इस्लामी बहनों की नमाज़ (Part-1)
अर्ज़ ए क़लम फ़र्ज़ उलूम का तार्रुफ़ :
आ'ला हज़रत, इमामे अहले सुन्नत, मौलाना शाह इमाम अहमद रजा खान رضى الله تعالیٰ عنه फरमाते हैँ इल्म ए दीन सीखना इस क़दर कि मज़हबे हक से आगाह, वुज़ू गुस्ल नमाज़ रोज़े वगैरह ज़रूरिय्यात के अहकाम से मुत्तलअ हो। ताजिर तिजारत, मुज़ारेअ (किसान) ज़राअत, अजीर (मज़दूर मुलाजिम) इजारे, ग़रज़ हर शख्स जिस हालत में है उस के मुतअल्लिक अहकामे शरीअत से वाकिफ़ हो, फर्ज़े ऐन है जब तक यह हासिल न करे जुगराफिया, तारीख वग़ैरा में वक़्त ज़ाया करना जाइज़ नहीं जो फ़र्ज़ छोड़ का नफ़्ल में मशगूल हो हदीसों में उस की सख्त बुराई आई और उस का वो नेक काम मरदूद करार पाया न कि फ़र्ज़ छोड़ कर फुजूलियात मेँ वक़्त गंवाना।
फतावा र-जविय्या मुखर्रजा, ज़िल्द 23, सफ़ह 647, 648
अफ़सोस आज हमारी गालिब अक्सरिय्यत सिर्फ व सिर्फ दुन्यवी उलूम के हुसूल में मशगूल है, अगर किसी को कुछ मज़हबी जौक मिला भी तो अक्सर उस का ध्यान मुस्तहब उलूम ही की तरफ़ गया। अफ़सोस ! सद करोड़ अफ़सोस ! फर्ज उलूम की जानिब मुसलमानों की तवज्जों न होने के बराबर है, और हालत यह है कि नमाज़ियों की भी भारी ता'दाद नमाज़ के ज़रूरी मसाइल से ना आशना है। हालांकि मसाइल को सीखना फ़र्ज़ और न जानना सख्त गुनाह है।
आ'ला हज़रत رضى الله تعالیٰ عنه फ़रमाते हैं "नमाज़ के ज़रूरी मसाइल न जानना फिस्क है।
ऐजन ज़िल्द 6, सफ़ह 523
अल्हम्दुलिल्लाह हमारी ये पोस्ट "इस्लामी बहनों की नमाज़ (ह-नफी)" उन बे-शुमार अहकाम पर मुहीत है जिनका सीखना इस्लामी बहनों के लिये फ़र्ज़ है। लिहाजा इस्लामी बहनें इस पोस्ट को जरूर पढे मसाइल को याद करें अच्छी अच्छी निय्यतों के साथ दूसरी इस्लामी बहनों को भी पढ़ कर सुनाएं औऱ शेयर करें अगर कोई मसअला किसी पढ़ने सुनने वाली को समझ में न आए तो महज़ अपनी अक्ल से वजाहत करने के बजाए उलमाए अहले सुन्नत से मा’लूमात हासिल करें। इसका तरीका बयान करते हुए हज़रते अल्लामा मौलाना मुफ़्ती मुहम्मद अमजद अली आ'ज़मी رضى الله تعالیٰ عنه बहारे शरीअत हिस्सा 7 सफ़ह 89 (मत्बुआ मकतबए र जुबिय्या) सतर 12 पर फरमाते हैँ औरतों को मसअला पूछने को ज़रूरत हो तो अगर शौहर आलिम हो तो उससे पूछ ले और आलिम नहीं तो उससे कहे वो पूछ आए और इन सूरतों में उसे खुद आलिम के यहां जाने की इजाज़त नहीं और यह सूरतें न हों तो जा सकती है।
आलमगीरी ज़िल्द 1 सफ़ह 371
📙 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 10
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इस्लामी बहनों की नमाज़ (Part-2)
अगले पिछले गुनाह मुआफ़ करवाने का नुस्ख़ा :
हज़रते सैय्यदना हुमरान رضى الله تعالیٰ عنه से रिवायत है कि हजुरते सैय्यदना उस्माने गनी رضى الله تعالیٰ عنه ने वुज़ू के लिये पानी मंगवाया जब कि आप एक सर्द रात में नमाज़ के लिये बाहर जाना चाहते थे, मैं उन के लिये पानी ले का हाजिर हुवा तो आप رضى الله تعالیٰ عنه अपना चेहरा और दोनों हाथ धोए। (येह देख का) मैं ने पूछा की : "अल्लाह तआला आप को किफायत करे रात तो बहुत ठन्डी है।" तो आप رضى الله تعالیٰ عنه ने फ़रमाया मैंने नबी करीम ﷺ को फ़रमाते हुए सुना कि "जो बन्दा कामिल वुज़ू बकरता है उस के अगले पिछले गुनाह मुआफ़ कर दिये जाएंगे।
📙 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह - 14
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इस्लामी बहनों की नमाज़ (Part-3)
गुनाह झड़ने की हिकायत : الحمد لله عزوجل वुज़ू करने वाले के गुनाह झड़ते हैं, इस ‘ज़िम्न में एक ईमान अफ़रोज हिकायत नक्ल करते हुए हजरते अल्लामा अब्दुल बस्ताब शा’रानी रहमतुल्लाहि तआला अलैह फ़रमाते है एक मर्तबा सैय्यदुना इमामे आ'जम अबू हनीफा رضى الله تعالیٰ عنه जामेअ मस्जिद कूफा के वुज़ू खाने में तशरीफ ले गए तो एक नौ जबान को वुज़ू बनाते हुए देखा, उस से वुज़ू (में इस्ति‘माल शुदा पानी) के कतरे टपक रहे थे।
आप رضى الله تعالیٰ عنه ने इर्शाद फ़रमाया "ऐ बेटे ! मां बाप की ना-फ़रमानी से तौबा कर ले।" उस ने फौरन अर्ज़ की, ''मैं ने तौबा की।" एक और शख्स के वुज़ू (में इस्ति'माल होने वाले पानी) के कतरे टपकते देखे, आप رضى الله تعالیٰ عنه ने उस शख्स से इरशाद फ़रमाया, "ऐ मेरे भाई ! तू ज़िना से तौबा कर ले।" उस ने अर्ज़ की, "मैं ने तौबा की।" एक और शख्स के वुज़ू के कतरात टपकते देखे तो उसे फ़रमाया, "शराब नोशी और गाने बाजे सुनने से तौबा का ले।" उस ने अर्ज़ की : "मैं ने तौबा की।"
सैय्यदुना इमामे आज़म अबू हनीफ़ा رضى الله تعالیٰ عنه पर क़स्फ़ के बाइस चूंकि लोगों के उयूब जाहिर हो जाते थे लिहाजा आप رضى الله تعالیٰ عنه ने बारगाहे ख़ुदा बंदी عزوجل में इस क़स्फ़ के ख़त्म हो जाने की दुआ मांगी। अल्लाह عزوجل ने दुआ कुबूल फरमा ली। जिस से आप رضى الله تعالیٰ عنه को वुज़ू करने वालों के गुनाह झड़ते नज़र आना बन्द हो गए।
📔 अल-मीज़ान अल-कबरी ज़िल्द 1 सफ़ह 130
📙 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह -15
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इस्लामी बहनों की नमाज़ (Part-4)
क़ब्र में आग भडक उठी :
हज़रते सैय्यदुना अम्र बिन शुरहूबील رضى الله تعالیٰ عنه से रिवायत है कि एक शख्स इन्तिक़ाल कर गया जिस को लोग मुत्तकी और परहेज़गार समझते थे जब उसे क़ब्र में दफ़न किया गया तो फिरिश्तों ने फ़रमाया "हम तुझको अल्लाह तआला के अज़ाब के 100 कोड़े मारेंगे। उस ने पूछा : "क्यूं मारोगे ? मैं तो तक़वा व परहेज़गारी को इख़्तियार किये हुए था।" तो फिरिश्तों ने फ़रमाया : "चलो पचास 50 कोड़े ही मार देंगे।" इस पर वोह शख्स बराबर बहस करता रहा यहां तक कि वोह फिरिश्ते एक कोड़े पर आ गए और उन्होंने अज़ाबे इलाही का एक कोड़ा मारा जिससे तमाम कब्र में आग भडक उठी तो उस ने पूछा कि तुमने मुझे कोड़ा क्यों मारा ? फिरिश्तों ने जवाब दिया : "तूने एक दिन जान बूझ कर बे वुज़ू नमाज़ पढी थी। और एक मर्तबा एक मज़लूम तेरे पास फरियाद ले कर आया मगर तूने उसकी मदद न की।
बे वुज़ू नमाज़ पढ़ना सख्त जुरुअत की बात है। फु-कहाए किराम यहां तक फ़रमाते हैं : बिला उज़्र जान बूझ कर जाइज़ समझ कर या इस्तिहजाअन (या‘नी मजाक उड़ाते हुए) बिगैर वुज़ू के नमाज़ पढ़ना कुफ्र है।
📙 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 16
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इस्लामी बहनों की नमाज़ (Part-5)
इस्लामी बहनों के वुज़ू का तरीक़ा #1 :
का'बा तुल्लाह शरीफ़ की तरफ मुंह कर के ऊंची जगह बैठना मुस्तहब है। वुज़ू के लिये निय्यत करना सुन्नत है। निय्यत दिल के इरादे को कहते हैं, दिल में निय्यत होते हुए ज़बान से भी कह लेना अफज़ल है। लिहाजा ज़बान से इस तरह निय्यत कीजिये कि मैं हुक़्में इलाही عزوجل बजा लाने और पाकी हासिल करने के लिये वुज़ू कर रही हूँ। बिस्मिल्लाह कह लीजिये कि यह भी सुनत है। बल्कि بِسمِ اللّٰهِ وَالْحَمدُ لِلّٰه कह लीजिये कि जब तक बा वुजू रहेंगी फिरिश्ते नेकिंयां लिखते रहेंगे।
अब दोनो हाथ तीन तीन बार पहुँचो तक धोइये, (नल बन्द कर के) दोनों हाथों की उंगलियां का खिलाल भी कीजिये। कम अज कम तीन बार दाएं बाएं ऊपर नीचे के दांतों में मिस्वाक कीजिये और हर बार मिस्वाक को धो लीजिये। हुज्जतुल इस्लाम हज़रते सैय्यदुना इमाम मुहम्मद बिन मुहम्मद गृजाली रहमतुल्लाह तआला अलैह फ़रमाते हैं "मिस्वाक करते वक़्त नमाज़ में क़ुरआन ए मजीद की किराअत और ज़िकुल्लाह عزوجل के लिये मुंह पाक करने की निय्यत करनी चाहिये।
📙 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 18
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इस्लामी बहनों की नमाज़ (Part-6)
इस्लामी बहनों के वुज़ू का तरीक़ा #2 :
अब सीधे हाथ के तीन चुल्लू पानी से (हर बार नल बन्द कर के) इस तरह तीन कुल्लिया कीजिये कि हर बार मुंह के हर पुर्जे पर पानी बह जाए अगर रोजा न हो तो गर गरा भी कर लीजिये।
फिर सीधे ही हाथ के तीन चुल्लू (अब हर बार आधा चुल्लू पानी काफी है) से (हर बार नल बन्द कर के) तीन बार नाक में नर्म गोश्त तक पानी चढाइये और अगर रोजा न हो तो नाक की ज़ड़ तक पानी पहुंचाइये, अब (नल बन्द कर के) उल्टे हाथ से नाक साफ का लीजिये और छोटी उंगली नाक के सूराखों में डालिये।
तीन बार सारा चेहरा इस तरह धोइये कि जहां से आदतन सर के बाल उगना शुरूअ होते हैं वहां से ले कर ठोडी के नीचे तक और एक कान की लौ से दूसरे कान की लौ तक हर जगह पानी बह जाए। फ़िर पहले सीधा हाथ उंगलियों के सिरे से धोना शुरूअ कर के कोहनियों समेत तीन बार धोइये। इसी तरह फिर उल्टा हाथ धो लीजिये दोनों हाथ आधे बाजू तक धोना मुस्तहब है। अगर चूड़ी, कंगन या कोई से भी जेवरात पहने हुए हों तो उन को हिला लीजिये ताकि पानी उन के नीचे की जिल्द पर बह जाए। अगर उन के हिलाए बिगैर पानी बह जाता है तो हिलाने की हाजत नहीं और अगर बिगैर हिलाए या बिगैर उतारे पानी नहीं पहुंचेगा तो पहली सूरत में हिलाना और दूसरी सूरत में उतारना जरूरी है।
📙 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 19
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इस्लामी बहनों की नमाज़ (Part-7)
इस्लामी बहनों के वुज़ू का तरीक़ा #3 :
अक्सर इस्लामी बहनें चुल्लू में पानी ले कर पहुंचे से तीन बार छोड देती हैं कि कोहनी तक बहता चला जाता है इस तरह करने से कोहनी औऱ कलाई को करबटों पर पानी न पहुंचने का अन्देशा हैं लिहाज़ा बयान कर्दा तरीके पर हाथ धोइये। अब चुल्लू भर कर कोहनी तक पानी बहाने की हाजत नहीं बल्कि (बिगैर इजाज्ते सहीहा ऐसा करना) यह पानी का इसराफ है।
अब (नल बन्द कर के) सर का मस्ह इस तरह कीजिये कि दोनों अंगूंठों और कलिमे की उंगलियों को छोड़ कर दोनों हाथ की तीन तीन उंगलियों के सिरे एक दूसरे से मिला लीजिये और पेशानी के बाल या खाल पर रख कर ज़रा सा दबा का खींचते हुए गुद्दी तक इस तरह ले जाइये कि इस दौरान उन उंगलियों का कोई हिस्सा बालों से जुदा न रहे मगर हथेलियां सर से जुदा रहें, सिर्फ उन बालों पर मस्ह कीजिये जो सर के ऊपर हैं।
फिर गुद्दी से हथेलियाँ खींचते हुए पेशानी तक ले आइये, कलिमे की उंगलियां और अंगूठे इस दौरान सर पर बिल्कुल मस नहीं होने चाहिएं।
फिर कलिमे को उंगलियों से कानों की अन्दरूनी सत्ह का और अंगूठों से कानों की बाहरी सत्ह का मस्ह कीजिये और छुग्लिया (या'नी छोटी उंग्लियां) कानों के सूराखों में दाखिल कीजिये और उंगलियों की पुश्त से गरदन के पिछले हिस्से का मस्ह कीजिये, बा'ज़ इस्लामी बहनें गले का औऱ घुले हुए हाथों की कोहनियों और कलाइयों का मस्ह करती हैं यह सुन्नत नहीं है। सर का मस्ह करने से क़ब्ल टोंटी अच्छी तरह बन्द करने की आदत बना लीजिये बिला वज़ह नल खुला छोड़ देना या अधूरा बन्द करना कि पानी टपक कर जाएअ होता रहे इसराफ़ है।
📙 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 20
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इस्लामी बहनों की नमाज़ (Part-8)
इस्लामी बहनों के वुज़ू का तरीक़ा #4 :
अब पहले सीधा फिर उल्टा पाउ हर बार उंगलियों से शुरूअ कर के टखनों के ऊपर तक बल्कि मुस्तहब है कि आधी पिंडली तक तीन तीन बार धो लीजिये। दोनों पाउं की उंगलियों का ख़िलाल करना सुन्नत है। (खिलाल के दौरान नल बन्द रखिये) इसका मुस्तहब तरीक़ा यह है कि उल्टे हाथ की छुग्लिया (छोटी उंगली) से सीधे पाऊं की छुग्लिया का खिलाल शुरूअ कर के अंगूठे पर ख़त्म कीजिये औऱ उल्टे ही हाथ की छुग्लिया से उल्टे पाऊं के अंगूठे से शुरूअ कर के छुग्लिया पर ख़त्म कर लीजिये।
हूज्जतुल इस्लाम इमाम मुहम्मद बिन मुहम्मद गजाली रहमतुल्लाह तआला अलैह फ़रमाते हैं : हर उज़्व धोते वक़्त यह उम्मीद करता रहे कि मेरे इस उज़्व के गुनाह निकल रहे हैं।
📙 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 20
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इस्लामी बहनों की नमाज़ (Part-9)
जन्नत के आठों दरवाजे खुल जाते हैं :
कलिमए शहादत या'नी :
أَشْهَدُ أنْ لا إلَٰهَ إِلَّا اللهُ وَحْدَهُ لَا شَرِيْكَ لَهُ وَأشْهَدُ أنَّ مُحَمَّدًا عَبْدُهُ وَرَسُولُهُ
भी पढ़ लीजिये कि हदीसे पाक में है "जिस ने अच्छी तरह वुज़ू किया और कलिमए शहादत पढ़ा उसके लिये ज़न्नत के आठों दरवाजे खोल दिये जाते हैं जिससे चाहे अन्दर दाखिल हो।
जो वुज़ू करने के बा'द यह कलिमात पढें :
سبحانك اللهم وبحمدك اشهد ان لا اله الا انت استغفرك واتوب اليك
"ऐ अल्लाह عزوجل तू पाक है औऱ तेरे लिये ही तमाम खूबियां हैं मैं गवाही देता (देती) हूं कि तेरे सिबा कोई मा'बूद नहीं मैं तुझसे बख़्शिश चाहता (चाहती) हूं और तेरी बारगाह मे' तौबा करता (करती) हू।" तो उस पर मोहर लगा कर अर्श के नीचे रख दिया जाएगा और क़यामत के दिन इस पढ़ने वाले को दें दिया जाएगा!
📙 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 22
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इस्लामी बहनों की नमाज़ (Part-10)
*वुज़ू के बाद सूरए क़द्र पढ़ने के फ़ज़ाइल :*
हदीसे मुबारक में है जो वुज़ू के बा'द एक मर्तबा सूरए क़द्र पढे तो वो सिद्दीक़ीन में से है और जो दो मर्तबा पढे तो शु-हदा में शुमार किया जाए और जो तीन मर्तबा पढेगा तो अल्लाह عزوجل मैदाने महशर में उसे अपने अम्बिया के साथ रखेगा।
*नज़र कभी कमजोर न हो :*
जो वुज़ू के बा'द आसमान की तरफ़ देख कर (एक बार) सूरए إِنَّا أَنزَلْنَاهُ पढ़ लिया करे ان شاء الله ﷻ उसकी नज़र कभी कमज़ोर न होगी।
📘 मसाइलुल क़ुरआन सफ़ह 291
📙 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 22
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इस्लामी बहनों की नमाज़ (Part-11)
तसव्वुफ़ का अज़ीम म-दनी नुस्खा
हुज्जतुल इस्लाम हज़रते सैय्यदुना इमाम मुहम्मद बिन मुहम्मद ग़ज़ाली रहमतुल्लाह तआला अलैह फरमाते है वुज़ू से फ़रागत के बाद जब आप नमाज़ की तरफ मु-तवज्जेह हों उस वक़्त यह तसव्वुर कीजिये कि जिन जाहिरी आ'ज़ा पर लोगों की नज़र पड़ती है वो तो ब जाहिर ताहिर (या'नी पाक) हो चुके मगर दिल को पाक किये बिगैर बारगाहे इलाही عزوجل में मुनाजात करना हया के खिलाफ़ है क्यूंकि अल्लाह عزوجل दिलों को भी देखने वाला है।" मजीद फरमाते हैं, जाहिरी वुज़ू कर लेने वाले को यह बात याद रखनी चाहिये कि दिल की तहारत (या'नी सफाई) तौबा करने और गुनाहों को छोड़ने और उम्दा अख़लाक़ अपनाने से होती है। जो शख्स दिल को गुनाहों की आलू-दगियों से पाक नहीं करता फ़क़त जाहिरी तहारत (या'नी सफाई) और जेबो जीनत पर इक्तिफा करता है उसकी मिसाल उस शख्स की सी है जो बादशाह को मद्ऊ करता है और अपने घर बार को बाहर से खूब चमकाता है और रंगो रोगन करता है मगर मकान के अन्दरूनी हिस्से की सफाई पर कोई तवज्जोह नहीं देता। चुनाँचे जब बादशाह उस के मकान के अन्दर आ कर गन्दगियां देखेगा तो वह नाराज़ होगा या राजी, यह हर जी शुहुर ख़ुद समझ सकता है।
📙 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 22
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इस्लामी बहनों की नमाज़ (Part-12)
अल्लाह के चार हुरूफ़ की निस्बत से वुज़ू के चार फ़राइज़ :
चेहरा धोना : या'नी चेहरे का लम्बाई में पेशानी जहां से बाल उमूमन उगते है वहां से ले का ठोडी के नीचे तक और चौड़ाईं में एक कान की लौ से लेकर दूसरे कान की लौ तक एक मर्तबा धोना।
कोहनियों समेत दोनों हाथ धोना : या'नी दोनों हाथों का कोहनियों समेत इस तरह धोना कि उंगलियों के नाखूनों से ले कर कोहनियों समेत एक बाल भी खुश्क न रहे।
चौथाई सर का मसह करना : या'नी हाथ तर कर के सर के चौथाई बालों पर मसह करना।
टख्नों समेत दोनों पाउ' धोना : या'नी दोनों पाऊं को टख्नों समेत इस तरह धोना कि कोई जगह खुश्क न रहे।
📔 बहारे शरीअत, हिस्सा 2 सफ़ह 10
📕 आलमगीरी, ज़िल्द 1 सफ़ह 3
म-दनी फूल : इन चार फ़र्ज़ों में से अगर एक फ़र्ज़ भी रह गया तो वुज़ू न होगा और जब वुज़ू न होगा तो नमाज़ भी न होगी।
📙 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 23
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इस्लामी बहनों की नमाज़ (Part-13)
धोने की ता'रीफ :
किसी उज़्व को धोने के यह मा'ना है कि उस उज़्व के हर हिस्से पर कम अज कम दो कतरे पानी बह जाए। सिर्फ भीग जाने या पानी को तेल की तरह चुपड़ लेने या एक कतरा बह जाने को धोना नहीं कहेंगे न इस तरह वुज़ू या गुस्ल अदा होगा।
📕 फ़तावा र-जविय्या ज़िल्द 1 सफ़ह 218
📔 बहारे शरीअत हिस्सा 2 सफ़ह 10
📙 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 24
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इस्लामी बहनों की नमाज़ (Part-14)
या रहमतलिल्ल आ-लमीन के तेहत हुरूफ़ की निस्बत से वुज़ू की 13 सुन्नतें :
वुज़ू का तरीका (ह-नफी) में बा'ज़ सुन्नतों और मुस्तहब्बात का बयान हो चुका है इस की मजीद वजाहत मुला-हजा कीजिये।
① निय्यत करना।
② बिस्मिल्लाह पढ़ना।
अगर वुज़ू से क़ब्ल بِسمِ اللّٰهِ وَالْحَمدُ لِلّٰه कह लें तो जब तक बा वुज़ू रहे'गी फिरिश्ते नेकियां लिखते रहेंगे।
③ दोनों हाथ पहुंचों तक तीन बार धोना।
④ तीन बार मिस्वाक करना।
⑤ तीन चुल्लू से तीन बार कुल्ली करना।
⑥ रोज़ा न हो तो गर-गरा करना।
⑦ चुल्लू से तीन बार नाक में पानी चढाना।
⑧ हाथ औऱ ⑨ पैर की उंग्लियों का खिलाल करना।
①⓪ पूरे सर का एक ही बार मस्ह करना।
①① कानों का मस्ह करना।
①② फराइज में तरतीब काइम रखना (या’नी फ़र्ज़ आ'ज़ा में पहले मुंह फिर हाथ कोहनियों समेत धोना फिर सर का मस्ह करना औऱ फिर पाउं धोना)
①③ पै दर पै वुज़ू करना या’नी एक उज़्व सूखने न पॉय कि दूसरा उज़्व धो लेना।
📔 बहारे शरीयत हिस्सा 2 सफ़ह 14 - 18 मुलख्खसन
📙 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 25
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इस्लामी बहनों की नमाज़ (Part-15)
या रसूलल्लाह तेरे दर की फिजाओं को सलाम के उन्तीस हुरूफ की निस्वत से वुज़ू के 29 मुस्तहब्बात :
① किब्ला रू ② ऊंची जगह ③ बैठना।
④ पानी बहाते वक़्त आ'ज़ा पर हाथ फेरना।
⑤ इत्मीनान से वुज़ू करना।
⑥ आ'ज़ाए वुज़ू पर पहले पानी चुपड़ लेना ख़ुसूसन सर्दियों में
⑦ वुज़ू करने में बग़ैर जरूरत किसी से मदद न लेना।
⑧ सीधे हाथ से कुल्ली करना
⑨ सीधे हाथ से नाक में पानी चढ़ाना
①⓪ उलटे हाथ से नाक साफ करना
①① उलटे हाथ की छुग्लिया नाक में डालना
①② उंगलियों की पुश्त से गर्दन की पुश्त का मसह करना।
①③ कानों का मसह करते वक़्त भीगी हुई यानी छुग्लिया (छोटी उंगलियां) कानो के सुराखों में दाख़िल करना।
①④ अंगूठी को ह-र-कत देना जब कि ढीली हो और यह यकीन हो कि इस के नीचे पानी बह गया है अगर सख्त हो तो ह-र-कत दे कर अंगूठी के नीचे पानी बहाना फर्ज है।
①⑤ मा'ज़ूरे शर-ई (इस के तफ्सीली अहकाम इसी रिसाले के सफ़ह 44 ता 48 पर मुला-हजा फरमा लीजिये) न हो तो नमाज़ का वक़्त शुरू होने से पहले वुज़ू कर लेना।
📔 बहारे शरीयत हिस्सा 2 सफ़ह 18-22
📙 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 26
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इस्लामी बहनों की नमाज़ (Part-16)
या रसूलल्लाह तेरे दर की फिजाओं को सलाम के उन्तीस हुरूफ की निस्वत से वुज़ू के 29 मुस्तहब्बात :
①⑥ इस्लामी बहन जो कामिल तौर पर वुज़ू करती है या'नी जिस की कोई जगह पानी बहने से न रह जाती हो उसका कूओं (या‘नी नाक की तरफ़ आंखों के कोने) टखनों, एड़ियों, तल्वों, कूंचों (या'नी एड़ियों के ऊपर मोटे पट्ठे) घाइयों (उंगलियों के दरमियान वाली जगहों) और कोहनियों का खुसूसिय्यत के साथ खयाल रखना और बे खयाली काने वालियों के लिये तो फ़र्ज़ है कि इन जगहों का खास खयाल रखें कि अक्सर देखा गया है कि यह जगहें खुश्क रह जाती हैं और यह बे खयाली ही का नतीजा है ऐसी वे खयाली हराम है और खयाल रखना फ़र्ज़।
①⑦ वुज़ू का लोटा उल्टी तरफ़ रखिये अगर तश्त या पतीली वगैरा से वुज़ू कों तो सीधी जानिब रखिये
①⑧ चेहरा धोते वक़्त पेशानी पर इस तरह फैला का पानी डालना कि ऊपर का कुछ हिस्सा भी घुल जाए
①⑨ चेहरे औऱ ②⓪ हाथ पाऊँ की रोशनी वसीअ करना या'नी जितनी जगह पानी बहाना फ़र्ज़ है उस के अतराफ़ में कुछ बढाना म-सलन हाथ कोहनी से ऊपर आधे बाजु तक और पाउं टखनों से ऊपर आधी पिंडली तक धोना।
②① दोनों हाथों से मुंह धोना
②② हाथ पाउं धोने में उंगलियों से शुरूअ करना
📔 बहारे शरीयत हिस्सा 2 सफ़ह 18-22
📙 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 26
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इस्लामी बहनों की नमाज़ (Part-17)
या रसूलल्लाह तेरे दर की फिजाओं को सलाम के उन्तीस हुरूफ की निस्वत से वुज़ू के 29 मुस्तहब्बात :
②③ हर उज़्व धोने के बाद उस पर हाथ फैर कर बूंदें टपका देना ताकि बदन या कपड़े पर न टपके
②④ हर उज़्व के धोते वक़्त और मसह करते वक़्त निय्यते वुज़ू का हाजिर रहना
②⑤ इब्तिदा में बिस्मिल्लाह के साथ साथ दुरूद शरीफ़ ओर कलिमए शहादत पढ़ लेना
②⑥ आ'जाए वुज़ू बिला ज़रूरत न पोछे अगर पोंछना हो तब भी बिला ज़रूरत बिल्कुल खुश्क न कों कुछ तरी बाकी रखें कि बरोजे क़यामत नेकियों के पलड़े में रखी जाएगी
②⑦ वुज़ू के बा'द हाथ न झटके कि शैतान का पंखा है।
②⑧ बादे वुज़ू मियानी (या'नी पाजामा का वोह हिस्सा जो पेशाब गाह के करीब होता है) पर पानी छिड़कना। (पानी छिड़कतें वक़्त मियानी को कुर्ते के दामन में छुपाए रखना मुनासिब है नीज़ वुज़ू करते वक़्त भी बल्कि हर वक़्त पर्दे में पर्दा करते हुए मियानी को कुर्ते के दामन या चादर वगैरा के जरिये छुपाए रखना हया के करीब है)
②⑨ अगर मकरूह वक़्त न हो तो दो रकअत नफ्ल अदा करना जिसे तहियतुल वुज़ू कहते है।
📔 बहारे शरीयत हिस्सा 2 सफ़ह 18-22
📙 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 26
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इस्लामी बहनों की नमाज़ (Part-18)
बा-वुज़ू रहना सवाब हैं। के पन्दरह हुरूफ़ की निस्वत से वुज़ू के 15 मकरुहात :
① वुज़ू के लिये नापाक जगह पर बैठना।
② नापाक जगह वुज़ू का पानी गिराना।
③ आ'जाए वुज़ू से लोटे वगैरा में कतरे टपकना (मुंह धोते वक़्त भरे हुए चुल्लू में अमूमन चेहरे से पानी के कतरे गिरते है इस का ख़याल रखिये।)
④ किबले की तरफ़ थूक या बल्गम डालना या कुल्ली करना।
⑤ जियादा पानी ख़र्च करना (सदरुश्शरीअह हजरते अल्लामा मौलाना मुफ़्ती अमजद अली आ‘ज़मी रहमतुल्लाह अलैह "बहारे शरीअत" हिस्सा दुवुम सफ़ह नम्बर 24 में फरमाते हैं : नाक में" पानी डालते वक़्त आधा चुल्लू काफी है तो अब पूरा चुल्लू लेना इसराफ़ है)
⑥ इतना कम पानी खर्च करना कि सुन्नत अदा न हो (टोंटी न इतनी जियादा खोलें कि पानी हाजत से जियादा गिरे न इतनी कम खोलें कि सुन्नत भी अदा न हो बल्कि मु-तवस्सित हो।)
⑦ मुंह पर पानी मारना।
⑧ मुंह पर पानी डालते वक़्त फूंकना।
⑨ एक हाथ से मुंह धोना कि हैं रवाफिज और हिन्दूओ का शिआर है।
①⓪ गले का मस्ह करना।
①① उल्टे हाथ से कुल्ली करना या नाक में पानी चढ़ाना।
①② सीधे हाथ से नाक साफ़ करना।
①③ तीन जदीद पानियों से तीन बार सर का मस्ह करना।
①④ धूप के गर्म पानी से वुज़ू करना।
①⑤ होंठ या आँख जोर से बन्द करना और अगर कुछ सूखा रह गया तो वुज़ू ही न होगा। वुज़ू की हर सुन्नत का तर्क मकरूह हैं इसी तरह हर मकरूह का तर्क सुन्नत।
📔 बहारे शरीयत हिस्सा 2 सफ़ह 22 - 23
📙 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 28
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इस्लामी बहनों की नमाज़ (Part-19)
धूप से गर्म पानी की वज़ाहत :
सदरुश्शरीअह बदरूत्तरीकह हजरते अल्लामा मौलाना मुफ़्ती अमजद अली आ‘ज़मी रहमतुल्लाह अलैह मक-त-बतुल मदीना की मत्बुआ बहारे शरीअत हिस्सा 2 सफ़ह 23 के हाशिये पर लिखते हैं जो पानी धूप से गर्म हो गया उस से वुज़ू करना मुत्लकन मकरूह नहीं बल्कि इस में चन्द कुयूद है, जिनका जिक पानी के बाब में आएगा और उस से वुज़ू की कराहत तन्जीही है तहरीमी नहीं।
पानी के बाब में सफ़ह 56 पर लिखते हैं "जो पानी गर्म मुल्क में गर्म मौसम में सोने चांदी के सिवा किसी और धात के बरतन में धूप मे गर्म हो गया, तो जब तक गर्म है उस से वुज़ू और गुस्ल न चाहिये, न उसको पीना चाहिये बल्कि बदन को किसी तरह पहुंचना न चाहिये, यहाँ तक कि अगर उससे कपड़ा भीग जाए तो जब तक ठन्डा न हो, ले उसके पहनने से बचें कि उस पानी के इस्ति'माल पें अन्देशए बरस (या'नी कोढ़ का ख़तरा) है, फ़िर भी अगर वुज़ू या गुस्ल कर लिया तो हो जाएगा।
📙 बहारे शरीअत, हिस्सा 2 सफ़ह 23 - 56
📙 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 29
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इस्लामी बहनों की नमाज़ (Part-20)
“मुस्ता'मल पानी से वुज़ू व ग़ुस्ल नही होता'' के सत्ताईस हुरूफ़ की निस्बत से मुस्ता'मल पानी के मु-ताल्लिक़ 27 म-दनी फूल :
① जो पानी वुज़ू या गुस्ल करने में बदन से गिरा वोह पाक है मगर चूंकि अब मुस्ता'मल (या'नी इस्ति'माल शुदा) हो चुका है लिहाज़ा इस से वुज़ू और गुस्ल जाइज नहीं।
② यूं ही अगर बे वुज़ू शख्स का हाथ या उंगली या पोरा या नाखून या बदन का कोई टुकड़ा जो वुज़ू में धोया जाता हो ब कस्द (या 'नी जान बूझ कर) या बिला कस्द (या'नी बे खयाली में) दह दर दह (10-10) से कम पानी में बे धोए हुए पड़ जाए तो वोह यानी वुज़ू और गुस्ल के लाइक न रहा।
③ इसी तरह जिस शख्स पर नहाना फर्ज़ है उस के जिस्म का कोई बे धुला हुवा हिस्सा दह दर दह से कम पानी से छू जाए तो वोह पानी वुज़ू और गुस्ल के काम का न रहा।
④ अगर धुला हुवा हाथ या बदन का कोई हिस्सा पड़ जाए तो हर्ज नहीं।
⑤ हाएजा (या'नी हैज़ वाली) हैज़ से या निफास वाली निफास से पाक तो हो चुकी हो मगर अभी गुस्ल न किया हो तो उस के जिस्म का कोई उज़्व या हिस्सा धोने से क्या अगर दह दर दह (10-1 0) से कम पानी में पड़ा। तो वोह पानी मुस्ता’मल (या'नी इस्ति'माल शुदा) हो जाएगा।
⑥ जो पानी कम अज कम दह दर दह हो वोह बहते या'नी और जो दह दर दह से कम हो वोह ठहरे पानी के हुक्म में होता है।
⑦ उमूमन हम्माद के टप घरेलू इस्तेमाल के डोल बाल्टी पतीले, लोटे वगैरा दह दर दह से कम होते हैं इन में भरा हुवा पानी ठहरे पानी के हुक्म में होता है।
⑧ आ'जाए वुज़ू में से अगर कोई उज़्व धो लिया था और इसके बा'द वुज़ू टूटने वाला कोई अमल न हुवा था तो वो धुला हुवा हिस्सा ठहरे पानी में डालने से पानी मुस्ता'मल न होगा।
⑨ जिस शख्स पर गुस्ल फ़र्ज़ नहीं उसने अगर कोहनी समेत हाथ धो लिया हो तो पूरा हाथ हत्ता कि कोहनी के बा'द वाला हिस्सा भी ठहरे पानी में डालने से यानी मुस्ता'मल न होगा।
①⓪ बा-वुज़ू ने या जिसका हाथ धुला हुवा है उसने अगर फ़िर धोने की निय्यत से डाला और यह धोना सवाब का काम हो म-सलन खाना खाने या वुज़ू की निय्यत से ठहरे पानी में डाला तो मुस्ता'मल हो जाएगा।
📒 मुस्ता'मल पानी के तफ्सीली मालूमात के लिए फ़-तावा र-ज़विय्या ज़िल्द 2 सफ़ह 37 ता 248 बहारे शरीअत हिस्सा 2 सफ़ह 55 ता 56 औऱ फ़-तावा अम-ज़दिय्या ज़िल्द 1 सफ़ह 14 ता 15 मुला-इजा फरमाइये।
📙 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 29
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इस्लामी बहनों की नमाज़ (Part-21)
“मुस्ता'मल पानी से वुज़ू व ग़ुस्ल नही होता'' के सत्ताईस हुरूफ़ की निस्बत से मुस्ता 'मल पानी के मु-ताल्लिक़ 27 म-दनी फूल :
①① हैज़ या निफास वाली का जब तक हैज़ या निफ़ास बाकी है ठहरे पानी में बे धुला हाथ या बदन का कोई हिस्सा डालेगी पानी मुस्ता'मल नहीं होगा हां अगर यह भी सवाब की निय्यत से डालेगी तो मुस्ता'मल हो जाएगा। मस-लन इस के लिये मुस्तहब है कि पांचों नमाज़ों के अवकात में और अगर इशराक, चाश्त व तहज्जुद की आदत रखती हो तो इन वक़्तों में बा वुज़ू कुछ देर ज़िक्र व दुरूद कर लिया करें ताकि इबादत की आदत बाकी रहे तो अब इन के लिये ब निय्यते वुज़ू बे धुला हाथ ठहरे पानी में डालेगी तो पानी मुस्ता'मल हो जाएगा।
①② पानी का गिलास, लोटा या बाल्टी वगैरा उठाते वक़्त एहतियात ज़रूरी है ताकि बे धुली उंगलिया पानी में न पड़े।
①③ दौराने वुज़ू अगर हदस हुवा या'नी वुज़ू टूटने वाला कोई अमल हुवा तो जो आ'जा पहले धो चुके थे वोह बे धुले हो गए यहां तक कि अगर चुल्लू में पानी था तो वोह भी मुस्ता'मल हो गया।
①④ अगर दौराने गुस्ल वुज़ू टूटने वाला अमल हुवा तो सिर्फ आ'जाए वुज़ू बे धुले हुए जो जो आ'जाए गुस्ल धुल चुके है वोह बे धुले न हुए।
①⑤ ना बालिग़ या ना बालिगा का पाक बदन अगर्चे ठहरे पनी म-सलन पानी को बाल्टी या टब वगैरा में मुकम्मल डूब जाए तब भी पानी मुस्ता'मल न हुवा।
①⑥समझदार बच्ची या समझदार बच्चा अगर सवाब की निय्यत से म-सलन वुज़ू की निय्यत से ठहरे पानी में हाथ की उंगली या उस का नाखुन भी अगर डालेगा तो मुस्ता'मल हो जाएगा।
①⑦ ग़ुस्ले मैय्यत का पानी मुस्ता'मल है जब कि उस में कोई नजासत न हो।
①⑧ अगर ब ज़रूरत ठहरे पानी में हाथ डाला तो पानी मुस्ता'मल न हुवा म-सलन देग या बड़े मटके या बड़े पीपे (DRUM) में पानी है इसे झुका कर नही निकाल सकते औऱ न ही छोटा बर्तन है कि उससे निकाल लें तो ऐसी मजबूरी की सूरत में ब क़दरे बे धुला हाथ पानी मे डाल कर निकाल सकते है।
📒 मुस्ता'मल पानी के तफ्सीली मालूमात के लिए फ़-तावा र-ज़विय्या ज़िल्द 2 सफ़ह 37 ता 248 बहारे शरीअत हिस्सा 2 सफ़ह 55 ता 56 औऱ फ़-तावा अम-ज़दिय्या ज़िल्द 1 सफ़ह 14 ता 15 मुला-इजा फरमाइये।
📙 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 32
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इस्लामी बहनों की नमाज़ (Part-22)
“मुस्ता'मल पानी से वुज़ू व ग़ुस्ल नही होता” के सत्ताईस हुरूफ़ की निस्बत से मुस्ता'मल पानी के मु-ताल्लिक़ 27 म-दनी फूल :
①⑨ अच्छे पानी में अगर मुस्ता'मल पानी मिल जाए और अगर अच्छा पानी जियादा है तो सब अच्छा हो गया म-सलन वुज़ू या गुस्ल के दौरान लोटे या घडे में कतरे टपके तो अगर अच्छा पानी जियादा है तो यह वुज़ू औऱ गुस्ल के काम का है वरना सारा ही बेकार हो गया।
②⓪ पानी में बे धुला हाथ पड़ गया या किसी तरह मुस्ता'मल हो गया और चाहें कि येह काम का हो जाए तो जितना मुस्ता'मल पानी है उस से ज़ियादा मिकदार में अच्छा पानी उस में मिला लीजिये, सब काम का हो जाएगा।
②① एक तरीक़ा यह भी है कि उस में एक तरफ़ से पानी डालें कि दूसरी तरफ़ बह जाए तब काम का हो जाएगा
②② मुस्ता'मल पानी पाक होता है अगर इस से नापाक बदन या कपड़े वगैरा धोएंगे तो पाक हो जाएंगे।
②③ मुस्ता'मल पानी पाक है इस का पीना या इस से रोटी खाने के लिये आटा गुधना मकरूहे तन्जीही है।
②④ होंटों का वोह हिस्सा जो आदतन बन्द करने के बा'द जाहिर रहता है वुज़ू में इस का धोना फ़र्ज़ है लिहाजा कटोरे या गिलास से पानी पीते वक़्त एहतियात की जाए कि होंटों का मस्कूरा हिस्सा ज़रा सा भी पानी में पडेगा पानी मुस्ता'मल हो जाएगा।
②⑤ अगर बा वुज़ू है या कुल्ली कर चुका है या होंटों का वोह हिस्सा धो चुका है और इस के बा'द वुज़ू तोड़ने वाला कोई अमल वाकेअ नहीं हुवा तो अब पड़ने से पानी मुस्ता'मल न होगा।
②⑥ दूध, काफी, चाय, फ्लो के रस वगैरा मशरुबात में बे धुला हाथ वगैरा पड़ने से येह मुस्ता'मल नहीं होते और इन से तो वैसे भी वुज़ू या गुस्ल नहीं होता।
②⑦ पानी पीते हुए मूंछीं के बे धुले बाल गिलास के पानी में लगे तो पानी मुस्ता'मल हो गया इस का पीना मकरूह है। अगर बा बुजू था या मूंछें धुली हुईं थीं तो शरअन हरज नहीं।
📒 मुस्ता'मल पानी के तफ्सीली मालूमात के लिए फ़-तावा र-ज़विय्या ज़िल्द 2 सफ़ह 37 ता 248 बहारे शरीअत हिस्सा 2 सफ़ह 55 ता 56 औऱ फ़-तावा अम-ज़दिय्या ज़िल्द 1 सफ़ह 14 ता 15 मुला-इजा फरमाइये।
📙 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 33
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इस्लामी बहनों की नमाज़ (Part-23)
“सब्र कर” के पांच हुरूफ़ की निस्बत से ज़ख्म वगैरा से खुन निकलने के 5 अहकाम :
① खून, पीप या ज़र्द पानी कही से निकल कर बहा और उस हैं के बहने मे ऐसी जगह पहुंचने की सलाहियत थी जिस जगह का वुज़ू या गुस्ल में धोना फ़र्ज़ है तो वुज़ू जाता रहा।
📒 बहारें शरीअत, हिस्सा 2 सफ़ह 26
② खून अगर चमका या उभरा और बहा नही जैसे सूई की नोक या चाकू का कनारा लग जाता है और खून अभर या चमक जाता है या ख़िलाल किया या मिस्वाक की या उंगली से दांत मांझे या दांत से कोई चीज म-सलन सेब वगैरा काटा उस पर खून का असर जाहिर हुवा या नाक में उंगली डाली इस पर खून की सुखी आ गई मगर वोह खून बहने के काबिल न था वुजू नहीं टूटा।
③ अगर बहा लेकिन बह कर ऐसी जगह नहीं आया जिस का गुस्ल या वुज़ू में धोना फ़र्ज़ हो म-सलन आंख में दाना था और टुट कर अन्दर ही फैल गया बाहर नहीं निकला या पीप या खून कान के सूराखों के अन्दर ही रहा बाहर न निकला तो इन सूरतों में वुज़ू न टूटा।
④ ज़ख़्म बेशक बड़ा है रतूबत चमक रही है मगर जब तक बहेगी नहीं वुज़ू नही टुटेगा।
⑤ ज़ख़्म का खून बार बार पोंछती रहीं कि बहने की नौबत न आईं तो गौर कर लीजिये कि अगर इतना खून पोंछ लिया है कि अगर न पोंछती तो बह जाता तो वुज़ू टूट गया नहीं तो नहीं।
📙 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 34
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इस्लामी बहनों की नमाज़ (Part-24)
थूक में खून से वुज़ू कब टूटेगा :
मुंह से खून निकला अगर थूक पर गालिब हैं तो वुजू टूट जाएगा वरना नहीं। ग-लबे की शनाख्त येह है कि अगर थूक का रंग सुखं हो जाए तो खून गालिब समझा जाएगा और वुज़ू टूट जाएगा येह सुर्ख थूक नापाक भी है। अगर थूक ज़र्द हो तो खून पर थूक ग़ालिब माना जाएगा लिहाज़ा न वुज़ू टुटेगा न येह जर्द थूक नापाक।
📕 बहारें शरीअत हिस्सा 2 सफ़ह 27
खुन वाले मुंह की कुल्ली की एहतियातें :
मुँह से इतना खून निकला कि थूक सुर्ख हो गया और लोटे या गिलास से मुंह लगा कर कुल्ली के लिये पानी लिया तो लोटा गिलास और कुल पानी नजिस हो गया लिहाज़ा ऐसे मौक़अ पर चुल्लू में पानी ले कर एहतियात से कुल्ली कीजिये और येह भी एहतियात फरमाइये कि छींटे उड़ कर आप के कपडों वगैरा पर न पडे़ं।
📙 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 35
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इस्लामी बहनों की नमाज़ (Part-25)
इंजेक्शन लगाने से वुज़ू टूटेगा या नहीं .!?
गोश्त में इंजेक्शन लगाने में सिर्फ उसी सूरत में वुज़ू टुटेगा जब कि बहने की मिक्दार में खून निकले।
जब कि नस का इंजेक्शन लगा कर पहले खून ऊपर की तरफ़ खींचते हैं जो कि बहने की मिक्दार में होता है लिहाज़ा वुज़ू टुट जाता है।
इसी तरह ग्लूकोज वगैरा की ड्रिप नस में लगवाने से वुज़ू टूट जाएगा क्योंकि बहने की मिक्दार में खून निकल कर नल्की में आ जाता है। हां अगर बहने की मिक्दार में खून नल्की में न आए तो वुज़ू नही टूटेगा।
📙 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 35
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इस्लामी बहनों की नमाज़ (Part-26)
दुखती आँखों के आंसू :
दुखती आंख से जो आंसू बहा वोह नापाक है और वुज़ू भी तोड़ देगा।
📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 2 सफ़ह 32
अफ़्सोस अक्सर इस्लामी बहनें इस म-सअले से ना वाकिफ़ होती हैं और दुखती आंख से ब वज़हे मरज बहने वाले आंसू को और आंसुओं की मानिन्द समझ कर आस्तीन या कुर्ते के दामन वगैरा से पोंछ कर कपड़े नापाक कर डालती हैं।
नाबीना की आंख से जो रतूबत ब वज़हे मरज निकलती है वोह नापाक हैं और उस से वुज़ू भी टूट जाता है। येह याद रहे कि खौफे खुदा عزوجل या इश्के मुस्तफा ﷺ में या वैसे ही आँसू निकले तो वुज़ू नही टूटता।
📙 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 36
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इस्लामी बहनों की नमाज़ (Part-27)
*पाक और ना-पाक रतुबत :*
जो रतुबत इन्सानी बदन से निकले और वुज़ू न तोडे वोह नापाक नहीं। म-सलन खून या पीप बह कर न निकले या थोडी कै कि मुंह भर न हो पाक है।
📕 बहारे शरीअत हिस्सा 2 सफ़ह 31
*छाला और फुड़िया :*
❶ छाला नोच डाला अगर उस का पानी बह गया तो वुज़ू टूट गया वरना नहीं
📒 ऐजून् सफ़ह 27
❷ फुड़िया बिल्कुल अच्छी हो गई उस की मुर्दा खाल बाकी है जिस में ऊपर मुंह और अन्दर खला है अगर उस में पानी भर गया और दबा कर निकाला तो न वुज़ू जाए न वोह पानी ना-पाक। हां अगर उस के अन्दर कुछ तरी खून वगैरा की बाकी है तो वुज़ू भी जाता रहेगा और वोह पानी भी नापाक है।
📓 फतावा र-जविय्या मुख़रजा, ज़िल्द 1, सफ़ह 355, 356
❸ खारिश या फुड़िया में अगर बहने वाली रतुबत न हो सिर्फ चिपक हो और कपड़ा उस से बार बार छू का चाहे जितना ही सन जाए पाक है।
📘 बहारे शरीअत, हिस्सा 2, सफ़ह 32
❹ नाक साफ़ की उस में से जमा हुवा खून निकला वुज़ू न टूटा, अन्सब (या’नी जियादा मुनासिब) येह है कि वुज़ू करें।
📗 फतावा र-जविय्या मुख़रंजा, ज़िल्द 1 , सफ़ह 281
📙 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 36
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इस्लामी बहनों की नमाज़ (Part-28)
*कै से वुज़ू कब टूटता है ?*
मुंह भर के खाने, पानी या सफ़रा (या'नी पीले रंग वा करवा पानी) की वुज़ू तोड़ देती है। जो कै तकल्लुफ़ के बिगैर न रोकी जा सके उसे मुंह भर कहते हैं। मुंह भर कै पेशाब की तरह नापाक होती है उस के छींटों से अपने कपड़े और बदन को बचाना जरूरी है।
📕 बहारें शरीअत, हिस्सा 2, सफ़ह 28, 112 वगैरा
*दूध पीते बच्चे का पेशाब और कै :*
❶ एक दिन के दूध पीते बच्चे का पेशाब भी इसी तरह नापाक है जिस तरह आप लोगों का।
📒 ऐजन सफ़ह 112
❷ दूध पीते बच्चे ने दूध डाल दिया और वोह मुंह भर है तो (येह भी पेशाब ही की तरह) नापाक है हां अगर येह दूध मे'दे तक नहीं पहुंचा सिर्फ सीने तक पहुंच कर पलट आया तो पाक है।
📘 ऐजन सफ़ह 32
📙 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 37
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इस्लामी बहनों की नमाज़ (Part-29)
“मदीना” के पांच हुरूफ़ की निस्बत से वुज़ू में शक आने के 5 अहकाम :
❶ अगर दौराने वुज़ू किसी उज़्व के धोने में शक वाकेअ हो और अगर येह ज़िन्दगी का पहला वाकिआ है तो इस को धो लीजिये और अगर अक्सर शक पड़ा करता है तो उस की तरफ़ तवज्योंह न दीजिये।
❷ इसी तरह अगर बा'दे वुज़ू भी शक पड़े तो इसका कुछ खयाल मत कीजिये।
❸ आप बा वुज़ू थी अब शक आने लगा कि पता नहीं वुज़ू है या नहीं, ऐसी सूरत में आप बा वुज़ू हैं क्योंकि सिर्फ शक से वुज़ू नहीं टूटता।
❹ वस्वसे को सूरत में एहतियातन वुज़ू करना एहतियात नहीं इत्तिबाए शैतान है।
❺ यकीनन आप उस वक़्त तक बा वुज़ू हैं जब तक वुज़ू टूटने का ऐसा यकीन न हो जाए कि कसम खा सके। येह याद है कि कोई उज़्व धोने से रह गया है मगर येह याद नहीं कौन सा उज़्व था तो बायां (या‘नी उल्टा) पाऊं धो लीजिये।
📘 दुर्र मुख़्तार ज़िल्द 1 सफ़ह 310
📙 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 38
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इस्लामी बहनों की नमाज़ (Part-30)
पान खाने वालियां मु-तवज्जेह हों :
मेरे आका आ'ला हज़रत, इमामे अहले सुन्नत, वलिय्ये ने'मत, अजीमुल ब-र-कत, अज़ीमुल मर्तबत, परवानए शमए रिसालत, मुजद्दिदे दीनो मिल्लत, हामिये सुन्नत, माहिये बिद्अत, आलिमे शरीअत, पीरे तरीक़त, बाइसे खैरो ब-र-कत, हज़रते अल्लामा मौलाना अलहाज अल हाफ़िज़ अल कारी शाह इमाम अहमद रज़ा खान रहमतुल्लाह तआला अलैह फ़रमाते हैं : पानों के कसरत से आदी खुसूसन जब कि दांतों में फ़ज़ा (गेप) हो तजरिबे से जानते हैं कि छालिया के बारीक रेजे और पान के बहुत छोटे छोटे टुकड़े इस तरह मुंह के अतराफ़ व अक्लाफ़ में जा गीर होते हैं (या'नी मुंह के कोनों और दांतों के खांचों में घुस जाते हैं) कि तीन बल्कि कभी दस बारह कुल्लियां भी उन के तस्फियए ताम (या'नी मुकम्मल सफ़ाई) को काफ़ी नहीं होतीं, न खिलाल उन्हें निकाल सकता है न मिस्वाक, सिवा कुल्लियों के कि पानी मनाफ़िज़ (या'नी सूराखों) में दाखिल होता और जुम्बिशें देने (या'नी हिलाने) से उन जमे हुए बारीक ज़रों को ब तदरीज छुड़ा छुड़ा कर लाता है, इस की भी कोई तहदीद (हद बन्दी) नहीं हो सकती और येह कामिल तस्फ़िया (या'नी मुकम्मल सफ़ाई) भी बहुत मुअक्कद (या'नी इस की सख्त ताकीद) है मु-तअद्दद अहादीस में इर्शाद हुवा है कि जब बन्दा नमाज़ को खड़ा होता है फ़िरिश्ता उस के मुंह पर अपना मुंह रखता है येह जो कुछ पढ़ता है इस के मुंह से निकल कर फ़िरिश्ते के मुंह में जाता है उस वक्त अगर खाने की कोई शै उस के दांतों में होती है मलाएका को उस से ऐसी सख्त ईजा होती है कि और शै से नहीं होती।
📙 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 39
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इस्लामी बहनों की नमाज़ (Part-31)
पान खाने वालियां मु-तवज्जेह हों :
हुज़ूरे अकरम, नूरे मुजस्सम, शाहे बनी आदम, रसूले मुहतशम ﷺ ने फ़रमाया, जब तुम में से कोई रात को नमाज़ के लिये खड़ा हो तो चाहिये कि मिस्वाक कर ले क्यूं कि जब वोह अपनी नमाज़ में किराअत करता है तो फ़िरिश्ता अपना मुंह उस के मुंह पर रख लेता है और जो चीज़ उस के मुंह से निकलती है वोह फिरिश्ते के मुंह में दाखिल हो जाती है। और त-बरानी ने कबीर में हज़रते सय्यिदुना अबू अय्यूब अन्सारी رضى الله تعالیٰ عنه से रिवायत की है कि दोनों फ़िरिश्तों पर इस से ज़ियादा कोई चीज़ गिरां नहीं कि वोह अपने साथी को नमाज़ पढ़ता देखें और उस के दांतों में खाने के रेज़े फंसे हों।
📕 फ़तावा र-ज़विय्या मुखर्रजा, ज़िल्द 1, सफ़ह 624, 625
📙 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 40
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इस्लामी बहनों की नमाज़ (Part-32)
सोने से वुजू टूटने और न टूटने का बयान :
नींद से वुज़ू टूटने की दो शर्ते हैं :
(1) दोनों सुरीन अच्छी ! तरह जमे हुए न हों।
(2) ऐसी हालत पर सोई जो गाफ़िल हो कर सोने में रुकावट न हो। जब दोनों शर्ते जम्अ हों या'नी सुरीन भी अच्छी तरह ! जमे हुए न हों नीज़ ऐसी हालत में सोई हो जो गाफ़िल हो कर सोने में : रुकावट न हो तो ऐसी नींद वुज़ू को तोड़ देती है। अगर एक शर्त पाई : जाए और दूसरी न पाई जाए तो वुज़ू नहीं टूटेगा!
📙 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 40
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इस्लामी बहनों की नमाज़ (Part-33)
सोने के वोह दस 10 अन्दाज़ जिन से वुज़ू नहीं टूटता :
(1) इस तरह बैठना कि दोनों सुरीन ज़मीन पर हों और दोनों : पाउं एक तरफ़ फैलाए हों। (कुरसी, रेल और बस की सीट पर बैठने का भी येही हुक्म है)
(2) इस तरह बैठना कि दोनों सुरीन ज़मीन पर हों : और पिंडलियों को दोनों हाथों के हल्के में ले ले ख्वाह हाथ ज़मीन : वगैरा पर या सर घुटनों पर रख ले
(3) चार जानू या'नी पालती : (चोकड़ी) मार कर बैठे ख़्वाह ज़मीन या तख़्त या चारपाई वगैरा पर हो।
(4) दो ज़ानू सीधी बैठी हो।
(5) घोड़े या खच्चर वगैरा पर जीन रख कर सुवार हो।
(6) नंगी पीठ पर सुवार हो मगर जानवर चढ़ाई पर चढ़ रहा हो या रास्ता हमवार हो।
(7) तक्ये से टेक लगा कर इस तरह बैठी हो कि सुरीन जमे हुए हों अगर्चे तक्या हटाने से येह गिर पड़े।
(8) खड़ी हो
(9) रुकूअ की हालत में हो।
(10) सुन्नत के मुताबिक जिस तरह मर्द सज्दा करता है इस तरह सज्दा करे कि पेट रानों और बाजू पहलूओं से जुदा हों। मज्कूरा सूरतें नमाज़ में वाकेअ हों या इलावा नमाज़, वुज़ू नहीं टूटेगा और नमाज़ भी फ़ासिद न होगी अगर्चे क़स्दन सोए, अलबत्ता जो रुक्न बिल्कुल सोते हुए अदा किया उस का इआदा: (या'नी दोबारा अदा करना) ज़रूरी है और जागते हुए शुरू किया फिर नींद आ गई तो जो हिस्सा जागते अदा किया वोह अदा हो गया बकिय्या अदा करना होगा।
📙 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 41
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इस्लामी बहनों की नमाज़ (Part-34)
सोने के वोह दस 10 अन्दाज़ जिन से वुज़ू टूट जाता है :
(1) उक्डूं या'नी पाउं के तल्वों के बल इस तरह बैठी हो कि दोनों घुटने खड़े रहें
(2) चित या'नी पीठ के बल लैटी हो
(3) पट या'नी पेट के बल लैटी हो
(4) दाई या बाईं करवट लैटी हो।
(5) एक कोहनी पर टेक लगा कर सो जाए
(6) बैठ कर इस तरह सोई
कि एक करवट झुकी हो जिस की वज्ह से एक या दोनों सुरीन उठे हुए हों!
(7) नंगी पीठ पर सुवार हो और जानवर पस्ती की जानिब उतर रहा हो
(8) पेट रानों पर रख कर दो ज़ानू इस तुरह बैठे सोई कि दोनों सुरीन जमे न रहें
(9) चार जानू या'नी चोकड़ी मार कर इस तरह बैठे कि सर रानों या पिंडलियों पर रखा हो
(10) जिस तरह औरत सज्दा करती या है इस तरह सज्दे के अन्दाज़ पर सोई कि पेट रानों और बाजू पहलूओं से मिले हुए हों या कलाइयां बिछी हुई हों।मज्कूरा सूरतें नमाज़ में वाकेअ हों या नमाज़ के इलावा वुज़ू टूट जाएगा। फिर अगर इन सूरतों में कस्दन सोई तो नमाज़ फ़ासिद हो गई और बिला कस्द सोई तो वुज़ू टूट जाएगा मगर नमाज़ बाकी है। बा'दे वुज़ू (मख्सूस शराइत के साथ) बकिय्या नमाज़ उसी जगह से पढ़ सकती है जहां नींद आई थी। शराइत न मा'लूम हों तो नए सिरे से ले पढ़।
📕 माखूज़ अज़ फ़तावा र-जूविय्या मुखर्रजा, जिल्द 1, सफ़ह 365 ता 367
📙 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 42
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इस्लामी बहनों की नमाज़ (Part-35)
हंसने के अहकाम :
(1) रुकूअ व सुजूद वाली नमाज़ में बालिगा ने कहक़हा ! लगा दिया या'नी इतनी आवाज़ से हंसी कि आस पास वालों ने सुना तो वुज़ू भी गया और नमाज़ भी गई, अगर इतनी आवाज़ से हंसी कि सिर्फ खुद सुना तो नमाज़ गई वुज़ू बाक़ी है, मुस्कुराने से न नमाज़ जाएगी न वुज़ू। मुस्कुराने में आवाज़ बिल्कुल नहीं होती सिर्फ़ दांत ज़ाहिर होते हैं ।
(2) बालिग ने नमाज़े जनाज़ा में ककहा लगाया तो नमाज़ टूट गई वुज़ू बाकी है।
(3) नमाज़ के इलावा ककहा लगाने से वुज़ू नहीं जाता मगर दोबारा कर लेना मुस्तहब है।हमारे मीठे मीठे आका ﷺ ने कभी भी ककहा नहीं लगाया लिहाज़ा : हमें भी कोशिश करनी चाहिये कि येह सुन्नत भी ज़िन्दा हो और हम जोर जोर से न हंसें। फ़रमाने मुस्तफा ﷺ ककहा शैतान की तरफ़ से है। और मुस्कुराना अल्लाह عزوجل की तरफ़ से है।
📙 इस्लामी बहनों की नमाज़ सफ़ह 42
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