🅿🄾🅂🅃 ➪ 01
••──────────────────────••►
❝ इल्म ए दींन सीखने से आता है ❞
••──────────────────────••►
╭┈► प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! अल्लाह पाक की रिज़ा पाने और सवाब कमाने के लिये पहले अच्छी अच्छी निय्यतें कर लेते हैं फ़रमाने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ मुसलमान की निय्यत उस के अ़मल से बेहतर है।
*(معجم کبیر،۶/۱۸۵،حدیث:۵۹۴۲)*
╭┈► नेक और जाइज़ काम में जितनी अच्छी निय्यतें ज़ियादा, उतना सवाब भी ज़ियादा।
╭┈► प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो! येह ह़क़ीक़त है कि वालिदैन की अच्छी तरबिय्यत औलाद को अच्छा और बुरी तरबिय्यत बुरा बना देती है। औलाद की मदनी तरबिय्यत के मुआ़मले में कभी भी सुस्ती का मुज़ाहरा नहीं करना चाहिये। जो वालिदैन अपनी औलाद की दुरुस्त तरबिय्यत नहीं करते, उन्हें शर्मिन्दगी व रुस्वाई का सामना करना पड़ता है, लिहाज़ा अच्छे वालिदैन होने का सुबूत देते हुवे अपनी औलाद को क़ुरआने करीम से मह़ब्बत और उस के अह़काम पर अ़मल करना सिखाइये। अल्लाह पाक वालिदैन को अपनी औलाद की शरीअ़त के मुत़ाबिक़ मदनी तरबिय्यत करने की तौफ़ीक़ अ़त़ा फ़रमाए। हमारे बुज़ुर्गाने दीन رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن अपनी औलाद की इस्लामी त़रीक़े से तरबिय्यत फ़रमाया करते थे..✍️
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 02
••──────────────────────••►
❝ इल्म ए दींन सीखने से आता है ❞
••──────────────────────••►
╭┈► आइये ! एक नेक वालिद और उन की तरबिय्यत याफ़्ता बेटी की एक ईमान अफ़रोज़ ह़िकायत सुनती हैं। चुनान्चे, शैख किरमानी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ की तरबिय्यत याफ़्ता बेटी : ह़ज़रते सय्यिदुना शैख़ किरमानी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ बहुत बड़े परहेज़गार थे। आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ की साह़िबज़ादी जो नेक सूरत होने के साथ साथ नेक सीरत भी थी, जब शादी के लाइक़ हुई, तो बादशाह के यहां से रिश्ता आया मगर ह़ज़रते सय्यिदुना शैख़ किरमानी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ ने तीन दिन की मोह्लत मांगी और मस्जिद मस्जिद घूम कर किसी नेक नौजवान को तलाश करने लगे एक नौजवान पर आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ की निगाह पड़ी जिस ने अच्छी त़रह़ नमाज़ अदा की। शैख़ ने उस से पूछा क्या तुम्हारी शादी हो चुकी है ? उस ने कहा नहीं। फिर पूछा क्या निकाह़ करना चाहते हो ? लड़की क़ुरआने करीम पढ़ती है, नमाज़, रोज़े की पाबन्द है, ख़ूब सूरत और नेक सीरत है। उस ने कहा : भला मेरे साथ कौन रिश्ता करेगा! ह़ज़रते सय्यिदुना शैख़ किरमानी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ ने फ़रमाया मैं करता हूं। येह कुछ दिरहम रखो, एक दिरहम की रोटी, एक दिरहम का सालन और एक दिरहम की ख़ुश्बू ख़रीद लाओ । इस त़रह़ ह़ज़रते सय्यिदुना शैख़ किरमानी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ ने अपनी नेक बेटी का निकाह़ उस से पढ़ा दिया...✍️
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 03
••──────────────────────••►
❝ इल्म ए दींन सीखने से आता है ❞
••──────────────────────••►
╭┈► शैख़ किरमानी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ की तरबिय्यत याफ़्ता बेटी : ह़ज़रते सय्यिदुना शैख़ किरमानी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ ने अपनी नेक बेटी का निकाह़ उस से पढ़ा दिया। दुल्हन जब दुल्हा के घर आई, तो उस ने देखा कि पानी की सुराह़ी पर एक सूखी रोटी रखी हुई है उस ने पूछा येह रोटी कैसी है? दुल्हे ने कहा येह कल की बासी रोटी है, मैं ने इफ़्त़ार के लिये रख ली थी। येह सुन कर वोह वापस होने लगी। येह देख कर दुल्हा बोला मुझे मा'लूम था कि ह़ज़रते सय्यिदुना शैख़ किरमानी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ की शहज़ादी मुझ ग़रीब इन्सान के घर नहीं रुक सकती।
╭┈► दुल्हन बोली : मैं आप की ग़ुर्बत (Poverty) के बाइ़स नहीं बल्कि इस लिये लौट कर जा रही हूं कि अल्लाह करीम पर आप का यक़ीन बहुत कमज़ोर नज़र आ रहा है, मुझे तो अपने वालिद पर ह़ैरत है कि उन्हों ने आप को पाकीज़ा आ़दत और नेक कैसे कह दिया! दुल्हा येह सुन कर बहुत शर्मिन्दा हुवा और उस ने कहा इस कमज़ोरी से मा'ज़िरत ख़्वाह हूं। दुल्हन ने कहा अपना उ़ज़्र आप जानें, अलबत्ता! मैं ऐसे घर में नहीं रुक सकती जहां एक वक़्त की ख़ूराक जम्अ़ रखी हो, अब या तो मैं रहूंगी या रोटी दुल्हे ने फ़ौरन जा कर रोटी ख़ैरात कर दी.✍️
*🔰(روض الریاحین،الحکایۃ الثانیہ والتسعون بعد الما ئۃ ،ص۱۹۲،ملخصاً )📕*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 04
••──────────────────────••►
❝ इल्म ए दींन सीखने से आता है ❞
••──────────────────────••►
╭┈► प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! आप ने सुना कि ज़माने के मश्हूर वली, ह़ज़रते सय्यिदुना शैख़ किरमानी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ ने अपनी शहज़ादी की किस क़दर बेहतरीन अन्दाज़ में मदनी तरबिय्यत फ़रमाई थी, आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ की तरबिय्यत याफ़्ता बेटी का अल्लाह पाक की ज़ात पर मुकम्मल भरोसा था जो अपने शौहर के घर में मुनासिब सहूलिय्यात और मालो दौलत की कसरत न होने की वज्ह से नाराज़ न हुईं बल्कि शिक्वा किया भी तो इस बात का कि इफ़्त़ारी के लिये रोटी बचा कर क्यूं रखी गई ? यक़ीनन आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ की शहज़ादी को येह मदनी सोच आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ की मदनी तरबिय्यत की बदौलत ही मिली होगी जो ख़ुद भी परहेज़गार और ख़ुदा पर मुकम्मल भरोसा रखने वाले बुज़ुर्ग थे, जिन्हों ने अपनी बेटी की मदनी तरबिय्यत फ़रमाई और उन के लिये इ़बादत गुज़ार शख़्स का इन्तिख़ाब फ़रमाया ताकि तक़्वा व परहेज़गारी की बरकतें उन की नस्लों में भी मुन्तक़िल हों । जी हां ! अगर इन्सान ख़ुद नेक हो, तो उस की नेकियों से उस की नस्लों को भी फ़ाइदा होता है..✍️
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 05
••──────────────────────••►
❝ इल्म ए दींन सीखने से आता है ❞
••──────────────────────••►
╭┈► चुनान्चे, ह़ज़रते सय्यिदुना अ़ब्दुल्लाह इबने अ़ब्बास رَضِیَ اللّٰہُ عَنْھُمَا फ़रमाते हैं बेशक अल्लाह पाक इन्सान की नेकियों से उस की औलाद और औलाद दर औलाद की इस्लाह़ फ़रमा देता है, उस की नस्ल और उस के पड़ोसियों में उस की ह़िफ़ाज़त फ़रमाता है और वोह सब अल्लाह पाक की त़रफ़ से पर्दे और अमान में रहते हैं।
در منثور،۵/۴۲۲،پ۱۶،تحت الآیۃ ۸۲ 📙
╭┈► प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! हमारे मुआ़शरे (Society) में औलाद की तरबिय्यत के मुआ़मले में इन्तिहाई ग़फ़्लत का मुज़ाहरा किया जाता है, शायद इस की वज्ह येह है कि वालिदैन (Parents) ख़ुद तरबिय्यत याफ़्ता नहीं हैं, तो जो ख़ुद शरई़ अह़काम से ला इ़ल्म और तरबिय्यत का मोह़्ताज हो, तो वोह दूसरों की तरबिय्यत कैसे कर सकता है? लिहाज़ा जब ऐसे मां-बाप के हां बेटियों के रिश्ते आने लगते हैं, तो वालिदैन इस बात को तरजीह़ देते हैं कि लड़का मालदार, मुख़्तलिफ़ दुन्यवी उ़लूमो फ़ुनून की डिग्रियां रखने वाला और मॉडर्न घराने से तअ़ल्लुक़ रखता हो।...✍🏻
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 06
••──────────────────────••►
❝ इल्म ए दींन सीखने से आता है ❞
••──────────────────────••►
╭┈► नमाज़ चाहे एक न पढ़ता हो, अगर्चे खुल्लम खुल्ला गुनाह करता हो, ह़राम रोज़ी कमाता हो, लोगों को धोका देने में मश्हूर हो, दीन के ज़रूरी मसाइल भी न आते हों, अल ग़रज़ ! बे अ़मली का नुमूना ही क्यूं न हो जब कि अगर कोई ऐसे लड़के से निकाह़ का मशवरा दे जिस की आमदनी (Income) थोड़ी हो अगर्चे 100 फ़ीसद ह़लाल हो, बीवी के ह़ुक़ूक़ (Rights) अदा करने पर भी क़ादिर हो, गुनाहों से बचने वाला और दीनदार हो, इ़ल्मो अ़मल, शर्मो ह़या और सुन्नतों का पैकर हो, ख़ौफे़ ख़ुदा व इ़श्के़ मुस्त़फ़ा की दौलत से माला माल हो, مَعَاذَ اللّٰہ ! उस के बारे में इस त़रह़ के अ़जीबो ग़रीब
╭┈► जुम्ले कहे जाते हैं अरे ! इस से शादी कर के तो हमारी बेटी भूकी मर जाएगी, घर में क़ैद रखेगा, सर से पाउं तक पर्दे में रखेगा। مَعَاذَ اللّٰہ याद रखिये ! अच्छे वालिदैन हमेशा अपनी बहन, बेटियों के निकाह़ के लिये किसी दीनदार (Religious) शख़्स की तलाश में रहते हैं । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ प्यारे आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने भी दीनदार शख़्स से निकाह़ करने का ह़ुक्म इरशाद फ़रमाया है!..✍🏻
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 07
••──────────────────────••►
❝ इल्म ए दींन सीखने से आता है ❞
••──────────────────────••►
╭┈► चुनान्चे, मदनी मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने इरशाद फ़रमाया जब तुम्हें वोह शख़्स पैग़ामे निकाह़ दे जिस की दीनदारी और अख़्लाक़ तुम को पसन्द हैं, तो निकाह़ कर दो, अगर येह न करोगे, तो ज़मीन में फ़ितने और लम्बी चौड़ी ख़राबियां पैदा हो जाएंगी।
╭┈► ह़कीमुल उम्मत, ह़ज़रते मुफ़्ती अह़मद यार ख़ान नई़मी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ फ़रमाते हैं यानी जब तुम्हारी लड़की के लिये दीनदार आ़दातो अत़वार का दुरुस्त लड़का मिल जाए, तो सिर्फ़ माल की हवस (या'नी लालच) में और लखपती के इन्तिज़ार में जवान लड़की के निकाह़ में देर न करो, इस लिये कि अगर मालदार के इन्तिज़ार में लड़कियों के निकाह़ न किये गए, तो उधर तो लड़कियां बहुत कुंवारी बैठी रहेंगी और इधर लड़के बहुत से बे शादी रहेंगे जिस से बदकारी फैलेगी और बदकारी की वज्ह से लड़की वालों को शर्मिन्दगी होगी। नतीजा येह होगा कि ख़ानदान आपस में लड़ेंगे, क़त्लो ग़ारत होंगे, जिस का आज कल ज़ुहूर होने लगा है।..✍️
*📬 मिरआतुल मनाजीह़ जिल्द 5 सफ़ह 8, मुलख़्ख़सन 📚*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 08
••──────────────────────••►
❝ इल्म ए दींन सीखने से आता है ❞
••──────────────────────••►
╭┈► प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! हम पर लुत़्फ़ो करम फ़रमाने वाले, अ़त़ाओं की बारिशें बरसाने वाले और बे शुमार ने'मतों से नवाज़ने वाले रब्बे करीम की करोड़हा करोड़ ने'मतों में से एक अ़ज़ीम ने'मत औलाद भी है। औलाद ऐसी ने'मत है जिस से घर में ख़ुशियां आ जाती हैं। नेक औलाद ऐसी ने'मत है जो वालिदैन के बुढ़ापे (Old Age) में उन का सहारा होती है, अच्छी औलाद मां-बाप के मरने के बा'द उन की नजात का सामान बनती है।
╭┈► अल्लाह पाक जब किसी को इस ने'मत से नवाज़ता है, तो वालिदैन की ख़ुशी की इन्तिहा नहीं रहती मगर साथ ही साथ उन का इम्तिह़ान भी शुरूअ़ हो जाता है। अब येह वालिदैन पर है कि वोह औलाद की मदनी तरबिय्यत कर के इस इम्तिह़ान में कामयाब होते हैं या नहीं।...✍🏻
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 09
••──────────────────────••►
❝ इल्म ए दींन सीखने से आता है ❞
••──────────────────────••►
╭┈► याद रखिये ! उ़मूमन बच्चे वालिदैन की आ़दात की पैरवी करते हैं, अगर वालिदैन शरीअ़त के पाबन्द और इ़ल्मे दीन ह़ासिल करने के शौक़ीन हों, तो उन की नस्लें भी नेकियों के रास्ते पर चलती हैं और वालिदैन की नजात व बख़्शिश और नेक नामी का सबब बनती हैं और अगर वालिदैन ख़ुद बुरी आ़दतों के शिकार हों, तो औलाद में भी वोही बुराइयां मुन्तक़िल हो जाती हैं और ऐसी औलाद सबबे नजात नहीं बल्कि सबबे हलाकत बन जाती है।
╭┈► याद रखिये ! औलाद की दुरुस्त तरबिय्यत करना मां-बाप दोनों ही की ज़िम्मेदारी है मगर बाप कमाने का बहाना बना कर तरबिय्यते औलाद की ज़िम्मेदारी बच्चों की मां पर डाल कर ख़ुद को इस ज़िम्मेदारी से बचाने की कोशिश करता है जब कि बच्चों की मां घर के काम काज का उ़ज़्र पेश कर के तरबिय्यते औलाद का अस्ल ज़िम्मेदार अपने शौहर को क़रार देती है फिर होता येह है कि ऐसी औलाद हाथों से निकल कर घर वालों के लिये बाइ़से ज़ह़्मत बन जाती है। लिहाज़ा वालिदैन को चाहिये कि वोह अपनी ज़िम्मेदारी निभाते हुवे औलाद को बचपन ही से नेक और मुआ़शरे का बा किरदार फ़र्द बनाने में अपना किरदार अदा करें क्यूंकि बचपन में जो चीज़ सीखी जाती है, उस के असरात मज़बूत़ होते हैं जैसा कि ह़दीसे पाक में है : اَلْعِلْمُ في صِغَرِهِ كالنَّقْشِ عَلَى الحَجَر बचपन में इ़ल्म ह़ासिल करना पथ्थर पर नक़्श की त़रह़ (पुख़्ता) होता है।...✍🏻
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 10
••──────────────────────••►
❝ इल्म ए दींन सीखने से आता हैं! ❞
••──────────────────────••►
╭┈► आइये ! तरबिय्यते औलाद के बारे में मदनी मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के महके महके 4 फ़रामीन सुनिये।
╭┈► रसूले अन्वर صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने जब येह आयते मुबारका तिलावत फ़रमाई
قُوْۤا اَنْفُسَكُمْ وَ اَهْلِیْكُمْ نَارًا(پ۲۸ التحرِیم:۶)
╭┈► तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : अपनी जानों और अपने घर वालों को उस आग से बचाओ। तो सह़ाबए किराम عَلَیْہِمُ الرِّضْوَان ने अ़र्ज़ की या रसूलल्लाह صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ! हम अपने घर वालों को किस त़रह़ आग से बचाएं ? तो नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने फ़रमाया
╭┈► ❶ उन्हें उन कामों का ह़ुक्म दो जो अल्लाह पाक को पसन्द हैं और उन कामों से मन्अ़ करो जो अल्लाह पाक को ना पसन्द हैं।...✍🏻
📙 دُرّ مَنثور، ۸ / ۲۲۵
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 11
••──────────────────────••►
❝ इल्म ए दींन सीखने से आता हैं! ❞
••──────────────────────••►
╭┈► ❷ इरशाद फ़रमाया अपनी औलाद को तीन ख़स्लतों की ता'लीम दो।
1. ⚘ अपने नबी (صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ) की मह़ब्बत।
2. ⚘ अहले बैत की मह़ब्बत और।
3. ⚘ क़ुरआने पाक की ता'लीम।
📙 جامع صغیر،باب الہمزہ، حدیث:۳۱۱، ص۲۵
╭┈► ❸ इरशाद फ़रमाया औलाद का वालिद पर येह ह़क़ है कि उस का अच्छा नाम रखे और अच्छा अदब सिखाए।
📗 شعب الایمان،باب في حقوق الأولاد والأھلین،حدیث:۸۶۵۸،۶،۶/۴۰۰
╭┈► ❹ इरशाद फ़रमाया किसी बाप ने अपने बच्चे को ऐसा इनआ़म नहीं दिया जो अच्छे अदब से बेहतर हो।
📕 ترمذی، کتاب البر والصلۃ، باب ما جاء فی ادب الولد، ۳/۳۸۳،حدیث: ۱۹۵۹
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 12
••──────────────────────••►
❝ इल्म ए दींन सीखने से आता हैं! ❞
••──────────────────────••►
╭┈► ह़कीमुल उम्मत, ह़ज़रते मुफ़्ती अह़मद यार ख़ान नई़मी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ इस ह़दीसे पाक के तह़्त फ़रमाते हैं अच्छे अदब से मुराद बच्चे को दीनदार, मुत्तक़ी, परहेज़गार बनाना है। औलाद के लिये इस से अच्छा अ़त़िय्या (या'नी इनआ़म) क्या हो सकता है कि येह चीज़ दीनो दुन्या में काम आती है। मां-बाप को चाहिये कि औलाद को सिर्फ़ मालदार बना कर दुन्या से न जाएं, उन्हें दीनदार बना कर जाएं, जो ख़ुद इन्हें भी क़ब्र में काम आवे कि ज़िन्दा औलाद की नेकियों का सवाब मुर्दा को क़ब्र में मिलता है।
📙 मिरआतुल मनाजीह़ जिल्द 6 सफ़ह 565 मुल्तक़त़न
╭┈► प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! बच्चों की इस्लामी ता'लीम व मदनी तरबिय्यत की जितनी ज़रूरत आज है, शायद इस से पहले कभी न थी क्यूंकि आज हर त़रफ़ शैत़ानी कामों और गुनाहों के आलात की भरमार है और औलाद को सिर्फ़ दुन्यवी ता'लीम से आरास्ता करने का रुजह़ान ज़ोर पकड़ता जा रहा है जब कि पहले के दौर में औलाद के लिये दीनी ता'लीम को ज़ियादा ह़ैसिय्यत दी जाती थी।...✍🏻
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 13
••──────────────────────••►
❝ इल्म ए दींन सीखने से आता हैं! ❞
••──────────────────────••►
╭┈► शायद येही वज्ह है कि उस ज़माने में वालिदैन के साथ साथ उन की औलाद भी परहेज़गार और फ़रमां बरदार होती थी मगर अब दुन्यवी ता'लीम को तरजीह़ दी जाने लगी है। येही वज्ह है कि स्कूलों में भारी फ़ीसों की अदाएगी और हर आसाइश व सहूलिय्यात की फ़राहमी इस लिये की जाती है कि बच्चों का दुन्यवी मुस्तक़्बिल रौशन हो जाए, अच्छी नौकरी (Job) लग जाए, ख़ूब बैंक बेलन्स जम्अ़ हो जाए, ह़त्ता कि इस मक़्सद को पूरा करने के लिये वालिदैन अपनी औलाद को बैरूने मुल्क पढ़ने के लिये भी भेज देते हैं। यूं दुन्यवी ता'लीम ह़ासिल करने के बा'द बच्चा पक्का दुन्यादार, अच्छा बिज़्नेसमैन और मॉडर्न तो बन जाता है मगर नेक, आ़शिके़ रसूल और बा अ़मल मुसलमान नहीं बन पाता।
╭┈► प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! उ़मूमन हर वालिदैन की येह दिली ख़्वाहिश होती है कि हमारी औलाद हमारी फ़रमां बरदार रहे, हमारे साथ अच्छा सुलूक करे, नेक, परहेज़गार बने, मुआ़शरे में इ़ज़्ज़तदार और पाकीज़ा किरदार वाली हो मगर अक्सर नतीजा इस के उलट ही आता है, क्यूं? इस लिये कि जो मां-बाप तरबिय्यते औलाद के बुन्यादी इस्लामी उसूलों से ही ला इ़ल्म, बे अ़मल और अच्छे माह़ोल की बरकतों से मह़रूम हों, तो भला वोह क्यूंकर अपनी औलाद की अच्छी तरबिय्यत कर पाएंगे?।...✍🏻
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 14
••──────────────────────••►
❝ इल्म ए दींन सीखने से आता हैं! ❞
••──────────────────────••►
╭┈► शायद इसी वज्ह से आज औलाद की तरबिय्यत का मे'यार येह बन चुका है कि बच्चा अगर काम काज न करे, स्कूल, कोचिंग सेन्टर, टियूशन या अकेडमी से छुट्टी कर ले या इस मुआ़मले में सुस्ती का शिकार हो, किसी तक़रीब में जाने का या मख़्सूस लिबास व जूते पहनने का कहा जाए और वोह इस पर राज़ी न हो, इसी त़रह़ दीगर दुन्यवी मुआ़मलात में वोह अगर मगर और चूंकि चुनान्चे से काम ले या हट धर्मी का मुज़ाहरा करे, तो उस का ठीक ठाक नोटिस लिया जाता है, खरी खरी सुनाई जाती है, घन्टों लेक्चर दिये जाते हैं, ह़त्ता कि मार पीट भी की जाती है लेकिन अगर वोही बच्चा नमाज़ें क़ज़ा करे या जमाअ़त से नमाज़ न पढ़े, मद्रसे या जामिआ़ की छुट्टी कर ले या ताख़ीर से जाए, पूरी पूरी रात आवारा गर्दी करे, मोबाइल और सोशल मीडिया (Social Media) के ज़रीए़ ना मह़रमों से नाजाइज़ तअ़ल्लुक़ात क़ाइम करे, मोबाइल या नेट का ग़लत़ इस्ति'माल करे, इ़श्क़े मजाज़ी की आफ़त में गिरिफ़्तार हो जाए, फ़िल्में ड्रामे देखे, गाने बाजे सुने, नित नए फै़शन अपनाए, ह़राम व ह़लाल की परवा न करे, शराब पिये, जुवा खेले, झूट बोले, ग़ीबतें करे, रिशवतों का लेन देन करे, नाजाइज़ फै़शन अपनाए, बद अ़क़ीदा लोगों की सोह़बत में बैठे, फ़ुज़ूल कामों में पैसा बरबाद करे, अल ग़रज़ ! त़रह़ त़रह़ की बुराइयों में मुब्तला हो जाए, तो इन मुआ़मलात में उस से पूछ गछ करना तो दूर की बात है मां-बाप की पेशानी पर बल तक नहीं आता। येह नज़्ज़ारे भी देखने को मिलते हैं कि कोई इस्लाह़ करे भी, तो मां-बाप कहते हैं अभी तो येह बच्चा है, नादान है, आहिस्ता आहिस्ता समझ जाएगा, बच्चों पर इतनी भी सख़्ती नहीं करनी चाहिये वग़ैरा।...✍🏻
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 15
••──────────────────────••►
❝ इल्म ए दींन सीखने से आता हैं! ❞
••──────────────────────••►
╭┈► इस्लामी तरबिय्यत से मह़रूम, ह़द से ज़ियादा लाड प्यार और ढील देने के सबब वोही बच्चा जब मां-बाप, ख़ानदान और मुआ़शरे की बदनामी का सबब बनता है, डांट डपट करने या पैसे न देने पर मां-बाप को आंखें दिखाता, झाड़ता या उन पर हाथ उठाता है, तो उस वक़्त उन्हें ख़ैर ख़्वाहों की नसीह़तें याद आने लगती हैं, अब मां-बाप उस की इस्लाह़ के लिये कुढ़ते, दुआ़एं करते और करवाते हैं मगर इस्लाह़ की कोई सूरत नज़र नहीं आती, उस वक़्त पानी सर से बहुत ऊंचा हो चुका होता है और सिवाए पछताने के कुछ हाथ नहीं आता, गोया वालिदैन की थोड़ी सी ला परवाई की वज्ह से एक क़ीमती मोती ज़ाएअ़ हो चुका होता है।...✍🏻
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 16
••──────────────────────••►
❝ इल्म ए दींन सीखने से आता हैं! ❞
••──────────────────────••►
╭┈► औलाद की मदनी तरबिय्यत न करने और उन्हें ह़द से ज़ियादा ढील देने के सबब मां-बाप को कैसे कैसे दिन देखने पड़ते हैं। आइये ! इस बारे में एक इ़ब्रत अंगेज़ ह़िकायत सुनती हैं और इ़ब्रत के मदनी फूल चुनती हैं। *चुनान्चे, क्या बेटा भी कभी बाप को मारता है ?*
╭┈► तम्बीहुल ग़ाफ़िलीन में है "समरक़न्द" के एक आ़लिमे दीन ह़ज़रते सय्यिदुना अबू ह़फ़्स رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ के पास एक शख़्स आया और कहने लगा मेरे बेटे ने मुझे मारा है। उन्हों ने ह़ैरत से पूछा क्या बेटा भी कभी बाप को मारता है? उस ने कहा जी हां ऐसा ही हुवा है। ह़ज़रते सय्यिदुना अबू ह़फ़्स رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ ने पूछा क्या आप ने उसे दीनी इ़ल्म व अदब सिखाया है? उस ने कहा नहीं आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ ने पूछा क़ुरआने करीम सिखाया है उस ने कहा नहीं फिर पूछा तो वोह क्या करता है उस ने बताया खेती बाड़ी करता है।
╭┈► ह़ज़रते सय्यिदुना अबू ह़फ़्स رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ ने फ़रमाया जानते हैं कि उस ने आप को क्यूं मारा है कहा नहीं आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ ने इस्लाह़ की ख़ात़िर उस पर चोट करते हुवे फ़रमाया शायद वोह सुब्ह़ के वक़्त गधे पर सुवार हो कर जब खेत की त़रफ़ जा रहा होगा, बैल (Bull) उस के आगे और कुत्ता (Dog) उस के पीछे होगा, क़ुरआने पाक तो उसे पढ़ना आता नहीं कि कुछ रूह़ानिय्यत नसीब होती, बस यूंही ग़फ़्लत में कुछ गुनगुना रहा होगा, ऐसे में आप उस के सामने आ गए होंगे, उस ने समझा होगा कि बैल आड़े आ गया है और उस को हांकने के लिये सर पर कोई चीज़ दे मारी होगी। शुक्र कीजिये आप का सर नहीं फटा।...✍🏻
*📙 तम्बीहुल ग़ाफ़िलीन सफ़ह 68*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 17
••──────────────────────••►
❝ इल्म ए दींन सीखने से आता हैं! ❞
••──────────────────────••►
╭┈► आइये ! अब एक रिवायत सुनिये और औलाद की मदनी तरबिय्यत का ज़ेहन बनाइये।चुनान्चे, पहाड़ बराबर नेकियां काम न आईं (बरोज़े क़ियामत) एक शख़्स के बीवी, बच्चे बारगाहे इलाही में ह़ाज़िर हो कर फ़रयाद करेंगे ऐ हमारे रब्बे करीम ! इस शख़्स से हमारा ह़क़ दिलवा क्यूंकि इस ने हमें हमारे दीन के अह़काम नहीं सिखाए और येह हमें ह़राम खिलाता था लेकिन हमें इस का इ़ल्म न था। लिहाज़ा उस शख़्स को ह़राम रोज़ी (कमाने और खिलाने) के सबब इस क़दर पीटा जाएगा कि उस का गोश्त झड़ जाएगा फिर उसे मीज़ान (या'नी तराज़ू) की जानिब लाया जाएगा, फ़िरिश्ते उस की पहाड़ की त़रह़ नेकियां लाएंगे, तो अहलो इ़याल में से एक शख़्स उस की नेकियों में से ले लेगा। दूसरा बढ़ेगा, वोह भी उस की नेकियों से अपनी कमी पूरी करेगा (इस त़रह़ उस की सारी नेकियां उस के घर वाले ले लेंगे)। अब वोह अपने घर वालों की त़रफ़ मुतवज्जेह हो कर कहेगा मेरी गरदन पर सिर्फ़ उन गुनाहों का बोझ रह गया है, जो मैं ने तुम लोगों की ख़ात़िर किये। फ़िरिश्ते ए'लान करेंगे येह वोह शख़्स है जिस की सारी नेकियां उस के बाल बच्चे ले गए और येह उन की वज्ह से जहन्नम में दाख़िल हुवा।...✍🏻
📙 قُرَّۃُ العیون،الباب الثامن فی عقوبۃقاتل النفس وقاطع الرحم ،ص۴۰۱ملخصاً
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 18
••──────────────────────••►
❝ इल्म ए दींन सीखने से आता हैं! ❞
••──────────────────────••►
╭┈► प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! सुना आप ने कि जो वालिदैन अपनी औलाद की मदनी तरबिय्यत नहीं करते और उन्हें इ़ल्म व अदब नहीं सिखाते, तो उन्हें कैसी शर्मिन्दगी व रुस्वाई का सामना होता है, लिहाज़ा अच्छे वालिदैन होने का सुबूत देते हुवे अपनी औलाद को क़ुरआने करीम से मह़ब्बत और उस के अह़काम पर अ़मल करना सिखाइये।
╭┈► सदरुश्शरीआ़, ह़ज़रते अ़ल्लामा मौलाना मुफ़्ती मुह़म्मद अमजद अ़ली आ'ज़मी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ फ़रमाते हैं सब से मुक़द्दम (पहले) येह है कि बच्चों को क़ुरआने मजीद पढ़ाएं और दीन की ज़रूरी बातें सिखाई जाएं। रोज़ा व नमाज़ व त़हारत (पाकी), ख़रीदो फ़रोख़्त और उजरत (मज़दूरी) व दीगर मुआ़मलात के मसाइल जिन की रोज़ मर्रा ह़ाजत पड़ती है और ना वाक़िफ़ी (ला इ़ल्मी) से ख़िलाफे़ शरअ़ अ़मल करने के जुर्म में मुब्तला होते हैं, उन की ता'लीम हो। अगर देखें कि बच्चे को इ़ल्म की त़रफ़ रुजह़ान (Interest) है और समझदार है, तो इ़ल्मे दीन की ख़िदमत से बढ़ कर क्या काम है ? और अगर इस्तित़ाअ़त (त़ाक़त) न हो, तो दुरुस्त अ़क़ाइद और ज़रूरी मसाइल सिखाने के बा'द जिस जाइज़ काम में लगाएं, इख़्तियार है।..✍🏻
*📙 बहारे शरीअ़त हिस्सा 2 सफ़ह 256 मुलख़्ख़सन*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 19
••──────────────────────••►
❝इल्म ए दींन सीखने से आता हैं! ❞
••──────────────────────••►
╭┈► लड़की को भी अ़क़ाइद व ज़रूरी मसाइल सिखाने के बा'द किसी औ़रत से सिलाई और नक़्शो निगार वग़ैरा ऐसे काम सिखाएं जिन की औ़रतों को अक्सर ज़रूरत पड़ती है और खाना पकाने और दीगर उमूरे ख़ानादारी (घर के कामों) में उस को सलीके़ होने (या'नी तमीज़ सिखाने) की कोशिश करें कि सलीके़ वाली औ़रत जिस ख़ूबी से ज़िन्दगी बसर कर सकती है, बद सलीक़ा नहीं कर सकती।
📗 बहारे शरीअ़त हिस्सा 2 सफ़ह 257
╭┈► मश्हूर मुफ़स्सिरे क़ुरआन, ह़ज़रते अ़ल्लामा क़ुर्त़ुबी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ नक़्ल फ़रमाते हैं हम पर फ़र्ज़ है कि अपनी औलाद और अपने अहले ख़ाना को दीन की ता'लीम दें, अच्छी बातें सिखाएं और उस अदब व हुनर की ता'लीम दें जिस के बिग़ैर चारा नहीं।
📙 تفسیر قُرطبی،۹/۱۴۸
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 20
••──────────────────────••►
❝ इल्म ए दींन सीखने से आता हैं! ❞
••──────────────────────••►
╭┈► आज फ़ितनों से भरपूर इस ज़माने में भी اَلْحَمْدُ لِلّٰہ ऐसे वालिदैन मौजूद हैं जो शरीअ़त के ह़ुक्म पर अपना सर झुका कर हिम्मत व ह़ौसले के साथ मुआ़शरे के त़ा'नों को बरदाश्त करते हुवे औलाद की इस्लाह़ और उन की इस्लामी त़रीके़ से मदनी तरबिय्यत कर के अपनी और उन की आख़िरत बेहतर बनाने के लिये कोशिशें जारी रखे हुवे हैं। येही वज्ह है कि उन मदनी ज़ेहन रखने वालों की औलाद में कोई ह़ाफ़िज़े क़ुरआन बनता है, कोई क़ारिये क़ुरआन बनने की सआ़दत पाता है, कोई नेकी की दा'वत आ़म करने वाला, तो कोई इ़ल्मे दीन की रौशनी फैलाने वाला आ़लिमे दीन और मुफ़्ती बन कर उम्मते मह़बूब की शरई़ रहनुमाई करता है। जिन मां-बाप के बच्चे इस अन्दाज़ से दीन की ख़िदमत कर रहे हों, वोह इस ह़क़ीक़त को अच्छी त़रह़ जानते होंगे कि डॉक्टर व इन्जीनियर वग़ैरा बनाने के फ़वाइद (Benefits) सिर्फ़ दुन्या तक ही मह़दूद होते हैं जब कि नेक औलाद, वालिदैन की वफ़ात के बा'द भी फ़ाइदा मन्द साबित होती है।...✍🏻
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 21
••──────────────────────••►
❝ इल्म ए दींन सीखने से आता हैं! ❞
••──────────────────────••►
╭┈► ह़ज़रते सय्यिदुना बुरैदा رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ से रिवायत है, रसूले अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने फ़रमाया जिस ने क़ुरआन पढ़ा, उसे सीखा और उस पर अ़मल किया, तो उस के वालिदैन को क़ियामत के दिन नूर का एक ऐसा ताज पहनाया जाएगा जिस की चमक सूरज की त़रह़ होगी और उस के वालिदैन को दो जन्नती लिबास पहनाए जाएंगे जिन की क़ीमत येह दुन्या अदा नहीं कर सकती। तो वोह पूछेंगे हमें येह लिबास क्यूं पहनाए गए हैं उन से कहा जाएगा तुम्हारे बच्चों के क़ुरआन को थामने के सबब।
📗 مستدرک ،کتاب فضائل القرآن، باب من قراالقرآن وتعلمہ الخ، رقم: ۲۱۳۲، ۲/ ۲۷۸
╭┈► एक और मक़ाम पर इरशाद फ़रमाया बेशक अल्लाह पाक एक नेक बन्दे का दरजा जन्नत में बुलन्द फ़रमाएगा, तो वोह कहेगा ऐ मेरे रब्बे करीम मुझे येह मर्तबा कैसे मिला तो अल्लाह पाक फ़रमाएगा तेरे बेटे ने तेरे लिये मग़फ़िरत की दुआ़ मांगी है।...✍🏻
📙 مشکاۃالمصابیح،کتاب الدعوات،باب الاستغفار والتوبۃ،حدیث:۲۳۵۴، ۱/ ۴۴۰
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 22
••──────────────────────••►
❝ इल्म ए दींन सीखने से आता हैं! ❞
••──────────────────────••►
╭┈► प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो याद रहे वालिदैन इन फ़ज़ाइल को उसी सूरत में पा सकते हैं जब ख़ुद इ़ल्मो अ़मल और सुन्नतों के पैकर, ख़ौफे़ ख़ुदा रखने वाले और इ़ल्मे दीन से मह़ब्बत रखने वाले होंगे। अल्हम्दु लिल्लाह घर दर्स में भी इ़ल्मे दीन के मोती लुटाए जाते हैं और इ़ल्मे दीन सीखने की तो क्या ही बात है ! कि ह़ज़रते सय्यिदुना अबू हुरैरा رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ से रिवायत है कि नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने फ़रमाया कि जो कोई अल्लाह पाक के फ़राइज़ से मुतअ़ल्लिक़ एक या दो या तीन या चार या पांच कलिमात सीखे और उसे अच्छी त़रह़ याद कर ले और फिर लोगों को सिखाए, तो वोह जन्नत में ज़रूर दाख़िल होगा। ह़ज़रते सय्यिदुना अबू हुरैरा رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ फ़रमाते हैं कि मैं रसूलुल्लाह صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ से येह बात सुनने के बा'द कोई ह़दीस नहीं भूला लिहाज़ा आप भी घर में दर्स देने की निय्यत फ़रमा लीजिये।...✍🏻
📙 الترغیب والترہیب، کتاب العلم ، الترغیب فی العلم الخ، رقم۲۰، ج۱، ص۵۴
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 23
••──────────────────────••►
❝ इल्म ए दींन सीखने से आता हैं! ❞
••──────────────────────••►
╭┈► प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! तरबिय्यते औलाद के ह़वाले से बुज़ुर्गाने दीन رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن और पहले के मुसलमानों का किरदार हमारे लिये लाइक़े अ़मल है क्यूंकि येह ह़ज़रात तरबिय्यते औलाद के त़रीक़ों को अच्छी त़रह़ जानते और औलाद जैसी ने'मत की सह़ीह़ मा'नों में क़द्र किया करते थे कि ख़ुद उन की परवरिश भी तो किसी नेक सीरत वालिदैन की निगरानी में हुई थी। येह ह़ज़रात ख़ुद भी नेकियों के शौक़ीन होते और अपनी औलाद को भी नेकी की राह पर लगे रहने की तरग़ीब दिलाया करते थे। येही वज्ह है कि उन की औलाद उन की फ़रमां बरदार, आंखों का चैन, दिल का सुकून और मुआ़शरे में उन का नाम रौशन करती थी।...✍🏻
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 24
••──────────────────────••►
❝ इल्म ए दींन सीखने से आता हैं! ❞
••──────────────────────••►
╭┈► आइये ! बत़ौरे तरग़ीब 2 ईमान अफ़रोज़ वाक़िआ़त सुनती हैं और उन से ह़ासिल होने वाले मदनी फूल अपने दिल के मदनी गुलदस्ते में सजाती हैं। चुनान्चे,
╭┈► ❶ *देहाती औ़रत की नसीह़त :* ह़ज़रते सय्यिदुना इमाम अस्मई़ رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ फ़रमाते हैं मैं ने एक देहाती औ़रत को देखा जो अपने बेटे को नसीह़त करते हुवे कह रही थी बेटा अ़मल की तौफ़ीक़ अल्लाह पाक की त़रफ़ से है और मैं तुझे नसीह़त करती हूं चुग़ली करने से बचते रहना क्यूंकि येह दो क़बीलों में दुश्मनी डाल देती है, दोस्तों (Friends) को जुदा कर देती है, लोगों के ऐ़ब तलाश करने से बचो कहीं तुम भी ऐ़बदार न हो जाओ, इ़बादत में दिखावा न करना, माल ख़र्च करने में कन्जूसी से बचते रहना, दूसरों के अन्जाम से सबक़ ह़ासिल करना, लोगों का जो अ़मल तुम्हें अच्छा लगे, उस पर अ़मल करना और उन में जो काम तुम्हें बुरा लगे, उस से बचते रहना क्यूंकि आदमी को अपने ऐ़ब (Fault) नज़र नहीं आते।
╭┈► फिर वोह औ़रत ख़ामोश हो गई, तो मैं ने कहा ऐ देहाती औ़रत तुझे अल्लाह पाक की क़सम मज़ीद नसीह़त करो उस ने पूछा ऐ शहरी क्या तुझे एक देहाती की बातें अच्छी लगी हैं मैं ने कहा अल्लाह पाक की क़सम अच्छी लगी हैं तो वोह बोली बेटा धोका देने से बचते रहना क्यूंकि तू लोगों से जो मुआ़मलात करता है, धोका देना उन में सब से बुरा है, सख़ावत, इ़ल्म, आ़जिज़ी और ह़या को अपना लेना, अब मैं तुझे अल्लाह पाक के ह़वाले करती हूं, तुम पर सलामती हो, अल्लाह पाक तुम पर रह़म करे। याद रखो ! ग़ीबत, करना ह़ालते इस्लाम में तीस मरतबा बदकारी करने से भी सख़्त गुनाह है।...✍🏻
*📙 आंसूओं का दरिया सफ़ह - 249*
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 25
••──────────────────────••►
❝ इल्म ए दींन सीखने से आता हैं! ❞
••──────────────────────••►
╭┈► *इन्टरनेट और सोशल मीडिया के ग़लत़ इस्ति'माल का बच्चों पर मन्फ़ी असरात :* प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! इन्टरनेट और सोशल मीडिया (Social Media) के जो अख़्लाक़ी व मुआ़शरती नुक़्सानात हैं, वोह हम से ढके छुपे नहीं। एक वक़्त था कि टीवी और सिनेमा के नुक़्सान पहुंचाने वाले असरात और भयानक नताइज मुआ़शरे (Society) के लिये परेशानी का बाइ़स थे और टेलीवीज़न को सिह़्ह़त के लिये सब से ज़ियादा नुक़्सान देह क़रार दिया गया था मगर आज मोबाइल और इन्टरनेट सब से ज़ियादा सिह़्ह़त को ख़राब और अख़्लाक़ को तबाहो बरबाद कर रहे हैं। वालिदैन को चाहिये कि अपने बच्चों की नक़्ल व ह़रकत पर तवज्जोह रखने के साथ साथ ह़िक्मते अ़मली से उन की मदनी तरबिय्यत भी करें, बिल ख़ुसूस जो बच्चे अभी छोटे हैं, उन्हें मोबाइल और इन्टरनेट के ज़ोरदार सैलाब से बचाएं, वरना कहीं ऐसा न हो कि उन का किरदार अभी से ख़राब हो जाए, अगर ऐसा हुवा, तो यक़ीन जानिये कि फिर औलाद और वालिदैन दोनों को हर जगह ज़िल्लतो रुस्वाई का सामना हो सकता है।...✍🏻
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 26
••──────────────────────••►
❝ इल्म ए दींन सीखने से आता हैं! ❞
••──────────────────────••►
╭┈► प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! इ़ल्मे दीन से दूरी के बाइ़स हमारे मुआ़शरे में बा'ज़ वालिदैन ऐसे भी हैं जो ख़ुद भी नेकियों से मह़रूम रहते हैं और अपनी औलाद को भी अपने नक़्शे क़दम पर चलाने की कोशिश करते हैं, अगर ख़ुश क़िस्मती से उन के बच्चे नेकी के रास्ते पर चल निकलें, तो बद क़िस्मती से ऐसे वालिदैन उन का मज़ाक़ उड़ाते, मुख़्तलिफ़ त़रीक़ों से सताते और इस रास्ते से हटाने की कोशिश करते हैं, यूं रोज़ रोज़ के त़ा'नों से तंग आ कर बसा अवक़ात बच्चा भी बुराई के रास्ते पर चल पड़ता है और बुरे लोगों की सोह़बत में रह कर उन की आ़दातो अत़वार अपना लेता है। गाली गलोच, लड़ाई झगड़ा और नशे की बुरी बीमारी में पड़ कर अपनी दुन्या व आख़िरत बरबाद कर लेता है।...✍🏻
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 27
••──────────────────────••►
❝ इल्म ए दींन सीखने से आता हैं! ❞
••──────────────────────••►
╭┈► प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो! बयान को इख़्तिताम की त़रफ़ लाते हुवे सुन्नत की फ़ज़ीलत और चन्द सुन्नतें और आदाब बयान करने की सआ़दत ह़ासिल करती हूं। शहनशाहे नुबुव्वत, मुस्त़फ़ा जाने रह़मत صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का फ़रमाने जन्नत निशान है जिस ने मेरी सुन्नत से मह़ब्बत की उस ने मुझ से मह़ब्बत की और जिस ने मुझ से मह़ब्बत की वोह जन्नत में मेरे साथ होगा।...✍🏻
📙 مشکاۃ الصابیح،کتاب الایمان،باب الاعتصام بالکتاب والسنۃ،الفصل الثانی،۱/۵۵،حدیث:۱۷۵
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 28
••──────────────────────••►
❝ इल्म ए दींन सीखने से आता हैं! ❞
••──────────────────────••►
╭┈► *चलने की सुन्नतें और आदाब :* पारह 15, सूरए बनी इस्राईल की आयत नम्बर 37 में इरशादे बारी है :
وَ لَا تَمْشِ فِی الْاَرْضِ مَرَحًاۚ-اِنَّكَ لَنْ تَخْرِقَ الْاَرْضَ وَ لَنْ تَبْلُغَ الْجِبَالَ طُوْلًا(۳۷)
╭┈► तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : और ज़मीन में इतराते हुवे न चल, बेशक तू हरगिज़ न ज़मीन को फाड़ देगा और न हरगिज़ बुलन्दी में पहाड़ों को पहुंच जाएगा।
╭┈► फ़रमाने मुस्तफ़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ है एक शख़्स दो चादरें ओढ़े हुवे इतरा कर चल रहा था और घमन्ड में था, तो अल्लाह पाक ने उसे ज़मीन में धंसा दिया, वोह क़ियामत तक धंसता ही जाएगा।...✍🏻
📙 مُسلِم،کتاب اللباس والزینۃ،باب تحریم التبختر فی المشی...الخ،ص۱۱۵۶،حدیث:۲۰۸۸
••──────────────────────••►
📮 नेस्ट पोस्ट कंटिन्यू ان شاء الله
••──────────────────────••►
🅿🄾🅂🅃 ➪ 29
••──────────────────────••►
❝ इल्म ए दींन सीखने से आता हैं! ❞
••──────────────────────••►
╭┈► मदनी आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ चलते, तो थोड़ा आगे झुक कर चलते, गोया कि आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ बुलन्दी से उतर रहे हैं।
📙 الشمائل المحمدية للترمذی،باب ما جاء فی مشیۃ رسول اللہ ، ص۸۷ ،رقم:۱۱۸
╭┈► अगर कोई रुकावट न हो, तो रास्ते के किनारे किनारे दरमियानी रफ़्तार से चलिये। न इतना तेज़ कि लोगों की निगाहें आप की त़रफ़ उठें और न इतना आहिस्ता कि आप बीमार लगें। राह चलते वक़्त बिला ज़रूरत इधर उधर देखना सुन्नत नहीं, नीची नज़रें किये पुर वक़ार त़रीके़ पर चलिये। चलने या सीढ़ी चढ़ने, उतरने में येह एह़तियात़ कीजिये कि जूतों की आवाज़ पैदा न हो। बा'ज़ लोगों की आ़दत होती है कि राह चलते हुवे जो चीज़ भी आड़े आए उसे लातें मारते जाते हैं, येह बिल्कुल ग़ैर मुहज़्ज़ब त़रीक़ा है, इस त़रह़ पाउं ज़ख़्मी होने का भी अन्देशा रहता है। अख़्बारात या लिखाई वाले डिब्बों, पेकेट्स और मिनरल वॉटर की ख़ाली बोतलों वग़ैरा पर लात मारना बे अदबी भी है।...✍🏻
••──────────────────────••►
*📬 अल्हम्दु लिल्लाह पोस्ट मुकम्मल हुई 🔃*
••──────────────────────••►