ा हो जाएगी तो तयम्मुम कर के नमाज़ पढ़ ले फिर वुज़ू या गुस्ल कर के नमाज़ का इआदा करे।...✍🏻
📕 माखूज़ अज़ फ़तावा र-ज़विय्या जिल्द 3 सफ़ह 307
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 73 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 67
••──────────────────────••►
❝ तयम्मुम का तरीक़ा ❞
••──────────────────────••►
*⇩ "सरकरे आला हज़रत की पच्चीसवीं शरीफ" के छब्बीस हुरूफ़ की निस्बत से तयम्मुम के 26 म-दनी फूल ⇩*
╭┈► 16) औरत हैज़ व निफ़ास से पाक हो गई और पानी पर कादिर नहीं तो तयम्मुम करे
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 2 सफ़ह 74
╭┈► 17) अगर कोई ऐसी जगह है जहां न पानी मिलता है न ही तयम्मुम के लिये पाक मिट्टी तो उसे चाहिये कि वक़्ते नमाज में नमाज़ की सी सूरत बनाए या'नी तमाम हु-रकाते नमाज़ बिला निय्यते नमाज़ बजा लाए।
📗 बहारे शरीअत हिस्सा 2 सफ़ह 75
╭┈► मगर पाक पानी या मिट्टी पर कादिर होने पर वुज़ू या तयम्मुम कर के नमाज़ पढ़नी होगी।
╭┈► 18) वुज़ू और गुस्ल दोनों के तयम्मुम का एक ही तरीका है।
╭┈► 19) जिस पर गुस्ल फ़र्ज़ है उस के लिये येह जरूरी नहीं कि वुज़ू और गुस्ल दोनों के लिये दो तयम्मुम करे बल्कि दोनों में एक ही निय्यत कर ले दोनों हो जाएंगे और अगर सिर्फ गुस्ल या वुजू की निय्यत की जब भी काफ़ी है।
📙 बहारे शरीअत हिस्सा 2 सफ़ह 76
╭┈► 20) जिन चीजों से वुज़ू टूट जाता है या गुस्ल फर्ज़ हो जाता है उन से तयम्मुम भी टूट जाता है और पानी पर कादिर होने से भी तयम्मुम टूट जाता है।...✍🏻
📕 ऐज़न सफ़ह 82
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 73-74 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 68
••──────────────────────••►
❝ तयम्मुम का तरीक़ा ❞
••──────────────────────••►
*⇩ "सरकरे आला हज़रत की पच्चीसवीं शरीफ" के छब्बीस हुरूफ़ की निस्बत से तयम्मुम के 26 म-दनी फूल ⇩*
╭┈► 21) इस्लामी बहन ने अगर नाक में फूल वरगैरा पहने हों तो निकाल ले वरना फूल की जगह मस्ह नहीं हो सकेगा ।
📕 ऐजन सफ़ह 77
╭┈► 22) होंटों का वोह हिस्सा जो आदतन मुंह बन्द होने की हालत में दिखाई देता है इस पर मस्ह होना जरूरी है अगर मुंह पर हाथ फैरते वक़्त किसी ने होंटों को ज़ोर से दबा लिया कि कुछ हिस्सा मस्ह होने से रह गया तो तयम्मुम नहीं होगा।
╭┈► 23) इसी तरह जोर से आंखें बन्द कर लीं जब भी न होगा
╭┈► 24) अंगूठी, घड़ी वगैरा पहने हों तो उतार कर या हटा कर उन के नीचे हाथ फेरना फ़र्ज है । चूड़ियां वरगैरा हटा कर उन के नीचे मस्ह कीजिये। तयम्मुम की एहतियातें वुज़ू से बढ़ कर हैं।
╭┈► 25) बीमार या बे दस्तो पा खुद तयम्मुम नहीं कर सकती तो कोई दूसरी करवा दे इस में तयम्मुम करवाने वाली की निय्यत का ए ' तिबार नहीं, जिस को तयम्मुम करवाया जा रहा है उस को निय्यत करनी होगी ।
📗 ऐजन सफ़ह 76
╭┈► 26) अगर औरत को वुज़ू करना है और वहां कोई ना महरम मर्द मौजूद है जिस से छुपा कर हाथों का धोना और सर का मस्ह नहीं कर सकती तयम्मुम करे!
📙 फ़तावा र-ज़विय्या मुखर्रजा, जिल्द 3 सफ़ह 416
🤲🏻 ╭ या रब्बे मुस्तफ़ा ! हमें बार बार तयम्मुम के मसाइल पढ़ने समझने और दूसरों को समझाने और सुन्नतों के मुताबिक तयम्मुम करने की तौफ़ीक अता फ़रमा।...✍🏻 *आमीन*
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 73-74 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 69
••──────────────────────••►
❝ जवाबे अज़ान का तरीक़ा ❞
••──────────────────────••►
*⇩ अज़ान के जवाब की फ़ज़ीलत ⇩*
╭┈► अमीरुल मुअमिनीन हज़रते सय्यिदुना उमर बिन खत्ताब रादिअल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है कि हुज़ूरे पाक, साहिबे लौलाक, सय्याहे अफ़्लाक ﷺ ने फ़रमाया : जब मुअज़्ज़िन *اَللّٰهُ اَکْبَر اَللّٰهُ اَکْبَر* कहे तो तुम में से कोई *اَللّٰهُ اَکْبَر اَللّٰهُ اَکْبَر* कहे, फिर मुअज़्ज़ि *اَشْھَدُ اَنْ لَّا اِلٰهَ اِلَّا اللّٰهُ* कहे तो वोह शख़्स *اَشْھَدُ اَنْ لَّا اِلٰهَ اِلَّا* اللّٰهُ कहे, फिर मुअज़्ज़िन *اَشْھَدُ اَنَّ مُحَمَّدًارَّسُوْلُ اللّٰه* कहे तो वोह शख़्स *اَشْھَدُ اَنَّ مُحَمَّدًارَّسُوْلُ اللّٰه* कहे, फिर मुअज़्ज़िन *حَیَّ عَلَی اصَّلوٰۃ* कहे तो वोह शख़्स *لَاحَوْلَ ولَا قُوَّۃَ اِلَّا بِاللّٰه* कहे, फिर मुअज़्ज़िन *حَیَّ عَلَی الْفَلَاح* कहे तो वोह शख़्स *لَاحَوْلَ ولَا قُوَّۃَ اِلَّا بِاللّٰه* कहे, फिर जब मुअज़्ज़िन *اَللّٰهُ اَکْبَر اَللّٰهُ اَکْبَر* कहे तो वोह शख़्स *اَللّٰهُ اَکْبَر اَللّٰهُ اَکْبَر* कहे और जब मुअज़्ज़िन *لَا اِلٰهَ اِلَّا اللّٰهُ* कहे और येह शख़्स सिद्क़ दिल से *لَا اِلٰهَ اِلَّا اللّٰهُ* कहे तो जन्नत में दाखिल होगा।
╭┈► मुफस्सिरे शहीर हकीमुल उम्मत हज़रते मुफ्ती अहमद यार खान रहमतुल्लाहि तआला अलैह इस हदीसे पाक के तहत फ़रमाते हैं जाहिर येह है कि *مِنْ قَلْبِهٖ* (या'नी सिद्क दिल से कहने) का तअल्लुक सारे जवाब से है या'नी अज़ान का पूरा जवाब सच्चे दिल से दे क्यूं कि बिगैर इख़्लास कोई इबादत कुबूल नहीं।...✍🏻
📕 मिरआतुल मनाजीह जिल्द 1 सफ़ह 412
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 76-77 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 70
••──────────────────────••►
❝ जवाबे अज़ान का तरीक़ा ❞
••──────────────────────••►
*⇩ अज़ान का जवाब देने वाला जन्नती हो गया ⇩*
╭┈► हज़रते सय्यिदुना अबू हुरैरा रादिअल्लाहु तआला अन्हु फ़रमाते हैं कि एक साहिब जिन का ब ज़ाहिर कोई बहुत बड़ा नेक अमल न था, वोह फौत हो गए तो रसूलुल्लाह ﷺ ने सहाबए किराम अलैहिमुर्रिज़वान की मौजू-दगी में फ़रमाया क्या तुम्हें मा'लूम है कि अल्लाह तआला ने उसे जन्नत में दाखिल कर दिया है। इस पर लोग मु-तअज्जिब हुए क्यूं कि ब ज़ाहिर उन का कोई बड़ा अमल न था। चुनान्चे एक सहाबी रादिअल्लाहु तआला अन्हु उन के घर गए और उन की बेवा रादिअल्लाहु तआला अन्हा से पूछा कि उन का कोई खास अमल हमें बताइये, तो उन्हों ने जवाब दिया और तो कोई खास बड़ा अमल मुझे मा 'लूम नहीं, सिर्फ इतना जानती हूं कि दिन हो या रात, जब भी वोह अज़ान सुनते तो जवाब ज़रूर देते थे।
🤲🏻 ⚘ अल्लाहु रब्बुल इज़्ज़त अज़्ज़वजल की उन पर रहमत हो और उन के सदके हमारी मग़फ़िरत हो।...✍🏻 *आमीन*
*गु-नहे गदा का हिसाब क्या वोह अगर्चे लाख से हैं सिवा*
मगर ऐ अफू तेरे अफ़्व का तो हिसाब है न शुमार है।
मगर ऐ अफू तेरे अफ़्व का तो हिसाब है न शुमार है।
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 77-78 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 71
••──────────────────────••►
❝ जवाबे अज़ान का तरीक़ा ❞
••──────────────────────••►
*⇩ अज़ान का जवाब इस तरह दीजिये ⇩*
╭┈► मुअज़्जिन साहिब को चाहिये कि अज़ान के कलिमात ठहर ठहर कर कहें। اَللّٰهُ اَکْبَر اَللّٰهُ اَکْبَر दोनों मिल कर (बिगैर सक्ता किये एक साथ पढ़ने के ए"तिबार से) एक कलिमा हैं दोनों के बा'द सक्ता करे (या'नी चुप हो जाए) और सक्ते की मिक्दार येह है कि जवाब देने वाला जवाब दे ले जवाब देने वाली इस्लामी बहन को चाहिये कि जब मुअज्जिन साहिब اَللّٰهُ اَکْبَر اَللّٰهُ اَکْبَر कह कर सक्ता करें यानी खामोश हों उस वक़्त اَللّٰهُ اَکْبَر اَللّٰهُ اَکْبَر कहे। इसी तरह दीगर कलिमात का जवाब दे। जब मुअज्निन पहली बार اَشْھَدُ اَنَّ مُحَمَّدًارَّسُوْلُ اللّٰه कहे तो येह कहे
صلَّی اللّٰهُ عَلَیکَ یا رَسُولَ اللّٰه
╭┈► तरजमा : आप पर दुरूद हो या रसूलल्लाह ﷺ
╭┈► जब दोबारा कहे तो येह कहे :-
قُرَّۃُ عَیْنِیْ بِکَ یا رَسُوْلَ اللّٰه
या रसूलल्लाह! आप से मेरी आंखों की ठन्डक है।
╭┈► और हर बार अंगूठों के नाखुन आंखों से लगा ले आखिर में कहें اَلّٰلھُمَّ مَتِّعْنِیْ بِالسَّّمْعِ وَالْبَصَر ऐ अल्लाह ! मेरी सुनने और देखने की कुव्वत से मुझे नफ्अ अता फ़रमा।
╭┈► जो ऐसा करे सरकारे मदीना ﷺ उसे अपने पीछे पीछे जन्नत में ले जाएंगे। حَیَّ عَلَی اصَّلوٰۃ और حَیَّ عَلَی الْفَلَاح के जवाब में (चारों बार) لَاحَوْلَ ولَا قُوَّۃَ اِلَّا بِاللّٰه कहे और बेहतर येह है कि दोनों कहे (या'नी मुअज्जिन ने जो कहा वोह भी कहे और लाहौल भी) बल्कि मजीद येह भी मिला ले :-
مَاشَآءَ اللّٰهُ کَانَ وَمَالَمْ یَشَأْ لَمْ یَکُن
╭┈► तरजमा : अल्लाह अज़्ज़वजल ने जो चाहा हुवा, जो नहीं चाहा नहीं हुवा।
اَلصَّلٰوۃُ خَیْرُٗ مِّنَ النَّوْم
के जवाब में कहे :-
صَدَقْتَ وَبَرِرْتَ وَبِالْحَقِّ نَطَقْتَ
╭┈► तरजमा : तू सच्चा और नेकूकार है और तूने हक कहा है।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 79-80 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 72
••──────────────────────••►
❝ जवाबे अज़ान का तरीक़ा ❞
••──────────────────────••►
*⇩ "अज़ाने बिलाल" के आठ हुरूफ़ की निस्बत से जवाबे अज़ान के 8 म-दनी फूल ⇩*
╭┈► 1) अज़ाने नमाज़ के इलावा दीगर अज़ानों का जवाब भी दिया जाएगा म-सलन बच्चा पैदा होते वक़्त की अज़ान।
╭┈► 2) अज़ान सुनने वाले के लिये अज़ान का जवाब देने का हुक्म है।
╭┈► 3) जुनुब (या'नी जिसे जिमा या एह़तिलाम की वजह से गुस्ल की हाजत हो) भी अज़ान का जवाब दे। अलबत्ता हैज व निफास वाली औरत, जिमाअ में मश्गूल या जो क़जाए हाजत में हों उन पर जवाब नहीं।
╭┈► 4) जब अज़ान हो तो उतनी देर के लिये सलाम व कलाम और जवाबे सलाम और तमाम काम मौकूफ़ कर दीजिये यहां तक कि तिलावत भी, अज़ान को गौर से सुनिये और जवाब दीजिये।
╭┈► 5) अज़ान के दौरान चलना, फिरना, बरतन, गिलास वगैरा कोई सी चीज़ उठाना, खाना वरगैरा रखना, छोटे बच्चों से खेलना, इशारों में गुफ्त-गू करना वगैरा सब कुछ मौकूफ़ कर देना ही मुनासिब है।
╭┈► 6) जो अज़ान अके वक़्त बातों में मश्गूल रहे उस पर मा'अज़ अल्लाह खातिमा बुरा होने का खौफ़ है।
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 3 सफ़ह 41 मक-त-बतुल मदीना
╭┈► 7) अगर चन्द अज़ानें सुने तो इस पर पहली ही का जवाब है और बेहतर येह है कि सब का जवाब दे।
╭┈► 8) अगर ब वक़्ते अज़ान जवाब न दिया तो अगर ज़ियादा देर न गुज़री हो तो जवाब दे ले।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 80-81 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 73
••──────────────────────••►
❝ नमाज़ का तरीक़ा ❞
••──────────────────────••►
╭┈► इस्लामी बहनो ! क़ुरआनो हदीस में नमाज़ पढ़ने के बे शुमार फ़ज़ाइल और न पढ़ने की सख़्त सज़ाएं वारिद हैं, चुनान्चे पारह 28 सू-रतुल मुनाफ़िकून की आयत नम्बर 9 में इर्शादे रब्बानी है
╭┈► तर-ज-मए कन्ज़ुल ईमान : ऐ ईमान वालो ! तुम्हारे माल न तुम्हारी औलाद कोई चीज़ तुम्हें अल्लाह के ज़िक्र से गाफिल न करे और जो ऐसा करे तो वोही लोग नुक़सान में हैं।
╭┈► हज़रते सय्यिदुना इमाम मुहम्मद बिन अहमद ज़-हबी अलैहि रहमतुल्लाहिल-क़ावी नक्ल करते हैं, मुफ़स्सिरीने किराम फ़रमाते हैं कि इस आयते मुबा-रका में अल्लाह तआला के ज़िक्र से पांच नमाज़ें मुराद हैं, पस जो शख़्स अपने माल या'नी खरीदो फरोख़्त, मईशत व रोज़गार, साजो सामान और औलाद में मसरूफ़ रहे और वक़्त पर नमाज़ न पढ़े वोह नुक्सान उठाने वालों में से है।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 82-83 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 74
••──────────────────────••►
❝ नमाज़ का तरीक़ा ❞
••──────────────────────••►
*⇩ कियामत का सब से पहला सुवाल ⇩*
╭┈► सरकारे मदीना, सुल्ताने वा क़रीना, क़रारे क़ल्बो सीना, फैज़ गन्जीना ﷺ का इर्शादे हकीक़त बुन्याद है, क़यामत के दिन बन्दे के आ'माल में सब से पहले नमाज़ का सुवाल होगा। अगर वोह दुरुस्त हुई तो उस ने कामयाबी पाई और अगर उस में कमी हुई तो वोह रुस्वा हुवा और उस ने नुक्सान उठाया।
*⇩ नमाज़ी के लिये नूर ⇩*
╭┈► सरकारे दो आलम, नूरे मुजस्सम, शाहे बनी आदम, रसूले मुहतशम ﷺ का इरशाद मुअज्जम है जो शख़्स नमाज़ की हिफ़ाज़त करे, उस के लिये नमाज़ कियामत के दिन नूर, दलील और नजा़त होगी और जो इस की हिफाज़त न करे, उस के लिये बरोज़े कियामत न नूर होगा और न दलील और न ही नजात। और वोह शख़्स कियामत के दिन फ़िरऔन, कारून, हामान और उबय बिन खुलफ़ के साथ होगा।।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 83-84 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 75
••──────────────────────••►
❝नमाज़ का तरीक़ा ❞
••──────────────────────••►
*⇩ कौन किस के साथ उठेगा ⇩*
╭┈► इस्लामी बहनो ! हज़रते सय्यिदुना इमाम मुहम्मद बिन अहमद ज -हबी रहमतुल्लाहि तआला अलैह नकल करते हैं, बाज़ उ-लमाए किराम रहिमाहुमुल्लाहु अल्लाहुस्सलाम फ़रमाते हैं कि बे नमाज़ी को इन चार (फ़िरऔन, का़रून, हामान, और उबय बिन खलफ़) के साथ इस लिये उठाया जाएगा कि लोग उमूमन दौलत, हुकूमत, वज़ारत और तिजारत की वजह से नमाज़ को तर्क करते हैं। जो हुकूमत की मश्गूलिय्यत के सबब नमाज़ नहीं पढ़ेगा उस का हश्र (यानी उठाया जाना) फ़िरऔन के साथ होगा जो ! दौलत के बाइस नमाज़ तर्क करेगा तो उस का कारून के साथ हश्र। होगा , अगर तर्के नमाज़ का सबब वज़ारत होगी तो फ़िरऔन के वज़ीर हामान के साथ हश्र होगा और अगर तिजारत की मस्रूफ़िय्यत की वजह से नमाज़ छोड़ेगा तो उस को मक्कए मुकर्रमा के बहुत बड़े काफ़िर ताजिर उबय बिन खलफ़ के साथ बरोजे क़ियामत उठाया जाएगा।...✍🏻
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 76
••──────────────────────••►
❝ नमाज़ का तरीक़ा ❞
••──────────────────────••►
*⇩ शदीद ज़ख्मी हालत में नमाज़ ⇩*
╭┈► जब हज़रते सय्यिदुना उमर फ़ारूके आज़म रादिअल्लाहु तआला अन्हु पर कातिलाना हम्ला हुवा तो अर्ज की गई, ऐ अमीरुल मुअमिनीन नमाज़ (का वक़्त है) फ़रमाया जी हां, सुनिये! जो शख़्स नमाज़ को! जाएअ करता है उस का इस्लाम में कोई हिस्सा नहीं। और हज़रते सय्यिदुना उमर फ़ारूक़ रादिअल्लाहु तआला अन्हु ने शदीद ज़ख़्मी होने के बा-वुजूद नमाज़ अदा फ़रमाई।...✍🏻
📕 ऐज़न सफ़ह 22
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 85 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 77
••──────────────────────••►
❝ नमाज़ का तरीक़ा ❞
••──────────────────────••►
*⇩ हज़ारों साल अज़ाबे नार का हकदार ⇩*
╭┈► मेरे आका आला हज़रत इमामे अहले सुन्नत, मौलाना शाह इमाम अहमद रज़ा खान अलैहि रहमतुर्रहमान फ़तावा रज़विय्या जिल्द 9 सफ़हा 158 ता 159 पर फ़रमाते हैं ईमान व तस्हीहे अक़ाइद के बाद जुम्ला हुकूकुल्लाह में सब से अहम व आ'ज़म नमाज़ है। जुमुआ ब ईदैन या बिला पाबन्दी पन्जगाना पढ़ना हरगिज़ नजात का जिम्मादार नहीं। जिस ने कस्दन एक वक़्त की छोड़ी हज़ारों बरस जहन्नम में रहने का मुस्तहिक हुवा, जब तक तौबा न करे और उस की क़ज़ा न कर ले मुसलमान अगर उस की ज़िन्दगी में उसे यक लख़्त (या'नी बिल्कुल) छोड़ दें उस से बात न करें, उस के पास न बैठें, तो जुरूर वोह इस का सजावार है।
╭┈► अल्लाह इर्शाद फ़रमाता है
तर-ज-मए क़न्ज़ुल ईमान : और जो कहीं तुझे शैतान भुलावे तो याद आए पर जालिमों के पास न बैठ।...✍🏻
तर-ज-मए क़न्ज़ुल ईमान : और जो कहीं तुझे शैतान भुलावे तो याद आए पर जालिमों के पास न बैठ।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 85-86 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 78
••──────────────────────••►
❝ नमाज़ का तरीक़ा ❞
••──────────────────────••►
*⇩ नमाज़ पर नूर या तारीकी के अस्बाब ⇩*
╭┈► हज़रते सय्यिदुना उबादा बिन सामित रादिअल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है कि नबिय्ये रहमत शफ़ीए उम्मत शहनशाहे नुबुव्वत ताजदारे रिसालत ﷺ का फ़रमाने आलीशान है जो शख़्स अच्छी तरह वुज़ू करे फिर नमाज़ के लिये खड़ा हो इस के रुकूअ सुजूद और किराअत को मुकम्मल करे तो नमाज़ कहती है अल्लाह तआला तेरी हिफ़ाज़त करे जिस तरह तूने मेरी हिफ़ाज़त की फिर उस नमाज़ को आसमान की तरफ़ ले जाया जाता है और उस के लिये चमक और नूर होता है। पस उस के लिये आस्मान के दरवाजे खोले जाते हैं हत्ता कि उसे अल्लाह तआला की बारगाह में पेश किया जाता है और वोह नमाज़ उस नमाजी की शफाअत करती है और अगर वोह इस का रुकूअ सुजूद और क़िराअत मुकम्मल न करे तो नमाज़ कहती है अल्लाह तआला तुझे जाएअ कर दे जिस तरह तूने मुझे जाएअ किया फिर उस नमाज़ को इस तरह आसमान की तरफ़ ले जाया जाता है कि उस पर तारीकी (अंधेरा) छाई होती है और उस पर आसमान के दरवाज़े बन्द कर दिये जाते हैं फिर उस को पुराने कपड़े की तरह लपेट कर उस नमाज़ी के मुंह पर मारा जाता है।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 86 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 79
••──────────────────────••►
❝ नमाज़ का तरीक़ा ❞
••──────────────────────••►
*⇩ बुरे ख़ातिमे का एक सबब ⇩*
╭┈► हज़रते सय्यिदुना इमाम बुख़ारी अलैहि रहमतुल्लाहिल बारी फ़रमाते हैं हज़रते सय्यिदुना हुजैफा बिन यमान रादिअल्लाहु तआला अन्हु ने एक शख़्स को देखा जो नमाज़ पढ़ते हुए रुकूअ और सुजूद पूरे अदा नहीं करता था तो उस से फ़रमाया तुम ने जो नमाज़ पढ़ी अगर इसी नमाज़ की हालत में इन्तिकाल कर जाओ तो हज़रते सय्यिदुना मुहम्मदे मुस्तफ़ा ﷺ के तरीके पर तुम्हारी मौत वाकेअ नहीं होगी। सु-नने नसाई की रिवायत में येह भी है कि आप रादिअल्लाहु तआला अन्हु ने पूछा तुम कब से इस तरह नमाज़ पढ़ रहे हो उस ने कहा चालीस साल से फ़रमाया तुम ने चालीस साल से बिल्कुल नमाज़ ही नहीं पढ़ी और अगर इसी हालत में तुम्हें मौत आ गई तो दीने मुहम्मदी अलैहिस्सलातु वस्सल्लाम पर नहीं मरोगे।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 87 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 80
••──────────────────────••►
❝ नमाज़ का तरीक़ा ❞
••──────────────────────••►
*⇩ नमाज़ का चोर ⇩*
╭┈► हज़रते सय्यिदुना अबू क़तादा रादिअल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है कि सरकारे मदीना, करारे कल्बो सीना, फैज़ गन्जीना, साहिबे मुअत्तर, पसीना ﷺ का फ़रमाने बा करीना है लोगों में बद तरीन चोर वोह है जो अपनी नमाज़ में चोरी करे अर्ज़ की गई या रसूलल्लाह ﷺ नमाज़ में चोरी कैसे होती है ? फ़रमाया : (इस तरह कि) रुकूअ और सज्दे पूरे न करे।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 80 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 81
••──────────────────────••►
❝ नमाज़ का तरीक़ा ❞
••──────────────────────••►
*⇩ चोर की दो किस्में ⇩*
╭┈► मुफ़स्सिरे शहीर हकीमुल उम्मत हज़रते मुफ़्ती अहमद यार खान रहमतुल्लाहि तआला अलैह इस हदीस के तहत फ़रमाते हैं मा'लूम हुवा माल के चोर से नमाज़ का चोर बदतर है क्यूंकि माल का चोर अगर सज़ा भी पाता है तो कुछ न कुछ नफ्अ भी उठा लेता है मगर नमाज़ का चोर सजा पूरी पाएगा इस के लिये नफ़्अ की कोई सूरत नहीं माल का चोर बन्दे का हक़ मारता है जब कि नमाज़ का चोर अल्लाह का हक़, येह हालत उन की है जो नमाज़ को नाक़िस पढ़ते हैं इस से वोह लोग दर्से इब्रत हासिल करें जो सिरे से नमाज़ पढ़ते ही नहीं।
📕 मिरआतुल मनाजीह जिल्द 2 सफ़ह 78
╭┈► *इस्लामी बहनो*! अव्वल तो लोग नमाज़ पढ़ते ही नहीं हैं और जो पढ़ते हैं उन की अक्सरिय्यत सुन्नतें सीखने के जज़्बे की कमी के बाइस आज कल सहीह तरीके से नमाज़ पढ़ने से महरूम रहती है यहां मुख्तसरन नमाज़ पढ़ने का तरीका पेश किया जाता है। बराए मेहबानी बहुत ज़ियादा गौर से पढ़िये और अपनी नमाज़ों की इस्लाह फ़रमाइये।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 88 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 82
••──────────────────────••►
❝ इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी) हिस्सा -01❞
••──────────────────────••►
╭┈► बा वुज़ू क़िब्ला रू इस तरह खड़ी हों कि दोनों पाउं के पन्ज़ों में चार उंगल का फ़ासिला रहे और दोनों हाथ कन्धों तक उठाइये और चादर से बाहर न निकालिये। हाथों की उंग्लियां न मिली हुई हों न खूब: खुली बल्कि अपनी हालत पर (NORMAL) रखिये और हथेलियां क़िब्ले की तरफ़ हों नज़र सज्दे की जगह हो। अब जो नमाज़ पढ़नी है उस की निय्यत या'नी दिल में उस का पक्का इरादा कीजिये साथ ही ज़बान से भी कह लीजिये कि ज़ियादा अच्छा है (म-सलन निय्यत ! की मैंने आज की जोहर की चार रक्अत फ़र्ज़ नमाज़ की) अब तक्बीरे तहरीमा या'नी اَللّٰهُ اَکْبَرُ (या'नी अल्लाह सब से बड़ा है) कहते हुए हाथ नीचे लाइये और उल्टी हथेली सीने पर छाती के नीचे रख कर उस के ऊपर सीधी हथेली रखिये।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 89 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 83
••──────────────────────••►
❝ इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी) हिस्सा -02❞
••──────────────────────••►
╭┈► अब इस तरह सना पढ़िये
سُبْحٰنَکَ اللّٰھُمَّ وَ بِحَمْدِکَ وَ تَبَارَکَ اسْمُکَ وَتَعَلٰی جَدُّکَ وَلَآ اِلٰهَ غَیُرُکَ
पाक है तू ऐ अल्लाह - और मैं ! तेरी हम्द करता (करती) हूं, तेरा नाम बरकत वाला है और तेरी अजमत बुलन्द है और तेरे सिवा कोई माबूद नहीं।
╭┈► फिर तअव्वुज़ पढ़िये
اَعُوْذُ بِاللّٰهِ مِنَ الشَّیْطٰنِ الرَّجِیْم
मैं अल्लाह तआला की पनाह में आता (आती) हूं शैतान मरदूद से
╭┈► फिर तस्मिया पढ़िये
بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ
अल्लाह अज़्ज़वजल के नाम से शुरूअ जो बहुत महरबान रहमत वाला।
╭┈► फिर मुकम्मल सूरए फ़ातिहा पढ़िये
الْحَمْدُ لِلَّهِ رَبِّ الْعَالَمِينَ
الرَّحْمَنِ الرَّحِيمِ
مَالِكِ يَوْمِ الدِّينِ
إِيَّاكَ نَعْبُدُ وَإِيَّاكَ نَسْتَعِينُ
اهْدِنَا الصِّرَاطَ الْمُسْتَقِيمَ
صِرَاطَ الَّذِينَ أَنْعَمْتَ عَلَيْهِمْ غَيْرِ الْمَغْضُوبِ عَلَيْهِمْ
وَلَا الضَّالِّينَ
الرَّحْمَنِ الرَّحِيمِ
مَالِكِ يَوْمِ الدِّينِ
إِيَّاكَ نَعْبُدُ وَإِيَّاكَ نَسْتَعِينُ
اهْدِنَا الصِّرَاطَ الْمُسْتَقِيمَ
صِرَاطَ الَّذِينَ أَنْعَمْتَ عَلَيْهِمْ غَيْرِ الْمَغْضُوبِ عَلَيْهِمْ
وَلَا الضَّالِّينَ
तरजमए कन्जुल ईमान : सब खूबियां अल्लाह को जो मालिक सारे जान ! वालों का। बहुत मेहरबान रहमत वाला, रोजे जज़ा का मालिक। हम तुझी को पूजें : और तुझी से मदद चाहें । हम को सीधा रास्ता चला, रास्ता उन का जिन पर तूने एहसान किया, न उन का जिन पर गजब, हुवा और न बहके हुओं का।
╭┈► सूरए फ़ातिहा ख़त्म कर के आहिस्ता से आमीन कहिये। फिर तीन आयात या एक बड़ी आयत जो तीन छोटी आयतों के बराबर हो या कोई सूरत मसलन सूरए इख्लास पढ़िये।
بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ
قُلْ ھُوَاللّٰهُ اَحَدُٗ اَللّٰهُ الصَّمَدُ لَمْ یَلِدْ وَلَمْ یُوْلَدْ وَلَمْ یَکُنْ لَّهٗ کُفُوًااَحَدُٗ
قُلْ ھُوَاللّٰهُ اَحَدُٗ اَللّٰهُ الصَّمَدُ لَمْ یَلِدْ وَلَمْ یُوْلَدْ وَلَمْ یَکُنْ لَّهٗ کُفُوًااَحَدُٗ
तरजमए कन्जुल ईमान : अल्लाह अज़्ज़वजल के नाम से शुरूअ जो बहुत मेहरबान रहमत वाला। तुम फ़रमाओ वोह अल्लाह ! है वोह एक है। अल्लाह बे नियाज़ है। न उस की कोई औलाद और न वोह किसी से पैदा हुवा। और न उस के जोड़ का कोई।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 89-90 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 84
••──────────────────────••►
❝इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी) हिस्सा -03 ❞
••──────────────────────••►
╭┈► अब اَللّٰهُ اَکْبَرُ कहते हुए रुकूअ में जाइये। रुकूअ में थोड़ा झुकिये यानी इतना कि घुटनों पर हाथ रख दें जोर न दीजिये और घुटनों को न पकड़िये और उंग्लियां मिली हुई और पाउं झुके हुए रखिये मर्दो की तरह खूब सीधे मत कीजिये।
╭┈► कम अज़ कम तीन बार रुकूअ की तस्बीह यानी سُبْحٰنَ رَبِّیَ الْعَظِیْمِ (यानी पाक है मेरा अजमत वाला परवर्द गार) कहिये। फिर तस्मीअ यानी سَمِعَ اللّٰهُ لِمَنْ حَمِدَہٗ (यानी अल्लाह अज़्ज़वजल ने उस की सुन ली जिस ने उस की तारीफ़ की) कहते हुए बिल्कुल सीधी खड़ी हो जाइये, इस खड़े होने को क़ौमा कहते हैं। इस के बाद कहिये اَللّٰھُمَّ رَبَّنَا وَلَکَ الْحَمْدُ (ऐ अल्लाह ! ऐ हमारे परवर्द गार ! सब खुबियां तेरे ही लिये हैं) फिर اَللّٰهُ اَکْبَرُ कहते हुए इस तरह सज्दे में जाइये कि पहले घुटने ज़मीन पर रखिये फिर हाथ फिर दोनों हाथों के बीच में इस तरह सर रखिये कि पहले नाक फिर पेशानी और येह ख़ास ख़याल रखिये कि नाक की सिर्फ नोक नहीं बल्कि हड्डी लगे और पेशानी ज़मीन पर जम जाए नज़र नाक पर रहे सज्दा सिमट कर कीजिये यानी बाजू करवटों से पेट रान से, रान पिंडलियों से और पिंडलियां जमीन से मिला दीजिये और दोनों पाउं सीधी तरफ़ निकाल दीजिये।
╭┈► अब कम अज़ कम तीन बार सज्दे की तस्बीह यानी سُبْحٰنَ ربِّیَ الْاَعْلٰی (पाक है! मेरा परवर्द गार सब से बुलन्द) पढ़िये फिर सर इस तरह उठाइये कि पहले पेशानी फिर नाक फिर हाथ उठे। दोनों पाउं सीधी तरफ़ निकाल दीजिये और उल्टी सुरीन पर बैठिये और सीधा हाथ सीधी रान के बीच में और उल्टा हाथ उल्टी रान के बीच में रखिये। दोनों सज्दों के दरमियान बैठने को जल्सा कहते हैं। फिर कम अज़ कम एक बार سُبْحٰنَ اللَّه कहने की मिक्दार ठहरिये (इस वक्फे में اَللّٰھُمَّ اغْفِرْلِی यानी ऐ अल्लाह अज़्ज़वजल मेरी मग्फ़िरत फ़रमा कह लेना मुस्तहब है) फिर اَللّٰهُ اَکْبَرُ कहते हुए पहले सज्दे ही की तरह दूसरा सज्दा कीजिये। अब उसी तरह पहले सर उठाइये फिर हाथों को घुटनों पर रख कर पन्जों के बल खड़ी हो जाइये। उठते वक़्त बिगैर मजबूरी ज़मीन पर हाथ से टेक मत लगाइये। येह आप की एक रक्अत पूरी हुई।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 91-92 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 85
••──────────────────────••►
❝ इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी) हिस्सा -04❞
••──────────────────────••►
╭┈► अब दूसरी रक्अत में بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ पढ़ कर अल हम्द और सूरह पढ़िये और पहले की तरह रुकूअ और सज्दे कीजिये दूसरे सज्दे से सर उठाने के बाद दोनों! पाउं सीधी तरफ़ निकाल दीजिये और उल्टी सुरीन पर बैठिये और सीधा हाथ सीधी रान के बीच में और उल्टा हाथ उल्टी रान के बीच में रखिये। दो रक्अत के दूसरे सज्दे के बाद बैठना क़ादह कहलाता है। अब क़ादह में तशह्हुद पढ़िये
اَتَّحِیَّاتُ لِلّٰهِ وَالصَّلَوٰتُ وَالطَّیِّبٰتُ اَلسَّلَامُ عَلَیْکَ اَیُّھَاالنَّبِیُّ وَرَحْمَۃُاللّٰهِ وَبَرَکَاتُهٗ
اَلسَّلَامُ عَلَیْنَا وَعَلٰی عِبَادِاللّٰهِ الصّٰلِحِیْنَ
اَشْھَدُ اَنْ لَّآاِلٰهَ اِلَّااللّٰهُ وَاَشْھَدُ اَنَّ مُحَمَّدً اعَبْدُہٗ وَرَسُوْلُه
اَلسَّلَامُ عَلَیْنَا وَعَلٰی عِبَادِاللّٰهِ الصّٰلِحِیْنَ
اَشْھَدُ اَنْ لَّآاِلٰهَ اِلَّااللّٰهُ وَاَشْھَدُ اَنَّ مُحَمَّدً اعَبْدُہٗ وَرَسُوْلُه
╭┈► तमाम कौली, फे'ली और माली इबादतें अल्लाह ही के लिये हैं। सलाम हो आप पर ऐ नबी और अल्लाह अज़्ज़वजल की रहमतें और बरकतें। सलाम हो हम पर और अल्लाह अज़्ज़वजल के नेक बन्दों पर। मैं गवाही देता (देती) हूं कि अल्लाह अज़्ज़वजल के सिवा कोई मा'बूद नहीं और मैं गवाही देता (देती) हूं मुहम्मद ﷺ उस के बन्दे और रसूल हैं।
╭┈► जब तशह्हुद में लफ्ज़ لا के करीब पहुंचे तो सीधे हाथ की बीच की उंगली और अंगूठे का हल्का बना लीजिये और छुंग्लिया (या'नी छोटी उंगली) और बिन्सर यानी उस के बराबर वाली उंगली को हथेली से मिला दीजिये और (اَشْھَدُ اَلْ के फौरन बा'द) लफ्जे لا कहते ही कलिमे की उंगली उठाइये मगर उस को इधर उधर मत हिलाइये और लफ्ज़े اِلَّا पर गिरा दीजिये और फौरन सब उंग्लियां सीधी कर लीजिये। अब अगर दो से ज़ियादा रक्अतें पढ़नी हैं तो اَللّٰهُ اَکْبَرُ कहती हुई खड़ी हो जाइये। अगर फ़र्ज़ नमाज़ पढ़ रही हैं तो तीसरी और चौथी रक्अत के कियाम में بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ और अल-हम्द शरीफ़ पढ़िये, सूरत मिलाने की ज़रूरत नहीं। बाकी अफ़आल इसी तरह बजा लाइये और अगर सुन्नत व नफ्ल हों तो सूरए फातिहा के बा'द सूरत भी मिलाइये!...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 92-93 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 86
••──────────────────────••►
❝ इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी) हिस्सा -05❞
••──────────────────────••►
╭┈► फिर चार रक्अतें पूरी कर के क़ादए अखीरह में तशह्हुद के बा'द दुरूदे इब्राहीम عَلَیْهِ الصَّلوٰۃُ وَالسَّلَام पढ़िये :
اَللّٰھُمَّ صَلِّ عَلٰی مُحَمَّدٍ وَّ عَلٰی اَلِ مُحَمَّدٍ کَمَا صَلَّیْتَ عَلٰی اِبْرَاھِیْمَ وَ عَلٰی اٰلِ اِبْرَاھِیْمَ اِنَّاكَ حَمِیْدُٗ مَّجِیْدُٗ
╭┈► ऐ अल्लाह अज़्ज़वजल दुरूद भेज (हमारे सरदार) मुहम्मद पर और उन की आल पर जिस तरह तूने दुरूद भेजा (सय्यिदुना) इब्राहीम पर और उन की आल पर बेशक तू सराहा हुवा बुजुर्ग है
اَللّٰھُمَّ بَارِكْ عَلٰی مُحَمَّدٍ وَّ عَلٰی اَلِ مُحَمَّدٍ کَمَا بَارَکْتَ عَلٰی اِبْرَاھِیْمَ وَ عَلٰی اٰلِ اِبْرَاھِیْمَ اِنَّاكَ حَمِیْدُٗ مَّجِیْدُٗ
╭┈► ऐ अल्लाह अज़्ज़वजल बरकत नाज़िल कर। (हमारे सरदार) मुहम्मद पर और उन की ! आल पर जिस तरह तूने बरकत नाज़िल की (सय्यिदुना) इब्राहीम और उन की आल पर बेशक तू सराहा हुवा बुज़ुर्ग है।
╭┈► फिर कोई सी दुआए मासूरा (क़ुरआनो हदीस की दुआ को दुआए मासूरा कहते हैं) पढ़िये मसलन येह दुआ पढ़ लीजिये
(اَللّٰھُمَّ) رَبَّنَآ اٰتِنَا فِی الدُّنْیَا حَسَنَۃً وَّ فِی الْاٰخِرَۃِ حَسَنَۃً وَّ قِنَا عَذَابَ النَّارِ پارہ:۲ البقرۃ: ۲۰۱
╭┈► (ऐ अल्लाह अज़्ज़वजल) *तरजमए क़न्जुल ईमान :* ऐ रब हमारे हमें दुन्या में भलाई दे और हमें आख़िरत में भलाई दे और हमें अज़ाबे दोज़ख से बचा।
╭┈► फिर नमाज़ ख़त्म करने के लिये पहले दाएं (सीधे) कन्धे की तरफ़ मुंह कर के اَلسَّلاَمُ عَلَیْکُمْ وَرَحمَۃُ اللّٰهِ कहिये और इसी तरह बाएं (उल्टे) तरफ़ अब नमाज़ ख़त्म हुई।
📕 माखज़ अज़ बहारे शरीअत हिस्सा 3 सफ़ह 72,75 वगैरा
*⇩ मुतवज्जेह हों ⇩*
╭┈► इस्लामी बहनो ! दिये हुए इस तरीकए नमाज़ में बाज़ बातें फ़र्ज़ हैं कि इस के बिगैर नमाज़ होगी ही नहीं बाज़ वाजिब कि इस का जानबूझ कर छोड़ना गुनाह और तौबा करना और नमाज़ का फिर से पढ़ना वाजिब और भूल कर छूटने से सज्दए सहव वाजिब और बाज़ सुन्नते मुअक्कदा हैं कि जिस के छोड़ने की आदत बना लेना गुनाह है और बाज़ मुस्तहब हैं कि जिस का करना सवाब और न करना गुनाह नहीं।...✍🏻
📔 ऐजन सफ़ह 75
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 94-95 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 87
••──────────────────────••►
❝ इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी) हिस्सा -06 ❞
••──────────────────────••►
*⇩ "या अल्लाह" के छ हुरूफ़ की निस्बत से नमाज़ की 6 शराइत ⇩*
╭┈► *1) तहारत :* नमाज़ी का बदन लिबास और जिस जगह नमाज़ पढ़ रही है उस जगह का हर किस्म की नजासत से पाक होना ज़रूरी है।
╭┈► *1) तहारत :* नमाज़ी का बदन लिबास और जिस जगह नमाज़ पढ़ रही है उस जगह का हर किस्म की नजासत से पाक होना ज़रूरी है।
╭┈► *2) सित्रे औरत :* इस्लामी बहन के लिये इन पांच आज़ा : मुंह की टिक्ली दोनों हथेलियां और दोनों पाउं के तल्वों के इलावा सारा जिस्म छुपाना लाज़िमी है अलबत्ता अगर दोनों हाथ (गिट्टों तक), पाउं (टख्नों तक) मुकम्मल ज़ाहिर हों तो एक मुफ्ता बिही कौल पर नमाज़ दुरुस्त है
╭┈► अगर ऐसा बारीक कपड़ा पहना जिस से बदन का वोह हिस्सा जिस का नमाज़ में छुपाना फ़र्ज़ है नज़र आए या जिल्द (यानी चमड़ी) का रंग ज़ाहिर हो नमाज़ न होगी।
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 3 सफ़ह 48
╭┈► आज कल बारीक कपड़ों : का रवाज़ बढ़ता जा रहा है ऐसा कपड़ा पहनना जिस से सित्रे औरत न हो सके इलावा नमाज़ के भी हराम है।
📔 बहारे शरीअत हिस्सा 3 सफ़ह 148
╭┈► दबीज़ (यानी मोटा) कपड़ा जिस से बदन का रंग न चमकता हो मगर बदन से ऐसा चिपका हुवा हो कि देखने से उज्व की हैअत (यानी शक्लो सूरत और गोलाई वगैरा) मालूम होती हो ऐसे कपड़े से अगर्चे नमाज़ हो जाएगी मगर उस उज्व की तरफ़ दूसरों को निगाह करना जाइज़ नहीं।
📗 रद्दुल मुख़्तार जिल्द 2 सफ़ह 103
╭┈► ऐसा लिबास लोगों के सामने पहनना मन्अ है और औरतों के लिये बदरजए औला मुमानअत।
📙 बहारे शरीअत हिस्सा 3 सफ़ह 48
╭┈► बाज़ इस्लामी बहनें मलमल वगैरा की बारीक चादर नमाज़ में ओढ़ती हैं जिस से बालों की सियाही (कालक) चमकती है या ऐसा लिबास पहनती हैं जिस से आज़ा का रंग नज़र आता है ऐसे लिबास में भी नमाज़ नहीं होती।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 95-96 📚*
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 88
••──────────────────────••►
❝ इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी) हिस्सा -07 ❞
••──────────────────────••►
*⇩ "या अल्लाह" के छ हुरूफ़ की निस्बत से नमाज़ की 6 शराइत ⇩*
╭┈►*3) इस्तिक्बाले किब्ला :* यानी नमाज़ में किब्ला (काबा) की तरफ मुंह करना। नमाजी़ ने बिला उजे शरई जानबूझ कर क़िब्ले से सीना फेर दिया अगर्चे फ़ौरन ही किब्ले की तरफ़ हो गई नमाज़ फ़ासिद हो गई (यानी टूट गई) और अगर बिला कस्द (यानी बिला इरादा) फिर गई और ब क़दर तीन बार सुब्हान अल्लाह कहने के वक्फे से पहले वापस किब्ला रुख हो गई तो फ़ासिद न हुई। (यानी न टूटी)
╭┈►*3) इस्तिक्बाले किब्ला :* यानी नमाज़ में किब्ला (काबा) की तरफ मुंह करना। नमाजी़ ने बिला उजे शरई जानबूझ कर क़िब्ले से सीना फेर दिया अगर्चे फ़ौरन ही किब्ले की तरफ़ हो गई नमाज़ फ़ासिद हो गई (यानी टूट गई) और अगर बिला कस्द (यानी बिला इरादा) फिर गई और ब क़दर तीन बार सुब्हान अल्लाह कहने के वक्फे से पहले वापस किब्ला रुख हो गई तो फ़ासिद न हुई। (यानी न टूटी)
╭┈► अगर सिर्फ मुंह किब्ले से फिरा तो वाजिब है कि फ़ौरन किब्ले की तरफ मुंह कर ले और नमाज़ न जाएगी मगर बिला उज्र यानी बिगैर मजबूरी के) ऐसा करना मकरुहे तहरीमी है।
╭┈► अगर ऐसी जगह पर हैं जहां किब्ले की शनाख्त (यानी पहचान) का कोई ज़रीआ नहीं है न कोई ऐसा मुसलमान है जिस से पूछ कर मालूम किया जा सके तो तहर्री कीजिये यानी सोचिये और जिधर किब्ला होना दिल पर जमे उधर ही रुख कर लीजिये आप के हक में वोही किब्ला है। तहर्री कर के नमाज़ पढ़ी बाद में मालूम हुवा कि क़िब्ले की तरफ़ नमाज़ नहीं पढ़ी नमाज़ हो गई लौटाने की हाजत नहीं
╭┈► एक इस्लामी बहन तहर्री कर के (सोच कर) नमाज़ पढ़ रही हो दूसरी उस की देखा देखी उसी सम्त नमाज़ पढ़ेगी तो नहीं होगी दूसरी के लिये भी तहर्री करने का हुक्म है।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 96-97 📚*
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 89
••──────────────────────••►
❝ इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी) हिस्सा -08 ❞
••──────────────────────••►
*⇩ "या अल्लाह" के छ हुरूफ़ की निस्बत से नमाज़ की 6 शराइत ⇩*
╭┈► निज़ामुल अवक़ात के नक्शे उमूमन मिल जाते हैं उन में जो मुस्तनद तौकीत दां (यानी वक़्त का इल्म रखने के माहिर) के मुरत्तब कर्दा और उलमाए अहले सुन्नत के मुसद्दका (तस्दीक शुदा) हों उन से नमाज़ों के अवकात मालूम करने में सहूलत रहती है ।
╭┈► इस्लामी बहनों के लिये अव्वल वक़्त में नमाजे फ़ज्र अदा करना मुस्तहब है और बाकी नमाज़ों में बेहतर येह है कि इस्लामी भाइयों की जमाअत का इन्तिज़ार करें जब जमाअत हो चुके फिर पढ़े।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 97-98 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 90
••──────────────────────••►
❝ इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी) हिस्सा -09 ❞
••──────────────────────••►
*⇩ "या अल्लाह" के छ हुरूफ़ की निस्बत से नमाज़ की 6 शराइत ⇩*
╭┈► *तीन अवकाते मक़रूहा :* 1) तुलूए आफ्ताब से ले कर कम अज़ : कम बीस मिनट बाद तक
╭┈► *तीन अवकाते मक़रूहा :* 1) तुलूए आफ्ताब से ले कर कम अज़ : कम बीस मिनट बाद तक
╭┈► 2) गुरूबे आफ्ताब से कम अज़ कम बीस मिनट पहले
╭┈► 3) निस्फुन्नहार यानी जहूवए कुब्रा से ले कर जवाले आफ्ताब तक। इन तीनों अवकात में कोई नमाज़ जाइज नहीं न फ़र्ज न वाजिब न नफ़्ल न क़ज़ा हां अगर इस दिन की नमाजे अस्र नहीं पढ़ी थी और मकरुह वक़्त शुरू हो गया तो पढ़ ले अलबत्ता इतनी ताख़ीर करना हराम है।
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 3 सफ़ह 22
╭┈► *नमाजे अस्र के दौरान मरूह वक़्त आ जाए तो ? :* गुरूबे आफ्ताब से कम से कम 20 मिनट क़ब्ल नमाजे अस्र का सलाम फिर जाना चाहिये जैसा के मेरे आका आला हज़रत इमाम ! अहमद रज़ा खान अलैहि रहमतुर्रहमान फ़रमाते हैं नमाजे़ अस्र में जितनी ताख़ीर हो अफ़ज़ल है जब कि वक़्ते कराहत से पहले पहले ख़त्म हो जाए।
📗 फ़तावा रज़विय्या मुखीजा , जिल्द 5 सफ़ह 156
╭┈► फिर अगर उस ने एहतियात की और नमाज़ में तत्वील की ( यानी तूल दिया) कि वक़्ते कराहत वस्ते (यानी दौराने) नमाज़ में आ गया जब भी इस पर एतिराज़ नहीं।...✍🏻
📙 ऐज़न सफ़ह 139
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 98-99 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 91
••──────────────────────••►
❝ इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी) हिस्सा -10 ❞
••──────────────────────••►
*⇩ "या अल्लाह" के छ हुरूफ़ की निस्बत से नमाज़ की 6 शराइत ⇩*
╭┈► *5) निय्यत :* निय्यत दिल के पक्के इरादे का नाम है। ज़बान से निय्यत करना ज़रूरी नहीं अलबत्ता दिल में निय्यत हाज़िर होते हुए ज़बान से कह लेना बेहतर है। अरबी में कहना भी ज़रूरी नहीं उर्दू वगैरा किसी भी ज़बान में कह सकते हैं। निय्यत में ज़बान से कहने का एतिबार नहीं यानी अगर दिल में मसलन जोहर की निय्यत हो और ज़बान से लफ्जे अस्र निकला तब भी जोहर की नमाज़ हो गई। निय्यत का अदना दरजा येह है कि अगर उस वक़्त कोई पूछे कि कौन सी नमाज़ पढ़ती हो ? तो फ़ौरन बता दे। अगर हालत ऐसी है कि सोच कर बताएगी तो नमाज़ न हुई फ़र्ज़ नमाज में निय्यते फ़र्ज़ भी ज़रूरी है मसलन दिल में येह निय्यत हो कि आज की जोहर की फ़र्ज नमाज़ पढ़ती हूं। असहह ( यानी दुरुस्त तरीन) येह है कि नफ्ल सुन्नत और तरावीह में मुत्लक नमाज़ की निय्यत काफ़ी है।
╭┈► *5) निय्यत :* निय्यत दिल के पक्के इरादे का नाम है। ज़बान से निय्यत करना ज़रूरी नहीं अलबत्ता दिल में निय्यत हाज़िर होते हुए ज़बान से कह लेना बेहतर है। अरबी में कहना भी ज़रूरी नहीं उर्दू वगैरा किसी भी ज़बान में कह सकते हैं। निय्यत में ज़बान से कहने का एतिबार नहीं यानी अगर दिल में मसलन जोहर की निय्यत हो और ज़बान से लफ्जे अस्र निकला तब भी जोहर की नमाज़ हो गई। निय्यत का अदना दरजा येह है कि अगर उस वक़्त कोई पूछे कि कौन सी नमाज़ पढ़ती हो ? तो फ़ौरन बता दे। अगर हालत ऐसी है कि सोच कर बताएगी तो नमाज़ न हुई फ़र्ज़ नमाज में निय्यते फ़र्ज़ भी ज़रूरी है मसलन दिल में येह निय्यत हो कि आज की जोहर की फ़र्ज नमाज़ पढ़ती हूं। असहह ( यानी दुरुस्त तरीन) येह है कि नफ्ल सुन्नत और तरावीह में मुत्लक नमाज़ की निय्यत काफ़ी है।
╭┈► मगर एहतियात येह है के तरावीह में तरावीह या सुन्नते वक़्त की निय्यत करे और बाकी सुन्नतों में सुन्नत या मुस्तफ़ा जाने रहमत ﷺ की मुताबअत (यानी पैरवी) की निय्यत करे इस लिये कि बाज़ मशाइखे किराम राहिमाहुमुल्लाहुस्सलाम इन में मुल्लक नमाज़ , की निय्यत को नाकाफ़ी करार देते हैं। नमाजे़ नफ़्ल में मुत्लक नमाज़ की निय्यत काफ़ी है अगर्चे नफ़्ल निय्यत में न हो। (वयेह निय्यत कि मुंह मेरा किब्ला : शरीफ़ की तरफ़ है शर्त नहीं। वाजिब में वाजिब की निय्यत करना ज़रूरी है और उसे मुअय्यन भी कीजिये मसलन नज्र , नमाजे़ बादे तवाफ़ (वाजिबुत्तवाफ़) या वोह नफ्ल नमाज़ जिस के टूट जाने से या जिस को तोड़ डालने से उस की क़ज़ा वाजिब हो जाती है। सज्दए शुक्र अगर्चे नफ़्ल है मगर उस में भी निय्यत ज़रूरी है मसलन दिल में येह निय्यत हो कि मैं सज्दए शुक्र करती हूं। सज्दए सह्व में भी साहिबे नहरुल फ़ाइक के नज़दीक निय्यत ज़रूरी है। यानी उस वक़्त दिल में येह निय्यत हो कि मैं सज्दए सह्व करती हूं।
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 3 सफ़ह 77
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 99-100 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 92
••──────────────────────••►
❝ इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी) हिस्सा -11 ❞
••──────────────────────••►
*⇩ "बिस्मिल्लाह" के सात हुरूफ़ की निस्बत से नमाज़ के 7 फ़राइज़ ⇩*
╭┈► 1) तक्बीरे तहरीमा
╭┈► 1) तक्बीरे तहरीमा
╭┈► 2) क़ियाम
╭┈► 3) किराअत
╭┈► 4) रुकूअ
╭┈► 5) सुजूद
╭┈► 6) कादए अखीरह
╭┈► 7) खुरूजे बिसुन्इही।
📙 बहारे शरीअत हिस्सा 3 सफ़ह 75
╭┈► *1) तक्बीरे तहरीमा :* दर हकीक़त तक्बीरे तहरीमा (यानी तस्वीरे कला) शराइते नमाज़ में से है मगर नमाज के अफ्आल से बिल्कुल मिली हुई है इस लिये इसे नमाज़ के फराइज़ से भी शुमार किया गया है। जो इस्लामी बहन तक्बीर के तलफ्फुज पर क़ादिर न हो मसलन गूंगी हो या किसी और वजह से ज़बान बन्द हो गई हो उस पर तलफ्फुज लाज़िम नहीं दिल में इरादा काफ़ी है।लफ़्जे अल्लाह को "आल्लाह" या अक्बर ! को "आक्बर" या "अक्बार" कहा नमाज़ न होगी बल्कि अगर इन के मानए फ़ासिदा समझ कर जानबूझ कर कहे तो काफ़िर है।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 100-101 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 93
••──────────────────────••►
❝ इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी) हिस्सा -12 ❞
••──────────────────────••►
*⇩ "बिस्मिल्लाह" के सात हुरूफ़ की निस्बत से नमाज़ के 7 फ़राइज़ ⇩*
╭┈► *2) क़ियाम :* कमी की जानिब क़ियाम की हद येह है कि हाथ बढ़ाए तो घुटनों तक न पहुंचे और पूरा कियाम येह है कि सीधी खड़ी होक हो। कियाम इतनी देर तक है जितनी देर तक किराअत है बकदरे किराअते फ़र्ज़ कियाम भी फ़र्ज बक़दरे वाजिब वाजिब और बक़दरे सुन्नत सुन्नत। फ़र्ज़ वित्र और सुन्नते फ़ज्र में कियाम फ़र्ज़ है। अगर बिला उज्रे सहीह कोई येह नमाजें बैठ कर अदा करेगी तो न होंगी। खड़ी होने से महूज़ कुछ तक्लीफ़ होना उज्र नहीं बल्कि कियाम उस वक़्त साकित। होगा कि खड़ी न हो सके या सज्दा न कर सके या खड़ी होने या सज्दा करने में ज़ख्म बहता है या सित्र खुलता है या किराअत से मजबूरे महज़ हो जाती है। यूंही खड़ी हो सकती है मगर उस से मरज़ में ज़ियादती होती है या देर में अच्छी होगी या ना काबिले बरदाश्त तक्लीफ़ होगी तो बैठ कर पढ़े।
╭┈► *2) क़ियाम :* कमी की जानिब क़ियाम की हद येह है कि हाथ बढ़ाए तो घुटनों तक न पहुंचे और पूरा कियाम येह है कि सीधी खड़ी होक हो। कियाम इतनी देर तक है जितनी देर तक किराअत है बकदरे किराअते फ़र्ज़ कियाम भी फ़र्ज बक़दरे वाजिब वाजिब और बक़दरे सुन्नत सुन्नत। फ़र्ज़ वित्र और सुन्नते फ़ज्र में कियाम फ़र्ज़ है। अगर बिला उज्रे सहीह कोई येह नमाजें बैठ कर अदा करेगी तो न होंगी। खड़ी होने से महूज़ कुछ तक्लीफ़ होना उज्र नहीं बल्कि कियाम उस वक़्त साकित। होगा कि खड़ी न हो सके या सज्दा न कर सके या खड़ी होने या सज्दा करने में ज़ख्म बहता है या सित्र खुलता है या किराअत से मजबूरे महज़ हो जाती है। यूंही खड़ी हो सकती है मगर उस से मरज़ में ज़ियादती होती है या देर में अच्छी होगी या ना काबिले बरदाश्त तक्लीफ़ होगी तो बैठ कर पढ़े।
╭┈► अगर असा (या बैसाखी) खादिमा ! या दीवार पर टेक लगा कर खड़ी होना मुम्किन है तो फ़र्ज़ है कि खड़ी हो कर पढ़े। अगर सिर्फ़ इतना खड़ा होना मुम्किन है कि खड़े खड़े तक्बीरे तहरीमा कह लेगी तो फ़र्ज़ है कि खड़ी हो कर कह ले और अब खड़े रहना मुम्किन नहीं तो बैठ जाए। खबरदार ! बाज़ इस्लामी बहनें मामूली सी तक्लीफ़ (या ज़ख्म) की वजह से फ़र्ज़ नमाजें बैठ कर पढ़ती हैं वोह इस हुक्मे ! शरई पर गौर फरमाएं जितनी नमाज़ें कुदरते क़ियाम के बा वुजूद बैठ कर अदा की हों उन को लौटाना फ़र्ज़ है। इसी तरह वैसे ही खड़ी न रह सकती थीं मगर असा या दीवार या ख़ादिमा के सहारे खड़ी होना मुम्किन था मगर बैठ कर पढ़ती रहीं तो उन की भी नमाजें न हुईं उन का लौटाना फ़र्ज़ है।
📕 मुलख्खस अज़ बहारे शरीअत हिस्सा 3 सफ़ह 79
╭┈► खड़े हो कर पढ़ने की कुदरत हो जब भी बैठ कर नफ़्ल पढ़ सकते हैं मगर खड़े हो कर पढ़ना अफ्ज़ल है कि हज़रते सय्यिदुना अब्दुल्लाह बिन अम्र रादिअल्लाहु तआला अन्हु से मरवी है रहमते आलम नूरे मुजस्सम शाहे बनी आदम , रसूले मुहूतशम ﷺ ने इर्शाद फ़रमाया बैठ कर पढ़ने वाले की नमाज़ खड़े हो कर पढ़ने वाले की निस्फ़ (यानी आधा सवाब) है। और उज्र (मजबूरी) की वजह से बैठ कर पढ़े तो सवाब में कमी न होगी। येह जो आज कल आम रवाज पड़ गया है कि नफ़्ल बैठ कर पढ़ा करते हैं ब ज़ाहिर येह मालूम होता है कि शायद बैठ कर पढ़ने को अफ़्ज़ल समझते हैं ऐसा है तो उन का ख़याल गलत है। वित्र के बाद जो दो रक्अत नफ़्ल पढ़ते हैं उन का भी येही हुक्म है कि खड़े हो कर पढ़ना अफ़्ज़ल है।...✍🏻
📙 बहारे शरीअत हिस्सा 4 सफ़ह 19
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 101-103 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 94
••──────────────────────••►
❝ इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी) हिस्सा -13 ❞
••──────────────────────••►
*⇩ "बिस्मिल्लाह" के सात हुरूफ़ की निस्बत से नमाज़ के 7 फ़राइज़ ⇩*
╭┈► *3) किराअत :* किराअत इस का नाम है कि तमाम हुरूफ़ मख़ारिज से अदा किये जाएं कि हर हर्फ़ गैर से सहीह तौर पर मुम्ताज ! (नुमायां) हो जाए। आहिस्ता पढ़ने में भी येही ज़रूरी है कि खुद सुन ले।अगर हरूफ़ तो सहीह अदा किये मगर इतने आहिस्ता कि खुद न सुना और कोई रुकावट मसलन शोरो गुल या सिक्ले समाअत (यानी बहरा पन या ऊंचा सुनने का मरजी) भी, नहीं तो नमाज़ न हुई। अगर्चे खुद सुनना ज़रूरी है मगर येह भी एहतियात रहे कि सिरी (यानी आहिस्ता किराअत वाली) नमाजों में किराअत की आवाज़ दूसरों तक न पहुंचे, इसी तरह तस्बीहात वगैरा में भी ख़याल रखिये नमाज़ के इलावा भी जहां कुछ कहना या पढ़ना मुकर्रर किया है इस से भी येही मुराद है कि कम अज़ कम इतनी आवाज़ हो कि खुद सुन सके!
╭┈► *3) किराअत :* किराअत इस का नाम है कि तमाम हुरूफ़ मख़ारिज से अदा किये जाएं कि हर हर्फ़ गैर से सहीह तौर पर मुम्ताज ! (नुमायां) हो जाए। आहिस्ता पढ़ने में भी येही ज़रूरी है कि खुद सुन ले।अगर हरूफ़ तो सहीह अदा किये मगर इतने आहिस्ता कि खुद न सुना और कोई रुकावट मसलन शोरो गुल या सिक्ले समाअत (यानी बहरा पन या ऊंचा सुनने का मरजी) भी, नहीं तो नमाज़ न हुई। अगर्चे खुद सुनना ज़रूरी है मगर येह भी एहतियात रहे कि सिरी (यानी आहिस्ता किराअत वाली) नमाजों में किराअत की आवाज़ दूसरों तक न पहुंचे, इसी तरह तस्बीहात वगैरा में भी ख़याल रखिये नमाज़ के इलावा भी जहां कुछ कहना या पढ़ना मुकर्रर किया है इस से भी येही मुराद है कि कम अज़ कम इतनी आवाज़ हो कि खुद सुन सके!
╭┈► मसलन जानवर जब्ह करने के लिये अल्लाह अज़्ज़वजल का नाम लेने में इतनी आवाज़ ज़रूरी है कि खुद सुन सके। (दुरूद शरीफ़ वग़ैरा अवराद पढ़ते हुए भी कम अज़ कम इतनी आवाज़ होनी चाहिये कि खुद सुन सके जभी पढ़ना कहलाएगा। मुत्लकन एक आयत पढ़ना फ़र्ज़ की दो रक्अतों में और वित्र, सुनन और नवाफ़िल की हर रक्अत में इमाम व मुन्फरिद (यानी तन्हा नमाज़ पढ़ने वाले) पर फ़र्ज़ है। फ़र्ज़ की किसी रक्अत में किराअत न की या फ़क़त एक में की नमाज़ फ़ासिद हो गई। फ़र्ज़ो में ठहर ठहर कर किराअत करे और तरावीह में मुतवस्सित (यानी दरमियाना) अन्दाज़ पर और रात के नवाफ़िल में जल्द पढ़ने की इजाज़त है मगर ऐसा पढ़े कि समझ में आ सके यानी कम से कम मद का जो दरजा कारियों ने रखा है उस को अदा करे वरना हराम है, इस लिये कि तरतील से (यानी ठहर ठहर कर) क़ुरआन पढ़ने का हुक्म है।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 103-104 📚*
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 95
••──────────────────────••►
❝ इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी) हिस्सा -14 ❞
••──────────────────────••►
*⇩ "बिस्मिल्लाह" के सात हुरूफ़ की निस्बत से नमाज़ के 7 फ़राइज़ ⇩*
*⇩ ⚘ हुरूफ की सहीह अदाएगी ज़रूरी है ⚘⇩*
*⇩ ⚘ हुरूफ की सहीह अदाएगी ज़रूरी है ⚘⇩*
╭┈► अक्सर लोग " ط ت' س ص ث ' اء ع' ہ ح और ض ذ ظ " में कोई फ़र्क नहीं करते। याद रखिये ! हरूफ़ बदल जाने से अगर माना फ़ासिद हो! गए तो नमाज़ न होगी।
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 3 सफ़ह 125
╭┈► मसलन जिस ने " سُبْحٰنَ رَبِّیَ الْعَظِیْمِ " में को " عظیم " (ظ के बजाए ز) पढ़ दिया नमाज़ जाती रही लिहाज़ा जिस से " عظیم " सहीह अदा ! न हो वोह " سُبْحٰنَ رَبِّیَ الْکَرِیْم " पढ़े।
📙 कानूने शरीअत हिस्सए अव्वल सफ़ह 105
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 104-105 📚*
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 96
••──────────────────────••►
❝ इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी) हिस्सा -15 ❞
••──────────────────────••►
*⇩ "बिस्मिल्लाह" के सात हुरूफ़ की निस्बत से नमाज़ के 7 फ़राइज़ ⇩*
*⚘ ख़बरदार❗ख़बरदार ❗ख़बरदार ⚘*
*⚘ ख़बरदार❗ख़बरदार ❗ख़बरदार ⚘*
╭┈► जिस से हुरूफ़ सहीह अदा नहीं होते उस के लिये थोड़ी देर मश्क कर लेना काफ़ी नहीं बल्कि लाज़िम है कि इन्हें सीखने के लिये रात दिन पूरी कोशिश करे और वोह आयतें पढ़े जिस के ! हुरूफ सहीह अदा कर सकती हो। और येह सूरत ना मुम्किन हो तो ज़मानए कोशिश में उस की नमाज़ हो जाएगी। आज कल काफ़ी लोग इस मरज़ में मुब्तला हैं कि न उन्हें कुरआन सहीह पढ़ना आता है न सीखने की कोशिश करते हैं। याद रखिये ! इस तरह नमाजें बरबाद होती हैं।
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 3 सफ़ह 138-139 मुलख्खसन
╭┈► जिस ने रात दिन कोशिश की मगर सीखने में नाकाम रही जैसे बाज़ ! इस्लामी बहनों से सहीह हुरूफ़ अदा होते ही नहीं उस के लिये लाज़िमी ! है कि रात दिन सीखने की कोशिश करे और जमानए कोशिश में वोह माजूर है इस की नमाज़ हो जाएगी!
📙 माखूज अज़ फतावा रज़विय्या जिल्द 6 सफ़ह 254
╭┈► आप ने किराअत की अहम्मिय्यत का बखूबी अन्दाज़ा लगा लिया होगा वाकेई वोह मुसलमान बड़े बद नसीब हैं जो दुरुस्त कुरआन शरीफ़ पढ़ना नहीं सीखते। काश ! तालीमे क़ुरआन की घर घर धूम पड़ जाए काश ! हर वोह इस्लामी बहन जो सहीह क़ुरआन शरीफ़ पढ़ना जानती है वोह दूसरी ! इस्लामी बहन को सिखाना शुरू कर दे। इंशाअल्लाह फिर तो हर तरफ़ तालीमे क़ुरआन की बहार आ जाएगी और सीखने सिखाने ! वालों के लिये इंशाअल्लाह सवाब का अम्बार लग जाएगा।...✍🏻
*येही है आरजू तालीमे कुरआं आम हो जाए*
तिवालत शौक से करना हमारा काम हो जाए
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 105-106 📚*
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 97
••──────────────────────••►
❝ इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी) हिस्सा -16 ❞
••──────────────────────••►
*⇩ "बिस्मिल्लाह" के सात हुरूफ़ की निस्बत से नमाज़ के 7 फ़राइज़ ⇩*
╭┈► *4) रुकूअ :* रुकूअ में थोड़ा झुकिये यानी इतना कि घुटनों पर हाथ रख दीजिये जोर न दीजिये और घुटनों को न पकड़िये और उंग्लियां मिली हुई और पाउं झुके हुए रखिये इस्लामी भाइयों की तरह खूब सीधे न करें।
╭┈► *4) रुकूअ :* रुकूअ में थोड़ा झुकिये यानी इतना कि घुटनों पर हाथ रख दीजिये जोर न दीजिये और घुटनों को न पकड़िये और उंग्लियां मिली हुई और पाउं झुके हुए रखिये इस्लामी भाइयों की तरह खूब सीधे न करें।
*5) सुजूद :* सुल्ताने मक्कए मुकर्रमा, ताजदारे मदीनए मुनव्वरह ﷺ का फ़रमाने अज़मत निशान है मुझे हुक्म हुवा कि सात हड्डियों पर सज्दा करूं मुंह और दोनों हाथ और दोनों घुटने और दोनों पन्जे़ और येह हुक्म हुवा कि कपड़े और बाल न समेटूं हर रक्अत में दो बार सज्दा फ़र्ज़ है।
📙 बहारे शरीअत हिस्सा 3 सफ़ह 81
╭┈► सज्दे में पेशानी जमना ज़रूरी है। जमने के माना येह हैं कि ज़मीन की सख़्ती महसूस हो अगर किसी ने इस तरह सज्दा किया कि पेशानी न जमी तो सज्दा न होगा। किसी नर्म चीज़ मसलन घास (जैसा कि बाग की हरियाली) रूई या (फ़ोम के गदेले या) कालीन (carpet) वगैरा पर सज्दा किया तो अगर पेशानी जम गई यानी इतनी दबी कि अब दबाने से न दबे तो सज्दा हो जाएगा वरना नहीं। कमानीदार (यानी स्प्रींग वाले) गद्दे पर पेशानी खूब नहीं जमती लिहाज़ा नमाज़ न होगी।...✍🏻
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 3 सफ़ह 82
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 106-107 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 98
••──────────────────────••►
❝ इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी) हिस्सा -17 ❞
••──────────────────────••►
*⇩ "बिस्मिल्लाह" के सात हुरूफ़ की निस्बत से नमाज़ के 7 फ़राइज़ ⇩*
*❝ कारपेट के नुक्सानात ❞*
*❝ कारपेट के नुक्सानात ❞*
╭┈► कारपेट से एक तो सज्दे में दुशवारी होती है नीज़ सहीह मानों में इस की सफाई नहीं हो पाती लिहाज़ा धूल वगैरा जम्अ होती और जरासीम परवरिश पाते हैं, सज्दे में सांस के जरीए जरासीम, गर्द वगैरा अन्दर दाखिल हो जाते हैं, कारपेट का रुवां फेफड़ों में जा कर चिपक जाने की सूरत में मआ'ज़ अल्लाह केन्सर का खतरा पैदा होता है। बसा !अवक़ात बच्चे कारपेट पर कै या पेशाब वगैरा कर डालते, बिल्लियां गन्दगी करतीं, चूहे और छिपकलियां मेंग्नियां करते हैं। कारपेट नापाक हो जाने की सूरत में उमूमन पाक करने की ज़हमत भी नहीं की जाती। काश ! कारपेट बिछाने का रवाज ही ख़त्म हो जाए।..✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 107-108 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 99
••──────────────────────••►
❝ इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी) हिस्सा -18 ❞
••──────────────────────••►
*⇩ "बिस्मिल्लाह" के सात हुरूफ़ की निस्बत से नमाज़ के 7 फ़राइज़ ⇩*
*❝ कारपेट पाक करने का तरीका ❞*
*❝ कारपेट पाक करने का तरीका ❞*
╭┈► कारपेट (CARPET) का नापाक हिस्सा एक बार धो कर लटका दीजिये यहां तक कि पानी टपक्ना मौकूफ़ हो जाए फिर दोबारा धो कर लटकाइये हत्ता कि पानी टपकना बन्द हो जाए फिर तीसरी बार ! ? इसी तरह धो कर लटका दीजिये जब पानी टपक्ना बन्द हो जाएगा तो ! पाक हो जाएगा। चटाई, चमड़े के चप्पल और मिट्टी के बरतन वगैरा जिन चीज़ों में पतली नजासत जज्ब हो जाती हो इसी तरीके पर पाक कीजिये। ऐसा नाजुक कपड़ा कि निचोड़ने से फट जाने का अन्देशा हो। वोह भी इसी तरह पाक कीजिये। अगर नापाक कारपेट या कपड़ा वगैरा बहते पानी में (मसलन दरिया, नहर में या पाइप या टोंटी के जारी पानी के नीचे) इतनी देर तक रख छोड़ें के ज़न्ने गालिब हो जाए कि पानी नजासत को बहा कर ले गया होगा तब भी पाक हो जाएगा। कारपेट पर बच्चा पेशाब कर दे तो उस जगह पर पानी के छींटे मार देने ! से वोह पाक नहीं होता। याद रहे ! एक दिन के बच्चे या बच्ची का पेशाब भी नापाक होता है। (तफ्सीली मालूमात के लिये मकतबतुल मदीना की मत्बूआ बहारे शरीअत हिस्सा 2 सफ़हा 118 ता 127 का ! मुतालआ फ़रमा लीजिये)।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 108 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 100
••──────────────────────••►
❝ इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी) हिस्सा -19 ❞
••──────────────────────••►
*⇩ "बिस्मिल्लाह" के सात हुरूफ़ की निस्बत से नमाज़ के 7 फ़राइज़ ⇩*
╭┈► *6) कादए अख़ीरह :* यानी नमाज़ की रक्अतें पूरी करने के बाद? इतनी देर तक बैठना कि पूरी तशहुद (यानी पूरी अत्तहिय्यात) रसूलुहू ! तक पढ़ ली जाए फ़र्ज़ है। चार रक्अत वाले फ़र्ज़ में चौथी रक्अत के बाद कादह न किया तो जब तक पांचवीं का सज्दा न किया हो बैठ जाए और अगर पांचवीं का सज्दा कर लिया या फ़ज्र में दूसरी पर नहीं बैठी तीसरी का सजदा कर लिया या मगरिब में ! तीसरी पर न बैठी और चौथी का सज्दा कर लिया इन सब सूरतों में फ़र्ज़ बातिल हो गए। मगरिब के इलावा और नमाज़ों में एक रक्अत मजीद मिला ले।
╭┈► *7) खुरूजे बिसुन्इही :* यानी कादए अख़ीरह के बाद सलाम या बातचीत वगैरा कोई ऐसा फेल कस्दन करना जो नमाज़ से बाहर कर दे। मगर सलाम के इलावा कोई फेल कस्दन (यानी इरादतन) पाया गया तो नमाज़ वाजिबुल इआदा होगी। और अगर बिला कस्द (बिला इरादा) कोई इस तरह का फेल पाया गया तो नमाज़ बातिल।...✍🏻
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 3 सफ़ह 84
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 109 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 101
••──────────────────────••►
❝ इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी) हिस्सा - 20 ❞
••──────────────────────••►
*⇩ "सय्यि-दतुना सकीना बिन्ते शहन्शाहे करबला" के पच्चीस हुरूफ़ की निस्बत से तकरीबन 25 वाजिबात ⇩*
╭┈► 1) तक्बीरे तहरीमा में लफ़्ज़ اَللّٰهُ اَکْبَرُ कहना।
╭┈► 2) फ़र्ज़ों की तीसरी और चौथी रक्अत के इलावा बाक़ी तमाम नमाज़ों की हर रक्अत में अल हम्द शरीफ़ पढ़ना, सूरत मिलाना या क़ुरआने पाक की एक बड़ी आयत जो छोटी तीन आयतों के बराबर हो या तीन छोटी आयतें पढ़ना।
╭┈► 3) अल हम्द शरीफ़ का सूरत से पहले पढ़ना।
╭┈► 4) अल हम्द शरीफ़ और सूरत के दरमियान " आमीन " और " بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ " के इलावा कुछ और न पढ़ना।
╭┈► 5) किराअत के फ़ौरन बाद रुकूअ करना।
╭┈► 6) एक सज्दे के बाद बित्तरतीब दूसरा सज्दा करना।
╭┈► 7) तादीले अरकान यानी रुकूअ, सुजूद, कौमा और जल्सा में कम अज़ कम एक बार " سُبْحٰانَ اللّٰه " कहने की मिल्दार ठहरना।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 109-110 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 102
••──────────────────────••►
❝ इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी) हिस्सा - 21 ❞
••──────────────────────••►
*⇩ "सय्यि-दतुना सकीना बिन्ते शहन्शाहे करबला" के पच्चीस हुरूफ़ की निस्बत से तकरीबन 25 वाजिबात ⇩*
╭┈► 8) क़ौमा यानी रुकूअ से सीधी खड़ी होना (बाज़ इस्लामी बहनें कमर सीधी नहीं करतीं इस तरह उन का वाजिब छूट जाता है।
╭┈► 9) जल्सा यानी दो सज्दों के दरमियान सीधी बैठना ( बाज़ इस्लामी बहनें जल्द बाज़ी की वजह से बराबर सीधे बैठने से पहले ही दूसरे सज्दे में चली जाती हैं इस तरह उन का वाजिब तर्क हो जाता है चाहे कितनी ही जल्दी हो सीधा बैठना लाजिमी है वरना नमाज़ मकरुहे तहरीमी वाजिबुल इआदा होगी।
╭┈► 10) क़ादए ऊला वाजिब है अगर्चे नमाजे नफ़्ल हो (नफ़्ल में चार या इस से ज़ियादा रक्अतें एक सलाम के साथ पढ़ना चाहें। तब हर दो दो रक्अत के बाद क़ादा करना फ़र्ज़ है और हर क़ादा " क़ादए अख़ीरह " है अगर क़ादा न किया और भूल कर खड़ी हो गई तो जब तक उस रक्अत का सज्दा न कर लें लौट आएं और सज्दए सह्व करें।
╭┈► 11) अगर नफ़्ल की तीसरी रक्अत का सज्दा कर लिया तो चार पूरी कर के सज्दए सह्व करे। सज्दए सह्व इस लिये वाजिब हुवा कि अगर्चे नफ़्ल में हर दो रक्अत के बाद क़ादा फ़र्ज़ है मगर तीसरी या पांचवीं (इस पर कियास करते हुए) रक्अत का सज्दा करने के बाद क़ादाए ऊला फ़र्ज़ के बजाए वाजिब हो गया।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 110 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 103
••──────────────────────••►
❝ इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी) हिस्सा - 22 ❞
••──────────────────────••►
*⇩ "सय्यि-दतुना सकीना बिन्ते शहन्शाहे करबला" के पच्चीस हुरूफ़ की निस्बत से तकरीबन 25 वाजिबात ⇩*
╭┈► 12) फ़र्ज़, वित्र और सुन्नते मुअक्कदा में तशहुद (यानी अत्तहिय्यात) के बाद कुछ न बढ़ाना।
╭┈► 13) दोनों क़ादों में “ तशहुद " मुकम्मल पढ़ना। अगर एक लफ़्ज़ भी छूटा तो वाजिब तर्क हो जाएगा और सज्दए सह्व वाजिब होगा।
╭┈► 14) फ़र्ज़ , वित्र और सुन्नते मुअक्कदा के क़ादए ऊला में ! तशहहुद के बाद अगर बे ख़याली में " اَللّٰھُمَّ صَلِّ عَلٰی مُحَمَّدٍ " या " اَللّٰھُمَّ صَلِّ عَلٰی سَیِّدِنَا " कह लिया तो सज्दए सह्व वाजिब हो गया और अगर जानबूझ कर कहा तो नमाज़ लौटाना वाजिब है।
╭┈► 15) दोनों तरफ़ सलाम फेरते वक़्त लफ़्ज़ : " اَلسَّلَامُٗ " कहना दोनों बार वाजिब है। लफ़्ज़ " عَلَیْکُم " वाजिब नहीं बल्कि सुन्नत है।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 111 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 104
••──────────────────────••►
❝ इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी) हिस्सा - 23 ❞
••──────────────────────••►
*⇩ "सय्यि-दतुना सकीना बिन्ते शहन्शाहे करबला" के पच्चीस हुरूफ़ की निस्बत से तकरीबन 25 वाजिबात ⇩*
╭┈► 16) वित्र में तक्बीरे क़ुनूत कहना।
╭┈► 17) वित्र में दुआए क़ुनूत पढ़ना।
╭┈► 18) हर फ़र्ज़ व वाजिब का उस की जगह होना।
╭┈► 19) रुकूअ हर रक्अत में एक ही बार करना
╭┈► 20) सज्दा हर रक्अत में दो ही बार करना
╭┈► 21) दूसरी रक्अत से पहले क़ादा न करना
╭┈► 22) चार रक्अत वाली नमाज़ में तीसरी रक्अत पर क़ादा न करना
╭┈► 23) आयते सज्दा पढ़ी हो तो सज्दए तिलावत करना
╭┈► 24) सज्दए सह्व वाजिब हुवा हो तो सज्दए सह्व करना
╭┈► 25) दो फ़र्ज़ या दो वाजिब या फ़र्ज़ व वाजिब के दरमियान तीन तस्बीह की क़दर (यानी तीन बार " سُبْحٰانَ اللّٰه " कहने की मिक्दार ) वक्फा न होना।...✍🏻
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 3 सफ़ह 85-87
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 111-112 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 105
••──────────────────────••►
❝ इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी) हिस्सा - 24 ❞
••──────────────────────••►
*⇩ " उम्मे हानी " के छ हुरूफ़ की निस्बत से तक्बीरे तहरीमा की 6 सुन्नतें ⇩*
╭┈► 1) तक्बीरे तहरीमा के लिये हाथ उठाना।
╭┈► 2) हाथों की उंग्लियां अपने हाल पर (Normal) छोडना, यानी न बिल्कुल मिलाइये न इन में तनाव पैदा कीजिये।
╭┈► 3) हथेलियों और उंग्लियों का पेट क़िब्ला रू होना।
╭┈► 4) तक्बीर के वक़्त सर न झकाना।
╭┈► 5) तक्बीर शुरूअ करने से पहले ही दोनों हाथ कन्धों तक उठा लेना।
╭┈► 6) तक्बीर के फ़ौरन बाद हाथ बांध लेना सुन्नत है (तक्बीरे ऊला के बाद फ़ौरन बांध लेने के बजाए हाथ लटका देना या कोहनियां पीछे की तरफ झुलाना, सुन्नत से हट कर है।...✍🏻
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 3 सफ़श 88-90
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 112 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 106
••──────────────────────••►
❝ इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी) हिस्सा - 25 ❞
••──────────────────────••►
*⇩ " ख़दी - जतुल क़ुब्रा " के ग्यारह हुरूफ़ की निस्बत से क़ियाम की 11 सुन्नतें ⇩*
╭┈► 1) उल्टी हथेली सीने पर छाती के नीचे रख कर उस के ऊपर सीधी हथेली रखिये।
╭┈► 2) पहले सना
╭┈► 3) फिर तअव्वुज़ यानी اَعُوْذُ بِاللّٰهِ مِنَ الشَّیْطٰنِ الرَّجِیْم पढ़ना
╭┈► 4) फिर तस्मिया यानी بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ पढ़ना
╭┈► 5) इन तीनों को एक दूसरे के फ़ौरन बाद कहना
╭┈► 6) इन सब को आहिस्ता पढ़ना
╭┈► 7) आमीन कहना
╭┈► 8) इस को भी आहिस्ता कहना
╭┈► 9) तक्बीरे ऊला के फ़ौरन बाद सना पढ़ना
╭┈► 10) तअव्वुज़ सिर्फ़ पहली रक्अत में है और।
╭┈► 11) तस्मिया हर रक्अत के शुरू में सुन्नत है।...✍🏻
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 3 सफ़ह 90- 91
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 112-113 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 107
••──────────────────────••►
❝ इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी) हिस्सा - 26 ❞
••──────────────────────••►
*⇩ " मुहम्मद " के चार हुरूफ़ की निस्बत से रुकूअ की 4 सुन्नतें ⇩*
╭┈► 1) रुकूअ के लिये اَللّٰهُ اَکْبَرُ कहना।
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 3 सफ़ह 93
╭┈► 2) इस्लामी बहन के लिये रुकूअ में घुटनों पर हाथ रखना और उंग्लियां कुशादा न करना सुन्नत है।
╭┈► 3) रुकूअ में थोड़ा झुके यानी सिर्फ़ इतना कि हाथ घुटनों तक पहुंच जाएं पीठ सीधी न करे। और घुटनों पर जोर न दे फ़क़त हाथ रख दे और हाथों की उंग्लियां मिली हुई रखे और पाउं झुके हुए रखे इस्लामी भाइयों की तरह खूब सीधे न कर दे।
╭┈► 4) बेहतर येह है कि जब रुकू के लिये झुकना शुरूअ करे اَللّٰهُ اَکْبَرُ कहती हुई रुकूअ को जाए और ख़त्मे रुकूअ पर तक्बीर ख़त्म करे (اَیضاً) इस मसाफ़त (यानी क़ियाम से रुकूअ में पहुंचने के फ़ासिले) को पूरा करने के लिये अल्लाह की " ل " को बढ़ाए अक्बर की " ب " वगैरा किसी हर्फ़ को न बढ़ाए।
📗 बहारे शरीअत हिस्सा 3 सफ़ह 93
╭┈► अगर आल्लाहु या आक्बर या अक्बार कहा तो नमाज़ फ़ासिद हो जाएगी। रुकूअ में तीन बार سُبْحٰنَ رَبِّیَ الْعَظِیْمِ कहना।...✍🏻
📙 बहारे शरीअत हिस्सा 3 सफ़ह 93
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 113 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 108
••──────────────────────••►
❝ इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी) हिस्सा - 27 ❞
••──────────────────────••►
*⇩ "सुन्नत" के तीन हुरूफ़ की निस्बत से क़ौमा की 3 सुन्नतें ⇩*
╭┈► 1) रुकूअ से जब उठे तो हाथ लटका दीजिये।
╭┈► 2) रुकूअ से उठने में سَمِعَ اللّٰهُ لِمَنْ حَمِدَہٗ और सीधे खड़े हो जाने के बाद رَبَّنَا لَكَ الْحَمْدُ कहना।
╭┈► 3) मुन्फ़रिद (यानी तन्हा नमाज़ पढ़ने वाले) के लिये दोनों कहना सुन्नत है। बहारे शरीअत हिस्सा 3 सफ़ह 95) رَبَّنَا لَكَ الْحَمْدُ कहने से भी सुन्नत अदा हो जाती है मगर رَبَّنَا के बाद وَ होना बेहतर है اَللّٰھُمَّ होना इस से बेहतर, और दोनों होना और ज़ियादा बेहतर है यानी اَللّٰھُمَّ رَبَّنَا وَلَكَ الْحَمْدُ कहिये।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 114 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 109
••──────────────────────••►
❝ इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी) हिस्सा - 28 ❞
••──────────────────────••►
*⇩ "या फ़ातिमा बिन्तेरसूलुल्लाह " के अठारह हुरूफ़ की निस्बत से सज्दे की 18 सुन्नतें ⇩*
╭┈► 1) सज्दे में जाने के लिये और
╭┈► 2) सज्दे से उठने के लिये اَللّٰهُ اَکْبَرُ कहना।
╭┈► 3) सज्दे में कम अज़ कम तीन बार سُبْحٰنَ ربِّیَ الْاَعْلٰی कहना
╭┈► 4) सज्दे में हाथ ज़मीन पर रखना
╭┈► 5) हाथों की उंग्लियां मिली हुई क़िब्ला रुख रखना
╭┈► 6) सिमट कर सज्दा करना यानी बाजू करवटों से
╭┈► 7) पेट रानों से
╭┈► 8) राने पिंडलियों से और
╭┈► 9) पिंडलियां जमीन से मिला देना
╭┈► 10) सज्दे में जाएं तो ज़मीन पर पहले घुटने फिर
╭┈► 11) हाथ फिर
╭┈► 12) नाक ,फिर
╭┈► 13) पेशानी रखना
╭┈► 14) जब सज्दे से उठे तो इस का उलट करना यानी
╭┈► 15) पहले पेशानी ,फिर
╭┈► 16) नाक, फिर
╭┈► 17) हाथ , फिर
╭┈► 18) घुटने उठाना।...✍🏻
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 3 सफ़ह 96-98
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 114-115 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 110
••──────────────────────••►
❝ इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी) हिस्सा - 29 ❞
••──────────────────────••►
*⇩" जैनब " के चार हुरूफ की निस्बत से जल्से की 4 सुन्नतें ⇩*
╭┈► 1) दोनों सज्दों के बीच में बैठना। इसे जल्सा कहते हैं
╭┈► 2) दूसरी रक्अत के सज्दों से फ़ारिग हो कर दोनों पाउं सीधी जानिब निकाल देना और
╭┈► 3) उल्टी सुरीन पर बैठना
╭┈► 4) दोनों हाथ रानों पर रखना।
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 3 सफ़ह 98 )
*⇩" हक " के दो हुरूफ़ की निस्बत से दूसरी रक्अत के लिये उठने की 2 सुन्नतें ⇩*
╭┈► 1) जब दोनों सज्दे कर लें तो दूसरी रक्अत के लिये पन्जों के बल,
╭┈► 2) घुटनों पर हाथ रख कर खड़ा होना सुन्नत है। हां कमज़ोरी या पाउं में तकलीफ़ वगैरा मजबूरी की वज्ह से ज़मीन पर हाथ रख कर खड़े होने में हरज नहीं।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 115 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 111
••──────────────────────••►
❝ इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी) हिस्सा - 30 ❞
••──────────────────────••►
*⇩ " बीबी आमिना " के आठ हुरूफ़ की निस्बत से क़ादा की 8 सुन्नतें ⇩*
╭┈► 1) सीधा हाथ सीधी रान पर और
╭┈► 2) उल्टा हाथ उल्टी रान पर रखना
╭┈► 3) उंग्लियां अपनी हालत पर यानी (NORMAL) छोड़ना कि न ज़ियादा खुली हुईं न बिल्कुल मिली हुईं।
╭┈► 4) अत्तहिय्यात में शहादत पर इशारा करना इस का तरीक़ा यह है कि छुग्लिया और पास वाली को बन्द कर लीजिये, अंगूठे और बीच वाली का हल्का बांधिये और " لَا " पर कलिमे की उंगली उठाइये इस को इधर उधर मत हिलाइये और " اِلّا " पर रख दीजिये और सब उंग्लियां सीधी कर लीजिये
╭┈► 5) दूसरे क़ादे में भी इसी तरह बैठिये जिस तरह पहले में बैठी थीं और तशहुद भी पढ़िये
╭┈► 6) तशहुद के बाद दुरूद शरीफ़ पढ़िये (दुरूदे इब्राहीम पढ़ना अफ़ज़ल है)
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 3 सफ़ह 198:199
╭┈► 7) नवाफ़िल और सुन्नते गैर मुअक्कदा (अस्र व इशा की सुन्नते कब्लिया) के कादए ऊला में भी तशहहुद के बाद दुरूद शरीफ़ पढ़ना सुन्नत है।
╭┈► 8) दुरूद शरीफ़ के बाद दुआ पढ़ना।...✍🏻
📔 बहारे शरीअत हिस्सा 3 सफ़ह 102
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 115-116 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 112
••──────────────────────••►
❝ इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी) हिस्सा - 31 ❞
••──────────────────────••►
*⇩ " हफ्सा " के चार हुरूफ़ की निस्बत से सलाम फैरने की 4 सुन्नतें ⇩*
╭┈► 1,2) इन अल्फ़ाज़ के साथ दो बार सलाम फैरना : اَلسَّلامُ عَلَیکُمْ وَرَحمۃُاللّٰه
╭┈► 3) पहले सीधी तरफ़ फिर
╭┈► 4) उल्टी तरफ़ मुंह फैरना।
📙 ऐज़न 4 सफ़ह 103
*⇩ " सब्र " के तीन हुरूफ की निस्बत से सुन्नते बादिया की 3 सुन्नतें ⇩*
╭┈► 1) जिन फ़र्ज़ो के बाद सुन्नतें हैं उन में बादे फ़र्ज़ कलाम न करना चाहिये अगर्चे सुन्नतें हो जाएंगी मगर सवाब कम हो जाएगा और सुन्नतों में ताख़ीर भी मरूह है इसी तरह बड़े बड़े अवरादो वजाइफ़ की भी इजाजत नहीं
╭┈► 2) फ़र्ज़ो के बाद क़ब्ले सुन्नत मुख्तसर दुआ पर क़नाअत चाहिये वरना सुन्नतों का सवाब कम हो जाएगा।
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 3 सफ़ह 107
╭┈► 3) सुन्नत व फर्ज़ के दरमियान कलाम करने से असहह (यानी दुरुस्त तरीन) येही है कि सुन्नत बातिल नहीं होती अलबत्ता सवाब कम हो जाता है। येही हुक्म हर उस काम का है जो मुनाफ़िये तहरीमा है।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 116-117 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 113
••──────────────────────••►
❝ इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी) हिस्सा - 32 ❞
••──────────────────────••►
*⇩ " उम्महातुल मुअमिनीन " के 14 हुरूफ़ की निस्बत से नमाज़ के तकरीबन 14 मुस्तहब्बात ⇩*
╭┈► 1) निय्यत के अल्फ़ाज़ ज़बान से कह लेना। जब कि दिल में निय्यत हाज़िर हो वरना तो नमाज़ होगी ही नहीं।
╭┈► 2) कियाम में दोनों पन्जों के दरमियान चार उंगल का फ़ासिला होना।
╭┈► 3) कियाम की हालत में सज्दे की जगह,
╭┈► 4) रुकूअ में दोनों क़दमों की पुश्त पर
╭┈► 5) सज्दे में नाक की तरफ़
╭┈► 6) क़ादा में गोद की तरफ़
╭┈► 7) पहले सलाम में सीधे कन्धे की तरफ़ और
╭┈► 8) दूसरे सलाम में उल्टे कन्धे की तरफ़ नज़र करना।
╭┈► 9,10,11) मुन्फ़रिद को रुकूअ और सज्दों में तीन बार से ज़ियादा (मगर ताक अदद म-सलन पांच, सात, नव बार) तस्बीह कहना।
╭┈► 12) जिस को खांसी आए उस के लिये मुस्तहब है कि जब तक मुम्किन हो न खांसे।
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 3 सफ़ह 106
╭┈► 13) जमाही आए तो मुंह बन्द किये रहिये और न रुके तो होंट दांत के नीचे दबाइये। अगर इस तरह भी न रुके तो कियाम में सीधे हाथ की पुश्त से और गैरे क़ियाम में उल्टे हाथ की पुश्त से मुंह ढांप लीजिये। जमाही रोकने का बेहतरीन तरीका यह है कि दिल में खयाल कीजिये कि सरकारे मदीना ﷺ और दीगर अम्बियाए किराम अलैहिस्सलाम को जमाही कभी नहीं आती थी। बहारे शरीअत हिस्सा 3 सफ़ह 106 फ़ौरन रुक जाएगी।
╭┈► 14) सज्दा ज़मीन पर बिला हाइल होना।...✍🏻
📙 बहारे शरीअत हिस्सा 3 सफ़ह 106
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 117-118 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 114
••──────────────────────••►
❝ इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी) हिस्सा - 33 ❞
••──────────────────────••►
*⇩ सय्यिदुना उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ का अमल ⇩*
╭┈► हुज्जतुल इस्लाम हज़रते सय्यिदुना इमाम मुहम्मद बिन मुहम्मद गज़ाली रहमतुल्लाहि तआला अलैह नक्ल फ़रमाते हैं हज़रते सय्यिदुना उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ रादिअल्लाहु तआला अन्हु हमेशा ज़मीन ही पर सज्दा करते यानी सज्दे की जगह मुसल्ला वगैरा न बिछाते।
*⇩ गर्द आलूद पेशानी की फ़ज़ीलत ⇩*
╭┈► हज़रते सय्यिदुना वासिला बिन अस्कअ रादिअल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है कि हुजूर सरापा नूर, शाहे गयूर ﷺ का फ़रमाने पुर सुरूर है तुम में से कोई शख़्स जब तक नमाज़ से फ़ारिग न हो जाए अपनी पेशानी (की मिट्टी) को साफ़ न करे क्यूं कि जब तक उस की पेशानी पर नमाज़ के सज्दे का निशान रहता है फ़िरिश्ते उस के लिये दुआए मग़फ़िरत करते रहते हैं ।
╭┈► इस्लामी बहनो ! दौराने नमाज़ पेशानी से मिट्टी छुड़ाना बेहतर नहीं और म'आज़ अल्लाह अज़्ज़वजल तकब्बुर के तौर पर छुड़ाना गुनाह है। और अगर न छुड़ाने से तक्लीफ़ होती हो या ख़याल बटता हो तो छुड़ाने में हरज नहीं अगर किसी को रियाकारी का ख़ौफ़ हो तो उसे चाहिये कि नमाज़ के बाद पेशानी से मिट्टी साफ़ कर ले।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 118 - 119 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 115
••──────────────────────••►
❝ इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी) हिस्सा - 34 ❞
••──────────────────────••►
*⇩ " सय्यिदुना इस्माईल की अम्मी का नाम हाजिरा था " के उन्तीस हुरूफ़ की निस्बत से नमाज़ तोड़ने वाली 29 बातें ⇩*
╭┈► 1) बात करना।
╭┈► 2) किसी को सलाम करना।
╭┈► 3) सलाम का जवाब देना।
╭┈► 4) छींक का जवाब देना (नमाज़ में खुद को छींक आए तो ख़ामोश रहे) अगर खुद को छींक आई और अल्हम्दु लिल्लाह कह लिया तब भी हरज नहीं और अगर उस वक़्त हम्द न की तो फ़ारिग हो कर कहे।
╭┈► 5) खुश खबरी सुन कर जवाबन अल्हम्दु लिल्लाह कहना।
╭┈► 6) बुरी ख़बर (या किसी की मौत की ख़बर) सुन कर इन्ना लिल्लाही वा इन्ना इलैहि रजिऊन कहना।
╭┈► 7) अज़ान का जवाब देना।
╭┈► 8) अल्लाह अज़्ज़वजल का नाम सुन कर जवाबन जल्ला जलालुहू कहना।
╭┈► 9) सरकारे मदीना ﷺ का इस्मे गिरामी सुन कर जवाबन दुरूद शरीफ़ पढ़ना मसलन ﷺ कहना अगर जल्ला जलालुहू या ﷺ जवाब की निय्यत से न कहा तो नमाज़ न टूटी।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 119 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 116
••──────────────────────••►
❝ इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी) हिस्सा - 35 ❞
••──────────────────────••►
*⇩ " सय्यिदुना इस्माईल की अम्मी का नाम हाजिरा था " के उन्तीस हुरूफ़ की निस्बत से नमाज़ तोड़ने वाली 29 बातें⇩*
*⚘ नमाज़ में रोना ⚘*
╭┈► 10) दर्द या मुसीबत की वज्ह से येह अल्फ़ाज़ " आह " " ऊह " , " उफ़ " , " तुफ़ " निकल गए या आवाज़ से रोने में हर्फ़ पैदा हो गए नमाज़ फ़ासिद हो गई। अगर रोने में सिर्फ़ आंसू निकले आवाज़ व हुरूफ नहीं निकले तो हरज नहीं।
*⚘ नमाज़ में खांसना ⚘*
╭┈► 11) मरीज़ा की ज़बान से बे इख़्तियार आह ऊह निकला नमाज़ न टूटी यूं ही छींक, जमाही, खांसी, डकार वगैरा में जितने हुरूफ़ मजबूरन निकलते हैं मुआफ हैं।
╭┈► 12 ) फूंकने में अगर आवाज़ न पैदा हो तो वोह सांस की मिस्ल है और नमाज़ फ़ासिद नहीं होती मगर कस्दन फूंकना मकरुह है और अगर दो हर्फ़ पैदा हों जैसे उफ़, तुफ़ तो नमाज़ फ़ासिद हो गई।
╭┈► 13 ) खन्कारने में जब दो हुरूफ़ ज़ाहिर हों जैसे अख़ तो मुफ्सिद है। हां अगर उज्र या सहीह मक्सद हो म - सलन तबीअत का तकाज़ा हो या आवाज़ साफ़ करने के लिये हो या कोई आगे से गुजर रहा हो उस को मुतवज्जेह करना हो इन वुजूहात की बिना पर खांसने में कोई मुजायका नहीं।...✍🏻
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 3 सफ़ह 176
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 120 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 117
••──────────────────────••►
❝ इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी) हिस्सा - 36 ❞
••──────────────────────••►
*⇩" सय्यिदुना इस्माईल की अम्मी का नाम हाजिरा था " के उन्तीस हुरूफ़ की निस्बत से नमाज़ तोड़ने वाली 29 बातें ⇩*
*⚘ दौराने नमाज़ देख कर पढ़ना ⚘*
╭┈► 14) मुस्हफ़ शरीफ़ से या किसी काग़ज़ वगैरा में लिखा हुवा। देख कर क़ुरआन शरीफ़ पढ़ना (हां अगर याद पर पढ़ रही हैं और मुस्हफ़ शरीफ़ वगैरा पर सिर्फ़ नज़र है तो हरज नहीं, अगर किसी कागज़ वगैरा पर आयात लिखी हैं उसे देखा और समझा मगर पढ़ा नहीं इस में भी कोई मुजायका नहीं।
╭┈► 15) इस्लामी किताब या इस्लामी मज़मून दौराने नमाज़ जानबूझ कर देखना और इरादतन समझना मरूह है।
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 3 सफ़ह 177
╭┈► दुन्यवी मज़मून हो तो ज़ियादा कराहिय्यत है, लिहाज़ा नमाज़ में अपने करीब किताबें या तहरीर वाले पेकेट और शॉपिंग बेग, मोबाइल फ़ोन या घड़ी वगैरा इस तरह रखिये कि उन की लिखाई पर नज़र न पड़े या इन पर रुमाल वगैरा उढ़ा दीजिये, नीज़ दौराने नमाज़ दीवार वगैरा पर लगे हुए स्टीकर्ज, इश्तिहार और फ्रेमों वगैरा पर नज़र डालने से भी बचिये।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 121 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 118
••──────────────────────••►
❝ इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी) हिस्सा - 37 ❞
••──────────────────────••►
*⇩ " सय्यिदुना इस्माईल की अम्मी का नाम हाजिरा था " के उन्तीस हुरूफ़ की निस्बत से नमाज़ तोड़ने वाली 29 बातें⇩*
*⚘ अमले कसीर की तारीफ़ ⚘*
╭┈► 16) अमले कसीर नमाज़ को फ़ासिद कर देता है जब कि न नमाज़ के आमाल से हो न ही इस्लाहे नमाज़ के लिये किया गया हो। जिस काम के करने वाले को दूर से देखने से ऐसा लगे कि येह नमाज़ में नहीं है बल्कि अगर गुमान गालिब हो कि नमाज़ में नहीं तब भी अमले कसीर है। और अगर दूर से देखने वाले को शको शुबा है कि नमाज़ में है या नहीं तो अमले क़लील है और नमाज़ फ़ासिद न होगी।
*⚘ दौराने नमाज़ लिबास पहनना ⚘*
╭┈► 17) दौराने नमाज़ कुरता या पाजामा पहनना या तहबन्द बांधना
╭┈► 18) दौराने नमाज़ सित्र खुल जाना और इसी हालत में कोई रुक्न अदा करना या तीन बार सुब्हान अल्लाह कहने की मिक्दार वक्फा गजर जाना।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 121-122 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 119
••──────────────────────••►
❝ इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी) हिस्सा - 38 ❞
••──────────────────────••►
*⇩ " सय्यिदुना इस्माईल की अम्मी का नाम हाजिरा था " के उन्तीस हुरूफ़ की निस्बत से नमाज़ तोड़ने वाली 29 बातें⇩*
*⚘ नमाज़ में कुछ निगलना ⚘*
╭┈► 19) मामूली सा भी खाना या पीना मसलन तिल बिगैर चबाए निगल लिया या क़तरा मुंह में गिरा और निगल लिया।
╭┈► 20) नमाज़ शुरू करने से पहले ही कोई चीज़ दांतों में मौजूद थी उसे निगल लिया तो अगर वोह चने के बराबर या इस से ज़ियादा थी तो नमाज़ फ़ासिद हो गई और अगर चने से कम थी तो मकरूह।
╭┈► 21) नमाज़ से कब्ल कोई मीठी चीज़ खाई थी अब उस के अज्ज़ा मुंह में बाकी नहीं सिर्फ़ लुआबे दहन में कुछ असर रह गया है उस के निगलने से नमाज़ फ़ासिद न होगी।
╭┈► 22) मुंह में शकर वगैरा हो कि घुल कर हल्क में पहुंचती है नमाज़ फ़ासिद हो गई।
╭┈► 23) दांतों से खून निकला अगर थूक गालिब है तो निगलने से फ़ासिद न होगी वरना हो जाएगी (गलबे की अलामत यह है कि अगर हल्क में मज़ा महसूस हुवा तो नमाज़ फ़ासिद हो गई, नमाज़ तोड़ने में जाएके का एतिबार है और वुज़ू टूटने में रंग का लिहाजा वुज़ू उस वक़्त टूटता है जब थूक सुर्ख हो जाए और अगर थूक ज़र्द है तो वुज़ू बाक़ी है।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 122 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 120
••──────────────────────••►
❝ इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी) हिस्सा - 39 ❞
••──────────────────────••►
*⇩ " सय्यिदुना इस्माईल की अम्मी का नाम हाजिरा था " के उन्तीस हुरूफ़ की निस्बत से नमाज़ तोड़ने वाली 29 बातें⇩*
*⚘ दौराने नमाज़ क़िब्ले से इन्हिराफ़ ⚘*
╭┈► 24) बिला उज्र सीने को सम्ते काबा से 45 दरजा या इस से ज़ियादा फैरना मुफ्सिदे नमाज़ है अगर उज्र से हो तो मुफ़्सिद नहीं।
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 3 सफ़ह 179
*⚘ नमाज़ में सांप मारना ⚘*
╭┈► 25) सांप बिच्छू को मारने से नमाज़ नहीं टूटती जब कि न तीन कदम चलना पड़े न तीन जर्ब की हाजत हो वरना फ़ासिद हो जाएगी। सांप बिच्छू को मारना उस वक़्त मुबाह है जब कि सामने से गुज़रें और ईज़ा देने का ख़ौफ़ हो, अगर तक्लीफ़ पहुंचाने का अन्देशा न हो तो मारना मकरुह है।
╭┈► 26) पै दर पै तीन बाल उखेड़े या तीन जूएं मारी या एक ही जूं को तीन बार मारा नमाज़ जाती रही और अगर पै दर पै न हो तो नमाज़ फ़ासिद न हुई मगर मकरुह है।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 123 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 121
••──────────────────────••►
❝ इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी) हिस्सा - 40 ❞
••──────────────────────••►
*⇩ " सय्यिदुना इस्माईल की अम्मी का नाम हाजिरा था " के उन्तीस हुरूफ़ की निस्बत से नमाज़ तोड़ने वाली 29 बातें⇩*
*⚘ नमाज़ में खुजाना ⚘*
╭┈► 27) एक रुक्न में तीन बार खुजाने से नमाज़ फ़ासिद हो जाती है यानी यूं कि खुजा कर हाथ हटा लिया फिर खुजाया फिर हटा लिया येह दो बार हुवा अगर अब इसी तरह तीसरी बार किया तो नमाज़ जाती रहेगी। अगर एक बार हाथ रख कर चन्द बार हरकत दी तो येह एक ही मरतबा खुजाना कहा जाएगा।
╭┈► मेरे आका आला हज़रत इमामे अहले सुन्नत मौलाना शाह इमाम अहमद रज़ा खान रहमतुल्लाहि तआला अलैह नमाज़ में खुजाने के मुतअल्लिक फ़रमाते हैं (नमाज़ में अगर खुजली आए तो) जब्त करे, और न हो सके या इस के सबब नमाज़ में दिल परेशान हो तो खुजा ले मगर एक रुक्न मसलन कियाम या क़ुऊद या रुकूअ या सुजूद में तीन बार न खुजावे दो बार तक इजाज़त है।...✍🏻
*📙 फतावा रज़विय्या जि 7 सफ़ह 384*
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 123-124 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 122
••──────────────────────••►
❝इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी) ❞
••──────────────────────••►
*⇩ " सय्यिदुना इस्माईल की अम्मी का नाम हाजिरा था " के उन्तीस हुरूफ़ की निस्बत से नमाज़ तोड़ने वाली 29 बातें⇩*
*⚘ अल्लाहु अकबर (اَللّٰهُ اَکْبَرُ) कहने में गलतियां ⚘*
╭┈► 28) तक्बीराते इन्तिकालात में اَللّٰهُ اَکْبَرُ के अलिफ़ को दराज़ किया यानी " आल्लाह "या" आक्बर " कहा या " ب " के बाद अलिफ़ बढ़ाया यानी "अक्बार" कहा तो नमाज़ फ़ासिद हो गई। और अगर तक्बीरे तहरीमा में ऐस हुवा तो नमाज़ शुरूअ ही न हुई।
╭┈► 29) किराअत या अज़्कारे नमाज़ में ऐसी गलती जिस से माना फ़ासिद हो जाएं नमाज़ फ़ासिद हो जाती है।...✍🏻
📕 बहारे शरीअत 4 हिस्सा 3 सफ़ह 182
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 124 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 123
••──────────────────────••►
❝इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी) ❞
••──────────────────────••►
*⇩ "उम्महातुल मुअमिनीन पर लाखों सलाम" के छब्बीस हुरूफ की निस्बत से नमाज़ के 26 मकरुहाते तहरीमा ⇩*
╭┈► 1) बदन या लिबास के साथ खेलना।
╭┈► 2) कपड़ा समेटना। जैसा कि आजकल बाज़ लोग सज्दे में जाते वक़्त पाजामा वगैरा आगे या पीछे से उठा लेते हैं। अगर कपड़ा बदन से चिपक जाए तो एक हाथ से छुड़ाने में हरज नहीं।
*⚘ कन्धों पर चादर लटकाना ⚘*
╭┈► 3) सदल यानी कपड़ा लटकाना। मसलन सर या कन्धे पर इस तरह से चादर या रुमाल वगैरा डालना कि दोनों कनारे लटकते हों हां अगर एक कनारा दूसरे कन्धे पर डाल दिया और दूसरा लटक रहा है तो हरज नहीं। अगर एक ही कन्धे पर चादर डाली कि एक सिरा पीठ पर लटक रहा है और दूसरा पेट पर तो येह भी मकरुह है।...✍🏻
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 3 सफ़ह 192
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 124-125 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 124
••──────────────────────••►
❝इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी) ❞
••──────────────────────••►
*⇩ "उम्महातुल मुअमिनीन पर लाखों सलाम" के छब्बीस हुरूफ की निस्बत से नमाज़ के 26 मकरुहाते तहरीमा ⇩*
*⚘ तब्ई हाजत की शिद्दत ⚘*
╭┈► 4,6) पेशाब या पाखाना या रीह की शिद्दत होना अगर नमाज़ शुरू करने से पहले ही शिद्दत हो तो वक़्त में वुस्अत होने की सूरत में नमाज़ शुरूअ करना ही मम्नूअ व गुनाह है। हां अगर ऐसा है कि फ़रागत और वुजू के बाद नमाज़ का वक़्त ख़त्म हो जाएगा तो नमाज़ पढ़ लीजिये। और अगर दौराने नमाज़ येह हालत पैदा हुई तो अगर वक़्त में गुन्जाइश हो तो नमाज़ तोड़ देना वाजिब है अगर इसी तरह पढ़ ली तो गुनहगार होंगी।
*⚘ नमाज़ में कंकरियां हटाना ⚘*
╭┈► 7) दौराने नमाज़ कंकरियां हटाना मकरुहे तहरीमी है हां अगर सुन्नत के मुताबिक सज्दा अदा न हो सकता हो तो एक बार हटाने की इजाज़त है और अगर बिगैर हटाए वाजिब अदा न होता हो तो हटाना वाजिब है चाहे एक बार से ज़ियादा की हाजत पड़े।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 125 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 125
••──────────────────────••►
❝इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी) ❞
••──────────────────────••►
*⇩ "उम्महातुल मुअमिनीन पर लाखों सलाम" के छब्बीस हुरूफ की निस्बत से नमाज़ के 26 मकरुहाते तहरीमा ⇩*
*⚘ उंग्लियां चटख़ाना ⚘*
╭┈► 8) नमाज़ में उंग्लियां चटखाना खा-तमुल मुहक्किक़ीन हज़रते अल्लामा इब्ने आबिदीन शामी रहमतुल्लाहि तआला अलैह फ़रमाते हैं इब्ने माजह की रिवायत है कि सरकारे मदीना ﷺ ने फ़रमाया नमाज़ में अपनी उंग्लियां न चटखाया करो। मुज्तबा के हवाले से नक्ल किया, सुल्ताने दो जहान, शहन्शाहे कौनो मकान, रहमते आलमिय्यान ﷺ ने इन्तिज़ारे नमाज़ के दौरान उंग्लियां चटखाने से मन्अ फ़रमाया। मजीद एक रिवायत में है नमाज़ के लिये जाते हुए उंग्लियां चटखाने से मन्अ फ़रमाया। इन अहादीसे मुबारका से येह तीन अहकाम साबित हुए
╭┈► 1} नमाज़ के दौरान मकरूहे तहरीमी हैं। और तवाबेए नमाज़ में मसलन नमाज़ के लिये जाते हुए, नमाज़ का इन्तिज़ार करते हुए भी उंग्लियां चटखाना मकरुह है।
📙 बहारे शरीअत हिस्सा 3 सफ़ह 193 मक - त - बतुल मदीना
╭┈► 2} खारिजे नमाज़ में (यानी तवाबेए नमाज़ में भी न हो) बिगैर हाजत के उंग्लियां चटखाना मरूहे तन्जीही है
╭┈► 3} खारिजे नमाज़ में किसी हाजत के सबब म-सलन उंग्लियों को आराम देने के लिये उंग्लियां चटखाना मुबाह (यानी बिला कराहत जाइज़) है
╭┈► 9) तश्बीक यानी एक हाथ की उंग्लियां दूसरे हाथ की उंग्लियों में डालना।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 126 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 126
••──────────────────────••►
❝इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी) ❞
••──────────────────────••►
*⇩ "उम्महातुल मुअमिनीन पर लाखों सलाम" के छब्बीस हुरूफ की निस्बत से नमाज़ के 26 मकरुहाते तहरीमा ⇩*
*⚘ कमर पर हाथ रखना ⚘*
╭┈► 10) कमर पर हाथ रखना नमाज़ के इलावा भी (बिला उज्र) कमर (यानी दोनों पहलूओं) पर हाथ नहीं रखना चाहिये। अल्लाह के महबूब ﷺ फ़रमाते हैं कमर पर नमाज़ में हाथ रखना जहन्नमियों की राहत है यानी येह यहूदियों का फ़ेल है कि वोह जहन्नमी हैं वरना जहन्नमियों के लिये जहन्नम में क्या राहत है।..✍🏻
📕 हाशिया बहारे शरीअत हिस्सा 3 सफ़ह 186
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 127 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 127
••──────────────────────••►
❝इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी) ❞
••──────────────────────••►
*⇩ "उम्महातुल मुअमिनीन पर लाखों सलाम" के छब्बीस हुरूफ की निस्बत से नमाज़ के 26 मकरुहाते तहरीमा ⇩*
*⚘ आस्मान की तरफ़ देखना ⚘*
╭┈► 11) निगाह आस्मान की तरफ़ उठाना
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 3 सफ़ह 194
╭┈► अल्लाह के महबूब ﷺ फ़रमाते हैं क्या हाल है उन लोगों का जो नमाज़ में आसमान की तरफ़ आंखें उठाते हैं इस से बाज़ रहें या उन की आंखें उचक ली जाएंगी।
╭┈► 12) इधर उधर मुंह फेर कर देखना, चाहे पूरा मुंह फिरा या थोड़ा। मुंह फैरे बिगैर सिर्फ आंखें फिरा कर इधर, उधर बे ज़रूरत देखना मरूहे तन्ज़ीही है और नादिरन किसी गरजे सहीह के तहत हो तो हरज नहीं।
📙 बहारे शरीअत हिस्सा 3 सफ़ह 194
╭┈► सरकारे मदीना, सुल्ताने बा करीना, करारे कल्बो सीना , फैज़ गन्जीना ﷺ फ़रमाते हैं जो बन्दा नमाज़ में है अल्लाह अज़्ज़वजल की रहमते ख़ास्सा उस की तरफ़ मुतवज्जेह रहती है जब तक इधर उधर न देखे, जब उस ने अपना मुंह फैरा उस की रहमत भी फिर जाती है।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 127 📚*
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 128
••──────────────────────••►
❝ इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी)❞
••──────────────────────••►
*⇩ "उम्महातुल मुअमिनीन पर लाखों सलाम" के छब्बीस हुरूफ की निस्बत से नमाज़ के 26 मकरुहाते तहरीमा ⇩*
*⚘ नमाज़ी की तरफ़ देखना ⚘*
╭┈► 13) किसी के मुंह के सामने नमाज़ पढ़ना दूसरे को भी नमाज़ी की तरफ़ मुंह करना ना जाइज़ व गुनाह है। कोई पहले से चेहरा, किये हुए हो और अब कोई उस के चेहरे की तरफ रुख कर के नमाज़ शुरूअ करे तो नमाज़ शुरूअ करने वाला गुनहगार हुवा और इस नमाज़ी पर कराहत आई वरना चेहरा करने वाले पर गुनाह व कराहत है।
╭┈► 14) बिला ज़रूरत खन्कार ( यानी बल्गम वगैरा) निकालना।
╭┈► 15) कस्दन जमाही लेना। (अगर खुद ब खुद आए तो हरज नहीं मगर रोकना मुस्तहब है) अल्लाह के महबूब ﷺ फ़रमाते हैं जब नमाज़ में किसी को जमाही आए तो जहां तक हो सके रोके कि शैतान मुंह में दाखिल हो जाता है।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 128 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 129
••──────────────────────••►
❝ इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी)❞
••──────────────────────••►
*⇩ "उम्महातुल मुअमिनीन पर लाखों सलाम" के छब्बीस हुरूफ की निस्बत से नमाज़ के 26 मकरुहाते तहरीमा ⇩*
╭┈► 16) उल्टा क़ुरआने मजीद पढ़ना
(मसलन पहली रक्अत में "تبّت" पढ़ी और दूसरी में "اِذا جَآء"
╭┈► 17) किसी वाजिब को तर्क करना। मसलन "कौमा" और "जल्सा" में पीठ सीधी होने से पहले ही सज्दे में चला जाना।
📙 बहारे शरीअत हिस्सा 3 सफ़ह 197
╭┈► इस गुनाह में मुसलमानों की अच्छी खासी तादाद मुलव्वस नज़र आती है, याद रखिये ! जितनी भी नमाज़ें इस तरह पढ़ी होंगी सब का लौटाना वाजिब है है। "कौमा" और "जल्सा" में कम अज़ कम एक बार "سُبْحٰنَ اللّٰه" कहने के मिक्दार ठहरना वाजिब है।
╭┈► 18) "कियाम" के इलावा किसी और मौक़अ पर क़ुरआने मजीद पढ़ना।...✍🏻
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 3 सफ़ह 197
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 128-129 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 130
••──────────────────────••►
❝ इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी)❞
••──────────────────────••►
*⇩ "उम्महातुल मुअमिनीन पर लाखों सलाम" के छब्बीस हुरूफ की निस्बत से नमाज़ के 26 मकरुहाते तहरीमा ⇩*
╭┈► 19) किराअत रुकूअ में पहुंच कर ख़त्म करना।
╭┈► 20) ज़मीने मासूबा (यानी ऐसी ज़मीन जिस पर ना जाइज़ कब्जा किया हो) या।
╭┈► 21) पराया खेत जिस में ज़राअत मौजूद है या।
╭┈► 22) जुते हुए खेत में या।
╭┈► 23) कब्र के सामने जब कि कब्र और नमाज़ी के बीच में कोई चीज़ हाइल न हो नमाज़ पढ़ना।
╭┈► 24) कुफ्फार के इबादत ख़ानों में नमाज़ पढ़ना बल्कि इन में जाना भी मम्नूअ है।..✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 129 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 131
••──────────────────────••►
❝ इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी)❞
••──────────────────────••►
*⇩ "उम्महातुल मुअमिनीन पर लाखों सलाम" के छब्बीस हुरूफ की निस्बत से नमाज़ के 26 मकरुहाते तहरीमा ⇩*
*⚘ नमाज़ और तसावीर ⚘*
╭┈► 25) जानदार की तस्वीर वाला लिबास पहन कर नमाज़ पढ़ना मकरूहे तहरीमी है नमाज़ के इलावा भी ऐसा कपड़ा पहनना जाइज़ नहीं।
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 3 सफ़ह 195
╭┈► 26) नमाज़ी के सर पर यानी छत पर या सज्दे की जगह पर या आगे या दाएं या बाएं जानदार की तस्वीर आवेज़ां होना मकरुहे तहरीमी है और पीछे होना भी मकरूह है मगर गुज़श्ता सूरतों से कम अगर तस्वीर फ़र्श पर है और उस पर सज्दा नहीं होता तो कराहत नहीं अगर तस्वीर गैर जानदार की है जैसे दरिया पहाड़ वगैरा तो इस में कोई मुज़ायका नहीं। इतनी छोटी तस्वीर हो जिसे ज़मीन पर रख कर खड़े हो कर देखें तो आज़ा की तफ़सील न दिखाई दे (जैसा कि उमूमन तवाफ़े काबा के मन्ज़र की तस्वीरें बहुत छोटी होती हैं ये तसावीर) नमाज़ के लिये बाइसे कराहत नहीं हैं।
📙 बहारे शरीअत हिस्सा 3 सफ़ह 195-196
╭┈► हां तवाफ़ की भीड़ में एक भी चेहरा, वाजेह हो गया तो मुमानअत बाकी रहेगी। चेहरे के इलावा मसलन हाथ, पाउं, पीठ , चेहरे का पिछला हिस्सा या ऐसा चेहरा जिस की आंखें , नाक , होंट वगैरा सब आज़ा मिटे हुए हों ऐसी तसावीर में कोई हरज नहीं।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 129-130 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 132
••──────────────────────••►
❝इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी) ❞
••──────────────────────••►
*⇩ "खुदा के नबी मूसा की मां का नाम यूहानिज है" के तीस हुरूफ़ की निस्बत से नमाज़ के 30 मकरूहाते तन्जीहा⇩*
╭┈► 1) दूसरे कपड़े मुयस्सर होने के बा वुजूद कामकाज के लिबास में नमाज़ पढ़ना।
╭┈► 2) मुंह में कोई चीज़ लिये हुए होना। अगर इस की वजह से किराअत ही न हो सके या ऐसे ? अल्फ़ाज़ निकलें कि जो क़ुरआने पाक के न हों तो नमाज़ ही फ़ासिद हो जाएगी।
╭┈► 3) रुकूअ या सज्दे में बिला ज़रूरत तीन बार से कम तस्बीह कहना (अगर वक़्त तंग हो या ट्रेन चल पड़ने के ख़ौफ़ से हो तो हरज नहीं।)
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 3 सफ़ह 198
╭┈► 4) नमाज़ में पेशानी से ख़ाक या घास छुड़ाना। हां अगर इन की वजह से नमाज़ में ध्यान बटता हो तो छुड़ाने में हरज नहीं।
╭┈► 5) नमाज़ में हाथ या सर के इशारे से सलाम का जवाब देना ज़बान से जवाब देना मुसिदे नमाज़ है।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 130 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 133
••──────────────────────••►
❝इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी) ❞
••──────────────────────••►
*⇩ "खुदा के नबी मूसा की मां का नाम यूहानिज है" के तीस हुरूफ़ की निस्बत से नमाज़ के 30 मकरूहाते तन्जीहा⇩*
╭┈► 6) नमाज़ में बिला उज्र चार जानू यानी चोकड़ी मार कर बैठना।
╭┈► 7) अंगड़ाई लेना और।
╭┈► 8,9) इरादतन खांसना , खन्कारना। अगर तबीअत चाहती हो तो हरज नहीं।
📕 बहारे शरीअत , हिस्सा : 3 , स . 201
╭┈► 10) सज्दे में जाते हुए घुटने से पहले बिला उज्र हाथ ज़मीन पर रखना।
╭┈► 11) उठते वक़्त बिला उज्र हाथ से क़ब्ल घुटने ज़मीन से उठाना।
╭┈► 12) नमाज़ में सना , तअव्वुज़ , तस्मिया और आमीन ज़ोर से कहना।
╭┈► 13) बिगैर उज्र दीवार वगैरा पर टेक लगाना।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 131 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 134
••──────────────────────••►
❝ इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी)❞
••──────────────────────••►
*⇩ "खुदा के नबी मूसा की मां का नाम यूहानिज है" के तीस हुरूफ़ की निस्बत से नमाज़ के 30 मकरूहाते तन्जीहा⇩*
╭┈► 14) रुकूअ में घुटनों पर और
╭┈► 15) सज्दों में ज़मीन पर हाथ न रखना
╭┈► 16) दाएं बाएं झूमना। और तरावुह यानी कभी दाएं पाउं पर और कभी बाएं पाउं पर जोर देना येह सुन्नत है।
📕 फ़तावा र - ज़विय्या मुखर्रजा , जि . 7 , स . 389 , बहारे शरीअत , हिस्सा : 3 , स . 202
╭┈► और सज्दे के लिये जाते हुए सीधी तरफ़ ज़ोर देना और उठते वक़्त उल्टी तरफ़ ज़ोर देना मुस्तहब है
╭┈► 17) नमाज़ में आंखें बन्द रखना। हां अगर खुशूअ आता हो तो आंखें बन्द रखना अफ़ज़ल है।
╭┈► 18) जलती आग के सामने नमाज़ पढ़ना। शम्अ या चराग सामने हो तो हरज नहीं।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 131 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 135
••──────────────────────••►
❝इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी) ❞
••──────────────────────••►
*⇩ "खुदा के नबी मूसा की मां का नाम यूहानिज है" के तीस हुरूफ़ की निस्बत से नमाज़ के 30 मकरूहाते तन्जीहा⇩*
╭┈► 19) ऐसी चीज़ के सामने नमाज़ पढ़ना जिस से ध्यान बटे मसलन जीनत और लह्वो लड़ब वगैरा।
╭┈► 20) नमाज़ के लिये दौड़ना
╭┈► 21) आम रास्ता
╭┈► 22 ) कूड़ा डालने की जगह
╭┈► 23) मज्बह यानी जहां जानवर जब्ह किये जाते हों वहां।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 131 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 136
••──────────────────────••►
❝ इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी)❞
••──────────────────────••►
*⇩ "खुदा के नबी मूसा की मां का नाम यूहानिज है" के तीस हुरूफ़ की निस्बत से नमाज़ के 30 मकरूहाते तन्जीहा⇩*
╭┈►24) अस्तबल यानी घोड़े बांधने की जगह
╭┈► 25) गुस्ल खाना
╭┈► 26) मवेशी खाना खुसूसन जहां ऊंट बांधे जाते हों
╭┈► 27) इस्तिन्जा खाने की छत और
╭┈► 28) सहरा में बिला सुतरा के जब कि आगे से लोगों के गुज़रने का इम्कान हो इन जगहों पर नमाज़ पढ़ना।
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 3 सफ़ह 204-205
╭┈► 29) बिगैर उज्र हाथ से मक्खी मच्छर उड़ाना नमाज़ में जूं या मच्छर ईज़ा देते हों तो पकड़ कर मार डालने में कोई हरज नहीं जब कि अमले कसीर न हो।
📗 बहारे शरीअत हिस्सा 3 सफ़ह 203
╭┈► 30) उल्टा कपड़ा पहनना या ओढ़ना।
📙 फ़तावा रज़विय्या जिल्द 7 सफ़ह 358 ता 360 , फतावा अहले सुन्नत गैर मत्यूआ
╭┈► मदनी फूल : वोह अमले कलील जो नमाजी के लिये मुफीद हो जाइज़ है और जो मुफीद न हो वोह मकरूह।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 132 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 137
••──────────────────────••►
❝ इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी)❞
••──────────────────────••►
*⇩ जोहर के आखिरी दो नफ़्ल के भी क्या कहने ⇩*
╭┈► जोहर के बाद चार रक्अत पढ़ना मुस्तहब है कि हदीसे पाक में फरमाया जिस ने जोहर से पहले चार और बाद में चार पर मुहा - फ़ज़त की अल्लाह तआला उस पर आग हराम फ़रमा देगा। अल्लामा सय्यिद तहतावी , रहमतुल्लाहि तआला अलैह फ़रमाते हैं सिरे से आग में दाखिल ही न होगा और उस के गुनाह मिटा दिये जाएंगे और उस पर ( बन्दों की हक़ त - लफ़ियों के ) : जो मुता - लबात हैं अल्लाह तआला उस के फ़रीक़ को राजी कर देगा या येह मतलब है कि ऐसे कामों की तौफ़ीक़ देगा जिन पर सज़ा न हो। और अल्लामा शामी रहमतुल्लाहि तआला अलैह फ़रमाते हैं उस के लिये बिशारत यह है कि सआदत पर उस का खातिमा होगा और दोज़ख़ में न जाएगा।
╭┈► इस्लामी बहनो ! अल्हम्दु लिल्लाह जहां जोहर की दस रक्अत नमाज़ पढ़ लेते हैं वहां आखिर में मजीद दो रक्अत नफ्ल पढ़ कर बारहवीं शरीफ़ की निस्बत से 12 रक्अत करने में देर ही कितनी लगती है इस्तिकामत के साथ दो नफ़्ल पढ़ने की निय्यत फ़रमा लीजिये।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 132 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 138
••──────────────────────••►
❝इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी) ❞
••──────────────────────••►
*⇩ "सय्यिदतुना मैमूना" के बारह हुरूफ़ की निस्बत से नमाज़े वित्र के 12 मदनी फूल ⇩*
╭┈► 1) नमाजे वित्र वाजिब है।
╭┈► 2) अगर येह छूट जाए तो इस की कज़ा लाज़िम है।
╭┈► 3) वित्र का वक़्त इशा के फ़र्को के बाद से सुबहे सादिक तक है।
╭┈► 4) जो सो कर उठने पर कादिर हो उस के लिये अफ़ज़ल है कि पिछली रात में उठ कर पहले तहज्जुद अदा करे फिर वित्र।
╭┈► 5) इस की तीन रक्अतें हैं ।
╭┈► 6) इस में कादए ऊला वाजिब है, सिर्फ तशहुद पढ़ कर खड़ी हो जाइये।
╭┈► 7) तीसरी रक्अत में किराअत के बाद तक्बीरे कुनूत कहना वाजिब है।...✍🏻
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 3 सफ़ह 86
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 133 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 139
••──────────────────────••►
❝ इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी)❞
••──────────────────────••►
*⇩ "सय्यिदतुना मैमूना" के बारह हुरूफ़ की निस्बत से नमाज़े वित्र के 12 मदनी फूल ⇩*
╭┈► 8) जिस तरह तक्बीरे तहरीमा कहते हैं इसी तरह तीसरी रक्अत में अल हम्द शरीफ़ और : सू रत पढ़ने के बाद पहले हाथ कन्धों तक उठाइये फिर اَللّٰهُ اَکْبَرُ कहिये
╭┈► 9) फिर हाथ बांध कर दुआए कुनूत पढ़िये।
दुआए कुनूत : ऐ अल्लाह हम तुझ से मदद चाहते (चाहती) हैं और तुझ से बखिशश मांगते (मांगती) हैं और तुझ पर ईमान लाते (लाती) हैं और तुझ पर भरोसा रखते (रखती) हैं और तेरी बहुत अच्छी तारीफ़ करते (करती) हैं और तेरा शुक्र करते
(करती) हैं और तेरी ना शुक्री नहीं करते हैं। (करती) और अलग करते (करती) हैं और छोड़ते (छोड़ती) हैं उस को जो तेरी ना फ़रमानी करे , ऐ अल्लाह हम तेरी ही इबादत करते (करती) हैं और तेरे ही लिये नमाज़ पढ़ते (पढ़ती) और सज्दा करते (करती) हैं और तेरी ही तरफ़ दौड़ते। (दौड़ती) और सअ्य करते (करती) हैं और तेरी रहमत की उम्मीद वार हैं और तेरे अज़ाब से डरते (डरती) हैं बेशक तेरा अज़ाब क़ाफ़िरों को मिलने वाला है।
╭┈► 10) दुआए कुनूत के बाद दुरुद शरीफ़ पढ़ना बेहतर है।
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 4 सफ़ह 4 ,
╭┈► 11) जो दुआए कुनूत न पढ़ सकें वोह येह पढ़ें
(اَللّٰھُمَّ) رَبَّنَآ اٰتِنَا فِی الدُّنْیَا حَسَنَۃً وَّ فِی الْاٰخِرَۃِ حَسَنَۃً وَّ قِنَا عَذَابَ النَّارِ
╭┈► (ऐ अल्लाह अज़्ज़वजल) तरजमए कन्जुल ईमान : ऐ रब हमारे हमें दुन्या में भलाई दे और हमें आख़िरत में भलाई दे और हमें अज़ाबे दोज़ख से बचा। या येह पढ़िये ऐ अल्लाह मेरी मफ़िरत फ़रमा दे।
╭┈► 12) अगर दुआए कुनूत पढ़ना भूल गई और रुकूअ में चली गई तो वापस न लौटिये बल्कि सज्दए सह्व कर लीजिये।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 134-135 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 140
••──────────────────────••►
❝इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी) ❞
••──────────────────────••►
*⇩ "हज़रते हलीमा सादिया" के चौदह हुरूफ़ की निस्बत से सज्दए सह्व के 14 मदनी फूल ⇩*
╭┈► 1) वाजिबाते नमाज़ में से अगर कोई वाजिब भूले से रह जाए तो सज्दए सह्व वाजिब है।
╭┈► 2) अगर सज्दए सह्व वाजिब होने के बा वुजूद न किया तो नमाज़ लौटाना वाजिब है।
╭┈► 3) जानबूझ कर वाजिब तर्क किया तो सज्दए सह्व काफ़ी नहीं बल्कि नमाज़ दोबारा लौटाना वाजिब है।
╭┈► 4) कोई ऐसा वाजिब तर्क हुवा जो वाजिबाते नमाज़ से नहीं बल्कि इस का वुजूब अमे खारिज से हो तो सज्दए सह्व वाजिब नहीं मसलन खिलाफे तरतीब कुरआने पाक पढ़ना तर्के वाजिब है मगर इस का तअल्लुक वाजिबाते ! नमाज़ से नहीं बल्कि वाजिबाते तिलावत से है लिहाजा सज्दए सह्व नहीं (अलबत्ता जानबूझ कर ऐसा किया हो तो इस से तौबा करे)।
╭┈► 5) फ़र्ज़ तर्क हो जाने से नमाज़ जाती रहती है। सज्दए सब से इस की तलाफ़ी नहीं हो सकती लिहाज़ा दोबारा पढ़िये।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 135-136 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 141
••──────────────────────••►
❝इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी) ❞
••──────────────────────••►
*⇩ "हज़रते हलीमा सादिया" के चौदह हुरूफ़ की निस्बत से सज्दए सह्व के 14 मदनी फूल ⇩*
╭┈► 6) सुन्नतें या मुस्तहब्बात मसलन सना, तअव्वुज़, तस्मिया, आमीन तक्बीराते इन्तिकालात (यानी सुजूद वगैरा में जाते उठते वक़्त कही जाने वाली اَللّٰهُ اَکْبَرُ) और तस्वीहात के तर्क से सज्दए सह्व वाजिब नहीं होता, नमाज़ हो गई मगर दोबारा पढ़ लेना मुस्तहब है, भूल कर तर्क किया हो या जानबूझ कर।
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 4 सफ़ह 58
╭┈► 7) नमाज़ में अगर्चे दस वाजिब तर्क हुए , सह्व के दो ही सज्दे सब के लिये काफ़ी हैं।
📗 बहारे शरीअत हिस्सा 4 सफ़ह 59
╭┈► 8) तादीले अरकान ( म - सलन रुकूअ के बाद कम अज़ कम एक बार सुब्हान अल्लाह कहने की मिक्दार सीधा खड़ा होना या दो सब्दों के दरमियान एक बार सुब्हान अल्लाह कहने की मिक्दार सीधा बैठना भूल गई सज्दए सह्व वाजिब है।
╭┈► 9) कुनूत या तक्बीरे कुनूत (यानी वित्र की तीसरी रक्त में किराअत के बाद कुनूत के लिये जो तक्वीर कही जाती है वोह अगर) भूल गई सज्दए सह्व वाजिब है।
╭┈► 10) किराअत वगैरा किसी मौक़ पर सोचने में तीन मरतबा सुब्हान अल्लाह कहने का वक्फा गुज़र गया सज्दए सह्व वाजिब हो गया।
╭┈► 11) सज्दए सह्व के बाद भी अत्तहिय्यात पढ़ना वाजिब है अत्तहिय्यात पढ़ कर सलाम फैरिये और बेहतर येह है कि दोनों बार अत्तहिय्यात पढ़ कर दुरूद शरीफ़ भी पढ़िये।
╭┈► 12 ) कादए ऊला में तशहहुद के बाद इतना पढ़ा " اَللّٰھُمَّ صَلِّ عَلی مُحَمَّدِِ " तो सज्दए सह्व वाजिब है इस वज्ह से नहीं कि दुरूद शरीफ़ पढ़ा बल्कि इस वज्ह से कि तीसरी रक्अत के क़ियाम में ताखीर हुई तो अगर इतनी देर तक सुकूत किया (चुप रही) जब भी सज्दए सह्व है जैसे कादा व रुकूअ व सुजूद में कुरआन पढ़ने से सज्दए सब वाजिब है हालां कि वोह कलामे इलाही है।...✍🏻
📙 बहारे शरीअत हिस्सा 4 सफ़ह 62
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 136-137 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 142
••──────────────────────••►
❝ इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी)❞
••──────────────────────••►
*⇩ "हज़रते हलीमा सादिया" के चौदह हुरूफ़ की निस्बत से सज्दए सह्व के 14 मदनी फूल ⇩*
╭┈► *हिकायत :* हज़रते सय्यिदुना इमामे आजम अबू हनीफ़ा रादिअल्लाहु तआला अन्हु को ख्वाब में सरकारे नामदार , दो आलम के मालिको मुख़्तार , शहनशाहे अबरार ﷺ का दीदार हुवा सरकारे नामदार ﷺ ने इस्तिफ़्सार फ़रमाया दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाले पर तुम ने सज्दा क्यूं वाजिब बताया ? " अर्ज़ की इस लिये कि ? इस ने भूल कर ( यानी गफ़्लत से) पढ़ा। सरकारे आली वकार ﷺ ने येह जवाब पसन्द फ़रमाया
╭┈► 13) किसी कादे में तशहुद से कुछ रह गया तो सज्दए सह्व वाजिब है नमाज़ नफ़्ल हो या फ़र्ज़।
*⚘ सज्दए सह्व का तरीका ⚘*
╭┈► 14) अत्तहिय्यात पढ़ कर बल्कि अफ़ज़ल येह है कि दुरूद शरीफ़ भी पढ़ लीजिये , सीधी तरफ़ सलाम फैर कर दो सज्दे कीजिये , फिर तशहुद , दुरूद शरीफ़ और दुआ पढ़ कर सलाम फैर दीजिये।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 138 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 143
••──────────────────────••►
❝इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी) ❞
••──────────────────────••►
*⇩ वित्र का सलाम फैरने के बाद की एक सुन्नत ⇩*
╭┈► शहनशाहे खैरुल अनाम ﷺ जब वित्र में सलाम फैरते तीन سُبحٰنَ الْمَلِكَِ الْقُدُّوْسِ बार कहते और तीसरी बार बुलन्द आवाज़ से कहते।
*⇩ सज्दए तिलावत और शैतान की शामत ⇩*
╭┈► अल्लाह के महबूब , दानाए गुयूब , मुनज्जहुन अनिल उयूब ﷺ का फ़रमाने जन्नत निशान है जब आदमी आयते सज्दा पढ़ कर सज्दा करता है , शैतान हट जाता है और रो कर कहता है हाए मेरी बरबादी इब्ने आदम को सज्दे का हुक्म हुवा उस ने सज्दा किया उस के लिये जन्नत है और मुझे हुक्म हुवा मैं ने इन्कार किया मेरे लिये दोज़ख़ है।
*⇩ इंशाअल्लाह मुराद पूरी हो ⇩*
╭┈► क़ुरआने मजीद में सज्दे की 14 आयात हैं। जिस मक्सद के लिये एक मजलिस में सज्दे की सब (यानी 14) आयतें पढ़ कर (14) सज्दे करे अल्लाह अज़्ज़वजल उस का मक्सद पूरा फ़रमा देगा। ख्वाह एक एक आयत पढ़ कर उस का सज्दा करती जाए या सब पढ़ कर आखिर में 14 सज्दे कर ले। मकतबतुल मदीना की मत्बूआ बहारे शरीअत हिस्सा 4 सफ़हा 752 ता 77 पर 14 आयाते सज्दा मुलाहज़ा फ़रमा लीजिये।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 138 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 144
••──────────────────────••►
❝इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी) ❞
••──────────────────────••►
*⇩ "या बीबी फातिमा" के ग्यारह हुरूफ की निस्बत से सज्दए तिलावत के 11 मदनी फूल ⇩*
╭┈► 1) आयते सज्दा पढ़ने या सुनने से सज्दा वाजिब हो जाता है। पढ़ने में येह शर्त है कि इतनी आवाज़ में हो कि अगर कोई उज्र न हो। तो खुद सुन सके , सुनने वाले के लिये येह ज़रूरी नहीं कि बिल कस्द सुनी हो बिला कस्द सुनने से भी सज्दा वाजिब हो जाता है।
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 4 सफ़ह 77
╭┈► 2) किसी भी ज़बान में आयत का तरजमा पढ़ने और सुनने वाली पर सज्दा वाजिब हो गया , सुनने वाली ने येह समझा हो या न समझा हो कि आयते सज्दा का तरजमा है। अलबत्ता येह ज़रूर है कि उसे न मालूम हो तो बता दिया। गया हो कि येह आयते सज्दा का तरजमा था और आयत पढ़ी गई हो तो इस की जरूरत नहीं कि सुनने वाली को आयते सज्दा होना बताया गया हो।
╭┈► 3) सज्दा वाजिब होने के लिये पूरी आयत पढ़ना ज़रूरी है लेकिन बाज़ उलमाए मुतअख्ख़िरीन के नज़दीक वोह लफ़्ज़ जिस में सज्दे का माद्दा पाया जाता है उस के साथ क़ब्ल या बाद का कोई लफ्ज़ मिला कर पढ़ा तो सज्दए तिलावत वाजिब हो जाता है। लिहाजा एहतियात येही है कि दोनों सूरतों में सज्दए तिलावत किया जाए।...✍🏻
📗 फतावा रज़विय्या जिल्द 8 सफ़ह 229- 233 मुलख्वसन
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 139 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 145
••──────────────────────••►
❝इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी) ❞
••──────────────────────••►
*⇩ "या बीबी फातिमा" के ग्यारह हुरूफ की निस्बत से सज्दए तिलावत के 11 मदनी फूल ⇩*
╭┈► 4) आयते सज्दा बैरूने नमाज़ (यानी खारिजे नमाज़) पढ़ी तो फ़ौरन सज्दा कर लेना वाजिब नहीं है अलबत्ता वुजू हो तो ताखीर मकरूहे तन्जीही है।
╭┈► 5) सज्दए तिलावत नमाज़ में फौरन करना वाजिब है अगर ताखीर की तो गुनहगार होगी और जब तक नमाज़ में है या सलाम फैरने के बाद कोई नमाज़ के मुनाफ़ी फेल नहीं किया तो सज्दए तिलावत कर के सज्दए सह्व बजा लाए। ताखीर से मुराद तीन आयत से जियादा पढ़ लेना है कम में ताख़ीर नहीं मगर आखिरे सूरत में अगर सज्दा वाकेअ है , म - सलन इन्शक्कत तो सूरत पूरी कर के सज्दा करेगी जब भी हरज नहीं।
📙 बहारे शरीअत हिस्सा 4 सफ़ह 82 मुलख्खसन
╭┈► 6) काफ़िर या ना बालिग से आयते सज्दा सुनी तब भी सज्दए तिलावत वाजिब हो गया।
╭┈► 7) सज्दए तिलावत के लिये तहरीमा के सिवा तमाम वोह शराइत हैं जो नमाज़ के लिये हैं मसलन तहारत , इस्तिक्बाले क़िब्ला , निय्यत , वक़्त इस माना पर कि आगे आता है। सित्रे औरत लिहाजा अगर पानी पर कादिर है तयम्मुम कर के सज्दा करना जाइज़ नहीं।...✍🏻
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 4 सफ़ह 80
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 139 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 146
••──────────────────────••►
❝ इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी)❞
••──────────────────────••►
*⇩ "या बीबी फातिमा" के ग्यारह हुरूफ की निस्बत से सज्दए तिलावत के 11 मदनी फूल ⇩*
╭┈► 8) इस की निय्यत में येह शर्त नहीं कि फुलां आयत का सज्दा है बल्कि मुल्लकन सज्दए तिलावत की निय्यत काफ़ी है।
╭┈► 9) जो चीजें नमाज़ को फ़ासिद करती हैं उन से सज्दा भी फ़ासिद हो जाएगा मसलन हदसे अमद व कलाम व कह्लहा।
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 4 सफ़ह 80
*⚘ सज्दए तिलावत का तरीका ⚘*
╭┈► 10) खड़ी हो कर اَللّٰهُ اَکْبَرُ कहती हुई सज्दे में जाए और कम से कम तीन बार سُبْحٰنَ رَبِّیَ الْآعْلٰی कहे फिर اَللّٰهُ اَکْبَرُ कहती हुई खड़ी हो जाए। शुरूअ और बाद में , दोनों बार اَللّٰهُ اَکْبَرُ कहना सुन्नत है और खड़े हो कर सज्दे में जाना और सज्दे के बाद खड़ा होना येह दोनों कियाम मुस्तहब।
📗 बहारे शरीअत हिस्सा 4 सफ़ह 80
╭┈► 11 ) सज्दए तिलावत के लिये اَللّٰهُ اَکْبَرُ कहते वक़्त न हाथ उठाना है न इस में तशहुद है न सलाम।
╭┈► ताकीद : बालिगा होने के बाद जितनी बार भी आयाते सज्दा सुन कर अभी तक सज्दा न किया हो उन का गलबए जन के एतिबार से हिसाब लगा कर उतनी बार बा वुजू सज्दए तिलावत कर लीजिये।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 140-141 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 147
••──────────────────────••►
❝ इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी)❞
••──────────────────────••►
*⇩ सज्दए शुक्र का बयान ⇩*
╭┈► औलाद पैदा हुई , या माल पाया या गुमी हुई चीज़ मिल गई या मरीज़ ने शिफ़ा पाई या मुसाफ़िर वापस आया अल ग़रज़ किसी ने मत के हुसूल पर सज्दए शुक्र करना मुस्तहब है इस का तरीका वोही है जो सज्दए तिलावत का है। इसी तरह जब भी कोई खुश खबरी या नेमत मिले तो सज्दए शुक्र करना कारे सवाब है मसलन मदीनए मुनव्वरह ﷺ का वीज़ा लग गया , किसी पर इन्फ़िरादी कोशिश काम्याब हुई मुबारक ख्वाब नज़र आया , आफ़त टली या कोई दुश्मने इस्लाम मरा वगैरा वगैरा।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 141 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 148
••──────────────────────••►
❝इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी) ❞
••──────────────────────••►
*⇩ नमाज़ी के आगे से गुज़रना सख्त गुनाह है ⇩*
╭┈► 1) सरकारे मदीना , सुल्ताने बा करीना , करारे कल्बो सीना , फैज़ गन्जीना , साहिबे मुअत्तर पसीना , बाइसे नुजूले सकीना ﷺ का फ़रमाने इब्रत निशान है अगर कोई जानता कि अपने भाई के सामने नमाज़ में आड़े हो कर गुज़रने में क्या है तो सौ बरस खड़ा रहना उस एक कदम चलने से बेहतर समझता।
╭┈► 2) हज़रते सय्यिदुना इमाम मालिक रादिअल्लाहु तआला अन्हु फ़रमाते हैं कि हज़रते सय्यिदुना काबुल अहबार रादिअल्लाहु तआला अन्हु का इर्शाद है नमाज़ी के आगे से गुजरने वाला अगर जानता कि इस पर क्या गुनाह है तो ज़मीन में धंस जाने को गुज़रने से बेहतर जानता। नमाज़ी के आगे से गुज़रने वाला बेशक गुनाहगार है मगर नमाज़ पढ़ने वाले की नमाज़ में इस से कोई फ़र्क नहीं पड़ता।...✍🏻
📕 फ़तावा रज़विय्या जिल्द 7 सफ़ह 254 , मुलख्वसन
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 141 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 149
••──────────────────────••►
इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी)❝ ❞
••──────────────────────••►
*⇩ "सय्यिदह खदीजतुल कुब्रा" के पन्दरह हरूफ की निस्बत से नमाज़ी के आगे से गुजरने के बारे में 15 अहकाम ⇩*
╭┈► 1) मैदान और बड़ी मस्जिद में नमाज़ी के क़दम से मौजए सुजूद तक गुज़रना ना जाइज़ है। मौज़ए सुजूद से मुराद येह है कि कियाम की हालत में सज्दे की जगह नज़र जमाए तो जितनी दूर तक निगाह फैले वोह मौजए सुजूद है। उस के दरमियान से गुज़रना जाइज़ नहीं। मौजए सुजूद का फ़ासिला अन्दाज़न क़दम से ले कर तीन गज़ तक है। लिहाज़ा मैदान में नमाज़ी के कदम के तीन गज़ के बाद से गुजरने में हरज नहीं
📕 कानूने शरीअत हिस्सा अव्वल सफ़ह 114
╭┈► 2) मकान और छोटी मस्जिद में नमाज़ी के आगे अगर सुतरा (यानी आड़) न हो तो क़दम से दीवारे क़िब्ला तक , कहीं से गुज़रना जाइज़ नहीं।
╭┈► 3) नमाज़ी के आगे सुतरा यानी कोई आड़ हो तो उस सुतरे के बाद से गुजरने में कोई हरज नहीं।
╭┈► 4) सुतरा कम अज़ कम एक हाथ (यानी तकरीबन आधा गज़) ऊंचा और उंगली बराबर मोटा होना चाहिये।
╭┈► 5) दरख्त, आदमी और जानवर वगैरा का भी सुतरा हो सकता है ।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 142-143 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 150
••──────────────────────••►
❝ इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी)❞
••──────────────────────••►
*⇩ "सय्यिदह खदीजतुल कुब्रा" के पन्दरह हरूफ की निस्बत से नमाज़ी के आगे से गुजरने के बारे में 15 अहकाम ⇩*
╭┈► 6) इन्सान को इस हालत में सुतरा किया जाए जब कि उस की पीठ नमाज़ी की तरफ़ हो कि नमाज़ी की तरफ़ मुंह करना मन्अ है।
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 3 सफ़ह 184
╭┈► अगर नमाज़ पढ़ने वाली के चेहरे की तरफ़ किसी ने मुंह किया तो अब कराहत नमाज़ी पर नहीं उस मुंह करने वाली पर है
╭┈► 7) एक इस्लामी बहन नमाज़ी के आगे से गुज़रना चाहती है अगर दूसरी इस्लामी बहन उसी को आड़ बना कर उस के चलने की इरफ्तार के ऐन मुताबिक उस के साथ ही साथ गुज़र जाए तो जो नमाजी से करीब है वोह गुनहगार हुई और दूसरी के लिये येही पहली इस्लामी बहन सुतरा (यानी आड़) भी बन गई।
╭┈► 8) अगर कोई इस क़दर ऊंची जगह पर नमाज पढ़ रही है कि गुजरने वाली के आज़ा नमाज़ी के सामने नहीं हुए तो गुज़रने में हरज नहीं।
📗 बहारे शरीअत हिस्सा 3 सफ़ह 183 मक - त - बतुल मदीना
╭┈► 9) दो औरतें नमाज़ी के आगे से गुज़रना चाहती हैं इस का तरीका येह है कि उन में से एक नमाजी के सामने पीठ कर के खड़ी हो जाए। अब उस को आड़ बना कर दूसरी गुज़र जाए। फिर दूसरी पहली की पीठ के पीछे नमाज़ी की तरफ़ पीठ कर के खड़ी हो जाए। अब पहली गुज़र जाए फिर वोह दूसरी जिधर से आई थी उसी तरफ़ हट जाए।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 143 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 151
••──────────────────────••►
❝ इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी)❞
••──────────────────────••►
*⇩ "सय्यिदह खदीजतुल कुब्रा" के पन्दरह हरूफ की निस्बत से नमाज़ी के आगे से गुजरने के बारे में 15 अहकाम ⇩*
╭┈►10) कोई नमाज़ी के आगे से गुज़रना चाहती है तो नमाज़ी को इजाज़त है कि वोह उसे गुज़रने से रोके ख़्वाह "सुब्हान अल्लाह" कहे या जह (यानी बुलन्द आवाज़ से) किराअत करे या हाथ या सर या आंख के इशारे से मन्अ करे। इस से ज़ियादा की इजाज़त नहीं। म - सलन कपड़ा पकड़ कर झटक्ना या मारना बल्कि अगर अमले कसीर हो गया तो नमाज़ ही जाती रही।
╭┈► 11) तस्बीह व इशारा दोनों को बिला ज़रूरत जम्अ करना मकरुह है।
╭┈► 12) औरत के सामने से गुज़रे तो औरत तस्फ़ीक़ से मन्अ करे यानी। सीधे हाथ की उंग्लियां उल्टे हाथ की पुश्त पर मारे।
╭┈► 13) अगर मर्द ने तस्फ़ीक़ की और औरत ने तस्बीह कही तो नमाज़ फ़ासिद न हुई मगर ख़िलाफ़े सुन्नत हुवा।
╭┈► 14) तवाफ़ करने वाली को दौराने तवाफ़ नमाज़ी के आगे से गुज़रना जाइज़ है।
╭┈► 15) सअ्य के दौरान नमाज़ी के आगे से गुज़रना जाइज़ नहीं।..✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 143 📚*
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 152
••──────────────────────••►
❝इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी) ❞
••──────────────────────••►
*⇩ "तरावीह सुन्नते मुअक्कदा है" के सत्तरह हुरूफ़ की निस्बत से तरावीह के 17 मदनी फूल ⇩*
╭┈► 1) तरावीह हर आकिल व बालिग इस्लामी बहन के लिये सुन्नते मुअक्कदा है। इस का तर्क जाइज़ नहीं।
╭┈► 2) तरावीह की बीस20 रक्अतें हैं। सय्यिदुना फारूके आजम रादिअल्लाहु तआला अन्हु के अद में बीस20 रक्अतें ही पढ़ी जाती थीं।
╭┈► 3) तरावीह का वक़्त इशा के फ़र्ज़ पढ़ने के बाद से सुब्हे सादिक़ तक है। इशा के फ़र्ज़ अदा करने से पहले अगर पढ़ ली तो न होगी।
╭┈► 4) इशा के फर्ज व वित्र के बाद भी तरावीह पढ़ी जा सकती है। जैसा कि बाज़ अवकात 29 को रूयते हिलाल की शहादत मिलने में ताखीर के सबब ऐसा हो जाता है।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 145 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 153
••──────────────────────••►
❝ इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी)❞
••──────────────────────••►
*⇩ "तरावीह सुन्नते मुअक्कदा है" के सत्तरह हुरूफ़ की निस्बत से तरावीह के 17 मदनी फूल ⇩*
╭┈► 5) मुस्तहब येह है कि तरावीह में तिहाई रात तक ताखीर करें अगर आधी रात के बाद पढ़ें तब भी कराहत नहीं।
╭┈► 6) तरावीह अगर फ़ौत हुई तो इस की क़ज़ा नहीं।
╭┈► 7) बेहतर येह है कि तरावीह की बीस20 रक्अतें दो दो कर के दस सलाम के साथ अदा करे।
╭┈► 8) तरावीह की बीस20 रक्अतें एक सलाम के साथ भी अदा की जा सकती हैं , मगर ऐसा करना मकरूह है। हर दो रक्अत पर कादा करना फ़र्ज़ है। हर कादा में अत्तहिय्यात के बाद दुरूद शरीफ़ भी पढ़े और ताक रक्अत (यानी पहली , तीसरी , पांचवीं वगैरा) में सना, तअव्वुज व तस्मिया भी पढ़े।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 146 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 154
••──────────────────────••►
❝इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी) ❞
••──────────────────────••►
*⇩ "तरावीह सुन्नते मुअक्कदा है" के सत्तरह हुरूफ़ की निस्बत से तरावीह के 17 मदनी फूल ⇩*
╭┈► 9) एहतियात येह है कि जब दो दो रक्अत कर के पढ़ रही है। तो हर दो रक्अत पर अलग अलग निय्यत करे और अगर बीस20 रक्अतों की एक साथ निय्यत कर ली तब भी जाइज़ है
╭┈► 10 ) बिला उज्र तरावीह बैठ कर पढ़ना मकरूह है बल्कि बाज़ फुकहाए किराम के नज़दीक तो होती ही नहीं।
╭┈► 11) अगर (हाफ़िज़ा इस्लामी बहन अपनी तरावीह अदा कर रही हैं और) किसी वजह से (तरावीह) की नमाज़ फ़ासिद हो जाए तो जितना क़ुरआने पाक उन रक्अतों में पढ़ा था उन का इआदा करें ताकि ख़त्म में नुक्सान न रहे।
╭┈► 12) दो रक्अत पर बैठना भूल गई तो जब तक तीसरी का सज्दा न किया हो बैठ जाए आखिर में सज्दए सब कर ले और अगर तीसरी का सज्दा कर लिया तो चार पूरी कर ले मगर येह दो शुमार होंगी। हां अगर दो पर कादा किया था तो चार हुई।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 146 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 155
••──────────────────────••►
❝इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी) ❞
••──────────────────────••►
*⇩ "तरावीह सुन्नते मुअक्कदा है" के सत्तरह हुरूफ़ की निस्बत से तरावीह के 17 मदनी फूल ⇩*
╭┈► 13) तीन रक्अतें पढ़ कर सलाम फैरा अगर दूसरी पर बैठी नहीं थी तो न हुई इन के बदले की दो रक्अतें दोबारा पढ़े।
╭┈► 14) अगर सत्ताईसवीं को (या इस से कब्ल) क़ुरआने पाक ख़त्म हो गया तब भी आख़िर रमज़ान तक तरावीह पढ़ती रहें कि सुन्नते मुअक्कदा है।
╭┈► 15) हर चार रक्अतों के बाद उतनी देर आराम लेने के लिये बैठना मुस्तहब है जितनी देर में चार रक्आत पढी हैं। इस वक्फे को तरवीहा कहते हैं।
╭┈► 16) तरवीहा के दौरान इख़्तियार है कि चुप बैठे या ज़िक्रो दुरूद , और तिलावत करें या तन्हा नफ्ल पढ़ें या येह तस्बीह भी पढ़ सकती हैं :
سُبْحانَ ذِي الْمُلْكِ وَالْمَلَكُوتِ
سُبْحانَ ذِي الْعِزَّةِ
وَالْعَظْمَةِ وَالْهَيْبَةِ وَالْقُدْرَةِ
وَالْكِبْرِياءِ وَالْجَبَرُوْتِ
سُبْحانَ الْمَلِكِ الْحَيِّ الَّذِيْ لا يَنامُ
وَلا يَمُوتُ سُبُّوْحٌ قُدُّوْسٌ رَبُّنا
وَرَبُّ المْلائِكَةِ وَالرُّوْحِ
اللَّهُمَّ أَجِرْنا مِنَ النّارِ
يا مُجيرُ يا مُجيرُ يا مُجيرُ
╭┈► 17 ) बीस रक्अतें हो चुकने के बाद पांचवां तरवीहा भी मुस्तहब है।...✍🏻
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 4 सफ़ह 39
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 147 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 157
••──────────────────────••►
❝ इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी)❞
••──────────────────────••►
*⇩ नमाज़ के बाद पढ़े जाने वाले अवराद ⇩*
╭┈► नमाज़ के बाद जो अज्कारे तवीला (तवील अवराद) अहादीसे मुबारका में वारिद हैं, वोह जोहर व मगरिब व इशा में सुन्नतों के बाद पढ़े जाएं, कब्ले सुन्नत मुख़्तसर दुआ पर कनाअत चाहिये, वरना सुन्नतों का सवाब कम हो जाएगा।
📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 3 सफ़ह 107
╭┈► अहादीसे मुबारका में किसी दुआ की निस्बत जो तादाद वारिद है उस से कम ज़ियादा न करे कि जो फ़ज़ाइल उन अकार के लिये हैं वोह उसी अदद के साथ मख्सूस हैं इन में कम ज़ियादा करने की मिसाल येह है कि कोई कुल्ल (ताला) किसी खास किस्म की कुन्जी से खुलता है अब अगर कुन्जी में दन्दाने कम या ज़ाइद कर दें तो उस से न खुलेगा अलबत्ता अगर शुमार में शक वाकेअ हो तो ज़ियादा कर सकता है और येह ज़ियादत (बढ़ाना) नहीं बल्कि इत्माम (मुकम्मल करना) है।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 149 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 158
••──────────────────────••►
❝इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी) ❞
••──────────────────────••►
*⇩ नमाज़ के बाद पढ़े जाने वाले अवराद ⇩*
╭┈► पन्ज वक़्ता नमाजों के सुनन व नवाफ़िल से फ़रागत के बाद जैल के अवराद पढ़ लीजिये सहूलत के लिये नम्बर ज़रूर दिये हैं मगर इन में तरतीब शर्त नहीं है। हर विर्द के अव्वल आख़िर दुरूद शरीफ़ पढ़ना सोने पे सुहागा है।
╭┈► 1) आयतुल कुरसी एक एक बार पढ़ने वाला मरते ही दाखिले जन्नत हो।
╭┈► 2)
اَللّٰھُمَّ اَعِنِّیْ عَلٰی ذِکْرِكَ وَشُکْرِكَ وَ حُسْنِ عِبَادَتِكَ
ऐ अल्लाह अज़्ज़वजल तू अपने ज़िक्र , अपने शुक्र और अपनी अच्छी इबादत करने पर मेरी मदद फरमा
╭┈► 3)
اَسْتَغْفِرُ اللّٰهِ الّٰذِیْ لَا اِلهَٰ اِلَّا ھُوَ الْحَیُّ الْقَیُّوْمُ وَاَتُوْبُ اِلَیْهِ
( तीन तीन बार ) उस के गुनाह मुआफ़ हों अगर्चे वोह मैदाने जिहाद से भागा हुवा हो।
╭┈► 4) तस्बीहे फ़ातिमा रादिअल्लाहु तआला अन्हा " سُبْحٰانَ اللّٰه " तेंतीस बार ,الْحَمْدُ لِلّٰه तेंतीस बार , اَللّٰهُ اَکْبَرُ तेंतीस बार येह 99 हुए, आख़िर में
لَا اِلٰهَ اِلَّا اللّٰهُ وَحدَہٗ لا شَرِیْكَ لَهُ
لَهُ الْمُلْكُ ولَهُ الْحَمْدُ وَھُوَ عَلٰی کُلِّ شَیْءٍ قَدِیْرٌٗ
एक बार पढ़ कर (100 का अदद पूरा कर ले) इस के गुनाह बख़्श दिये जाएंगे अगर्चे समुन्दर के झाग के बराबर हों।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 149-150 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 159
••──────────────────────••►
❝ इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी)❞
••──────────────────────••►
*⇩ नमाज़ के बाद पढ़े जाने वाले अवराद ⇩*
╭┈► 5) हर नमाज़ के बाद पेशानी के अगले हिस्से पर हाथ रख कर पढ़े
╭┈► 5) हर नमाज़ के बाद पेशानी के अगले हिस्से पर हाथ रख कर पढ़े
بِسْمِ اللّٰهِ الَّذِیْ لَا اِلهَٰ اِلَّا ھُوَ الرَّحْمٰنُ الرَّحِیْم
اللّٰھُمَّ اَذْھِبْ عَنِّی الْھَمَّ وَ الْحُزْنَ
اللّٰھُمَّ اَذْھِبْ عَنِّی الْھَمَّ وَ الْحُزْنَ
(पढ़ने के बाद हाथ खींच कर पेशानी तक लाए) तो हर गम व परेशानी से बचे मेरे आका ला हज़रत इमामे अहले सुन्नत मौलाना शाह अहमद रज़ा खान अलैहिर्रहमा ने मज्कूरा दुआ के आखिर में मजीद इन अल्फ़ाज़ का इज़ाफ़ा फ़रमाया है وَعَنْ اَھْلِ السُّنَّۃ यानी और अहले सुन्नत से।
╭┈► 6) अस्र व फज्र के बाद बिगैर पाउं बदले , बिगैर कलाम किये
لَا اِلٰهَ اِلَّا اللّٰهُ وَحْدَهٗ لَا شَرِیْكَ لَهُ لَهُ الْمُلْكُ وَلَهُ الْحَمْدُ بِیَدِهِ الْخَیْرُ یُحْیِیْ وَیُمِیْتُ وَھُوَ عَلٰی کُلِّ شَیْیءٍ قَدِیْرٌ
दस दस बार पढ़िये।
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 3 सफ़ह 107
╭┈► 7) हज़रते सय्यिदुना अनस रादिअल्लाहु तआला अन्हु से मरवी है कि नबिय्ये रहमत , शफ़ीए उम्मत , शहन्शाहे नुबुव्वत , ताजदारे रिसालत ﷺ ने फ़रमाया जिस ने नमाज़ के बाद येह कहा
سُبحٰنَ اللّٰهِ الْعَظِیمِ وَ بِحَمدِهٖ لَا حَولَ وَلَا قُوَّۃَ اِلَّا بِاللّٰه
तो वोह मग़फ़िरत याफ्ता हो कर उठेगा।
╭┈► 8) हज़रते इब्ने अब्बास रादिअल्लाहु तआला अन्हु , से रिवायत है अल्लाह के महबूब , दानाए गुयूब , मुनज्जहुन अनिल उयूब ﷺ ने फ़रमाया जो हर फ़र्ज़ नमाज़ के बाद दस मर्तबा قُلْ ھُوَ اللّٰهُ اَحَدٌ (पूरी सूरत) पढ़ेगा अल्लाह तआला उस के लिये अपनी रिज़ा और मग़फ़िरत लाज़िम फ़रमा देगा।
╭┈► 9) हज़रते सय्यिदुना ज़ैद बिन अरकम रादिअल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है रसूले अकरम , रहमते आलम , नूरे मुजस्सम शाहे बनी आदम, रसूले मुहूतशम ﷺ ने फ़रमाया जो शख़्स हर नमाज़ के बाद ,
سُبْحٰنَ رَبِّكَ رَبِّ الْعِزَّۃِ عَمَّا یَصِفُوْنَ
وَسَلٰمٌٗ عَلَی الْمُرْسَلِیْنَ
وَالْحَمْدُ لِلّٰهِ رَبِّ الْعٰلَمِیْنَ
وَسَلٰمٌٗ عَلَی الْمُرْسَلِیْنَ
وَالْحَمْدُ لِلّٰهِ رَبِّ الْعٰلَمِیْنَ
तीन बार पढ़ेगा गोया उस ने अज्र का बहुत बड़ा पैमाना भर लिया।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 150-151 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 160
••──────────────────────••►
❝ इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी)❞
••──────────────────────••►
*⇩ मिनटों में चार ख़त्मे क़ुरआने पाक का सवाब ⇩*
╭┈► हज़रते सय्यिदुना अबू हुरैरा रादिअल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है मदीने के ताजदार , सुल्ताने दो जहां , रहमते आ - लमिय्यान , सरवरे जीशान , : महबूबे रहमान ﷺ का फ़रमाने हक़ीक़त निशान है जो बादे फ़ज्र बारह मर्तबा قُلْ ھُوَ اللّٰهُ اَحَدٌ (पूरी सूरत) पढ़ेगा गोया वोह चार बार (पूरा) क़ुरआन पढ़ेगा और उस दिन उस का येह अमल अहले ज़मीन से अफ़ज़ल है जब कि वोह तक्वा का पाबन्द रहे।...✍🏻
╭┈► हज़रते सय्यिदुना अबू हुरैरा रादिअल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है मदीने के ताजदार , सुल्ताने दो जहां , रहमते आ - लमिय्यान , सरवरे जीशान , : महबूबे रहमान ﷺ का फ़रमाने हक़ीक़त निशान है जो बादे फ़ज्र बारह मर्तबा قُلْ ھُوَ اللّٰهُ اَحَدٌ (पूरी सूरत) पढ़ेगा गोया वोह चार बार (पूरा) क़ुरआन पढ़ेगा और उस दिन उस का येह अमल अहले ज़मीन से अफ़ज़ल है जब कि वोह तक्वा का पाबन्द रहे।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 152 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 161
••──────────────────────••►
❝ इस्लामी बहनों की नमाज़ का तरीका (ह-नफ़ी)❞
••──────────────────────••►
*⇩ शैतान से महफूज रहने का अमल ⇩*
╭┈► सरकारे मदीना , राहते कल्बो सीना , फैज़ गन्जीना , साहिबे ! मुअत्तर पसीना ﷺ का फ़रमाने आलीशान है जिसने नमाज़े फज्र अदा की और बात किये बिगैर قُلْ ھُوَ اللّٰهُ اَحَدٌ (पूरी सूर ) को दस मर्तबा पढ़ा तो उस दिन में उसे कोई गुनाह न पहुंचेगा और वोह शैतान से बचाया जाएगा।
╭┈► सरकारे मदीना , राहते कल्बो सीना , फैज़ गन्जीना , साहिबे ! मुअत्तर पसीना ﷺ का फ़रमाने आलीशान है जिसने नमाज़े फज्र अदा की और बात किये बिगैर قُلْ ھُوَ اللّٰهُ اَحَدٌ (पूरी सूर ) को दस मर्तबा पढ़ा तो उस दिन में उसे कोई गुनाह न पहुंचेगा और वोह शैतान से बचाया जाएगा।
╭┈► (नमाज़ के बाद पढ़ने के मजीद अवराद मकतबतुल मदीना की मत्बूआ बहारे शरीअत हिस्सा 3 सफ़हा 107 ता 110 पर अल वज़ी - फ़तुल करीमा और शजरए कादिरिय्या में मुलाहज़ा फ़रमा लीजिये)।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 152 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 162
••──────────────────────••►
❝ कज़ा नमाज़ों का तरीका ❞
••──────────────────────••►
*⇩ दुरूद शरीफ़ की फ़ज़ीलत ⇩*
╭┈► दो जहां के सुल्तान , सरवरे जीशान , महबूबे रहमान ﷺ का फ़रमाने मरिफ़रत निशान है , मुझ पर दुरुदे पाक पढ़ना पुल सिरात पर नूर है जो रोजे जुमुआ मुझ पर अस्सी बार दुरूदे पाक पढ़े उस के अस्सी साल के गुनाह मुआफ हो जाएंगे।
╭┈► पारह 30 सू - रतुल माऊन की आयत नम्बर 4 और 5 में इर्शाद होता
तरजमए कन्जुल ईमान : तो उन नमाजियों की खराबी है जो अपनी नमाज़ से भूले बैठे हैं।
╭┈► मुफस्सिरे शहीर हकीमुल उम्मत हज़रते मुफ्ती अहमद यार खान रहमतुल्लाहि तआला अलैह सूरतुल माऊन की आयत नम्बर 5 के तहत फ़रमाते हैं नमाज़ से भूलने की चन्द सूरतें हैं कभी न पढ़ना , पाबन्दी से न पढ़ना , सहीह वक़्त पर न पढ़ना , नमाज़ सहीह तरीके से अदा न करना , शौक़ से न पढ़ना , समझ बूझ कर अदा न करना , कसल व सुस्ती , बे परवाई से पढ़ना।...✍🏻
📕 नूरुल इरफ़ान , सफ़ह 958
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 153 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 163
••──────────────────────••►
❝ कज़ा नमाज़ों का तरीका ❞
••──────────────────────••►
*⇩ जहन्नम की ख़ौफ़नाक वादी ⇩*
╭┈► सदरुश्शरीअह बदरुत्तरीक़ह हज़रते मौलाना मुहम्मद अमजद अली आज़मी रहमतुल्लाहि तआला अलैह फ़रमाते हैं जहन्नम में वैल नामी एक खौफ़नाक वादी है जिस की सख्ती से खुद जहन्नम भी पनाह मांगता है। जान बूझ कर नमाज़ क़ज़ा करने वाले उस के मुस्तहिक़ हैं।
📕 बहारे शरीअत , हिस्सा 3 सफ़ह 2 , मुलख्वसन
*⇩ पहाड़ गरमी से पिघल जाएं ⇩*
╭┈► हज़रते सय्यिदुना इमाम मुहम्मद बिन अहमद ज़हबी रहमतुल्लाहि तआला अलैह फ़रमाते हैं कहा गया है कि जहन्नम में एक वादी है जिस का नाम वैल है , अगर उस में दुन्या के पहाड़ डाले जाएं तो वोह भी उस की गरमी से पिघल जाएं और येह उन लोगों का ठिकाना है जो नमाज़ में सुस्ती करते और वक़्त के बाद क़ज़ा कर के पढ़ते हैं मगर येह कि वोह अपनी कोताही पर नादिम हों और बारगाहे खुदा वन्दी अज़्ज़वजल में तौबा करें।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 154 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 164
••──────────────────────••►
❝ कज़ा नमाज़ों का तरीका ❞
••──────────────────────••►
*⇩ एक नमाज़ क़ज़ा करने वाला भी फ़ासिक है ⇩*
╭┈► आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खान अलैहिर्रहमा फ़तावा रज़विय्या जिल्द 5 सफ़हा 110 पर फ़रमाते हैं जो एक वक़्त की नमाज़ भी कस्दन बिला उजे शर - ईदीदा व दानिस्ता क़ज़ा करे फ़ासिक व मुर - तकिबे कबीरा व मुस्तहिके जहन्नम है।
*⇩ सर कुचलने की सजा ⇩*
╭┈► सरकारे मदीनए मुनव्वरह , सरदारे मक्कए मुकर्रमा ﷺ ने सहाबए किराम से फ़रमाया आज रात दो शख्स (यानी जिब्रईल और मिकाईल) मेरे पास आए और मुझे अर्जे मुकद्दसा में ले आए। मैंने देखा कि एक शख्स लैटा है और उस के सिरहाने एक शख्स पथ्थर उठाए खड़ा है और पै दर पै पथ्थर से उस का सर कुचल रहा है , हर बार कुचलने के बाद सर फिर ठीक हो जाता है। मैं ने फ़िरिश्तों से कहा सुब्हान अल्लाह अज़्ज़वजल येह कौन है ? उन्हों ने अर्ज़ की आगे तशरीफ़ ले चलिये (मजीद मनाज़िर दिखाने के बाद) फ़िरिश्तों ने अर्ज की , कि : पहला शख्स जो आप ﷺ ने देखा येह वोह ! था जिस ने क़ुरआन पढ़ा फिर उस को छोड़ दिया था और फ़र्ज़ नमाजों के वक़्त सो जाता था इस के साथ येह बरताव कियामत तक होगा।..✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 154-155 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 165
••──────────────────────••►
❝ कज़ा नमाज़ों का तरीका ❞
••──────────────────────••►
*⇩ कब्र में आग के शोले ⇩*
╭┈► एक शख्स की बहन फौत हो गई जब उसे दफ्न करके लौटा तो याद आया कि रकम की थैली कब्र में गिर गई है चुनान्चे कब्रिस्तान आ कर थैली निकालने के लिये उस ने अपनी बहन की कब्र खोद डाली एक दिल हिला देने वाला मन्ज़र उस के सामने था उस ने देखा कि बहन की कब्र में आग के शोले भड़क रहे हैं ! चुनान्चे उस ने जूं तूं कब्र पर मिट्टी डाली और सदमे से चूर चूर रोता हुवा मां के पास आया और पूछा प्यारी अम्मीजान ! मेरी बहन के आमाल कैसे थे ? वोह बोली बेटा क्यूं पूछते हो ? अर्ज की मैं ने अपनी बहन की कब्र में आग के शोले भड़क्ते देखे हैं ? येह सुन कर मां भी रोने लगी और कहा अफ्सोस ! तेरी बहन नमाज़ में सुस्ती किया करती थी और नमाज़ क़ज़ा कर के पढ़ा करती थी।
╭┈► इस्लामी बहनो ! जब क़ज़ा करने वालियों की ऐसी ऐसी सख्त सजाएं हैं तो जो बद नसीब सिरे से नमाज़ ही नहीं पढ़ती उस का क्या अन्जाम होगा।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 155 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 166
••──────────────────────••►
❝ कज़ा नमाज़ों का तरीका ❞
••──────────────────────••►
*⇩ अगर नमाज़ पढ़ना भूल जाए तो ⇩*
╭┈► ताजदारे रिसालत , शहन्शाहे नुबुव्वत , पैकरे जूदो सखावत सरापा रहमत , महबूबे रब्बुल इज्ज़त ﷺ ने इर्शाद फ़रमाया जो नमाज़ से सो जाए या भूल जाए तो जब याद आए पढ़ ले कि वोही उस का वक़्त है।
╭┈► फुकहाए किराम रहमतुल्लाहि तआला अलैह फ़रमाते हैं सोते में या भूले से नमाज़ क़ज़ा हो गई तो उस की क़ज़ा पढ़नी फ़र्ज़ है अलबत्ता क़ज़ा का गुनाह इस पर नहीं मगर बेदार होने और याद आने पर अगर वक्ते मकरूह न हो तो उसी वक़्त पढ़ ले ताख़ीर मकरूह है।...✍🏻
📕 बहारे शरीअत , हिस्सा 4 सफ़ह 50
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 156 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 167
••──────────────────────••►
❝ कज़ा नमाज़ों का तरीका ❞
••──────────────────────••►
*⇩ मजबूरी में अदा का सवाब मिलेगा या नहीं ⇩*
╭┈► आंख न खुलने की सूरत में नमाजे फज्र "क़ज़ा" हो जाने की सूरत में "अदा" का सवाब मिलेगा या नहीं। इस ज़िम्न में मेरे आका आला हज़रत , इमामे अहले सुन् त , वलिय्ये ने ' मत , अज़ीमुल ! ब - र - कत , अज़ीमुल मर्तबत , परवानए शम्ए रिसालत , मुजद्दिदे दीनो मिल्लत , हामिये सुन्नत , माहिये बिद्अत , आलिमे शरीअत , पीरे तरीक़त , बाइसे खैरो ब - र - कत , इमामे इश्को महब्बत , हज़रते !अल्लामा मौलाना अलहाज अल हाफ़िज़ अल कारी शाह इमाम : अहमद रज़ा खान अलैहिर्रहमा फ़तावा रज़विय्या जिल्द 8 सफ़हा 1161 पर फ़रमाते हैं रहा अदा का सवाब मिलना येह अल्लाह के इख़्तियार में है। अगर इस (शख़्स) ने अपनी जानिब से कोई तक्सीर (कोताही) न की , सुब्ह तक जागने के कस्द (यानी इरादे) से बैठा था। और बे इख़्तियार आंख लग गई तो जरूर उस पर गुनाह नहीं रसूलुल्लाह ﷺ फ़रमाते हैं नींद की सूरत में कोताही नहीं , कोताही उस शख्स की है जो (जागते में) नमाज़ न पढ़े हत्ता कि दूसरी नमाज़ का वक़्त आ जाए।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 157 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 168
••──────────────────────••►
❝ कज़ा नमाज़ों का तरीका ❞
••──────────────────────••►
*⇩ रात के आखिरी हिस्से में सोना कैसा ⇩*
╭┈► नमाज़ का वक़्त दाखिल हो जाने के बाद सो गया फिर वक़्त निकल गया और नमाज़ क़ज़ा हो गई तो कत्अन गुनहगार हुवा जब कि जागने पर सहीह एतिमाद या जगाने वाला मौजूद न हो बल्कि फ़ज्र में दुखूले वक़्त से पहले भी सोने की इजाज़त नहीं हो सकती जब कि अक्सर हिस्सा रात का जागने में गुजरा और ज़न्ने गालिब है कि अब , सो गया तो वक़्त में आंख न खुलेगी।...✍🏻
📕 बहारे शरीअत , हिस्सा : 4 , सफ़ह 50 , मक - त - बतुल मदीना
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 157-158 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 169
••──────────────────────••►
❝ कज़ा नमाज़ों का तरीका ❞
••──────────────────────••►
*⇩ रात देर तक जागना ⇩*
╭┈► बाज़ इस्लामी बहनें रात गए तक घरों में जागती रहती हैं अव्वल तो वोह इशा की नमाज़ पढ़ कर जल्दी सो जाने का जेह्न बनाएं कि इशा के बाद बिला वज्ह जागने में कोई भलाई नहीं। अगर इत्तिफ़ाकिया कभी देर हो जाए तब भी और अगर खुद आंख न खुलती हो जब भी घर के किसी काबिले एतिमाद महरम या जो जगा सके। ऐसी इस्लामी बहन को दरख्वास्त कर दे वोह नमाजे फज्र के लिये जगा दे। या इलार्म वाली घड़ी हो जिस से आंख खुल जाती हो मगर एक अदद घड़ी पर भरोसा न किया जाए कि नींद में हाथ लग जाने या सेल (CELL) ख़त्म हो जाने से या यूंही ख़राब हो कर बन्द हो जाने का इम्कान रहता है , दो या हस्बे ज़रूरत ज़ाइद घड़ियां हो तो बेहतर है।सगे मदीना सोते वक़्त हत्तल इम्कान तीन घड़ियां सिरहाने रखता है। तीन अदद रखने में अल्हम्दु लिल्लाह उस हदीसे पाक पर अमल की निय्यत है जिस में फ़रमाया गया है बेशक अल्लाह अज़्ज़वजल वित्र (तन्हा ,ताक) है और वित्र को पसन्द करता है। फ-कहाए किराम रहमतुल्लाहि तआला अलैह फरमाते हैं जब येह अन्देशा हो कि सुबह की नमाज़ जाती रहेगी तो बिला ज़रूरते शरइय्या उसे रात देर तक जागना मम्नूअ है।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 158 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 170
••──────────────────────••►
❝ कज़ा नमाज़ों का तरीका ❞
••──────────────────────••►
*⇩ अदा , क़ज़ा और वाजिबुल इआदा की तारीफ़ात ⇩*
╭┈► जिस चीज़ का बन्दों को हुक्म है उसे वक़्त में बजा लाने को अदा कहते हैं। और वक़्त ख़त्म होने के बाद अमल में लाना क़ज़ा है। और अगर उस हुक्म के बजा लाने में कोई खराबी पैदा हो जाए तो उस खराबी को दूर करने के लिये वोह अमल दोबारा बजा लाना इआदा कहलाता है। वक़्त के अन्दर अन्दर अगर तहरीमा बांध ली तो नमाज़ कजा न हुई बल्कि अदा है। मगर नमाजे फ़ज्र , जुमुआ और ईदैन में वक़्त के अन्दर सलाम फिरना लाज़िमी है वरना नमाज़ न होगी।
📕 बहारे शरीअत , हिस्सा : 4 , सफ़ह 50
╭┈► बिला उजे शर - ई नमाज़ क़ज़ा कर देना सख़्त गुनाह है , इस पर फ़र्ज़ है कि उस की क़ज़ा पढ़े और सच्चे दिल से तौबा भी करे , तौबा या हज्जे मक्बूल से ताख़ीर का गुनाह मुआफ़ हो जाएगा। तौबा उसी वक़्त सहीह है जब कि क़ज़ा पढ़ ले उस को अदा किये बिगैर तौबा किये जाना तौबा नहीं कि जो नमाज़ उस के जिम्मे थी उस को न पढ़ना तो अब भी बाकी है और जब गुनाह से बाज न आई तो तौबा कहां हुई ? हज़रते सय्यिदुना इब्ने अब्बास ! रादिअल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है , ताजदारे रिसालत , शहनशाहे नुबुव्वत , पैकरे जूदो सखावत , सरापा रहमत , महबूबे रब्बुल इज्ज़त ﷺ ने इर्शाद फ़रमाया गुनाह पर काइम रह कर तौबा करने वाला अपने रब से ठठ्ठा (यानी मज़ाक) करता है।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 159 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 171
••──────────────────────••►
❝ कज़ा नमाज़ों का तरीका ❞
••──────────────────────••►
*⇩ तौबा के तीन रुक्न हैं ⇩*
╭┈► सदरुल अफ़ाज़िल हज़रते अल्लामा सय्यिद मुहम्मद नईमुद्दीन मुरादआबादी अलैहिर्रहमा फ़रमाते हैं तौबा के तीन रुक्न हैं
╭┈► 1) एतिराफे जुर्म
╭┈► 2) नदामत
╭┈► 3) अज्मे तर्क (यानी इस गुनाह को छोड़ने का पुख्ता अद)। अगर गुनाह काबिले तलाफ़ी है तो उस की तलाफ़ी भी लाज़िम। मसलन तारिके सलात (यानी नमाज़ तर्क कर देने वाले) की तौबा के लिये नमाजों की कजा भी लाजिम है।
📕 खजाइनुल इरफ़ान , सफ़ह 12 , रज़ एकेडमी , बम्बई
*⇩ सोते को नमाज़ के लिये जगाना कब वाजिब है ⇩*
╭┈► कोई सो रहा है या नमाज़ पढ़ना भूल गया है तो जिसे मालूम है उस पर वाजिब है कि सोते को जगा दे और भूले हुए को याद दिला दे। (वरना गुनहगार होगा)
📕 बहारे शरीअत हिस्सा : 4 , सफ़ह 50
╭┈► याद रहे ! जगाना या याद दिलाना उस वक़्त वाजिब होगा जब कि ज़न्ने गालिब हो कि येह नमाज़ पढ़ेगा वरना वाजिब नहीं। महारिम को बेशक खुद ही जगा दे मगर ना महरमों मसलन देवर व जेठ व गैरा को महारिम के जरीए जगवाए।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 160 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 172
••──────────────────────••►
❝ कज़ा नमाज़ों का तरीका ❞
••──────────────────────••►
*⇩ जल्द से जल्द क़ज़ा कर लीजिये ⇩*
╭┈►जिस के जिम्मे क़ज़ा नमाजें हों उन का जल्द से जल्द पढ़ना वाजिब है मगर बाल बच्चों की परवरिश और अपनी ज़रूरिय्यात की फ़राहमी के सबब ताख़ीर जाइज़ है। लिहाजा फुरसत का जो वक़्त मिले उस में क़ज़ा पढ़ती रहे यहां तक कि पूरी हो जाएं।
*⇩ छुप कर कज़ा कीजिये ⇩*
╭┈► कज़ा नमाजें छुप कर पढ़िये लोगों पर (या घर वालों बल्कि करीबी सहेलियों पर भी) इस का इज़्हार न कीजिये (मसलन येह मत कह कीजिये कि मेरी आज की फ़ज्र क़ज़ा हो गई या मैं क़ज़ाए उम्री कर रही हूं वगैरा) कि गुनाह का इज़हार भी मकरूहे तहरीमी व गुनाह है। लिहाज़ा अगर लोगों की मौजूदगी में वित्र क़ज़ा करें तो तक्बीरे कुनूत के लिये हाथ न उठाएं।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 160-161 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 173
••──────────────────────••►
❝ कज़ा नमाज़ों का तरीका ❞
••──────────────────────••►
*⇩ जुमुअतुल वदाअ में क़ज़ाए उम्री ⇩*
╭┈► रमज़ानुल मुबारक के आखिरी जुमुआ में बाज़ लोग बा जमाअत कज़ाए उम्री पढ़ते हैं और येह समझते हैं कि उम्र भर की क़ज़ाएं इसी एक नमाज़ से अदा हो गई येह बातिल महज़ है।
📕 बहारे शरीअत , हिस्सा : 4 . सफ़ह 57
╭┈► मुफस्सिरे शहीर हकीमुल उम्मत हज़रते मुफ्ती अहमद यार खान अलैहिर्रहमा फ़रमाते हैं जुमुअतुल वदाअ के जोहर व अस्र के दरमियान बारह रक्अत नफ्ल दो दो रक्अत की निय्यत से पढ़े। और हर रकअत में सूरतुल फ़ातिहा के बाद एक बार आयतुल कुर्सी और तीन बार "قُلْ ھُوَ اللّٰهُ اَحَدٌ" और एक बार सूरतुल फलक और सूरतुन्नास पढ़े। इस का फाएदा येह है कि जिस क़दर नमाजें। इस ने क़ज़ा कर के पढ़ी होंगी उन के क़ज़ा करने का गुनाह इंशा अल्लाह मुआफ़ हो जाएगा येह नहीं कि क़ज़ा नमाजें इस से मुआफ़ हो जाएंगी। वोह तो पढ़ने से ही अदा होंगी।...✍🏻
📕 इस्लामी ज़िन्दगी , सफ़ह 135
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 161 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 174
••──────────────────────••►
❝ कज़ा नमाज़ों का तरीका ❞
••──────────────────────••►
*⇩ उम्र भर की क़ज़ा का हिसाब ⇩*
╭┈► जिस ने कभी नमाजें ही न पढ़ी हों और अब तौफीक हुई और कजाए उम्री पढ़ना चाहता है वोह जब से बालिग हुवा या बालिगा हुई है उस वक़्त से नमाजों का हिसाब लगाए। अगर येह भी याद नहीं कि कब बालिग या बालिगा हुए हैं तो एहतियात इसी में है कि हिजरी सिन के हिसाब से लड़की 9 बरस और लड़का 12 बरस की उम्र से हिसाब लगाए।
*⇩ क़ज़ा करने में तरतीब ⇩*
╭┈► क़ज़ाए उम्री में यूं भी कर सकते हैं कि पहले तमाम फ़ज्रें अदा कर लें फिर तमाम जोहर की नमाजें इसी तरह अस्र, मगरिब और इशा।..✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 162 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 175
••──────────────────────••►
❝ कज़ा नमाज़ों का तरीका ❞
••──────────────────────••►
╭┈► कज़ा हर रोज़ की बीस रक्अतें होती हैं। दो फ़र्ज़ फ़ज्र के चार जोहर, चार असर, तीन मगरिब, चार इशा के और तीन वित्र।
╭┈► निय्यत इस तरह कीजिये, मसलन *सब से पहली फज्र जो मुझ से कज़ा हुई उस को अदा करती हूं।* हर नमाज़ में इसी तरह निय्यत कीजिये। जिस पर ब कसरत क़ज़ा नमाजें हैं वोह आसानी के लिये अगर यूं भी अदा करे तो जाइज़ है कि हर रुकूअ और हर सज्दे में तीन तीन बार "سُبْحٰنَ رَبِّیَ الْعَظِیْمِ" , "سُبْحٰنَ ربِّیَ الْاَعْلٰی" की जगह सिर्फ एक एक बार कहे। मगर येह हमेशा और हर तरह की नमाज में याद रखना चाहिये कि जब रुकूअ में पूरी पहुंच जाए उस वक़्त “سُبْحٰنَ" का "सीन" शुरू करे और जब "اعَظِیْمِ" का "मीम" ख़त्म कर चुके उस वक़्त रुकूअ से सर उठाए। इसी तरह सज्दे में भी करे।
╭┈► एक तख्फीफ़ तो येह हुई और दूसरी येह कि फ़ज्रों की तीसरी और चौथी रक्अत में "अल हम्द शरीफ़ की जगह फ़क़त "سُبْحٰنَ اللّٰه" तीन बार कह कर रुकूअ कर ले। मगर वित्र की तीनों रक्अतों में अल हम्द शरीफ़ और सूरत दोनों ज़रूर पढ़ी जाएं। तीसरी तख्फीफ़ येह कि कादए अख़ीरा में तशहद यानी अत्तहिय्यात के बाद दोनों दुरूदों और दुआ की जगह सिर्फ, "اَللّٰھُمَّ صَلِّ عَلٰی مُحَمَّدٍ وَّاٰلِهِ" कह कर सलाम फैर दे। चौथी तख्फीफ़ येह कि वित्र की तीसरी रक्अत में दुआए कुनूत की जगह "اَللّٰهُ اَکْبَرُ" कह कर फ़क़त एक बार या तीन बार "رَبِّ اغْفِرْلِیْ" कहे।...✍🏻
📕 मुलख्खस अज़ फतावा रज़विय्या जिल्द 8 सफ़ह 157
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 162-163 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 176
••──────────────────────••►
❝ कज़ा नमाज़ों का तरीका ❞
••──────────────────────••►
*⇩ नमाज़े कस्र की क़ज़ा ⇩*
╭┈► अगर हालते सफ़र की क़ज़ा नमाज़ हालते इक़ामत में पढ़ेंगी तो कस्र ही पढ़ेंगी और हालते इक़ामत की क़ज़ा नमाज़ सफ़र में क़ज़ा। करेंगी तो पूरी पढ़ेंगी यानी कस्र नहीं करेंगी।
*⇩ ज़मानए इरतिदाद की नमाजें ⇩*
╭┈► जो औरत मआ'ज़ अल्लाह अज़्ज़वजल मुरतद्दा हो गई फिर इस्लाम लाई तो ज़मानए इरतिदाद की नमाजों की क़ज़ा नहीं और मुरतद्दा होने से पहले जमानए इस्लाम में जो नमाजें जाती रही थीं उन की क़ज़ा वाजिब है।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 163 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 177
••──────────────────────••►
❝ कज़ा नमाज़ों का तरीका ❞
••──────────────────────••►
*⇩ बच्चे की पैदाइश के वक़्त नमाज़ ⇩*
╭┈► दाई (MIDWIFE) नमाज़ पढ़ेगी तो बच्चे के मर जाने का अन्देशा है , नमाज़ क़ज़ा करने के लिये येह उज्र है।
*⇩ मरीज़ा को नमाज़ कब मुआफ़ है ? ⇩*
╭┈► ऐसी मरीज़ा कि इशारे से भी नमाज़ नहीं पढ़ सकती अगर येह , हालत पूरे छ वक़्त तक रही तो इस हालत में जो नमाज़ें फ़ौत हुई उन की क़ज़ा वाजिब नहीं।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 164 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 178
••──────────────────────••►
❝ कज़ा नमाज़ों का तरीका ❞
••──────────────────────••►
*⇩ उम्र भर की नमाजें दोबारा पढ़ना ⇩*
╭┈► जिस की नमाजों में नुक्सान व कराहत हो वोह तमाम उम्र की नमाजें फैरे तो अच्छी बात है और कोई खराबी न हो तो न चाहिये और करे तो फ़ज्र व अस्र के बाद न पढ़े और तमाम रक्अतें भरी पढ़े और वित्र में कुनूत पढ़ कर तीसरी के बाद कादा कर के फिर एक और मिलाए कि चार 4हो जाएं।
*⇩ क़ज़ा का लफ़्ज़ कहना भूल गई तो कोई हरज नहीं ⇩*
╭┈► मेरे आका आला हज़रत , इमामे अहले सुन्नत मौलाना शाह इमाम अहमद रज़ा ख़ान अलैहिर्रहमा फ़रमाते हैं हमारे उलमा तश्रीह फ़रमाते हैं क़ज़ा ब निय्यते अदा और अदा ब निय्यते कज़ा दोनों सहीह हैं।...✍🏻
📕 फ़तावा रज़विय्या , जिल्द 8 , सफ़ह 161
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 164 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 179
••──────────────────────••►
❝ कज़ा नमाज़ों का तरीका ❞
••──────────────────────••►
*⇩ नवाफ़िल की जगह क़ज़ाए उम्री पढ़िये ⇩*
╭┈► क़ज़ा नमाजें नवाफ़िल से अहम हैं यानी जिस वक़्त नफ्ल पढ़ती है उन्हें छोड़ कर उन के बदले क़ज़ाएं पढ़ें कि बरिय्युज़्ज़िम्मा हो जाए अलबत्ता तरावीह और बारह रक्अतें सुन्नते मुअक्कदा की न छोड़े।
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 4 , सफ़ह 55
*⇩ फज्र व अस्र के बाद नवाफ़िल नहीं पढ़ सकते ⇩*
╭┈► नमाजे फ़ज्र (के पूरे वक़्त में यानी सुब्हे सादिक़ से ले कर ! तुलूए आफ्ताब तक जब कि) अस्र के बाद वोह तमाम नवाफ़िल अदा करने मकरूहे (तहरीमी) हैं जो कस्दन हों अगर्चे तहिय्यतुल मस्जिद हों , और हर वोह नमाज़ जो गैर की वज्ह से लाज़िम हो। मसलन नज्र और तवाफ़ के नवाफ़िल और हर वोह नमाज़ जिस को शुरू किया फिर उसे तोड़ डाला , अगर्चे वोह फज्र और अस्र की सुन्नतें ही क्यूं न हों।
╭┈► क़ज़ा के लिये कोई वक़्त मुअय्यन नहीं उम्र में जब पढ़ेगी बरिय्युज़्जिमा हो जाएगी। मगर तुलूअ व गुरूब और ज़वाल के वक़्त नमाज़ नहीं पढ़ सकती कि इन वक्तों में नमाज़ जाइज़ नहीं।...✍🏻
📕 बहारे शरीअत , हिस्सा 4 , सफ़ह 51
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 165 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 180
••──────────────────────••►
❝ कज़ा नमाज़ों का तरीका ❞
••──────────────────────••►
*⇩ जोहर की चार सुन्नतें रह जाएं तो क्या करे ⇩*
╭┈► अगर जोहर के फ़र्ज़ पहले पढ़ लिये तो दो रक्अत सुन्नतें बादिया अदा करने के बाद चार रक्अत सुन्नते कब्लिया अदा कीजिये चुनान्चे सरकारे आला हज़रत अलैहिर्रहमा फ़रमाते हैं जोहर की पहली चार सुन्नतें जो फ़र्ज़ से पहले न पढ़ी हों तो बादे फ़र्ज़ बल्कि मज़हबे अरजह (यानी पसन्दीदा तरीन मज़हब) पर बाद (दो रक्अत) सुन्नते बादिया के पढ़ें बशर्ते कि हुनूज़ (यानी अभी) वक्ते जोहर बाकी हो।
📕 फ़तावा रज़विय्या , जिल्द 8 , सफ़ह 148 मुलख्वसन
╭┈► अस्र व इशा से पहले जो चार चार रक्अतें हैं वोह सुन्नते गैर मुअक्कदा हैं उन की कज़ा नहीं।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 165-166 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 181
••──────────────────────••►
❝ कज़ा नमाज़ों का तरीका ❞
••──────────────────────••►
*⇩ क्या मगरिब का वक़्त थोड़ा सा होता है ⇩*
╭┈► मगरिब की नमाज़ का वक़्त गरूबे आफ्ताब ता इब्तिदाए वक्ते इशा होता है। येह वक़्त मकामात और तारीख के एतिबार से घटता बढ़ता रहता है मसलन बाबुल मदीना कराची में निज़ामुल अवकात के नक्शे के मुताबिक़ मगरिब का वक़्त कम अज़ कम एक घन्टा 18 मिनट होता है। फुकहाए किराम राहिमुस्सालाम फ़रमाते हैं रोजे अबर (यानी जिस दिन बादल छाए हों उस) के सिवा मगरिब में हमेशा ताजील (यानी जल्दी) मुस्तहब है और दो रक्अत से ज़ाइद की ताख़ीर मरूहे तन्ज़ीही और बिगैर उन सफ़र व मरज़ वगैरा इतनी ताख़ीर की कि सितारे गुथ गए तो मक्रूहे तहरीमी।
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 3 सफ़ह 21
╭┈► मेरे आका आला हज़रत , इमामे अहले सुन्नत मौलाना शाह इमाम अहमद रज़ा खान अलैहिर्रहमा फ़रमाते हैं इस (यानी मगरिब) का वक्ते मुस्तहब जब तक है कि सितारे खूब ज़ाहिर न हो जाएं , इतनी देर करनी कि (बड़े बड़े सितारों के इलावा) छोटे छोटे सितारे भी चमक आएं मकरूह है।
📕 फ़तावा रज़विय्या जिल्द 5 सफ़ह 153
*⇩ तरावीह की क़ज़ा का क्या हुक्म है ⇩*
╭┈► जब तरावीह फ़ौत हो जाए तो उस की क़ज़ा नहीं और अगर कोई क़ज़ा कर भी लेती है तो येह जुदागाना नफ़्ल हो जाएंगे तरावीह से उन का तअल्लुक न होगा।..✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 166 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 182
••──────────────────────••►
❝ कज़ा नमाज़ों का तरीका ❞
••──────────────────────••►
*⇩ नमाज़ का फ़िदया ⇩*
╭┈► जिन के रिश्तेदार फौत हुए हों वोह इस मज़मून का जरूर मुतालआ फरमाएं मय्यित की उम्र मालूम कर के इस में से नव साल औरत के लिये और बारह साल मर्द के लिये ना बालिगी के निकाल दीजिये। बाक़ी जितने साल बचे इन में हिसाब लगाइये कि कितनी मुद्दत तक वोह (यानी मरहूमा या मरहूम) बे नमाज़ी रहा या बे रोज़ा रहा या कितनी नमाजें या रोजे उस के जिम्मे क़ज़ा के बाकी हैं। ज़ियादा से ज़ियादा अन्दाज़ा लगा लीजिये। बल्कि चाहें तो ना बालिगी की उम्र के बाद बकिय्या तमाम उम्र का हिसाब लगा लीजिये। अब फ़ी नमाज एक एक सदकए फ़ित्र खैरात कीजिये। एक सदकए फ़ित्र की मिक्दार दो किलो से 80 ग्राम कम गेहूं या उस का आटा या उस की रकम है और एक दिन की छ नमानें हैं पांच फ़र्ज़ और एक वित्र वाजिब। मसलन दो किलो से 80 ग्राम कम गेहूं की रकम 12 रुपै हो तो एक दिन की नमाजों के 72 रुपै हुए और 30 दिन के 2160 रुपै और बारह 2 माह के तकरीबन 25920 रुपै हुए। अब किसी मय्यित पर 50 साल की नमाजें बाकी हैं तो फ़िदया अदा करने के लिये 1296000 रुपए खैरात करने होंगे। जाहिर है हर कोई इतनी रकम खैरात करने की इस्तिताअत (ताकत) नहीं रखती , इस के लिये उलमाए किराम राहिमुस्सालाम ने शरई हिला इर्शाद फ़रमाया है।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 167 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 183
••──────────────────────••►
❝ कज़ा नमाज़ों का तरीका ❞
••──────────────────────••►
*⇩ नमाज़ का फ़िदया ⇩*
╭┈►मसलन वोह 30 दिन की तमाम नमाजों के फ़िदये की निय्यत से 2160 रुपै किसी फ़कीर या फ़क़ीरनी की मिल्क कर दे येह 30 दिन की नमाज़ों का फ़िदया अदा हो गया। अब वोह फ़कीर या फ़क़ीरनी येह रकम उस देने वाली ही को हिबा कर दे (यानी तोहफे में दे दे) येह कब्जा करने के बाद फिर फ़क़ीर या फ़क़ीरनी को 30 दिन की नमाजों के फ़िदये की निय्यत से कब्जे में दे कर उस का मालिक बना दे। इस तरह लौट फैर करते रहें यूं सारी नमाज़ों का फ़िदया अदा हो जाएगा। 30 दिन की रकम के जरीए ही हीला करना शर्त नहीं वोह तो समझाने के लिये मिसाल दी है। बिलफ़र्ज़ 50 साल के फ़िदयों की रकम मौजूद हो तो एक ही बार लौट फैर करने में काम हो जाएगा। नीज़ फ़ित्रे की रकम का हिसाब भी गेहूं के मौजूदा भाव से लगाना होगा। इसी तरह रोज़ों का फ़िदया भी फ़ी रोज़ा एक सदकए फ़ित्र है नमाजों का फ़िदया अदा करने के बाद रोज़ों का भी इसी तरीके से फ़िदया अदा कर सकते हैं। गरीब व अमीर सभी फ़िदये का हीला कर सकते हैं। अगर वुरसा अपने मरहूमीन के लिये येह अमल करें तो येह मय्यित की जबर दस्त इमदाद होगी इस तरह मरने वाला भी इंशाअल्लाह फ़र्ज़ के बोझ से आजाद होगा और वुरसा भी अज्रो सवाब के मुस्तहिक होंगे। बाज़ इस्लामी बहनें मस्जिद वगैरा में एक कुरआने पाक का नुस्खा दे कर अपने मन को मना लेती हैं कि हम ने मरहूम की तमाम नमाज़ों का फ़िदया अदा कर दिया येह उन की गलत फहमी है।...✍🏻
📕 तफ्सील के लिये देखिये फतावा रज़विय्या , जिल्द 8 सफ़ह 167
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 168 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 184
••──────────────────────••►
❝ कज़ा नमाज़ों का तरीका ❞
••──────────────────────••►
*⇩ मरहूमा के फ़िदये का एक मस्अला ⇩*
╭┈► औरत की आदते हैज़ अगर मालूम हो तो इस कदर दिन और न मालूम हो तो हर महीने से तीन दिन नव बरस की उम्र से मुस्तस्ना करें (यानी नव बरस की उम्र के बाद से ले कर वफ़ात तक हर महीने से तीन दिन हैज के समझ कर निकाल दें बकिय्या जितने दिन बनें उन के हिसाब से फ़िदया अदा कर दें।) मगर जितनी बार हम्ल रहा हो मुद्दते हम्ल के महीनों से अय्यामे हैज़ का इस्तिस्ना न करें। (चूंकि इस मुद्दत में हैज़ नहीं आता इस लिये हैज़ के दिन कम न करें) औरत की आदत दर बारए निफ़ास अगर मालूम हो तो हर हम्ल के बाद उतने दिन मुस्तस्ना करें (यानी कम कर दें) और न मालूम हो तो कुछ नहीं कि निफ़ास के लिये जानिबे अकल (कम से कम) में शरअन कुछ तक़दीर (मिक्दार मुकर्रर) नहीं। मुम्किन है कि एक ही मिनट आ कर फ़ौरन पाक हो जाए। (यानी अगर निफ़ास की मुद्दत याद नहीं तो दिन कम न करे)
📕 माखूज़ अज़ फ़तावा रज़विय्या , जिल्द 8 सफ़ह 154
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 169 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 185
••──────────────────────••►
❝ कज़ा नमाज़ों का तरीका ❞
••──────────────────────••►
*⇩ 100 कोड़ों का हीला ⇩*
╭┈► *इस्लामी बहनो !* नमाज़ के फ़िदये का हीला मैं ने अपनी तरफ़ से नहीं लिखा। हीलए शरई का जवाज़ कुरआनो हदीस और फ़िकहे हनफ़ी की मोतबर कुतुब में मौजूद है। चुनान्चे मुफस्सिरे शहीर हकीमुल उम्मत हज़रते मुफ्ती अहमद यार खान अलैहिर्रहमा "नूरुल इरफ़ान" सफ़हा 728 पर फ़रमाते हैं : हज़रते सय्यिदुना अय्यूब अलैहिस्सलाम की बीमारी के जमाने में आप अलैहिस्सलाम की ज़ौजए मोहतरमा एक बार ख़िदमते सरापा अजमत में ताख़ीर से हाज़िर हुई तो आप अलैहिस्सलाम ने कसम खाई कि मैं तन्दुरुस्त हो कर सो कोड़े मारूंगा सिहहत याब होने पर अल्लाह ने उन्हें 100 तीलियों की झाडू मारने का !हुक्म इर्शाद फ़रमाया। चुनान्चे क़ुरआने पाक में है
╭┈► तरजमए कन्जुल ईमान : और फ़रमाया कि अपने हाथ में एक झाडू ले कर इस से मार दे और कसम न तोड़।
╭┈► "आलमगीरी" में हीलों का एक मुस्तकिल बाब है जिस का नाम "किताबुल हियल" है चुनान्चे आलमगीरी किताबुल हियल" में है जो हीला किसी का हक़ मारने या उस में शुबा पैदा करने या बातिल से फ़रेब देने के लिये किया जाए वोह मकरुह है और जो हीला इस लिये किया जाए कि आदमी हराम से बच जाए या हलाल को हासिल कर ले वोह अच्छा है। इस किस्म के हीलों के जाइज़ होने की दलील अल्लाह अज़्ज़वजल का येह फरमान है :
╭┈► तरजमए कन्जुल ईमान : और फ़रमाया कि अपने हाथ में एक झाडू ले कर इस से मार दे और क़सम न तोड़।..✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 170 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 186
••──────────────────────••►
❝ कज़ा नमाज़ों का तरीका ❞
••──────────────────────••►
*⇩ कान छेदने का रवाज कब से हवा ⇩*
╭┈► हीले के जवाज़ पर एक और दलील मुलाहज़ा फ़रमाइये चुनान्चे हज़रते सय्यिदुना अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास रादिअल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है एक बार हज़रते सय्यिदतुना सारह और हज़रते सय्यिदतुना हाजिरा रादिअल्लाहु तआला अन्हा में कुछ चप कलश हो गई। हज़रते सय्यिदतुना सारह रादिअल्लाहु तआला अन्हा ने कसम खाई कि मुझे अगर काबू मिला तो मैं हाजिरा रादिअल्लाहु तआला अन्हा का कोई उज्व काटूंगी। अल्लाह ने हज़रते सय्यिदुना जिब्रईल अलैहिस्सलाम को हज़रते सय्यिदुना इब्राहीम खलीलुल्लाह अलैहिस्सालातु वस्सालाम की खिदमत में भेजा कि इन में सुल्ह करवा दें। हज़रते सय्यिदतुना सारह रादिअल्लाहु तआला अन्हा ने अर्ज़ की "مَاحِیلَۃُ یَمِیْنِی" यानी मेरी कसम का क्या हीला होगा तो हजरते सय्यिदुना इब्राहीम खलीलुल्लाह अलैहिस्सालातु वस्सालाम पर वहय नाज़िल हुई कि हज़रते सारह (रादिअल्लाहु तआला अन्हु) को हुक्म दो कि वोह (हज़रते) हाजिरा (रादिअल्लाहु तआला अन्हु) के कान छेद दें। उसी वक़्त से औरतों के कान छेदने का रवाज पड़ा।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 171 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 187
••──────────────────────••►
❝ कज़ा नमाज़ों का तरीका ❞
••──────────────────────••►
*⇩ गाय के गोश्त का तोहफा ⇩*
╭┈► उम्मुल मुअमिनीन हज़रते सय्यिदतुना आइशा सिद्दीका रादिअल्लाहु तआला अन्हा से रिवायत है कि दो जहां के सुल्तान सरवरे जीशान महबूबे रहमान ﷺ की खिदमत में गाय का गोश्त हाज़िर किया गया किसी ने अर्ज की येह गोश्त हज़रते सय्यिदतुना बरीरा रादिअल्लाहु तआला अन्हा पर सदका हुवा था। फ़रमाया येह बरीरा के लिये सदका था हमारे लिये हदिय्या है।
*⇩ ज़कात का शरई हीला ⇩*
╭┈► इस हदीसे पाक से साफ़ ज़ाहिर है कि हज़रते सय्यितुना बरीरा रादिअल्लाहु तआला अन्हा जो कि सदके की हकदार थीं उन को बतौरे सदका मिला हुवा गाय का गोश्त अगर्चे उन के हक़ में सदका ही था मगर उन के कब्जा कर लेने के बाद जब बारगाहे रिसालत में पेश किया गया था तो उस का हुक्म बदल गया था और अब वोह सदका न रहा था। यूं ही कोई मुस्तहिक़ शख्स ज़कात अपने कब्जे में ले लेने के बाद किसी भी आदमी को तोहफ़तन दे सकता या मस्जिद वगैरा के लिये पेश कर सकता है कि मज्कूरा मुस्तहिक़ शख्स का पेश करना अब जकात न रहा हदिय्या या अतिय्या हो गया। फुकहाए किराम राहीमाहुमुल्लाहुस्सालाम ज़कात का शरई हीला करने का तरीका यूं इर्शाद फरमाते हैं ज़कात की रकम मुर्दे की तज्हीज व तक्फ़ीन या मस्जिद की तामीर में सर्फ नहीं कर सकते कि तम्लीके फ़कीर (यानी फ़कीर को मालिक करना) न पाई गई अगर इन उम्र में खर्च करना चाहें तो इस का तरीका यह है कि फ़कीर को (ज़कात की रकम का) मालिक कर दें और वोह (तामीरे मस्जिद वगैरा में) सर्फ करे इस तरह सवाब दोनों को होगा।...✍🏻
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 5 सफ़ह 25
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 172-173 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 188
••──────────────────────••►
❝ कज़ा नमाज़ों का तरीका ❞
••──────────────────────••►
*⇩ 100 अफ़राद को बराबर बराबर सवाब मिले ⇩*
╭┈► इस्लामी बहनो ! देखा आप ने कफ़न दफ़्न बल्कि तामीरे मस्जिद में भी हीलए शरई के जरीए ज़कात इस्तिमाल की जा सकती है। क्यूं कि जकात तो फ़कीर के हक में थी जब फ़कीर ने कब्जा कर। लिया तो अब वोह मालिक हो चुका जो चाहे करे हीलए शरई की बरकत से देने वाले की ज़कात भी अदा हो गई और फ़क़ीर भी मस्जिद में दे कर सवाब का हक़दार हो गया। हीला करते वक़्त मुम्किन हो तो ज़ियादा अफ़राद के हाथ में रकम फिरानी चाहिये ताकि सब को सवाब मिले मसलन हीले के लिये फ़कीरे शरई को 12 लाख रुपै जकात दी क़ब्जे के बाद वोह किसी भी इस्लामी भाई को तोहफ़तन दे दे येह भी कब्जे में ले कर किसी और को मालिक बना दे यूं सभी ब निय्यते सवाब एक दूसरे को मालिक बनाते रहें , आख़िर वाला मस्जिद या जिस काम के लिये हीला किया था उस के लिये दे दे तो इंशा अल्लाह सभी को बारह बारह लाख रुपै सदका करने का सवाब मिलेगा। चुनान्चे हज़रते सय्यिदुना अबू हुरैरा रादिअल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है ताजदारे रिसालत शहनशाहे नुबुव्वत पैकरे जूदो सखावत सरापा रहमत महबूबे रब्बुल इज्जत ﷺ ने इर्शाद फ़रमाया अगर सो हाथों में सदका गुज़रा तो सब को वैसा ही सवाब मिलेगा जैसा देने वाले के लिये है और उस के अज्र में कुछ कमी न होगी।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 173 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 189
••──────────────────────••►
❝ कज़ा नमाज़ों का तरीका ❞
••──────────────────────••►
*⇩ फ़क़ीर की तारीफ़ ⇩*
╭┈► फ़कीर वोह है कि (الف) जिस के पास कुछ न कुछ हो मगर इतना न हो कि निसाब को पहुंच जाए या (ب) निसाब की क़दर तो हो , मगर उस की हाजते अस्लिय्या (यानी ज़रूरिय्याते जिन्दगी) में मुस्तरक (घिरा हुवा) हो। मसलन रहने का मकान खानादारी का सामान सुवारी के जानवर ( या साइकिल स्कूटर या कार ) कारीगरों के औजार पहनने के कपड़े ख़िदमत के लिये लौंडी गुलाम इल्मी शुरल रखने वाले के लिये इस्लामी किताबें जो उस की ज़रूरत से ज़ाइद न हों (ج) इसी तरह अगर मयून (मक्रूज़) है और दैन (कर्जा) निकालने के बाद निसाब बाक़ी न रहे तो फ़कीर है अगर्चे उस के पास एक तो क्या कई निसाबें हों।
*⇩ मिस्कीन की तारीफ़ ⇩*
╭┈► मिस्कीन वोह है जिस के पास कुछ न हो यहां तक कि खाने और बदन छुपाने के लिये इस का मोहताज है कि लोगों से सवाल करे। और उसे सुवाल हलाल है। फ़कीर को (यानी जिस के पास कम अज़ कम एक दिन का खाने के लिये और पहनने के लिये मौजूद है) बिगैर ज़रूरत व मजबूरी सुवाल हराम है।
╭┈► इस्लामी बहनो ! मालूम हुवा जो भिकारी कमाने पर कादिर होने के बा वुजूद बिला ज़रूरत व मजबूरी बतौरे पेशा भीक मांगते हैं। गुनहगार हैं और ऐसों के हाल से बा खबर होने के बा वुजूद उन को देना जाइज़ नहीं।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 174 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 190
••──────────────────────••►
❝ कज़ा नमाज़ों का तरीका ❞
••──────────────────────••►
*⇩ तरह तरह के फ़िदये और कफ्फारे ⇩*
╭┈► इस्लामी बहनो ! याद रहे नमाज़ व रोजे के इलावा मय्यित की तरफ़ से बहुत सारे फ़िदये और कफ्फ़ारे हो सकते हैं मसलन 1) ज़कात। 2) फ़ित्रे (मर्द पर छोटे बच्चों वगैरा के फ़ित्रे भी जब कि अदा न किये हों) 3) कुरबानियां। 4) कसमों के कफ्फारे। 5) सज्दए तिलावत जितने वाजिब होने के बा वुजूद ज़िन्दगी में अदा नहीं किये। 6) जितने नवाफ़िल फ़ासिद हुए और उन की क़ज़ा न की। 7) जो जो मन्नतें मानी और अदा न की। 8) ज़मीन का उश्र या खिराज जो अदा करने से रह गया। 9) फ़र्ज़ होने के बा वुजूद हज अदा न किया। 10) हज व उमरे के एहराम के कफ्फ़ारे मसलन दम , या सदके अगर वाजिब हुए थे और अदा न किये हों। इन के इलावा भी बे शुमार फ़िदये और कफ़्फ़ारे हो सकते हैं।
*⇩ इन फ़िदयों की अदाएगी की सूरतें ⇩*
╭┈► रोज़ा, सज्दए तिलावत फ़ासिद शुदा नवाफ़िल की क़ज़ा वगैरा के फ़िदये में हर एक के बदले एक एक सदकए फ़ित्र की रकम अदा करे। और ज़कात , फित्रा , कुरबानियां , उश्र व खिराज वगैरा में जितनी रकम मरहूम या मरहूमा के जिम्मे निकलती है वोह भी अदा करे।
📕 माखूज़ अज़ फ़तावा रज़विय्या , जिल्द 10 , सफ़ह 540-541
⚠ तफ़सीली मालूमात के लिये फ़तावा रज़विय्या " मुखर्रजा " जिल्द 10 : में सफ़हा 523 ता 549 पर मनी रिसाला , " तफ़ासीरुल अहकाम लि : फ़िद - यतिस्सलाति वस्सियाम नीज़ मुफस्सिरे शहीर हकीमुल उम्मत : हज़रते मुफ्ती अहमद यार ख़ान अलैहिर्रहमा की तस्नीफ़ "जाअल हक़ " से " इस्कात का बयान" पढ़ लीजिये)।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 175 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 191
••──────────────────────••►
❝ नवाफ़िल का बयान ❞
••──────────────────────••►
*⇩ दुरूद शरीफ़ की फ़ज़ीलत ⇩*
╭┈► खातमुल मुरसलीन रहमतुल्लिल आलमीन शफीउल मुज़्निबीन अनीसुल गरीबीन सिराजुस्सालिकीन महबूबे रब्बुल आलमीन जनाबे सादिको अमीन ﷺ का फ़रमाने मरिफ़रत निशान है जब जुमारात का दिन आता है अल्लाह तआला फ़िरिश्तों को भेजता है जिन के पास चांदी के कागज़ और सोने के कलम होते हैं वोह लिखते हैं कौन यौमे जुमारात और शबे जुमुआ मुझ पर कसरत से दुरूदे पाक पढ़ता है।
*⇩ अल्लाह का प्यारा बनने का नुस्खा ⇩*
╭┈► हज़रते सय्यिदुना अबू हुरैरा रादिअल्लाहु तआला अन्हु से मरवी है हुजूरे पाक साहिबे लौलाक सय्याहे अफ्लाक ﷺ फ़रमाते हैं कि अल्लाह तआला ने फ़रमाया जो मेरे किसी वली से दुश्मनी करे उसे मैं ने लड़ाई का एलान दे दिया और मेरा बन्दा जिन चीजों के जरीए मेरा कुर्ब चाहता है उन में मुझे सब से ज़ियादा फ़राइज़ महबूब हैं और नवाफ़िल के जरीए कुर्ब हासिल करता रहता है यहां तक कि मैं उसे अपना महबूब बना लेता हूं अगर वोह मुझ से सुवाल करे तो उसे ज़रूर दूंगा और पनाह मांगे तो उसे ज़रूर पनाह दूंगा।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 176 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 192
••──────────────────────••►
❝ नवाफ़िल का बयान ❞
••──────────────────────••►
*⇩ सलातुल्लैल ⇩*
╭┈► रात में बाद नमाजे इशा जो नवाफ़िल पढ़े जाएं उन को सलातुल्लैल कहते हैं और रात के नवाफ़िल दिन के नवाफ़िल से अफ़्ज़ल हैं कि सहीह मुस्लिम शरीफ़ में है सय्यिदुल मुबल्लिगीन रहमतुल्लिल आलमीन ﷺ ने इर्शाद फ़रमाया फ़र्जों के बाद अफ़्ज़ल नमाज़ रात की नमाज़ है।
*⇩ तहज्जुद और रात में नमाज़ पढ़ने का सवाब ⇩*
╭┈► अल्लाह तबारक व तआला पारह 21 सूरतुस्सज्दह आयत नम्बर 16 और 17 में इर्शाद फ़रमाता है *तरजमए कन्जुल ईमान :* इन की करवटें जुदा होती हैं ख्वाब गाहों से और अपने रब को पुकारते हैं डरते और उम्मीद करते और हमारे दिये हुए से कुछ खैरात करते हैं तो किसी जी को नहीं मालूम जो आंख की ठन्डक इन के लिये छुपा रखी है सिला इन के कामों का।
╭┈► सलातुल्लैल की एक किस्म तहज्जुद है कि इशा के बाद रात में सो कर उठे और नवाफ़िल पढ़ें सोने से क़ब्ल जो कुछ पढ़ें वोह तहज्जुद नहीं कम से कम तहज्जुद की दो रक्अतें हैं और हुजूरे अक्दस ﷺ से आठ तक साबित।
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 4 सफ़ह 26-27
╭┈► इस में किराअत का इख़्तियार है कि जो चाहें पढ़ें बेहतर येह है कि जितना कुरआन याद है वोह तमाम पढ़ लीजिये वरना येह भी हो सकता है कि हर रक्अत में सूरए फ़ातिहा के बाद तीन तीन बार सूरतुल इख्लास पढ़ लीजिये कि इस तरह हर रक्अत में कुरआने करीम ख़त्म करने का सवाब मिलेगा, ऐसा करना बेहतर है बहर हाल सूरए फ़ातिहा के बाद कोई सी भी सूरत पढ़ सकते हैं।...✍🏻
📕 मुलख्खस अज़ फ़तावा रज़विय्या मुखर्रजा जिल्द 7 सफ़ह 447
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 177-178 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 193
••──────────────────────••►
❝ नवाफ़िल का बयान ❞
••──────────────────────••►
*⇩ तहज्जुद गुज़ार के लिये जन्नत के आलीशान बालाख़ाने ⇩*
╭┈► अमीरुल मुअमिनीन हज़रते सय्यिदुना अलिय्युल मुर्तजा करम अल्लाहु तआला वजहाहुल करीम से रिवायत है कि सय्यिदुल मुबल्लिगीन रहमतुल्लिल आलमीन ﷺ का फ़रमाने दिल नशीन है जन्नत में ऐसे बालाख़ाने हैं जिन का बाहर अन्दर से और अन्दर बाहर से देखा जाता है। एक आराबी ने उठ कर अर्ज़ की या रसूलल्लाह ﷺ येह किस के लिये हैं ? आप ﷺ ने इर्शाद फरमाया येह उस के लिये हैं जो नर्म गुप्तगू करे, खाना खिलाए , मुतवातिर रोजे रखे, और रात को उठ कर अल्लाह के लिये नमाज़ पढ़े जब लोग सोए हुए हों।
╭┈► मुफस्सिरे शहीर हकीमुल उम्मत हज़रते मुफ्ती अहमद यार खान अलैहिर्रहमा मिरआतुल मनाजीह जिल्द 2 सफ़हा 260 पर इस हिस्सए हदीस मुतवातिर रोजे रखे की शर्ह करते हुए फ़रमाते हैं यानी हमेशा रोजे रखें सिवा उन पांच दिनों के जिन में रोज़ा हराम है यानी शव्वाल की यकुम और ज़िल हिज्जा की दसवीं ता तेरहवीं येह हदीस उन लोगों की दलील है जो हमेशा रोज़े रखते हैं बाज़ ने फ़रमाया कि इस के माना हैं हर महीने में मुसलसल तीन रोजे रखे।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 178-179 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 194
••──────────────────────••►
❝ नवाफ़िल का बयान ❞
••──────────────────────••►
*"तहज्जुद गुजार" के आठ हुरूफ की निस्बत से नेक बन्दों और बन्दियों की 8 हिकायात*
*⇩ ❶ सारी रात नमाज़ पढ़ते रहते ⇩*
╭┈► हज़रते सय्यिदुना अब्दुल अज़ीज़ बिन रवाद रादिअल्लाहु तआला अन्हु रात को सोने के लिये अपने बिस्तर पर आते और उस पर हाथ फैर कर कहते तू नर्म है लेकिन अल्लाह की क़सम जन्नत में तुझ से ज़ियादा नर्म बिस्तर मिलेगा फिर सारी रात नमाज़ पढ़ते रहते। अल्लाहु रब्बुल इज़्ज़त अज़्ज़वजल की उन पर रहमत हो और उन के सदके हमारी मरिफरत हो।
*बिल यकीं ऐसे मुसलमान हैं बेहद नादान*
जो कि रंगीनिये दुन्या पे मरा करते हैं
*⇩ ❷ शहद की मख्खी की भिनभिनाहट की सी आवाज़ ⇩*
╭┈► मशहूर सहाबी हज़रते सय्यिदुना अब्दुल्लाह इब्ने मस्ऊद रादिअल्लाहु तआला अन्हु जब लोगों के सो जाने के बाद उठ कर कियाम (यानी इबादत) फ़रमाया करते तो उन से सुब्ह तक शहद की मख्खी की सी भिनभिनाहट सुनाई देती। अल्लाहुरब्बुल इज़्ज़त अज़्ज़वजल की उन पर रहमत हो और उन के सदके हमारी मरिफ़रत हो।...✍🏻
*महब्बत में अपनी गुमा या इलाही*
न पाऊं मैं अपना पता या इलाही
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 179-180 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 195
••──────────────────────••►
❝ नवाफ़िल का बयान ❞
••──────────────────────••►
*"तहज्जुद गुजार" के आठ हुरूफ की निस्बत से नेक बन्दों और बन्दियों की 8 हिकायात*
*⇩ ❸ मैं जन्नत कैसे मांगूं ⇩*
╭┈► हज़रते सय्यिदुना सिलह बिन अश्यम रहमतुल्लाहि तआला अलैह सारी रात नमाज़ पढ़ते जब सहरी का वक़्त होता तो अल्लाह की बारगाह में अर्ज करते इलाही अज़्ज़वजल मेरे जैसा आदमी जन्नत नहीं मांग सकता लेकिन तू अपनी रहमत से मुझे जहन्नम से पनाह अता फ़रमा। अल्लाहु रब्बुल इज़्ज़त अज़्ज़वजल की उन पर रहमत हो और उन के सदके हमारी मग़फिरत हो।
*तेरे ख़ौफ़ से तेरे डर से हमेशा*
मैं थर थर रहूं कांपता या इलाही
*⇩ ❹ तुम्हारा बाप ना - गहानी अज़ाब से डरता है ⇩*
╭┈► हज़रते सय्यिदुना रबीअ बिन खुसैम रहमतुल्लाहि तआला अलैह की बेटी ने आप रहमतुल्लाहि तआला अलैह से अर्ज की अब्बाजान क्या वजह है कि लोग सो जाते हैं और आप नहीं सोते तो इर्शाद फ़रमाया बेटी तुम्हारा बाप ना - गहानी अज़ाब से डरता है जो अचानक रात को आ जाए। अल्लाहुरब्बुल इज़्ज़त की उन पर रहमत हो और उन के सदके हमारी मरिफ़रत हो।..✍🏻
*गर तू नाराज़ हुवा मेरी हलाकत होगी हाए*
मैं नारे जहन्नम में जलूंगा या रब
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 180-181 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 196
••──────────────────────••►
❝ नवाफ़िल का बयान ❞
••──────────────────────••►
*"तहज्जुद गुजार" के आठ हुरूफ की निस्बत से नेक बन्दों और बन्दियों की 8 हिकायात*
*⇩ ❺ इबादत के लिये जागने का अजीब अन्दाज़ ⇩*
╭┈► हज़रते सय्यिदुना सफ्वान बिन सुलैम रहमतुल्लाहि तआला अलैह की पिंडलियां नमाज़ में ज़ियादा देर खड़े रहने की वज्ह से सूज गई थीं। आप रहमतुल्लाहि तआला अलैह इस क़दर कसरत से इबादत किया करते थे कि बिलफ़र्ज़ आप रहमतुल्लाहि तआला अलैह से कह दिया जाता कि कल क़ियामत है तो भी अपनी इबादत में कुछ इज़ाफ़ा न कर सकते (यानी उन के पास इबादत में इज़ाफ़ा करने के लिये वक्त की गुन्जाइश ही न थी) जब सर्दी का मौसिम आता तो आप रहमतुल्लाहि तआला अलैह मकान की छत पर सोया करते ताकि सर्दी आप रहमतुल्लाहि तआला अलैह को जगाए रखे और जब गर्मियों का मौसिम आता तो कमरे के अन्दर आराम फरमाते ताकि गर्मी और तक्लीफ़ के सबब सो न सकें (क्यूं कि A . C . कुजा उन दिनों बिजली का पंखा भी न होता था) सज्दे की हालत में ही आप का इन्तिकाल हुवा आप दुआ किया करते थे ऐ अल्लाह अज़्ज़वजल मैं तेरी मुलाकात को पसन्द करता हूं तू भी मेरी मुलाकात को पसन्द फ़रमा। अल्लाहु रब्बुल इज़्ज़त अज़्ज़वजल की उन पर रहमत हो और उन के सदके हमारी मग़फिरत हो।...✍🏻
*अफ्व कर और सदा के लिये राज़ी हो जा*
गर करम कर दे तो जन्नत में रहूंगा या रब
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 181-182 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 197
••──────────────────────••►
❝ नवाफ़िल का बयान ❞
••──────────────────────••►
*"तहज्जुद गुजार" के आठ हुरूफ की निस्बत से नेक बन्दों और बन्दियों की 8 हिकायात*
*⇩ ❻ रोते रोते नाबीना हो जाने वाली ख़ातून ⇩*
╭┈► हज़रते सय्यिदुना खव्वास रहमतुल्लाहि तआला अलैह फ़रमाते हैं कि हम रिहला आबिदा के पास गए येह ब कसरत रोजे रखती थीं और इतना रोतीं कि इन की बीनाई जाती रही और इतनी कसरत से नमाजें पढ़तीं कि खड़ी न हो सकती थीं , लिहाज़ा बैठ कर ही नमाज़ पढ़ती थीं। हम ने उन्हें सलाम किया फिर अल्लाह के अफ्वो करम का तज्किरा किया ताकि उन पर मुआमला आसान हो जाए उन्हों ने येह बात सुन कर एक चीख मारी और फ़रमाया मेरे नफ्स का हाल मुझे मालूम है और इस ने मेरे दिल को ज़ख्मी कर दिया है और जिगर टुकड़े टुकड़े हो गया है खुदा की कसम मैं चाहती हूं कि काश अल्लाह अज़्ज़वजल ने मुझे पैदा ही न किया होता और मैं कोई काबिले ज़िक्र शै न होती। येह फ़रमा कर दोबारा नमाज़ में मश्गूल हो गई। अल्लाहु रब्बुल इज़्ज़त अज़्ज़वजल की उन पर रहमत हो और उन के सदके हमारी मग़फिरत हो।
*आह सल्बे ईमां का खौफ खाए जाता है*
काश मेरी मां ने ही मुझ को न जना होता
*⇩ ❼ मौत की याद में भूकी रहने वाली ख़ातून ⇩*
╭┈► हज़रते सय्यिदतुना मुआजह अदविय्या रहमतुल्लाहि तआला अलैहा रोज़ाना सुब्ह के वक़्त फ़रमाती (शायद) येह वोह दिन है जिस में मुझे मरना है। फिर शाम तक कुछ न खातीं फिर जब रात होती तो कहती (शायद) येह वोह रात है जिस में मुझे मरना है। फिर सुब्ह तक नमाज़ पढ़ती रहतीं। अल्लाहु रब्बुल इज़्ज़त की उन पर रहमत हो और उन के सदके हमारी मग़फ़िरत हो।...✍🏻
*मेरा दिल कांप उठता है कलेजा मुंह को आता है*
करम या रब अंधेरा क़ब्र का जब याद आता है
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 182-183 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 198
••──────────────────────••►
❝ नवाफ़िल का बयान ❞
••──────────────────────••►
*"तहज्जुद गुजार" के आठ हुरूफ की निस्बत से नेक बन्दों और बन्दियों की 8 हिकायात*
*⇩ ❽ गिर्या व जारी करने वाला ख़ानदान ⇩*
╭┈► हज़रते सय्यिदुना कासिम बिन राशिद शैबानी रहमतुल्लाहि तआला अलैह कहते हैं कि हज़रते सय्यिदुना ज़म्आ रहमतुल्लाहि तआला अलैह मुहस्सब में ठहरे हुए थे, आप रहमतुल्लाहि तआला अलैह की ज़ौजा और बेटियां भी हमराह थीं। आप रहमतुल्लाहि तआला अलैह रात को उठे और देर तक नमाज़ पढ़ते रहे। जब सहरी का वक़्त हुवा तो बुलन्द आवाज़ से पुकारने लगे ऐ रात में पड़ाव करने वाले क़ाफ़िले के मुसाफ़िरो क्या सारी रात सोते रहोगे क्या उठ कर सफ़र नहीं करोगे तो वोह लोग जल्दी से उठ गए और कहीं से रोने की आवाज़ आने लगी और कहीं से दुआ मांगने की , एक जानिब से कुरआने पाक पढ़ने की आवाज़ सुनाई दी तो दूसरी जानिब कोई वुज़ू कर रहा होता। फिर जब सुब्ह हुई तो आप रहमतुल्लाहि तआला अलैह ने बुलन्द आवाज़ से पुकारा लोग सुब्ह के वक़्त चलने को अच्छा समझते हैं। अल्लाहु रब्बुल इज़्ज़त अज़्ज़वजल की उन पर रहमत हो और उन के सदके हमारी मग़फिरत हो।...✍🏻
*मेरे गौस का वसीला रहे शाद सब क़बीला*
इन्हें खुल्द में बसाना म - दनी मदीने वाले
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 184 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 199
••──────────────────────••►
❝ नवाफ़िल का बयान ❞
••──────────────────────••►
*⇩ नमाज़े इशराक ⇩*
╭┈► दो फ़रामीने मुस्तफा ﷺ ❶ जो नमाज़े फ़र्ज बा, जमाअत अदा कर के ज़िक्रुल्लाह करता रहे यहां तक कि आफ़्ताब बुलन्द हो गया फिर दो रक्अतें पढ़ीं तो उसे पूरे हज व उम्रा का सवाब मिलेगा।
╭┈► ❷ जो शख्स नमाज़े फ़र्ज से फ़ारिंग होने के बाद अपने मुसल्ले में (या'नी जहां नमाज़ पढ़ी वहीं) बैठा रहा। हत्ता कि इशराक के नफ़्ल पढ़ ले सिर्फ खैर ही बोले तो उस के गुनाह बख़्श दिये जाएंगे अगर्चे समुन्दर के झाग से भी ज़ियादा हों।
╭┈► हदीसे पाक के इस हिस्से "अपने मुसल्ले में बैठा रहे" की, वजाहत करते हुए हज़रते सय्यिदुना मुल्ला अली कारी रहमतुल्लाहि तआला अलैश फ़रमाते हैं या'नी मस्जिद या घर में इस हाल में रहे कि ज़िक्र या गौरो। फ़िक्र करने या इल्मे दीन सीखने सिखाने या "बैतुल्लाह के तवाफ़ में मश्गूल रहे" नीज़ "सिर्फ खैर ही बोले" के बारे में फ़रमाते हैं या'नी फज्र और इशराक के दरमियान खैर या'नी भलाई के सिवा कोई गुप्त-गू न करे क्यूं कि येह वोह बात है जिस पर सवाब मुरत्तब होता है
╭┈► *नमाज़े इशराक़ का वक़्त :* सूरज तुलूअ होने के कम अज़ कम बीस या पच्चीस मिनट बाद से ले कर ज़हवए कुब्रा तक नमाजे इशराक का वक़्त रहता है।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 185 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 200
••──────────────────────••►
❝ नवाफ़िल का बयान ❞
••──────────────────────••►
*⇩ नमाज़े चाश्त की फ़ज़ीलत ⇩*
╭┈► हज़रते सय्यिदुना अबू हुरैरा रादिअल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है कि हुजूरे पाक, साहिबे लौलाक, सय्याहे अफ्लाक ﷺ ने फ़रमाया जो चाश्त की दो रकअतें पाबन्दी से अदा करता रहे उस के गुनाह मुआफ़ कर दिये जाते हैं अगर्चे समुन्दर की झाग के बराबर हों।
╭┈► *नमाज़े चाश्त का वक़्त :* इस का वक़्त आफ़्ताब बुलन्द होने से जवाल या'नी निस्फुन्नहारे शर-ई तक है और बेहतर येह है कि चौथाई दिन चढ़े पढ़े।
📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 4, सफ़ह 25
╭┈► नमाज़े इशराक के फ़ौरन बाद भी चाहें तो नमाज़े चाश्त पढ़ सकते हैं।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 186 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 201
••──────────────────────••►
❝ नवाफ़िल का बयान ❞
••──────────────────────••►
*⇩ सलातुत्तस्बीह ⇩*
╭┈► इस नमाज़ का बे इन्तिहा सवाब है, शहनशाहे खुश खिसाल पैकरे हुस्नो जमाल, दाफेए रन्जो मलाल, साहिबे जूदो नवाल, रसूले बे मिसाल, बीबी आमिना के लाल ﷺ ने अपने चचाजान हज़रते सय्यिदुना अब्बास रादिअल्लाहु तआला अन्हु से फ़रमाया कि ऐ मेरे चचा अगर हो सके तो सलातुत्तस्बीह हर रोज़ एक बार पढ़िये और अगर रोज़ाना न हो सके तो हर जुमुआ को एक बार पढ़ लीजिये और येह भी न हो सके तो हर महीने में एक बार और येह भी न हो सके तो साल में एक बार और यह भी न हो सके तो उम्र में एक बार।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 186 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 202
••──────────────────────••►
❝ नवाफ़िल का बयान ❞
••──────────────────────••►
*⇩ सलातुत्तस्बीह पढ़ने का तरीका ⇩*
╭┈► इस नमाज़ की तरकीब येह है कि तक्बीरे तहरीमा के बा'द सना पढ़े फिर पन्दरह' मर्तबा येह तस्वीह पढ़े سُبحٰنَ اللّٰهِ وَالْحَمْدُ لِلّٰهِ وَلَآ اِلٰهَ اِلَّا اللّٰهُ واللّٰهُ اَکْبَر फिर اَعُوْذُ بِاللّٰهِ مِنَ الشَّیْطٰنِ الرَّجِیْم और بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ सूरए फ़ातिहा और कोई सूरत पढ़ कर रुकूअ से पहले दस बार येही तस्बीह पढ़े फिर रुकूअ करे और रुकूअ में سُبْحٰنَ رَبِّیَ الْعَظِیْمِ तीन मर्तबा पढ़ कर फिर दस मर्तबा येही तस्बीह पढ़े फिर रुकूअ से सर उठाए और سَمِعَ اللّٰهُ لِمَنْ حَمِدَہٗ और اَللّٰھُمَّ رَبَّنَا وَلَکَ الْحَمْدُ पढ़ कर फिर खड़े खड़े दस मर्तबा येही तस्बीह पढ़े फिर सज्दे में जाए और तीन मर्तबा سُبْحٰنَ رَبِّیَ الْآعْلٰی पढ़ कर फिर दस मर्तबा येही तस्बीह पढ़े फिर सज्दे से सर उठाए और दोनों सज्दों के दरमियान बैठ कर दस मर्तबा येही तस्बीह पढ़े फिर दूसरे सज्दे में जाए और سُبْحٰنَ رَبِّیَ الْآعْلٰی तीन मर्तबा पढ़े फिर इस के बाद येही तस्बीह दस मर्तबा पढ़े इसी तरह चार रक्अत पढ़े और ख़याल रहे कि खड़े होने की हालत में सूरए फ़ातिहा से पहले पन्दरह मर्तबा और बाकी सब जगह येह तस्वीह दस दस बार पढ़े यूं हर रक्अत में 75 मर्तबा तस्बीह पढ़ी जाएगी और चार रक्अतों में तस्बीह की गिनती तीन सो 300 मर्तबा होगी।
📕 बहारे शरीअत, हिस्सा : 4, स. 32
╭┈► तस्बीह उंग्लियों पर न गिने बल्कि हो सके तो दिल में शुमार करे वरना उंग्लियां दबा कर।...✍🏻
📕 ऐज़न, सफ़ह 33
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 187 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 203
••──────────────────────••►
❝ नवाफ़िल का बयान ❞
••──────────────────────••►
*⇩ इस्तिख़ारा ⇩*
╭┈► हज़रते सय्यिदुना जाबिर बिन अब्दुल्लाह रादिअल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है कि रसूले अकरम, नूरे मुजस्सम ﷺ हम को तमाम उमूर में इस्तिख़ारा तालीम फ़रमाते जैसे कुरआन की सूरत तालीम फ़रमाते थे, फ़रमाते हैं जब कोई किसी अम्र का कस्द करे तो दो रक्अत नफ़्ल पढ़े फिर कहे
اللهم اني أستخيرك بعلمك وأستقدرك بقدرتك وأسالك من فضلك العظيم فانك تقدر ولا أقدر وتعلم ولا أعلم وانت علام الغيوب اللهم ان كنت تعلم ان هذا الأمر خير لي في ديني ومعاشي وعاقبة أمري فاقدره لي ويسره لي ثم بارك لي فيه وان كنت تعلم ان هذا الأمر شر لي في ديني ومعاشي وعاقبة امري فاصرفه عني واصرفني عنه واقدرلي الخير حيث كان ثم ارضني به
╭┈► ऐ अल्लाह अज़्ज़वजल मैं तेरे इल्म के साथ तुझ से खैर तलब करता (करती) हूं। और तेरी कुदरत के जरीए से त-लबे कुदरत करता (करती) हूं और तुझ से। तेरा फ़ल्ले अज़ीम मांगता (मांगती) हूं क्यूं कि तू कुदरत रखता है और मैं कुदरत नहीं रखता (रखती) तू सब कुछ जानता है और मैं नहीं जानता (जानती) और तू तमाम पोशीदा बातों को खूब जानता है ऐ अल्लाह (अज़्ज़वजल) अगर तेरे इल्म में येह अम्र (जिस का मैं कस्द व इरादा रखता (रखती) है) मेरे दीन व ईमान और मेरी जिन्दगी और मेरे अन्जामे कार में दुन्या व आखिरत में मेरे लिये बेहतर है तो इस को मेरे लिये मुकद्दर कर दे और मेरे लिये आसान कर दे फिर इस में मेरे वासिते ब-र-कत कर दे ऐ अल्लाह (अज़्ज़वजल) अगर तेरे इल्म में येह काम मेरे लिये बुरा है मेरे दीन व ईमान मेरी ज़िन्दगी और मेरे अन्जामे कार दुन्या व आख़िरत में तो इस को मुझ से और मुझ को इस से फैर दे और जहां कहीं बेहतरी हो मेरे लिये मुक़द्दर कर फिर उस से मुझे राजी कर दे। ( اَوْ قَلَ عَاجِلِ اَمْرِیْ में "اَوْ" शके रावी है, फु-कहा फ़रमाते हैं कि जम्अ करे या'नी यूं कहे وَعَاقِبَۃِ اَمْرِیْ وَعَاجِلِ اَمْرِی وَاٰجِلِهٖ
╭┈► मस्अला : हज और जिहाद और दीगर नेक कामों में नफ़्से फेल के लिये इस्तिखारा नहीं हो सकता, हां ता'यीने वक़्त (या'नी वक्त मुकर्रर करने) के लिये कर सकते हैं।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 188-189 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 204
••──────────────────────••►
❝ नवाफ़िल का बयान ❞
••──────────────────────••►
*⇩ नमाज़े इस्तिखारा में कौन सी सूरतें पढ़ें ⇩*
╭┈► मुस्तहब येह है कि इस दुआ के अव्वल आखिर اَلْحَمْدُ لِلّٰه और दुरूद शरीफ़ पढ़े और पहली रक्अत में قُلْ یاَیُّھَاالْکَافِرُوْنَ और
दूसरी में قُلْ ھُوَ اللّٰهُ पढ़े और बा'ज़ मशाइख फ़रमाते हैं कि पहली में
وَرَبُّکَ یَخْلُقُ مَایَشَآءُ وَیَخْتَارُ ؕ مَکَانَ لَھُمُ الْخِیَرَۃُ ؕ سُبْحٰنَ اللّٰهِ وَتَعٰلٰی عَمَّا یُشْرِکُونَ {۶۸} وَرَبُّکَ یَعْلَمُ مَاتُکِنُّ صُدُوْرُھُمْ وَمَا یُعْلِنُوْنَ {۶۹} (پ 20، القصص68-69)
और दूसरी में
وَمَا کَانَ لِمُؤْمِنٍ وَّلَامُؤْمِنَۃٍ اِذَا قَضَی اللّٰهُ وَرَسُوْلُهَٗ اَمْرًا اَنْ یَّکُوْنَ لَھُمُ الْخِیَرَۃُ مِنْ اَمْرِھِمْ ؕ وَمَنْ یَّعْصِ اللّٰهُ وَرَسُوْلُهَٗ فَقَدْ ضَلٰلًا مُّبِیْنًا ؕ (پ 22 الاحزاب 36)
पढ़े।
╭┈► बेहतर येह है कि सात बार इस्तिख़ारा करे कि एक हदीस में है ऐ अनस जब तू किसी काम का कस्द करे तो अपने रब अज़्ज़वजल से उस में सात बार इस्तिखारा कर फिर नज़र कर तेरे दिल में क्या गुज़रा कि बेशक उसी में खैर है।
╭┈► और बा'ज़ मशाइखे किराम रहीमुस्सलाम से मन्कूल है कि दुआए मजकूर पढ़ कर बा तहारत किब्ला रू सो रहे अगर ख्वाब में सफ़ेदी या सब्जी देखे तो वोह काम बेहतर है और सियाही या सुर्खी देखे तो बुरा है उस से बचे।
╭┈► इस्तिखारे का वक़्त उस वक़्त तक है कि एक तरफ़ राय पूरी जम न चुकी हो।...✍🏻
📙 बहारे शरीअत हिस्सा 4 सफ़ह 32
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 189-190📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 205
••──────────────────────••►
❝ नवाफ़िल का बयान ❞
••──────────────────────••►
*⇩ सलातुल अव्वाबीन की फजीलत ⇩*
╭┈► हज़रते सय्यिदुना अबू हुरैरा रादिअल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है कि ताजदारे रिसालत, शहन्शाहे नुबुब्चत, मख्नने जूदो सखावत, पैकरे अज़ मतो शराफ़त, महबूबे रब्बुल इज्जत, मोहसिने इन्सानियत ﷺ ने फ़रमाया जो मगरिब के बा'द छ रक्अतें इस तरह अदा करे कि इन के दरमियान कोई बुरी बात न कहे तो येह छ रक्अतें बारह साल की इबादत के बराबर होंगी।
*⇩ नमाज़े अब्वाबीन का तरीका ⇩*
╭┈► मग़रिब की तीन रक्अत फ़र्ज़ पढ़ने के बाद छ रक्अत एक ही निय्यत से पढ़िये, हर दो रक्अत पर का'दा कीजिये और इस में अत्तहिय्यात, दुरूदे इब्राहीम और दुआ पढ़िये, पहली, तीसरी और पांचवीं रक्त को इब्तिदा में सना, तअव्वुज व तस्मिया (या'नी اَعُوْذُ بِاللّٰهِ और بِسْمِ اللّٰهِ) भी पढ़िये छटी रक्अत के का'दे के बाद सलाम फैर दीजिये। पहली दो रक्अतें सुन्नते मुअक्कदा हुई और बाकी चार नवाफ़िल येह है अव्वाबीन (या'नी तौबा करने वालों) की नमाज़।
📙 अल वज़ी फतुल करीमा, सफ़ह 24, मुलख्वसन
╭┈► चाहें तो दो दो रक्अत कर के भी पढ़ सकते हैं। बहारे शरीअत हिस्सा 4 सफ़हा 15 और 16 पर है बा'दे मगरिब छ रक्अतें मुस्तहब हैं इन को सलातुल अव्वाबीन कहते हैं, ख्वाह एक सलाम से सब पढ़े या दो से या तीन से और तीन सलाम से या'नी हर दो रक्अत पर सलाम फैरना अफ़ज़ल है।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 190-191 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 206
••──────────────────────••►
❝ नवाफ़िल का बयान ❞
••──────────────────────••►
*⇩ तहिय्यतुल वुज़ू ⇩*
╭┈► वुज़ू के बाद आ'ज़ा खुश्क होने से पहले दो रक्अत नमाज़ पढ़ना मुस्तहब है। हज़रते सय्यिदुना उक्बा बिन आमिर रादिअल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है, फ़रमाते हैं कि नबिय्ये करीम, रऊफुर्रहीम ﷺ ने फ़रमाया जो शख्स वुज़ू करे और अच्छा वुज़ू करे और ज़ाहिरो बातिन के साथ मु-तवज्जेह हो कर दो रक्अत पढ़े उस के लिये जन्नत वाजिब हो जाती है।
╭┈► गुस्ल के बाद भी दो रक्अत नमाज़ मुस्तहब है। वुज़ू के बाद फ़र्ज़ वगैरा पढ़े तो काइम मकाम तहिय्यतुल वुजू के हो जाएंगे। मकरूह वक़्त में तहिय्यतुल वुजू और गुस्ल के बाद, वाली दो रक्अतें नहीं पढ़ सकते।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 191-192 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 207
••──────────────────────••►
❝ नवाफ़िल का बयान ❞
••──────────────────────••►
*⇩ सलातुल असरार ⇩*
╭┈► दुआओं की मक्बूलिय्यत और हाजतों के पूरा होने के लिये एक मुजर्रब (या'नी आजमूदा) नमाज़ सलातुल असरार भी है जिस को इमाम अबुल हसन नूरुद्दीन अली बिन जरीर लख्मी शतनौफ़ी रहमतुल्लाहि तआला अलैह ने बहजतुल असरार में और हज़रते मुल्ला अली कारी रहमतुल्लाहि तआला अलैह और शैख अब्दुल हक मुहद्दिस देहलवी रहमतुल्लाहि तआला अलैह ने हुजूरे गौसे आज़म रादिअल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत करते हुए तहरीर फ़रमाया है। इस की तरकीब येह है कि बा'द नमाजे मगरिब सुन्नतें पढ़ कर दो रक्अत नमाज़ नफ्ल पढ़े और बेहतर येह है कि अल हम्द के बाद हर रक्अत में ग्यारह ग्यारह मर्तबा قُلْ ھُوَ اللّٰهُ पढ़े सलाम के बाद अल्लाह की हम्दो सना करे (म-सलन हम्दो सना की निय्यत से सू-रतुल फ़ातिहा पढ़ ले) फिर नबी ﷺ पर ग्यारह बार दुरूदो सलाम अर्ज करे और ग्यारह बार येह कहे
یَا رَسُوْلَ اللّٰهِ یَانَبِیَّ اللّٰهِ اَغِشْنِیْ وَامْدُدْنِیْ فِیْ قَضَاءِ حَاجَتِیْ یَا قَاضِیَ الْحَاجَات
╭┈► तरजमा : ऐ अल्लाह अज़्ज़वज के रसूल ऐ अल्लाह अज़्ज़वजल के नबी मेरी फ़रियाद को पहुंचिये और मेरी मदद कीजिये, मेरी हाजत पूरी होने में, ऐ तमाम हाजतों के पूरा करने वाले फिर इराक की जानिब ग्यारह कदम चले और हर कदम पर येह कहे
یَا غَوْثَ الثَّقَلَیْنِ یَا کَرِیْمَ الطَّرَفَیْنِ اَغِشْنِیْ وَامْدُدْنِیْ فِیْ قَضَاءِ حَاجَتِیْ یَا قَاضِیَ الْحَاجَاتِ
╭┈► तरजमा : ऐ जिन्नो इन्स के फ़रियाद-रस और ऐ दोनों तरफ़ (या'नी मां बाप दोनों ही की जानिब) से बुजुर्ग मेरी फ़रियाद को पहुंचिये और मेरी मदद कीजिये मेरी हाजत पूरी होने में ऐ हाजतों के पूरा करने वाले।) फिर हुजूरे अक्दस ﷺ को वसीला बना कर अल्लाह तआला से अपनी हाजत के लिये दुआ मांगे। अ-रबी दुआओं के साथ तरजमा : पढ़ना ज़रूरी नहीं।...✍🏻
📙 बहारे शरीअत हिस्सा 4 सफ़ह 35
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 192-193 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 208
••──────────────────────••►
❝ नवाफ़िल का बयान ❞
••──────────────────────••►
*⇩ सलातुल हाजात ⇩*
╭┈► हज़रते सय्यिदुना हुजैफा रादिअल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है कि जब हुजूरे अकरम, नूरे मुजस्सम, शाहे बनी आदम, रसूले मुहूतशम, शाफेए उमम ﷺ को कोई अमे अहम पेश आता तो नमाज़ पढ़ते।
╭┈► इस के लिये दो या चार रकअत पढ़े हदीसे पाक में है। पहली रकअत में सूरए फ़ातिहा और तीन बार आ-यतुल कुरसी पढ़े और बाकी तीन रक्अतों में सूरए फ़ातिहा और قُلْ ھُوَ اللّٰهُ और قُلْ اَعُوذُ بِرَبِّ الْفَلَقِ और قُلْ اَعُوذُ بِرَبِّ النَّاسِ एक एक बार पढ़े, तो येह ऐसी हैं। जैसे शबे क़द्र में चार' रक्अतें पढ़ीं।
📙 बहारे शरीअत्त हिस्सा 4 सफ़ह 34
╭┈► मशाइखे किराम रहिमाहुमुस्सलाम फ़रमाते हैं कि हम ने येह नमाज़ पढ़ी और हमारी हाजतें पूरी हुईं। हज़रते सय्यिदुना अब्दुल्लाह बिन औफ़ो रादिअल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है कि हुजूरे अक्दस ﷺ फ़रमाते हैं जिस की कोई हाजत अल्लाह की तरफ़ हो या किसी बनी आदम (या'नी इन्सान) की तरफ़ तो अच्छी तरह वुज़ू करे फिर दो रक्अत नमाज़ पढ़ कर अल्लाह अज़्ज़वजल की सना करे और नबी ﷺ पर दुरूद भेजे फिर येह पढ़े :
لَاَ اِلٰهَ اِلَّا اللّٰهُ الْحَلِیْمُ الْکَرِیْمُ سُبْحٰنَ اللّٰهِ رَبِّ الْعَرْشِ الْعَظِیْمِ الْحَمْدُ لِلّٰهِ رَبِّ الْعٰلَمِیْن اَسْأََلُکَ مُوْجِبَاتِ رَحْمَتِکَ وَعَزَائِمَ مَغْفِرَتِکَ وَالْغَنِیْمَۃَ مِنْ کُلِّ بِرٍّ وَّالسَّلَامَۃَ مِنْ کُلٍّ اِثْمٍ لَّا تَدَعْ لِیْ ذَنبًا اِلَّا غَفَرْتَهٗ وَلَا ھَمَّا اِلَّا فَرَّجْتَهٗ وَلَا حَاجَۃً ھِیَ لَکَ رِضًا اِلَّا قَضَیْتَھَا یَا اَرْحَمَ الرَّاحِمِیْنَ
╭┈► तरजमा : अल्लाह अज़्ज़वजल के सिवा कोई मा'बूद नहीं जो हलीम व करीम है, पाक है अल्लाह अज़्ज़वजल मालिक है अर्श अज़ीम का, हम्द है अल्लाह अज़्ज़वजल के लिये जो रब है तमाम जहां का, मैं तुझ से तेरी रहमत के अस्बाब मांगता (मांगती) हूं और तलब करता (करती) हूं तेरी बखिशश के ज़राए और हर नेकी से गनीमत और हर गुनाह से सलामती को, मेरे लिये कोई गुनाह बिगैर मग़फिरत न छोड़ और हर गम को दूर कर दे और जो हाजत तेरी रिज़ा के मुवाफिक है उसे पूरा कर दे ऐ सब मेहरबानों से ज़ियादा मेहरबान।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 193-195 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 209
••──────────────────────••►
❝ नवाफ़िल का बयान ❞
••──────────────────────••►
*⇩ नाबीना को आंखें मिल गई ⇩*
╭┈► हज़रते सय्यिदुना उस्मान बिन हुनैफ रादिअल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है कि एक नाबीना सहाबी रादिअल्लाहु तआला अन्हु ने बारगाहे रिसालत में हाज़िर हो कर अर्ज की अल्लाह अज़्ज़वजल से दुआ कीजिये कि मुझे आफ़िय्यत दे। इर्शाद फ़रमाया अगर तू चाहे तो दुआ करूं और चाहे तो सब्र कर! और येह तेरे लिये बेहतर है। उन्हों ने अर्ज़ की हुजूर दुआ फ़रमा दीजिये उन्हें हुक्म फ़रमाया कि वुजू करो और अच्छा वुजू करो और दो रक्अत नमाज़ पढ़ कर येह दुआ पढ़ो
اَللّٰھُمَّ اِنِّیْ اَسْئَلُکَ وَاَتَوَسَّلُ وَاَتَوَجَّهُ اِلَیْکَ بِنَبِیِّکَ
مُحَمَّدٍ نَّبِیِّ الرَّحْمَۃِ یَا رَسُوْلَ اللّٰهِ اِنِّیْ تَوَجَّھْتُ بِکَ
اِلٰی ربِّیْ فِیْ حَاجَتِیْ ھٰذِہٖ لِتُقْضٰی لِیْ اَللّٰھُمَّ فَشَفِّعْهُ فِیَّ
╭┈► तरजमा : ऐ अल्लाह अज़्ज़वजल मैं तुझ से सुवाल करता हूं और तवस्सुल करता हूं और तेरी तरफ़ मु-तवज्जेह होता हूं तेरे नबी मुहम्मद ﷺ के जरीए से जो नबिय्ये रहमत हैं। या रसूलल्लाह ﷺ!, मैं हुजूर ﷺ के जरीए से अपने रब अज़्ज़वजल की तरफ़ इस हाजत के बारे में मु-तवज्जेह होता हूं, ताकि मेरी हाजत पूरी हो इलाही इन की शफाअत मेरे हक़ में कबूल फ़रमा।
╭┈► सय्यिदुना उस्मान बिन हुनैफ रादिअल्लाहु तआला अन्हु फ़रमाते हैं खुदा की कसम हम उठने भी न पाए थे, बातें ही कर रहे थे कि वोह हमारे पास! आए, गोया कभी अन्धे थे ही नहीं।
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 4 सफ़ह 34
╭┈► *इस्लामी बहनो !* शैतान जो येह वस्वसा डालता है कि सिर्फ *या अल्लाह* कहना चाहिये *या रसूलल्लाह* नहीं कहना चाहिये, अल्हम्दुलिल्लाह इस हदीसे मुबारक ने शैतान के इस इन्तिहाई खतरनाक वस्वसे को भी जड़ से उखाड़ दिया कि अगर *या रसूलल्लाह* कहना जाइज़ न होता तो खुद हमारे प्यारे आका मदीने वाले मुस्तफ़ा ﷺ इस की क्यूं तालीम देते बस झूम झूम कर या रसूलल्लाह के नारे लगाते जाइये।...✍🏻
*या रसूलल्लाह के नारे से हम को प्यार है*
*जिस ने येह नारा लगाया उस का बेड़ा पार है*
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 195-196 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 210
••──────────────────────••►
❝ नवाफ़िल का बयान ❞
••──────────────────────••►
*⇩ गहन की नमाज़ ⇩*
╭┈► हज़रते सय्यदुना अबू मूसा अश्अरी रादिअल्लाहु तआला अन्हु से मरवी कि शहनशाहे खुश खिसाल, पैकरे हुस्नो जमाल, दाफेए रन्जो मलाल, साहिबे जूदो नवाल, रसूले बे मिसाल, बीबी आमिना के लाल ﷺ के अहदे करीम (या'नी मुबारक ज़माने) में एक मरतबा आफ़ताब में गहन लगा, आप ﷺ मस्जिद में तशरीफ़ लाए और बहुत तवील कियाम व रुकूअ व सुजूद के साथ नमाज़ पढ़ी कि मैं ने कभी ऐसा करते न देखा और येह फ़रमाया कि अल्लाह किसी को मौत व हयात के सबब अपनी येह निशानियां जाहिर नहीं फ़रमाता, बल्कि इन से अपने बन्दों को डराता है, लिहाजा जब इनमें से कुछ देखो तो ज़िक्र व दुआ व इस्तिग़फार की तरफ़ घबरा कर उठो। सूरज गहन की नमाज़ सुन्नते मुअक्कदा और चांद गहन की नमाज़ मुस्तहब है।..✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 197 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 211
••──────────────────────••►
❝ नवाफ़िल का बयान ❞
••──────────────────────••►
*⇩ गहन की नमाज़ पढ़ने का तरीका ⇩*
╭┈► येह नमाज़ और नवाफिल की तरह दो रक्अत पढ़ें या'नी हर रिक्अत में एक रुकूअ और दो सज्दे करें न इस में अज़ान है, न इकामत, न बुलन्द आवाज़ से किराअत, और नमाज़ के बाद दुआ करें यहां तक कि आफ़्ताब खुल जाए और दो रक्अत से ज़ियादा भी पढ़ सकते हैं। ख्वाह दो, दो रक्अत पर सलाम फैरें या चार पर।
📙 बहारे शरीअत हिस्सा 4 सफ़ह 136
╭┈► ऐसे वक़्त गहन लगा कि उस वक़्त नमाज़ पढ़ना मम्नूअ है तो नमाज़ न पढ़ें, बल्कि दुआ में मश्गूल रहें और इसी हालत में डूब जाए! तो दुआ ख़त्म कर दें और मगरिब की नमाज़ पढ़ें। तेज़ आंधी आए या दिन में सख्त तारीकी छा जाए या रात में खौफनाक रोशनी हो या लगातार कसरत से मीह बरसे या ब कसरत ओले पड़ें या आस्मान सुर्ख हो जाए या बिज्लियां गिरें या ब कसरत तारे टूटें या ताऊन वगैरा वबा फैले या ज़ल्जले आएं या दुश्मन का खौफ हो या और कोई दहशत नाक अम्र पाया जाए इन सब के लिये दो रक्अत नमाज़ मुस्तहब है।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 197-198 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 212
••──────────────────────••►
❝ नवाफ़िल का बयान ❞
••──────────────────────••►
*⇩ नमाज़े तौबा ⇩*
╭┈► हज़रते सय्यिदुना अबू बक्र सिद्दीक़ रादिअल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है कि हुजूरे पाक, साहिबे लौलाक, सय्याहे अप्लाक ﷺ फ़रमाते हैं जब कोई बन्दा गुनाह करे फिर वुजू कर के नमाज़ पढ़े फिर इस्तिग़फार करे, अल्लाह तआला उस के गुनाह बख्श देगा। फिर येह आयत पढ़ी
╭┈► तरजमए कन्जुल ईमान : और वोह कि जब कोई बे हयाई या अपनी जानों पर जुल्म करें अल्लाह अज़्ज़वजल को याद
कर के अपने गुनाहों की मुआफ़ी चाहें! और गुनाह कौन बख़्शे सिवा अल्लाह अज़्ज़वजल के और अपने किये पर जान बूझ कर अड़ न जाएं।...✍🏻
📔 पारा 4 सूरह आले इमरान आयत 135
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 198 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 213
••──────────────────────••►
❝ नवाफ़िल का बयान ❞
••──────────────────────••►
*⇩ इशा के बाद दो नफ़्ल का सवाब ⇩*
╭┈► हज़रते सय्यिदुना अब्दुल्लाह बिन अब्बास रादिअल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है, उन्हों ने फ़रमाया जो इशा के बाद दो रक्अत पढ़ेगा और हर रकअत में सूरए फ़ातिहा के बाद पन्दरह बार قُلْ ھُوَ اللّٰهُ पढ़ेगा अल्लाह तआला उस के लिये जन्नत में दो ऐसे महल ता'मीर करेगा जिसे अहले जन्नत देखेंगे।
*⇩ सुन्नते अस्र के बारे में दो फरामीने मुस्तफा ﷺ ⇩*
❶ ⚘ जो अस्र से पहले चार रक्अतें पढ़े, अल्लाह तआला उस के बदन को आग पर हराम फ़रमा देगा।
❷ ⚘ जो अस्र से पहले चार रक्अतें पढ़े, उसे आग न छूएगी।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 199 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 214
••──────────────────────••►
❝ नवाफ़िल का बयान ❞
••──────────────────────••►
*⇩ जोहर के आखिरी दो नफ़्ल के भी क्या कहने ⇩*
╭┈► जोहर के बाद चार रक्अत पढ़ना मुस्तहब है कि हदीसे पाक में फ़रमाया जिस ने जोहर से पहले चार और बाद में चार पर मुहा-फ़ज़त की अल्लाह तआला उस पर आग हराम फरमा देगा।
╭┈► अल्लामा सय्यिद तहतावी रहमतुल्लाहि तआला अलैह फ़रमाते हैं सिरे से आग में दाखिल ही न होगा और उस के गुनाह मिटा दिये जाएंगे और उस पर (हुकूकुल इबाद या'नी बन्दों की हक त-लफ़ियों के) जो मुतालबात हैं अल्लाह तआला उस के फरीक को राजी कर देगा या येह मतलब है कि ऐसे कामों की तौफीक देगा जिन पर सज़ा न हो।
╭┈► और अल्लामा शामी रहमतुल्लाहि तआला अलैह फ़रमाते हैं उस के लिये विशारत येह है। कि सआदत पर उस का खातिमा होगा और दोज़ख में न जाएगा।
╭┈► इस्लामी बहनो ! अल्हम्दुलिल्लाह जहां जोहर की दस रक्अत नमाज़ पढ़ लेते हैं वहां आखिर में मजीद दो रक्अत नफ्ल पढ़ कर बारहवीं शरीफ़ की निस्बत से 12 रक्अत करने में देर ही कितनी लगती है इस्तिकामत के साथ दो नफ़्ल पढ़ने की निय्यत फ़रमा लीजिये।...✍🏻
*📬 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 200 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
No comments:
Post a Comment